#काव्य
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माझ्या डावीकडे तू एका वहीत काहीतरी लिहत होतास पण रोमन अक्षरांतले ते शब्दं मी वाचले नाहीत सिनेमा हॉलमध्ये अंधार व्हायला अजून वेळ होता पण त्या गोष्टींच्या अंधारात तुझे शब्दं टिकणार नाहीत
जागेत बसून डोळे वळवले डावीकडे, तरी तुझं लेखन वाचायची हिंमत झाली नाही असती हिंमत तर निर्लज्जपणे तुझे शब्दं त्या कृत्रिम प्रकाशात वाचून काढले असते मग ते मला पटतात का, पटत नाहीत का, या सगळ्याचा विचार करून तुझी कवटी कोरली असती व त्यातले विचार चावून गिळले किंवा थुकले असते
पण नजरेला रोखून मी माझ्या फोनचा पडदा पाहत बसलो तेच ते डिस्कॉर्डवरचे संदेश, तेच ते टंब्लरवरचे पोस्ट पण मनात तुझ्या मांडीवरची ती वही, काळ्या पेनाची ती अक्षरं कोणतं कारण काढू, की ज्याने मला त्यांच्यातला अर्थ मिळेल?
तसाच विचार झाला, की तुझे ते हस्तलिखित शब्द जर का इंटर��ेटवर कोणत्यातरी अमेरिकन सर्व्हरच्या कोपर्यात बसले असते तर ते मी मोकळ्या मनाने वाचू शकलो असतो, समजू शकलो असतो तशीच तू तुझी वही बंद करून पायाजवळच्या बॅगेत टाकलीस
#marathi#indian languages#कविता#happened to me yesterday#felt like turning it into a poem#first of many? we can only hope#काव्य
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1463.
सबसे बड़ा दोष
- © कामिनी मोहन।
वे जो चलते-फिरते दिखते हैं
हैं मरे हुए पर जीवित से फिरते हैं
अवसाद की खाई में हैं गिरे हुए
पीड़ा से भरा चित्कार सुनते हैं।
नहीं समझते
दोषरहित दिखने की कोशिश
है सबसे बड़ा दोष
इस रक्तरंजित जीवन संसार में
कविता के साथ चिह्नित
शब्द भी दोषी बन घुटते हैं।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
#kaminimohanspoetry#kavyasadhana काव्यस्यात्मा#kaminimohansworld#poetry#kaminimohan#साधना आराधना#hindi#काव्यस्यात्मा#काव्य#poets on tumblr
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संदूक पुरानी यादों का!
नयी यादों का पिटारा तो लिए घूमता हूँ
उन्हें मैं अक्सर उलटता पलटता रहता हूँ
पिटारे को मैं झाड़ता पोंछता भी रहता हूँ
उन यादों को धूप हवा लगवाता रहता हूँ!
मगर मेरी पुरानी यादों की भी कमी नहीं
बड़ा सा संदूक है मेरे पास उन यादों का
दिल के किसी अंधेरे कोने में रखा है मैंने
ख़ासा भारी है अक्सर बन्द पड़ा रहता है!
हर जगह उठाए घूमना मुमकि�� भी नहीं
वो संदूक रोज़ रोज़ खुलता भी कहाँ है
गर्द की परतें जमी नज़र आती हैं उसपर
अक्सर वक़्त का दीमक दिखाई देता है!
दिल की कोई टीस संदूक खोल देती है
जब पुराने ज़ख़्म कोई कुरेद देता है मेरे
या फिर कुछ मीठी यादों के झोंके कभी
लाएँ उमड़ते जज़्बात संदूक की जेर मुझे!
अक्सर सोचा अब संदूक खोलता ही रहूँ
झाड़ू पोंछूँ यादों को हवा मैं लगवाता रहूँ
देखूँ उमड़ते सवालों के कोई जबाब मिलें
शायद भटकते जज़्बात का ये तूफ़ान टले!
