#मार्केट रेगुलेटर सेबी
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अनिल अंबानी की बढ़ी मुसीबत, देने होंगे 154.5 करोड़ रुपए
भले ही मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी अच्छा कमबैक कर रहे हैं लेकिन उनकी मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. सेबी ने उन्हें 154.5 करोड़ देने को कहा है. दरअसल, मार्केट रेगुलेटर सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस की प्रवर्तक इकाई समेत छह इकाइयों को नोटिस देकर 154.50 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है. यह नोटिस कंपनी को धन की हेराफेरी को लेकर दिया गया है. सेबी ने इन इकाइयों को 15 दिन के भीतर…
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अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई है सेबी चेयरपर्सन माधबी पूरी, हिंडनबर्ग बोला, 18 महीनों से नहीं की कार्यवाही
Madhabi Puri Buch: पिछली बार अडानी ग्रुप को निशाना बनाने वाली हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने इस बार सीधा मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) पर हमला बोला है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) भी अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई हैं. यही वजह है कि अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ उन्होंने 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस खुलासे के…
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Hindenburg मामले में SC की कमेटी से Adani Group को क्लीन चिट, शेयरों में आई तेजी
NCG NEWS DESK नई दिल्ली : अडानी-हिंडनबर्ग के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष समिति की रिपोर्ट सामने आ गई है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एक्सपर्ट्स के पैनल ने अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दी है। एक्सपर्ट पैनल ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी की तरफ से नियमों में कोई चूक नहीं हुई है। एक्सपर्ट पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई रिपोर्ट में कहा है कि अडानी…
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रतन टाटा दे रहे बंपर कमाई का मौका, 19 साल में पहला आईपीओ, अगले महीने दे सकता है दस्तक
नई दिल्ली: टाटा ग्रुप (Tata Group) देश के सबसे प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों में से एक है। इससे जुड़ी हर खबर पर निवेशकों की करीबी नजर रहती है। इस बार उनके लिए टाटा ग्रुप बंपर कमाई का मौका दे रहा है। टाटा ग्रुप 19 साल बाद आईपीओ (IPO) लाने की तैयारी में है। टाटा मोटर्स (Tata Motors) की सहयोगी कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज (Tata Technologies) का आईपीओ अगले महीने मार्केट में दस्तक दे सकता है। दिसंबर में टाटा मोटर्स के बोर्ड ने टाटा टेक में आईपीओ के जरिए कुछ हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। कंपनी ने इसके लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के पास दस्तावेज जमा कर दिए हैं। इसके मुताबिक यह इश्यू पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (OFS) होगा और इसमें एक भी नया शेयर जारी नहीं किया जाएगा। इसमें प्रमोटर टाटा मोटर्स के अलावा दो अन्य मौजूदा शेयरहोल्डर्स शेयरों की बिक्री करेंगे। माना जा रहा है कि इस इश्यू का साइज 9,57,08,984 शेयरों का हो सकता है। यानी आईपीओ के जरिए इतने इक्विटी शेयरों की बिक्री की जाएगी जो कंपनी की कुल पेड-अप शेयर कैपिटल का 23.60 फीसदी है। दो रुपये के फेस वैल्यू वाले शेयर की इश्यू प्राइस 500 रुपये हो सकती है। पुणे की इस कंपनी में टाटा मोटर्स की 74.42 फीसदी हिस्सेदारी है। इसी तरह 8.96 फीसदी हिस्सेदारी अल्फा टीसी और 4.48 फीसदी हिस्सेदारी टाटा कैपिटल ग्रोथ फंड की है। माना जा रहा है कि टाटा मोटर्स इस इश्यू के जरिए 81,133,706 इक्विटी शेयरों की बिक्री करेगी। अल्फा टीसी होल्डिंग्स 9,716,853 इक्विटी शेयरों और टाटा कैपिटल 4,858,425 शेयरों की बिक्री करेगी। 19 साल पहले आया था आईपीओ यह टाटा संस के मौजूदा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के कार्यकाल में यह टाटा ग्रुप का पहला आईपीओ होगा। टाटा टेक्नोलॉजीज डिजिटल, इंजीनियरिंग और तकनीकी सर्विस सेक्टर में दुनिया की अग्रणी कंपनियों में शामिल है। इससे पहले टाटा ग्रुप की किसी कंपनी का आईपीओ 19 साल पहले आया था। टाटा ग्रुप साल 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का आईपीओ लाया था। टीसीएस देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी और मार्केट कैप के हिसाब से दूसरी सबसे मूल्यवान कंपनी है। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) पहले नंबर पर है। http://dlvr.it/SnMKkD
