कांवड़ यात्रियों को नहीं मिलेगी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर एंट्री, दिल्ली पुलिस ने शुरू की पंजीकरण प्रक्रिया
कांवड़ यात्रियों को नहीं मिलेगी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर एंट्री, दिल्ली पुलिस ने शुरू की पंजीकरण प्रक्रिया
Image Source : FILE PHOTO
Kanwar Yatra
Highlights
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे बनने के बाद पहली कांवड़ यात्रा
कोरोना के कारण 2020 और 2021 में कांवड़ यात्रा नहीं हुई
कावड़ यात्रा को लेकर दिल्ली पुलिस ने भी जारी किया अलर्ट
Kanwar Yatra: सावन महीने की कांवड़ यात्रा 14 तारीख से शुरू होने वाली है। इसके मद्देनजर ट्रैफिक पुलिस ने प्लान तैयार कर लिया है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर कांवड़ यात्रियों को…
View On WordPress
0 notes
सावन महीना 2020: पवित्र श्रावण मास से संबंधित तिथियां, इतिहास, संकेत और मंत्र जानें
सावन महीना 2020: पवित्र श्रावण मास से संबंधित तिथियां, इतिहास, संकेत और मंत्र जानें
प्रतिनिधित्व के लिए छवि।
हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, सावन धर्म के चंद्र कैलेंडर में पांचवां महीना है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है।
News18.com
आखरी अपडेट: 5 जुलाई, 2020, 7:54 AM IST
‘सावन माह’ और ‘चातुर्मास’ की शुरुआत मानसून की पहली बौछार से होती है। 2020 में, सावन या श्रावण मास 6 जुलाई (सोमवार, कल) से शुरू होगा। यह 3 अगस्त (सोमवार) को समाप्त हो जाएगा, जो उत्तर भारतीय हिंदू…
View On WordPress
0 notes
श्रावण पूर्णिमा 2020:- हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ दिनों में से एक, श्रावण या सावन पूर्णिमा, आज भगवान शिव के भक्तों द्वारा मनाया जा रहा है। इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा और भी अधिक महत्व रखती है, क्योंकि यह सावन सोमवर - शिव को समर्पित दिन के साथ मेल खाता है। सावन के महीने में हर सोमवार को सावन सोमवर मनाया जाता है, जो जुलाई-अगस्त से मेल खाता है।
श्रावण पूर्णिमा पर, दक्षिण कश्मीर के अमरनाथ मंदिर में एक महत्वपूर्ण पूजा की जाती है। इस वर्ष अमरनाथ यात्रा को कोरोनोवायरस महामारी के कारण रद्द कर दिया गया था, लेकिन सभी अनुष्ठानों को मंदिर में आयोजित किया गया था। पारंपरिक 'प्रथम पूजा' या पहली प्रार्थना जून की शुरुआत में की गई थी जब अमरनाथ मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा शुरू होती है। श्रावण पूर्णिमा को पूजा की समाप्ति ��ोती है।
2 notes
·
View notes
कोकिला व्रत 2020: इस व्रत को करने से मिलता है मनचाहा जीवनसाथी
आषाढ़ मास अपने अंतिम चरण में है और इसका समापन पूर्णिमा यानि कि कल शनिवार 04 जुलाई को होगा। यह दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन कोकिला व्रत आरंभ होता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी से शुरू होने वाला यह व्रत सावन मास की पूर्णिमा तक रखा जाता है। इस व्रत में आदिशक्ति मां भगवती की कोयल रूप में पूजा की जाती है।
1 note
·
View note
शाम के पांच-साढ़े पांच बज रहे हैं। सड़क के दोनों तरफ छोटे-छोटे मकान बने हैं। कुछ मकानों के बाहर बोर्ड लगा है और उस पर लिखा है, ‘फैमली डेरा है। बिना परमिशन अंदर आना मना है।’ वहीं कुछ घरों के बाहर टंगे बोर्ड पर लिखा है, ‘सपना कुमारी और माही कुमारी, नर्तकी एवं गायिका। प्रदर्शन रात्रि 9 बजे तक।’ सड़क उखड़ी हुई है। शायद इसी बारिश में उखड़ गई है। इस उखड़ी हुई सड़क से आने-जाने वाले लोग सामने देखने की जगह दाएं-बाएं देखते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
