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सानियासोबत घटस्फोट घेणार असल्याच्या चर्चांवर शोएब स्पष्टच बोलला; म्हणाला, “विभक्त होण्याचा…”
सानियासोबत घटस्फोट घेणार असल्याच्या चर्चांवर शोएब स्पष्टच बोलला; म्हणाला, “विभक्त होण्याचा…”
सानियासोबत घटस्फोट घेणार असल्याच्या चर्चांवर शोएब स्पष्टच बोलला; म्हणाला, “विभक्त होण्याचा…” मागील काही दिवसांपासून पाकिस्तानचा क्रिकेटपटू शोएब मलिक आणि भारताची स्टार टेनिसपटू सानिया मिर्झा यांच्या घटस्फोटाबाबत चर्चा मोठा प्रमाणात सुरु होत्या. दोघांच्याही सोशल मीडियावरील पोस्ट आणि वर्तनामुळे त्यांच्या घटस्पोटाच्या चर्चांना उधाण आले होते. त्याचबरोबर त्यांच्या काही जवळच्या मित्रांनी आणि…
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#“विभक्त#असल्याच्या#आहे#गंभीर#घटस्फोट#घेणार#चर्चांवर#बोलला#मुद्दा#म्हणाला-#शोएब#सानियासोबत#स्पष्टचं#होण्याचा
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वयाच्या १६ व्या अभिनेत्रीचं लग्न, दोन मुलांच्या जन्मानंतर घटस्फोट; कोण आहे 'कसौटी जिंदगी की' फेम उर्वशी ढोलकियाचा पहिला पती? - urvashi Dholakia divorced husband and in relationship with actor Anuj Sachdev
वयाच्या १६ वर्षी लग्नझाल्यानंतर १८ व्या वर्षी घटस्फोट... आता २५ वर्षांनंतर अभिनेत्रीचं दुसरं लग्न करण्याच्या प्रयत्नात उर्वशी ढोलकिया हिची मुलं, खुद्द 'कसौटी जिंदगी की' फेम अभिनेत्रीने सांगितलं...
मुंबई : ‘कसौटी जिंदगी की’ फेम उर्वशी ढोलकिया हिचं वयाच्या १६ व्या वर्षी लग्न झालं. लग्नानंतर उर्वशीने दोन मुलांना जन्म दिला. उर्वशीचं लग्न एका श्रीमंत उद्योगपतीसोबत झालं होतं. पण लग्नाच्या दोन वर्षांनंतर उर्वशीचं पतीसोबत वाद होवू लागले. त्यानंतर २०१८ मध्ये उर्वशीने घटस्फोटाचा निर्णय घेत, दोन मुलांचा सांभाळ ‘सिंगल मदर’ म्हणून केला. आज अभिनेत्री तिच्या दोन मुलांसोबत आनंदाने आयु्ष्य जगत आहे. घटस्फोटानंतर दुसऱ्या लग्नाच��� विचार न करता अभिनेत्रीने फक्त आणि फक्त स्वतःच्या करियरकडे लक्ष केंद्रीत केलं. एवढंच नाही तर, उर्वशीच्या मुलांनी अभिनेत्रीला दुसरं लग्न करण्याचा सल्ला देखील दिला. पण अभिनेत्री कधीही दुसऱ्या लग्नाचा विचार केला नाही. एका मुलाखतीत स्वतःच्या खासगी आयुष्याबद्दल मोठा खुलासा करत उर्वशी म्हणाली, ‘दुसरं लग्न किंवा इतर कोणत्या गोष्टीबद्दल विचार करण्याचा मला वेळच मिळाला नाही. माझ्या मुलांना उत्तम शिक्षण आणि आयुष्य मिळावं… याच प्रयत्नात मी कायम होती. मला असं वाटतं कोणत्याही नात्यामध्ये तुमची उपस्थिती अधिक महत्त्वाची असते.’
पुढे अभिनेत्री म्हणाली, ‘जर एखाद्या नात्यात तुम्हाला स्वतःला बदलावं लागत असेल तर, ते नातं आयुष्यात फार काळ टिकत नाही. माझ्या मुलांना आणि कुटुंबाला वाटयचं मी पुन्हा लग्न करायला हवं. पण या गोष्टीचा विचार कधी केलाच नाही. माझी मुलं कायम मला डेट करण्याचे सल्ले देत असतात. त्यांचं सल्ले ऐकून मला हसायला यायचं.’ असं देखील अभिनेत्री म्हणाली. महत्त्वाचं म्हणजे उर्वशीने अद्याप तिच्या पहिल्या पतीचं नाव सांगितलेलं नाही. रिपोर्टनुसार, अभिनेत्रीचं नाव अभिनेता अनुज सचदेवा याच्यासोबत जोडण्यात आलं. दोघांनी नच बलिये ९ मध्ये आपल्या दमदार डान्सने चाहत्यांच्या मनात राज्य केलं. अनेक ठिकाणी दोघांना एकत्र देखील स्पॉट करण्यात आलं. पण काही दिवसांनी दोघांच्या ब्रेकअपच्या चर्चा रंगू लागल्या. रिपोर्टनुसार, उर्वशी ढोलकिया आणि अनुज सचदेवा यांनी एकमेकांना जवळपास ७ वर्ष डेट केलं. सात वर्षांनंतर दोघांनी विभक्त होण्याचा निर्णय घेतला. कारण अभिनेत्याच्या वडिलांना मुलाचं उर्वशी ढोलकिया हिच्यासोबत असलेलं नातं मान्य नव्हतं.. असं सांगितलं जात. आज उर्वशी एकटी ‘सिंगल मदर’ म्हणून मुलांचा सांभाळ करते. शिवाय मुलांसोबत सोशल मीडियावर फोटो आणि व्हिडीओ देखील पोस्ट करत असते. सोशल मीडियावर उर्वशी ढोलकिया हिच्या चाहत्यांची संख्या देखील फार मोठी आहे. Read the full article
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"अस्थिर मने आणि भावनांचा संघर्ष: मुलांच्या विकासाला बाधा"
Mood swings… मुलांमधील भावनिक अस्थिरता म्हणजे त्यांच्या भावना लवकर बदलणे, अचानक रागावणे, रडणे, किंवा आनंदी होणे यासारख्या लक्षणांचा वारंवार अनुभव येणे. लहान मुलांच्या भावनिक स्वभावावर अनेक घटकांचा परिणाम होतो, आणि त्यांच्या भावनिक अस्थिरतेचा त्यांच्यावर आणि इतरांवर विपरीत परिणाम होऊ शकतो. मुलांमधील भावनिक अस्थिरतेची कारणे: 1. कौटुंबिक वातावरण: घरातील भांडण, विभक्त कुटुंब किंवा पालकांची समजून न…
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#अस्थिरमने#पालकत्व#बालमानसशास्त्र#भावनांच्याबदल#भावनिकअस्थिरता#भावनिकसंतुलन#भावनिकसमर्थन#मुलांचेमानसिकस्वास्थ्य#मुलांचेविकसन#मुलांच्याभावना#मुलांच्याविकासासाठी#मुलांमधीलभावनांचीघालमेल#शाळेतलेचallenges#शिक्षण#सकारात्मकपालकत्व#समुपदेशन
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इसका क्षुप 1 -3 फुट तक ऊँचा पत्ते धनियाँ के पत्ते के समान कटीले अनेक भागों में विभक्त डालियों पर दूर -दूर होते हैं। फूल छत्तेदार और बारीक आते हैं। बीज कोष छोटे -छोटे रहते हैं। छत्ते पकने पर बीज निकाल लिए जाते हैं। बीज को ही अजवायन कहते है। और पढ़े :
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देवी माता के पवित्र 51 शक्ति पीठ, कथा और महत्व जाने विस्तार!
पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थापित हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है, वहीं तन्त्र चूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ की ही चर्चा की गई है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं। वर्तमान में भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्ति पीठ है।
कैसे बने शक्तिपीठ, पढ़ें पौराणिक कथा :-
देवी माता के 51 शक्तिपीठों के बनने के सन्दर्भ में पौराणिक कथा प्रचलित है। राजा प्रजापति दक्ष की पुत्री के रूप में माता जगदम्बिका ने सती के रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव से विवाह किया। एक बार मुनियों के एक समूह ने यज्ञ आयोजित किया। यज्ञ में सभी देवताओं को बुलाया गया था। जब राजा दक्ष आए तो सभी लोग खड़े हो गए लेकिन भगवान शिव खड़े नहीं हुए। भगवान शिव दक्ष के दामाद थे। यह देख कर राजा दक्ष बेहद क्रोधित हुए। अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए सती के पिता राजा प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता और सती के पति भगवान शिव को इस यज्ञ में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा।
भगवान शिव इस यज्ञ में शामिल नहीं हुए। नारद जी से सती को पता चला कि उनके पिता के यहां यज्ञ हो रहा है लेकिन उन्हें निमंत्रित नहीं किया गया है। इसे जानकर वे क्रोधित हो उठीं। नारद ने उन्हें सलाह दी कि पिता के यहां जाने के लिए बुलावे की जरूरत नहीं होती है। जब सती अपने पिता के घर जाने लगीं तब भगवान शिव ने उन्हें समझाया लेकिन वह नहीं मानी तो स्वयं जाने से इंकार कर दिया।
शंकरजी के रोकने पर भी जिद कर सती यज्ञ में शामिल होने चली गई। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष, भगवान शंकर के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें करने लगे। इस अपमान से पीड़ित सती ने यज्ञ-कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी।
भगवान शंकर को जब पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। सर्वत्र प्रलय व हाहाकार मच गया। भगवान शंकर के आदेश पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया और अन्य देवताओं को शिव निंदा सुनने की भी सज़ा दी। भगवान शिव ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए सम्पूर्ण भूमंडल पर भ्रमण करने लगे।
भगवती सती ने अन्तरिक्ष में शिव को दर्शन दिए और कहा कि जिस-जिस स्थान पर उनके शरीर के अंग विभक्त होकर गिरेंगे, वहां महाशक्तिपीठ का उदय होगा। सती का शव लेकर शिव पृथ्वी पर विचरण करते हुए तांडव नृत्य भी करने लगे, जिससे पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न होने लगी। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देखकर भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंड-खंड कर धरती पर गिराते गए। जब-जब शिव नृत्य मुद्रा में पैर पटकते, विष्णु अपने चक्र से सती शरीर का कोई अंग काटकर उसके टुकड़े पृथ्वी पर गिरा देते।
'तंत्र-चूड़ामणि' के अनुसार इस प्रकार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। इस तरह कुल 51 स्थानों में माता की शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिव को पुन: पति रूप में प्राप्त किया।
51 शक्तिपीठ (51 Shakti Peethas) :
किरीट शक्तिपीठ (Kirit Shakti Peeth) : किरीट शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है। यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।
(शक्ति का मतलब माता का वह रूप जिसकी पूजा की जाती है तथा भैरव का मतलब शिवजी का वह अवतार जो माता के इस रूप के साथ हैं )
कात्यायनी शक्तिपीठ (Katyayani Shakti Peeth ) : वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केश��ाश गिरे थे। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है।
करवीर शक्तिपीठ (Karveer shakti Peeth) : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
श्री पर्वत शक्तिपीठ (Shri Parvat Shakti Peeth) : इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरी थी। यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।
विशालाक्षी शक्तिपीठ (Vishalakshi Shakti Peeth) : उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।
गोदावरी तट शक्तिपीठ (Godavari Shakti Peeth) : आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।
शुचीन्द्रम शक्तिपीठ (Suchindram shakti Peeth) : तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ, जहां सती के मतान्तर से पृष्ठ भाग गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।
पंच सागर शक्तिपीठ (Panchsagar Shakti Peeth) : इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता के नीचे के दांत गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।
ज्वालामुखी शक्तिपीठ (Jwalamukhi Shakti Peeth) : हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती की जीभ गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।
भैरव पर्वत शक्तिपीठ (Bhairavparvat Shakti Peeth) : इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतदभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहां माता का ऊपर का ओष्ठ गिरा है।
यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।
अट्टहास शक्तिपीठ ( Attahas Shakti Peeth) : अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति फुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।
जनस्थान शक्तिपीठ (Janasthan Shakti Peeth) : महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता का ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।
कश्मीर शक्तिपीठ या अमरनाथ शक्तिपीठ (Kashmir Shakti Peeth or Amarnath Shakti Peeth) : जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है यह शक्तिपीठ जहां माता का कण्ठ गिरा था। यहां की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं।
नन्दीपुर शक्तिपीठ (Nandipur Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है यह पीठ, जहां देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहां की शक्ति नन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।
श्री शैल शक्तिपीठ (Shri Shail Shakti Peeth ) : आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल का शक्तिपीठ, जहां माता की ग्रीवा गिरी थी। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथवा ईश्वरानन्द हैं।
नलहटी शक्तिपीठ (Nalhati Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहटी शक्तिपीठ, जहां माता की उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।
मिथिला शक्तिपीठ (Mithila Shakti Peeth ) : इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मन्तातर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर हैं।
रत्नावली शक्तिपीठ (Ratnavali Shakti Peeth) : इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, बंगाज पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ जहां माता का दक्षिण स्कंध गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।
अम्बाजी शक्तिपीठ (Ambaji Shakti Peeth) : गुजरात गूना गढ़ के गिरनार पर्वत के शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मन्दिर है, जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उर्ध्वोष्ठ गिरा था, जहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है।
जालंधर शक्तिपीठ (Jalandhar Shakti Peeth) : पंजाब के जालंधर में स्थित है माता का जालंधर शक्तिपीठ। जहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।
रामागिरि शक्तिपीठ (Ramgiri Shakti Peeth) : इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट तो कुछ मध्यप्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहां की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं।
वैद्यनाथ शक्तिपीठ (Vaidhnath Shakti Peeth) : झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर स्थित है वैद्यनाथ शक्तिपीठ, जहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
वक्त्रेश्वर शक्तिपीठ (Varkreshwar Shakti Peeth) : माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं।
कन्याकुमारी शक्तिपीठ (Kanyakumari Shakti Peeth) : तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता की पीठ गिरी थी। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।
बह��ला शक्तिपीठ (Bahula Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ, जहां माता का वाम बाहु गिरा था। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।
उज्जयिनी शक्तिपीठ (Ujjaini Shakti Peeth) : मध्यप्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी हरसिद्धि शक्तिपीठ। जहां माता की कोहनी गिरी थी। यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।
मणिवेदिका शक्तिपीठ (Manivedika Shakti Peeth) : राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ, जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहां माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं।
प्रयाग शक्तिपीठ (Prayag Shakti peeth) : उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद है। इसे अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों पर गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ललिता हैं तथा भैरव भव है।
उत्कल शक्तिपीठ (Utakal Shakti Peeth) : उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहां माता की नाभि गिरी था। यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।
कांची शक्तिपीठ (Kanchi Shakti Peeth) : तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ, जहां माता का कंकाल शरीर गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं।
कालमाधव शक्तिपीठ (Kalmadhav Shakti Peeth) : इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है। परन्तु, यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं।
शोण शक्तिपीठ (Shondesh Shakti Peeth) : मध्यप्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मन्दिर शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां सती का दायां नेत्रा गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।
कामाख्या शक्तिपीठ (Kamakhya Shakti peeth) : कामगिरि असम गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता की योनि गिरी थी। यहां की शक्ति कामाख्या तथा भैरव उमानन्द हैं।
जयंती शक्तिपीठ (Jayanti Shakti Peeth) : जयन्ती शक्तिपीठ मेघालय के जयंतिया पहाडी पर स्थित है, जहां माता की वाम जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति जयन्ती तथा भैरव क्रमदीश्वर हैं।
मगध शक्तिपीठ (Magadh Shakti Peeth) : बिहार की राजधनी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है जहां माता की दाहिना जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं।
त्रिस्तोता शक्तिपीठ (Tristotaa Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर स्थित है त्रिस्तोता शक्तिपीठ, जहां माता का वामपाद गिरा था। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव ईश्वर हैं।
त्रिपुरी सुन्दरी शक्तिपीठ (Tripura Sundari Shakti Peeth) : त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में स्थित है त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुर सुन्दरी तथा भैरव त्रिपुरेश हैं।
38 . विभाषा शक्तिपीठ (Vibhasha Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्राम में स्थित है विभाषा शक्तिपीठ, जहां माता का वाम टखना गिरा था। यहां की शक्ति कपालिनी, भीमरूपा तथा भैरव सर्वानन्द हैं।
कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ (Kurukshetra Shakti Peeth) : हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ, जिसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां माता के दाहिने चरण गिरे थे। यहां की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु हैं।
युगाद्या शक्तिपीठ, क्षीरग्राम शक्तिपीठ ( Yugadhya Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है युगाद्या शक्तिपीठ, यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था। यहां की शक्ति जुगाड़या और भैरव क्षीर खंडक है।
विराट अम्बिका शक्तिपीठ (Virat Shakti Peeth) : राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ, जहां सती के 'दाहिने पैर की अंगुलियां गिरी थीं।। यहां की शक्ति अंबिका तथा भैरव अमृत हैं।
कालीघाट शक्तिपीठ (Kalighat Shakti Peeth) : पश्चिम बंगाल, कोलकाता के कालीघाट में कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध यह शक्तिपीठ, जहां माता के दाहिने पैर के अंगूठे को छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलेश हैं।
मानस शक्तिपीठ (Manas Shakti Peeth) : तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ, जहां माता की दाहिनी हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति द्राक्षायणी तथा भैरव अमर हैं।
लंका शक्तिपीठ (Lanka Shakti Peeth) : श्रीलंका में स्थित है लंका शक्तिपीठ, जहां माता के नूपुर यानी पायल गिरे थे। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। लेकिन,वह ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे।
गण्डकी शक्तिपीठ (Gandaki Shakti Peeth) : नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर स्थित है गण्डकी शक्तिपीठ, जहां सती का दक्षिण कपोल गिरा था। यहां शक्ति गण्डकी´ तथा भैरवचक्रपाणि´ हैं।
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ (Guhyeshwari Shakti Peeth) : नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है गुह्येश्वरी शक्तिपीठ है, जहां माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। यहां की शक्ति महामाया´ और भैरवकपाल´ हैं।
हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj Shakti Peeth) : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित है माता हिंगलाज शक्तिपीठ, जहां माता का ब्रह्मरन्ध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था। यहां की शक्ति कोट्टरी और भैरव भीमलोचन है।
सुगंध शक्तिपीठ (Sugandha Shakti Peeth) : बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ, जहां माता की नासिका गिरी थी। यहां की देवी सुनन्दा(मतांतर से सुगंधा) है तथा भैरव त्रयम्बक हैं।
कर��ोया शक्तिपीठ (Kartoya Shakti Peeth) : बंग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर स्थित है करतोयाघाट शक्तिपीठ, जहां माता की वाम तल्प गिरी थी। यहां देवी अपर्णा रूप में तथा शिव वामन भैरव रूप में वास करते हैं।
चट्टल शक्तिपीठ (Chatal Shakti Peeth) : बंग्लादेश के चटगांव में स्थित है चट्टल का भवानी शक्तिपीठ, जहां माता की दाहिनी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति भवानी तथा भैरव चन्द्रशेखर हैं।
यशोर शक्तिपीठ (Yashor Shakti Peeth) : बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है माता का यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता की बायीं हथेली गिरी थी। यहां शक्ति यशोरेश्वरी तथा भैरव चन्द्र हैं।
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पिढ्यांचा प्रवास
केव्हाच सरला तो काळपिढ्यानपिढ्या एकत्र राहायचे सारे ।विभक्त कुटुंब पद्धती आली आणिवेगळे राहायचे शिरले वारे ।Sanjay R.
