#आक
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#GodMorningSaturday गरीब#चन्द सूर पानी पवन#धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े#खिजमतिदार खवास।।उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आक
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#godmorningsaturday#.. गुरु शिष्य का स्नेह ..जैसे पपीहा पक्षी पृथ्वी पर खड़ा पानी नहीं पीता चाहे प्यास से मर जाए। वह आक
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#tuesdaymotivations#हमारे वेद शास्त्र बताते हैं। कि परमात्मा साकार है मनुष्य जैसा है वही अविनाशी है वह पृथ्वी पर आक
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता ��ीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, ��हां उन्हो��ने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी ��ा फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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कभी हो आक सा कड़वा कभी गुलकंद हो जाए (A New Song)
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Indigenous Sexual Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
पुरुषों के गुप्त व यौन रोगों के कारण, लक्षण और रामबाण आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
युवावस्था या जवानी में जिस सुख की लत लग जाती है, उसके परिणामस्वरूप पुरुषों में गुप्त रोग और बुरी आदतें विकसित हो जाती हैं। अधिकांश गुप्त व यौन रोग 14 से 18 वर्ष की आयु में शुरू होते हैं। अनैतिक लोगों के संपर्क में आने वाले, अश्लील बातें करने वाले, रोचक शब्दों में यौन-सुख का विस्तार से वर्णन करने वाले, मासूम बच्चों को अपने पास बैठाकर इस सुख का अनुभव कराने वाले लोग जिम्मेदार कारक होते है। परिणामस्वरूप, विवाह होने पर वह पुरुष स्त्री से सही से यौन क्रिया भी नहीं कर पाता है। उसके पनीले में साधारण उत्तेजना होती भी है, तो स्त्री के संपर्क में आते ही पानी जैसा क्ष्राव छोड़ जाता है और व हताश होकर अपने पनीले को बाहर निकाल लेता है। इसके बाद वह इस यौन सम्बन्ध में काफी प्रयास करता है, किन्तु वह न तो खुद यौन सुख का आनन्द पाता है और न ही अपने साथी को सुख दे पाता है।
कई बार तो लोग शर्म के मारे आत्महत्या तक की कोशिश करते हैं जो उनके निराशावाद को दर्शाता है। ऐसे रोगियों का पाचन तंत्र, मस्तिष्क, शुक्र नलिकाएं, श्वसन नलिकाएं आदि सभी खराब हो जाती हैं। लेकिन ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि हर बीमारी का कोई न कोई इलाज व समाधान अवश्य होता है। यहां हम आपको कुछ घरेलू उपाय भी बताएंगे, जिनका इस्तेमाल करने के बाद काफी हद तक आप अपने ��ुप्त व यौन बीमारियों से छुटकारा पा सकते है। लेकिन अगर समस्या बढ़ जाती है और घरेलू उपायों से फायदा नहीं हो रहा है तो किसी यौन रोग विशेषज्ञ (सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर) से जरूर संपर्क करें (बिल्कुल भी शर्म न करें)…
स्वप्नदोष को कैसे ठीक करें:
स्वप्नदोष को रात्रि स्खलन के नाम से भी जाना जाता है। स्वप्नदोष एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो कि व्यक्ति को रात में अपने यौन स्वप्न के दौरान वीर्यपात या वीर्य स्खलन हो जाता है। वैसे यह प्रकिया पुरुषों में अधिक होती है परन्तु यह समस्या कुछ स्त्रियों में भी पाया जाता है जिसमें उनकी वैजिनल चिपचिपी और गीली हो जाती है। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य जो कि पटना के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, कहते है कि रात्रि स्खलन कि यह समस्या ज्यादातर युवा पुरुषो में देखी जाती है। स्वप्नदोष ज्यादातर उन पुरुषों को होता है जो वास्तविक यौन सुख से वंचित रह जाते हैं और लंबे समय तक यौन क्रिया के बारे में सोचते रहते हैं। कभी-कभी स्वप्नदोष नुकसान की बात नहीं होती है लेकिन कुछ युवा पुरुषों में यह अत्यधिक हो जाता है जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है और वे दिन-प्रतिदिन दुबले व कमजोर होते जाते हैं।
