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lal-bahadur-paswan · 2 years
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BSSC Paper Cancel कराने की आखिरी लड़ाई, बजट से ठीक पहले आंदोलन के एलान से...
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marketingstrategy1 · 2 years
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Year Ender 2022:उत्तराखंड में चुनाव, सियासत, भर्ती घोटाले और आंदोलन में बीता साल, पढ़ें ये खास रिपोर्ट - Year Ender 2022: Election Politics Recruitment Scam And Protest In Uttarakhand
Year Ender 2022:उत्तराखंड में चुनाव, सियासत, भर्ती घोटाले और आंदोलन में बीता साल, पढ़ें ये खास रिपोर्ट – Year Ender 2022: Election Politics Recruitment Scam And Protest In Uttarakhand
धरना देते लोग – फोटो : अमर उजाला ख़बर सुनें ख़बर सुनें वर्ष 2022 का साल विधानसभा चुनाव, नई सरकार के गठन, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में खेल और घोटालेबाजों की गिरफ्तारी और विधानसभा में बैकडोर से लगे कर्मचारियों की विदाई के लिए जाना जाएगा। बीते साल के आखिरी महीनों में राज्य की बेटी अंकिता की रहस्यमयी हत्या से सहम उठा। अमर उजाला ने पिछले साल को प्रभावित करने वाली प्रमुख घटनाओं की पड़ताल…
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सर्वश्रेष्ठ डांडा सट्टेबाजी प्रणाली
लाठी पर नकद जीतना मौलिक पद्धति और गिनती कार्ड के बारे में नहीं है। मज़बूती से बड़ी रकम जीतना काफी हद तक आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली सट्टेबाजी प्रणाली पर निर्भर करता है। कोई भी व्यक्ति जिसने एक वास्तविक जुआ क्लब में ब्लैकजैक खेला है, वह जानता है कि एक पल में आप बड़े और चिप्स के प्रभारी हो सकते हैं, लेकिन इसके बाद आप अतिरिक्त संपत्ति के लिए अपने बटुए में डुबकी लगा सकते हैं।
लाठी के एक सामान्य दौर में चिप के ढेर आमतौर पर छिटपुट रूप से भिन्न होते हैं और इसलिए सट्टेबाजी करते समय सबसे अच्छा दांव लगाना महत्वपूर्ण होता है। यह लेख समय की शुरुआत (और वर्तमान) से उपयोग किए जाने वाले तीन प्रसिद्ध सट्टेबाजी के ढांचों की जांच करता है और जो लाठी खेलते समय उपयोग करने के लिए बहुत अच्छे हैं। लेबोचेरे, पारोली और पार्ले के तीन सट्टे के ढाँचे हैं।
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1.) लेबौचेरे वैगरिंग फ्रेमवर्क
चित्रण: लैबौचेरे ढांचा एक नकारात्मक आंदोलन दांव लगाने वाला ढांचा है। इसे "रिट्रेक्शन", "क्रॉसआउट", "लैबी" और "स्प्लिट मार्टिंगेल" के रूप में भी जाना जाता है। लैबौचेरे सट्टेबाजी ढांचे का उपयोग करके, आप पूरे दांव चक्र को पूरा करने के बाद लगातार लाभ अर्जित करेंगे। ढाँचे को पूरा करने के लिए आपको सभी दांव जीतने होंगे।
यह कैसे कार्य करता है: आपको शुरू में संख्याओं की एक श्रृंखला दर्ज करनी चाहिए, उदाहरण के लिए, "1 2 3 4 5 6 7 8", लेकिन श्रृंखला कोई भी संख्या और कोई भी लंबाई हो सकती है। यह "1 1 1 4 3 7" या 3 1 5 6 1 1 8 4 2 1" हो सकता है। संख्याओं की लंबाई और उछाल आपके द्वारा खेले जा रहे खेल और दिशानिर्देशों पर निर्भर करता है।
श्रृंखला में प्रत्येक संख्या इकाइयों या चिप्स में मूल्य को संबोधित करती है। आप श्रृंखला में पहली और अंतिम संख्या को शामिल करके प्रारंभ करते हैं। कुल चिप्स की इकाई है जिस पर आप दांव लगाएंगे। यदि आप जीत जाते हैं, तो आप पहली और आखिरी संख्या को काट देते हैं, और श्रृंखला में निम्नलिखित पहली और आखिरी संख्या जोड़ते हैं (जिन्हें पार नहीं किया गया है) और अपने बाद के दांव के लिए इस कुल का उपयोग करते हैं। यह मानते हुए कि जब भी आप ढांचे को पूरा करने से पहले हार जाते हैं, तो आप सभी के साथ शुरू करते हैं। इस घटना में कि आप सभी दांव जीतते हैं और ढांचे को पूरा करते हैं, आप फिर से शुरू करते हैं (पहले और आखिरी नंबर से पहला कुल)।
