#कुंडली के अनुसार व्यापार
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कुंडली के अनुसार व्यापार से धनलाभ का योग। Vyapar Se Dhanlabh Ka Yog. #ba...
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल महंत श्री पारस भाई जी से समझे
बुध
बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बुध का जन्म चन्द्रमा और देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा से हुआ। बुध व्यक्ति के ज्ञान को बढ़ाने वाला ग्रह है। यह ग्रह व्यक्ति को सोचने समझने में या किसी चीज की पहच��न करने में और अपने विचार व्यक्त करने में मदद करता है। यह छोटा सा ग्रह है लेकिन तेज तर्रार ग्रह है। यह कन्या राशि में उच्च व मीन राशि में नीच के होते है। यह उत्तर दिशा का स्वामी है। सूर्य व शुक्र इसके मित्र हैं वहीं मंगल और चंद्रमा से शत्रुता रखता है। बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह हैं। जिन लोगों का बुध अच्छा होता है, वे संचार के क्षेत्र में सफल होते हैं। वहीं यदि जातक की कुण्डली मे बुध की स्थिति कमज़ोर होती है तो जातक को तर्कशक्ति, बुद्धि और संवाद में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
जानेमाने ज्योतिषी और महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है जिससे हम एक सार्थक जीवन यापन करते हैं। मतलब वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, गणित, तर्क, संचार और चतुरता का कारक माना गया है। कुंडली में बुध की सही स्थिति होने पर यह अपने से संबंधित घटकों के प्रभाव को बढ़ा देता है और सही स्थान पर न होने पर आपको संबंधित क्षेत्र में सचेत रहने की आवश्यकता है। बुध का स्थान ही दिखाता है कि व्यक्ति किस तरह से लोगों से संपर्क करता है और वह क्या बनना चाहता है। बुध ग्रह, जातक को किसी भी परिस्थिति में ढलने की कला देता है। बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है जिससे हम एक सार्थक जीवन यापन करते हैं। मतलब वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, गणित, तर्क, संचार और चतुरता का कारक माना गया है।
बुध एक तटस्थ ग्रह है इसलिए यह जिस भी ग्रह की संगति में आता है उसी के अनुसार ही व्यक्ति को इसके परिणाम मिलते हैं। बुध किस जातक पर क्या प्रभाव छोड़ेगा यह सब उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। जातक की कुंडली में जिस स्थान पर बुध होगा वो स्थान बतायेगा कि वह जातक या व्यक्ति अपने गुणों का किस तरह इस्तेमाल करेगा। ब���ध ग्रह अपने गुणों के साथ-साथ जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके भी फल प्रदान करता है। बुध महादशा 17 वर्ष की होती है। बुध प्रभावित व्यक्ति हास्य प्रेमी होते हैं और मजाक करना पसंद करते हैं।
ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से बुध को आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। बुध सफल व्यापार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यदि बुध ग्रह अच्छा होगा तो जातक कई भाषाओं का ज्ञाता हो सकता है। यह आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं और वाणिज्य और कारोबार में सफल होते हैं।
बुध ग्रह मनुष्य के हृदय में बसता है। ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह का प्रिय रंग हरा है। रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध वाणिज्य, चोरी तथा यात्रा का देवता है। ग्रीक भाषा में इसे परमेश्वर का दूत कहा गया है। बुध हमारे नाड़ी तंत्र को भी नियंत्रित करता है और व्यक्ति को अतिसंवेदनशील बनाता है। बुध ग्रह के अच्छे फल के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और गणेश जी की आराधना करें। बुध कमजोर होने पर बुध यंत्र का उपयोग करें। दान करने से आपको फायदा मिल सकता है। सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।
बृहस्पति
ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु के नाम से भी जाना जाता है। बृहस्पति को महाऋषि अंगीरा का पुत्र माना जाता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है और इन प्रभावों का असर हमारे जीवन पर पड़ता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार बृहस्पति को बहुत लाभदायी ग्रह माना जाता है। यानि जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। सभी ग्रहों में गुरु बृहस्पति सबसे उच्च और बड़ा ग्रह माना गया है यही वजह है कि बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहते हैं।यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है वहीं मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति को बहुत लाभदायी ग्रह माना जाता है। यानि जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों में गुरु बृहस्पति सबसे उच्च और बड़ा ग्रह माना गया है यही वजह है कि बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहते हैं।
संतान सुख, वैवाहिक जीवन सुखी, मान सम्मान और धन दौलत आदि के लिए देव गुरु बृहस्पति ग्रह का मजबूत होना ��बसे जरूरी बताया जाता है। गुरु को शिक्षा, अध्यापक, धर्म, बड़े भाई, दान, परोपकार, संतान, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, वृद्धि, धन और पुण्य आदि का कारक माना जाता है। बृहस्पति ग्रह को स्वतंत्रता, सहनशक्ति और खुशहाली का ग्रह माना जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत हो तो वह जातक ज्ञान के क्षेत्र में हमेशा आगे होता है और इसके साथ ही उस व्यक्ति को जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा होती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है और वह व्यक्ति सदैव सत्य के रास्ते पर चलता है। बृहस्पति ग्रह को पीला रंग प्रिय है। कुंडली में यदि कोई भाव कमज़ोर है और उस पर गुरु की कृपा दृष्टि पड़ जाए तो वह भाव मजबूत हो जाता है। बृहस्पति ग्रह को किस्मत वालों के ग्रह के रूप में देखा जाता है। बृहस्पति ग्रह ही जीवन के धार्मिक पहलुओं, सफलता, खुशियों, सपनों, ज्ञान और योग्यता का प्रतीक है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बृहस्पति की अच्छी स्थिति मनुष्य का भाग्य बदल देती है लेकिन यदि यह सही जगह न हो तो व्यक्ति को सतर्क रहने की जरूरत है।
शुक्र
वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो कि सप्तम भाव यानी कि पत्नी के भाव के कारक होते हैं। शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी होते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने शुक्र ग्रह के बारे में बताया कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वह व्यक्ति जीवन में भौतिक और शारीरिक सुख-सुविधाओं का लाभ उठाता है। शुक्र ग्रह को सबसे चमकीले ग्रह के रूप में जाना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वह व्यक्ति जीवन में भौतिक और शारीरिक सुख-सुविधाओं का लाभ उठाता है। यदि व्यक्ति विवाहित है तो उसका वैवाहिक जीवन सुखी व्यतीत होता है। वहीं यदि शुक्र कुंडली में कमज़ोर हो तो जातक को विवाह में अशुभ परिणाम मिलते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह का प्रभाव सकारात्मक रहता है यानी शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं वे व्यक्ति बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं।
शुक्र विवाह, सौन्दर्य, प्रेम, रोमांस, संगीत, काम वासना, भौतिक सुख-सुविधा, पति-पत्नी,कला, प्रेमिका, मनोरंजन, करिश्मा, सुविधा, आरामदायक चीज़ों, फ़ैशन, वैभव और ऐशोआराम आदि का कारक होता है।
यानि यह ग्रह आनंद, सामाजिक संबंधों, शादी और अन्य प्रकार की भागीदारी से संबंधित है। शुक्र हमें प्यार की कीमत और क्षमता का अहसास करवाता है। किसी व्यक्ति के जीवनसाथी के चुनाव पर भी शुक्र के स्थान का गहरा प्रभाव पड़ता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शुक्राचार्य को ऋषि भृगु का पुत्र माना जाता है। वे राक्षसों के गुरु हैं। शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च हो होते हैं वहीं कन्या राशि में नीच के हो जाते हैं। मीन राशि ��्वादश भाव की राशि होकर शैया सुख को दर्शाती है यही वजह है कि शुक्र वहां उच्च होकर जीवन में अच्छे परिणाम देते हैं। कन्या राशि छठे भाव मतलब प्रतिस्पर्धा के भाव की राशि है इसी कारण शुक्र वहां नीच होकर अच्छे परिणाम नहीं देते हैं।
