#सहमत
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sex kis din karna chahiye
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Sex Kis Din Karna Chahiye?
सेक्स एक व्यक्तिगत अनुभव है, और इसके लिए कोई निश्चित "दिन" नहीं होता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियाँ और समय होते हैं, जब सेक्स करना अधिक सुखद और सुरक्षित हो सकता है। यहाँ कुछ बिंदु दिए गए हैं, जो सेक्स करने के उपयुक्त समय को दर्शाते हैं:
1. जब दोनों पार्टनर मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हों
सेक्स तभी होना चाहिए जब दोनों पार्टनर शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार महसूस करें।
आपसी सहमति और भावनात्मक जुड़ाव सबसे महत्वपूर्ण हैं।
2. आरामदायक और तनावमुक्त समय
सेक्स के लिए ऐसा समय चुनें जब आप दोनों आरामदायक और तनावमुक्त महसूस कर रहे हों।
छुट्टी के दिन, वीकेंड, या जब आपके पास एक दूसरे के लिए समय हो, तब सेक्स का अनुभव बेहतर हो सकता है।
अगर दोनों पार्टनर थके हुए हैं या तनाव में हैं, तो सेक्स से बचना चाहिए।
3. खास अवसरों पर
विवाह की सालगिरह, जन्मदिन, या स्पेशल डेट नाइट्स पर सेक्स करने से रोमांटिक माहौल बनता है।
यह समय आपके रिश्ते को और भी खास बना सकता है और भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करता है।
4. जब शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा हो
शारीरिक स्वास्थ्य का अच्छा होना सेक्स के लिए महत्वपूर्ण है।
अगर आप या आपका पार्टनर बीमार हैं, थकावट महसूस कर रहे हैं या किसी शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो इस समय सेक्स से बचना चाहिए।
5. ओव्यूलेशन के समय (गर्भवती होने के लिए)
यदि आप गर्भवती होना चाहते हैं, तो ओव्यूलेशन का समय सबसे उपयुक्त होता है। यह समय गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है।
ओव्यूलेशन का समय सामान्यतः माहवारी के मध्य में होता है, लेकिन आप इसे ट्रैक करने के लिए ओव्यूलेशन किट का उपयोग कर सकते हैं।
6. रात का समय
रात का समय अक्सर शारीरिक संबंधों के लिए अधिक उपयुक्त होता है क्योंकि दोनों पार्टनर आराम से एक-दूसरे के साथ समय बिता सकते हैं।
दिन भर की थकान के बाद, रात का समय सेक्स को अधिक रोमांटिक और सहज बना सकता है।
7. जब आपसी भावनात्मक जुड़ाव हो
सेक्स का सबसे अच्छा समय वह होता है जब दोनों पार्टनर भावनात्मक ��ूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
प्यार, समझ, और आपसी विश्वास के बिना सेक्स अनुभव को प्रभावित कर सकता है।
Click here to Read A Blog- शारीरिक संबंध कब नहीं बनाना चाहिए ?
निष्कर्ष
सेक्स का सबसे अच्छा समय वह होता है जब दोनों पार्टनर मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक रूप से इसके लिए तैयार हों। सही समय का चुनाव आपको और आपके पार्टनर को संतुष्टि और खुशी का अनुभव कराता है। हमेशा सहमति, स्वास्थ्य, और भावनात्मक जुड़ाव का ध्यान रखें।
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helputrust · 6 months ago
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17.07.2024, जयपुर | शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान तथा संगीत, फिल्म एवं मनोरंजन इंडस्ट्री के क्षेत्र में परस्पर सहभागिता हेतु निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मध्य MOU | समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया | MOU | समझौता ज्ञापन पर निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान के प्रो0 चांसलर, प्रो0 अमेरिका सिंह तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने हस्ताक्षर किये |
इस अवसर पर निम्स यूनिवर्सिटी के प्रो0 चांसलर, प्रो0 अमेरिका सिंह ने कहा कि, "इस MOU | समझौता ज्ञापन का उद्देश्य शैक्षिक उत्कृष्टता, सांस्कृतिक संवर्धन और सामाजिक कल्याण तथा संगीत, फिल्म एवं मनोरंजन इंडस्ट्री के क्षेत्र में परस्पर सहभागिता को लेकर निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर, राजस्थान और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच एक सहयोगात्मक संबंध स्थापित करना है । दोनों पक्ष आपसी उद्देश्यों को प्राप्त करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हैं ।“
