#मिर्च चना
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Make your evening snack fun with these crispy potato rings | शाम के नास्ते को बनाये मजेदार इस crispy potato rings के साथ | potato rings recipe | potato recipes
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Introduction
Looking to add a crispy, savory twist to your evening snack routine? These crispy potato rings are the perfect treat to make your snack time both delicious and fun! Whether you're enjoying a quiet night at home or hosting a casual get-together, these homemade potato rings will be a hit with everyone. Here’s a simple recipe to whip up these golden, crunchy snacks that are sure to become your new favorite.
✍🏻ingredients ( सामग्री ) :-
👉🏻For potato rings
* potato ( आलू ) 2 pcs
👉🏻for mix
* butter ( मक्खन ) 100 g
* Garlic ( लहसुन ) ½ Tbsp
* water ( पानी ) 1 Cup
* Spice masala ( चाट मसाला ) 1 Tsp
* salt ( नमक ) 1 Tsp
* chilli flakes ( मिर्च के टुकड़े )
* semolina ( सूजी ) 1 Cup
* corn flour ( मक्के का आटा ) 2 Tbsp
* coriander ( धनिया )
👉🏻For Fry
* oil ( तेल )
Method to Make Crispy Potato Rings:
crush boiled potatoes.
Take a pan, add butter in it, add crushed garlic and fry.
Pour one cup of water and add chaat masala, salt, peeled flax and mix it.
We will pour semolina from the same cup from which we took water.
add crushed potatoes.
Mix the potatoes well.
After cooling the mixture, add cornflour and mix it.
Chop the green coriander and mix it.
mixture to form dough.
Take a small amount of dough and roll it into a thicker size than the roti.
Will give the shape of rings with the help of glass and stain lid.
Heat the oil and fry the rings on medium flame. Crispy potato rings are ready.
Making these easy potato recipes of potato rings with Mina Ki Rasoi will be entertaining! Please remember to like, share, and subscribe to our channel if you enjoyed this dish so you can see more amazing ones.
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*🌞~ आज दिनांक - 28 जुलाई 2024 का वैदिक और सटीक हिन्दू पंचांग ~🌞*
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*⛅दिनांक - 28 जुलाई 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अष्टमी शाम 07:27 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - शूल रात्रि 08:11 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - शाम 05:44 से शाम 07:23 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09*
*⛅सूर्यास्त - 07:23*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:26 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:20 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 29 से रात्रि 01:08 जुलाई 29 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:09 से प्रातः 11:47 तक)*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*☔वर्षा ऋतु में क्या करें ?, क्या न करें ?☔*
*✅क्या करें ?✅*
*🔹१] भोजन में मधुर, खट्टे व लवण रसवाले, चिकनाईयुक्त, वातशामक, जठराग्निरक्षक द्रव्यों की प्रधानता हो । ( चरकसंहिता, भावप्रकाश)*
*🔹२] पुराने जौ, गेहूँ, चावल, काला नमक युक्त मूँग का सूप, शहद व अन्य सुपाच्य पदार्थों का सेवन करें । ( चरक संहिता, अष्टांगह्रदय )*
*🔹३] सोंठ, काली मिर्च, तेजपत्ता, दालचीनी, जीरा, धनिया, अजवायन, राई, हींग, पपीता, नाशपाती, सूरन, परवल, तोरई, बैंगन, सहजन, मूँग दाल, कुलथी, नींबू, करेला, पुनर्नवा, पुदीना, आँवला व तुलसी का सेवन लाभदायी है ।*
*🔹४] पहले का खाया हुआ पच जाने पर जब खुलकर भूख लगे व शरीर में हलकापन लगे तभी दूसरा भोजन करें । (अष्टांगह्रदय आदि )*
*🔹५] गर्म करके ठंडा या गुनगुना किया हुआ पानी पीना चाहिए । (अष्टांगह्रदय, चरक संहिता )*
*🔹६] सूखे स्थान पर रहें । घर में नमी न रहे इसका ध्यान रखें ।*
*🔹७] हलके, सूती कपड़े पहने । सफेद वस्त्र विशेष लाभदायी है ।*
*❌क्या न करें ? ❌*
*🔹१] हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, पत्तागोभी, मेथी आदि तथा पचने में भारी, वातवर्धक एवं बासी पदार्थ का सेवन न करें ।*
*🔹२] ��ड़द, चना, अरहर, चौलाई, आलू, केला, आम, अंकुरित अनाज, मैदा, मिठाई, शीतल पेय, आइसक्रीम, दही व सत्तू का सेवन न करें ।*
*🔹३] दिन में सोना, ओस गिरते समय उसमें बैठना या घूमना, बारिश में भीगना, अधिक व्यायाम एवं मैथुन छोड़ देना चाहिए । ( चरक संहिता आदि )*
*🔹४] रात्रि में खुले आकाश के नीचे न सोयें ।*
*🔹५] स्नान के बाद या बारिश में भीगने के बाद गीले शरीर कपड़े न पहनें । शरीर को अच्छे से पोछकर ही कपड़े पहने ।*
*🔹६] खुले बदन न घूमें ।*
*🔹७] देर रात को भोजन न करें ।*
*🔹८] रात्रि जागरण न करें ।*
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छोटी/कम जमीन में अधिक पैदावार तथा कमाई वाली फसलें - DeHaat गाइड
भारतीय कृषि (Indian Agriculture) की बात करें तो छोटी जमीन पर खेती करना एक आम चुनौती है। लेकिन, इस चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता भी हमारे पास है। ‘DeHaat: Seeds to Market’ आपको इस दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए सदैव तत्पर है। हम आपको अपनी कम जमीन के माध्यम से अच्छी पैदावार वाली फसलों की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यदि आप भी एक किसान हैं और अपनी खेती की आय को बढ़ने के इच्छुक हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है।
छोटी जमीन पर खेती की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
Challenges and Opportunities in Farming on Small Land: -