यदि व्यक्ति को किसी कार्य में अचानक से लगातार सफलताएं मिलने लगे तो समझिए यह मजबूत शुक्र के संकेत हैं। शुक्र प्यार की ओर झुकाव का भी सूचक है। यह व्यक्तियों के प्रति हमारे आकर्षण और चुनाव को दर्शाता है। शुक्रवार का दिन इसे प्रिय है और इसका शुभ रंग सफेद है। कन्याओं की सेवा करने से शुक्र प्रसन्न होता है। अगर शुक्र पीड़ित हो या आपको अच्छे फल नहीं दे रहा है तो शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ कर कन्याओं को रबड़ी का भोग दें और कन्याओं या शादीशुदा स्त्रियों की मदद करें। कमजोर शुक्र को मजबूत करने के लिए वृषभ और तुला राशि के जातकों को हीरा धारण करना चाहिए |
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Astrobhoomi-
ग्रह के अनुसार व्यवसाय और करें उपाय, पाएं लाभ
ग्रह के अनुसार व्यवसाय और करें उपाय, पाएं लाभ
हर व्यक्ति अपने कॅरियर में सफल होना चाहता है, फिर चाहे वह जॉब में हो या बिजनेस, हालांकि, कई बार ऐसा हो नहीं पाता है. विभिन्न प्रकार की रुकावटें या नकारात्मक घटनाओं के कारण व्यक्ति को सफलता मिल नहीं पाती है। ग्रह हमारे कॅरियर पर भी बड़ा असर डालते हैं। हर तरह का बिजनेस किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता है, यदि जातक की कुंडली में उस ग्रह की स्थिति मजबूत हो तो उसे बड़ी कामयाबियां मिलती हैं, वरना उसे नुकसान का सामना करना पड़ता है। आज हम विभिन्न प्रकार के व्यवसाय और उनसे संबंधित ग्रहों के बारे में जानते हैं, साथ ही उन ग्रहों को मजबूत करने के उपाय भी जानेंगे, ताकि बिजनेस में कामयाबी पाई जा सके।
दशम भाव का विश्लेषण- कुंडली में व्यापार या नौकरी को दशम भाव से देखा जाता है। दशम भाव के स्वामी को दशमेश या कर्मेश या कार्येश कहते हैं। इस भाव से यह देखा जाता है कि व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा अथवा प्राइवेट जॉब से अपना कॅरियर बनाएगा या व्यापार करेगा तो कौन-सा और उसे किस क्षेत्र में अधिक सफलता मिलेगी? सप्तम भाव साझेदारी का होता है। इसमें मित्र ग्रह हो तो पार्टनरशिप से लाभ मिलता है। शत्रु ग्रह हो तो पार्टनरशिप से नुकसान होता है। मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु होते हैं। शनि, मंगल, राहु, केतु ये आपस में मित्र होते हैं। सूर्य, बुध, गुरु और शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि मन का स्वामी चंद्र जिस राशि में हो, उस राशि से स्वामी ग्रह की प्रकृति के आधार पर या चंद्र से उसके युति अथवा दृष्टि संबंध के आधार पर यदि कोई व्यक्ति अपनी आजीविका अथवा कार्य का चयन करता है। बलवान चंद्र से दशम भाव में गुरु हो तो ‘गजकेसरी’ नामक योग होता है किंतु गुरु, कर्क या धनु राशि का होना चाहिए। ऐसा जातक यशस्वी, परोपकारी धर्मात्मा, मेधावी, गुणवान और राजपूज्य होता है। यदि जन्म लग्न, सूर्य और दशम भाव बलवान हो तथा पाप प्रभाव में न हो तो जातक शाही कार्यों से धन कमाता है और यशस्वी होता है। दशम भाव में केवल शुभ ग्रह हो तो ‘अमल कीर्ति’ नामक योग होता है किंतु उसके अशुभ भावेश न होने तथा अपनी नीच राशि म���ं न होने की स्थिति में ही इस योग का फल मिलेगा। दशमेश के बली होने से जीविका की वृद्धि और निर्बल होने पर हानि होती है। लग्न से द्वितीय और एकादश भाव में बली एवं शुभ ग्रह हो तो जातक व्यापार से अधिक धन कमाता है। धनेश और लाभेश का परस्पर संबंध धनयोग का निर्माण करता है। दशम भाव का कारक यदि उसी भाव में स्थित हो अथवा दशम भाव को देख रहा हो तो जातक को आजीविका का कोई न कोई साधन अवश्य मिल जाता है। दशम भाव व दशमेश का संबंध आपकी जीविका से होता है। द्वितीय, द्वतीयेश व एकादश भाव, एकादेश का भी कुण्डली में मजबूत होना आवश्यक होता है। क्योंकि द्वतीय व द्वतीयेश का संबंध धन से होता है एंव एकादेश व एकादश भाव का रिलेशन लाभ से होता है। व्यापार में धन व लाभ का विशेष महत्व है। धन नहीं होगा तो बिजनेस कर पाना मुश्किल है और धन अच्छे से नहीं आएगा तो बिजनेस करने से फायदा क्या?
दशम भाव में ग्रह की स्थिति होने पर व्यवसाय देंगे लाभ * चन्द्र होने पर : जातक मातृ कुल का व्यवसाय या माता के धन से (आभूषण, मोती, खेती, वस्त्र आदि) व्यवसाय करता है। ये जातक प्राय: सरकारी नौकरी में अच्छे पद पर जाते हैं।
* मंगल होने पर : भाइयों के साथ पार्टनरशिप (बिजली के उपकरण, अस्त्र-शस्त्र, आतिशबाजी, वकालत, फौजदारी) में व्यवसाय लाभ देता है। ये व्यक्ति सेना, पुलिस में भी सफल होते हैं।
* बुध होने पर : मित्रों के साथ व्यवसाय लाभ देता है। लेखक, कवि, ज्योतिषी, पुरोहित, चित्रकला, भाषण कला संबंधी कार्य में लाभ होता है।
* बृहस्पति होने पर : भाई-बहनों के साथ व्यवसाय में लाभ, इतिहासकार, प्रोफेसर, धर्मोपदेशक, जज, व्याख्यानकर्ता आदि कार्यों में लाभ होता है।
* शुक्र होने पर : पत्नी से धन लाभ, व्यवसाय में सहयोग। जौहरी का कार्य, भोजन, होटल संबंधी कार्य, आभूषण, पुष्प विक्रय आदि कामों में लाभ होता है।
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06 अक्टूबर 2023 : आपका जन्मदिन
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
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#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
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#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
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#rajasthan
#hinduism
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*बृहस्पति शांति ग्रह मंत्र*
१. देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
२. हर गुरुवार (गुरुवार के उपाय) को इस मंत्र के जाप से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होंगे और शुभ परिणाम पहुंचाएंगे। बृहस्पति के मजबूत होने पर बुद्धि भी तीव्र बनेगी।
*बृहस्पति ग्रह को शांत करने के लिए क्या करना चाहिए?*
ऐसे में जातक को गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए और इस दिन भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही ज्योतिष सलाह के बाद पुखराज धारण करना चाहिए। कमजोर ग्रहों की शांति के लिए दान को सबसे उपयोगी उपाय माना गया है। इसलिए गुरु ग्रह की शांति के लिए गरीबों को धन, वस्त्र और अन्न का दान अवश्य करें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👍🏻👍🏻आध्यात्मिक गुरु 👍🏻राधे राधे 8764415587, 9610752236
जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है #वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 6 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी : दिनांक 6 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा। अंक ज्योतिष के अनुसार आपका मूलांक 6 आता है। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति आकर्षक, विनोदी, कलाप्रेमी होते है। आपमें गजब का आत्मविश्वास के कारण आप किसी भी पारिस्थिति में डगमगाते नहीं है। आपको सुगंध का शौक होगा। आप अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति गंभीर होते है 6 मूलांक शुक्र ग्रह द्रारा संचालित होता है। अत: शुक्र से प्रभावित बुराई भी आपमें पाई जा सकती है। जैसे स्त्री जाति के प्रति आपमें स्फ्ज झुकाव होगा। अगर आप स्त्री है। तो पुरुषों के प्रति आपकी दिलचस्पी होगी लेकिन आप दिल के बुर��� नहीं है।
शुभ दिनांक : 6, 15, 25, 27, 29
शुभ अंक : 1, 3, 6, 15, 24, 33, 42, 51, 69, 78, 80
शुभ वर्ष : 2023, 2025,, 2027, 2029
ईष्टदेव : हनुमान,माँ सरस्वती और महालक्ष्मी
शुभ रंग : लाल, क्रीम, सफेद, लाल और बैंगनी
कैसा रहेगा यह वर्ष
जो विधार्थी सीए की परीक्षा देगे उनके लिए शुभ रहेगा। व्यापार व्यवसाय में भी सफलता रहेगी विवाह के योग भी बनेगे स्त्री पक्ष का सहयोग मिलने से प्रसन्नता रहेगी। नौकरीपेशा व्यक्ति अपने परिश्रम के बल पर उन्नति के हकदार होगे बैक परीक्षाओं में भी सफलता अर्जित करेगे दाम्पत्य जीबन में मिली जुली स्थिति रहेगी। आर्थिक मामलों में सभलकर चलना होगा।
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इन राशियों के लिए शुक्रवार का दिन शुभ है, पढ़ें राशिफल…
Jyotish :-दैनिक राशिफल चंद्र ग्रह की गणनाओं पर आधारित है। कुंडली की गणना की जाती है और कुंडली मिलने पर एक सटीक खगोलीय विश्लेषण होता है। हर दिन ग्रहों के अनुसार अलग होता है। मेष – दीर्घकालिक रुकावटों के लिए उपयोगी। नौकरी पर पदोन्नति या प्रतिष्ठा मिलना संभव है। छात्रों या प्रतियोगियों के लिए, एक मास्टर होना एक अच्छा संकेत है। आपको व्यापार की दुनिया में लाभ, मूल्य और प्रतिष्ठा मिलती है। स्वास्थ्य की…
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मंगल दोष कितने प्रकार के होते हैं?
