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#विभक्त
bharatlivenewsmedia · 2 years
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“माझ्या आयुष्यात…”; सीमा सचदेवाने पहिल्यांदा सांगितलं सोहेल खानपासून विभक्त होण्याचं कारण
“माझ्या आयुष्यात…”; सीमा सचदेवाने पहिल्यांदा सांगितलं सोहेल खानपासून विभक्त होण्याचं कारण
“माझ्या आयुष्यात…”; सीमा सचदेवाने पहिल्यांदा सांगितलं सोहेल खानपासून विभक्त होण्याचं कारण लग्नाच्या २४ वर्षांनी सीमाने सोहेपासून घटस्फोट घेण्याच्या निर्णयामागचं कारणं सांगितलं आहे. अभिनेता सोहेल खान आणि सीमा सचदेवा यांनी लग्नाच्या तब्बल २४ वर्षांनंतर एकमेकांपासून विभक्त होण्याचा निर्णय घेतला. दोघांनीही मे महिन्यात न्यायालयात घटस्फोटाचा अर्ज दाखल केला आहे. घटस्फोटासाठी अर्ज करण्याआधीच्या काही…
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nandedlive · 1 year
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वयाच्या १६ व्या अभिनेत्रीचं लग्न, दोन मुलांच्या जन्मानंतर घटस्फोट; कोण आहे 'कसौटी जिंदगी की' फेम उर्वशी ढोलकियाचा पहिला पती? - urvashi Dholakia divorced husband and in relationship with actor Anuj Sachdev
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वयाच्या १६ वर्षी लग्नझाल्यानंतर १८ व्या वर्षी घटस्फोट... आता २५ वर्षांनंतर अभिनेत्रीचं दुसरं लग्न करण्याच्या प्रयत्नात उर्वशी ढोलकिया हिची मुलं, खुद्द 'कसौटी जिंदगी की' फेम अभिनेत्रीने सांगितलं...
मुंबई : ‘कसौटी जिंदगी की’ फेम उर्वशी ढोलकिया हिचं वयाच्या १६ व्या वर्षी लग्न झालं. लग्नानंतर उर्वशीने दोन मुलांना जन्म दिला. उर्वशीचं लग्न एका श्रीमंत उद्योगपतीसोबत झालं होतं. पण लग्नाच्या दोन वर्षांनंतर उर्वशीचं पतीसोबत वाद होवू लागले. त्यानंतर २०१८ मध्ये उर्वशीने घटस्फोटाचा निर्णय घेत, दोन मुलांचा सांभाळ ‘सिंगल मदर’ म्हणून केला. आज अभिनेत्री तिच्या दोन मुलांसोबत आनंदाने आयु्ष्य जगत आहे. घटस्फोटानंतर दुसऱ्या लग्नाचा विचार न करता अभिनेत्रीने फक्त आणि फक्त स्वतःच्या करियरकडे लक्ष केंद्रीत केलं. एवढंच नाही तर, उर्वशीच्या मुलांनी अभिनेत्रीला दुसरं लग्न करण्याचा सल्ला देखील दिला. पण अभिनेत्री कधीही दुसऱ्या लग्नाचा विचार केला नाही. एका मुलाखतीत स्वतःच्या खासगी आयुष्याबद्दल मोठा खुलासा करत उर्वशी म्हणाली, ‘दुसरं लग्न किंवा इतर कोणत्या गोष्टीबद्दल विचार करण्याचा मला वेळच मिळाला नाही. माझ्या मुलांना उत्तम शिक्षण आणि आयुष्य मिळावं… याच प्रयत्नात मी कायम होती. मला असं वाटतं कोणत्याही नात्यामध्ये तुमची उपस्थिती अधिक महत्त्वाची असते.’
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  पुढे अभिनेत्री म्हणाली, ‘जर एखाद्या नात्यात तुम्हाला स्वतःला बदलावं लागत असेल तर, ते नातं आयुष्यात फार काळ टिकत नाही. माझ्या मुलांना आणि कुटुंबाला वाटयचं मी पुन्हा लग्न करायला हवं. पण या गोष्टीचा विचार कधी केलाच नाही. माझी मुलं कायम मला डेट करण्याचे सल्ले देत असतात. त्यांचं सल्ले ऐकून मला हसायला यायचं.’ असं देखील अभिनेत्री म्हणाली. महत्त्वाचं म्हणजे उर्वशीने अद्याप तिच्या पहिल्या पतीचं नाव सांगितलेलं नाही. रिपोर्टनुसार, अभिनेत्रीचं नाव अभिनेता अनुज सचदेवा याच्यासोबत जोडण्यात आलं. दोघांनी नच बलिये ९ मध्ये आपल्या दमदार डान्सने चाहत्यांच्या मनात राज्य केलं. अनेक ठिकाणी दोघांना एकत्र देखील स्पॉट करण्यात आलं. पण काही दिवसांनी दोघांच्या ब्रेकअपच्या चर्चा रंगू लागल्या. रिपोर्टनुसार, उर्वशी ढोलकिया आणि अनुज सचदेवा यांनी एकमेकांना जवळपास ७ वर्ष डेट केलं. सात वर्षांनंतर दोघांनी विभक्त होण्याचा निर्णय घेतला. कारण अभिनेत्याच्या वडिलांना मुलाचं उर्वशी ढोलकिया हिच्यासोबत असलेलं नातं मान्य नव्हतं.. असं सांगितलं जात. आज उर्वशी एकटी ‘सिंगल मदर’ म्हणून मुलांचा सांभाळ करते. शिवाय मुलांसोबत सोशल मीडियावर फोटो आणि व्हिडीओ देखील पोस्ट करत असते. सोशल मीडियावर उर्वशी ढोलकिया हिच्या चाहत्यांची संख्या देखील फार मोठी आहे. Read the full article
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094 सब परमात्मा ही है
094 सब परमात्मा ही हैदेखा जाए तो सब स्वाभाविक ही भक्त हैं। ऐसा कोई है ही नहीं जो भक्त न हो। क्योंकि कोई लाख चाहे भगवान से अलग हो नहीं सकता, कोई उपाय ही नहीं।जिसे लगा कि भगवान अलग है, मैं अलग हूँ, उसे भ्रम हुआ कि वह भगवान से टूट गया, विभक्त हो गया। अब वह कहने लगा कि भगवान को देखना है, पाना है। और जिसने अपने दृढ़ चिंतन से न केवल स्वप्न का, बल्कि जाग्रत का संसार भी कल्पना से खड़ा कर रखा है, जैसे…
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appasahebparbhane · 3 months
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सभी शास्त्रों में विवेक को ही मानव जीवन का अन्तिम लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विवेक प्राप्त होता है, सत्संग से और सत्संग के लिये चाहिए, अकारण करुणा वरुणालय की कृपा। यह अहैतु की कृपा बरस तो सब पर रही है, पर इसका अनुभव वह ही कर पाता है जिसने अपने घट को मोह, मद, मत्सर आदि विकारों से, ख़ाली कर लिया है। जितना जितना घट ख़ाली होता जायेगा, उतना उतना ही कृपा का अनुभव प्रगाढ़ होता जायेगा। अहंकार के विगलन के साथ ही प्रारम्भ हो जायेगी, को अहम् ? से सो अहम् की यात्रा। जीव, मोह, मद, मत्सर, अहंकार आदि विकारों से अपने को ख़ाली कैसे करे ? शास्त्रों ने इसके लिए, बहुत सारे उपाय बताए हैं। महर्षि पतांजलि ने इसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के आठ सोपानों में विभक्त करते हुए, क्रमश:आगे बढ़ने की बात कही गयी है।[2]
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sharpbharat · 6 months
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Jamshedpur rammandir sankranti : आंध्र भक्त श्री राम मन्दिरम में बोगी मंटा व रंगोली प्रतियोगिता आयोजित, सोमवार को संक्रांति पर नए घंटे का होगा उद्घाटन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी होंगी प्रस्तुतियां
जमशेदपुर : आंध्र भक्त श्री राम मन्दिरम में संक्रांति के एक दिन पूर्व सुबह 6 बजे मंदिर प्रांगण में बोगी मंटा जलाया गया.  इसके बाद सुबह 9 बजे गोदा देवी कल्याणम का आयोजन हुआ एवं दोपहर 3 बजे से रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. दो ग्रुपों में विभक्त इस प्रतियोगिता के  एक ग्रुप में 14 वर्ष से कम उम्र की 42 बच्चियो का एवं दूसरे ग्रुप में 14 वर्ष से बड़े 100 महिलाओं ने हिस्सा लिया. रंगोली बनाने के…
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visitingdream · 8 months
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"बौद्ध धर्म के अद्वितीय ज्ञान का आद्यात्मिक साक्षरता: Ajanta Caves"
भारत का सुंदर पारंपरिक धरोहर और सांस्कृतिक धन अजंता गुफाएँ हैं, जो महाराष्ट्र राज्य के अजंता गांव के पास, औरंगाबाद जिले में स्थित हैं। यह गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं (best travel blogs to read) और इन्हें दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध चित्रकला के उदाहरण माना जाता है। अजंता गुफाएँ एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें 2,200 वर्ष पहले, 2 वीं सदी के आस-पास निर्मित किया गया था। इन गुफाओं के माध्यम से, हमें विशेष रूप से बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण घटकों की जीवनी और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
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अजंता गुफाओं का इतिहास:
अजंता गुफाएँ का निर्माण गुफा कारी शिल्पकला के माध्यम से किया गया था, और इसका निर्माण दिग्गज महकवियों द्वारा किया गया था। इन गुफाओं का निर्माण दो प्रमुख कालों में हुआ था - पहला गुफाएँ विशेष चैत्यगृह (बौद्ध मंदिर) के लिए निर्मित की गई थी, जबकि दूसरा काल गुफा कारी छायाचित्रण और अन्य चित्रकला के लिए था। इन गुफाओं के निर्माण का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण कथाओं की चित्रण और प्रचार था।
अजंता की गुफाएँ उस समय के व्यक्तिगत धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी जगह थीं, जैसे कि ध्यान और ध्यान का स्थान। इन गुफाओं में छायाचित्रण, शिल्पकला, और वास्तुकला का महत्वपूर्ण संग्रह है, और इसके माध्यम से हम बौद्ध धर्म के तत्वों को अध्ययन कर सकते हैं।
गुफाओं की विशेषता:
अजंता गुफाएँ की विशेषता उनके शिल्पकला और चित्रकला में है, जो इन्हें अनूठा बनाते हैं। इन गुफाओं के दीवारों पर चित्रित किए गए चित्रों का विस्तार और जीवंतता का स्तर बहुत उच्च है। इन चित्रों में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण कथाएँ, जैसे कि बुद्ध की जीवनी, बौद्ध दिवस, और अन्य धार्मिक घटनाएँ चित्रित की गई हैं। इन चित्रों की विविधता और व्यक्तिगत रूप से हरिताकारी शिल्पकला उन्हें विश्व की अद्वितीय चित्रकला कला के रूप में मानी जाती है।
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इन गुफाओं में बुद्ध के चार अवस्थान (महापरिनिर्वाण, महाप्रज्ञापारमिता, महासुखवती, और महामित्रा) के चित्रण के अलावा बौद्ध धर्म से संबंधित अन्य कथाएँ भी हैं। यह गुफाएँ व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव को प्रमोट करने वाली चित्रकला की उत्कृष्ट उपलब्धि का प्रतीक हैं।
गुफाओं की बौद्ध धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:
अजंता गुफाएँ बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों को दिखाने का माध्यम हैं। इन गुफाओं में चित्रित किए गए चित्र और शिल्पकला विभिन्न बौद्ध धर्मीय दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करते हैं।
1. बुद्ध का जीवन: अजंता गुफाएँ में बुद्ध के जीवन के विभिन्न पहलुओं की चित्रण की गई है। इसमें उनका जन्म, महापरिनिर्वाण, और उनके उपदेशों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
2.बौद्ध दिवस: अजंता गुफाएँ में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों के चित्रण के रूप में बौद्ध दिवस के प्रसंगों को दिखाया गया है।
3.बौद्ध दर्शन: इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण दर्शन की चित्रण की गई है, जैसे कि चतुष्कोटि, अनात्मवाद, और कर्मचक्र।
4.बौद्ध धर्म के महान गुरु: अजंता गुफाएँ में बौद्ध धर्म के महान गुरु, जैसे कि अश्वजित, महाकाश्यप, और महामौद्गल्यायन के चित्रण भी मौजूद हैं।
5.बौद्ध धर्म के सिद्धांत: इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का भी वर्णन है, जैसे कि आनिच्छा, दुःख, और निर्वाण।
अजंता गुफाएँ के चित्रकला का महत्व
अजंता गुफाएँ भारत के महाराष्ट्र राज्य में वायरी और यवतमाल जिलों में स्थित हैं, और ये गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्रकला को संरक्षित करने वाली महात्मा बुद्ध की जीवन की कई महत्वपूर्ण कथाओं को दर्शाती हैं। ये गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक हैं और वे 2,000 वर्ष से अधिक समय से उस समय के चित्रकला, संस्कृति, और धर्म की अद्वितीय धरोहर को दर्शाती हैं।
अजंता गुफाएँ मुख्य रूप से 2 सीरीजों में विभक्त हैं - पहली सीरीज में 29 गुफाएँ हैं, जो 2 शताब्दी के आसपास बनाई गई थीं, जबकि दूसरी सीरीज में 5 गुफाएँ हैं, जो 5वीं और 6वीं सदी के बीच निर्मित हुई थीं। इन गुफाओं में बुद्ध के जीवन के प्रमुख घटनाओं के चित्रण के साथ ही विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएं भी प्रस्तुत की गई हैं।
अजंता गुफाएँ चित्रकला के माध्यम से बौद्ध धर्म, संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन चित्रकलाओं में उपयुक्त रंग, आकृति, और रूपों का प्रयोग किया गया है, जिससे व्यक्तिगत और आकर्षक चित्रकला का सृजन हुआ है। इन चित्रकलाओं का अध्ययन और संरक्षण इनके महत्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ये एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्य जाते हैं।
इसके अलावा, अजंता गुफाएँ पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और वे दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय स्थल हैं जहाँ वे भारतीय चित्रकला और धर्म का अध्ययन कर सकते हैं।
समर्थन में, अजंता गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्रकला का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो संस्कृति और इतिहास के प्रति हमारी समझ को बढ़ावा देते हैं और वे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
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disuv · 10 months
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जन्माष्टमी
कृष्ण से बातचीत हुई तो कृष्ण कहने
लगे - - "हमे ठगते हो जो खुद छलिया
है! हम देख लेंगे तुम्हें!
हम ने हँसते हुए कहा - - हम तो आज भी मनुष्य पे संदेह
करते हैं और भगवान पर भरोसा! सच पूछो तो अधिकतर
मनुष्य भी यही करते हैं l और जहां तक बात है देखने की,
तो देख तो तुम अब भी रहे ही हो!
कृष्ण कहने लगे - तुमने सबकुछ हमसे ही सीखा और हम
से वाद विवाद करोगे? बचपन से तुम हमसे सीख रहे हो l
हम बोले - - सच कह रहे हो l स्वीकारता हूँ l जबसे देखा
तुम्हीं को देखा l हमने क्या सबने देखा l हम थोड़े नजदीक
से देख लिए! थोड़ा बहुत प्रश्न कर लिए l लेकिन अर्जुन की
तरह नहीं l बस यूँ ही, मज़ाक मज़ाक मे l अब ये न कहना
की मेरे प्रश्न मजेदार न थे l
कृष्ण जोर जोर से हँसने लगे l मुझे लगा कि बांसुरी उपहार
में दे देंगे l परंतु बांसुरी दी नही l बोले - " बारिश मे नाच न
होने का दुःख तुमको बहुत खलता था l तुम कोसते थे मुझे
कहते थे -" काहे का भगवान! बारिश भी नही जो रोक सके,
वह काहे का भगवान? तुमको बहुत कष्ट होता था, लोग जब
भीग भीग कर, कीचड़ मे घर लौट जाते थे l
हमने कहा - - तो गलत क्या कहता था l तुम स्वयँ नाचने, नृत्य को पसंद करनेवाले, विपत्ति मे भी मुख पर मुस्कान विखंडन
करनेवाले और ना जाने क्या क्या और लीला करनेवाले l
परंतु के जन्मदिन पर बारिश से धरती को पटाकर सब को
उदास करते रहे l हमे क्या तुम्हारे पूजा पाठ से l हम तो नाच
गान के रसिया थे l शिकायत होना स्वाभाविक था l
कृष्ण बोले-- " ये सच है कि मेरे आसपास उदासी के लिए
जगह नही है l परंतु मैं कुछ कर भी नहीं सकता था l तुम
बचपन मे थे l अब तुमसे क्या कहता कि हम आए ही थे
उस रात जिस रात बाढ़ ही बाढ़ और मूसलाधार बारिश
होना तय था l इसलिए मैं तुमपे बहुत हंसता था l लेकिन
अब तो बड़े हो गए l गीता भी पढ़ लिया, महाभारत भी
पढ़ लिया l कहाँ दिक्कत है अब? अब तो छल ना करो l
हमने कहा - हे प्रभु, हम तो खुद छले गए हैं l तुमने खेल
रच दिया और हम उसमे खेल रहे हैं l ना ठीक से जोड़ते
हो ना ठीक से तोड़ते हो l सुरु मे हमने साफ़ साफ़ कह
तो दिया कि मनुष्य पे संदेह है और तुमपे भरोसा l जगत
ही ऐसा है l सभी मनुष्य मनुष्य पर संदेह करते हैं और
तुमपे भरोसा l तुम्हारे लिए जहां तहां शानदार मंदिर
बनाते हैं और अपने लिए एक घर l झूठ कहता हूं तो
बेशक अभी देख लो l
कृष्ण बोले - - अभी हम जाते हैं, डिटेल्स मे बात करेंगे l
अभी जगत का आनंद लो l ऊपर आओगे तो असली
रहस्य से अवगत करवायेंगे l एक बात जाते जाते बता
के जा रहे हैं क्योंकि तुम भी बिहारी और हम भी बिहारी,
यूँ कहो कि बांके बिहारी l नर से नरक है और स्वर से
स्वर्ग l सच कहना जानते थे इस रहस्य को?
- नही प्रभु l ये तो रहस्योद्घाटन है मेरे लिए l गीता मे भी
हींट दे देते तो लोग नर्क स्वर्ग के चक्कर मे यूँ न भटकते l
- कृष्ण बोले - मिलते हैं l
हमने जोर से कहा - - जरूर, जन्मदिन की शुभकामना l
कृष्ण जा चुके थे l और हमे छोड़ गए फिर से संदेह मे!
