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जागतिक मृदा दिन ; कल्याणी गोरक्षण ट्रस्ट , कृषि विज्ञान केंद्र , कालवडे कराड येथे उत्साहात साजरा...
जागतिक मृदा दिन ; कल्याणी गोरक्षण ट्रस्ट , कृषि विज्ञान केंद्र , कालवडे कराड येथे उत्साहात साजरा…
जागतिक मृदा दिन ; कल्याणी गोरक्षण ट्रस्ट , कृषि विज्ञान केंद्र , कालवडे कराड येथे उत्साहात साजरा… Go to Source
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खेत में ज्यादा उपज चाहिए तो यह काम जरूर करें
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन क्या है यह क्यों आवश्यक है? (What is soil health management and why is it important)
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन –
फसल के उत्पादन में उर्वरक का व्यवहार एक महंगी लागत है । बिना मिट्टी जाँच उर्वरकों का उपयोग, समय एवं श्रम की बर्बादी है । जिस उर्वरक का व्यवहार किया जा रहा है उसकी जरूरत ही नहीं हो या कम मात्रा में जरूरत हो । किसी विशेष उर्वरक के जरूरत से ज्यादा मात्रा में व्यवहार करने से दूसरे तत्वों की उपलब्धता पर भी दुष्प्रभाव डाल सकता है जिससे उपज में कमी हो सकती है और मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों में असंतुलन की स्थिति पैदा हो सकती है । यह और भी प्रासंगिक है जब उर्वरक की कीमत आये दिन बढ़ रही है । उर्वरक की कीमत, अनुदान की राशि में दिन-प्रतिदिन कटौती होने से बढ़ रही है ।
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मृदा प्रदूषण क्या है? मृदा प्रदूषण के कारण और उपाय
मृदा प्रदूषण प्रस्तावना :- भूमि या भू एक व्यापक शब्द है जिसमें पृथ्वी की पूरी सतह शामिल है, लेकिन मूल रूप से भूमि की ऊपरी परत, जिस पर कृषि की जाती है और मनुष्य आजीविका कमाने के विभिन्न कार्य करते हैं, का विशेष महत्व है। यह परत या भूमि विभिन्न प्रकार की चट्टानों से बनी है, जिनके अपरदन से मिट्टी का जन्म होता है। जिसमें विभिन्न कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों का मिश्रण होता है। जब मानवीय और प्राकृतिक…
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#mrida pradushan#soil pollution#मृदा प्रदूषण#मृदा प्रदूषण का अर्थ#मृदा प्रदूषण की परिभाषा#मृदा प्रदूषण के कारण#मृदा प्रदूषण के प्रभाव#मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय
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Sultanpur News: रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से खत्म हो रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति
Sultanpur News: खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खादों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है। किसानों को जागरूक करने के बावजूद स्थितियां जस की तस है। विभागों की ओर से मिट्टी की जांच की सुविधा मुफ्त है, बावजूद इसके किसान मिट्टी की जांच करवाने भी नहीं पहुंचते हैं। हालांकि, किसान मिट्टी की जांच करवाकर फसलों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व दे सकते हैं। कृषि में मृदा परीक्षण या भूमि की जांच…
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Kheti se Kaise Badha Sakate Hain Rojagaar ke Avasar?
खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। देश की अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जहाँ कृषि ही मुख्य आजीविका का साधन है। पिछले कुछ दशकों में खेती और इससे जुड़े क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उभरकर सामने आए हैं। खासकर कोविड-19 महामारी के बाद, कई लोग अपने गांव लौटे और खेती में रोजगार के विकल्प तलाशने लगे। इस लेख में, हम खेती में रोजगार के विभिन्न अवसरों पर विचार करेंगे और समझेंगे कि कैसे ये अवसर न केवल ग्रामीण विकास में योगदान दे सकते हैं, बल्कि युवाओं को भी आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
1. खेती से जुड़ी विविधता और रोजगार के अवसर
खेती का दायरा केवल फसल उगाने तक सीमित नहीं है। आज खेती में विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं, जो किसानों और युवाओं को एक स्थिर आय के साथ नए कौशल भी प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, जैविक खेती, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, फूलों की खेती, मत्स्य पालन, और बागवानी जैसे क्षेत्रों में रोजगार के कई विकल्प उभर रहे हैं। इन क्षेत्रों में शुरुआत करने के लिए तकनीकी जानकारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का भी सहयोग मिलता है, जो शुरुआती लागत को कम करने में मदद करते हैं।
2. कृषि प्रसंस्करण और खाद्य प्रसंस्करण
कृषि प्रसंस्करण और खाद्य प्रसंस्करण से रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। फसल के बाद की प्रक्रियाएं जैसे धान को चावल में बदलना, गेहूं से आटा बनाना, फल और सब्जियों का संरक्षण, और दूध से दुग्ध उत्पाद बनाना आदि कार्यों के लिए कारखानों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही है। यह स्थानीय स्तर पर ही रोजगार सृजित करता है। किसान अब अपनी फसल बेचने की बजाय, प्रसंस्करण कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और साथ ही क्षेत्र में रोजगार भी पैदा कर सकते हैं।
3. एग्रो-टेक्नोलॉजी और डिजिटल खेती
एग्रो-टेक्नोलॉजी का उभरना खेती में एक बड़ी क्रांति ला रहा है। स्मार्टफोन, ड्रोन्स, सैटेलाइट मैपिंग, और सेंसर जैसे उपकरणों का उपयोग करके अब खेती को अधिक सटीक और लाभकारी बनाया जा सकता है। इसके लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने और उन्हें इस तकनीक में दक्षता दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। डिजिटल खेती में जैसे ही लोग शामिल होते हैं, कई रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
4. सरकार की योजनाएँ और रोजगार सृजन
भारत सरकार ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों से जोड़ना और उनके उत्पादन में वृद्धि करना है। साथ ही, इन योजनाओं के माध्यम से युवाओं को कृषि में रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। विशेष रूप से महिला किसान और छोटे किसानों को वित्तीय सहायता और अनुदान दिया जा रहा है, जिससे वे अपनी कृषि को नए स्तर पर ले जा सकते हैं और स्थायी रोजगार के अवसर बना सकते हैं।
5. डेयरी उद्योग और पशुपालन में रोजगार के अवसर
खेती के साथ-साथ डेयरी और पशुपालन भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें रोजगार की अच्छी संभावनाएँ हैं। गाय, भैंस, बकरी, और मुर्गीपालन जैसे पशुपालन के व्यवसायों में निवेश कर, लोग एक स्थिर और अच्छा आय स्रोत बना सकते हैं। इसके अलावा, दुग्ध उत्पादों के प्रसंस्करण, जैसे मक्खन, घी, पनीर आदि बनाने के कारखानों में भी रोजगार के अवसर मौजूद हैं। डेयरी उद्योग में रोजगार के साथ-साथ पोषण और आर्थिक सुरक्षा भी प्राप्त की जा सकती है।
6. कृषि-पर्यटन: एक नया पहलू
कृषि-पर्यटन, जिसे एग्रो-टूरिज्म भी कहा जाता है, खेती में रोजगार का एक अनूठा तरीका है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों के लोग गांवों में आकर खेती के अनुभव का आनंद लेते हैं और ग्रामीण जीवनशैली को नज़दीक से देखते हैं। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं। स्थानीय हस्तशिल्प, भोजन, और खेती के उत्पादों की बिक्री से किसानों की आय में इजाफा होता है और रोजगार के नये अवसर भी उत्पन्न होते हैं।
7. मशरूम उत्पादन और बागवानी में अवसर
मशरूम उत्पादन एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है, जिसमें ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होती और यह एक अच्छा रोजगार विकल्प भी है। इसके अलावा, बागवानी, जिसमें फल, सब्जियों और फूलों की खेती शामिल है, रोजगार के नए रास्ते खोल रही है। यह क्षेत्र उन लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है, जो छोटी जगह में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। सरकार भी मशरूम उत्पादन और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और सब्सिडी उपलब्ध कराती है।
8. खेती में उद्यमिता का उदय