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि “आज का यह अवसर हमारे लिए अत्यंत गर्व और उपलब्धि का है | निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर, राजस्थान और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच होने वाले MOU | समझौता ज्ञापन के माध्यम से हम एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं ।
हमारा उद्देश्य सदैव से ही जन हित में कार्य करना रहा है | शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में हम मिलकर अनेक परियोजनाओं पर कार्य करेंगे, जिससे न केवल हमारे छात्रों को लाभ होगा, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को भी इसका प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा ।
हम विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और सामाजिक अभियानों का आयोजन करेंगे, जो समाज के वंचित वर्गों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होंगे । हम छात्रों को केवल सैद्धांतिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान करेंगे, जिससे वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकें और एक बेहतर नागरिक बन सकें | हमे पूरा विश्वास है कि निम्स यूनिवर्सिटी और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का साथ हमारे समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा | हम सभी का सामूहिक प्रयास निश्चित रूप से हमारे उद्देश्यों की पूर्ति करेगा और समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएगा | निम्स यूनिवर्सिटी के समस्त सदस्यों का धन्यवाद ���वं आभार, जिन्होंने इस MOU को बनाने में अपना योगदान दिया । साथ ही हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सभी सदस्यों का आभार जिनकी 12 वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण ने आज के दिन को ऐतिहासिक बना दिया है |
आप यदि समाजसेवा में अपना योगदान करना चाहें तो आप हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ सकतें हैं और ट्रस्ट को अपना बह��मूल्य सहयोग प्रदान कर, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाज सेवा कर सकते हैं । यह आवश्यक नही है कि आप ट्रस्ट को आर्थिक सहयोग (Donation, Sponsorship, CSR आदि) ही प्रदान करें बल्कि आप अपने सेवा क्षेत्र के माध्यम से हमारे सलाहकार, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य, Coordinator, Goodwill Ambassador, संयुक्त तत्वावधान में आयोजन करके, भी अपना बहुमूल्य योगदान जनहित में प्रदान कर सकते हैं |”
निम्स यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, डॉ. (प्रो0) संदीप त्रिपाठी ने कहा कि “निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मध्य MOU | समझौता ज्ञापन शिक्षा के साथ संगीत, मनोरंजन एवं फिल्म इंडस्ट्री में छात्र-छात्राओं को नई दिशा प्रदान करेगा |”
इस अवसर पर निम्स यूनिवर्सिटी से डॉ. (प्रो0) संदीप त्रिपाठी (रजिस्ट्रार), डॉ. हिमांशु त्रिपाठी, डॉ. तुषार जगावत, श्री आशीष माथुर, डॉ. दीप्ति रस्तोगी, डॉ. कुलदीप सिंह झाला, डॉ. पियूष पाठक, डॉ. गोविन्द उपाध्याय, श्री राधेश्याम गुर्जर, श्री अशोक कुमार मेर, श्री आशुतोष सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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hassanriyazzsblog · 2 months ago
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𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑵𝒂𝒂𝒎 𝒔𝒆, 𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑾𝒂𝒔'𝒕𝒆.
🌹🌹 𝗖𝗢𝗡𝗧𝗘𝗡𝗧𝗠𝗘𝗡𝗧:
♦️"𝘼 𝙟𝙤𝙪𝙧𝙣𝙚𝙮 𝙩𝙤𝙬𝙖𝙧𝙙𝙨 𝙚𝙭𝙘𝙚𝙡𝙡𝙚𝙣𝙘𝙚".♦️
✨ 𝗦𝗲𝘁 𝘆𝗼𝘂𝗿 𝘀𝘁𝗮𝗻𝗱𝗮𝗿𝗱 𝗶𝗻 𝘁𝗵𝗲 𝗿𝗲𝗮𝗹𝗺 𝗼𝗳
𝗹𝗼𝘃𝗲 ❗
*(اپنا مقام پیدا کر...)*
؏ *تم جو نہ اٹھے تو کروٹ نہ لے گی سحر.....*
🔹𝟭𝟬𝟬 𝗣𝗥𝗜𝗡𝗖𝗜𝗣𝗟𝗘𝗦 𝗙𝗢𝗥
𝗣𝗨𝗥𝗣𝗢𝗦𝗘𝗙𝗨𝗟 𝗟𝗜𝗩𝗜𝗡𝗚. 🔹
(ENGLISH/اردو/हिंदी)
8️⃣0️⃣ 𝗢𝗙 1️⃣0️⃣0️⃣
💠 𝗖𝗢𝗡𝗧𝗘𝗡𝗧𝗠𝗘𝗡𝗧:
𝗧𝗵𝗲 𝗣𝗿𝗼𝗽𝗵𝗲𝘁 𝗼𝗳 𝗜𝘀𝗹𝗮𝗺ﷺ 𝗼𝗻𝗰𝗲 𝗼𝗯𝘀𝗲𝗿𝘃𝗲𝗱, "𝗦𝘂𝗰𝗰𝗲𝘀𝘀𝗳𝘂𝗹 𝗶𝘀 𝘁𝗵𝗲 𝗼𝗻𝗲 𝘄𝗵𝗼𝗺 𝗚𝗼𝗱 𝗵𝗮𝘀 𝗽𝗿𝗼𝘃𝗶𝗱𝗲𝗱 𝘀𝘂𝘀𝘁𝗲𝗻𝗮𝗻𝗰𝗲 𝗮𝗰𝗰𝗼𝗿𝗱𝗶𝗻𝗴 𝘁𝗼 𝗵𝗶𝘀 𝗻𝗲𝗲𝗱𝘀, 𝗮𝗻𝗱 𝗵𝗲 𝗶𝘀 𝘀𝗮𝘁𝗶𝘀𝗳𝗶𝗲𝗱 𝘄𝗶𝘁𝗵 𝘁𝗵𝗮𝘁 𝗽𝗿𝗼𝘃𝗶𝘀𝗶𝗼𝗻."
