Don't wanna be here? Send us removal request.
Text
1 note
·
View note
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
[6/7, 6:01 PM] Arun Das Patil: 🎈क्या आप जानते हैं पूर्ण परमात्मा चारों युगों में आते हैं, अच्छी आत्माओं को मिलते हैं।
"सतयुग में सत्यसुकृत नाम से, त्रेता में मुनीन्द्र नाम से आये, द्वापर में करुणामय नाम से तथा कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर नाम से प्रकट हुए।"
[6/7, 6:01 PM] Arun Das Patil: 🎈जिस कविर्देव/कबीर साहेब/हक्का कबीर/कबीरन/खबीरा के प्रमाण शास्त्रों (वेद, गीता, क़ुरान, बाइबल, गुरुग्रंथ साहिब) में मिलते हैं वह कोई और नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही हैं जो 600 वर्ष पहले काशी में आये थे। जिन्होंने सद्भक्ति व समाज सुधार का मार्ग बताया।
[6/7, 6:01 PM] Arun Das Patil: 🎈त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर "मुनीन्द्र ऋषि" के रूप में आए थे। उस समय नल-नील तथा हनुमान जी को अपना सत्य ज्ञान बताकर अपनी शरण में लिया और अपने आशीर्वाद मात्र से नल-नील के शारीरिक तथा मानसिक रोग को ठीक किया था।
[6/7, 6:01 PM] Arun Das Patil: 🎈चारों युगों में अपनी प्यारी आत्माओं को पार करने आते हैं परमेश्वर कबीर जी
परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया और अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
[6/7, 6:01 PM] Arun Das Patil: 🎈त्रेता युग में परमात्मा कबीर जी मुनींद्र नाम से आए थे। उस समय लीलामय तरीके से बंके नाम की एक प्यारी आत्मा को अपनी शरण में लिया, सत्य ज्ञान समझाया और पार किया।
[6/7, 6:02 PM] Arun Das Patil: 🎈ज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा।
तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।।
इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया।
शरण लेवो अविगत राया।।
सतयुग में विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को कबीर साहेब जी ने उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई और गरूड़ जी मुक्ति के अधिकारी हुए।
[6/7, 6:02 PM] Arun Das Patil: 🎈द्वापर युग में परमात्मा कबीर जी करुणामय नाम से आए थे और पंथ प्रचार के लिए चतुर्भुज नाम की एक प्यारी आत्मा को चुना। लाखों जीवों तक ज्ञान पहुंचाया और इस प्यारी आत्मा को पार किया।
[6/7, 6:02 PM] Arun Das Patil: 🎈कबीर जी चारों युगों में आते हैं।
*चारों युग देखो संवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।*
*कहां निर्गुण कहां सर्गुण भाई। नाद बिना नहीं चलै पंथाई।।*
(अनुराग सागर पृष्ठ 142)
उपरोक्त वाणी में परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को समझाते हुए कहते हैं कि हे धर्मदास! मैंने चारों युगों में अपने नाद के पुत्रों से ही पंथ चलाए हैं।
[6/7, 6:02 PM] Arun Das Patil: 🎈गरीब, सौ छल छिद्र मैं करूं, अपने जन के काज।
हिरणाकुश ज्यूं मार हूँ, नरसिंघ धरहूँ साज।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि जो मेरी शरण में किसी जन्म में आया है, मुक्त नहीं हो पाया, मैं उसको मुक्त करने के लिए कुछ भी लीला कर देता हूँ। जैसे सतयुग में प्रहलाद भक्त की रक्षा के लिए नरसिंह रूप धारण करके हिरण्यकशिपु को मारा था।
[6/7, 6:03 PM] Arun Das Patil: 🎈गरीब, नामा के बीठ्ठल भये, और कलंदर रूप।
गउ जिवाई जगतगुरु, पादसाह जहां भूप।।
महाराष्ट्र के पुंडरपुर के महान संत नामदेव जी जिन्हें कबीर जी कलंदर नामक संत रूप में मिले थे उन्हें दीक्षा दी थी। कबीर जी ने ही बिठ्ठल रूप में चमत्का�� दिखाया। और जब दिल्ली सम्राट मोहम्मद बिन तुगलक ने संत नामदेव की परीक्षा लेनी चाही तो मरी हुई गाय को भी जीवित करके नामदेव की रक्षा की थी। कबीर जी अपने भक्तों के साथ ऐसे ही चमत्कार करते हैं।
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes
Text
0 notes