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#बहुराष्ट्रीय कंपनियां
arjunsingh66 · 5 months
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अर्जुन सिंह विश्लेषण: OpenAI कैसे Google के खोज प्रभुत्व को चुनौती देता है
तीव्र तकनीकी प्रगति के साथ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का क्षेत्र लगातार अपनी अनुप्रयोग सीमाओं का विस्तार कर रहा है। हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि सिंगर फाइनेंस अकादमी के अर्जुन सिंह चैटजीपीटी-आधारित खोज इंजन उत्पाद OpenAI के आगामी लॉन्च पर बारीकी से नजर रखते हैं। यह कदम न केवल खोज क्षेत्र में Google के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक खोज इंजन बाजार के प्रतिस्पर्धी परिदृश्य को बदलने की भी क्षमता रखता है। अर्जुन सिंह बताते हैं कि यह अभिनव कदम केवल एक तकनीकी प्रदर्शन नहीं है, बल्कि सूचना तक पहुंचने के तरीके में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन भी है।
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AI-संचालित खोज प्रौद्योगिकी और बाजार प्रतिक्रिया
अर्जुन सिंह ने नोट किया कि OpenAI इस सप्ताह एक चैटजीपीटी-आधारित खोज इंजन उत्पाद जारी करने की योजना बना रहा है, जो सीधे Google खोज इंजन अल्फाबेट इंक को लक्षित करेगा। सिंह का उल्लेख है कि इस उत्पाद की विशिष्ट विशेषता उपयोगकर्ताओं को चैटजीपीटी पर प्रश्न पूछने और विकिपीडिया और ब्लॉग पोस्ट जैसे विभिन्न स्रोतों के आधार पर उत्तर प्राप्त करने की अनुमति देने की क्षमता है। इसके अलावा, OpenAI की रणनीति का लक्ष्य न केवल बाजार हिस्सेदारी बढ़ाना है बल्कि अपने उत्पाद की कार्यक्षमता और उपयोगकर्ता अनुभव को भी बढ़ाना है।
सिंह का मानना है कि इस नई तकनीक पर बाजार की प्रतिक्रिया बहुआयामी होगी। सबसे पहले, तकनीकी नवाचार के दृष्टिकोण से, AI खोज इंजन अधिक सटीक और व्यापक जानकारी प्रदान कर सकते हैं, जो तकनीकी उत्साही और पेशेवरों का व्यापक ध्यान आकर्षित करेगा। दूसरे, प्रतिस्पर्धियों की प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में, Google खोज इंजन बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखने के लिए अपने AI प्रौद्योगिकी अनुसंधान और अनुप्रयोग में तेजी ला सकता है। इस बीच, अन्य छोटी तकनीकी कंपनियां भी इस तकनीकी क्रांति में अपनी जगह बनाने के लिए नवाचार के माध्यम से सफलता की तलाश कर सकती हैं।
पारंपरिक खोज इंजनों पर तकनीकी प्रगति का प्रभाव
अर्जुन सिंह के दृष्टिकोण से, खोज इंजन क्षेत्र में AI प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास न केवल प्रौद्योगिकी में उन्नयन है, बल्कि संपूर्ण सूचना खोज उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र का गहरा परिवर्तन भी है। सिंह का सुझाव है कि Google जैसे पारंपरिक खोज इंजन लंबे समय से कीवर्ड मिलान तकनीक पर निर्भर रहे हैं, जबकि AI खोज इंजन उपयोगकर्ता की क्वेरी के इरादे और संदर्भ को समझकर उत्तर प्रदान करते हैं, जिससे संभावित रूप से उपयोगकर्ता अनुभव में उल्लेखनीय अंतर पैदा होता है।
सिंह बताते हैं कि उपयोगकर्ताओं के लिए, AI सर्च इंजन के उद्भव से उन्हें तेज और अधिक सटीक खोज परिणामों की उम्मीद हो सकती है। यह पारंपरिक खोज इंजन निर्माताओं को भविष्य की प्रतिस्पर्धा में हाशिए पर जाने से बचने के लिए तकनीकी नवाचार की गति में तेजी लाने के लिए मजबूर करेगा। इसके अतिरिक्त, सिंह का विश्लेषण है कि इस तकनीक के प्रसार से उपयोगकर्ताओं की एकल खोज इंजन पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे बाजार में विविधता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ सकती है।
AI खोज प्रौद्योगिकी का भविष्य और संभावित चुनौतियाँ
AI खोज तकनीक की भविष्य की संभावनाएं असीमित संभावनाओं से भरी हैं लेकिन कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। सिंह का मानना है कि निरंतर तकनीकी प्रगति के साथ, AI खोज इंजन जटिल प्रश्नों को समझने और व्यक्तिगत उत्तर प्रदान करने में अधिक कुशल हो जाएंगे। इससे उपयोगकर्ता अनुभव में काफी वृद्धि होगी और उपयोगकर्ताओं द्वारा जानकारी तक पहुंचने के तरीके में बदलाव आ सकता है।
