कबीर, पहले अपने धर्म को, भली भांति सिखलाय।
अन्य धर्म की सीख सुनि, भटकि बाल बुद्धि जाय।।
भावार्थ:- बच्चों को या परिवार के अन्य सदस्यों को पहले अपने धर्म का ज्ञान पूर्ण रूप से कराना चाहिए। जिनको अपने धर्म यानि धार्मिक क्रियाओं का ज्ञान नहीं, वह बालक जैसी बुद्धि का होता है। वे अन्य धर्म पंथ की शिक्षा सुनकर भटक जाते हैं। जिनको अपने धर्म (पंथ) का सम्पूर्ण ज्ञान है, वह भ्रमित नहीं होता।
लखनऊ, 31.08.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जागरूकता अभियान" के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्ली पश्चिम, लखनऊ में जागरूकता कार्यक्रम "स्वच्छ जीवन, स्वस्थ जीवन" का आयोजन किया गया |
कार्��क्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने विद्यालय के लगभग 50 छात्र-छात्राओं को स्वच्छता के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि, "स्वस्थ एवं सुखी जीवन के लिए स्वच्छता अत्यंत आवश्यक हैं | इसका मतलब हैं खुद को और अपने आस-पास को साफ-सुथरा रखना । हमारे लिए शरीर की स्वच्छता बहुत जरूरी है, जैसे रोज नहाना, स्वच्छ कपड़े पहनना, दांतों की सफाई करना, नाखून काटना आदि ।
व्यक्तिगत स्वच्छता आपके साथ-साथ हमें अपने आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ रखना चाहिए | स्वच्छ वातावरण, चाहे घर पर हो या सार्वजनिक स्थानों पर, बीमारियों का खतरा कम करता है और खुशहाली को बढ़ावा देता हैं ।
स्वयंसेवकों द्वारा छात्राओं को मासिक धर्म के स्वच्छता का ध्यान रखने हेतु बताया कि, "शौचालय का उपयोग करने से पहले और बाद में तथा मासिक धर्म संबंधी उत्पाद का उपयोग करने से पहले और बाद में अपने हाथ धोएं । उपयोग किए गए डिस्पोजेबल मासिक धर्म संबंधी उत्पादों को उचित तरीके से त्यागें तथा उन्हें टॉयलेट पेपर, टिशू या अन्य सामग्री से लपेटें और फिर कूड़ेदान में फेंक दें । मासिक धर्म संबंधी उत्पादों को शौचालय में न बहाएं ।
जागरूकता कार्यक्रम "स्वच्छ जीवन, स्वस्थ जीवन" मे हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों सुश्री सौम्या सिंह, श्री अमित दुबे, सुश्री प्रिया गिरी, सुश्री रश्मि दुबे, सुश्री शिवानी गुप्ता (एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) ने सहभागिता की तथा जागरूकता अभियान को सफल बनाया | कार्यक्रम में पूर्व माध्यमिक विद्यालय, कल्ली पश्चिम के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षिकाओं की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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Dharohar | Stage Play Kakori Train Action | धरोहर | काकोरी ट्रेन एक्शन | Harsh Vardhan Agarwal
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
धरोहर | नाट्य मंचन काकोरी ट्रेन एक्शन | Dharohar | Stage Play Kakori Train Action
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
♦️04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें गुरु के विषय में कबीर साहेब की शिक्षा♦️
हम सभी जानते हैं कि कबीर साहेब आज से लगभग 600 वर्ष पहले इतिहास के भक्तियुग में जुलाहे की भूमिका निभाकर गये थे। विडंबना है कि सर्व सृष्टि के रचनहार, भगवान स्वयं धरती पर अवतरित हुए और स्वयं को दास सम्बोधित किया। कबीर जी ने गुरु और शिष्य की परंपरा बनाए रखने के लिए स्वयं गुरु बना कर गुरु और शिष्य का अभिनय किया। कबीर साहेब जी ने अपनी वाणियों के माध्यम से भी गुरु और शिष्य के महत्व का वर्णन किया है। मनुष्य के जीवन में गुरु का क्या महत्व है। कबीर साहेब जी की वाणी है-
"तीरथ गए ते एक फल, संत मिले फल चार।