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मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मुरली इंडस्ट्रीज और उसके 18 प्रमोटर्स सहित 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मुरली इंडस्ट्रीज और उसके 18 प्रमोटर्स सहित 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई
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सेबी के अनुसार यह सभी एक दूसरे से कनेक्टेड होकर शेयरों में कारोबार कर रहे थे
टेकओवर के नियमों का उल्लंघन और एक दूसरे के खाते में पैसों का ट्रांसफर कर रहे थे
दैनिक भास्कर
Jun 30, 2020, 06:38 PM IST
मुंबई. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को मुरली इंडस्ट्रीज और इसके 18 प्रमोटर्स सहित कुल 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है। यह पेनाल्टी टेकओवर नियमों के उल्लंघन के मामले में लगाई…
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सेबी ऑन ब्रिकवर्क रेटिंग: सेबी ने 6 के हिसाब से काम किया है।
सेबी ऑन ब्रिकवर्क रेटिंग: सेबी ने 6 के हिसाब से काम किया है।
ब्रिकवर्क रेटिंग पर सेबी: स्टॉक मार्केट (स्टॉक मार्केट) के रेग्युलेटर (रेगुलेटर) ने स्टॉक सेबी (सेबी) ने स्टॉक ब्रक वर्क्स रेटिंग्स इंडिया (ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया) को डॉ. सेबी ने ब्रिक वर्क्स के भारत के पंजीकरण को रद्द कर दिया है। सेबी के काम करने के लिए स्टाफ़ वर्क वर्क्स भारत में काम करने के समय ही काम करने में विफल रहता है। सेबी ने ब्रिक वर्क्स के बंद होने का पंजीकरण रद्द कर दिया है। सेबी…
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PACL Refund: सुनहरा मौका, रिफंड के लिए 31 अगसत तक करें यह काम
PACL Refund: सुनहरा मौका, रिफंड के लिए 31 अगसत तक करें यह काम
नई दिल्ली: पीएसीएल (PACL) इंडिया लिमिटेड मे निवेश कर चुके लोगो के लिए खुशी की खबर है। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) ने निवेशकों को लंबे समय के बाद बड़ी राहत दी है। जानिए क्या है राहत: अगर आपने भी चिटफंड कंपनी पीएसीएल (PACL) इंडिया लिमिटेड की निवेश योजना पर्ल्स (Pearls) में निवेश किया हुआ है तो जल्द आपको खुशखबरी मिलने वाली है। दरअसल, सेबी ने 30 जून को…
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सेबी ने NSE पर 7 करोड़ रुपये और पूर्व MD चित्रा रामकृष्ण पर लगाई 5 करोड़ की पेनल्टी
सेबी ने NSE पर 7 करोड़ रुपये और पूर्व MD चित्रा रामकृष्ण पर लगाई 5 करोड़ की पेनल्टी
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने एनएसई को-लोकेशन केस (डार्क फाइबर केस) में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), इसकी पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण, आनंद सुब्रमण्यम और कई दूसरे लोगों पर पेनल्टी लगाई है। सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर 7 करोड़ रुपये और चित्रा रामकृष्ण पर 5 करोड़ रुपये की पेनल्टी लगाई है। इसके अलावा, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर…
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PACL Chit Fund Refund: पैसा लगाने वालों को ऐसे वापस मिलेगा रिफंड, SEBI ने जारी किया नया आदेश
PACL Chit Fund Refund: पैसा लगाने वालों को ऐसे वापस मिलेगा रिफंड, SEBI ने जारी किया नया आदेश
PACL Refund Latest News 2022: पीएसीएल (PACL) इंडिया लिमिटेड की निवेश योजना पर्ल्स (Pearls) में पैसा लगाने वाले लाखों छोटे-बड़े निवेशकों के लिए अच्छी खबर आई है. एक बार फिर मार्केट रेगुलेटर SEBI उन्हें उनका पैसा वापस दिला रहा है. सेबी (SEBI) ने बताया कि निवेशक 30 जून 2022 तक अपना क्लेम फाइल कर सकते हैं. ऑनलाइन पैसा वापस पाने के लिए उन्हें ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स सब्मिट करने होंगे. हालांकि, यह तब करना…