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समर्पण, माखनलाल चतुर्वेदी, काव्य
समर्पण न मुझमें रंग, न मुझमें रूप, न दीखे मेरा कहीं शरीर। किन्तु मेरे प्राणों पर हाय, टूटते हो तुम आलमगीर! मधुरिमे! तू कितनी लाचार, अभागा मैं वीणा का तार। विवश मैं तो वीणा का तार। माखनलाल चतुर्वेदी #काव्य_कृति #लेखनी looking at this Sculpture of Rani Ki Vav these lines came to mind. There could be many more thoughts
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कवि मीनालाई काव्य सम्मान
साहित्य संगम नुवाकोटले कवि मीना श्रेष्ठलाई काव्य पुरस्कारद्वारा सम्मानित गरेको छ ।
विदुर – साहित्य संगम नुवाकोटले कवि मीना श्रेष्ठलाई काव्य पुरस्कारद्वारा सम्मानित गरेको छ । शनिबार शिवपुरी गाउँपालिकाको थानापति स्थित जनज्ञान निकेतन माविमा आयोजित संगमको “गाउँगाउँमा साहित्य” कार्यक्रममा कवि श्रेष्ठलाई सम्मान गरिएको हो । कवि श्रेष्ठको “फर्गेट एस्टर्डे” कवितासंग्रहको “आईमाई बस्ने घर” नामक कवितालाई छनौट गरी सम्मान गरिएको संगमका अध्यक्ष सुमित्रा सुमीले जानकारी दिए । कवि श्रेष्ठ…
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Hindi Poems of Ravindra Pratap Singh
सतरंगे भाव इस बसंतप्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह ‘सतरंगी भाव इस बसंत’ प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह का एक काव्य संग्रह है जिनमें उनके 11 कविताएं संग्रहित हैं । सभी कविताएं संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार से श्रृंगारित हैं । इन कविताओं नई कविता और नवगीत के शिल्प में आबद्ध किया गया है । शब्द और कहन दोनों ही अपने आप अनूठे हैं । एक पाठक के तौर यह कविताएं प्रशंसनीय है । 1.संवाद का अभाव वह सिसकती…
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#Hindi Poems of Ravindra Pratap Singh#रवीन्द्र प्रताप सिंह का काव्य#रवीन्द्र प्रताप सिंह की ग़ज़लें#रवीन्द्र प्रताप सिंह की हिंदी कवितायेँ#रवीन्द्र प्रताप सिंह के नवगीत
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इति-आदि
इति-आदि कापुरुष गंजे फ़रिश्ते उर्फ़ द्रोणविश्वविद्यालयअपणु टकसाल के नंदनखोटे न खरे — और सिक्के भी नहीं ll१ll राजनीति ��ास्त्र में अव्वलअख़बारी चीथड़े पे चित्र …………..अखिल भारतीय नेता संघ ……..चपड़ासी …….. . …… ( चित्र का जुड़वाँ भाई )दौलतखाना-ए-चपड़ासी ……..सभ्यता-शून्य कमरा ……एक दीवार, कलिमा ………फ्रेम: अख़बारी कटिंग, एवंप्रमाण-पत्र — अव्वल ………( दोनों में पासपोर्ट साईज़ फ़ोटो भी ) ……. ll१ll llएकll ……… llएकll…
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#इति-आदि#दलवीर काव्य#दलवीर गिल#दलवीर गिल दलवीर शौदा दलवीर कावि दलवीर हिंदी काव्य#दलवीर हिंदी काव्य#हिंदी काव्य#ਦਲਵੀਰ ਗਿੱਲ#Dalvir Gill#Poetry
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कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ / कृष्ण काव्य की विशेषताएं
कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ सगुण-कृष्ण भक्ति-सगुण कृष्ण भक्ति काव्य से अभिप्राय उस काव्य से है जिसमें कवियों ने ईश्वर का रूप श्रीकृष्ण में देखकर अपने काव्य की रचना की। कवियों ने इस काव्य में श्रीकृष्ण के बाल रूप से लेकर उनके ईश्वरमय रूप तक की वंदना की है। कृष्ण भक्ति के प्रणेता वल्लभाचार्य हैं। उन्होंने पुष्टि-मार्ग का प्रतिपादन किया, जिसमें उन्होंने आठ कवियों (सूरदास, कृष्णदास, परमानंद दास,…
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#Krishna kavya Dhara Ki Pravritiyan#Krishna Kavya Ki Visheshtayen#कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ#कृष्ण काव्य की विशेषताएँ