मंगल दोष ज्योतिष शास्त्र में एक ग्रह दोष है, जो कि जातक की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति से जुड़ा हुआ होता है। इस दोष को मंगलिक दोष या कुजा दोष भी कहा जाता है। यह दोष विवाह योग्य जातकों के व���वाह में बाधाओं का कारण बन सकता है। इस लेख में हम मंगल दोष के प्रकारों पर विस्तार से चर्चा करेंगे और उनके प्रभाव के बारे में भी जानेंगे।
मंगल दोष के प्रकारों की सूची निम्नलिखित है:
आंशिक मंगल दोष: इस प्रकार का मंगल दोष (Mangal Dosh) जब मंगल ग्रह चौथी, सातवीं, आठवीं या द्वादश भाव में स्थित होता है। यह दोष शादी के बाद भी समाप्त हो सकता है।
पूर्ण मंगल दोष: इस प्रकार का मंगल दोष जब मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सातवां, आठवां या द्वादश भाव में स्थित होता है। इस प्रकार का मंगल दोष समाप्त नहीं होता है और इसे शांत करना आवश्यक होता है।
डबल मंगल दोष: डबल मंगल दोष सबसे अधिक बाधाकारी होता है और इसका प्रभाव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है।
मंगल दोष के प्रभाव:
विवाह: जब मंगल दोष वाले जातक की विवाह की बात आती है तो बहुत सावधानी बरतना चाहिए। इस दोष के कारण विवाह से संबंधित अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे बढ़ती झगड़े, असंतुष्टि, नृशंसता, बीमारी, और अलगाव।
संतान: मंगल दोष के जातक के संतान प्राप्ति से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। उनकी संतान की संख्या और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि डबल मंगल दोष वाले जातकों के बच्चों में असामान्य समस्याएं होती हैं।
स्वास्थ्य: डबल मंगल दोष वाले जातक को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण रक्त संबंधी समस्याएं, त्वचा संबंधी समस्याएं,
व्यापार और करियर: डबल मंगल दोष वाले जातक को व्यापार और करियर से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इस दोष के कारण व्यवसाय में नुकसान हो सकता है और करियर के संबंध में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
मानसिक समस्याएं: डबल मंगल दोष वाले जातक को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण उनमें असंतुष्टि, तनाव, निराशा, अवसाद और भय जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
विदेश यात्रा: डबल मंगल दोष वाले जातक के लिए विदेश यात्रा भी बड़ी समस्या बन सकती है। इस दोष के कारण उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी हो सकती है।
डबल मंगल दोष का समाधान:
डबल मंगल दोष का समाधान करने के लिए कुंडली मिलान द्वारा जांच की जा सकती है। अगर डबल मंगल दोष वाले जातक की कुंडली में कुछ उपायों से इसे कम किया जाए तो उन्हें समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है।
मंगल दोष निवारण के उपाय: एक उपाय है मंगल दोष का निवारण करना। इसके लिए ज्योतिषी द्वारा उपाय बताए जाते हैं जैसे कि मंगल की महादशा में शुभ ग्रहों के प्रभाव को बढ़ावा देना, मंगल के लिए पूजा करना आदि।
दोष कम करने के उपाय: कुछ ज्योतिषी उपाय मंगल दोष को कम करने में मदद कर सकते हैं। उनमें शांति का पूजन, शांति यज्ञ आदि शामिल हो सकते हैं।
मंगल दोष एक ऐसी स्थिति होती है जब मंगल ग्रह या मंगल की शुभ भावना नहीं होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली में मंगल की ये स्थिति होती है तो उस व्यक्ति को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस समस्या को दूर करने के लिए, मंगल दोष की पूजा की जाती है। यह पूजा उज्जैन शहर में कई स्थानों पर की जाती है। सबसे ��्रसिद्ध स्थान महाकालेश्वर मंदिर है, जहां भगवान शिव की पूजा के साथ साथ मंगल के लिए विशेष पूजा की जाती है। अन्य स्थानों में भी मंगल दोष की पूजा की जाती है जैसे की मंगलनाथ मंदिर, चमुण्डेश्वरी मंदिर और सिद्धवश्नुदेव मंदिर।
मंगल दोष की पूजा में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। यह पूजा मंत्र जाप और हवन के माध्यम से की जाती है। इसके लिए एक पंडित आवश्यक होता है जो पूजा के विविध विधानों को समझता हो। विभिन्न मंदिरों में पूजा की कीमत अलग-अलग होती है, लेकिन आमतौर पर इस पुजा के लिए लगभग 5100 से 11000 रुपये का खर्च आता है। इ���में पंडित की फीस, सामग्री के खर्च और दान के रूप में दिए जाने वाले धन का खर्च शामिल होता है।
मंगल दोष की पूजा के अलावा, व्यक्ति को अपने कुंडली में मंगल दोष को दूर करने के लिए कुछ उपाय भी करने होते हैं। कुछ उपायों में शामिल होते हैं - मंगल की माला धारण करना, एक लाल मूंग की माला धारण करना, अग्निकुंड में लोबान डालना, घर में लाल कपड़ों का उपयोग करना और घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग का उपयोग करना शामिल हैं।
इस तरह से, मंगल दोष की पूजा उज्जैन (Mangal Dosh Puja Ujjain) में की जाती है और इसकी कीमत विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग होती है। व्यक्ति को अपनी कुंडली में मंगल दोष को दूर करने के उपाय भी करने चाहिए ताकि वह इस समस्या से निजात पा सके।
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[दशा के स्नानादि अवस्था]
ये सिद्धांत ज्योतिष में मिलना बहुत ही दुर्लभ है जो 100%काम करता ही है।
आप के जीवन में चल रहे महादशा आप को किस मुकाम तक पहुंचाएगा ये आप का महादशा के स्नानादि अवस्था बताता है। जिसका मैनें उदाहरण से साथ प्रस्तुत कर रहा हु।।
✓मैंने खुद भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल की के राहु की दशा का जब अवस्था निकाला तो मुकुटप्राप्ति आया जो उनको प्रधान मंत्री का ताज पहनाया।
✓जब श्री नरेंद्र मोदी जी के कुंडली पर लगाए तो मिस्ठान भोजन (कार्य सिद्धि मिठाई बताना)जैसे की उनकी चंद्र की दशा चल रहा था मिठाई बटी पूरे भारत में और फिर मंगल का भी अवस्था यही है जो 2028 तक रहेगा।।
अवस्था निकलने की सरल विधि
दशा फल के लिए सारे ग्रहों की अवस्था जान लेनी चाहिए। इसके लिए
1)जन्म लग्न की राशि संख्या
2) ग्रह जिस राशि में हो उसकी संख्या को आपस में जोड़कर दुगुना कर लें। इस संख्या को विचाराधीन ग्रह की विंशोत्तरी दशा के सालों से( जिसकी दशा जितने साल की होती है जैसे मंगल का 7 साल, चंद्र का 10 साल) गुणा करें।
3) इस गुणनफल का27 से भाग दें।
शेष संख्या स्नानादि 27 अवस्थाओं में से उस ग्रह की वर्तमान अवस्था को प्रकट करेगी।
ये स्नानादि अवथाएं ग्रह की दशा का मूल स्वर, दिशा और महादशा के फल के बीज को सूत्र रूप में जानने में बड़े काम आती है। ये हर एक जन्मपत्र में अलग होती है
इनके नाम यहां क्रमशः बताए जा रहे हैं।
सत्ताईस अवस्थाओं के नाम के अर्थ के अनुसार होने वाले फल के अतिरिक्त विस्तृत फल क्रमशः ��िया जा रहा है-
1. स्नान- आदर मान सम्मान, सुख शान्ति, तसल्ली, मन में उत्साह, सफलता ।
2. वस्त्रधारण- आभूषण, अवार्ड, दुनियादारी के नजरिए से सफलता, भोग विलास, खुशहाली।
3. मोद- विदेश या दूर स्थान से लाभ, अच्छा नाम
प्रतिष्ठा, यश।
4. पूजारम्भ - सम्पत्ति, वाहन सुख, मान सम्मान, जीवन स्तर में वृद्धि, सब तरह से लाभ।
5. प्रार्थना- सरकारी विभागों से कष्ट, मान प्रतिष्ठा में कमी, बदनामी, अपनी जगह से हटना, भागना, छुपना आदि ।
6. पूजा- मान सम्मान, अधिकार प्राप्ति, अगली कतारों में आना, जाति बिरादरी में मुखिया या पंच बनना, सांसारिक सुख, सम्पत्ति, खुशहाली।