भक्त को विभक्त कर देने मे, गत को विगत से भाग देने
मे, विषय को अविषय कर देने मे जो सामर्थ्यवान हैं वही
कृष्ण हैं l एकदम बेबुझ l कहते कुछ हैं और अर्थ होता
है कुछ और l हमने सिर झुकाया और मन ही मन बोल
उठे - जय श्री कृष्ण l
- दिशव / 06-09-2023
#HappyJanmashtami ❤️🌍
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lawspark · 11 months
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जुडिशरी एग्जाम # CPC 1908 अभिवचन (आदेश 6) PLEADING ORDER 6 SHORT NOTES
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By: LAWSPARK Category: lAWSPARK ARTICLE Tag: FOR RJS MPCJ UPPCSJ CHATTISGARAH UTRAKHAND JHARKHAND BIHAR JUDICIARY EXAMS:
अभिवचन (आदेश 6)
अभिवचन से तात्पर्य नियम 1 के अनुसार ‘ अभिवचन ‘ से वादपत्र या लिखित कथन अभिप्रेत होगा | अभिवचन का उद्देश्य अभिवचन का सम्पूर्ण उद्देश्य पक्षकारो के बीच वास्तविक विवाद का निर्धारण , विवाद के विस्तार – क्षेत्र को सीमित करना , और यह देखना कि दोनों पक्ष को किस बिंदु पर परस्पर विरोध है । एक पक्षकार द्वारा दुसरे को आश्चर्यचकित करने से रोकना और न्याय की हत्या को रोकना है । नियम 2 के अनुसार अभिवचन में तात्विक तथ्यों का , न कि साक्ष्य का कथन होगा इस नियम की व्याख्या करने से अभिवचन के जो सामान्य नियम उभर के आते है वो निम्न है – 1 . तथ्यों का अभिवचन करें विधि का नहीं – अभिवचन का सबसे महत्वूर्ण नियम यह है कि उसमे तथ्यों एवं घटनाओं का वर्णन किया किया जाना चाहिए न कि विधि का क्योंकि किन तथ्यों और घटनाओं पर कौन सी विधि लागू होगी यह निश्चित करना न्यायालय का काम है । 2 . केवल सारभूत तथ्यों का अभिवचन करें – अभिवचन में केवल सारवान तथ्यों का कथन होना चाहिए । – सारवान तथ्यों से तात्पर्य उन तथ्यों से है जिस पर वादी का वाद हेतुक और प्रतिवादी का बचाव निर्भर करता है । दूसरे शब्दों में वे सारे तथ्य जिन्हें न्यायालय में साबित किया जाना चाहिए ताकि वाद हेतुक या बचाव का विद्यमान होना स्थापित किया जा सके , सारवान तथ्य कहलाते हैं । 3 . तथ्यों का अभिवचन करे साक्ष्य का नहीं अभिवचन में केवल उन्ही तथ्यों का कथन रहेगा जिस पर अभिवचन करने वाला पक्षकार अपने दावे या बचाव के लिए निर्भर करता है । किसी भी मामले में दो प्रकार के तथ्य होते है a . वे तथ्य जिनको साबित किया जाना है , और b . साक्ष्य सम्बन्धी तथ्य जिनके द्वारा उपरोक्त को साबित किया जाता है । -जिन सारभूत तथ्यों पर पक्षकार अपने बचाव या दावे के लिए निर्भर करता है उन्हें साबित किए जाने वाले तथ्य कहा जाता है । और ऐसे तथ्यों का कथन अभिवचन में अवश्य ही किया जाना चाहिए -वही दूसरी तरफ उन तथ्यों को जिनके माध्यम से साबित किये जाने वाले तथ्यों को साबित किया जाता है , उन्हें साक्ष्य सम्बन्धी तथ्य कहा जाता है । अभिवचन में ऐसे तथ्यों का कथन नहीं किया जाना चाहिए । उदाहरण के लिए जहां ‘ A ‘ के जीवन पर एक बीमा पालिसी से सम्बंधित वाद बीमा कंपनी के विरुद्ध संस्थित किया गया है । बीमा पालिसी की एक शर्त यह है कि यदि बीमादार आत्महत्या कर लेता है तो बीमा पालिसी शून्य हो जायेगी । अगर बीमा कंपनी यह बचाव लेती है कि ‘ A ‘ ने आत्महत्या की थी तो बीमा कंपनी को यह अभिवचन करना चाहिए कि ‘ A ‘ की मृत्यु स्वयं अपने हाथ से हुयी है । वहां बीमा कंपनी यह अभिवचन नहीं कर सकती कि ‘ A ‘ कई दिनों से उदास था तथा यह कि उसने पिस्टल खरीदा और उसी से अपने को दाग लिया | यह सब साक्ष्य है , वे तथ्य जिनके माध्यम से साबित किया जाने वाला तथ्य अर्थात ‘ आत्महत्या ‘ साबित की जायेगी । 4 . संक्षिप्त कथन  अभिवचन संक्षेप में और शुद्धता के साथ तैयार किया जाना चाहिए । हर अभिकथन आवश्यकता अनुसार पैराग्राफ में विभक्त किया जाएगा और यथा क्रम संख्यांकित किया जाएगा । नियम 4 के अनुसार उन सभी मामलों में जहां अभिवचन करने वाला पक्षकार किसी दुर्व्यपदेशन , कपट , न्यासभंग , जानबूझकर किये गये व्यतिक्रम या असम्यक असर के अभिवाक पर निर्भर करता है , वहां इन सभी के बारे में विशेष विवरण दिया जाना चाहिए |      जहां आवश्यक हो वहां तारीख और विषय के साथ आवश्यक विवरण दिए जाने चाहिए । नियम 14 अभिवचन का हस्ताक्षरित किया जाना  हर अभिवचन पक्षकार द्वारा और यदि उसका कोई प्लीडर हो तो उसके द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा । परन्तु जहां अभिवचन करने वाला पक्षकार अनुपस्थिति के कारण या किसी अन्य अच्छे हेतुक से अभिवचन पर हस्ताक्षर करने में असमर्थ है वहां वह ऐसे ��्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किया जा सकेगा जो उसकी ओर से उसे हस्ताक्षरित करने के लिए या वाद लाने की प्रतिरक्षा करने के लिए उसके द्वारा सम्यक रूप से प्राधिकृत है । नियम 15 अभिवचनों का सत्यापन  प्रत्येक अभिवचन का चाहे वह वादपत्र हो या लिखित कथन उसका सत्यापन पक्षकार द्वारा या पक्षकार में से किसी एक के द्वारा या किसी अन्य के द्वारा जिसके बारे में न्यायालय को समाधान हो जाये कि वह मामले के तथ्यों से परिचित है , सत्यापित किया जाएगा । अभिवचन का सत्यापन आवश्यक है परन्तु यदि सत्यापन समुचित नहीं है और वादी वादपत्र में अपना पक्ष स्पष्ट कर देता है , तो वादपत्र का समुचित न होना या सत्यापन का न होना , वादपत्र के ख़ारिज करने का कारण नहीं बनेगा । नियम 15 ( 2 ) के अनुसार सत्यापन करने वाला व्यक्ति संख्यांकित पैराओं के बारे में यह बतायेगा कि कौन सा पैरा वह – अपने निजी ज्ञान के आधार पर सत्यापित करता है और कौन सा पैरा वह ऐसी जानकारी के आधार पर सत्यापित करता है जो उसे मिली है और जिसके बारे में उसका यह विश्वास है कि वह सत्य है । नियम 15 ( 3 ) के अनुसार सत्यापन करने वाले व्यक्ति द्वारा वह सत्यापन हस्ताक्षरित किया जाएगा और उसमे उस तारीख का जिसको और उस स्थान का जहां यह हस्ताक्षरित किया गया था कथन किया जाएगा । नियम 15 ( 4 ) के अनुसार अभिवचन का सत्यापन करने वाला व्यक्ति भी अपने अभिवचन के समर्थन में शपथपत्र उपलब्ध कराएगा यह एक अनिवार्य शर्त हो सकता है परन्तु जैसा कि जी . एम . सिद्देश्वर बनाम प्रसन्ना कुमार , 2013 के वाद में कहा गया कि चुनाव याचिका के अभिवचन के समर्थन में शपथपत्र जरुरी नहीं है । नियम 17 अभिवचन का संशोधन  न्यायालय दोनों में से किसी पक्षकार को कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम में अनुज्ञा दे सकेगा कि वह अपने अभिवचनो को ऐसी रीति से और ऐसे निर्बधनों पर जो न्याय संगत हो परिवर्तित करे या संशोधित करे और सभी ऐसे संशोधन किये जायेंगे जो पक्षकारो के बीच में विवादाग्रस्त वास्तविक प्रश्न के अवधारण के प्रयोजन के लिए आवश्यक हो । परन्तु यह कि संशोधन के लिए कोई आवेदन विचारण प्रारम्भ होने के पश्चात् अनुज्ञात नहीं किया जाएगा जब तक कि न्यायालय इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता है कि सम्यक तत्परता के पश्चात् भी पक्षकार मामले को विचारण प्रारम्भ होने से पूर्व नहीं उठा सकता था । न्यायालय का संशोधन मंजूर करने का विवेकाधीन अधिकार है । किसी भी संशोधन से पूर्व न्यायालय को निम्न बातो पर विचार करना चाहिए कि क्या ऐसा संशोधन – 1 . न्याय के हित में है , या 2 . पक्षकारों के बीच विवादग्रस्त वास्तविक प्रश्न���ं के अवधारण के लिए आवश्यक है , या । 3 . वाद की बहुलता को रोकने के लिए क्या ऐसा किया जाना आवश्यक है ? 4 . दूसरे पक्षकार के लिए अन्यायपूर्ण नहीं है । संशोधन की अनुमति – सामान्यतया अभिवचन में संशोधन की अनुमति निम्न अवस्था में दी जायेगी  1 . जहां ऐसा करना पक्षकारों के बीच विवादग्रस्त वास्तविक प्रश्नो के अवधारण के लिए आवश्यक है , और 2 . ऐसे संशोधन से विरोधी पक्षकार को कोई क्षति नहीं पहुंचती | संशोधन की अनुमति कब अस्वीकार कर दी जायेगी  1 . जहां ऐसा संशोधन पक्षकारो के बीच विवादग्रस्त वास्तविक प्रश्नों के अवधारण के लिए आवश्यक नहीं है । 