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ये 5 रहस्य जगन्नाथ मंदिर के | क्या है इसके पीछे का विज्ञान? | भगवान का दिल आज भी धड़कता है यहाँ |
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जानिए क्यों जगन्नाथपुरी में भगवान कृष्ण संग भाई बलराम और बहन सुभद्रा की होती है पूजा?
चैतन्य भारत न्यूज 12 जुलाई से जगन्नाथपुरी की रथयात्रा आरंभ हो गई है। महाप्रभु की रथ यात्रा का समापन आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर होता है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के अलावा उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकाला जाता है। लगभग सभी ��गह आप भगवान कृष्ण की मूर्ति देखेंगे तो उनके साथ राधा जी विराजमान रहती हैं। कुछ एक मंदिर रुक्मणि के साथ भी हैं और कुछ मंदिर अपने बड़े भाई बलराम के साथ। लेकिन जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ विराजमान हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है? इसके पीछे एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है। ये है रहस्य कहते हैं हरि अंनत हरि कथा अनंता अर्थात लीलाधारी भगवान की लीलाओं को देवता भी नहीं समझ पाते हैं। एक बार द्वारकापुरी में भगवान श्री कृष्ण रात में सोते समय अचानक नींद में राधे-राधे बोलने लगे। भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मणि ने जब सुना तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने भगवान की यह बात अन्य सभी रानियों को भी बताई। सभी रानियां आपस में विचार करने लगीं कि भगवान कृष्ण अभी तक राधा को नहीं भूले हैं। सभी रानियां राधा के बारे में चर्चा करने के लिए माता रोहिणी के पास पहुंचीं। माता रोहिणी से सभी रानियों ने आग्रह किया कि भगवान कृष्ण की गोपिकाओं के साथ हुई रहस्यात्मक रासलीला के बारे में बताएं।
पहले तो माता रोहिणी ने उन सभी को टालना चाहा, लेकिन महारानियों के हठ करने पर कहा- ठीक है सुनो, सुभद्रा को पहले पहरे पर बिठा दो, कोई अंदर न आने पाए, भले ही बलराम या श्रीकृष्ण ही क्यों न हों। माता रोहिणी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की रहस्यात्मक रासलीला की कथा शुरू करते ही श्रीकृष्ण और बलराम अचानक महल की ओर आते दिखाई दिए। देवी सुभद्रा ने अपने दोनों भाईयों को उचित कारण बता कर दरवाजे पर ही रोक लिया। महल के अंदर से श्रीकृष्ण और राधा की रासलीला की कथा श्रीकृष्ण, सुभद्रा और बलराम तीनों को ही सुनाई दे रही थी। उसको सुनने से श्रीकृष्ण और बलराम के अंग अंग में अद्भुत प्रेम रस का उद्भव होने लगा। साथ ही बहन सुभद्रा भी भाव विह्वल होने लगीं। तीनों की ही ऐसी अवस्था हो गई कि पूरे ध्यान से देखने पर भी किसी के भी हाथ-पैर आदि स्पष्ट नहीं दिखते थे। अचानक वहां पर देवऋषि नारद वहां आ गए। नारदजी को देखकर तीनों पूर्ण चेतना में वापस लौटे। नारद जी ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की कि हे भगवान आप तीनों के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप के मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्य जनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहें। भगवान श्री कृष्ण ने तथास्तु कह दिया। कहते हैं भगवा��� कृष्ण, बलराम और सुभद्रा जी का वही स्वरूप आज भी जगन्नाथपुरी में है,जिसे स्वयं विश्वकर्मा जी ने बनाया था। Read the full article
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धूमधाम से अपनी मौसी के घर जाने को निकले भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम, पुरी के राजा ने सोने की झाड़ू से की सफाई
चैतन्य भारत न्यूज पुरी. कोरोना महामारी के बीच हर साल की तरह इस बार भी भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) निकाली जा रही है, लेकिन कड़ी शर्तो के साथ। ओडिशा में पुरी के राजा गजपति महाराज दिब्यसिंह देब रथयात्रा में भाग लेने के लिए पुरी के जगन्नाथ मंदिर पहुंचे। दिब्यसिंह देब ने रथयात्रा में झाड़ू लगाई। इसे ‘छेरा पहानरा’ अनुष्ठान भी कहते हैं, जिसमें भगवान जगन्नाथ के रथ के रास्ते को सोने जड़ित झाड़ू से साफ करते हैं। बता दें कि इस अनुष्ठान को पुरी के राजसी परिवार के लोग ही करते हैं। #WATCH Odisha: The King of Puri Gajapati Maharaj Dibyasingha Deb sweeps the chariots with a broom having a gold handle, as part of the ‘Chhera Pahanra’ ritual, during the #RathYatra at Puri's Jagannath Temple. pic.twitter.com/THZ10CenOg — ANI (@ANI) June 23, 2020 रथयात्रा के दौरान घरों में कैद भक्त यात्रा में अधिकतम 500 लोगों को ही रथ खींचने की अनुमति दी गई