#रोटी कपड़ा और मकान
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sharpbharat · 9 months ago
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Jharkhand cm in hazaribagh : मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन हजारीबाग में अबुआ आवास योजना कार्यक्रम में हुए शामिल, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा और कोडरमा के 28 हज़ार 295 लाभुकों को सौंपा स्वीकृति पत्र
हजारीबाग : रोटी, कपड़ा और मकान हर किसी की बुनियादी जरूरत है. राज्य का कोई भी व्यक्ति इससे वंचित नहीं रहेगा, इसके लिए सरकार संकल्पित है. मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने सोमवार को हजारीबाग में अबुआ आवास योजना के अंतर्गत स्वीकृति पत्र वितरण समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हर बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांग को पेंशन मिल रहा है. 20 लाख से ज्यादा लाभुकों को हरा राशन कार्ड के…
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avnmis · 11 months ago
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आरजू
आरजू थी हमें सर उठाए के जीने की रोटी कपड़ा मकां से कुछ ज़्यादा की ज़िद थी कोशिश करते रहे कामयाब होते रहे मकान से महल यूं ही बनते गए न मालूम चला कब और कैसे मगर हम सेहत से खिलवाड़ करते गए मांगी तो थी हमने खुशियां दुआ में मगर कभी ज़ेर ओ ज़बर से ना फुरसत मिली एक दिन सांस अस्पतालों की बांदी हुई महल ओ ज़र दुसरो के हवाले हुई सांसों को अब मशीनों की दरकार है क्या बताएं हम उन्हें कि क्या हाल…
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hopefulkidshark · 10 months ago
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Why Electricity is So Expensive
Mehngaaee Maar Gaii, Mehngaaee Maar Gaii
Movie: Roti Kapada Aur Makaan
Year: 1974
Language: Hindi
Indian Lyric & Verse
Earlier they used to bring bagfuls of sugar with money in their fists.
Now money goes into the bag and sugar comes into the fist.
Mehangai Maar Gayi :: Roti Kapda Aur Makaan (1974) (youtube.com)
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उसने कहा तू कौन है, मैंने कहा उल्फ़त तेरी, उसने कहा तकता है क्‌या, मैंने कहा सूरत तेरी, उसने कहा चाहता है क्‌या, मैंने कहा चाहत तेरी, मैंने कहा समझा नहीं, उसने कहा क़िस्मत तेरी
एक हमें आँख की लड़ाई मार गई, दूसरी तो यार की जुदाई मार गई, तीसरी हमेशा की तन्हाई मार गई, चौथी ये खुदा की खुदाई मार गई, बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई
तबीयत ठीक थी और दिल भी बेक़रार ना था, ये तब की बात है जब किसी से प्यार ना था, जब से प्रीत सपनों में समाई मार गई, मन के मीठे दर्द की गहराई मार गई, नैनों से नैनों की सगाई मार गई, सोच सोच में जो सोच आई मार गई, बाकी कुछ बचा …
कैसे वक़्त में आ के दिल को दिल की लगी बीमारी, मंहगाई की दौर में हो गई मंहगी यार की यारी, दिल की लगी दिल को जब लगाई मार गई, दिल ने की जो प्यार तो दुहाई मार गई, दिल की बात दुनिया को बताई मार गई, दिल की बात दिल में जो छुपाई मार गई, बाकी कुछ बचा …
पहले मुट्ठी विच पैसे लेकर, पहले मुट्ठी में पैसे लेकर थैला भर शक्‌कर लाते थे अब थैले में पैसे जाते हैं मुट्ठी में शक्‌कर आती है, हाय मंहगाई मंहगाई …दुहाई है दुहाई मंहगाई मंहगाई …तू कहाँ से आई, तुझे क्‌यों मौत ना आई, हाय मंहगाई …शक्‌कर में ये आटे की मिलाई मार गई, पौडर वाले दुद्ध दी मलाई मार गई, राशन वाली लैन दी लम्बाई मार गई, जनता जो चीखी चिल्लाई मार गई, बाकी कुछ बचा …
गरीब को तो बच्चों की पढ़ाई मार गई, बेटी की शादी और सगाई मार गई, किसी को तो रोटी की कमाई मार गई, कपड़े की किसी को सिलाई मार गई, किसी को मकान की बनवाई मार गई, जीवन दे बस तिन्न निसान - रोटी कपड़ा और मकान ??? ??? के हर इन्सान, खो बैठा है अपनी जान, जो सच सच बोला तो सच्चाई मार गई, और बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई …
why are con prices increasing?? these men should be like cars, the show ended 3 years ago
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iobnewsnetwork · 2 years ago
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ताकि कोई मां बाप खुद को बदनसीब ना समझे....!
