#भारत खाद्य तेल की कीमतें
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केंद्र ने कीमतें कम करने के लिए खाद्य तेलों, तिलहनों पर मार्च तक स्टॉक की सीमा लगाई
केंद्र ने कीमतें कम करने के लिए खाद्य तेलों, तिलहनों पर मार्च तक स्टॉक की सीमा लगाई
खाना पकाने के तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि के साथ, केंद्र ने अगले साल मार्च के अंत तक खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक की सीमा लगा दी है। रविवार को एक बयान में, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा: “विभाग … ने एक ऐतिहासिक निर्णय में खाद्य तेलों और तिलहनों पर 31 मार्च, 2022 तक की अवधि के लिए स्टॉक सीमा लगाई है।” केंद्र के फैसले से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की…
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#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज&039;#उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय#खाद्य तेल की कीमत#खाद्य तेल पर स्टॉक सीमा#खाद्य तेल स्टॉक सीमा#बीज के तेल की कीमत#भारत की प्रमुख खबरें#भारत खाद्य तेल#भारत खाद्य तेल की कीमतें#भारत ताजा खबर#भारत समाचार#भारत समाचार आज
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महंगाई की मार से खाद्य और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और रुपया कमजोर
महंगाई की मार से खाद्य और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और रुपया कमजोर
भारत में मुद्रा स्फ़ीति लगातार बढ़ रहा है। बढ़ती महंगाई के लिए खाद्य पदार्��ों में बढ़ोतरी, कच्चे तेल की कीमतों और कमजोर रुपये समेत कई कारक जिम्मेदार हैं। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में 6.47 प्रतिशत से बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई। यह खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण था। इस साल की शुरुआत में क्रूड की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। हालांकि सितंबर में कीमत गिरकर 85 डॉलर प्रति बैरल से…
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भारत में खुदरा मुद्रास्फीति जून में 7% से ऊपर स्थिर रहने की संभावना: रिपोर्ट
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति जून में 7% से ऊपर स्थिर रहने की संभावना: रिपोर्ट
बेंगालुरू: भारत की खुदरा मुद्रास्फीति की संभावना जून में स्थिर रही, लेकिन छठे महीने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की सहिष्णुता सीमा से काफी ऊपर है क्योंकि कम ईंधन और खाना पकाने के तेल की कीमतें उच्च सेवाओं और खाद्य लागतों को ऑफसेट करती हैं, एक रायटर सर्वेक्षण में पाया गया। खाद्य कीमतों में हाल ही में हुई उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, लगभग दो वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़ने के बावजूद, सरकार द्वारा…
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सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने के लिए फर्मों को कहा, पूरे भारत में एक समान एमआरपी बनाए रखें
सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने के लिए फर्मों को कहा, पूरे भारत में एक समान एमआरपी बनाए रखें
खाद्य तेल की कीमतें: वैश्विक कीमतों में गिरावट के बीच, सरकार ने बुधवार को खाद्य तेल निर्माताओं को एक सप्ताह के भीतर आयातित खाना पकाने के तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में 10 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने और उसी ब्रांड के एक समान एमआरपी बनाए रखने का निर्देश दिया। देश भर में तेल जैसा भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकता का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, वैश्विक बाजार से संकेत लेते हुए पिछले…
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यूक्रेन द्वारा आपूर्ति बंद करने के बाद भारत ने रिकॉर्ड ऊंचाई पर रूसी स्नूज़ खरीदा
यूक्रेन द्वारा आपूर्ति बंद करने के बाद भारत ने रिकॉर्ड ऊंचाई पर रूसी स्नूज़ खरीदा
मुंबई: भारत ने रूस के साथ 45,000 टन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं सूरजमुखी का तेल उद्योग के पांच अधिकारियों ने रायटर को बताया कि युद्ध के कारण प्रतिद्वंद्वी यूक्रेन से शिपमेंट के बाद घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खाद्य तेल की कीमतें अप्रैल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं। रूस से सूरजमुखी का तेल ऐसे समय में दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक के लिए कमी को कम करने में मदद कर सकता है, जब…