(Sunan ibn Majah, Hadith No. 4138)
● It becomes clear from this observation that the secret of success lies in being content with what one has received instead of grieving over what one has not received.
● Whenever a person in the world tries to earn according to the right principles, he will earn enough to meet his needs.
● If he agrees to what he has earned, he will get the benefit in the form of peace of mind.
● But peace always comes from contentment, which means being satisfied with what one receives.
● On the contrary, a person who underestimates what he has received and keeps running towards what he did not have will never be satisfied.
● For there is no limit to things in the world, no matter how many things a person accumulates, there will still be something that he will be tempted to acquire.
● In that way, he will always be greedy for more and more.
● Consequently, he will live a life of restlessness until the day he dies.
🌹🌹And Our ( Apni ) Journey Continues...
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؏ منزل سے آگے بڑھ کر منزل تلاش کر
مل جائے تجھکو دریا تو سمندر تلاش کر
0️⃣8️⃣ قناعت:
پیغمبر اسلام صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک بار فرمایا: ’’کامیاب وہ ہے جسے اللہ تعالیٰ نے اس کی ضرورت کے مطابق رزق دیا اور وہ اس رزق سے راضی ہو‘‘۔
(سنن ابن ماجہ، حدیث نمبر 4138)
● اس حدیث سے یہ بات واضح ہو جاتی ہے ��ہ کامیابی کا راز جو نہیں ملا اس پر غمگین ہونے کے بجائے اس پر راضی رہنے میں مضمر ہے۔
● دنیا میں جب بھی کوئی شخص صحیح اصولوں کے مطابق کمانے کی کوشش کرے گا تو وہ اپنی ضروریات پوری کرنے کے لیے اتنا کمائے گا۔
● اگر وہ اپنی کمائی پر راضی ہو جائے تو اسے ذہنی سکون کی صورت میں فائدہ ملے گا۔
● لیکن امن ہمیشہ قناعت سے حاصل ہوتا ہے، جس کا مطلب ہے کہ جو کچھ ملتا ہے اس سے مطمئن رہنا۔
● اس کے برعکس، جو شخص اپنے حاصل کردہ کو کم سمجھتا ہے اور جو اس کے پاس نہیں تھا اس کی طرف دوڑتا رہتا ہے، وہ کبھی مطمئن نہیں ہوگا۔
● اس لیے کہ دنیا میں چیزوں کی کوئی حد نہیں، انسان کتنی ہی چیزیں جمع کر لے، پھر بھی کچھ نہ کچھ ضرور ہوگا جسے حاصل کرنے کے لیے اسے آزمایا جائے گا۔
● اس طرح وہ ہمیشہ زیادہ سے زیادہ کا لالچی رہے گا۔
● چنانچہ وہ مرنے کے دن تک بے سکونی کی زندگی بسر کرے گا۔
🌹🌹اور ہمارا سفر جاری ہے...
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8️⃣0️⃣ संतोष:
पैगम्बरे इस्लामﷺ ने एक बार कहा था, "सफल वह व्यक्ति है जिसे अल्लाह ने उसकी आवश्यकताओं के अनुसार जीविका प्रदान की है और वह उस प्रावधान से संतुष्ट है।"
(सुनन इब्न माजाह, हदीस नंबर 4138)
● इस अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि सफलता का रहस्य, जो मिला है उससे संतुष्ट रहने में निहित है, न कि जो नहीं मिला है उस पर दुखी होने में।
● दुनिया में जब भी कोई व्यक्ति सही सिद्धांतों के अनुसार कमाने की कोशिश करता है, तो वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त कमा लेता है।
● यदि वह अपनी कमाई से सहमत हो जाए तो उसे मानसिक शांति के रूप में लाभ मिलेगा।
● लेकिन शांति हमेशा संतोष से आती है, जिसका अर्थ है कि जो मिलता है, उससे संतुष्ट रहना।
● इसके विपरीत, जो व्यक्ति अपने पास जो कुछ है उसे कम आंकता है तथा जो उसके पास नहीं है उसकी ओर भागता रहता है, वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकता।
● क्योंकि संसार में वस्तुओं की कोई सीमा नहीं है, चाहे कोई व्यक्ति कितनी भी वस्तुएं एकत्रित कर ले, फिर भी कुछ न कुछ ऐसा अवश्य होगा जिसे प्राप्त करने का उसे प्रलोभन होगा।
● इस तरह, वह हमेशा अधिक से अधिक पाने का लालची रहेगा।
● परिणामस्वरूप, वह मरते दम तक बेचैनी का जीवन जीएगा।
🌹🌹और हमारा सफर जारी है...
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speedywitchparadise · 3 months ago
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#व्रत_कैसे_करें
आज से ही यैसा व्रत करे जिसमे कोई भी माँ बहन को गलत दृष्टि से नही देखगें
और कोई देखेगा तो उसका विरोध भी करेंगे
उसको समझाएंगे भी प्यार से
ना की मारधाड़ से
क्या आप सहमत है ।
आओ ऐसा व्रत करें
Sant Rampal Ji Maharaj
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spiritualraja · 4 months ago
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समाज में परंपराएं और अंधविश्वास: एक सोचने योग्य विषय
हमारा समाज विभिन्न परंपराओं और मान्यताओं से भरा हुआ है। कई बार ऐसा लगता है कि कुछ चीजें केवल इसलिए चली आ रही हैं क्योंकि वे सदियों से चली आ रही हैं। पर क्या हमने कभी गंभीरता से सोचा है कि इनमें से कितनी चीजें वास्तव में आज के दौर में प्रासंगिक हैं? क्या जाति व्यवस्था की अब भी आवश्यकता है? क्या महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नियम वास्तव में सही हैं? क्या अंधविश्वासों को बिना प्रश्न किए मानते जाना उचित है?
