#मनोविज्ञान और मनोवैज्ञानिक
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drsunildubeyclinic · 20 days ago
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Best Sexologist Patna, Bihar for Nocturnal Emission Treatment | Dr. Sunil Dubey
नमस्ते प्रिय पाठकों! आज का विषय युवाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। दरअसल, आज का टॉपिक ज्यादातर युवाओ में होने वाले गुप्त समस्या स्वप्नदोष से सम्बंधित है। स्वप्नदोष एक सामान्य गुप्त व यौन समस्या है जो अधिकांश पुरुषो के यौन जीवन में अल्पकालिक या दीर्घकालिक समयावधि के लिए जरूर होता है। विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ सुनील दुबे कहते है आज के समय में भारत में 70 फीसदी से ज्यादातर युवा पुरुष इस गुप्त समस्या की रिपोर्ट करते है। स्वप्नदोष जिसे रात्रिकालीन स्राव या वेट ड्रीम के नाम से भी जाना है, यह एक प्रकार का स्खलन विकार है जो सोते समय रैपिड आई मूवमेंट नींद के दौरान होता है। यह रात्रिकालीन स्राव युवाओं में या तो सुबह जल्दी या देर रात को ओर्गास्म ड्रीम के दौरान होता है।
स्वप्नदोष क्या है?
जैसा कि इस गुप्त विकार के नाम से ही पता चलता है, जो रात्रि स्राव से संबंधित है। यह एक प्रकार का सामान्य गुप्त व यौन विकार है जो ज्यादातर युवाओं के जीवन में देखी जाती है। इस स्थिति में, युवा पुरुष को नींद के दौरान सहज संभोग सुख की प्राप्ति होता है जिसमें पुरुष के लिए स्खलन, या महिला के लिए संभोग के समय योनि स्राव शामिल है। इस रात्रि स्राव में, पुरुष या महिला को किसी भी तरह की यौन गतिविधि करने की आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि, यह रात के समय यौन सपनों के दौरान अपने आप हो जाता है। इसीलिए इसे वेट ड्रीम, निशाचर उत्��र्जन, नाइट डिस्चार्ज और स्लीप ऑर्गेज्म के नाम से भी जाना ��ाता है।
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युवाओं में होने वाले स्वप्नदोष होने के कारण:
डॉ सुनील दुबे जो कि पटना के सर्वश्रेठ व अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट है, का कहना है कि आमतौर पर इस स्वप्नदोष के कई कारण होते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति अत्यधिक तनाव में रहता है तो उसे यह गुप्त व यौन समस्या हो सकती है। कमज़ोर शारीरिक स्थिति और अत्यधिक वजन भी इसका एक कारण हो सकता है। जो लोग अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं और धूम्रपान करते हैं, उन्हें भी यह समस्या होने की संभावना होती है। शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहने वाले व्यक्ति में भी यह समस्या बहुत हद तक देखी जाती है। स्वप्नदोष के कारणों के बारे में हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सुनील दुबे कहते हैं - दरअसल, युवावस्था में स्वप्नदोष या नाइट डिस्चार्ज होने के कई कारण होते हैं।
मनोवैज्ञानिक कारण (तनाव व चिंता )
यौन लत (अत्यधिक हस्तमैथुन व अन्य यौन विचार)
हार्मोनल बदलाव (टेस्टस्टेरॉन में उतार-चढ़ाव)
यौन निष्क्रियता (यौन क्रिया में संयम एक लम्बे समय तक)
न्यूरोपैथी क्षति (चोट व आघात के कारण)
अनजाने में यौन क्रिया के प्रति उत्तेजना का होना।
वीर्य का रिसाव का होना।
मूत्राशय का भरा होना।
प्रोस्टे�� ग्रंथि का जमा होना।
अधूरा हस्तमैथुन का किया जाना।
बहुत सारे लोगो ने यह जानना चाहा कि यह डिस्चार्ज सिर्फ़ सोते समय ही क्यों होता है?
डॉ. सुनील दुबे बताते है कि कामुक सपने और स्पष्ट यौन सामग्री रात के दौरान अनैच्छिक स्खलन का कारण बनती है। पुरुषों में यह समस्या यौन हस्तक्षेप के कारण शरीर से वीर्य के अत्यधिक संचय को बाहर निकाल कर करती है। यह मानव का मनोविज्ञान है कि अवचेतन मन में ध्यान केंद्रित करने के लिए रात सबसे अच्छा समय होता है जो इस विशिष्ट समय के दौरान आसानी से प्रतिबिंबित होता है।
स्वप्नदोष अच्छा है या बुरा?
डॉ सुनील दुबे जो कि बिहार के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर कहते है कि स्वप्नदोष पुरुषो या महिलाओं के यौन जीवन में बिल्कुल बुरा नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को महीने में एक या दो बार इस स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो यह एक सामान्य घटना है और उसे कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हाँ, यह बुरा बन जाता है जब किसी व्यक्ति को सप्ताह में कई बार इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं जो रात के स्राव से पीड़ित व्यक्ति को जल्दी थकाता है और दैनिक जीवन में सुस्त होने का अहसास करवाता है। स्वप्नदोष की घटना व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित करती है जो उसके आत्म-सम्मान, सामाजिक दृष्टिकोण, व शारीरिक स्वास्थ्य को ठेस पहुंचाती है। कुछ मामलों में, यह देखा गया है कि प्रसवकालीन मांसपेशियों या तंत्रिका कमजोरी जैसी शारीरिक समस्याएं बार-बार रात्रिकालीन स्राव का कारण हो सकती हैं।
युवावस्था में गीले सपने किस उम्र में शुरू होते हैं?
लड़कों में यौवन अचानक शुरू नहीं होता है, जैसे लड़कियों में मासिक धर्म शुरू हो जाता है। यह आमतौर पर 13 से 17 साल की उम्र के बीच किशोरावस्था में शुरू होता है। किशोरावस्था की औसत आयु लगभग चौदह वर्ष होती है और इसी उम्र में स्वप्नदोष या गीले सपने होने की शुरुवात हो सकता है। यौवन अवस्था में व्यक्ति विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होना शुरू कर देता है। डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि रात में डिस्चार्ज होने से करीब 150-200 कैलोरी का नुकसान होता है। संभव है कि इस समस्या के कारण पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाएं और वीर्य लगातार पतला होता जाए।
यदि किसी को रात्रि स्राव (स्वप्नदोष) यौन विकार का सामना करना पड़े तो क्या करें:
दरअसल, आयुर्वेदिक चिकित्सा और अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट गुप्त व यौन मरीजों को उनकी समस्याओं से उबरने में मदद करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक उपचारों पर आधारित होता है, जिसके कारण मरीज के शरीर पर किसी भी तरह के साइड इफेक्ट होने की संभावना नहीं होती। वह अपनी गुप्त व यौन समस्या को प्राकृतिक रूप से ठीक कर लेता है। एकअनुभवी व विशेषज्ञ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर मरीजों की काउंसलिंग करता है और उनके सभी शारीरिक और मानसिक दोषों को भी दूर करता है जो उसके यौन जीवन में समस्या का कारण था।
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आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी मेडिकल साइंस दुबे क्लिनिक के बारे में:
दुबे क्लिनिक बिहार का पहला और भारत का सबसे विश्वसनीय आयुर्वेदा व सेक्सोलॉजी मेडिकल साइंस क्लिनिक है। यह क्लिनिक पटना के दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा में स्थित है। यह क्लिनिक अपने चिकित्सा व उपचार के सभी गुणवत्ता उद्देश्यों के लिए प्रमाणित और ��नुमोदित है। आयुर्वेदिक दवाओं के लिए स्व-निर्माण इकाई हमेशा गुणवत्ता, शुद्धता और प्राकृतिक दवा सुनिश्चित करती है।
डॉ. सुनील दुबे विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं जो इस क्लिनिक में प्रतिदिन अभ्यास करते हैं। भारत के भिन्न-भिन्न शहरों से गुप्त व यौन रोगी अपने-अपने चिकित्सा व उपचार हेतु इस क्लिनिक से फ़ोन पर संपर्क करते हैं। वे प्रतिदिन करीबन तीस से चालीस गुप्त व यौन रोगियों का इलाज इस क्लिनिक में करते हैं। वर्तमान समय में, डॉ. सुनील दुबे भारत में अत्यधिक मांग वाले सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं जहाँ सभी उम्र के गुप्त व यौन रोगी एक बार उनसे अपना यौन परामर्श व उपचार प्राप्त करना चाहते हैं।
शुभकामनाओं के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पीएच.डी. (यूएसए)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना - 04
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bestsexologistdoctor · 4 months ago
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Avoid All Phases of PE: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey Clinic
क्या शीघ्रपतन एक जटिल समस्या है?