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रूस-यूक्रेन युद्ध: सूरजमुखी तेल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं
रूस-यूक्रेन युद्ध: सूरजमुखी तेल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2019-20 में 2.5 मिलियन टन सूरजमुखी तेल और 2020-21 में 2.2 मिलियन टन का आयात किया, जिसमें से उसने 1.93 मिलियन टन और 1.74 मिलियन टन यूक्रेन से 2019-20 और 2020-21 में आयात किया। , क्रमश। साथ ही, भारत ने इन दो वर्षों में रूस से 0.38 मिलियन और 0.28 मिलियन टन का आयात किया। शानदार व्यंजनों, वीडियो और रोमांचक खाद्य समाचारों के लिए, हमारे मुफ़्त में सदस्यता लें…
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रूस-यूक्रेन युद्ध: सूरजमुखी तेल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
रूस-यूक्रेन युद्ध: सूरजमुखी तेल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2019-20 में 2.5 मिलियन टन सूरजमुखी तेल और 2020-21 में 2.2 मिलियन टन का आयात किया, जिसमें से उसने 1.93 मिलियन टन और 1.74 मिलियन टन यूक्रेन से 2019-20 और 2020-21 में आयात किया। , क्रमश। साथ ही, भारत ने इन दो वर्षों में रूस से 0.38 मिलियन और 0.28 मिलियन टन का आयात किया। शानदार व्यंजनों, वीडियो और रोमांचक खाद्य समाचारों के लिए, हमारे मुफ़्त में सदस्यता लें…
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#भोजन समाचार#यूक्रेन और रूस की लड़ाई#रूस और यूक्रेन की लड़ाई#सूरजमुखी की कीमतों में बढ़ोतरी#सूरजमुखी तेल लाभ
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भारत पर बड़ी मार: 'तेल, खाद्य कीमतें ऊंची; ड्यूटी रोलबैक मदद कर सकता है'
भारत पर बड़ी मार: ‘तेल, खाद्य कीमतें ऊंची; ड्यूटी रोलबैक मदद कर सकता है’
रूस द्वारा यूक्रेन पर चल रहे आक्रमण के बीच, तेल और खाद्य कीमतों में निरंतर वृद्धि उच्च मुद्रास्फीति, कमजोर चालू खाते और राजकोषीय संतुलन और आर्थिक विकास पर दबाव के माध्यम से एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। नोमुरा ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि भारत, थाईलैंड और फिलीपींस को सबसे ज्यादा नुकसान के रूप में देखा जा रहा है, जबकि इंडोनेशिया एक रिश्तेदार लाभार्थी होगा। इस बीच,…
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खाद्य तेल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र ने राज्यों को सीमा का सुझाव दिया: 2 महीने से अधिक स्टॉक नहीं करना
खाद्य तेल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र ने राज्यों को सीमा का सुझाव दिया: 2 महीने से अधिक स्टॉक नहीं करना
खाना पकाने के तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के साथ, केंद्र ने खाद्य तेलों और तिलहन की स्टॉक सीमा के संबंध में अपने आदेश को लागू करने की समीक्षा के लिए 25 अक्टूबर को राज्यों की एक बैठक बुलाई है। सरकार ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि हितधारक अपनी क्षमता के दो महीने से अधिक स्टॉक नहीं रखते हैं। एक पत्र में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने कहा, “खाद्य तेल की मांग और खपत…
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पीयूष गोयल ने देश में बढ़ती मंहगाई पर सफ़ाई दी
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वेबिनार में बोलते हुए गुरुवार को तीन मंत्रालयों को एक साथ संभाल रहे उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने देश में बढ़ती मंहगाई पर सफ़ाई देते हुए कहा कि सरकार इसे किस तरह सम्भालने की कोशिश कर रही है उस पर सरकारी प्रयासों की चर्चा की जा रही है!
क़रीब 10% बढ़ी हैं तेल की क़ीमतें
उनका कहना है कि ये बात सही है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दामों में बढ़ोतरी हुई है, पर भारत में ये बढ़ोतरी बहुत ज़्यादा नहीं है! ये बात सही नहीं है कि तेल की कीमतें 25 फीसदी बढ़ीं! भारत में तेल की कीमतें 5-10% ही बढ़ी, हम लगातार स्थिति पर नज़र और नियंत्रण बनाये हुए हैं! बफर स्टॉक के जरिये कीमतों को काबू में रखा जा रहा है!
