#अनुग्रह
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यदि आप सहमत हैं तो आमीन कहें
कुलुस्सियों 3:14-15
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#बाइबिल#बाइबल#ईश्वर सही है#पवित्र बाइबल#ईसाई#ईश्वर#यीशु#यीशु मसीह#आस्था#गिरजाघर#ज़िंदगी#सच#प्यार#ईसा मसीह#प्यार किया#बाइबिल कविता#इंजील#पूजा#अनुग्रह#प्रार्थना करना#प्रार्थना#बाइबिल अध्ययन#बाइबिल उद्धरण#अच्छी खबर#महान#चर्चों#ईसाई धर्म#सेवा
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#भजन संहिता 27:7हे यहोवा#मेरा शब्द सुन#मैं पुकारता हूं#तू मुझ पर अनुग्रह कर और मुझे उत्तर दे।********************PRAISE THE LORD ALL OF
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Aurangabad, Bihar (Historical Facts) |औरंगाबाद(बिहार) से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य |
औरंगाबाद(बिहार) का एक गौरवशाली इतिहास है और प्राचीन भारत में सबसे बड़े और सबसे मजबूत साम्राज्यों में से एक होने का गौरव प्राप्त है – मगध। मगध का क्षेत्र प्राचीन काल में 600 से 250 ईसा पूर्व के दौरान एक विशाल साम्राज्य का घर था। Aurangabad, Bihar (Historical Facts) |औरंगाबाद(बिहार) से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य | इस पर बिम्बिसार और अजातशत्रु का भी शासन था। बाद में, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक ने इस क्षेत्र…
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सीता राम चरन रति मोरें अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरें
जय श्री सीताराम🏹🪷🙏🧘
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प्रभू श्री राम जी के अनुग्रह से मेरे द्वारा रचित " स्वामी श्री रामभद्राचार्य चालीसा " की रिकार्डिंग ए०डी० स्टूडियो में सम्पन्न हुई ।
जिसे पद्म श्री अनूप जलोटा जी ने अपनी खूबसूरत आवाज दी ।
एवं निर्देशन श्री कमल नथानी जी ने किया है ।
शीघ्र ही यह चालीसा आप सभी भगवद् प्रेमियों को श्रवण करने का अवसर मिलेगा ।
आप सब अपना स्नेह व आशीर्वाद प्रदान करें ।
जय श्री सीताराम 🙏🏻
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Each time I lay my eyes upon the vigraha of Rādhā Raman Ji, I feel an elevation. The 'अनुग्रह' (grace) of his smile, and his eyes like the petal of a golden lotus hold galaxies of love, his complexion the hue of the dark sea 'nīlāmbhara', and of course his lotus feet the ultimate salvation- remind me of the beauty of faith.
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Lord Hanuman chalisa
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुंचित केसा हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूंज जनेऊ साजै संकर सुवन केस��ीनंदन तेज प्रताप महा जग बन्दन विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे लाय सजीवन लखन जियाये श्रीरघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावैं अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहां ते कबि कोबिद कहि सके कहां ते तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना लंकेस्वर भए सब जग जाना जुग सहस्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फल जानू प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधि लांघि गये अचरज नाहीं दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डर ना आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांक तें कांपै भूत पिसाच निकट नहिं आवै महाबीर जब नाम सुनावै नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा संकट तें हनुमान छुड़ावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै सब पर राम तपस्वी राजा तिन के काज सकल तुम साजा और मनोरथ जो कोई लावै सोइ अमित जीवन फल पावै चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा तुम्हरे भजन राम को पावै जनम-जनम के दुख बिसरावै अन्तकाल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरि भक्त कहाई और देवता चित्त न धरई हनुमत सेइ सर्ब सुख करई संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा जै जै जै हनुमान गोसाईं कृपा करहु गुरुदेव की नाईं जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप.
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यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो, चन्दर, तो मुझे मेरा आनंद माफ़ करना |
[ if you love me, beloved, forgive me my joy ]
जब अगर मैं अपने सिंघासन पर बैठ कर तुम्हे अपने प्रेम के अत्याचार से बाध्य करूँ,
[when I sit on my throne and rule you with my tyranny of love]
जब अगर एक देवी की तरह मैं तुम्हे अपना अनुग्रह दान करूँ,
[when like a goddess I grant you my favour]
[written by Rabindranath Tagore, जिसे translate करने की छोटी सी कोशिश की है, सुधा के लिए]
🥀
मेरा घमंड तुम झेल लेना चन्दर, और मुझे मेरा आनंद माफ़ करना |
[bear with my pride, beloved, and forgive me my joy.]
