#चाय के समय का नाश्ता
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mhp1 · 1 month ago
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हर सुबह को स्वस्थ शुरुआत दें: आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ से
हर सुबह एक नई शुरुआत होती है, और यह हमारे दिन की दिशा तय करती है। एक स्वस्थ और ऊर्जावान दिन की शुरुआत के लिए सही आदतें और आहार बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। आयुर्वेद, जो कि एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए सरल और प्रभावी उपाय प्रदान करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी सुनिश्चित करता है।
आइए जानते हैं कि कैसे आप आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ को अपनी सुबह की दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं, ताकि आप हर दिन को ताजगी, ऊर्जा और संतुलन के साथ शुरू कर सकें।
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1. प्राकृतिक जगाना: सूर्योदय से पहले उठें
आयुर्वेद के अनुसार, सूर्योदय से पहले उठना सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि इस समय का वायु, जल और ऊर्जा तत्व सबसे शुद्ध होते हैं। यह समय शांतिपूर्ण और शुद्ध वातावरण में शरीर और मस्तिष्क को तैयार करने के लिए आदर्श होता है।
सूर्य नमस्कार: सुबह के समय सूर्य के साथ कुछ हल्के व्यायाम, जैसे सूर्य नमस्कार, शरीर को लचीलापन और ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह न केवल शरीर के जोड़ों को खोलता है, बल्कि मन को भी ताजगी देता है।
श्वास ध्यान: प्राचीन आयुर्वेद में श्वास ध्यान की सलाह दी जाती है। सुबह की ताजगी को महसूस करने के लिए गहरी और लंबी श्वास लें, इससे मानसिक स्पष्टता और शांति मिलेगी।
2. ताजगी के लिए पानी का सेवन
सुबह उठते ही पानी पीने की आदत को अपने दिन की शुरुआत में शामिल करना आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बहुत लाभकारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, रात भर शरीर डिटॉक्सिफाई करता है और पानी शरीर को पुनः हाइड्रेट करता है।
गुनगुना पानी: आयुर्वेद में गुनगुने पानी का सेवन करने की सिफारिश की जाती है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और शरीर को ताजगी प्रदान करता है। साथ ही, यह आंतरिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।
नींबू पानी: कुछ लोग गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीते हैं, जिससे शरीर को अतिरिक्त डिटॉक्सिफिकेशन और ऊर्जा मिलती है। यह त्वचा के लिए भी लाभकारी है और पाचन तंत्र को सुचारु बनाता है।
3. टांगों की मसाज: शरीर में रक्त संचार बढ़ाएं
आयुर्वेद में शरीर को धीरे-धीरे जगाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है 'अभ्यंग' यानी तेल से शरीर की मालिश। यह शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और त्वचा को पोषण देता है।
तिल तेल या नारियल तेल का उपयोग: तिल या नारियल तेल से पैरों और शरीर की हल्की मालिश करना रक्त संचार को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जा से भर देता है। यह प्रक्रिया शरीर को शिथिलता से बाहर लाती है और दिन भर के लिए ऊर्जा से भरपूर करती है।
4. आयुर्वेदिक ब्रेकफास्ट: हल्का और पौष्टिक आहार
आयुर्वेद के अनुसार, सुबह का नाश्ता दिन की सबसे महत्वपूर्ण भोजन प्रक्रिया होती है। इसे हल्का, पचने में आसान और पौष्टिक होना चाहिए ताकि शरीर को ऊर्जा मिले और पाचन तंत्र सक्रिय हो।
पंजरी और दलिया: आयुर्वेद में अक्सर पंचमेल या दलिया जैसे हल्के और पोषक तत्वों से भरपूर आहार की सलाह दी जाती है। ये पेट को हल्का रखते हैं और दिनभर के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
फल और ताजे जूस: ताजे फल और जूस, जैसे पपीता, संतरा, या गाजर का जूस, शरीर में आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करते हैं। यह शरीर को ताजगी और ऊर्जा से भरपूर करते हैं।
5. प्राकृतिक आचार-व्यवहार: मानसिक शांति के लिए ध्यान
आयुर्वेद का एक अहम हिस्सा मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन है। सुबह का समय आत्ममंथन और ध्यान के लिए आदर्श है, क्योंकि यह दिन की शुरुआत को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
ध्यान (Meditation): आयुर्वेद में ध्यान की अत्यधिक महत्ता दी जाती है। सुबह के समय कुछ मिनटों के लिए बैठकर ध्यान लगाना, मस्तिष्क को शांत करता है और मानसिक स्पष्टता प्रदान करता है।
ध्यान के लिए मंत्र या शांति की प्रार्थना: अपने दिन की शुरुआत शांतिपूर्वक करने के लिए आप मंत्र जाप या शांति की प्रार्थना कर सकते हैं। यह आपके मन को स्थिर और केंद्रित रखने में मदद करता है।
6. आयुर्वेदिक हर्बल चाय
सुबह के समय आयुर्वेदिक हर्बल चाय का सेवन शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है। आयुर्वेद में ऐसी चाय का इस्तेमाल होता है, जो पाचन को सुधारने, शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और मानसिक स्थिति को संतुलित करने में सहायक होती हैं।
तुलसी चाय: तुलसी की चाय, जो आयुर्वेद में एक बहुमूल्य औषधि मानी जाती है, शरीर को शुद्ध करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है।
अदरक और दारचीनी चाय: यह चाय शरीर को ताजगी देती है, पाचन क्रिया को तेज करती है और दिनभर की ऊर्जा को बनाए रखती है।
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ से अपनी सुबह की शुरुआत करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखना है, और यह हमें प्राकृतिक उपायों के माध्यम से एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। इनमें से एक प्रमुख उपाय है महाशक्ति चूर्ण, जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक है और पुरुषों की यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है|
तो अगली बार जब आप सुबह उठें, इन आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ को अपनाएं और देखिए कि कैसे आपका दिन ताजगी, ऊर्जा और संतुलन से भर जाता है।
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sharpbharat · 8 months ago
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jamshedpur mother's Day- बुजुर्ग महिलाओं का आर्शीवाद लेकर जेसीआई पहचान ने मनाया मातृ दिवस
जमशेदपुर: शहर की सामाजिक संस्था जेसीआई जमशेदपुर पहचान की महिलाओं ने मानगो डिमना रोड के गेरूआ गांव स्थित ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) जाकर वहां रहने वाले बुजुर्ग महिलाओं का आर्शीवाद लेकर मातृ दिवस मनाया. जेसीआई की महिलाओं ने बुजुर्ग महिलाओं के साथ चाय नाश्ता कर समय बिताया.(नीचे भी पढ़े) साथ ही उनके बीच दवा, फल और सूखा खाद्य सामग्री का वितरण भी किया. इस अवसर पर प्रमुख रूप से जेसीआई की बीना देबुका,…
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healthremedeistips · 9 months ago
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शरीर को फिट रखना कोई आसान काम नहीं है। घर का बना खाना ,अच्छी नींद लेना और एक्ससाइज करने के अलावा और भी कई चीजें हैं जिन्हें 1 मिनट से भी कम में करके आप खुद पूरी तरह सेहतमंद रख सकते हैं। 
सुबह उठकर पानी पीना 
सुबह उठकर चाय या कॉफी से पहले एक बड़े ग्लास में पानी पिएं पूरी रात सोकर उठने के  बाद शरीर पूरी तरह डिहाइड्रेटेड रहता है। सुबह उठकर पानी पीने से ना सिर्फ बॉडी को एनर्जी मिलती है बल्कि ये दिमाग और किडनी के लिए भी बहुत अच्छा होता है। सुबह एक ग्लास पानी से शरीर बिल्कुल एक्टिव हो जाता है। 
प्रोटीन से भरपूर नाश्ता 
प्रोटीन से भरा नाश्ता करने पर ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है शरीर को एनर्जी मिलती है। जल्दी भूख नहीं लगती है और मूड भी अच्छा रहता है। प्रोटीन से भरा ब्रेकफास्ट वेटलॉस इ लिए भी अच्छा माना जाता है। 
दिन भर में कई एक फल खाना 
पूरे दिन में कोई एक फल या कोई हरी सब्जी स्नैक की तरह खाएं अगर आपके पास समय की कमी है तो इसे रात में ही काटकर फ्रिज में रख लें। हर दिन फल खाने से शरीर को फाइबर ,विटामिन ,मिनरल्स मिलते हैं जिससे पाचन अच्छा होता है। स्किन हेल्दी होती है और ब्लड शुगर भी सही रहता है। 
ग्रीन टी पीना 
ग्रीन टी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। सप्ताह कम से कम तीन बार ग्रीन टी पीने से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा लगभग 25 फीसद तक कम हो जाता है। इसे भी पढ़े :
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iammanhar · 1 year ago
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Day☛1176✍️+91/CG10☛In Home☛ 15/01/24 (Mon) ☛ 22:07
आज घर था क्योंकि पंडित मामा लोग आये थे ,उनके साथ गाँधी चौक गया था ,वे लोग खेती सम्बंधित पॉवर स्ट्रोक मशीन लिए है ,उसके बाद वे लोग गाँव चले गए ......
