#इसका उपयोग खांसी
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सेहत के लिए तिल के फायदे
तिल के बीज का लाभ (Benefits of Sesame Seeds) •पोषक तत्वों से भरपूर: ... •हृदय स्वास्थ्य (Healthy Heart): ... •हड्डियों का स्वास्थ्य(Healthy Bone): ... •तिल के बीज के एंटीऑक्सीडेंट गुण (Antioxidant properties of sesame seeds): ... •पाचन स्वास्थ्य(Digestion): ... •ब्लड शुगर रेगुलेशन: ... •त्वचा और बालों का स्वास्थ्य: ... •हार्मोनल संतुलन का समर्थन: तिल खाने के फायदे पाचन में सुधार- तिल में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। हड्डियों की मजबूती- तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है जिंक, कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर तिल का सेवन करने से सर्दी में जोड़ों के दर्द (joint pain)से राहत मिलती है। प्रोटीन, कैल्शियम, कॉपर,आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर तिल का सेवन याददाश्त (memory)को दुरुस्त करता है और बॉडी को हेल्दी रखता है। इसका उपयोग खांसी , मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग और कई अन्य स्थितियों के लिए भी किया जाता है, लेकिन इन उपयोगों का समर्थन करने के लिए कोई अच्छा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। 2021 तक, तिल को अमेरिका में एक प्रमुख खाद्य एलर्जी माना जाता है। #health #fitness #healthylifestyle #wellness #healthy #motivation #gym #workout #lifestyle #fit #love #nutrition #fitnessmotivation #training #weightloss #exercise #healthyfood #bodybuilding #healthcare #fitfam #healthyliving #selfcare #beauty #instagood #mentalhealth #life #gymlife #diet #personaltrainer #food #muscle #yoga #healing #vegan #sport #medicine #skincare #medical #goals #organic #natural #gymmotivation #doctor #healthyeating #covid #wellbeing #strong #selflove #crossfit #bhfyp #strength #instagram #inspiration #weightlossjourney #healthylife #nature #cardio #happy #fitspo #follow
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फ्लू/Flu को समझना: लक्षण, रोकथाम और प्राकृतिक उपचार
>>> फ्लू/Flu को समझना: लक्षण, रोकथाम और रिकवरी
फ्ल���, जिसे इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जाना जाता है, इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाली एक आम श्वसन बीमारी है। यह बीमारी हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है और इसके समान लक्षणों के कारण इसे अक्सर आम सर्दी समझ लिया जाता है। हालाँकि, अगर फ्लू का ठीक से प्रबंधन न किया जाए तो यह अधिक गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। यह व्यापक ब्लॉग पोस्ट आपको फ्लू, इसके लक्षणों, रोकथाम रणनीतियों और रिकवरी युक्तियों के बारे में जानने के लिए आवश्यक सभी चीज़ों का पता लगाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि आप इस आम लेकिन गंभीर बीमारी से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। ADS.TXT SNIPPET google.com, pub-2620286522581317, DIRECT, f08c47fec0942fa0 META TAG >> फ्लू क्या है? फ्लू एक संक्रामक श्वसन संक्रमण है जो मुख्य रूप से नाक, गले और कभी-कभी फेफड़ों को प्रभावित करता है। आम सर्दी के विपरीत, जो आमतौर पर हल्का होता है, इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ मध्यम से गंभीर लक्षण पैदा कर सकती हैं और निमोनिया जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकती हैं, खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों वाले व्यक्तियों जैसे उच्च जोखिम वाले समूहों में। > फ्लू की मुख्य विशेषताएँ/Key Characteristics of the Flu: - इन्फ्लूएंजा(influenza) वायरस (मुख्य रूप से टाइप ए और टाइप बी) के कारण होता है। - खांसने, छींकने या बात करने से निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है। - वर्ष के ठंडे महीनों में इसकी चरम स्थिति होती है, लेकिन यह वर्ष भर भी हो सकता है। READ MORE....... आंवला और लिवर स्वास्थ्य: एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण >> फ्लू बनाम सामान्य सर्दी के लक्षण फ्लू और सामान्य सर्दी के बीच अंतर करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि दोनों के लक्षण एक जैसे होते हैं। यहाँ इसका विस्तृत विवरण दिया गया है: > फ्लू के लक्षण/Flu Symptoms: - ��चानक तेज बुखार आना - मांसपेशियों या शरीर में गंभीर ��र्द - थकान और कमजोरी - ठंड लगना और पसीना आना - सूखी खाँसी - गला खराब होना - सिरदर्द - बहती या भरी हुई नाक (सर्दी की तुलना में कम आम) > सामान्य सर्दी के लक्षण/Common Cold Symptoms: - लक्षणों का धीरे-धीरे प्रकट होना - हल्की थकान - बहती या भरी हुई नाक - छींकना - गला खराब होना - हल्की खांसी आम सर्दी की तुलना में फ्लू में लक्षणों की गंभीरता और तेजी से शुरुआत मुख्य अंतर है। अगर आपको लगातार तेज बुखार और अत्यधिक थकान हो रही है, तो यह सर्दी के बजाय इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी होने की अधिक संभावना है। READ MORE..... क्या होगा अगर आप रोजाना एक लौंग/CLOVE खाते है तो? >> फ्लू कैसे फैलता है?/How is the Flu Transmitted? फ्लू या इन्फ्लूएंजा, जिसे आम तौर पर फ्लू के नाम से जाना जाता है, मुख्य रूप से श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने पर निकलती हैं। ये बूंदें सीधे आस-पास के लोगों के मुंह या नाक में प्रवेश कर सकती हैं या फेफड़ों में सांस के साथ जा सकती हैं। इसके अलावा, वायरस कई घंटों तक सतहों पर जीवित रह सकता है, जिससे दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने और फिर चेहरे को छूने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। यह फ्लू के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अच्छी स्वच्छता प्रथाओं को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है। >> इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों की रोकथाम की रणनीतियाँ फ्लू का इलाज करने की तुलना में इसे रोकना आसान है। खुद को और दूसरों को बचाने के लिए यहां कुछ प्रभावी रणनीतियाँ दी गई हैं: 1. > टीका लगवाएं/Get Vaccinated इन्फ्लूएंजा से बचाव के लिए वार्षिक फ्लू वैक्सीन सबसे प्रभावी तरीका है। इसे हर साल प्रसारित होने वाले वायरस के सबसे आम प्रकारों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हालाँकि यह 100% प्रभावी नहीं है, लेकिन यह गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को काफी हद तक कम करता है। 2. > अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें - अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं। - जब साबुन उपलब्ध न हो तो अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें। - अपने चेहरे को छूने से बचें, विशेषकर अपनी आंखों, नाक और मुंह को। 3. > निकट संपर्क से बचें - बीमार लोगों से दूर रहें। - अगर आप बीमार हैं, तो वायरस को फैलने से रोकने के लिए दूसरों से संपर्क सीमित रखें। 4. > Boost Your Immune System - फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें। - हाइड्रेटेड रहें. - पर्या��्त नींद लें और नियमित व्यायाम करें। 