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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत/Pradosh Vrat 2024 को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
https://www.vinaybajrangi.com/blog/vrat/pradosh-vrat-2024
https://www.youtube.com/watch?v=uEnO9hO9Wiw
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भोलेनाथ को करना है प्रसन्न, तो करें इन सरल मंत्रों का जाप
चैतन्य भारत न्यूज हिन्दू धर्म के अनुसार सावन का ��हीना सबसे पवित्र माना जाता है। यह माह भगवान शिव को अति प्रिय है। सावन के महीने में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से होती है। आज सावन का चौथा सोमवार है।
सावन महीने में भगवान शिव बेहद प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की भक्ति करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन में आने वाले सोमवार शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं। सावन महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा।
भगवान शिव की पूजा-विधि सावन के सोमवार दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर गंगालज मिश्रित जल से स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा घर में जाएं। पूजा की चौकी पर सफेद वस्त्र पर अष्टगंध से 'ओम नम: शिवाय' मंत्र लिख लें। पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश और नंदी की प्रतिमा या फिर शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, नैवेद्य, धूप आदि अर्पित करें। जल, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, सभी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
विशेष लाभ पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें ऊँ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं ।।
मनवांछित फल पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्॥ ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां इस दिन से शुरू होगी श्रीखंड महादेव यात्रा, जान जोखिम में डालकर 18,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता ��ा भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा Read the full article
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आज है सावन का आखिरी शनि प्रदोष व्रत, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
चैतन्य भारत न्यूज सावन मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन सावन का अंतिम शनि प्रदोष व्रत हैं। इस बार यह शुभ तिथि 1 अगस्त दिन शनिवार को है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि सभी प्रदोष व्रत अत्यंत कल्याणप्रद होते हैं लेकिन रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को अर्क प्रदोष व्रत, सोमवार के दिन पड़ने वाले को सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार के दिन पड़ने वाले को भौम प्रदोष व्रत और शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्व है। इस पावन व्रत का फल हर दिन के हिसाब से अलग-अलग पड़ता है। शनि प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। शनिवार के दिन आने से इसे शनि प्रदोष कहा गया है। ये भी माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी शनि प्रदोष व्रत विशेष रूप से सौभाग्यशाली माना जाता है। साथ ही दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
शनि प्रदोष व्रत पूजा-विधि शनिवार के दिन व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की ��ूजा और ध्यान करते हुए व्रत ��ुरू किया जाता है। प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। इस दिन प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। इसके बाद संध्या काल में फिर से स्नान करके सफेद कपड़े पहनकर इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करनी चाहिए। Read the full article
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सावन महीने में भोलेनाथ को करना है प्रसन्न, तो करें इन सरल मंत्रों का जाप
चैतन्य भारत न्यूज हिन्दू धर्म के अनुसार सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। यह माह भगवान शिव को अति प्रिय है। सावन के महीने में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से होती है।
सावन महीने में भगवान शिव बेहद प्रसन्न रहत�� हैं। कहा जाता है कि इस महीने में जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की भक्ति करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन में आने वाले सोमवार शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं। सावन महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा।
भगवान शिव की पूजा-विधि सावन के सोमवार दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर गंगालज मिश्रित जल से स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा घर में जाएं। पूजा की चौकी पर सफेद वस्त्र पर अष्टगंध से 'ओम नम: शिवाय' मंत्र लिख लें। पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश और नंदी की प्रतिमा या फिर शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, नैवेद्य, धूप आदि अर्पित करें। जल, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, सभी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
विशेष लाभ पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें ऊँ हौं जूं सः। ऊॅ ��ूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं ।।
मनवांछित फल पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्॥ ये भी पढ़े... जानिए क्यों सावन में की जाती है शिव की पूजा, इस महीने भूलकर भी न करें ये गलतियां इस दिन से शुरू होगी श्रीखंड महादेव यात्रा, जान जोखिम में डालकर 18,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा Read the full article
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सावन माह में 300 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग, 2 शनि प्रदोष, सोमवती अमावस्या और सोमवार को रक्षाबंधन भी