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जयपुर। सुख दुख हर किसी के जीवन में आताजाताहै मगर यह बात अलग है कि कोई सक्स प्लानिंग के साथ दुखभरे दिनों से संघर्ष करता है और फिर अपने आप को संकट के इस दौर से बाहर निकल लेता है । मगर इसके विपरीत कुछ लोग दुख को अंत हीन मान कर डिप्रेशन जैसे दुख भरा कायरतापूर्ण का कदम उठा कर सुसाइड कर लेता है। संघर्ष में हारे व्यक्ति को क्या कुछ हासिल होता हो, मगर उसकी जिम्मेदारियों के साथ क्या कुछ गुजरता होगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल है। यह सत्य कथा एक गरीब परिवार की है। पीड़ित का नाम हरभजन सिंह है। 1947 में जन्मे इस सक्स ने शायद ही कभी सुख भोगा हो, मगर है व्यक्त दुख के कड़ा व सुलगता रहा। हरभजन के गांव के पास पड़ोसी कहते है की उनके इस मित्र के पिता बचपन में ही मर गए थे। तब उसकी उम्र केवल आठ साल की थी। इकलोती संतान होने पर उसका स्कूल छूट गया। कमाई का कोई साधन न होने पर गांव के बस अड्डे पर कल्लू हलवाई की दुकान पर काम करने लगा। नन्हे बच्चे की ड्यूटी बड़ी सख्त थी। सुबह सात बजे ही वह दुकान के लिए घर से निकल पड़ता था। नाश्ते में एक प्याला चाय और रात की बची रोटी को गोल करके,चाय के कप में डूबो कर बड़े सकून से खा कर पैदल ही घर से निकल पड़ता था। उसकी पोशाक बहुत ही साधारण हुआ करती थी। पिता की मौत के कोई एक माह पहले उन्ही ने स्कूल यूनिफार्म के तौर पर सिलवाया था। तब यूनिफार्म का कपड़ा सरकार की ओर से मिला करता था। स्कूल के अलावा परिवार या फिर अन्य कोई सामाजिक समारोहमें इसे धुलवाया करता था। फिर बिस्तर के सिराने लगा कर सपनों की दुनियां में खो जाता था। बीस साल की उम्र में उसकी शादी कलवंती कौर से हो गई। शरीर में कमजोर होने पर अक्सर वह बीमार रहा करती थी। फिर भी उसने पांच बेटियों को जन्म देकरवह मर गई। शायद कोई बीमारी हो गई थी। उसका उपचार भी करवाया। मगर पूरा खर्च नहीं उठा सका। घरवाली की मौत होने परहरभजन सिंह पर बड़ी जम्मेदारी आ गई थी। देखो तो एक बेटी को पालना ही मुश्किल होता है। मगर जाने कैसे हाड़ मांस का बना था यह सक्स।पुत्रियों को कोई भी कष्ट नहीं होने दिया सभी की शादियां करदी। मगर समधियो में एक भी ढंग का नही निकला। दहेज के लोभी निकले। आए दिन,इनके घर आ जाते। बेशर्म से कोई ना कोई डिमांड करने लग जाते। मांग पूरी ना होने का मतलब एक ही था। पैसा दो या फिर बेटी को रखो अपने घर। इसी के चलते दो बेटियों का तलाक हो गया। बाकी तीन,अपनी मां की तरह बीमारियों की शिकार होकर मर गई। इनमें बीस साल की बेटी रणवीर कौर शादी के कुछ दिनों के बाद से ही अपने पिता के पास रह रही थी। एक के बाद एक दुखो को झेलते हरभजन बहुत ��मजोर हो गया था। आंखों की रोशनी चली गई। गांव में अक्सर जब भी कभी हरभजन को चर्चा होती थी तो एक ही बात कही जाती थी, यही की घर में छोरा होता तो बुढ़ापा आराम से कट जाता। मगर वाह गुरु का खेल कौन जानता था,जो हर पल कोई ना कोई परीक्षा लेता रहता था। हरभजन के पास कितनी सी प्रॉपर्टी थी,फिर भी इसका दुरुपयोग ना होंजाय, ऐसे में डेढ़ बीघा जमीन और टूटा फूटा मकान भी बेटियो के नाम कर दिया।हरभजन बताया करता था की संघर्ष और दुख भरे दिनों में परिवार या रिश्तेदार, इनमे किसी ने भी उसका साथ नहीं दिया। आंखों की बीमारी का जहां तक सवाल था गांव की पंचायत ने ही उसका इलाज करवाया। हर भजन एक ही इच्छा थी कि उसके जीते जी अपनी मौत की तमाम रस्में उसकी आंखो के सामने ही जाए। 27 फरवरी को ये सभी रस्में भी पूरी हो गई।बरसी का समारोह भी गांव में ही करवाया। सभी परिचितों,रिश्तेदारों और पूरे गांव को भोजन कराया।गांव के एक बुजुर्ग कहते है की आज कल सामाजिक हालत ही इस तरह के हो गए है कि लोगों में प्यार तो खत्म ही हो गया। हालांकि समाज इतना भी नही गिरा कि किसी का अंतिम संस्कार भी ना हो। लेकिन हर भजन की जो इच्छा थी, जो उन्ही ने पूरी की। Read the full article