5. > सतहों को कीटाणुरहित करें आमतौर पर छुई जाने वाली सतहों जैसे दरवाजे के हैंडल, लाइट स्विच और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित करें। >> फ्लू से उपचार और रिकवरी अगर आपको फ्लू हो गया है, तो बीमारी का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना सुचारू रूप से ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण है। जबकि ज़्यादातर लोग एक या दो हफ़्ते में ठीक हो जाते हैं, कुछ मामलों में चिकित्सा की ज़रूरत पड़ सकती है। > घर पर देखभाल के सुझाव: - आराम और जलयोजन/Hydration: - अपने शरीर को वायरस से लड़ने में मदद करने के लिए भरपूर आराम करें। - हाइड्रेटेड रहने और गले में खराश और जकड़न जैसे लक्षणों को कम करने के लिए पानी, हर्बल चाय और शोरबा जैसे तरल पदार्थ पीएं। - बिना नुस्खे के इलाज़ करना: - बुखार कम करने और मांसपेशियों के दर्द से राहत पाने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन का प्रयोग करें। - डिकंजेस्टेंट्स और एंटीहिस्टामिन्स नाक की भीड़ और बहती नाक को कम करने में मदद कर सकते हैं। - ह्यूमिडिफायर या भाप श्वास/Humidifier or Steam Inhalation: - हवा में नमी लाने से नाक बंद होने और खांसी से राहत मिल सकती है। - अलग-थलग रहें: - बीमारी को फैलने से रोकने के लिए बिना दवा के कम से कम 24 घंटे तक बुखार से मुक्त होने तक दूसरों के संपर्क से बचें। > चिकित्सा सहायता कब लें: - साँस लेने में कठिनाई या साँस फूलना - लगातार तेज बुखार रहना जो दवा से ठीक न हो - सीने में तेज दर्द या दबाव - भ्रम या चक्कर आना - प्रारंभिक सुधार के बाद लक्षण बिगड़ना >> इन्फ्लूएंजा/Flu जैसी बीमारी की संभावित जटिलताएं इन्फ्लूएंजा/flu गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, खासकर उच्च जोखिम वाली आबादी में। आम जटिलताओं में शामिल हैं: - निमोनिया: फेफड़ों का जीवाणु या विषाणुजनित संक्रमण। - ब्रोंकाइटिस: वायुमार्ग की सूजन, जिसके कारण लम्बे समय तक खांसी बनी रहती है। - साइनस और कान में संक्रमण: द्वितीयक जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। - दीर्घकालिक रोगों का बिगड़ना: जैसे अस्थमा, मधुमेह, या हृदय रोग। >> फ्लू के लक्षणों को कम करने के लिए प्राकृतिक उपचार यद्यपि प्राकृतिक उपचार चिकित्सा उपचार का हो सकता हैं, और आज के समय में इनका ही उपयोग कम घटक लक्षणों में कर न चाहिए जिससे इस बीमारी के घातक होने के चांस लगभग खत्म हो जाते हैं: - अदरक की चाय: अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जानी जाने वाली अदरक की चाय गले की खराश को शांत कर सकती है और मतली से राहत दिला सकती है।
Elderberry Syrup - for flu - शहद और नींबू: खांसी और गले की जलन के लिए एक प्राकृतिक उपचार। - एल्डरबेरी सिरप: लक्षणों की अवधि और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है। - लहसुन: प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और इसमें एंटीवायरल गुण होते हैं। - चिकन सूप: बीमारी के दौरान हाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट्स और आराम प्रदान करता है। >> वार्षिक टीकाकरण का महत्व हर फ्लू सीज़न में वायरस के नए स्ट्रेन आते हैं, जिससे हर साल टीकाकरण ज़रूरी हो जाता है। फ्लू का टीका न केवल आपको बचाता है, बल्कि सामुदायिक प्रतिरक्षा में भी योगदान देता है, जिससे इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों का प्रसार कम होता है। > किसे टीका लगवाना चाहिए? - छह महीने या उससे अधिक आयु के सभी लोग, जब तक कि कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। - उच्च जोखिम वाले समूह, जिनमें गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित लोग शामिल हैं। >> फ्लू बनाम सामान्य सर्दी: यह क्यों मायने रखता है प्रभावी स्वास्थ्य प्रबंधन और उपचार के लिए फ्लू और सामान्य सर्दी के बीच अंतर को समझना आवश्यक है। सामान्य सर्दी आमतौर पर विभिन्न वायरस के कारण होने वाला एक हल्का श्वसन संक्रमण है, और यह अक्सर बहती या भरी हुई नाक, गले में खराश, खाँसी, छींकने और हल्की थकान जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होता है। ये लक्षण आमतौर पर चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना एक या दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। इसके विपरीत, इन्फ्लूएंजा, जिसे आमतौर पर फ्लू के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है और इससे अधिक गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ हो सकती हैं। फ्लू के लक्षण अक्सर अधिक तीव्र होते हैं और इसमें तेज बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, अत्यधिक थकान और सूखी खांसी या सीने में तकलीफ जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हो सकती हैं। फ्लू मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे अस्थमा या हृदय रोग को काफी हद तक बढ़ा सकता है, और विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली आबादी जैसे कि बुजुर्ग, छोटे बच्चे और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में अधिक तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। इन अंतरों को देखते हुए, अपने लक्षणों पर बारीकी से नज़र रखना महत्वपूर्ण है। अगर आपको यकीन नहीं है कि आपको सर्दी है या फ्लू, या अगर आपके लक्षण बिगड़ते हैं या बने रहते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित है। फ्लू के मौसम के दौरान यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब समुदाय में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ अधिक प्रचलित होती हैं। शुरुआती हस्तक्षेप से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं और फ्लू से जुड़ी जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है। अंत में फ्लू सहित इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ, सिर्फ़ मौसमी उपद्रव नहीं हैं - वे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हैं जिनके लिए जागरूकता और सक्रिय उपायों की आवश्यकता होती है। लक्षणों को पहचानकर, टीकाकरण और स्वच्छता प्रथाओं जैसे निवारक कदम उठाकर और बीमारी का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करके, आप अपने जीवन पर फ्लू के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं। याद रखें, फ्लू के कुछ लक्षण आम सर्दी-जुकाम से मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन इसकी संभावित गंभीरता इसे ऐसी स्थिति बनाती है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। जानकारी रखते हुए, अच्छी आदतें अपनाते हुए और ज़रूरत पड़ने पर समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर खुद को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखें। साथ मिलकर, हम फ्लू के मौसम का आत्मविश्वास और तन्यकता के साथ सामना कर सकते हैं।
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हर्निया से बचने के उपाय : 5 Tips to Prevent Hernia in Hindi
पेट दर्द एक परेशान करने वाला लक्षण हो सकता है और इसक�� एक संभावित कारण हर्निया (Hernia in Hindi) है। लक्षणों को पहचानने, उचित उपचार की तलाश करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए हर्निया और उनके विभिन्न पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में, हम हर्निया की दुनिया में गहराई से उतरेंगे, उनके विभिन्न प्रकारों, लक्षणों, कारणों और उपचार के विकल्पों की खोज करेंगे। हम हर्निया से बचाव के 5 टिप्स (How to prevent Hernia in Hindi) iभी जानेंगे ।
हर्निया क्या होता है? (Harniya Kya Hota hai in Hindi)
हर्निय�� (hernia in hindi language) एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहां एक अंग या ऊतक आसपास की मांसपेशियों या संयोजी ऊतकों में एक कमजोर स्थान से होकर गुजरता है। इसके परिणामस्वरूप उभार (buldge) दिखाई दे सकता है, जो अक्सर असुविधा या दर्द का कारण बनता है।
अधिकांश हर्निया में आपके पेट के अंगों में से एक आपके पेट की गुहा की दीवारों में से एक को धकेलता है, जबकि सबसे आम हर्निया के प्रकारों में वंक्षण, ऊरु, नाभि, हायटल और चीरा लगाने वाले हर्निया शामिल हैं।
हर्निया के प्रकार क्या हैं? (Hernia Kitne Prakar ke Hote Hain)
हर्निया की बीमारी (harniya bimari in hindi) के सबसे सामान्य प्रकार है:
वंक्षण हर्नियास
ऊरु हर्नियास
आकस्मिक हर्नियास
अम्बिलिकल हर्नियास
अधिजठर हर्नियास
पेरिनियल हर्निया
हर्निया क्यों होता है? (Hernia Kaise Hota Hai)
हर्निया तब होता है जब आपकी मांसपेशियों या संयोजी ऊतक में कमजोरी या पहले से मौजूद खुलापन किसी अंग या अन्य ऊतक को बाधा के माध्यम से धकेलने की अनुमति देता है।
कभी-कभी कमजोरी या खुलापन जन्म के समय मौजूद होता है, लेकिन आमतौर पर, यह आपके जीवनकाल के दौरान विकसित होता है।
कोई दर्दनाक चोट या सर्जरी इसका कारण बन सकती है, लेकिन अधिक बार, यह एक दोहराव वाली तनाव चोट है।
