#लॉकडाउन
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akhaidas · 2 years ago
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#SantRampalJi_AvataranDiwas
💎समाज कल्याण हेतु संत रामपाल जी महाराज जी की अद्भुत एवं अलौकिक परमार्थी कार्य💎
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समाज में जब जब भी त्रासदी अथवा आपदा आई है संत रामपाल जी महाराज जी व उनके शिष्य हमेशा आगे रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी का यही ज्ञान है कि परोपकार तथा परमार्थ के कार्य में हमेशा आगे रहना चाहिए और यही कारण है कि संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हमेशा आगे रहते हैं।
जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुण देत।
बिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत ।।
कोरोना कल में मदद
संत रामपाल जी महाराज जी की आदेश अनुसार संत रामपाल जी महाराज जी की शिष्य कोरोना काल में विशेष योगदान दिए थे। कुरूना महामारी में लॉकडाउन के कारण जहां कहीं भी खाने की व्यवस्था नहीं थी वहां खाने की व्यवस्था किए थे। जगह-जगह लोगों को ताज सामग्री पहुंचाई गई थी।
बाढ़ त्रासदी में मदद
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य कोरोना कल में साथ देने के साथ-साथ बाढ़ टेस्ट में भी लोगों की विशेष मदद की है। हाल ही में जहां कहीं भी बाढ़ आई थी वहां पर लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई गई। संत रामपाल जी महाराज जी के शिक्षा का ही परिणाम है संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आगे रहते हैं।
दहेजमुक्त समाज का निर्माण
एक तरफ समाज में जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी बेटियों के लिए दहेज मुक्त समाज का निर्माण कर रहे हैं और यही कारण है कि आज लाखों बेटियां दहेज मुक्त विवाह करके अपना सुखी जीवन जी रही है। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य न दहेज लेते हैं और ना देते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के पद चिन्हों पर चलकर दहेज मुक्त विवाह करते हैं।
नशा मुक्त समाज का निर्माण
संत रामपाल जी महाराज जी समाज के परोपकारी कार्य में नशा मुक्त का कार्य भी सम्मिलित है। जहां युवा पीढ़ी नसीब मिलत है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य नशा नहीं करते हैं और यहां तक कि ना ही नशा की सामग्री को हाथ लगाते हैं। इससे समाज एक नई दिशा की ओर अग्रसर होगा जिसमें किसी भी प्रकार का नशा चोरी जारी रिश्वतखोरी इत्यादि से मुक्त होगा।
देहदान एवं रक्तदान में योगदान
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सदैव परोपकार के कार्य में आगे रहते हैं और यही कारण है कि वह संत रामपाल जी महाराज जी के प्रत्येक आदेशों का पालन करते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य रक्तदान एवं देहदान में विशेष योगदान दिए हैं।
संत रामपाल जी महाराज व उनके शिष्य हमेशा से ही परमार्थ के कार्यों में आगे रहे हैं । संत रामपाल जी महाराज जी का यही उद्देश्य है समाज में अनैतिक कार्यों को समाप्त करके नैतिकता को बढ़ावा देना है।
#समाज_सुधारक_संत_रामपालजी
#SantRampalJi_AvataranDiwas
#SantRampalJiMaharaj
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#MondayThoughts #Thoughtsoftheday #Godstory #KabirIsGod
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pkggsm123 · 2 years ago
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💎समाज कल्याण हेतु संत रामपाल जी महाराज जी की अद्भुत एवं अलौकिक परमार्थी कार्य💎
समाज में जब जब भी त्रासदी अथवा आपदा आई है संत रामपाल जी महाराज जी व उनके शिष्य हमेशा आगे रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी का यही ज्ञान है कि परोपकार तथा परमार्थ के कार्य में हमेशा आगे रहना चाहिए और यही कारण है कि संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हमेशा आगे रहते हैं।
जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुण देत।
बिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत ।।
कोरोना कल में मदद
संत रामपाल जी महाराज जी की आदेश अनुसार संत रामपाल जी महाराज जी की शिष्य कोरोना काल में विशेष योगदान दिए थे। कुरूना महामारी में लॉकडाउन के कारण जहां कहीं भी खाने की व्यवस्था नहीं थी वहां खाने की व्यवस्था किए थे। जगह-जगह लोगों को ताज सामग्री पहुंचाई गई थी।
बाढ़ त्रासदी में मदद
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य कोरोना कल में साथ देने के साथ-साथ बाढ़ टेस्ट में भी लोगों की विशेष मदद की है। हाल ही में जहां कहीं भी बाढ़ आई थी वहां पर लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई गई। संत रामपाल जी महाराज जी के शिक्षा का ही परिणाम है संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आगे रहते हैं।
दहेजमुक्त समाज का निर्माण
एक तरफ समाज में जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी बेटियों के लिए दहेज मुक्त समाज का निर्माण कर रहे हैं और यही कारण है कि आज लाखों बेटियां दहेज मुक्त विवाह करके अपना सुखी जीवन जी रही है। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य न दहेज लेते हैं और ना देते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के पद चिन्हों पर चलकर दहेज मुक्त विवाह करते हैं।
नशा मुक्त समाज का निर्माण