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newslobster · 2 years ago
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अपनी खुशहाली के साथ विश्व कल्याण भारत का लक्ष्य और संघ इसमें लगा हुआ है: होसबाले
अपनी खुशहाली के साथ विश्व कल्याण भारत का लक्ष्य और संघ इसमें लगा हुआ है: होसबाले
होसबोले ने रविवार शाम को यहां लाल परेड मैदान में संघ के भोपाल विकास के शारीरिक प्रकटोत्सव कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर कहा, ‘‘ संघ के दो मुख्य काम हैं– व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन. ये दोनों कार्य एक ही लक्ष्य के लिए हैं: भारत को परम वैभव पर पहुंचाना. इसका अर्थ केवल भारत आर्थिक और सामरिक रूप से सक्षम बने, यहां के सभी नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान मिले, यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि इससे…
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dainiksamachar · 10 months ago
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अंतरिम बजट में वो 10 ऐलान जिनका आम आदमी पर सीधा पड़ेगा असर, पहले की है सबको जरूरत
नई दिल्‍ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में भविष्‍य की मजबूत नींव रखने की कोशिश की है। सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में बुनियादी ढांचे के खर्च को 11 फीसदी तक बढ़ाने की योजना बनाई है। साथ ही राजकोषीय घाटे को भी काबू में रखा है। वित्‍त मंत्री ने अगले पांच सालों की रूपरेखा तैयार की है। इसमें रोटी, कपड़ा और मकान के साथ सेहत और शिक्षा का भी ध्‍यान रखा गया है। सरकार बढ़ते टैक्‍स कलेक्‍शन से उत्साहित है। सरकार का लक्ष्य अगले वित्तीय वर्ष में बजट घाटे को कम करके 5.1% लाने का है। यह मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित 5.8% से कम है। अंतरिम बजट में सीतारमण ने पूंजीगत खर्च के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह पिछले साल की तुलना में 11.1% की बढ़ोतरी है। सीतारमण ने किसान, युवा, महिला और गरीबों को मदद का वादा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्‍हें चार जातियां बताते रहे हैं। आइए, यहां बजट 2024 में उन 10 प्रमुख घोषणाओं के बारे में देखते हैं जिनका आपसे सीधा सरो���ार है। 1. घर का सपना होगा पूरा: सरकार मध्यम वर्ग के व्यक्तियों को अपना घर खरीदने या निर्माण कराने के लिए 'हाउसिंग फॉर मिडिल क्‍लास' स्‍कीम लॉन्‍च करेगी। इसके जरिये मिडिल क्‍लास को घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 2. प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का बढ़ेगा दायरा: सरकार इस स्‍कीम के तहत 3 करोड़ घरों के अपने लक्ष्य को पाने के करीब है। अगले पांच सालों के लिए 2 करोड़ घरों का अतिरिक्त लक्ष्य तय किया गया है।3. आंगनवाड़ी को बढ़ावा: सरकार 'सक्षम आंगनवाड़ी' और 'पोषण 2.0'कार्यक्रमों में तेजी लाने का इरादा रखती है। इनके जरिये कुपोषण, प्रारंभिक बचपन देखभाल और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। 