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भोलेनाथ को करना है प्रसन्न, तो करें इन सरल मंत्रों का जाप
चैतन्य भारत न्यूज हिन्दू धर्म के अनुसार सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। यह माह भगवान शिव को अति प्रिय है। सावन के महीने में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा वि��ेष रूप से होती है। आज सावन का चौथा सोमवार है।
सावन महीने में भगवान शिव बेहद प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की भक्ति करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन में आने वाले सोमवार शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं। सावन महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा।
भगवान शिव की पूजा-विधि सावन के सोमवार दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर गंगालज मिश्रित जल से स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा घर में जाएं। पूजा की चौकी पर सफेद वस्त्र पर अष्टगंध से 'ओम नम: शिवाय' मंत्र लिख लें। पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश और नंदी की प्रतिमा या फिर शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, नैवेद्य, धूप आदि अर्पित करें। जल, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, सभी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
विशेष लाभ पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें ऊँ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं ।।
मनवांछित फल पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्॥ ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां इस दिन से शुरू होगी श्रीखंड महादेव यात्रा, जान जोखिम में डालकर 18,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा Read the full article
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सावन के दूसरे सोमवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, भोलेनाथ जरूर होंगे प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 2 अगस्त को है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार व्रत का महत्व सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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सावन के दूसरे सोमवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, भोलेनाथ जरूर होंगे प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 2 अगस्त को है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार व्रत का महत्व सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
स���म प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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भगवान शिव को क्यों पसंद है बिल्व पत्र, आक, भांग, धतूरा जैसे फल-पुष्प, जानिए वजह
चैतन्य भारत न्यूज भगवान शिव का सबसे प्रिय सावन का माह चल रहा है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिव आराधना महज किसी देवता का पूजन विधान नहीं बल्कि प्रकृति की उसके दिव्य स्वरूप के रूप में पूजा है। इस माह में भगवान शिव बिल्व पत्र, आक के फूल, भांग, धतूरा जैसे फल-पुष्प और पत्तियों अर्पित की जाती है। इन चीजों के अर्पण से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। महादेव और भगवान विष्णु ही जिनकी पूजा में औषधीय पत्तियां तुलसी दल और बेल पत्र आवश्यक है। महादेव को चढ़ने वाले इन वनस्पतियों के महत्व पर डालते हैं नजर- दूध भोलेनाथ को गाय का शुद्ध कच्चा दूध बेहद प्रिय है। इसलिए जिन पंच तत्वों से रुद्राभिषेक बताया गया है उनमें दूध सबसे प्रमुख है। बिल्व पत्र समुद्र मंथन के दौरान जब भोलेनाथ ने विष पान किया था तो उसके प्रभाव से उनका शरीर जलने लगा। जलन का प्रभाव कम करने के लिए बिल्व यानी बेल पत्र का रस भोलेनाथ को दिया गया था। इसकी छाल घिस कर चूर्ण का लेप किया गया। बता दें बेल की छाल और चंदन के समान ही शीतल व्यवहार करती है। धतूरा कांटेदार फल धतूरा आम तौर पर जहरीला और जंगली माना जाता है। लेकिन यह महादेव को बेहद प्रिय है। यह भी तर्क है कि जहर ही जहर को काटता है। इसका भी इतिहास विषपान की घटना से जुड़ा है। धतूरा अपने अंदर कई अमृत रूपी गुणों को समेटे हुए है। आक महादेव के जो फूल सबसे ज्यादा प्रिय हैं वह हैं मदार के फूल। सफेद मदार के हों तो और भी उत्तम। यह भी एक औषधीय शीतलक है। इसके अलावा यह आयुर्वेद में जलोदर, पीलिया, हैजा, कालरा और अन्य पेट रोगों का निदान करने वाला है। इसके अनेक औषधीय गुण इसे अमृत जैसा बनाते हैं। भांग भोलेनाथ को जो सबसे ज्यादा पसंद है वो है भांग। भांग एक घास और झाड़ी नुमा पौधा है। इसके रस के औषधीय गुण ही महादेव को अति प्रिय हैं। इसका अधिक सेवन निश्चेतक प्रभाव उत्पन्न करता है। ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां सावन महीने में भोलेनाथ को करना है प्रसन्न, तो करें इन सरल मंत्रों का जाप सावन 2020: ये हैं देश में अलग-अलग स��थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग जानिए क्यों महादेव को कहा जाता है नीलकंठ? कैसे शुरू हुई भोलेनाथ को जल चढ़ाने की परंपरा Read the full article
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सोमवती अमावस्या पर 20 साल बाद बन रहा है ऐसा अद्भुत संयोग, जानिए शुभ-मुहूर्त और इसका महत्व