है। वहीं शहर में कर्फ्यू के हालात हैं और लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। लोग अपने घरों से ही टीवी पर रथयात्रा का सीधा प्रसारण ��ेख रहे हैं। बता दें कि 2500 साल से भी ज्यादा समय में ऐसा पहली बार ��ोगा कि रथयात्रा में भक्त शामिल नहीं होंगे और वह अपने अपने घरों में कैद रहेंगे। Delhi: Union Minister Dharmendra Pradhan visited the Jagannath Temple in Hauz Khas, earlier today on the occasion of #JagannathRathYatra. pic.twitter.com/PdZBVU5E2F — ANI (@ANI) June 23, 2020 बलदेव जी का रथ होता है सबसे आगे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में सबसे आगे चलने वाले बलदेव जी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं। इनके रथ का रंग लाल और हरा होता है। बलदेव के रथ के पीछे देवी सुभद्रा का रथ चलता है। इस रथ को 'दर्पदलन' या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है। इस रथ में काले, नीले और लाल रंग का प्रयोग किया जाता है। यह भी भव्य और विशाल होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहा जाता है। ये पीतांबर वर्ण और लाल रंग का होता है। ये बेहद विशाल और भव्य होता है। इस रथ की ऊंचाई करीब 45.6 फीट होती है। मौसी के घर जाते हैं भगवान जगन्नाथ भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। यहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं। इसके बाद वापसी की यात्रा शुरु होती है। ओडिशा में पुरी के अलावा भी कई जगहों पर ऐसी यात्राएं आयोजित की जाती हैं। Kolkata: The International Society for Krishna Consciousness (ISKCON) conducts 'Rath Yatra' rituals in the temple premises, amid COVID19 pandemic#WestBengal pic.twitter.com/YkaYksHpRR — ANI (@ANI) June 23, 2020 पीएम नरेंद्र मोदी ने दी शुभकामना रथयात्रा की शुरुआत से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी शुभकामनाएं दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, 'रथ यात्रा के पावन अवसर पर सभी देशवासियों, विशेष रूप से ओडिशा में प्रभु जगन्नाथ के श्रद्धालुओं को बधाई। मैं कामना करता हूं कि प्रभु जगन्नाथ की कृपा, कोविड-19 का सामना करने के लिये हमें साहस व संकल्प-शक्ति प्रदान करे और हमारे जीवन में स्वास्थ्य और आनंद का संचार करे।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि श्रद्धा और भक्ति से भरी यह यात्रा देशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य लेकर आए। जय जगन्नाथ।' सुप्रीम कोर्ट ने कल दी थी सशर्त हरी झंडी बता दें सुप्रीम कोर्ट ने पहले जगन्नाथ रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दयार की गई थी जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में क���ा कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक भागीदारी के बिना आयोजित किया जा सकता है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा के आयोजन को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी। Read the full article
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सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा को दी मंजूरी, पुरी में 41 घंटे का शटडाउन
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए ओडिशा में हर साल होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दयार की गई थी जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक भागीदारी के बिना आयोजित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने फिर पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा के आयोजन को मंजूरी दे दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ रथयात्रा के आयोजन को मंजूरी दी है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर सोमवार रात 9 बजे से बुधवार दोपहर 2 बजे तक पुरी में शटडाउन रहेगा। सभी एंट्री पॉइंट्स बंद रहेंगे और आवाजाही पर पूरी तरह प्रतिबंध होगा। यह जानकारी ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी असित त्रिपाठी ने दी। उन्होंने कहा कि रथ यात्रा के दौरान कोरोना के मद्देनजक कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध रहेंगे। उन्होंने कहा कि रथ यात्रा के दौरान कोरोना के मद्देनजक कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध रहेंगे। कोर्ट ने कहा कि प्लेग महामारी के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पुरी रथ यात्रा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई थी। कोर्ट ने कहा कि प्लेग महामारी के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि हम यह राज्य सरकार के ऊपर छोड़ते हैं कि वह लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खतरा होने पर धार्मिक आयोजन को रोकने के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य से समझौता किए बिना मंदिर कमेटी, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के समन्वय से यह आयोजन किया जा सकता है। ओडिशा सरकार ने जानकारी दी है कि पुरी होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा को लाइव टेलीकास्ट करने का इंतजाम चल रहा है ताकि भक्त घर बैठे भगवान के दर्शन कर पाएं। Read the full article