छोटी जमीन पर खेती करते समय किसानों को अक्सर उत्पादन (Production) में सीमितता का सामना करना पड़ता है। लेकिन, उचित योजना और तकनीकों के उपयोग से इस सीमित जगह को भी अधिकतम उत्पादकता का स्थान बनाया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming), मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-layer Farming), और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) जैसी नवीन तकनीकें इसमें सहायक हो सकती हैं।
अधिक पैदावार और आय के लिए नवीन तकनीकों का महत्व
Importance of Innovative Techniques for Higher Yield and Income:-
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान न केवल अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation), हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), और एक्वापोनिक्स (Aquaponics) जैसी तकनीकें जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी ��ुधार लाती हैं। इन तकनीकों को अपना���र किसान बाजार (Farmer Market) में बेहतर स्थान प्राप्त कर सकते हैं और अपने उत्पादों को उचित मूल्य (Fair Price Sale) पर बेच सकते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपको छोटी जमीन पर अधिक पैदावार और आय (Higher production and income on small land) प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीकों से परिचित कराएंगे। पढ़ें, DeHaat’ का यह ब्लॉग पूरा और अपने खेती के सपनों को साकार बनायें।
उन्नत बुआई तकनीकें और फसल चयन
कृषि क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के साथ, उन्नत बुआई तकनीकें (Advanced Sowing Techniques) और सही फसल चयन (Crop Selection) का महत्व बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि कैसे ये तकनीकें और चयन आपकी खेती को लाभकारी बना सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की फसलें जो कम जमीन में अधिक लाभ देती हैं।
छोटी जमीन पर अधिकतम उत्पादन (Maximizing Production) और लाभ (Profit) प्राप्त करने के लिए, फसलों का सही चयन अत्यंत आवश्यक है। ऐसी फसलें जो कम जगह में उगाई जा सकती हैं और अच्छी आय देती हैं, उनमें शामिल हैं:
मूली (Radish): यह तेजी से उगने वाली फसल है जो कम समय में तैयार होती है और बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है।
बैंगन (Eggplant): यह फसल विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकती है और इसे वर्ष भर बोया जा सकता है।
मिर्च (Chili): यह उच्च मूल्य वाली फसल है जो छोटे क्षेत्र में भी अच्छी आय दे सकती है।
धनिया (Coriander): यह फसल जल्दी उगती है और इसकी पत्तियों का उपयोग मसाले के रूप में होता है।
केला (Banana): यह फसल लंबे समय तक फल देती है और इसकी खेती से नियमित आय हो सकती है।
पपीता (Papaya): यह फसल कम समय में उगती है और इसके फलों की बाजार में अच्छी मांग होती है।
मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों का चयन।
फसलों का चयन करते समय मौसम (Weather) और मिट्टी के प्रकार (Soil Type) का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए:
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) में बाजरा और मूंगफली अच्छी उपज देती हैं।
दोमट मिट्टी (Loamy Soil) में गेहूं और चना जैसी फसलें बेहतर उपज देती हैं।
बीजों की गुणवत्ता और उनका प्रबंधन।
बीजों की गुणवत्ता (Seed Quality) और उनके प्रबंधन (Management) से फसलों की उपज में काफी अंतर आता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना और उन्हें सही तरीके से भंडारित (Storage) करना फसल की सफलता के लिए अनिवार्य है।
इन तकनीकों और चयनों का उपयोग करके आप अपनी कम जमीन से भी अधिकतम उत्पादन (Maximum production from less land) और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। खेती की और अधिक उन्नत तकनीकों और फसलों के चयन के बा��े में जानने के लिए, हमारे इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें।
सिंचाई और जल प्रबंधन
जमीन चाहे छोटी हो या बड़ी, अच्छी फसल के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन (irrigation and water management) बेहद अहम है। पारंपरिक सिंचाई विधियों में 50% से भी ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है! आइए देखें कैसे हम जल संरक्षण की तकनीकों (water conservation techniques) और आधुनिक सिंचाई पद्धतियों (modern irrigation methods) को अपनाकर कम पानी में भी अच्छी पैदावार (high yield) ले सकते हैं।
जल संरक्षण
फलों और सब्जियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी देना ही समझदारी है। हर फसल को अलग मात्रा में पानी चाहिए।
जल संरक्षण की तकनीकें:
फसल जरूरत के अनुसार सिंचाई (मिट्टी जांच उपकरण) (crop water requirement, soil moisture meter)
मल्चिंग (सूखी घास/पुआल) - 30% तक पानी की बचत (mulching)
जल निकास - जमीन की सेहत के लिए जरूरी (drainage)
वर्षा जल संचयन (खेत के आसपास गड्ढे/तालाब) (rainwater harvesting)
आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ
पानी बचाना ही पैसा बचाना है! आधुनिक सिंचाई पद्धतियां कम पानी में ज़्यादा फसल उगाने में मदद करती हैं।
सिंचाई पद्धति (Irrigation method)
विवरण (Description)
लाभ (Benefits)
ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation)
पौधों की जड़ों के पास पानी की बूंदें टपकती रहें
50% तक पानी की बचत, कम खरपतवार (water saving, weeds)
स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler irrigation)
पानी को हवा में छिड़का जाता है
पारंपरिक सिंचाई से कम पानी बर्बादी (water waste)
फरो सिंचाई (Furrow irrigation)
खेत में छोटी-छोटी नालियां बनाकर पानी बहे
कम लागत (low cost)
दिलचस्प बात ये है कि दुनिया में उपयोग होने वाले मीठे पानी का 70% सिंचाई में ही खर्च हो जाता है। इसलिए जल संरक्षण और आधुनिक सिंचाई अपनाना बहुत ज़रूरी है।