आज ऑफिस जाना नहीं हो पाया ,कारण उपरोक्त स्पष्ट है ,शाम को ससुराल से कुछ मेहमान आये थे ,असल में वे लोग पेंड्रीदीह तालाब नहाने गए थे ,वापसी में हमारे घर कुछ समय रुके और चाय नाश्ता करने के बाद वे लोग वापस गाँव चले गए .......करीब 8 से 10 लोग आये थे ......ज्यादातर लोग पहली बार हमारे यहाँ आये थे ,अच्छा लगा कि वे लोग कुछ समय के लिए हमारे यहाँ रुके थे और आने की आश्वाशन देकर गए है ,भले ही वे लोग पुनः आये या मत आये किन्तु आएंगे जरुर क्योंकि बेटी की प्यार अनंत होती है .....
आज शेयर मार्केट में नुकसान हो गया ,पहले तो 337 का फायदा था उसके बाद tcs में नुकसान हो गया यार .........रिलायंस ने मुझे फायदा दिया उसके बाद टाटा ग्रुप से मुझे नुकसान हो गया ....गलती मेरी है कि मैंने बिना एनालिसिस किये tcs की call में दांव लगा दिया और नुकसान हो गया | पहले रिलायंस के call स्टॉक्स से exit होकर tcs में डबल एंट्री किया ,वही नुकसान हुआ आज .....अब इन्वेस्ट करने से पहले कंपनी का एनालिसिस करूंगा उसके बाद पैसा लगाऊंगा ,वर्ना आज की तरह नुकसान ही होगा और कुछ नहीं .......
ok good night
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infohotspot · 1 year ago
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आयुर्वेद किसी भी बीमारी को ठीक करने का तरिका है जिसे प्राचीनकाल से इस्तमाल किया जा रहा है। अब तो विदेशो मे भी इसका चलन बढ गया है।आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे है, जिसे आप हररोज अपनाकर बीमारियों से दूर रेह सकते है। किसी मित्र या सहकर्मी के साथ टहलने का कार्यक्रम बनाएं। आयुर्वेद एक त्रिदोष व्यायाम चलने पर विचार करता है: यह आपके शरीर पर अत्यधिक दबाव डाले बिना तीनों दोषों को संतुलित करता है। यह मन को शांत करता है और इंद्रियों का पोषण करता है। दोपहर को ताज़ा खाना खाए और शांत वातावरण में खाएं और जब आप खाएं तो अपने भोजन पर ध्यान दें। और हर बाईट को अच्छे से चेबाकर खाए कहा जाता है की खाने खाते वक़्त खाने को 32 बार चेबना चाहिए। जब कभी भी खाना खाए तो पेट में ��ल्की सी जगह रखनी चाहिए। सुबह का नास्ता जरुर करना चाहिए और हो सके तो शाम को 8 बजे से पहले खाना खाए लेना चाहिए। सुबह के वक़्त फल का रस पीना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए और पानी हमेशा खाना खाने के 40 मिनिट बाद पीना चाहिए। हर रोज सुबह उठकर गरम गुनगुना पानी पीना चाहिए और कभी भी इसे एक साथ पीने की कोशिश न करे पानी हमेशा एक एक सिप करके पिए। एक गिलास दूध पिएं। एक थकाऊ दिन के अंत में, जब आप अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते, तो निराश न हों: एक गिलास गर्म दूध पिएं। दूध कार्बनिक और योजक से मुक्त होना चाहिए, और इसे पचाने में आसान बनाने के लिए इसे पीने से पहले इलायची की एक चुटकी के साथ उबला हुआ होना चाहिए। अपच से बचने के लिए, भोजन से दूर इसे अकेले पिएं। जड़ी बूटी चाय पीएं। प्रकृति की हीलिंग जड़ी बूटियों से तैयार ऑल-नैचुरल, कैफीन-मुक्त चाय आराम और रिचार्ज करने का एक सही तरीका है: स्वाद और मिश्रण को चुनने के लिए महर्षि आयुर्वेद की विस्तृत श्रृंखला में से चुनें अपना स्किन पैक बनाएं। आयुर्वेदिक उपचारकर्ता आपकी त्वचा पर पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करने की सलाह देते हैं: अधिमानतः वे सामग्री जो खाने के लिए भी सुरक्षित हैं। शहद, ऑर्गेनिक रोज वॉटर, खीरा, दलिया, पिसे हुए बादाम, दूध, और दही जैसे खाद्य पदार्थों में से ऐसे पैक चुनें जो आपकी त्वचा को एक्सफोलिएट, क्लीन और मॉइस्चराइज़ करें। जल्दी सोए।आयुर्वेदिक चिकित्सक अच्छी नींद के मूल्य पर जोर देते हैं सिर्फ इसलिए कि आराम गतिशील गतिविधि का आधार है। यदि आप नींद के असंतुलन से पीड़ित हैं, तो महर्षि आयुर्वेद के आनंदमय नींद के फार्मूले की ओर मुड़ें। प्रकृति में सबसे अधिक उपचार वाली जड़ी-बूटियों में से कुछ से निर्मित, आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के गुणवत्तापूर्ण आराम पहुंचाएगा। डीप रेस्ट उन लोगों के लिए है जो 2:00 और 4:00 बजे के बीच ऊर्जावान महसूस करते हैं। सूरज के साथ उदय। यह करना आसान होगा यदि आप 10:00 बजे से पहले बिस्तर पर जाते ���ैं। सुबह जल्दी उठने से आपको अपने सुबह के समय पर ध्यान केंद्रित करने और एक अच्छा पौष्टिक नाश्ता तैयार करने का समय मिलता है। इसके अलावा, यह आपको प्रकृति की शांत सुबह का आनंद लेने का समय देता है। अगर आप घुटनों के दर्द से परेशान है तो प्रतिदिन सुबह एक छोटी चेमच मेथी दाने का चूरण गुनगुने पानी के साथ सेवन करे ऐसा करने से दर्द कम होता है
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casualflowerglitter · 1 year ago
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वासु भाई और वीणा बेन, दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे। 3 दिन का अवकाश था ।वे पेशे से चिकित्सक थे ।लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे ।परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता ,छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते हैं ।
आज उनका इंदौर उज्जैन जाने का विचार था ।दोनों साथ-साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे ।वहीं पर प्रेम अ��कुरित हुआ ,और बढ़ते बढ़ते वृक्ष बना। । दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया । 2 साल हो गए ,संतान कोई थी नहीं ,इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते थे ।
विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया , बैंक से लोन लिया ।वीणा बेन स्त्री रोग विशेषज्ञ और वासु भाई डाक्टर आफ मेडिसिन थे ।इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला था ।