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तुम बनारस की शाम प्रिय
मैं बादलों की बौछार हूं ;
तुम्हें बारिश से लगाव प्रिय
मैं तुम पे बरसता आठों याम हूं।
तुम ढूंढो मुझे हर पहर प्रिय
मैं तुमसे दूर इतने नाम हूं ;
तुम संसार का आरंभ प्रिय
और मैं तुम पे ही समाप्त हूं।
तुम फूलों की महक प्रिय
मैं काटो के समान हूं ;
तुम चांद सी हो शांत प्रिय
मैं तुम्हारी रोशनी के समान हूं।
( Throwback to the to time when I wrote this on 6th March 2023 at 6:32am missing banaras my hometown, immensely. Also this is the foremost hindi काव्य written by me. 🥹)
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लखनऊ, 23.12.2024 | भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं महान कवि भारत रत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की 100वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं लखनऊ मॉडर्न पब्लिक इंटर कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ मॉडर्न पब्लिक इंटर कॉलेज, इन्साफ नगर, सेक्टर-10, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" तथा "काव्य पाठ" का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा लखनऊ मॉडर्न पब्लिक इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती रागिनी ��्रीवास्तव एवं हिंदी प्रवक्ता, श्री प्रशांत शुक्ला ने दीप प्रज्वलित किया । साथ ही शिक्षकों ने माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया ।
इस प्रेरणादायक अवसर पर विद्यालय के 10 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने अपनी सुमधुर कविताओं से कार्यक्रम को भावपूर्ण और उल्लासमय बना दिया । विद्यार्थियों ने भारत रत्न माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की कविता आओ फिर से दिया जलाएं, महाकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की प्रेरणादायक कविताओं किसको नमन करूं मैं भारत, रश्मिरथी, श्री मैथिलीशरण गुप्त की कविता नर हो, ना निराश करो मन को गाकर वहां उपस्थित सभी लोगों के हृदय में देशभक्ति का भाव सृजित कर दिया |
लखनऊ मॉडर्न पब्लिक इंटर कॉलेज के हिंदी प्रवक्ता, श्री प्रशांत शुक्ला ने कहा कि, “श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी राजनीति के महान नेता एवं एक प्रेरणादाई कवि भी थे । उनके व्यक्तित्व का यह अनूठा मेल हमें हमेशा प्रेरित करता है । वह न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, बल्कि कवि के रूप में भी अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से समाज को जागरूक करने और मार्गदर्शन देने का कार्य करते थे । उनकी कविताएं आज भी हमारे दिलों में गूंजती हैं । उन्होंने कहा था, "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा ।" उनके इन शब्दों में जीवन के प्रति उनकी अडिग सोच और संघर्ष की भावना की झलक मिलती है । उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों की महिमा का प्रचार किया । आज हम श्रद्धा और सम्मान के साथ उन्हें नमन करते हैं । उनकी कविताओं में वह साहस और प्रेरणा है, जो हमें जीवन में सही दिशा दिखाती है । उनकी कविताएं और विचार हमे सदैव मार्गदर्शन देते रहेंगे ।“
सभी विजयी प्रतिभागियों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार प्रदान किए गए | पुरस्का��ों से सम्मानित होने वाले प्रतिभागियों की सूची निम्नलिखित है:
तान्या - कक्षा 7th
अंश बाजपेई - कक्षा 6th
रिया - कक्षा 12th
कशिश - कक्षा 12th
आदर्श शुक्ला - कक्षा 9th