अगर यह सवाल 100 लोगों से पूछा जाए कि कौन-कौन शीघ्रपतन से परेशान है तो पुरे दुनिया में 40% से ज़्यादा लोग हमेशा यही कहते हैं कि हां, मेरे साथ ऐसा होता है। दरअसल, यह पुरुषों में होने वाली सबसे आम मनोवैज्ञानिक यौन विकारों में से एक है, जहां शादीशुदा और अविवाहित दोनों ही लोग ही इस शीघ्रपतन की शिकायत करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि किसी व्यक्ति के यौन जीवन में शीघ्रपतन की समस्या क्यों आती है? बहुत सारे लोग स्वस्थ और तंदुरुस्त होते है लेकिन जब भी वह अपनी यौन गतिविधियों में भाग लेते है, तो वह जल्दी ही डिस्चार्ज हो जाते है और उसकी यौन क्रिया की टाइमिंग शून्य स्तर की हो जाती है।
चलिए जानते है इसके बारे में, जैसा कि हम जानते है कि मानव का मनोविज्ञान समय के साथ यौन गतिविधियों से जुड़ा हुआ है, जहां स्वस्थ मानसिक स्थिति की भूमिका हमेशा बिस्तर पर लंबे समय तक टिकने में अहम भूमिका निभाती है। यह भी सच है कि शारीरिक कारक की स्थिति इस यौन विकार का कारण बन स��ती है, लेकिन केवल 5 से 10% मामले ही इस शारीरिक कारक की स्थिति से जुड़े होते हैं। अगर सच कह��� जाए तो शीघ्रपतन के लिए स्तंभन दोष बहुत हद तक जिम्मेवार है। 
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पुरुष स्वस्थ है लेकिन वह शीघ्रपतन से पीड़ित है, ऐसा क्यों?
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, पटना के बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर कहते हैं कि पुरुषों में संभोग शुरू करने के बाद स्खलन का औसत समय लगभग साढ़े पांच मिनट होता है। दरअसल, यह समय हर व्यक्ति और हर समय के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस यौन क्रिया में कई कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह व्यक्ति विशेष पर भी निर्भर करता है कि वह कितने समय में इस यौन क्रिया से संतुष्ट होता है।
उनका मानना है कि शीघ्रपतन की स्थिति में पुरुष कमज़ोर नहीं होता, बल्कि वह तब कमज़ोर होता है जब उसके पास निम्लिखित कारक घटित होते है -
उम्र बढ़ती तो मायने रखती है
समग्र स्वास्थ्य ख़राब होता तो मायने रखता है
हार्मोन का स्तर असंतुलित होता तो मायने रखता है
नसें और कोशिकाएँ कमजोर होती तो मायने रखती हैं
शरीर में रक्त का प्रवाह असंतुलित होती तो मायने रखता है
मानसिक स्थिति से कमजोर या तनाव में होता तो मायने रखती है
भावनात्मक मुद्दे अगर परेशान करे तो मायने रखते हैं
क्या शीघ्रपतन स्थायी समस्या है:-
भारत के इस गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर कहते हैं कि आमतौर पर, शीघ्रपतन किसी व्यक्ति के साथ एक स्थायी स्थिति या समस्या नहीं होती है। इसे प्राकृतिक उपचार, व्यवहार संबंधी उपचार, मनोवैज्ञानिक परामर्श और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति के बाद सुधारा जा सकता है। व्यक्ति पुनः बिस्तर पर लंबे समय तक अपने साथी के साथ समय व्यतीत कर सकता है।
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डॉ. सुनील दुबे जो कि आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं उन्होंने इस शीघ्रपतन पर शोध किया है। दरअसल, वे दुबे क्लिनिक में अभ्यास करते हैं, जहाँ हर दिन दस से बारह शीघ्रपतन के मरीज अपने-अपने गुप्त समस्या के सुधार के लिए आते हैं। अपने दैनिक अभ्यास, अनुभव और नियमित शोध के आधार पर, उन्होंने पाया कि आम तौर पर, कोई भी व्यक्ति शीघ्रपतन के मुख्यतः चार चरणों में पीड़ित होता है जैसे कि प्राथमिक, द्वितीयक, परिवर्तनशील और व्यक्तिपरक। चिकित्सा व उपचार के दौरान, रोगी के समस्या का सही चरण की पहचान करना हमेशा मायने रखता है। वास्तविक चरण के जाने बिना, आयुर्वेदिक उपचार या परामर्श लंबे समय तक प्रभावी नहीं होता है। यही कारण है कि इस प्रकार के रोगी का सही चिकित्सा व उपचार नहीं मिल पाता है और वह आयुर्वेदिक दवा को दोष देता है।
पुरुषों में शीघ्रपतन के मुख्य कारण होते है:-
डॉ. सुनील दुबे बताते है कि भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक कारक और प्रदर्शन की चिंता हमेशा एक व्यक्ति के यौन-क्रिया को शीघ्रपतन की ओर ले जाती है। नए साथी के साथ होने की घबराहट, फिर से यौन क्रियाकलाप करने में बेचैनी, यौन क्रियाकलापों में आत्मविश्वास की कमी, लंबे समय तक संयम के बाद यौन क्रियाकलाप में भाग लेना, अपराधबोध की भावना का होना, अतिउत्तेजना की स्थिति में रहना, तनाव और अवसाद जैसे अन्य कारण। उपयुक्त सभी कारक किसी भी व्यक्ति को शीघ्रपतन की ओर ले जाता है।
अब, लोग इस कारण पर विचार कर सकते हैं कि जब वे शीघ्रपतन के अपने उपचार के लिए किसी सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के पास जाते हैं तो उनके लिए कौन अधिक फायदेमंद है, या तो अनुभवी और शोधकर्ता सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर या सामान्य सेक्सोलॉजिस्ट।
बहुत सारे लोग पूछते हैं कि स्खलन के बाद उन्हें थकान और मूड स्विंग जैसा क्यों महसूस होता है: -
विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, कहते हैं कि आम तौर पर यह कारक डोपामाइन से संबंधित होता है जो इस यौन क्रिया में संदेशवाहक के रूप में कार्य करता है। संभोग के बाद पुरुषों में डोपामाइन का स्तर बेस लाइन के नीचे ��ला जाता है जिसके परिणाम��्वरूप व्यक्ति में इस तरह के परिवर्तन होता है।
जब व्यक्ति में डोपामाइन का स्तर कम हो जाता है तो वह  निम्नलिखित घटनाओं को महसूस करता हैं:-
अवसाद
कम ऊर्जा
कम आत्मसम्मान
सामाजिक चिंता
दुबे क्लिनिक में शीघ्रपतन व अन्य सभी गुप्त व यौन रोग का उपचार:
डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि वे शीघ्रपतन के रोगी को अपना व्यापक उपचार व चिकत्सा प्रदान करते हैं। इस चिकित्सा व उ���चार पद्धति में, वे उन्हें प्राकृतिक दवा, व्यवहार संबंधी उपचार, मनोवैज्ञानिक परामर्श और स्वास्थ्य संबंधी सुझाव प्रदान करते हैं। वे टेस्टोस्टेरोन को प्रबंधन, प्रजनन क्षमता में सुधार करने और वीर्य प्रतिधारण का अभ्यास करने के बाद समय बढ़ाने के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी देते हैं।
अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में, वे जड़ी-बूटियाँ, प्राकृतिक रस-रसायन, प्राकृतिक गोली, प्रभावी व उच्च-कोटि का भस्म और घरेलू उपचार प्रदान करते हैं। ये सभी प्राकृतिक पूरक पर आधारित संरचना हैं और दुबे क्लिनिक इन सभी आयुर्वेदिक दवाइयाँ को दुबे लैब में स्वयं-निर्मित करती है। इस क्लिनिक से जुड़ने वाले लोग ही इसके चिकत्सा-उपचार का फायदा उठाते है क्योकि यह क्लिनिक अपनी दवाओं को खुले बाज़ार में वितरित नहीं करती।
