#चाय का समय
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चाय - यह एक पेय पदार्थ से कहीं अधिक है; यह एक अनुष्ठान है, आराम का एक स्रोत | चाय वास्तव में कब सबसे अधिक चमकती है? आइए विचार करें: Tea - it's more than a beverage; it's a ritual, a moment of reflection, and a source of comfort. But, let's ponder: When does tea truly shine its brightest? Visit: www.raphacure.com 🌞 सुबह की चाय: क्या एक कप चाय के साथ अपने दिन की शुरुआत करना एक अच्छा अभ्यास है? Morning Brew: Is Kickstarting your day with a cup of tea a good idea? 🌆 दोपहर का अंतराल: आनंददायक चाय के साथ दोपहर का वह विश्राम आपके मानसिक तरोताजा होने का बटन हो सकता है। Afternoon Interlude: That afternoon pause, with a delightful tea, can be your mental refresh button. 🌛 शाम को आराम: जैसे ही दिन ढलता है, चाय का एक गर्म, आरामदायक कप शांति का उत्तम प्रस्तावना है। Evening Soothe: As the day winds down, a warm, comforting cup of tea is the perfect prelude to serenity. ☕ चाय के लिए सबसे अच्छा समय खोजें! उत्पादकता और विश्राम को बढ़ावा दें. Discover the BEST time for tea! Boost productivity and relaxation. Like, share, and tag a fellow tea lover! 🍵 #TeaTimeSecrets #चाय के #समय का #जादू #एक #घूंट #लो #TeaTimeMagic #TeaEnthusiast #SipAndReflect #TeaMoments #TeaRituals #LinkedInPost #TeaTimeBliss #TeaTime #TeaLovers #TeaMoments #BrewedWisdom #SipSipHooray #TeaCulture #TeaTimeDelights #TeaTalk #PerfectBrew #RitualOfTea #ग्रीनटी पीने का सबसे अच्छा समय best time to drink green tea, how to make green tea, green tea to lose weight, green tea best time to have, what is the best time to drink green tea, how to have confidence, when to drink green tea, how to reduce the damaging impact of tea, how to consume green tea, healthy teas to drink, tea heavy metals, how to drink green tea for weight loss, green tea best time to take, what are the benefits of clove tea?, what to do after a cheat meal, how to stay healthy best time to have tea best time to drink tea best time to have green tea best time to drink matcha tea best time to drink turmeric tea best time to drink chamomile tea best time to drink hibiscus tea best time to take ginger tea best time to drink black tea best time to drink clove tea best time to drink lemongrass tea right time to drink tea best time to drink dandelion tea best time to drink spearmint tea best time for green tea to lose weight best time to drink tea best tea time snacks recipes best tea time cake recipe best tea time snacks best time green tea weight loss 4 best tea time cookies best tea time best tea time in london best night time tea best time green tea best time to have tea best time for matcha tea best tea time songs
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*#दयाधर्मकामूलहै_पापमूलअभिमान*
*Bihar Flood Victims Relief*
🚣बिहार में बाढ़ के इस संकट के समय में, संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने यह साबित किया है कि मानवता और करुणा से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। उनका राहत कार्य उन हजारों लोगों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आया है जो इस आपदा में फंसे हुए थे।
🚣दरभंगा और सहरसा बिहार में मानवीय सेवा के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों को न केवल भोजन और राहत सामग्री मिल रही है बल्कि उन्हें इस मुश्किल समय में मानसिक और भावनात्मक सहायता भी मिल रही है जो कि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
🚣संत रामपाल जी महाराज के 150 से अधिक सेवक दिन-रात बिहार बाढ़ पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के शिष्य हमेशा से मानवता की सेवा में अग्रणी रहे हैं जो उनके गुरु की शिक्षाओं का प्रतिफल है। संत रामपाल जी महाराज का मानना है कि समाज की भलाई और उत्थान के लिए निःस्वार्थ सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।
🚣संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में बिहार में लाखों लोगों की जान बचाने के लिए अद्भुत राहत अभियान चलाया जा रहा है। संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए घर-घर राहत सामग्री पहुँचाई।
🚣बिहार में आई बाढ़ से कई जिलों के बहुत से गांव एक दूसरे से कट गए हैं व सब कुछ जलमग्न हो गया है। ऐसे में बाढ़ग्रस्त इलाकों में आवश्यक वस्तुओं का अभाव जीवन के लिए एक चुनौती बना हुआ है। जीवन के इस मुश्किल दौर में ��ंत रामपाल जी महाराज ने सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में चाय, बिस्किट, सब्जी, रोटी आदि की व्यवस्था कर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की है।
🚣प्राकृतिक आपदा के बीच संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी बाढ़ में फंसे लोगों की हरसंभव सहायता कर रहे हैं। प्रतिदिन संत जी के अनुयायियों द्वारा बाढ़ पीड़ितों के खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है।
🚣दरभंगा और सहरसा बिहार के बाढ़ पीड़ित गांवों में रोजाना हजारों भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। इन कार्यों से बाढ़ पीड़ितों के जीवन में कुछ सुकून आया है और उन्हें जीवन की उम्मीद दी है।
🚣संत रामपाल जी महाराज के आदेशानुसार बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भंडारा खिलाने से लेकर पेकिंग करके बांटने तक कि व्यवस्था कर संत जी के शिष्य मानवता का संदेश दे रहे हैं।
🚣दरभंगा और सहरसा (बिहार) में बाढ़ पीड़ितों के लिए संत रामपाल जी के अनुयायी घर-घर जाकर मदद कर रहें है। प्रतिदिन हजारों जरूरतमंद लोगों को भोजन भंडारे से लेकर चाय, बिस्किट आदि सामग्री मुहैया करा रहें हैं, जो कि वास्तव में सराहनीय कार्य है।
🚣संत रामपाल जी के अनुयायी उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलकर परमार्थ के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। तभी तो वे बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की भरपूर मदद कर रहे हैं। अपनी जान की परवाह न करते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर प्रतिदिन बाढ़ पीड़ितों को शुद्ध भोजन, चाय, बिस्किट, साफ पानी आदि उपलब्ध करवा रहे हैं।
🚣संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा दरभंगा और सहरसा जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए निःशुल्क राहत सामग्री वितरित की जा रही है। बाढ़ पीड़ित लोगों तक रोजाना भोजन का पैकेट व राहत सामग्री घर-घर जाकर उपलब्ध करा रहे है और सुबह चाय और बिस्किट भी दिया जा रहा है।
🚣बिहार में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी अपनी जान की परवाह न कर बाढ़ पीड़ित लोगों का सहारा तो बन ही रहे हैं। साथ ही, दरभंगा एवं सहरसा जो इन दिनों बाढ़ की चपेट में है वहाँ जरूरतमंदों तक रोटी, चावल, सब्जी, चाय, बिस्किट, स्वच्छ पानी आदि उपलब्ध करा रहे हैं।
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पक्षी-संसद
तूफान के ठहरे समय में
बड़े गड्ढे से, छोटे तालाब पर
बैठे है पंछी हरी दूब पर
पंखों को छाता बनाए।
लगता है आपदा में
जम गयी है ��क्षी-संसद
कुछ श्वेत कुछ श्याम
कुछ रक्तवर्णी भी
कोई कोई अकेला-सा
अपने रंग में
आपदा में समावेशी
धरती,जंगल , घोंसलों
की चिंता में।
दूर वृक्षों पर छितराए
बैठे हैं पेड़ों पर
पक्षी-संसद की दर्शक दीर्घा में।
कोई नहीं है शोर
कोई नहीं है गर्म-गृह
एक स्वर एक चिंता में लीन
कभी वक्तव्य सी आवाज
कभी फड़फड़ाती उड़ान ।
कोई डर नहीं है
सर्दी में भीगे पंखों का
फड़फड़ा कर सुखा देंगे।
न छाता, न रैन कोट
न गरमागरम चाय
न हेलीकोप्टर से गिरे पैकेट
फिर भी चुनौती देंगे
नाप लेंगे आकाश ।
- सुविख्यात व्यंग्यकार व आलोचक प्रो. बी. एल. आच्छा
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Both these words are commonly used with करना to form phrasal verbs सेवा करना, to serve, to take care, and सेवन करना, to consume.