सिंह बताते हैं कि AI सर्च इंजन के व्यापक अनुप्रयोग से सूचना के त्वरित संचार और ज्ञान के तेजी से प्रसार की सुविधा मिलेगी, लेकिन यह सूचना सुरक्षा और व्यक्तिगत गोपनीयता सुरक्षा के लिए गंभीर परीक्षण भी लाता है। जैसे-जैसे खोज इंजनों पर उपयोगकर्ताओं की निर्भरता बढ़ती है, उपयोगकर्ता डेटा को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और संरक्षित करना डेवलपर्स के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाएगा। इसके अतिरिक्त, सिंह ने उल्लेख किया है कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में AI प्रौद्योगिकी की स्वीकृति और नियामक वातावरण में अंतर हैं, जो AI खोज प्रौद्योगिकी के वैश्विक प्रचार और अनुप्रयोग को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और डेवलपर्स को यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न देशों में नीति रुझानों की बारीकी से निगरानी करने की आवश्यकता है कि उनके उत्पाद और सेवाएं स्थानीय नियमों का अनुपालन करती हैं।
अंत में, सिंह इस बात पर जोर देते हैं कि AI खोज इंजन बड़ी क्षमता प्रदर्शित करते हैं, लेकिन उनके दीर्घकालिक विकास को प्राप्त करने के लिए उद्योग को नैतिक और कानूनी मुद्दों को उचित रूप से संबोधित करते हुए तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना जारी रखना होगा। तभी AI खोज तकनीक भविष्य की प्रतिस्पर्धा में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रख सकती है, वैश्विक उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित, अधिक सुविधाजनक और बुद्धिमान खोज सेवाएं प्रदान कर सकती है।
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studyara · 10 months
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव की चर्चा कीजिए |
उत्तर -
भूमिका :- वर्तमान समय में बहुराष्ट्रीय निगमों का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है | अधिकांश नवीन राजनीति व अर्थशास्त्र के लेखकों को यह बात आश्चर्यजनक प्रतीत होती है, पर इतिहास के विद्यार्थी इस तथ्य से परिचित हैं कि पिरामिड में पाई जाने वाली बहुत सी वस्तुएं भारत की थी तथा रोम से भारत का व्यापार होता था | मध्यकाल में अरब और ईरानी भारत से व्यापार करते थे तथा ईस्ट इंडिया कंपनी, फ्रेंच और डच व्यापारिक कंपनियों ने व्यापार विस्तार में उल्लेखनीय भूमिका उस समय निभाई थी, परंतु अब अधिकांश वस्तुएं भारत के बाहर की होती है भारत में और भारत जैसे अनेक विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों का बोलबाला बहुत तेजी से बढ़ रहा है | इसके हमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव देखने को मिलते हैं कुछ विद्वान  बहुराष्ट्रीय निगमों के फायदे को गिनाते हैं, तो वहीं कुछ इससे होने वाले नुकसानों  पर जोर देते हैं | बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों के संप्रभुता को हानि हुई है | विकासशील और अल्पविकसित देशों के संसाधनों को भी बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है | वही दूसरी ओर बहुराष्ट्रीय निगमों से फायदे के रूप में रोजगार के अवसर और बेहतर उपभोक्ता वस्तुओं कि उपलब्धता को बताया जाता है |
बहुराष्ट्रीय निगमों की परिभाषा
जो कंपनियां या निगम मूल रूप से एक देश में स्थापित होकर अन्य देश में अपनी शाखाओं का विस्तार करता है तथा वस्तुओं का निर्माण और व्यापार करता है, वह बहुराष्ट्रीय निगम कहलाता है | जैसे- कोका कोला या पेप्सी, कोलगेट, लीवर ब्रदर आदि |
पूंजी की विशालता, प्रचुरता व अनुभव और दक्षता के कारण इनका निरंतर विस्तार हो रहा है | ये बहुराष्ट्रीय निगम संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, हाॅलैंड, जर्मनी, जापान, कनाडा व दक्षिण कोरिया आदि देशों के हैं |
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर सकारात्मक प्रभाव -
बहुराष्ट्रीय निगम क्षमता में आश्चर्यजनक विश्वास प्रदर्शित करते हैं, कम दाम पर अधिक और अच्छा उत्पादन प्रस्तुत करते हैं, इसलिए इन उत्पादों के लिए तीव्रता से सार्वभौमिक मांग पैदा हुई है | बहुराष्ट्रीय निगम के सकारात्मक पहलुओं  में अटल विश्वास के लिए प्रमुख कारण बहुराष्ट्रीय निगमों की कार्य क्षमता है | बहुराष्ट्रीय निगम रोजगार के नए अवसर पैदा करता है, विकसित प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करता है तथा विश्व के विकसित देशों में स्थानीय नागरिकों को आधुनिक प्रबंधन की कला और विज्ञान में निपुण बनाने का कार्य करता है | बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियां उत्पादन और वितरण प्रक्रिया का अंतरराष्ट्रीयकरण करती है | इन्होंने राष्ट्रीय राज्य के अपने प्रबंधकों और कर्मचारियों की 'अंध देशभक्ति' या 'अन्ध राष्ट्रभक्ति' से दूर रखा है, इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विश्व के अच्छे नागरिक साबित हुए हैं | बहुराष्ट्रीय निगम विश्व कानून और सरकार के माध्यम से विश्व शांति