#एंटीऑक्सीडेंट
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sachinbiher · 2 years ago
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चुकंदर खाने के क्या फायदे हैं? चुकंदर के कैंसर रोधी लाभ
चुकंदर खाने के क्या फायदे हैं? चुकंदर एक पौष्टिक सब्जी है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। यहाँ कुछ विशिष्ट लाभ दिए गए हैं जो चुकंदर पुरुषों को दे सकते हैं: चुकंदर खाने बहुत लाभ है जो सभी नीचे दिए गए हैं। बेहतर एथलेटिक प्रदर्शन: चुकंदर नाइट्रेट से भरपूर होता है, जो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। यह मांसपेशियों में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन…
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hannansiddiqui008 · 2 months ago
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सेहत के लिए तिल के फायदे
तिल के बीज का लाभ (Benefits of Sesame Seeds) •पोषक तत्वों से भरपूर: ... •हृदय स्वास्थ्य (Healthy Heart): ... •हड्डियों का स्वास्थ्य(Healthy Bone): ... •तिल के बीज के एंटीऑक्सीडेंट गुण (Antioxidant properties of sesame seeds): ... •पाचन स्वास्थ्य(Digestion): ... •ब्लड शुगर रेगुलेशन: ... •त्वचा और बालों का स्वास्थ्य: ... •हार्मोनल संतुलन का समर्थन: तिल खाने के फायदे पाचन में सुधार- तिल में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। हड्डियों की मजबूती- तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है जिंक, कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर तिल का सेवन करने से सर्दी में जोड़ों के दर्द (joint pain)से राहत मिलती है। प्रोटीन, कैल्शियम, कॉपर,आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर तिल का सेवन याददाश्त (memory)को दुरुस्त करता है और बॉडी को हेल्दी रखता है। इसका उपयोग खांसी , मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग और कई अन्य स्थितियों के लिए भी किया जाता है, लेकिन इन उपयोगों का समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। 2021 तक, तिल को अमेरिका में एक प्रमुख खाद्य एलर्जी माना जाता है। #health #fitness #healthylifestyle #wellness #healthy #motivation #gym #workout #lifestyle #fit #love #nutrition #fitnessmotivation #training #weightloss #exercise #healthyfood #bodybuilding #healthcare #fitfam #healthyliving #selfcare #beauty #instagood #mentalhealth #life #gymlife #diet #personaltrainer #food #muscle #yoga #healing #vegan #sport #medicine #skincare #medical #goals #organic #natural #gymmotivation #doctor #healthyeating #covid #wellbeing #strong #selflove #crossfit #bhfyp #strength #instagram #inspiration #weightlossjourney #healthylife #nature #cardio #happy #fitspo #follow
#तिल के बीज का लाभ (Benefits of Sesame Seeds)#•पोषक तत्वों से भरपूर: ...#•हृदय स्वास्थ्य (Healthy Heart): ...#•हड्डियों का स्वास्थ्य(Healthy Bone): ...#•तिल के बीज के एंटीऑक्सीडेंट गुण (Antioxidant properties of sesame seeds): ...#•पाचन स्वास्थ्य(Digestion): ...#•ब्लड शुगर रेगुलेशन: ...#•त्वचा और बालों का स्वास्थ्य: ...#•हार्मोनल संतुलन का समर्थन:#तिल खाने के फायदे#पाचन में सुधार- तिल में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है#जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती ह#मैग्नीशियम और जिंक की अच्छी मात्रा होती है#जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है#जिंक#कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर तिल का सेवन करने से सर्दी में जोड़ों के दर्द (joint pain)से राहत मिलती है#कैल्शियम#कॉपर#आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर तिल का सेवन याददाश्त (memory)को दुरुस्त करता है और बॉड#इसका उपयोग खांसी#मधुमेह#उच्च कोलेस्ट्रॉल#हृदय रोग और कई अन्य स्थितियों के लिए भी किया जाता है#लेकिन इन उपयोगों का समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। 2021 तक#तिल को अमेरिका में एक प्रमुख खाद्य एलर्जी माना जाता है।#health#fitness#healthylifestyle#wellness#healthy
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skwebmedia · 11 months ago
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ग्रीन टी के फायदे: जानें कैसे इससे होता है लाभ?
परिचय आज के जीवन में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता में वृद्धि हुई है, और इसके साथ ही स्वस्थ जीवन जीने के लिए लोग विभिन्न प्रकार की संजीवनी और आयुर्वेदिक उपायों की खोज कर रहे हैं। इसके बावजूद, ग्रीन टी की सराहना अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए सबसे अधिक की जा रही है। ग्रीन टी का सेवन कितना फायदेमंद है, यहां हम इस पर चर्चा करेंगे। ग्रीन टी के फायदे हृदय स्वास्थ्य में सुधार: ग्रीन टी में मौजूद…
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foodwithrecipes · 5 months ago
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Karonda Mirchi Achar .   Karonda is rich in vitamin C and other antioxidants, which help combat free radicals and support the immune system. Green chilies contain capsaicin, Read full recipe
https://foodrecipesoffical.com/wp-admin/post-new.php
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aryadhenu123 · 4 hours ago
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मकर संक्रांति स्पेशल तिल गुड़ गजक आर्यधेनु शुद्ध देसी गुड़ के साथ ! 🧇
मकर संक्रांति भारत का एक महत्वपूर्�� त्योहार है, जिसे नई फसल की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का खास महत्व होता है। इन मिठाइयों में तिल गुड़ गजक एक ऐसी डिश है, जो न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। तिल और गुड़ की गजक का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।तिल में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।यह शरीर को गर्म रखने, हड्डियों को मजबूत करने और त्वचा की चमक बढ़ाने में मदद करता है।वहीं गुड़ पाचन तंत्र को सुधारता है, खून को साफ करता है और ऊर्जा प्रदान करता है।
तिल गुड़ गजक सेवन से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
पाचन तंत्र को सुधारता है
शरीर को गर्म रखता है
हड्डियों को मजबूत बनाता है
इम्यूनिटी को बढ़ाता है
रक्त शुद्धि में मददगार
🛒अभी खरीदें: https://aryadhenu.com/shop/desi-sugar/aryadhenu-shudh-desi-gur/
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latestnewsandjokes · 6 days ago
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बच्चों के खाने में क्यों जरूरी है एक चम्मच घी?