संत रामपाल जी महाराज जी समाज के परोपकारी कार्य में नशा मुक्त का कार्य भी सम्मिलित है। जहां युवा पीढ़ी नसीब मिलत है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य नशा नहीं करते हैं और यहां तक कि ना ही नशा की सामग्री को हाथ लगाते हैं। इससे समाज एक नई दिशा की ओर अग्रसर होगा जिसमें किसी भी प्रकार का नशा चोरी जारी रिश्वतखोरी इत्यादि से मुक्त होगा।
देहदान एवं रक्तदान में योगदान
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सदैव परोपकार के कार्य में आगे रहते हैं और यही कारण है कि वह संत रामपाल जी महाराज जी के प्रत्येक आदेशों का पालन करते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य रक्तदान एवं देहदान में विशेष योगदान दिए हैं।
संत रामपाल जी महाराज व उनके शिष्य हमेशा से ही परमार्थ के कार्यों में आगे रहे हैं । संत रामपाल जी महाराज जी का यही उद्देश्य है समाज में अनैतिक कार्यों को समाप्त करके नैतिकता को बढ़ावा देना है।
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apnaran · 16 days ago
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Kisan ki Baat: आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि पैकेज, किसानों के लिए बड़ा राहत पैकेज
कोरोना महामारी के दौरान जब पूरा देश लॉकडाउन में था, तब किसानों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत एक विशेष कृषि पैकेज की घोषणा की गई। इस पैकेज की कुल राशि ₹1.63 लाख करोड़ थी, ��ो सीधे तौर पर कृषि क्षेत्र, डेयरी, मत्स्य पालन और allied sectors को सशक्त बनाने के लिए थी। कृषि पैकेज का उद्देश्य कृषि ��त्पादों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा तैयार…
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breakingnewsfirst · 2 months ago
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06 March 2022 की बड़ी खबरें | आज देश के मुख्य समाचार | Today Breaking news | Aaj ka taja khabar | PM Modi
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sonukumargami1 · 3 months ago
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पीएम को चिट्ठी भेजना जनआन्दोलन (Mass Movement) खड़ा करने का सबसे प्रभावी एवं निरापद तरीका है। इस तरीके का इस्तेमाल करके कार्यकर्ता पीएम को किसी भी मांग को मानने के लिए आसानी से बाध्य कर सकते है। इस पोस्ट में मैंने लेटर-रजिस्टर मेथड की कई विशेषताओ में से कुछ के बारे में बताया है।
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(1) पीएम जब चिट्ठी पढ़ते ही नहीं है तो चिट्ठी भेजने से क्या लाभ है ?
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इक्का दुक्का लोग यदि चिट्ठी भेजेंगे तो जाहिर है कि प्रधानमंत्री कार्यालय पीएम को इस बारे में सूचित भी करने वाला नहीं है। लेकिन यदि ज्यादा से ज्यादा नागरिक (46 करोड़ मतदाता) पीएम को चिट्ठी भेजते है तो पीएम को अमुक मांग मानने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
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लॉकडाउन के उदाहरण से इसे समझते है :
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भारत में 550 जिले (संसदीय क्षेत्र) , 4000 कस्बे (विधानसभा क्षेत्र) और लगभग 2 लाख गाँव (ग्राम पंचायत) है।
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एक जिले में लगभग 20 लाख नागरिक रहते है। अब मान लीजिये कि, किसी जिले में सिर्फ 1% नागरिक यानी 20 हजार नागरिक 5 तारीख को 5 बजे शहर के पोस्ट बॉक्स पर पहुँच कर पोस्टकार्ड / बुकपोस्ट / लिफाफे / अंतर्देशीय पत्र आदि भेजने के लिए पहुँचते है। और मान लीजिये कि ऐसा भारत के 100 जिलो में होता है।
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तो पहले चरण में 5 तारीख को सड़को पर कितने लोग होंगे ?
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20,000*100 = 20,00,000 ( 20 लाख !!)
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अब अगले पूरे सप्ताह कार्यकर्ता ट्विटर, फेसबुक, यू ट्यूब, इन्स्टाग्राम आदि की सहायता से नागरिको में प्रचार करते है कि वे भी चिट्ठी डालने आये। तो अगली बार जब ये लोग चिट्ठी डालने जायेंगे तो कितने लोग होंगे ?
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मेरा अनुमान है कि यदि किसी समय चिट्ठी डालने वालो की संख्या 20 लाख पहुँच जाती है तो अगले दफा यह संख्या लगभग 5 गुना तक बढ़ जाएगी !! 20 लाख*5 = 1 करोड़ !! और अगले प्रत्येक चरण में ये संख्या इसी अनुपात में बढती रहेगी जब तक कि सरकार लॉकडाउन को पूर्णतया समाप्त न कर दें !!
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तो सरकार कितनी संख्या सड़को पर सह सक���ी है ?
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मेरा अनुमान है कि, 1 से 5 करोड़ की संख्या को सड़को पर सहना सरकार की शक्ति से बाहर है। और यदि सरकार फिर भी इसकी अवहेलना करती है तो यह संख्या लगातार बढती जाएगी।
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सार यह है कि, जो कार्यकर्ता कहते है कि पोस्टकार्ड भेजने से कुछ नहीं होता वे जानबूझकर या अनजाने में इस बिंदु की अवहेलना करते है कि, जब करोड़ो नागरिक पीएम को चिट्ठी भेजेंगे तो डाकखानो को चिट्ठियां पीएम तक पहुँचाने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी, पीएम द्वारा चिट्ठी पढ़ना तो बहुत आगे की बात है !!