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सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी की वजह से सभी धार्मिक कार्यों को भी रोका जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब 23 जून को होने जा रही ऐतिहासिक वार्षिक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर भी रोक लगा दी है। गुरुवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और रथ यात्रा से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि, जनहित और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए इस साल रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर हम इस साल यात्रा की अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।' कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, 'सबके स���वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है।'
बता दें पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस अनुरोध को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि मंदिर प्रबंधन को नियमों का पालन करते हुए कुछ रस्में निभाने के लिए छूट दी जाए। चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमने ऐसे मामले देखे हैं कि अगर हम थोड़ी सी भी छूट दें तो भी लोग भारी संख्या में इकट्ठा हो जाएंगे। कोरोना महामारी के समय भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए। इसलिए हम इस साल कुछ भी ।।। कुछ भी नहीं होने देंगे। सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है।' बता दें सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा विकास परिषद एनजीओ द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका के जरिए अदालत को बताया गया था कि, ओडिशा सरकार द्वारा रथ यात्रा जैसे 'अक्षय तृतीया और स्नान पूर्णिमा’ सरीखे सभी अनुष्ठानों को आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। याचिका में यह कहा गया था कि, 'मौजूदा रथ यात्रा की भी अनुमति दी जा सकती है और बीते साल की रथ यात्रा में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। अगर इस साल ऐसा हुआ तो परिणाम भयावह होंगे।' जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगा दी। ये भी पढ़े... भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ, यह चमत्कारी काढ़ा कर देता है उन्हें स्वस्थ ये हैं भगवान जगन्नाथ के अंगरक्षक और बाहुबली पुजारी अनिल, 7 बार रह चुके हैं मिस्टर ओडिशा इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें Read the full article
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आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ? इस चमत्कारी काढ़े ने किया स्वस्थ
चैतन्य भारत न्यूज करीब 15 दिन की अस्वस्थता के बाद भगवान जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र एवं देवी सुभद्रा पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। प्रभु के स्वस्थ होने की जानकारी आज गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव को दी गई है। इस वजह से हुए थे बीमार बता दें कि भगवान जगन्नाथ स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़े जल से स्नान करने के बाद बीमार हो गए थे। दरअसल, इस पूर्णिमा पर देव स्नान कराने के दौरान भगवान जगन्नाथ को लू लगने की परंपरा है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए मंदिर को 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इस दौरान दर्शन-पूजन भी बंद हो गया था। मंदिर में न तो पूजा हुई और न ही आरती। रोजाना पुजारी कमरे के किनारे पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर रख देते थे। 