आप अपने देश की सेवा कर सकते हैं। You can serve your country.
सुबह के समय ज्यादार लोग चाय का सेवन करते हैं। Most people consume tea in the morning.
सेवा is used in many compounds describing all kinds of services, such as the fire department, अग्निशमन सेवा, health services, स्वास्थ्य सेवा, or hospitality services, आतिथ्य सेवा.
It also appears in the adjective for retired, सेवानिवृत्त, literally free or released from service.
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आंवला और लिवर स्वास्थ्य: एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आंवला/Amla and Liver Health: An Ayurvedic Perspective
आंवला, जिसे भारतीय करौदा/Indian Gooseberry (एम्ब्लिका ऑफिसिनेलिस/Emblica officinalis) के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा की आधारशिला है। "रसायन" (कायाकल्प करने वाला) के रूप में प्रसिद्ध, यह शरीर के विषहरण/detoxification और चयापचय संतुलन/metabolic balance के लिए प्राथमिक अंग, यकृत/liver पर इसके विषहरण, पोषण और मजबूती देने वाले प्रभावों के लिए अत्यधिक मूल्यवान है। 1. आंवला के गुण जो लीवर को स्वस्थ रखते हैं Properties of Amla That Support Liver Health आंवला में कई बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो इसे लीवर को स्वस्थ रखने के लिए एक बेहतरीन जड़ी बूटी बनाते हैं: आंवले के मुख्य आयुर्वेदिक गुण Key Ayurvedic Properties of Amla: - रस (स्वाद)/Rasa (Taste): मुख्य रूप से खट्टा, मीठा, कड़वा, तीखा और कसैला स्वाद। - वीर्य (शक्ति)/Virya (Potency): शीतलता, जो इसे पित्त दोष को शांत करने के लिए आदर्श बनाती है, जो यकृत को नियंत्रित करता है। - विपाक/Vipaka (पाचन के बाद का प्रभाव): मीठा, पाचन और आत्मसात को संतुलित करने में मदद करता है। READ MORE.... फैटी लिवर/FATTY LIVER के लिए 10 घरेलू सरल उपचार आंवला खाने से यकृत पर होने वाले विशिष्ट असर Specific Actions on the Liver: - एंटीऑक्सीडेंट/Antioxidants से भरपूर: इसमें विटामिन सी और पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जो मुक्त कणों को बेअसर करते हैं, तथा यकृत कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। - हेपेटोप्रोटेक्टिव/Hepatoprotective: यकृत विषहरण में सहायता करता है और क्षतिग्रस्त यकृत ऊतकों को पुनर्जीवित करने में मदद करता है। - सूजनरोधी/Anti-inflammatory: शराब, फैटी लीवर या विष के अधिक सेवन के कारण होने वाली सूजन को कम करता है। - पित्त-शामक: आंवला यकृत को ठंडा और आराम देता है, तथा अत्यधिक गर्मी या पित्त असंतुलन के कारण होने वाले विकारों, जैसे पीलिया या हाइपरएसिडिटी, को ठीक करता है। - आपके पाचन को बढ़ावा दे: पित्त को संतुलित रखते हुए अपनी अग्नि या पाचन अग्नि को पोषित करके, आप अपने चयापचय को अनुकूलित कर सकते हैं और अपने लीवर पर भार को हल्का कर सकते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल पाचन में सुधार करता है बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है! 2. लीवर के स्वास्थ्य क�� लिए आंवला के पारंपरिक आयुर्वेदिक उपयोग Traditional Ayurvedic Uses of Amla for Liver Health आयुर्वेद में, आंवला को इसके बहुआयामी लाभों के कारण "सुपरफ़ूड" माना जाता है। कुछ पारंपरिक उपयोगों में शामिल हैं: - आंवला रसायन: ताजे आंवले के रस में शहद मिलाकर बनाया गया एक कायाकल्पकारी मिश्रण, जिसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत साफ होता है और वह मजबूत होता है। - त्रिफला: इस क्लासिक आयुर्वेदिक मिश्रण में आंवला एक प्रमुख घटक है, जो लीवर को शुद्ध करता है और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। - आंवला चूर्ण (पाउडर): पानी या गर्म दूध के साथ मिलाकर इसका उ���योग पाचन को संतुलित करने और यकृत को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। - आंवला मुरब्बा: आंवला का एक मीठा मुरब्बा जो अपने यकृत-सुरक्षात्मक गुणों को बरकरार रखता है। 3.आंवला का उपयोग करके इष्टतम यकृत/LIVER स्वास्थ्य के लिए, आवश्यक व्यंजन और उपचार। Specific Recipes and Remedies Using Amla for Liver Health A. लिवर डिटॉक्स के लिए आंवला जूस Amla Juice for Liver Detox सामग्री: - 2 ताजे आंवले - 1 कप पानी - एक चुटकी हल्दी (वैकल्पिक) - स्वाद के लिए शहद या गुड़ (वैकल्पिक) विधि: - आंवले को पानी के साथ पीसकर उसका रस निकाल लें। - अगर ज़रूरत हो तो इसमें चुटकी भर हल्दी और मीठा भी मिला लें। - लिवर की सफाई के लिए रोज़ाना खाली पेट पिएँ। B. गर्म पानी के साथ आंवला पाउडर सामग्री: - 1 चम्मच आंवला पाउडर - 1 कप गर्म पानी विधि: पाचन को बढ़ाने और लीवर पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए भोजन के बाद इसे मिलाएं और पिएं। C.त्रिफला चाय/Triphala Tea सामग्री: - 1 चम्मच त्रिफला पाउडर (इसमें आंवला, हरीतकी और बिभीतकी शामिल हैं) - 1 कप गर्म पानी विधि: लीवर को डिटॉक्स करने और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सोने से पहले इसका सेवन करें। इसमें आप शहद भी मिला सकते हैं. D. आंवला शहद टॉनिक सामग्री: - 1 बड़ा चम्मच ताजा आंवला जूस - 1 चम्मच शहद विधि: यकृत कोशिकाओं को फिर से जीवंत करने के लिए इसे मिलाएं और रोजाना सेवन करें। 4. लिवर की देखभाल के लिए आंवला का उपयोग करते समय क्या करें और क्या न करें Dos and Don’ts When Using Amla for Liver Care Dos: - ताजा आंवला का उपयोग करें: जब भी संभव हो, अधिकतम प्रभाव के लिए ताजा आंवला या ताजा निकाला हुआ जूस चुनें। - खाली पेट आंवला लें: इससे इसके अवशोषण और विषहरण गुणों में वृद्धि होती है। - दैनिक आहार में शामिल करें: आंवले को नियमित रूप से हर्बल चाय, चटनी या पाउडर के रूप में उपयोग करें। - अच्छी तरह से हाइड्रेट करें: लीवर को विषाक्त पदार्थों को प्रभावी ढंग से बाहर निकालने में मदद करने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन सुनिश्चित करें। Don’ts: - अधिक सेवन से बचें: अत्यधिक सेवन से एसिडिटी हो सकती है या कुछ स्वास्थ्य सं��ंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। अनुशंसित खुराक का ही सेवन करें (जैसे, प्रतिदिन 1-2 ताजे आंवले या 1 चम्मच पाउडर)। - मीठे आंवला उत्पादों का सेवन सीमित करें: हालांकि मुरब्बा या कैंडीज स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन उनमें चीनी की उच्च