यदि आप अपनी किसी भी गुप्त व यौन समस्याओं से पूर्ण रूप से छुटकारा पाना चाहते है तो एक बार दुबे क्लिनिक से जरूर जुड़े। आप हमें +91 98350 92856 पर कॉल भी कर सकते हैं।
हार्दिक सम्मान के साथ
डॉ. सुनील दुबे, सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 925486
वेन्यू: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना, बिहार
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careervichaar · 4 months ago
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famoushindi · 1 year ago
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Love Psychology Facts In Hindi | 60+ प्यार और आकर्षक से जुड़े मनोवैज्ञानिक तथ्य 
 क्या प्यार (Love Psychology Facts In Hindi) को सचमुच समझा जा सकता है, या यह एक आनंददायक पहेली है जो हमेशा के लिए समझ से बाहर हो जाती है?  इस गहन भावना के पीछे की मनोवैज्ञानिक गतिशीलता को समझने से हमारी बातचीत, रिश्ते और अंततः मानव स्वभाव के बारे में हमारी समझ बदल सकती है।  प्रेम के ��नोविज्ञान के आश्चर्यजनक तथ्यों की गहराई में जाने से इसकी पेचीदगियों पर प्रकाश पड़ता है, जो हमें अधिक गहराई से और…
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newsraag · 1 year ago
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Psychology Kya Hai Hindi Mein
Psychology Kya Hai Hindi Mein: प्रायोगिकता मनोविज्ञान का अर्थ होता है। मनोविज्ञान विज्ञान है जो मन और व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है। यह विज्ञान मनुष्य के विचारों, भावनाओं, आदतों, और व्यवहार के पीछे के कारणों की जांच करता है। मनोविज्ञानी मनोवैज्ञानिक तकनीकों, विश्लेषण पद्धतियों और मापों का उपयोग करके व्यक्तियों के मनोवैज्ञानिक अध्ययन करते हैं ताकि वे मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तित्व, और व्यवहार को समझ सकें और सुधार सकें।
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dubeyclinic · 8 months ago
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An Ideal Sexologist in Patna, Bihar at Dubey Clinic
क्या आप एक युवा हैं? आप हस्तमैथुन के आदी हैं और यही कारण है कि आप शादी नहीं करना चाहते।  आपके परिवार के सदस्य और माता-पिता चाहते हैं कि आप शादी कर लें क्योंकि उन्हें आपकी चिंत्ता व परवाह है। यहां आपके सात स्थिति बिल्कुल विपरीत है, न तो आप अपनी समस्या किसी को बता पा रहे हैं और न ही कुछ कर पा रहे हैं।
आपकी शादी न हो पाने का मुख्य कारण हस्तमैथुन है जो आपको डरा रहा है कि आप अपने पार्टनर को खुश नहीं रख पाएंगे। कभी-कभी आपको ऐसा एहसास होता है कि आपको धात सिंड्रोम की समस्या से भी पीड़ित है। इस स्थिति में व्यक्ति को हमेशा यह शिकायत रहती है कि उसके पेशाब के रास्ते उसकी कीमती धातु बाहर निकल रही है। आपको कमजोरी, चिंता और जीवन से निराशा महसूस होता हैं और यही कारण है कि आप शादी नहीं करना चाहते हैं।
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अब डरने या चिंता करने की बात नहीं है।
आपसे अनुरोध है कि आप एक बार गहरी सांस लें और पांच मिनट ��े लिए अपने और उसके बाद अपने परिवार भविष्य के बारे में सोचें...
अगर आपको कुछ भी महसूस नहीं हुआ तो कोई बात नहीं। अगर आपको यह लग रहा है की आप गलत कर रहे, तब भी कोई बात नहीं। दोनों ही स्थितियां, आपके अलग-अलग मनोभावों को प्रकट करते है। यह एक मनोवैज्ञानिक टेस्ट था जिसमे सेक्सोलॉजिस्ट के साथ आपका परामर्श महत्वपूर्ण होगा।
आयुर्वेद उपचार जो आपको हमेशा निरोगी रखता है: दुबे क्लिनिक
दुबे क्लिनिक एक प्रामाणिक आयुर्वेदिक क्लिनिक है जो आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान में विशेषज्ञता रखता है। यह क्लिनिक पटना में ऐतिहासिक गांधी मैदान के पास दुबे मार्किट, लंगर टोली, चौराहा में स्थित है। पूरे भारत से यौन रोगी अपनी यौन चिकित्सा और उपचार के लिए दुबे क्लिनिक में आते हैं। डॉ. सुनील दुबे पटना के सबसे अच्छे सेक्सोलॉजिस्ट में से एक हैं जो सभी प्रकार के यौन रोगियों का इलाज व परामर्श प्रदान करते हैं। इस सेक्सोलॉजिस्ट पेशे में उनका नाम और प्रसिद्धि पूरे भारत में फैली हुई है। इस प्रसिद्ध सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर की खासियत उनका अनुभव, सटीक दवा, शोध और परामर्श है। वह इस क्लिनिक में सभी उम्र के पुरुष और महिला यौन रोगियों का इलाज एक लम्बे समय से करते आ रहे हैं।
वह भारत में सबसे सफल आयुर्वेद चिकित्सा शोधकर्ता भी हैं जिन्होंने सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में काम करते हुए आयुर्वेद के पेशे में विभिन्न यौन समस्याओं पर आयुर्वेदिक दवाओं की खोज की है। आज के समय में पांच लाख से अधिक यौन रोगी दुबे क्लीनिक के इलाज व दवा का लाभ उठा चुके हैं। अधिकतर य��न रोगी इस क्लिनिक के उपचार से खुश और संतुष्ट हैं। इस आयुर्वेदिक क्लिनिक की सफलता वाकई एक बड़ी उपलब्धि है जो सभी निराश यौन रोगियों के लिए वरदान से कम नहीं।
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पारंपरिक है और 5000 वर्ष पुरानी है। प्राचीन समय में, यह किसी भी प्रकार के रोगियों को ठीक करने में सक्षम सर्वोत्तम प्राकृतिक उपचारों में से एक माना जाता था और आज भी है। आज के समय में जब लोग अपने यौन स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद खो देते हैं तब वे इसी औषधि की ओर लौटते हैं। निश्चित ही, आयुर्वेद चिकित्सा व उपचार का कोई तोड़ नहीं क्योकि यह प्रकृति प्रदत है।
दरअसल, आयुर्वेदिक औषधियों के इलाज से किसी भी समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है और हाँ, इसमें समय भी लगता है। जिसके पास विश्वास और धैर्य है, वह हमेशा इस प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली को चुनता है क्योंकि वह जानता है कि इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और स्थायी समाधान है।
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से यौन उपचार के बारे में:
डॉ. सुनील दुबे जो कि बिहार के उच्च कोटि के सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर है, का कहना है कि यदि मरीज समय रहते सही आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन कर ले तो किसी भी यौन रोग का इलाज शत प्रतिशत संभव है। यौन समस्याओं को लेकर लुका-छिपी खेलने की बजाय सीधे यौन चिकित्सक से सलाह लें और उचित उपचार लें। यह बात 100 फीसदी सच है कि यौन रोगी कुछ ही दिनों में अपनी समस्याओं से उबर जायेगा।