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पीएम सीधा यह पूछेंगे कि लोगो का ये हुजूम सड़को क्यों है ?
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और जवाब होगा - लॉकडाउन ख़त्म करो !!
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यदि 1 करोड़ नागरिक चिट्ठी भेजने के लिये निकल आते है तो बिना किसी प्रयास के फेसबुक पर लगभग 5 गुना, यानी 5 करोड़ वाल पर 'EndLockdownTotally' के पोस्ट घूम रहे होंगे, ट्विटर पर यह हेश निरंतर ट्रेंड कर रहा होगा और देश के विभिन्न क्षेत्रो से हजारो की संख्या में पोस्टकार्ड डालने वाले समूहों के असीमित फोटो अपलोड हो रहे होंगे !!
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और सबसे जरुरी बात, इस प्रक्रिया को किसी भी तरह से रोका नहीं जा सकेगा। क्योंकि यह मूवमेंट पूरी तरह से विकेन्द्रित होगी और इसका स्विच न तो किसी नेता के हाथ में होगा और न ही पेड मिडिया के पास !! मतलब एक बार शुरू होने के बाद यह रुकेगा नहीं !! ( A Leader less Media Less Mass Movement )
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और यह प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी होगी। सरकार एवं नागरिको के बीच कोई घर्षण नहीं होगा !! यदि यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो पेड मीडिया के प्रयोजको के पास इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है। सरकार पोस्टकार्ड आदि की सप्लाई रोक देगी, किन्तु इस मामूली समस्या का समाधान 50 पैसे के बुकपोस्ट छपवाकर किया जा सकता है। और बुक पोस्ट पर डाक टिकेट लगा दिए जायेंगे !!
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दुसरे शब्दों में, मॉस मूवमेंट खड़ा करने की अब तक खोजे गए तरीको में यह सबसे प्रभावी तरीका है।
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(2) क्या यह सब होना इतना आसान है ?
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यह सब उससे भी ज्यादा आसान है, जितना आप सोच रहे है। किसी भी कार्य को करने में 2 प्रकार की चुनौतियाँ हो सकती है :
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(2.1) व्यवहारिक समस्या
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(2.2) मनोवैज्ञानिक समस्या
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(2.1) व्यवहारिक समस्याएं : यहाँ कोई व्यवहारिक समस्या नहीं है। चिट्ठी भेजने के लिए किसी व्यक्ति को अपन नजदीकी पोस्ट ऑफिस जाकर सिर्फ 50 पैसे का एक पोस्टकार्ड खरीदना है। यदि पोस्टकार्ड न हो तो इनलेंड लेटर, या लिफाफा भी खरीद सकता है। पूरे भारत में यह उपलब्ध है !!
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पोस्टकार्ड में आपको सिर्फ एक लाइन लिखनी है -- प्रधानमंत्री जी, लॉकडाउन_पूर्णतया_समाप्त_करें
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और अपना नाम, दिनांक एवं वोटर नम���बर लिखकर इसे पोस्ट बॉक्स में गिरा देना है। यदि फोटो कॉपी की सुविधा उपलब्ध हो तो इसकी एक फोटोकॉपी करवा ले या अपने मोबाइल से इसकी एक साफ़ फोटो ले ले, ताकि आप इसे रिकॉर्ड के लिए रख सके। बस हो गया। क्या इसमें आपको किसी विशेष प्रशिक्षण, अतिरिक्त धन, अतिरिक्त ऊर्जा या अतिरिक्त समय की आवश्यकता है ? नहीं है !! तो चिट्ठी भेजने में कोई व्यवहारिक समस्या नहीं है।
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(2.2) मनोविज्ञानिक समस्याएं :
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(a) फेसबुक स्क्रोल करते हुए बेतरबीब ढंग से कमेन्ट करने की तुलना में पोस्ट बॉक्स तक की दूरी तय करने में मनुष्य को जो साधारण तकलीफ उठानी पड़ती है, कार्यकर्ता यथासंभव उससे बचना चाहते है।
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(b) कुछ कार्यकर्ता यह सोचते है कि जब काफी सारे लोग चिट्ठी भेजेंगे तो मैं भी भेजूंगा। अमुक व्यक्ति बहुधा किसी कार्य को सिर्फ तब करते है, जब काफी सारे लोग उसे करना शुरू करें, या यह ट्रेंड में आ जाए। और इस तरह शुरुआत ही नहीं हो पाती।
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(c) कई कार्यकर्ता किसी ब्रांडेड व्यक्ति या पेड मीडिया द्वारा दी गई दिशा में बढ़ने के आदि होकर ब्रेन डेड हो जाते है। अत: वे उन सभी कदमो को उठाने से बचते है जो पेड मीडिया द्वारा बताए गए तरीको में शुमार न हो।