मात्रा लीवर के लिए लाभकारी नहीं हो सकती है। - गर्मी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के साथ मिश्रण से बचें: आंवला को अत्यधिक मसालेदार या तैलीय खाद्य पदार्थों के साथ न मिलाएं, क्योंकि ये लीवर पर दबाव डालते हैं। - सर्दी के लिए उपयुक्त नहीं: यदि आपको सर्दी या कफ है, तो आंवले का सेवन मध्यम मात्रा में करें, क्योंकि इसकी प्रकृति ठंडी होती है। ADS.TXT SNIPPET google.com, pub-2620286522581317, DIRECT, f08c47fec0942fa0 META TAG निष्कर्ष आंवला अपने शक्तिशाली डिटॉक्सिफाइंग, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण लीवर के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में सामने आता है। इसके विभिन्न रूप - चाहे जूस, पाउडर या हर्बल फॉर्मूलेशन के रूप में - इसे दैनिक दिनचर्या में शामिल करना आसान बनाते हैं। आयुर्वेदिक प्रथाओं को अपनाना और आंवला का सेवन सक्रिय रूप से लीवर की रक्षा और कायाकल्प करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा मिलता है। Read the full article
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर स्लीपर बस में आग, 60 यात्रियों की जान बची
Representational image आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर फतेहाबाद क्षेत्र में शुक्रवार सुबह एक स्लीपर बस में आग लगने से 60 यात्रियों की जान पर खतरा मंडरा गया। गनीमत रही कि सभी यात्री समय रहते बस से बाहर निकलने में कामयाब रहे, जिससे बड़ा हादसा टल गया। बस दिल्ली से बिहार जा रही थी, जब यह घटना माइलस्टोन 21 के पास टोल प्लाजा के नजदीक हुई। घटना का विवरण अचानक चलती बस के टायर के अत्यधिक गर्म होने से धुआं निकलने लगा, जिससे चालक ने सतर्कता दिखाते हुए वाहन को किनारे रोक दिया। यात्रियों को तुरंत ��स से बाहर निकलने का निर्देश दिया गया। देखते ही देखते आग ने बस को अपनी चपेट में ले लिया। बस में मौजूद सभी यात्री सुरक्षित बाहर निकल आए, हालांकि बस पूरी तरह जलकर खाक हो गई। घटना के बाद एक्सप्रेसवे पर यातायात प्रभावित हुआ, क्योंकि जलती हुई बस के पास से गुजरने में अन्य वाहन चालक झिझक रहे थे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर ट्रैफिक को नियंत्रित किया। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं, लेकिन तब तक बस पूरी तरह जल चुकी थी। पुलिस और प्रशासन की तत्परता पुलिस के मुताबिक, बस पंजाब के खन्ना से बिहार के सुपौल जा रही थी। इस निजी स्लीपर बस का नंबर यूपी22 टी 0505 था। बस चालक अमरीक सिंह ने बताया कि आग लगने के बाद उसने खुद आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहा। घटना की सूचना मिलते ही यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) की टीम, पीआरवी, एंबुलेंस और आरजीबीईएल सेफ्टी टीम मौके पर पहुंच गई। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू करते हुए यात्रियों को चाय और पानी की व्यवस्था प्रदान की। स्थानीय प्रशासन की सराहनीय पहल आगरा पुलिस और फतेहाबाद प्रशासन ने तत्परता से कार्य करते हुए स्थिति को संभाल लिया। घटना में किसी के हताहत न होने से यात्रियों और उनके परिजनों ने राहत की सांस ली। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुई यह घटना वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों और समय पर सतर्कता बरतने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। Read the full article
#Accident#administrativeefforts#Agrapolice#agra-lucknowexpressway#busaccident#busfireinvestigation#EmergencyResponse#Fatehabadincident#firebrigadeaction#firesafety#passengersafety#sleeperbusfire#timelyevacuation#trafficdisruption#UPExpressway
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हर सुबह को स्वस्थ शुरुआत दें: आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ से
हर सुबह एक नई शुरुआत होती है, और यह हमारे दिन की दिशा तय करती है। एक स्वस्थ और ऊर्जावान दिन की शुरुआत के लिए सही आदतें और आहार बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। आयुर्वेद, जो कि एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए सरल और प्रभावी उपाय प्रदान करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी सुनिश्चित करता है।
आइए जानते हैं कि कैसे आप आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ को अपनी सुबह की दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं, ताकि आप हर दिन को ताजगी, ऊर्जा और संतुलन के साथ शुरू कर सकें।
1. प्राकृतिक जगाना: सूर्योदय से पहले उठें
आयुर्वेद के अनुसार, सूर्योदय से पहले उठना सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि इस समय का वायु, जल और ऊर्जा तत्व सबसे शुद्ध होते हैं। यह समय शांतिपूर्ण और शुद्ध वातावरण में शरीर और मस्तिष्क को तैयार करने के लिए आदर्श होता है।
सूर्य नमस्कार: सुबह के समय सूर्य के साथ कुछ हल्के व्यायाम, जैसे सूर्य नमस्कार, शरीर को लचीलापन और ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह न केवल शरीर के जोड़ों को खोलता है, बल्कि मन को भी ताजगी देता है।
श्वास ध्यान: प्राचीन आयुर्वेद में श्वास ध्यान की सलाह दी जाती है। सुबह की ताजगी को महसूस करने के लिए गहरी और लंबी श्वास लें, इससे मानसिक स्पष्टता और शांति मिलेगी।
2. ताजगी के लिए पानी का सेवन
सुबह उठते ही पानी पीने की आदत को अपने दिन की शुरुआत में शामिल करना आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बहुत लाभकारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, रात भर शरीर डिटॉक्सिफाई करता है और पानी शरीर को पुनः हाइड्रेट करता है।
गुनगुना पानी: आयुर्वेद में गुनगुने पानी का सेवन करने की सिफारिश की जाती है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और शरीर को ताजगी प्रदान करता है। साथ ही, यह आंतरिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।
नींबू पानी: कुछ लोग गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीते हैं, जिससे शरीर को अतिरिक्त डिटॉक्सिफिकेशन और ऊर्जा मिलती है। यह त्वचा के लिए भी लाभकारी है और पाचन तंत्र को सुचारु बनाता है।
3. टांगों की मसाज: शरीर में रक्त संचार बढ़ाएं
आयुर्वेद में शरीर को धीरे-धीरे जगाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है 'अभ्यंग' यानी तेल से शरीर की मालिश। यह शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और त्वचा को पोषण देता है।