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रुचि सोया एफपीओ : लव सोया के लिए सेबी का कड़ा बदलाव, निवेशकों के लिए बोली वापस लेने का मौका
रुचि सोया एफपीओ : लव सोया के लिए सेबी का कड़ा बदलाव, निवेशकों के लिए बोली वापस लेने का मौका
नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी रेगुलेटर सेबी ने सोया मार्केट के सामने शानदार काम किया है। बाजार नियामक, जो सोयाबीन या एफपीओ (फॉलो ऑन ऑफर) में निवेश करने के लिए सलाहकारों के बीच गलत तरीके का इस्तेमाल करता है, निवेशकों को इसके रिटर्न के लिए बोली लगाने का अवसर प्रदान करता है। निवेशक 30 मार्च तक अपनी बोली वापस कर सकता है। सेबी बहुत कम मामलों में ऐसे फैसले लेता है। सेबी ने पाया है कि पतंजलि…
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सेबी ने शुरू की मर्चेंट बैंकर्स से जुड़े नियमों में बदलाव की कवायद, रद्द हो सकते हैं कई बैंकर्स के लाइसेंस
नई दिल्ली, 27 सितंबर (हि.स.)। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने मर्चेंट बैंकर्स से जुड़े नियमों में बदलाव करने की कवायद शुरू कर दी है। मर्चेंट बैंकर्स के लिए 1992 में नियम बनाए गए थे। लगभग तीन दशक से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद इन नियमों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसलिए अब समय और परिस्थिति के अनुरूप इन नियमों में बदलाव करने के लिए सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर…
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अडानी को एक और झटका, इन 3 शेयरों पर NSE ने बढ़ाई निगरानी, ASM लिस्ट में किया शामिल
नई दिल्ली: अडानी समूह की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। एक के बाद एक बुरी खबरें उनके लिए आ रही है। 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आई। इसके बाद से कंपनी की मुश्किलें बढ़ गई है। अडानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप करीब 100 अरब डॉलर गिर चुका है। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया कि अडानी ग्रुप दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी कर रहा है। इसके बाद क्या था। कंपनी के शेयर्स धड़ाधड़ गिरने लगे। कंपनी को अब एक झटका लगा है। एक्सचेंज ने उनकी कंपनियों पर निगरानी बढ़ी दी है। NSE ने कंपनी के तीन शेयरों को शॉर्ट टर्म ASM लिस्ट में शामिल कर लिया है। ASM में अडानी के तीन शेयरों को किया शामिल अडानी की 3 कंपनियों के शेयरों को शॉर्ट टर्म के लिए एडिशनल सर्विलांस मेजर्स (ASM) की लिस्ट में डाल दिया गया है। इन स्टॉक्स पर निगरानी बढ़ा दी गई है। अडानी एंटरप्राइसेज ( Enterprises), अडानी पोर्ट () और अबुंजा सीमेंट () को एनएसई ने एएसएम में डाल दिया है। आपको बता दें कि एडिशनल सर्विलांस एक तरह की निगरानी होती है, जिसमें मार्केट के रेगुलेटर सेबी और मार्केट एक्सचेंज बीएसई, एनएसई इसपर निगाहें बनाकर रखते हैं। इसका मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करना होता है। जब किसी शेयर में मेनुप्लेसन या फिर ज्यादा ट्रेडिंग होने से कीमतों में भारी एक्शन देखा जाता है तो उन शेयरों को एएसएम में डाल दिया जाता है। क्या है इसके मायने एएसएम यानी एडिशनल सर्विलांस मेजर्स में किसी कंपनी को रखना किसी कार्रवाई की तरह देखने के बजाए उसे निवेशकों के हितों की रक्षा की तरह देखना जरूरी है। एएसएम निगरानी में शेयरों को रखकर उसकी कीमतों में जारी भारी उतार-चढ़ाव पर अंकुश लगाने की कोशिश की जाती है। बाजार नियामकों की ओर से ये कदम उठाए जाते है, ताकि मार्केट पर भरोसा बना रहे। जिन कंपनियों को एस लिस्ट में शामिल किया जाता है उनपर कॉपोरेट एक्शन का कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। इस लिस्ट में शामिल कंपनियों को बोनस, डिविडेंट आदे के फैसले लेने की कोई मनाही नहीं होती है। इसका मकसद निवेशकों का भरोसा बाजार ��र बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करवा होता है। गौरतलब है कि हिंडनबर्ग को लेकर अडानी समूह को लेकर ��िए गए खुलासे के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। आरबीआई ने भी बैंकों को निर्देश दिया है कि अडानी को दिए गए लोन की डिटेल उन्हें सौंपे। एसबीआई ने कहा है कि उन्होंने अडानी फर्म को 2100 करोड़ रुपये का लोन दिया है। http://dlvr.it/ShrbGv