वर्षों का दबाव या परिश्रम ऊतक को ख़राब कर सकता है।
हर्निया से बचाव कैसे करें? (How to prevent Hernia in Hindi)
कुछ सरल चीजों का पालन करके हर्निया को रोका जा सकता है। हर्निया से नुकसान के विकास से बचने में आपकी मदद के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
नियमित रूप से कसरत करना
सुनिश्चित करें कि आप स्वस्थ आहार लें और खूब व्यायाम करें। व्यायाम आपके पेट की मांसपेशियों को टोन करने में मदद करेगा और आपके पेट की दीवार पर दबाव कम करेगा। इसके अतिरिक्त, उन गतिविधियों से बचने का प्रयास करें जो आपके पेट क्षेत्र पर दबाव डालती हैं, जैसे भारी वस्तुएं उठाना। यदि आपको कोई भारी चीज़ उठाने की ज़रूरत है, तो ��ुनिश्चित करें कि आप उचित तकनीक का उपयोग करें ताकि आप खुद पर दबाव न डालें।
कब्ज ठीक करने का प्रयास
यदि आप पुरानी कब्ज से पीड़ित हैं, तो इस स्थिति को हर्निया के लिए जोखिम कारक बनने से रोकने के लिए उपाय करना महत्वपूर्ण है। कुछ उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ जिन्हें आपको अपने आहार में शामिल करना चाहिए: सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, दाने और बीज, फलियां । अपने आहार में पर्याप्त फाइबर सुनिश्चित करने से कब्ज को दूर रखने और हर्निया से खतरा को कम करने में मदद मिल सकती है।
प्रतिदिन योग और ध्यान का अभ्यास करें
अगर आप हर्निया से बचाव के उपाय खोज रहे हैं तो योग (hernia ke liye yoga) आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। योग पेट की कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है जो हर्निया का कारण बन सकती हैं। इसके अतिरिक्त, विशिष्ट योग आसन समस्या को जड़ से ठीक करने में मदद कर सकते हैं। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए, दिन में दस बार योग का अभ्यास करने का प्रयास करें।
भारी सामान उठाते समय उचित मुद्रा बनाए रखें
यदि आप अपनी नौकरी या जीवनशैली के हिस्से के रूप में नियमित रूप से भारी वस्तुएं उठा रहे हैं, तो कुछ चीजें हैं जो आप हर्निया के विकास के जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं। सबसे पहले, अपने पेट की मांसपेशियों को कसना सुनिश्चित करें और उठाते समय अपनी पीठ सीधी रखें।
आपको अपने पैरों और कंधे के बीच भी दूरी बनाए रखनी चाहिए और अपनी पीठ की तुलना में अपने पैरों की मांसपेशियों पर अधिक भरोसा करना चाहिए। अंत में, मुड़ते समय कमर से न मुड़ें — अपने पूरे शरीर को मोड़ें। इन सरल युक्तियों का पालन करके आप हर्निया को बनने से रोकने में मदद कर सकते हैं।
अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को न करें नजर अंदाज
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे महत्वपूर्ण वजन बढ़ना, लंबे समय तक खांसी, छींक आना या कब्ज, हर्निया होने की संभावना को बढ़ा देती हैं। ये सभी स्थितियाँ अत्यधिक तनाव उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे हर्निया विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप, यदि आपमें इनमें से कोई भी पुरानी बीमारी विकसित हो गई है, तो जल्द से जल्द उपचार लें। ये लगातार लक्षण हैं जो कहीं अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं। तुरंत किसी चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करें.
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हर्निया के लिए किस डॉक्टर से सलाह लें ( Which Hernia Doctor should I consult)?
हर्ष हॉस्पिटल एंड मैटरनिटी होम सूरत के मल्टीस्पेशलिटी अस्पतालों में से एक है, जिसमें हर्निया के इलाज के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी जैसी सभी उन्नत तकनीकें उपलब्ध हैं।
यदि आपके पास हर्निया के उपचार के बारे में कोई प्रश्न है, तो कृपया हमसे सीधे संपर्क करें। सूरत में सर्वश्रेष्ठ लेप्रोस्कोपिक सर्जन के साथ अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए हमें 0261–2781652 /997898722 पर कॉल करें।
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खांसी का घरेलू इलाज: प्राकृतिक तरीके से राहत
खांसी एक सामान्य समस्या है, लेकिन अगर इसका सही इलाज न किया जाए, तो ��ह असुविधाजनक हो सकती है। हालांकि, हमेशा दवाओं की जरूरत नहीं होती। कई प्राकृतिक घरेलू उपाय भी खांसी से राहत प्रदान कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ आसान, असरदार और सुरक्षित खांसी का घरेलू इलाज पर चर्चा करेंगे।
1. शहद और अदरक
शहद का उपयोग खांसी में बहुत प्रभावी होता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो गले की सूजन को कम करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। अदरक में मौजूद जिंजरॉल और शोगाओल नामक तत्व खांसी को कम करने और गले की खराश से राहत प्रदान करते हैं।
कैसे उपयोग करें:
एक चम्मच शहद में कुछ बूंदें अदरक का रस मिलाएं।
इसे दिन में दो बार लें, विशेष रूप से सोने से पहले।
2. गर्म पानी और नमक का गरारा
गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से गले की सूजन कम होती है और बलगम को ढीला करने में मदद मिलती है। यह तरीका सर्दी, खांसी और गले में खराश के लिए बेहद प्रभावी है।
कैसे करें:
एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच नमक मिलाएं।
इस पानी से दिन में 2-3 बार गरारा करें।
3. तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा
तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गले की खराश और खांसी से राहत प्रदान करते हैं। काली मिर्च में पिपराइन होता है, जो बलगम को साफ करने में मदद करता है।
कैसे बनाएं:
पानी में 5-6 तुलसी की पत्तियां और आधा चम्मच काली मिर्च मिलाकर उबालें।
इसे छानकर दिन में 2 बार पिएं।
4. भाप लेना
भाप लेने से नाक के मार्ग और फेफड़ों में जमा बलगम को हटाने में मदद मिलती है। यह खांसी के अलावा सर्दी और बंद नाक के लिए भी अच्छा उपाय है।
कैसे करें:
एक बर्तन में गर्म पानी लें और सिर को तौलिए से ढककर भाप लें।
इसमें कुछ बूंदें यूकेलिप्टस तेल की भी डाल सकते हैं।
5. हल्दी वाला दूध
हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो खांसी और गले की सूजन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। दूध में हल्दी मिलाने से इसका असर और भी बढ़ जाता है।
कैसे उपयोग करें:
एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं।
सोने से पहले इसे पिएं।
6. पुदीना और शहद की चाय
पुदीने की पत्तियां म्यूकोसल झिल्ली को शांत करने में मदद करती हैं और बलगम को साफ करती हैं। शहद ��स प्रक्रिया में और भी आराम प्रदान करता है।
कैसे बनाएं:
पानी में 5-6 पुदीने की पत्तियां डालकर उबालें।
इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और इसे गर्म ही पिएं।
7. अंजीर का सेवन
अंजीर में उच्च मात्रा में विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो खांसी से राहत प्रदान करने में सहायक होते हैं। यह कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।
कैसे उपयोग करें:
2-3 अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं।
इसका नियमित सेवन खांसी में आराम दिलाता है।
निष्कर्ष
खांसी से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय कारगर हो सकते हैं, खासकर तब जब आप दवाइयों से बचना चाहते हैं। ये उपाय सरल हैं और अधिकतर सामग्री आपके घर में ही मिल जाएगी। अगर खांसी लंबे समय तक बनी रहती है या बढ़ती है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
सावधानी: बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए किसी भी घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
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braayophilm: ek praakrtik chikitsa ka khajaana
परिचय
प्रकृति में कई ऐसे पौधे होते हैं जिनके औषधीय गुण अद्वितीय होते हैं। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण पौधे का नाम है 'ब्रायोफिलम'। यह पौधा अपने विशेष गुणों और औषधीय उपयोग के कारण सदियों से मानव सभ्यता के लिए वरदान साबित हुआ है। इस ब्लॉग में हम ब्रायोफिलम को परिभाषित करेंगे, इसके अर्थ को समझेंगे और जानेंगे कि यह पौधा क्यों महत्वपूर्ण है।
ब्रायोफिलम क्या है?