4. सर्वाइकल कैंसर वैक्‍सीनेशन पर बड़ा प्‍लान: 9-14 साल की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। 5. आयुष्‍मान भारत का विस्‍तार: सभी आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शामिल करने के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार किया जाएगा।6. बकाया टैक्‍स डिमांड पर राहत: सरकार ने बकाया टैक्‍स डिमांड को लेकर बड़ा ऐलान किया है। इसके तहत वित्त वर्ष 2010 के लिए 25,000 रुपये तक और वित��त वर्ष 2011 से 2015 के लिए 10,000 रुपये तक विवादित बकाया टैक्‍स डिमांड को वापस लेने का फैसला किया गया है। इस कदम से लगभग 1 करोड़ टैक्‍सपेयर्स को फायदा होगा। 7. मुफ्त बिजली की बड़ी योजना: सरकार 1 करोड़ घरों को छत पर सोलर रूफटॉप पैनल लगाने में सक्षम बनाएगी। इसके जरिये हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का लक्ष्‍य है। 8. आंगनवाड़ी को फास्‍ट ट्रैक करने की तैयारी: बेहतर पोषण और बच्‍चों की देखभाल और विकास के लिए सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 को फास्‍ट ट्रैक किया जाएगा। 9. उड़ान स्‍कीम के तहत बढ़ेगा हवाई अड्डों का नेटवर्क: सरकार उड़ान स्‍कीम के तहत मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार करने की तैयारी में है। इसके तहत नए हवाई अड्डों का व्यापक विकास करना भी लक्ष्‍य है।10. पीएम गति शक्ति पर बढ़ेगा फोकस: केंद्र सरकार लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने और लागत कम करने के लिए पीएम गति शक्ति के तहत तीन प्रमुख रेलवे कॉरिडोर कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करेगी। http://dlvr.it/T2BGX7
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lok-shakti · 3 years ago
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5 अवश्य देखें अमिताभ की सस्पेंस फिल्में
5 अवश्य देखें अमिताभ की सस्पेंस फिल्में
अमिताभ बच्चन रूमी जाफरी की थ्रिलर फिल्म चेहरे में नजर आएंगे, जो इस हफ्ते रिलीज हो रही है, और ट्रेलर अच्छा लग रहा है, यह पहली बार नहीं है जब अभिनेता ने हमें * रोमांचित * किया है! सुभाष के झा ने चुना एबी की बेहतरीन थ्रिलर। परवाना, 1971 इस प्री-ज़ंजीर सस्पेंस थ्रिलर में, बिग बी को एक जुनूनी प्रेमी के रूप में कास्ट किया जाता है, जो लड़की के पिता को खत्म करने का फैसला करता है, जब वह अपनी बेटी से…
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kaminimohan · 2 years ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1290
उस पार अक्षर आवास में
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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कब तक!
कहाँ तक!
पता नहीं!
नश्वर है सबकुछ
कर्म-अकर्म, विकर्म पर
ज़्यादा विमर्श किया नहीं।
---------------------
काल के परे मैं नहीं हूँ
रोटी, कपड़ा और मकान तक
ही सीमित हूँ।
---------------------
सालों साल की ज़ोर आज़माइश
यहाँ क्षणभंगुर रही हर फ़रमाइश।
--------------------
लिख कर ले जाऊँगा
भरकर दोनों हाथों की मुट्ठियाँ,
तरह-तरह के भावों से
भरीं सब अधूरी चिट्ठियाँ।
---------------------
काल के उस पार के आवास
जिसका अभी तक नहीं है
कोई पता मेरे पास।
य��ार्थ मैं देख रहा हूँ
अण्डज, पिण्डज, स्वेदज, उद्भिज
सब हैं क्षणभंगुर देह-वास में
मानने को विवश हूँ!