दाल की क़ीमतों को स्थिर रखने की कोशिश जारी है
दाल और खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों पर पीयूष गोयल ने कहा कि जब जब दालों की कीमतें बढ़ती है तो राज्य केंद्र से दाल ख़रीद सकती है, फेयर प्राइ�� शॉप से भी उचित दामों पर दाल खरीदी जा सकती है! देश में चावल और दाल के दाम स्थिर रहेंगे! खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले वाली वस्तुओं के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे! कैबिनेट लगातार एमएसपी बढ़ा रही है, एमएसपी को लेकर सरकार गंभीर है और इसको सुनिश्चित कर रही है!
दिल्ली में जल्द लागू होगी एक देश एक राशन कार्ड योजना
32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक देश एक राशन कार्ड योजना से जुड़ चुके हैं! 69 करोड़ लाभार्थी इस योजना से जुड़ चुके हैं! असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली जैसे कुछ राज्य है जहां जल्द ही ये योजना लागू हो जाएगी! बायोमेट्रिक सुविधा के जरिए फर्ज़ी राशनकार्ड और राशनकार्ड धारकों की पहचान कर उन्हें सिस्टम से बाहर करने में सफलता मिली है!
करोना से लड़ाई अभी बाक़ी है
उपभोक्ता मामलों के मंत्री के तौर पर पीयूष गोयल ने कहा कि कोरोना अभी गया नहीं है, कोविड को लेकर सावधानी बरतनी ज़रूरी है! मास्क पहनने में कोताही ना बरतें! कुछ राज्यों में, केरल – महाराष्ट्र, में समस्या फिर से दिखाई दे रही है! मिलकर इस कोविड से लड़ाई लड़नी है!
https://kisansatta.com/piyush-goyal-cleans-up-on-rising-inflation-in-the-country/ #PiyushGoyalCleansUpOnRisingInflationInTheCountry Piyush Goyal cleans up on rising inflation in the country Business, National #Business, #National KISAN SATTA - सच का संकल्प
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सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने के लिए फर्मों को कहा, पूरे भारत में एक समान एमआरपी बनाए रखें
सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने के लिए फर्मों को कहा, पूरे भारत में एक समान एमआरपी बनाए रखें
खाद्य तेल की कीमतें: वैश्विक कीमतों में गिरावट के बीच, सरकार ने बुधवार को खाद्य तेल निर्माताओं को एक सप्ताह के भीतर आयातित खाना पकाने के तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में 10 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने और उसी ब्रांड के एक समान एमआरपी बनाए रखने का निर्देश दिया। देश भर में तेल जैसा भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकता का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, वैश्विक बाजार से संकेत लेते हुए पिछले…
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In the clutches of China, Nepal, intent on ending the relationship between Bihar and Roti-Beti | चीन के चंगुल में नेपाल, बिहार से रोटी-बेटी का रिश्ता खत्म करने पर आमादा है
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In the clutches of China, Nepal, intent on ending the relationship between Bihar and Roti-Beti | चीन के चंगुल में नेपाल, बिहार से रोटी-बेटी का रिश्ता खत्म करने पर आमादा है
सीमा सील होने से दोनों ओर रोटी महंगी हुई, बेटियों की शादी से भी कतराने लगे लोग
बिहार-नेपाल बाॅर्डर: 7 दिनाें तक 729 किमी क्षेत्र में सीमा के दोनों ओर के इलाकों की पड़ताल
दैनिक भास्कर
Jun 28, 2020, 09:16 AM IST