तिल तेल या नारियल तेल का उपयोग: तिल या नारियल तेल से पैरों और शरीर की हल्की मालिश करना रक्त संचार को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जा से भर देता है। यह प्रक्रिया शरीर को शिथिलता से बाहर लाती है और दिन भर के लिए ऊर्जा से भरपूर करती है।
4. आयुर्वेदिक ब्रेकफास्ट: हल्का और पौष्टिक आहार
आयुर्वेद के अनुसार, सुबह का नाश्ता दिन की सबसे महत्वपूर्ण भोजन प्रक्रिया होती है। इसे हल्का, पचने में आसान और पौष्टिक होना चाहिए ताकि शरीर को ऊर्जा मिले और पाचन तंत्र सक्रिय हो।
पंजरी और दलिया: आयुर्वेद में अक्सर पंचमेल या दलिया जैसे हल्के और पोषक तत्वों से भरपूर आहार की सलाह दी जाती है। ये पेट को हल्का रखते हैं और दिनभर के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
फल और ताजे जूस: ताजे फल और जूस, जैसे पपीता, संतरा, या गाजर का जूस, शरीर में आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करते हैं। यह शरीर को ताजगी और ऊर्जा से भरपूर करते हैं।
5. प्राकृतिक आचार-व्यवहार: मानसिक शांति के लिए ध्यान
आयुर्वेद का एक अहम हिस्सा मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन है। सुबह का समय आत्ममंथन और ध्यान के लिए आदर्श है, क्योंकि यह दिन की शुरुआत को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
ध्यान (Meditation): आयुर्वेद में ध्यान की अत्यधिक महत्ता दी जाती है। सुबह के समय कुछ मिनटों के लिए बैठकर ध्यान लगाना, मस्तिष्क को शांत करता है और मानसिक स्पष्टता प्रदान करता है।
ध्यान के लिए मंत्र या शांति की प्रार्थना: अपने दिन की शुरुआत शांतिपूर्वक करने के लिए आप मंत्र जाप या शांति की प्रार्थना कर सकते हैं। यह आपके मन को स्थिर और केंद्रित रखने में मदद करता है।
6. आयुर्वेदिक हर्बल चाय
सुबह के समय आयुर्वेदिक हर्बल चाय का सेवन शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है। आयुर्वेद में ऐसी चाय का इस्तेमाल होता है, जो पाचन को सुधारने, शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और मानसिक स्थिति को संतुलित करने में सहायक होती हैं।
तुलसी चाय: तुलसी की चाय, जो आयुर्वेद में एक बहुमूल्य औषधि मानी जाती है, शरीर को शुद्ध करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है।
अदरक और दारचीनी चाय: यह चाय शरीर को ताजगी देती है, पाचन क्रिया को तेज करती है और दिनभर की ऊर्जा को बनाए रखती है।
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ से अपनी सुबह की शुरुआत करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखना है, और यह हमें प्राकृतिक उपायों के माध्यम से एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। इनमें से एक प्रमुख उपाय है महाशक्ति चूर्ण, जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक है और पुरुषों की यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है|
तो अगली बार जब आप सुबह उठें, इन आयुर्वेदिक प्रैक्टिसेज़ को अपनाएं और देखिए कि कैसे आपका दिन ताजगी, ऊर्जा और संतुलन से भर जाता है।
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पोचा और टेस्टी थेपला बनाना चाहते हैं? यहाँ नुस्खा
थेपला रेसिपी: थेपला एक ऐसी चीज़ है जिसका आनंद हमेशा चाय, दही, अचार, मुरब्बा या चटनी के साथ लिया जाता है। हालाँकि, अगर यह बैग बहुत ढीला और गर्म है, तो इसके बारे में बात नहीं की जाएगी। आज हम बिल्कुल पोचा थेपला बनाने की रेसिपी बताएंगे. आटा गूंथते समय उबले हुए आलू डालना न भूलें. परीक्षा अलग होगी. बैग बनाने की सामग्री गेहूं का आटा, हरी मेथी, दो उबले आलू धनिया, बेसन, हरी मिर्च, लहसुन, अदरक, सफेद…
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घरेलू नुस्खा का उपयोग कर के स्पर्म काउंट कैसे बढ़ाएं ?
स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे और जीवनशैली में बदलाव मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी समस्या या चिंता के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यहाँ कुछ घरेलू नुस्खे हैं:
1. सहिजन (Moringa) का सेवन:
सहिजन की पत्तियों में कई पोषक तत्व होते हैं जो पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आप इसे सलाद में या चाय के रूप में ले सकते हैं।
2. अखरोट:
अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो स्पर्म के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। रोजाना एक मुट्ठी अखरोट का सेवन करें।
3. अदरक:
अदरक की जड़ में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो शक्ति बढ़ा सकते हैं। आप अदरक की चाय या कच्चा अदरक खा सकते हैं।
4. केला:
केला में ब्रोमेलिन होता है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसे रोजाना अपने आहार में शामिल करें।
5. गाजर:
गाजर में विटामिन ए होता है, जो स्पर्म उत्पादन में सहायक होता है। इसे सलाद या जूस के रूप में लें।
6. दूध और डेयरी उत्पाद:
दूध और उसके उत्पाद, जैसे दही और पनीर, प्रोटीन और कैल्शियम के अच्छे स्रोत होते हैं, जो प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
7. लहसुन:
लहसुन में एलिसिन होता है, जो रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और यौन स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इसे कच्चा या भोजन में डालकर सेवन कर सकते हैं।
8. ध्यान और योग:
तनाव भी स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकता है। ध्यान और योग करने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
9. स्वस्थ जीवनशैली:
नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और संतुलित आहार का पालन करें। धूम्रपान, शराब और ड्रग्स से दूर रहें।
10. पानी पीना:
शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी आवश्यक है। उचित मात्रा में पानी पिएं।
नोट:
यदि आप लंबे समय तक समस्या का अनुभव कर रहे हैं या स्पर्म काउंट को बढ़ाने के उपायों क��� कोई असर नहीं दिख रहा है, तो चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर उचित परीक्षण और सलाह देकर आपकी मदद कर सकते हैं।
Advocate Karan Singh (Kanpur Nagar) [email protected] 8188810555, 7007528025
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गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लिए सबसे अच्छा उपचार क्या है?