ब्रायोफिलम एक सुकुलेंट पौधा है जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Bryophyllum pinnatum है, जिसे आमतौर पर 'पथरचट्टा' या 'भाजपत्ता' के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा मोटी और मांसल पत्तियों वाला होता है, जो अपनी पत्तियों के किनारों पर छोटे-छोटे पौधे उत्पन्न करता है। यह पौधा अपने आप में एक अद्भुत जीवन चक्र को समेटे हुए है।
ब्रायोफिलम का अर्थ और परिभाषा
ब्रायोफिलम दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है - 'ब्रायो' जिसका अर्थ है 'अंकुर' और 'फिलम' जिसका अर्थ है 'पत्ता'। इस प्रकार, ब्रायोफिलम का शाब्दिक अर्थ होता है 'अंकुरित पत्ते वाला पौधा'। यह नाम इस पौधे के विशेष गुण को दर्शाता है, जिसमें यह अपनी पत्तियों से नए पौधे उत्पन्न करता है।
ब्रायोफिलम के औषधीय गुण
ब्रायोफिलम को उसकी औषधीय गुणों के लिए आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में विशेष स्थान प्राप्त है। इसके कुछ प्रमुख औषधीय गुण निम्नलिखित हैं:
घाव भरने में मददगार: ब्रायोफिलम के पत्तों का रस घावों पर लगाने से वे जल्दी भरते हैं। यह एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है।
पथरी के उपचार में उपयोगी: इस पौधे का रस पथरी के उपचार में बहुत प्रभावी होता है। यह किडनी और यूरिनरी ट्रैक्ट की समस्याओं में राहत दिलाने में मदद करता है।
सूजन और दर्द निवारक: ब्रायोफिलम के पत्तों का प्रयोग सूजन और दर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है। यह पौधा एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है।
खांसी और बुखार में राहत: इसका रस खांसी, बुखार और सर्दी-जुकाम के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना: ब्रायोफिलम में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर की प्र��िरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
ब्रायोफिलम का महत्व
ब्रायोफिलम का महत्व न केवल इसके औषधीय गुणों में है, बल्कि इसके पर्यावरणीय लाभों में भी है। यह पौधा पर्यावरण को स्वच्छ और शुद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, इसे उगाना और देखभाल करना भी आसान होता है, जिससे यह हर घर के लिए एक आदर्श पौधा बन जाता है।
प्राकृतिक शुद्धिकारक: ब्रायोफिलम वायु को शुद्ध करता है और हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करता है। यह घर के अंदर की हवा को शुद्ध और ताजगी भरी बनाए रखता है।
मिट्टी की सेहत में सुधार: ब्रायोफिलम की जड़ें मिट्टी की संरचना को सुधारती हैं और उसकी उर्वरता को बढ़ाती हैं। यह पौधा मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करता है।
जल संरक्षण: ब्रायोफिलम का जल संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह पौधा कम पानी में भी जीवित रह सकता है और इसकी पत्तियां जल को संचित करती हैं, जिससे जल की बचत होती है।
निष्कर्ष
ब्रायोफिलम एक अद्वितीय और बहुपयोगी पौधा है, जो न केवल औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसके उपयोग से न केवल स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान होता है बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी मदद मिलती है। इसलिए, ब्रायोफिलम को अपने जीवन का हिस्सा बनाना एक समझदारी भरा कदम होगा, जिससे हम प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठा सकते हैं और पर्यावरण को संरक्षित रख सकते हैं।
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Today's Horoscope -
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आप प्रत्येक कार्य मे बुद्धि विवेक का परिचय देंगे लेकिन आज व्यक्तिगत स्वार्थ को एक समय नजरअंदाज भी कर लेंगे परन्तु व्यावसायिक स्वार्थ की बात आने पर अपना आपा खो सकते है। स्वभाव धार्मिक होने पर भी क्रोध में कुछ ऐसा बोल सकते है जिसका विपरीत प्रभाव सामने वाले पर कई दिनों तक रहेगा। धन की आमद के लिये किसी की खुशामद करनी पड़ेगी फिर भी आशानुकूल ना होने पर स्वभाव में चिड़चिड़ापन आएगा। घर अथवा बाहर के लोगो की भली बाते भी अहम के साथ जोड़ने पर बुरी ही लगेगी। परिजन के साथ भावनात्मक संबंधों में भी आज कमी ही देखने को मिलेगी। माता की सेवा करने से अवश्य कुछ न कुछ सकारत्मक परिणाम मिल सकते है। सरकारी कार्य दिन रहते पूर्ण कर के इसके बाद उलझन बढ़ेगी। अचल संपत्ति के कार्य से यात्रा के प्रसंग बनेंगे। मन मे किसी बात का भय लगा रहेगा किसी पुरानी शारीरिक पीड़ा फिर से बढ़ने की संभावना है।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपका स्वभाव स्वयं के दृष्टिकोण से ठीक लेकिन अन्य लोगो की नजर में अटपटा सा लगेगा। किसी से भी जल्दबाजी में वादा करेंगे लेकिन पूरा करने के समय बगलें झांकते नजर आएंगे। मध्यान तक मानसिकता एक जगह केंद्रित नही रहेगी आवश्यक कार्य भी सर पर आने के बाद ही करेंगे मन काल्पनिक चीजो में खोया रहेगा। मध्यान के आस पास कार्य क्षेत्र से अकस्मात धन लाभ या कोई शुभ समाचार मिल सकता है। नौकरी वालो को अधिकारी वर्ग से आवश्यक दिशा निर्देश मिलेंगे लेकिन गंभीर ना होने पर डांट सुन्नी पड़ेगी। भाई बंधुओ से आज स्वार्थ के व्यवहार रहेंगे। माता पिता से लाभ होने की संभावना है लेकिन अंत समय मे किसी के टांग अड़ाने पर निरस्त भी हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा से धन की जगह प्रतिष्ठा अधिक मिलेगी। मधुमेह अथवा अन्य रक्त संबंधित समस्या वाले लोग आज लापरवाही ना करे।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपको लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन आपका स्वभाव अकस्मात गर्म ���ोने पर इससे वंचित भी रह सकते है इसका ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र पर आपकी अथवा किसी सहयोगी की गलती से भविष्य में बड़ी हानि होने की संभावना है बड़े कार्यो का अधिक देख भाल कर ही करें। सार्वजिनक क्षेत्र पर लोग आपको बुद्धिमान मानेंगे लेकिन आपस मे व्यवहार बनने के बाद सोच में बदलाव आएगा धन को लेकर आप किसी भी प्रकार का स्वार्थ साधने से नही चूकेंगे। धन की आमद और खर्च बराबर रहेंगे फिजूल खर्च से बचे नही तो आर्थिक संतुलन गड़बड़ायेगा भविष्य के कार्यो में कटौती भी करनी पड़ेगी। संतान का व्यवहार जिद्दी रहेगा फिर भी किसी न किसी रूप में सुख सहयोग भी मिलेगा। अकस्मात आने वाले क्रोध पर नियंत्रण रखें वरना स्वयं को ही मुश्किल होगी। ठंडी वस्तु के सेवन से बचे खांसी कफ हो सकता है।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