चैतन्य भारत न्यूज भगवान शिव को समर्पित सावन मास का हर सोमवार बहुत खास होता है लेकिन इस बार सावन का तीसरा सोमवार ज्यादा फलदायी है क्योंकि 20 साल बाद सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था। इस अमावस्या पर शिवजी के साथ ही देवी पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय स्वामी और नंदी का विशेष पूजा की जाती है। इस बार सोमवती अमावस्या सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी, जाे कालसर्प दोष, अमावस्या दोष और पितृ दोष की शांति के लिए शुभ दिन होगा। सोमवती अमावस्या का स्नान, दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु शिव पूजा, उपवास करेंगे। मंदिराें में भी विशेष शृंगार, पूजा, महाआरती हाेगी। सोमवती अमावस्या तिथि मुहूर्त- अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 19 जुलाई 2020 को रात की 12:10 बजे से अमावस्या तिथि समाप्त - 20 जुलाई 2020 को रात के 11:02 बजे तक पाैधरोपण का शुभ दिन माना जाता है हरियाली अमावस्या हरियाली के साथ सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी। हरियाली अमावस्या को राशि-नक्षत्र अनुसार पौधे लगाने, उनकी सेवा करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि का लाभ मिलता है। यह दिन पाैधे लगाने के लिए शुभ माना जाता है। इसके बाद पूरे मानसून पाैधे लगाने फलदायी हाेता है। महिलाओं को तुलसी की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिये। अमावस्या पर किया जाता है व्रत जीवन साथी के सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महिलाएं व्रत करती हैं। हरियाली अमावस्या पर मां पार्वती की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिल सकता है। विवाहित महिलाएं भी इस तिथि पर व्रत करती हैं और देवी मां की पूजा करती है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी बना रहता है। अमावस्या पर पितृ देवताओं की करें पूजा अमावस्या तिथि पर घर के तर्पण, श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है। परिवार के ��ृत सदस्यों को ही पितृ देवता कहा गया है। अमावस्या तिथि की दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और उस पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें। Read the full article
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सावन के दूसरे सोमवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, भोलेनाथ जरूर होंगे प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज सावन का पहला सोमवार निकल गया अब दूसरा सोमवार 13 जुलाई को है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से शिवजी का पूजन-अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
सावन सोमवार व्रत का महत्व सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शंकर को बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं और पूजा करें। शाम को एक बार फिर स्नान कर भोलेनाथ की पूजा करें और दीप जलाएं। व्रत के दौरान शाम को प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। कहा जाता है कि, यह कथा दूसरों को सुनाने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती और शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... आज है कामिका एकादशी, भगवान शिव के साथ विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें ये व्रत कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु भगवान शिव के इस रहस्यमयी मंदिर में चढ़ाने के बाद दूध सफेद से हो जाता है नीला Read the full article
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जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां
चैतन्य भारत न्यूज सावन महीने में सोमवार के व्रत का बहुत महत्व है। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए होता है। ऐसे में सावन महीने में इस व्रत का महत्व अधिक बढ़ जाता है। दरअसल सावन का महीना भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इस महीने में वह बेहद प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि, जो भी भक्त सावन के महीने में शिव की भक्ति पूरी श्रद्धा के साथ करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
सावन में शिव पूजा का महत्व शास्त्रों के मुताबिक, जब सृष्टि के आरंभ में कुछ नहीं था, तब भगवान शिव ने सृष्टि की रचना के लिए पांच मुख धारण किए थे। कहा जाता है कि, शिव के पांच मुख से ही पांच तत्वों जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है। पश्चिम का मुख सद्योेजात, उत्तर का मुख बामदेव, पूर्व का मुख ततपुरुष, दक्षिण का मुख अघोर और ऊपर का मुख ईशान है। मान्यता है कि, सावन महीने में आने वाले पांच सोमवार को इन्हीं पांच मुखों की पूजा-अर्चना की जाती है।
सावन में भूलकर भी न करें ये काम- सावन महीने में शिव भक्तों को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन में आने वाले हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न करें। पूजा के समय भगवान शिव की शिवलिंग पर हल्दी भूलकर भी न चढ़ाएं। सावन में कांवड़ यात्रा के लिए निकले शिव भक्तों का अनादर न करें। इस व्रत में एक समय रात्रि में भोजन करना चाहिए। शिव पूजा के साथ-साथ शिव परिवार (श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी, नाग देवता) का भी पूजन करें। ये भी पढ़े... इस दिन से शुरू होगा सावन का महीना, जानिए भगवान शिव से जुड़ी कुछ खास बातें और पूजा-विधि 12 जुलाई से शुरू हो रहा चातुर्मास, 4 महीने तक नहीं किए जाएंगे कोई भी शुभ कार्य गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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सावन महीने में भोलेनाथ को करना है प्रसन्न, तो करें इन सरल मंत्रों का जाप