इनकी नजरें घरों की खिड़की, छतों और गेट के बाहर बैठी लड़कियों और महिलाओं को देखने की जुगत कर रही हैं। लड़कियों ने अपने चेहरे पर डार्क मेकअप लगाया हुआ है। होठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक, आंखों में गहरा काजल और चेहरे पर फाउंडेशन लगाए हुए महिलाएं लगभग हर एक घर के बाहर बैठी हैं।
बिहार के सबसे बड़े और सबसे पुराने रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान की हर शाम ऐसी ही होती है। शायद यही वजह है कि फुल मेकअप में बैठी महिलाओं को इन घूरती आंखों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वो या तो आपस में बतिया रही हैं या अपने-अपने स्मार्ट फोन पर कुछ देख रही हैं।
जिस सड़क पर ये दृश्य है, उसे शुक्ला रोड कहते हैं। इसके पश्चिमी छोर पर चार भुजाओं वाले भगवान का मंदिर है, जिसकी वजह से इस जगह को चतुर्भुज स्थान कहते हैं। सड़क के पूर्वी छोर पर पर गरीब स्थान मंदिर है। ये भगवान शिव का मंदिर है और सावन में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। इन दो मंदिरों के बीच आबाद हैं वो ढाई हजार परिवार, जिनके पुरखे कभी कला के उपासक माने जाते थे, जो कभी बड़े-बड़े दरबारों में अपना हुनर दिखाते थे और जहां बड़े से बड़े राजा-महाराज अपने बच्चों को तहजीब सिखाने के लिए भेजा करते थे।
कुछ मकानों के बाहर ऐसे बोर्ड लगे हैं, जिन पर लिखा है, फैमली डेरा बिना पूछे अंदर आना मना है।
वक्त बदला, पीढ़ियां बदलीं और इस इलाके की पहचान भी बदल गई। बड़े-बड़े कोठों की दीवारें दरकने लगीं। नाच-गाना बंद होता चला गया और देह व्यापार ने अपना अड्डा जमा लिया और चतुर्भुज स्थान को ‘रेड लाइट’ एरिया कहा जाने लगा। सड़क के पूर्वी छोर की पान की दुकान पर मिले 30 साल के रफीक कहते हैं, ‘इस समाज को मुख्य धारा में जोड़ने का कभी प्रयास ही नहीं हुआ। सबने बस लूटा-खसोटा। हमारा भी ताल्लुक इसी गली से है। मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि क्लास में सबको मालूम चल गया था कि हम शुक्ला रोड में रहते हैं। कभी आते होंगे यहां राजा, महाराजा और होता होगा नृत्य-संगीत। हमने जब से होश संभाला है, तब से तो यहां केवल अत्याचार ही देखा है। इस गली में रहने वाले हर मर्द को दलाल और हर औरत को देह बेचने वाली समझा जाता है।”
रफीक जब ये बातें कह रहे हैं तो उनके चेहरे पर उभरे गुस्से और उनकी बातों से झलक रहे निराशा के भाव को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। वैसे तो देश से रजवाड़ों, बड़े घरानों और जमींदारों के खत्म होने के साथ ही चतुर्भुज स्थान की पहचान भी बदलने लगी लेकिन असल मार तब पड़ी जब टीवी, फिल्म और इंटरनेट आया। लेकिन कोरोना की वजह से लगे तीन महीने लंबे लॉकडाउन ने तो इन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया। अपने घर के बाहर मोबाइल पर गाना सुन रही शबनम लाख मिन्नतों के बाद बात करने के लिए तैयार होती हैं। वो कहती हैं, “तबाही तो अभी भी जारी है। हमें कार्यक्रम करने की इजाजत नहीं मिली है। घर में नाच-गाना कर सकती हैं, बस। आप लोगों के गए होंगे केवल तीन महीने। हमारा तो पूरा साल ही चला गया।” इतना कहकर शबनम अपने घर के अंदर चली जाती हैं और पर्दा खिंच लेती हैं। ये इस बात का संकेत है कि हमारे वहां होने से उन्हें दिक्कत हो रही है।