आज इंदौर जाने का कार्यक्रम बनाया था । जब मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे पप्पू भाई ने इंदौर के बारे में बहुत सुना था रेप नई नई वास्तु है खाने के शौकीन थे इंदौर के सराफा बाजार और 56 दुकान पर मिलने वाली मिठाईयां नमकीन उन्होंने उनके बारे में सुना था साथ ही महाकाली के दर्शन करने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने इस बार इंदौर उज्जैन की यात्रा करने का विचार किया था
यात्रा पर रवाना हुए ,आकाश में बादल घुमड़ रहे थे । मध्य प्रदेश की सीमा लगभग 200 किलोमीटर दूर थी । बारिश होने लगी थी।
म, प्र, सीमा से 40 किलोमीटर पहले छोटा शहर पार करने में समय लगा। कीचड़ और भारी यातायात में बड़ी कठिनाई से दोनों ने रास्ता पार किया।
भोजन तो मध्यप्रदेश में जाकर करने का विचार था परंतु चाय का समय हो गया था ।उस छोटे शहर से चार 5 किलोमीटर आगे निकले ।सड़क के किनारे एक छोटा सा मकान दिखाई दिया ।जिसके आगे वेफर्स के पैकेट लटक रहे थे ।उन्होंने विचार किया कि यह कोई होटल है वासु भाई ने वहां पर गाड़ी रोकी, दुकान पर गए , कोई नहीं था ।आवाज लगाई , अंदर से एक महिला निकल कर के आई।
उसने पूछा क्या चाहिए ,भाई ।
वासु भाई ने दो पैकेट वेफर्स के लिए ,और कहा बेन दो कप चाय बना देना ।थोड़ी जल्दी बना देना , हमको दूर जाना है ।
पैकेट लेकर के गाड़ी में गए ।वीणा बेन और दोनों ने पैकेट के वैफर्स का नाश्ता किया ।
चाय अभी तक आई नहीं थी ।
दोनों निकल कर के दुकान में रखी हुई कुर्सियों पर बैठे ।वासु भाई ने फिर आवाज लगाई ।
थोड़ी देर में वह महिला अंदर से आई ।
बोले भाई बाड़े में तुलसी लेने गई थी , तुलसी के पत्ते लेने में देर हो गई ,अब चाय बन रही है ।
थोड़ी देर बाद एक प्लेट में दो मेले से कप। ले करके वह गरमा गरम चाय लाई।
मेले कप को देखकर वासु भाई एकदम से अपसेट हो गए ,और कुछ बोलना चाहते थे ।
परंतु वीणाबेन। ने हाथ पकड़कर उनको रोक दिया ।
चाय के कप उठाए ।उसमें से अदरक और तुलसी की सुगंध निकल रही थी ।दोनों ने चाय का एक सिप लिया । ऐसी स्वादि��्ट और सुगंधित चाय जीवन में पहली बार उन्होंने पी ।उनके मन की हिचकिचाहट दूर हो गई ।
उन्होंने महिला को चाय पीने के बाद पूछा कितने पैसे
महिला ने कहा बीस रुपये
वासु भाई ने सो का नोट दिया ।
महिला ने कहा कि भाई छुट्टा नहीं है ।₹20 छुट्टा दे दो ।वासुभाई ने बीस रु का नोट दिया। महिला ने सो का नोट वापस किया।
वासु भाई ने कहा कि हमने तो वैफर्स के पैकेट भी लिए हैं
महिला बोली यह पैसे उसी के हैं ।चाय के पैसे नहीं लिए ।
अरे चाय के पैसे क्यों क्यों नहीं लिए ।
जवाब मिला ,हम चाय नहीं बेंचते हैं। यह होटल नहीं है ।
फिर आपने चाय क्यों बना दी ।
अतिथि आए ,आपने चाय मांगी ,हमारे पास दूध भी नहीं था पर यह बच्चे के लिए दूध रखा था ,परंतु आपको मना कैसे करते ।
इसलिए इसके दूध की चाय बना दी ।
अभी बच्चे को क्या पिलाओगे ।
एक दिन दूध नहीं पिएगा तो मर नहीं जाएगा । इसके पापा बीमार हैं वह शहर जा करके दूध ले आते ,पर उनको कल से बुखार है ।आज अगर। ठीक हो जाएगा तो कल सुबह जाकर दूध ले आएंगे।
वासु भाई उसकी बात सुनकर सन्न रह गये। इस महिला ने होटल ना होते हुए भी अपने बच्चे के दूध से चाय बना दी और वह भी केवल इसलिए कि मैंने कहा था ,अतिथि रूप में आकर के ।
संस्कार और सभ्यता में महिला मुझसे बहुत आगे हैं ।
उन्होंने कहा कि हम दोनों डॉक्टर हैं ,आपके पति कहां हैं बताएं ।
हमको महिला भीतर ले गई । अंदर गरीबी पसरी हुई थी ।एक खटिया पर सज्जन सोए हुए थे बहुत दुबले पतले थे ।
वसु भाई ने जाकर उनका मस्तक संभाला ।माथा और हाथ गर्म हो रहे थे ,और कांप रहे थे वासु भाई वापस गाड़ी में , गए दवाई का अपना बैग लेकर के आए । उनको दो-तीन टेबलेट निकालकर के दी , खिलाई ।
फिर कहा कि इन। गोलियों से इनका रोग ठीक नहीं होगा ।
मैं पीछे शहर में जा कर के और इंजेक्शन और इनके लिए बोतल ले आता हूं ।वीणा बेन को उन्होंने मरीज के पास बैठने का कहा ।
गाड़ी लेकर के गए ,आधे घंटे में शहर से बोतल ,इंजेक्शन ,ले कर के आए और साथ में दूध की थैलीयां भी लेकरआययै।
मरीज को इंजेक्शन लगाया ,बोतल चढ़ाई ,और जब तक बोतल लगी दोनों वहीं ही बैठे रहे ।
एक बार और तुलसी और अदरक की चाय बनी
दोनों ने चाय पी और उसकी तारीफ की।
जब मरीज 2 घंटे में थोड़े ठीक हुए, तब वह दोनों वहां से आगे बढ़े।
3 दिन इंदौर उज्जैन में रहकर , जब लौटे तो उनके बच्चे के लिए बहुत सारे खिलौने ,और दूध की थैली लेकर के आए ।
वापस उस दुकान के सामने रुके ,महिला को आवाज लगाई , तो दोनों बाहर निकल कर उनको देख कर बहुत खुश हो गये।
उन्होंने कहा कि आप की दवाई से दूसरे दिन ही बिल्कुल स्व��्थ हो गया ।
वसु भाई ने बच्चे को खिलोने दिए ।दूध के पैकेट दिए ।
फिर से चाय बनी ,बातचीत हुई ,अपनापन स्थापित हुआ ।वसु भाई ने अपना एड्रेस कार्ड दिया ।कहा, जब भी आओ जरूर मिले ,और दोनों वहां से अपने शहर की ओर ,लौट गये
शहर पहुंचकर वसु भाई ने उस महिला की बात याद रखी। फिर एक फैसला लिया।
अपने अस्पताल में रिसेप्शन पर बैठे हुए व्यक्ति से कहा कि ,अब आगे से आप जो भी मरीज आयें, केवल उसका नाम लिखेंगे ,फीस नहीं लेंगे ।फीस मैं खुद लूंगा।
और जब मरीज आते तो अगर वह गरीब मरीज होते तो उन्होंने उनसे फीस लेना बंद कर दिया ।
केवल संपन्न मरीज देखते तो ही उनसे फीस लेते ।
धीरे धीरे शहर में उनकी प्रसिद्धि फैल गई । दूसरे डाक्टरों ने सुना ।उन्हें लगा कि इस कारण से हमारी प्रैक्टिस कम पड़ेगी ,और लोग हमारी निंदा करेंगे ,।उन्होंने एसोसिएशन के अध्यक्ष से कहा ।
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बसु भाई से मिलने आए ,उन्होंने कहा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो ।
तब वासु भाई ने जो जवाब दिया उसको सुनकर उनका मन भी उद्वेलित हो गए ।
वासु भाई ने कहा मेरे जीवन में हर परीक्षा में मेरिट में पहली पोजीशन पर आता रहा ।एमबीबीएस में भी ,एमडी में भी गोल्ड मेडलिस्ट बना ,परंतु सभ्यता संस्कार और अतिथि सेवा में वह गांव की महिला जो बहुत गरीब है ,वह मुझसे आगे निकल गयी।
तो मैं अब पीछे कैसे रहूं ।
इसलिए मैं अतिथि सेवा में मानव सेवा में भी गोल्ड मेडलिस्ट बनूंगा । इसलिए मैंने यह सेवा प्रारंभ की ।