2 . जहां प्रस्तावित संशोधन से वादी का वाद पूर्णरूप से विस्थापित हो जाएगा | 3 . जहां ऐसे संशोधन का परिणाम दुसरे पक्षकार से उसके विधिक अधिकार को छीन लेना , जो उसमें समय के बीत जाने के कारण प्रोद्भूत हो गया है , अस्वीकार कर दिया गया है । 4 . जहां संशोधन का आवेदन सद्भावपूर्वक नहीं दिया गया है । 5 . जहां संशोधन पर्याप्त विलम्ब से चाहा गया हो और विलम्ब का संतोषजनक कारण न बताया गया हो । 6 . जहां संशोधन से लिखित कथन में की गयी स्वीकृति वापस मान ली जायेगी वहां संशोधन की अनुमति नहीं दी जायेगी ।                  7 . जहां संशोधन विलम्ब से चाहा गया और वह बचाव की प्रकृति को बदल देता है । नियम 18 आदेश के पश्चात संशोधन करने में असफल रहना जहां किसी पक्षकार ने अपने अभिवचन में संशोधन का आदेश प्राप्त कर लिया है , वहां उसे न्यायालय द्वारा निश्चित समय के भीतर या ऐसा समय निश्चित नहीं किया गया है , वहां आदेश की तिथि से 14 दिन के भीतर संशोधन कर देना चाहिए । यदि न्यायालय ने संशोधन की अवधि अपने आदेश द्वारा बढ़ा न दिया हो और सम्बंधित पक्षकार अपने अभिवचन में संशोधन करने में असफल रहता है और न्यायालय द्वारा निश्चित समय या 14 दिन , जैसा भी मामला हो , समाप्त हो जाता है , तो उस पक्षकार को संशोधन करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा | परन्तु जहां ऐसा संशोधन निश्चित अवधि के अंतर्गत नहीं किया गया है , वहां कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐसी अवधि संहिता की धारा 151 के अंतर्गत बढाई जा सकती है । यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है, तो कृपया हमें -  [email protected]   पर मेल करके बताएं ! 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laweducation · 11 months
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भारत में सूचना का अधिकार का संक्षिप्त रूप क्या है? इसका क्या उद्देश्य है
सूचना का अधिकार (Right to Information Act 2005)
सूचना के अधिकार से तात्पर्य - उस वैधानिक नागरिक अधिकार से है जो किसी देश के व्यक्ति को सरकारी कार्यकरण से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त करने के अवसर एवं पहुँच प्रदान करता है। भारत में सूचना के अधिकार की माँग 70 के दशक में उस समय उठने लगी थी जब दिल्ली में चर्चित चोपड़ा हत्याकांड के बाद हिन्दुस्तान टाइम्स के पत्रकार ने खतरनाक अपराधियों रंगा बिल्ला से जेल में साक्षात्कार हेतु जेल प्रशासन से इस आधार पर अनुमति माँगी थी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सूचना की प्राप्ति समाहित है। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अन्तर्गत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार तथा अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार का एक आवश्यक अंग माना गया। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (ए.आई.आर. 1982, एस. सी.149) -इस मामले में सन् 1982 में सर्वोच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित करते हुए कहा कि - यदि एक समाज लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूर्ण मनोयोग के साथ स्वीकार करता है तो वहाँ के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि उनकी सरकार क्या कर रही है। इसमें न्यायालय का यह भी मानना था कि संविधान के अनुच्छेद 17(1) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सूचना जानने एवं प्राप्त करने की स्वतंत्रता भी समाहित है।सूचना का अधिकार अधिनियम कब लागू हुआ - भारत में सूचना के अधिकार की लड़ाई मुख्य तौर पर ग्रामीण तथा निर्धन वर्ग के लोगों द्वारा लड़ी गई थी। राष्ट्रीय स्तर पर 25 जुलाई 2000 को अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने स्वतंत्रता विधेयक 2000 प्रस्तुत किया जिसे गृह मंत्रालय की स्थायी समिति ने एक वर्ष पश्चात् इसे संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जो सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 के रूप में लागू हुआ। इस अधिनियम में कमियों के कारण पुनः 23 दिसम्बर 2004 को नया सूचना का अधिकार विधेयक संसद में प्रस्तुत क��या। जिस पर लम्बी बहस के बाद इसे 146 संशोधनों के साथ 11 मई 2005 को लोकसभा ने इसे स्वीकार किया और अगले दिन ही इसे राज्यसभा द्वारा भी स्वीकार कर लिया गया।उसके पश्चात यह अधिनियम सन 2005 दिनांक 12 अक्टूबर 2005 को जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में लागू हो गया जो कुल 31 धारायें तथा दो अनुसूचियों में विभक्त है। देश के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी वजाहत हबीबुल्ला को बनाया गया जिसे 26 अक्टूबर 2005 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा शपथ दिलवायी गई।
सूचना के अधिकार में शामिल अधिकार
(i) कृति दस्तावेजों, अभिलेखों का निरीक्षण (ii) दस्तावेजों या अभिलेखों के टिप्पण, उद्धरण या प्रमाणित प्रतिलिपि लेना (iii) सामग्री के प्रमाणित नमूने देना (iv) डिस्केट फ्लापी, टेप वीडियो कैसेट के रूप में सूचना अभिप्राप्त करना आदि।
सूचना के अधिकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(i) लोक प्राधिकारियों के कार्यकरण में पारदर्शिता लाना तथा उसके उत्तरदायित्व में संवर्धन करना। (ii) लोक प्राधिकारियों के नियंत्रधीन सूचना तक जनसाधारण की पहुँच सुनिश्चित करना । (iii) भ्रष्टाचार को रोकना। (iv) केन्द्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोगों का गठन करना। (v) सरकारों के प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना । Read More This Post - भारत में सूचना के अधिकार का संक्षिप्त रूप क्या है? Read the full article
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airnews-arngbad · 11 months
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad
Date – 10 August 2023
Time 7.10 AM to 7.25 AM
Language Marathi
आकाशवाणी औरंगाबाद
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक १० ऑगस्ट २०२३ सकाळी ७.१० मि.****
केंद्र सरकारविरोधातल्या अविश्वास प्रस्तावावर काल सलग दुसऱ्या दिवशी वादळी चर्चा; पंतप्रधान आज चर्चेला उत्तर देणार
पंतप्रधानांनी गेल्या नऊ वर्षांत भ्रष्टाचार आणि घराणेशाहीवर प्रहार केल्याचं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा यांचं प्रतिपादन; तर केंद्र सरकार मणीपूरचं विभाजन करत असल्याचा राहुल गांधी यांचा आरोप
मेरी माटी मेरा देश अभियानाची मुख्यमंत्र्यांच्या उपस्थितीत सुरूवात, मराठवाड्यात विविध कार्यक्रम
ज्येष्ठ विचारवंत, लेखक हरि नरके यांचं मुंबईत निधन
अंबाजोगाई जिल्हा निर्मितीच्या मागणीसाठी अंबाजोगाई जिल्हा निर्मिती कृती समितीचं रस्ता रोको आंदोलन
उजनी धरणातून सात अब्ज घनफूट पाणी सीना - कोळेगाव धरणात आणण्यास मंजुरी
आणि
आशियाई हॉकी अजिंक्यपद स्पर्धेत पाकिस्तानला नमवून भारत उपांत्य फेरीत दाखल
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केंद्र सरकारविरोधातल्या अविश्वास प्रस्तावावर काल सलग दुसऱ्या दिवशी वादळी चर्चा झाली. सत्ताधारी तसंच विरोधी सदस्यांनी आपापली बाजू मांडताना, परस्परांवर आरोप प्रत्यारोपाच्या ��ैरी झाडल्या. या प्रस्तावावरच्या चर्चेला पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आज उत्तर देणार असल्याचं, संरक्षणमंत्री राजनाथसिंह यांनी लोकसभेत सांगितलं.