घी को निर्विवाद रूप से एक स्वस्थ वसा माना जाता है और इसे अक्सर गर्म, पके हुए भोजन में डालकर बिना पकाए खाने की सलाह दी जाती है। घी हमारे पाचन तंत्र के अम्लीय पीएच को कम करता है और छोटी आंत में अवशोषण में सुधार करता है। गाय के घी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट मुक्त कणों से छुटकारा दिलाते हैं और ऑक्सीकरण को रोकते हैं। घी शरीर की सभी कोशिकाओं के लिए ईंधन का प्राथमिक स्रोत है, और…
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fitnessclasses · 8 days ago
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Quinoa a super-food + delicious recipe
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क्विनोआ: आपके आहार में शामिल होने वाला सुपरफूड + आसान रेसिपी
           क्विनोआ/Quinoa ने हाल के वर्षों में बहुत लोकप्रियता हासिल की है, परन्तु यह हमारे देश में हजारों सालोंसे खाया जाता आया है. इसको हम "बथुआ"  इसके असाधारण स्वास्थ्य लाभ और खाना पकाने में बहुमुखी प्रतिभा के कारण। इस प्राचीन अनाज को अक्सर "सुपरफूड/superfood" के रूप में जाना जाता है, यह पोषक तत्वों से भरपूर है और कई पारंपरिक अनाजों के लिए ग्लूटेन-मुक्त विकल्प प्रदान करता है।          चाहे आप अपने आहार में सुधार करना चाहते हों, वजन कम करना चाहते हों, या बस स्वादिष्ट, पौष्टिक भोजन का आनंद लेना चाहते हों, क्विनोआ एक उत्कृष्ट विकल्प है।         इस ब्लॉग में, हम क्विनोआ के स्वास्थ्य लाभों, इसे पूरी तरह से पकाने के तरीके और एक आसान, स्वादिष्ट रेसिपी के बारे में बात करेंगे जिसे आप आज ही आजमा सकते हैं।  
क्विनोआ क्या है? What is Quinoa?
       आज की व्यस्त जिंदगी में लोग अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं और कुछ लोग क्विनोआ को अपने आहार में शामिल कर रहे हैं।        क्विनोआ (उच्चारण कीन-वा/KEEN-wah)) चेनोपोडियम/Chenopodium album क्विनोआ पौधे का बीज (यानि बथुआ के बीज)  है। हालाँकि यह तकनीकी रूप से अनाज नहीं है, लेकिन इसे अक्सर छद्म अनाज के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इसे एक अनाज की तरह तैयार और खाया जाता है। दक्षिण अमेरिका से उत्पन्न, क्विनोआ सदियों से एंडियन क्षेत्र में एक मुख्य भोजन रहा है।        क्विनोआ को चावल और गेहूं की तरह ही एक अनाज के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, और इसे अक्सर सुपरफूड के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह पदनाम इसकी उच्च पोषण सामग्री के कारण है, जिसमें विटामिन बी और सी, आयरन, प्रोटीन, पोटेशियम, फाइबर और आवश्यक अमीनो एसिड की महत्वपूर्ण मात्रा शामिल है।   क्विनोआ के स्वास्थ्य लाभ 1. पोषक तत्वों से भरपूर: क्विनोआ पोषक तत्वों का भंडार है। यह इनका एक बेहतरीन स्रोत है: - प्रोटीन: इसमें सभी नौ आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं, जो इसे एक संपूर्ण प्रोटीन बनाते हैं। - फाइबर: पाचन को बढ़ावा देता है और स्वस्थ आंत को बनाए रखने में मदद करता है। - विटामिन और खनिज: इसमें मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम, जिंक और बी विटामिन शामिल हैं। 2. Gluten-Free      ग्लूटेन असहिष्णुता या सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए, क्विनोआ गेहूं आधारित अनाज के लिए एक आदर्श विकल्प के रूप में कार्य करता है। 3. उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री       क्विनोआ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो सूजन से लड़ने और पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करता है। 4. वजन घटाने में सहायक      क्विनोआ में मौजूद उच्च फाइबर और प्रोटीन सामग्री तृप्ति बढ़ाने में मदद करती है, जिससे कुल कैलोरी का सेवन कम होता है। 5. पचाने में आसान क्विनोआ पाचन तंत्र पर सौम्य है, इसलिए यह संवेदनशील पेट वाले लोगों के लिए उपयुक्त है।
How to Cook Quinoa Perfectly
क्विनोआ/quinoa पकाना सरल है और यह एक Gluten-Free Recipes और चावल पकाने जैसा ही है। हर बार एकदम मुलायम क्विनोआ बनाने के लिए इन चरणों का पालन करें: Ingredients: - 1 cup quinoa - 2 cups water (or broth for added flavor) - A pinch of salt   निर्देश: - धोएं: क्विनोआ को एक महीन जाली वाली छलनी में रखें और ठंडे पानी से धो लें, ताकि इसकी प्राकृतिक परत, सैपोनिन, जो कड़वा स्वाद पैदा कर सकती है, निकल जाए। - उबाल लें: एक सॉस पैन में क्विनोआ, पानी और नमक डालें। मध्यम-तेज़ आँच पर उबाल लें। - धीमी आंच पर पकाएं: एक बार उबलने के बाद, आंच धीमी कर दें, ढक दें, और लगभग 15 मिनट तक पकने दें, जब तक कि पानी पूरी तरह से सोख न ले। - फुलाएँ: इसे आंच से उतार लें, 5 मिनट तक ढककर रखें, फिर कांटे से फुलाएँ। Easy Quinoa Salad Recipe Ingredients: - 1 cup cooked quinoa - 1 cup cherry tomatoes (halved) - 1 cucumber (diced) - 1/4 cup red onion (finely chopped) - 1/4 cup feta cheese (crumbled, optional) - 2 tbsp olive oil - 1 tbsp lemon juice - 1/2 tsp salt - 1/4 tsp black pepper - Fresh parsley or mint for garnish(धनिया/पुदीना के पत्ते)   Instructions: - सब्जियां तैयार करें: टमाटर, ककड़ी और लाल प्याज को धोकर काट लें। - सामग्री मिलाएं: एक बड़े कटोरे में पका हुआ क्विनोआ, सब्जियां और फ़ेटा चीज़ (यदि उपयोग कर रहे हैं) मिलाएं। - ड्रेसिंग बनाएं: एक छोटे कटोरे में जैतून का तेल, नींबू का रस, नमक और काली मिर्च को एक साथ फेंटें। - मिलाएँ और परोसें: ड्रेसिंग को सलाद पर डालें, अच्छी तरह मिलाएँ और ताज़ी जड़ी-बूटियों से सजाएँ। ठंडा या कमरे के तापमान पर परोसें।  
आपको अपने आहार में क्विनोआ क्यों शामिल करना चाहिए?