ऐसे लोगों को इलाज की जरूरत होती है। वैसे तो बाजार में कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर कोई खास फायदा नहीं करती साथ-ही-साथ उनके कई साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं। लेकिन आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों व रस-रसायन का इस्तेमाल करके आसानी से इसका इलाज कर सकते हैं।
स्वप्नदोष से छुटकारा पाने के लिए आप निम्नलिखित घरेलू उपचार आज��ा सकते हैं, आपको निश्चित रूप से लाभ होगा…
रोजाना आंवले का मुरब्बा खाएं और ऊपर से गाजर का जूस पिएं।
तुलसी की जड़ का एक टुकड़ा पीसकर पानी के साथ पिएं। इससे लाभ होता है। अगर जड़ न मिले तो बीज के 2 चम्मच शाम को लें।
लहसुन की दो कलियां पीसकर निगल लें। कुछ देर बाद गाजर का जूस पीएं।
आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण और एक चम्मच आक की छाल का चूर्ण दूध के साथ लें।
रात को सोते समय 10-12 काली तुलसी के पत्ते पानी के साथ लें।
रात को एक लीटर पानी में त्रिफला चूर्ण भिगो दें, सुबह उसे मसलकर बारीक कपड़े से छानकर पी लें।
2 चम्मच अदरक का रस, 3 चम्मच प्याज का रस, 2 चम्मच शहद, 2 चम्मच गाय का घी मिलाकर सेवन करने से न केवल स्वप्नदोष ठीक होगा बल्कि पुरुष शक्ति भी बढ़ेगी।
नीम के पत्तों को रोजाना चबाने और खाने से स्वप्नदोष पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
ऊपर जो भी उपाय आप अपनाएं उसका लगातार 6 महीने तक प्रयोग करें जिससे आपको लाभ अवश्य मिलेगा। अगर आप बीच में दवा लेना बंद कर देंगे तो आपको उतना लाभ नहीं मिलेगा।
वीर्य पतला होने के कारण और घरेलू उपचार...
आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका वीर्य पतला हो गया है, लेकिन चिंता न करें, इसका इलाज घरेलू स्तर पर भी संभव है। आइये सबसे पहले जानते हैं कि वीर्य पतला होने के क्या कारण हैं और इसका घरेलू उपाय क्या है। डॉ. सुनील दुबे, बिहार के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक है जो दुबे क्लिनिक में प्रैक्टिस करते है और सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों का इलाज करते है। उन���होंने अपने आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मेडिकल साइंस में बहुत सारे आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार की सफलतापूर्वक खोज की है। आज के समय में, भारत के कोने-कोने से गुप्त व यौन रोगी उनके मार्गदर्शन में अपना इलाज करवाते है और स्वस्थ्य यौन जीवन पाते है।
वीर्य पतला होने के कारण...
बुरी संगत में पड़ना, वेश्याओं के पास जाना, अत्यधिक संभोग करना, हस्तमैथुन की आदत का शिकार हो जाना आदि कारणों से वीर्य पतला हो जाता है। वीर्य का पतला होना वास्तव में इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति का वीर्य दुर्बल और कमजोर हो गया है। कामुक विचारों और अश्लील साहित्य को पढ़ने से उत्पन्न अत्यधिक उत्तेजना के कारण वीर्यपात हो जाता है। यदि यह स्थिति लगातार बनी रहे तो वीर्य पतला हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, अन्य कई गुप्त व यौन रोग के होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
वीर्य पतला होने के लक्षण…
वीर्य का मुख्य कार्य प्रजनन करना है। अगर वीर्य पतला और कमजोर हो जाए तो नपुंसकता के लक्षण दिखने लगते हैं और प्रजनन में बाधा आती है। इसके अलावा शीघ्रपतन जैसी समस्या भी होती है, इसलिए इसका इलाज करना जरूरी है।
शीघ्रपतन के लिए कारगर घरेलू उपचार….