बीते दिन की तुलना में आज का दिन शांतिदायक रहेगा फिर भी पुरानी बातों को भूलने का प्रयास कर नई योजना बनाने में समय का उपयोग करे आगे समय धन लाभ वाला बन रहा है। आज भी मध्यान तक पुरानी कटु यादे मन मे चुभेगी। मध्यान के बाद ही दिनचार्य सामान्य बन पाएगी आज ��ेहनत करने से भी दू�� भागेंगे जिससे कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी एवं अधिकारी वर्ग को असंतोष होगा अपने कार्य अथवा गलतियों का बोझ अन्य के सर डालने का प्रयास झगड़ा कराएगा इसका ध्यान रखें। संध्या का समय मानसिक राहत वाला रहेगा थकान अधिक रहेगी लेकिन धन लाभ होने से इस तरफ ध्यान नही जाएगा। दाम्पत्य जीवन मे आज तालमेल नही बैठा पाएंगे। पुरानी बीमारी अथवा किसी अन्य कारण से स्वयं को बोझ जैसा अनुभव करेंगे।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपका स्वभाव मनमौजी रहेगा अपने मे मस्त रहेंगे आवश्यक कार्यो को भी मजबूरी में करेंगे अथवा टालने के ही प्रयास करेंगे जिससे घर के सदस्यों के साथ मन मुटाव होगा। कार्य क्षेत्र पर जिद्दी व्यवहार ना करे आज सबको साथ लेकर कार्य करने में ही भलाई है अन्यथा सांध्य बाद पछताना पड़ेगा। धन लाभ की सम्भवना आज दिन भर बनी रहेगी लेकिन होगा अकस्मात ही। आज आप अपनी वाणी के प्रभाव से लोगो का ध्यान आकर्षित करने में सफ़ल होंगे लेकिन इसका कोई आर्थिक लाभ नही मिल पाने का मलाल भी रहेगा। माता से भावनात्मक संबंधों में कमी आएगी। अचल संपत्ति संबंधित कार्य फिलहाल स्थगित ही रखे खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य ही मिलेंगे। सन्तानो से संबंध खराब होंगे लेकिन किसी बात का गर्व भी होगा। पेट अथवा मूत्राशय मे जलन की शिकायत हो सकती है। पैतृक कारणों से की यात्रा लाभ देगी।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपको किसी न किसी रूप में धन का हास कराएगा। कार्य क्षेत्र हो या किसी से व्यक्तिगत संबंध आज किसी के ऊपर भी आँख बंद कर विश्वास ना करें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मध्यान बाद तक प्रत्येक कार्य मे अड़चने आएंगी लोगो का पहले वादा कर बाद में मुकर जाना खासी मुश्किल में डालेगा इसलिये आज जितना सामर्थ्य है उतना ही कार्य करे। संध्या से स्थिति में कुछ सुधार आएगा लेकिन युक्ति लगाने के बाद भी धन की आमद ना के बराबर ही रहेगी। नए या पुराने कार्य मे निवेश आज ना करे धन लंबे समय के लिये फंस सकता है। घर मे पति-पत्नी का स्वास्थ्य भी नरम रहने से अतिरिक्त भाग दौड़ के साथ धन व्यय होगा। जमीन संबंधित कार्यो में निवेश संध्या बाद करे आगे लाभ देगा। पारिवारिक माहौल आज उथल पुथल ही रहेगा।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन शारीरिक दृष्टिकोण से बीते कुछ दिनों की तुलना में बेहतर रहेगा चुस्ती की कमी दिन के आरम्भ में रहेगी लेकिन मध्यान बाद से सामान्यता आने लगेगी। कार्य क्षेत्र के साथ सार्वजिनक पर आपके विचार लोगो को पसंद आयेंगे सभी आपकी बातों पर विश्वास करेंगे लेकिन जहां लाभ कमाने का अवसर आएगा वहां निराशा ही हाथ लगेगी फिर भी काम चलाने लायक धन कही ना कही ��े मिल ही जायेगा। आज आप अधिक बोलने और दूसरों को बिना मांगे सलाह देने से बचे किसी से कलह हो सकती है। सरकारी कार्य आरंभ में उलझते हुए प्रतीत होंगे लेकिन थोड़ा प्रयास करने पर ले देकर काम बन सकता है। जमीन जायदाद संबंधित कार्य से हानि होगी आज टालना ही बेहतर रहेगा। घर के सदस्यों से भी आवश्यता अनुसार ही बात करें खास कर पती-पत्नी आपसी धैर्य का परिचय दें अहम और जिद की भावना घर मे अशांति फैलाएंगी। नाक-कान-गले मे अथवा अचानक गिरने से पीड़ा हो सकती है।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन सामान्य से उत्तम रहेगा। दिन के आरम्भ से ही आध्यात्म में रुचि रहेगी घरेलू पूजा पाठ के साथ धार्मिक क्षेत्र की यात्रा के अवसर भी मिलेंगे। कार्य व्यावसाय से आशा ना होने पर भी अकस्मात लाभ के समाचार उत्साहवर्धन करेंगे। अधूरे सरकारी कार्यो को लापरवाही छोड़ पूर्ण करे परिस्थिति सहायक रहने से कम परिश्रम में काम बन सकता है इसके बाद कोई न कोई कमी रहने के कारण लंबे समय के लिये लटकेगा। नौकरी पेशा जातक अथवा भागीदारी के कार्यो में जिद बहस को छोड़ कार्य करे तो शीघ्र ही सफलता मिल सकती है। विदेश संबंधित कार्यो से भी कुछ न कुछ लाभ ही मिलेगा इनमे निवेश करना आज उचित रहेगा। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी नोकझोंक के बाद भी सुख प्रदान करेगा। शारीरिक त्रिदोषों का संतुलन बिगड़ने पर रोग शीघ्र पकड़ लेंगे खान पान संयमित रखें।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपकी धार्मिक भावनाए प्रबल रहेंगी। दिन के आरंभ में पूजा पाठ के लिये समय देंगे लेकिन आज मन कही और ही भटकने के कारण मानसिक शांति और एकाग्रता कम रहेगी। कार्य क्षेत्र पर मध्यान तक उदासी रहेगी जिसके कारण मेहनत भी अन्य दिनों की तुलना में अधिक नही रहेगी लेकिन मध्यान बाद अकस्मात कार्य आने पर व्यस्तता बढ़ेगी फिर भी परिश्रम का उचित लाभ आज मिलना संभव नही। आज की मेहनत कल अवश्य ही फलित होगी इस बात को दिमाग मे बैठाकर कार्य करें। पति अथवा पत्नी के संतान को लेकर मतभेद हो सकते है कार्य क्षेत्र पर संतान का सहयोग अथवा मार्गदर्शन लेने से बचे अन्यथा लंबे समय तक स्वयं को हो दोष देंगे। नौकरी पेशाओ को आज योग्यता का अवश्य लाभ मिलेगा अतिआत्मविश्वास हानि करा सकता है इसका भी ध्यान रखें। पेट मे गैस जलन की शिकायत हो सकती है।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप असमंजस की स्थिति में रहेंगे। दिन के आरम्भ में थोड़ी सुस्ती रहेगी लेकिन मध्यान तक कार्यो के प्रति गंभीर हो जाएंगे। घरेलू अथवा व्यावसायिक जिस भी कार्य मे लाभ देखेंगे उसमे आवश्यकता पड़ने पर सहयोग आसानी से मिल जाएगा लेकिन किसी का गलत मार्गदर्शन भ्रम में डालेगा। थोड़ा धैर्य रख दिमाग से काम ले तो सफलता ��वश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर लाभ के अवसर मिलते रहेंगे धन लाभ भी अवश्य होगा लेकिन आज धन आते ही कही न कही लग भी जाएगा बचत नही कर पाएंगे। सरकारी कार्यो में आज ढील ना दें अन्यथा बाद में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। नौकरी पेशाओ का अधिकारी अथवा कार्य क्षेत्र पर किसी न किसी से झगड़ा हो सकता है। परिवार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति रहेगी जरासी बात पर परिजन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के लिये तैयार रहेंगे। जोड़ो में दर्द एवं मुख गले संबंधित समस्या हो सकती है।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आपके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होगा भक्ति भावो में डूबे रहेंगे। स्वभाव आज थोड़ा रूखा रहेगा अपने कार्य मे किसी का दखल देना या किसी का ज्ञान देना तुरंत अखरेगा शब्दो पर नि��ंत्रण रखें अन्यथा बैठे बिठाये झगड़ा हो सकता है। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद ना रखें थोड़ा बहुत व्यवसाय ही रहने से धन की आमद भी सीमित रहेगी। संतान अथवा ननिहाल पक्ष से कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है जिसका प्रभाव आने वाले कुछ दिनों तक देखने को मिलेगा। मध्यान बाद किसी अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य के स्वतः ही बनने से आश्चर्य में पड़ेंगे। कंजूसी कर धन कोष में वृद्धि के प्रयास सफल होंगे। सामाजिक कार्यो में आज कम रुचि रहने पर भी मान सम्मान यथावत बना रहेगा। शरीर मे थोड़ी तकलीफ होने पर तुरंत जांच कराए नाहाई तो लंबी खिंचने की संभावना है।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन मिला जुला फल देने वाला रहेगा। दिन के आरम्भ में जो भी योजना बनाएंगे परिस्थितिवश उसमे बदलाव करना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय में किसी न किसी की दखलंदाजी के कारण मन मे अंतर्द्वंद लगा रहेगा जिसका समाधान कलह के बाद ही हो पायेगा भागीदारों पर नजर रखे अपना हित साधने के लिये आपको नजरअंदाज कर सकते है। आज भाई बंधुओ से आर्थिक लेनदेन करना पड़ेगा जिसके कारण भविष्य में कलह होने की संभावना है यथासंभव इसे टालने के प्रयास करें। कार्य व्यवसाय से धन की आमद अवश्य होगी लेकिन कर्ज भी होने की संभावना बराबर ही है। पति-पत्नी से आकस्मिक धन लाभ हो सकता है लेकिन इसके लिये स्वभाव में नरमी रखनी पड़ेगी। नसों में कमजोरी के कारण शारीरिक शिथिलता अनुभव करेंगे। धन के किसी झंझट वाली जगह फंसने की संभावना है। यात्रा से बचें।