खेलने से पहले आपको सावधानी से इस ढांचे को बढ़ावा देना चाहिए और नकद जीतने के लिए खेलने के बाद सख्ती से इसका पालन करना चाहिए। अपने बैंकरोल का प्रतिनिधित्व करना सुनिश्चित करें।
यह भी पढ़ें :  खेल सट्टेबाजी - अपनी सट्टेबाजी की सीमा जानें
2.) पारोली वैगरिंग फ्रेमवर्क
चित्रण: पारोली ढांचा एक सकारात्मक आंदोलन दांव लगाने वाला ढांचा है। इस ढाँचे के लिए बड़े बैंकरोल की आवश्यकता नहीं होती है और इसे लाठी खेलते समय अन्य सट्टेबाजी ढाँचों की तुलना में अधिक स्थिर माना जाता है।
यह कैसे कार्य करता है: आप अपनी शर्त एक इकाई के साथ शुरू करते हैं। यदि आप पहली बाजी जीत जाते हैं, तो आपकी अगली बाजी आपके पुरस्कारों के अतिरिक्त मुख्य बाजी होगी। यदि आप अगली बाजी जीत जाते हैं, तो आपका तीसरा दाँव दूसरा दाँव के साथ-साथ उससे मिलने वाले इनाम के बराबर होता है। जब भी आप हारते हैं, तो आप एक इकाई पर अगली बाजी शुरू करते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आप $100.00 से शुरू करते हैं और $100.00 जीतते हैं, तो आपकी अगली शर्त $200.00 होगी। यदि आप अगली बाजी जीत जाते हैं, तो आपका तीसरा दाँव $400.00 होगा... और इसी तरह। आपको अपनी अगली बाजी के लिए सभी पुरस्कार याद हैं, जिसमें मल्टीप्लाई डाउन, पार्टिंग या ब्लैकजैक से अतिरिक्त पुरस्कार शामिल हैं।
इस ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा स्टॉप पॉइंट है, जिसे आपको सट्टेबाजी शुरू करने से पहले तय करना चाहिए। रुकने का स्थान एक इकाई या डॉलर की राशि हो सकती है। जब आप एक शर्त हार जाते हैं या रुकने के लिए अपने स्थान पर पहुंच जाते हैं, तो आपको निम्नलिखित दांव पर एक इकाई दांव लगाना चाहिए।
3.) पारले वैगरिंग फ्रेमवर्क
चित्रण: पार्ले ढांचा एक और सकारात्मक आंदोलन दांव लगाने वाला ढांचा है और लाठी के दौर में इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। यह उस ढांचे से प्राप्त होता है जिसका उपयोग बैंक आय अर्जित करने के लिए करते हैं और इसे "लेट इट राइड" सट्टेबाजी प्रणाली के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।
इस सट्टेबाजी के ढाँचे का अर्थ समान ढाँचों की तुलना में कम जुआ है और इसका उपयोग करने के लिए बड़े बैंकरोल की आवश्यकता नहीं है।
यह कैसे काम करता है: यह फ्रेमवर्क पारोली वेजरिंग फ्रेमवर्क की तरह है। इस ढांचे के साथ मुख्य अंतर यह है कि आप वास्तव में अपने दांव के साथ "इसे सवारी करने दें"। प्रत्येक प्रगतिशील दाँव के साथ, आप ��पने पुरस्कारों को पहले दाँव के ऊपर रखते हैं। रुकने की जगह नहीं है। चूंकि आप एक पिरामिड डिजाइन में दांव लगा रहे हैं, इसलिए आप थोड़े से दांव को नाटकीय रूप से बड़े पुरस्कारों में बदल सकते हैं। दुख की बात है कि इस ढांचे के साथ, जब आप हार जाते हैं तो आप सब कुछ खो देते हैं।
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janchowk · 4 years
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तीन कृषि कानूनः मेक्सिको से सबक ले भारत, कॉरपोरेट ने तबाह की खेती-किसानी और बढ़ गई बेरोजगारी
तीन कृषि कानूनः मेक्सिको से सबक ले भारत, कॉरपोरेट ने तबाह की खेती-किसानी और बढ़ गई बेरोजगारी
(शेष भाग…)मई 2018 में अमरीका ने दावा किया कि भारत 10 प्रतिशत की सब्सिडी की सीमा का उल्लंघन कर रहा है। बदनीयती से की गई इस गणना में आधार वर्ष 1986-88 की डालर कीमतों को उसी वर्ष की दर (1 डालर =12.5 रुपये) से रुपये में बदला गया, जिससे 2013-14 में भारत के बाजार में गेहूं और चावल की खरीद 354 रुपये और 235 रुपये प्रति क्विंटल के रेट से होनी चाहिए थी जबकि सरकार ने उस साल क्रमशः 1386 और 1348 रुपये समर्थन…
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allgyan · 4 years