शीघ्रपतन कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की मानसिकता या आदत का नतीजा है। संभोग के दौरान दूसरे साथी के स्खलन से पहले ही स्खलन हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है। यानी महिला के संतुष्ट होने से पहले पुरुष का स्खलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है। वास्तव में, आयुर्वेद चिकित्सा-उपचार में इस गुप्त रोग का इलाज संभव है और रोगी इसमें सुधार कर सकता है।
कारण…
शीघ्रपतन का मुख्य कारण पुरुष का रवैया या आदत है। इसके अलावा अगर व्यक्ति को हस्तमैथुन की लत है तो वह भी शीघ्रपतन से ग्रसित हो जाता है। हस्तमैथुन करने वाला व्यक्ति कामी, अधीर, और जल्दबाज़ हो जाता है। इसलिए वह संभोग के दौरान धैर्य नहीं रख पाता और उसका स्खलन जल्दी हो जाता है। कामवासना के बारे में सोचने से भी व्यक्ति शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है। थकान और कमजोरी और किसी बीमारी से ग्रसित होने या आत्मविश्वास की कमी के कारण भी शीघ्रपतन होता है।
लक्षण…
यदि कोई शीघ्रपतन का शिकार है, तो संभोग के दौरान स्खलन जल्दी हो जाता है और महिला संतुष्ट नहीं हो पाती है।
घरेलू उपचार…
जामुन: शीघ्रपतन को रोकने के लिए जामुन की गुठली को बारीक ��ीसकर चूर्ण बना लें और 2.5 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लें। एक महीने तक लगातार ऐसा करने से यह रोग नियंत्रण में आ जाता है।
इमली: शीघ्रपतन से पीड़ित पुरुषों के लिए इमली के बीज बहुत उपयोगी साबित हुए हैं। इमली के बीजों को 4-5 दिन तक पानी में भिगोकर रखें, गुठली निकालकर चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है और वीर्य स्तंभन होता है।
खजूर: रोजाना दो खजूर खाने से शीघ्रपतन की समस्या नियंत्रित होने लगती है।
ईसबगोल: ईसबगोल, खसखस का शर्बत और मिश्री को 5-5 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शीघ्रपतन ठीक हो जाता है।
अदरक: आठ माशा सफेद प्याज का रस, छह माशा अदरक का रस, चार माशा शहद और तीन माशा शुद्ध घी मिलाकर दो महीने तक नियमित सेवन करने से शीघ्रपतन रुक जाता है।
आम: आम की कलियों को छाया में सुखाकर, पीसकर छान लें और इस मिश्रण को ढाई-ढाई ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें। इससे शीघ्रपतन रुक जाएगा और यौन शक्ति बढ़ेगी।
आंवला: आंवले का सेवन बहुत लाभकारी है। प्रतिदिन एक आंवले का मुरब्बा खाएं…
किसी भी गुप्त व यौन का जड़ से समाधान के लिए दुबे क्लिनिक से संपर्क करे।
और अधिक जानकारी के लिए
हमें कॉल करें@ +91 98350 92586
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः🏵️ 🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (सप्तमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-14-मई-2024
वार :-------मंगलवार
तिथि :---07सप्तमी:-28:19
माह:-------वैशाख
पक्ष:--------शुक्लपक्ष
नक्षत्र:---पुष्य:-13:05
योग:----गंड:-07:24
करण:-----गर:-15:30
चन्द्रमा:------कर्क
सूर्योदय:-----05:56
सूर्यास्त:------19:13
दिशा शूल-----उत्तर
निवारण उपाय:--- धनिया का सेवन
ऋतु:--------ग्रीष्म ऋतु
गुंलिक काल:---12:34से 14:12
राहू काल:---15:54से17:32
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:----कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-09:16से10:55तक
लाभ:-10:55से12:34तक
अमृत:-12:34से14:13तक
शुभ:-15:52से17:31तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-20:32से21:52तक
शुभ:-23:12से00:34तक
अमृत:-00:34से01:54तक
चंचल:-01:54से03:16तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 36वाँ दिन, भद्रा प्रारंभ 28:19, गंगोत्पति, गंगापुजन, गंगासप्तमी, राजयोग सूर्योदय से13:05, रवियोग समाप्त 13:05, सूर्य वृष में 17:52, संक्रांति पुण्यकाल 19:30 से 17:52, व्यतिपात महापात प्रारंभ 27:53, निम्ब - कमल -शर्करा सप्तमी, 🌺 👉वास्तु टिप्स 👈🌺
आक के पौधे को तुलसी के पास ना रखे।