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और इसी तरह के दर्जनों मनोवैज्ञानिक कारक इसमें और भी जोड़े जा सकते है। यदि किसी कदम को उठाने में व्यवहारिक समस्या है तो यह एक वाजिब कारण है, किन्तु मनोवैज्ञानिक कारणों का कोई हल नहीं होता। इसे व्यक्ति को स्वयं ही हल करना होता है। मतलब कोई व्यक्ति आपको कंधे पर लादकर पोस्ट ऑफिस नहीं ले जा सकता। जाना तो आपको स्वयं ही पड़ेगा।
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और जब तक कुछ कार्यकर्ता यह तकलीफ उठाकर आगे कदम नहीं बढ़ाते यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी। और शुरुआत कार्यकर्ताओ को ही करनी होगी, नागरिक इसमें काफी बाद में जुड़ना शुरू होंगे। और जितने ज्यादा कार्यकर्ता कदम उठाना शुरू करेंगे उतनी तेजी से नागरिको तक यह सूचना पहुंचेगी, और एक बार यदि नागरिक इससे सूचित हो जाते है तो वे तेजी से इसमें भागीदार बनना शुरू कर देंगे।
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और यदि आपको लगता है कि पीएम को "कहने" के लिए चिट्ठी भेजना एक कमतर तरीका है, तो कृपया हमें कोई बेहतर तरीका बताइये, जिससे हम भी पीएम को "कहने" में उसका इस्तेमाल कर सके। सिर्फ "पोस्टकार्ड भेजने से कुछ नहीं होता" का एलान पर्याप्त नहीं है। आपको इसका विकल्प भी बताना चाहिए।
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बहरहाल, यदि आप पीएम को चिट्टी भेजेंगे ही नहीं तो पीएम द्वारा आपकी चिट्ठी पढ़ने की सम्भावना शून्य है। और यदि आप पीएम को चिट्ठी भेज देते है तो पीएम इसे पढ़ भी सकते है और नहीं भी पढ़ सकते है। इसीलिए यदि आप पीएम को चिट्ठी भेजते है तो इसे पढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है।
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पीएम के दफ्तर में भेजी गयी सभी चिट्ठियों को पढ़ा जाता है, और इनका रिक��र्ड रखा जाता है। आज के 10 वर्ष पहले भी यदि किसी व्यक्ति ने कोई चिट्ठी भेजी है तो आपको प्रधानमंत्री कार्यालय में इसका रिकॉर्ड मिल जायेगा। आप चाहे तो सीधे पीएम को ट्विट करके पूछ सकते है, या आरटीआई लगाकर पता कर सकते है।
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sharpbharat · 3 months ago
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jamshedpur film lockdown ke maya- जमशेदपुर में छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘लॉकडाउन के मया‘ का पोस्टर लॉन्च,फिल्म में रोमांस, इमोशन, कॉमेडी व एक्शन का समावेश
जमशेदपुर: छत्तीसगढ़ी फिल्म लॉकडाउन के मया का पोस्टर लॉन्च बुधवार को गोलमुरी स्थित एक होटल में किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विधायक पूर्णिमा साहू और विशिष्ट अतिथि भाजपा नेता दिनेश कुमार उपस्थित रहे. फिल्म निर्माता डॉ जेके देवांगन ने बताया कि लॉकडाउन के मया आगामी 21 मार्च को जमशेदपुर के मिराज सिनेमा हॉल (गोलमुरी) में रिलीज होगी. फिल्म के सह-निर्माता डॉ प्रतिमा देवांगन, निर्देशक एवं…
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rightnewshindi · 4 months ago
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अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का बड़ा दावा, कहा, चीन की लैब से निकला था कोरोना वायरस; जानें चीन ने क्या कहा
#News अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का बड़ा दावा, कहा, चीन की लैब से निकला था कोरोना वायरस; जानें चीन ने क्या कहा
America News: डोनाल्ड ट्रंप के आते ही अमेरिकी सरकार ने अपने पुराने तेवरों को दिखाना शुरू कर दिया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने बड़ा दावा किया कि कोरोना महामारी नैचुरल नहीं लैब से निकला था। ट्रंप पहले कार्यकाल में भी कोरोना वायरस को ‘चीनी वायरस’ कहकर शी जिनपिंग सरकार पर हमला बोलते रहे हैं। अमेरिका का नया दावा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लॉकडाउन, आर्थिक संकट और लाखों मौतों के लिए जिम्मेदार…
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ashishdas15071986 · 4 months ago
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Big Announcement on Lockdown News LIVE: लॉकडाउन का ऐलान, बॉर्डर सील? | C...
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kuldeep83shewale · 5 months ago
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संत रामपाल के बेटे ने बदली दान की परंपरा, जाट महासभा को दिया ऐतिहासिक यो...