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस, जिसे आमतौर पर "स्टमक फ्लू" के रूप में जाना जाता है, एक सामान्य पाचन तंत्र की समस्या है जिसमें पेट और आंतों में सूजन होती है। यह स्थिति अक्सर वायरस, बैक्टीरिया या परजीव��यों के संक्रमण के कारण होती है। इसके प्रमुख लक्षणों में दस्त, उल्टी, पेट दर्द, मिचली, बुखार और कमजोरी शामिल हैं। हालांकि गैस्ट्रोएन्टेराइटिस आमतौर पर कुछ दिनों के भीतर ठीक हो जाता है, सही उपचार और देखभाल से जल्द राहत मिल सकती है। यहां पर हम कुछ प्रमुख उपचार और देखभाल के तरीकों की चर्चा करेंगे:
1- तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस का सबसे आम और खतरनाक लक्षण डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) है, क्योंकि दस्त और उल्टी के कारण शरीर से बहुत सारे तरल पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि आप शरीर में तरल की कमी न होने दें। इसके लिए:
ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) का सेवन करें, यह शरीर में खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी की पूर्ति करता है।
नारियल पानी और फलों के रस भी फायदेमंद होते हैं।
साफ पानी, सूप या हल्की हर्बल चाय पीने से भी फायदा होता है।
2- हल्का और पोषक भोजन लें
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के दौरान पाचन तंत्र को राहत देने के लिए हल्का और सुपाच्य भोजन करना जरूरी है। कुछ भोजन जो इस स्थिति में उपयोगी होते हैं:
ब्रैट डाइट: इसमें केला (Bananas), चावल (Rice), सेब की चटनी (Applesauce), और टोस्ट (Toast) शामिल होते हैं। यह भोजन हल्का होता है और पाचन के लिए आसान होता है।
दलिया, साबूदाना, और उबले हुए आलू भी खाने में हल्के होते हैं और पाचन तंत्र को आराम देते हैं।
चिकन सूप या वेजिटेबल सूप से शरीर को पोषण मिलता है और यह तरल की कमी को भी पूरा करता है।
3- प्रोबायोटिक्स लें
प्रोबायोटिक्स स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र में संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ जैसे:
दही (विशेषकर बिना शक्कर वाला)।
प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट्स लेने से भी पेट के अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बहाल हो सकता है, जिससे तेजी से रिकवरी होती है।
4- दवा��ं
यदि गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है। वे आपको उचित दवाएं दे सकते हैं:
5- आराम और विश्राम
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस से पीड़ित होने पर शरीर को पूरा आराम देना आवश्यक है। शरीर की ताकत लौटने के लिए पर्याप्त नींद और शारीरिक आराम जरूरी है। अधिक शारीरिक गतिविधि से बचें जब तक कि आप पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाएं।
6- संक्रमण से बचाव
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस को फैलने से रोकने के लिए सावधानियाँ बरतना आवश्यक है:
अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं।
खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोना आवश्यक है।
दूषित पानी या अस्वास्थ्यकर भोजन से बचें, खासकर यात्रा के दौरान।
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें।
7- डॉक्टर से कब संपर्क करें?
अगर निम्नलिखित लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
लगातार उल्टी या दस्त जो 2-3 दिनों से अधिक समय तक रहे।
गंभीर पेट दर्द।
खून के साथ दस्त।
अत्यधिक कमजोरी या भ्रम की स्थिति।
शरीर में अत्यधिक डिहाइड्रेशन (जैसे सूखी त्वचा, कम पेशाब, चक्कर आना) के लक्षण।
निष्कर्ष
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लिए सबसे अच्छा उपचार तरल पदार्थों का सही संतुलन, हल्का भोजन, प्रोबायोटिक्स का सेवन और पर्याप्त आराम है। सही समय पर चिकित्सा परामर्श लेना भी आवश्यक है, खासकर जब लक्षण गंभीर हों। यदि आप स्वच्छता का ध्यान रखते हैं और संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक सावधानियाँ अपनाते हैं, तो गैस्ट्रोएन्टेराइटिस से बचना संभव है।
स्वास्थ्य का ध्यान रखना और जल्दी उपचार करवाना इस स्थिति से जल्द छुटकारा पाने में मदद करेगा।
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*🌞~ आज दिनांक - 21 अक्टूबर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग शुद्ध गणना के साथ ~🌞*
*🙏Akshay Jamdagni ✍️*
*📲9837376839*🌹
*⛅दिनांक - 21 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पंचमी रात्रि 02:29 अक्टूबर 22 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 06:50 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - वरीयान् प्रातः 11:11 तक, तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:05 से प्रातः 09:32 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:39*
*⛅सूर्यास्त - 06:09*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 अक्टूबर 21 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 22 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:39 से प्रातः 05:51 अक्टूबर 22 तक)*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹नेत्रज्योति घटने व असमय चश्मा लगने के कारण*
*🔸बहुत ज्यादा व कम रोशनी में पढ़ने से, टी.वी., मोबाइल, लेपटॉप, कम्प्यूटर आदि के ज्यादा उपयोग से, रात्रि-जागरण, सुबह देर तक सोने से व दिन में सोने से, रात में स्नान करने से, धूल-धुएँ के आँखों में लगने से, नंगे सिर तेज धूप में बैठने या घूमने से, सूर्य को देखने से, नंगे पैर घूमने से, अंकुरित अनाज, दही, चाय-कॉफी, विरुद्ध आहार, फास्ट फूड आदि बाजारू चीजों तथा अधिक नमक, मसाले, खटाई वाले और तले हुए पदार्थों के सेवन से, रात को देरी से भोजन करने से तथा बिना प्यास के भी अधिक मात्रा में पानी पीने से आँखों की रोशनी कम होती है तथा असमय चश्मा लगाना पड़ता है ।*
*🔸आँखों को नुकसान पहुँचानेवाले उपरोक्त कारणों से बचें तथा नीचे दिये गये उपायों का अवलम्बन लें तो आपकी नेत्रज्योति सुरक्षित रहेगी और कम है तो बढ़ेगी ।*
*🔹नेत्रज्योति की सुरक्षा व वृद्धि के लिए🔹*
*🔸 सूर्योदय के समय हरी घास पर नंगे पैर चलें ।*
*🔸 हररोज प्रातः-सायं एक-एक मिनट तक पलकों को तेजी से खोलने तथा बंद करने का अभ्यास करें ।*
*🔸 नेत्रों की पलकों पर हाथ की उँगलियों को नाक से कान की दिशा में ले जाते हुए हलकी हलकी मालिश करें । पलकों से उँगलियाँ हटाते ही पलकें खोल दें और फिर पलकों पर उँगलियाँ लाते समय पलकों को बंद कर दें । यह प्रक्रिया आँखों की नस-नाड़ियों का तनाव दूर करने में सक्षम है ।*
*🔸पढ़ते समय रोशनी ठीक हो । आँखों और किताब के बीच कम-से-कम १२ इंच दूरी रखनी चाहिए ।*
*🔸 कम्प्यूटर, लेपटॉप आदि के उपयोग के दौरान हर २० मिनट में आँखों को विश्राम अवश्य दें । १-२ मिनट के लिए स्क्रीन से आँखें हटा दें । सम्भव हो तो आकाश की ओर या हरी घास, पेड़-पौधों आदि को निहारें ।*