*सुविचार*
कभी मकसद कभी मन्सुबे यार होते हैं,
ये वो दौर है जिसमे नमस्कार के भी मतलब हजार होते हैं.. 👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌿🍃*
*पीलिया के घरेलू उपचार -*
**अनार के पत्तों को छाया में सुखा लें. सूखे पत्तों को कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें. सेहत पर पीलिया के नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिये रोजाना तीन-तीन ग्राम चूर्ण सुबह और शाम मट्ठे के साथ सेवन करने से पीलिया का खात्मा हो जाता है.
**गन्ने के 100 ग्राम रस में 7 से 8 ग्राम आंवले का रस मिला लें. दिन में दो बार इसके सेवन से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है.
**पीलिया ग्रस्त बच्चे के गले में गिलोय की लता लपेटने से पीलिया की विभीषिकता कम हो जाती है.
**गन्ने के 100 ग्राम रस में अमलतास के 5 ग्राम पीसे गूदे को मिलाकर पिलाने से पीलिया रोग से मुक्ति मिलती है.
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
अचानक बड़ा खर्च होगा। यात्रा में जल्दबाजी न करें। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में धोखा खा सकते हैं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। व्यर्थ भागदौड़ से खिन्नता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय से आवक बनी रहेगी।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। तनाव रहेगा। थकान रह सकती है। रुका हुआ धन प्राप्ति के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। नए काम मिलेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
सरकारी कामकाज में वृद्धि के योग हैं। बाधाएं समाप्त होंगी। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नए उपक्रम प्रारंभ हो सकते हैं। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। जल्दबाजी से बचें। व्यापार-व्यवसाय ��ीक चलेगा।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
नए मित्रों से लाभ होगा। ऐश्वर्य के साधन प्राप्त होंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल होगी। धनार्जन होगा। जीवन सुखद व्यतीत होगा। व्यापार-व्यवसाय, निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
आवागमन में विशेष सावधानी रखें। चोट लग सकती है। विवाद से बचें। कार्यक्षमता में कमी रहेगी। भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। दूसरों की अपेक्षाएं बढ़ेंगी। तनाव रहेगा।
👩🏻🦱 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। कार्य की बाधा दूर होगी। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश लाभदायक रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
सही बात का भी विरोध हो सकता है। हित शत्रुओं से सावधान रहें। संपत्ति का कोई बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। प्रयास भरपूर करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। दुष्टजनों से दूर रहें। परिवार के किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
किसी रचनात्मक कार्य में सफलता प्राप्त होगी। मन में नए विचार आएंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक हो सकती है। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। किसी तरह से धनहानि के योग हैं। सावधानी रखें।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। तनाव व चिंता बने रहेंगे। अप्रसन्नतादायक सूचना प्राप्त हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। भागदौड़ रहेगी। धनार्जन होगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। पारिवारिक सहयोग से कार्य बनेंगे। जीवन सुखद व्यतीत होगा। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। थकान रह सकती है।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। घर-बाहर सभी ओर से सहयोग प्राप्त होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। आत्मविश्वास बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कारोबार अच्छा चलेगा। जल्दबाजी न करें।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। मित्रों के सहयोग से कार्य की बाधा दूर होगी। ��ेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य करने की इच्छा पूर्ण हो सकती है। घर-बाहर सभी ओर से सफलता प्राप्त होगी। लाभ होगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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कान में फुंसी होने पर घरेलू उपाय; kan me funsi hone per ghrelu upay, MedicoSutra