7. यज्ञारम्भ- पित्त से परेशानी, शरीर कष्ट, रोग पीड़ा, अध्ययन स्वाध्याय में बाधा रुकावट।
8. प्रभुध्यान- शत्रुओं पर काबू पाना, अचल सम्पत्ति में बढ़ोतरी
9. उपवेश- उदारता, सबसे मीठा व्यवहार, मधुर भाषा, प्रतिष्ठा वाले वाहन का सुख ।
10. प्रदक्षिणा - पेट में विकार, पाचन तन्त्र की कमजोरी, आरोप प्रत्यारोप, बदनामी।
11. भावना- सफलता, बहुत से सुख, मन में तसल्ली ।
12. अतिथिसत्कार- जीवन स्तर में वृद्धि, बड़प्पन, धन, आदर और नेकनामी,किसी वाद मुकदमा या रुपये पैसे के कारण प्रत्यक्ष में रहना ।
13. भोजन- रोग, अधिक लोभ लालच, अपमान, नीचा देखना, सामाजिक बहिष्कार, उपेक्षा।
14. जलसेवा- भोजन में बाधा, खाने के समय तनाव, रूखा सूखा या जिल्लत का खाना, मन और कर्म में दुराचार |
15. क्रोध- अकारण अपयश, सन्ताप, क्षोभ ।
16. ताम्बूलाशन- धन में वृद्धि, सर्वत्र विजय, हाथ में लिए काम सफल होना, ज्ञान, बुद्धि, विचारों की शुद्धि और सही दिशा में प्रवर्तन ।
17. वसति घर जगह भवन निर्माण, धन का लाभ, स्थायी लाभ, अच्छा मान सम्मान प्रतिष्ठा, काम की जगह पर तारीफ, मन में तसल्ली, चिन्ताओं से मुक्ति, सम्पत्ति में वृद्धि, सुगम सफलता।
18. मुकुटप्राप्ति- देवराज इन्द्र के समान स्तर पदवी, मान और धन में बढ़ोत्तरी, राजयोग, अटूट जनसमर्थन, उच्च सम्मान, मुख्य पद या समाज में सबसे ऊंचा स्थान, धर्म और ईमानदारी की कमाई, सब तरह के सुख ।
19. मन्त्र- आलस, असावधानी, झूठा आरोप या विवाद, बातचीत में कुशलता। और चतुराई ।
20. विलम्ब - आलस्य की अधिकता, काम में असावधानी, अधिक आत्मविश्वास से गलती हो जाना, अनाड़ीपन, गहरी जानकारी पाने से बचना।
21. निद्रा- क्रोध, रोग, परिजन परिवारजनों से मनमुटाव, अधिक उपद्रव । 22. मद्यपान- नशे के कारण परेशानी, सम्मानित लोगों की नाराज़गी, लोगों द्वारा धिक्कारना, छिपा क्षोभ और गुस्सा ।
23. मिष्टान्नभोजन- कार्य सिद्धि,मिठाई बटना,खुशी का माहोल मन में तसल्ली, नए मित्रों सहयोगियों की सहायता, सुख।
24. धनागम व्यापार व्यवसाय में धन लाभ, बढ़ती धन सम्पत्ति।
25. किरीटत्याग- अपने लोगों द्वारा उपेक्षा, धन, पदवी, मान सम्मान में कमी, रोग, किसी पद को छोड़ने के हालात ।
26. शयन- दीर्घकालीन रोग, सत्ता अधिकार मिलने के योग, अच्छे लाभ और व्यक्तिगत हित ।
27. रति- अक्ल पर पद्म पड़ना, मन में सन्ताप, पछतावा, लोगों से दुश्मनी, दुष्ट विचारों की अधिकता, सब पर बेय��ीनी, दुष्ट स्त्री के चंगुल में फंसना ।
उदाहरण /उदाहरण में चंद्र की महादशा में श्री नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधान मंत्री का पद मिला उस समय
शेष आया था (23)मिस्ठान भोजन
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कालसर्प दोष पूजा सामग्री – उज्जैन
कालसर्प पूजा मे उपयोग होने वाली सामग्री से पहले हम यह जान लेते है, की कालसर्प दोष पूजा क्यो की जाती है। उससे पहले हम यह जान लेते है की काल सर्प दोष क्या होता है?
जैसा की हम सभी जानते है, की किसी मनुष्य की कुंडली मे सारे ग्रह राहू और केतू के बीच मे ग्रसित होते है, तब काल सर्प दोष जातक की कुंडली मे उत्पन्न होता हे।
कालसर्प दोष का कुंडली मे होना काफी हानिकारक साबित हो सकता है। कालसर्प दोष के चलते हुए जातक को कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ सकते है। जैसे की व्यापार मे सदैव हानि होना, संतान सुख से वंचित रहना, विवाह मे कई प्रकार की समस्या आना और आर्थिक हानि होना।
अगर कालसर्प दोष की जानकारी जातक पहले पता कर ले, तो बेहतर होता है नहीं तो यह दोष जातक को जीवन भर कष्ट देता रहता है।
कालसर्प दोष पूजा सामग्री
कालसर्प दोष के दुष्प्रभावो को हम काल सर्प निवारण पूजा से सुभप्रभावों मे भी बदल सकते है, और अपने जीवन मे चल रही हर प्रकार की समस्या का समाधान कर ��कते हे।
अगर किसी जातक की कुंडली मे यह दोष है, तो वह काल सर्प दोष निवारण पूजा को करा कर, अपनी कुंडली से इस दोष को समाप्त कर सकता है। इस पूजा के बाद आप अपने जीवन मे अपार सफलता प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते है।
काल सर्प पूजा के लिए मध्य प्रदेश मे उज्जैन को सर्वश्रेष्ठ स्थान बताया गया है, यदि आप भी कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन मे करवाना चाहते है, तो उज्जैन के प्रसिद्ध पंडित श्री कांता गुरु जी से संपर्क कर सकते है, पंडित जी काल सर्प दोष पूजा के विशेषज्ञ है। आप मंदिर परिसर मे पूजा सामग्री के कष्ट से बचने एवं काल सर्प दोष निवारण पूजा के सफल आयोजन के लिए पंडित जी से संपर्क कर सकते है।
कालसर्प दोष पूजा पूजा सामग्री लिस्ट
श्री फल = 1
शिवलिंग = 1
लोहे का कटोरी = 1
गोला = 1
लकड़ी की चौकी = 1
दोने = 1 पैकेट
रुई = 1 पैकेट
नवग्रह समिधा = 1 पैकेट
मिट्टी के बड़े दिये = 2
मोली = 5
फूलो की माला, फूल = 5
पान की पत्ते = 7
कपूर = 11 टिक्की
आम के पत्ते = 11 पत्ते
छोटे मिट्टी के दीपक = 11
जनेऊ = 11
सुपारी = 11
बेल पत्री = 11
सांप = 9
इलायची = 10 ग्राम
लौंग = 10 ग्राम
शहद = 50 ग्राम
कच्चा दूध = 100 ग्राम
रोली = 100 ग्राम
दही = 100 ग्राम
काली मिर्च = 100 ग्राम
साबूत उड़द दाल = 250 ग्राम
पंच मेवा = 250 ग्राम
जौ = 500 ग्राम
चीनी = 500 ग्राम
काले तिल = 1 किलोग्राम
देसी घी = 1 किलोग्राम
हवन सामग्री = 1 किलोग्राम
पंच मिठाई = 1 किलोग्राम
साबुत चावल = 1 किलो 250 ग्राम
आम की लकड़ी = 5 किलो ग्राम
तिल का तेल = 1 लीटर
सूखा बेल गीरी = 20 रु.
जटामसी = 20 रु.
भोज पत्र = 20 रु.
गूग्गल = 20 रु.
पीली सरसो = 20 रु.
लाल चंदन = 20 रु.
कमल गट्ठा = 20 रु.
पीला कपड़ा = सवा मीटर
धूप और अगरबत्ती = एक एक पैकेट
ऋतु फल = श्रद्धा अनुरूप
पूजा सामग्री लेने से पहले इन बातो का ध्यान रखना चाहिए-
श्री फल को नारियल या चिकना नारियल भी कहा जाता है।
शक्कर गुड वाली होनी चाहिए।
पंच मेवे मे काजू, किशमिश, छुवारे, बादाम और मखाने होने चाहिए।
चावल टूटे हुये नहीं होने चाहिए।
पंच मिठाई मे बूंदी के लड्डू, बर्फी, बेसन से बने हुये लड्डू या बर्फी, मिल्क केक, मावा नारियल से बनी हुई बर्फी या कोई सी भी सुखी मिठाई लेनी है।
ऋतु के अनुसार कोई से भी फल ले सकते है, किन्तु ध्यान रहे अनार एवं केले आवश्यक ह��। शेष तीन फल कोई से भी हो सकते है।
9 नाग कुंडली लगा के बैठे हुये हो वो ही लेने है।
आटे का घी मे चूर्ण कर ( महाप्रसाद) सूखा प्रसाद बनाना है।
भगवती शृंगार के लिए अपने हाथ की चूडियाँ, बिंदी, मेहंदी, हार, माला, कंघी, दर्पण और सैंट जो आप स्वयं इस्तेमाल करते हो।
भगवती की साड़ी काले एवं नीले रंग की नहीं होनी चाहिए।
देवी की चाँदी की मूर्ति मे सुनार से कहकर माथे पर सोने की बिंदी लगवा दे।
किसी भी प्रकार की पूजा मे लकड़ी की चौकी जरूरी होती है, चाहे आप पूजा कर रहे हो या करवा रहे हो।
यह सभी मुख्य सामग्री है, जो की काल सर्प दोष निवारण पूजा मे उपयोग की जाती है। हम आप सभी से निवेदन करते है, की यदि आप भी यह पूजा करवाते है, तो एक बार पुजारी जी से सामग्री के बारे मे जानकारी जरूर ले।
अगर आप पंडित कांता गुरु जी द्वारा कालसर्प दोष पूजन कराते है तो आपको पूजन सामग्री की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, सारी पूजन सामग्री पंडित जी द्वारा उपलब्ध करा दी जाएगी। जिससे आपका समय बच सके, आपको केवल उज्जैन मे आकर पूजा सम्पन्न करनी है।
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कालसरप दोष - यह क्या है? अपनी कुंडली से कालसर्प दोष कैसे दूर करें?