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मान्यवर ब्रांड के मालिक Vedant Fashions आईपीओ लाने की तैयारी में, सेबी के पास जमा कराए दस्तावेज
मान्यवर ब्रांड के मालिक Vedant Fashions आईपीओ लाने की तैयारी में, सेबी के पास जमा कराए दस्तावेज
नई दिल्ली. देश के आईपीओ बाजार में बहार है. एक के बाद कई कंपनियां अपना इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) ला रही हैं. अब शादी-ब्याह और उत्सव के लिए मान्यवर (Manyavar) ब्रांड से परिधान बनाने वाली कंपनी वेदांत फैशंस लि. (Vedant Fashions Ltd) भी आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने आईपीओ के लिए देश के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) के समक्ष दस्तावेज…
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अडानी ग्रुप को झटका, SEBI ने अडानी विल्मर के आईपीओ पर लगाई रोक, जानिए वजह
अडानी ग्रुप को झटका, SEBI ने अडानी विल्मर के आईपीओ पर लगाई रोक, जानिए वजह
गौतम अडानी (फोटो क्रेडिट- Reuters) फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट की जांच के कारण मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने फिलहाल अडानी विल्मर (Adani Wilmar) के आईपीओ को रोक दिया है. नई दिल्ली. दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की अगुआई वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, देश के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) ने अडानी ग्रुप की एक…
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Jio-Facebook Deal: डूबते शेयरों के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए आई ये बुरी खबर, फेसबुक डील में कंपनी से हुई बड़ी चूक
Jio-Facebook Deal: डूबते शेयरों के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए आई ये बुरी खबर, फेसबुक डील में कंपनी से हुई बड़ी चूक
Photo:FILE Mukesh Ambani Highlights सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्री पर भारी भरकम जुर्माना लगाया है यह कदम जियो और फेसबुक के बीच हुई डील से जुड़ा है रिलायंस ने सौदे के बारे में शेयर बाजारों को सीधे जानकारी नहीं दी Jio-Facebook Deal: रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के धराशाई होते शेयरों के बीच शेयर बाजार से मुकेश अंबानी की इस दिग्गज कंपनी के लिए बुरी खबर आई है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्री पर भारी…
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जानना जरूरी है:आखिर जोमैटो, पेटीएम और LIC को IPO लाने की जरूरत क्यों? IPO में हम कैसे पैसा लगा सकते हैं और 2021 में निवेशकों को IPO से कितनी कमाई हुई?
अजय शर्मा । बिज़नेस : IT सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस का नाम तो आपने सुना ही होगा। इसका IPO फरवरी 1993 में लॉन्च हुआ। इसमें एक शेयर की कीमत 95 रुपए थी और एक्सचेंज पर शेयर की लिस्टिंग 145 रुपए के प्रीमियम पर 14 जून 1993 को हुई। आज ये शेयर 1600 के करीब चल रहा है। अगर आपने इंफोसिस के 100 शेयर्स के लिए 1993 में केवल 10,000 रुपए का निवेश किया होता, तो आज आप लखपति बन गए होते।
कोरोना के दौरान यानी मार्च 2020 से अब तक IPO बाजार गुलजार रहा है। 2021 में अब तक 28 IPO आ चुके हैं। इस साल कुछ IPOs से निवेशकों को 90% तक का रिटर्न मिला है। इस साल पेटीएम समेत 10 बड़े IPO आने वाले हैं।
ऐसे में हम आपको यहां समझा रहे हैं कि IPO होता क्या है, क्यों किसी कंपनी को IPO लाने की जरूरत होती है, हम इसमें कैसे पैसा लगा सकते हैं और 2021में अभी तक आए IPOs से निवेशकों की कितनी कमाई हुई?
IPO क्या होता है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।
IPO में कौन पैसा लगा सकता है?
कोई भी वयस्क व्यक्ति IPO में पैसा लगा सकता है, जो कानूनी अनुबंध की समझ रखता हो। इसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें भी हैं…
IPO में शेयर खरीदने के इच्छुक निवेशक के पास देश के आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया पैन कार्ड होना चाहिए।
वैलिड डीमैट अकाउंट भी होना चाहिए।
IPO में कितना पैसा लगा सकते हैं?