यहां से निकलते-निकलते रफीक कहते हैं, “जिन तीन महीनों की आप बात कर रहे हैं वो तो इनके लिए कयामत के दिन थे। अगर जिला प्रशासन ने राशन का इंतजाम नहीं किया होता तो भूख से मर जाते ये परिवार।”
इन दो-ढाई हजार परिवारों को शासन-प्रशासन शहर में अपराध की मुख्य वजह मानता रहा है। खुद को संभ्रांत मानने वाले परिवार इधर से गुजरना भी ठीक नहीं समझते। इनकी नजर में ये ऐसी मछलियां हैं, जिनसे पूरा तालाब गंदा हो रहा है। शायद यही वजह है कि मुगलों के वक्त से आबाद इस बस्ती में पहली बार 1994 में सुधार का काम शुरू होता है। शुरुआत एड्स जागरूकता अभियान के तहत कंडोम बांटने से हुई थी।
साल 1997 तक यहां दस आंगनबाड़ी केंद्र खुल गए। महिलाओं और बच्चियों को अनौपचारिक शिक्षा देने के लिए दस सेंटर भी खुल गए। किशोरी चेतना केंद्र का गठन हुआ और इसके तहत इलाके की सौ लड़कियों को पढ़ाया-लिखाया जाने लगा, लेकिन साल 2000 आते-आते ये सारे काम बंद भी हो गए। जयप्रकाश नारायण के सिपाही और सर्वोदयी नेता परमहंस प्रसाद सिंह इन सारे प्रयासों को जमीन पर उतारने में लगे थे। इनके मुताबिक मजबूत इच्छा शक्ति ना होने की वजह से और तत्कालीन जिलाधिकारी के बदल जाने की वजह से सब बंद हो गया।
वक्त के साथ यहां नाच-गाना बंद होता चला गया और देह व्यापार ने अपना अड्डा जमा लिया।
वो बताते हैं, “तब राजबाला वर्मा यहां की जिलाधिकारी थीं। वो इस इलाके को खाली करवाना चाहती थीं। मैंने उनसे कहा कि ये लोग कहीं तो रहेंगे ही। जहां रहेंगे, वहां स्थिति खराब हो जाएगी। इनको और इनके बच्चों को मेन स्ट्रीम से जोड़ने की जरूरत है। डंडे से नहीं, योजना से काम लेना होगा। ये बात उन्हें जम गई। इसी के बाद सारे काम शुरू हुए। उन्होंने कई सरकारी योजनाओं को इस मोहल्ले की तरफ मोड़ दिया। इससे पहले इन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता था। कुछ साल बाद उनका तबादला हो गया। बाद में जो जिलाधिकारी आए, उन्होंने कई दूसरे एनजीओ को काम दे दिया और फिर एक बार इनके नाम पर लूट-खसोट शुरू हो गई।”
ऐसी जानकारी है कि बाद के वर्षों में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में आजीवन सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर का एक एनजीओ ही इस मोहल्ले में काम कर रहा था। इन कामों को जमीन पर आजतक किसी ने नहीं देखा और ना ही महसूस किया। सुधार के तमाम काम कागजों पर ही होते रहे।
इलाके में ‘बाबा' के नाम से पहचाने जाने वाले अमरेन्द्र तिवारी कहते हैं, ‘आज की राजनीति बहुत आगे निकल गई है। उसे पता है कि वोट कैसे और कहां से मिलना है? कई समुदाय हाशिए पर पड़े हैं। उसमें इनकी क्या औकात! पटना और दिल्ली में सत्ता बदलने पर इनके जीवन में बहुत फर्क नहीं पड़ता��� इन्हें फर्क पड़ता है कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर बैठा इंसान कैसा है?
अंधेरा हो चुका है। ज्यादातर घरों के आगे पीली रोशनी फेंकते बल्ब जल रहे हैं। मेरे सामने, सड़क की दूसरी तरफ बने हवेलीनुमा घर के बाहर चार-पांच महिलाएं बैठी हैं। कांच की रंग-बिरंगी चूड़ियां लिए एक चूड़ीहार उनके पास बैठा है और औरतों की कलाई में चूड़ी पहना रहा है। तभी सड़क से गुजर रहे एक 20-22 साल के लड़के ने मोबाइल से फोटो खींची। एक औरत ने देख लिया तो बोलीं, “क्या बाबू, काहे ले रहे हो फोटो? हम इस समाज में शांति से नहीं जी सकतीं क्या?”