*🔸 भोजन के बाद हथेलियों को रगड़कर कुछ सेकंड तक आँखों पर रखें ।*
*🔸 दिन में आधा गिलास पानी में आधा चम्मच (२ से ३ ग्राम) त्रिफला चूर्ण भिगोकर रखें । ४-५ घंटे बाद ३-४ परत किये हुए सूती कपड़े से छान लें । उस पानी को एक छोटे कप (Eye wash cup ) में लेकर आँख को उसमें १-२ मिनट तक मिचकायें, ऐसे ही दूसरी आँख से करें ।*
*🔸 आँवला-भृंगराज, नारियल, तिल आदि में से किसी तेल से सिर की मालिश करें । नाक में देशी गाय के घी की २-२ बूँद डालें ।*
*🔸रात को पैर के तलवों की घी से मालिश करना लाभदायी है । रात्रि को सोते समय शयनकक्ष में बिल्कुल अंधेरा हो ।*
*🔹आँखों के लिए लाभदायी आहार🔹*
*🔸गाय का दूध, घी, शुद्ध शहद, आँवला, मीठे अंगूर, केला, संतरा, पालक, गाजर, बथुआ, बादाम, जौ, मूँग, ककोड़ा, धनिया, सौंफ, पुनर्नवा, शतावरी, त्रिफला, गोमूत्र आदि ।*
*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने व चश्मा छुड़ानेवाले औषधीय प्रयोग*
*🔸 नेत्रज्योतिवर्धक, दृष्टिप्रद त्रिफला रसायन का विधिवत् प्रयोग करें । १-१ बूँद संतकृपा नेत्रबिंदु आँखों में डालें । सर्दियों में सुबह खाली पेट आधा से १ चम्मच मामरा बादाम के मिश्रण का सेवन करें, बाद में २ घंटे तक कुछ न खायें ।*
*🔸 २-३ माह तक प्रातः खाली पेट गाय के दूध से बने आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच पिसी हुई मिश्री व १ काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटें । इसके बाद कच्चे नारियल की गिरी के २-३ टुकड़े खूब चबा-चबाकर खायें, ऊपर से थोड़ी सौंफ चबा के खा लें । बाद में दो घंटे तक कुछ न खायें । यह आँखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही शरीर को पुष्ट और सुडौल बनानेवाला एक अनुभूत उत्तम प्रयोग है ।*
*🙏Akshay Jamdagni ✍️*
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Vastu & Astrology सेमिनार 2024 वास्तु-शास्त्र एवं ज्योतिष-निशुल्क 21 दिस... Link for Registration: https://vastu-india.com/vastu-seminar... पंजीकरण हेतु लिंक: https://vastu-india.com/vastu-seminar... जैसे ही आप इस लिंक पर क्लिक करेंगे, तुरंत एक फॉर्म आपके सामने आ जायेगा। उस फॉर्म में आपको अपनी डिटेल भरनी है। यदि आपके साथ कोई और सदस्य भी आ रहा हो तो उसके लिए अलग से फॉर्म भरें। फॉर्म को सबमिट करते ही आपके पास मैसेज आएगा जिसमें आपका रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा होगा। इस नंबर को सभागार के रिसेप्शन पर बताएंगे तो हॉल में प्रवेश कर पायेंगें। बहुत छोटे बच्चों को साथ लाने पर ध्यान रखें की वे सेमिनार हॉल में व्यवधान उत्पन्न न करें। सेमिनार हॉल में अपना मोबाइल फ़ोन साइलेंट मोड में रखें। 21 दिसंबर 2024 को गाजियाबाद में वास्तु सेमिनार आयोजित किया जाएगा, जिसका समय सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक रहेगा। इस वास्तु सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. आनंद भारद्वाज उपस्थित रहेंगे। यह वास्तु सेमिनार उन सभी लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो वास्तु शास्त्र में रुचि रखते हैं, क्योंकि यह न केवल मुफ्त है, बल्कि इसमें लंच, चाय और स्नैक्स के लिए भी कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इस महत्वपूर्ण सेमिनार में शामिल होने के लिए सीटें पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर भरी जाएंगी, इसलिए बिना देरी किए तुरंत पंजीकरण कराएं ताकि आप इस मौके को चूक न जाएं। डॉ. आनंद भारद्वाज, जो कि एक प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ हैं, इस अवसर पर अपना विशेष ज्ञान साझा करेंगे, जिससे यह कार्यक्रम एक अमूल्य अवसर बनेगा, जिसमें आप सीधे क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ से सीख सकते हैं। प्रतिभागियों को डॉ. आनंद भारद्वाज द्वारा एक विशेष प्रस्तुति का इंतजार रहेगा, जो कि वास्तु शास्त्र के क्षेत्र में अपनी अमूल्य जानकारी साझा करने के लिए प्रसिद्ध हैं। यह सेमिनार वास्तु के बारे में समझ को विस्तार देने के इच्छुक सभी लोगों के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान करे���ा। चाहे आप वास्तु के क्षेत्र में नए हों या अनुभवी सलाहकार, यह एक-दिवसीय वास्तु कार्यशाला घरों, दफ्तरों और व्यावसायिक स्थानों पर लागू होने वाले महत्वपूर्ण सिद्धांतों को कवर करेगी। इसके अलावा, कई लोग यह सोचते हैं कि "अगली वास्तु कार्यशाला कब और कहाँ होगी?" या "दिल्ली में अगली वास्तु कक्षा कहाँ होगी?" जो लोग व्यापक प्रशिक्षण की तलाश कर रहे हैं, उनके लिए यह सेमिनार दिल्ली और गाजियाबाद में आयोजित होने वाली वास्तु मीटिंग्स और कार्यशालाओं का हिस्सा है। इस सेमिनार में प्रदान किया गया मुफ्त वास्तु knowledge एक अनोखा अवसर है, जिसमें आप वास्तु विशेषज्ञ से बिना किसी वित्तीय बोझ के jaan सकते हैं। यदि आप डॉ. आनंद भारद्वाज से मिलना चाहते हैं और वास्तु शास्त्र के विज्ञान को समझना चाहते हैं, तो यह आपके लिए एक सुनहरा मौका है। वास्तु प्रशिक्षण के ऐसे सत्र बहुत दुर्लभ होते हैं, और डॉ. आनंद भारद्वाज जैसे वास्तु सलाहकार से सीखना आपके जीवन में वास्तु शास्त्र को समझने और उसे लागू करने के तरीके को बदल सकता है। चाहे आप एक मुफ्त वास्तु प्रशिक्षण कोर्स की तलाश में हों या दिल्ली में एक वास्तु कार्यशाला में शामिल होना चाहते हों, गाजियाबाद में होने वाला यह कार्यक्रम वह जगह है, जहाँ आपको होना चाहिए। इस अमूल्य अवसर को न चूकें, सीधे विशेषज्ञ से ज्ञान प्राप्त करें और अगली पीढ़ी के वास्तु सलाहकार का हिस्सा बनें।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के 150 से अधिक सेवक दिन-रात बिहार बाढ़ पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के शिष्य हमेशा से मानवता की सेवा में अग्रणी रहे हैं जो उनके गुरु की शिक्षाओं का प्रतिफल है। संत रामपाल जी महाराज का मानना है कि समाज की भलाई और उत्थान के लिए निःस्वार्थ सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: बिहार में बाढ़ के इस संकट के समय में, संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने यह साबित किया है कि मानवता और करुणा से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। उनका राहत कार्य उन हजारों लोगों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आया है जो इस आपदा में फंसे हुए थे।