खेती में उद्यमिता का बढ़ता चलन आज के युवाओं के लिए एक आकर्षक अवसर बनता जा रहा है। वे खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर नई तकनीकों और व्यापार मॉडल का प्रयोग कर रहे हैं। कृषि उद्यमिता में युवाओं को अपने कृषि उत्पादों को बेचने के लिए नए रास्ते खोजने होते हैं। इसमें ऑनलाइन मार्केटिंग, वितरण चैनल, और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर मुनाफा कमाना भी शामिल है।
9. खेती में कौशल विकास और प्रशिक्षण
खेती में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। सरकार और गैर-सरकारी संगठन युवाओं को खेती से जुड़े विभिन्न कौशल जैसे जैविक खेती, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, और बागवानी आदि में प्रशिक्षण देने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं। इससे युवाओं में आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ती है और वे कृषि क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं।
10. रोजगार सृजन के लिए कृषि से संबद्ध क्षेत्रों का विकास
कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्र जैसे कृषि यंत्र, उर्वरक उत्पादन, बीज उत्पादन और वितरण, कृषि परामर्श, और कृषि शिक्षण भी रोजगार के बड़े स्रोत हैं। इन क्षेत्रों में युवा इंजीनियर, वैज्ञानिक, और शिक्षाविद् एक नया करियर बना सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि तकनीकी और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे किसानों को नए तरीकों के बारे में जानकारी मिलती है और युवा इन सेवाओं के माध्यम से रोजगार पा सकते हैं।
निष्कर्ष
खेती में रोजगार के अवसर एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत देते हैं। जहां एक ओर, यह क्षेत्र किसानों को नए तरीके अपनाने का मौका देता है, ��हीं दूसरी ओर, युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करता है। खेती में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देकर न केवल ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो सकता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी एक मजबूत आधार मिल सकता है।
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हीरानगर विधायक ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया उद्घाटन
कठुआ 29 अक्टूबर (हि.स.)। विधायक हीरानगर एडवोकेट विजय शर्मा ने छन्न मौरियां तहसील हीरानगर के 50 किसान ग्रामीण युवाओं के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में विधायक ने किसानों से खेती में नवीनतम तकनीकों को अपनाने और एचए��ीपी योजना के तहत परियोजनाओं से अधिकतम लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने एकीकृत खेती की आवश्यकता पर भी जोर दिया और किसानों से फसल…
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आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर, दिनांक:19.10.2024 रोजीचे सकाळी: 11.00 वाजताचे मराठी बातमीपत्र
राज्यातील विधानसभा निवडणुकीसाठी महायुती आणि महाविकास आघाडी यांच्यातल्या जागा वाटपाला वेग आला आहे. महायुतीतील घटक पक्ष शिवसेनेचे प्रमुख नेते मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, भाजपचे नेते आणि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी काँग्रेसचे नेते उपमुख्यमंत्री अजित पवार नवी दिल्लीत पोहचले आहेत. भाजपचे ज्येष्ठ नेते आणि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा यांच्या उपस्थितीत जागा वाटपासंदर्भात बैठक सुरु असून या बैठकीत तिन्ही नेत्यांनी सहभाग घेतला आहे.
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शिवसेना उद्धव बाळासाहेब ठाकरे पक्षाचे प्रमुख उद्धव ठाकरे यांच्या उपस्थितीत भाजपचे माजी आमदार राजन तेली यांनी उद्धव बाळासाहेब ठाकरे पक्षात काल प्रवेश केला. मुंबईतल्या मातोश्री निवासस्थानी ठाकरे यांनी राजन तेली यांना शिवबंधन बांधून त्यांचं स्वागत केलं. यावेळी युवासेनाप्रमुख शिवसेना नेते आमदार आदित्य ठाकरे, विधानपरिषदेचे विरोधी पक्षनेते अंबादास दानवे, आदी उपस्थित होते.
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छत्रपती संभाजीनगर इथले एमआयएम पक्षाचे नेते डॉक्टर अब्दुल गफ्फार कादरी यांनी विधानसभा निवडणूक लढवणार असल्याचं जाहीर केलं आहे. ते काल रात्री छत्रपती संभाजीनगर इथं एका सभेत बोलत होते. महाविकास आघाडीकडून उमेदवारी मिळवण्याचा आपला प्रयत्न असल्याचं सांगतानाच कादरी यांनी माजी खासदार सय्यद इम्तियाज जलील यांच्यावर गंभीर आरोप केले. या सभेतल्या भाषणाची ध्वनिचित्रफीत कादरी यांनी सामाजिक संपर्क माध्यमांवरून सामायिक केली आहे.
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लोकशाहीमध्ये निवडणूक कार्य हे राष्ट्रीय कर्तव्य असून दोन दिवसांच्या कामाचा विनाकारण बाऊ कोणी करू नये. निवडणूक कार्य प्रशिक्षणासाठी गैरहजर राहणाऱ्या कर्मचाऱ्यांवर गुन्हे दाखल करावेत अशा सूचना नांदेडचे दक्षिण निवडणूक निर्णय अधिकारी तथा उपविभागीय अधिकारी डॉक्टर सचिन खल्लाळ यांनी केल्या. विधानसभा सार्वत्रिक निवडणूक आणि लोकसभा पोट निवडणुकीसाठी त्यांच्या मार्गदर्शनाखाली आयोजित यासंदर्भातील बैठकीत काल त्यांनी या सूचना केल्या.