सद्गुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।।"
उपरोक्त वाणी में कबीर साहेब जी ने समझाया है कि तीर्थ में जाने से एक फल मिलता है वहीं किसी संत से मिलने पर चार प्रकार के फल मिलते हैं पर जीवन में अगर सच्चा गुरु (सतगुरु) मिल जाये तो समस्त प्रकार के फल मिल जाते हैं।
“या दुनिया दो रोज की, मत कर यासो हेत।
गुरु चरनन चित लाइये, जो पूर्ण सुख हेत।।”
कबीर साहेब जी ने इस दोहे के ��ाध्यम से यह गया दिया है कि यह दुनिया कुछ ही दिनों की है इसलिए इससे मोह का सम्बन्ध नहीं जोड़ना चाहिए। अपने मन को गुरु के चरणों में लगाएं जो सब प्रकार का सुख देने वाला है। क्यूंकि गुरु ही परमात्मा तक पहुंचने का एकमात्र साधन हैं।
गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।।
गुरु और पारस के अंतर को ज्ञानी पुरुष बहुत अच्छे से जानते हैं। जिस प्रकार पारस का स्पर्श लोहे को सोना बना देता है कबीर जी ने बताया है की उसी प्रकार गुरु का नित्य साथ शिष्य को भी अपने गुरु के सानिध्य में महान बना देता है।
सात समुंदर की मसि करूँ, लेखनी करूँ बनराय।
धरती का कागज करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय।।
कबीर साहेब ने बताया है कि अगर सारी धरती को कागज बना लिया जाये, समस्त जंगल की लकड़ियों को कलम और सातों समुद्र के जल को स्याही बना लिया जाये तो भी गुरु की महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है।
"कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।।”
कबीर साहेब जी ने बताया है कि बिना गुरु के हमें ज्ञान नहीं हो सकता है। राम, कृष्ण आदि अवतारों ने भी गुरु धारण किया था, गुरु के बिना किया गया नाम जाप, भक्ति व दान- धर्म सभी व्यर्थ है।
इस प्रकार अनेको दोहों के माध्यम से कबीर परमेश्वर ने गुरु परम्परा का जीवन मे बहुत महत्व बताया है, सच्चे गुरु की पहचान व आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
राजस्थान के प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव पीर के अनुसार जगत के कल्याण के लिए भारतवर्ष में उत्पन्न मसीह जाट वर्ण से होगा और वह कबीर प्रभु के गुण गाएगा। उनकी यह भविष्यवाणी जाट वर्ण में उत्पन्न हरियाणा के संत रामपाल जी पर खरी उतरती है। जिनका 8 सितंबर को जन्म दिवस है।
8 सितंबर को उस महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ, जिनके विषय में अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चार्ल्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
देश विदेश के अनेकों महापुरुषों ने धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में अपने लेखों में वर्णन किया है कि वो मानव इतिहास का सबसे महानतम व्यक्ति बनेगा व जनता का अपार समर्थन प्राप्त करेगा। उसके विचारों का बोलबाला पूरे विश्व मे होगा व सभी लोग उसके बताए मार्ग पर चलने के लिए बाध्य होंगे।
युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
भगवान 8 सितंबर 1951 को धरती पर अवतरित हो चुके हैं संत रामपाल जी महाराज के रूप में।
जगत का तारणहार
गरीब दास जी की वाणी है कि:-
"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा।।"
परमेश्वर का नुमाइंदा संत दिल्ली मण्डल में उत्पन्न होगा। उस संत द्वारा बताया हुआ तत्वज्ञान पूरे विश्व को स्वीकृत होगा। यह भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने भी की है। वह जगत के तारणहार संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारत के धनाना गांव में हुआ जो पहले दिल्ली क्षेत्र में पड़ता था।
स���खी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हर इंसान सुखी होगा और पृथ्वी स्वर्ग समान बनेगी।
जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक संत तुलसीदास जी ने 7 सितम्बर 1971 को भविष्यवाणी की थी कि वह अवतार जो पूरे विश्व में शांति स्थापित करेगा, भारत को विश्व गुरु बनायेगा, उसकी एक भाषा, एक झंडा होगा। वह 20 वर्ष का हो गया है। संत रामपाल जी ही वह अवतार हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951को हुआ था जोकि 7 सितम्बर 1971 को पूरे 20 वर्ष के थे।
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
संस्कार, सभ्यता, अनुशासन, परंपरा, मानवता इनके आवरण की परतों में ढके मनुष्य के गिरेबान में झाँक कर देखा जाए तो उसमें कहाँ खाज है, नज़र नहीं आता है। धर्म संस्कार और सभ्यता ने मनुष्य को विचार दिए हैं।हमारी सारी वर्जनाएँ व्यवस्था के हित के साथ जुड़ी है। कुटिलता इसे रीति बनाकर मनुष्यता से जोड़कर प्रचारित करती है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह सब विचार-विमर्श आख़िर है क्या।
दूसरों के सामने निर्विचार से दिखने वाले दरअसल मानवीयता के दर्पण की तरह होते हैं। धर्म परंपरा और मान्यता की कवच से लैस स्वतंत्र तथा सतत् मंत्रमुग्ध बने रहते हैं। उनमें होता है उड़ने का हौसला। उड़ने में ख़तरे तो बहुत है, उन ख़तरों से बच गए तो ठीक है, न बचे तो हँसी में टालकर फिर से उड़ने का दम भरते हैं।
स्नेह का अभाव हर शख़्स को खटकता है। जो शीतलता, ममता या मधुरता के दुलार से निशब्द-सी शांति मिलती है। वह अभिमान के छलावे से नहीं मिलती। अंधकार में किसी मैदान, जंगल, आकाश में अर्धवृत्त, आनंद नीलिमा और सवेरा होने से पहले प्रकृति के क्षण-क्षण बदलते रूप के दर्शन होते हैं। यह दर्शन न तो घनी अंधेरी रात में और न तो दिन के उजाले में संभव है। लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं और पहचान के विपरीत जाना वर्जनाओं को तोड़ना है। क्योंकि यह मान्यताओं परंपराओं और संस्कृति का पर्याय होती है। अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है, और सबसे ख़राब अनुभव हमें सबसे अच्छा सबक सिखाते हैं।
जीवन में सबसे अच्छी बात किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना है जो ख़ामियों, ग़लतियों और कमज़ोरियों को जानता है और वो व्यक्ति हम ख़ुद हो, तो यह पूरी तरह से अद्भुत है। जब भी सपनों के सच होने की संभावना बढ़ती है तो जीवन दिलचस्प बनता जाता है। इसलिए अंधेरे को दूर करने के लिए स्वयं की बेहतरी प्रकाशयुक्त होनी चाहिए। अजीब से लगने वाले शब्द विश्वास की सतह पर सच होने चाहिए।
हम, तुम सब अजीब है। इस दुनिया में हर कोई अजीब है, हमारी पीढ़ी सोचती है कि परवाह नहीं करना अच्छा है। लेकिन हम सब जानते हैं यह ग़लत है, यह अजीब है। देखभाल करना, परवाह करना अच्छा है। अपने कर्तव्य कर्म के प्रति वफ़ादार रहना अच्छा है। ऊँचे पेड़ छोटे बीजों से बनने में सक्षम होते हैं। बीज को वृक्ष बनने के पहले एक पूरी की पूरी देखभाल की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।
एक रह��्य की कई परतें होती हैं। रहस्य को जानने समझने के बावजूद उनमें बहुत सारे ऐसे रहस्य होंगे, जिनका उद्देश्य हमें पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में आत्म-मूल्य महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि आप अपने बारे में अच्छा महसूस नहीं करते हैं, तो किसी और चीज़ के बारे में अच्छा महसूस होना कठिन है।
फिर तो कुटिल सोच का फ़ायदा कोई न कोई वर्जना उठाने की पूरी कोशिश करेगी। तो एक ही तरीका है कि लोग जो सोचते हैं उसे दरकिनार कर समाज संस्कार सभ्यता और संस्कृति को केंद्र में रखकर निरंतर आगे बढ़ते रहा जाए।