आप IPO में बिल्कुल आसानी से पैसा लगा सकते हैं। कोई भी कंपनी पब्लिक इश्यू के जरिए पैसा जुटाने के लिए IPO 3-10 दिन तक ओपन रखती है। मतलब कोई भी निवेशक IPO को 3 से 10 दिनों के बीच ही खरीद सकता है। हालांकि, ज्यादातर कंपनियों का IPO 3 दिन के लिए खुला होता है।
इसमें कंपनियां प्रति शेयर प्राइस तय करती हैं और उसी हिसाब से लॉट साइज भी तय किया ��ाता है। एक लॉट में उतने ही शेयर शामिल होते हैं, जिनका कुल अमाउंट 15 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होता। लॉट, शेयर्स का एक बंडल होता है।
निवेशक IPO में कंपनी की ऑफिशियल साइट पर जाकर या रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के जरिए पैसा लगा सकते हैं या फिर आप अपने मोबाइल ऐप से भी पैसा लगा सकते हैं। लेकिन एक आम निवेशक 2 लाख रुपए से ज्यादा का इश्यू नहीं खरीद सकता है।
IPO में शेयर्स की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत प्राइस बैंड या फिक्स्ड प्राइस इश्यू से तय होती है। IPO में प्राइस बैंड और न्यूनतम लॉट साइज कंपनी के प्रमोटर्स और शेयरहोल्डर्स, IPO मैनेजर के साथ विचार-विमर्श के बाद तय करते हैं।
IPO में पैसा लगाते समय किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जरूर देखें: यह बताता है कि कंपनी जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां करेगी। साथ ही निवेशकों के लिए संभावित रिस्क की भी जानकारी देती है।
IPO से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां होगा: ज्यादातर कंपनियां IPO से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने और बिजनेस को बढ़ाने पर करती हैं। अगर ऐसा है तो बेहतर रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है।
कंपनी के कारोबार को समझें: IPO में निवेश करने से पहले बतौर निवेशक इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए कि कंपनी का कारोबार क्या है? उस कारोबार में ग्रोथ की संभावनाएं कैसी हैं? अगर कंपनी का कारोबार अच्छा चल रहा है और ग्रोथ की संभावनाएं अच्छी हैं तो निवेश किया जा सकता है।
प्रमोटर बैकग्राउंड और मैनेजमेंट टीम: एक निवेशक को जरूर जान लेना चाहिए कि कंपनी कौन चला रहा है? कंपनी के जुड़े सभी कामों में अहम भूमिका निभाने वाले प्रमोटर्स और मैनेजमेंट कैसा है? क्योंकि कंपनी को आगे बढ़ाने में मैनेजमेंट की भूमिका सबसे अहम होती है।
बाजार में कंपनी की क्षमता: कंपनी के पास अच्छा बिजनेस मॉडल होना चाहिए। अगर कंपनी फंड जुटाने के बाद अच्छा प्रदर्शन करती है, तो निवेशकों को IPO के दौरान किए गए निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
कंपनी की स्ट्रेंथ और स्ट्रैटजी: निवेशक DRHP से कंपनी की स्ट्रेंथ और स्ट्रैटजी के बारे में पता लगा सकते हैं। यहां इंडस्ट्री में कंपनी की क्या पोजिशन है इसे जानने की कोशिश की जानी चाहिए।
कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ और वैल्यूएशन: निवेशकों को IPO में पैसा लगाने से पहले कंपनी की फाइनेंशियल कंडीशन को समझना चाहिए। पिछले सालों में कंपनी को कितना फायदा या घाटा हुआ है और आय में कितनी कमी या बढ़ोतरी हुई है।
सेगमेंट की अन्य कंपनियों के साथ तुलना: IPO लाने वाली कंपनी की तुलना उसी सेगमेंट की अन्य कंपनी के साथ करनी चाहिए। इसके लिए DRHP में फाइनेंशियल नंबर और वैल्यूएशन के डीटेल को आधार बनाना चाहिए।
रिस्क फैक्टर: DRHP से रिस्क फैक्टर यानी कंपनी से जुड़ी वो बातें जान सकते हैं, जो भविष्य में कंपनी के लिए खतरा बन सकती हैं। जैसे, कंपनी पर किसी त��ह के मुकदमे दर्ज हैं या नहीं।
निवेशकों का निवेश पर स्पष्ट रहना: IPO में पैसे लगाते समय यह साफ कर लेना चाहिए कि निवेश लिस्टिंग गेन के लिए है या फिर लॉन्ग टर्म निवेश के लिए। क्योंकि लिस्टिंग गेन बाजार के सेंटीमेंट पर निर्भर करता है और लॉन्ग टर्म निवेश कंपनी की ग्रोथ और कामकाज पर निर्भर करता है।
IPO में पैसा लगाने के बाद हमें कितने दिन बाद शेयर मिलेगा और एक्सचेंज पर शेयर कब लिस्ट होगा?