फसलों की देखभाल और बाजार तक पहुँच
फल लगने से लेकर बाजार तक पहुंचाने तक फसल की देखभाल अहम है। कीटों और रोगों से बचाव (pest and disease management), जैविक खेती (organic farming) अपनाना और सही बाजार का चुनाव अधिक पैदावार (high yield) और कमाई (income) सुनिश्चित करता है।
कीट और रोग प्रबंधन
नियमित जांच से शुरुआत करें ताकि शुरुआती अवस्था में ही कीटों और रोगों का पता लगाया जा सके। रासायनिक दवाओं (chemical pesticides) के अत्यधिक प्रयोग से बचें। जैविक कीटनाशकों (organic pesticides) का इस्तेमाल करें, लाभकारी कीटों (beneficial insects) को बढ़��वा दें और फसल चक्र (crop rotation) अपनाकर रोगों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करें।
गौर करें (Fact): भारत में फसल नुकसान का 30-40% हिस्सा कीटों और रोगों के कारण होता है। प्रभावी प्रबंधन से इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जैविक खेती
पर्यावरण के अनुकूल खेती, स्वस्थ भोजन का उत्पादन, उर्वर भूमि (fertile soil) का निर्माण और बेहतर मुनाफा - ये हैं जैविक खेती के कुछ लाभ। साथ ही मिट्टी के जैविक पदार्थों (organic matter) में वृद्धि से जलधारण क्षमता (water holding capacity) बढ़ती है, जिससे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
जानें (Did You Know?): जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और पारंपरिक उत्पादों की तुलना में 20-30% अधिक कीमत मिलती है। जैविक खेती अपनाकर आप न सिर्फ पर्यावरण बचाते हैं बल्कि अच्छी कमाई भी करते हैं।
"किसानों की सफलता ही देश की सफलता है" - देहात (DeHaat)
अपनी फसल बेचने के लिए सही बाजार का चुनाव फायदेमंद है। आइए देखें कैसे बाजार अनुसंधान (market research) और सही चैनल चुनकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है
निष्कर्ष
छोटी जमीन में भी अधिक पैदावार और कमाई संभव है! सही फसल चयन, उन्नत खेती विधियों को अपनाने और फसल को उचित बाजार तक पहुँचाने से आप अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। देहात (DeHaat) हर कदम पर आपका साथी है। हम आपको बीजों से लेकर बाजार तक हर जरूरी जानकारी और सहायता प्रदान करते हैं।
DeHaat - Seeds to Market Imp Links:
देहात की वेबसाइट (URL HERE) पर जाएं और अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त फसलों की जानकारी प्राप्त करें।
देहात विशेषज्ञों से जुड़ें (Connect with DeHaat experts) - हमारे हेल्पलाइन नंबर HELPLINEHERE पर कॉल करें या हमारी वेबसाइट पर चैट करें।
देहात ऐप डाउनलोड करें (Download the DeHaat app) - URL HERE
आप सफल किसान बन सकते हैं! देहात के साथ जुड़ें और अपनी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
“अस्वीकरण (Disclaimer): इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।
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Chana dal and urad dal chutney powder/chutney pudi । ಕಡಲೆಬೇಳೆ ಮತ್ತು ಉದ್ದಿನಬೇಳೆಯ ಚಟ್ನಿಪೌಡರ್/ಚಟ್ನಿಪುಡಿ । चना दाल और उड़द दाल चटनी पाउडर/चटनी पुडी
Ingredients :
Urad dal - ಉದ್ದಿನಬೇಳೆ - उड़द दाल - 1/2 cup
Chana dal - ಕಡಲೆಬೇಳೆ - चना दाल - 1 cup
Dry coconut - ಒಣಕೊಬ್ಬರಿ - सूखा नारियल - 1cup
Curry leaves - ಕರಿಬೇವು - करी पत्ते - 8-10
Fenugreek - ಮ��ಂತೆ ಕಾಳು - मेंथी - 1/2 tsp
Red chilli powder - ಕೆಂಪು ಮೆಣಸಿನ ಪುಡಿ - लाल मिर्च पाउडर - 1/2 cup
Jaggery powder - ಬೆಲ್ಲದ ಪುಡಿ - गुड़ पाउडर - 1/4 cup
Salt - ಉಪ್ಪು - नमक - As per taste
Tamarind - ಹುಣಸೆಹಣ್ಣು - इमली - As per taste
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Healthy Food For Heart: दिल को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए अपनी डायट में शामिल करें ये फूड्स, नहीं होगा हार्ट अटैक का खतरा
Healthy Food For Heart: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कम उम्र में ज्यादातर लोगों को दिल की बीमारी (Heart Diseases) से लेकर हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आज भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों और हार्ट अटैक (Heart Attack) का खतरा लोगों में बहुत अधिक देखा जा रहा है.
हार्ट अटैक एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसमें ध्यान न देने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है. वहीं, गलत खान-पान, मोटापा, हाई बीपी, डायबिटीज (Diabetes) , स्ट्रेस या डिप्रेशन जैसी अन्य समस्याओं की वजह से लोगों में हार्ट अटैक का खतरा सबसे बढ़ जाता है. लेकिन आप अपनी डाइट में हेल्दी फूड्स (Healthy Foods) को शामिल करके हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम कर सकते है. तो आइए जानते है इन फूड्स के बारे में.
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ओमेगा 3 (Omega 3)
ओमेगा 3 एक तरह का गुड फैट होता है जो फिश और फ्लैक्स सीड्स में सबसे ज्यादा पाया जाता है. ओमेगा 3 सोयबीन और उसके ऑयल के साथ साथ कनोला ऑयल में भी होता है. ओमेगा 3 हमारे दिल के अलावा लंग्स को भी स्वस्थ्य रखता है.
फाइबर (Fiber)
फाइबर हमारी बॉडी से LDL (Low Density Lipoprotein) को कम करता है. LDL बैड कोलेस्ट्रोल के नाम से भी जाना जाता है जो हेल्दी हार्ट के लिये बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिये . फाइबर के लिये चोकर वाली या मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खायें. इसके दालें, चना, पेयर फ्रूट , चिया सीड्स और बादाम में खूब पाया जाता है.
विटामिन (Vitamins)
विटामिन B के लिये मिल्क प्रोडक्ट, पनीर चीज खायें. विटामिन A पालक, गाजर, शकरकंद में पायी जाती है. विटामिन C खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू , मौसमी में होता है, विटामिन D दूध, सीरियल और फिश में होता है. विटामिन E साबुत अनाज, पत्तेदार सब्जियों, ड्राईफ्रूट्स में होता है.