[6/28, 7:30 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡परमात्मा ने हम मनुष्यों के खाने के लिए फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिए हैं, मांस खाने का आदेश नहीं दिया।
[6/28, 7:30 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡ कबीर, तिलभर मछली खायके, कोटि गऊ दे दान। काशी करौंत ले मरे, तो भी नरक निदान।।तिल के समान भी मछली खाने वाले चाहे करोड़ो गाय दान कर लें, चाहे काशी कारोंत में सिर कटा ले वे नरक में अवश्य जाएंगे।
[6/28, 7:31 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡अगर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति होती, तो सबसे पहले मांसाहारी जानवरों को होती, जो केवल मांस ही खाते हैं।मांस खाकर आप परमात्मा के बनाए विधान को तोड़कर परमात्मा के दोषी बन रहे हो। ऐसा करने वाले को नर्क में डाला जाता है।
[6/28, 7:31 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡झोटे बकरे मुरगे ताई। लेखा सब ही लेत गुसाईं।। मग मोर मारे महमंता। अचरा चर हैं जीव अनंता।।किसी भी प्राणी की हत्या करो वह परमात्मा सब का हिसाब लेता है।
[6/28, 7:31 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡गरीब, जीव हिंसा जो करते हैं, या आगे क्या पाप। कंटक जुनी जिहान में, सिंह भेड़िया और सांप।।जो जीव हिंसा करते हैं उससे बड़ा पाप नहीं है। जीव हत्या करने वाले वे करोड़ो जन्म शेर, भेड़िया और साँप के पाते हैं।
[6/28, 7:31 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡एक तरफ तो आप भक्ति करते हो, और दूसरी तरफ आप बेजुबान निर्दोष जानवरों की हत्या कर उनका मांस खाते हो। सभी जीव परमात्मा की प्यारी आत्मा है, तो फिर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति कैसे होगी?
[6/28, 7:31 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡कबीर परमात्मा ने कहा है कि अच्छा शाकाहार खाना खाओ। बासमती चावल पकाओ। उसमें घी तथा खांड (मीठा) डालकर खाओ और भक्ति करो। (कूड़े काम) बुरे (पाप) कर्म त्याग दो। मिट्टी मांस न पकाओ।
[6/28, 7:31 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡कबीर परमात्मा ने कहा कि दोनों धर्म, दया भाव रखो। मेरा वचन मानो कि सूअर तथा गाय में एक ही बोलनहार है यानि एक ही जीव है। न गाय खाओ, न सूअर खाओ।दोनूं दीन दया करौ, मानौं बचन हमार। गरीबदास गऊ सूर में, एकै बोलन हार।।
[6/28, 7:32 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡बकरी, मुर्गी (कुकड़ी), गाय, गधा, सूअर को खाते हैं। भक्ति की (रीस) नकल भी करते हैं। ऐसे पाप करने वालों से परमात्मा दूर है। जीव हत्या करने वाले नरक के भागी।
[6/28, 7:32 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡मांस खाने वाले शैतानकबीर, मांस खाय ते ढेड़ सब, मद पीवे सो नीच।कुल की दुर्मति पर हरै, राम कहे सो ऊंच।।कबीर परमेश्वर ने मांस खाने वाले को ढेड़ एवं शराब का सेवन करने वाले को नीच कहकर सम्बोधित किया है। तथा राम/परमात्मा की इबादत करने वाले को श्रेष्ठ बताया है। चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति हो।
[6/28, 7:32 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡कबीर परमात्मा सर्व का पिता है। उसके प्राणियों को मारने वाले से वह कभी खुश नहीं होता।कबीर-माँस अहारी मानई, प्रत्यक्ष राक्षस जानि। ताकी संगति मति करै, होइ भक्ति में हानि।।
[6/28, 7:32 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡मांस खाना महापापकबीर, मांस मछलिया खात हैं, सुरापान से हेत। ते नर नरकै जाहिंगे, माता पिता समेत।परमात्मा कबीर जी कहते हैं जो मनुष्य मांस, मछली खाते हैं वह नरक में माता पिता के साथ जाते हैं। मांस खाना महापाप है। यह हमारे किसी भी धर्म की पवित्र पुस्तक में नही लिखा है।