बिहार. चीन की चाल में फंसा नेपाल हमसे रोटी-बेटी का संबंध भूल गया है। चीन के चंगुल में आने के बाद वहां भारत विरोधी भावना भरी जा रही है। नेपाल के व्यापारिक शहरों में प्रमुख वीरगंज में काफी संख्या में बिहारी रहते हैं। यहां के युवा कहते हैं- हम भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन आप इसे अपना देश न समझें। बाॅर्डर सील होने से नेपाल में नमक 100 रुपए किलो ��िक रहा है। भारत की बेटियों के बहू बनने पर 7 साल बाद नेपाली नागरिकता देने के कान��न ने भी संबंधों में और कड़वाहट भर दी है।
चीनी भाषा बोल रहा नेपाल
भारत से सबसे अच्छे संबंधों वाले देशों में पहले नंबर पर आने वाले नेपाल के सुर बदले हुए हैं। अब वह पूरी तरह से चीनी भाषा बोल रहा है। गलती किसकी? इस तो बहस होती रहेगी। वर्तमान में इसका सबसे ज्यादा नुकसान बिहार को है। हजारों की संख्या में बिहार के परिवारों के लोग नेपाल में हैं। इसलिए वर्तमान तनाव से बिहार-नेपाल की सीमावर्ती क्षेत्रों पर पड़ते असर पर दैनिक भास्कर की दाे टीमों ने 7 दिन तक पड़ताल की।
पहली टीम वाल्मीकिनगर से चलकर भिखनाठाेढ़ी, रक्सौल, बलुआ के बाद सीतामढ़ी के बैरगनिया, परिहार, सुरसंड हाेते हुए भिट्ठामाेड़ तक एवं दूसरी टीम मधुबनी के मधवापुर, जयनगर, लाैकहा, सुपाैल के भीमनगर से अररिया के जाेगबनी से किशनगंज के गलगलिया हाेते हुए दिघलबैंक तक करीब 729 किलाेमीटर दूरी तक की सफर की। टीम ने नेपाल के गांवों में जाकर वहां के हालात भी जाने।
रोटी के संबंध पर चोट: नेपाल में नमक 100 तो सरसों तेल की कीमत 250 रुपए प्रति किलो
भारत-नेपाल के रिश्ताें में आई तल्खी का असर दोनों ओर के लोगों की जेब पर भी दिखने लगा है। सीमाएं सील होने का सीधा असर व्यापार पर पड़ा है। भारत में राशन से लेकर कपड़ा तक का व्यापार नेपाल के खरीददारों पर निर्भर है। लेकिन नेपाल ने अपने नागरिकों को भारत में प्रवेश करने से रोक रखा है। इधर से भी आवाजाही बंद है। सामान्य दिनाें में दोनों के बीच 4.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ट्रेड होता है। वहीं घाेषित ट्रेड का 10 गुना अधिक अघाेषित ट्रेड हाेता है।
सीमा पूरी तरह सील होने से जरूरी सामान के दाम कई गुना बढ़े।
भारत के सीमावर्ती बाजाराें से खाद्यान्न सामग्री के साथ दवा एवं अन्य सामग्री उस पार जाती है। पर, इन दिनाें अघाेषित ट्रेड काराेबार में कमी आई है जिससे नेपाल के सीमावर्ती गांव के बाजार में खाद्यान्न की कीमत आसमान छूने लगी हैं। नमक 100 और सरसों तेल 250 रुपए किलो तक बिक रहा है। सामान्य दिनाें में नेपाल के बाजार में खाद्यान्न की कीमत भारतीय बाजार से 5 रुपए अधिक हाेती थी। पर, अब दाेगुनी कीमत है। हां, यह जरूर है कि कुछ लोग लुक-छिप कर अभी भी आ रहे हैं और जरूरी सामान लेकर नेपाल जा रहे हैं।
दो महीने में सिर्फ जयनगर की मंडी में 25-30 करोड़ का नुकसान हुआ
नेपाल के लाेगाें के भारतीय बाजार में नहीं अाने से यहां का काराेबार भी ठंडा ��ड़ गया है। मधुबनी के सीमावर्ती जयनगर के बड़े कपड़ा व्यापारी गिरधारी सर्राफ कहते हैं कि व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। नेपाल में सिर्फ एक्सपोर्ट के जरिए ही कपड़े जा रहे हैं, लेकिन वहां के व्यापारी भारत की मंडियों में नहीं आ पा रहे। नेपाल के व्यापारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर रहे हैं।