दरम्यान, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी गेल्या नऊ वर्षांत भ्रष्टाचार आणि घराणेशाहीवर प्रहार केल्याचं प्रतिपादन, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा यांनी केलं आहे. ते काल लोकसभेत केंद्र सरकारविरोधातल्या अविश्वास प्रस्तावावर बोलत होते. या प्रस्तावावरून विरोधी पक्ष आणि त्यांच्या आघाडीचं चरित्र स्पष्ट होत असल्याचं, त्यांनी नमूद केलं. केंद्र सरकारने पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या नेतृत्वात अनेक ऐतिहासिक निर्णय घेतल्याचंही शहा यांनी सांगितलं.
काँग्रेस खासदार राहुल गांधी यांनी काल चर्चेत सहभागी होत, आपलं सदस्यत्व पुन्हा बहाल केल्याबद्दल लोकसभा अध्यक्षांचे आभार मानले. केंद्र सरकार, मणिपूरचं विभाजन करत असल्याचा आरोप त्यांनी केला. पंतप्रधान मोदी यांनी अजूनपर्यंत मणिपूर दौरा का केला नाही तसंच मणिपूर हिंसाचारादरम्यान महिलांवरील अत्याचाराकडे लक्ष वेधत, तिथली स्थिती सामान्य होइपर्यंत सरकार लष्कर का तैनात करत नाही, असा प्रश्नही राहुल गांधी यांनी विचारला.
महिला आणि बाल विकास मंत्री स्मृति ईराणी यांनी मणिपूर हा भारताचा अविभाज्य प्रदेश असून, कधीच विभक्त होणार नसल्याचं यावेळी सांगितलं. जम्मू-कश्मीरमध्ये महिलांवर झालेल्या अत्याचाराचा दाखला देवून, काँग्रेस त्यावेळी मूकप्रेक्षक असल्याचा आरोप त्यांनी केला. ३७० कलम रद्द केल्यामुळे जम्मू काश्मीरमध्ये महिलांना न्याय मिळणं सुकर झाल्याचंही त्यांनी यावेळी सांगितलं. भारत घराणेशाहीवर नाही तर योग्यतेवर विश्वास ठेवतो असं ईराणी यांनी नमूद केलं.
दरम्यान, या प्रस्तावाच्या बाजूने तसंच विरोधात अनेक सदस्यांनी कालही आपली मतं मांडली. भाजपच्या इतरही अनेक सदस्यांसह वाय एस आर काँग्रेसचे नेते मिथुन रेड्डी यांनी या प्रस्तावाच्या विरोधात मत व्यक्त केलं. द्रमुकच्या कनिमोळी, तृणमूल काँग्रेसच्या काकोली घोष, संयुक्त जनता दलाचे राजीव रंजन सिंह यांनी अविश्वास प्रस्तावाच्या समर्थनात आपल्या पक्षाची भूमिका मांडली. शिरोमणी अकाली दलाच्या सदस्य हरसिमरतकौर बादल यांनी सत्ताधारी तसंच विरोधकांच्या भूमिकांवर कडाडून टीका केली.
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दरम्यान, काल सायंकाळी लोकसभेचं कामकाज संपण्यापूर्वी, मणीपूर राज्यातल्या दोन्ही समाजाच्या गटांना शांतता राखण्याचं आवाहन करणारा प्रस्ताव सादर करण्याची मागणी, गृहमंत्री अमित ���हा यांनी केली, संरक्षणमंत्री राजनाथसिंह यांनी या मागणीला पाठिंबा दर्शवला. अध्यक्ष ओम बिर्ला यांनी हा प्रस्ताव सादर केला, सदनानं तो एकमुखाने मंजूर केला.
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काँग्रेस खासदार राहुल गांधी अविश्वास प्रस्तावाच्या चर्चेदरम्यान, केलेल्या कथित अयोग्य वर्तनाबद्दल भाजपच्या महिला खासदारांनी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला यांच्याकडे तक्रार दाखल केली आहे. सभागृहातल्या अविश्वास प्रस्तावावर केंद्रीय मंत्री स्मृती इराणी यांनी बोलण्यास सुरुवात केली असता, गांधींनी विचित्र हावभाव करत, महिलांचा अनादर होईल असं अयोग्य वर्तन केल्याचं, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे यांनी सांगितलं, त्या संसद परिसरात माध्यामांशी बोलत होत्या. याप्रकरणी अध्यक्षांकडे तक्रार दाखल करुन कारवाईची मागणी केल्याचं त्यांनी सांगितलं.
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स्वराज्याचा हुंकार या महाराष्ट्राच्या मातीतून उमटला, त्याचा अभिमान प्रत्येकाने बाळगला पाहिजे, असं आवाहन, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी केलं आहे. स्वातंत्र्याच्या अमृत महोत्सवी वर्षाच्या समारोपानिमित्त, 'मेरी माटी मेरा देश' अर्थात माझी माती, माझा देश', या अभियानाची काल मुंबईत ऑगस्ट क्रांती मैदानातून मुख्यमंत्र्यांच्या उपस्थितीत सुरूवात झाली, त्यावेळी ते बोलत होते. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, यांच्यासह अनेक मान्यवर यावेळी उपस्थित होते. देशासाठी स्वातंत्र्यसैनिकांनी केलेल्या त्याग आणि बलिदानामुळे स्वातंत्र्याचे अमृतक्षण आपण अनुभवतो आहोत, त्यांच स्मरण करण्यासोबतच त्यांची देशनिष्ठा नव्या पिढीपर्यंत पोहोचवण्याची गरज मुख्यमंत्र्यांनी व्यक्त केली. ते म्हणाले...
‘‘स्वराज्य स्वातंत्रयाचा हुंकार आपल्या महाराष्ट्र भूमीतूनच उमटला, आपल्या सर्वांना त्याचा अभिमान आहे, हा महाराष्ट्र शिव छत्रपतींचा, त्यांनी स्वराज्याची उभारणी केली, संतांची, समाजसुधारकांची आणि क्रांतीकारांची मोठी फळी या महाराष्ट्रनं देशाला दिली, आणि लहान पोरं, माता भगिनी, गरीब, श्रीमंत, कष्टकरी, शेतकरी, कामगार या सगळयांनी आपापल्या पद्ध्तीने या स्वातंत्रय संग्रामामध्ये योगदान दिलं होतं, त्या बलीदानाचा केवळ स्मरण करून चालणार नाही, तर त्यांची देश निष्ठा तरूनांपर्यंत पहोचवली पाहिजे.’’
या ठिकाणी हुतात्म्यांच्या स्मारकाला अभिवादन आणि पुष्पचक्र अर्पण केल्यानंतर मान्यवरांच्या हस्ते 'शिलाफलकम्' चं अनावरण तसंच वृक्षारोपण करण्यात आलं.
मेरी माटी मेरा देश हे अभियान देशभरात ३० ऑगस्टपर्यंत चालणार असून, यामध्ये गाव, गट स्तरावर तसंच स्थानिक शहरी संस्था, राज्य आणि राष्ट्रीय स्तरावरील कार्यक्रमांचा आयोजन करण्यात आला आहे.
या अभियानांतर्गत काल मराठवाड्यातही सर्वत्र विविध कार्यक्रम घेण्यात आले.
औरंगाबाद इथं विभागीय आयुक्त कार्यालयात पंचप्रण शपथ घेण्यात आली. यावेळी विभागीय आयुक्त मधुकर राजे अर्दड, उपायुक्त जगदीश मिनियार यांच्यासह अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित होते. औरंगाबाद जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हाधिकारी आस्तिककुमार पाण्डेय यांच्या, तर जिल्हा परिषद कार्यालयात मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा प्रशासक विकास मीना यांच्या उपस्थितीत, शपथग्रहण करण्यात आलं. या अभियानांतर्गत औरंगाबाद जिल्ह्यातल्या मातीचे १५६ कलश दिल्लीत अमृतवाटिकेसाठी पाठवण्यात येणार आहेत.
लातूर जिल्ह्यात विविध ठिकाणी प्रभात फेरी काढून या अभियानाला सुरुवात झाली. वसुधा वंदन कार्यक्रमाअंतर्गत जिल्ह्यात कलश मिरवणूक काढून माती जमा करण्यात येत आहे.
लातूर जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हाधिकारी वर्षा ठाकूर - घुगे यांनी, तर  जालना जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाळ यांनी देखील कर्मचाऱ्यांना पंचप्रण शपथ दिली.
हिंगोली इथं जिल्हाधिकारी कार्यालयासह जिल्हाभरातल्या शाळा, महाविद्यालयं, ग्रामपंचायत कार्यालयांमध्ये पंचप्रण शपथ घेण्यात आली. शालेय विद्यार्थ्यांनी हातामध्ये दिवा घेऊन शपथ घेतल्याचं, आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे.
उस्मानाबाद इथंही सर्वत्र पंचप्रण शपथ घेण्यात आली. तुळजापूर इथं विविध सामाजिक संघटनांच्या वतीनं रक्तदान शिबीर घेण्यात आलं, १३ महिलांसह १०७ जणांनी यावेळी रक्तदान केलं.
परभणी इथं जिल्हाधिकारी रघुनाथ गावडे यांनी अधिकारी-कर्मचाऱ्यांना पंचप्रणची शपथ दिली. तत्पूर्वी गावडे यांच्या हस्ते राजगोपालचारी उद्यानात ध्वजारोहण करण्यात आलं. जिल्ह्यातल्या ७०४ ग्रामपंचायतींपैकी ६४२ ठिकाणी शिलाफलक लावण्याचं काम सुरू असून, अमृत वाटिकांच्या जागा निश्चित करण्यात आल्या आहेत. जिल्हा प्रशासनाकडे सध्या दोन लाख ६३ हजार ४३९ राष्ट्रध्वज उपलब्ध आहेत.