मेरा नाम राजा है, और मेरी उम्र 22 वर्ष है। मैं यह दावा नहीं करूंगा कि मेरे पास ज्ञान का विशाल भंडार है, लेकिन अपने जीवन के इस ��ोड़ पर इतना जरूर समझ चुका हूं कि कई सामाजिक मान्यताएं केवल परंपराओं का अनुसरण हैं, जिनका तर्क से कोई लेना-देना नहीं है। ये सवाल मैंने खुद से भी पूछे थे, और लंबे समय तक सोचने और पढ़ने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि ये परंपराएं और अंधविश्वास सिर्फ सामाजिक नियमों का हिस्सा बन गए हैं जिन्हें हम बिना सोचे-समझे मानते जा रहे हैं।
हम अपने आस-पास के समाज में इन चीजों को होते हुए देखते हैं—बाजारों में, गलियों में, और हमारे सामाजिक ढांचे के हर हिस्से में। फिर भी, हम में से बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इन परंपराओं और मान्यताओं पर सवाल उठाते हैं। जब मैं देखता हूं कि आज भी समाज में जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव हो रहा है, तो मुझे सच में अचरज होता है कि हम अब भी इन चीजों को क्यों स्वीकार कर रहे हैं। क्या वाकई इनकी अब कोई जरूरत है?
मैं यह समझता हूं कि शायद समाज के कुछ हिस्से मेरी बातों से सहमत न हों। लेकिन फिर भी, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि एक बार अपने आप से और अपने समाज से इन सवालों को पूछिए। क्या ये परंपराएं और अंधविश्वास अब भी जरूरी हैं? क्या इनका कोई तार्किक आधार है?
जवाब शायद यही मिलेगा: "हमारे दादा-दादी ने किया, इसलिए हम भी कर रहे हैं।"लेकिन क्या यह पर्याप्त कारण है?
समाज को आगे बढ़ाने के लिए हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। अगर हम अतीत के केवल अनुकरण करते रहेंगे, तो विकास कैसे होगा? यह जरूरी है कि हम इन सवालों को खुद से पूछें और उन पर विचार करें, ताकि हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ सकें जो तर्कसंगत, न्यायसंगत और आधुनिक हो।
- राजा
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diku1968 · 2 years ago
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RT @AskAbhishek_IND: सहमत हैं तो रिट्वीट करें🙏🏻जयश्रीराम.!.🙏🏻 https://t.co/nyGDFZrIw2 https://t.co/3dxTiPisGw
RT @AskAbhishek_IND: सहमत हैं तो रिट्वीट करें🙏🏻जयश्रीराम.!.🙏🏻 https://t.co/nyGDFZrIw2 https://t.co/3dxTiPisGw
— #rtndhirenpathak (@bhujdigitalpay) Jan 13, 2023
from Twitter https://twitter.com/bhujdigitalpay
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marathibible · 15 hours ago
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बायबल वाचा: beblia.com 🙏
तुम्ही सहमत असाल तर आमेन म्हणा
निर्गम 20:4-5
beblia.com
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bebliahindi · 15 hours ago
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बाइबल पढ़ें: beblia.com 🙏
यदि आप सहमत हैं तो आमीन कहें
निर्गमन 20:4-5
beblia.com
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vedantbhoomidigital · 3 days ago
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सुप्रीम कोर्ट चुनाव अधिकारी नियुक्ति कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 4 फरवरी को सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया। इस साल की शुरुआत में लागू कानून ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन पैनल से हटा दिया। . सुनवाई 4 फरवरी को होनी है। वकील प्रशांत भूषण द्वारा जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष…
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indlivebulletin · 4 days ago
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सरोगेसी कानूनों में आयु प्रतिबंधों की समीक्षा की मांग, SC ने केंद्र से मामले में अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कानूनों के तहत सरोगेट माताओं और अन्य लोगों के लिए आयु सीमा से संबंधित 11 फरवरी के मुद्दों की जांच करने के लिए सहमत हो गया। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सरोगेसी विनियमन अधिनियम और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली लगभग 15 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र से मामले में अपनी लिखित…
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rightnewshindi · 7 days ago
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हिमाचल सरकार को मिला वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल का स्वामित्व, जानें हाई कोर्ट ने क्या कहा
Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल छराबड़ा के स्वामित्व को ईस्ट इंडिया होटल्स और एमआर लिमिटेड कंपनी को सौंपने से इनकार कर दिया है। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह कंपनी अथवा होटल ग्रुप द्वारा रखे प्रस्ताव पर सहमत नहीं है। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने सरकार की ओर से दिए इस वक्तव्य के पश्चात मामले की सुनवाई पहली मार्च को निर्धारित की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि…
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शादी के बाद संबंध कैसे बनाते हैं
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शादी के बाद संबंध कैसे बनाते हैं?