उनका तर्क है कि व्यापारियों के भारत आकर कपड़ों की खरीद नहीं करने से पिछले दो-तीन महीनों में सिर्फ जयनगर की मंडी से 25-30 करोड़ का नुकसान हुआ है। दूसरे व्यापारी बताते हैं कि राशन और दूसरी खाद्य सामग्री के नेपाल नहीं जाने से नेपाल में उनकी कीमतें बढ़ी हैं। बॉर्डर पर किराना की दुकान चलाने वाले अखिलेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि नेपाल में नमक 100 रुपए किलो तक बिक रहा है जबकि भारत से लोग पहले 10 रुपए में नेपाल ले जाया करते थे।
बेटी के संबंध पर चोट: नए कानून से विवाह के सात साल बाद भारतीय बेटियों को नागरिकता
भारतीय बहुओं को नागरिकता से वंचित करने की कोशिश पर नेपाल में मचे भूचाल के बीच बुधवार को मलंगवा (नेपाल) की एक महिला बेटे के लिए बहू देखने बॉर्डर पार कर सोनबरसा से सटे झीम नदी किनारे एक दुकान पर पहुंची थी। होने वाली बहू को देने के लिए कुछ खरीदारी कर रही थी। इस बीच बेटी वालों ने संदेश भिजवाया कि अब वह नेपाल में शादी नहीं करेंगे।
क्योंकि, अब नेपाल में उनकी बेटी को सात साल बाद नागरिकता मिलेगी। रिश्तेदारी नहीं होने से निराश महिला ओली सरकार पर भड़क उठी। कहने लगी वह भी कभी भारत की ही बेटी थी। जिसके नाम का सिंदूर माथे पर लगा लेती है तो पूरा जीवन उसके नाम कर देती है। ऐसे में शादी के बाद उसकी राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद पर शंका नहीं करनी चाहिए।
होने वाली बहू के लिए खरीदारी करने पहुंची मलंगवा (नेपाल) की महिला।
दरअसल, नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने भारत से बेटी-राेटी के रिश्ते काे खत्म करने की पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। भारत से ब्याह कर नेपाल जाने वाली बेटियाें काे राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी अधिकार से वंचित करने का मन बनाया है। ताकि, भारत से खून का रिश्ता खत्म हाे सके। नेपाल ने मंगलवार काे नागरिकता संबंधी कानून को प्रतिनिधि सभा में पेश कर दिया।
लोग बोले-देश को चीन की झोली में डाल रही नेपाल की ओली सरकार
नागरिकता कानून का विरोध करते हुए मलंगवा गांव के बलराम यादव ने कहा कि यह सरकार की सोची-समझी साजिश है। ओली सरकार भारत के साथ हर तरह के संबंध को खत्म कर देश को चीन की झोली में डालने को बेताब है। सरकार चाहती है कि भारत के साथ जो वैवाह��क संबंध है उसको धीरे-धीरे योजनाबद्ध तरीके से तोड़ दें। पर, शताब्दियों से नेपाल और भारत का यह संबंध सांस्कृतिक आधार पर स्थापित है।
प्रस्तावित कानून में यह है प्रावधान
नेपाली संघीय संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में विवादास्पद नागरिकता कानून पेश किया गया जिसमें किसी भी भारतीय महिलाओं को नेपाल में शादी करने के सात साल बाद ही नागरिकता दिए जाने का प्रावधान रखा गया है। अब तक नेपाल में शादी के तत्काल बाद ही भारत की बेटियों काे नागरिकता का प्रमाण पत्र देने का नियम है।
कई जगहों पर बांध का निर्माण रोका: तटबंधों पर आपत्ति, बिहार में बाढ़ का खतरा
नेपाल की आपत्ति से पूर्वी चंपारण के बलुआ में लालबकेया नदी के पश्चिमी तटबंध की मरम्मत कई दिनाें से बंद है। बाढ़ से पहले बांध की मरम्मत नहीं हुई ताे पूर्वी चंपारण के ढाका, पताहीं, पकड़ी दयाल, मधुबन व फेनहारा प्रखंड में भारी तबाही तय है। 2017 में भी दाे जगह तटबंध क्षतिग्रस्त हाेने से इन प्रखंडाें में तबाही मची थी। दरअसल, नेपाल सीमा में तटबंध का निर्माण नहीं हुआ है। इस बीच भारतीय सीमा में निर्मित इस तटबंध की ऊंचाई 5 फीट बढ़ा दी गई है। इससे नेपाल के बंजरहा के लाेगाें काे आपत्ति है। गांव वालाें के साथ नेपाल आर्म्ड फाेर्स के जवान बांध निर्माण पर आपत्ति जताते हुए बलुआ के ग्रामीणाें से उलझ गए। इससे भारी तनाव है।