[6/28, 7:32 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡जो गल काटै और का, अपना रहै कटाय।साईं के दरबार में बदला कहीं न जाय॥जो व्यक्ति किसी जीव का गला काटता है उसे आगे चलकर अपना गला कटवाना पड़ेगा। परमात्मा के दरबार में करनी का फल अवश्य मिलता है।
[6/28, 7:32 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡मांस खाना हरामनबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया, 1लाख 80 को सौगंध जिन नहीं करद चलाया।अरस कुरस पर अल्लह तख्त है खालिक बिन नहीं खाली,वे पैगंबर पाक़ पुरुष थे, साहिब के अब्दाली।।गरीबदासजी बताते हैं कि नबी मुहम्मद जी परमात्मा की बहुत नेक आत्मा थी। उन्होंने कभी मांस नहीं खाया, न अपने 1,80,000 शिष्यों को खाने को कहा।
[6/28, 7:33 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡जीव हत्या महापापकाटा कूटी जो करै, ते पाखंड को भेष।निश्चय राम न जानहीं, कहैं कबीर संदेस।।कबीर परमेश्वर ने कहा है कि जो पशु को मारकर उसकी देह काटा करते हैं वह सब पाखंडी हैं। परमात्मा के विधान को नहीं जानते- यही मेरा संदेश है।
[6/28, 7:33 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡ पवित्र बाइबल में उत्पत्ति 1:30 पर परमेश्वर ने कहा - और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
[6/28, 7:33 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡ पवित्र बाइबल में उत्पत्ति 1:29 पर फिर परमेश्वर ने कहा सुनो जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर है और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं वे सब मेंने तुम को दिए हैं वह तुम्हारे भोजन के लिए हैं।आज़ का मानव समाज मांस खाकर महापाप का भागी बन रहा है।
[6/28, 7:33 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡Romans 14:21माँस नहीं खाना श्रेष्ठ है, शराब नहीं पीना अच्छा है और कुछ भी ऐसा नहीं करना उत्तम है जो तेरे भाई को पाप में ढकेलता हो।
[6/28, 7:33 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡ जीव हनै हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय।निगम पुनि ऐसे पाप ते, भिस्त गया ना कोय।परमात्मा कबीर जी कहते हैं कि जींस हिंसा करने से पाप ही लगता है। ऐसा महापाप करके भिस्त (स्वर्ग) कोई नहीं गया। तो फिर हे भोले मानव फिर ऐसा महापाप क्यों करता है।
[6/28, 7:33 AM] Arun Patil Bagat Ji Malkapur: ⚡भगवान ने मनुष्य को शाकाहारी भोजन खाने के आदेश दिये हैं - पवित्र बाइबल
प्रभु - स्वामी - ईश - राम - खुदा - अल्लाह - रब - मालिक - साहेब - देव - भगवान
गौड। यह सर्व शक्ति बोधक शब्द हैं जो भिन्न-भिन्न भाषाओं में उच्चारण किए व लिखे जाते हैं।
‘‘प्रभु‘‘ की महिमा से प्रत्येक प्राणी प्रभावित है कि कोई शक्ति है जो परम सुखदायक व कष्ट निवारक है। वह कौन है? कैसा है? कहाँ है? कैसे मिलता है? यह प्रश्नवाचक चिन्ह अभी तक पूर्ण रूप से नहीं हट पाया। यह शंका इस पुस्तक से पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगी।
जो शक्ति अन्धे को आँखें प्रदान करे, गूंगे को आवाज, बहरे को कानों से श्रवण करवा दे, बाँझ को पुत्र दे, निर्धन को धनवान बना दे, रोगी को स्वस्थ करे, जिस के यदि दर्शन हो जायें तो अति आनन्द हो, जो सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार, पूर्ण शान्तिदायक जगत गुरु तथा सर्वज्ञ है, जिसकी आज्ञा बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता अर्थात् सर्वशक्तिमान जिसके सामने कुछ भी असम्भव नहीं है। ऐसे गुण जिसमें है वह वास्तव में प्रभु (स्वामी, ईश, राम, भगवान, खुदा, अल्लाह, रहीम, मालिक, रब, गौड) कहलाता है।