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राष्ट्रीय सेविका समिती आणि महिला समन्वय यांच्या वतीनं लातूर इथं काल पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होळकर त्रिशताब्दी जन्म वर्षाच्या निमित्ताने महिलांनी फेरी काढून अहिल्या देवींना अभिवादन केलं तसंच मतदान जागृत���चा नारा दिला. लातूर शहरातील विविध मंडळांच्या महिला मोठ्या संख्येने यात सहभागी झाल्या होत्या. पारंपारिक वेषभुषेत महिला या फेरीत सहभागी होत्या. यावेळी महिलांनी मतदान जनजागृतीसंदर्भात घोषणा दिल्या. त्यानंतर शहरातल्या जगदंबा मंदिरात सामुहिक आरती करण्यात आली आणि विद्यार्थिनींनी शारिरीक कवायती सादर केल्या.
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नांदेड ते शिवाजी महाराज टर्मिनल मुंबई राज्यराणी एक्सप्रेस या रेल्वेगाडीच्या मार्गात आजपुरता बदल करण्यात आला असून रात्री ८ वाजता नांदेड इथून सुटणारी ही एक्स्प्रेस नाशिक रोड आणि इगतपुरी इथे न थांबता थेट शिवाजी महाराज टर्मिनल रेल्वेस्थानकाकडे रवाना होईल. दक्षिण मध्य रेल्वे विभागानं ही माहिती दिली आहे.
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भारतीय वाणिज्य आणि उद्योग महासंघ अर्थात फिक्कीचा या वर्षाचा सर्वोकृष्ट विद्यापीठ हा पुरस्कार अहि���्यानगर जिल्ह्यातल्या राहुरीमधल्या महात्मा फुले कृषि विद्यापीठाला मिळाला आहे. केंद्र सरकारच्या ब्रिटीश उच्चायुक्त लिंडी कॅमेरॉन यांच्या हस्ते हा पुरस्कार देण्यात आला. विद्यापीठाचे कुलगुरु
डॉ.पी.जी.पाटील यांनी पुरस्कार स्वीकारला. हा पुरस्कार मिळवणारं महाराष्ट्रातील हे एकमेव विद्यापीठ आहे. या कृषि विद्यापीठानं आत्तापर्यंत अन्नधान्य, फळं, फुलं, चारा, पिकं याची ३०६ हून अधिक वाणं विकसित केली असून मृदा आणि जलसंधारण, पीक लागवड पद्धती, खतं आणि पाणी व्यवस्थापन आदी विषयी सखोल संशोधन केलं आहे.
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दरम्यान, गोंडवाना विद्यापीठालाही फिक्कीचा संस्थात्मक सामाजिक उत्तरदायित्व हा राष्ट्रीय पुरस्कार जाहीर झाला आहे. विद्यापीठाच्या वतीनं एकल ग्रामसभा प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. नरेश मडावी आणि डॉ. मनीष उत्तरवार यांनी हा पुरस्कार स्वीकारला. गोंडवाना विद्यापीठानं ग्रामसभा सक्षमीकरणासाठी केलेल्या कार्याची दखल घेत हा पुरस्कार प्रदान करण्यात आला. गोंडवाना विद्यापीठ राबवत असलेल्या गाव तिथे विद्यापीठ, सीआयआयटी, एसटीआरसी या नावीन्यपूर्ण आणि अन्य सामाजिक उपक्रमांचीही फिक्कीनं दखल घेतली.
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भारत आणि न्यझीलंड यांच्यात सुरु असलेल्या पहिल्या कसोटीतील तिसऱ्या दिवशी आज शेवटचं वृत्त हाती आलं तेव्हा भारताच्या दुसऱ्या डावात तीन गडी बाद ३३४ धावा झाल्या आहेत. यापुर्वी भारतीय संघाच��� पहिला डाव ४६ धावांवर आटोपला तर न्युझीलंडनं पहिल्या डावात सर्वबाद ४०२ धावा केल्या होत्या.