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: दरभंगा और सहरसा बिहार में मानवीय सेवा के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों को न केवल भोजन और राहत सामग्री मिल रही है बल्कि उन्हें इस मुश्किल समय में मानसिक और भावनात्मक सहायता भी मिल रही है जो कि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: प्राकृतिक आपदा के बीच संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी बाढ़ में फंसे लोगों की हरसंभव सहायता कर रहे हैं। प्रतिदिन संत जी के अनुयायियों द्वारा बाढ़ पीड़ितों के खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: बिहार में आई बाढ़ से कई जिलों के बहुत से गांव एक दूसरे से कट गए हैं व सब कुछ जलमग्न हो गया है। ऐसे में बाढ़ग्रस्त इलाकों में आवश्यक वस्तुओं का अभाव जीवन के लिए एक चुनौती बना हुआ है। जीवन के इस मुश्किल दौर में संत रामपाल जी महाराज ने सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में चाय, बिस्किट, सब्जी, रोटी आदि की व्यवस्था कर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की है।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में बिहार में लाखों लोगों की जान बचाने के लिए अद्भुत राहत अभियान चलाया जा रहा है। संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए घर-घर राहत सामग्री पहुँचाई।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के आदेशानुसार बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भंडारा खिलाने से लेकर पेकिंग करके बांटने तक कि व्यवस्था कर संत जी के शिष्य मानवता का संदेश दे रहे हैं।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: दरभंगा और सहरसा (बिहार) में बाढ़ पीड़ितों के लिए संत रामपाल जी के अनुयायी घर-घर जाकर मदद कर रहें है। प्रतिदिन हजारों जरूरतमंद लोगों को भोजन भंडारे से लेकर चाय, बिस्किट आदि सामग्री मुहैया करा रहें हैं, जो कि वास्तव में सराहनीय कार्य है।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: दरभंगा और सहरसा बिहार के बाढ़ पीड़ित गांवों में रोजाना हजारों भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। इन कार्यों से बाढ़ पीड़ितों के जीवन में कुछ सुकून आया है और उन्हें जीवन की उम्मीद दी है।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: बिहार में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी अपनी जान की परवाह न कर बाढ़ पीड़ित लोगों का सहारा तो बन ही रहे हैं। साथ ही, दरभंगा एवं सहरसा जो इन दिनों बाढ़ की चपेट में है वहाँ जरूरतमंदों तक रोटी, चावल, सब्जी, चाय, बिस्किट, स्वच्छ पानी आदि उपलब्ध करा रहे हैं।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा दरभंगा और सहरसा जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए निःशुल्क राहत सामग्री वितर��त की जा रही है। बाढ़ पीड़ित लोगों तक रोजाना भोजन का पैकेट व राहत सामग्री घर-घर जाकर उपलब्ध करा रहे है और सुबह चाय और बिस्किट भी दिया जा रहा है।
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[14/10, 7:53 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी के अनुयायी उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलकर परमार्थ के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। तभी तो वे बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की भरपूर मदद कर रहे हैं। अपनी जान की परवाह न करते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर प्रतिदिन बाढ़ पीड़ितों को शुद्ध भोजन, चाय, बिस्किट, साफ पानी आदि उपलब्ध करवा रहे हैं।
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#MondayMotivation। ........ . संत रामपाल जी महाराज के शिष्य प्रतिदिन गांव गांव में जाकर चाय बिस्कुट दोनों समय का भोजन पहुंचा रहे हैं ।
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फैटी लिवर/FATTY LIVER के लिए 10 घरेलू सरल उपचार
फैटी लिवर/FATTY LIVER के लिए 10 घरेलू सरल उपचार Fatty Liver रोग, जिसे हेपेटिक स्टेटोसिस/hepatic steatosis के नाम से भी जाना जाता है, लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा के संचय की विशेषता है। यह संचय बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हो सकता है, जिससे यह विशेष रूप से घातक हो जाता है। जबकि कई लोग इस बात से अनजान रह सकते हैं कि उन्हें फैटी लिवर रोग है, अगर इसे अनदेखा किया जाए तो यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। यह स्थिति विभिन्न कारकों से उत्पन्न हो सकती है, जिसमें मोटापा, अत्यधिक शराब का सेवन, कुछ आहार संबंधी आदतें और चयापचय संबंधी विकार जैसे मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्र���ल शामिल हैं। पोषक तत्वों को संसाधित करने और पदार्थों को डिटॉक्स करने में लीवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए जब वसा जमा होती है, तो यह इन महत्वपूर्ण कार्यों में हस्तक्षेप कर सकती है और समय के साथ सूजन या लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। फैटी लीवर रोग से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए, रोकथाम और प्रबंधन रणनीतियों के बारे में सक्रिय होना आवश्यक है। इसमें स्वस्थ आहार बनाए रखना, नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना, शराब का सेवन कम करना और रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की निगरानी करना शामिल है। प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप अधिक गंभीर लीवर समस्याओं, जैसे कि नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) या सिरोसिस के जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसके समग्र स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। READ MORE.......Fatty Liver (Nonalcoholic Fatty Liver) क्या होता है? और इसके कारण इसलिए, फैटी लीवर रोग और इससे संबंधित जटिलताओं की शुरुआत को रोकने के लिए लीवर के स्वास्थ्य पर ध्यान देना सबसे महत्वपूर्ण है। कुछ घरेलू उपचार वसा के संचय को कम करके और विषहर��� को बढ़ावा देकर लीवर के स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं। यहाँ कुछ सरल उपाय दिए गए हैं जो संतुलित आहार में शामिल करने पर फैटी लीवर से निपटने में मदद कर सकते हैं।
1- आंवला or the Indian Gooseberry
आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो लीवर के पुनर्जनन और वसा चयापचय को सुविधाजनक बनाते हैं। रोजाना खाली पेट 1 से 2 ताजे आंवले के फल या एक चम्मच आंवला पाउडर को पानी में मिलाकर खाने से लीवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और वसा का जमाव कम होता है।
2- लहसुन/Garlic
लहसुन में सल्फर यौगिक प्रचुर मात्रा में होते हैं जो यकृत एंजाइम को सक्रिय करते हैं। यह विषहरण प्रक्रिया में मदद करता है और वसा को तोड़ता है। दैनिक आहार में लहसुन की 1-2 कच्ची कलियाँ शामिल करना या यदि संभव हो तो भोजन में उन्हें शामिल करना यकृत वसा के संचय को कम करने और यकृत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। या सुबह खाली पेट 1 से 2 कलि लहसुन की गरमपानी के साथ खाने से भी liver को detox क��ने में मदद मिलती है.