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रोज़ा पार्क्स और बस वाली घटना -
आज के दिन रोज़ा पार्क्स का जन्म हुआ था |इसलिए सोचा की आपको उनके बारे में बताया जाये |क्योकि उस दौर में खुद के अधिकारों के लिए लड़ना बहुत बड़ी बात है |महिला होकर उस दौर में इतना जीवट दिखाना बहुत बड़ी बात है |नागरिक अधिकारों की लड़ाई की जननी कही जाने वाली रोज़ा पार्क्स के बारे एक वाकया है जो बहुत चर्चित है जिससे ही उनकी की पहली  शुरुआत थी |1955 में एक दिन जब वह काम से घर जाने के लिए बस में सवार हुईं तो गोरों के लिए आरक्षित शुरुआती 10 सीटें छोड़कर पीछे एक सीट पर जाकर बैठ गईं| इस बीच बाकी सीटें भी भर गईं थीं और एक श्वेत आदमी के बस में चढने पर ड्राइवर ने रोजा से सीट छोड़ने को कहा रोजा ने साफ इंकार कर दिया|
यहीं से नागरिक अधिकारों की लड़ाई में रोजा ने कदम रख दिया| हालांकि रोजा पार्क्स को बस में हुई इस घटना के लिए दोषी करार दिया गया और उनसे 10 डॉलर का जुर्माना भी वसूला गया ऊपर से उन्हें 4 डॉलर की कोर्ट की फीस अलग से देनी पड़ी|
रोजा पार्क्स  नागरिक अधिकारों आंदोलन का बढ़ता प्रभाव-
लेकिन रोजा ने हिम्मत नहीं हारी और नस्ली भेदभाव से जुड़े इस कानून को चुनौती दी लगभग एक साल तक उनके साथ दूसरे  अश्वेत लोगों ने भी नगर निगम की बसों का वहिष्कार कर दिया|संघर्ष रंग लाई और1956 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एफ्रो-अमेरिकी अश्वेत नागरिक नगर निगम के किसी भी बस में कहीं भी बैठ सकते हैं|रोजा पार्क्स ने नागरिक अधिकारों का जो आंदोलन छेड़ा था,उसका असर1964 में सामने आया जब कांग्रेस ने सिविल राइट ऐक्ट पास किया|
पार्क्स को प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम -
पार्क्स को 1996 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया |1997 में उन्हें अमेरिकी संसद का सबसे बड़ा सम्मान कांग्रेश्नल गोल्ड मेडल दिया गया था |बस वाली घटना के बाद कहा जाता है कि पार्क्स की नौकरी चली गई और उन्हें अपने पति के साथ शहर छोड़ कर डेट्रॉयट जाना पड़ा| उसके बाद नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले जॉन कॉन्यर ने उन्हें 1965 में अपने दफ्तर में नौकरी दे दी|रिटायरमेंट तक पार्क्स वहीं काम करती रहीं|आखिरी दिनों में पार्क्स को पैसों की तंगी भी झेलनी पड़ी,साथ ही उनकी याद्दाश्त भी काफी बिगड़ गई थी|24 अक्तूबर 2005 को उनका देहांत हो गया|उनकी अंतिम विदाई में शामिल 50,000 लोगों में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश भी थे|देखिये कुछ भी पाने के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है |इसलिए कहा भी गया की -"स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग"|मैं इसी बात से ये आर्टिकल खत्म करना चाहूंगा |हम चाहते है की आपको भी पता चले की जो भी अधिकार हमे मिले हुए है या कहे दुनिया में भी कही भी मिले हुए है उसके पीछा पूरा का पूरा एक संघर्ष है |
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prakhar-pravakta · 2 years
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क्या फिर सत्ता पलट की वजह बनेंगे अतिथि विद्वान, भोपाल में बड़े आंदोलन की तैयारी, यूथ वोटर पर निगाह
भोपाल. एमपी में अब अतिथि विद्वानों का यूथ वोटर पर दांव है. क्योंकि आरोप है कि पुराने दांव से नेता पस्त तो नहीं हुए उल्टे सत्ता परिवर्तन के बाद मस्त जरुर हो गए. सियासी दलों से मिले आश्वासन का झुनझुना थामें अतिथि विद्वानों ने कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक हर सियासी दल का दांव देख लिया. लिहाजा अब ये अतिथि विद्वान उसी सियासी दांव के साथ ही आंदोलन पर उतरेंगे. तैयारी अगस्त के आखिरी सप्ताह या सितम्बर के…
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dainikuk · 2 years