शादी के बाद पति-पत्नी के बीच शारीरिक और भावनात्मक संबंधों का निर्माण एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो उनके रिश्ते की मजबूती और स्थिरता के लिए जरूरी होता है। शादी के बाद, एक स्वस्थ, खुशहाल और सम्मानजनक शारीरिक ��ंबंध बनाने के लिए कुछ बुनियादी बातें और पहलू होते हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए:
1. सहमतियों का सम्मान करें
शादी के बाद, शारीरिक संबंधों की शुरुआत हमेशा दोनों पार्टनर्स की सहमति से होनी चाहिए। किसी भी यौन क्रिया में दोनों का सहज और स्पष्ट रूप से सहमत होना जरूरी है। इस समय यह सुनिश्चित करना कि दोनों एक-दूसरे की इच्छाओं और सीमाओं का सम्मान करें, आवश्यक है।
2. खुला और ईमानदार संवाद
एक दूसरे के साथ खुलकर अपनी इच्छाओं, जरूरतों, और अपेक्षाओं के बारे में बात करें। शादी के बाद भी संवाद बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि कोई भी गलतफहमी या तनाव न हो। यह दोनों के बीच भावनात्मक जुड़ाव और शारीरिक संतुष्टि में सुधार करता है।
3. भावनात्मक जुड़ाव
शारीरिक संबंध केवल शारीरिक संतुष्टि तक सीमित नहीं होते। इन्हें भावनात्मक रूप से गहरे और अधिक व्यक्तिगत बनाना जरूरी है। प्यार, देखभाल, और समर्थन से शारीरिक संबंध और भी मजबूत होते हैं। जब दोनों साथी एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, तो शारीरिक संबंध अधिक सुखद होते हैं।
4. संतुलन और आराम
शादी के बाद दोनों को शारीरिक संबंधों के लिए समय और स्थान का ध्यान रखना चाहिए। किसी भी भागीदार को दबाव महसूस नहीं होना चाहिए। शारीरिक संबंधों में संतुलन बनाए रखना और आरामदायक वातावरण का निर्माण करना महत्वपूर्ण है, ताकि दोनों पार्टनर आराम से एक-दूसरे के साथ समय बिता सकें।
5. स्वस्थ शारीरिक जीवन
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ शारीरिक जीवनशैली, जैसे कि सही आहार, नियमित व्यायाम, और पर्याप्त नींद, यौन संबंधों में भी सकारात्मक प्रभाव डालती है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और रिश्ते में संतुष्टि बढ़ाता है।
6. साझा समय बिताना
रिश्ते में प्यार और समझ को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे के साथ समय बिताना जरूरी है। जब दोनों पार्टनर एक-दूसरे के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताते हैं, तो यह शारीरिक संबंधों को भी बेहतर बनाता है। यह दोनों के बीच प्यार और दोस्ती को मजबूत करता है।
7. सामूहिक प्रयास
शादी के बाद दोनों को मिलकर रिश्ते में सुधार लाने और एक-दूसरे की इच्छाओं और जरूरतों को समझने का प्रयास करना चाहिए। शारीरिक और मानसिक जुड़ाव दोनों के लिए एक सामूहिक प्रयास होता है, जिसमें दोनों का योगदान आवश्यक है।
8. प्रसन्नता और संतुष्टि का ध्यान रखें
शारीरिक संबंधों का उद्देश्य केवल शारीरिक संतुष्टि नहीं होना चाहिए, बल्कि यह खुशी, आराम, और प्रेम को बढ़ाने का एक तरीका होना चाहिए। जब दोनों पार्टनर एक-दूसरे की संतुष्टि और खुशी का ध्यान रखते हैं, तो रिश्ते में स्थिरता और खुशी बनी रहती है।
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निष्कर्ष:
शा��ी के बाद संबंधों की गुणवत्ता और गहराई का सीधा संबंध आपसी सम्मान, संवाद, और भावनात्मक जुड़ाव से होता है। शारीरिक संबंधों को केवल शारीरिक संतुष्टि तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि यह रिश्ते को मजबूत बनाने का एक तरीका है। सही समय, सही भावना, और आपसी समझ से शारीरिक संबंध अधिक गहरे और स्थिर हो सकते हैं।
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sharpbharat · 21 days ago
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Horoscope Know Your Day Sunday 22nd december 2024-राशिफल, जानें कैसा होगा आपका दिन-रविवार 22 दिसंबर 2024
मेष राशिआपको परिवार में फिर से प्रसन्नता का माहौल बनाने के लिए पुरानी यादों को छोड़कर जल्द-से-जल्द इससे बाहर आने की आवश्यकता है। आज के दिन आप ऊर्जा से भरपूर रहेंगे और संभव है कि अचानक अनदेखा लाभ भी मिले, हो सकता है कि आप अपने परिवार के लोगों की सभी बातों से सहमत न हों, लेकिन आपको उनके तजुर्बे से सीखने की कोशिश क���नी चाहिए। काम के दबाव के चलते मानसिक उथल-पुथल और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।…