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Benefits Aloe Vera : एलोवेरा को एक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एलोवेरा की बहुत सारे फायदे है, चाहे वह त्वचा की बीमारी हो या या पेट की। एलोवेरा का उपयोग कई बीमारियों से निजात पाने के लिए किया जाता है। इसमें औषधिय गुण मौजूद होते हैं जो हमें बीमारियों को खत्म करने में सहायता मिलती है। चलिए एलोवेरा के फायदे के तथा एलोवेरा से क्या नुकसान हो सकते हैं, इसके बारे में जानने वाले हैं।
एलोवेरा के फायदे
एलोवेरा खांसी जुकाम में बहुत ही असरदार काम करता है। लेकिन आपको यह पता होना आवश्यक की एलोवेरा का खांसी जुकाम में किस तरीके से उपयोग करें। सबसे पहले आपको एलोवेरा के पौधे का जूस निकालना है। उसके बाद एलोवेरा के जूस के साथ सेंधा नमक मिलाकर राख बना ले, तथा रात को सुबह शाम पांच 5 – 5 ग्राम मुनक्का के साथ सेवन करें आपको सर्दी जुकाम में जल्दी आराम मिलेगा।
एलोवेरा का उपयोग सिर दर्द के लिए किया जाए तो काफी फायदेमंद हो सकता है। इसका उपयोग कुछ इस प्रकार से करना है- सबसे पहले आपको एलोवेरा का जेल ले लेना तथा इसमें थोड़ी सी मात्रा में दारूहल्दी का चूर्ण को मिला ले, तथा इसे गर्म करके प���ड़ा वाले जगह पर लगा ले, आपको जल्द ही आराम मिलेगा।
एलोवेरा पेट से संबंधित कई विकारों से छुटकारा दिलाता है, लेकिन आपको ज्ञात होना चाहिए, कि कब्ज से छुटकारा पाने के लिए किस तरीके से एलोवेरा का इस्तेमाल करना चाहिए। एलोवेरा का जेल निकालकर पीने से कब्ज से छुटकारा मिल सकता है।
एलोवेरा आंखों के लिए काफी अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग किया जाता है, आंखों के लिए आप एलोवेरा के गुदे को निकालकर उसमें थोड़ी सी हल्दी को गर्म कर ले, और इसे आंखों पर बांध ले इससे आपके आंखों पर होने वाली लालिमा तथा आंखों में होने वाली सूजन को कम करता है।
Read Full Article at — https://livekhabar24x7.com/benefits-aloe-vera-aloe-vera-is-full-of-medicinal-properties-it/
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*आयुर्वेदः सेहत के खजाने की कुंजी हैं ये जड़ी बूटियां*
आयुर्वेद को सेहत का खजाना कहा जाए तो गलत नहीं होगा. हर जड़ी-बूटी अपने भीतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के कई गुण समेटे हुए है. वैसे तो आयुर्वेद में लगभग 1,200 औषधीय जड़ी-बूटियों का वर्णन है. लेकिन यहां उन जड़ी बूटियों के बारे में बताया गया है जो आसानी से उपलब्ध हो सकें. इनमें से कई तो ऐसी हैं जिनके पौधे लोग घरों में बड़े शौक से लगाते है
हर जड़ी-बूटी अपने भीतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के कई गुण समेटे हुए है.
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हर जड़ी-बूटी अपने भीतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के कई गुण समेटे हुए है.
*गिलोय (गुडूचि, अमृता)*
गिलोय अथवा अमृता अपने नाम से ही अपने गुण को दर्शाती है. यह एक बेल है जिसके तने से रस निकालकर अथवा सत्व बनाकर प्रयोग किया जाता है. यह स्वाद में कड़वी लेकिन त्रिदोषनाशक होती है. इसका प्रयोग वातरक्त (गाउट), आमवात (आर्थराइटिस), त्वचा रोग, प्रमेह, हृदय रोग आदि रोगों में होता है. ये डेंगू हो जाने पर द्ब्रलड प्लेटलेट्स की घटी मात्रा को बहुत जल्दी सामान्य करती है. खून के अत्यधिक बह जाने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तो यह रामबाण है.
*अश्वगंधा (असगंध)*
अश्वगंधा आयुर्वेद में अत्यधिक प्रयुक्त होने वाली औषधि है इसकी जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाकर उपयोग में लाया जाता है. इसके चूर्ण के सत्व का सेवन तो और भी ज्यादा असरदायक है. अश्वगंधा चूर्ण बलकारी, शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने वाला, शुक्रवर्धक खोई हुई ऊर्जा को दोबारा देकर लंबी उम्र का वरदान देता है.
*शतावरी (शतावर)*
शतावरी की बेल की जड़ को सुखाकर चूर्ण के रूप में उपयोग किया जाता है. शतावरी भी रसायन औषधि है यह बौद्धिक विकास, पाचन को सुदृढ़ करने वाली, नेत्र ज्योति को बढ़ाने वाली, उदर गत वायु दोष को ठीक करने वाली, शुक्र बढ़ाने वाली, नव प्रसूता माताओं में स्तन" को बढ़ाने वाली औषधि है. शतावरी का सेवन आपको आयुष्मान होने का आशीष देता है.
*आंवला (आमलकी)*
आंवले के फल को लगभग सभी आयुर्वेद की संहिताओं में रसायन कहा गया है. चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भाव प्रकाश, अष्टांग हृदय सभी शास्त्र आंवले को प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला मानते हैं. इसके अलावा आंवले को त्वचारोगहर, ज्वरनाशक, रक्तपित्त हर, अतिसार, प्रवाहि��ा, हृदय रोग आदि में बेहद लाभकारी माना गया है. आंवले का नियमित सेवन लंबी ��यु की गारंटी भी देता है.
*मुलहठी (यष्टिमधु** )
मुलहठी के तने का प्रयोग अधिकतर किया जाता है. यह बलवर्धक, दृष्टिवर्धक, पौरुष शक्ति की वृद्धि करने वाली, वर्ण को आभायुक्त करने वाली, खांसी, स्वरभेद, व्रणरोपण तथा वातरक्त (गाउट) में अत्यंत उपयोगी होती है. इसका उपयोग पेप्टिक अल्सर के इलाज में किया जाता है. एसिडिटी के इलाज में तो यह बेहद कारगर है.
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*ब्राह्मी*
ब्राह्मी देखने में तो सामान्य सी झाड़ी लगती है लेकिन ये बेहद असरकारी है. यह नर्वस सिस्टम के लिए अचूक औषधि है. बच्चों के लिए स्मृति और मेधावर्धक है. मिर्गी में इसका खासतौर पर प्रयोग होता है. मानसिक विकारों के इलाज के लिए तो यह रामबाण है. इसके अलावा इसका उपयोग ज्वर, त्वचा रोगों, प्लीहा संबंधी विकारों में भी होता है.
*अशोक*
अशोक की छाल बेहद गुणकारी होती है. यह स्त्री संबंधी रोगों में बेहद उपयोगी पाई गई है. यह विशेषतया श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, हृदय, दाहहर तथा अपच में उपयोगी है. वैसे इसके नाम में ही इसके गुण झलकते हैं. अशोक अर्थात अपने नाम को सिद्ध करने वाला, स्त्रियों के शोक तथा दुख को दूर करने वाला है.