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Consult Bihar Best Sexologist in Patna to get Holistic PE Solution | Dr. Sunil Dubey
क्या आप शीघ्रपतन की समस्या से परेशान हैं?
अगर हाँ, तो यह लेख आपके लिए निवारण हेतु हमेशा मददगार साबित होगा। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि आप शादीशुदा हैं या सिंगल। अगर सभी बिंदुओं का ध्यान में रखें और ऑनलाइन या ऑफलाइन अनुभवी और विशेषज्ञ क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से अपना गुप्त व यौन समस्या का उपचार करवाएँ तो यह सत्य है कि इस मनोविकार यौन समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
शीघ्रपतन का दंपति पर प्रभाव:
शीघ्रपतन एक मनोवैज्ञानिक सह यौन विकार है जो अधिकांश पुरुषों में आम गुप्त समस्या है। इस स्थिति में, स्खलन नियत समय की अपेक्षा से पहले होता है, अक्सर यह प्रवेश से पहले या उसके तुरंत बाद होता है। शीघ्रपतन की समस्या दंपत्ति के लिए उसके यौन क्रिया के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इसमें महिला साथी हमेशा अपने साथी से नाखुश रहती है और अधिक समय की मांग करती है। वास्तव में, पुरुष अपने अवस्था के लिए लाचार होता है जिसमे उसे खुद ही इसका समाधान ढूंढना होता है। यह बात सही है कि अनुभवी क्लीनिकल आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की मदद से इसका समाधान प्राकृतिक तरीके से मिल जाता है।
भारत के सीनियर गुप्त व यौन रोग विशेषज्ञ और भारत के सर्वोच्च कोटि के सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि शीघ्रपतन से पीड़ित व्यक्ति का यौन क्रियाकलाप के दौरान अपने स्खलन पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं होता। वह प्रवेश के बहुत कम समय में ही स्खलित हो जाता है। व्यक्ति के पास अपने स्खलन में देरी करने की क्षमता नहीं होती। यह स्थिति किसी भी जोड़ों के बीच यौन संबंध रिश्तों में समस्याओं को जन्म देता है।
शीघ्रपतन का वर्गीकरण:
डॉ. सुनील दुबे, पटना के शीर्ष व सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर अपने शोध, दैनिक अनुभव, व शोध के आधार पर कहते हैं कि आमतौर पर शीघ्रपतन को उसके चरणों के अनुसार चार भागों में विभक्त किया जा सकता है। पुरे दुनिया में चालीस प्रतिशत से अधिक लोग शीघ्रपतन की समस्या का रिपोर्ट हमेशा करते हैं। शीघ्रपतन के चार अवस्था निम्नलिखित हैं:-
आजीवन शीघ्रपतन: यह व्यक्ति में पहले यौन अनुभव से ही मौजूद होता है।
अर्जित शीघ्रपतन: यह व्यक्ति के यौन जीवन में सामान्य यौन गतिविधि की अवधि के बाद विकसित होता है।
प्राकृतिक परिवर्तनशील शीघ्रपतन: यह कभी-कभी होता है और समय-समय पर शीघ्रपतन में बदल जाता है।
व्यक्तिपरक शीघ्रपतन: यह व्यक्ति के यौन जीवन में एक विशिष्ट समय अवधि में व्यक्तिपरक मामले पर विकसित होता है।
शीघ्रपतन से जुड़े कारण:
मनोवैज्ञानिक कारक: चिंता, अवसाद और तनाव
रिश्तों से जुड़ी समस्याएं: दंपत्ति के बीच आपसी समझ की कमी
हॉरमोन संबंधी कारक: उच्च टेस्टोस्टेरोन और थायरॉयड संबंधी समस्याएं
न्यूरोलॉजिकल कारक: तंत्रिका क्षति और न्यूरोलॉजिकल गतिविधि का असामान्य प्रतिबिंब
चिकित्सा स्थितियां: प्रोस्टेट संबंधी समस्याएं, मधुमेह और उच्च रक्तचाप
आघात: यौन जीवन में ��ोई दुर्घटना या प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी
शीघ्रपतन के चिकित्सा व उपचार के बारे में:
आयुर्वेदिक उपचार: जड़ी-बूटियाँ, प्राकृतिक रसायन, प्रभावी भस्म और घरेलू उपचार
व्यवहार संबंधी उपचार: यौन विचार, तनाव, अवसाद, व चिंता उपचार
महत्वपूर्ण तकनीक: स्टार्ट-स्टॉप-तकनीक और कुछ महत्वपूर्ण तकनीकें
प्राकृतिक तेल: प्राकृतिक रसायन और तेल
यौन परामर्श और उपचार: मनोवैज्ञानिक उपचार और यौन विचारों का विश्लेषण
डॉ. सुनील दुबे, सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट का परिचय:
डॉ. सुनील दुबे एक विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य हैं जो आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ व डॉक्टर हैं। उन्होंने पुरुषो में होने वाले इस शीघ्रपतन की समस्या पर शोध किया है और इसके सभी चरणों के लिए आयुर्वेदिक उपचार की खोज भी की है। उनका मानना है कि आमतौर पर, एक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के लिए इस तरह के गुप्त व यौन रोगी का इलाज करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इस समस्या का समाधान केवल और केवल वास्तविक अनुभव वाला सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर ही कर सकता है जिसे आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी विज्ञान के चिकित्सा का गहन ज्ञान हो। उनका यह भी कहना है कि शीघ्रपतन के वास्तविक चरण को जाने बिना, उपचार लंबे समय तक रोगियों के लिए प्रभावी नहीं होती है। यह केवल यौन या गुप्त समस्या नहीं है अपितु यह एक मानसिक विकार भी है जो व्यक्ति के यौन क्रिया से जुड़ा है।
अपने चिकित्सा पद्धति में, वे सबसे पहले वह रोगी के शीघ्रपतन के सटीक चरण का पता लगाते हैं। उसके बाद, वह रोगियों को उनकी वास्तविक समस्याओं के अनुसार इलाज करते हैं। वह रोगियों को चरण दर चरण अपनी व्यापक यौन चिकित्सा प्रदान करते हैं। वास्तव में, बिहार के अधिकांश गुप्त व यौन रोगी हमेशा दुबे क्लिनिक में अपने-अपने इलाज करवाने हेतु आते हैं, इसलिए ��न्हें बिहार में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में भी जाना जाता है। वह भारत में भी सबसे अधिक मांग वाले क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक हैं जो पुरुष और महिला दोनों को अपना इलाज प्रदान करते हैं।
पटना, बिहार में आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक के बारे में:
दुबे क्लिनिक भारत का एक विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है जो पटना के लंगर टोली, चौराहा पर स्थित है। यह पटना, बिहार का पहला आयुर्वेदिक क्लिनिक भी है जिसे 1965 में भारत के प्रसिद्ध वैद्य डॉ. सुभाष दुबे द्वारा स्थापित किया गया था। यह एक अच्छी तरह से सुसज्जित आयुर्वेदिक क्लिनिक है जो चिकित्सा उपकरणों के पूरे सेट व आयुर्वेद के गैर-सर्जिकल चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। यह क्लिनिक सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को अपना उपचार और चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करता है। विवाहित और अविवाहित दोनों ही लोग अपने-अपने गुप्त व यौन उपचार हेतु इस क्लिनिक में आते हैं। डॉ. सुनील दुबे उन सभी का इलाज करते है जो रोगी के उनके समस्या पर आधारित होता है।
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे के मार्गदर्शन में, आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम दुबे क्लिनिक में सभी आयुर्वेदिक दवाएँ तैयार करती है। इस क्लिनिक की सभी दवाएं गुणवत्ता-पूर्ण व प्राकृतिक होती है जो किसी भी रोगी के लिए रामबाण का काम करती है। यह क्लिनिक पूरे भारत में अपनी सेवाएँ प्रदान करता है जहाँ स्थानीय और बाहरी दोनों ही लोग इस क्लिनिक की सेवाओं का लाभ उठाते हैं।
अगर आप अपनी किसी भी गुप्त या यौन समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो दुबे क्लिनिक से जुड़ सकते है। हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586 अपॉइंटमेंट ले और क्लिनिक पहुंचे। यह सभी गुप्त व यौन रोगियों के लिए सही गंत्वय स्थान है।
हार्दिक सम्मान के साथ
डॉ. सुनील दुबे, सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 925486
वेन्यू: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना, बिहार
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094 सब परमात्मा ही है
094 सब परमात्मा ही हैदेखा जाए तो सब स्वाभाविक ही भक्त हैं। ऐसा कोई है ही नहीं जो भक्त न हो। क्योंकि कोई लाख चाहे भगवान से अलग हो नहीं सकता, कोई उपाय ही नहीं।जिसे लगा कि भगवान अलग है, मैं अलग हूँ, उसे भ्रम हुआ कि वह भगवान से टूट गया, विभक्त हो गया। अब वह कहने लगा कि भगवान को देखना है, पाना है। और जिसने अपने दृढ़ चिंतन से न केवल स्वप्न का, बल्कि जाग्रत का संसार भी कल्पना से खड़ा कर रखा है, जैसे…
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सभी शास्त्रों में विवेक को ही मानव जीवन का अन्तिम लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विवेक प्राप्त होता है, सत्संग से और सत्संग के लिये चाहिए, अकारण करुणा वरुणालय की कृपा। यह अहैतु की कृपा बरस तो सब पर रही है, पर इसका अनुभव वह ही कर पाता है जिसने अपने घट को मोह, मद, मत्सर आदि विकारों से, ख़ाली कर लिया है। जितना जितना घट ख़ाली होता जायेगा, उतना उतना ही कृपा का अनुभव प्रगाढ़ होता जायेगा। अहंकार के विगलन के साथ ही प्रारम्भ हो जायेगी, को अहम् ? से सो अहम् की यात्रा। जीव, मोह, मद, मत्सर, अहंकार आदि विकारों से अपने को ख़ाली कैसे करे ? शास्त्रों ने इसके लिए, बहुत सारे उपाय बताए हैं। महर्षि पतांजलि ने इसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के आठ सोपानों में विभक्त करते हुए, क्रमश:आगे बढ़ने की बात कही गयी है।[2]
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Jamshedpur rammandir sankranti : आंध्र भक्त श्री राम मन्दिरम में बोगी मंटा व रंगोली प्रतियोगिता आयोजित, सोमवार को संक्रांति पर नए घंटे का होगा उद्घाटन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी होंगी प्रस्तुतियां