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*संत रामपाल जी महाराज जी का समाज सुधार में योगदान* (इसके संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए हैं, कृपया इन बिंदुओं के अनुसार टिप्पणियां अवश्य करें।)
• नशा मुक्त भारत बनाना :- संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग सुनने मात्र से ही आत्मा निर्मल हो जाती है और उनसे नामदिक्षा लेने से मन के सभी विकार दूर हो जाते हैं। इसीलिए उनसे जुड़ने के उपरांत आज लाखों लोगों ने नशा छोड़ा है और सुखमय जीवन व्यतीत कर रहें हैं।
• समाज से दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करना:- संत रामपाल जी के अनुयाई मात्र 17 मिनट में दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) करते हैं जिसमें दोनों पक्षों की तरफ से किसी भी चीज का लेन देन नहीं किया जाता । इसी मुहिम के तहत आज हजारों शादियां हो चुकी हैं जिससे लड़कियों को न तो समाज में बोझ समझा जाता है और कन्या भ्रूण हत्या भी खत्म होती जा रही है।
• युवाओं में नैतिक और आध्यात्मिक जागृति लाना :- युवा पीढ़ी जो आज गलत दिशा में जाती जा रही है और अपने मूल उद्देश्य से वंचित रह जाती हैं तो वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी से जुड़े युवा अध्यात्म से जुड़कर सभी विकारों से दूर अपने उद्देश्य को सफल बना रहें हैं।
• भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना :- संत रामपाल जी महाराज का कोई भी शिष्य रिश्वतखोरी और चोरी नहीं करते जिससे कि समाज में भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है।
• समय समय पर रक्तदान और देहदान जैसे कार्यक्रम आयोजित करना :- संत रामपाल जी के अनुयाई रक्तदान और देहदान कर मानव समाज की मदद कर रहे हैं।
• सतभक्ति प्रदान करके विश्व को मोक्ष प्रदान करना: ऐसे समाज सुधार के कार्य करने वाले महान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में लगभग 11 सतलोक आश्रमों में 3 दिवसीय विशाल भंडारा साल में 6 बार करवाते है।
• भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान: भ्रूण हत्या, विशेषकर कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम चलाना।
• अंतरधार्मिक सद्भावना: विभिन्न धर्मों के बीच सद्भावना और एकता को बढ़ावा देना। संत जी ने सभी धर्मग्रंथों के आधार पर एक परमात्मा की ओर ध्यान केंद्रित कर धार्मिक एकता का संदेश दिया।
• प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य
COVID-19 महामारी के दौरान सहायता: कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते हरियाणा राज्य के कई शहरों में मजदूर फंस गए थे। स्थानीय प्रशासन स्थिति को संभालने में असम��्थ हो गया था। तब संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने उन मजदूरों के रहने, भोजन, पानी और अन्य ज़रूरतों का इंतज़ाम संत जी के आश्रम में ही किया। प्रशासन को भी राहत मिली और मजदूरों को उनके घरों तक पहुँचाया गया। रास्ते के लिए भोजन और पानी की बोतलें भी संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने निःशुल्क उपलब्ध करवाईं।
• बाढ़ पीड़ितों को सहायता: 2023 में हरियाणा के 12 जिलों में भयंकर बाढ़ आई थी, जहाँ संत रामपाल जी के शिष्यों ने बाढ़ पीड़ितों को भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री ट्रैक्टरों में ले जाकर प्रदान की। संत जी के शिष्य जहां कहीं भी समाज सेवा का मौका देखते हैं, तुरंत आगे आकर सेवा कार्य में लग जाते हैं।
• रेल हादसे में सहायता: 2 जून 2023 को ओडिशा में भीषण रेल हादसा हुआ, जिसमें करीब 300 लोगों की मौत हो गई और करीब 1000 लोग घायल हो गए। इस दुख की घड़ी में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी मसीहा बनकर आगे आए। 16 जून को ओडिशा के संबलपुर में संत रामपाल जी के अनुयायियों ने 278 यूनिट रक्तदान किया और घायलों की मदद की।
• पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान चलाना जैसे कि पंजाब और मध्यप्रदेश में लाखों पौधे रोपना। इन अभियानों का उद्देश्य पर्यावरण को हरा-भरा रखना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है।
• स्वच्छता अभियान: संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा नियमित रूप से स्वच्छता अभियानों का आयोजन किया जाता है। इन अभियानों का उद्देश्य समाज को स्वच्छ और स्वास्थ्यप्रद वातावरण प्रदान करना है।
• सामाजिक समानता और न्याय
– सामाजिक न्याय का प्रसार: संत रामपाल जी ने समाज में व्याप्त असमानताओं और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को अपने अनुयायियों के बीच फैलाया।
• गरीबों और बेसह��रा लोगों की सहायता:
संत रामपाल जी के अनुयायी नियमित रूप से गरीबों और बेसहारा लोगों की सहायता करते हैं। वे भोजन, वस्त्र, और शिक्षा जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करते हैं।
• वृद्धों और अनाथों की देखभाल: संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा वृद्धों और अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं, जिससे वे भी समाज में सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
• आध्यात्मिकता के प्रति जागरूक करना: संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की वाणियों से शिक्षा देते हैं, जो व्यक्ति के भीतर बदलाव ला देती है और बुराइयों के प्रति घृणा उत्पन्न करती है।
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moviespopcorn · 5 months ago
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भीड़ फिल्म समीक्षा/रिव्यु!