यहाँ पर एक बात विशेष विचारणीय है कि किसी भी शक्ति का ज्ञान किसी शास्त्र से ही होता है। उसी शास्त्र के आधार पर गुरुजन अपने अनुयाइयों को मार्गदर्शन करते हैं। वह शास्त्र (धार्मिक पुस्तकें) हैं चारों वेद (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद), श्री मद्भागवत गीता, श्री मद्भागवत सुधासागर, अठारह पुराण, महाभारत, बाईबल, कुरान आदि प्रमाणित पवित्र शास्त्र हैं। चारों वेद स्वयं पूर्ण परमात्मा के आदेश से ज्योति निरंजन (काल) ने समुद्र के अन्दर अपने स्वांसों के द्वारा गुप्त छिपा दिया तथा प्रथम बार सागर मन्थन के समय यह चारों वेद श्री ब्रह्मा जी को प्राप्त हुए। जो ब्रह्मा जी (क्षर पुरुष के ज्येष्ठ पुत्र) ने पढे़ तथा जैसा समझ सका उसी आधार पर संसार में ज्ञान का प्रचार अपने वंशजों (ऋषियों) के द्वारा करवाया। पूर्ण परमात्मा ने पाँचवां ‘‘स्वसम‘‘ (सूक्ष्म) वेद भी ब्रह्म (काल) को दिया था जो इस ज्योति निरंजन ने अपने पास गुप्त रखा तथा उसे समाप्त कर दिया।
कुछ समय उपरान्त अर्थात् एक कल्प (एक हजार चतुर्युग) के बाद तीन लोक (पृथ्वी लोक, स्वर्गलोक, पाताललोक) के सर्व प्राणी प्रलय (विनाश) हो जाते हैं। फिर ज्योति निरंजन (काल) के निर्देश से ब्रह्मा अपनी रात्री समाप्त होने पर (ब्रह्मा की रात्री एक हजार चतुर्युग की होती है तथा इतना ही दिन) जब दिन प्रारम्भ होता है, रजोगुण से प्रभावित करके प्राणियों की उत्पत्ति तीनों लोकों में शुरू करता है।
तब सतयुग की शुरुआत में वही चारों वेद काल (ब्रह्म) स्वयं ब्रह्मा को फिर प्रदान करता है तथा फिर प्राकृतिक उथल-पुथल के कारण चारों पवित्र वेदों का ज्ञान समाप्त हो जाता है। उसके पश्चात् फिर समय अनुसार अन्य ऋषियों में प्रवेश करके दोबारा लिखवाता है। फिर भी समय अनुसार प्राकृतिक उथल-पुथल के बाद स्वार्थी लोगों के द्वारा वेदों में बदलाव करके वास्तविक ज्ञान संसार से लुप्त कर दिया जाता है। वही काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन) महाभारत युद्ध के समय श्री कृष्ण में प्रवेश करके चारों वेदों का संक्षिप्त विवरण श्रीमद्भागवत गीता के रूप में दिया तथा कहा कि अर्जुन यही ज्ञान मैंने पहले सूर्य से कहा था। उसने अपने पुत्र वैवश्वत् अर्थात् मनु से तथा वैवश्वत् अर्थात् मनु ने अपने पुत्र इक्ष्वाकु से कहा था। परन्तु बीच में यह उत्तम ज्ञान प्राय समाप्त हो गया था।
इस काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन) ने श्री वेदव्यास ऋषि के शरीर में प्रवेश करके चारों वेद, महाभारत, अठारह पुराण, श्रीमद्भागवतगीता, श्री सुधासागर को पुनः लिपिबद्ध (संस्कृत भाषा में) करवाया जो आज सभी को उपलब्ध हैं। ये सर्व शास्त्र श्रेष्ठ हैं। अब इन शास्त्रों को कलयुगी ऋषियों ने भाषा-भाष्य अर्थात् हिन्दी अनुवाद करके अपने विचार मिलाने की कोशिश की है, जो स्पष्ट गलत दिखाई देते हैं और व्याख्या से मेल नहीं खाते हैं। यह सर्व शास्त्र महर्षि व्यास जी द्वारा लगभग 5300 (पाँच हजार तीन सौ) वर्ष पूर्व दोबारा लिखे गए थे। उस समय हिन्दु धर्म, इसाई धर्म, मुसलमान धर्म व सिक्ख धर्म आदि कुछ भी नहीं थे। एक वेदों के मानने वाले आर्य ही हुआ करते थे। कर्म आधार पर जाति होती थी तथा केवल चार वर्ण (क्षत्रि-वैश्य-ब्राह्मण तथा शुद्र) ही थे।
इससे एक तो यह प्रमाणित हो जाता है कि यह सर्व शास्त्र किसी धर्म या व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है। यह केवल मानव मात्र के कल्याण हेतु हैं। दूसरे यह प्रमाणित होता है कि हमारे पूर्वज एक थे। जिनके संस्कार आपस में मिले जुले हैं।