बीड जिल्हाधिकारी कार्यालयाच्या सभागृहात जिल्हाधिकारी दीपा मुधोळ मुंडे यांनी उपस्थित सर्व अधिकारी तसंच कर्मचाऱ्यांना पंचप्रण शपथ दिली.
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ज्येष्ठ विचारवंत, लेखक हरि नरके यांचं काल मुंबईत ह्रदयविकाराच्या झटक्यानं निधन झालं, ते ७० वर्षांचे होते. समता परिषदेचे उपाध्यक्ष असलेले हरि नरके यांनी, महात्मा ज्योतिबा फुले आणि सावित्री बाई फुले यांच्याविषयी समग्र लिखाण केलं आहे. पुणे विद्यापीठातल्या महात्मा फुले अध्यासनाचे प्रमुख, तसंच राज्य मागासवर्ग आयोगाचे सदस्य म्हणूनही, त्यांनी काम पाहिलं होतं. महाराष्ट्र शासनाने प्रकाशित केलेल्या समग्र महात्मा फुले या एक हजार पानाच्या ग्रंथाचं संपादन त्यांनी केलं होतं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी नरके यांना श्रद्धांजली अर्पण केली. महाराष्ट्रातल्या पुरोगामी विचारधारेचं जतन, संवर्धन करणारा परखड असा विचारवंत आपण गमावला, अशा शब्दात मुख्यमंत्र्यांनी शोकभावना व्यक्त केली.
नरके यांच्या निधनाने महाराष्ट्राने महात्मा फुले यांच्या साहित्याचा आणि विचारांचा अभ्यासक गमावला आहे, अशा शब्दात उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी श्रद्धांजली अर्पण केली, तर नरके यांच्या निधनानं ओबीसी हक्कांसाठीच्या चळवळीत आघाडीवर राहून लढणारा कृतीशील कार्यकर्ता आपण गमावला, अशा शब्दात उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी त्यांना श्रद्धांजली अर्पण केली.
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महाराष्ट्र चित्रपट, रंगभूमी आणि सांस्कृतिक विकास महामंडळानं, २०२१-२२ या वित्तीय वर्षाचा एक कोटी ३४ लाख १५ हजार ७३३ एवढ्या रक्कमेच्या लाभांशाचा धनादेश, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांच्याकडे काल सुपूर्द केला. यावेळी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, सांस्कृतिक विभागाचे प्रधान सचिव विकास खारगे आदी मान्यवर उपस्थित होते.
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किरकोळ बाजारातले दर नियंत्रणात ठेवण्यासाठी ५० लाख टन गहू आणि २५ लाख टन तांदूळ खुल्या बाजारात विकण्याचा निर्णय केंद्र सरकारनं घेतला आहे. खाद्य आणि सार्वजनिक वितरण विभागाचे सचीव संजीव चोप्रा यांनी नवी दिल्ली इथं बातमीदारांना ही माहिती दिली. केंद्र सरकारला मिळालेल्या माहितीनुसार, गहू आणि तांदळाचे दर वाढवण्यासाठी काही व्यापारी गहू आणि तांदळाचा अवैधरित्या साठा करत आहेत. मात्र देशात गहू आणि तांदळाचा पुरेसा साठा आहे, असंही चोप्रा यांनी सांगितलं.
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बीड जिल्ह्याचं विभाजन करुन अंबाजोगाई जिल्हा निर्माण करावा, यासाठी अंबाजोगाई जिल्हा निर्मिती कृती समितीच्य��� वतीनं, काल शहरातल्या यशवंतराव चव्हाण चौक इथं रस्ता रोको आंदोलन करण्यात आलं. गेल्या ३५ वर्षांपासून अंबाजोगाईकर ही मागणी करत आहेत. यासाठी अनेक तीव्र आंदोलनं झाली असून, जिल्हा निर्मितीसाठी शिष्टमंडळ याआधी पाच मुख्यमंत्र्यांना भेटलं होतं, त्यांनी अंबाजोगाई जिल्हा जाहीर करण्याचं आश्वासनही तेव्हा दिलं होतं. येत्या १७ सप्टेंबर पर्यंत अंबाजोगाई जिल्हा घोषित न केल्यास तीव्र आंदोलनाचा इशारा, या कृती समितीनं दिला आहे. या आंदोलनामुळे शहरातली वाहतूक काही काळ विस्कळीत झाली होती.
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उजनी धरणातून सात अब्ज घनफूट पाणी सीना - कोळेगाव या धरणात आणण्याची मंजुरी मिळाली असल्याचं, उस्मानाबाद जिल्ह्याचे पालकमंत्री तानाजी सावंत यांनी सांगितलं आहे. परंडा इथं संजय गांधी निराधार योजना, अपंग लाभार्थी योजना आणि श्रावणबाळ लाभार्थ्यांना मंजुरी पत्र वाटप कार्यक्रमात ते काल बोलत होते. जून २०२४ पर्यंत कोळेगाव धरणात हे पाणी येणार असल्याचा विश्वास सावंत यांनी व्यक्त केला. या पाण्याचा जिल्ह्यातल्या सर्व शेतकऱ्यांचा फायदा होणार असून, जिल्हा सुजलाम सुफलाम होईल असं ते म्हणाले.
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आशियाई हॉकी अजिंक्यपद स्पर्धेत काल चेन्नई इथं झालेल्या सामन्यात भारतानं पाकिस्तानवर चार - शून्य असा विजय मिळवत उपांत्य फेरीत प्रवेश केला. भारताच्या हरमनप्रीत सिंह यानं दोन, तर जुगराज सिंह आणि मनदीप सिंह यांनी प्रत्येकी एक गोल केला. उपांत्य फेरीत उद्या भारताचा सामना जपान सोबत होणार आहे. 
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जागतिक ॲथलेटिक्स अजिंक्यपद स्पर्धेत प्रसिद्ध भाला फेक खेळाडू नीरज चोपडा भारतीय संघाचं नेतृत्व करणार आहे. ही स्पर्धा १९ ऑगस्टपासून हंगेरीमध्ये बुडापेस्ट इथं सुरु होणार आहे. या स्पर्धेत २८ भारतीय स्पर्धकांना प्रायोजकत्व देण्यात येत असल्याचं, युवा आणि क्रीडा मंत्रालयातर्फे सांगण्यात आलं. २७ ऑगस्टपर्यंत ही स्पर्धा चालणार असून, एकूण २८ स्पर्धकांपैकी १५ स्पर्धक हे पहिल्यांदाच या स्पर्धेत भाग घेत आहेत.
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हिंगोली जिल्ह्यात जागतिक आदिवासी दिन काल विविध उपक्रमांनी साजरा करण्यात आला. आदिवासी युवक कल्याण संघ, आदिवासी कर्मचारी संघटना यांच्या वतीने जिल्हाभरात वाहन फेरी, गुणवंत विद्यार्थी सत्कार, आदी कार्यक्रम घेण्यात आले.
नांदेड जिल्हयात किनवट इथं, जागतिक आदिवासी दिनानिमित्त विविध उपक्रम राबवण्यात आले. अतिदुर्गम गावांना रस्त्याच्या सुविधा अजून चांगल्या प्रमाणात मिळणं आवश्यक असून, शासन यासाठी पुढाकार घेईल, असा विश्वास आमदार भिमराव केराम यांनी यावेळी व्यक्त केला.
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उस्मानाबादचे पालकमंत्री तानाजी सावंत यांच्या अध्यक्षतेखाली काल प्रशासकीय आढावा बैठक घेण्यात आली. पालकमंत्री सावंत यांनी जिल्ह्यातले शेतरस्ते अतिक्रमणमुक्त करण्याबाबत, तसंच मराठवाडा मुक्ती संग्राम अमृत महोत्सवी वर्षानिमित्त घ्यावयाचे विविध प्रस्तावित कार्यक्रम, आणि इतर कामांचा सविस्तर आढावा घेतला.
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मराठवाडा साहित्य परिषदेच्या लातूर शाखेत काल दिवंगत कवी ना. धों. महानोर यांना श्रद्धांजली वाहण्यात आली. राजर्षी शाहू महाविद्यालयात झालेल्या शोकसभेला अनेक कवी, लेखक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ते यांनी उपस्थित राहुन महानोरांच्या आठवणींना उजाळा दिला.
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हिंगोली जिल्ह्यात रस्ते अपघातातल्या मृत्यूचं प्रमाण अधिक असल्याचं निदर्शनास आलं आहे. अपघात टाळण्यासाठी उपाययोजना राबवणार असल्याचं, अप्पर पोलीस महासंचालक रवींद्रकुमार सिंगल यांनी सांगितलं. पुढील तीन दिवस हिंगोली जिल्ह्यातल्या पोलीस दलाची तपासणी करण्यात येत असल्याची माहितीही त्यांनी दिली.
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औरंगाबाद शहरात विविध सोहळ्यांमध्ये लेझर लाईट तसंच बीम लाईट वापरण्यात पोलिस आयुक्त मनोज लोहिया यांनी मनाई केली आहे. हे आपत्ती प्रतिबंधात्मक आदेश येत्या चार ऑक्टोबरपर्यंत लागू राहणार आहेत. आदेशाचं उल्लंघन झाल्यास कडक कारवाईचा इशाराही पोलिस आयुक्तांनी दिला आहे.