वह पुरुष या महिला यौन रोगियों का इलाज करते हैं जो लत, मनोविज्ञान, चिकित्सा या शारीरिक कारणों से पीड़ित होते हैं। उनकी काउंसलिंग से रोगियों को बहुत मदद मिलती है और उसके बाद वह इलाज करते हैं और दवा देते हैं। दुबे क्लिनिक एक आयुर्वेदिक क्लिनिक का ब्रांड नाम है जो पुरुष और महिला यौन रोगियों को ए टू जेड प्राकृतिक दवा प्रदान करता है। यदि आपको प्रकृति और उसके उपचार पर भरोसा है तो आपको सदैव इस चिकित्सा पद्धति को ही अपनी पहली प्राथमिकता देनी चाहिए।
शुभकामना सहित:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित क्लिनिक
डॉ सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | पीएच.डी. आयुर्वेद में (यूएसए)
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lok-shakti · 3 years ago
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अंतरिक्ष में कौन बीमार होता है? कक्षीय पर्यटक बेहतर सुराग दे सकते हैं
अंतरिक्ष में कौन बीमार होता है? कक्षीय पर्यटक बेहतर सुराग दे सकते हैं
डॉक्टरों ने नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को सालों तक थपथपाया और उकसाया, और सरकारी कर्मचारियों के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों ने बड़े पैमाने पर परीक्षण जान���रों के रूप में अपनी भूमिकाओं को स्वीकार किया है कि कैसे एक विदेशी वातावरण – बाहरी अंतरिक्ष – मानव शरीर को प्रभावित करता है। लेकिन पेशेवर अंतरिक्ष यात्री ऐतिहासिक रूप से मानवता का एक छोटा सा हिस्सा रहे हैं। प्रारंभ में, उन्हें सैन्य परीक्षण पायलटों…
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vaidicphysics · 4 years ago
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मांसाहार के दुष्परिणाम
मांसाहार का दुष्परिणाम विश्व स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण व मृत्यु दर के माध्यम से ��मूचे विश्व के सामने आ चुका है कि मांसाहार शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर करता है, जिस कारण मांसाहार जितना अधिक किया जाता है उन देशों में संक्रमण व मृत्यु दर उतनी ही अधिक है। सिद्धान्त सर्वोपरि होता है। सिद्धान्त के सामने किसी की कोई औकात नहीं होती, चाहे वह कोई भी हो। सिद्धान्त की उपेक्षा करने पर हानि होगी ही, इससे कोई बच नहीं सकता।
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संक्रमण अधिक होना उसी सिद्धान्त की उपेक्षा का परिणाम है। वह सिद्धान्त है - किसी भी मशीन का ईंधन व किसी भी शरीर का भोजन उसकी बनावट के हिसाब से निर्धारित होता है। उपर्युक्त निर्धारित भोजन वा ईंधन न देने से शरीर या मशीन कम काम करेगा और शीघ्र खराब हो जायेगा।
मनुष्य शरीर की बनावट शत-प्रतीशत शाकाहारी शरीरों (गाय, बकरी, घोड़ा, हाथी, ऊँट आदि) के समान है, तो स्वाभाविक है, मांसाहार मनुष्य को नुकसान करेगा। अब मांसाहार के दुष्परिणाम की संक्षिप्त चर्चा करते हैं -
1. शारीरिक - शरीर को संतुलित आहार चाहिये। संतुलित आहार वह है, जिसमें सभी आवश्यक घटक (प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, विटामिन्स, खनिज लवण व रेशा तत्व) हों। मांस-मछली-अण्डा अर्थात् मांसाहार में केवल प्रोटीन व वसा ही होता है, शेष घटक नहीं होते, तो मांसाहार शरीर की सभी आवश्यकता पूरी नहीं कर सकता। परिणाम स्वरूप शरीर में कोई न कोई न्यूनता आयेगी। दूसरी हानि यह होगी कि मांस की प्रोटीन व वसा पचाने में बहुत भारी होती है, तो इनका पाचन अधूरा होने व रेशातत्व न होने के कारण पाचन तन्त्र को काफी हानि होती है। ��ीसरी मुख्य हानि यह है कि मांस प्रोटीन ��े पाचन से काफी मात्रा में यूरिया व यूरिक अम्ल बनता है, जो जोड़ों में दर्द का कारण बनता है और मांस वसा में काफी कोलेस्ट्राॅल होने से हृदय को नुकसान होता है। मांस किसी जानवर को मार कर प्राप्त होता है। मृत्यु के सामने सभी भयभीत होते हैं। भयभीत अवस्था में शरीर की ग्रन्थियों में हानिकारक रसायन निकलते हैं, जो मांस में अवशोषित हो जाते हैं और मांसाहारी के शरीर में जाकर नुकसान करते हैं। मनुष्य मांस को मांसाहारी जानवरों की तरह कच्चा नहीं खाता, अपितु तल कर खाता है। दूसरी बात यह कि किसी पशु को मारते ही तुरन्त मांस खाने को नहीं मिलता, इसमें एक-दो दिन या अधिक समय लग जाता है। उन दोनों कारणों से मांस की गुणवत्ता काफी गिर जाती है, क्योंकि मांस Decay बहुत तेजी से होता है, तो मांसाहार शरीर को लाभ के स्थान पर हानि ही करता है। अण्डे में तो हानिकारक पदार्थों (कोलेस्ट्राॅल, डी.डी.टी., सालमोनेला, एवीडिन) की काफी मात्रा रहती है, जो शरीर को अनेक प्रकार की बीमारियों का तोहफा देते हैं।
2. आर्थिक - शरीर पर भोजन के प्रभाव के बाद भोजन का आर्थिक पहलु भी काफी महत्वपूर्ण है। कोई आहार बहुत अच्छा है, पर मैं अर्थ अभाव में या उस आहार के बहुत मंहगा होने के कारण खरीद नहीं सकता, तो वह अच्छा आहार मेरा भोजन नहीं हो सकता। मांसाहार में शाकाहार के आर्थिक पक्ष को महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने ‘गोकरुणानिधि’ पुस्तक में बड़े विस्तार से समझाया है। निष्कर्ष के रूप में एक गाय जीवन भर में 25-26 हजार मनुष्यों को एक बार दूध का भोजन दे सकती है और एक बैल जीवन भर जितना अन्न पैदा करने में सहायक होता है, उससे 42-43 हजार मनुष्यों का एक बार अन्न का भोजन मिल सकता है, जबकि एक गाय या बैल को काट कर मांस खाया जाये, तो 80-90 मनुष्यों का एक बार का भोजन होगा। वैसे भी औसतन 6-7 किलो अनाज किसी पशु को खिलाते हैं, तो एक किलोग्राम मांस बनता है। एक किलो मांस से दिनभर के लिये 2-3 व्यक्तियों का पेट भरेगा, जबकि 6-7 किलो अनाज से 15-17 व्यक्तियों का दिनभर का भोजन बन जायेगा। बाजार में एक किलोग्राम मांस 150-200 रु. का आयेगा और इसको पकाकर खाने पर तीन व्यक्तियों का पेट भरा और पकाकर खाने का खर्च 250-300 रु. हुआ। घर पर 250-300 रु. के शाकाहार से 15-17 का भोजन बन सकता है। इस प्रकार आर्थिक दृष्टि से देखा जाये, तो मांसाहार, शाकाहार की तुलना में 5-6 गुणा मंहगा पड़ता है।
3. पर्यावरण - भोजन पैदा करने में वायु-जल-जमीन का प्रयोग होता है। ये मूलभूत संसाधन हैं। एक किलो सब्जी उत्पादन के लिये 120 लीटर, एक किलो फल के लिये 150 लीटर, एक किलो गेंहू के लिए 350 लीटर, दूध के लिये 480 लीटर और एक किलो मांस उत्पादन के लिये 5000 लीटर पानी, 6-7 किलो अनाज और 70 किलो चारा चाहिये। कहने का अभिप्राय यह है कि जितने जमीन-पानी से मांस पैदा किया जाता है, उसी जमीन-पानी से कई गुणा शाकाहार पैदा किया जा सकता है। कतल खानों से बहुत बड़ी मात्रा में वायु और जल प्रदूषित होते हैं। मांसाहार के लिये पाले जाने वाले जानवरो के मांस के लिये ट्रांसपोर्ट, पशुओं द्वारा उत्सर्जित मिथेन गैस का गणित लगायें, तो ग्लोबल वार्मिंग का लगभग 22-23 प्रतिशत मांसाहार के कारण है, तो मांसाहार पर्यावरण पर भारी बोझ डालता है।