15 दिन तक पिलाया गया काढ़ा बीमार होने पर भगवान जगन्नाथ को 15 दिन तक काढ़ा पिलाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, यह काढ़ा इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी को पीसकर बनाया जाता है। इसके अलावा भगवान को इस मौसम में आ रहे सभी फलों का भोग भी लगाते हैं। बीमार होने के कारण भगवान सिंहासन पर भी नहीं विराजते हैं। इस दौरान वह खाट पर ही विश्राम करते हैं। किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए उन्हें हल्के वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। जगन्नाथ यात्रा पर लगाई रोक सेहत ठीक होने ही भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस दौरान उन्हें राजसी वेशभूषा पहनकर उनका भव्य शृंगार किया जाता है। फिर उनकी आरती कर सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। ये भी पढ़े... सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा Read the full article
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आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ? इस चमत्कारी काढ़े ने किया स्वस्थ
चैतन्य भारत न्यूज करीब 15 दिन की अस्वस्थता के बाद भगवान जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र एवं देवी सुभद्रा पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। प्रभु के स्वस्थ होने की जानकारी आज गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव को दी गई है। इस वजह से हुए थे बीमार बता दें कि भगवान जगन्नाथ स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़े जल से स्नान करने के बाद बीमार हो गए थे। दरअसल, इस पूर्णिमा पर देव स्नान कराने के दौरान भगवान जगन्नाथ को लू लगने की परंपरा है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए मंदिर को 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इस दौरान दर्शन-पूजन भी बंद हो गया था। मंदिर में न तो पूजा हुई और न ही आरती। रोजाना पुजारी कमरे के किनारे पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर रख देते थे। 15 दिन तक पिलाया गया काढ़ा बीमार होने पर भगवान जगन्नाथ को 15 दिन तक काढ़ा पिलाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, यह काढ़ा इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी को पीसकर बनाया जाता है। इसके अलावा भगवान को इस मौसम में आ रहे सभी फलों का भोग भी लगाते हैं। बीमार होने के कारण भगवान सिंहासन पर भी नहीं विराजते हैं। इस दौरान वह खाट पर ही विश्राम करते हैं। किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए उन्हें हल्के वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। जगन्नाथ यात्रा पर लगाई रोक सेहत ठीक होने ही भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस दौरान उन्हें राजसी वेशभूषा पहनकर उनका भव्य शृंगार किया जाता है। फिर उनकी आरती कर सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। ये भी पढ़े... सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा Read the full article
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सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी की वजह से सभी धार्मिक कार्यों को भी रोका जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब 23 जून को होने जा रही ऐतिहासिक वार्षिक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर भी रोक लगा दी है। गुरुवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और रथ यात्रा से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि, जनहित और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए इस साल रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर हम इस साल यात्रा की अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।' कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, 'सबके स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है।'
बता दें पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस अनुरोध को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि मंदिर प्रबंधन को नियमों का पालन करते हुए कुछ रस्में निभाने के लिए छूट दी जाए। चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमने ऐसे मामले देखे हैं कि अगर हम थोड़ी सी भी छूट दें तो भी लोग भारी संख्या में इकट्ठा हो जाएंगे। कोरोना महामारी के समय भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए। इसलिए हम इस साल कुछ भी ।।। कुछ भी नहीं होने देंगे। सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है।' बता दें सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा विकास परिषद एनजीओ द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका के जरिए अदालत को बताया गया था कि, ओडिशा सरकार द्वारा रथ यात्रा जैसे 'अक्षय तृतीया