अक्षर ब्रह्म से जन्मे सभी
विलीन हो रहे अक्षर आवास में।
---------------------
अनश्वर के साए में
नश्वर है सबकुछ
मैं काल के अधीन
क्षणभंगुर ही हूँ।
पहले भी नहीं था
आगे भी नहीं हूँ।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
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writerss-blog · 3 years ago
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जरूरत
किसी को रोटी की जरूरत है, पेट भरने के लिए, किसी को शोहरत की जरूरत है मशहूर होने के लिए, हर इंसान अपनी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जुगत लगाता है, कोई सफल हो जाता है तो कोई भूखा रह जाता है । रोटी कपड़ा और मकान की ख्वाहिश में ना जाने कितने गुमनामी में दम तोड़ देते हैं, ना जाने कितने एक गज कफन भी मयस्सर ना होने पर लावारिश जमींदोज हो जाते हैं ।।
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shweta-ke-shabd · 5 years ago
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लॉकडाउन ना होता तो
शायद कम से कम दो बार तो घर से डॉक्टर के पास हो आते
हम सीखे, खुद की ज्यादा केयर करना या शायद छोटी बीमारी ��े ध्यान ना देना
लॉकडाउन ना होता तो कितने ही रूपए की शॉपिंग कर चुके होते
हम सीखे है शायद हम बेफिजूल की खरीदारी करते आए है
हमारे फेवरेट ब्रांड के बिना भी हम रह सकते, ये जान पाते क्या कभी
ये भी कन्हा पता चलता के कितने ही पकवान , डिशेज हम घर पे भी बना सकते है
लॉकडाउन ने सिखाया हम अपने काम खुद करने की आदत होनी चाहिए बल्कि कुछ चीजों का बेसिक भी आना चाहिए,
लॉकडाउन ने ही तो एक बार फिर अपनी हॉबी की याद दिलाई
और सिखा मैने ज़रूरत की चीज़े के आज २०२० में भी रोटी ,कपड़ा और मकान ही हैं।
जिस फैमिली के लिए काम में लगे थे, उसके साथ फुर्सत के साथ वक्त बिताने की भी तो मिला लॉकडाउन में ही तो मिला
ज़िन्दगी सिर्फ़ भागते रहने का नाम नहीं है,
थोड़ा ठहराव भी ज़रूरी है ,अगले मंज़िल के लिए तैयार होने को...
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nationalnewsindia · 2 years ago
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rudrjobdesk · 2 years ago
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Google ने खोला शादीशुदा महिलाओं की सर्च हिस्ट्री से जुड़ा राज, बताया सबसे ज्यादा क्या खोजती हैं औरतें
Google ने खोला शादीशुदा महिलाओं की सर्च हिस्ट्री से जुड़ा राज, बताया सबसे ज्यादा क्या खोजती हैं औरतें
आज के वक्त में गूगल सर्च (Married women Google Search) हमारे लिए रोटी, कपड़ा और मकान की तरह बेहद जरूरी हो चुका है. वो इसलिए क्योंकि इस एक मात्र वेबसाइट से हम दुनिया से जुड़ी किसी भी चीज के बारे में जान सकते हैं. पिन से लेकर प्लेन तक हर चीज की जानकारी रखने वाली ये साइट हर साल एक रिपोर्ट जारी करती है जिसके जरिए वो ये बताती है कि लोगों ने उस एक साल में सबसे ज्यादा साइट पर क्या सर्च किया. इस रिपोर्ट…
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trendingnewsstuff · 3 years ago
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दुनिया का सबसे खराब घर, जिसकी कीमत तो 14 करोंड़ रुपये है लेकिन हालत 100 रुपये के बराबर भी नहीं!