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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सानियासोबत घटस्फोट घेणार असल्याच्या चर्चांवर शोएब स्पष्टच बोलला; म्हणाला, “विभक्त होण्याचा…”
सानियासोबत घटस्फोट घेणार असल्याच्या चर्चांवर शोएब स्पष्टच बोलला; म्हणाला, “विभक्त होण्याचा…”
सानियासोबत घटस्फोट घेणार असल्याच्या चर्चांवर शोएब स्पष्टच बोलला; म्हणाला, “विभक्त होण्याचा…” मागील काही दिवसांपासून पाकिस्तानचा क्रिकेटपटू शोएब मलिक आणि भारताची स्टार टेनिसपटू सानिया मिर्झा यांच्या घटस्फोटाबाबत चर्चा मोठा प्रमाणात सुरु होत्या. दोघांच्याही सोशल मीडियावरील पोस्ट आणि वर्तनामुळे त्यांच्या घटस्पोटाच्या चर्चांना उधाण आले होते. त्याचबरोबर त्यांच्या काही जवळच्या मित्रांनी आणि…
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chatgpt-4 · 1 year
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ChatGPT चा जास्तीत जास्त फायदा घेण्यासाठी टिपा आणि युक्त्या (Marathi)
ChatGPT वरून उच्च-गुणवत्तेची उत्तरे मिळविण्यासाठी, आपण अनुसरण करू शकता अशा काही टिपा आहेत. सर्वोत्तम ChatGPT अनुभवाचा आनंद घेण्यासाठी या सूचना वापरा:
1.तुमच्या सूचनांमध्ये एकाधिक अटी विभक्त करण्यासाठी "###" वापरा: खालील उदाहरणासारखे प्रश्न विचारून, ChatGPT तुमच्या क्वेरीवर योग्य प्रक्रिया करू शकते आणि उपयुक्त आणि अचूक प्रतिसाद तयार करू शकते.
परिस्थिती
10 वाक्ये, प्रत्येकी 150 वर्णांपेक्षा कमी हायस्कूलच्या विद्यार्थ्यांना समजण्यास सोपे
प्रश्न
ChatGPT वापरून परदेशी भाषा शिकण्याच्या पद्धती
२.इंग्रजीत प्रश्न विचारा: या कारणांसाठी इंग्रजीमध्ये प्रश्न विचारणे इष्टतम आहे: प्रशिक्षण डेटा: ChatGPT हे प्रामुख्याने इंग्रजी मजकुरावर प्रशिक्षित केले जाते, त्यामुळे इंग्रजीमध्ये विचारल्याने मॉडेलला समजणे आणि अधिक अचूक उत्तरे प्रदान करणे सोपे होते. विपुल ज्ञान: मॉडेलमध्ये इंग्रजी प्रश्नांसाठी भरपूर माहिती उपलब्ध आहे, ज्यामुळे अधिक अचूक आणि तपशीलवार उत्तरे मिळू शकतात. कमी झालेली अस्पष्टता: इंग्रजीमध्ये विचारल्याने भाषेशी संबंधित अस्पष्टता आणि गैरसमज कमी होतात, मॉडेलला तुमचा प्रश्न अचूकपणे समजण्याची शक्यता वाढते.
निर्दिष्ट करा की तुम्हाला फक्त अचूक माहिती हवी आहे: प्रश्न विचारताना, ChatGPT ला फक्त अचूक माहिती देण्यास सांगा. या सूचनेशिवाय, ChatGPT बनावट उत्तरे तयार करू शकते.
तुम्हाला या टिप्स कशा सापडल्या? गुळगुळीत ChatGPT अनुभवाचा आनंद घेण्यासाठी त्यांचा वापर करून पहा.
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303 नकली सीता की दृष्टि
बड़ी गंभीर बात है, आज असली और नकली का खेल समझना है। विभक्त माने जो टूट गया, भक्त माने जो जुड़ गया। हर कोई कहीं ना कहीं जुड़ा ही है, तो भक्त तो सब हैं, पर सबको एक जैसा फल नहीं मिलता, क्योंकि असली बात है कि कौन कहाँ जुड़ा है?भगवान से जुड़ा हुआ असली भक्त है, संसार पर दृष्टि वाला नकली भक्त है, उसे तो भक्त कहा भी नहीं जाता, आसक्त कहा जाता है।रामकथा में असली और नकली भक्ति के अंतर को सीता जी के माध्यम…
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appasahebparbhane · 3 months
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सभी शास्त्रों में विवेक को ही मानव जीवन का अन्तिम लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विवेक प्राप्त होता है, सत्संग से और सत्संग के लिये चाहिए, अकारण करुणा वरुणालय की कृपा। यह अहैतु की कृपा बरस तो सब पर रही है, पर इसका अनुभव वह ही कर पाता है जिसने अपने घट को मोह, मद, मत्सर आदि विकारों से, ख़ाली कर लिया है। जितना जितना घट ख़ाली होता जायेगा, उतना उतना ही कृपा का अनुभव प्रगाढ़ होता जायेगा। अहंकार के विगलन के साथ ही प्रारम्भ हो जायेगी, को अहम् ? से सो अहम् की यात्रा। जीव, मोह, मद, मत्सर, अहंकार आदि विकारों से अपने को ख़ाली कैसे करे ? शास्त्रों ने इसके लिए, बहुत सारे उपाय बताए हैं। महर्षि पतांजलि ने इसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के आठ सोपानों में विभक्त करते हुए, क्रमश:आगे बढ़ने की बात कही गयी है।[2]
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iskconchd · 1 year
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श्रीमद्‌ भगवद्‌गीता यथारूप 2.41 https://srimadbhagavadgita.in/2/41 व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन । बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम् ॥ २.४१ ॥ TRANSLATION जो इस मार्ग पर (चलते) हैं वे प्रयोजन में दृढ़ रहते हैं और उनका लक्ष्य भी एक होता है । हे कुरुनन्दन! जो दृढ़प्रतिज्ञ नहीं है उनकी बुद्धि अनेक शाखाओं में विभक्त रहती है । PURPORT यह दृढ श्रद्धा कि कृष्णभावनामृत द्वारा मनुष्य जीवन की सर्वोच्च सिद्धि प्राप्त कर सकेगा , व्यवसायात्मिका बुद्धि कहलाती है । चैतन्य-चरितामृत में (मध्य २२.६२) कहा गया है – ‘श्रद्धा’-शब्दे – विश्र्वास कहे सुदृढ निश्र्चय । कृष्णे भक्ति कैले सर्वकर्म कृत हय ॥ श्रद्धा का अर्थ है किसी अलौकिक वस्तु में अटूट विश्र्वास । जब कोई कृष्णभावनामृत के कार्यों में लगा होता है तो उसे परिवार, मानवता या राष्ट्रीयता से बँध कर कार्य करने की आवश्यकता नहीं होती । पूर्व में किये गये शुभ-अशुभ कर्मों के फल फल ही उसे सकाम कर्मों में लगाते हैं । जब कोई कृष्णभावनामृत में संलग्न हो तो उसे अपने कार्यों के शुभ-फल के लिए प्रयत्नशील नहीं रहना चाहिए । जब कोई कृष्णभावनामृत में लीन होता है तो उसके सारे कार्य आध्यात्मिक धरातल पर होते हैं क्योंकि उनमें अच्छे तथा बुरे का द्वैत नहीं रह जाता । कृष्णभावनामृत की सर्वोच्च सिद्धि देहात्मबुद्धि का त्याग है । कृष्णभावनामृत की प्रगति के साथ क्रमशः यह अवस्था स्वतः प्राप्त हो जाती है । कृष्णभावनाभावित व्यक्ति का दृढ़निश्चय ज्ञान पर आधारित है । वासुदेवः सर्वम् इति स महात्मा सुदुर्लभः - कृष्णभावनाभावित व्यक्ति अत्यन्त दुर्लभ जीव है जो भलीभाँति जानता है कि वासुदेव या कृष्ण समस्त प्रकट कारणों के मूल कारण हैं । जिस प्रकार वृक्ष की जड़ सींचने पर स्वतः ही पत्तियों तथा टहनियों में जल पहुँच जाता है उसी प्रकार कृष्णभावनाभावित होने पर मनुष्य प्रत्येक प्राणी की अर्थात् अपनी, परिवार कि, समाज की, मानवता की सर्वोच्च सेवा कर सकता है । यदि मनुष्य के कर्मों से कृष्ण प्रसन्न हो जाएँ तो प्रत्येक व्यक्ति सन्तुष्ट होगा । किन्तु कृष्णभावनामृत में सेवा गुरु के समर्थ निर्देशन में ही ठीक से हो पाती है क्योंकि गुरु कृष्ण का प्रामाणिक प्रतिनिधि होता है जो शिष्य के स्वभाव से परिचित होता है और उसे कृष्णभावनामृत की दिशा में कार्य करने के लिए मार्ग दिखा सकता है । अतः कृष्णभावनामृत में दक्ष होने के लिए मनुष्य को दृढ़ता से कर्म करना होगा और कृष्ण के प्रतिनिधि की आज्ञा का पाल��� करना होगा । उसे गुरु के उपदेशों को जीवन का लक्ष्य मान लेना होगा । श्रील विश्र्वनाथ चक्रवती ठाकुर ने गुरु की प्रसिद्ध प्रार्थना में उपदेश दिया है – यस्य प्रसादाद् भगवत्प्रसादो यस्याप्रसादान्न गतिः कुतोSपि । ध्यायन्स्तुवंस्तस्य यशस्त्रिसंधयं वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम् ॥ “गुरु की तुष्टि से भगवान् भी प्रसन्न होते हैं । गुरु को प्रसन्न किये बिना कृष्णभावनामृत के स्तर तक पहुँच पाने की कोई सम्भावना नहीं रहती । अतः मुझे उनका चिन्तन करना चाहिए और दिन में तीन बार उनकी कृपा की याचना करनी चाहिए और अपने गुरु को सादर नमस्कार करना चाहिए ।” किन्तु यह सम्पूर्ण पद्धति देहात्मबुद्धि से परे सैद्धान्तिक रूप में नहीं वरन् व्यावहारिक रूप में पूर्ण आत्म-ज्ञान पर निर्भर करती है, जब सकाम कर्मों से इन्द्रियतृप्ति की कोई सम्भावना नहीं रहती । जिसका मन दृढ़ नहीं है वही विभिन्न सकाम कर्मों की ओर आकर्षित होता है । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.41 vyavasāyātmikā buddhir ekeha kuru-nandana bahu-śākhā hy anantāś ca buddhayo ’vyavasāyinām TRANSLATION Those who are on this path are resolute in purpose, and their aim is one. O beloved child of the Kurus, the intelligence of those who are irresolute is many-branched. PURPORT A strong faith that by Kṛṣṇa consciousness one will be elevated to the highest perfection of life is called vyavasāyātmikā intelligence. The Caitanya-caritāmṛta (Madhya 22.62) states: ‘śraddhā’-śabde – viśvāsa kahe sudṛḍha niścaya kṛṣṇe bhakti kaile sarva-karma kṛta haya Faith means unflinching trust in something sublime. When one is engaged in the duties of Kṛṣṇa consciousness, he need not act in relationship to the material world with obligations to family traditions, humanity or nationality. Fruitive activities are the engagements of one’s reactions from past good or bad deeds. When one is awake in Kṛṣṇa consciousness, he need no longer endeavor for good results in his activities. When one is situated in Kṛṣṇa consciousness, all activities are on the absolute plane, for they are no longer subject to dualities like good and bad. The highest perfection of Kṛṣṇa consciousness is renunciation of the material conception of life. This state is automatically achieved by progressive Kṛṣṇa consciousness. The resolute purpose of a person in Kṛṣṇa consciousness is based on knowledge. Vāsudevaḥ sarvam iti sa mahātmā su-durlabhaḥ: a person in Kṛṣṇa consciousness is the rare good soul who knows perfectly that Vāsudeva, or Kṛṣṇa, is the root of all manifested causes. As by watering the root of a tree one automatically distributes water to the leaves and branches, so by acting in Kṛṣṇa consciousness one can render the highest service to everyone – namely self, family, society, country, humanity, etc. If Kṛṣṇa is satisfied by one’s actions, then everyone will be satisfied. Service in Kṛṣṇa consciousness is, however, best practiced under the able guidance of a spiritual master who is a bona fide representative of Kṛṣṇa, who knows the nature of the student and who can guide him to act in Kṛṣṇa consciousness. As such, to be well versed in Kṛṣṇa consciousness one has to act firmly and obey the representative of Kṛṣṇa, and one should accept the instruction of the bona fide spiritual master as one’s mission in life. Śrīla Viśvanātha Cakravartī Ṭhākura instructs us, in his famous prayers for the spiritual master, as follows: yasya prasādād bhagavat-prasādo yasyāprasādān na gatiḥ kuto ’pi dhyāyan stuvaṁs tasya yaśas tri-sandhyaṁ vande guroḥ śrī-caraṇāravindam “By satisfaction of the spiritual master, the Supreme Personality of Godhead becomes satisfied. And by not satisfying the spiritual master, there is no chance of being promoted to the plane of Kṛṣṇa consciousness. I should, therefore, meditate and pray for his mercy three times a day, and offer my respectful obeisances unto him, my spiritual master.” The whole process, however, depends on perfect knowledge of the soul beyond the conception of the body – not theoretically but practically, when there is no longer a chance for sense gratification manifested in fruitive activities. One who is not firmly fixed in mind is diverted by various types of fruitive acts. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #bhagavatamin #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
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gop-al · 1 year
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चूक कोणाची?
मनुष्य हा समाजशील प्राणी आहे आपले आपले गट करून राहू लागला नंतर जसे जसे प्रगत होत गेला त्यामध्ये बरेचसे बदल होत गेले, काही संस्कार पडले, चाली रीती, रूढी परंपरा, सण उत्सवं, असें चालू झाले, यामध्ये महत्वाची पद्धत सुरु झाली ती विवाह पद्धत आताच काही दिवसापूर्वी आदिदेव महादेव यांचा विवाह सोहळा पार पडला, भगवान शंकर व पार्वती विवाह, हा विवाह "आदिम विवाह" म्हणून सबोधला जातो, फार पूर्वी पासून हीं परंपरा जोपासली गेली आहे.पूर्वी काळी स्वयंवर, गंधर्व विवाह, बाल विवाह, होत होते,बाल विवाह कायदा येण्यापुर्वी पर्यंत ते प्रचलित होते. आताचा काळ बदलला मुलाचे वय २१ मुलीचे वय १८ वर्ष असलेल्या मुलं/मुली विवाह करू शकतात जातीव्यवस्था ला फाटा देत आंतर जातीय विवाह पर्यंत आताची पिढी आली आहे.
तुम्ही म्हणाल हे सगळं बरोबर आहे मंग आता काय हेचं मला आज सांगायचं आहे त्यासाठीचा चा ओहपोह करण्याचे प्रयोजन आहे.
मुलगी शिकली मोठ्या शहरात नोकरीला गेली, मुलगा शिकला मोठ्या शहरात नोकरीला गेला, आई वडिलांनी मुलगा,मुलगी तिकडे काय करत आहे काही पाहण्या सारखं नाही,एक विश्वास पालक आपल्या बालकावर टाकतात. आणि नेमक तेच झालं मुलांने स्वप्न पाहिलं चांगला साथीदार पाहू आणि आपला सुखाचा संसार थाटू,रितिरिवाजा प्रमाणे चांगल्या प्रकारे लग्न थाटात पार पडले, दोन्ही कुटुंब आनंदी होते स्वर्ग सुखी सोहळा असावा असें लग्न पार पडले.आणि सुखाचे स्वप्न पाहणारी जोडी ची गाडी रुळा वर लागवाचं तर घसरली एक महिन्यात विभक्त होण्याची पाळी आली, केलेले लग्न आणि त्यावर दोन्ही कुटुंबानी केलेला खर्च सगळे समुद्रास मिळालें. आता तुम्हाला प्रश्न पडला असेल की चूक कोणाची मुलाची की मुलीची? आजकाल या सोशल मीडिया च्या काळात काय होईल सांगता येत नाही, विवाह जुडल्यानंतर, प्रेमात रूपांतर होऊन विवाह बद्ध होणारे जोडपे, आपण बरेच पाहतो,एवढेच काय, सोशल मीडिया तुन झालेली मैत्री व त्यातून झालेलें प्रेम एवढ्या पर्यंत ठीक आहे, परंतु लग्न झालेली, जिचे मुलं शिकून मोठे झालेली आहेत, अशी महिला सुखाचा संसार मोडून त्या सोशल मीडिया वाल्या मित्रा सोबत संसार थाटते याला म्हणावं तरी काय? आणि तिच्या नवऱ्याने, मुलांनी करावे तरी काय?
परंतु वरील कहाणी थोडी वेगळी होती खेड्यातुन शहराकडे गेलेली तरुणाई हाय प्रोफाइल राहणीमान त्याचा दुष्परिणाम म्हणजे लागलेले व्यसन, हे मुलांना असते,मुलींना नसते असा काहीसा समज आपल्या सर्व सामान्य लोकांचा असतो परंतु इकडे मात्र प्रकरण तसंच काही होत मुलीला दारू चं व्यसन आणि तिच्या मैत्रिणी सुध्दा तशाच, पार्टी च्या नावाखाली एन्जॉय सुरु झाला, मुलगा ग्रामीण भागातील चं ��ोता आणि मुलगी सुध्दा सुरवातच्या का��ी दिवसात ठीक होत परंतु काही आठवड्यातच मुलीनी आपल्या नवऱ्याला घरात कोंडून पार्टी ला गेली,संसाराचे स्वप्न रंगवणारा मुलाला ह्याची कल्पना पण नाही की असेही काही आपल्या सोबत होईल म्हणून. एक महिन्यातचं जोडी विभक्त झाली?
आता प्रश्न हा आहे की यामध्ये चूक कोणाची? मुलाची की मुलीची? विवाह जोडून देणाराची? ज्यांनी मुलांना शिकवून नोकरीवर पाठवल त्या आई वडिलांची, मोठा गहन प्रश्न सध्या उपस्थित झाला आहे. यावर तोडगा कोणी कसा काढावा हा त्याचा विषय आहे.
एक वेगळं काहीतरी आपल्या समोर यावं यासाठी हे प्रयोजन होत. बाकी काही नाही. कोणाच्या हीं वयक्तिक जीवनाशी याचा काहीही संबंध नाही. नाण्याला दोन ���ाजू असतात तसा विषय मांडला आहे.
-गोपाल मुकुंदे.
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