और विकास का मार्ग तैयार करते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम का अत्याधिक शक्तिशाली तर्क यह है कि उन्होंने अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर पहुंचा दिया और उन्हें सुविधाओं के साथ सम्मिलित कर दिया है इसलिए अंतरराष्ट्रीय युद्धों का व्यवहार अपने आप में प्रचलित हो गया है अंटार्कटिक समुदाय धोखा एंकर और विध्वनशक युद्ध होगा साक्षी है परंतु अब बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियों के लाभदायक विकास के परिणाम स्वरूप पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया है जो कि क्षेत्र में क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया भी सफल हो गई है बहुराष्ट्रीय निगम उत्साह का तर्क है कि अंतः निर्भरता में विकास होने तथा आपसी प्रतियोगिता का आज अंटार्कटिक देशों में विकास हुआ है इसलिए कहा जा सकता है कि अमेरिका और कनाडा या फ्रांस और जर्मनी के बीच युद्ध जैसी घटना होना असंभव है |
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर नकरात्मक प्रभाव-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमंडलीय निगमित गतिविधियों के साथ समस्याओं की व्यापक क्षेत्रों में पहचान की गई है केवल तीसरी दुनिया या विकासशील देशों ने ही नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय निगमों के ऊपर विकसित देशों ने भी आशंका व्यक्त की है | विकसित भागों में बहुराष्ट्रीय निगमों के कार्यों के गंभीर निहितार्थ के संबंध में लगातार चिंता व्यक्त की जाती रही है | पश्चिमी देशों के अनेक संगठित मजदूर संघों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने संयंत्रों को वहीं स्थापित करते हैं, जहां पर सस्ते श्रमिक मिलते हैं | इनके इस परिचालन के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और विश्व के अन्य विकसित देशों में बेरोजगार की गंभीर समस्या पैदा हो गई है | बार्नेट और मूलर विद्वानों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम बहुत ही शक्तिशाली मानव संगठन है और यह भविष्य में उपनिवेश निर्माण के साधन के रूप में कार्य करेगा | बहुराष्ट्रीय निगमों पर वह सीधे प्रहार करते हुए कहते हैं कि इनसे विश्वशांति और समृद्धि थी कल्पना करना व्यर्थ है | बार्नेट और मूलर तर्क देते हैं कि व्यापक भुखमरी, अत्यधिक बेरोजगारी और व्यापक असमानता जैसी गंभीर समस्याओं के संबंध में इस तरह की निगमों के पास कोई कार्यक्रम अथवा कोई एजेंडा नहीं है | यहां पर मुख्य विवाद यह है कि बहुराष्ट्रीय निगम छुपे हुए जमीदार की तरह है, जो सबसे पहले अपने लाभ की चिंता करते हैं, वे बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं के बारे में गंभीर या संवेदनशील नहीं है | इसके अति विशाल और सम्मोहन विज्ञापन अभियानों के कारण यह कंपनियां विकासशील देशों के लोगों की पसंद और उनके जीवन शैली को ही नष्ट नहीं कर रही, बल्कि उनको ऐश्वर्य की वस्तुओं का आदि बनाकर उन्हें आवश्यकता के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं | सामाजिकता के व्यापक और गंभीर मुद्दों जैसे कि पोषण, स्वच्छ वायु और सार्वजनिक स्वास्थ्य को इन निगमों ने कभी नहीं उठाया और न ही इन पर कुछ काम किया है | इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में संदेह की दृष्टि से देखे जाते हैं |
बह��राष्ट्रीय निगम भविष्य में घोर असमानता, व्यापक बेरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसी समस्याओं को उत्पन्न करेगा और यह किसी भी विकासशील देश के लिए विनाशकारी साबित होगा | बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में अपने उद्योगों को स्थापित करते हैं और विकासशील देशों को लाभ का कम अंश देकर अधिकांश लाभ स्वयं रख लेते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम अल्प विकसित या विकासशील देशों के लिए पर्यावरणीय रूप से भी अत्यधिक हानिकारक है |
निष्कर्ष :- बहुराष्ट्रीय निगम बहुत तेजी से बढ़े हैं तथा यह बहुराष्ट्रीय गतिविधियों को धन व विस्तार के कारण प्रभावित करते हैं तथा अपने उद्गम वाले राज्यों व मुख्यालय के आदेशों का पालन करते हैं | उन राज्यों के आदेशों की अनदेखी करते हैं, जहां इनकी शाखाएँ हैं  तथा राज्य के नियम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नैतिकता के विरुद्ध है | उनका पालन राज्य संप्रभु होते हुए भी नहीं करवा सकता | जैसे- बहुराष्ट्रीय निगम की संपत्ति को भारत में संपत्ति का मूल अधिकार न होते हुए भी बिना मुआवजा दिए छीना नहीं जा सकता और न निगम के विदेशी स्वामी या अधिकारी का मुख्यालय आदि दूसरे देश में है, तो बंदी बनाया जा सकता है | अत: फासीवादी विचारकों का मत है कि इससे राज्य की संप्रभुता को हानि पहुंची है | परंतु उदारवादी विचारकों का मत है कि बहुराष्ट्रीय निगमों से अंतरराष्ट्रीयता और विश्वशांति को प्रोत्साहन मिला है तथा बहुराष्ट्रीय निगमों के भूमंडलीय निगमित गतिविधियों द्वारा शांति और समृद्धि के नव स्वर्ण युग का श्रीगणेश हुआ है |
