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085 छुट्टी
085 छुट्टीएक बार समय से पहले ही गाँव के एकमात्र विद्यालय की, पूरी छुट्टी वाली घंटी बजा दी गई। सब बच्चे बड़ी हैरानी, राहत और प्रसन्नता से भरे हुए अपने अपने घर की ओर दौड़े।एक बच्चे ने विद्यालय के बूढ़े चौकीदार से पूछा कि आज छुट्टी जल्दी कैसे हो गई? पता चला कि गाँव के ही ��क बूढ़े की मृत्यु होने के कारण छुट्टी की गई है। इतना सुनते ही इस बच्चे को वह बूढ़ा चौकीदार दिखना ही बंद हो गया। उसे सामने खड़ी एक…

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084 तेरे बाप की लीला?
084 तेरे बाप की लीला?एक बार एक सेठ सेठानी में झगड़ा हो गया। वे बच्चे नहीं थे, अधेड़ थे। पर आखिर थे तो पति पत्नी ही। और वो पति पत्नी ही क्या जिनमें झगड़ा न हो। पर इन दोनों में तो तगड़ा झगड़ा हो गया। इतना कि तलाक की नौबत आ गई।बच्चे बेचारे परेशान हो गए। आखिर हार कर बच्चों ने अपने पिता जी के गुरू जी तक सूचना भिजवाई।गुरू जी आए। पति पत्नी दोनों को बिठाया। कुछ उ��की सुनी, कुछ अपनी सुनाई और समझा बुझा कर…

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082 प्रारब्ध का लेखा जोखा
082 प्रारब्ध का लेखा जोखाएक बार बड़ी विचित्र घटना घटी। हुआ यह कि दो गुरू भाइयों में किसी बात पर झगड़ा हो गया और एक ने दूसरे के सिर पर पत्थर दे मारा। बड़ी गहरी चोट आई। चोट खाने वाला तो पुलिस थाने पहुँच गया और चोट मारने वाला गुरू जी के पास पहुँच गया। दोनों ने दोनों को पूरी घटना सुनाई।उधर पुलिस ने कहा कि दोष पत्थर मारने वाले का है। तो इधर गुरू जी ने कहा कि दोष पत्थर खाने वाले का है।आप बताएँ पुलिस…

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081 हाय पैसा!
081 हाय पैसा!१- महात्मा आनन्द स्वामी ��क बार अफ्रीका गए। पता चला कि वहाँ आदमखोरों की बस्ती है। जान का खतरा होते हुए भी वे बस्ती देखने गए। वहाँ उन्हें एक भारतीय की परचून की दुकान दिखी तो उन्होंने पूछा- भाई! तुम्हें दुकान खोलने के लिए यही जगह मिली? अगर ये तुम्हें खा गए तो?भारतीय बोला- महाराज! यहाँ धंधा बढ़िया चलता है। और ये मुझे नहीं खा सकते, क्योंकि मैंने इनके मुखिया की लड़की से विवाह कर रखा है।२-…

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080 ज्ञान का बीज
080 ज्ञान का बीजगर्मियों की एक दोपहर, प्यास से बेहाल एक लड़का, सड़क किनारे लगे एक नलके को देख कर, पानी पीने के लिए, नलके का हैण्डल चलाने लगा।पर बहुत प्रयास करने पर भी पानी नहीं आया। हार कर, उस लड़के ने पास के ही एक घर से पानी माँगा।उस घर से, एक आदमी एक लोटा पानी लेकर बाहर आया। लड़के ने पानी के लिए हाथ बढ़ाया, तो वह आदमी बोला- ठहरो बेटा! यह पानी तुम्हारे लिए नहीं है। यह तो इस नलके के लिए है। असल…

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079 अजवायन वाला
079 अजवायन वालाएक बार एक गरीब आदमी था। गरीब था, क्योंकि कोई काम धंधा उसके पास नहीं था। और आप सोचते हों कि वह कोई काम धंधा कर क्यों नहीं लेता तो अब जो गरीब है वह कोई काम धंधा करे भी कैसे? इस प्रकार उसे अपनी गरीबी से निकलने का कोई उपाय न सूझता था।एक दिन एक संत उसके दरवाजे पर आ खड़े हुए। बेचारा संत के चरणों से लिपट कर रोने लगा। संत ने उठा कर अपने पास बैठाया और उसका सब हाल जाना।संत ने उसकी पूरी बात…

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078 कुत्ता और बकरा
078 ���ुत्ता और बकरामालूम नहीं क्या हुआ? इधर जैसे ही कामना आई, उधर से पापी पैसा थोड़ा थोड़ा आने लगा। पर विचित्रता यह है कि प्रसन्नता न रही, बल्कि मानो चारों ओर से दुख का पहाड़ टूट गया, जैसे कोई प्रेरणा ही न रही। तब वही विचार किया जैसा मेरे बहुत से मित्र करते हैं कि यह भगवान का कैसा विधान है? कि इतने भर से, इतने पर भी, इतना?जब सब आश्रयों के एकमात्र आश्रय सद्गुरूदेव भगवान का ध्यान किया तब यह कहानी…

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076 बुद्धि का उपयोग
076 बुद्धि का उपयोगएक बार एक संत थे। दो लड़के उनके शिष्य हो गए थे। दोनों ही एक समान गुरू जी की सेवा करते, एक समान साधन करते और एक समान ही आचरण धरते थे। गुरू जी भी उन दोनों से एक समान ही प्रेम करते थे।जब गद्दी सौंपने का समय आया तब गुरू जी ने विचार किया कि ये दोनों तो बिल्कुल एक जैसे ही हैं, कोई ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे मालूम पड़ जाए की इन दोनों में से न्यूनाधिक कौन श्रेष्ठ है?एक ��िन गुरू जी ने…