- तुम्हारी सुधि
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Good friday 2023: आज पूरे देश में मनाया जा रहा है गुड फ्राइडे, जानिए इसकी कहानी और महत्व
Good Friday 2023: नई दिल्ली। आज पूरे देश में गुड फ्राइ़डे मनाया जा रहा है। क्रिश्चियन मान्यताओं के अनुसार इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। इस दिन को होली फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे अथवा ईस्टर फ्राइडे भी कहा जाता है। ईसाई धर्म का यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व हमें ईसा मसीह द्वारा किए गए बलिदान की याद दिलाता है। यह यीशु के दुख और मृत्यु पर शोक, उपवास और दुख को दर्शाने का दिन है। साथ ही यह हमें ईश्वर के प्रेम और अनुग्रह की भी याद दिलाता है।
ऐसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे
यह वास्तव में एक शोक दिवस है। इस दिन ईसाई धर्मावलंबी उपवास करते हैं और ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं। सभी चर्चों की सजावट हटा दी जाती है। लोग काले रंग के वस्त्र पहनते हैं और चर्च में प्रार्थना करते हैं। इस पर्व की तैयारी लगभग एक सप्ताह पहले ही आरंभ हो जाती है। लोग बाइबिल की शिक्षाओं को याद करते हैं, ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और बुरे कर्मों से दूर रहने की शपथ लेते हैं।
और पढ़िए – दुनिया से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें
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गुजरात: भरूच की केमिकल फैक्ट्री में जहरीली गैस का रिसाव, 4 कर्मचारियों की मौत से मचा हड़कंप
गुजरात के भरूच स्थित केमिकल फैक्ट्री में जहरीली गैस के चपेट में आने से चार कर्मचारियों की हालत खराब हो गई. आनन फानन में इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान इनकी मौत हो गई. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने इन चारों कर्मचारियों के शव कब्जे में लजेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. उधर, घटना के बाद कंपनी प्रबं��न ने चारों कर्मचारियों के परिजनों को 30-30 लाख रुपये की अनुग्रह राशि…
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2 थिस्सलुनीकियों 1:6-8
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#बाइबिल#बाइबल#ईश्वर सही है#पवित्र बाइबल#ईसाई#ईश्वर#यीशु#यीशु मसीह#आस्था#गिरजाघर#ज़िंदगी#सच#प्यार#ईसा मसीह#प्यार किया#बाइबिल कविता#इंजील#पूजा#अनुग्रह#प्रार्थना करना#प्रार्थना#बाइबिल अध्ययन#बाइबिल उद्धरण#अच्छी खबर#महान#चर्चों#ईसाई धर्म#सेवा
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saraikela disaster management committee-डीसी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन समिति की हुई ऑनलाइन बैठक, 11 आवेदनों में 10 के कागजात सही, एक मामले का सत्यापन करके आगे की कार्रवाई करने का निर्देश, मृतक के आश्रितों को एक माह के अंदर ��नुग्रह राशि उपलब्ध कराने का निर्देश
सरायकेला: उपायुक्त रविशंकर शुक्ला की अध्यक्षता में जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन समिति की ऑनलाइन बैठक हुई. बैठक में अपर उपायुक्त जयवर्धन कुमार ने जिले में विभिन्न प्राकृतिक आपदा अंतर्गत प्राप्त आवेदनों के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिले में प्राकृतिक आपदा अंतर्गत सड़क दुर्घटना, वज्रपात, पानी में डूबने, सर्पदंश, अग्निकांड आदि से संबंधित स्वीकृति के लिए कुल 11 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें…
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बांधवभूमि न्यूज मध्यप्रदेश उमरिया
सीएम ने जिले के 65 हितग्राहियों के खातों मे डाले 1.40 करोड़ बांधवभूमि न्यूज मध्यप्रदेश उमरिया प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को राजधानी भोपाल से प्रदेश के 10236 हितग्राहियों के खाते मे 225 करोड़ रूपये की अनुग्रह सहायता राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की। इनमे जिले के 65 हितग्राही भी शामिल हैं, जिनके खाते मे एक करोड़ चालीस लाख रूपये की अनुग्रह सहायता राशि अंतरित हुई है। कार्यक्रम का सीधा…
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🌹 पद अरविंदम 🌹
अंबा ललिता त्रिपुरसुंदरी, आपके त्रिगुणों से ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर की सृष्टि हुई।
वे सत्व, रजस और तमस गुणों का आदर्श उदाहरण हैं। हम सोचते हैं, उन्होंने कौन सी पूजा अर्पित की होगी जो वे त्रिमूर्ति बने!