*हल्दी (हरिद्रा)*
यह भारत में सर्वाधिक मसालों में प्रयुक्त होने वाला प्रकंद है. त्वचा रोगों में, आर्थराइटिस, रक्तशोधक, आदि में इसका खूब प्रयोग होता है. विश्वभर में कई प्रकार के कैंसर के इलाज में भी इसके प्रभावजनक परिणाम सामने आए हैं.
*नीम (निम्ब* )
नीम का पेड़ भारत में बेहद उपयोगी माना गया है. इसके सूखे पत्ते लोग कपड़े रखने वाली जगह पर कीटनाशक के रूप में रखते हैं. इसके अतिरिक्त किसी भी तरह के त्वचा रोग में इसके काढ़े और लेप का प्रयोग किया जाता है. स्नान के दौरान इसकी पत्तियों का प्रयोग बेहद लाभकारी होता है.
*मोरिंगा*
यह पेड़ पूरे भारत में बहुतायत से होता है तथा इसके पत्ते और फलियों का उपयोग किया जाता है. इसकी फलियों को तो सांभर में भी डाला जाता है. यह बलवर्धक होने के साथ ही जीर्ण ज्वर में बेहद उपयोगी है.
*तुलसी*
यह औषधीय पौधा कई घरों में मिल जाएगा तथा सामान्य सर्दी-खांसी से लेकर ज्वर इत्यादि में भी उपयोग किया जाता है. इसकी हर्बल चाय तो विश्व प्रसिद्ध है. यह वातावरण को शुद्ध करती है तथा बैक्टिरियल इन्फेक्शन को झट से खत्म करने वाली होती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना इसका मौलिक गुण है.
*��ृतकुमारी** (गवारपाठा)
यह सर्वाधिक पाया जाने वाला छोटा-सा मांसल पत्तियों वाला पौधा है जो कि कई रोगों में अत्यंत उपयोगी है. इसके पत्तों के बीच का गूदा बाह्य उपयोग में त्वचा रोगों में काम आता है. स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता को खत्म करने में कारगर है, यकृत (लीवर), तिल्ली (स्पलीन) तथा पाचन संबंधी बीमारियों और आर्थराइटिस के इलाज में इसका खूब प्रयोग होता है.
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*W H O की तरफ से गाइड लाइन आई है । हमें लगता है वर्तमान समय में जहां भी अच्छी जानकारी मिले उसे पढ़ना चाहिए और दूसरो तक भेजनी भी चाहिए।*
*फेसमास्क सम्बन्धी जानकारी।*
मास्क का उपयोग सीमित समय के लिए किया जाना चाहिए। यदि आप इसे लंबे समय तक पहनते हैं:
*1.* रक्त में ऑक्सीजन कम हो जाती है।
*2.* मस्तिष्क को ऑक्सीजन कम मिलता है।
*3.* आप कमजोर महसूस करने लगते हैं।
*4.* मृत्यु तक ले जा सकता है।
*सलाह*
*A*- जब आप अकेले हों तो इसे हटा दें।
*B* - इसे घर पर इस्तेमाल न करें।
*C* - केवल इसका उपयोग भीड़ वाली जगह पर करें और जब एक या अधिक व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क में हो।
*D* -अपने आप को सबसे अधिक बार अलग करते हुए इसका उपयोग कम करें।
*E-* AC का इस्तेमाल कम से कम करे।
*सुरक्षित रहें!!!*
*दवाएं जो आइसोलेशन अस्पतालों में ली जाती हैं*
*1.* विटामिन सी -1000
*2.* विटामिन ई (ई)
*3.* सुबह 1 0 से 11बजे के धुप मे 15-20 मिनट धूप में बैठे।
*4.* हम आराम करते हैं / कम से कम 7-8 घंटे सोते हैं
*5.* हम रोजाना 2.5 लीटर पानी पीते हैं
*6.* सभी भोजन गर्म (ठंडा नहीं) होना चाहिए।
और यह सब हम अस्पताल में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए करते हैं
ध्यान दें कि कोरोनावायरस का पीएच 5.5 से 8.5 तक भिन्न होता है
इसलिए, वायरस को खत्म करने के लिए हमें बस इतना करना है कि वायरस की अम्लता के स्तर से अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
जैसे कि :
*हरा नींबू* - 9.9 पीएच
*पीला नींबू* - 8.2 पीएच
*एवोकैडो* - 15.6 पीएच
*लहसुन* - 13.2 पीएच
*आम* - 8.7 पीएच
*कीनू* - 8.5 पीएच
*अनानास* - 12.7 पीएच
*वॉटरक्रेस* - 22.7 पीएच
*संतरे* - 9.2 पीएच
कैसे पता चलेगा कि आप कोरोना वायरस से संक्रमित हैं?
*1.* सूखा गला
*2.* सूखी खांसी
*3.* उच्च तापमान
*4.* सांस की तकलीफ
*5.* गंध की कमी…।
*गर्म पानी के साथ नींबू, फेफड़ों तक पहुंचने से पहले वायरस को खत्म कर देता है ...*
इस जानकारी को खुद तक न रखें। इसे अपने सभी परिवार और दोस्तों को प्रदान करें।
*हम आपके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते है!*🙏
*स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें।*
कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है..
रणजीत कुमार पाण्डेय
9472058429
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कोरोना वायरस से लड़ने में अश्वगंधा के फायदे !
दुनिया के सभी वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस वक्त कोरोना वायरस को हराने के लिए वैक्सीन बनाने की दौड़ में शामिल हैं। कोरोना वायरस ने अभी तक दुनियाभर के 54 लाख से ज़्यादा लोगों को संक्रमित किया है। इस वायरस को ख़त्म करने के लिए दवाइयों पर एक्सपेरीमेंट से लेकर ई तरह की थैरेपी का उपयोग किया जा रहा है।
अश्वगंधा ही क्यों?
पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, आयुर्वेद को अब कोरोना वायरस से लड़ने की दवाओं में शामिल किया गया है। आईआईटी दिल्ली और जापान की AIST ने मिलकर एक शौध में पाया कि सबसे शक्तिशाली और व्यापक रूप से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक, अश्वगंधा COVID-19 से लड़ने की मज़बूत क्षमता रखती है।
अश्वगंधा में हैं एंटी-वायरल गुण
शोध में पाया गया है कि अश्वगंधा कोरोना वायरस से लड़ने में महत्वपूर्ण दवा साबित हो सकती है और इसका इस्तेमाल वैक्सीन के विकास में भी किया जा सकता है। अश्वगंधा में, विशेष रूप से, कुछ प्राकृतिक जैव रासायनिक यौगिक शामिल होते हैं, जो अन्य एंटी-कोरोना वायरस दवाओं की तरह ही काम कर सकते हैं।
अश्वगंधा कैसे कर सकती है मदद?
यह देखा गया कि अश्वगंधा में मौजूद यौगिकों में से एक, विथानोन (वाई-एन) और एक अन्य प्राकृतिक चिकित्सा, न्यूजीलैंड प्रोपोलिस Mpro की संरचना को अवरुद्ध करने और कमज़ोर करने में काफी प्रभावी और उपयोगी है। इसलिए, अगर उचित मात्रा और खुराक में COVID की वैक्सीन के उत्पादन में इसका उपयोग किया जाता है, तो अश्वगंधा इससे निपटने में सहायक साबित हो सकती है और यहां तक कि कोरोना वायरस के प्रसार को भी रोक सकता है।
क्या अश्वगंधा कोरोना वायरस के लिए एंटी-वायरल दवा है?