        क्विनोआ सिर्फ़ एक स्वस्थ विकल्प से कहीं ज़्यादा है; यह एक बहुमुखी सामग्री है जो किसी भी व्यंजन के साथ इस्तेमाल की जा सकती है। सलाद से लेकर सूप, नाश्ते के कटोरे से लेकर मिठाई तक, क्विनोआ सब कुछ कर सकता है।        इसकी पोषक तत्वों से भरपूर प्रोफ़ाइल इसे शाकाहारियों, शाकाहारी लोगों और स्वस्थ भोजन की तलाश करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाती है। निष्कर्ष        क्विनोआ/quinoa स्वाद, पोषण और बहुमुखी प्रतिभा का एक बेहतरीन मिश्रण है। चाहे आप इस सुपरफ़ूड के लिए नए हों या क्विनोआ के पुराने प्रेमी हों, इसे अपने भोजन में शामिल करना आपके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका हो सकता है। ऊपर दी गई क्विनोआ सलाद रेसिपी को आज़माएँ और इस पौष्टिक सामग्री के जादू का अनुभव करें। इस रेसिपी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करना न भूलें और हमें बताएँ कि यह कैसी बनी!       https://youtu.be/l9raWsaUh1o Read the full article
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nivabupa · 27 days ago
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Makhane Ke Fayde
मखाने के फायदे ( makhane ke fayde ) अनगिनत हैं। इनमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। मखाने के फायदे वजन नियंत्रित करने, त्वचा में निखार लाने और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में भी मदद करते हैं। यह डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक है। मखाने को रोजाना अपने आहार में शामिल करके आप सेहतमंद जीवन जी सकते हैं।
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sblogposts · 27 days ago
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Weight Loss Tips: मोटापा को कम समय में काम करने का यह है सबसे बेहतर उपाय, मिलेगा जल्दी रिजल्ट
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Weight Loss Tips: मोटापा घटाने के लिए घरेलू उपाय और सही तरीका
Weight Loss Tips:-आज के समय में फिट रहना और मोटापे से छुटकारा पाना लगभग हर किसी का लक्ष्य है। अगर आप भी वजन बढ़ने से परेशान हैं और लगातार कोशिशों के बावजूद भी इसे कम नहीं कर पा रहे हैं, तो यहां कुछ आसान घरेलू उपाय बताए जा रहे हैं, जो आपके वजन घटाने के सफर को तेज़ कर सकते हैं।
नींबू रस का इस्तेमाल करें
नींबू के रस में मौजूद विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट वजन कम करने में बेहद प्रभावी होते हैं।
कैसे करें उपयोग:
गर्म पानी और नींबू का रस:
एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच शहद मिलाएं।
इसे सुबह खाली पेट पिएं।
यह आपके मेटाबॉलिज्म को तेज़ करेगा और चर्बी कम करने में मदद करेगा।
व्यायाम से पहले सेवन:
सप्ताह में 3-4 बार व्यायाम करने से पहले नींबू पानी पिएं।
इससे पेट की चर्बी कम करने में तेजी आती है।
नियमित व्यायाम करें
नींबू पानी का सेवन करने के साथ-साथ नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है।
कार्डियो वर्कआउट्स (जैसे दौड़ना, साइकिलिंग या रस्सी कूदना): यह चर्बी घटाने के लिए फायदेमंद है।
योगा: योगासन जैसे भुजंगासन और पवनमुक्तासन पेट की चर्बी को कम करने में मदद करते हैं।
वजन उठाना (Weight Training): यह मांसपेशियों को मजबूत करता है और फैट बर्न को तेज करता है।
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vedantbhoomidigital · 1 month ago
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सोयाबीन तेल के 10 स्वास्थ्य लाभ जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सोयाबीन तेल कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करके हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करता है और संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को बढ़ाकर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ावा देता है। सोयाबीन का तेल त्वचा की लोच में सुधार करता है, बालों को मजबूत बनाता है और विटामिन K की मात्रा के कारण हड्डियों के स्वास्थ्य में सहायता…
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hannansiddiqui008 · 17 days ago
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गुड़ और मूंगफली को एक साथ खाने से कई फ़ायदे होते हैं
गुड़ और मूंगफली में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आयरन और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है .इनमें मौजूद फ़ाइबर और पोटैशियम इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं.गुड़ और मूंगफली में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाता है
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vedikroots-1211 · 1 month ago
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आपकी टाइमिंग बढ़ाने के लिए यह देसी दवा एक वरदान हो सकती है!