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कालजयी पुरुष बाबा मोहन उत्तराखंडी को यूकेडी ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
कालजयी पुरुष बाबा मोहन उत्तराखंडी को यूकेडी ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य प्राप्ति आंदोलन और स्थायी राजधानी गैरसैण (gairsain) के लिए सबसे ज्यादा अनशन व आखिरी सांस तक संघर्षशील कालजयी बाबा मोहन उत्तराखंडी (Baba Mohan Uttarakhandi) की 18 वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। Baba Mohan Uttarakhandi : कई आंदोलन के लिए किये अनशन श्रद्धांजलि देते हुए सुनील ध्यानी ने कहा कि, बाबा मोहन…
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tazacoverage · 2 years
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बाबा मोहन उत्तराखंडी को UKD ने दी श्रद्धांजलि
बाबा मोहन उत्तराखंडी को UKD ने दी श्रद्धांजलि
देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य प्राप्ति आंदोलन और स्थायी राजधानी गैरसैण (gairsain) के लिए सबसे ज्यादा अनशन व आखिरी सांस तक संघर्षशील कालजयी बाबा मोहन उत्तराखंडी (Baba Mohan Uttarakhandi) की 18 वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। Baba Mohan Uttarakhandi : कई आंदोलन के लिए किये अनशन श्रद्धांजलि देते हुए सुनील ध्यानी ने कहा कि, बाबा मोहन…
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uttarakhandjan · 2 years
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बाबा मोहन उत्तराखंडी को UKD ने दी श्रद्धांजलि
बाबा मोहन उत्तराखंडी को UKD ने दी श्रद्धांजलि
देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य प्राप्ति आंदोलन और स्थायी राजधानी गैरसैण (gairsain) के लिए सबसे ज्यादा अनशन व आखिरी सांस तक संघर्षशील कालजयी बाबा मोहन उत्तराखंडी (Baba Mohan Uttarakhandi) की 18 वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। Baba Mohan Uttarakhandi : कई आंदोलन के लिए किये अनशन श्रद्धांजलि देते हुए सुनील ध्यानी ने कहा कि, बाबा मोहन…
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rudrjobdesk · 2 years
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Sidney Poitier Death: ऑस्कर अवार्ड जीतने वाले पहले अश्वेत एक्टर सिडनी पोइटियर का निधन, 94 की उम्र में ली आखिरी सांस
Sidney Poitier Death: ऑस्कर अवार्ड जीतने वाले पहले अश्वेत एक्टर सिडनी पोइटियर का निधन, 94 की उम्र में ली आखिरी सांस
हॉलीवुड एक्टर सिडनी पोइटियर का 94 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्हें लिली ऑफ�� द फील्ड में अपने किरदार के लिए बेस्टर एक्टर का ऑस्कर अवार्ड मिला था. ऑस्कर अवार्ड जीतने वाले वह पहले ब्लैक एक्टर थे. उन्होंने नस्लीय बाधाओं को तोड़ दिया, और नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान एक पीढ़ी को इंस्पायर किया. विदेश मंत्रालय के एक्टिंग जनरल डायरेक्टर यूजीन टोरचोन-न्यूरी ने पोइटियर के निधन की पुष्टि की है. सिडनी…
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realtimesmedia · 2 years
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अब सत्ता में नहीं हैं, यह बात स्वीकार नहीं कर पा रहे इमरान, किया ये बड़ा ऐलान
अब सत्ता में नहीं हैं, यह बात स्वीकार नहीं कर पा रहे इमरान, किया ये बड़ा ऐलान
पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) अब तक इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि वे अब सत्ता से बाहर हो गए हैं। उन्होंने नए पीएम शहबाज शरीफ (PM Shahbaz Sharif) के खिलाफ बड़ा आंदोलन (Big agitation) छेड़ने का ऐलान (Announcement) कर दिया है. मई के आखिर में इस्लामाबाद कूच का ऐलानइमरान खान (Imran Khan) ने शनिवार को ऐलान किया कि वे मई के आखिरी सप्ताह में लाखों समर्थकों…