फाइटोकैमिकल (Phytochemical)
हमें खाने में कलरफुल सब्जियां और फल खाने चाहिये. रुटीन में लाल और पीली शिमला मिर्च, ब्रोकली, बीटरूट, बैंगन, गाजर सब खाने में शामिल करना चाहिये . कलरफुल सब्जी और फ्रूट्स खाने से इम्यून बढ़ता है और ये डैमेज सेल्स को सही करता है. ये कैंसर वाली सेल्स को भी कम करता है.
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ज़रूर, यह रही चना मसाला की आसान रेसिपी:
अवयव:
1 कैन (15 ऑउंस) छोले, छाने हुए और धोए हुए (या 1.5 कप पके हुए छोले)
1 प्याज, कटा हुआ
2-3 लहसुन लौंग, कीमा बनाया हुआ
1 छोटा चम्मच अदरक का पेस्ट
2-3 छोटी हरी मिर्च, बारीक कटी हुई (या 1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर)
2 टमाटर, कटा हुआ
1 छोटा चम्मच जीरा
1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला
1/4 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1/4 छोटा चम्मच पेपरिका
1/4 छोटा चम्मच नमक (स्वादानुसार समायोजित करें)
1 बड़ा चम्मच तेल
2 बड़े चम्मच कटा हुआ धनिया (वैकल्पिक)
निर्देश:
मध्यम आँच पर एक पैन में तेल गरम करें। जीरा डालें और कुछ सेकंड के लिए उन्हें भुनने दें। पैन में कटा हुआ प्याज, लहसुन, अदरक का पेस्ट और हरी मिर्च (या लाल मिर्च पाउडर) डालें। प्याज के पारदर्शी होने तक 2-3 मिनट तक पकाएं। पैन में कटे हुए टमाटर डालें और 5-7 मिनिट तक नरम और मुलायम होने तक पकाएँ। धनिया पाउडर, गरम मसाला, हल्दी पाउडर, पेपरिका और नमक डालें। अच्छी तरह मिलाएँ और 1-2 मिनट के लिए और पकाएँ। पैन में छोले डालें और तब तक मिलाएँ जब तक कि उन पर मसाला न चढ़ जाए। 5-7 मिनिट तक चनों को अच्छे से गरम होने तक पका लीजिए. यदि मिश्रण बहुत सूखा है, तो आप 1/4 कप पानी डाल सकते हैं और 2-3 मिनट के लिए पका सकते हैं। कटे हुए हरा धनिया (वैकल्पिक) से गार्निश करें और चावल, नान या रोटी के साथ गरम परोसें।
अपने घर का बना चना मसाला का आनंद लें!
Click on our blog link to know more:- https://allindianfoodsrecipe.blogspot.com/2023/05/blog-post_55.html
चना मसाला चना मसाला रेसिपी लोकप्रिय चना मसाला
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High Protein Snacks: How To Make Crispy Chilli Chana To Pair With Your Tea
High Protein Snacks: How To Make Crispy Chilli Chana To Pair With Your Tea
हर शाम हम बैठते हैं और सोचते हैं कि हम क्या नाश्ता कर सकते हैं। हमारे पास समोसा, चिप्स और बिस्कुट जैसे विभिन्न प्रकार के स्नैक्स हो सकते हैं, लेकिन खोज कभी खत्म नहीं होती है। जब भी आप अद्रक वाली चाय के उस गर्म प्याले की चुस्की लेते हैं तो हर बार हम खुद को कुछ नया और रोमांचक पाते हैं। इसलिए, समाधान खोजने में आपकी मदद करने के लिए, हम एक उच्च प्रोटीन स्नैक लेकर आए हैं जो स्वास्थ्य और स्वाद के बीच…
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#उच्च प्रोटीन सेंक#काबुली चना#चना मिर्च रेसिपी#चना मिर्च स्नैक#चाय के समय का नाश्ता#भारत-चीनी नाश्ता#मिर्च चना
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बच्चों को नाश्ते में बनाकर खिलाएं Healthy Dumpling
नाश्ते में बहुत से लोग हल्का खाना ही पसंद करते हैं वहीं बच्चों को ब्रेड बटर खाना अच्छा नहीं लगता। अक्सर देखा जाता है ब्रेकफास्ट में लोग पोहा या उपमा खाते हैं लेकिन क्या आपने कभी Healthy Dumpling ट्राई किए हैं अगर नहीं तो इस बार इसे ज़रूर ट्राई कीजिए। बच्चों के लिए अगर आप कुछ हेल्दी डिश बनाना चाहते हैं तो Dumpling बनाने में अरहर दाल और चने की दाल का इस्तेमाल करें, यह रेसिपी प्रोटीन से भरपूर होगी और बच्चों को पसंद भी आएगी।
सामग्री
अरहर दाल – 1/2 कप
चना दाल – 1/2 कप
नारियल – 1/2 कप
हरा धनिया – 1/2 कप
अदरक – 1 टेबल स्प
मिर्च – 1 टी स्पून
नमक – स्वादानुसार
हींग
जीरा
इस तरह बनाएं Healthy Dumpling
अरहर दाल और चना दाल को कुछ देर के लिए भिगोकर रख दीजिए और पानी के साथ मिला लीजिए।
दरदरा पीसकर इस मिक्सचर को एक बड़े बाउल में डालें और नारियल, कढीपत्ता, धनिया, अदरक, जीरा, हींग, मिर्च और स्वादानुसार नमक डालें। इन्हें आपस में मिला लें।
अब इन Dumpling को बेलनाकार आकार में बना लें और स्टीमर में डाल दें।
20 मिनट तक स्टीम करें और परोसें।
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Baarish special - Lauki Ke Crispy Kabab aur chatapati Chatni बारिश स्पेशल - लौकी के कबाब और स्पेशल चटनी Follow me on Josh app @officialjoshapp Ingredients सामाग्री Bottle gourd लौकी - 300gm Capsicum शिमला मिर्च - 1 Onion प्याज - 1 Green chilly हरी मिर्च- 2 Semolina सूजी - 2 tbsp Turmeric powder हल्दी पाउडर- 1 tsp Garam masala गरम मसाला - 1 tsp Coriander powder धनिया पाउडर- 1 tsp Cumin seeds जीरा - 1 tsp Salt नमक - 1 tsp to taste Red chilly powder लाल मिर्च पाउडर - 1/2 tsp Roasted peanuts भुना हुआ मूंगफली - 50 gm Gram flour बेसन- 200gm Cooking oil तलने के लिए तेल For chutney चटनी Green chilly हरी मिर्च - 5 Garlic लहसुन - 4 to 5 Some coriander leaves