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क्या आप टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा की तलाश में हैं? क्या आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आप सही जगह पर हैं। इस लेख में, हम आपको टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताएंगे, जिसमें शिलाजीत और अश्वगंधा के फायदे शामिल हैं।
टाइमिंग कम होने के कारण
टाइमिंग कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1.    शारीरिक कारण: कम तेस्टोस्टेरोन का स्तर, थायरॉइड विकार, मधुमेह, दिल की बीमारियां आदि।
2.    मानसिक कारण: तनाव और चिंता, अवसाद और मनोविकार आदि।
3.    जीवनशैली से जु��़े कारण: शराब और धूम्रपान, कम व्यायाम, अनियमित आहार आदि। 4.    आयु: आयु बढ़ने के साथ शारीरिक क्षमताएं कम होने लगती हैं।
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा: शिलाजीत और अश्वगंधा के फायदे
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: शिलाजीत के फायदे
शिलाजीत एक प्राकृतिक उत्पाद है जो हिमालय की पहाड़ियों में पाया जाता है।
 यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाता है।
शिलाजीत का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे सेक्स ड्राइव में सुधार हो सकता है।
 अश्वगंधा के फायदे
 अश्वगंधा एक प्राकृतिक हर्ब है जो शरीर को तनाव से लड़ने में मदद करता है।
 यह एक शक्तिशाली एडाप्टोजेन है जो शरीर को तनाव के प्रभावों से बचाता है।
अश्वगंधा का सेवन करने से सेक्स ड्राइव में सुधार हो सकता है और टाइमिंग बढ़ सकती है।
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा के अन्य फायदे
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा के कई अन्य फायदे भी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1.    सेक्स ड्राइव में सुधार: टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से सेक्स ड्राइव में सुधार हो सकता है।
2.    टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाना: टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है। 3.    तनाव कम करना: टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से तनाव कम हो सकता है।
टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन कैसे करें
टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने के लिए, आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होगा:
शिलाजीत का सेवन: शिलाजीत कैप्सूल और रेजिन के रूप में उपलब्ध है। आप शिलाजीत का सेवन गुनगुने पानी या दूध के साथ कर सकते हैं। शिलाजीत रेजिन को गुनगुने पानी या दूध में मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
अश्वगंधा का सेवन: अश्वगंधा का सेवन करने के लिए, आपको इसे पानी या दूध के साथ मिलाकर पीना होगा।
नियमित सेवन: टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा का सेवन करने के लिए, आपको इसे नियमित रूप से लेना होगा।
निष्कर्ष
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है जिससे आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकते हैं। शिलाजीत और अश्वगंधा के फायदे इसे एक शक्तिशाली और प्रभावी दवा बनाते हैं। इसलिए, अगर आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा का सेवन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
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sahyadrihospital22 · 2 months ago
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ब्लड कैंसर क्या है ?
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ब्लड कैंसर एक बीमारी है जिसमें खून में बनने वाली कोशिकाओं (सेल्स) की वृद्धि असामान्य तरीके से होती है। खून में मुख्यतः तीन प्रकार की कोशिकाएं होती हैं: लाल रक्त कोशिकाएं (RBCs), सफेद रक्त कोशिकाएं (WBCs), और प्लेटलेट्स। जब इ��में से किसी भी प्रकार की कोशिकाएं गलत तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो इसे ब्लड कैंसर कहते हैं।
ब्लड कैंसर कैसे होता है?
ब्लड कैंसर क्यों होता है, इसका सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से पता नहीं चला है। लेकिन इसके होने के कुछ संभावित कारण ये हो सकते हैं:
आनुवांशिक समस्या: यदि परिवार में किसी को ब्लड कैंसर है, तो यह जोखिम बढ़ सकता है।
रेडिएशन या केमिकल्स: लंबे समय तक रेडिएशन या हानिकारक केमिकल्स के संपर्क में रहने से भी यह हो सकता है।
कमजोर इम्यून सिस्टम: अगर शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो, तो यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लड कैंसर का इलाज डॉक्टर की सलाह से किया जाता है, जिसमें कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, या बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसे विकल्प हो सकते हैं। शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर समय पर इलाज शुरू करना जरूरी है।
क्या ब्लड कैंसर ठीक हो सकता है?
खून का कैंसर (ब्लड कैंसर) इलाज़ किया जा सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर का प्रकार क्या है, वह किस स्टेज पर है, और मरीज की उम्र व सेहत कैसी है। कुछ मामलों में पूरी तरह ठीक हो जाना संभव होता है, खासकर अगर जल्दी डायग्नोस हो और सही इलाज़ मिले। इलाज़ में कीमोथेरपी, रेडिएशन, बोन मैरो ट्रांसप्लांट और इम्यूनोथेरपी जैसी तकनीकें शामिल होती हैं। डॉक्टर से सलाह लेना और सही समय पर इलाज़ शुरू करना सबसे ज़रूरी है।
खून के कैंसर (ब्लड कैंसर) के लक्षण
ब्लड कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन समय पर ध्यान देना ज़रूरी है। मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
लगातार थकावट: बिना किसी कारण के हमेशा थका हुआ महसूस करना।
बार-बार बुखार या संक्रमण: इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण।
खून बहना या चोट लगने पर जल्दी से ठीक न होना: जैसे नाक से खून आना या चोट लगने पर ज्यादा समय तक खून बहना।
वजन कम होना: बिना डाइट या एक्सरसाइज़ के।
हड्डियों या जोड़ों में दर्द: अक्सर बिना किसी स्पष्ट कारण के।
सूजन या गांठें: गर्दन, बगल या कमर में सूजन।
त्वचा पर लाल या बैंगनी धब्बे: प्लेटलेट्स की कमी के कारण।
सांस लेने में तकलीफ: हल्के काम पर भी।
ब्लड कैंसर से बचाव के उपाय
खून के कैंसर को पूरी तरह से रोकना मुश्किल है, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इसका खतरा कम किया जा सकता है:
स्वस्थ भोजन करें: ताजे फ��, सब्जियां और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लें। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
हानिकारक केमिकल्स से बचें: बेंजीन जैसे रसायनों और रेडिएशन के संपर्क में आने से बचें। ये फैक्ट्रियों, पेंट्स और कुछ क्लीनिंग प्रोडक्ट्स में हो सकते हैं।
धूम्रपान न करें: तंबाकू और सिगरेट का सेवन न करें, क्योंकि ये ब्लड कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
स्वच्छता का पालन करें: संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखें।
शारीरिक सक्रियता बनाए रखें: रोजाना हल्का व्यायाम करें और पर्याप्त धूप लें, जिससे विटामिन डी का स्तर ठीक रहे।
पारिवारिक इतिहास पर ध्यान दें: अगर परिवार में किसी को ब्लड कैंसर हुआ है, तो समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं।
क्या खून का कैंसर आनुवंशिक (जीन से जुड़ा) होता है?