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इस दुनिया के हर व्यक्ति की सबसे पहली ज़रुरत रोटी, कपड़ा और मकान होती है। दुनिया हर एक शख्स यह सपना देखता है कि एक दिन वह भी अपने पैसों से खरीदे गए घर में रहेगा, उसे सजाएगा-सवांरेगा।
हर किसी की इच्छा होती है कि वह एक अच्छा घर खरीदे जिसकी कंडीशन ठीका-ठाक हो। उसके घर में बेडरुम, किचन, हॉल, बाथरुम आदि जैसी मूलभूत जगहों पर प्रॉपर स्पेस हो। घर का फर्नीचर बेस्ट क्वालिटी का हो, मतलब कि डेमेज ना हो।
लेकिन क्या आप कभी खंडहर हुए घर को खरीदना चाहेंगे? जी सही कहा आपने...नहीं....सही बात है जब आप इतना रुपया खर्च कर रहे हैं तो खंडहर लेकर क्या करेंगे। लेकिन दुनिया में एक ऐसा घर है जो पूरी तरह से कबाड़ा हो चुका है बावजूद इसके वह 14 करोंड़ रुपये में बिका है।
जी हां...14 करोंड़ क्या आप कभी किसी टूटे-फूटे घर के लिए इतने पैसे खर्च करेंगे? दरअसल, यह घर सैन फ़्रांसिस्को, अमेरिका ��ें स्थित है। इसे $1.97 मिलियन में बेंचा गया है, जिसकी भारतीय बाज़ार में कुल कीमत 14 करोंड़ रुपये है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपस्केल नोई वैली में बना यह घर उस इलाके का सबसे बर्बाद घरों में से एक है। इसकी फर्श भी पूरी तरह से खराब हो चुकी है। घर की सीढ़ियों को देखकर लगता है कि बस आज ही गिर जाएंगी। घर में सिर्फ एक हॉल, एक बाथरुम और एक किचन बना हुआ जिसकी भी हालत पूरी तरह से खस्ता ही है।
बाथरुम में एक बाथटब मौजूद है जो कि पूरी तरह से टूट चुका है, उसके आसपास लगे टाइल्स इतने गंदे हैं कि उन्हें उखाड़कर फेंकने के अलावा कोई चारा नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, यह घर तकरीबन 120 साल पहले तैयार किया गया था। जिसमें फिलहाल कोई नहीं रहता। इस घर में लगे बिजली के उपकरणों को देखकर पता चलता है कि ये 20वीं शताब्दी में लगाए गए थे।
गौरतलब है, जिस इलाके में यह घर बना हुआ है वहां पर इसे कॉन्ट्रैक्टर्स स्पेशल के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ यह है कि एक बेहद ही खूबसूरत और पॉश इलाके का सबसे खराब और टूटा-फूटा घर। हालांकि, इस घर के आस-पास बने घर काफी खूबसूरत हैं।
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prakhar-pravakta · 3 years ago
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पहाड़ के 50 गांवों के बीच नहीं है एक भी सरकारी डॉक्टर
मैहर ।राजनैतिक मंचों में दर्जनों माला पहनकर विकास की गंगा बहाने वाले उन माननीयों तक यह खबर पहुंचनी चाहिए जो अपने लच्छेदार भाषणों के बदले तालियों की वाहवाही बटोरते फिरते हैं।एक तरफ रोटी कपड़ा और मकान दूसरी तरफ शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क के दिवा स्वप्न में खोया आम आदमी विकास की उम्मीद के लाली पाप से हारा थका है लेकिन चार दशक गुजर जाने के बाद भी जब 50 गांवों के बीच एक भी सरकारी डॉक्टर न पदस्थ हो सका…
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sirmanojyadav · 3 years ago
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देश को सिर्फ रोटी-कपड़ा, मकान-रोजगार, शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली-पानी और सड़क की जरुरत है. (at Lucknow, Uttar Pradesh) https://www.instagram.com/p/Cceiu39PA5R/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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sambadiyanews · 3 years ago
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हाजीपुर : रोटी,कपड़ा और मकान के बाद सबसे अहम है शिक्षा : वशिष्ठ प्रसाद।
हाजीपुर : रोटी,कपड़ा और मकान के बाद सबसे अहम है शिक्षा : वशिष्ठ प्रसाद।
हाजीपुर(वैशाली)। रोटी, कपड़ा और मकान के बाद यदि किसी व्यक्ति को एक और अहम चीज की जरूरत है तो वह है शिक्षा।इसके बिना व्यक्ति पशु के समान है।इससे जीवन का अंधकार मिटता है और व्यक्ति इसके उजाले में जीवन के जरुरी अवसर ढूंढ लेते हैं।हम यदि शिक्षित हैं तो हमारा दायित्व है समाज के वैसे हर व्यक्ति को शिक्षित बनाना जो इसके बिना आज भी जिल्लत की जिन्दगी जीने को मजबूर हैं।आंकड़े बताते हैं कि आज भी हम पूर्णतः…
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