दोनों से उनके मालिकों, अधिकारियों तथा शिक्षित कर्मचारियों को तो लाभ हुआ है, परंतु निर्धन देशों और निर्धन और अशिक्षित व्यक्तियों को तथा छोटे उद्योग -धंधों को हानि पहुंची है तथा बेकारी बढी है और अविकसित देश ऋणी हो जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रभाव में आ गए हैं तथा उनकी संप्रभुता में कमी आई है |
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janganmanindia · 1 year
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#नूह #दंगों के बाद क्या #इंद्रजीत #भाजपा से ही #चुनाव लड़ेंगे? Dilemma of Rao #inderjit #gurgaon
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#wipro , #accenture , #google , #infosys , #americanexpress . #Ernst&Young. #nokia . #genpact . #samsung and #dell ये 10 बड़ी बड़ी #बहुराष्ट्रीय #कंपनियां है जिनके दफ्तर #गुडगाँव में है. #टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार लगभग 4,50,000 #करदाता लगभग 40,000 करोड़ रुपये का टैक्स #गुड़गांव में देते हैं. इसमें से लगभग 10,000 करोड़ रुपया तो #टेक्नोलॉजी की कंपनियां ही देती है. #नुहूं के #दंगों ने गुड़गाँव के व्यापार विस्तार पर एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. पिछले दिनों #विध्वंस का जो तांडव हुआ वो अपने आप में एक कहानी है उस उन्माद की जो नए #भारत की संभावित तस्वीर की ओर इशारा कर रहा है. ऐसे में इन कंपनियों के सामने सवाल है की गुड़गांव में कब तक #व्यापार किया जाए या टिका जाए. एक #दंगा, दंगा ही नहीं होता बल्कि #सामाजिक #आर्थिक #परिवेश को #दहला देने का काम भी करता है. इसी उहापोह में #2024 में गुड़गांव #संसदीय #क्षेत्र का #चुनाव होना है. राव #इंद्रजीत को संभवतः खबर है नुहूं दंगों मैं किसका हाथ है. उनकी बेचैनी उनके बयानों से मालूम होती है. उनके चुनाव क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो #मुसलमान #वोटो वाले हैं. ऐसे में दंगों की आग में ढेर हुए मलबे पर कैसे वोट मांगी जाए. कशमकश जारी है/ राव इंद्रजीत सिंह/ इन बदली हुई परिस्थितियों में #भारतीयजनतापार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ेंगे या नहीं आने वाला वक्त ही बताएगा/ नुहूं दंगों की तपिश पर राव इंद्रजीत कैसे अपनी #विजय का #परचम लहराएंगे ? ================================================ Jan Gan Man India YATRA… A saga of Indianness Jan Gan Man India में सहभागी बनने के लिए Click करें: https://bit.ly/45GtsRK आप भी हमारे लिये Content Creator बन सकते हैं या फिर आप भी Team Jan Gan Man India का हिस्सा बन सकते हैं. सम्पर्क करें : [email protected] OUR OBJECTIVE Jan Gan Man India एक अनवरत यात्रा है लोगों से Connect करने की, जहां हम लोगों की अलग-अलग क्षेत्रों में उनकी राय-विचार, अनुभव, सामूहिक चर्चा, सामाजिक मुद्दों के समाधान पर बातचीत करेंगे. हमारा मक़सद भारत वासियों के सहयोग से भारत के प्रत्येक ज़िले, शहर और गाँव तक पहुँचना है, जिससे लोगों से सीधे सम्पर्क किया जा सके और बिना लाग लपेट उनकी बात रखी जा सके. You can find us here also… Instagram: https://www.instagram.com/janganmanindia/ Facebook: https://www.facebook.com/JanGanManIndiaOfficial/ Twitter: https://twitter.com/JanGanManInd Website: https://janganmanindia.com/ Disclaimer : All the views or opinion stated by people on this YouTube Chanell is their own. Jan Gan Man India is not responsible for this either now or future. ©copyright reserved to @JanGanManIndia Read the full article
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krish3005 · 2 years
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महिंद्रा समूह द्वारा वित्त पोषित स्टार्टअप्स की सूची 
महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह एक प्रतिष्ठित भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है। महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी। समूह के संस्थापक जेसी महिंद्रा और केसी महिंद्रा और मलिक गुलाम मुहम्मद हैं जिन्होंने महिंद्रा और मोहम्मद के नाम से इस समूह की शुरुआत की थी। भारत के विभाजन के बाद, मलिक गुलाम मुहम्मद ने कंपनी छोड़ दी और पाकिस्तान आ गए, फिर बाद में वर्ष 1948 में, के.सी. महिंद्रा ने “मोहम्मद एंड महिंद्रा” से “महिंद्रा एंड महिंद्रा” का नाम बदल दिया। 
वर्तमान में, महिंद्रा समूह ने स्टील, एयरोस्पेस, वाणिज्यिक वाहनों, घटकों, रक्षा, रसद, रियल एस्टेट, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि व्यवसाय, आदि जैसे कई व्यवसायों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। महिंद्रा एंड महिंद्रा को बीस सबसे बड़ी सूची में गिना जाता है। भारत में कंपनियां। महिंद्रा समूह न केवल अपने व्यावसायिक दृष्टिकोण के लिए बल्कि के.सी. के माध्यम से सक्रिय भागीदारी के लिए भी जाना जाता है। सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के क्षेत्र में महिंद्रा ट्रस्ट। प्रोजेक्ट नन्ही कली (युवा लड़कियों की शिक्षा के लिए लक्षित) और महिंद्रा हरियाली अभियान (दस लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य) सीएसआर गतिविधियों में समूह की सक्रिय और व्यापक भागीदारी को दर्शाता है। 
To read more click the link shown below.
https://jugaadinnews.com/list-of-startups-funded-by-mahindra-group/
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abhinews1 · 2 years
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साटा विकास प्रा. लि. कंपनी में नौकरी पाने वाले संस्कृति विवि के छात्र विवि के अधिकारियों के साथ
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साटा विकास प्रा. लि. कंपनी में नौकरी पाने वाले संस्कृति विवि के छात्र विवि के अधिकारियों के साथ
संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को साटा विकास कंपनी में मिली नौकरी मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ डिप्लोमा इंजीनियरिंग के 29 विद्यार्थियों को देश की नामचीन कंपनी साटा विकास प्रा.लि. ने अपने यहां नौकरी दी है। संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को देश में तेजी से आगे बढ़ती कंपनियां और बहुराष्ट्रीय कंपनियां लगातार नौकरियां दे रही हैं। हाल ही में संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को मैजिक पिन, जेबीएम ग्रुप, हाईटेक इन्फ्रा प्रमोटर्स प्रा.लि. ने अपनी कंपनियों के लिए चयनित किया है। देश की प्रमुख मेटल कंपनी साटा विकास प्रा.लि. ने कैंपस प्लेसमेंट के दौरान इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल डिप्लोमा इंजीनियरिंग पूरा करने वाले ब्रजेश सिसोदिया, ब्रज किशोर, योगेश, रवि पांचाल, रवि कुमार, मनीश शर्मा, प्रवीन कुमार, दिलशाद खान, अमित सिंह, राकेश रावत, कृष्ण गोपाल, शिवम कुमार उपाध्याय, विशाल चौधरी, सौरभ, विश्वेंद्र सिंह, अजय कुमार भारद्वाज, प्रमोद, रोहन शर्मा, लोकेश, कृष्ण कुमार, गौरव शर्मा, पवन, रवि, ललित कुमार, तेजवीर कुमार, मनीष कुमार, योगेश कुमार, आदर्श कुमार को नियुक्ति पत्र प्रदान किये हैं। कंपनी के एचआर विभाग ने बताया कि 2007 में उभरते भारतीय और एशियाई मोटर वाहन बाजारों पर कब्जा करने की दृष्टि से स्थापित, साटा विकास विकास समूह और इटली के साटा(SATA) स्पा (पहले मार्टिनेली कहा जाता था) के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो ऑटोमोटिव के लिए सटीक मशीनिंग के आला परिदृश्य में एक प्रमुख वैश्विक कंपनी है। फिक्स्चर, सटीक मशीनिंग और उच्च तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले घटकों की एक विस्तृत श्रृंखला की असेंबली में इसकी क्षमता मुख्य रूप से यात्री कार, उपयोगिता वाहन, वाणिज्यिक वाहन और ऑफ-रोड सेगमेंट में ओईएम के लिए इंजन, ट्रांसमिशन और कंप्रेसर घटकों में अनुवाद करती है। विद्यार्थियों के इस प्लेसमेंट पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसबी चेट्टी ने हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी हैं। विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने हर्ष व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों से अपेक्षा की है कि वे अपनी कड़ी मेहनत और ज्ञान से निरंतर तरक्की करें और विवि का नाम ऊंचा करें।
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marketingstrategy1 · 2 years
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Up News:छह बहुराष्ट्रीय कंपनियां यूपी में करेंगी 17 हजार करोड़ का निवेश, 21 हजार को मिलेगा रोजगार - Six Multi National Companies Will Invest In Uttar Pradesh.