खून का कैंसर पूरी तरह से आनुवंशिक (जीन से जुड़ा) नहीं होता, लेकिन कुछ मामलों में परिवार में जीन की गड़बड़ियां इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
परिवारिक इतिहास का प्रभाव: अगर परिवार के किसी सदस्य को ब्लड कैंसर हुआ है, तो अगले पीढ़ी में इसका खतरा थोड़ा बढ़ सकता है।
जीन म्यूटेशन: कुछ आनुवंशिक गड़बड़ियां, जैसे डाउन सिंड्रोम या अन्य जन्मजात समस्याएं, ब्लड कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
आनुवंशिक स्थितियां: कुछ दुर्लभ बीमारियां, जैसे फैनेकोनी एनीमिया, भी ब्लड कैंसर से जुड़ी हो सकती हैं।
हालांकि, ज्यादातर मामलों में ब्लड कैंसर का कारण आनुवंशिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय कारक, केमिकल एक्सपोजर या इम्यून सिस्टम की समस्याओं से जुड़ा होता है। अगर परिवार में किसी को ब्लड कैंसर हो, तो डॉक्टर से नियमित जांच करवाना सही कदम हो सकता है।
ब्लड कैंसर से कैसे बचें?
खून के कैंसर से पूरी तरह बचना संभव नहीं है, लेकिन इसके खतरे को कम करने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
धूम्रपान और तंबाकू से बचें: तंबाकू उत्पादों का सेवन न करें क्योंकि यह ब्लड कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां और पोषण से भरपूर आहार खाएं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
हानिकारक केमिकल्स से दूरी बनाएं: बेंजीन जैसे खतरनाक रसायनों और रेडिएशन के संपर्क में आने से बचें।
नियमित व्यायाम करें: शारीरिक रूप से सक्रिय रहना शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
संक्रमण से बचाव करें: स्वच्छता का ध्यान रखें और संक्रमणों से बचने के लिए जरूरी सावधानियां अपनाएं।
पारिवारिक इतिहास पर नजर रखें: अगर परिवार में किसी को ब्लड कैंसर हुआ है, तो समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श और स्वास्थ्य जांच कराएं।
खून के कैंसर (ब्लड कैंसर) के प्रकार
खून के कैंसर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं, जो खून में मौजूद अलग-अलग कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं:
ल्यूकेमिया (Leukemia)
यह रक्त और बोन मैरो (हड्डी का गूदा) को प्रभावित करता है।
इसमें सफेद रक्त कोशिकाएं (WBCs) असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं।
यह तीव्र (Acute) और दीर्घकालिक (Chronic) दोनों प्रकार का हो सकता है।
लिम्फोमा (Lymphoma)
यह शरीर के लिंफेटिक सिस्टम (lymphatic system) को प्रभावित करता है।
इसमें लिम्फोसाइट्स (एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका) असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं।
मुख्यतः दो प्रकार: हॉजकिन लिम्फोमा (Hodgkin Lymphoma) और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा (Non-Hodgkin Lymphoma)।
मायलोमा (Myeloma)
यह प्लाज्मा कोशिकाओं (plasma cells) को प्रभावित करता है, जो एंटीबॉडी बनाती हैं।
इसमें शरीर की इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है।
ब्लड कैंसर: पहचान, इलाज और बचाव के उपाय
ब्लड कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर सही समय पर पहचान हो और उचित इलाज किया जाए, तो मरीज को बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। यह बीमारी आनुवंशिक कारणों, पर्यावरणीय कारकों और कमजोर इम्यून सिस्टम से उत्पन्न हो सकती है। सही आहार, शारीरिक सक्रियता और नियमित जांच से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। पुणे में सह्याद्री अस्पताल जैसी प्रमुख स्वास्थ्य सुविधाएं ब्लड कैंसर के इलाज में मदद करती हैं, जहां विशेषज्ञों द्वारा उच्चतम स्तर की देखभाल दी जाती है। समय पर इलाज और विशेषज्ञों की सलाह से इस बीमारी से जूझना संभव है और मरीजों को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिल सकता है।
पुणे में ब्लड कैंसर के इलाज के लिए सबसे अच्छा अस्पताल
सह्याद्रि अस्पताल विशेषज्ञों की अत्यधिक कुशल टीम और रोगी देखभाल पर विशेष ध्यान के साथ रक्त कैंसर उपचार सेवाएं देता है। व्यक्तिगत उपचार योजनाओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता, रक्त कैंसर रोगियों के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित करती है। सफलता के सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड और रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ, सह्याद्री अस्पताल रक्त कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए समर्पित है।
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health360hindi · 2 months ago
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NO SCAR CREAM USES IN HINDI || No Scar Cream: एक परिचय
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उत्पाद परिचय (Product Introduction) NO SCAR CREAM एक विशेष स्किन केयर उत्पाद है, जिसे त्वचा पर निशानों (scars) को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह क्रीम कई प्रकार के निशान, जैसे कि एक्ने के निशान, सर्जरी के निशान या अन्य प्रकार के त्वचा के निशान को कम करने में मदद करती है( no scar cream uses in hindi)। NO SCAR CREAM की विशेषता यह है कि यह त्वचा में आसानी से अवशोषित होती है और बिना किसी मजबूत गंध के आती है, जिससे इसका उपयोग रोजाना किया जा सकता है। उपयोग (Uses) NO SCAR CREAM का मुख्य उपयोग निम्नलिखित है: - एक्ने निशान (Acne Scars): यह क्रीम एक्ने के बाद से बच गए निशानों को कुरेदने में मदद करती है। - सर्जरी के निशान (Surgical Scars): यह सर्जरी के बाद ��ने निशानों को भी फीका करती है। - काले धब्बे (Dark Spots): यह क्रीम त्वचा पर ���ाले धब्ब��ं को हल्का करने में भी मदद कर सकती है। - छिद्र (Pores) कम करना: NO SCAR CREAM त्वचा के छिद्रों को कम करने में भी सहायक हो सकती है। नो स्कार क्रीम की मुख्य सामग्री नो स्कार क्रीम, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, निशानों को कम करने के लिए बनाई जाती है। इसकी सामग्री सामान्यतः निम्नलिखित होती है: - सिलिकॉन: यह सामग्री क्रीम को एक चिकना बनावट देती है और त्वचा की सतह पर एक सुरक्षात्मक परत बनाने में मदद करती है। यह घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करती है और निशानों को कम करने में सहायक होती है। - हाइड्रोक्विनोन: यह त्वचा की रंगत को सुधारने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक तत्व है। यह त्वचा को हल्का करने में मदद करता है और निशानों को कम दिखाता है। - कोलाजेन: यह प्रोटीन त्वचा में लचीलापन और मजबूती लाने में मदद करता है। कोलाजेन की उपस्थिति से त्वचा का पुनर्निर्माण होता है और पुराने निशान धीरे-धीरे मिटने लगते हैं। - विटामिन E: यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो त्वचा को नमी प्रदान करता है। विटामिन E निशानों को भरने और त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करता है। - अल्फा-हाइड्रोक्सी एसिड (AHA): यह तत्व त्वचा की ऊपरी सतह को एक्सफोलिएट करने में सहायक होता है। AHA का नियमित उपयोग मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने और नई कोशिकाओं के उत्थान में मदद करता है। लाभ (Benefits) NO SCAR CREAM के कई लाभ हैं, जिनमे शामिल हैं: - त्वचा की चिकनाई (Smoother Skin): यह क्रीम त्वचा को मुलायम और चिकना बनाती है। - त्वचा की टोन में सुधार (Improvement in Skin Tone): यह क्रीम त्वचा की टोन को समान बनाने में मदद कर सकती है। - जलन में कमी (Reduction of Irritation): इसमें ऐसे घटक होते हैं, जो त्वचा की जलन को कम करते हैं। - सहजता (Convenience): इसे सभी प्रकार की त्वचा पर आसानी से उपयोग किया जा सकता है। - मूल्य लाभ (Cost-effective): NO SCAR CREAM की कीमत उचित है, जिससे यह बहुत से लोगों के लिए सुलभ है। side effects of no scar cream uses in hindi हालांकि NO SCAR CREAM के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे: - एलर्जिक रिऐक्शन (Allergic Reaction): कुछ उपयोगकर्ताओं को इस क्रीम से एलर्जिक रिऐक्शन हो सकता है, जैसे कि खुजली या लालिमा। - त्वचा में जलन (Skin Irritation): कुछ लोगों को इसे लगाने पर त्वचा में जलन महसूस हो सकती है। - स्थानांतरण (Contact Dermatitis): कुछ मामलों में, उपयोगकर्ताओं को संपर्क डर्मेटाइटिस का अनुभव हो सकता है, जिससे त्वचा पर सूजन हो सकती है। No Scar Cream का उपयोग कैसे करें No Scar Cream का उपयोग करना बहुत सरल है। यहाँ कुछ स्टेप्स दिए गए हैं: - त्वचा की सफाई: सबसे पहले, जिस क्षेत्र पर आप क्रीम लगाना चाहते हैं, उसे साफ करें। हल्का सा साबुन और पानी इस्तेमाल करके अच्छी तरह धो लें। - सूखने दें: साफ करने के बाद, त्वचा को सूखा लें। यह सुनिश्चित करें कि त्वचा में ��ोई नमी न हो। - क्रीम लगाना: आवश्यक मात्रा में No Scar Cream लेकर धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। इसे हल्के से मले ताकि क्रीम त्वचा में अच्छी तरह समा जाए। - समय: इसे दिन में दो बार लगाने की सलाह दी जाती है। सुबह और रात को सोने से पहले इसका उपयोग करना सबसे अच्छा होता है। - धैर्य रखें: निशान कम करने में समय लग सकता है, इसलिए धैर्य रखें। No Scar Cream कैसे काम करती है No Scar Cream में कई सक्रिय तत्व होते हैं जो केराटिन उत्पादन को बढ़ावा देते हैं और त्वचा की मरम्मत प्रक्रिया में मदद करते हैं। यह क्रीम निम्नलिखित तरीकों से कार्य करती है: - कोलेजन उत्पादन: यह क्रीम त्वचा में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाती है, जो त्वचा को मृदु और लचीला बनाता है। - स्किन हाइड्रेशन: यह त्वचा को नमी प्रदान करती है, जिससे निशान कम दृश्य होते हैं। - पिगमेंटेशन को नियंत्रित करना: यह क्रीम त्वचा के रंग को संतुलित करने में मदद करती है, जिससे निशान कम दिखाई देते हैं। सुरक्षा सलाह No Scar Cream का उपयोग करने से पहले कुछ सुरक्षा सलाह का पालन करना आवश्यक है: - परीक्षण करें: इसे लगाने से पहले, अपने हाथ पर थोड़ी मात्रा में क्रीम लगाकर पैच परीक्षण करें। यदि आपको खुजली या जलन होती है, तो इसका उपयोग न करें। - लंबे समय तक उपयोग न करें: यदि आपको कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो तुरंत इसका उपयोग बंद कर दें। - डॉक्टरी सलाह: यदि आपके निशान गहरे हैं या लंबे समय से मौजूद हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना सबसे अच्छा है। No Scar Cream के विकल्प यदि आप No Scar Cream का उपयोग नहीं करना चाहते हैं या इसके कोई साइड इफेक्ट्स महसूस कर रहे हैं, तो कुछ अन्य विकल्प भी हैं: - एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel): यह प्राकृतिक विकल्प है जो त्वचा को हाइड्रेट करता है और निशानों को कम करने में मदद करता है। - नीम तेल (Neem Oil): नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं और यह त्वचा के निशानों को कम करने के लिए उपयोगी है। - कोकोआ बटर (Cocoa Butter): यह स्किन को मॉइस्चराइज करता है और निशानों को हल्का करने में मदद करता है। - विटामिन ई तेल (Vitamin E Oil): विटामिन ई निशानों को कम करने और त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक है। - खुबानी का तेल (Apricot Oil): यह त्वचा को नरम बनाने और निशानों को कम करने में मदद करता है। निष्कर्ष No scar cream uses in hindi No Scar Cream एक उत्कृष्ट विकल्प है जो निशानों को कम करने में मदद करता है। हालांकि, इसके उपयोग से पहले आपको इसके प्रभाव और सुरक्षा सलाह पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, त्वचा की देखभाल के लिए प्राकृतिक विकल्प भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप आजमा सकते हैं। हमेशा याद रखें कि धैर्य और निरंतरता ही अच्छे परिणामों की कुंजी है। Read the full article