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075 कर्म और भाव
075 कर्म और भावपुराने समय की बात है। उस समय संत महापुरुष घूमते फिरते किसी किसी स्थान पर महीने दो महीने के लिए रुक जाया करते थे। ऐसे ही एक गाँव में एक संत आए हुए थे।उस समय गाँव के लोग बिजाई के लिए अपना अपना खेत तैयार कर रहे थे। एक लड़का उन संत का शिष्य हो गया और बड़े भाव से गुरू जी की सेवा करने लगा। वह अपने गुरू जी की सेवा में इतना तल्लीन हो गया कि उसे अपना खेत तैयार करने की सुध ही न रही, बीज बोने…

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074 झूठ
074 झूठरामू और शामू दो दोस्त थे। दोनों बाजार से निकले तो चौराहे पर केशी हलवाई की दुकान पर ��र्मागर्म जलेबियाँ बनती देख दोनों के मुंह में पानी आ गया। पर दोनों की जेब में एक फूटी कौड़ी तक नहीं थी, जलेबी कहाँ से खाते?रामू ने कहा- यार शामू! जलेबी खाने का बड़ा मन कर रहा है।शामू- मन तो मेरा भी कर रहा है, पर पैसे तो नहीं हैं।रामू ने अपना मुंह शामू के कान के पास लगाया और कुछ खुसरफुसर की। दोनों एक एक करके…

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073 सोना
073 सोनाएक बूढ़ा बाप मर रहा था। अपने जीवन में वह एक बड़ा व्यापारी था। बड़ा ही कंजूस, लालची व्यापारी। उसने अपनी जायदाद एक एक पैसा जोड़ कर बनाई थी। उसके दो बेटे थे। पर उसे अपने बेटों से नहीं, अपने पैसे से ही लगाव था।इधर बेटे भी उसी पर गए थे। आखिर बेटे तो उसी के थे। जैसा बाप, वैसे बेटे। बेचारे इतना पैसा होते हुए भी सारा जीवन एक एक पैसे को मोहताज रहे। मजाल है कि बाप ने कभी चवन्नी हाथ पर रखी हो।उधर…

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072 खम्बा सिंह
072 खम्बा सिंहएक सेठ जी का इकलौता बेटा वेश्यागामी हो गया था। और भी ऐसा कौन सा ऐब था, जो उस लड़के में नहीं था? तो सेठ उसकी चिंता से ही घिरा रहता था।एक उस सेठ ने अपने बेटे की जन्मकुंडली एक ज्योतिषी को दिखाई। ज्योतिषी ने कहा- आपका बेटा करोड़पति बनेगा।सेठ ने कहा- इसमें बताने वाली कौन सी बात है? जब मैं ही करोड़पति हूँ, तो मेरा बेटा तो करोड़पति होगा ही।ज्योतिषी बोला- नहीं नहीं, एक बार वह सारा धन खो…

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071 लेन-देन
071 लेन-देनदो मित्र पैसा कमाने मुम्बई गए थे। तीन साल मेहनत करके खूब पैसा कमाया और वापिस घर की ओर चले।रास्ते में एक के मन में लालच आ गया। दूसरे को मार कर, उसका सारा पैसा निकाल लिया और लाश को चलती रेल से गिरा दिया। ऐसा कर, वह अपने गाँव आ गया। अपने मित्र के बारे में झूठ बोल कर, खुद ठाठ से रहने लगा।एक घर बनाया, नया व्यापार किया, विवाह हुआ, एक बेटा भी हुआ, पर बेटा जन्म से ही बीमार रहता था। उसका ईलाज…

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070 कर्म और उद्देश्य
070 कर्म और उद्देश्यएक राज्य में एक स्वाँग रचने वाला था। वह ऐसा स्वाँग रचता था कि वह जो जो बनता, बिल्कुल वही हो जाता। कोई उसे पहचान ही न पाता था।उसकी चर्चा राजा तक पहुँची तो राजा ने उसे दरबार में बुलाया। वह आया। प्रणाम करके एक ओर खड़ा हो गया।राजा ने उससे पूछा कि तुम क्या क्या स्वाँग रच सकते हो? उसने कहा- महाराज! मैं कुछ भी बन सकता हूँ। आप आदेश करें।राजा ने कहा- शेर का स्वाँग रचो।स्वाँग रचने वाले…

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069 राजकुमारी भगवान
069 राजकुमारी भगवानएक राजकुमारी को अपनी एक दासी बड़ी प्रिय थी। एक बार वह दासी बीमार पड़ गई तो अपने पति को सूचना पहुँचाने के लिए भेजा। दैवयोग से दासी के पति की नजर राजकुमारी पर पड़ गई। न मालूम क्या हुआ, पर राजकुमारी को देखते ही दासी के पति के मन में उस ��ाजकुमारी को भोगने की वासना जाग गई। पर आखिर यह तो असंभव ही था, तो स्वयं को उपायहीन जानकर वह उदास घर लौटा।राजकुमारी ऐसी दिल में उतर गई थी कि लाख…

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068 कूएँ का कुत्ता
068 कूएँ का कुत्ताएक गाँव के लोग बड़े परेशान थे। कारण यह था कि गाँव में एक ही कुआँ था। पूरा गाँव उसी कूएँ का पानी पीता था। और दो महीने पहले एक कुत्ता उस कुएँ में गिर कर मर गया था। और तब से पानी में बड़ी बदबू हो गई थी।अब हैरानी यह थी कि गाँव वालों ने अनेक उपाय किए, पर पानी की बदबू थी कि जाती ही नहीं थी।उस कूएँ से दिन रात पानी निकाला जाता रहा, कि नीचे से नया पानी आ जाएगा और बदबू खत्म हो जाएगी। लाख…

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