और स्नान पूर्णिमा’ सरीखे सभी अनुष्ठानों को आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। याचिका में यह कहा गया था कि, 'मौजूदा रथ यात्रा की भी अनुमति दी जा सकती है और बीते साल की रथ यात्रा में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। अगर इस साल ऐसा हुआ तो परिणाम भयावह होंगे।' जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगा दी। ये भी पढ़े... भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ, यह चमत्कारी काढ़ा कर देता है उन्हें स्वस्थ ये हैं भगवान जगन्नाथ के अंगरक्षक और बाहुबली पुजारी अनिल, 7 बार रह चुके हैं मिस्टर ओडिशा इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें Read the full article
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सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर लगाईं रोक, कहा- हमने इजाजत दी, तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी की वजह से सभी धार्मिक कार्यों को भी रोका जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब 23 जून को होने जा रही ऐतिहासिक वार्षिक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर भी रोक लगा दी है। गुरुवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और रथ यात्रा से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि, जनहित और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए इस साल रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर हम इस साल यात्रा की अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।' कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, 'सबके स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है।'
बता दें पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस अनुरोध को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि मंदिर प्रबंधन को नियमों का पालन करते हुए कुछ रस्में निभाने के लिए छूट दी जाए। चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमने ऐसे मामले देखे हैं कि अगर हम थोड़ी सी भी छूट दें तो भी लोग भारी संख्या में इकट्ठा हो जाएंगे। कोरोना महामारी के समय भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए। इसलिए हम इस साल कुछ भी ।।। कुछ भी नहीं होने देंगे। सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है।' बता दें सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा विकास परिषद एनजीओ द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका के जरिए अदालत को बताया गया था कि, ओडिशा सरकार द्वारा रथ यात्रा जैसे 'अक्षय तृतीया और स्नान पूर्णिमा’ सरीखे सभी अनुष्ठानों को आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। याचिका में यह कहा गया था कि, 'मौजूदा रथ यात्रा की भी अनुमति दी जा सकती है और बीते साल की रथ यात्रा में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। अगर इस साल ऐसा हुआ तो परिणाम भयावह होंगे।' जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगा दी। ये भी पढ़े... भगवान जगन्नाथ को भी हर वर्ष 14 दिन के लिए किया जाता है क्वारेंटाइन, आज से नहीं बल्कि सदियों से है क्वारेंटाइन प्रथा आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ, यह चमत्कारी काढ़ा कर देता है उन्हें स्वस्थ ये हैं भगवान जगन्नाथ के अंगरक्षक और बाहुबली पुजारी अनिल, 7 बार रह चुके हैं मिस्टर ओडिशा इस अनोखे मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वयं ही देते हैं मानसून आने की सूचना, मंदिर के गुंबद से टपकी बूंदें Read the full article
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आखिर क्यों हर साल बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ, यह चमत्कारी काढ़ा कर देता है उन्हें स्वस्थ
चैतन्य भारत न्यूज करीब 15 दिन की अस्वस्थता के बाद भगवान जगन्नाथ मंगलवार को पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। उनके स्वस्थ होते ही दर्शन करने के लिए भक्तों का रेला जमा हो गया। बुधवार सुबह से ही जगन्नाथ पुरी मंदिर में श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर रहे हैं। बता दें कि भगवान जगन्नाथ ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को अधिक स्नान करने से बीमार हो गए थे। दरअसल, इस पूर्णिमा पर देव स्नान कराने के दौरान भगवान जगन्नाथ को लू लगने की परंपरा है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। इसलिए मंदिर को 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इस दौरान दर्शन-पूजन भी बंद हो गया