चैतन्य भारत न्यूज हिन्दू धर्म के अनुसार सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। यह माह भगवान शिव को अति प्रिय है। सावन के महीने में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से होती है।
सावन महीने में भगवान शिव बेहद प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की भक्ति करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन में आने वाले सोमवार शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं। सावन महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा।
भगवान शिव की पूजा-विधि सावन के सोमवार दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर गंगालज मिश्रित जल से स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा घर में जाएं। पूजा की चौकी पर सफेद वस्त्र पर अष्टगंध से 'ओम नम: शिवाय' मंत्र लिख लें। पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश और नंदी की प्रतिमा या फिर शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, नैवेद्य, धूप आदि अर्पित करें। जल, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, सभी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
विशेष लाभ पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें ऊँ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं ।।
मनवांछित फल पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्॥ ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां इस दिन से शुरू होगी श्रीखंड महादेव यात्रा, जान जोखिम में डालकर 18,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा Read the full article
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सावन माह में 300 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग, 2 शनि प्रदोष, सोमवती अमावस्या और सोमवार को रक्षाबंधन भी
चैतन्य भारत न्यूज उज्जैन. श्रावण/सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। इस बार सावन माह में 300 साल बाद दुर्लभ संयोग में आ रहा है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में सोमवार यानी आज से शुरू हो रहा सावन माह 3 अगस्त को रक्षाबंधन पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सोमवार के दिन ही समाप्त होगा। इस बार सावन माह में 5 सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या पड़ रही है जो दुर्लभ संयोग है। ज्योतिषियों के मुताबिक, सावन माह में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में भी नहीं बना है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के मुताबिक, पंचांगीय गणना, उज्जयिनी के शून्य रेखांश का गणित और नक्षत्र मेखला की इकाई गणना से देखें तो इस बार सावन माह का आरंभ और समापन दोनों ही सोमवार को उत्ताराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में होगा। यह नक्षत्र कार्यों की सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सावन के दूसरे सोमवार पर रेवती नक्षत्र, सुकर्मा योग, कोलव करण का संयुक्त क्रम रहेगा। यह स्थिति भक्तों की हर मनोकामना पूरी होने के लिए धार्मिक कार्यों का पांच गुना शुभफल प्रदान करेगी।' ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, '20 जुलाई को हरियाली सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा। सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है। अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्धि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है। चौथे सोमवार यानी 27 जुलाई को सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। इसके साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने ��े यह सोवार संकल्प स���द्धि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है।' रक्षाबंधन पर पूरे दिन श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। इस बार रक्षाबंधन तीन अगस्त को है। इस दिन श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्धि कारक माना गया है। शनि प्रदोष पर उपवास रखते हैं बाबा महाकाल महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि, आम दिनों में बाबा महाकाल को सुबह 10.30 बजे भोग आरती में दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का नैवेद्य लगाया जाता है। शनि प्रदोष बाबा महाकाल उपवास रखते हैं। इसलिए शनि प्रदोष पर सुबह भोग आरती में अवंतिकानाथ को फलाहार में दूध अर्पित किया जाता है। फिर शाम 7.30 बजे संध्या आरती में भगवान को नैवेद्य लगाया जाता है। इस बार सावन माह में 18 जुलाई और 1 अगस्त को दो दिन शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। ऐसे में सावन माह में एक साथ दो शनि प्रदोष शिव साधना, उपासना की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। ये भी पढ़े... आज है सावन का पहला सोमवार, भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा सावन: प्राचीन वैभव के साथ निकलेगी बाबा महाकाल की सवारी, श्रद्धालु नहीं हो सकेंगे शामिल, मार्ग भी होगा छोटा सावन 2020: ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग Read the full article