पूर्वी चंपारण के बलुआ में बांध मरम्मत पर नेपाल ने आपत्ति जताकर काम रुकवा दिया।
नेपाल और भारत के बीच बाढ़ भी एक अहम मुद्दा रहा है। हर साल क्षतिग्रस्त तटबंधों की मरम्मत होती है। लेकिन इस बार नेपाल आपत्ति कर रहा है। भारत में जयनगर के इनरवा बॉर्डर से थोड़ी दूर पर अकौन्हा है। वहां वर्ष 2019 में कमला नहर का तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया था। इस बार फिर से मरम्मत हो रही है। लेकिन नेपाल अड़चन खड़ी कर रहा है। नेपाल की आपत्ति है कि भारत नो मैंस लैंड से सटकर बांध न बनाए।
क्योंकि तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं: चाइनीज हुआ हमारा नेपाल
नेपाल के पाला बदलने से सिर्फ भारत या बिहार को ही नुकसान नहीं हुआ, नेपाल भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। नेपाल के लोग और सांसद सरकार के चीनी रुख का विरोध कर रहे हैं। तस्वीरों से देखिए नेपाल की स्थिति :-
भारत से दूर हो गया नेपाल
सरहद पर सख्ती बढ़ी तो चोरी-छिपे हो रही इंट्री
सख्ती से नेपाल के लोग खरीदारी के लिए अब नदी के रास्ते आ रहे।
ऐसा कैमरा जिससे भारतीय सीमा की निगरानी हो
सोनबरसा झीम पुल पर कैमरे से भारतीय सीमा की निगरानी भी संभव।
परिजनों से मिलने वालों को भी रोक रहा नेपाल
सोनबरसा चेकपोस्ट पर भारत आ रही महिला को रोकती नेपाल पुलिस।
मदद के नाम पर घुसा चीन
भारतीय की जगह अब चीनी टेंट में नेपाल पुलिस
जयनगर के बलहा बॉर्डर पर नेपाल की तरफ लगा चीनी टेंट।
पहले हमारी दवा जाती थी, अब चीन पहुंचा रहा
भारत से मदद लेने वाले नेपाल में चीन खुद पहल कर दवा पहुंचा रहा है।
चीन ने बनाई भारतीय बॉर्डर के पास की फोरलेन रोड
बिहार-नेपाल बॉर्डर से लगती सड़क को चीन की एजेंसी ने फोरलेन किया।
फिर सुलग रही विद्रोह की आग: घिरा नेपाल, लग रहे गो-बैक चाइना के नारे
चीन की साजिश से हाल के दिनाें में नेपाल सरकार की ओर से लिए गए विभिन्न फैसलाें के खिलाफ तराई में आंदाेलन तेज हाे गया है। विद्रोह की आग फिर सुलग रही है। भारतीय बहू काे सात साल बाद नागरिकता देने, नेपाली संसद में सांसदाें के हिन्दी बाेलने पर राेक, चीन की ओर नेपाल की जमीन हड़पने सहित विभिन्न मुद्दाें काे लेकर बाॅर्डर के उस पार वीरगंज, गाैड, परसा, मलंगवा, जनकपुर, धनुषा में लाेग सड़क पर उतर आए हैं। शनिवार काे वीरगंज में नेपाल विद्यार्थी संघ ने नेपाल सरकार और चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन : पूरे नेपाल में चीन की घुसपैठ के विरोध में जगह-जगह चीन गो बैक के नारे लग रहे।
संघ के केन्द्रीय सदस्य सुधीर पटेल के नेतृत्व में माई स्थान चौक से निकला जुलूस नगर परिक्रमा करते हुए घंटाघर चौक पहुंचा। इस दौरान गो बैक चाइना, नेपाली भूमि का अतिक्रमण बंद करो, चीन सरकार मुर्दाबाद, जिनपिंग मुर्दाबाद आदि नारे लगाए गए। सीतामढ़ी के साेनबरसा बाॅर्डर के उस पार मलंगवा में नागरिकता कानून में संशाेधन काे धरना-प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। लाेगाें ने कहा कि नेपाल सरकार बिहार से खून के रिश्ते काे बंद करने की साजिश रच रही है। जबकि, हमारा जन्माें से बेटी-राेटी का रिश्ता है।
(वाल्मीकिनगर से कृष्ण कांत मिश्र, सिकरहना से जीतेन्द्र वत्��, सोनबरसा से मुकुंद अग्रवाल, मधवापुर से गांधी मिश्र गगन, सुपौल से बिष्णु गप्ता, जयगनर से सुनील कुमार)