कालसर्प दोष वैदिक ज्योतिष के अनुसार, दोष किसी के पिछले कर्मों या कर्मों का परिणाम है। वहाँ हैं
कई प्रकार के दोष हैं लेकिन कालसर्प दोष सबसे खतरनाक है। अब सवाल उठता है
कालसर्प दोष है? यदि किसी व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म में ही नहीं बल्कि पिछले जन्म में सांप को नुकसान पहुंचाया हो
पिछला जन्म लेकिन वर्तमान जन्म में भी। तब यह की उपस्थिति का कारण हो सकता है
उनकी कुंडली में कालसर्प दोष। अगर आपको लगता है कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आप
इसे जल्द ��े जल्द हटा देना चाहिए। ताकि आपको जीवन में किसी भी तरह की परेशानी से जूझना ना पड़े।
अपनी कुंडली से सभी कालसर्प दोष को दूर करने के लिए सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी से परामर्श लें।
कालसरप आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा?
• जीवन में बाधाएँ और कठिन परिस्थितियाँ लाएँ
• व्यापार हानि और नौकरी हानि के लिए नेतृत्व
• चिंता और तनाव लाओ
• आपके जीवन में शांति का अभाव
• अपने जीवन को छोटा करने के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लाएं
• आपको सफल होने से रोकता है
• अपने परिवार में गरीबी लाएं
• मित्रों द्वारा विश्वासघात
• पारिवारिक समस्याएं लाएं
• प्रेम समस्याएं लाएं
• परिवार में दुर्घटनाएं हो सकती हैं
• गर्भवती महिलाओं को गर्भपात की समस्या का सामना करना पड़ सकता है
• आपके बच्चों को अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ सकता है
• मन में चिड़चिड़ापन
अपनी कुंडली से कालसर्प दोष कैसे दूर करें?
बहुत से लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष का डर रहता है लेकिन इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है और
कुछ आसान ज्योतिषीय उपायों से दूर किया जा सकता है।
प्रतिदिन कम से कम 108 बार महा मृत्युंजय मंत्र जाप का जाप करें
पंचाक्षरी मंत्र का जाप जो है Om नमः शिवाय
सांपों के देवता की पूजा करें
महादेव की पूजा करें इस कालसर्प दोष का व्रत रखें
शिव लिंग के रुद्र अभिषेक का अभ्यास करें
शिव के मंदिर में आदर्श धातु या चांदी का सांप चढ़ाएं
आपकी कुंडली में इस कालसर्प दोष को दूर करने के लिए ये कुछ प्रभावी उपाय हैं। नियमित रूप से
इन उपायों का अभ्यास करने से आपके जीवन में बेहतर और संतोषजनक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
इसके अलावा अपने से कालसर्प दोष को दूर करने के लिए परामर्श करने के लिए सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी से बात करें
कुंडली सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी के पास लोगों के जीवन में दोषों की समस्या को हल करने का वर्षों का अनुभव है।
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Kale Dhaga K Fayde सभी ने बुरी नजर या नकारात्मक शक्तियों के बारे बारे में सुना है
Kale Dhaga K Fayde सभी ने बुरी नजर या नकारात्मक शक्तियों के बारे बारे में सुना है अक्सर लड़कियां फैशन के लिए अपने बाएं - पैर में काला धागा बांधती हैं. लेकिन इसके कई धार्मिक महत्तव हैं. हम सभी ने बुरी नजर या नकारात्मक शक्तियों के बारे बारे में सुना है. काला धागा इसलिए धारण किया जाता है कि ताकि नकारात्मक शक्तियां दूर रहें Kale Dhaga K Fayde सभी ने बुरी नजर या नकारात्मक शक्तियों के बारे बारे में सुना है - यदि मंगलवार के दिन दाहिने पैर में काला धागा बांधा जाए तो यह सौभाग्य प्रदान करता है, धन संबंधी मामलों को सुलझाता है और आर्थिकसमृद्धि लाता है। यह मौद्रिक लाभ प्रदान करता है। - काला धागा बांधने से व्यक्ति की सेहत में सुधार आता है. खासकर जिन लोगों को पेट दर्द की समस्या रहती हैं उन्हें पैरे के अंगूठे में काला धागा बांधना चाहिए. इसके अलावा पैर में काला धागा बांधने से पैरों के दर्द से छुटकारा मिलता है. - ज्योतिष के अनुसार, पैर में काला धागा बांधने से शनि की महादशा, साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है. साथ ही कुंडली में शनि ग्रह को मजबूती मिलती है. - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, काला धागा पहनने से बुरी नजर के अलावा शनि ग्रह भी मजबूत होता है। क्योंकि शनि का संबंध काले रंग है। ऐसे में अगर कोई जातक अभिमंत्रित करके काला धागा बांधता है तो उसका शनि ग्रह भी मजबूत होता है ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या Google news पर फॉलो करें. tejas24.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें Read the full article
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उपाय और व्यवसाय
बिसनेस करने वालों को ज्यादातर बिसनेस-दुकान ना चलने की यह समस्या आती रहती है उनका एक ही टारगेट होता है के उनका बिसनेस चलता रहें लेकिन फिर भी इतने पूजा-पाठ,उपाय और टोटके करने के बावजूद भी उनका बिसनेस मंदा ही रहता है ऐसा क्यों?क्यों की जो भी पूजा-पाठ, उपाय,टोटके करते है जन्म कुंडली के द्वारा नहीं करते जबकि अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जातक/जातिका को जन्म कुंडली के ग्रहों के अनुसार उपाय करने चाहिए और जन्म कुंडली के ग्रहों के अनुसार ही व्यवसाय करना चाहिए कई बार लग्न कुंडली अर्थात जन्मपत्रिका के मुताबिक व्यवसाय करना ठीक नहीं होता लेकिन फिर भी इन्वेस्टमेंट कर लेते है तो उस समय मे जातिका/जातक को उपाय ही एक मात्र सहारा है लेकिन कौन सा उपाय करें ?तो जानिए सिंह लग्न की जन्म कुंडली वालों को कब इन्वेस्टमेंट नहीं करनी चाहिए अगर करें तो उसके उपाय भी जानिए उदाहरण सहित |अगर आपकी लग्न कुंडली अर्थात जन्म कुंडली सिंह लग्न की हो और दसवें भाव का स्वामी शुक्र देव अष्टम भाव में उच्च के हो तो तो ऐसे में जातक को व्यापार मे पैसा ज्यादा लगाने से परहेज़ करना चाहिए |सप्तम भाव का स्वामी शनि नवम भाव में नीच के हों तो जातक को ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं करनी चाहिए |बुध ग्रह दूसरे भाव के मालिक अगर अष्टम भाव में हो नीच के तो बिजनेस में ज्यादा इन्वेसमेंट से बचाव करना
चाहिए | शुक्र देव अगर दूसरे भाव में नीच के हो तो भी ज्यादा इन्वेसमेंट से परहेज़ करना चाहिए |शुक्र देव अगर बाहरवें भाव में तब भी इन्वेसमेंट से बचाव रखना चाहिए| अगर फिर भी कर ले इन्वेस्टमेंट ज्यादा और दिक्कत आ रही हो ऐसे मे तो यह उपाय करें नुकसान कम होने के चांस बन ��ाते है -
हर शनिवार को काले माह दान करें किसी भी जरूरत मंद को |
हर शुक्रवार को चावल दान या करें किसी भी जरूरत मंद को |
काले तिल डाले हर शनिवार को चींटीयों को |
शनि चालीसा पाठ करें नित्यदिन |
ॐ शनये नमः और ॐ शुक्राय नमः का जाप करें नित्यदिन |
काला और सफेद हरा रंग पहनने से परहेज़ करें |हैंडीकैप लोगों की मदद करें |
तुलसी की पूजा करें|कंजक पूजन करते रहे हर शुक्ल पक्ष की अष्टमी को|
जय श्री कृष्णा
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कुंडली के शुभ योग: अखंड साम्राज्य योग के जातकों को जीवन भर नहीं होती धन की कमी, हमेशा रहते हैं मालामाल
कुंडली के शुभ योग: अखंड साम्राज्य योग के जातकों को जीवन भर नहीं होती धन की कमी, हमेशा रहते हैं मालामाल
हाइलाइट्स अखंड साम्राज्य योग हर सुख सुविधा, कैरियर, व्यापार क्षेत्र में नई ऊंचाइयां प्रदान करता है. जिसकी कुंडली में अखंड साम्राज्य योग बनता है उसका भाग्य अत्यंत प्रबल होता है. Akhand Samrajya Yoga: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य की कुंडली में अनेकों योग बनते हैं, जो शुभ-अशुभ और मिश्रित फल देने वाले होते हैं. शुभ योग मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होते हैं. वहीं कुछ योग ऐसे भी…
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हमारी कुंडली पर विभिन्न ग्रहों का प्रभाव
मैं भारत में Black Magic Solution Baba हूँ। लोग हमेशा हमारी कुंडली पर ग्रहों के प्रभाव के बारे में जानना चाहते हैं। भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार 12 घर और 9 ग्रह हैं। हर ग्रह, हर घर का अपना अलग महत्व होता है। लेकिन लोग मुझसे हमेशा यह सवाल पूछते हैं कि कौन सा ग्रह सबसे अच्छा है? कौन सा घर सबसे शुभ होता है? किसी विशेष ग्रह का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? जीवन में सफल होने के लिए कौन सा ग्रह सबसे मजबूत है? लोग ये सवाल इसलिए पूछते हैं कि वे कई सालों से गुमराह हैं। जैसे आपकी राशि में राहु और केतु है, वैसे ही शनि (शनि) का प्रभाव दिख रहा है। लोगों को यह जानने की जरूरत है कि हालांकि हर ग्रह की अपनी विशेषताएं, लक्षण होते हैं, लेकिन दूसरे ग्रहों के प्रभाव से वे वहां मूल शक्ति ��ो सकते हैं। तो, आपको राहु, केतु या शनि के बारे में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
Also Read : मेष राशि के लोगों का व्यक्तित्व लक्षण - मेष राशि का व्यक्ति किस तरह का होता है?