शायद यह आपकी पदअरविंद पूजा महिमा है, जिसने उन्हें यह स्थान प्रदान किया।
हमेशा ऐसा लगता है कि उनके झुके हुए सिर “मुखुलित पद्म” (कमल की कली) जैसे दिखते हैं। नवरत्नों से सुशोभित सिंहासन और स्वर्ण पदपीठ त्रिमूर्ति के मुकुटों से निकलने वाली चमक के कारण अद्भुत रूप से दैदीप्यमान हो रहे हैं।
देवी चरण केवल अर्चना और आराधना द्वारा पूजनीय हैं।
मां, आप श्रीमाता और महाराज्ञी हैं। आप इस ब्रह्मांड की सर्वश्रेष्ठ सत्ता हैं, जो सब कुछ नियंत्रित करती हैं।
आप सृष्टि, स्थिति और लय का संचालन करती हैं। आप ही तिरोधान कर सकती हैं और अनुग्रह प्रदान कर सकती हैं।
🔮सत्यम शिवम् सुंदरम🔮
🌹 सर्वे जना: सुखिनो भवन्तु 🙏
🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟
Om Sri Gurubhyo Namaha 🌹👣🌹 🙏
Courtesy Respected Guru Ji
R Vaidyanadhan 🙏
🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟
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सीता राम चरन रति मोरें अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरें
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Dr. Rajendra Prasad Biography
Introduction
Rajendra Prasad Biography And Facts: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद सही मायने में सादगी के प्रतीक थे. अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए मशहूर राजेंद्र प्रसाद देश के एकमात्र राष्ट्रपति हैं, जिनका कार्यकाल एक बार से अधिक का रहा. 03 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले में जन्में राजेंद्र प्रसाद का जीवन बेहद सादगी भरा रहा. उन्होंने कठिन चुनौतियों के बीच पढ़ाई की. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अत्यंत प्रिय राजेंद्र प्रसाद को बिहार का गांधी भी कहा जाता था. उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन तो सादगी के साथ गुजारा ही, साथ ही अपने निजी जीवन में भी वह बेहद ईमानदार रहे. सही मायने में वह शुचिता, विद्वता और सरलता के साथ-साथ सादगी के भी प्रतीक थे. पढ़ाई के दौरान वह अत्यंत मेधावी थे. बड़े होने पर वह महान कानूनविद हुए. उन्होंने नैतिकता की उस ऊंचाई को छुआ जो आज के समय में तपस्या से कम नहीं है.
Table of Content
कांग्रेस कार्यालय को बनाया रहने का ठिकाना
सादगी से गुजारा जीवन
संविधान सभा का किया था नेतृत्व
कई भाषाओं के थे जानकार
गुरु के विचारों का था गहरा प्रभाव
3 साल जेल में बिताए
पत्नी के जेवरात किए राष्ट्र को समर्पित
बेमन से लड़े चुनाव
कांग्रेस कार्यालय को बनाया रहने का ठिकाना
कहा जाता है कि राजेंद्र प्रसाद इस कदर ईमानदार थे कि उन्होंने भाई-भतीजावाद को कभी तरजीह नहीं दी. नैतिकता, शुचिता और ईमानदारी की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि राष्ट्रपति पद का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनके पास रहने के लिए अपना कोई निजी आवास भी नहीं था. उन्होंने लोगों की सेवा को ही ध्येय बनाया था. यह भी बड़ी बात है कि पद से हटने के बाद राजेन्द्र प्रसाद ने बिहार कांग्रेस कमेटी के कार्यालय सदाकत आश्रम को अपने रहने का ठिकाना बनाया. उनके ��ार्यकाल के दौरान जो भी व्यक्ति मदद के लिए आता वह सरलता से उसे संबल देते और हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे. वर्ष 1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की. इस दौरान उन्होंने एक समाजसेवी के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई. इसके 20 साल बाद 15 जनवरी, 1934 को बिहार में भूकंप आया तो वह आजादी की लड़ाई के लिए जेल में थे. उस अवधि के दौरान राजेंद्र प्रसाद ने राहत कार्य को अपने निकट सहयोगी अनुग्रह नारायण सिन्हा को सौंप दिया, जिससे जरूरतमंद लोगों की मदद का सिलसिला नहीं थमे. इसी कड़ी में 31 मई, 1935 को क्वेटा भूकंप के बाद उन्होंने पंजाब में क्वेटा सेंट्रल रिलीफ़ कमेटी की स्थापना की.