कान में फुंसी ज्यादातर मामलों में बाहरी हिस्से पर होती हैं, ऐसे में कान में फुंसी होने पर घरेलू उपाय मददगार साबित हो सकते हैं यदि फुंसी बाहर से दिखाई नहीं देती है तब आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए यहां कान में फुंसी होने पर घरेलू उपाय के बारे में बताया गया है जिसे सावधानीपूर्वक विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद आप इसे प्रयोग में ला करके देख सकते हैं, कान में फुंसी होने पर घरेलू उपाय जो आपकी मदद करेंगे वह है; आक के पीले पत्ते, सरसों का तेल, लहसुन, सेम की पत्ती, दालचीनी, गिलोय, प्याज, और नीम के पत्ते इत्यादि का इस्तेमाल नीचे बचाए गए तरीकों से Read more..
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#ShockingNews ‘मैं जिंदा हूं’, Poonam Pandey ने शेयर किया वीडियो !
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Pradosh Vrat: आज बुधवार को प्रदोष व्रत , वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में रखा जाएगा , जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Pradosh Vrat: आज बुधवार को फरवरी का पहला प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. प्रदोष व्रत के शुभ मूहुर्त और पूजा विधि के बारे में.
Pradosh Vrat: वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में आज रखा जाएगा बुध प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat: आज फरवरी का पहला प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. आज का दिन बुधवार है. यह व्रत बुधवार को होने के कारण बुध प्रदोष व्रत है. जैसे बुधवार के दिन का प्रदोष बुध प्रदोष, शुक्रवार दिन का प्रदोष शुक्र प्रदोष, शनिव��र के दिन का प्रदोष शनि प्रदोष कहा जाता है. हालांकि दिन के अनुसार, प्रदोष व्रत के लाभ भी अलग-अलग होते हैं. आज बुध प्रदोष व्रत दोपहर 02:02 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 8 फरवरी गुरुवार को दिन में 11:17 मिनट पर होगा. आइए जानते हैं, प्रदोष व्रत के शुभ मूहुर्त और पूजा विधि के बारे में.
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 7 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर होगी. वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर होगी. आज शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 41 मिनट के बीच में होगा. शिव जी का पूजा के लिए आपको ढाई घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा.
वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र आज प्रदोष व्रत वज्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र में रखा जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन वज्र योग पूरे दिन रहेगा. 08 फरवरी, तड़के 02:53 से सिद्धि योग लगेगा वहीं पूर्वाषाढा नक्षत्र 8 फरवरी को सुबह 04:37 तक है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि प्रदोष व्रत वाले दिन स्नान करने के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करके गंगा जल का छिड़काव करें. शिव जी की आराधना करके व्रत का संकल्प लें. पूजा के दौरान भगवान भोलेनाथ को आक के फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, रोली, अक्षत, फल, मिठाई और पंचामृत आदि जरूर चढ़ाना चाहिए. शिव जी के आगे घी का दीपक जलाएं.
