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आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ? इस चमत्कारी काढ़े ने किया स्वस्थ
चैतन्य भारत न्यूज करीब 15 दिन की अस्वस्थता के बाद भगवान जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र एवं देवी सुभद्रा पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। प्रभु के स्वस्थ होने की जानकारी आज गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव को दी गई है। इस वजह से हुए थे बीमार बता दें कि भगवान जगन्नाथ स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़े जल से स्नान करने के बाद बीमार हो गए थे। दरअसल, इस पूर्णिमा पर देव स्नान कराने के दौरान भगवान जगन्नाथ को लू लगने की परंपरा है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए मंदिर को 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इस दौरान दर्शन-पूजन भी बंद हो गया था। मंदिर में न तो पूजा हुई और न ही आरती। रोजाना पुजारी कमरे के किनारे पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर रख देते थे। 15 दिन तक पिलाया गया काढ़ा बीमार होने पर भगवान जगन्नाथ को 15 दिन तक काढ़ा पिलाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, यह काढ़ा इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी को पीसकर बनाया जाता है। इसके अलावा भगवान को इस मौसम में आ रहे सभी फलों का भोग भी लगाते हैं। बीमार होने के कारण भगवान सिंहासन पर भी नहीं विराजते हैं। इस दौरान वह खाट पर ही विश्राम करते हैं। किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए उन्हें हल्के वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। जगन्नाथ यात्रा पर लगाई रोक सेहत ठीक होने ही भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस दौरान उन्हें राजसी वेशभूषा पहनकर उनका भव्य शृंगार किया जाता है। फिर उनकी आरती कर सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। ये भी पढ़े... सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा Read the full article
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आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ? इस चमत्कारी काढ़े ने किया स्वस्थ
चैतन्य भारत न्यूज करीब 15 दिन की अस्वस्थता के बाद भगवान जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र एवं देवी सुभद्रा पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। प्रभु के स्वस्थ होने की जानकारी आज गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव को दी गई है। इस वजह से हुए थे बीमार बता दें कि भगवान जगन्नाथ स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़े जल से स्नान करने के बाद बीमार हो गए थे। दरअसल, इस पूर्णिमा पर देव स्नान कराने के दौरान भगवान जगन्नाथ को लू लगने की परंपरा है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए मंदिर को 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इस दौरान दर्शन-पूजन भी बंद हो गया था। मंदिर में न तो पूजा हुई और न ही आरती। रोजाना पुजारी कमरे के किनारे पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर रख देते थे। 15 दिन तक पिलाया गया काढ़ा बीमार होने पर भगवान जगन्नाथ को 15 दिन तक काढ़ा पिलाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, यह काढ़ा इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी को पीसकर बनाया जाता है। इसके अलावा भगवान को इस मौसम में आ रहे सभी फलों का भोग भी लगाते हैं। बीमार होने के कारण भगवान सिंहासन पर भी नहीं विराजते हैं। इस दौरान वह खाट पर ही विश्राम करते हैं। किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए उन्हें हल्के वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। जगन्नाथ यात्रा पर लगाई रोक सेहत ठीक होने ही भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस दौरान उन्हें राजसी वेशभूषा पहनकर उनका भव्य शृंगार किया जाता है। फिर उनकी आरती कर सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। ये भी पढ़े... सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा Read the full article
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जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान सोने की झाड़ू से की जाती है रास्ते की सफाई
चैतन्य भारत न्यूज दुनिया भर में प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत इस साल 4 जुलाई से होने वाली है। ओडिशा के पुरी में मनाया जाने वाला जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव का बहुत ही अधिक महत्व है। जगन्नाथ रथयात्रा न सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों में बल्कि विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है।
इस महोत्सव में शामिल होने के लिए देश के साथ ही विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र एवं बहन सुभद्रा को जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है।
सोने की झाड़ू से होती है रास्ते की सफाई पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। जगन्नाथ जी का भव्य रथ सोलह पहियों का होता है, जिसमें 832 लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। इस रथ को बनाने के लिए लकड़ियों का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारंभ होता है। इस रथ पर सोने के हत्थे वाली झाड़ू लगाकर रथयात्रा प्रारंभ की जाती है।