सादगी से गुजारा जीवन
ईमानदारी की मिसाल राजेन्द्र प्रसाद देश के सर्वोच्च पद पर यानी राष्ट्रपति के पद पर कई सालों तक रहे. लेकिन इस दौरान भी उन्होंने अपनी सादगी नहीं छोड़ी. राष्ट्रपति भवन कमरों की भरमार है, लेकिन उन्होंने अपने इस्तेमाल के लिए केवल 2-3 कमरे ही रखे थे. राष्ट्रपति भवन के एक कमरे में चटाई बिछी रहती थी, यहां पर वह महात्मा गांधी से प्रेरित होकर चरखा काता करते थे. यह डॉ. राजेंद्र प्रसाद की राजनीतिक शुचित ही थी कि राष्ट्रपति पद से हटने के साथ ही उन्होंने राजनीति से संन्यास भी ले लिया था. पटना के एक आश्रम में 28 फरवरी, 1963 को बीमारी के कारण उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. यह भी सच है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद उन बिरले राजनेताओं में थे, जो राष्ट्रपति पद से हटने के बाद सीधे पटना के सदाकत आश्रम में रहे. इतना ही नहीं जब उनका समय निकट आया, तो वह अपने जर्जर घर में चले गए.
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संविधान सभा का किया था नेतृत्व
राजेंद्र प्रसाद ने एक दशक से भी अधिक समय तक बतौर राष्ट्रपति अपनी सेवाएं दीं. वह 1950-62 के बीच राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे. वर्ष 1962 में राजेंद्र प्रसाद को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उन्होंने संविधान सभा का भी नेतृत्व किया था. राजेंद्र प्रसाद उस दौर के सबसे बेहतरीन नेता और महान समाजसेवी महात्मा गांधी के बेहद करीबी सहयोगी थे. आजादी के बाद वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने. महात्मा गांधी के कर��बी होने के चलते ही राजेंद्र प्रसाद को ‘नमक सत्याग्रह’ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल तक जाना पड़ा. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपना वकालत क��� करियर छोड़कर देश सेवा को तरजीह दी. वह एक आदर्श शिक्षक होने का साथ-साथ सफल वकील और प्रभावशाली लेखक भी थे. यह भी कम बड़ी बात नहीं कि उन्होंने अपने जीवन का हर पल देश की सेवा में बिताया. उनकी खूबियों के चलते ही 26 जनवरी, 1950 को उन्हें भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया. वह लगभग 12 वर्षों तक इस पद पर आसीन रहे. वह देश के इकलौते ऐसे नेता हैं, जो इतने लंबे समय तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे.
कई भाषाओं के थे जानकार
देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सीवान में 3 दिसंबर, 1884 को हुआ था. पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था. वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और उनकी शुरुआती शिक्षा बिहार के छपरा जिले के एक ग्रामीण स्कूल में हुई थी. डॉ राजेंद्र प्रसाद की हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा पर अच्छी पकड़ थी. उन्होंने पटना से कानून में मास्टर की डिग्री ली. राजेंद्र प्रसाद अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, इसलिए उन्हें दुलार भी खूब मिला. उनके एक बड़े भाई और 3 बड़ी बहनें थीं. उनकी मां की मृत्यु कम उम्र में ही हो गई थी. ऐसे में राजेंद्र प्रसाद का पालन-पोषण और देखभाल उनकी बड़ी बहनों ने किया था. जून 1896 में 12 साल की कम उम्र में उनकी शादी राजवंशी देवी से हुई. राजेंद्र प्रसाद का पूरा नाम राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव था. मां कमलेश्वरी देवी ने अपने बेटे यानी राजेंद्र प्रसाद को रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर पाला था. दरअसल, मां ने बेटे में संस्कार कूटकट कर भरे थे.