सूर्य: सौरमंडल में सूर्य केंद्र में है। यह प्रकाश और ऊर्जा का स्रोत है। ज्योतिष में भी सूर्य सभी ग्रहों की ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य सभी ग्रहों की आत्मा है और व्यक्ति भी। अपार शक्ति, स्वाभिमान और अधिकार सूर्य के प्रमुख लक्षण हैं। कैसे व्यक्ति दुनिया में खुद का प्रतिनिधित्व करने जा रहा है। सूर्य का प्रभाव जितना मजबूत होता है व्यक्ति का व्यक्तित्व उतना ही मजबूत होता है। मजबूत सूर्य आपको मजबूत करियर की ओर ले जाता है, यह आपको पेशेवर रूप से बढ़ने में मदद करेगा लेकिन अगर हम आपके प्रेम जीवन, रिश्ते के बारे में बात करें तो इस शुक्र के लिए एक और ग्रह है।
मंगल: जुनून, साहस, बहादुरी, ताकत और आत्मविश्वास इस ग्रह के मुख्य लक्षण हैं। लेकिन जीवन के कई पहलुओं में, आपको यह सब समान रूप से नहीं चाहिए। लेकिन मजबूत मंगल (मांगलिक दोष) आपको वैवाहिक जीवन की समस्याओं की ओर ले जा सकता है।
चंद्रमा: प्रेम, मन की शांति, सकारात्मकता और भावनाएं चंद्रमा इन सभी लक्षणों का प्रतिनिधित्व करता है। एक मजबूत चंद्रमा व्यक्ति को जीवन के सभी चरणों में मदद करता है।
शुक्र: शुक्र प्रेम, रोमांस, सुंदरता, रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है, आपके सहयोगियों, व्यापार भागीदारों के साथ आपके रिश्ते कैसे होंगे, जीवन साथी यह आपकी कुंडली में शुक्र के प्रभाव से तय होता है।
बुध: तर्क, तर्क, बुद्धि बुध के लक्षण हैं। शैक्षिक जीवन में इसका अधिक महत्व है।
बृहस्पति: बृहस्पति ज्��ान का प्रतिनिधित्व करता है। जीवन के शुरुआती दौर में इसका महत्व नहीं है। लेकिन जब हम करियर की बात करते हैं तो बृहस्पति आपके जीवन में समृद्धि ला सकता है।
राहु: इस ग्रह का भौतिक स्वरूप ज्ञात है। राहु का संबंध राहु की लोकप्रियता से है, लेकिन अगर राहु खराब हो तो यह अपमान का कारण बन सकता है जिसका अर्थ है खराब लोकप्रियता। नाम और प्रसिद्धि लाता है, लेकिन खराब राहु अपमान लाता है। यह जीवन के बुरे दौर को जन्म दे सकता है क्योंकि यह व्यक्ति को अति महत्वाकांक्षी, अति महत्वाकांक्षी देता है। आप नियंत्रण में रहें, राहु अच्छी भूमिका निभाएगा।
केतु: राहु की तरह इस ग्रह का कोई अस्तित्व नहीं है। केतु को जीवन पर इसके बुरे प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। केतु का बुरा प्रभाव उस उम्र में प्रेम जीवन, रोमांस, इच्छाओं के प्रति अरुचि पैदा कर सकता है जब आपको उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
शनि: शनि कर्म ग्रह है। यह आपको आपके कर्मों का फल देता है चाहे वे बुरे हों या अच्छे। इसका व्यापक प्रभाव और व्यक्तित्व है कि हम यहां इसकी व्याख्या नहीं कर सकते। आप इसके बारे में अलग ब्लॉग में पढ़ सकते हैं।
Read: Saturn and its impact on persons life
ग्रह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं
हाँ, ग्रहों की स्थिति से हमें लाभ मिल सकता है यदि वे सही घरों में हों। लेकिन पिछले जन्म के कर्म भी हमारे जीवन पर अपना प्रभाव दिखाते हैं। विभिन्न घरों में सूर्य का प्रभाव दिखाएगा कि आप बाहरी दुनिया को कैसे देखेंगे और व्यवहार करेंगे, विभिन्न घरों में चंद्रमा आपकी भावनाओं, प्रेम संबंधों को दर्शाता है। विभिन्न घरों में शुक्र का प्रभाव आपके कर्म और आपके जीवन पर प्रभाव को दर्शाता है।
तो, आपको राहु, केतु और शनि के विभिन्न घरों में प्रभाव से अभिभूत नहीं होना चाहिए।
जन्म कुंडली में सभी ग्रहों की भूमिका
जैसा कि मैंने ऊपर कहा, हमारी जन्म कुंडली को 12 भागों में बांटा गया है जिन्हें 12 भावों के रूप में जाना जाता है। इन घरों में 9 ग्रह स्थित हैं। चंद्रमा, शुक्र, बृहस्पति और बुध को शुभ ग्रह माना जाता है, वहीं राहु, केतु, शनि, सूर्य, मंगल को खराब ग्रह माना जाता है और उनमें पापी शक्तियां होती हैं। यदि आपने अपनी जन्म कुंडली देखी है तो ज्योतिषी आपके जीवन पर ग्रहों के समग्र प्रभाव का संक्षिप्त विवरण देते हैं।
www.blackmagicsolutionbaba.com पर और पढ़ें, मेल लिखें या मुझे +91 9915124935 पर कॉल करें।
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कुंडली में 12 भाव और मनुष्य जीवन में इसका महत्व क्या होता है ?
कुंडली में 12 भाव होते है। इनका मनुष्य जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ता है। वैसे तो हर कोई जानना चाहता है कि उनके जीवन में क्या होगा किस तरह के ग्रह केसा पभाव छोड़ेंगे। आपको बेस्ट अस्त्रोलोगेर इन यु. इस. ये. की मदद से यह जानने में सहायता मिलेगी कि तरह से यह आपकी जिंदगी में प्रवेश कर आपकी पूरी जिंदगी को तहस नहस करके रख देते है। यह आपके लिए सही भी हो सकते है और गलत भी हो सकते है। इसके प्रभाव से आपकी जिंदगी में बहुत ही गहरा असर होता है। जो आपके लिए खतरनाक भी साबित हो सकते है। एक तरफ से देखा जाये तो यह सही भी होते है क्योंकि इनका सही दिशा में चलना आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है। सही तरीके से किया काम सफलता के 100 दरवाजे खोलता है।
ठीक वैसे ही ��नका प्रभाव होता है जो आपकी जिंदगी में बहुत असरदार होते है। यह आपके लिए उच्चित हो सकते है। इसका इस्तेमाल जरूर करे। हर कोई जनता है कि सही और मेहनत से किया गया काम ही उच्चित होता है।
कुंडली में 12 भाव
बेस्ट अस्त्रोलोगेर इन यु. इस. ये. के अनुसार जाने कुंडली के भाव क्या है और कैसे होते है ?