कुछ हरी धनिया पत्ती Cumin seeds जीरा - 1 tsp Roasted gram भुना हुआ चना - 1 tbsp Curd दही - 1 tbsp Water पानी - 1 tbsp Salt नमक - 1/2 tsp to taste Full and detail recipe on- YouTube channel Amma Ki Thaali or search on YouTube Amma Ki Thaali पूरी रेसिपी देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल अम्मा की थाली पर विजिट करे Full Written Recipe https://www.ammakithaali.com Full Recipe - www.facebook.com/ammakithali YouTube- www.youtube.com/c/ammakithaali Instagram - www.instagram.com/ammakithaali #food #streetfood #instagood #facebook #desifood #indiafood #wow #Foodie #lovefood #quickfood #ammakithali #ammakithaali #instafood #recipe #tasty #foodindia #nasta #breakfast #sweet #aktfoodz #indiancuisine #reelitfeelit https://www.instagram.com/p/CSQ2aimAnZV/?utm_medium=tumblr
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बवासीर का घरेलू उपचार
रोजमर्रा के जीवन में हमें कोई ना कोई शारीरिक परेशानी घेरे रह��ी है। कभी-कभी तो हमारी परेशानी दवाइयों से ठीक हो ��ाती है तो कभी लंबे इलाज का सहारा लेना पड़ता है। इन शारीरिक परेशानियों से मानसिक अवचेतन, चिड़चिड़ापन आसानी से देखा जा सकता है। आपने आज तक बहुत सारे ऐसे रोगों के बारे में सुना होगा जो हमें मानसिक परेशानी के साथ साथ शारिरीक परेशानी भी देते हैं। आज हम ऐसे रोगों की बात करेंगे जिन्हे घरेलू उपाय से ही आप ठीक हो सकते हैं और वह रोग है बवासीर का। आप आसानी से बवासीर को अलविदा कह सकते हैं। यहाँ बवासीर के लिए घरेलू उपचार की सूची दी गई है जिससे आप अपने पाइल्स का इलाज कर सकते हैं।
बवासीर क्या है | Bawasir Kya Hai
यह बहुत ही दर्द युक्त रोग है, जो शुरुआत में ही पहचान लिया जाए तो इलाज करने में बेहतरीन होती है। इस रोग में मलाशय या गुदा में कुछ छोटे-छोटे मस्से होने लगते हैं। यह मस्से दर्द युक्त और चुभन युक्त होते हैं। यदि इसका सही इलाज नहीं किया जाए तो यह बड़े होकर मटर या चने के आकार या उससे भी बड़े हो जाते हैं जिनमें दर्द और भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करने में बहुत ज्यादा पीड़ा होने लगती है क्योंकि बढ़े हुए मस्से मल विसर्जन में अवरोध उत्पन्न करने लगते हैं।
बवासीर के प्रकार |Bawasir ke prakar
बवासीर चार प्रकार के होते हैं1) अंदरूनी बवासीर
यह सामान्य प्रकार का बवासीर है, जो सामान्यतः मलाशय के अंदरूनी भागों में होता है। अगर इस बवासीर के होने का पता लग जाए तो दवाइयों के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है।
2) बाहरी बवासीर
यह ठीक उसी जगह पर होता है जहां पर मल त्याग का द्वार होता है। शुरुआत में तो इसके बारे में सही पहचान नहीं की जा सकती पर समस्या बढ़ने पर बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
3) खूनी बवासीर
यह बवासीर का सबसे खतरनाक रूप कहा जा सकता है जिसमें मल त्याग के समय रक्तस्राव होने लगता है और बहुत ही पीड़ा होने लगती है। इस बवासीर के होने से व्यक्ति कमजोर होने लगता है और उसे उठने बैठने व दैनिक क्रिया करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
4) प्रोलेप्सड बवासीर
जब अंदरूनी भाग में सूजन आने लगे और गुदा द्वार के बाहर की ओर निकलने लगे ऐसे में यह बवासीर प्रोलेप्सड बवासीर कहलाता है। इस बवासीर में एक गांठ भी दिखाई देती है, जो बहुत पीड़ादायक हो जाती है।
कैसे होता है बवासीर | Bawasir Kya Hota Hai
बवासीर होने के कई प्रकार के कारण देखे गए हैं। जिनमें व्यायाम न करना, लंबे समय तक खड़े होना, लगातार काम करना, कब्ज की शिकायत बने रहना, मोटापा, नियमित रूप से शौच न होना इसके मुख्य कारण है। समय रहते यदि समस्या का समाधान किया जाए तो बेहतर होता है।
बवासीर का घरेलू उपचार | bawaseer ka gharelu upchar
बवासीर का नाम सुनते ही मन में डर सताने लगता है और लोग परेशान होने लगते हैं। ऐसे में अगर आप घरेलू उपचार अपनाएं तो आपको फायदा हो सकता है
1) एलोवेरा जेल
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज का होना है। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का उपयोग खाने में करें तो यह बवासीर को कम करता है। अगर आप एलोवेरा जेल को गुदाद्वार में लगाएं तो इससे भी आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा।
2) सेब का सिरका
बवासीर में रक्त वाहिनी का आकार बढ़ जाता है जिसके कारण भी बहुत दिक्कत होती है। ऐसे में अगर आप सेव के सिरके को पानी में डालकर उसका सेवन करें तो उससे आपको आराम ही मिलेगा।
3) जैतून का तेल
अगर आप जैतून के तेल को अपने दर्द वाले मस्सों में लगाएं तो कुछ ही दिनों में आपको आराम होने लगेगा।
4) नारियल का तेल
अगर आप बवासीर से कुछ ज्यादा ही परेशान हो गए हो तो नारियल की जटाओं को जला ले। जब वह जलकर राख बन जाए तो उसे ताजे मट्ठे में डालकर पिए तो पेट में ठंडक मिलेगी और बवासीर में भी लाभ होगा।
5) अंजीर
बवासीर में मेवों का खास योगदान है। खासतौर से अंजीर क���। अगर आप अंजीर को रोजाना पानी में भिगोकर रखें और सुबह उसको खाली पेट खाएं तो इससे भी बवासीर को खत्म करने में फायदा होगा