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aasha-ayurveda · 2 months ago
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फर्टिलिटी में सुधार के लिए महिलाएं रोज लें ये पोषक तत्व
व्यस्त जीवनशैली और खानपा��� में लापरवाही के कारण आपकी फर्टिलिटी प्रभावित होती है। पेरेंटहुड की ख़ुशी पाने के लिए एक क��ल की फर्टिलिटी का अच्छा होना बहुत जरुरी है लेकिन हर व्यक्ति की प्रजनन क्षमता अलग अलग होती है जिस वजह से कुछ लोगों को बच्चे पैदा करने में एक सामान्य कपल की तुलना में ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनफर्टिलिटी की समस्या पुरुष और महिला दोनों में से किसी एक में या दोनों में हो सकती है। 
आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉक्टर चंचल शर्मा इस विषय में बताती हैं कि इनफर्टिलिटी का कारण पुरुष और महिला दोनों में भिन्न भिन्न हो सकता है। महिलाओं में बांझपन का कारण ट्यूबल ब्लॉकेज, PCOD, थायरॉइड, एंडोमेट्रियोसिस, हार्मोनल डिसऑर्डर, लो एएमएच, आदि हो सकता है वहीँ पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण लो स्पर्म काउंट, स्पर्म मोटिलिटी आदि हो सकता है। कई बार बढ़ती उम्र के कारण भी गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर कोई कपल 35 की उम्र के बाद कन्सीव  करने की कोशिश करता है तो उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्यूंकि धीरे धीरे उम्र बढ़ने के साथ आपकी फर्टिलिटी कम होने लगती है। इसलिए एक्सपर्ट्स आपको सुझाव देते हैं कि 35 की उम्र से पहले बच्चे प्लान कर लें। 
डॉ चंचल शर्मा कुछ ऐसे पोषक तत्वों के बारे में बताती हैं जिसको अपने आहार में शामिल करके आप अपनी फर्टिलिटी में सुधार ला सकते हैं: 
दाल और बिन्स: बिन्स और दाल में प्रोटीन तथा फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हॉर्मोन्स को संतुलित रखने में सहायक होता है और पाचन शक्ति में भी सुधार लाता है। इसके सेवन से आपका ओवुलेशन बेहतर होता है और प्रजनन क्षमता में भी सुधार होता है। 
शतावरी: जो महिलाएं माँ बनना चाहती हैं उनके लिए फॉलिक एसिड बहुत जरुरी होता है। शतावरी एक आयुर्वेदिक हर्ब है जिसमे पर्याप्त मात्रा में फॉलिक एसिड पाया जाता है। इसके अंदर मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी आपके अंडे की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मददगार होते हैं। 
अंडे: अंडे में ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन्स पाए जाते हैं जो आपकी फर्टिलिटी में सुधार लाने के लिए बहुत जरुरी है इसलिए एक्सपर्ट आपको अंडे खाने की सलाह देते हैं। 
एवोकाडो: एवोकाडो में मौजूद विटामिन के आपके शरीर में मौजूद सभी जरुरी पोषक तत्वों को अवशोषित करने का कार्य करता है। जिससे आपके गर्भाशय की स्थिति में सुधार होता है और अंततः आपकी फर्टिलिटी भी इम्प्रूव होती है। 
विटामिन सी: विटामिन सी आपके अंडे की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक होते हैं इसलिए आप खट्टे फल जैसे संतरा, आँवला, आदि का सेवन करके अपने गर्भाशय को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। जिससे गर्भधारण के लिए एक अच्छा वातावरण बन सके। 
हरी पत्तेदार सब्जियां: ये सब्जियां आयरन, फॉलेट, और कैल्शियम का अच्छा ��्रोत माना जाता है जो आपके अंडे की गुणवत्ता में सुधार, नियमित मासिक धर्म, और गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत जरुरी है। 
चुकंदर: चुकंदर एक ऐसा फल है जो शरीर में ब्लड फ्लो को बढ़ाने में सहायता करता है और गर्भाशय को स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है जिससे फर्टिलिटी में सुधार होता है और गर्भधारण करने में मदद मिलती है।  
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fitnessclasses · 25 days ago
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आंवला और लिवर स्वास्थ्य: एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
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आंवला/Amla and Liver Health: An Ayurvedic Perspective
  आंवला, जिसे भारतीय करौदा/Indian Gooseberry (एम्ब्लिका ऑफिसिनेलिस/Emblica officinalis) के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा की आधारशिला है। "रसायन" (कायाकल्प करने वाला) के रूप में प्रसिद्ध, यह शरीर के विषहरण/detoxification और चयापचय संतुलन/metabolic balance के लिए प्राथमिक अंग, यकृत/liver पर इसके विषहरण, पोषण और मजबूती देने वाले प्रभावों के लिए अत्यधिक मूल्यवान है। 1. आंवला के गुण जो लीवर को स्वस्थ रखते हैं Properties of Amla That Support Liver Health              आंवला में कई बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो इसे लीवर को स्वस्थ रखने के लिए एक बेहतरीन जड़ी बूटी बनाते हैं:   आंवले के मुख्य आयुर्वेदिक गुण Key Ayurvedic Properties of Amla: - रस (स्वाद)/Rasa (Taste): मुख्य रूप से खट्टा, मीठा, कड़वा, तीखा और कसैला स्वाद। - वीर्य (शक्ति)/Virya (Potency): शीतलता, जो इसे पित्त दोष को शांत करने के लिए आदर्श बनाती है, जो यकृत को नियंत्रित करता है। - विपाक/Vipaka (पाचन के बाद का प्रभाव): मीठा, पाचन और आत्मसात को संतुलित करने में मदद करता है। READ MORE....  