प्रथम स्थान लग्न होता है जिसमे के व्यक्तित्व, रूप, रंग, आत्म विश्वास, अभिमान, यश-अपयश, सुख-दुख के भावो को पंडित जी देखकर बताते है कि यह किस तरह से अपने जीवन को व्यतीत करेगा। इससे मनुष्य का चरित्र, खुद की कमाई, मकान तथा उसके कोने, दिमागी ताकत, पिछले जन्म का साथ लाया धन, वर्तमान जन्म नियत, पूर्व दिशा और दूसरे से संबंध को परखा जा सकता है।
द्विती भाव में धन लाभ, आर्थिक स्थिति, वाणी, जीभ, संपत्ति, कुटुंब को देखा जा सकता है जिससे कि पत्नी के ससुराल वालो के साथ संबंध किस तरह के होंगे इसको परखा जाता है। धन के लाभ को भी जांचा जा सकता है।
तृतीय भाव में धंधा, भवन, भाई, लेखा जोखा देखा जाता है। इसमें भाई के साथ संबंध को परखा जा सकता है। यह त्रिलोकी का भेद खोलने वाला बन जाता है। इससे आप अपने भाई के बारे जितनी चाहे उतनी जानकारी निकलवा सकते है।
चतुर्थ भाव में माता सुख, शांति, गृह सुख, भूमि, मन, सेहत, सम्मान, पदवी, वाहन सुख, स्तन, छाती को देखा जा सकता है। यह माता और सुख को आपकी जिंदगी में लाता है। बहुत ही प्रिये भाव है जिसकी किस्मत यह होता है उसकी किस्मत चमक जाती है।
पंचम भाव में संतान सुख, प्रेम, शिक्षण, प्रवास, यश, भविष्य, आर्थिक लाभ को देखा जा सकता है। यह संतान से सुख प्राप्ति, भाग्य और धन के राज को खोलने वाला भाव होता है।
षष्ठम भाव से रोग, शोक, शरीर व्याधी त्रास, शत्रु, मामा, नोकर, चाकर, मानसिक क्लेश को देखा जा सकता है। इसमें चाल ढाल, मामा, साले, बहनोई, शरीरिक और आध्यात्मिक शक्तियां, रिश्तेदारों से ��्राप्त चीजें और बीमारी का हाल बताया जा सकता है।
सप्तम भाव में पत्नी, पति सुख, वैवाहिक सुख, कोर्ट कचेरी, साझेदारी का कार्य, आकर्षण, यश, अपयश को देखा जा सकता है। इसमें ��िवाह, संपत्ति, खान पान, परवरिश, पूर्वजन्म का धन, चेहरे की चमक, समझदारी, लड़की, बहन, पोती के बारे में पता लगवाया जा सकता है।
अष्टम भाव में मृत्यु, शोक, दु:ख, आर्थिक संकट, नपुंसकता, अनीती, भ्रष्टाचार, तंत्र कर्म को देखा जा सकता है। यह मृत्यु का घर है इसे श्मशान कहा जाता है। अगर न्र ग्रह अकेला हो तो यह मृत्यु का घर नहीं माना जाता है।
नवम भाव में प्रवास, आध्यात्मिक प्रगति, ग्रंथ लेखन, बुद्धिमत्ता, दूसरा विवाह, भाग्य, बहिन, विदेश योग, साक्षात्कार का पता लगाया जा सकता है। इंसान पिछले जन्म से क्या लेके आया है और भाग्य कितना ज्यादा जोर दार है।
दशम भाव में कर्म, व्यापार, नौकरी, पितृ सुख, पद प्रतिष्ठा, राजकाज, अधिकार, सम्मान को देखा जा सकता है और इसमें खुद की जायजाद, पिता का सुख, गमी, बेईज्जती, मक्कारी, होशियारी, इंसाफ, पद प्रतिष्ठा का पता लगाया जा सकता है।
एकादश भाव से मित्र, जमाई, लाभ, धन लाभ, भेंट वस्तु, भिन्नलिंगी से संबंध को देखा जा सकता है और यह आय का घर है बचत का नहीं है।
द्वादश भाव से कर्ज, नुकसान, व्यसन, त्रास, संन्यास, अनैतिकता, उपभोग, आत्महत्या, शय्यासुख को देखा जा सकता है। इसमें अचानक से कुछ होना जैसे कि विचार का आना, घटना का घटना और गुप्त बातों का पता चलना। इसमें ग्रह को देखा जाता है। ग्रह ही आपके बारे में जानकारी देते है।
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देव गुरु बृहस्पति जल्द ही करने जा रहे है अपनी राशि में गोचर
वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रह नक्षत्र में हो रहे राशि परिवर्तन का सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है । जब ही कोई ग्रह गोचर या युति बनाता है तो सीधा इसका असर मनुष्य की कुंडली पर पड़ता है । ग्रहों का राशि परिवर्तन जीवन में बहुत से सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन लेकर आता है । ग्रहों का यह परिवर्तन कुछ राशियों के लिए जीवन में तरक्की और खुशियां लाता है तो कुछ राशियों में बाधा उत्पन करता है ।
आपको बता दें सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह गुरु बृहस्पति 13 अप्रैल 2022 को अपनी स्वराशि मीन में प्रवेश करने जा रहे है इसलिए इस गोचर का महत्व और भी बड़ गया है। देव गुरु बृहस्पति को देवताताओ के गुरु का दर्जा प्राप्त है ।। गुरु ज्ञान, शिक्षा , शिक्षक धार्मिक कार्य , धन दान पुण्य और वृद्धि आदि के कारक होते है और संतान के कारक भी गुरु होते है । देव गुरु बृहस्पति 12महिने में एक बार राशि परिवर्तन करते है इस बार गुरु 13अप्रैल2022 को मीन राशि में गोचर करेंगे और 29 जुलाई2022को मीन राशि में वक्री हो जायेगे ।। साल के आखिर में यानि 24नवंबर 2022को गुरु दो बार मार्गी हो जायेगे । इसलिए इनके गोचर का प्रभाव वैसे तो सभी राशियों पर पड़ेगा लेकिन कुछ राशियां ऐसी है जिनको इसका विशेष लाभ हो सकता है ।
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देव गुरु बृहस्पति का आपकी राशि में गोचर
मेष राशि – मेष राशि के जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति का मीन राशि में गोचर सकारात्मक परिणाम दे सकता है । गुरु ग्रह मेष राशि के द्वादश भाव में स्थित होंगे यह जातक के ज्ञान के प्रति झुकाव दर्शाता है इस गोचर में मेष राशि के जातकों को चिंताओं से राहत मिलने की संभावना है । प्रापर्टी में निवेश के लिए भी अच्छा समय है । जो लोग कोई नया व्यवसाय शुरू करने या किसी नई नौकरी में शामिल होने की योजना बना रहे हैं यह आपके लिए अच्छा अवसर है । परिवार के सदस्यों के बिच शांति और सद्भाव रहेगा । परिवार में कोई शुभ कार्य क्रम होने की संभावना है । कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि मेष राशि के जातकों के अधिकतम लाभ के लिए सकारात्मक प्रभाव को ब���़ाने के लिए यह समय अच्छा है
वृषभ राशि – वृहस्पति देव ज्ञान और बुद्धि का पर्याय है यह विकास और सफलता का कारक है । सामान्य तौर पर वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु का मीन राशि में गोचर अच्छे परिणाम लेकर आने की संभावना है । इस गोचर के दौरान गुरु ग्रह वृषभ राशि के एकादश भाव में स्थित होगा । यह गोचर वृषभ राशि के लिए सौभाग्य के साथ साथ मान सम्मान भी लेकर आ रहा है संतान और वित से सबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलने की अच्छी संभावना है । कार्य क्षेत्र में अपने वृष्ठुओ के साथ आपके संबंध बेहतर बन सकते हैं । और शादी भी होने के चांस है । यदि जीवन साथी के साथ कोई घरेलू समस्या हो तो गुरु के गोचर के दौरान हल होने की संभावना है ।
मिथुन राशि – देव गुरु बृहस्पति का मीन राशि में गोचर मिथुन राशि के जातकों को कई समस्याओं से मुक्ति मिलने की संभावना है । गुरु ग्रह इस गोचर के दौरान मिथुन राशि के जातकों को किसी ऐसे व्यक्ति से धन वापस मिल सकता है आपने किसी को उधार दिया हो तो वापस मिल सकता है । कारोबारियों के लिए यह समय विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है । क्योंकि उन्हें अपने व्यापार में तेजी लाने के बेहतर अवसर मिल सकते है । मिथुन राशि के जातक केरियर में तरक्की प्राप्त कर सकते हैं ।
कर्क राशि – कर्क राशि के जातकों गुरु का गोचर का लाभ कम रहेगा देनदारी अधिक होने से मानसिक परेशानी हो सकती है क्रोध से बचे और लेन देन में सावधानी बरतें और आकस्मिक धन लाभ भी हो सकता है । वही दूसरी तरफ सामाजिक कार्यों में धन खर्च अधिक होगा । नोकरी में प्रमोशन के अवसर मिल सकते है वही थोड़ा स्वास्थ खराब हो सकता है । इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है । आपका मन आध्यात्मिक कार्यों में अधिक लगेगा । दांपत्य जीवन में संतान पक्ष को भाग्य का साथ थोड़ा कम मिलेगा । पिता का स्वास्थ खराब हो सकता है । ना चाहते हुए भी किसी अनचाही यात्रा पर जाना होगा ।