जमशेदपुर : आंध्र भक्त श्री राम मन्दिरम में संक्रांति के एक दिन पूर्व सुबह 6 बजे मंदिर प्रांगण में बोगी मंटा जलाया गया. इसके बाद सुबह 9 बजे गोदा देवी कल्याणम का आयोजन हुआ एवं दोपहर 3 बजे से रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. दो ग्रुपों में विभक्त इस प्रतियोगिता के एक ग्रुप में 14 वर्ष से कम उम्र की 42 बच्चियो का एवं दूसरे ग्रुप में 14 वर्ष से बड़े 100 महिलाओं ने हिस्सा लिया. रंगोली बनाने के…
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"बौद्ध धर्म के अद्वितीय ज्ञान का आद्यात्मिक साक्षरता: Ajanta Caves"
भारत का सुंदर पारंपरिक धरोहर और सांस्कृतिक धन अजंता गुफाएँ हैं, जो महाराष्ट्र राज्य के अजंता गांव के पास, औरंगाबाद जिले में स्थित हैं। यह गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं (best travel blogs to read) और इन्हें दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध चित्रकला के उदाहरण माना जाता है। अजंता गुफाएँ एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें 2,200 वर्ष पहले, 2 वीं सदी के आस-पास निर्मित किया गया था। इन गुफाओं के माध्यम से, हमें विशेष रूप से बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण घटकों की जीवनी और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
अजंता गुफाओं का इतिहास:
अजंता गुफाएँ का निर्माण गुफा कारी शिल्पकला के माध्यम से किया गया था, और इसका निर्माण दिग्गज महकवियों द्वारा किया गया था। इन गुफाओं का निर्माण दो प्रमुख कालों में हुआ था - पहला गुफाएँ विशेष चैत्यगृह (बौद्ध मंदिर) के लिए निर्मित की गई थी, जबकि दूसरा काल गुफा कारी छायाचित्रण और अन्य चित्रकला के लिए था। इन गुफाओं के निर्माण का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण कथाओं की चित्रण और प्रचार था।
अजंता की गुफाएँ उस समय के व्यक्तिगत धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी जगह थीं, जैसे कि ध्यान और ध्यान का स्थान। इन गुफाओं में छायाचित्रण, शिल्पकला, और वास्तुकला का महत्वपूर्ण संग्रह है, और इसके माध्यम से हम बौद्ध धर्म के तत्वों को अध्ययन कर सकते हैं।
गुफाओं की विशेषता:
अजंता गुफाएँ की विशेषता उनके शिल्पकला और चित्रकला में ह��, जो इन्हें अनूठा बनाते हैं। इन गुफाओं के दीवारों पर चित्रित किए गए चित्रों का विस्तार और जीवंतता का स्तर बहुत उच्च है। इन चित्रों में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण कथाएँ, जैसे कि बुद्ध की जीवनी, बौद्ध दिवस, और अन्य धार्मिक घटनाएँ चित्रित की गई हैं। इन चित्रों की विविधता और व्यक्तिगत रूप से हरिताकारी शिल्पकला उन्हें विश्व की अद्वितीय चित्रकला कला के रूप में मानी जाती है।
इन गुफाओं में बुद्ध के चार अवस्थान (महापरिनिर्वाण, महाप्रज्ञापारमिता, महासुखवती, और महामित्रा) के चित्रण के अलावा बौद्ध धर्म से संबंधित अन्य कथाएँ भी हैं। यह गुफाएँ व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव को प्रमोट करने वाली चित्रकला की उत्कृष्ट उपलब्धि का प्रतीक हैं।
गुफाओं की बौद्ध धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:
अजंता गुफाएँ बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों को दिखाने का माध्यम हैं। इन गुफाओं में चित्रित किए गए चित्र और शिल्पकला विभिन्न बौद्ध धर्मीय दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करते हैं।
1. बुद्ध का जीवन: अजंता गुफाएँ में बुद्ध के जीवन के विभिन्न पहलुओं की चित्रण की गई है। इसमें उनका जन्म, महापरिनिर्वाण, और उनके उपदेशों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
2.बौद्ध दिवस: अजंता गुफाएँ में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों के चित्रण के रूप में बौद्ध दिवस के प्रसंगों को दिखाया गया है।
3.बौद्ध दर्शन: इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण दर्शन की चित्रण की गई है, जैसे कि चतुष्कोटि, अनात्मवाद, और कर्मचक्र।
4.बौद्ध धर्म के महान गुरु: अजंता गुफाएँ में बौद्ध धर्म के महान गुरु, जैसे कि अश्वजित, महाकाश्यप, और महामौद्गल्यायन के चित्रण भी मौजूद हैं।
5.बौद्ध धर्म के सिद्धांत: इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का भी वर्णन है, जैसे कि आनिच्छा, दुःख, और निर्वाण।
अजंता गुफाएँ के चित्रकला का महत्व
अजंता गुफाएँ भारत के महाराष्ट्र राज्य में वायरी और यवतमाल जिलों में स्थित हैं, और ये गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्रकला को संरक्षित करने वाली महात्मा बुद्ध की जीवन की कई महत्वपूर्ण कथाओं को दर्शाती हैं। ये गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण ��्थलों में से एक हैं और वे 2,000 वर्ष से अधिक समय से उस समय के चित्रकला, संस्कृति, और धर्म की अद्वितीय धरोहर को दर्शाती हैं।
अजंता गुफाएँ मुख्य रूप से 2 सीरीजों में विभक्त हैं - पहली सीरीज में 29 गुफाएँ हैं, जो 2 शताब्दी के आसपास बनाई गई थीं, जबकि दूसरी सीरीज में 5 गुफाएँ हैं, जो 5वीं और 6वीं सदी के बीच निर्मित हुई थीं। इन गुफाओं में बुद्ध के जीवन के प्रमुख घटनाओं के चित्रण के साथ ही विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएं भी प्रस्तुत की गई हैं।
अजंता गुफाएँ चित्रकला के माध्यम से बौद्ध धर्म, संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन चित्रकलाओं में उपयुक्त रंग, आकृति, और रूपों का प्रयोग किया गया है, जिससे व्यक्तिगत और आकर्षक चित्रकला का सृजन हुआ है। इन चित्रकलाओं का अध्ययन और संरक्षण इनके महत्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ये एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्य जाते हैं।
इसके अलावा, अजंता गुफाएँ पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और वे दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय स्थल हैं जहाँ वे भारतीय चित्रकला और धर्म का अध्ययन कर सकते हैं।
समर्थन में, अजंता गुफाएँ बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण चित्रकला का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो संस्कृति और इतिहास के प्रति हमारी समझ को बढ़ावा देते हैं और वे एक महत्वपूर्ण सां���्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
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शिल्पा शेट्टी- राज कुंद्रा विभक्त, राजच्या पोस्टनंतर कमेंट्सचा धुरळा!
https://bharatlive.news/?p=172599 शिल्पा शेट्टी- राज कुंद्रा विभक्त, राजच्या पोस्टनंतर कमेंट्सचा ...
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जन्माष्टमी
कृष्ण से बातचीत हुई तो कृष्ण कहने
लगे - - "हमे ठगते हो जो खुद छलिया
है! हम देख लेंगे तुम्हें!
हम ने हँसते हुए कहा - - हम तो आज भी मनुष्य पे संदेह
करते हैं और भगवान पर भरोसा! सच पूछो तो अधिकतर
मनुष्य भी यही करते हैं l और जहां तक बात है देखने की,
तो देख तो तुम अब भी रहे ही हो!
कृष्ण कहने लगे - तुमने सबकुछ हमसे ही सीखा और हम
से वाद विवाद करोगे? बचपन से तुम हमसे सीख रहे हो l
हम बोले - - सच कह रहे हो l स्वीकारता हूँ l जबसे देखा
तुम्हीं को देखा l हमने क्या सबने देखा l हम थोड़े नजदीक
से देख लिए! थोड़ा बहुत प्रश्न कर लिए l लेकिन अर्जुन की
तरह नहीं l बस यूँ ही, मज़ाक मज़ाक मे l अब ये न कहना
की मेरे प्रश्न मजेदार न थे l
कृष्ण जोर जोर से हँसने लगे l मुझे लगा कि बांसुरी उपहार
में दे देंगे l परंतु बांसुरी दी नही l बोले - " बारिश मे नाच न
होने का दुःख तुमको बहुत खलता था l तुम कोसते थे मुझे
कहते थे -" काहे का भगवान! बारिश भी नही जो रोक सके,
वह काहे का भगवान? तुमको बहुत कष्ट होता था, लोग जब
भीग भीग कर, कीचड़ मे घर लौट जाते थे l
हमने कहा - - तो गलत क्या कहता था l तुम स्वयँ नाचने, नृत्य को पसंद करनेवाले, विपत्ति मे भी मुख पर मुस्कान विखंडन
करनेवाले और ना जाने क्या क्या और लीला करनेवाले l
परंतु के जन्मदिन पर बारिश से धरती को पटाकर सब को
उदास करते रहे l हमे क्या तुम्हारे पूजा पाठ से l हम तो नाच
गान के रसिया थे l शिकायत होना स्वाभाविक था l
कृष्ण बोले-- " ये सच है कि मेरे आसपास उदासी के लिए
जगह नही है l परंतु मैं कुछ कर भी नहीं सकता था l तुम
बचपन मे थे l अब तुमसे क्या कहता कि हम आए ही थे
��स रात जिस रात बाढ़ ही बाढ़ और मूसलाधार बारिश
होना तय था l इसलिए मैं तुमपे बहुत हंस���ा था l लेकिन
अब तो बड़े हो गए l गीता भी पढ़ लिया, महाभारत भी
पढ़ लिया l कहाँ दिक्कत है अब? अब तो छल ना करो l
हमने कहा - हे प्रभु, हम तो खुद छले गए हैं l तुमने खेल
रच दिया और हम उसमे खेल रहे हैं l ना ठीक से जोड़ते
हो ना ठीक से तोड़ते हो l सुरु मे हमने साफ़ साफ़ कह
तो दिया कि मनुष्य पे संदेह है और तुमपे भरोसा l जगत
ही ऐसा है l सभी मनुष्य मनुष्य पर संदेह करते हैं और
तुमपे भरोसा l तुम्हारे लिए जहां तहां शानदार मंदिर
बनाते हैं और अपने लिए एक घर l झूठ कहता हूं तो
बेशक अभी देख लो l
कृष्ण बोले - - अभी हम जाते हैं, डिटेल्स मे बात करेंगे l
अभी जगत का आनंद लो l ऊपर आओगे तो असली
रहस्य से अवगत करवायेंगे l एक बात जाते जाते बता
के जा रहे हैं क्योंकि तुम भी बिहारी और हम भी बिहारी,
यूँ कहो कि बांके बिहारी l नर से नरक है और स्वर से
स्वर्ग l सच कहना जानते थे इस रहस्य को?