चैतन्य भारत न्यूज उज्जैन. श्रावण/सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। इस बार सावन माह में 300 साल बाद दुर्लभ संयोग में आ रहा है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में सोमवार यानी आज से शुरू हो रहा सावन माह 3 अगस्त को रक्षाबंधन पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सोमवार के दिन ही समाप्त होगा। इस बार सावन माह में 5 सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या पड़ रही है जो दुर्लभ संयोग है। ज्योतिषियों के मुताबिक, सावन माह में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में भी नहीं बना है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के मुताबिक, पंचांगीय गणना, उज्जयिनी के शून्य रेखांश का गणित और नक्षत्र मेखला की इकाई गणना से देखें तो इस बार सावन माह का आरंभ और समापन दोनों ही सोमवार को उत्ताराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में होगा। यह नक्षत्र कार्यों की सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सावन के दूसरे सोमवार पर रेवती नक्षत्र, सुकर्मा योग, कोलव करण का संयुक्त क्रम रहेगा। यह स्थिति भक्तों की हर मनोकामना पूरी होने के लिए धार्मिक कार्यों का पांच गुना शुभफल प्रदान करेगी।' ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, '20 जुलाई को हरियाली सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्�� नक्षत्र रहेगा। सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है। अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्धि योग मध्य र���त्रि साधना के लिए विशेष है। चौथे सोमवार यानी 27 जुलाई को सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। इसके साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह सोवार संकल्प सिद्धि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है।' रक्षाबंधन पर पूरे दिन श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। इस बार रक्षाबंधन तीन अगस्त को है। इस दिन श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्धि कारक माना गया है। शनि प्रदोष पर उपवास रखते हैं बाबा महाकाल महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि, आम दिनों में बाबा महाकाल को सुबह 10.30 बजे भोग आरती में दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का नैवेद्य लगाया जाता है। शनि प्रदोष बाबा महाकाल उपवास रखते हैं। इसलिए शनि प्रदोष पर सुबह भोग आरती में अवंतिकानाथ को फलाहार में दूध अर्पित किया जाता है। फिर शाम 7.30 बजे संध्या आरती में भगवान को नैवेद्य लगाया जाता है। इस बार सावन माह में 18 जुलाई और 1 अगस्त को दो दिन शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। ऐसे में सावन माह में एक साथ दो शनि प्रदोष शिव साधना, उपासना की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। ये भी पढ़े... आज है सावन का पहला सोमवार, भगवान शिव को खुश करने के लिए इस विधि से करें पूजा सावन: प्राचीन वैभव के साथ निकलेगी बाबा महाकाल की सवारी, श्रद्धालु नहीं हो सकेंगे शामिल, मार्ग भी होगा छोटा सावन 2020: ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग Read the full article
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आज है शनि प्रदोष व्रत, इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, दूर होगी दिक्कतें
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार शनि प्रदोष व्रत 21 मार्च को पड़ रहा है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
शनि प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। शनिवार के दिन आने से इसे शनि प्रदोष कहा गया है। ये भी माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी शनि प्रदोष व्रत विशेष रूप से सौभाग्यशाली माना जाता है। साथ ही दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
शनि प्रदोष व्रत पूजा-विधि शनिवार के दिन व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत शुरू किया जाता है। प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। इस दिन प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। इसके बाद संध्या काल में फिर से स्नान करके सफेद कपड़े पहनकर इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करनी चाहिए। ये भी पढ़े... पचमढ़ी में भगवान शिव का अनोखा मंदिर, यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं दो क्विंटल तक के त्रिशूल भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे ये 4 रहस्य, खुशहाल जीवन जीने के लिए आप भी जानें सोमवार व्रत करने से बरसती है भगवान शिव की कृपा, जानिए महत्व और पूजन-विधि Read the full article
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शनि प्रदोष व्रत आज, इस विधि से करें शिव की आराधना, मिलेगा विशेष फल
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार शनि प्रदोष व्रत 7 मार्च को पड़ रहा है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
शनि प्रदोष व्रत का महत्व भगवान शिव की उपासना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। शनिवार के दिन आने से इसे शनि प्रदोष कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। ये भी मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।
शनि प्रदोष व्रत पूजा-विधि इस दिन व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत शुरू किया जाता है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। प्रदोष व्रत में शिवजी ��र माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। संध्या काल में फिर से स्नान करके सफेद कपड़े पहनकर इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करनी चाहिए। शाम को शिव पूजा के ब���द पानी पी सकते हैं। ये भी पढ़े... पचमढ़ी में भगवान शिव का अनोखा मंदिर, यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं दो क्विंटल तक के त्रिशूल भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे ये 4 रहस्य, खुशहाल जीवन जीने के लिए आप भी जानें इसलिए भगवान शिव पर चढ़ाए जाते हैं बेल-पत्र, जानिए क्या है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर Read the full article
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शनि प्रदोष व्रत आज, शिव और शनि की पूजा का खास संयोग, इस व्रत को करने से दूर हो जाएंगी दिक्कतें
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में कोई न कोई व्रत, त्योहार जरूर पड़ता है। जिस तरह प्रत्येक मास की एकादशी पुण्य फलदायी बताई जाती है, ठीक उसी प्रकार हर मास के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भी व्रत उपवास के लिए काफी शुभ होती है। त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि, प्रदोष व्रत करने वाले लोगों के सभी प्रकार के दोषों का निवारण हो सकता है। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है। ये साल का तीसरा और आखिरी शनि प्रदोष है। आइए जानते हैं शनिवार के दिन रखे जाने वाले प्रदोष व्रत यानी शनि त्रयोदशी के महत्व व पूजा विधि के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); शनि प्रदोष का महत्व वैसे तो प्रत्येक मास की दोनों त्रयोदशी के व्रत पुण्य फलदायी माने जाते हैं। लेकिन भगवान शिव के भक्त शनिदेव के दिन त्रयोदशी का व्रत समस्त दोषों से मुक्ति देने वाला माना जाता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए शनि त्रयोदशी का व्रत विशेष रूप से सौभाग्यशाली माना जाता है। शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत शुरू किया जाता है। प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में फिर से स्नान करके सफ़ेद कपड़े पहनकर इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करनी चाहिए। शाम को शिव पूजा के बाद पानी पी सकते हैं। ये भी पढ़े... शनिवार को भूलकर भी ना खरीदें ये 8 चीजें, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान प्रदोष व्रत और शिव पूजा से मिलता है विशेष लाभ, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि Read the full article
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