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
They have no meaning with election-ruling-opposition, every man living in this street is considered as a broker, every woman is a body vendor
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33EWKCb
via IFTTT
0 notes
Happy Raksha Bandhan 2020: सोमवार को राखी, अपनों को भेजें ये Best शुभकामना संदेश, फोटो और शायरी
Happy Raksha Bandhan 2020: सोमवार को राखी, अपनों को भेजें ये Best शुभकामना संदेश, फोटो और शायरी
[ad_1]
Happy raksha bandhan 2020: भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार इस बार लंबे समय के बाद विशेष संयोग पर मनाया जाता है।) यह रक्षा बंधन सोमवार (03 अगस्त 2020) को मनाया जाएगा। तीन अगस्त को सावन सोमवार, सावन पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र का महासंयोग है जो बहुत ही उत्तम फल देने वाला है। रक्षा बंधन के दिन सुबह 6:51 बजे से ही सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो रहा है। इसके साथ ही रक्षा बंधन पर तीन…
View On WordPress
0 notes
Happy Raksha Bandhan 2020: सोमवार को राखी, अपनों को भेजें ये Best शुभकामना संदेश, फोटो और शायरी
Happy Raksha Bandhan 2020: सोमवार को राखी, अपनों को भेजें ये Best शुभकामना संदेश, फोटो और शायरी
[ad_1]
happy raksha bandhan 2020: भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार इस बार लंबे समय के बाद विशेष संयोग पर मनाया जाएगा। इस रक्षा बंधन सोमवार (03 August 2020) को मनाया जाएगा। तीन अगस्त को सावन सोमवार, सावन पूर्णिमा श्रावण नक्षत्र का महासंयोग है जो बहुत ही उत्तम फल देने वाला है। रक्षाबंधन के दिन सुबह 6:51 बजे से ही सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो रहा है। इसके साथ ही रक्षा बंधन पर तीन…
View On WordPress
0 notes
रक्षाबंधन 2020 : इस बार बन रहे ये तीन विशेष संयोग, जो भाई-बहन के लिए हैं बेहद शुभ, जानिए राखी बांधने का सही तरीका
चैतन्य भारत न्यूज
इस बार रक्षाबंधन पर विशेष महासंयोग बन रहा है। यह महासंयोग सावन के आखिरी सोमवार पर सावन पूर्णिमा व श्रवण नक्षत्र का है। बता दें इस दिन तीन विशेष संयोग बन रहे हैं। इस दिन बहन-भाइयों को विशेष लाभ मिलेंगे। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, 3 अगस्त को सुबह 6:51 बजे से ही सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो रहा है। यह योग बहुत ही फलदाई होता है। इसके साथ ही रक्षा बंधन पर तीन अगस्त को प्रातः उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और 7:18 बजे से श्रवण नक्षत्र रहेगा। जो रक्षाबंधन की दृष्टि से बेहद ही उत्तम है।
इस समय रहेगा राहुकाल
दो अगस्त रात 8:36 से तीन अगस्त सुबह 8:31 बजे तक भद्रा काल रहेगा। इस समय राखी बांधना शुभ नहीं है। रक्षा बंधन के लिए सुबह 8:31 बजे से रात 8:20 बजे तक विशेष मुहूर्त रहेगा । इस दौरान बहन अपनी भाई को किसी भी समय राखी बांध सकेंगी। इस दिन राहु काल सुबह 07:30 से 9 बजे तक रहता है। इस कारण से 9 बजे के बाद जब शुभ चौघड़िया मिल जाए तब रक्षा बंधन का कार्य करना अति उत्तम होगा।
यह है राखी बांधने की सही विधि
ज्योतिषियों के मुताबिक, राखी सही समय और सही विधि से बांधी ��ानी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले भाई को पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठा देना चाहिए।
इसके बाद बहन को अच्छे से पूजा की थाली सजानी चाहिए।
पूजा की थाली में चावल, रौली, राखी, दीपक होना चाहिए।
इसके बाद बहन को भाई के अनामिका उंगली से टीका कर चावल लगाने चाहिए।
अक्षत अखंड शुभता को प्रदर्शित करते हैं।
उसके बाद भाई की आरती उतारनी चाहिए और उसके जीवन की मंगल कामना करनी चाहिए।
रक्षाबंधन 2020 : इस बार बन रहे ये तीन विशेष, जो भाई-बहन के लिए हैं बेहद शुभ, जानिए राखी बांधने का सही तरीका कई जगह बहनें इस दिन अपने भाई की सिक्के से नजर भी उतारती हैं।
Read the full article
0 notes
Sawan 2020: 3 अगस्त को सावन का है आखिरी सोमवार, इस दिन जरूर ��रें ये काम कई साल बाद बन रहे ये शुभ संयोग