- नही प्रभु l ये तो रहस्योद्घाटन है मेरे लिए l गीता मे भी
हींट दे देते तो लोग नर्क स्वर्ग के चक्कर मे यूँ न भटकते l
- कृष्ण बोले - मिलते हैं l
हमने जोर से कहा - - जरूर, जन्मदिन की शुभकामना l
कृष्ण जा चुके थे l और हमे छोड़ गए फिर से संदेह मे!
भक्त को विभक्त कर देने मे, गत को विगत से भाग देने
मे, विषय को अविषय कर देने मे जो सामर्थ्यवान हैं वही
कृष्ण हैं l एकदम बेबुझ l कहते कुछ हैं और अर्थ होता
है कुछ और l हमने सिर झुकाया और मन ही मन बोल
उठे - जय श्री कृष्ण l
- दिशव / 06-09-2023
#HappyJanmashtami ❤️🌍
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जुडिशरी एग्जाम # CPC 1908 अभिवचन (आदेश 6) PLEADING ORDER 6 SHORT NOTES
By: LAWSPARK Category: lAWSPARK ARTICLE Tag: FOR RJS MPCJ UPPCSJ CHATTISGARAH UTRAKHAND JHARKHAND BIHAR JUDICIARY EXAMS:
अभिवचन (आदेश 6)
अभिवचन से तात्पर्य नियम 1 के अनुसार ‘ अभिवचन ‘ से वादपत्र या लिखित कथन अभिप्रेत होगा | अभिवचन का उद्देश्य अभिवचन का सम्पूर्ण उद्देश्य पक्षकारो के बीच वास्तविक विवाद का निर्धारण , विवाद के विस्तार – क्षेत्र को सीमित करना , और यह देखना कि दोनों पक्ष को किस बिंदु पर परस्पर विरोध है । एक पक्षकार द्वारा दुसरे को आश्चर्यचकित करने से रोकना और न्याय की हत्या को रोकना है । नियम 2 के अनुसार अभिवचन में तात्विक तथ्यों का , न कि साक्ष्य का कथन होगा इस नियम की व्याख्या करने से अभिवचन के जो सामान्य नियम उभर के आते है वो निम्न है – 1 . तथ्यों का अभिवचन करें विधि का नहीं – अभिवचन का सबसे महत्वूर्ण नियम यह है कि उसमे तथ्यों एवं घटनाओं का वर्णन किया किया जाना चाहिए न कि विधि का क्योंकि किन तथ्यों और घटनाओं पर कौन सी विधि लागू होगी यह निश्चित करना न्यायालय का काम है । 2 . केवल सारभूत तथ्यों का अभिवचन करें – अभिवचन में केवल सारवान तथ्यों का कथन होना चाहिए । – सारवान तथ्यों से तात्पर्य उन तथ्यों से है जिस पर वादी का वाद हेतुक और प्रतिवादी का बचाव निर्भर करता है । दूसरे शब्दों में वे सारे तथ्य जिन्हें न्यायालय में साबित किया जाना चाहिए ताकि वाद हेतुक या बचाव का विद्यमान होना स्थापित किया जा सके , सारवान तथ्य कहलाते हैं । 3 . तथ्यों का अभिवचन करे साक्ष्य का नहीं अभिवचन में केवल उन्ही तथ्यों का कथन रहेगा जिस पर अभिवचन करने वाला पक्षकार अपने दावे या बचाव के लिए निर्भर करता है । किसी भी मामले में दो प्रकार के तथ्य होते है a . वे तथ्य जिनको साबित किया जाना है , और b . साक्ष्य सम्बन्धी तथ्य जिनके द्वारा उपरोक्त को साबित किया जाता है । -जिन सारभूत तथ्यों पर पक्षकार अपने बचाव या दावे के लिए निर्भर करता है उन्हें साबित किए जाने वाले तथ्य कहा जाता है । और ऐसे तथ्यों का कथन अभिवचन में अवश्य ही किया जाना चाहिए -वही दूसरी तरफ उन तथ्यों को जिनके माध्यम से साबित किये जाने वाले तथ्यों को साबित किया जाता है , उन्हें साक्ष्य सम्बन्धी तथ्य कहा जाता है । अभिवचन में ऐसे तथ्यों का कथन नहीं किया जाना चाहिए । उदाहरण के लिए जहां ‘ A ‘ के जीवन पर एक बीमा पालिसी से सम्बंधित वाद बीमा कंपनी के विरुद्ध संस्थित किया गया है । बीमा पालिसी की एक शर्त यह है कि यदि बीमादार आत्महत्या कर लेता है तो बीमा पालिसी शून्य हो जायेगी । अगर बीमा कंपनी यह बचाव लेती है कि ‘ A ‘ ने आत्महत्या की थी तो बीमा कंपनी को यह अभिवचन करना चाहिए कि ‘ A ‘ की मृत्यु स्वयं अपने हाथ से हुयी है । वहां बीमा कंपनी यह अभिवचन नहीं कर सकती कि ‘ A ‘ कई दिनों से उदास था तथा यह कि उसने पिस्टल खरीदा और उसी से अपने को दाग लिया | यह सब साक्ष्य है , वे तथ्य जिनके माध्यम से साबित किया जाने वाला तथ्य अर्थात ‘ आत्महत्या ‘ साबित की जायेगी । 4 . संक्षिप्त कथन अभिवचन संक्षेप में और शुद्धता के साथ तैयार किया जाना चाहिए । हर अभिकथन आवश्यकता अनुसार पैराग्राफ में विभक्त किया जाएगा और यथा क्रम संख्यांकित किया जाएगा । नियम 4 के अनुसार उन सभी मामलों में जहां अभिवचन करने वाला पक्षकार किसी दुर्व्यपदेशन , कपट , न्यासभंग , जानबूझकर किये गये व्यतिक्रम या असम्यक असर के अभिवाक पर निर्भर करता है , वहां इन सभी के बारे में विशेष विवरण दिया जाना चाहिए | जहां आवश्यक हो वहां तारीख और विषय के साथ आवश्यक विवरण दिए जाने चाहिए । नियम 14 अभिवचन का हस्ताक्षरित किया जाना हर अभिवचन पक्षकार द्वारा और यदि उसका कोई प्लीडर हो तो उसके द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा । परन्तु जहां अभिवचन करने वाला पक्षकार अनुपस्थिति के कारण या किसी अन्य अच्छे हेतुक से अभिवचन पर हस्ताक्षर करने में असमर्थ है वहां वह ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किया जा सकेगा जो उसकी ओर से उसे हस्ताक्षरित करने के लिए या वाद लाने की प्रतिरक्षा करने के लिए उसके द्वारा सम्यक रूप से प्राधिकृत है । नियम 15 अभिवचनों का सत्यापन प्रत्येक अभिवचन का चाहे वह वादपत्र हो या लिखित कथन उसका सत्यापन पक्षकार द्वारा या पक्षकार में से किसी एक के द्वारा या किसी अन्य के द्वारा जिसके बारे में न्यायालय को समाधान हो जाये कि वह मामले के तथ्यों से परिचित है , सत्यापित किया जाएगा । अभिवचन का सत्यापन आवश्यक है परन्तु यदि सत्यापन समुचित नहीं है और वादी वादपत्र में अपना पक्ष स्पष्ट कर देता है , तो वादपत्र का समुचित न होना या सत्यापन का न होना , वादपत्र के ख़ारिज करने का कारण नहीं बनेगा । नियम 15 ( 2 ) के अनुसार सत्यापन करने वाला व्यक्ति संख्यांकित पैराओं के बारे में यह बतायेगा क�� कौन सा पैरा वह – अपने निजी ज्ञान के आधार पर सत्यापित करता है और कौन सा पैरा वह ऐसी जानकारी के आधार पर सत्यापित करता है जो उसे मिली है और जिसके बारे में उसका यह विश्वास है कि वह सत्य है । नियम 15 ( 3 ) के अनुसार सत्यापन करने वाले व्यक्ति द्वारा वह सत्यापन हस्ताक्षरित किया जाएगा और उसमे उस तारीख का जिसको और उस स्थान का जहां यह हस्ताक्षरित किया गया था कथन किया जाएगा । नियम 15 ( 4 ) के अनुसार अभिवचन का सत्यापन करने वाला व्यक्ति भी अपने अभिवचन के समर्थन में शपथपत्र उपलब्ध कराएगा यह एक अनिवार्य शर्त हो सकता है परन्तु जैसा कि जी . एम . सिद्देश्वर बनाम प्रसन्ना कुमार , 2013 के वाद में कहा गया कि चुनाव याचिका के अभिवचन के समर्थन में शपथपत्र जरुरी नहीं है । नियम 17 अभिवचन का संशोधन न्यायालय दोनों में से किसी पक्षकार को कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम में अनुज्ञा दे सकेगा कि वह अपने अभिवचनो को ऐसी रीति से और ऐसे निर्बधनों पर जो न्याय संगत हो परिवर्तित करे या संशोधित करे और सभी ऐसे संशोधन किये जायेंगे जो पक्षकारो के बीच में विवादाग्रस्त वास्तविक प्रश्न के अवधारण के प्रयोजन के लिए आवश्यक हो । परन्तु यह कि संशोधन के लिए कोई आवेदन विचारण प्रारम्भ होने के पश्चात् अनुज्ञात नहीं किया जाएगा जब तक कि न्यायालय इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता है कि सम्यक तत्परता के पश्चात् भी पक्षकार मामले को विचारण प्रारम्भ होने से पूर्व नहीं उठा सकता था । न्यायालय का संशोधन मंजूर करने का विवेकाधीन अधिकार है । किसी भी संशोधन से पूर्व न्यायालय को निम्न बातो पर विचार करना चाहिए कि क्या ऐसा संशोधन – 1 . न्याय के हित में है , या 2 . पक्षकारों के बीच विवादग्रस्त वास्तविक प्रश्नों के अवधारण के लिए आवश्यक है , या । 3 . वाद की बहुलता को रोकने के लिए क्या ऐसा किया जाना आवश्यक है ? 4 . दूसरे पक्षकार के लिए अन्यायपूर्ण नहीं है । संशोधन की अनुमति – सामान्यतया अभिवचन में संशोधन की अनुमति निम्न अवस्था में दी जायेगी 1 . जहां ऐसा करना पक्षकारों के बीच विवादग्रस्त वास्तविक प्रश्नो के अवधारण के लिए आवश्यक है , और 2 . ऐसे संशोधन से विरोधी पक्षकार को कोई क्षति नहीं पहुंचती | संशोधन की अनुमति कब अस्वीकार कर दी जायेगी 1 . जहां ऐसा संशोधन पक्षकारो के बीच विवादग्रस्त वास्तविक प्रश्नों के अवधारण के लिए आवश्यक नहीं है । 