फैटी लिवर/FATTY LIVER के लिए 10 घरेलू सरल उपचार   आंवला खाने से यकृत पर होने वाले विशिष्ट असर Specific Actions on the Liver: - एंटीऑक्सीडेंट/Antioxidants से भरपूर: इसमें विटामिन सी और पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जो मुक्त कणों को बेअसर करते हैं, तथा यकृत कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। - हेपेटोप्रोटेक्टिव/Hepatoprotective: यकृत विषहरण में सहायता करता है और क्षतिग्रस्त यकृत ऊतकों को पुनर्जीवित करने में मदद करता है। - सूजनरोधी/Anti-inflammatory: शराब, फैटी लीवर या विष के अधिक सेवन के कारण होने वाली सूजन को कम करता है। - पित��त-शामक: आंवला यकृत को ठंडा और आराम देता है, तथा अत्यधिक गर्मी या पित्त असंतुलन के कारण होने वाले विकारों, जैसे पी��िया या हाइपरएसिडिटी, को ठीक करता है। - आपके पाचन को बढ़ावा दे: पित्त को संतुलित रखते हुए अपनी अग्नि या पाचन अग्नि को पोषित करके, आप अपने चयापचय को अनुकूलित कर सकते हैं और अपने लीवर पर भार को हल्का कर सकते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल पाचन में सुधार करता है बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है! 2. लीवर के स्वास्थ्य के लिए आंवला के पारंपरिक आयुर्वेदिक उपयोग Traditional Ayurvedic Uses of Amla for Liver Health आयुर्वेद में, आंवला को इसके बहुआयामी लाभों के कारण "सुपरफ़ूड" माना जाता है। कुछ पारंपरिक उपयोगों में शामिल हैं: - आंवला रसायन: ताजे आंवले के रस में शहद मिलाकर बनाया गया एक कायाकल्पकारी मिश्रण, जिसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत साफ होता है और वह मजबूत होता है। - त्रिफला: इस क्लासिक आयुर्वेदिक मिश्रण में आंवला एक प्रमुख घटक है, जो लीवर को शुद्ध करता है और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। - आंवला चूर्ण (पाउडर): पानी या गर्म दूध के साथ मिलाकर इसका उपयोग पाचन को संतुलित करने और यकृत को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। - आंवला मुरब्बा: आंवला का एक मीठा मुरब्बा जो अपने यकृत-सुरक्षात्मक गुणों को बरकरार रखता है। 3.आंवला का उपयोग करके इष्टतम यकृत/LIVER स्वास्थ्य के लिए, आवश्यक व्यंजन और उपचार। Specific Recipes and Remedies Using Amla for Liver Health A. लिवर डिटॉक्स के लिए आंवला जूस     Amla Juice for Liver Detox सामग्री: - 2 ताजे आंवले - 1 कप पानी - एक चुटकी हल्दी (वैकल्पिक) - स्वाद के लिए शहद या गुड़ (वैकल्पिक) विधि: - आंवले को पानी के साथ पीसकर उसका रस निकाल लें। - अगर ज़रूरत हो तो इसमें चुटकी भर हल्दी और मीठा भी मिला लें। - लिवर की सफाई के लिए रोज़ाना खाली पेट पिएँ। B. गर्म पानी के साथ आंवला पाउडर सामग्री: - 1 चम्मच आंवला पाउडर - 1 कप गर्म पानी विधि: पाचन को बढ़ाने और लीवर पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए भोजन के बाद इसे मिलाएं और पिएं। C.त्रिफला चाय/Triphala Tea सामग्री: - 1 चम्मच त्रिफला पाउडर (इसमें आंवला, हरीतकी और बिभीतकी शामिल हैं) - 1 कप गर्म पानी विधि: लीवर को डिटॉक्स करने और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सोने से पहले इसका सेवन करें। इसमें आप शहद भी मिला सकते हैं. D. आंवला शहद टॉनिक सामग्री: - 1 बड़ा चम्मच ताजा आंवला जूस - 1 चम्मच शहद विधि: यकृत कोशिकाओं को फिर से जीवंत करने के लिए इसे मिलाएं और रोजाना सेवन करें। 4. लिवर की देखभाल के लिए आंवला का उपयोग करते समय क्या करें और क्या न करें Dos and Don’ts When Using Amla for Liver Care Dos: - ताजा आंवला का उपयोग करें: जब भी संभव हो, अधिकतम प्रभाव के लिए ताजा आंवला या ताजा निकाला हुआ जूस चुनें। - खाली पेट आंवला लें: इससे इसके अवशोषण और विषहरण गुणों में वृद्धि होती है। - दैनिक आहार में शामिल करें: आंवले को नियमित रूप से हर्बल चाय, चटनी या पाउडर के रूप में उपयोग करें। - अच्छी तरह से हाइड्रेट करें: ��ीवर को विषाक्त पदार्थों को प्रभावी ढंग से बाहर निकालने में मदद करने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन सुनिश्चित करें। Don’ts: - अधिक सेवन से बचें: अत्यधिक सेवन से एसिडिटी हो सकती है या कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। अनुशंसित खुराक का ही सेवन करें (जैसे, प्रतिदिन 1-2 ताजे आंवले या 1 चम्मच पाउडर)। - मीठे आंवला उत्पादों का सेवन सीमित करें: हालांकि मुरब्बा या कैंडीज स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन उनमें चीनी की उच्च मात्रा लीवर के लिए लाभकारी नहीं हो सकती है। - गर्मी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के साथ मिश्रण से बचें: आंवला को अत्यधिक मसालेदार या तैलीय खाद्य पदार्थों के साथ न मिलाएं, क्योंकि ये लीवर पर दबाव डालते हैं। - सर्दी के लिए उपयुक्त नहीं: यदि आपको सर्दी या कफ है, तो आंवले का सेवन मध्यम मात्रा में करें, क्योंकि इसकी प्रकृति ठंडी होती है। ADS.TXT SNIPPET google.com, pub-2620286522581317, DIRECT, f08c47fec0942fa0 META TAG निष्कर्ष आंवला अपने शक्तिशाली डिटॉक्सिफाइंग, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण लीवर के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में सामने आता है। इसके विभिन्न रूप - चाहे जूस, पाउडर या हर्बल फॉर्मूलेशन के रूप में - इसे दैनिक दिनचर्या में शामिल करना आसान बनाते हैं। आयुर्वेदिक प्रथाओं को अपनाना और आंवला का सेवन सक्रिय रूप से लीवर की रक्षा और कायाकल्प करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा मिलता है। Read the full article
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