3- हल्दी वाला दूध
हल्दी में कर्क्यूमिन होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक है जो लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। सोने से पहले एक कप गर्म हल्दी वाला दूध पीने से लिवर को स्वस्थ रखने और वसा के संचय को कम करने में मदद मिलती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट लिवर के कार्य को बढ़ाते हैं और पित्त के उत्पादन को उत्तेजित करते हैं।
4- अदरक की चाय
अदरक में सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो लीवर के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और वसा के पाचन में सहायता कर सकते हैं। सुबह या भोजन के बाद एक कप अदरक की चाय पीने से वसा चयापचय को बढ़ावा मिल सकता है और लीवर की चर्बी कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त, अदरक पित्त उत्पादन को उत्तेजित करता है, जिससे पाचन में सुधार होता है।
5- मेथी के बीज/Fenugreek or methi seeds
मेथी के बीज रक्त शर्करा और लिपिड सांद्रता दोनों को कम करने में फायदेमंद होते हैं। रात भर 1 चम्मच मेथी के बीज भिगोने और अगली सुबह खाली पेट खाने की सलाह दी जाती है। यह अभ्यास इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाकर और ट्राइग्लिसराइड सांद्रता को कम करके यकृत वसा संचय/triglyceride concentrations को कम करने में सहायता करता है।
6- करी पत्ता
करी पत्तों में हेपेटोप्रोटेक्टिव/ hepatoprotective गुण होते हैं और ये कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड सांद्रता को कम करने में योगदान करते हैं। 5-7 ताजे करी पत्तों को चबाना या उन्हें दैनिक भोजन में शामिल करना उचित है। यह अभ्यास यकृत विषहरण, वसा संचय को कम करने और समग्र यकृत स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
7- दालचीनी/Cinnamon
दालचीनी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती है और लीवर में वसा के जमाव को कम करती है। अपने लीवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अपनी चाय, कॉफी या अपने भोजन में प्रतिदिन एक बार आधा चम्मच दालचीनी पाउडर का उपयोग करें। इसमें सूजनरोधी गुण भी होते हैं, इसलिए यह इसके ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। READ MORE.......Beetroot(चुकंदर ) के अद्भुत स्वास्थ लाभ
8- ग्रीन टी/Green tea
ग्रीन टी में कैटेचिन की उच्च सांद्रता होती है, जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और वसा के संचय को कम करते हैं। रोजाना 2 से 3 कप ग्रीन टी पीने से वसा का चयापचय आसान हो सकता है और लिवर में सूजन कम हो सकती है, जिससे फैटी लिवर रोग के उपचार में सहायता मिलती है।
9- एलोवेरा जूस/Aloe vera juice
एलोवेरा में सूजनरोधी और विषहरण गुण होते हैं जो लीवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जाने जाते हैं। सुबह पानी में मिलाकर 1 चम्मच कच्चा एलोवेरा जूस पीने से प्राकृतिक विषहरण को बढ़ाकर फैटी लीवर को कम करने और उचित चयापचय कार्यों में मदद मिलेगी।
10- नींबू पानी/Lemon water
नींबू विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट के शक्तिशाली स्रोत हैं जो प्रभावी रूप से लीवर को डिटॉक्सीफाई करते हैं। हर सुबह एक गिलास गर्म नींबू पानी पीने से न केवल पित्त उत्पादन को बढ़ावा मिलता है बल्कि यह लीवर से विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालता है, जिससे समय के साथ वसा का संचय काफी कम हो जाता है। इष्टतम स्वास्थ्य लाभों के लिए इसे दैनिक आदत बनाएं। READ MORE... क्या ऑनलाइन बाजार से प्रोटीन पाउडर खरीदना सुरक्षित है? निष्कर्ष: Fatty Liver एक बढ़ती हुई चिंता है जिसे प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण से प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। चर्चा किए गए 10 सरल घरेलू उपचार - एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर संतुलित आहार लेने से लेकर आंवला, हल्दी और ग्रीन टी जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों को शामिल करने तक - लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में जीवनशैली और आहार परिवर्तनों के महत्व को उजागर करते हैं। ये उपाय लीवर की चर्बी को कम करके, लीवर को डिटॉक्स करके और इसकी पुनर्योजी क्षमता को बढ़ाकर काम करते हैं। हालाँकि, इनका उपयोग लगातार और स्वस्थ जीवनशैली के साथ किया जाना चाहिए, जिसमें नियमित व्यायाम और शराब या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचना शामिल है। जबकि ये उपाय आम तौर पर सुरक्षित और फायदेमंद होते हैं, गंभीर लीवर की स्थिति वाले व्यक्तियों को व्यक्तिगत सलाह के लिए स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना चाहिए। इन सरल लेकिन प्रभावी घरेलू उपचारों को अपनाकर, आप लीवर के कार्य और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में सक्रिय कदम उठा सकते हैं।
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🚣बिहार में बाढ़ के इस संकट के समय में, संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने यह साबित किया है कि मानवता और करुणा से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। उनका राहत कार्य उन हजारों लोगों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आया है जो इस आपदा में फंसे हुए थे।
🚣दरभंगा और सहरसा बिहार में मानवीय सेवा के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों को न केवल भोजन और राहत सामग्री मिल रही है बल्कि उन्हें इस मुश्किल समय में मानसिक और भावनात्मक सहायता भी मिल रही है जो कि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
🚣संत रामपाल जी महाराज के 150 से अधिक सेवक दिन-रात बिहार बाढ़ पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के शिष्य हमेशा से मानवता की सेवा में अग्रणी रहे हैं जो उनके गुरु की शिक्षाओं का प्रतिफल है। संत रामपाल जी महाराज का मानना है कि समाज की भलाई और उत्थान के लिए निःस्वार्थ सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।
🚣संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में बिहार में लाखों लोगों की जान बचाने के लिए अद्भुत राहत अभियान चलाया जा रहा है। संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए घर-घर राहत सामग्री पहुँचाई।
🚣बिहार में आई बाढ़ से कई जिलों के बहुत से गांव एक दूसरे से कट गए हैं व सब कुछ जलमग्न हो गया है। ऐसे में बाढ़ग्रस्त इलाकों में आवश्यक वस्तुओं का अभाव जीवन के लिए एक चुनौती बना हुआ है। जीवन के इस मुश्किल दौर में संत रामपाल जी महाराज ने सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में चाय, बिस्किट, सब्जी, रोटी आदि की व्यवस्था कर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की है।
🚣प्राकृतिक आपदा के बीच संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी बाढ़ में फंसे लोगों की हरसंभव सहायता कर रहे हैं। प्रतिदिन संत जी के अनुयायियों द्वारा बाढ़ पीड़ितों के खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है।
🚣दरभंगा और सहरसा बिहार के बाढ़ पीड़ित गांवों में रोजाना हजारों भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। इन कार्यों से बाढ़ पीड़ितों के जीवन में कुछ सुकून आया है और उन्हें जीवन की उम्मीद दी है।
🚣संत रामपाल जी महाराज के आदेशानुसार बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भंडारा खिलाने से लेकर पेकिंग करके बांटने तक कि व्यवस्था कर संत जी के शिष्य मानवता का संदेश दे रहे हैं।
🚣दरभंगा और सहरसा (बिहार) में बाढ़ पीड़ितों के लिए संत रामपाल जी के अनुयायी घर-घर जाकर मदद कर रहें है। प्रतिदिन हजारों जरूरतमंद लोगों को भोजन भंडारे से लेकर चाय, बिस्किट आदि सामग्री मुहैया करा रहें हैं, जो कि वास्तव में सराहनीय कार्य है।
🚣संत रामपाल जी के अनुयायी उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलकर परमार्थ के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। तभी तो वे बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की भरपूर मदद कर रहे हैं। अपनी जान की परवाह न करते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर प्रतिदिन बाढ़ पीड़ितों को शुद्ध भोजन, चाय, बिस्किट, साफ पानी आदि उपलब्ध करवा रहे हैं।
🚣संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा दरभंगा और सहरसा जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए निःशुल्क राहत सामग्री वितरित की जा रही है। बाढ़ पीड़ित लोगों तक रोजाना भोजन का पैकेट व राहत सामग्री घर-घर जाकर उपलब्ध करा रहे है और सुबह चाय और बिस्किट भी दिया जा रहा है।
🚣बिहार में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी अपनी जान की परवाह न कर बाढ़ पीड़ित लोगों का सहारा तो बन ही रहे हैं। साथ ही, दरभंगा एवं सहरसा जो इन दिनों बाढ़ की चपेट में है वहाँ जरूरतमंदों तक रोटी, चावल, सब्जी, चाय, बिस्किट, स्वच्छ पानी आदि उपलब्ध करा रहे हैं।
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