2 . जहां प्रस्तावित संशोधन से वादी का वाद पूर्णरूप से विस्थापित हो जाएगा | 3 . जहां ऐसे संशोधन का परिणाम दुसरे पक्षकार से उसके विधिक अधिकार को छीन लेना , जो उसमें समय के बीत जाने के कारण प्रोद्भूत हो गया है , अस्वीकार कर दिया गया है । 4 . जहां संशोधन का आवेदन सद्भावपूर्वक नहीं दिया गया है । 5 . जहां संशोधन पर्याप्त विलम्ब से चाहा गया हो और विलम्ब का संतोषजनक कारण न बताया गया हो । 6 . जहां संशोधन से लिखित कथन में की गयी स्वीकृति वापस मान ली जायेगी वहां संशोधन की अनुमति नहीं दी जायेगी । 7 . जहां संशोधन विलम्ब से चाहा गया और वह बचाव की प्रकृति को बदल देता है । नियम 18 आदेश के पश्चात संशोधन करने में असफल रहना जहां किसी पक्षकार ने अपने अभिवचन में संशोधन का आदेश प्राप्त कर लिया है , वहां उसे न्यायालय द्वारा निश्चित समय के भीतर या ऐसा समय निश्चित नहीं किया गया है , वहां आदेश की तिथि से 14 दिन के भीतर संशोधन कर देना चाहिए । यदि न्यायालय ने संशोधन की अवधि अपने आदेश द्वारा बढ़ा न दिया हो और सम्बंधित पक्षकार अपने अभिवचन में संशोधन करने में असफल रहता है और न्यायालय द्वारा निश्चित समय या 14 दिन , जैसा भी मामला हो , समाप्त हो जाता है , तो उस पक्षकार को संशोधन करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा | परन्तु जहां ऐसा संशोधन निश्चित अवधि के अंतर्गत नहीं किया गया है , वहां कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐसी अवधि संहिता की धारा 151 के अंतर्गत बढाई जा सकती है । यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है, तो कृपया हमें - [email protected] पर मेल करके बताएं ! Lawspark के Online Law Questions Mock Test Platform पर आपका स्वागत हैं. All India Judiciary Exam Preparation & Law Job Alerts को समर्पित वेबसाइट है | यह वेबसाइट प्रतियोगिता परीक्षाओं जैसे RJS,MPCJ, PPCSJ,Uttarakhand,Jharkhand, Chatisgarh Judicial Service Civil Judge & Higher Judiciary Exam इत्यादि प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है | Read the full article
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भारत में सूचना का अधिकार का संक्षिप्त रूप क्या है? इसका क्या उद्देश्य है
सूचना का अधिकार (Right to Information Act 2005)
सूचना के अधिकार से तात्पर्य - उस वैधानिक नागरिक अधिकार से है जो किसी देश के व्यक्ति को सरकारी कार्यकरण से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त करने के अवसर एवं पहुँच प्रदान करता है। भारत में सूचना के अधिकार की माँग 70 के दशक में उस समय उठने लगी थी जब दिल्ली में चर्चित चोपड़ा हत्याकांड के बाद हिन्दुस्तान टाइम्स के पत्रकार ने खतरनाक अपराधियों रंगा बिल्ला से जेल में साक्षात्कार हेतु जेल प्रशासन से इस आधार पर अनुमति माँगी थी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सूचना की प्राप्ति समाहित है। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अन्तर्गत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार तथा अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार का एक आवश्यक अंग माना गया। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (ए.आई.आर. 1982, एस. सी.149) -इस मामले में सन् 1982 में सर्वोच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित करते हुए कहा कि - यदि एक समाज लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूर्ण मनोयोग के साथ स्वीकार करता है तो वहाँ के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि उनकी सरकार क्या कर रही है। इसमें न्यायालय का यह भी मानना था कि संविधान के अनुच्छेद 17(1) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सूचना जानने एवं प्राप्त करने की स्वतंत्रता भी समाहित है।सूचना का अधिकार अधिनियम कब लागू हुआ - भारत में सूचना के अधिकार की लड़ाई मुख्य तौर पर ग्रामीण तथा निर्धन वर्ग के लोगों द्वारा लड़ी गई थी। राष्ट्रीय स्तर पर 25 जुलाई 2000 को अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने स्वतंत्रता विधेयक 2000 प्रस्तुत किया जिसे गृह मंत्रालय की स्थायी समिति ने एक वर्ष पश्चात् इसे संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जो सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 के रूप में लागू हुआ। इस अधिनियम में कमियों के कारण पुनः 23 दिसम्बर 2004 को नया सूचना का अधिकार विधेयक संसद में प्रस्तुत किया। जिस पर लम्बी बहस के बाद इसे 146 संशोधनों के साथ 11 मई 2005 को लोकसभा ने इसे स्वीकार किया और अगले दिन ही इसे राज्यसभा द्वारा भी स्वीकार कर लिया गया।उसके पश्चात यह अधिनियम सन 2005 दिनांक 12 अक्टूबर 2005 को जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में लागू हो गया जो कुल 31 धारायें तथा दो अनुसूचियों में विभक्त है। देश के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी वजाहत हबीबुल्ला को बनाया गया जिसे 26 अक्टूबर 2005 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा शपथ दिलवायी गई।
सूचना के अधिकार में शामिल अधिकार
(i) कृति दस्तावेजों, अभिलेखों का निर��क्षण (ii) दस्तावेजों या अभिलेखों के टिप्पण, उद्धरण या प्रमाणित प्रतिलिपि लेना (iii) सामग्री के प्रमाणित नमूने देना (iv) डिस्केट फ्लापी, टेप वीडियो कैसेट के रूप में सूचना अभिप्राप्त करना आदि।
सूचना के अधिकार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(i) लोक प्राधिकारियों के कार्यकरण में पारदर्शिता लाना तथा उसके उत्तरदायित्व में संवर्धन करना। (ii) लोक प्राधिकारियों के नियंत्रधीन सूचना तक जनसाधारण की पहुँच सुनिश्चित करना । (iii) भ्रष्टाचार को रोकना। (iv) केन्द्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोगों का गठन करना। (v) सरकारों के प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना । Read More This Post - भारत में सूचना के अधिकार का संक्षिप्त रूप क्या है? Read the full article
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad
Date – 10 August 2023
Time 7.10 AM to 7.25 AM
Language Marathi
आकाशवाणी औरंगाबाद
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक १० ऑगस्ट २०२३ सकाळी ७.१० मि.****
केंद्र सरकारविरोधातल्या अविश्वास प्रस्तावावर काल सलग दुसऱ्या दिवशी वादळी चर्चा; पंतप्रधान आज चर्चेला उत्तर देणार
पंतप्रधानांनी गेल्या नऊ वर्षांत भ्रष्टाचार आणि घराणेशाहीवर प्रहार केल्याचं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा यांचं प्रतिपादन; तर केंद्र सरकार मणीपूरचं विभाजन करत असल्याचा राहुल गांधी यांचा आरोप
मेरी माटी मेरा देश अभियानाची मुख्यमंत्र्यांच्या उपस्थितीत सुरूवात, मराठवाड्यात विविध कार्यक्रम
ज्येष्ठ विचारवंत, लेखक हरि नरके यांचं मुंबईत निधन
अंबाजोगाई जिल्हा निर्मितीच्या मागणीसाठी अंबाजोगाई जिल्हा निर्मिती कृती समितीचं रस्ता रोको आंदोलन
उजनी धरणातून सात अब्ज घनफूट पाणी सीना - कोळेगाव धरणात आणण्यास मंजुरी
आणि
आशियाई हॉकी अजिंक्यपद स्पर्धेत पाकिस्तानला नमवून भारत उपांत्य फेरीत दाखल
****
केंद्र सरकारविरोधातल्या अविश्वास प्रस्तावावर काल सलग दुसऱ्या दिवशी वादळी चर्चा झाली. सत्ताधारी तसंच विरोधी सदस्यांनी आपापली बाजू मांडताना, परस्परांवर आरोप प्रत्यार��पाच्या फैरी झाडल्या. या प्रस्तावावरच्या चर्चेला पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आज उत्तर देणार असल्याचं, संरक्षणमंत्री राजनाथसिंह यांनी लोकसभेत सांगितलं.