और मैं यह कहता हूं कि हमारा व्यवसाय मानव सेवा का है। सारे चिकित्सकों से भी मेरी अपील है कि वह सेवा भावना से काम करें ।गरीबों की निशुल्क सेवा करें ,उपचार करें ।यह् व्यवसाय धन कमाने का नहीं ।
परमात्मा ने मानव सेवा का अवसर प्रदान किया है ,
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने वासु भाई को प्रणाम किया और धन्यवाद देकर उन्होंने कहा कि मैं भी आगे से ऐसी ही भावना रखकर के चिकित्सकिय सेवा करुंगा।
Prit Paul Goyal
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swadisht · 1 year ago
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आसानी से मसाला आलू भुजिया बनाना सीखे (Aloo Bhujia Recipe)
आलू भुजिया (Aloo Bhujia Recipe) यदि आप भारतीय स्नैक्स के शौकीन हैं, तो आलू भुजिया निस्संदेह आपके स्वाद के लिए शीर्ष दावेदारों में से एक है। आलू पर आधारित यह कुरकुरा और मसालेदार व्यंजन न केवल अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्ट है बल्कि इसे घर पर बनाना भी काफी आसान है। चाहे आप चाय के समय इसका आनंद लेना चाहें या पार्टी ऐपेटाइज़र के रूप में परोसना चाहें, आलू भुजिया कभी भी प्रभावित करने में विफल नहीं होती
नमस्कार दोस्तों, स्वादिस्ट के ब्लॉग में आपका स्वागत हैं, स्वाधिस्ट ब्लॉग अपने  व्यंजनों के संग्रह के लिए जाना जाता है, हमारी टीम बहुत रिसर्च और मेहनत करके आपको सबसे अच्छी और आसान रेसिपी प्रदान करती है, इसलिए पढ़ने का आनंद लें।
आलू भुजिया एक कुरकुरा और नमकीन नाश्ता है जो बेसन, आलू और मसालों के मिश्रण से बनाया जाता है। आमतौर पर दोपहर के दौरान चाय के साथ इसका आनंद लिया जाता है, यह दिवाली उत्सव में भी शामिल होता है, ��हां इसे मिठाई और अन्य नमकीन के साथ परोसा जाता है। इस स्वादिष्ट आलू सेव को चाट मसाला से तीखा और तीखा स्वाद मिलता है, जबकि लाल मिर्च पाउडर और काली मिर्च पाउडर हल्का तीखापन जोड़ते हैं। हालाँकि यह स्वाद और बनावट में हल्दीराम के आलू भुजिया से अलग है, लेकिन इसका चटपटा सार इसे अलग करता है और इसे उतना ही आनंददायक बनाता है। तो, आइए इसकी सामग्री और पालन करने में आसान निर्देशों के साथ इस स्वादिष्ट क्लासिक भारतीय स्नैक को बनाएं।
To read the full article click on the following link: https://swadisht.life/aloo-bhujia-recipe/
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dainiksamachar · 2 years ago
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चोर चोरी से जाए, लेकिन नवाबी से न जाए! ऐसे अजूबे चोर जिनके सामने नवाबी अंदाज भी फीका पड़ जाए
'चोर चोरी से जाए, लेकिन हेरा-फेरी से न जाए', इस बात को अगर थोड़ा सा बदल कर कहा जाए तो इन चोरों पर एकदम सटीक बैठेगा। 'चोर चोरी से जाए, लेकिन नवाबी से न जाए'... एक लाइन में कहें तो यही है इन चोरों का अंदाज। चोरी की खबरें आपने अक्सर सुनी या देखी होंगी, लेकिन ऐसे चोर आपने नहीं देखे होंगे जो बेहद निराले अंदाज में देते हैं चोरियों को अंजाम। इनमें से कई चोर तो ऐसे हैं जिनका अंदाज इतना नवाबी है कि आप जानकर हैरान रह जाएंगे।चलिए आपको मिलवाते हैं अपने ही देश के ऐसे अजूबे चोरों से जिन्हें देखकर कुछ देर के लिए तो पुलिस भी सोचने पर मजबूर हो गई- 'क्या वाकई ये चोर हैं'! चोर नंबर 1- स्लीपिंग चोर मुंबई का चोर तीन सालों से पुलिस को चुनौती दे रहा था और वो भी सोकर। अरे-अरे हैरान मत होइए ये इसका स्टायल है। मुंबई का रहने वाला जुनैद शेख कार चोर है। वो अलग-अलग कारों में अपना हाथ साफ करता और फिर कार में स��� जाता है। भई जब आदतें नवाबी हो तो क्या चोर क्या आम आदमी। आदत से मजबूर ये चोर चोरी के बाद सोता जरूर था। आराम का आराम, साथ ही ये इसकी पुलिस से बचने एक तरकीब भी थी। जुनैद जिस कार को चुराता उसी के अंदर सो जाता। पुलिस को लगता कि शायद कोई ड्राइवर, क्योंकि चोर इतनी चैन की नींद कैसे सो सकता है। खैर आखिरकार ये स्लीपिंग चोर भी पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया। मुंबई पुलिस ने सूरत से इसे गिरफ्तार किया। चोर नंबर 2- बाइक लवर चोर बाइक से प्यार तो कई लोगों को होता, लेकिन भिलाई के दो चोरों का बाइक लव तो एकदम अजूबा है। विवेक नाम के एक चोर ने अपने गैंग में दो ऐसे नाबालिग लड़के शामिल किए जो रोज नई बाइक में नजर आते। इनका तरीका बेहद अलग था। ये बाइक को चुराते। उस बाइक चलाकर देखते, अगर इन्हें वो बाइक पसंद आती तो उसे रखते नहीं तो उस बाइक वापस उसी जगह पर छोड़ आते जहां से चुराई थी। हां ये जरूर था कि जो बाइक इन्हें पसंद नहीं आती उसकी बैटरी और दूसरी चीजें ये जरूर निकाल लेते। चोर नंबर 3- ब्रेकफॉस्ट चोर कानपुर में कुछ समय पहले एक घर से दो चोरों को गिरफ्तार किया गया। ये चोर उस घर में चोरी के लिए पहुंचे, लेकिन इनका मन चोरी से ज्यादा किचन की तरफ चला गया। भई पेट भरा होगा तभी तो काम होगा। चोरी करने से पहले ये किचन में जाकर अपने ��िए चाय-नाश्ता बनाने लगे। इसके बाद इन्होंने डायनिंग टेबल पर बैठकर नवाबी अंदाज में ये खाना खाया और फिर शुरू किया चोरी का काम। ये चोर अक्सर ऐसा ही करते थे, लेकिन उस बार इनका ये नवाबी अंदाज इनके लिए भाई पड़ गया और ये पुलिस के हत्थे चढ़ गए। चोर नंबर 4 - बधाई चोर अब ये भी चोरो की एक विशेष किस्म की नस्ल है जो उत्तर प्रदेश के आगरा में देखने को मिली। बधाई देकर चोरी शायद आपको थोड़ा अजीब लगे। नितिन और करण नाम के दो चोरों का काम करने का तरीका इतना निराला था कि पुलिस भी हैरत में रह गई। ये दोनों आटो रिक्शा चुराते थे। इनका तरीका था ऑटो चालक को अपने घर बुलाना ये कहकर की प्रेगनेंट महिला को अस्पताल में भर्ती करवाना है। ये उस आटो चॉलक को लड्डू खिलाते, कहते कि हमारे घर के लिए खुशी की खबर है और इस लड्डू में बेहोशी की दवा मिला देते और उसका ऑटो रिक्शा चुराकर फरार हो जाते। http://dlvr.it/SnQ9MB
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chandramurty · 2 years ago
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!!डोमची साहिब की बमपुलिस!!