अदिति प्रजापति – कक्षा 9th
आयुषी सिंह - कक्षा 10th
निशि - कक्षा 12th
सानिया - कक्षा 11th
यश - कक्षा 10th
कार्यक्रम में मॉडर्न पब्लिक इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती रागिनी श्रीवास्तव, हिंदी प्रवक्ता, श्री प्रशांत शुक्ला शिक्षकों श्रीमती रुचि म���श्रा, श्रीमती पूनम गुप्ता, श्रीमती पूनम त्रिपाठी, श्रीमती विशाखा मीन, श्रीमती उर्मिला पांडे, श्रीमती स्वीटी पांडे, सुश्री अंजलि, सुश्री नीलम यादव, साजिया खान जी, सुश्री पूजा त्यागी, सुश्री नमिता नकला, सुश्री सौम्या अग्निहोत्री, सुश्री बबिता सिंह, सुश्री रोज, श्री सच्चिदा नंद, श्री स्वेतांग वाजपेई, श्री मंगेश कुमार श्री उदय सिंह, श्री मनीष श्रीवास्तव, छात्र-छात्राओं एवं ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
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*ऐसी जानकारी बार-बार नहीं आती, और आगे भेजें, ताकि लोगों को सनातन धर्म की जानकारी हो सके आपका आभार धन्यवाद होगा*
1-अष्टाध्यायी पाणिनी
2-रामायण वाल्मीकि
3-महाभारत वेदव्यास
4-अर्थशास्त्र चाणक्य
5-महाभाष्य पतंजलि
6-सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन
7-बुद्धचरित अश्वघोष
8-सौंदरानन्द अश्वघोष
9-महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र
10- स्वप्नवासवदत्ता भास
11-कामसूत्र वात्स्यायन
12-कुमारसंभवम् कालिदास
13-अभिज्ञानशकुंतलम् कालिदास
14-विक्रमोउर्वशियां कालिदास
15-मेघदूत कालिदास
16-रघुवंशम् कालिदास
17-मालविकाग्निमित्रम् कालिदास
18-नाट्यशास्त्र भरतमुनि
19-देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त
20-मृच्छकटिकम् शूद्रक
21-सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट
22-वृहतसिंता बरामिहिर
23-पंचतंत्र। विष्णु शर्मा
24-कथासरित्सागर सोमदेव
25-अभिधम्मकोश वसुबन्धु
26-मुद्राराक्षस विशाखदत्त
27-रावणवध। भटिट
28-किरातार्जुनीयम् भारवि
29-दशकुमारचरितम् दंडी
30-हर्षचरित वाणभट्ट
31-कादंबरी वाणभट्ट
32-वासवदत्ता सुबंधु
33-नागानंद हर्षवधन
34-रत्नावली हर्षवर्धन
35-प्रियदर्शिका हर्षवर्धन
36-मालतीमाधव भवभूति
37-पृथ्वीराज विजय जयानक
38-कर्पूरमंजरी राजशेखर
39-काव्यमीमांसा राजशेखर
40-नवसहसांक चरित पदम् गुप्त
41-शब्दानुशासन राज��ोज
42-वृहतकथामंजरी क्षेमेन्द्र
43-नैषधचरितम श्रीहर्ष
44-विक्रमांकदेवचरित बिल्हण
45-कुमारपालचरित हेमचन्द्र
46-गीतगोविन्द जयदेव
47-पृथ्वीराजरासो चंदरवरदाई
48-राजतरंगिणी कल्हण
49-रासमाला सोमेश्वर
50-शिशुपाल वध माघ
51-गौडवाहो वाकपति
52-रामचरित सन्धयाकरनंदी
53-द्वयाश्रय काव्य हेमचन्द्र
वेद-ज्ञान:-
प्र.1- वेद किसे कहते है ?
उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने दिया।
प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।
प्र.5- वेद कितने है ?
उत्तर- चार ।
1-ऋग्वेद
2-यजुर्वेद
3-सामवेद
4-अथर्ववेद
प्र.6- वेदों के ब्राह्मण ।
वेद ब्राह्मण
1 - ऋग्वेद - ऐतरेय
2 - यजुर्वेद - शतपथ
3 - सामवेद - तांड्य
4 - अथर्ववेद - गोपथ
प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर - चार।
वेद उपवेद
1- ऋग्वेद - आयुर्वेद
2- यजुर्वेद - धनुर्वेद
3 -सामवेद - गंधर्ववेद
4- अथर्ववेद - अर्थवेद
प्र 8- वेदों के अंग हैं ।
उत्तर - छः ।
1 - शिक्षा
2 - कल्प
3 - निरूक्त
4 - व्याकरण
5 - छंद
6 - ज्योतिष
प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर- चार ऋषियों को।
वेद ऋषि
1- ऋग्वेद - अग्नि
2 - यजुर्वेद - वायु
3 - सामवेद - आदित्य
4 - अथर्ववेद - अंगिरा
प्र.10- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर- समाधि की अवस्था में।
प्र.11- वेदों में कैसे ज्ञान है ?