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आज है सावन का पहला सोमवार, भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज सावन का महीना दस्तक दे चुका है और आज सावन का पहला सोमवार है। इस दिन शिवभक्त भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सावन सोमवार व्रत की पूजा-विधि सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव को स्नान कराएं। इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, दूध, सफेद चंदन, अक्षत आदि अर्पित करने का विधान है। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र 'ओम नम: शिवाय' का जाप करें। सोमवार के दिन शिव पुराण और शिव चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। सावन में आने वाले सोमवार के दिन मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां 51 शक्तिपीठों में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जानिए इसका इतिहास और महत्व ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग..! Read the full article
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आज है सावन का पहला सोमवार, भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज सावन का महीना दस्तक दे चुका है और आज सावन का पहला सोमवार है। इस दिन शिवभक्त भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। सावन का महीना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय है, इस महीने में वह अधिक प्रसन्न रहते हैं। मान्यता है कि, सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा जो कोई सच्चे मन से करता है भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार के व्रत के नियम और व्रत विधि।
सावन सोमवार व्रत की पूजा-विधि सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव को स्नान कराएं। इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, दूध, सफेद चंदन, अक्षत आदि अर्पित करने का विधान है। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र 'ओम नम: शिवाय' का जाप करें। सोमवार के दिन शिव पुराण और शिव चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। सावन में आने वाले सोमवार के दिन मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन सोमवार के नियम सावन में मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप पर जीवहत्या का पाप लगता है बल्कि आपका मन भी अशुद्ध होता है। व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें। सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करें। भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्ता, हल्दी और केतकी का फूल अर्पित न करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें। ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती ���ै शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां 51 शक्तिपीठों में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जानिए इसका इतिहास और महत्व ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग..! Read the full article
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जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां
चैतन्य भारत न्यूज सावन महीने में सोमवार के व्रत का बहुत महत्व है। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए होता है। ऐसे में सावन महीने में इस व्रत का महत्व अधिक बढ़ जाता है। दरअसल सावन का महीना भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इस महीने में वह बेहद प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि, जो भी भक्त सावन के महीने में शिव की भक्ति पूरी श्रद्धा के साथ करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
सावन में शिव पूजा का महत्व शास्त्रों के मुताबिक, जब सृष्टि के आरंभ में कुछ नहीं था, तब भगवान शिव ने सृष्टि की रचना के लिए पांच मुख धारण किए थे। कहा जाता है कि, शिव के पांच मुख से ही पांच तत्वों जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है। पश्चिम का मुख सद्योेजात, उत्तर का मुख बामदेव, पूर्व का मुख ततपुरुष, दक्षिण का मुख अघोर और ऊपर का मुख ईशान है। मान्यता है कि, सावन महीने में आने वाले पांच सोमवार को इन्हीं पांच मुखों की पूजा-अर्चना की जाती है।
सावन में भूलकर भी न करें ये काम- सावन महीने में शिव भक्तों को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन में आने वाले हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न करें। पूजा के समय भगवान शिव की शिवलिंग पर हल्दी भूलकर भी न चढ़ाएं। सावन में कांवड़ यात्रा के लिए निकले शिव भक्तों का अनादर न करें। इस व्रत में एक समय रात्रि में भोजन करना चाहिए। शिव पूजा के साथ-साथ शिव परिवार (श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी, नाग देवता) का भी पूजन करें। ये भी पढ़े... इस दिन से शुरू होगा सावन का महीना, जानिए भगवान शिव से जुड़ी कुछ खास बातें और पूजा-विधि 12 जुलाई से शुरू हो रहा चातुर्मास, 4 महीने तक नहीं किए जाएंगे कोई भी शुभ कार्य गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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