6) पपीता
पपीता हमारे लिए बहुत ही गुणकारी है। अगर आप पपीते का सेवन रात के भोजन के रूप में करें तो इससे सुबह आपको कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी और धीरे-धीरे कुछ दिनों में बवासीर में भी राहत महसूस होगी।
7) अजवाइन और मट्ठा
अगर आप रोजाना ठंडे-ठंडे मट्ठे में अजवाइन पाउडर और काला नमक डालकर पिए तो निश्चित रूप से आप को राहत मिलेगी।
8) जामुन
बवासीर को ठीक करने में जामुन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अगर आप जामुन की गुठली को धूप में सुखाकर रख लें। जब यह अच्छे से सूख जाए तो उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोज गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से निश्चित रूप से बवासीर में राहत महसूस होगी। खूनी बवासीर के लिए बहुत ही कारगर उपाय है।
9) मूली
बवासीर के इलाज है मूली का भी योगदान है। अगर मूली के रस में एक चुटकी नमक डालें और इसका सेवन रोजाना दो बार किया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है। अगर इसमें ऊपर से शहद मिलाया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है।
10) हल्दी
हल्दी में ऐसे गुण होते हैं जिससे किसी सूजन या घाव को भरने में आसानी होती है। हल्दी को एलोवेरा, देसी घी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाए और उसे गुदाद्वार के आसपास लगाया जाए तो इससे भी आपको बहुत ही जल्द फायदा होगा।
11) गरम पानी
बवासीर का दर्द कभी भी असहनीय हो जाता है। ऐसे में अगर आप गर्म पानी को टब में रखें और उसमें कुछ देर बैठे रहे तो आपको इससे भी फायदा होगा। इससे बवासीर के सूजन में भी राहत महसूस होती है।
गर्भवती महिलाओं को हो सकती है बवासीर की समस्या
मां बनना भगवान का दिया हुआ तोहफा माना जाता है। इस दौरान कई सारी समस्याएं भी देखी जाती हैं जिनमें से एक समस्या बवासीर की है। ऐस��� देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं में बवासीर की शिकायत होती है। ऐसे समय में महिलाओं में हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, तो कई बार ऐसे में महिलाओं को आयरन की गोलियां भी दी जाती हैं इस कारण भी बवासीर की समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे समय में डाइजेशन सही नहीं रहता और यह भी मुख्य कारण हैं जब बवासीर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अपना खान-पान सही रखने की सलाह दी जाती है ताकि इस समस्या से बचा जा सके। समानता ऐसा भी होता है कि बच्चे के जन्म के समय स्वतः ही यह समस्या समाप्त हो जाती है।
कैसा आहार ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Le Bawasir Ke Mareez
अगर आप बवासीर से ग्रसित हैं, तो ऐसे में आपको अपने खान-पान और आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हम आपको बताएंगे कि बवासीर से बचाव के लिए कैसा आहार लेना उचित होगा।
1) इस रोग से बचाव के लिए आप अनाज के रूप में के रूप में गेंहू, जौ और थोड़ी मात्रा में चावल लेना उचित है।
2) सब्जी के रूप में आप टिंडा, परवल, लहसुन, आंवला, पपीता, मूली, गाजर, बींस ले सकते हैं।
3) ज्यादा पानी पिए एवं हल्का खाना खाए।
4) इसके अलावा जीरा, अजवाइन, सौंफ, पुदीना, हींग का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
कैसा आहार ना ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Na Le Bawasir Ke Mareez
1) अगर आप लगातार बवासीर से परेशान हैं, तो मैदा, छोले, मटर, चना, उड़द दाल का सेवन नहीं करें।
2) सब्जियों में आप भिंडी, बैंगन, अरबी, आलू ,शिमला, मिर्च एवं फलों के रूप में कच्चा आम, आडू का उपयोग नहीं करें तो बेहतर है।
3) इसके अलावा बहुत ज्यादा तेल एवं मसाले वाला व्यंजन लेने से बचें।
4) जंक फूड एवं डिब्बाबंद भोजन से दूर ही रहे।
बवासीर के मरीजों के लिए जीवन शैली में बदलाव है अनिवार्य
अगर आप बवासीर में जल्द से जल्द राहत चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने जीवन शैली में बदलाव लाना होगा।
1) ज्यादा से ज्यादा पानी पिए।
2) जंक फूड से दूर रहें।
3) तला हुआ और ज्यादा मिर्च मसाले युक्त भोजन का उपयोग ना करें।
4) नियमित रूप से योग या व्यायाम करें।
बवासीर के उपचार के लिए घरेलू आसान | Bawasir Ke Upchar Ke Liya Gharelu Upay
कई बार ऐसा होता है कि लाख कोशिश के बाद भी बवासीर में आराम नहीं मिल पाता है। ऐसे में कुछ घरेलू आसन के माध्यम से भी आराम प्राप्त किया जा सकता है।
आप चाहे तो कपालभाति, अनुलोम विलोम ,प्रणव जप, गोमुखासन, मर्कटासन, सर्वांगासन, ब्राह्मणी प्राणायाम के माध्यम से बवासीर से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। शुरुआत में आपको थोड़ा समय लगेगा पर धीरे-धीरे आपको राहत महसूस होने लगेगी।
बवासीर के लिए आवश्यक नहीं है सर्जरी
लोगों का ऐसा मानना रहता है कि बवासीर के लिए सर्जरी की आखिरी रास्ता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आप अगर बवासीर से परेशान है, तो घरेलू उपायों के माध्यम से भी अपने इस रोगों को ठीक कर सकते हैं। आपको इन उपायों को नियमित रूप से करना होगा तभी आपके लिए फायदेमंद होगा। आप इन उपायों को आजमाएं और फिर से खुद को इस रोग से दूर रखें।