उत्तर- सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।
प्र.12- वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- चार ।
ऋषि विषय
1- ऋग्वेद - ज्ञान
2- यजुर्वेद - कर्म
3- सामवे - उपासना
4- अथर्ववेद - विज्ञान
प्र.13- वेदों में।
ऋग्वेद में।
1- मंडल - 10
2 - अष्टक - 08
3 - सूक्त - 1028
4 - अनुवाक - 85
5 - ऋचाएं - 10589
यजुर्वेद में।
1- अध्याय - 40
2- मंत्र - 1975
सामवेद में।
1- आरचिक - 06
2 - अध्याय - 06
3- ऋचाएं - 1875
अथर्ववेद में।
1- कांड - 20
2- सूक्त - 731
3 - मंत्र - 5977
प्र.14- वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
प्र.15- क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- बिलकुल भी नहीं।
प्र.16- क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर- नहीं।
प्र.17- सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- ऋग्वेद।
प्र.18- वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व ।
प्र.19- वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?
उत्तर-
1- न्याय दर्शन - गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन - कणाद मुनि।
3- योगदर्शन - पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन - जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन - कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन - व्यास मुनि।
प्र.20- शास्त्रों के विषय क्या है ?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, ज��त की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्र.21- प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर- केवल ग्यारह।
प्र.22- उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-
01-ईश ( ईशावास्य )
02-केन
03-कठ
04-प्रश्न
05-मुंडक
06-मांडू
07-ऐतरेय
08-तैत्तिरीय
09-छांदोग्य
10-वृहदारण्यक
11-श्वेताश्वतर ।
प्र.23- उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- वेदों से।
प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
🕉️प्र.25- चार युग।
1- सतयुग - 17,28000 वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।
कलयुग के 5122 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।
4,27024 वर्षों का भोग होना है।
🚩पंच महायज्ञ
1- ब्रह्मयज्ञ
2- देवयज्ञ
3- पितृयज्ञ
4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
5- अतिथियज्ञ
🔴स्वर्ग - जहाँ सुख है।
👉नरक - जहाँ दुःख है।.
*#भगवान_शिव के* *"35"* रहस्य!!!!!!!!#
भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।
*🔱1. आदिनाथ शिव : -* सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।
*🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : -* शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।
*🔱3. भगवान शिव का नाग : -* शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।
*🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : -* शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।
*🔱5. शिव के पुत्र : -* शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।
*🔱6. शिव के शिष्य : -* शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशाला��्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
*🔱7. शिव के गण : -* शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गो��र्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।
*🔱8. शिव पंचायत : -* भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।
*🔱9. शिव के द्वारपाल : -* नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।
*🔱10. शिव पार्षद : -* जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।
*🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : -* शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में विभक्त हो गई।
*🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : -* ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
*🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : -* भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।
*🔱14. शिव चिह्न : -* वनवासी से लेकर सभी साधारण व्यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं
*🔱15. शिव की गुफा : -* शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह ��ुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने ��हां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है।
*🔱16. शिव के पैरों के निशान : -* श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।
🚩रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे 'रुद्र पदम' कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।
🚩तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।
जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
🔱रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर 'रांची हिल' पर *शिवजी के पैरों* के निशान हैं। इस स्थान को 'पहाड़ी बाबा मंदिर' कहा जाता है।
*🔱17. शिव के अवतार : -* वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।
*🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : -* शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।
*🔱19.* तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।
*🔱20.शिव भक्त : -* ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर ��ृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
*🔱21.शिव ध्यान : -* शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
*🔱22.शिव मंत्र : -* दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- *ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥* है।
*🔱23.शिव व्रत और त्योहार : -* सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।
*🔱24.शिव प्रचारक : -* भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
*🔱25.शिव महिमा : -* शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।🚩🕉️🔱🪔🔔
*🔱26.शैव परम्परा : -* दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
*🔱27.शिव के प्रमुख नाम : -* शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
*🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : -* शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मो���्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ��्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
*🔱29.शिव ग्रंथ : -* वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।
*🔱30.शिवलिंग : -* वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।
*🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : -* सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
🔴 दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्योति पिंड पृथ्वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्योतिर्लिंग में शामिल किया गया।🪷🌹🪔
*🔱32.शिव का दर्शन : -* शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।🚩🕉️🦚
*🔱33.शिव और शंकर : -* शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर ��ो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
*🔱34. देवों के देव महादेव :* देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।🚩🕉️
*🔱35. शिव हर काल में : -* भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए ।
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ज्यांनी हे शहर बांधले, ते केव्हाच वारले पुढच्या जन्मी ते या शहरात भोकं पाडायला आले
तिचा चेंडू कधी इथल्या गटारात हरवलेला, आता या चौकात तिला थांबायला वेळ नाही या शहरात कुठेही जाण्यासाठी लढावं लागतं, तरीच पावलांचं संगीत ऐकायला वेळ नाही
आठवणी टाकल्या बाथरूमच्या फरशीवर, फुलांच्या साबणाने धुवून काढल्या, तरी पुढच्या दिवशी पुन्हा तीच गर्दी, तीच जागा, त्याच पावलांवर त्याच मृतांच्यांचे तेच आत्मे
तिची ती आवृत्ती गटारात बुडली, आणि तिची आणखीन एक आवृत्ती बुडली सिमेंटात एक आवृत्ती वाहून गेली साबणासह, एक गेली गाणी किंचाळत, आणि एक राहिली माझ्याकडे
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1462.