4. सामाजिक - मनुष्य सामाजिक प्राणी है। जीवन ठीक से चले, इसके लिये कुछ मर्यादाओं का पालन आवश्यक है। मर्यादा पालन के लिये मनुष्य का सहनशील, संयमी, सहयोगी, नम्र, दयालु, परोपकारी होना आवश्यक है। मांसाहार मनुष्य में क्रूरता, निर्दयता, स्वार्थ, तामसिकता, आक्रामकता, कठोरता, उग्रता जैसे समाज विरोधी स्वाभाव को बढ़ावा देगा, जिसमें सामाजिक ताने-बाने और मर्यादाओं पर दबाव बढ़ेगा, जिससे सामाजिकता कमजोर होगी। निर्दयी, कठोर, उग्र, तामसिक लोगों के समाज में रहना बड़ा कष्टदायक बन जाता है।
5. धार्मिक - विश्व में जितने भी मत-पंथ, सम्प्रदाय है, उतनी विचारधारायें एक-दूसरे से भिन्न हों, परन्तु मांसाहार की अनुमति किसी भी मत-पंथ-सम्प्रदाय में नहीं है। कोई मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा, प्रार्थना स्थल, मांसाहार का अनुमोदन नहीं देते, तो मांसाहार सभी मतों-पंथों-सम्प्रदायों की धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध होने के कारण मनुष्य की धार्मिक भावना को क्षीण करता है। मांसाहारी व्यक्ति मांस खाने की प्रवृति के कारण भले ही कुछ मत-पंथों के क्रियाकलापों का सहारा लेते हों, पर उन मत-पंथों के धार्मिक ग्रन्थों में मांसाहार का सर्मथन कहीं नहीं है।
6. मनोवैज्ञानिक - यह एक व्यावहारिक तथ्य है कि मनुष्य वह नहीं होता, जो वह कहता है, अपि���ु वह होता है, जो वह करता है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि कार्य का प्रभाव बहुत अधिक होता है। मांसाहारी व्यक्ति का मनोविज्ञान निर्दयी, कमजोर, तामसिक बन जायेगा, चाहे वह समाज, धर्म, परोपकार आदर्श आदि की कितनी ही बातें क्यों न करता रहे। किसी न किसी रूप में मांसाहारी की वृत्ति हिंसक व स्वार्थी बन जाती है। उदारता, परोपकार, दूसरों के दुःख-दर्द की संवेदना आदि विचार कमजोर पड़ते जाते हैं। कुल मिलाकर मानसिकता हिंसक पशुओं जैसी बनती चली जाती है। कोमलता, वात्सल्य, सौंदर्यबोध स्वभाव से हटते चले जाते हैं।
7. आध्यात्मिक - ईश्वर के प्रति क��तज्ञता, ईश्वरकृपा ध्यान, ईश्वर के समीप जाने की इच्छा अर्थात् ईश्वर चिन्तन और सभी जगह सभी प्राणियों को ईश्वरपुत्र सभी रचनाओं को ईश्वरकृत मानना, ये विचार सभी प्राणधारियों के प्रति प्रेमभाव, उनमें अपनी तरह ईश्वर का आवास मानना, आध्यात्मिक जीवन के आवश्यक अंग हैं। मांसाहारी जब मांस के लिये किसी जीव की हत्या करता है, तो उसके मस्तिष्क और हृदय से उपर्युक्त सभी भावनाओं, विचार, दृष्टि समाप्त हो जाती हैं। उसका स्वभाव हिंसक पशु जैसा बनना आरम्भ हो जाता है। एक मांसाहारी का आध्यात्मिक व्यक्ति होना किसी भी प्रकार सम्भव नहीं है। मांसाहार और आध्यात्म सिद्धान्त रूप में विपरीत चीजें हैं। आध्यात्मिक जीवन होना मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है, यह केवल मनुष्य शरीर के माध्यम से ही सम्भव है, तो मनुष्य शरीर धारण करके मांसाहार द्वारा हिंसक पशुओं का व्यवहार करना, ईश्वर द्वारा मनुष्य रूपी शरीर मिलने के सौभाग्य को मूर्खतापूर्वक ठुकराने से भी बड़ी मूर्खता है।
मांसाहार का मनुष्य के लिये किसी भी दृष्टि से औचित्य नहीं बनता। विश्व स्तर पर स्पष्ट रूप से कोरोना ने मांसाहार को गलत सिद्ध कर दिया है, इतना कुछ स्पष्ट होने पर भी यदि मनुष्य आदत का गुलाम होकर मांसाहार करता है, तो इससे ज्यादा गिरी हुई स्थिति और क्या हो सकती है।
✍️ डाॅ. भूपसिंह रिटायर्ड एसोशिएट प्रोफेसर, भौतिक विज्ञान भिवानी (हरियाणा)
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thehindifacts-blog · 5 years ago
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Health facts
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ध्यान आपको कम गलतियां करने में मदद कर सकता हैं।
शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार, ध्यान आपको गलतियों से कम प्रभावित करने का एक तरीका प्रदान कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने परीक्षण किया कि खुले निगरानी ध्यान - ध्यान जो भावनाओं, विचारों या संवेदनाओं के बारे में जागरूकता को केंद्रित करता है क्योंकि वे किसी के दिमाग और शरीर में प्रकट होते हैं - एक तरह से मस्तिष्क की गतिविधि को बढ़ाते हैं जो त्रुटि पहचान को दर्शाता है।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के डॉक्टरेट उम्मीदवार और ब्रेन साइंसेज में पेपर के सह-लेखक जेफ लिन कहते हैं, "ध्यान और माइंडफुलनेस में लोगों की रुचि इस बात को रेखांकित कर रही है कि विज्ञान प्रभावों और लाभों के संदर्भ में क्या साबित कर सकता है।"
"लेकिन यह मेरे लिए आश्चर्यजनक है कि हम यह देखने में सक्षम थे कि एक निर्देशित ध्यान का एक सत्र गैर-ध्यानियों में मस्तिष्क की गतिविधि में कैसे बदलाव ला सकता है।"
प्रभाव को मापे
निष्कर्ष बताते हैं कि ध्यान के विभिन्न रूपों में अलग-अलग न्यूरोकॉग्निटिव प्रभाव हो सकते हैं। लिन ने कहा कि इस बारे में कोई शोध नहीं है कि खुले निगरानी ध्यान त्रुटि को कैसे प्रभावित करता है।
लिन कहते हैं, "ध्यान के कुछ रूपों में आप एक ही वस्तु पर ध्यान केंद्रित करते हैं, आमतौर पर आपकी सांस, लेकिन खुली निगरानी ध्यान थोड़ा अलग है।" "यह आपके अंदर की धुन है और आपके मन और शरीर में चल रही हर चीज़ पर ध्यान देता है। लक्ष्य यह है कि आप शांत होकर बैठें और जहाँ ध्यान नहीं जाता, वहाँ का दृश्य बिना देखे ही घूम जाता है।"
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने परीक्षण करने के लिए 200 से अधिक प्रतिभागियों को भर्ती किया कि खुले निगरानी ध्यान कैसे प्रभावित हुए कि लोग कैसे त्रुटियों का पता लगाते हैं और उनका जवाब देते हैं।
प्रतिभागियों, जिन्होंने पहले कभी ध्यान नहीं दिया था, ने 20 मिनट की खुली निगरानी ध्यान अभ्यास में भाग लिया, जबकि शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (ईईजी) के माध्यम से मस्तिष्क की गतिविधि को मापा। फिर, उन्होंने एक कम्प्यूटरीकृत व्याकुलता परीक्षण पूरा किया।
"ईईजी मिलीसेकंड स्तर पर मस्तिष्क की गतिविधि को माप सकता है, इसलिए हमें सही प्रतिक्रियाओं की तुलना में गलतियों के बाद तंत्रिका गतिविधि का सटीक उपाय मिला है," लिन कहते हैं। "त्रुटि के सकारात्मकता नामक त्रुटि के बाद एक निश्चित तंत्रिका संकेत लगभग आधा सेकंड में होता है, जो सचेत त्रुटि मान्यता से जुड़ा होता है। हमने पाया कि नियंत्रण के सापेक्ष ध्यानाकर्षण में इस संकेत की ताकत बढ़ जाती है।"