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फोटो से शत्रु नाश होगा निश्चित enemy destroyed by photo ph. 85280 57364फोटो से शत्रु नाश होगा निश्चित enemy destroyed by photo
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फोटो से शत्रु नाश होगा निश्चित इस मंत्र से शत्रु का नाश पक्का होगा और वो पागल हो जाएगा फिर आपको कभी परेशान नहीं करेगा यह प्रयोग प्राचीन है
प्रतिमा मारण मन्त्र खंग मारै कालिका । भुजंग मारै भैरव। झपट के मारै दुर्गा। कहे अलमस्त । वो ही पस्त । जो मुझको सतायेगा ।
श्मशान में जाकर किसी शनिवार की रात्रि को कोई जलती हुई चिता देखकर समस्त वस्त्र उतार कर उसके समक्ष बैठ जाएं और इस मन्त्र का जप करें। सूर्योदय से पहले उस चिता को प्रणाम करें और उसका कोयला तथा राख लेकर आ जाएं। अपने शत्रु के पाँव तले की धूल लेकर उसमें राख मिलाकर पीली मिट्टी की शत्रु की प्रतिमा बनाएं। इसको कोयले के ढेर पर रखकर श्मशान वाला कोयला इसके हृदय पर रख दें और पुनः कोयलों से ढक कर उसे सुलगा दें; साथ-ही-साथ ऊपर बताए गये मन्त्र का जप करते रहें। जैसे-जैसे प्रतिमा ताप पायेगी, वैसे-वैसे शत्रु ताप से पीड़ित होकर तड़पेगा। जैसे ही पूर्ण ताप पाकर प्रतिमा चटकेगी, शत्रु भी मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा |पर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। खैर या आक की लकड़ी जलाकर इस वस्त्रको आग में तपायें। कपड़ा जलने न पाये। शत्रु पागल हो जायेगा। अच्छा करने के लिए गधे के मूत्र से उस कपड़े को धोकर सुखा दें।
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( #Muktibodh_part166 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part167
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 321-322
‘‘काशी नगर में भोजन-भण्डारा (लंगर) देना’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 793-939 :-
सिमटि भेष इकठा हुवा, काजी पंडित मांहि।
गरीबदास चिठा फिर्या, जंबुदीप सब ठांहि।।793।।
मसलति करी मिलापसैं, जीवन जन्म कछु नांहि।
गरीबदास मेला सही, भेष समेटे तांहि।।794।।
सेतबंध रामेश्वरं, द्वारका गढ गिरनार। गरीबदास मुलतान मग, आये भेष अपार।।795।।
हरिद्वार बदरी बिनोद, गंगा और किदार।
गरीबदास पूरब सजे, ना कछु किया बिचार।।796।।
अठारा लाख दफतर चढे, अस्तल बंध मुकाम।
गरीबदास अनाथ जीव, और केते उस धाम।।797।।
बजैं नगारे नौबतां, तुरही और रनसींग। गरीबदास झूलन लगे, उरधमुखी बौह पींघ।।798।।
एक आक धतूरा चबत है, एक खावै खड़घास।
गरीबदास एक अरध मुखी, एक जीमैं पंच गिरास।।799।
एक बिरक्त कंगाल हैं, एक ताजे तन देह।
गरीबदास मुहमुंदियां, एक तन लावै खेह।।800।।
एक पंच अग्नि तपत हैं, एक झरनैं बैठंत।
गरीबदास एक उरधमुख, नाना बिधि के पंथ।।801।।
एक नगन कोपीनियां, इंद्री खैंचि बधाव।
गरीबदास ऐसै बहुत, गरदन पर धरि पांव।।802।।