दरम्यान, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी गेल्या नऊ वर्षांत भ्रष्टाचार आणि घराणेशाहीवर प्रहार केल्याचं प्रतिपादन, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा यांनी केलं आहे. ते काल लोकसभेत केंद्र सरकारविरोधातल्या अविश्वास प्रस्तावावर बोलत होते. या प्रस्तावावरून विरोधी पक्ष आणि त्यांच्या आघाडीचं चरित्र स्पष्ट होत असल्याचं, त्यांनी नमूद केलं. केंद्र सरकारने पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या नेतृत्वात अनेक ऐतिहासिक निर्णय घेतल्याचंही शहा यांनी सांगितलं.
काँग्रेस खासदार राहुल गांधी यांनी काल चर्चेत सहभागी होत, आपलं सदस्यत्व पुन्हा बहाल केल्याबद्दल लोकसभा अध्यक्षांच�� आभार मानले. केंद्र सरकार, मणिपूरचं विभाजन करत असल्याचा आरोप त्यांनी केला. पंतप्रधान मोदी यांनी अजूनपर्यंत मणिपूर दौरा का केला नाही तसंच मणिपूर हिंसाचारादरम्यान महिलांवरील अत्याचाराकडे लक्ष वेधत, तिथली स्थिती सामान्य होइपर्यंत सरकार लष्कर का तैनात करत नाही, असा प्रश्नही राहुल गांधी यांनी विचारला.
महिला आणि बाल विकास मंत्री स्मृति ईराणी यांनी मणिपूर हा भारताचा अविभाज्य प्रदेश असून, कधीच विभक्त होणार नसल्याचं यावेळी सांगितलं. जम्मू-कश्मीरमध्ये महिलांवर झालेल्या अत्याचाराचा दाखला देवून, काँग्रेस त्यावेळी मूकप्रेक्षक असल्याचा आरोप त्यांनी केला. ३७० कलम रद्द केल्यामुळे जम्मू काश्मीरमध्ये महिलांना न्याय मिळणं सुकर झाल्याचंही त्यांनी यावेळी सांगितलं. भारत घराणेशाहीवर नाही तर योग्यतेवर विश्वास ठेवतो असं ईराणी यांनी नमूद केलं.
दरम्यान, या प्रस्तावाच्या बाजूने तसंच विरोधात अनेक सदस्यांनी कालही आपली मतं मांडली. भाजपच्या इतरही अनेक सदस्यांसह वाय एस आर काँग्रेसचे नेते मिथुन रेड्डी यांनी या प्रस्तावाच्या विरोधात मत व्यक्त केलं. द्रमुकच्या कनिमोळी, तृणमूल काँग्रेसच्या काकोली घोष, संयुक्त जनता दलाचे राजीव रंजन सिंह यांनी अविश्वास प्रस्तावाच्या समर्थनात आपल्या पक्षाची भूमिका मांडली. शिरोमणी अकाली दलाच्या सदस्य हरसिमरतकौर बादल यांनी सत्ताधारी तसंच विरोधकांच्या भूमिकांवर कडाडून टीका केली.
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दरम्यान, काल सायंकाळी लोकसभेचं कामकाज संपण्यापूर्वी, मणीपूर राज्यातल्या दोन्ही समाजाच्या गटांना शांतता राखण्याचं आवाहन करणारा प्रस्ताव सादर करण्याची मागणी, गृहमंत्री अमित शहा यांनी केली, संरक्षणमंत्री राजनाथसिंह यांनी या मागणीला पाठिंबा दर्शवला. अध्यक्ष ओम बिर्ला यांनी हा प्रस्ताव सादर केला, सदनानं तो एकमुखाने मंजूर केला.
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काँग्रेस खासदार राहुल गांधी अविश्वास प्रस्तावाच्या चर्चेदरम्यान, केलेल्या कथित अयोग्य वर्तनाबद्दल भाजपच्या महिला खासदारांनी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला यांच्याकडे तक्रार दाखल केली आहे. सभागृहातल्या अविश्वास प्रस्तावावर केंद्रीय मंत्री स्मृती इराणी यांनी बोलण्यास सुरुवात केली असता, गांधींनी विचित्र हावभाव करत, महिलांचा अनादर होईल असं अयोग्य वर्तन केल्याचं, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे यांनी सांगितलं, त्या संसद परिसरात माध्यामांशी बोलत होत्या. याप्रकरणी अध्यक्षांकडे तक्रार दाखल करुन कारवाईची मागणी केल्याचं त्यांनी सांगितलं.
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स्वराज्याचा हुंकार या महाराष्ट्राच्या मातीतून उमटला, त्याचा अभिमान प्रत्येकाने बाळगला पाहिजे, असं आवाहन, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी केलं आहे. स्वातंत्र्याच्या अमृत महोत्सवी वर्षाच्या समारोपानिमित्त, 'मेरी माटी मेरा देश' अर्थात माझी माती, माझा देश', या अभियानाची काल मुंबईत ऑगस्ट क्रांती मैदानातून मुख्यमंत्र्यांच्या उपस्थितीत सुरूवात झाली, त्यावेळी ते बोलत होते. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, यांच्यासह अनेक मान्यवर यावेळी उपस्थित होते. देशासाठी स्वातंत्र्यसैनिकांनी केलेल्या त्याग आणि बलिदानामुळे स्वातंत्र्याचे अमृतक्षण आपण अनुभवतो आहोत, त्यांच स्मरण करण्यासोबतच त्यांची देशनिष्ठा नव्या पिढीपर्यंत पोहोचवण्याची गरज मुख्यमंत्र्यांनी व्यक्त केली. ते म्हणाले...
‘‘स्वराज्य स्वातंत्रयाचा हुंकार आपल्या महाराष्ट्र भूमीतूनच उमटला, आपल्या सर्वांना त्याचा अभिमान आहे, हा महाराष्ट्र शिव छत्रपतींचा, त्यांनी स्वराज्याची उभारणी केली, संतांची, समाजसुधारकांची आणि क्रांतीकारांची मोठी फळी या महाराष्ट्रनं देशाला दिली, आणि लहान पोरं, माता भगिनी, गरीब, श्रीमंत, कष्टकरी, शेतकरी, कामगार या सगळयांनी आपापल्या पद्ध्तीने या स्वातंत्रय संग्रामामध्ये योगदान दिलं होतं, त्या बलीदानाचा केवळ स्मरण करून चालणार नाही, तर त्यांची देश निष्ठा तरूनांपर्यंत पहोचवली पाहिजे.’’
या ठिकाणी हुतात्म्यांच्या स्मारकाला अभिवादन आणि पुष्पचक्र अर्पण केल्यानंतर मान्यवरांच्या हस्ते 'शिलाफलकम्' चं अनावरण तसंच वृक्षारोपण करण्यात आलं.
मेरी माटी मेरा देश हे अभियान देशभरात ३० ऑगस्टपर्यंत चालणार असून, यामध्ये गाव, गट स्तरावर तसंच स्थानिक शहरी संस्था, राज्य आणि राष्ट्रीय स्तरावरील कार्यक्रमांचा आयोजन करण्यात आला आहे.
या अभियानांतर्गत काल मराठवाड्यातही सर्वत्र विविध कार्यक्रम घेण्यात आले.
औरंगाबाद इथं विभागीय आयुक्त कार्यालयात पंचप्रण शपथ घेण्यात आली. यावेळी विभागीय आयुक्त मधुकर राजे अर्दड, उपायुक्त जगदीश मिनियार यांच्यासह अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित होते. औरंगाबाद जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हाधिकारी आस्तिककुमार पाण्डेय यांच्या, तर जिल्हा परिषद कार्यालयात मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा प्रशासक विकास मीना यांच्या उपस्थितीत, शपथग्रहण करण्यात आलं. या अभियानांतर्गत औरंगाबाद जिल्ह्यातल्या मातीचे १५६ कलश दिल्लीत अमृतवाटिकेसाठी पाठवण्यात येणार आहेत.
लातूर जिल्ह्यात विविध ठिकाणी प्रभात फेरी काढून या अभियानाला सुरुवात झाली. वसुधा वंदन कार्यक्रमाअंतर्गत जिल्ह्यात कलश मिरवणूक काढून माती जमा करण्यात येत आहे.
लातूर जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हाधिकारी वर्षा ठाकूर - घुगे यांनी, तर जालना जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाळ यांनी देखील कर्मचाऱ्यांना पंचप्रण शपथ दिली.
हिंगोली इथं जिल्हाधिकारी कार्यालयासह जिल्हाभरातल्या शाळा, महाविद्यालयं, ग्रामपंचायत कार्यालयांमध्ये पंचप्रण शपथ घेण्यात आली. शालेय विद्यार्थ्यांनी हातामध्ये दिवा घेऊन शपथ घेतल्याचं, आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे.
उस्मानाबाद इथंही सर्वत्र पंचप्रण शपथ घेण्यात आली. तुळजापूर इथं विविध सामाजिक संघटनांच्या वतीनं रक्तदान शिबीर घेण्यात आलं, १३ महिलांसह १०७ जणांनी यावेळी रक्तदान केलं.