ध्यान आपको आपकी गलतियों को ढूंढने में मदद करता है।
सहकर्मी के वास्तविक समय के प्रदर्शन में ध्यान में सुधार के लिए ध्यान में ध्यान दिया जाता है, शोधकर्ताओं के निष्कर्ष निरंतर ध्यान की क्षमता में एक आशाजनक खिड़की प्रदान करते हैं। "ये निष्कर्ष एक मजबूत प्रदर्शन हैं, जो कि 20 मिनट के ध्यान को गलत तरीके से पता लगाने और गलतियों पर ध्यान देने के लिए मेन की क्षमता को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।" यह हमें अधिक आत्मविश्वास में महसूस करता है कि वास्तव में प्रदर्शन और दैनिक कामकाज के लिए वास्तव में सक्षम हो सकता है। "कमांड के लिए एक और अधिक कामकाज के लिए एक महत्वपूर्ण आबादी है, लिन उनके मनोवैज्ञानिक और प्रदर्शन प्रभावों का आकलन करने के लिए एक महत्वपू���्ण है। ध्यान केंद्रित किया जाता है, ध्यान देने के विभिन्न रूपों का परीक्षण करना होगा, और मस्तिष्क गतिविधि में परिवर्तन हो सकता है और अधिक वैध परिप्रेक्ष्य के लिए बहुत अच्छा काम है। यह लाभ है, और यह भी महत्वपूर्ण बात नहीं है, यह कैसे वास्तव में काम करता है," "यह समय है कि हम इसे एक और अधिक कठोरता के माध्यम से इसे देखना शुरू कर देते हैं।"
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eradioindia · 2 years ago
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प्रेम के जगत में एकमात्र ही भटकाव है वह है धन है: भगवान रजनीश
प्रेम के जगत में एकमात्र ही भटकाव है वह है धन है: भगवान रजनीश
प्रेम के जगत में एकमात्र ही भटकाव है वह है धन है। यह बड़ी मनोवैज्ञानिक और बड़ी गहरी बात है। फरीद कह रहा है कि प्रेम से चूकने का एक ही उपाय है और वह है कि कंचन में उत्सुक हो जाए। तू धन में उत्सुक हो जाए। अब यह नाजुक है। यह ख्याल बड़ा गहरा है। और मनोविज्ञान अब इसकी खोज कर रहा है धीरे-धीरे। और मनोविज्ञान कहता है कि जो आदमी धन में उत्सुक है वह आदमी प्रेम में उत्सुक नहीं होता। ये दोनों बात एक साथ होती ही…
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trendswire · 2 years ago
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drsunildubeyclinic · 29 days ago
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Best Sexoloigst in Patna, Bihar for Vaginismus Treatment | Dr. Sunil Dubey
महिलाओं में होने वाले वैजिनिस्मस के बारे में:-
वैजिनिस्मस महिलाओं के यौन जीवन में होने वाली एक ऐसी स्थिति है जिसमें योन��� की मांसपेशियां अनैच्छिक रूप से सिकुड़ जाती हैं, जिससे संभोग दर्दनाक या असंभव हो जाता है। इसे योनि ऐंठन या जननांग-श्रोणि दर्द या प्रवेश विकार (GPPPD) के रूप में भी जाना जाता है। आज के समय में भारत का हर 10 में से एक महिला इस महिला यौन विकार से प्रभावित है। यह यौन समस्या विवाहित या अविवाहित दोनों महिलाओं को प्रभावित कर सकता है, यह पूरी तरह से रोगी के कारणों और लक्षणों की प्रकृति पर निर्भर करता है। भारत में वैजिनिस्मस का प्रचलन अध्ययन और जनसंख्या के आधार पर भिन्न होता है, हालाँकि ग्रामीण महिलाएँ शहरी क्षेत्रों की तुलना में इस यौन समस्या से अधिक प्रभावित होती हैं।
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विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, जो महिला और पुरुष के गुप्त व यौन रोगियों के इलाज के लिए पटना में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं, कहते हैं कि इस यौन विकार को इसकी प्रकृति के अनुसार, तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
प्राथमिक वैजिनिस्मस:- किसी महिला के साथ योनि प्रवेश में आजीवन कठिनाई होना।
द्वितीयक वैजिनिस्मस:- पहले सामान्य यौन गतिविधि के बाद अर्जित कठिनाई होना।
परिस्थितिजन्य वैजिनिस्मस:- विशिष्ट भागीदारों या स्थितियों के साथ कठिनाई होना।
महिलाओं में होने वाले वैजिनिस्मस के का��ण:-
महिलाओं में इस यौन विकार के मुख्य रूप से तीन कारण होते हैं। ये कारक मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और तंत्रिका-संबंधी हैं। इस यौन समस्या के सभी कारणों को विस्तार से जानें।
• मनोवैज्ञानिक कारण:- किसी महिला को यौन गतिविधि या अंतरंगता के बारे में डर या चिंता होती है। उसके पास अतीत में यौन घटनाएँ या आघात होती हैं। एक विवाहित महिला रिश्ते की समस्याओं से ��्रस्त होती है। उसे शरीर की छवि के बारे में बहुत चिंताएँ होती हैं। ये सभी घटनाएँ एक महिला के मनोविज्ञान को प्रभावित करती हैं और वैजिनिस्मस या ��न्य यौन विकारों के कारण उसके यौन स्वास्थ्य को खराब करती हैं।
• शारीरिक कारण:- एक महिला योनि संक्रमण या सूजन से प्रभावित होती है। उसे एंडोमेट्रियोसिस और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में शिथिलता होती है। महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन भी शारीरिक कारण हैं।
• तंत्रिका संबंधी कारण:- तंत्रिका क्षति और तंत्रिका संबंधी विकार (जैसे पार्किंसंस रोग) लगभग एक महिला के यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इस यौन विकार में यह कारण हमेशा महिला के यौन जीवन को प्रभावित करते है।
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भारत में वैजिनिस्मस से प्रभावित महिलाओं के आयु-वार वितरण का अनुमानित डेटा:-
20-24 वर्ष: 9.0% से अधिक
25-29 वर्ष: 7.0% से अधिक
30-34 वर्ष: 6.0% से अधिक
35-39 वर्ष: 5.0% से अधिक
डॉ. सुनील दुबे जो बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर है, यह भी कहते हैं कि महिलाओं में होने वाला वैजिनिस्मस एक उपचार योग्य यौन समस्या है। अंतर्निहित कारणों को संबोधित करना और भागीदारों के साथ खुलकर संवाद करना रोगी के लिए सहायक होता है। इस यौन विकार के लक्षणों के आधार पर, मार्गदर्शन, उपचार और सहायता के लिए एक पेशेवर यौन स्वास्थ्य चिकित्सक (क्लीनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर) की तलाश व परार्मश आवश्यक है।
महिलाओं में होने वाले वैजिनिस्मस के लक्षण:
दर्दनाक संभोग (डिस्पेरुनिया) का होना।
उंगलियां या टैम्पोन डालने में कठिनाई होना।
यौन अंतरंगता से बचने का डर होना।
योनि की मांसपेशियों में तनाव का होना।
वैजिनिस्मस यौन समस्या के निदान के बारे में उन्होंने कहा कि रोगी का चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों का मूल्यांकन और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन आवश्यक अंग हैं।