पब्लिक इश्यू बंद होने के 3 कारोबारी (वर्किंग) दिन बाद शेयर अलॉट होते हैं। यानी निवेशक के डीमेट अकाउंट में शेयर आ जाएंगे। शेयर्स की लिस्टिंग की बात करें तो यह IPO बंद होने के अगले 6 कारोबारी दिन बाद दोनों एक्सचेंज BSE और NSE पर लिस्ट होते हैं। स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद शेयर सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जा सकते हैं।
IPO बंद होने के बाद शेयरों का अलॉटमेंट कैसे होता है?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है, लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाए तो क्या होता है? इसके लिए कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। जैसे, किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उसे 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।
क्या एक्सचेंज पर शेयर्स की लिस्टिंग बाजार के मूड पर भी निर्भर होती है?
हां, अगर मार्केट सेंटीमेंट पॉजिटिव रहा तो ज्यादातर मौकों पर शेयर अपने इश्यू प्राइस से ऊपर लिस्ट होते हैं। इसे प्रीमियम पर लिस्टिंग कहते हैं, लेकिन मार्केट में बिकवाली रहे तो शेयर अपने इश्यू प्राइस से कम भाव पर लिस्ट होता है, जिसे डिस्काउंट पर लिस्टिंग कहते हैं।
IPO में पैसा लगाने वाली कैटेगरी कौन-कौन सी हैं?
2 लाख रुपए तक के शेयर्स के लिए आवेदन करने वाले इनवेस्टर्स को रिटेल यानी आम निवेशकों की कैटेगरी में रखा जाता है।
रिटेल निवेशकों से ज्यादा निवेश करने वाले को नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) कहते हैं।
एक अन्य कैटेगरी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) की है, जिनमें पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियां और इनवेस्टमेंट बैंक शामिल होते हैं। ये स्टॉक मार्केट में बड़ी वॉल्यूम में ट्रेडिंग करते हैं।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी अपना पब्लिक इश्यू (IPO) लाती है और निवेशकों ने शेयर नहीं खरीदा। फिर ऐसी स्थिति में कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। मार्केट रेगुलेटर सेबी का नियम कहता है कि अगर IPO 90% से कम सब्सक्राइब हुआ, तो इसे फेल माना जाता है।
ग्रे मार्केट क्या होता है और इसके क्या मायने हैं?
ग्रे मार्केट IPO में डील करने का अनाधिकारिक प्लेटफॉर्म है। ये गैर-कानूनी होने के बावजूद काफी पॉपुलर है। हालांकि, इसमें चुनिंदा लोग ही ट्रेडिंग करते हैं। इसमें आपसी भरोसे के साथ फोन पर ट्रेडिंग होती है। इसके लिए ऑपरेट करने वाले का पर्सनल कॉन्टैक्ट होना जरूरी है। ग्रे मार्केट में डील पूरा होने की गारंटी नहीं होती। डील एक्सचेंजों पर लिस्टिंग के दिन के लिए रिजर्व होते हैं। अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली, राजकोट IPO ग्रे मार्केट के बड़े सेंटर हैं। जयपुर, इंदौर, कोलकाता में भी ये कारोबार होता है।
14-16 जुलाई के दौरान ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो का IPO आया, जो 38 गुना से ज्यादा भरा। एक्सचेंज पर इसकी लिस्टिंग 116 रुपए पर हुई, जबकि इश्यू प्राइस 72-76 रुपए प्रति शेयर ही थी। यानी निवेशकों को प्रति शेयर 40 रुपए का मुनाफा हुआ। IPO को मिल रहे शानदार रिस्पॉन्स की बड़ी वजह देश में बढ़ रहे रिटेल निवेशकों की संख्या और निवेश से जुड़ी जानकारी है। अब निवेशकों को आने वाले दिनों में पेटीएम और LIC जैसे बड़े और धमाकेदार IPO का बेसब्री से इंतजार है।
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