सिंह राशि – सिंह राशि वालो के चंद्र कुंडली के हिसाब से पंचम और अष्टम के मालिक होकर अष्टम में स्वराशि अपनी मीन में गोचर करेंगे तो जब गुरु राशि से अष्टम में चलता है तो अड़चन , दुविधा देरी से कार्य परिणाम देने वाला होता है । धन तो यह देगा धन का कारक ग्रह है और धन क��� लिए संघर्ष होगा क्योंकि गोचर का गुरु अष्टम में है तो जिन लोगों के पैसे रुक गए हैं पैसे फस गए हैं तो धिरे धिरे निकलेंगे जो रिसर्च में है उनके लिए अच्छा है सफलता मिलेगी और संतान प्राप्ति के लिए यह गोचर देरी कर सकता है । अष्टम में गुरु स्वराशि होने पर आप अपनी हेल्थ का ध्यान रखें ।
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कन्या राशि – कन्या राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में सप्तम भाव में होने पर जिनकी शादी नही हो पा रही है तो गुरु का गोचर सप्तम भाव में है तो शादी शीघ्र होगी, जिनका प्रमोशन रुका हुआ था उन्हें प्रमोशन मिलने चांस है और यश प्रसिद्धि भी मिलेगी धन के भी अच्छे संकेत हैकन्या राशि वाले जो सपने देख रहे हैं उनके सपने पूरे होंगे परिवार में शांति रहेगी, प्रापर्टी के काम पूरे होंगे और फाइनेंस में गेन होगा । आपकी इच्छाएं पूर्ण होंगी , मान सम्मान मिलेगा स्वास्थ के दृष्टिकोण से अच्छा है जीवन में नई ऊर्जा लायेगा ।
तुला राशि – तुला राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में छ्टे भाव में होने जा रहा है गुरु का छटे भाव में होने पर बिमारी हो सकती है परंतु स्वराशि गुरु होने से बिमारी में समाधान मिलेगा कर्ज, शत्रु, प्रतियोगी परीक्षाएं छटे का मालिक छ्टे में हो तो अशुभ फलों को रोकने का प्रयास करेगा यहां पर लंबे समय से पीड़ा या रोग परेशान कर रहा हो तो उसको गुरु समाधान करेंगे जैसे ठिक प्रकार से मेडिसिन मिल जाए या ठिक प्रकार से डाक्टर उपचार मिल जायेगा या आप उस रोग को पकड़ लेंगे गुरु आपके रोग को खत्म भी कर सकते है फिर भी आपको लाइफ स्टाइल का ध्यान रखना चाहिए गलत खान पान से बचना चाहिए और शत्रु का भाव मतलब कंपीटिशन बड़ने वाला है आपकी क्षमता बड़ानी पड़ेगी गुरु स्वराशि छ्टे भाव में है तो सुख साधन तो मिलेंगे परंतु आराम नही। व्यक्ति को संघर्ष से काम होगा काम का लोड बड़ेगा और जो जॉब के लिए ट्राय कर रहे है उन्हे जॉब मिलेगी ।
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में अपनी राशि से पंचम भाव में होने जा रहा है पांचवे भाव में गुरु का गोचर बहुत शुभ फल दाई होता है यह गुरु का गोचर पंचम दृष्टि भाग्य स्थान पर होगी सप्तम दृष्टि आय भाव पर होगी और नवम दृष्टि चंद्र लग्न पर होगी यह आपके लिए सर्वाधिक शुभ फलों की वर्षा करने वाला है । आपकी राशि से पंचमेश का पंचम पर गोचर मतलब आपको संतान की ओर खुशियां प्राप्त होगी संतान सुख प्राप्त होगा और नए प्रेम संबध स्थापित होंगे । परिवार में सुख शांति और प्रेम वाला माहोल रहेगा । धार्मिक आयोजन होंगे आपके पूर्व कर्मो का पुण्य फल प्राप्त होगा । इस गोचर काल में ज्ञान में वृद्धि होगी । विधार्थियो के लिए यह समय अच्छा है पढ़ाई ��च्छे से होगी और सही मार्ग दर्शन प्राप्त होगा आपको यश मिलेगा, शेयर ट्रेडिंग , लाटरी से धन प्राप्त होगा । म्युचल फंड में भी लाभ होगा , मंत्र विधा में आपकी रुचि बड़ेगी , तीर्थ यात्राओं पर जा सकते हैं , परिवार में मंगल कार्य संपन्न होंगे।
धनु राशि – धनु राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में अपनी राशि से चौथे भाव में होने जा रहा है । अपनी स्वराशि के कारण आपको शुभ फल प्राप्त होंगे यहां से गुरु की दृष्टि आपके अष्टम भाव और दशम भाव पर और बारहवें भाव पर होने जा रहा है । चौथे भाव का मालिक चौथे भाव में गोचर रहने से सुख सुविधाओं में वृद्धि अवश्य होगी । और सुख शांति का अनुभव करेंगे आप अपने जीवन में मान सम्मान प्रसिद्धि मिलेगी भगवान के पूजा पाठ में मन लगेगा और जो नया घर खरीदने की सोच रहे हैं नया घर खरीद सकते हैं , और नया वाहन भी खरीद सकते हैं । और माता का सहयोग प्राप्त होगा माता के स्वास्थ में सुधार आएगा । स्कुल कालेज में पड़ने वाले बच्चो को सफलता मिलेगी । करिबी रिश्तेदारों में रिश्तों में सुधार आएगा । अगर आपके पेत्रक संपति का मामला अटका हुआ है तो आपको पेत्रक संपति प्राप्त होगी । और अचानक धन लाभ हो सकता है और जिनको नोकरी जॉब में रुकावट आ रही थी उनको नई जॉब मिलेगी व्यवसाय में विस्तार होगा । अगर आप टीचर ट्रेनर कालेज में प्रोफेसर की नौकरी डूंड रहे हैं तो आपको सफलता मिलेगी । आपको नौकरी में प्रमोशन मिलने के भी चांस है । जो विदेश जाने की सोच रहे हैं उनका विदेश जाना हो सकता है ।
मकर राशि – मकर राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में अपनी राशि से तृतीय भाव में होने जा रहा है । इस गोचर काल में आपके भाई बहनों, पड़ोसियों से रिश्ते अच्छे होंगे । अगर पहले से कोई मतभेद चल रहा हो वह भी समाप्त होगा । यश प्राप्ति के लिए ज्यादा परिश्रम की आवश्कता नही होगी। अपना ज्ञान बड़ाने के लिए खर्चा करोगे और यात्राएं अधिक होगी और विदेश यात्राएं भी होगी । आपकी सकारात्मक इच्छाएं भी पूर्ण होगी । जिसकी शादी होने में अड़चन आ रही हो उनकी शादी हो सकती है और दांपत्य जीवन में सुख शांति बनी रहेगी व्यापार अच्छा रहेगा । साझेदारी में फायदा होगा और भाग्य का साथ मिलेगा और उच्च शिक्षा में सफलता मिलेगी । धार्मिक यात्राएं सफल होगी और आपके आमदनी में वृद्धि होगी और मित्रो से सहयोग मिलेगा ।
कुंभ राशि – कुंभ राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में दुसरे भाव में होने जा रहा है अपनी राशि में होने पर शुभ फल प्राप्त होगा । यहां से गुरु की दृष्टि छठे भाव और अष्टम भाव और दसवे भाव में होने जा रहा है आपको परिवार का सहयोग मिलेगा और परिवार में धन भी मिल सकता है कहीं उधार का पैसा बहुत टाइम से नही मिल रहा हो तो यह गोचर काल में आपको पैसा मिल सकता है । यहां गुरु की दृष्टि छठे भाव में होने पर आपको नई नौकरी मिल सकती है । कोर्ट केस वगेरह में जीत हो सकती है केस आपके फेवर में आ सकता है । बहुत टाइम से लंबी बिमारी चल रही हो तो वह बिमारी में सुधार हो सकता है । शत्रुओं से मतभेद हो रहा हो तो वह मतभेद सुलझ जाएगा । पेत्रक से पैसा, जेवर वगेरह मिल सकते है । व्यवसाय अच्छा चलेगा मान सम्मान मिलेगा यश मिलेगा और बॉस से संबध अच्छे होंगे ।
मीन राशि – मीन राशि वालो के लिए गुरु का गोचर स्वराशि मीन में अपनी ही राशि में है यह गुरु का गोचर पांचवी दृष्टि पांचवे भाव पर और सातवे भाव पर और नवी दृष्टि से नावे भाव पर है । यह गोचर आपके लिए सकारात्मक सोच रहेगी और नए ज्ञान हासिल करेंगे और जिन्हे संतान होने में परेशानी आ रही थी उन्हें संतान कंसीव होगी और पड़ने वाले बच्चो के लिए यह समय अच्छा है बहुत अच्छी सफलता हासिल करेंगे पूर्व पुण्य जागृत होंगे । पूजा पाठ में मन लगेगा और जिनकी शादी नही हो रही थी उनकी शादियां होने के चांस है। दांपत्य जीवन अच्छा रहेगा व्यापार व्यवसाय अच्छा चलेगा , साझेदारी से व्यापार में काम बनेंगे और धार्मिक यात्राएं होगी । उच्च शिक्षा P.H.D वगेरह कर सकते है भाग्य साथ देगा और पिता का सहयोग मिलेगा और केरियर के लिए भी अच्छा समय है ।
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एस्ट्रोलॉजर – ममता अरोरा
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