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ashokjagharkar · 2 years ago
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ll वानप्रस्थ ll : ४६
भाऊसाहेबांनी केलेल्या त्या स्पष्ट खुलाशानंतर एक विचित्र शांतता पसरली! त्यावर कुणालाच कांही बोलण्याचा धीर झाला नाहीं. एका बाजूला खुर्चीवर ऐकत बसलेल्या मनोरमावर मात्र भाऊसाहेबांच्या खुलाशाचा ��ेगळाच परिणाम झाल्याचं शुभदाला जाणवलं. तिची अचानक वाढलेली अस्वस्थता पाहून शुभदाने मनोरमाच्या चाळवाचाळव करणाऱ्या हातांवर शांतपणे आपला हात ठेवीत तिला आश्वस्त करण्याचा प्रयत्न केला आणि नजरेच्या खुणांनीच 'तुला जे कांही बोलायचं आहे ते लगेच आणि स्पष्टपणे बोल' असं सुचवलं. "माफ करा भाऊसाहेब," मनोरमा शांततेचा भंग करीत म्हणाली, "तुम्ही मुलांनी जे सुचवलं त्याला सुहासिनीचा ठाम विरोध असल्याचं सांगीतलं, पण त्याची कारणं नाहीं सांगीतली!" "मनोरमा, अग तूं मधेच हे काय --" म्हणत तिला थांंबवायचा प्रयत्न करणाऱ्या भोसलेंना अडवून मनोरमा शांतपणे म्हणाली,"मला बोलूं द्या, मनोहर! खरं तर ही कारणं सुहासिनीने स्वत: सांगणं अधिक योग्य ठरलं असतं, पण आतां ती बोलायच्याही अवस्थेत नाहीये! तिचं म्हणणं या सर्वांसमोर आलं नाहीं तर परिस्थितीचं गांभीर्य कुणालाच समजणार नाहीं!" त्यावर भोसलेंनी भाऊसाहेबांकडे प्रश्नार्थक मुद्रेने पाहिलं! भाऊसाहेबांनी मूकपणे संमतीदर्शक मान डोलावली तशी मनोरमा सर्वांना उद्देशून पुन: बोलूं लागली, "सुहासिनीकडून तिच्या अलीकडच्या आजारपणांत मला जे समजलं तेच मी थोडक्यात सांगणार आहे! सुहासिनीचं स्पष्ट मत होतं की मुलांना दाखवताहेत तसा आई-बाबांचा कळवळा वगैरे कांही आलेला नसून गेली पांच वर्षं तरी दाबूून ठेवलेली मनीषा त्यांना पूर्ण करायची आहे!" "कुठल्याही कारणास्तव कां होईना, मुलं आई-बाबांची काळजी घेणार असतील तर हरकत काय आहे?" एका ज्येष्ठ स्नेह्याने विचारलं.
"तेच तर मी सांगतेय् की सुहासिनीच्या मते मुलांचा खरा हेतू काळजी घेण्याचा नसून वेगळाच होता! धाकट्या शिरीषने ५ वर्षांपूर्वी वेगळं बिऱ्हाड केलं तेव्हांच दोघां भावांनी 'माॅम आणि डॅडने त्यांच्याबरोबर रहावं' असं सूतोवाच केलं होतं! त्यावेळी नकार देतांना सुहासिनीने स्पष्ट शब्दांत सांगीतलं होतं की 'तुमच्या लग्नांनंतर सर्वांनी एकत्र रहावं म्हणून तर होता तो बंगला विकून त्याच परिसरात आम्ही हा ४ बेडरूमचा फ्लॅट घेतला! तथापि तुम्हां दोघांनाही स्वतंत्र राहायचं असेल तरी आमच�� हरकत नाही;-- पण हा फ्लॅट सोडून आम्ही कुठेही येणार नाहीं. गेली ३५ वर्षांहून अधिक काळ इथे राहिल्याने या परिसराशी आमची जणूं नाळ जोडली गेली आहे. त्यामुळे आतां या वयांत दुसरीकडे नव्याने बस्तान बसवणं शक्य नाहीं.' ते ऐकून दोघेही खूप नाराज झाले होते!" "पण मुलांना उतारवयात आई-बाबांनी एकटं राहण्याबाबत काळजी वाटणे साहजिक नाहीं कां?" दुसर्‍या एका ज्येष्ठ स्नेह्याने विचारलं "सुहासिनीशी याबाबत भाऊसाहेब सहमत नसले, तरी सुहासिनीच्या मते मुलांचा डोळा फक्त हा फ्लॅट विकून येणाऱ्या भल्यामोठ्या रकमेवर होता! कारण त्यांनी कधीही असं म्हटलं नाहीं की 'हा फ्लॅट विकून येणाऱ्या पैशांतून तुमच्यासाठी आमच्या जवळ नवीन फ्लॅट घेऊंया'. गेल्या ५ वर्षांत या फ्लॅटची किंमत अधिकच वाढली आहे हे उघड आहे!!" एवढ्यांत कुणीतरी उतावीळपणे अधिक वेळ बटन दाबून धरावे तशा प्रकारे डोअरबेल कर्कश्श वाजली. भाऊसाहेबांना बसून राहण्याची खुण करीत भोसलेंनी चट्कन पुढे होऊन दार उघडलं तशी गिरीश घाईघाईने आंत आला. पण जमलेल्या लोकांना बघून कांहीसं चकित होत त्याने तीक्ष्ण स्वरांत भाऊसाहेबांना विचारलं, " डॅड, माॅम कुठे आहे? आणि तुम्ही ही कोण लोकं, कशासाठी जमा केली आहेत?" " डॅड, तुम्हांला दिवसभरांत फोन करून दादाशी किंवा माझ्याशी बोलावंसं नाहीं वाटलं?" गिरीशच्या मागोमाग आलेल्या शिरीषने विचारलं. त्याच्या स्वरांतला उपहास लपण्याजोगा नव्हता!