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कोरोना की व्यथा और मानव त्रासदी
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Image of Rajkumar Rao lead in the Reviewed Film प्लॉट: यह फिल्म कोरोना महामारी पर बनी है जब सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था और सबको कहा था कि जो जहां पर है वहीं पर रहे पर विशेष कर मजदूर ऐसा करने में असमर्थ थे और वह पैदल ही अपने गंतव्य की तरफ निकल गए थे बीच में एक जगह पुलिस चेक पोस्ट पर उन सभी को रोक दिया जाता है और आगे क्रॉस करने नहीं दिया जाता? क्या वह चेक पोस्ट क्रॉस कर पाएंगे? क्या वह सभी अपने घर तक पहुंच पाएंगे? जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: यह फिल्म सोशल ड्रामा टोन पर बनाई गई है, फिल्म की थीम मानवता और त्रासदी पर आधारित है, इस यह फिल्म यह सामाजिक संदेश देती है कि समाज में बदलाव के लिए अपना योगदान कैसे दे सकते हैं, जातियों पर भी कटाक्ष किया गया है सामाजिक और जाति भेदभाव भी दिखाया गया है| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: सूर्यकुमार सिंह की भूमिका में राजकुमार राव ने शानदार अभिनय किया है एक पुलिस इंस्पेक्टर का रोल उन्होंने अत्यंत ईमानदारी से निभाया, उनका अभिनय अव्वल दर्जे का है वह जिस रोल को भी निभाते हैं अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं पूरी फिल्म उनके कंधों पर ही चलती हैं| रेनू शर्मा की भूमिका में भूमि पेडणेकर का अभिनय भी औसत दर्जे का ही कहा जा सकता है उनके रोल की लंबाई ज्यादा लंबी नहीं है पर जितना भी उनको रोल मिला उन्होंने अच्छे से निभा दिया| बलराम त्रिवेदी की भूमिका में पंकज कपूर का अभिनय भी अच्छा है उन्होंने एक क्रोध से भरे ऐसे इंसान का किरदार निभाया है जो किसी भी तरह से अपने घर पहुंचना चाहता है| Supporting Casts में आशुतोष राणा, दिया मिर्जा, कृतिका कामरा, आदित्य श्रीवास्तव, वीरेंद्र सक्सेना और ओमकार दास मानिकपुरी ने भी फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने में मदद में मदद की| डायरेक्शन: इस फिल्म को अनुभव सिन्हा ने निर्देशित किया है इस फिल्म से पहले इन्होंने मुल्क,आर्टिकल 15 और थप्पड़ जैसी अनेक संवेदनशील फिल्में निर्देशित की है| इसमें कुछ फिल्में सफल रही साथ ही में कुछ फिल्मों को पुरस्कार और कुछ को अवार्ड नॉमिनेशन भी मिले| इस फिल्म को भी उन्होंने बहुत अलग तरह से निर्देशित किया है, उन्होंने एक अलग तरह की कहानी को बहुत अच्छे से और सरल तरीके से बताने का प्रयास किया है, फिल्म की गति भी तेज है, दर्शक फिल्म से शुरू से लेकर अंत तक जुड़ा हुआ रहता है| स्क्रीनप्ले और डायलॉग: अनुभव सिन्हा, सौम्या तिवारी और सोनाली जैन के अच्छे और दमदार हैं, फिल्म की कहानी के अनुसार लिखे गए हैं, पटकथा भी अच्छे से लिखी गई है| सिनेमाटोग्राफी: सौमिक मुखर्जी की अच्छी है एरियल व्यूज दृश्य अच्छे बन पड़े हैं, इतनी भीड़ को कैमरे पर कैद करना इतना आसान नहीं होता पर उन्होंने अच्छे से किया है| प्रोडक्शन डिजाइन: निखिल कोवले का अच्छा है फिल्म की कहानी के अकॉर्डिंग है साउंड डिजाइन: अनिता ���ुशवाहा का बहुत ही दमदार है आप छोटी-छोटी चीजों को भी भारतीयों से सुन सकते हैं ऑडियो साउंड में बहुत क्लेरिटी है कॉस्ट्यूम डिजाइन: विशाखा विजय कुल्लवार के बढ़िया है ज्यादा स्कोप नहीं था एक्शन:रियाज-हबीब का संतुलित है बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े का बहुत मजबूत और दमदार है म्यूजिक: अनुराग सैकिया का ठीक-ठाक है लिरिक्स: शकील आज़मी और डॉ सागर का ठीक-ठाक है क्लाइमैक्स: फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत अच्छा बन पड़ा है ओपिनियन: वन टाइम वॉच! जो ऑफबीट फिल्मों को देखना पसंद करते हैं वह एक बार देख सकते हैं| फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: इस फिल्म को बेस्ट एक्टर, बेस्ट फिल्म क्रिटिक्स, बेस्ट स्टोरी, और बेस्ट साउंड डिजाइन के नॉमिनेशंस मिले थे| Flaws: दिया मिर्जा के रोल की जरूरत नहीं थी उनके रोल को काटा जा सकता था| राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर के इंटिमेसी और फिजिकल रिलेशन वाले दृश्य जबरदस्त ठूँसे गए हैं एक तरफ तो आप ऑफबीटऔर सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे दृश्य डालने की कोई जरूरत नहीं थी माता-पिता इस एक दृश्य के कारण बच्चों के साथ फिल्म नहीं देख सकते, अगर बच्चे छोटे हैं तो बिलकुल भी नहीं| जातीय वाले कांसेप्ट को कहानी में डालकर डायलॉग्स के माध्यम से सही संदेश दिया गया है और