था। मंदिर में न तो पूजा हुई और न ही आरती। रोजाना पुजारी कमरे के किनारे पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर रख देते थे। बीमार होने पर भगवान जगन्नाथ को 15 दिन तक काढ़ा पिलाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, यह काढ़ा इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी को पीसकर बनाया जाता है। इसके अलावा भगवान को इस मौसम में आ रहे सभी फलों का भोग भी लगाते हैं। बीमार होने के कारण भगवान सिंहासन पर भी नहीं विराजते हैं। इस दौरान वह खाट पर ही विश्राम करते हैं। किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए उन्हें हल्के वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। उपचार पूरा होने के बाद यानी 15वें दिन अमावस्या को भगवान को परवल का जूस पिलाया जाता है और फिर वे स्वस्थ हो जाते हैं। फिर भगवान जगन्नाथ को चढ़ा हुआ काढ़ा और परवल के जूस को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है। कहा जाता है कि, इसके सेवन से सभी प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियां खत्म हो जाती हैं। सेहत ठीक होने ही भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस दौरान उन्हें राजसी वेशभूषा पहनकर उनका भव्य शृंगार किया जाता है। फिर उनकी आरती कर सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। रथयात्रा में बड़ी तादाद में श्रद्धालु शामिल होते हैं। बता दें इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 4 जुलाई से शुरू हो रही है। ये भी पढ़े... जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान सोने की झाड़ू से की जाती है रास्ते की सफाई मुस्लिम समुदाय ने पेश की अनोखी मिसाल, जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए भेंट किया चांदी का रथ विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा 4 जुलाई से होगी शुरू, छुट्टियां मनाने मौसी के घर जाएंगे भगवान Read the full article
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जगन्नाथ रथयात्रा में मुख्य अतिथि होंगी नुसरत जहां, सिंदूर लगाने और चूड़ी पहनने पर हुआ था विवाद
चैतन्य भारत न्यूज तृणमूल कांग्रेस की सांसद और मशहूर बंगाली एक्ट्रेस नुसरत जहां अपनी शादी के बाद से ही चर्चाओं में हैं। उनके चर्चा में रहने का कारण है नुसरत का पारंपरिक तरीके से रहना। दरअसल, जब वह संसद में शपथ लेने पहुंचीं थीं, तब नुसरत सिंदूर और हाथों में चूड़ा पहने हुए थीं। नुसरत के इस पहनावे पर खूब विवाद हुआ था। मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक समूह ने तो नुसरत के पहनावे को 'गैर इस्लामी' करार देते हुए फतवा भी जारी कर दिया था। यह विवाद अभी थमा भी नहीं था कि इसी बीच अंतरराष्ट्रीय संस्था इस्कॉन ने नुसरत को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है।
बता दें 4 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है। इस दौरान देशभर के प्रमुख जगन्नाथ मंदिरों से रथ यात्रा निकाली जाएगी। कोलकाता में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इसी दिन से शुरू होगी। इस रथ यात्रा की शुरुआत बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी। ��ुसरत को भी रथ यात्रा में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है। इस्कॉन के प्रवक्ता ने कहा कि, "हम सभी धर्मों को मानने वाले लोग हैं। नुसरत के विचार हमारे विचारों से बहुत मिलते हैं। नुसरत भी सभी धर्मों का आदर करती हैं। इसलिए वह एक नए और युवा राजनेता के रूप में निश्चिततौर पर आज के युवाओं को अपने विचारों से प्रभावित करेंगी। यही सोचकर हमने उन्हें यह निमंत्रण दिया है।"
बता दें लोकसभा चुनाव 2019 में नुसरत टीएमसी के टिकट पर बशीरघाट सीट से मैदान में उतरीं थीं और जीत हासिल की। इसके बाद नुसरत ने 19 जून को कोलकाता के बिजनेसमैन निखिल जैन से हिन्दू रीति-रिवाज से शादी की थी। वहीं उनके फिल्मी करियर की बात करें तो नुसरत ने फिल्म 'शोतरू' से बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। इसके बाद वह ‘खोखा 420’, ‘खिलाड़ी’ और ‘सोंधे नमार आगेय’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। ये भी पढ़े... नुसरत जहां के सिंदूर-मंगलसूत्र पहनने पर फतवा जारी हुआ तो भड़की साध्वी प्राची, मौलवी ने कहा- बेलगाम औरत मांग में सिंदूर, हाथों में लाल चूड़ा पहनें संसद पहुंचीं नुसरत जहां, शपथ लेने के बाद स्पीकर के छुए पैर सांसद नुसरत जहां को शादी करना पड़ा भारी, लोगों ने सांसद बनने पर उठाए सवाल और सुनाई खरीखोटी Read the full article
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