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प्याज ही नहीं बल्कि कई जरुरी वस्तुओं के बढ़ते दामों ने बिगाड़ दिया लोगों का जायका, आटा-दाल भी हुआ महंगा
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. प्याज के बढ़ते दाम ने लोगों के जायके को बिगाड़ दिया है। न सिर्फ प्याज बल्कि कई तमाम जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण भी आम जनता को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। इसकी पुष्टि केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान द्वारा दी गई जानकारी से हुई है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ज्यादातर वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी सांसद राहुल रमेश शेवाले और भर्तृहरि महताब के सवालों का लिखित जवाब देते हुए पासवान ने आवश्यक वस्तुओं की जो कीमत सूची सौंपी है उससे यह पता चल रहा है कि चावल, गेहूं, आटा, दाल, तेल, चाय, चीनी और गुड़ समेत कई सब्जियों और दूध के दाम में जनवरी के मुकाबले साल के आखिरी महीने दिसंबर में अधिक वृद्धि हुई है। प्याज के बारे में ही बात करे तो मार्च से दिसंबर के बीच इसके दाम में पांच गुना बढ़त हो गई है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); कुछ ऐसी वस्तुएं हैं जिनकी कीमतें लगातार बढ़ने का सिलसिला जारी है। खासतौर से आलू, टमाटर और प्याज के दाम में ज्यादा वृद्धि हुई है। दरअसल राहुल रमेश शेवाले और भर्तृहरि महताब दोनों ही सांसदों ने इस साल आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि की पासवान से जानकारी ��ांगी थी। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा था कि बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। पासवान ने बताया कीमत बढ़ने का कारण राम विलास पासवान ने कहा कि, 'मांग-आपूर्ति में असमानता, प्रतिकूल मौसमी दशाओं और सीजन की अन्य वजहों व परिवहन लागतों में वृद्धि, भंडारण की कमी के साथ-साथ जमाखोरों और कालाबाजारियों द्वारा कृत्रिम कमी पैदा करने के कारण आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव आने से वस्तुओं के खुदरा मूल्य प्रभावित होते हैं।' प्याज की कीमत में 416 फीसदी का इजाफा जानकारी के मुताबिक, इस साल मार्च में प्याज का औसत खुदरा भाव 15.87 रुपए प्रति किलो था जो कि 3 दिसंबर को 81.9 रुपए प्रति किलो हो गया। यानी मार्च से दिसंबर तक प्याज के दाम में 416 फीसदी का इजाफा हुआ है। चावल और गेंहू के भाव में भी करीब 10 फीसदी की वृद्धि हुई तो दालों के दाम में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। ये भी पढ़े... 180 रुपए तक पहुंचे भाव! और दो महीने रुला सकता है प्याज केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, प्याज के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से लगाई रोक फिर बढ़ने लगी महंगाई, प्रभावित होगी अर्थव्यवस्था Read the full article
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खाद्य तेल कीमतों पर विदेशी दबाव, दिसंबर से दाम नीचे आने की उम्मीद
खाद्य तेल कीमतों पर विदेशी दबाव, दिसंबर से दाम नीचे आने की उम्मीद
Photo:FILE खाद्य तेल कीमतों पर विदेशी दबाव, दिसंबर से दाम नीचे आने की उम्मीद: खाद्य सचिव नयी दिल्ली: देश में खुदरा खाद्य तेल की कीमतें नई फसल आने और वैश्विक कीमतों में संभावित गिरावट के साथ दिसंबर से नरम होनी शुरू हो जाएंगी। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को यह कहा। भारत अपनी जरूरत के 60 प्रतिशत खाद्य तेलों का आयात करता हैं। वैश्विक घटनाक्रम के चलते देश में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें…