हमारे सामान्य बोलचाल में प्रयोग होने वाले बहुत सारे शब्द अंग्रेजों से व्युत्पन्न अपभ्रंश हैं।जैसे, अंग्रेजों के ज़माने में लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल कर कुछ बसें चलती थीं।चढ़ाई पर यात्रियों को उतर कर पीछे से धक्का लगाना पड़ता था।अंग्रेज यात्री बैठे-बैठे “पुश-पुश” की आवाज़ लगाते रहते थे। तब लोगों ने लकड़ी से चलने वाली बस का नाम ही “पुश-पुश” गाड़ी रख दिया!
इसी तरह राँची के बुजुर्ग सब्ज़ी बेचने वाले अंग्रेजों को “डोमची” साहिब की संज्ञा देते थे।अंग्रेज राँची की सब्ज़ियों के भाव सुन कर “डैम चीप-डैम चीप” कहा करते थे। सब्ज़ी वालों ने बेचारे अंग्रेजों का नामकरण ही “डोमची साहिब” कर दिया!
गर्म मौसम के कारण अपने डोमची साहिब अलसुबह हल्का नाश्ता कर कचहरी चले जाया करते थे।इस ब्रेड, अंडे, फल और चाय के नाश्ते को “छोटा हाज़िरी” की संज्ञा दी गई थी।फिर वे सीधे दोपहर 1 बजे लंच किया करते थे।
ख़िदमतगारों को सुबह 6 बजे तक हाज़िर हो नाश्ता पेश करना होता था।शायद इसी छोटे समयावधि के लिये हाज़िर होने के कारण ही इस नाश्ते को “छोटा हाज़िरी”कहा जाने लगा!
असम में तेल की खुदाई के दौरान एक इंजीनियर, मज़दूरों को “डिग बॉयज-डिग बॉयज”, कह कर हौसला बढ़ाते रहते थे।किंवदंती है कि इसी कारण उस जगह का नाम “डिगबोई” पड़ गया!
अंग्रेजों ने भी हमारे भाषा के शब्दों के अपनाया।मुहर्रम के “हाय हसन- हाय हुसैन” को अंग्रेजों ने “Hobson-Jobson” बना लिया तो पुरी के जगन्नाथ भगवान के रथ को “Juggernaut” के रूप में अपना लिया!
“मिलागु तन्नी” (तमिल) रूपांतर हो कर Mulligatawny Soup हो गया और अपनी “खिचड़ी” “Kedgeree” हो गई ! हमारे “पंचामृत” का विलायती करण “Punch (Alcohol, Sugar, Lemon, Water and Spices)” के रूप में हो गया! “चंपी” का रूप बदल “Shampoo” हो गया!
“Cummerbund” भी हिन्दी/ उर्दू का “कमरबंद” ही है और “Jodhpurs”घुड़सवारी करते समय पहना जाने वाला उपर से ढीला एवं नीचे से चुस्त पैंट का आंग्लिकरण है!
शौच के लिये युद्ध काल में ब्रिटिश फ़ौज गोले-बारूद के डब्बों का इस्तेमाल करती थी। मज़ाक़ में इन अस्थायी शौचालयों को वे “Bombing Place” कहा करते थे।इसी का अपभ्रंश “बमपुलिस”(सार्वजनिक शौचालय)बन गया!!
इसी तरह हमारे “लिबड़ी बरताना” की व्युत्पत्ति भी इंग्लिश के “Livery and baton” से हुई थी, यथा “The forces shall March with their Livery & Baton”!
इसी प्रकार के अनगिनत शब्द हैं जिनकी व्युत्पत्ति दूसरी भाषाओं से हुई है। शब्दों के स्रोत को जानना भी बैठे-ठालों का एक मनोरंजक शग़ल हो सकता है!
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trendingwatch · 2 years ago
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स्वादिष्ट चाय-समय के नाश्ते के लिए झटपट आलू के चिप्स कैसे बनाएं
स्वादिष्ट चाय-समय के नाश्ते के लिए झटपट आलू के चिप्स कैसे बनाएं
चिप्स निस्संदेह अब तक बनाए गए सबसे सुविधाजनक और मनोरम स्नैक्स में से एक हैं। जब भी हमें भूख लगती है, हम चिप्स का एक थैला लेते हैं, उसे खोलते हैं, और लिप्त हो जाते हैं। हमारा पसंदीदा इलाज भी घर पर बनाने के लिए बहुत ही सरल और त्वरित है। आपको बस कच्चे आलू, मसाला और तलने का तेल चाहिए। चिप्स के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे अन्य चाय के समय के स्नैक्स जैसे सैंडविच, समोसा, बोंडा और अन्य की तुलना…
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newsreporters24 · 3 years ago
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High Protein Snacks: How To Make Crispy Chilli Chana To Pair With Your Tea
High Protein Snacks: How To Make Crispy Chilli Chana To Pair With Your Tea
हर शाम हम बैठते हैं और सोचते हैं कि हम क्या नाश्ता कर सकते हैं। हमारे पास समोसा, चिप्स और बिस्कुट जैसे विभिन्न प्रकार के स्नैक्स हो सकते हैं, लेकिन खोज कभी खत्म नहीं होती है। जब भी आप अद्रक वाली चाय के उस गर्म प्याले की चुस्की लेते हैं तो हर बार हम खुद को कुछ नया और रोमांचक पाते हैं। इसलिए, समाधान खोजने में आपकी मदद करने के लिए, हम एक उच्च प्रोटीन स्नैक लेकर आए हैं जो स्वास्थ्य और स्वाद के बीच…
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everynewsnow · 4 years ago
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कुकीज पर जाएं, पिनका के साथ अपनी चाय पेयर करें - गोयन राइस बॉल कुकीज
कुकीज पर जाएं, पिनका के साथ अपनी चाय पेयर करें – गोयन राइस बॉल कुकीज
पक्ष में कुछ कुकीज़ के बिना एक कप चाय क्या है! नारियल कुकीज़, चॉकलेट कुकीज़, क्रीम से भरे कुकीज़ आदि – हम दिन के किसी भी समय इन तेज़ तेज़ काटने पर प्यार करते हैं। इसके अलावा, अल्पकालिक भूख को रोकने के लिए कुकीज़ सभी के बीच एक लोकप्रिय स्नैक बनाती हैं। यही कारण है कि, जब भी हम उन्हें चाहते हैं, हम अपनी पेंट्री में विभिन्न प्रकार के कुकीज़ को दबाते हैं। अपने कुकी जार में कुकीज़ की विविधता को जोड़ते…
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hindinewshub · 5 years ago
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Indian Cooking Tips: How To Make Dhokla In A Microwave Within 15 Minutes गुजराती व्यंजन ढोकला जैसे व्यंजनों से भरे हुए हैं, जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकते हैं।
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ghareluayurvedicupay · 4 years ago
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एसिडिटी के घरेलू उपाय
आज के आधुनिक युग में जहां लोग नित नए नए आयाम प्राप्त कर रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में लोगों का रहन-सहन, खान-पान, जीवन शैली में बदलाव देखा जा रहा है तो वहीं लोगों में मानसिक और शारीरिक विकृति भी देखी गई है। शारीरिक समस्याओं की बात की जाए तो बहुत सी ऐसी परेशानियां हैं, जो हमारे दैनिक  क्रियाकलापों में बाधा उत्पन्न करती है। उनमें से एक समस्या एसिडिटी की है जिसकी वजह से ही स्वास्थ्य में गिरावट देखा जा सकता है। एसिडिटी के घरेलू उपाय को समझने से पहले, इस समस्या के पीछे के कारणों को जानना आवश्यक है।
क्या है एसिडिटी | acidity kya hai
एसिडिटी एक पाचन संबंधी समस्या है, जो कि पेट से संबंधित विकार के रूप में जाना जाता है। जिसमें खाने की नली में एक जलन होने लगती है। यह प्रक्रिया तब होती है, जब पेट  का संपूर्ण एसिड खाने की  नली में आ जाता है। इस एसिड की वजह से बार बार पेट व सीने में जलन होने लगती है। यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। इस समस्या की वजह बदलती जीवन शैली को माना जाता है।
एसिडिटी के लक्षण | acidity ke lakshan kya hai
एसिडिटी की समस्या सामान्य होती जा रही है। इसके लक्षण जैसे छाती में दर्द, जलन, पेट में जलन, खट्टी डकार आना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद सही नहीं होना, लेटने पर दर्द व जलन का बढ़ जाना मुख्य है, जो बहुत ही पीड़ादायक होता है।
एसिडिटी के घरेलू उपाय |acidity ke gharelu upay in hindi