बवासीर के मस्सों को सुखाने के प्रमुख उपाय | Bawasir Ke Masse Ko Sukhane Ki Pramukh Upay
बवासीर के मस्से दर्द वाले होते हैं, जो कभी-कभी यह असहनीय दर्द भी देते हैं। बवासीर के मस्सों को सुखाया जाए तो इससे परेशानी कम हो जाती है।
1) अगर लौकी को पीसकर गुड़ के साथ लेप बनाकर उसे मस्सों में लगाया जाए तो इससे मस्से जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
2) नीम के पत्तों को अगर आप घी में भुने और उसमे कपूर मिला ले। ऐसा रोजाना करने पर बवासीर के मस्सों में फायदा होगा और आपको जल्द ही राहत मिलेगी।
3) अगर आपने घर के आसपास आक का पेड़ हो, तो उसके पत्तों का लेप बनाकर भी मस्सों में लगाना फायदेमंद होता है।
4) इसके अलावा तोरई के रस में हल्दी का लेप बनाकर मस्सों में लगाने तो इससे भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
5) इसके अलावा आप मस्सों में एलोवेरा जेल को लगाएं तो इससे भी आपको बहुत जल्दी ही फायदा मिलेगा।
सतर्क रहें बवासीर के रोग से
कभी-भी बवासीर रोग को छिपाने की कोशिश ना करें। जब इस रोग की शुरूआत हो तो उसी समय उपायों के माध्यम से बवासीर को बढ़ने से रोका जा सकता है। हमेशा अपने स्वास्थ्य के लिए सचेत रहना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा सुझाए गए उपाय आपको पसंद आएंगे और आपके लिए फायदेमंद होंगे
Source : बवासीर का घरेलू उपचार
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भिंडी खाने के फायदे वज़न कम और मिलता है प्रोटीन
भिंडी, जिसे अंग्रेजी भाषा में ओकरा या आमतौर पर लेडी फिंगर के रूप में भी जाना जाता है, भारत और पूर्वी एशियाई देशों में खाई जाने वाली एक हरी सब्जी है। भारतीय घरों में विशेष रूप से भिंडी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और इसे कई तरीकों से तैयार किया जाता है। भिंडीजैविक रूप से एक फल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है लेकिन आमतौर पर इसका सेवन सब्जी के रूप में ही ज्यादा किया जाता है। बहुत सारे लोग भिंडी की चिपचिपाहट के कारण इसे खाना नापसंद करते हैं। लेकिन फिर भी भिंडी कैसे-कैसे थाली में अपनी जगह बना ही लेती है। लेकिन क्या आप जानते हैं भिंडी कितने पोषक तत्वों से भरी होती है, जो वास्तव में आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं।
ऐसी सब्जी है जिसमें, क्षारीय गुण होते हैं। भिंडी में मौजूद जिलेटिन एसीडिटी और अपच जैसी समस्याओं में बहुत फायदेमंद है। यह विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा स्रोत भी है। ये हरी सब्जी फोलिक एसिड, विटामिन बी(vitamin B), विटामिन सी(vitamin C), विटामिन ए(vitamin A), विटामिन के (vitamin K), कैल्शियम, फाइबर, पोटेशियम, एंटीऑक्सिडेंट और कुछ महत्वपूर्ण फाइटोन्यूट्रिएंट से भरा होता है। भिंडी फाइबर का भी एक अच्छा स्रोत है, जो न केवल आपके पाचन में सुधार करता है बल्कि आपका पेट लंबे समय तक भरा रखती है। इस तरह आप भोजन कम करते हैं। इसके अलावा भिंडी आवश्यक पोषक तत्वों से भी भरी होती है, जो आपका मेटाबॉलिज्म दुरुस्त करती है और आपक�� मांसपेशियों को भी मजबूत बनाती है।
भिंडी में मौजूद पोषक तत्व
पतली-दुबली ये भिंडी कई पौष्टिक तत्वों से भरी होती है, इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन A, विटामिन C, विटामिन B-6, विटामिन D, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम,फास्फोरस और आयरन पाया जाता है। इन पौष्टिक तत्वों के कारण पेशाब से संबंधित समस्याओं में खासतौर पर भिंडी खाने की हिदायत दी जाती है।
भिंडी खाने से होने वाले फायदे
भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी, सी होता है साथ ही यह प्रोटीन और खनिज की भी एक अच्छा स्रोत है, जिसके कारण गैस्टिक,अल्सर में ये एक प्रभावी दवा है।
नियमित सेवन से आंत में जलन नहीं होती है।
काढ़ा पीने से पेशाब संबंधी सुजाक, मूत्रकृच्छ और ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है ।
मौजूद विटामिन बी गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है, ये गर्भ को बढ़ने में मदद करता है।
मधुमेह रोगियों और श्वास रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
नियमित सेवन करने पर किडनी से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं और इससे किडनी की सेहत में सुधार होता है।
सेवन से हमारी हड्डियां मजबूत होती है और शरीर में खून की कमी दूर होती है।
सेवन आपकी आंखों,बाल और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
मौजूद एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा न केवल ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है बल्कि शरीर में मौजूद मुक्त कणों को भी प्रभावी रूप से समाप्त करता है।
मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा की क्षति रोकने में सहायक होते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।
भिंडी में कौन सी विटामिन होती है?