ज़हर है या अमृत
राते सियाह काली हो तो
जाग जातीं हैं दसों दिशाएँ
अनादि काल से आती हुई
देखती हैं अनंत चिंताएँ
बार-बार आते इश्तेहार की तरह
क्षणिक रंग जमाते हैं
अपने जलवे दिखाकर
वे सिर्फ़ अपनी याद दिलाते हैं।
इन पर लिखी कविताएँ
तुम समझते समदर्शी है
शोर और मौन दोनों की गाथा है
सिर्फ़ एक ख़्याल है
वो करती सवाल है
ज़हर है या अमृत
तुम सोचो
यह तुम्हारे ही जी का जँजाल है।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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वो शख़्स!
दिलों में हर वक्त चलती सुगबुगाहट जाने क्यों बेचैनी सी भरती है
ख़ुशियाँ जो बयाँ कर सके उस मुस्कराहट पर दुनियाँ ही मरती है
ला-फ़ानी होने की फ़िराक़ में जीना ही भूल गया है हर शख़्स यहाँ
आब-ए-हयात पाने की चाहत में वो मारा फिरता है बस यहाँ वहाँ!
कोई समन्दर में ढूँढता है इसे तो कोई सोचता है सुकून में मिलेगा
लगता तो नहीं कोई आब-ए-हयात उसका दिल ख़ुशियों से भरेगा!
दर्द-ओ-ग़म की मारी दुनियाँ में हर तरफ़ बस ख़ौफ़ का साया है
हर शब फ़िक्र में सोती है दुनियाँ हर दिल ज़ख़्मों से भर आया है!
जाने क्यों नाउम्मीदी का आलम हर तरफ ही फैला हुआ है यहाँ
चाहे टूटने पे रोती हो मगर दुनियाँ ख़्बाव बुनने से थकती है कहाँ!
ज़ुबान भ�� जाने क्यों ज़हर उगलने को हर दम ही आमादा रहती है
ना-अहल रुकती नहीं नफ़रतों नालों की मानिंद दिलों में बहती है!
मुस्कान भरे चेहरों के पीछे छुपी बेताबी कौन जाने क्या कहती है
हँसी में छुपी आँसुओं की लड़ी बारिश के इंतज़ार में क्यों रहती है!
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नूतन काव्य प्रभा by प्रभा मिश्रा 'नूतन'
किताब के बारे में... नूतन काव्य प्रभा नामक यह काव्य संग्रह प्रसिद्ध कवयित्री प्रभा मिश्रा 'नूतन' द्वारा रचित है, जो समाजिक मुद्दों और मानवीय भावनाओं को केंद्र में रखकर कविताओं की रचना करती हैं। इस संग्रह में कवयित्री ने सामाजिक विषमताओं, संघर्षों, और मानवीय संवेदनाओं को सहज और प्रभावी भाषा में व्यक्त किया है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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"वे मुस्काते फूल नहीं जिनको आता है मुरझाना l
वे तारों के दीप नहीं जिनको भाता है बुझ जाना ll"
अपनी लेखनी में मानवीय संवेदनाओं को सुन्दर, मधुर व कोमल शब्दों में पिरोने वाली, हिंदी साहित्य की महान कवयित्री, आधुनिक मीरा तथा हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती के नाम से विख्यात, उत्तर प्रदेश की गौरव, निबंधकार, रेखाचित्र कहानी लेखिका तथा पद्म विभूषण से सम्मानित महादेवी वर्मा जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन l
अपनी काव्य कृतियों के माध्यम से समाज व हिंदी को एक नई दिशा देने के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा ।
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