दुबे क्लिनिक में वैजिनिस्मस का आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
दुबे क्लिनिक एक आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है जो सभी आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार के सभी गुणवत्ता उद्देश्यों के लिए प्रमाणित है। यह आयुर्वेदिक क्लिनिक पटना के लंगर टोली, चौराहा में स्थित है। यह क्लिनिक पिछले 60 वर्षों से विवाहित और अविवाहित गुप्त व यौन रोगियों को अपना चिकित्सा व उपचार विशेषाधिकार प्रदान कर रहा है। यह क्लिनिक पूरे भारत में अपनी सेवाएँ प्रदान करता है जहाँ हर तरह के गुप्त व यौन रोगी को इसके चिकित्सा व उपचार का लाभ मिलता है।
डॉ. सुनील दुबे एक उच्च श्रेणी के सीनियर गुप्त व यौन विशेषज्ञ चिकित्सक हैं जो इस क्लिनिक में पुरुष और महिला दोनों तरह के गुप्त व यौन रोगियों को अपना गैर-सर्जिकल आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार प्रदान करते हैं। उन्हें इस आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा पेशे में करीबन साढ़े तीन दशक से भी अधिक समय का अनुभव है। पुरुष और महिला दोनों अपनी गुप्त व यौन समस्याओं को सुधारने के लिए उनसे सलाह लेते हैं। वह उन सभी को उनकी समस्याओं का सही कारण पता लगाने और दवा देने में मदद करते हैं।
वेजिनिस्मस यौन रोगियों के लिए, वे संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी), परामर्श, पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरेपी, विश्राम तकनीक और आयुर्वेदिक दवाइयाँ व भस्म प्रदान करते हैं। उनका कहना है कि विश्राम तकनीक, केगेल व्यायाम, साथी के साथ संचार और योनि फैलाव जैसी स्व-सहायता रणनीतियाँ अधिक सहायक होती हैं। यदि आप वेजिनिस्मस के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो अपने साथी के साथ व्यक्तिगत मार्गदर्शन, उपचार और सहायता के लिए किसी अनुभवी यौन स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या नैदानिक ​​सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श करें। आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार ने केवल यौन समस्या बल्कि समग्र स्वास्थ्य को ठीक करती है।
सौजन्य सहित:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी क्लिनिक
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350-92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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bestsexologistdoctor · 4 months ago
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Holistic PE Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey, Gupt Rog Specialist Doctor
शीघ्रपतन एक ऐसी गुप्त समस्या जिससे पुरे विश्व में 40% लोग इससे परेशान है। आखिर क्या कारण है कि आयुर्वेदिक दवा व उपचार के बाद भी लोग अपने टाइमिंग इशू में सुधर नहीं कर पाते है। चलिए जानते है समय से पहले स्खलन की समस्या में सुधार न होने का सही कारण:-
भारत के अधिकतर लोग पूछते हैं - समय से पहले स्खलन क्या है?
पुरुषों में स्खलन संभोग के शुरुआती चरण से कुछ समय पहले या ठीक उसी दौरान होता है। पुरुषों में इस शीघ्र स्खलन (शीघ्रपतन) का औसत समय एक मिनट से कम या कुछ सेकंड्स के बराबर होता है।
समय से पहले स्खलन के तथ्यों को समझें:-
विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे कहते है कि सबसे पहले लोगों को यह समझना चाहिए कि यह कोई यौन समस्या नहीं है, बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक विकार है। दरअसल, यह व्यक्ति के यौन जीवन से जुड़ा है, खासकर समय के लिहाज से, इसलिए इसे पुरुषों में एक यौन सह मनोवैज्ञानिक विकार माना जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति का अपने स्खलन पर नियंत्रण नहीं होता है।
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डॉ. सुनील दुबे यह भी कहते हैं कि ऐसे कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति समय से पहले स्खलन का शिकार हो जाता है। ऐसी हालत तब बनती है, जब पुरुष बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाता है या उसका पेनिले बहुत ज़्यादा संवेदनशील हो जाता है। ऐसा तब भी हो सकता है, जब कोई व्यक्ति अपने नए साथी के साथ नर्वस या असहज महसूस करता हो।
वे कहते हैं कि मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक कारणों में प्रदर्शन की चिंता, आत्मविश्वास की कमी, यौन के प्रति अपराधबोध सोच या बहुत ज़्यादा उत्तेजित होना शामिल है। मुख्य रूप से, मानव मनोविज्ञान विकार पुरुषों में शीघ्रपतन के लिए एक बड़ी भूमिका निभाता है।
इस शीघ्रपतन की समस्या से कैसे बचें:
भारत के सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे  जो कि पटना, बिहार के सर्वश्रेष्ठ क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट भी है उनसे ज़्यादातर लोग पूछते हैं कि वह अपनी यौन क्रिया में इस शीघ्रपतन को कैसे रोक सकते हैं। कुछ लोग पूछते हैं कि वे बिस्तर पर सिर्फ़ 30 सेकंड तक ही क्यों टिक पाते हैं। यहाँ तक कि कुछ महिलाएँ अपने पति के इलाज के दौरान इस समस्या का बेहतर और सटीक समाधान के बारे में जानना चाहती हैं। वे कहते है कि यौन क्रिया में समय का बहुत महत्व है जिसमे पुरुष व महिला अपने-अपने ओर्गास्म को एक ही समय पर प्राप्त करे। यही सफल संभोग की पहचान भी है।
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इस गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर का मानना है कि कोई भी गुप्त या यौन समस्या ठीक हो सकती है अगर मरीज़ अपने डॉक्टर और दवा कोर्स का सही से पालन करे। गुप्त या यौन समस्या होने पर सबसे पहले लोगों को अपनी समस्या के असली कारण के बारे में पता होना चाहिए तभी उन्हें अपना इलाज शुरू करना चाहिए जो हमेशा के लिए उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।
उन्होंने अपने आयुर्वेदा व सेक्सोलॉजी मेडिकल साइंस प्रोफेशन में शीघ्रपतन पर शोध किया है। चूँकि वे दुबे क्लिनिक में प्रैक्टिस करते हैं, इसलिए उन्होंने अपना शोध सैद्धांतिक और व्यावहारिक आधार पर किया। उन्होंने पाया कि शीघ्रपतन होने के मुख्य चार चरण होते हैं जो अलग-अलग समय पर एक आदमी को प्रभावित करते हैं। यहाँ शीघ्रपतन के इलाज के समय सेक्सोलॉजिस्ट को उनके वास्तविक चरण का पता होना चाहिए उसके बाद ही इलाज करना चाहिए।
शीघ्रपतन से पीड़ित गुप्त व यौन रोगी सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के पास जाता है और अपना इलाज शुरू करता है लेकिन इलाज के बाद भी उसकी समस्या में कोई सुधार नहीं होता, ऐसा क्यों?