भिन्डी एक ऐसी सब्जी है जिसे हर कोई पसंद करता है। इसमें क्षारीय गुण होते हैं। इसमें मौजूद जिलेटिन एसीडिटी और अपच के शिकार लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा स्रोत है।
भिन्डी में भरपूर मात्रा में विटामिन A, विटामिन C, विटामिन B-6, विटामिन D, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम,फास्फोरस और आयरन पाया जाता है। पेशाब से सम्बंधित समस्या जिन लोगों को होती हैं, उन्हें डॉक्टर खासतौर से भिंडी खाने की हिदायत देते हैं।
भिंडी के नुकसान
जरुरत से ज्यादा खाने से आपको एसिडिटी हो।क्यूंकि इसमें ऑक्सेलिक एसिड होता है।
ऑक्सेलिक एसिड जोड़ों में दर्द को बढ़ा सकता है इसलिए बहुत ज्यादा भिंडी ना खाएं।
भिंडी की सब्जी बनाने के तरीके
इस तरीके से बनाओगे दही भिन्डी तो स्वाद रहेगा हमेशा याद
आवश्यक सामग्री -भिन्डी – 250 ग्राम दही – 1/2 कप (अच्छी तरह फेंट लें) तेल – 2-3 टेबल स्पून हरा धनिया – 2-3 टेबल स्पून (बारीक काट लें) जीरा – 1/2 छोटी चम्मच हींग – 1 पिंच हल्दी पाउडर – 1/2 छोटी चम्मच ��ाल मिर्च – 1/2…
भरवा भिन्डी पकाने की विधि / खस्ता भरवां भिंडी पकाने की विधि
सूखी सब्ज़ियों में भरवां सब्ज़िया सभी को पसन्द आती हैं. भरवां सब्जियां 2 दिन तक रख रख कर भी खाई जा सकती हैं, यह जल्दी खराब नहीं होती. मेरे परिवार में भरवां भिन्डी बहुत पसन्द की जाती है.
शाकाहारी मुगलई – करारी कमाल भिन्डी
सामग्री- भिन्डी आधा किलो अजवायन २ ग्राम (चौथाई छोटा चम्मच) चाट मसाला ३ ग्राम (आधा छोटा चम्मच) गरम मसाला ५ ग्राम (एक छोटा चम्मच) अमचुर ३ ग्राम (आधा छोटा चम्मच) अदरक महीन लंबी कटी ७ ग्राम ऋडेढ़ छोटा चम्मच) बेसन हरी मिर्च कटी हुई…
भिन्डी की कुरकुरी शामी
सामग्री :500 ग्राम चना दाल ,1 ½ किलो भिन्डी ,3-4 तेजपत्ते ,1 ग्राम जावित्री पाउडर ,10 ग्राम चन्दन पाउडर ,10 ग्राम काली मिर्च पाउडर ,25 ग्राम लाल मिर्च पाउडर ,25 ग्राम फ़्राईड प्याज पेस्ट ,नमक स्वादानुसार…
भरवां भिन्डी – Bharwa Bhindi
सामग्री – Ingredients for bharwa bhindiभिन्डी – 250 ग्राम हल्दी – 1 छोटा चम्मच गरम मसाला या सब्ज़ी मसाला —- ½ मध्यम चम्मच लाल मिर्च —- ¼ मध्यम चम्मच खटाई —- ½ मध्यम चम्मच धनिया पाउडर —- 1 मध्यम चम्मच भुना पिसा जीरा…
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Aaj ka Vedic Panchang
*🌞~ आज दिनांक - 18 फरवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी सुबह 08:15 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी सुबह 09:23 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - वैधृति दोपहर 12:39 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल - शाम 05:11 से 06:37 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 06:37*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:30 से 06:29 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - गुप्त नवरात्रि-नवमी*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी एवं दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸जया एकादशी - 20 फरवरी 24🔸*
*🔹एकादशी 19 फरवरी सुबह 08:49 से 20 फरवरी सुबह 09:55 तक ।*
*🔹व्रत उपवास 20 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा । 19, 20 फरवरी दो दिन चावल खाना निषिद्ध है ।*
*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*
*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्���-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*🌹19 फरवरी 2024 से वसंत ऋतु प्रारम्भ*
*🌹आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात् घी-तेल में बने तथा अम्ल व मधुर रसप्रधान पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफवर्धक हैं ।*
*(अष्टांगहृदय : 3.26)*
*🌹वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आइसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है । इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे - लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग; अदरक, सोंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग; सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गोमूत्र आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें । भरपेट भोजन न करें । नमक का कम उपयोग तथा 15 दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*
*🌹विहार : सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन व प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी हैं । तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान्य उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है ।*
*🔹 रविवार विशेष🔹*
*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
Aaj ka Vedic Panchang
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ओमप्रकाश का भूंजा - लो कैलोरी ऑप्शन
ब्लॉग:- ओमप्रकाश का भूजा लोग सोशियो-कल्चरल व्यापकता अपना रहे हैं और मैं भुंजवा-भरसांय-भुने दाने की ओर लौटने के उपक्रम कर रहा हूं। मेरा मानना है कि दीर्घ जीवन के सूत्र में साइकिल चलाने और भूजा सेवन का महत्वपूर्ण स्थान है। इन्ही के साथ जीवन शतायु होगा।
सब्जी लेने गया था महराजग��ज कस्बे के बाजार में। बगल में, फुटपाथ पर खड़ा था भूंजा वाले का ठेला। एक गांव वाले अधेड़ खरीद रहे थे। उनका आदेश था कि बीस रुपये में उपलब्ध सभी सामग्री – चना, मूंगफली (यहाँ बदाम कहते हैं जाने क्यों), चिवड़ा, लाई, मटर और कॉर्न-फ्लेक्स आदि सब कुछ – मिला कर भून दे। वह आदेश पालन करने के बाद उसे फिर आदेश दिया – एक बीस रुपये का और भून कर बना दे वैसे ही अलग से। और साथ में मिर्च वाली…
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तीखी काली मिर्च बनाएं, इन्हें देखकर ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा
तीखी काली मिर्च बनाएं, इन्हें देखकर ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा
मिर्च चना पकाने की विधि: अगर आप कुछ मसालेदार स्नैक्स खाना चाहते हैं, तो आप झटपट मिर्च के छोले बना सकते हैं। यह बहुत ही स्ट्रीट स्टाइल का खाना है, जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है। अगर आप बाहर की चाट खाने से परहेज करते हैं तो आप इन मिर्च चना को घर पर बना सकते हैं. इसका तीखा और कुरकुरे स्वाद आपको बहुत पसंद आएगा। इसमें हल्की मिठास होती है जो इसे मीठा स्वाद देती है। इस मिर्च चना को एक बार खाइये…
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