Up News:छह बहुराष्ट्रीय कंपनियां यूपी में करेंगी 17 हजार करोड़ का निवेश, 21 हजार को मिलेगा रोजगार – Six Multi National Companies Will Invest In Uttar Pradesh.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। – फोटो : amar ujala ख़बर सुनें ख़बर सुनें यूरोप की बड़ी कंपनियां यूपी में 17 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही हैं। इनमें सैमसन, मदरसन और सेरनेका इंटरनेशनल ग्रुप जैसी छह बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार से एमओयू साइन किया है। इन कंपनियों के निवेश से प्रदेश में 21 हजार से ज्यादा युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित…
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sabkuchgyan · 2 years
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छंटनी के बीच भारत के छात्रों के लिए रिकॉर्ड ब्रेक जॉब ऑफर: IIT छात्रों को 4 करोड़ रुपये का वार्षिक पैकेज
छंटनी के बीच भारत के छात्रों के लिए रिकॉर्ड ब्रेक जॉब ऑफर: IIT छात्रों को 4 करोड़ रुपये का वार्षिक पैकेज
आईआईटी में कैंपस प्लेसमेंट हो रहे हैं। इसमें आईआईटी दिल्ली, मुंबई, कानपुर के छात्रों को रिकॉर्ड तोड़ चार करोड़ का सालाना पैकेज ऑफर किया गया है। इसके अलावा, IIT गुवाहाटी के छात्रों को 2.5 करोड़ का वार्षिक पैकेज भी दिया गया है। इस प्लेसमेंट ने आईआईटी में एक नया रिकॉर्ड तोड़ा है। इस कैंपस इंटरव्यू में शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा ले र���ी हैं और यह कैंपस इंटरव्यू 15 दिसंबर तक चलेगा. ऐतिहासिक…
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oyspa · 2 years
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टाटा 7,000 करोड़ रुपये में पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी को ख़रीदने जा रही है !
टाटा 7,000 करोड़ रुपये में पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी को ख़रीदने जा रही है !
82 वर्षीय रमेश चौहान ��े इस बातचीत में बताया है कि उन्होंने अपनी कंपनी बेचने के लिए टाटा समूह को ही क्यों चुना क्योंकि रिलायंस और नेस्ले जैसी बड़ी कंपनियां भी बिसलेरी को ख़रीदना चाह रही थीं. रमेश चौहान ने अब से तीन दशक पहले ‘थम्स अप’, ‘गोल्ड स्पॉट’, ‘लिम्का’ और माज़ा जैसे मशहूर सॉफ़्ट ड्रिंक ब्रांड्स बहुराष्ट्रीय कंपनी कोका – कोला को बेच दिए थे. इसके बाद अब वह बिसलेरी को टाटा समूह को बेचने जा…
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janchowk · 4 years
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तीन कृषि कानूनः मेक्सिको से सबक ले भारत, कॉरपोरेट ने तबाह की खेती-किसानी और बढ़ गई बेरोजगारी
तीन कृषि कानूनः मेक्सिको से सबक ले भारत, कॉरपोरेट ने तबाह की खेती-किसानी और बढ़ गई बेरोजगारी
(शेष भाग…)मई 2018 में अमरीका ने दावा किया कि भारत 10 प्रतिशत की सब्सिडी की सीमा का उल्लंघन कर रहा है। बदनीयती से की गई इस गणना में आधार वर्ष 1986-88 की डालर कीमतों को उसी वर्ष की दर (1 डालर =12.5 रुपये) से रुपये में बदला गया, जिससे 2013-14 में भारत के बाजार में गेहूं और चावल की खरीद 354 रुपये और 235 रुपये प्रति क्विंटल के रेट से होनी चाहिए थी जबकि सरकार ने उस साल क्रमशः 1386 और 1348 रुपये समर्थन…
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lok-shakti · 3 years
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कोई अपवाद नहीं, घरेलू कानूनों का पालन करें: प्रौद्योगिकी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भाजपा युवा शाखा
कोई अपवाद नहीं, घरेलू कानूनों का पालन करें: प्रौद्योगिकी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भाजपा युवा शाखा
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो), भाजपा की युवा शाखा, ने मंगलवार को भारत की “डिजिटल संप्रभुता की रक्षा” पर एक राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या की अध्यक्षता में हुई पहली राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को घरेलू कानूनों का “पूरी तरह से, बिना किसी अपवाद के” पालन करने के लिए कहा…
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educationupdates · 4 years
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Law Education के क्षेत्र में SGT University दे रही है उल्लेखनीय योगदान
कानून/लॉ का पेशा बेहद संवेदनशील एवं जिम्मेदारी का पेशा है जो समाज व देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आप लॉ की फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले एक प्रतिष्ठत संस्थान की तलाश होगी। आपके लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी एक बेहतर विकल्प हो सकती है।
एसजीटी विश्वविद्यालय के लॉ फैकेल्टी (विधि संकाय) की स्थापना वर्ष  2014 में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा प्रदान करने के मिशन के साथ की गई थी। हमारा मुख्य उद्देश्य छात्रों को समृद्ध अकादमिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे अधिक से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रबुद्ध व मेहनती कानूनी पेशेवर तैयार हो सकें।
विधि संकाय (लॉ फैकेल्टी) मानव गरिमा एवं सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने और जनसामान्य को न्याय प्रदान करने के लिए समर्पित कानूनी पेशेवरों का निर्माण करना चाहता है। हमारा उद्देश्य विश्व स्तर के लॉ स्कूल का निर्माण करना है, जो भारत के संविधान के तहत निहित आदर्शों  और आकांक्षाओं को विवेकपूर्ण तरीके से लागू करने के लिए सक्षम वकीलों, न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, कानूनी सलाहकारों और सिविल सेवकों को देश व समाज को समर्पित कर सके।
 क्यों चुने एसजीटी यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ लॉ को?