कटाक्ष भी किया गया है | मुसलमानों के साथ भेदभाव दिखाया गया है जो कि नहीं दिखाना चाहिए था| मुसलमानों के साथ जोड़कर यह बताया गया है कि कोरोना का कोई धर्म नहीं होता| Filmcast: Rajkumar Rao, Bhumi Padnekar, Dia Mirza, Ashutosh Rana, Aditya Srivastava, Pankaj Kapoor, Kritika Kamra, Veerendra Saxena Producer and Director: Anubhav Sinha, Story: Anubhav Sinha, Screenplay and Dialogues: Anubhav Sinha, Saumya Tiwari, Sonali Jain Cinematography: Soumik Mukherjee, Editor: Atanu Mukherjee, Production Design: Nikhil Kovale, Sound Design: Anita kushwaha Casting Director: Mukesh Chhabra, Costume Design: Visahka Vijay kullarwar, Script Consultant: Anjum Rajabali Action: Riaz-Habib, Background Score: Mangesh Dhakde, Music: Anurag Saikia, Lyrics: Shakeel Azmi, Dr.Sagar CBFC-U/A Movietime-2h.4mins Genre-Social Drama Backdrop-Lucknow (UP) Release Year-2023 Read the full article
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danzer91 · 6 months ago
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न बिजली न पानी, प्रार्थना करें, की गई अपील, लगा लॉकडाउन, दृश्य भविष्य का।
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jagoindiajagonews · 6 months ago
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Pakistan Air Pollution: Lahore में प्रदूषण से बिगड़े हालात, AQI 1100 के पार, हजारों लोग पहुंच रहे अस्पताल, लगाया जा सकता पूर्ण लॉकडाउन
Pakistan Lahore Air Pollution l Air Quality l AQI
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manvadhikarabhivyakti · 9 months ago
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महायुति या महा विकास अघाड़ी - महाराष्ट्र में महिला सुरक्षा की तस्वीर अपरिवर्तित
कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में कमी नहीं आई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार के कार्यकाल के दौरान, महाराष्ट्र में हर दिन औसतन 109 महिलाएं अत्याचार का शिकार हुईं। दुर्भाग्य से, स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। बदलापुर के एक स्कूल…
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bihar-ujala · 10 months ago
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कोरोना के बाद अब आया Chandipura Virus, ले रहा है बच्चों की जान
Chandipura Virus: बरसात के मौसम की शुरुआत होने के साथ ही अब देश में कई तरह के वायरस का फिर से प्रकोप देखने को मिला है. कोरोना काल आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं, जिसमें न जाने कितने लोगों ने अपनों को खोया और कई लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए और कितने महीनो तक देश में लॉकडाउन लग रहा. अब इसी तरह एक नए वायरस ने देश में दस्तक दे दी है जिसका नाम चांदी पुरा वायरस (Chandipura Virus) है. अभी तक यह कई…
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yojanasblog · 10 months ago
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राजस्थान प्रवासी नागरिक वापसी योजना: जाने ऑनलाइन आवेदन कैसे करे?
आप सभी जानते हैं कि कुछ समय पूर्व Covid19 आया था जिसके कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगा था। कई हज़ारों मज़दूर अलग अलग राज्य में फंसे हुए थे। वह मजदूर अपने घर को छोड़कर दूसरे राज्यों में फंसे थे। उन्हीं मजदूरो का ध्यान रखते हुए राजस्थान सरकार ने राजस्थान प्रवासी नागरिक वापसी योजना की शुरुआत की थी। सरकार ने उन्हीं फंसे हुए मज़दूरों के लिए एक पोर्टल की शुरुआत किया था जिसका नाम ई मित्र पोर्टल था। इस…
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dainiksamachar · 11 months ago
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ताऊ की मर्जी के आगे बनी बाल वधू, पेपर से ठीक पहले हुआ बच्चा... दिल छू लेगी डॉक्टर रूपा यादव की कहानी