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जैसा कि RBI खाद्य मुद्रास्फीति पर चिंतित है, कोविद -19 लॉकडाउन के दौरान दाल और दूध के गुलाब की कीमतें कैसे हैं
जैसा कि RBI खाद्य मुद्रास्फीति पर चिंतित है, कोविद -19 लॉकडाउन के दौरान दाल और दूध के गुलाब की कीमतें कैसे हैं
चूंकि भारत COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से अचानक और पूर्ण लॉकडाउन में चला गया था, कई दैनिक आवश्यकताओं की कीमतों में एक अनपेक्षित गिरावट आई थी।
अप्रैल पहला पूरा महीना था जब लगभग सभी आर्थिक गतिविधियाँ ठप पड़ी थीं। करोड़ों भारतीय घर पर रहने के लिए मजबूर थे और चूंकि बाहर खाना असंभव था, इसलिए पहले से कहीं ज्यादा घर का खाना पकाया जाता था।
दाल, अटा, चावल, खाना पकाने के तेल और…
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सभी तरह के खाद्य तेलों में 50% पाम ऑयल की मिलावट
मुंबई। देश में प्याज के बाद अब खाद्य तेलों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी से उपभक्ताओं पर दोहरी मार पड़ी है। इस बीच केंद्र सरकार की ओर से कीमतें कम करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। जानकारी के अनुसार, देश में इस्तेमाल होने वाले सभी तरह के खाद्य तेलों में पाम ऑयल का सबसे ज्यादा (करीब 50%) उपयोग होता है। भारत में इसका उत्पादन करीब 2 प्रतिशत ही है।
देश का 98 प्रतिशत तेल मलयेशिया और इंडोनेशिया आता है। वहीं, सरसों के तेल की खपत 20 प्रतिशत है, जिसका 100 प्रतिशत उत्पादन भारत में ही होता है। 15 प्रतिशत रिफाइंड सनफ्लॉवर तेल उपयोग होता है, जिसका देश में उत्पादन 20 प्रतिशत है और 80 प्रतिशत यूक्रेन और रूस से आता है। 10 प्रतिशत इस्तेमाल सोयाबीन का होता है। इसमें 65 प्रतिशत सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से आयात होता है।
फुटकर दाम 30 रुपये तक बढ़े खाद्य तेलों की कीमतें महज एक सप्ताह के भीतर ही इतनी ज्यादा बढ़ी हैं। पाम ऑयल की फुटकर कीमत 30 रुपये बढ़ी है, जबकि सरसों के तेल में भी इतनी ही बढ़ोतरी हुई है। रिफाइंड सनफ्लॉवर तेल की कीमतें 40 रुपये प्रति लीटर बढ़ी हैं। व्यापारी अब ग्राहकों को जवाब देते-देते परेशान हो गए हैं। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी मह���संघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि कच्चे खाद्य तेल पर आयात शुल्क 15 से 20 प्रतिशत कम कर सरकार राहत दे सकती है।
कीमतें बढ़ने का कारण तेल के कारोबार से जुड़े व्यापारी कीमतें बढ़ने के कई कारण गिनाते हैं। शंकर ठक्कर का कहना है कि पाम ऑयल मलयेशिया और इंडोनेशिया से आता है। दरअसल, इन देशों ने बॉयोडीजल में पाम ऑयल का उपयोग 1 जनवरी से बढ़ा दिया है। पहले उत्पादन का 10 प्रतिशत ही पाम ऑयल बॉयोडीजल में इस्तेमाल होता था, जो अब 30 प्रतिशत हो चुका है। इसके अलावा दोनों देशों ने 5 फीसद निर्यात शुल्क भी बढ़ाया है। इससे तेल महंगा हो गया है। वहीं, खराब मौसम वजह से इस साल रूस और यूक्रेन में सनफ्लॉवर की खेती को नुकसान हुआ है।
तेलों की बढ़ी हुई कीमतें
सरसों को तेल पहले 100 अब 130
स��फ्लावर पहले 90 अब 120
पाम ऑयल पहले 70 अब 100
(सभी दाम रुपये प्रति लीटर और फुटकर मंडी के हैं।)
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