Sawan 2020: 3 अगस्त को सावन का है आखिरी सोमवार, इस दिन जरूर करें ये काम कई साल बाद बन रहे ये शुभ संयोग
[ad_1]
Image Source : INSTAGRAM/MAHAKAL.K.DIWANE
Lord Shiva
भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन है। सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हुआ था और 3 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़े। मान्यता है कि सावन में शिव जी की पूजा करने से वो अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। वैसे तो सावन…
View On WordPress
0 notes
Sawan 2020 Sawan last monday on 3 August know its significance and know how to worship of Lord Shiva-Sawan 2020: 3 अगस्त को सावन का है आखिरी सोमवार, इस दिन जरूर करें ये काम कई साल बाद बन रहे ये शुभ स
Sawan 2020 Sawan last monday on 3 August know its significance and know how to worship of Lord Shiva-Sawan 2020: 3 अगस्त को सावन का है आखिरी सोमवार, इस दिन जरूर करें ये काम कई साल बाद बन रहे ये शुभ स
[ad_1]
छवि स्रोत: INSTAGRAM / MAHAKAL.K.DIWANE
भगवान शिव
भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन है। सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हुआ था और 3 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़े। मान्यता है कि सावन में शिव जी की पूजा करने से वो अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। वैसे तो सावन के हर सोमवार का विशेष…
View On WordPress
0 notes
सावन 2020: आज है चौथा सोमवार, ऐसे करें महादेव की पूजा
श्रावण मास का आज चौथा सोमवार है और शिवभक्तों ने सुबह से ही महादेव की पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया है। सावन के बाकी सोमवार की तरह चौथे सोमवार का भी अत्यधिक महत्व माना गया है। इस दिन भी शिवभक्त व्रत रखते हैं ये व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। व्रत रखने वालों को इस दिन विधि विधान पूजा कर सोमवार व्रत कथा भी जरूर सुननी चाहिए। व्रती को एक समय भोजन करना चाहिए। माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख शांति का वास होता है।
0 notes
Savan month 2020, savan in gujrat, maharastra and south india, Savan ka mahina, somnath jyotirling darshan, bhimashankar jyotirling darshan, rameshwaram jyotirling | उत्तर और मध्य भारत में सावन माह के 15 दिन खत्म, लेकिन 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज से शुरू हो रहा है सावन
Savan month 2020, savan in gujrat, maharastra and south india, Savan ka mahina, somnath jyotirling darshan, bhimashankar jyotirling darshan, rameshwaram jyotirling | उत्तर और मध्य भारत में सावन माह के 15 दिन खत्म, लेकिन 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज से शुरू हो रहा है सावन
[ad_1]
Hindi News
Jeevan mantra
Dharm
Savan Month 2020, Savan In Gujrat, Maharastra And South India, Savan Ka Mahina, Somnath Jyotirling Darshan, Bhimashankar Jyotirling Darshan, Rameshwaram Jyotirling
3 घंटे पहलेलेखक: शशिकांत साल्वी
गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर समिति के अनुसार गुजरात में 21 जुलाई से सावन माह शुरू होगा। – फाइल फोटो
गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के पंचांगों में…
View On WordPress
0 notes
हर साल आश्विन मास में पितृ पक्ष की अमावस्या के बाद अगले दिन से ही नवरात्रि शुरू हो जाती है। लेकिन, इस बार अधिकमास की वजह से नवरात्रि पूरे एक माह देरी से यानी 17 अक्टूबर से शुरू होगी। हिन्दी पंचांग में हर तीन साल में एक बार अतिरिक्त माह आता है, इसे ही अधिक मास, पुरुषोत्तम मास और मलमास के नामों जाना जाता है। ये माह 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 160 साल बाद आश्विन मास का अधिकमास और अंग्रेजी कैलेंडर के लीप ईयर का संयोग बना है। 2020 से पहले 2 सितंबर 1860 से आश्विन अधिक मास शुरू हुआ था। अश्विन माह का अधिक मास 19 वर्ष बाद आया है। इससे पहले 2001 में आया था।
अंग्रेजी कैलेंडर और हिन्दू पंचांग में अंतर?