यहाँ, लोगों को अपने गुप्त व यौन उपचार के मामले में अपने क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के चयन में हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए व अपने यौन स्वास्थ्यकर्ता के बारे में भली-भांति परिचित होना अति आवश्यक है। जो सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान का विशेषज्ञ है और इस पेशे में बहुत अच्छा अनुभव हो, वह किसी भी गुप्त व यौन रोगी के इलाज के लिए सही विकल्प है।
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डॉ. सुनील दुबे, बिहार के सर्वश्रेठ सेक्सॉलजिस्ट डॉक्टर है जो दुबे क्लिनिक में हर दिन औसतन तीस से चालीस गुप्त व यौन रोगियों का इलाज करते हैं, जिनमें से 10 से अधिक लोग शीघ्रपतन से पीड़ित होते हैं। उन्होंने पाया कि वे विभिन्न चरणों में शीघ्रपतन की इस गुप्त व यौन समस्या से पीड़ित हैं। वह इस प्रकार के यौन रोगी का विशेष ध्यान रखते हैं, जहाँ वे उसके समस्या का वास्तविक मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक और यौन विचारों के प्रतिफल का पता लगाते हैं। उसके बाद, वह उन्हें अपना उपचार और दवा प्रदान करते हैं।
अपने सेक्सोलॉजिस्ट पेशे में, उन्होंने 4.56 लाख से अधिक गुप्त व यौन रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है, जहाँ 1.50 लाख से अधिक गुप्त रोगी शीघ्रपतन से पीड़ित थे। उनकी यौन परामर्श और व्यवहारिक चिकित्सा बेजोड़ है क्योंकि वह अपने अनुभव और विशेषता के आधार पर, अपना चिकित्सा व उपचार प्रदान करते हैं। डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि जिन लोगों को प्रदर्शन की चिंता, तनाव और इरेक्शन की समस्या होती है, वे आसानी से शीघ्रपतन के समस्या से शिकार हो जाते हैं।
यौन क्रिया के समय के बारे में लोगों में धारणाओं के बारे में:-
अधिकांश लोग अपने समय के बारे में लोगो से पूछते हैं और सोचते हैं कि अगर वे बिस्तर पर अधिक समय तक टिके रहेंगे तो वे अधिक मजबूत और सक्षम होंगे। डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि यह पूरी तरह से कई कारकों पर निर्भर करता है और समय-समय पर अलग-अलग हो सकता है। संभोग के लिए यौन क्रिया मायने रखती है जहाँ औसतन पाँच से दस मिनट का समय माना जाता हैं। एक पुरुष के लिए, उसे स्खलन के बाद उसे संभोग सुख मिल जाता है। एक महिला के लिए, वह पुरुष से पूरी तरह से अलग मानसिकता व भावना रखती है। उसे भावना, स्नेह, दुलार और देखभाल की ज़रूरत होती है, उसके बाद उसे संभोग सुख मिलता है। यहाँ जोड़े को यौन शिक्षा व क्रिया का भली-भांति ज्ञान होना अति आवश्यक है।
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कैसे पता करें कि कोई व्यक्ति शीघ्रपतन से पीड़ित है:-
लोग आमतौर पर लक्षणों को जानकर पता लगा सकते हैं कि उन्हें शीघ्रपतन है या नहीं। सबसे पहले, शीघ्रपतन पहली बा�� यौन क्रिया करने से ही शुरू हो जाता है। दूसरा, यह हर बार यौन क्रिया करने पर 80-90% से ज़्यादा बार शीघ्र स्खलित हो जाता है। तीसरा, बढ़ती उम्र के साथ इसमें ��ोड़ा बदलाव हो सकता है।
क्या शीघ्रपतन एक स्थायी यौन समस्या है?
शीघ्रपतन कोई स्थायी यौन समस्या नहीं है, बल्कि यह स्खलन की प्रकृति की तरह ही है, जहाँ पुरुष को इस समस्या का समाधान खुद ही करना होता है। प्राकृतिक तरीके और उपचार इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान: दुबे क्लिनिक
यदि आप अपनी किसी भी गुप्त या यौन समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो दुबे क्लिनिक जो कि एक प्रमाणित और गुणवत्ता-सिद्ध आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है से संपर्क कर सकते है। यह आयुर्वेदिक क्लिनिक सभी पुरुष और महिला यौन रोगियों के लिए संपूर्ण चिकित्सा व उपचार प्रदान करता है। डॉ. सुनील दुबे भारत के सीनियर व सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टरों में से एक हैं, इस क्लिनिक में रोगियों का इलाज करते है। दुबे क्लिनिक लंगर टोली, चौराहा और पटना-04 में स्थित है  और भारत के सभी शहरों से गुप्त व यौन रोगी अपने-अपने इलाज के लिए यहाँ आते है। डॉ. सुनील दुबे भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित व गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है जो रोगियों को पूर्ण ख्याल करते है।
वे दुनिया में सबसे सफल आयुर्वेदिक चिकित्सा शोधकर्ता और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ रहे हैं। वे न केवल भारत में बल्कि विदेशों जैसे यूएसए, लंदन, दुबई, खाड़ी देशों और अन्य देशों में भी यौन चिकित्सा व उपचार प्रदान करते हैं। दुनिया भर के लोग उनका सम्मान करते हैं और अपनी यौन समस्याओं को ठीक करने के लिए उनसे संपर्क करते है।
यदि आप डॉ. सुनील दुबे से परामर्श करना चाहते हैं, तो दुबे क्लिनिक में अपॉइंटमेंट लें। हर दिन सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक फोन पर अपॉइंटमेंट उपलब्ध हैं।
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trendingwatch · 2 years ago
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अहमदाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यूएस हेरिटेज वॉल ऑफ फ़ेम पर पहले भारतीय सामाजिक मनोवैज्ञानिक बने
अहमदाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यूएस हेरिटेज वॉल ऑफ फ़ेम पर पहले भारतीय सामाजिक मनोवैज्ञानिक बने
रामाधर सिंह द्वारा सामाजिक मनोविज्ञान और प्रबंधन में असाधारण योगदान, वर्तमान में अमृत मोदी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट – अहमदाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर को यूनाइटेड में सोसाइटी फॉर पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी (एसपीएसपी) की ‘हेरिटेज वॉल ऑफ फेम’ पर चिह्नित किया गया है। राज्य। प्रोफेसर सिंह यहां के एकमात्र सामाजिक मनोवैज्ञानिक हैं भारत इससे सम्मानित किया जाना है। यह मान्यता कॉलेज ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन…
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rudrjobdesk · 2 years ago
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7 Methods To Research & Analyze Your Audience For SEO
7 Methods To Research & Analyze Your Audience For SEO
जब मैं वर्णन करता हूं एसईओमैं समझाता हूं कि यह मार्केटिंग, तकनीकी जानकारी और मनोविज्ञान का मिश्रण है। मार्केटिंग के नजरिए से, आपको अपने उत्पाद की समग्र समझ होनी चाहिए, जो समस्याएं हल होती हैं, और अपने दर्शकों के साथ सबसे अच्छा संवाद कैसे करें। तकनीकी दृष्टिकोण से, आपको अपनी वेबसाइट के लिए एक आधार तैयार करने में सक्षम होना चाहिए जो खोज प्रदर्शन को बेहतर बनाता है। अब, एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से ……
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newsraag · 1 year ago
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Psychology Kya Hai In Hindi
Psychology Kya Hai In Hindi: Psychology का अर्थ होता है "मनोविज्ञान"। यह एक विज्ञान है जो मन, व्यक्तित्व और व्यवहार की अध्ययन करता है। Psychology मनुष्य के मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक प्रक्रियाओं के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करती है। यह विशेष रूप से उन आवश्यक तकनीकों को शामिल करता है जिनका उपयोग करके मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है, जैसे अवलोकन, प्रयोग, संगणना और व्य��ख्या। Psychology के अध्ययन से हम मनुष्य के विचार, भावनाएं, व्यक्तित्व, संबंध, संघर्ष, समाजी प्रभाव और मनोविकारों के बारे में अधिक जान सकते हैं।
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