एक कपाली करत हैं, ऊपर चरण अकाश।
गरीबदास एक जल सिज्या, नाना भांति उपास।।803।।
एक बैठे एक ठाडेसरी, एक मौनी महमंत।
गरीबदास बड़बड़ करैं, ऐसैं बहुत अनंत।।804।।
एक जिकरी जंजालिया, एक ज्ञानी धुनि वेद।
गरीबदास ऐसे बहुत, वृक्ष काटि घर खेद।।805।।
एक उंचै सुर गावहीं, राग बंध रस रीत। गरीबदास ऐसे बहुत, आदर बिना अतीत।।806।।
एक भरड़े सिरडे़ फिरै, एक ज्ञानी घनसार।
गरीबदास उस पुरी में, पड़ी है किलकार।।807।।
एक कमरि जंजीर कसि, लोहे की कोपीन।
गरीबदास दिन रैंन सुध, पडे़ रहैं बे दीन।।808।।
एक मूंजौं की मुदरा, केलौं के लंगोट। गरीबदास लंबी जटा, एक मुंडावैं घोट।।809।।
एक रंगीले नाचहीं, करैं अचार बिचार। गरीबदास एक नगन हैं, एकौं खरका भार।।810।।
एक धूंनी तापैं दहूँ, सिंझ्या देह बुझाय। गरीबदास ऐसे बहुत, अन्न जल कछु न खाय।।811।।
एक मूंधे सूंधे पडे़, आसन मोर अधार। गरीबदास ऐसे बहुत, करते हैं जलधार।।812।।
एक पलक मूंदैं नहीं, एक मूंदे रहैं हमेश।
गरीबदास न्यौली कर्म, एक त्राटिक ध्यान हमेश।।813।।
एक बजर आसन करैं, एक पदम प्रबीन।
गरीबदास एक कनफट्टा, एक बजावैं बीन।।814।।
शंख तूर झालरि, बजैं रणसींगे घनघोर। गरीबदास काशीपुरी, दल आये बड जोर।।815।।
एक मकरी फिकरी बहुत, गलरी गाल बजंत।
गरीबदास तिन को गिनै, ऐसे बहुत से पंथ।।816।।
एक हर हर हका करैं, एक मदारी सेख।
गरीबदास गुदरी लगी, आये भेष अलेख।।817।।
एक चढे घोड्यौं फिरैं, एक लड़ावैं फील।
गरीबदास कामी बहुत, एक राखत हैं शील।।818।।
एक तनकौं धोवैं नहीं, एक त्रिकाली न्हाहि।
गरीबदास एक सुचितं, एक ऊपर को बांहि।।819।।
एक नखी निरबांनीया, एक खाखी हैं खुश।
गरीबदास पद ना लख्या, सब कूटत हैं तुश।।820।।
तुश कूटैं और भुस भरैं, आये भेष अटंब।
गरीबदास नहीं बंदगी, तपी बहुत आरंभ।।821।।
ठोडी कंठ लगावहीं, आठ बखत नक ध्यान।
गरीबदास ऐसे बहुत, कथा छंद सुर ज्ञान।।822।।
एक सौदागर भेष में, कस्तूरी ब्यौपार। गरीबदास केसर कनी, सिमट्या भेष अपार।।823।।
एक तिलक धोती करैं, दर��पन ध्यान गियान।
गरीबदास एक अग्नि में, होमत है अन्नपान।।824।।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 793- 824 का सरलार्थ :- कबीर परमेश्वर जी को काशी शहर से भगाने के उद्देश्य से हिन्दू तथा मुसलमानों के धर्मगुरूओं तथा धर्म के प्रचारकों ने षड़यंत्र के तहत झूठी चिट्ठी में निमंत्रण भेजा कि कबीर जुलाहा तीन दिन का भोजन-भंडारा (लंगर) करेगा। प्रत्येक बार भोजन खाने के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण की मोहर (सोने का सिक्का) तथा एक दोहर (खद्दर की दोहरी सिली चद्दर जो कंबल के स्थान पर सर्दियों में ओढ़ी जाती थी) दक्षिणा में देगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, हलवा, खीर, पूरी, मांडे, रायता, दही बड़े आदि मिलेंगे। सूखा-सीधा (एक व्यक्ति का आहार, जो भंडारे में नहीं आ सका, उसके लिए) दिया जाएगा। यह सूचना पाकर दूर-दूर के संत अपने शिष्यों समेत निश्चित तिथि को पहुँच गए। काजी तथा पंडित भी उनके बीच में पहुँच गए। चिट्ठी जंबूदीप (पुराने भारत) में सब जगह पहुँची। {ईराक, ईरान, गजनवी, तुर्की, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बिलोचिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान आदि-आदि सब पुराना भारत देश था।