आज के आधुनिक जीवन शैली के मद्देनजर एसिडिटी की समस्या बहुत ही आम हो गई है। कई बार यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपना कर आप स्वस्थ रह सकते हैं।
1) एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना आधा चम्मच बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद होता है। इस उपाय को रोजाना करने से एसिडिटी को दूर किया जा सकता है।
2) अगर आप रोजाना खाली पेट गर्म पानी में हींग डालकर पीते हैं, तो इससे भी एसिडिटी में फर्क पड़ता है।
3) एसिडिटी से राहत के लिए एक अचूक उपाय मेथी दाना और गुड़ का भी है। जिसमें आप मेथी दाना और गुड़ को उबालकर पीए, तो इससे भी एसिडिटी में फायदा होगा।
4) एसिडिटी की समस्या ज्यादा होने पर ��प इलायची का सेवन कर सकते हैं। जब भी आपको छाती और पेट में जलन की समस्या होने लगे तो इलायची चूसन�� से आपको फायदा हो सकता है।
5) पुदीना से हमारे शरीर को शीतलता मिलती है। अगर आपको जलन एसिडिटी की समस्या होने लगे,तो पुदीने  को पीसकर उसमें काला नमक मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
6) ठंडा दूध को हमेशा से ही एसिडिटी कम करने में सहायक माना जाता है। इसलिए जब भी आपको एसिडिटी लगे तो फ्रिज से निकालकर ठंडा दूध पिए इससे आपको फर्क पड़ेगा।
7) आंवले को पाचक के रूप में देखा जाता है। एसिडिटी होने पर आंवले को या आंवले को काले नमक के साथ सेवन करने पर लाभ प्राप्त होता है।
8) सौंफ की तासीर ठंडी होती है।जब भी आपको एसिडिटी होने लगे, तो आप सौफ खा सकते हैं। इससे पेट व छाती की जलन कम होने लगती है और चाहे तो सौंफ का शरबत बनाकर किया जा सकता है।
9) लॉन्ग भी हमारे पाचन को सही करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नियमित लाॅन्ग को चबाते रहने से आपको एसिडिटी से राहत मिलेगी और पाचन भी बिल्कुल सही हो जाएगा।
10) अगर आप अदरक के रस में थोड़ा-सा सेंधा नमक और जीरा पाउडर डालकर पिए तो इससे भी आपकी एसिडिटी की समस्या खत्म हो सकती है।
11) एसिडिटी में गन्ने का रस भी फायदेमंद होता है। अगर उपलब्ध हो सके तो गन्ने के रस में थोड़ा नींबू का रस और सेंधा नमक डालने से भी आपको फायदा होगा और एसिडिटी की समस्या खत्म नजर आएगी।
12) अगर आप जीरे को रात में भीगा कर रखें और सुबह खाली पेट उसके पानी को पीए, तो इससे भी आपको फायदा होगा और एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाएगी।
एसिडिटी होने पर कैसी होनी चाहिए जीवन शैली
एसिडिटी के होने पर हमेशा अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस समस्या से निपटने के लिए अपनी जीवनशैली में विशेष बदलाव करना होगा जिससे जल्द से जल्द राहत मिल सके।
1) समय पर खाना नाश्ता लेना चाहिए ज्यादा देर तक भूखे रहना सही नहीं होता है।
2) हमेशा पर्याप्त नीद लेना चाहिए। कम से कम 7 घंटे की नींद अनिवार्य माना गया है।
3) किसी अन्य समस्या के होने पर दवाइयां अपने मन से ही ना ले। ज्यादा दवाइयां लेने से किडनी में प्रभाव पड़ता है।
4) एसिडिटी के होने पर धूम्रपान और अल्कोहल से दूर ही रहना चाहिए।
5) अत्यधिक मात्रा में भोजन का उपयोग ना करें। ज्यादा मसालेदार और तेलीय खाने से बचें।
6) रात में ज्यादा देर तक जागना भी सही नहीं माना जाता है।
7) अत्यधिक तनाव लेने से बचें ज्यादा तनाव से एसिडिटी बढ़ जाती है।
8) रात में खाना खाने  के बाद कम से कम आधा घंटा टहले।
9) थोड़ा समय निकालकर योग का अभ्यास जरूर करें इससे एसिडिटी खत्म करना आसान होता है।
10) अत्यधिक मात्रा में चाय व कॉफी के सेवन से बचें।
11) अत्यधिक मात्रा में नमक का उपयोग करने से भी बचें।
खाँसी के 10 घरेलू उपचार एवं नुस्खे
एसिडिटी को खत्म करने के लिए कुछ प्रमुख आसन
अगर आप ऐसिडिटी को जल्द ही खत्म करना चाहे तो योगासन के माध्यम से भी जल्द ही खत्म किया जा सकता है। मुख्य रूप से आपको कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, गोमुखासन ,कंधरासन, सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तानासन के माध्यम से भी अपनी समस्या को खत्म किया जा सकता है। कम से कम इन आसन को शुरुआत में 10:15 मिनट करें और बाद में समय सीमा बढ़ाई भी जा सकती है।
एसिडिटी में कैसा आहार है फायदेमंद | acidity main kaise ahara hain faydemand
एसिडिटी में अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इन आहारों के माध्यम से भी जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
1) अनाज के रूप में ब्राउन ब्रेड, समुद्री नमक, रोटी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें।
2) फल एवं सब्जियों में केला, तरबूज, पपीता, अंजीर, सेब आवश्यक रूप से ले जो एसिडिटी में होने वाली जलन से भी छुटकारा देते हैं। सब्जियों में हरी पत्तेदार सब्जियां, बींस, फूलगोभी, लौकी, कद्दू का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें साथ ही साथ जड़ वाली सब्जियां लेना भी फायदेमंद है।
3) मसाले के रूप में अजवाइन, हींग, सौंफ, जीरा, धनिया का उपयोग भी किया जा सकता है।
4) अगर आप नॉनवेज खाना पसंद करते हैं तो बेक किया हुआ चिकन, मटन या फिर अंडे का सफेद भाग भी खाया जा सकता है।
एसिडिटी में समुद्री नमक का उपयोग अवश्य ही करें | acidity main samundar ka namak ka upyog avashyak hai
ऐसा माना जाता है कि समुद्री नमक  सामान्य नमक की अपेक्षा अधिक गुणकारी होता है। अगर आप समुद्री नमक का उपयोग सलाद, सूप के रूप में ही करें तब भी एसिडिटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है समुद्री नमक में क्षार अधिक मात्रा में है, जो एसिडिटी के मरीजों को लाभ पहुंचाते हैं।
एसिडिटी में कैसा आहार ना लें | acidity main kaise ahara naa le
कुछ ऐसे आहार भी होते हैं जिनको एसिडिटी के मरीजों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। एसिडिटी की समस्या होने पर कभी भी अतिरिक्त तेल, मसाले वाला भोजन नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा मैदा से बने आहार की ज्यादा मात्रा में नहीं लेना चाहिए। बहुत ज्यादा खट्टे फलों का सेवन से बचना चाहिए। किसी भी प्रकार की मिर्च का सेवन न हीं करें तो बेहतर है। बहुत ज्यादा सोडा या चॉकलेट खाने से बचें। डेयरी प्रोडक्ट लेने से बचें क्योंकि उनमें अतिरिक्त मात्रा में वसा होती है, जो एसिडिटी को बढ़ाने में सहायक होता है। मरीजों को बहुत ज्यादा मात्रा में दही, छाछ लेने से भी बचना होगा।
बुजुर्गों का खास ध्यान रखें एसिडिटी में
कई बार ऐसा होता है कि बुजुर्गों  में एसिडिटी की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे समय में बुजुर्गों का खास ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। कई बार बुजुर्ग हमारी बात नहीं समझते हैं, उन्हें प्यार से समझाना चाहिए। उन्हें समय पर खाना, नाश्ता दे और किसी प्रकार के मसालेदार खाने से दूर ही रखें। समय पर खाना और नींद से ही उन्हें एसिडिटी की समस्या से दूर रखा जा सकता है।
एसिडिटी है  हानिकारक
एसिडिटी हम सभी के लिए हानिकारक है जिसमें पीड़ा भी होती है। एसिडिटी ज्यादा हो जाने से गैस की समस्या भी बढ़ने लगती है जिससे शरीर के हर अंग में दिक्कत शुरू हो जाती है। आज की आधुनिक जीवन शैली में समस्या बढ़ती ही जा रही है। ज्यादा समस्या बढ़ जाने पर हृदय संबंधी विकार हो जाते हैं, जो हमारे शरीर पर गलत प्रभाव के रूप में नजर आते हैं। अतः खुद का ध्यान रखें और सही दिनचर्या को अपनाएं।