अंग्रेजी कैलेंडर सूर्य वर्ष पर आधारित है। इसके मुताबिक एक सूर्य वर्ष में 365 दिन और करीब 6 घंटे होते हैं। हर चार साल में ये 6-6 घंटे एक दिन के बराबर हो जाते हैं और उस साल फरवरी में 29 दिन रहते हैं। जबकि, हिन्दू पंचांग चंद्र वर्ष के आधार पर चलता है।
एक चंद्र वर्ष में 354 दिन होते हैं। इन दोनों सूर्य और चंद्र वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर रहता है। हर तीन साल में ये अंतर 1 महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास यानी अधिक मास की व्यवस्था की गई है। अतिरिक्त महीना होने की वजह से इसका नाम अधिक मास है।
अधिक मास से क्या लाभ?
अधिक मास की वजह से सभी हिन्दू त्योहारों और ऋतुओं का तालमेल बना रहता है। जैसे, सावन माह वर्षा ऋतु में और दीपावली सर्दियों की शुरुआत में ही आती है। इसी तरह सभी त्योहार अपनी-अपनी ऋतुओं में ही आते हैं। अगर इस माह की व्यवस्था न होती तो सभी त्योहारों की ऋतुएं बदलती रहती। जैसे अधिक मास न होता तो दीपावली कभी बारिश में, कभी गर्मी में और कभी सर्दियों में आती।
इसे मलमास क्यों कहते हैं?
अधिक मास में सूर्य की संक्राति नहीं होती है यानी पूरे माह में सूर्य का राशि परिवर्तन नहीं होता है। इस कारण ये माह मलिन हो जाता है, मलिन मास यानी मलमास। माह में नामकरण, जनेऊ संस्कार, विवाह आदि मांगलिक कर्म के मुहूर्त नहीं रहते हैं। इस माह में जरूरत की चीजें खरीदी जा सकती हैं। विवाह की तारीख तय कर सकते हैं। नए घर की बुकिंग भी की जा सकती है।
इस माह में भगवान विष्णु की आराधना क्यों की जाती है?
इस संबंध कथा प्रचलित है कि मलिन माह होने की वजह से कोई भी देवता इस माह का स्वामी नहीं बनना चाहता था। तब मलमास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। इसके बाद विष्णुजी ने इस मास को अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम दिया। साथ ही, ये वर भी दिया कि माह में भागवत कथा सुनना, पढ़ना, शिवजी का पूजन करना, धार्मिक कर्म, दान करने वाले भक्तों को अक्षय पुण्य प्राप्त होगा।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
13 months in Samvat 2077, Adhikamas, Navratri will start from 17 October, ashwin adhikamas facts, significance of adhikamas
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZKWTlq
via IFTTT
0 notes
Savan month 2020, savan in gujrat, maharastra and south india, Savan ka mahina, somnath jyotirling darshan, bhimashankar jyotirling darshan, rameshwaram jyotirling | उत्तर और मध्य भारत में सावन माह के 15 दिन खत्म, लेकिन 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज से शुरू हो रहा है सावन
Savan month 2020, savan in gujrat, maharastra and south india, Savan ka mahina, somnath jyotirling darshan, bhimashankar jyotirling darshan, rameshwaram jyotirling | उत्तर और मध्य भारत में सावन माह के 15 दिन खत्म, लेकिन 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज से शुरू हो रहा है सावन
[ad_1]
Hindi News
Jeevan mantra
Dharm
Savan Month 2020, Savan In Gujrat, Maharastra And South India, Savan Ka Mahina, Somnath Jyotirling Darshan, Bhimashankar Jyotirling Darshan, Rameshwaram Jyotirling
19 मिनट पहलेलेखक: शशिकांत साल्वी
कॉपी लिंक
गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर समिति के अनुसार गुजरात में 21 जुलाई से सावन माह शुरू होगा। – फाइल फोटो
गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के…
View On WordPress
0 notes