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shahar-e-aman · 3 years
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सफलता के लिए शॉर्टकट तरीके का इस्तेमाल ना करें युवा पीढ़ी: पीएम नरेंद्र मोदी प्रयागराज: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद चार जगह भारतीय जनता पार्टी की हुकूमत बन गई है जिससे प्रसन्न पीएम मोदी ने आज तमाम भाजपा कार्यकर्ताओं को इसका श्रेय दिया फिर उन्होंने नौजवानों को एक सलाह भी दी की सफलता पाने के लिए कभी भी शॉर्टकट तरीके का इस्तेमाल ना करें। उन्होंने कहा कि सफलता का केवल एक ही मंत्र है लॉन्ग टर्म प्लानिंग और कंटीन्यूअस कमिटमेंट ना एक जीत कभी हमारा आखिरी पड़ाव हो सकती है ना एक हार। गौरतलब है कि देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर विधानसभा चुनाव के पूर्व नौजवानों ने उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में भर्ती में घोटाले को लेकर व्यापक रूप से आंदोलन छेड़ा था और प्रत्येक वर्ग के बेरोजगार युवा की एक मांग थी कि सरकार रोजगार दे आंदोलनरत बेरोजगार केंद्र व राज्य की सत्तारूढ़ सरकार को निशाने पर रख विधानसभा चुनाव में भी लोगों को लामबंद कर रहे थे बावजूद इसके के 4 राज्यों में भाजपा सरकार बनाने में सफल रही । @thepmo @narendramodi @bjp4india @up #prayagraj (at Prayagraj, U.P) https://www.instagram.com/p/CbAiGV8P25Z/?utm_medium=tumblr
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janchowk · 4 years
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तीन कृषि कानून और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित
तीन कृषि कानून और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित
दिल्ली की संवेदनहीन दहलीज पर किसान आंदोलन अपने 92 दिन पूरे कर चुका है। कड़ाके की ठंड और बारिश की मार झेलते बार्डरों पर मोर्चा लिए हुए किसान अपने अस्तित्व को बचाने की आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं। 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में शहीद हुए 24 साल के नौजवान के दादा के शब्दों में यह ‘आखिरी आंदोलन’ है। केंद्र सरकार और किसानों के बीच चल रही वार्ताएं बेनतीजा रहीं। किसान आंदोलन ने दो-एक बैठकों के बाद ही बातचीत…
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allgyan · 4 years
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रोज़ा पार्क्स और बस वाली घटना -
आज के दिन रोज़ा पार्क्स का जन्म हुआ था |इसलिए सोचा की आपको उनके बारे में बताया जाये |क्योकि उस दौर में खुद के अधिकारों के लिए लड़ना बहुत बड़ी बात है |महिला होकर उस दौर में इतना जीवट दिखाना बहुत बड़ी बात है |नागरिक अधिकारों की लड़ाई की जननी कही जाने वाली रोज़ा पार्क्स के बारे एक वाकया है जो बहुत चर्चित है जिससे ही उनकी की पहली  शुरुआत थी |1955 में एक दिन जब वह काम से घर जाने के लिए बस में सवार हुईं तो गोरों के लिए आरक्षित शुरुआती 10 सीटें छोड़कर पीछे एक सीट पर जाकर बैठ गईं| इस बीच बाकी सीटें भी भर गईं थीं और एक श्वेत आदमी के बस में चढने पर ड्राइवर ने रोजा से सीट छोड़ने को कहा रोजा ने साफ इंकार कर दिया|
यहीं से नागरिक अधिकारों की लड़ाई में रोजा ने कदम रख दिया| हालांकि रोजा पार्क्स को बस में हुई इस घटना के लिए दोषी करार दिया गया और उनसे 10 डॉलर का जुर्माना भी वसूला गया ऊपर से उन्हें 4 डॉलर की कोर्ट की फीस अलग से देनी पड़ी|
रोजा पार्क्स  नागरिक अधिकारों आंदोलन का बढ़ता प्रभाव-