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कोटर: वृक्ष की आत्मकथा
प्रकृति की ध्वजा
मिट्टी से पोषित मिट्टी से उपजा,
कहीं मिलते खान स्वर्ण मुहरों भरे
तल पर कहीं काले मोती खरे
उसी पृथ्वी पर एक बीज होता न्यौछावर
एक कल्प के लिए 'मैं' वृक्ष होता सांवर
ज्वाला ज्येष्ठ का पिए, एक काष्ठ कठोर,
करूं निर्मित —निर्भीक एक ठौर
कोटर—ना चपटा ना चौकोर
एक खोखला स्थल,
जल से दूर तथा जड़ में है थल
जैसे वृक्ष के पेट पर
हुआ हो एक प्रहार
हां मुष्ठी प्रहार
सम्भवतः किसी दानव का वार
अथवा एक हीन सा कीट
छाल को कर गया छींट
ऋतु ने बांह मरोड़ दिया
अहंकारी दीमक सेनापति
आक्रमकता करता रहा अति
आपात नहीं बेला वृक्ष बतला रहा महत्व
गल कर देता वह मृदा को पोषक तत्व
अथवा है वह गृह द्वार
गिलहरी, मूषक संग मधु का बाड़
अंत भी संभव है विराट विशाल
इच्छुक हो बनने को पक्षी, वानर कुशल
वृक्ष उवाच सुनो भई साधु, सुनो आदि नर,
करते जिनकी छांव पर तप, बनाते घर,
नहीं अमर मेरा भी जीवन,
वृक्ष बचाओ वृक्ष उगाओ,
स्वयं एवं पीढ़ियां समझाओ,
जो बनाओ मुझसे कई उपवन,
उपकारी रहेंगे मेरे अनन्य मन।
©2024
—प्राची शर्मा
सर्वाधिकार सुरक्षित
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गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के तहत किसानों को मिलेगा 10 हजार का अनुदान, जानें आवेदन की प्रक्रिया
दौसा : किसानों के लिए गोवंश से जैविक खाद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के तहत जिले में 600 वर्मी कंपोस्ट इकाई का निर्माण हो सकेगा। इससे वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost) को जैविक खेती Organic Farming) के लिए उपयोग में लिया जा सकेगा। जैविक खाद के उपयोग से मृदा स्वास्थ्य (Soil Health) एवं उर्वरा शक्ति (Fertility) को बढ़ावा दिया जा सकेगा। कृषि विभाग की ओर से जैविक खेती को…
#Farers News#किसान योजना#गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना#जैविक खेती#राजस्थान किसान योजना#राजस्थान जैविक खेती मिशन
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फसलों के अवशेष न जलाये किसान - संयुक्त कृषि निदेशक
रिपोर्ट,दिलीप कुमार बस्ती – फसलों के अवशेष जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए पराली प्रबन्धन आवष्यक है। उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चन्द्र तिवारी ने मण्डल के जनपदों में कृषको को जागरूक करते हुए फसल अवशेष न जलाये जाने का सुझाव दिया है। उन्होने बताया कि पराली जलाने से मृदा की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है तथा पैदावार में गिरावट आती है। कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ…
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मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
Mrada Swasthya Prabandhan Se Aap Kya Samajhte Hain?
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन
विकारों, यथा- अम्लीयता, लवणीयता, क्षारीयता (रेह, कल्लर) तथा प्रदूषण आदि का पता लगाना तथा सुधार के उपायों का सुझाव ।
उपजाऊ शक्ति का पता लगाना तथा उसके अनुसार खादों एवं उर्वरकों की मात्रा की सिफारिश।
उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभ का आकलन करना तथा संबंधित भावी योजना में सहायता करना,
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का मानचित्र बनाना तथा उसके आधार पर क्षेत्र विशेष में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में समय के साथ-साथ होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना ।
उर्वरक वितरण में मार्गदर्शन करना । Read more
#मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन#agriculture#Mrada Swasthya Prabandhan Se Aap Kya Samajhte Hain?#मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?#What do You Understand by Soil Health Management
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बर्ड्स ऑफ़ भोपाल पुस्तक में 312 प्रजाति की पक्षियों का जिक्र
भोपाल, 20 जुलाई 2024। मध्य प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने विकास की गति तेज करने के साथ पर्यावरण के साथ सामंजस्य को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आगामी पीढ़ी को जल, वायु, मृदा आदि प्राकृतिक संसाधन अच्छी अवस्था में मिले यह वर्तमान पीढ़ी की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत कार्य करना अत्यंत महत्वपूर्ण और अनिवार्य…
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सम्पूर्ण भूगोल के टॉप वन लाइनर (500) लुसेंट पर आधारित अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
सम्पूर्ण भूगोल के टॉप वन लाइनर (500) लुसेंट पर आधारित अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 41. जलोढ़ मिट्टी में उगने वाली फसलें और जिन्हें प्रचुर मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है ?उत्तर – चावलप्रश्न 42. राजस्थान बंजर भूमि के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला राज्य कौन-सा है ?उत्तर – राजस्थानप्रश्न 43. मृदा लवणता किसके द्वारा मापी जाती है ?उत्तर – चालकताप्रश्न 44. भारत के क्षेत्रफल का कितना…
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