अंतिम शब्द
आज के दौर में जहां कई बीमारियां हमें घेरे हुए हैं, वहां पर खुद का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। अगर आप अपने जीवन में संतुलित रहकर जीवन शैली को अपनाए तो ऐसी समस्या हमारे पास नहीं आ पाएंगी, जब भी एसिडिटी की समस्या होती है तो इसका कारण हमारी लापरवाही भी होती है। किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें और अपने परिवार का संपूर्ण रुप से ध्यान रखें ताकि किसी भी समस्या से बचा जा सके।इस समस्या को खत्म करने का घरेलू उपाय आपके काम आएंगे और आपको राहत महसूस होगी।
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deepinsideheartsblog · 2 years ago
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पत्नी के अंतिम संस्कार व तेरहवीं के बाद रिटायर्ड पोस्टमैन मनोहर गाँव छोड़कर मुम्बई में अपने पुत्र सुनील के बड़े से मकान में आये हुए हैं। सुनील बहुत मनुहार के बाद यहाँ ला पाया है। यद्यपि वह पहले भी कई बार प्रयास कर चुका था किंतु अम्मा ही बाबूजी को यह कह कर रोक देती थी कि 'कहाँ वहाँ बेटे बहू की ज़िंदगी में दखल देने चलेंगे। यहीं ठीक है। सारी जिंदगी यहीं गुजरी है और जो थोड़ी सी बची है उसे भी यहीं रह कर काट लेंगे। ठीक है न!'
बस बाबूजी की इच्छा मर जाती। पर इस बार कोई साक्षात अवरोध नहीं था और पत्नी की स्मृतियों में बेटे के स्नेह से अधिक ताकत नहीं थी , इसलिए मनोहर बम्बई आ ही गए हैं।
सुनील एक बड़ी कंस्ट्रक्शन कम्पनी में इंजीनियर है। उसने आलीशान घर व गाड़ी ले रखी है।
घर में घुसते ही मनोहर ठिठक कर रुक गए। गुदगुदी मैट पर पैर रखे ही नहीं जा रहे हैं उनके। दरवाजे पर उन्हें रुका देख कर सुनील बोला - "आइये बाबूजी, अंदर आइये।"
- "बेटा, मेरे गन्दे पैरों से यह कालीन गन्दी तो नहीं हो जाएगी।"
- "बाबूजी, आप उसकी चिंता न करें। आइये यहाँ सोफे पर बैठ जाइए।"
सहमें हुए कदमों में चलते हुए मनोहर जैसे ही सोफे पर बैठे तो उनकी चीख निकल गयी - अरे रे! मर गया रे!
उनके बैठते ही नरम औऱ गुदगुदा सोफा की गद्दी अन्दर तक धँस गयी थी। इससे मनोहर चिहुँक कर चीख पड़े थे।
चाय पीने के बाद सुनील ने मनोहर से कहा - "बाबूजी, आइये आपको घर दिखा दूँ अपना।"
- "जरूर बेटा, चलो।"
- "बाबू जी, यह है लॉबी जहाँ हम लोग चाय पी रहे थे। यहाँ पर कोई भी अतिथि आता है तो चाय नाश्ता और गपशप होती है। यह डाइनिंग हाल है। यहाँ पर हम लोग खाना खाते हैं। बाबूजी, यह रसोई है और इसी से जुड़ा हुआ यह भण्डार घर है। यहाँ रसोई से सम्बंधित सामग्री रखी जाती हैं। यह बच्चों का कमरा है।"
- "तो बच्चे क्या अपने माँ बाप के साथ नहीं रहते?"
- बाबूजी, यह शहर है और शहरों में मुंबई है। यहाँ बच्चे को जन्म से ही अकेले सोने की आदत डालनी पड़ती है। माँ तो बस समय समय पर उसे दूध पिला देती है और उसके शेष कार्य आया आकर कर जाती है।"
थोड़ा ठहर कर सुनील ने आगे कहा,"बाबूजी यह आपकी बहू और मेरे सोने का कमरा है और इस कोने में यह गेस्ट रूम है। कोई अतिथि आ जाए तो यहीं ठहरता है। यह छोटा सा कमरा पालतू जानवरों के लिए है। कभी कोई कुत्ता आदि पाला गया तो उसके लिए व्यवस्था कर रखी है।"
सीढियां चढ़ कर ऊपर पहुँचे सुनील ने लम्बी चौड़ी छत के एक कोने में बने एक टीन की छत वाले कमरे को खोल कर दिखाते हुए कहा - "बाबूजी यह है घर का कबाड़खाना। घर की सब टूटी फूटी और बेकार वस्तुएं यहीं पर एकत्र कर दी जाती हैं। और दीवाली- होली पर इसकी सफाई कर दी जाती है। ऊपर ही एक बाथरूम और टॉइलट भी बना हुआ है।"
मनोहर ने देखा कि इसी कबाड़ख़ाने के अंदर एक फोल्डिंग चारपाई पर बिस्तर लगा हुआ है और उसी पर उनका झोला रखा हुआ है। मनोहर ने पलट कर सुनील की तरफ देखा किन्तु वह उन्हें वहां अकेला छोड़ सरपट नीचे जा चुका था।
मनोहर उस चारपाई पर बैठकर सोचने लगे कि 'कैसा यह घर है जहाँ पाले जाने वाले जानवरों के लिए अलग कमरे का विधान कर लिया जाता है किंतु बूढ़े माँ बाप के लिए नहीं। इनके लिए तो कबाड़ का कमरा ही उचित आवास मान लिया गया है। नहीं.. अभी मैं कबाड़ नहीं हुआ हूँ। सुनील की माँ की सोच बिल्कुल सही था। मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था।'
अगली सुबह जब सुनील मनोहर के लिए चाय लेकर ऊपर गया तो कक्ष को खाली पाया। बाबू जी का झोला भी नहीं ��ा वहाँ। उसने टॉयलेट व बाथरूम भी देख लिये किन्तु बाबूजी वहाँ भी नहीं थे। वह झट से उतर कर नीचे आया तो पाया कि मेन गेट खुला हुआ है। उधर मनोहर टिकट लेकर गाँव वापसी के लिए सबेरे वाली गाड़ी में बैठ चुके थे। उन्होंने कुर्ते की जेब में हाथ डाल कर देखा कि उनके 'अपने घर' की चाभी मौजूद थी। उन्होंने उसे कस कर मुट्ठी में पकड़ लिया। चलती हुई गाड़ी में उनके चेहरे को छू रही हवा उनके इस निर्णय को और मजबूत बना रही थी।
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chandramurty · 3 years ago
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तिनचुले की यात्रा
तिनचुले,उत्तरी बंगाल के पहाड़ों में 5800 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित,एक खूबसूरत,छोटा सा गांव है।न्यू जलपाईगुड़ी से इसकी दूरत्व करीब 75 kms की होगी।
कोलकाता के अपने कार्यकाल के दौरान सहकर्मियों से इसकी बहुत तारीफ सुनी थी। बंग बंधुओं के संगत में मुझमें भी हिम्मत जाग उठी और एक दिन तिनचुले जाने हेतु न्यू जलपाईगुड़ी का टिकट ले ही लिया।
चार दिनों की छुट्टी थी। बंधुओं ने बताया था का चार दिन तिनचुले और आस पास के दर्शनीय स्थलों के भ्रमण हेतु काफी होंगे। मैंने रहने के लिये वहां के एक Homestay में online बुकिंग भी करवा ली।
प्रस्थान का दिन भी आ गया। अल-सुबह हावड़ा स्टेशन से अपनी ट्रेन के चेयर कार में "उठ" गया।फिर सोते-जागते, पीते-खाते रात्रि के 10 बजे करीब न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन में "नाम"गया। स्टेशन के पास के ही एक होटल में बुकिंग किया हुआ था।गरमा-गरम "माछ-भात" पाने के बाद रात्रि विश्राम वहीं हुआ।
Homestay वालों से ही अनुरोध किया था एक गाडी भेज देने के लिए।सुबह 9 बजे उनकी गाड़ी होटल में पहुंच गई और तिनचुले का सफर शुरू हो गया।
"सिवोक खोला" Bridge पार करते करते भूख लग आई। वहीं एक Restaurant में स्वादिष्ट आलू पराठा और दही का नाश्ता कर फिर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर।तीस्ता नदी के किनारे-किनारे बल खाती हुई सडक पर हमारी गाड़ी सरपट भाग रही थी।
मनोरम पहाड़ियों और घाटियों को देखते देखते झटका लगा..हमारी गाड़ी मुख्य मार्ग से एकाएक बायें मुडकर तीखी चढाई चढने लगी थी।मैं खुद भी Drive करता हूँ पर मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि वैसी तीखी चढाई और वैसे तीखे मोड पर Driving,मेरे Capability level से काफी उपर की चीज थी।
अब हम घने जंगलों के बीच से गुजर रहे थे।बारिश में भींगे जंगलों की एक अलग सी खुशबू मदमस्त कर रही थी।Driver जंगल मे पाये जाने वाले जड़ी बूटियों के बारे में बता रहा था।सर्दी,खांसी,बुखार, बदन दर्द,रक्त चाप आदि अनेक तकलीफों का इलाज ये लोग इन्ही जड़ी- बूटियों से करते हैं।सच में मुझे देख कर ये आश्चर्य हुआ कि रास्ते में कोई दवा की दुकान नहीं दिखी!