} संतजन कहाँ-कहाँ से आए? सेतुबंध, रामेश्वरम्, द्वारका, गढ़ गिरनार, मुलतान, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगा घाट। अठारह लाख तो साधु-संत व उनके शिष्य आए थे। अन्य अनाथ (बिना बुलाए) अनेकों व्यक्ति भोजन खाने व दक्षिणा लेने आए थे। जो साधु जिस पंथ से संबंध रखते थे, उसी परंपरागत वेशभूषा को पहने थे ताकि पहचान रहे। अपने पंथ की प्रचलित साधना कर रहे थे। कोई (बाजे) वाद्य यंत्र बजाकर नाच-नाचकर परमात्मा की स्तूति कर रहे थे।
◆ कोई आक तथा धतूरे को खा रहे थे जो बहुत कड़वा तथा नशीला होता है। कोई खड़घास खा रहे थे। कोई उल्टा लटककर वृक्ष के नीचे साधना कर रहा था। कोई सिर नीचे पैर ऊपर को करके साधना यानि तप कर रहा था। कोई केवल पाँच ग्रास भोजन खाता था।
उसका यह नियम था। कोई (मुँहमुंदिया) मुख पर पट्टी बांधकर रखने वाले थे। कोई शरीर के ऊपर (खेह) राख लगाए हुए थे। कोई पाँच धूने लगाकर तपस्या कर रहा था। कोई
तिपाई के ऊपर मटके को रखकर उसमें सुराख करके पानी डालकर नीचे बैठकर जल धारा यानि झरना साधना कर रहे थे। कई नंगे थे। कई केवल कोपीन बांधे हुए थे। कोई ��पनी गर्दन के ऊपर दोनों पैर रखकर आसन कर रहे थे। कोई (ठाडेसरी) खडे़ होकर तपस्या कर रहे थे। किसी ने मौन धारण कर रखा था। जो बड़बड़ कर थे, वे भी अनेकों आए थे।
कुछ ऊँचे स्वर से भगवान के शब्द गा रहे थे। अनेकों ऐसे थे जिनके साथ कोई चेला नहीं था। उनका कोई सम्मान नहीं कर रहा था। कोई सिरड़े-भिरडे़ (बिना स्नान किए मैले-कुचैले वस्त्र पहने) रेत-मिट्टी में पड़े थे। संत गरीबदास जी दिव्य दृष्टि से देखकर कह रहे हैं कि काशी पुरी में किलकारी पड़ रही थी। कोई सिर के ऊपर बड़े-बड़े बालों की जटा रखे हुए
थे। कोई-कोई मूंड-मुंडाए हुए थे। कोई अपने पैरों में लोहे की जंजीर बांधे हुए था। कोई लोहे की कोपीन (पर्दे पर लोहे की पतली पत्ती लगाए हुए था) बांधे हुए था। कोई केले के पत्तों का लंगोट बांधे हुए था। कोई त्राटक ध्यान लगा रहा था। कोई आँख खोल ही नहीं रहा था। कोई कान चिराए हुए था। इस प्रकार के अनेकों पंथों के शास्त्रा विरूद्ध साधना करने वाले परमात्मा को चाहने वाले (भेष) पंथ काशी में परमेश्वर कबीर जी द्वारा दिए गए भंडारे के निमंत्रण से इकट्ठे हुए थे। अठारह लाख तो साधु-शिष्य वेश वाले थे। अन्य सामान्य नागरिक भी अनेकों आए थे।
क्रमशः________________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE च��नल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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