एसजीटी विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी उच्चतम गुणवत्ता वाली पेशेवर कानूनी शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां देश-दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के अनुभवी शिक्षक अपनी सेवाएं देते हैं। यहां के पाठ्यक्रम को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के साथ कोलेबरेशन में बनाया गया है। यह संकाय लाइव केस हैंडलिंग के अनुभव के लिए प्रतिष्ठित वकीलों और कानून फर्मों के साथ इंटर्नशिप का अवसर प्रदान करता है। यहां वैश्वीकरण की चुनौतियों का सामना करने के लिए विदेशी कानूनी प्रणाली की पढ़ाई भी कराई जाती है। सेमिनारों, सम्मेलनों और इंटरैक्टिव सत्रों के द्वारा बड़े कानून विशषज्ञों के साथ सीधे इंटरेक्शन का मौका मिलता है। इसका भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन, CIRC जैसे संस्थानों के साथ कॉलेबरेशन है। साथ यहां न्यायिक सेवाओं और सिविल सेवाओं की परीक्षा के लिए इनबिल्ट कोचिंग मॉड्यूल उपलब्ध है।
 कोर्स एवं कार्यक्रम
एसजीटी यूनिवर्सिटी का लॉ फैकेल्टी निम्नलिखित कोर्स/कार्यक्रम प्रदान करता है-
·   BA  LLB (Hons.)
·   BBA  LLB (Hons.)
·   Bachelor of Law (LLB)
·   Masters of Law
·   Ph.D
 एसजीटी यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी के इंडस्ट्रीयल टाई-अप
विधि संकाय (लॉ फैकेल्टी) ने निम्नलिखित व्यावसायिक संघों / संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं:
·  इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन, नई दिल्ली।
·   सीयूटीएस इंस्टीट्यूट फॉर रेगुलेशन एंड कॉम्पिटिशन, नई दिल्ली।
लॉ की पढ़ाई के बाद करियर की क्या हैं संभावनाएं
लॉ की पढाई के बाद एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरूआक करने के अलावा लॉ स्नातकों के पास आज कानूनी पेशे में शामिल होने के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में कानून अधिकारी / कानूनी सलाहकार / कानूनी कार्यकारी के रूप में काम करने का विकल्प है। बड़े कॉरपोरेट घराने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बैंक, बीमा कंपनियां, एलपीओ और एनजीओ कानून के स्नातकों का सीधे कैम्पस प्लेसमेंट करते हैं। जो कानूनी पेशेवरों को उच्च पैकेज प्रदान करत��� हैं। इसके अतिरिक्त लॉ ग्रेड्यूएट सिविल सेवा में भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
इंडस्ट्री ओरिएंटेड विशेष पाठ्यक्रम
एसजीटी विश्वविद्यालय कुछ चुनिंदा कानून स्कूलों में से एक है जो एक ट्राइमेस्टर पैटर्न प्रदान करते हैं, जिसमें एक छात्र को एक वर्ष में तीन बार इंटर्नशिप का अवसर मिलता है। जिससे 5 साल की डिग्री कार्यक्रम के अंत में 15 इंटर्नशिप कार्यक्रमों को पूरा करने के बाद छात्र पेशेवर सेवाओं के लिए पूरी तरह तैयार होता है। इस प्रकार एसजीटी यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ के छात्रों को 5 साल के अध्ययन की अवधि के दौरान 1 साल और 3 महीने की अवधि के लिए अदालतों में वकीलों के साथ काम करने का व्यावहारिक अनुभव होता है । जो उन्हें अन्य लॉ स्कूलों के छात्रों से विशेष व अलग बनाता है।
सेमेस्टर / वर्षों में विभाजित विशेष ऐड-ऑन पाठ्यक्रम
विधि के संकाय छात्रों को आनर्स पाठ्यक्रमों के चयन में पूरी आजादी देता है। कोई भी छात्र कॉरपोरेट लॉ, इंटरनेशनल ट्रेड लॉ, कांस्टीट्यूशनल लॉ या क्रिमिनल लॉ में विशेषज्ञता का चयन अपनी इच्छा और करियर के विकल्पों के आधार पर कर सकता है। अंतिम वर्ष में छात्रों को निम्नलिखित विशेष पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है जैसे: अमेरिकी कानूनी प्रणाली, यूरोपीय संघ कानून, अंग्रेजी कानूनी प्रणाली और एक विदेशी भाषा (फ्रेंच / जर्मन)
अधिक जानकारी के लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी के विकिपीडिया पेज पर विजिट करें। 
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newshindiplus · 4 years
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मल्टीटास्किंग से कम होती है प्रोडक्टिविटी, ऑफिस में पैदा होता है तनाव का माहौल
मल्टीटास्किंग से कम होती है प्रोडक्टिविटी, ऑफिस में पैदा होता है तनाव का माहौल
