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सावन के दूसरे सोमवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, भोलेनाथ जरूर होंगे प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 2 अगस्त को है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार व्रत का महत्व सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का ��ूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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सावन के दूसरे सोमवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, भोलेनाथ जरूर होंगे प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 2 अगस्त को है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार व्रत का महत्व सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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शिव की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज ��ज सोम प्रदोष व्रत है। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सोम प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी को ये उपवास किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा गया है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे। अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें। Read the full article
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शिव की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज आज सोम प्रदोष व्रत है। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सोम प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी को ये उपवास किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा गया है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे। अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें। Read the full article
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शिव की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज आज साल 2021 का पहला सोम प्रदोष व्रत है। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सोम प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी को ये उपवास किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा गया है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे। अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें। Read the full article
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आज है सावन का अंतिम सोमवार, इस विधि से पूजा कर भगवान शिव को करें प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज 03 अगस्त यानी आज सावन का अंतिम सोमवार है। मान्यता है कि सावन के अंतिम सोमवार को शिव-पार्वती साथ-साथ पृथ्वी पर विचरण करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे।
आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
स���वन सोमवार का महत्व शास्त्रों के मुताबिक, जो भी भक्त सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार की पूजा सच्चे मन से करते हैं, भगवान शिव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव अधिक प्रसन्न रहते हैं। इस महीने में शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्घि की प्राप्ति होती है। सावन में भगवान शिव की भक्तों पर खास कृपा होती है।
सावन सोमवार व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करने के बाद शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद फूल, धूप, सफेद चंदन आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव चालिसा का पाठ करें। इस दिन व्रत का संकल्प करके केवल फलाहार करना चाहिए। अंतिम सोमवार के दिन शिवलिंग को शुद्धजल, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। मान्यता है कि भगवान शिव के पास धूप-दीप जलाकर शिव मंत्रों का जप करने से समस्त बाधाओं का नाश होता है। Read the full article
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सावन के दूसरे सोमवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, भोलेनाथ जरूर होंगे प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 13 जुलाई को है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार व्रत का महत्व सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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शिव की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार सोम प्रदोष व्रत 20 अ���्रैल को प�� रहा है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सोम प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी को ये उपवास किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा गया है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे। अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें। ये भी पढ़े... शनि प्रदोष व्रत आज, शिव और शनि की पूजा का खास संयोग, इस व्रत को करने से दूर हो जाएंगी दिक्कतें आज है प्रदोष व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि साल के आखिरी महीने में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट Read the full article
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शिव की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार सोम प्रदोष व्रत 9 दिसंबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सोम प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी को ये उपवास किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा गया है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे। अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें। ये भी पढ़े... शनि प्रदोष व्रत आज, शिव और शनि की पूजा का खास संयोग, इस व्रत को करने से दूर हो जाएंगी दिक्कतें आज है प्रदोष व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि साल के आखिरी महीने में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट Read the full article
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शिव की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार सोम प्रदोष व्रत 9 दिसंबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सोम प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी को ये उ���वास किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा गया है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजन-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें। प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे। अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें। ये भी पढ़े... शनि प्रदोष व्रत आज, शिव और शनि की पूजा का खास संयोग, इस व्रत को करने से दूर हो जाएंगी दिक्कतें आज है प्रदोष व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि साल के आखिरी महीने में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट Read the full article
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सावन के अंतिम सोमवार को बन रहा है ये विशेष योग, इस विधि से पूजा कर भगवान शिव को करें प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज 12 अगस्त यानी आज सावन का अंतिम सोमावार है। आज के दिन सोम प्रदोष व्रत भी है। मान्यता है कि सावन के अंतिम सोमवार को शिव-पार्वती साथ-साथ पृथ्वी पर विचरण करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे।
इस साल सावन में कुल चार सोमवार हुए जिनमें बीते तीन सोमवार कई महत्वपूर्ण योग के साथ आए थे। ठीक इसी तरह सावन का अंतिम सोमवार भी एक विशेष संयोग के साथ समाप्त हो रहा है। दरअसल इस दिन त्रयोदशी तिथि होने से सोम प्रदोष व्रत का संयोग बना है जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार का महत्व शास्त्रों के मुताबिक, जो भी भक्त सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार की पूजा सच्चे मन से करते हैं भगवान शिव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव अधिक प्रसन्न रहते हैं। इस महीने में शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्घि की प्राप्ति होती है। सावन में भगवान शिव की भक्तों पर खास कृपा होती है।
सावन सोमवार व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करने के बाद शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद फूल, धूप, सफेद चंदन आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव चालिसा का पाठ करें। इस दिन व्रत का संकल्प करके केवल फलाहार करना चाहिए। अंतिम सोमवार के दिन शिवलिंग को शुद्धजल, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। मान्यता है कि भगवान शिव के पास धूप-दीप जलाकर शिव मंत्रों का जप करने से समस्त बाधाओं का नाश होता है। ये भी पढ़े... साप्ताहिक राशिफल : जानिए कैसा बीतेगा सावन महीने का आखिरी सप्ताह रक्षाबंधन 2019 : इस बार बेहद खास रहेगा रक्षाबंधन, जानिए शुभ मुहूर्त रक्षाबंधन 2019 : भाई को बांधे विशेष वैदिक राखी, जानिए इसका महत्व और बनाने की विधि Read the full article
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सावन के दूसरे सोमवार को बन रहा है विशेष संयोग, जानिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 29 जुलाई को है। इस दिन एक खास संयोग पड़ रहा है। दरअसल इस सोमवार के दिन प्रदोष व्रत भी है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार जो प्रदोष व्रत सोमवार के दिन आता है, उसे सोम प्रदोष व्रत कहते है। यह दिन शिवजी को अधिक प्रिय है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व प्रदोष काल उस समय को कहते हैं, जब सूर्यास्त हो गया हो, लेकिन रात नहीं आई हो। यानी सूर्यास्त के बाद और रात होने से पहले के बीच जो अवधि होती है, उसे प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन इस अवधि में भगवान शिव की पूजा की जाती है। सोम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच की जाती है। मान्यता है कि, इस व्रत को करने वाले लोगों को जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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