लेकिन रोजा ने हिम्मत नहीं हारी और नस्ली भेदभाव से जुड़े इस कानून को चुनौती दी लगभग एक साल तक उनके साथ दूसरे  अश्वेत लोगों ने भी नगर निगम की बसों का वहिष्कार कर दिया|संघर्ष रंग लाई और1956 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एफ्रो-अमेरिकी अश्वेत नागरिक नगर निगम के किसी भी बस में कहीं भी बैठ सकते हैं|रोजा पार्क्स ने नागरिक अधिकारों का जो आंदोलन छेड़ा था,उसका असर1964 में सामने आया जब कांग्रेस ने सिविल राइट ऐक्ट पास किया|
पार्क्स को प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम -
पार्क्स को 1996 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया |1997 में उन्हें अमेरिकी संसद का सबसे बड़ा सम्मान कांग्रेश्नल गोल्ड मेडल दिया गया था |बस वाली घटना के बाद कहा जाता है कि पार्क्स की नौकरी चली गई और उन्हें अपने पति के साथ शहर छोड़ कर डेट्रॉयट जाना पड़ा| उसके बाद नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले जॉन कॉन्यर ने उन्हें 1965 में अपने दफ्तर में नौकरी दे दी|रिटायरमेंट तक पार्क्स वहीं काम करती रहीं|आखिरी दिनों में पार्क्स को पैसों की तंगी भी झेलनी पड़ी,साथ ही उनकी याद्दाश्त भी काफी बिगड़ गई थी|24 अक्तूबर 2005 को उनका देहांत हो गया|उनकी अंतिम विदाई में शामिल 50,000 लोगों में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश भी थे|देखिये कुछ भी पाने के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है |इसलिए कहा भी गया की -"स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग"|मैं इसी बात से ये आर्टिकल खत्म करना चाहूंगा |हम चाहते है की आपको भी पता चले की जो भी अधिकार हमे मिले हुए है या कहे दुनिया में भी कही भी मिले हुए है उसके पीछा पूरा का पूरा एक संघर्ष है |
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khsnews · 3 years
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लखीमपुर खीरी हिंसा एसकेएम का कहना है- मंत्री टेनी के बर्खास्त होने से पहले आंदोलन वापस नहीं लौटा, कल तकुनिया में कई राज्यों के किसानों ने आखिरी उर्स में पहुंचने का दावा किया | मंत्री टेनी को हटाने से पहले नहीं लौटा आंदोलन, कल पहुंचेंगे किसान जहां कुचले गए
लखीमपुर खीरी हिंसा एसकेएम का कहना है- मंत्री टेनी के बर्खास्त होने से पहले आंदोलन वापस नहीं लौटा, कल तकुनिया में कई राज्यों के किसानों ने आखिरी उर्स में पहुंचने का दावा किया | मंत्री टेनी को हटाने से पहले नहीं लौटा आंदोलन, कल पहुंचेंगे किसान जहां कुचले गए
हिंदी समाचार स्थानीय उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद लखीमपुर खीरी हिंसा एसकेएम का कहना है कि मंत्री टेनी के बर्खास्त होने से पहले आंदोलन वापस नहीं लौटा, कल तकुनिया में कई राज्यों के किसानों ने अंतिम उर्स में पहुंचने का दावा किया. गाज़ियाबाद15 मिनट पहले। लिंक की प्रतिलिपि करें यूपी पुलिस ने मुत्ताहिदा महज़ आंदोलन के चलते सभी छुट्टियां रद्द कर दी हैं. खुफिया एजेंसियां ​​भी सक्रिय लखीमपुर खीरी हिंसा…
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a2znewsplace · 3 years
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कोई गैर-तालिबान मंत्री नहीं, बरादर को पदावनत किया गया: नई अफ़ग़ानिस्तान सरकार की मुख्य बातें
कोई गैर-तालिबान मंत्री नहीं, बरादर को पदावनत किया गया: नई अफ़ग़ानिस्तान सरकार की मुख्य बातें
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में नई सरकार का इंतजार मंगलवार को समाप्त हो गया जब तालिबान ने देश पर शासन करने के लिए कार्यवाहक कैबिनेट की घोषणा की। नई सरकार की घोषणा 31 अगस्त को आखिरी अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के सात दिन बाद हुई है। आंदोलन के दिवंगत संस्थापक मुल्ला उमर के सहयोगी मुल्ला हसन अखुंद को कार्यवाहक प्रधान मंत्री बनाया गया है, जबकि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर डिप्टी पीएम के रूप में कार्य…
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