परभणी इथं जिल्हाधिकारी रघुनाथ गावडे यांनी अधिकारी-कर्मचाऱ्यांना पंचप्रणची शपथ दिली. तत्पूर्वी गावडे यांच्या हस्ते राजगोपालचारी उद्यानात ध्वजारोहण करण्यात आलं. जिल्ह्यातल्या ७०४ ग्रामपंचायतींपैकी ६४२ ठिकाणी शिलाफलक लावण्याचं काम सुरू असून, अमृत वाटिकांच्या जागा निश्चित करण्यात आल्या आहेत. जिल्हा प्रशासनाकडे सध्या दोन लाख ६३ हजार ४३९ राष्ट्रध्वज उपलब्ध आहेत.
बीड जिल्हा���िकारी कार्यालयाच्या सभागृहात जिल्हाधिकारी दीपा मुधोळ मुंडे यांनी उपस्थित सर्व अधिकारी तसंच कर्मचाऱ्यांना पंचप्रण शपथ दिली.
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ज्येष्ठ विचारवंत, लेखक हरि नरके यांचं काल मुंबईत ह्रदयविकाराच्या झटक्यानं निधन झालं, ते ७० वर्षांचे होते. समता परिषदेचे उपाध्यक्ष असलेले हरि नरके यांनी, महात्मा ज्योतिबा फुले आणि सावित्री बाई फुले यांच्याविषयी समग्र लिखाण केलं आहे. पुणे विद्यापीठातल्या महात्मा फुले अध्यासनाचे प्रमुख, तसंच राज्य मागासवर्ग आयोगाचे सदस्य म्हणूनही, त्यांनी काम पाहिलं होतं. महाराष्ट्र शासनाने प्रकाशित केलेल्या समग्र महात्मा फुले या एक हजार पानाच्या ग्रंथाचं संपादन त्यांनी केलं होतं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी नरके यांना श्रद्धांजली अर्पण केली. महाराष्ट्रातल्या पुरोगामी विचारधारेचं जतन, संवर्धन करणारा परखड असा विचारवंत आपण गमावला, अशा शब्दात मुख्यमंत्र्यांनी शोकभावना व्यक्त केली.
नरके यांच्या निधनाने महाराष्ट्राने महात्मा फुले यांच्या साहित्याचा आणि विचारांचा अभ्यासक गमावला आहे, अशा शब्दात उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी श्रद्धांजली अर्पण केली, तर नरके यांच्या निधनानं ओबीसी हक्कांसाठीच्या चळवळीत आघाडीवर राहून लढणारा कृतीशील कार्यकर्ता आपण गमावला, अशा शब्दात उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी त्यांना श्रद्धांजली अर्पण केली.
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महाराष्ट्र चित्रपट, रंगभूमी आणि सांस्कृतिक विकास महामंडळानं, २०२१-२२ या वित्तीय वर्षाचा एक कोटी ३४ लाख १५ हजार ७३३ एवढ्या रक्कमेच्या लाभांशाचा धनादेश, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांच्याकडे काल सुपूर्द केला. यावेळी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, सांस्कृतिक विभागाचे प्रधान सचिव विकास खारगे आदी मान्यवर उपस्थित होते.
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किरकोळ बाजारातले दर नियंत्रणात ठेवण्यासाठी ५० लाख टन गहू आणि २५ लाख टन तांदूळ खुल्या बाजारात विकण्याचा निर्णय केंद्र सरकारनं घेतला आहे. खाद्य आणि सार्वजनिक वितरण विभागाचे सचीव संजीव चोप्रा यांनी नवी दिल्ली इथं बातमीदारांना ही माहिती दिली. केंद्र सरकारला मिळालेल्या माहितीनुसार, गहू आणि तांदळाचे दर वाढवण्यासाठी काही व्यापारी गहू आणि तांदळाचा अवैधरित्या साठा करत आहेत. ��ात्र देशात गहू आणि तांदळाचा पुरेसा साठा आहे, असंही चोप्रा यांनी सांगितलं.
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बीड जिल्ह्याचं विभाजन करुन अंबाजोगाई जिल्हा निर्माण करावा, यासाठी अंबाजोगाई जिल्हा निर्मिती कृती समितीच्या वतीनं, काल शहरातल्या यशवंतराव चव्हाण चौक इथं रस्ता रोको आंदोलन करण्यात आलं. गेल्या ३५ वर्षांपासून अंबाजोगाईकर ही मागणी करत आहेत. यासाठी अनेक तीव्र आंदोलनं झाली असून, जिल्हा निर्मितीसाठी शिष्टमंडळ याआधी पाच मुख्यमंत्र्यांना भेटलं होतं, त्यांनी अंबाजोगाई जिल्हा जाहीर करण्याचं आश्वासनही तेव्हा दिलं होतं. येत्या १७ सप्टेंबर पर्यंत अंबाजोगाई जिल्हा घोषित न केल्यास तीव्र आंदोलनाचा इशारा, या कृती समितीनं दिला आहे. या आंदोलनामुळे शहरातली वाहतूक काही काळ विस्कळीत झाली होती.
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उजनी धरणातून सात अब्ज घनफूट पाणी सीना - कोळेगाव या धरणात आणण्याची मंजुरी मिळाली असल्याचं, उस्मानाबाद जिल्ह्याचे पालकमंत्री तानाजी सावंत यांनी सांगितलं आहे. परंडा इथं संजय गांधी निराधार योजना, अपंग लाभार्थी योजना आणि श्रावणबाळ लाभार्थ्यांना मंजुरी पत्र वाटप कार्यक्रमात ते काल बोलत होते. जून २०२४ पर्यंत कोळेगाव धरणात हे पाणी येणार असल्याचा विश्वास सावंत यांनी व्यक्त केला. या पाण्याचा जिल्ह्यातल्या सर्व शेतकऱ्यांचा फायदा होणार असून, जिल्हा सुजलाम सुफलाम होईल असं ते म्हणाले.
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आशियाई हॉकी अजिंक्यपद स्पर्धेत काल चेन्नई इथं झालेल्या सामन्यात भारतानं पाकिस्तानवर चार - शून्य असा विजय मिळवत उपांत्य फेरीत प्रवेश केला. भारताच्या हरमनप्रीत सिंह यानं दोन, तर जुगराज सिंह आणि मनदीप सिंह यांनी प्रत्येकी एक गोल केला. उपांत्य फेरीत उद्या भारताचा सामना जपान सोबत होणार आहे.
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जागतिक ॲथलेटिक्स अजिंक्यपद स्पर्धेत प्रसिद्ध भाला फेक खेळाडू नीरज चोपडा भारतीय संघाचं नेतृत्व करणार आहे. ही स्पर्धा १९ ऑगस्टपासून हंगेरीमध्ये बुडापेस्ट इथं सुरु होणार आहे. या स्पर्धेत २८ भारतीय स्पर्धकांना प्रायोजकत्व देण्यात येत असल्याचं, युवा आणि क्रीडा मंत्रालयातर्फे सांगण्यात आलं. २७ ऑगस्टपर्यंत ही स्पर्धा चालणार असून, एकूण २८ स्पर्धकांपैकी १५ स्पर्धक हे पहिल्यांदाच या स्पर्धेत भाग घेत आहेत.
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हिंगोली जिल्ह्यात जागतिक आदिवासी दिन काल विविध उपक्रमांनी साजरा करण्यात आला. आदिवासी युवक कल्याण संघ, आदिवासी कर्मचारी संघटना यांच्या वतीने जिल्हाभरात वाहन फेरी, गुणवंत विद्यार्थी सत्कार, आदी कार्यक्रम घेण्यात आले.
नांदेड जिल्हयात किनवट इथं, जागतिक आदिवासी दिनानिमित्त विविध उपक्रम राबवण्यात आले. अतिदुर्गम गावांना रस्त्याच्या सुविधा अजून चांगल्या प्रमाणात मिळणं आवश्यक असून, शासन यासाठी पुढाकार घेईल, असा विश्वास आमदार भिमराव केराम यांनी यावेळी व्यक्त केला.
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उस्मानाबादचे पालकमंत्री तानाजी सावंत यांच्या अध्यक्षतेखाली काल प्रशासकीय आढावा बैठक घेण्यात आली. पालकमंत्री सावंत यांनी जिल्ह्यातले शेतरस्ते अतिक्रमणमुक्त करण्याबाबत, तसंच मराठवाडा मुक्ती संग्राम अमृत महोत्सवी वर्षानिमित्त घ्यावयाचे विविध प्रस्तावित कार्यक्रम, आणि इतर कामांचा सविस्तर आढावा घेतला.
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मराठवाडा साहित्य परिषदेच्या लातूर शाखेत काल दिवंगत कवी ना. धों. महानोर यांना श्रद्धांजली वाहण्यात आली. राजर्षी शाहू महाविद्यालयात झालेल्या शोकसभेला अनेक कवी, लेखक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ते यांनी उपस्थित राहुन महानोरांच्या आठवणींना उजाळा दिला.
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हिंगोली जिल्ह्यात रस्ते अपघातातल्या मृत्यूचं प्रमाण अधिक असल्याचं निदर्शनास आलं आहे. अपघात टाळण्यासाठी उपाययोजना राबवणार असल्याचं, अप्पर पोलीस महासंचालक रवींद्रकुमार सिंगल यांनी सांगितलं. पुढील तीन दिवस हिंगोली जिल्ह्यातल्या पोलीस दलाची तपासणी करण्यात येत असल्याची माहितीही त्यांनी दिली.
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औरंगाबाद शहरात विविध सोहळ्यांमध्ये लेझर लाईट तसंच बीम लाईट वापरण्यात पोलिस आयुक्त मनोज लोहिया यांनी मनाई केली आहे. हे आपत्ती प्रतिबंधात्मक आदेश येत्या चार ऑक्टोबरपर्यंत लागू राहणार आहेत. आदेशाचं उल्लंघन झाल्यास कडक कारवाईचा इशाराही पोलिस आयुक्तांनी दिला आहे.
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