गुरु के विचारों का था गहरा प्रभाव
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को प्यार से ‘राजेन बाबू’ के नाम से भी पुकारा जाता था. जानकारों का कहना है कि एक दशक तक भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेद्र प्रसाद के जीवन पर उनके गुरु गोपाल कष्ण गोखले के विचारों का गहरा प्रभाव था. अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया था कि उन्होंने गोपाल कृष्ण से मुलाकात और उनके विचारों को जानने के बाद आजादी की लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया था. बताया जाता है कि राजेंद्र प्रसाद के निर्मल स्वभाव और उनकी योग्यता को लेकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे महात्मा गांधी भी खूब खुश हुए थे. महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में बिहार में ब्रिटिश नील उत्पादकों द्वारा शोषित किसानों की दुर्दशा को सुधारने के उद्देश्य से एक अभियान के लिए उनका समर्थन हासिल किया था. वर्ष 1920 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपना कानूनी करियर तक छोड़ दिया था.
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3 साल तक बिताया जेल में
गुरु गोपाल कष्ण गोखले के विचारों और महात्मा गांधी से प्रभावित हो कर ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आजादी के आंदोलन में शिरकत की. आजादी के आंदोलन में शामिल होने के चलते वह ब्रिटिश अधिकारियों की नजर में आए गए. इसकी वजह से उन्हें कई बार कारावास का सामना करना पड़ा. राजेद्र प्रसाद ने अगस्त, 1942 से जून, 1945 तक का समय जेल में बिताया. वह आधुनिक भारत के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे. इसके साथ ही उन्होंने संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में भारतीय संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पत्नी के जेवरात को किया राष्ट्र को समर्पित
चीन के युद्ध के समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी पत्नी के जेवर राष्ट्र काे समर्पित कर दिया था. यह भी कड़वा सच है कि देश को उन्होंने बहुत कुछ दिया लेकिन लोगों ने उनके साथ न्याय नहीं किया. राजवंशी देवी (17 जुलाई 1886 – 9 सितंबर 1962) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं. उन्होंने भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की पत्नी और भारत की पहली प्रथम महिला के रूप में कार्य किया. उन्होंने पति राजेंद्र प्रसाद के आदर्शों को अपनाया. बहुत कम लोग जानते हैं कि राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति रहते हुए कभी धन नहीं जोड़ा. उन्होंने अंत समय तक कोई घर या अन्य संपत्ति नहीं बनाई. उन्हें राष्ट्रपति के रूप में जितना वेतन मिलता था, उसका आधा वो राष्ट्रीय कोष में दान कर देते थे.
बेमन से लड़े चुनाव
राजेंद्र प्रसाद ने 1977 में आपातकाल के बाद घोषित चुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा. कहा जाता है कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. यह भी सच है कि जयप्रकाश नारायण के अनुरोध पर चुनाव में खड़े हुए. उन्होंने जीत भी हासिल की लेकिन इसके बाद फिर कभी सियासत में सक्रिय नहीं रहे. सादगी पसंद राजेंद्र प्रसाद के परिवार तथा किसी भी रिश्तेदार ने उनके पद का लाभ नहीं उठाया. वह खुद नहीं चाहते थे कि उनका कोई नजदीकी रिश्तेदार राष्ट्रपति पद की गरिमा पर कोई आंच आने दे. यही वजह ��ै कि राजेंद्र प्रसाद को लोग सम्मान के नजरिये से देखते हैं.
Conclusion
आजीवन सादा जीवन जीने वाले राजेंद्र प्रसाद ने कई मिसालें देश के सामने रखी हैं. बतौर राष्ट्रपति 10 साल से अधिक समय तक वह इस पद पर रहे, लेकिन इस दौरान उन्होंने कोशिश की कि उनका परिवार साधारण जिंदगी ही जिए. अपने पद का फायदा उन्होंने शायद ही कभी अपने परिवार को लेने दिया. यहां तक कि जरूरत पड़ने पर वह बिना स्वार्थ के हमेशा राष्ट्र की सेवा के लिए तत्पर रहते थे.
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