"गिरीश आणि शिरीष, तुम्हांला वाटणारी काळजी आम्ही सगळे समजूं शकतो! तथापि माझी विनंती आहे की तुम्ही शक्य तेवढ्या हळूं आवाजांत बोलावं!" आपल्या आवाजावर ताबा राखीत भोसले अत्यंत शांत स्वरांत म्हणाले, "भाऊसाहेब या घडीला कुठलाही संवाद साधण्याच्या मनस्थितीत नाहींत, हे तुम्ही दोघांनी लक्षांत घ्यायला हवं! त्यामुळेच मी स्वत: तुम्हां दोघांनाही फोन करण्याचा प्रयत्न केला! पण फोन लागला नाहीं;-- तेव्हां तुम्ही महत्वाच्या कामांत बिझी असाल हे ओळखून मी तुमच्या मोबाईलवर मेसेज पाठवले, ते तुम्ही बघितले नाहीं कां?" भोसलेंनी शांत स्वरांत केलेला खुलासा ऐकून गिरीश आणि शिरीष दोघेही वरमले. पुढे केलेल्या खुर्चीवर बसत गिरीश म्हणाला, "काका, तुमचा मेसेज शिरीषने प्रथम बघितला आणि मला लगेच कळवलं! म्हणून तर आम्ही ताबडतोब इथे आलो आहोंत!" दोघांच्या वागण्या-बोलण्याचा एकुण रागरंग पचनी न पडल्याने खुप चिडलेली मनोरमा पुढे येत लागट स्वरांत म्हणाली, "नशीब म्हणायचं की भोसलेकाकांना तरी तुम्ही ओळखलंत! आणि काय रे, तुम्ही आई-बाबांची विचारपूस करायला आला आहांत की त्यांना जाब विचारायला?" "माफ करा काकु!" गिरीश चट्कन हात जोडून म्हणाला, "काळजीपोटी आम्ही कांही कमीजास्त बोललो असूं हे प्लीज समजून घ्या! माॅमला आम्ही भेंटूशकतो कां?प्लीज?" "सुहासिनीची तब्येत ठीक आहे आतां, पण औषधांच्या परिणामाने तिला गाढ झोंप लागली आहे! हवं तर तिला बघून या, पण उठवूं नका!" मनोरमा म्हणाली, "डाॅक्टर म्हणाले आहेत की ती आपणहून उठेल तेव्हां तिची तब्येत ठणठणीत झालेली असेल!" "माॅमला शांत झोप लागली असेल तर आपण तिला आत्ता नको भेंटुया!" गिरीशला उद्देशून शिरीष म्हणाला, "उद्यां सकाळी त्यांना घेऊन जायला येऊं, तेव्हांच एकदम भेंटुया!"
६ जुलै २०२३
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latestnewsandjokes · 1 month ago
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सूत्रों का कहना है कि रोसनेफ्ट और रिलायंस अब तक के सबसे बड़े भारत-रूस तेल आपूर्ति सौदे पर सहमत हैं
नई दिल्ली/मॉस्को: रूस की सरकारी तेल कंपनी रोजनेफ्त सौदे से परिचित तीन सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच अब तक के सबसे बड़े ऊर्जा समझौते में भारतीय निजी रिफाइनर रिलायंस को लगभग 500,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति करने पर सहमति हुई है। 10-वर्षीय समझौता वैश्विक आपूर्ति का 0.5% है और आज की कीमतों पर इसका मूल्य लगभग 13 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है। यह और भी मजबूत होगा ऊर्जा संबंध…
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hassanriyazzsblog · 1 month ago
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𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑵𝒂𝒂𝒎 𝒔𝒆, 𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑾𝒂𝒔'𝒕𝒆.