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जिन लोगों के अंदर मल्टीटास्किंग क्वॉलिटी होती है, उनकी कंपनी और सामाज दोनों जगहों पर तारीफ होती है. कंपनियां किसी भी इंप्लॉई को रखने से पहले देखती हैं कि उसमें मल्टीटास्किंग क्वालिटी है या नहीं. कंपनियों को लगता है कि मल्टीटास्कर आदमी प्रोडक्टिविटी को सुधार सकता है या उसे बढ़ा सकता है. लेकिन हालिया शोध में पता चला है कि मल्टीटास्किंग मैन प्रोडक्टिविटी में सुधार करने की बजाए इसे  बिगा देता…
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sandhyabakshi · 4 years
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मल्टीटास्किंग से कम होती है प्रोडक्टिविटी, ऑफिस में पैदा होता है तनाव का माहौल
मल्टीटास्किंग से कम होती है प्रोडक्टिविटी, ऑफिस में पैदा होता है तनाव का माहौल
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जिन लोगों के अंदर मल्टीटास्किंग क्वॉलिटी होती है, उनकी कंपनी और सामाज दोनों जगहों पर तारीफ होती है. कंपनियां किसी भी इंप्लॉई को रखने से पहले देखती हैं कि उसमें मल्टीटास्किंग क्वालिटी है या नहीं. कंपनियों को लगता है कि मल्टीटास्कर आदमी प्रोडक्टिविटी को सुधार सकता है या उसे बढ़ा सकता है. लेकिन हालिया शोध में पता चला है कि मल्टीटास्किंग मैन प्रोडक्टिविटी में सुधार करने की बजाए इसे  बिगा देता…
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anki14542 · 4 years
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पीएयू के कृषि इंजीनियर प्रतिष्ठित चयन - टाइम्स ऑफ इंडिया
पीएयू के कृषि इंजीनियर प्रतिष्ठित चयन – टाइम्स ऑफ इंडिया
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लुदियाना: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज (COAET) के बीटेक (एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग) के छात्र समरपन सिंह को पोस्टग्रेजुएशन प्रोग्राम के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM), अहमदाबाद में चुना गया है। खाद्य और कृषि व्यवसाय। कॉलेज के प्रशिक्षण और प्लेसमेंट सेल द्वारा आयोजित ऑन कैंपस भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से एक ही बैच के बारह छात्रों को…
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rudrjobdesk · 2 years
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नहीं मिल रहा "स्ट्रॉ" का विकल्प, कैट ने सरकार से की सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को टालने की मांग
नहीं मिल रहा “स्ट्रॉ” का विकल्प, कैट ने सरकार से की सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को टालने की मांग
Photo:GOOGLE Single use plastic Highlights अभी सिंगल यूज प्लास्टिक का कोई विकल्प नहीं प्रतिबंध से व्या���ार और उद्योग को होगा नुकसान 98% बहुराष्ट्रीय कंपनियां सिंगल यूज प्लास्टिक का करती हैं इस्तेमाल सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को टालने के लिए अब सरकार के सामने घरेलू व्यापारियों के संगठन कैट ने अनुरोध किया है। संगठन का कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का अभी कोई विकल्प नहीं है। सिंगल यूज…
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divyabhashkar · 3 years
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एनजीओ का कहना है कि इन जीवाश्म ईंधन कंपनियों ने क्रीमिया के विलय के बाद से रूस को करों में बी 15बी से अधिक भेजा है।
एनजीओ का कहना है कि इन जीवाश्म ईंधन कंपनियों ने क्रीमिया के विलय के बाद से रूस को करों में बी 15बी से अधिक भेजा है।
उन्होंने रॉयल्टी, निर्यात शुल्क, बोनस, कर और शुल्क के साथ-साथ “सरकारी लाभ तेल” पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें किसी भी वास्तविक तेल की कीमत भी शामिल थी। कंपनियां रूस को दे सकती हैं। यह उस क्षेत्र की नौ कंपनियों की सूची के साथ आया, जिन्होंने रूस को सबसे अधिक भुगतान किया। वे सभी भुगतान कानूनी थे, और ऊर्जा क्षेत्र के बाहर अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने रूसी राज्य को समान भुगतान किया है। सीप, यूके में…
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