सर्व प्रथम पवित्र शास्त्र गीता जी पर विचार करते हैं।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
धरोहर | नाट्य मंचन काकोरी ट्रेन एक्शन | Dharohar | Stage Play Kakori Train Action
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन ए��ं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
मैं आपको एक बहुत स्पष्ट बात बताता हूँ। यदि आप किसी भी रिश्ते में किसी को धोखा देते हैं या किसी को चोट पहुँचाते हैं, तो आप अपने आप ही अपना शुक्र खराब कर लेते हैं। बड़ा शून्य। कोई भगवान, कोई देवता या कोई सनातन धर्म आपको किसी को धोखा देने के लिए नहीं कहता है। अपने रिश्ते को बनाए रखें, उसमें संतुलन बनाएं। अगर कोई समस्या है तो ईमानदार रहें। उस व्यक्ति को सच बताओ। उससे कहो कि किसी का दिल दुखाए नहीं। क्योंकि जब भी किसी व्यक्ति के दिल को चोट लगती है तो उसका शुगर लेवल नीचे चला जाता है। क्योंकि उस इंसान का दिल आपकी वजह से दुख रहा है। जब तक आपके पास पैसा है, जब तक आप अपने शुक्र के स्तर को बनाए रखते हैं लेकिन जिस दिन पैसा आना शुरू हो जाता है, वह बंद हो जाता है। यह चल रहा था, लेकिन यह रुक गया। ऐसा व्यक्ति पतन में आता है। और उसके बाद उठने की हिम्मत नहीं करता। आपने लोगों के कई उदाहरण देखे होंगे। पहले ये था, पहले वो था। लेकिन अब आपके पास क्या है?
🌿कबीर साहेब जी को मारने के लिए 52 बार असफल प्रयास🌿
पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कबीर साहेब जी जब 600 वर्ष पहले सन् 1398 से 1518 तक काशी में अपनी लीला करने आये थे।
तब 5 वर्ष की आयु से ही अपने ज्ञान का डंका बजाने लग गये थे बड़े बड़े धर्म गुरु ऋषि महर्षि पंडित काजी मुल्लाओं को अपने ज्ञान से परास्त कर चुके हैं मुस्लिम धर्म गुरु पीर शेकतखी दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के गुरु भी उनसे ईर्ष्या करने लग गया और कबीर साहेब जी को नीचा दिखाने के लिए नई नई योजना बनाने लगा उनसे भी बात नहीं बनी तो कबीर साहेब जी को मारने के लिए 52 बार षड्यंत्र रचा अलग अलग तरीके से कबीर साहेब जी को मारने की कुचेष्टा की।
जैसे....
एक बार...
कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि लोहे को गर्म करके पिघलाकर पानी की तरह बनाओ और कबीर साहेब पर डालो। ठीक ऐसा ही हुआ जब लोहा गर्म करके पिघलाकर कबीर साहेब पर डाला तब वह फूल बन गए जैसे की मानो फूलों की वर्षा होने लगी। तब सभी ने कबीर साहेब की जय जयकार लगाई।
फिर.....
कबीर साहेब को मारने के लिए शेखतकी ने तलवार से वार करवाये। लेकिन तलवार कबीर साहेब के आर पार हो जाती क्योंकि कबीर साहेब का शरीर पाँच तत्व का नहीं बना था उनका नूरी शरीर था। फिर सभी लोगों ने कबीर साहेब की जय जयकार की।
साहेब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील।
आर पार तलवार निकल ज्या, समझा नहीं खलील।।
और.....
एक समय
"मुर्दे को जीवित करने की परीक्षा ली"
दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेख तकी ने कहा कबीर जी को तब अल्लाह मानेंगे जब मेरी मरी हुई लड़की को जीवित कर देगा जो कब्र में दबी हुई है। कबीर परमेश्वर जी ने अपनी समर्थ शक्ति से हजारों लोगों के सामने उस लड़की को जीवित किया और उसका नाम कमाली रखा।
कबीर साहेब जी के ऐसे ऐसे अनेकों चमत्कारों और लीलाओं को देखकर उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे
कबीर परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#कबीर_भगवान_के_चमत्कार
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