Savan month 2020, savan in gujrat, maharastra and south india, Savan ka mahina, somnath jyotirling darshan, bhimashankar jyotirling darshan, rameshwaram jyotirling | उत्तर और मध्य भारत में सावन माह के 15 दिन खत्म, लेकिन 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज से शुरू हो रहा है सावन
Savan month 2020, savan in gujrat, maharastra and south india, Savan ka mahina, somnath jyotirling darshan, bhimashankar jyotirling darshan, rameshwaram jyotirling | उत्तर और मध्य भारत में सावन माह के 15 दिन खत्म, लेकिन 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज से शुरू हो रहा है सावन
[ad_1]
हिंदी समाचार
जीवन मंत्र
धर्म
सावन महीना 2020, सावन इन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत, सावन का माहिना, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
5 मिनट पहलेलेखक: शशिकांत साल्वी
गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर समिति के अनुसार गुजरात में 21 जुलाई से सावन माह शुरू होगा। – फाइल फोटो
गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के पंचांगों में अमावस्या पर…
View On WordPress
0 notes
भगवान शिव को क्यों पसंद है बिल्व पत्र, आक, भांग, धतूरा जैसे फल-पुष्प, जानिए वजह
चैतन्य भारत न्यूज
भगवान शिव का सबसे प्रिय सावन का माह चल रहा है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिव आराधना महज किसी देवता का पूजन विधान नहीं बल्कि प्रकृति की उसके दिव्य स्वरूप के रूप में पूजा है। इस माह में भगवान शिव बिल्व पत्र, आक के फूल, भांग, धतूरा जैसे फल-पुष्प और पत्तियों अर्पित की जाती है। इन चीजों के अर्पण से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। महादेव और भगवान विष्णु ही जिनकी पूजा में औषधीय पत्तियां तुलसी दल और बेल पत्र आवश्यक है। महादेव को चढ़ने वाले इन वनस्पतियों के महत्व पर डालते हैं नजर-
दूध
भोलेनाथ को गाय का शुद्ध कच्चा दूध बेहद प्रिय है। इसलिए जिन पंच तत्वों से रुद्राभिषेक बताया गया है उनमें दूध सबसे प्रमुख है।
बिल्व पत्र
समुद्र मंथन के दौरान जब भोलेनाथ ने विष पान किया था तो उसके प्रभाव से उनका शरीर जलने लगा। जलन का प्रभाव कम करने के लिए बिल्व यानी बेल पत्र का रस भोलेनाथ को दिया गया था। इसकी छाल घिस कर चूर्ण का लेप किया गया। बता दें बेल की छाल और चंदन के समान ही शीतल व्यवहार करती है।
धतूरा
कांटेदार फल धतूरा आम तौर पर जहरीला और जंगली माना जाता है। लेकिन यह महादेव को बेहद प्रिय है। यह भी तर्क है कि जहर ही जहर को काटता है। इसका भी इतिहास विषपान की घटना से जुड़ा है। धतूरा अपने अंदर कई अमृत रूपी गुणों को समेटे हुए है।
आक
महादेव के जो फूल सबसे ज्यादा प्रिय हैं वह हैं मदार के फूल। सफेद मदार के हों तो और भी उत्तम। यह भी एक औषधीय शीतलक है। इसके अलावा यह आयुर्वेद में जलोदर, पीलिया, हैजा, कालरा और अन्य पेट रोगों का निदान करने वाला है। इसके अनेक औषधीय गुण इसे अमृत जैसा बनाते हैं।
भांग
भोलेनाथ को जो सबसे ज्यादा पसंद है वो है भांग। भांग एक घास और झाड़ी नुमा पौधा है। इसके रस के औषधीय गुण ही महादेव को अति प्रिय हैं। इसका अधिक सेवन निश्चेतक प्रभाव उत्पन्न करता है।
ये भी पढ़े...
जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां
सावन महीने में भोलेनाथ को करना है प्रसन्न, तो करें इन सरल मंत्रों का जाप
सावन 2020: ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग
जानिए क्यों महादेव को कहा जाता है नीलकंठ? कैसे शुरू हुई भोलेनाथ को जल चढ़ाने की परंपरा
Read the full article
0 notes