नई दिल्ली: आठ साल... हां यही उम्र थी रूपा की, जब परिवार के लोगों ने उसकी शादी कर दी। उस वक्त तो शायद उसे शादी शब्द के मायने भी ना पता होंगे। वो उम्र तो उसके लिए खेलने की थी। अपने बचपन को जीने की थी लेकिन उसके ताऊजी ने उसके ससुर से बहुत पहले ही वादा कर दिया था कि रूपा और उसकी बड़ी बहन रुक्मा की शादी उनके दोनों बेटों से ही होगी। पिता तो रूपा को अभी पढ़ाना चाहते थे लेकिन अपने बड़े भाई के वादे के सामने मजबूर थे। और आखिरकार उस छोटी सी उम्र में ही रूपा की शादी कर दी गई। अब रूपा केवल गौना होने तक अपने मायके में रह ��कती थी।ये कहानी है राजस्थान में करीरी गांव की रहने वाली रूपा यादव की। उस रूपा की, जिसे कभी बाल वधू कहकर पुकारा गया। वो रूपा, जिसके दिल में अरमान थे कि वो एक एमबीबीएस डॉक्टर बने, लेकिन परीक्षाओं के दिनों में ही वो गर्भवती हो गई। जिसकी पढ़ाई-लिखाई के लिए परिवार को कर्ज तक लेना पड़ गया। और एक दिन यही रूपा अपने गांव में डॉक्टर बनकर लौटी। उन सभी तानों को उसने अपनी सफलता से जवाब दे दिया, जिनमें कहा जाता था कि लड़की है, इसे इतना पढ़ाना ठीक नहीं। 12वीं हो गई, बस काफी है, अब घर बिठाओ। 10वीं में आए इतने नंबर, गांव में मच गया हल्ला हालांकि, एक छोटे से गांव की बाल वधू से डॉक्टर बिटिया बनने तक की उसकी राह भारी मुश्किलों से भरी थी। उनके पिता मालीराम यादव को अपनी बेटी पर शुरुआत से ही नाज था और चाहते थे कि अभी वो बस पढ़ने-लिखने पर ध्यान दे। लेकिन जब सुना कि उनके बड़े भाई ने रूपा की शादी का वादा कर दिया है, तो कुछ ना कह सके। हालांकि, मायके में रहते हुए रूपा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 86 फीसदी नंबरों के साथ 10वीं की परीक्षा पास कर ली। रूपा की इस सफलता पर पूरा गांव हैरान था। इससे पहले लड़की तो छोड़िए, कोई लड़का भी इतने अच्छे नंबर लेकर नहीं आया था। जीजा ने किया वादा, रूपा की पढ़ाई नहीं रुकेगी अलग-अलग संस्थाओं ने रूपा को सम्मानित किया। स्कूल से भी उन्हें पुरस्कार मिले और टीचरों ने सलाह दी कि इस बच्ची को खूब पढ़ाइए। लेकिन उसी दौरान उनके ताऊजी के वादे के मुताबिक, रूपा के गौने का समय आ गया। उसके पिता नहीं चाहते थे कि रूपा अभी से ससुराल चली जाए, लेकिन उसकी बड़ी बहन रुक्मा के पति ने वादा कर दिया कि चाहे जो हो जाए, ससुराल में रूपा की पढ़ाई नहीं रुकेगी। रूपा ससुराल पहुंची, तो उसके जीजा ने अपना वादा निभाया और दो साल बाद ही शानदार नंबरों के साथ उसने 12वीं की परीक्षा भी पास कर ली। परिवार ने लिया कर्ज और आगे बढ़ने लगी रूपा रूपा की सफलता पर उसके स्कूल टीचरों ने ससुराल के लोगों को बुलाया और कहा कि उसे डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए नीट की तैयारी करनी चाहिए। ससुराल के लोग मान गए। रूपा की काबिलियत को देखकर कोचिंग सेंटर ने भी उसे नीट की तैयारी बिना फीस कराने का ऑफर दे दिया। बस फिर क्या था, रूपा ने बीएससी में एडमिशन लिया और साथ ही नीट की तैयारी में जुट गई। अपने पहले प्रयास में रूपा को 22000वीं रैंक मिली। परिवार ने फैसला किया कि उसे अब कोचिंग के लिए कोटा भेजना चाहिए। घर की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी लेकिन परिवार ने कर्ज लेकर रूपा को कोचिंग कराई। रूपा का सपना और परिवार का सपोर्ट ��ालांकि, इस बीच उन्हें ताने भी सुनने पड़े। लोगों ने कहा कि एक लड़की को इतनी ऊंची पढ़ाई के लिए घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए था। लेकिन उनके और जीजा ने रूपा को खूब सपोर्ट किया। यहां तक कि ज्यादा घंटों तक काम भी किया, ताकि रूपा की पढ़ाई में कोई आर्थिक दिक्कत ना आए। उनके परिवार को सपोर्ट रंग लाया और तीन साल की मेहनत के बाद रूपा को साल 2017 में बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया। एमबीबीएस की पढ़ाई के शुरुआती दो साल ठीक से बीते, लेकिन तीसरे साल में कोरोना वायरस महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन लग गया और रूपा को घर लौटना पड़ा। आधे टाइम में पूरा किया 3 घंटे का पेपर इस बीच प्री-फाइनल परीक्षा से पहले रूपा गर्भवती हो गईं। अब रूपा के सामने दो विकल्प थे - या तो वो मां बनें या अपने करियर को चुनें। रूपा ने फैसला लिया कि वो अपनी इन दोनों जिम्मेदारियों को निभाएगी। रूपा की बेटी महज 25 दिन की थी, जब उसे प्री-फाइनल परीक्षा देनी थी। इस मोड़ पर उसकी बहन और सास ने रूपा की नन्हीं बेटी की देखभाल की और रूपा फिर से बढ़िया नंबर लाने में सफल रही। रूपा बताती हैं कि उनका फाइनल पेपर ठीक उस दिन पड़ा, जिस दिन उनकी बेटी का पहला जन्मदिन था। उन्होंने 3 घंटे का पेपर आधे वक्त में पूरा किया, बस से घर पहुंची और अपनी बेटी का जन्मदिन मनाया।28 अप्रैल 2022 को उनका रिजल्ट घोषित हुआ और गांव की रूपा अब बन गईं। रूपा चाहती हैं कि वो अपने उसी गांव में एक अस्पताल खोलें, जहां उन्होंने डॉक्टर बनने के सपने को साकार किया। उनके इसे सपने को पूरा करने के लिए ससुराल वाले भी पूरी तरह साथ… http://dlvr.it/T92WGw
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