खास बात यह है कि रथ यात्रा के इस मार्ग की सफाई भी सोने की झाड़ू से ही की जाती है। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को अपने भाई बालभद्र और सुभद्रा के साथ पूरे नगर का भ्रमण कराया जाता है। इसके बाद उन्हें गुंडिचा मंदिर यानी उनकी मौसी के घर ले जाया जाता है। गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ का खूब आदर सत्कार किया जाता है। भगवान यहां पूरे सात दिनों तक रहते हैं। ये भी पढ़े... भारत ही नहीं विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है जगन्नाथ रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा 4 जुलाई से होगी शुरू, छुट्टियां मनाने मौसी के घर जाएंगे भगवान मुस्लिम समुदाय ने पेश की अनोखी मिसाल, जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए भेंट किया चांदी का रथ जगन्नाथ रथयात्रा में मुख्य अतिथि होंगी नुसरत जहां, सिंदूर लगाने और चूड़ी पहनने पर हुआ था विवाद Read the full article
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मुस्लिम समुदाय ने पेश की अनोखी मिसाल, जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए भेंट किया चांदी का रथ
चैतन्य भारत न्यूज अहमदाबाद. गुजरात के जमालपुर इलाके में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सांप्रदायिक एकता की अनोखी मिसाल पेश की है। पिछले करीब 20 साल से इस समुदाय के लोग भगवान जगन्नाथ मंदिर को चांदी का रथ दान कर रहे हैं। इस साल 142वीं जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी जिसके लिए मंदिर के महंत को चांदी का रथ भेंट किया गया है।
जगन्नाथ यात्रा 4 जुलाई से शुरू होने वाली है। ��ससे पहले रविवार को हर साल की तरह इस बार भी मुस्लिम समुदाय के लोग ढोल-नगाड़ों की थाप पर शहर के कई इलाकों से होते हुए जगन्नाथ मंदिर पहुंचे। फिर उन्होंने मंदिर के महंत को चांदी का रथ भेंट किया। इस मौके पर मुस्लिम नेता रउफ शेख ने कहा कि, 'गोधरा कांड के बाद से ही हम लोग हर साल चांदी का रथ भगवान जगन्नाथ को दान करते हैं। हम यह सांप्रदायिक एकता फैलाने के लिए करते हैं। हम लोग पिछले 20 सालों से यह कर रहे हैं। रथ यात्रा के दौरान रास्ते में आने वाले सभी मुस्लिम इलाकों में यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के लिए खान-पान की भी व्यवस्था की जाती है।'
अहमदाबाद जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदास जी महाराज ने कहा, 'रउफ शेख कई सालों से मंदिर को रथ चढ़ा रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द फैलाने की कोशिश के लिए मैं मुस्लिम समुदाय का शुक्रिया अदा करता हूं। साथ ही मैं भगवान से यह भी प्रार्थना ���रता हूं कि इसी तरह सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।'
बता दें, 142वीं जगन्नाथ रथयात्रा के लिए गुजरात के अहमदाबाद में सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। 4 जुलाई से शुरू होने वाली इस रथयात्रा की सुरक्षा के तहत करीब 25 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। साथ ही सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरों से भी रथयात्रा की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। जानकारी के मुताबिक, यह यात्रा 14 किलोमीटर का सफर तय करती है। रथयात्रा में 3 रथ, 19 गजराज, 100 ट्रक, 30 मंडलियां और 7 कारें शामिल होती हैं। यह भी पढ़े... विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा 4 जुलाई से होगी शुरू, छुट्टियां मनाने मौसी के घर जाएंगे भगवान Read the full article
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विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा 4 जुलाई से होगी शुरू, छुट्टियां मनाने मौसी के घर जाएंगे भगवान
चैतन्य भारत न्यूज उड़ीसा स्थित जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की निकलने वाली भव्य रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। आषाढ़ मास की द्वितीया को निकाली जाने वाली रथ यात्रा इस साल 04 जुलाई 2019 को शुरू होने वाली है। कहा जाता है कि, इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर रहने जाते हैं। ओडिशा राज्य की धार्मिक नगरी पुरी की यह यात्रा दुनियाभर में प्रसिद्द है।
इस यात्रा को बहुत भव्य रूप में आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में भक्त मौजूद रहते हैं। 4 जुलाई से शुरू होने वाली यह यात्रा पूरे 9 दिनों तक चलेगी। रथयात्रा उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ को रथ पर बैठाकर पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है। इस रथ यात्रा का आरंभ सबसे पहले बड़े भाई बलराम के रथ से होता है। इसके बाद बहन सुभद्रा और फिर अंत में भगवान जगन्नाथ के रथ को चलाया जाता है।
मान्यता है कि, जो लोग इस रथ को खींचने में सहयोग देते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगन्नाथ के इस भव्य रथ को सैकड़ों लोगों के द्वारा बड़े-बड़े और मोटे रस्सों से खींचा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जगन्नाथ यात्रा के दिन बारिश जरूर होती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ को 45 फीट ऊंचे रथ में बैठाकर यात्रा करवाई जाती है जिसमें भाग लेने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु आते हैं। ये भी पढ़े... भीषण गर्मी में आम रस पीने से बीमार हुए भगवान, वैद्य ने दी 15 दिन बेड रेस्ट की सलाह बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोख�� से कर लिया था कब्जा Read the full article
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