🌹🌹 𝗔𝗚𝗥𝗘𝗘𝗜𝗡𝗚 𝗧𝗢 𝗟𝗘𝗦𝗦𝗘𝗥 𝗘𝗩𝗜𝗟:
♦️"𝘼 𝙟𝙤𝙪𝙧𝙣𝙚𝙮 𝙩𝙤𝙬𝙖𝙧𝙙𝙨 𝙚𝙭𝙘𝙚𝙡𝙡𝙚𝙣𝙘𝙚".♦️
✨ 𝗦𝗲𝘁 𝘆𝗼𝘂𝗿 𝘀𝘁𝗮𝗻𝗱𝗮𝗿𝗱 𝗶𝗻 𝘁𝗵𝗲 𝗿𝗲𝗮𝗹𝗺 𝗼𝗳
𝗹𝗼𝘃𝗲 ❗
*(اپنا مقام پیدا کر...)*
؏ *تم جو نہ اٹھے تو کروٹ نہ لے گی سحر.....*
🔹𝟭𝟬𝟬 𝗣𝗥𝗜𝗡𝗖𝗜𝗣𝗟𝗘𝗦 𝗙𝗢𝗥
𝗣𝗨𝗥𝗣𝗢𝗦𝗘𝗙𝗨𝗟 𝗟𝗜𝗩𝗜𝗡𝗚. 🔹
(ENGLISH/اردو/हिंदी)
9️⃣1️⃣ 𝗢𝗙 1️⃣0️⃣0️⃣
💠 𝗔𝗚𝗥𝗘𝗘𝗜𝗡𝗚 𝗧𝗢 𝗟𝗘𝗦𝗦𝗘𝗥 𝗘𝗩𝗜𝗟:
𝗨𝗺𝗮𝘆𝗿 𝗶𝗯𝗻 𝗛𝗮𝗯𝗶𝗯 𝗶𝗯𝗻 𝗞𝗵𝗮𝗺𝗮𝘀𝗵𝗮𝗵, 𝗮 𝗰𝗼𝗺𝗽𝗮𝗻𝗶𝗼𝗻 𝗼𝗳 𝘁𝗵𝗲 𝗣𝗿𝗼𝗽𝗵𝗲𝘁 𝗼𝗳 𝗜𝘀𝗹𝗮𝗺ﷺ, 𝘀𝗮𝗶𝗱 𝘁𝗵𝗮𝘁 𝗵𝗲 𝘄𝗵𝗼 𝗱𝗼𝗲𝘀 𝗻𝗼𝘁 𝘁𝗼𝗹𝗲𝗿𝗮𝘁𝗲 𝘁𝗵𝗲 𝗹𝗲𝘀𝘀𝗲𝗿 𝗲𝘃𝗶𝗹 𝗼𝗳 𝘁𝗵𝗲 𝗶𝗴𝗻𝗼𝗿𝗮𝗻𝘁 𝘄𝗼𝘂𝗹𝗱 𝗵𝗮𝘃𝗲 𝘁𝗼 𝗲𝗻𝗱𝘂𝗿𝗲 𝘁𝗵𝗲 𝗴𝗿𝗲𝗮𝘁𝗲𝗿 𝗲𝘃𝗶𝗹 𝗼𝗳 𝘁𝗵𝗲 𝗶𝗴𝗻𝗼𝗿𝗮𝗻𝘁.
(Al-Mujam alAwsat, Hadith No. 2258)
● Just as there are intelligent people in today’s world, there are also ignorant people.
● Ignorant people hurt others because of their ignorance.
● This is a small problem in the beginning.
● Wisdom requires enduring this small suffering.
● The man who gets entangled with the ignorant over a small affliction (lesser evil) ultimately will suffer from greater harm (greater evil).
🌹🌹And Our ( Apni ) Journey Continues...
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؏ منزل سے آگے بڑھ کر منزل تلاش کر
مل جائے تجھکو دریا تو سمندر تلاش کر
1️⃣9️⃣ کم برائی پر راضی ہونا:
پیغمبر اسلامﷺ کے ایک صحابی عمیر بن حبیب ابن خماشہ نے فرمایا کہ جو شخص جاہلوں کی چھوٹی برائی کو برداشت نہیں کرتا اسے جاہلوں کی بڑی برائی کو برداشت کرنا پڑے گا۔
(المعجم الاوسط، حدیث نمبر 2258)
● آج کی دنیا میں جس طرح ذہین لوگ ہیں اسی طرح جاہل بھی ہیں۔
● جاہل لوگ اپنی جہالت کی وجہ سے دوسروں کو تکلیف دیتے ہیں۔
● یہ شروع میں ایک چھوٹا سا مسئلہ ہے۔
● حکمت اس چھوٹی سی تکلیف کو برداشت کرنے کی ضرورت ہے۔
● جو آدمی کسی چھوٹی مصیبت (کم برائی) پر جاہلوں کے ساتھ الجھ جاتا ہے وہ بال��خر زیادہ نقصان (بڑی برائی) میں مبتلا ہوتا ہے۔
🌹🌹اور ہمارا سفر جاری ہے...
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9️⃣1️⃣ कम बुराई से सहमत होना:
पैगम्बरे इस्लामﷺ के साथी उमर इब्न हबीब इब्न ख़ामाशाह ने कहा कि जो व्यक्ति अज्ञानी की छोटी बुराई को बर्दाश्त नहीं करता, उसे अज्ञानी की बड़ी बुराई सहनी पड़ती है।
(अल-मुजम अलअवसत, हदीस नंबर 2258)
● आज की दुनिया में जैसे बुद्धिमान लोग हैं, वैसे ही अज्ञानी लोग भी हैं।
● अज्ञानी लोग अपनी अज्ञानता के कारण दूसरों को चोट पहुँचाते हैं।
● शुरुआत में यह एक छोटी सी समस्या है।
● बुद्धिमत्ता के लिए इस छोटे से कष्ट को सहन करना आवश्यक है।
● जो मनुष्य किसी छोटे से दुःख (छोटी बुराई) के कारण अज्ञानी लोगों से उलझता है, उसे अन्ततः अधिक हानि (बड़ी बुराई) उठानी पड़ती है।
🌹🌹और हमारा सफर जारी है...
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