3 घंटे के मनोरम सफर के बाद एक छोटे से शांत गांव, तिनचुले,अपने गंतव्य पर, पहुंच गया।जो रूम मेरे लिये आरक्षित था उसमें कुछ सम��्या होने के कारण उसी Tariff पर एक Deluxe रूम उन्होंने आवंटित कर दिया!
रूम काफी बड़ा एवं सुसज्जित था। First Floor होने के कारण सुदूर पर्वत श्रृंखला का अति मनोरम View मिल रहा था।बारिशों का मौसम था और बादल उमड़-घुमड़ कर कमरे के अंदर चले आ रहे थे। कुछ देर तक तो मंत्रमुग्ध हो सामने चल रही दृश्यावली निहारता ही रह गया।
ये Homestay 3 तलों पर बना हुआ था।एक तल रोड के बराबर था, एक रोड से नीचे तल में और एक प्रथम तल पर।तीनों तल से View मनोरम था।
लंच का समय हो चुका था। Dining Hall सबसे नीचे वाले तल पर था।सीढियां उतर कर वहां पहुंचा।अति स्वादिष्ट भोजन सामने था।चावल, दाल,रोटी,फिश करी, आलूदम,बेगुन भाजा, सलाद,पापड़,भुत-जोलकिया मिर्च का अचार,साथ में पहाड़ी गाय की घी!ये मिर्च सबसे ज्यादा तीखी मानी जाती है और वहां मान्यता है कि इसके साथ घी खाना आवश्यक है।
खाना Homestay परिवार के लोग ही मिल कर बनाते हैं और बहुत ही प्यार से खिलाते हैं। ताजी मछली देख कर मुझे आश्चर्य हुआ कि ये 6000 फीट की ऊंचाई पर मछलियाँ कैसे मिली? पता चला कि नीचे आने-जाने वाली गाड़ीयों से ये Supply Chain संचालित होता है।
स्वादिष्ट भोजन और खिलाने वालों के प्यार से मन तृप्त हो गया।थकावट और भर पेट भोजन के कारण कमरे में आ कर गहरी नींद में सो गया।
शाम को नींद खुली तो सामने दार्जिलिंग की चाय और चिकेन मोमो की प्लेट थी। चाय पी कर बाहर निकल पड़ा।शाम के सुरमई उजाले में तिनचुले गांव में 2/3 kms घूम आया। स्थानीय लोग थोड़े संकोची पर मिलनसार लगे। जरूरत का सारा सामान मिल जाता है, दवाईयां छोड कर!
लौटा तो पूरा अंधकार हो चुका था।Bonfire की तैयारियां चल रही थी।एक ग्रुप गिटार पर कुछ मनोरम धुन छेड़ रहा था। मैं भी उधर ही बैठ गया।Barbecue का भी सरंजाम था। Chicken और पनीर की व्यंजन तैयार हो रहे थी, लकड़ी के कोयले के मद्धम आंच में। ठंड बढ रही थी।कुछ देर के बाद मैं कमरे मे चला आया।उधर Bonfire की पार्टी अपने शबाब पर थी।
रात्रि भोजन अन्य dishes के साथ Barbecued Chicken, Fried Fish भी परोसा गया। अब कल सुबह local sight seeing के लिये जाना था।कार बुक हो गई थी।9 बजे तक निकल जाने का सोचा था।
सुबह 7 बजे उठा और चाय बिस्कुट ले कर रेडी होने लगा।नाश्ते में छो��े- भटूरे और Boiled Eggs मिले।ठीक 9 बजे Lover's Meet Point के लिये निकल गया। ये "तीस्ता" एवं "रंगीत" नदी का संगम है।वहां एक View Point बना हुआ है जिस पर सैलानियों की भीड़ जमा रहती है।नीचे नदी के तीर पर Rafting का भी इंतजाम है। रास्ते में कई View Points और कई प्रसिद्ध चाय बागान भी हैं, Peshoke Tea Garden, Runglee Rungliot,Lopchu Tea Estate,आदि। एक नारंगी का बागान भी है,Nirmal's Orchard। Season नही था तो नारंगी तो नहीं दिखे पर Preserve किये हुए कई खाद्य उत्पाद उचित मूल्य पर वहां उपलब्ध थे।
Kalimpong शहर की छटा भी View Points से देखने को मिलती है। मौसम बारीशाना होने के कारण Kanchenjunga की चोटियां नजर नहीं आईं। सिक्किम का भी कुछ हिस्सा View Points से देखने को मिलता है।लौटते समय Tinchuley Monastery तथा Orchid Garden भी देख लिया। तिनचुले,असल में "तीन" और "चूल्हे" शब्दों के मेल से बना है।तिनचुले तीन चूल्हाकार पहाडियों से घिरा हुआ है।इसलिए इसका नाम तिनचुले पड़ गया।
3 बजे तक घूम फिर कर लौट आया।भूख लगी थी और Homestay kitchen ने शानदार खाना लगाया था। रोटी,चावल,दाल,चिकन करी, माछ भाजा,आलू चुरी भाजा,पापड़ उपर से शुद्ध घी और भुत-जोलकिया मिर्च का अचार..विशुद्ध तृप्तिकारी भोजन! भोजनोपरांत कमरे में पहुंचते ही बिस्तर पे गिरा और सो गया। शाम में चाय-पकौड़े का आनंद ले ही रहा था कि देखा कि कई Missed calls के Notifications आये हुए थे। असल में वहां पर Mobile Networks काफी कमजोर रहते हैं।काॅल किया तो पता चला कि कुछ आवश्यक कार्यवश कल ही वापस लौटना पड़ेगा। क्या करता..लौटने की तैयारी में लग गया। लेकिन दिल और दिमाग बार बार कह रहे थे..
WE'LL BE BACK..😎😎
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