इसको लेकर अभी भी शोध जारी हैं, हालांकि, हमें ये मालूम है कि अश्वगंधा उपचार के लिए आयुर्वेद में काफी शक्तिशाली और बेहतर मानी जाती है, जिसका उपयोग कई उपयोग और लाभ हैं। ये ज़ुकाम और खांसी को ठीक करने में काफी कारगर साबित होती है।
इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद
रोज़ाना अश्वगंधा खाने से आपकी इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज़ुकाम होने पर अश्वगंधा का सेवन बढ़ाने से शरीर को उबरने में मदद मिलती है। सा�� ही ये औषधि एक वायरल इंफेक्शन के साथ होने वाले तनाव और थकान से उबरने में भी मदद करती है। अश्वगंधा दिल और शरीर के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
तनाव कम करती है
रोज़ाना अश्वगंधा के सेवन से तनाव नियंत्रण में या फिर कम हो सकता है। साथ ही शरीर में कोर्टीसोल का उत्पादन कम करता है और इंफ्लामेंशन भी रोकता है।
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इंद्रायण के फायदे और नुकसान
इंद्रायण एक बारहमासी लता (बेल) है, जो भारत के बलुई क्षेत्रों के खेतों में उगाई जाती है। इंद्रायण के तीन प्रकार हैं। बड़ी इंद्रायण, छोटी इंद्रायण और लाल इंद्रायण। इसकी हर प्रकार की बेल पर लगभग 50-100 फल लगते हैं, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। ��ंद्रायन से प्राप्त लाभों में घावों को ठीक करना, मुंहासों का उपचार, कब्ज का इलाज, जोड़ों का दर्द, बवासीर, आदि शामिल हैं।
आयुर्वेद में इंद्रायण का महत्व-
आयुर्वेद के अनुसार इंद्रायण में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अनगिनत बीमारियों के उपचार में सहायता करते हैं। इंद्रायण का वानास्पतिक नाम सिटुल्स कोलोसिंथिस (Citrullus colocynthis) है। जिसे कोलोसिंथ (Colocynth) के नाम से भी जाना जाता है। इंद्रायण का फल तरबूज के परिवार से संबंध रखता है, जो बुखार से निदान दिलाने, सूजन को कम करने, रक्त को साफ करने, कफ निसारक और मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में सहायता करता है। प्रकृति से इंद्रायण तीखा और गर्म होता है, जो रेचक (पेट साफ़ करने), पित्तकफ, कामला (पीलिया), खांसी, सांस संबंधी समस्या, पेट के रोग, गांठ, व्रण (घाव), गुल्म (वायु का गोला), गलगण्ड (कंठमाला), प्रमेह (डायबिटीज), आमदोष (गठिया), अपच, अश्मरी (पथरी), श्लीपद (Filaria) और ज्वर आदि बीमारियों में लाभदायक होता है।
इंद्रायण के फायदे
इंद्रायण की जड़, पत्ते और फलों में कई पौष्टिकारक गुण होते हैं, जो स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। आइए जाने इन्द्रायन के कुछ अन्य स्वास्थ्य लाभों के बारे में-
कब्ज में लाभदायक-
इंद्रायण को कब्ज की समस्या के लिए फायदेमंद औषधि माना जाता है। इसका फल कब्ज और पेट की तमाम समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इंद्रायण फल रस निकालकर उसमें एक चौथाई चम्मच हींग, अजवाइन, इलायची, खड़ा नमक (rock salt) आदि मिलाएं। अब इस मिश्रण की एक चौथाई चम्मच को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से कब्ज से जल्द छुटकारा मिलता है।
मधुमेह में फायदेमंद-
इंद्रायण में एंटी-डाइबेटिक गुण होते हैं, जो मधुमेह को कम करने में मदद करते हैं। मुख्य ���ूप से इंद्रायण टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के रोगीयों के लिए अधिक फायदेमंद होता है। इसलिए टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त रोगीयों को इंद्रायण का सेवन करना चाहिए।
बवासीर के उपचार में कारगर-
इंद्रायण के औषधीय गुण बवासीर को ठीक करने में मदद करते हैं। इसके लिए इंद्रायण की जड़ और पिप्पली को पीसकर, छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को सूरज की रोशनी में सुखाकर, पानी के साथ सेवन करें। नियमित रूप से ऐसा करने से बवासीर का प्रभाव कम होता है।
मुंहासों को कम करने सहायक-
इंद्रायण का प्रयोग कील-मुंहासे जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी किया जाता है। इसके लिए इंद्रायण की जड़ों को पीसकर रस निकाला जाता है। इस रस को मुंहासों पर लगाने से मुंहासों में मौजूद बैक्टीरिया मरने लगता और मुंहासे ठीक होने लगते हैं।
दर्द और सूजन को कम करने में मददगार-
इंद्रायण ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों की बीमारी) के दर्द और सूजन को कम करने में सहायता करता है। दरअसल इंद्रायण की जड़ के रस में इथेनॉल (ethanol) होता है। जिसके सेवन से सूजन वाली कोशिकाओं में प्रो-इंफ्लामेटरी साइटोकिन्स (pro-inflammatory cytokines) का स्तर कम हो जाता है। परिणामस्वरूप जोड़ों की सूजन और दर्द कम हो जाता है।
आंतों के कीड़ों के उपचार में फायदेमंद-
इंद्रायण जड़ी-बूटी का उपयोग पेट की समस्याओं को दूर करने बड़े पैमाने पर किया जाता है। इंद्रायण आंतों के कीड़ों को दूर करना में भी कारगर औषधि है। इसके लिए इंद्रायण की जड़ों को धोने और सुखने के बाद पीसकर पाउडर तैयार कर लें। सुबह के समय एक गिलास पानी में चुटकीभर पाउडर मिलाकर सेवन करने से आंतों के कीड़ों नष्ट होने लगते हैं।
बालों के लिए लाभदायक-
इंद्रायण को बालों के विकास के लिए टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा इंद्रायण तेल को सिर में लगाने से भी बालों का तेज विकास होता है। साथ ही बालों के झड़ने और सफेद बाल की समस्या भी कम होती है।
सिरदर्द से राहत दिलाने में मददगार-
तनाव एवं सिरदर्द होने पर इंद्रायण फल के रस को सर पर लगाने या इसकी जड़ के छाल को तिल के तेल में उबालकर, मस्तक पर लगाकर मालिश करने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
स्तन के सूजन के इलाज में फायदेमंद-
किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण स्तन में आई सूजन पर इंद्रायण की जड़ को पीसकर लेप करने से स्तन की सूजन कम होती है।
पेट की बीमारियों के इलाज में लाभकारी-
इंद्रायण का औषधीय गुण पेट संबंधी विभिन्न बीमारियों को दूर करने में लाभप्रद होता है-
इंद्रायण का मुरब्बा पेट की समस्याओं में आराम करता है।
ताजे इंद्रायण फल के गूदे को गरम पानी के साथ और सूखे गूदे को अजवायन के साथ खाने से पेचिश (Dysentery) में आरम मिलता है।
इंद्रायण फल के गुदे को गरम करके पेट पर बांधने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
फोड़ा के इलाज में लाभकारी-
इंद्रायण का औषधीय गुण फोड़ों के इलाज में लाभकारी होता है। सर्दी-गर्मी से शरीर पर फोड़े हो जाते हैं। ऐसे में इंद्रायण के फल को पीसकर नारियल तेल में मिलाकर लगाने से फूंसी- फोड़े ठीक होने लगते हैं। इसके अतिरिक्त लाल और बड़ी इंद्रायण की जड़ों को बराबर मात्रा में पीसकर लेप के रूप में फोड़े पर लगाने से भी लाभ मिलता है।
इंद्रायण के नुकसान
अधिक मात्रा में इंद्रायण का सेवन करना आंतों के नुकसान और रक्तस्राव से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।
इंद्रायण के अधिक सेवन कभी-कभी गंभीर दस्त की दिक्कत भी हो सकती है।
गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इंद्रायण का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
स्वास्थ्य समस्या की दवाओं के साथ इंद्रायण का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।
कहा�� पाया जाता है इंद्रायण?
पूरे भारत के बलुई क्षेत्रों (रेगितानी मिटटी) में इंद्रायण की बेल पाई जाती है। कई बार यह खेतों में अपने आप भी उग जाती है तो कई जगह पर इसकी खेती भी की जाती है। इंद्रायण बेल की लंबाई 20 से 30 फुट तक होती है।
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सैमफायर यशटी मधू कफ सिरप
जोशांदा दर्जा खास
यशटी मधू के मुख्य लाभकारी प्रभाव श्वसन प्रणाली और पाचन तंत्र पर भी पडता हैं। यह सुखी खाँसी या वलगमी खाँसी, एलर्जी से होने वाली खाँसी, गले में खराश के वजह से खाँसी, टी.बी. या दमे के कारन होने वाली खाँसी, मौसम के परिवर्तन के हुई खाँसी, बच्चों और बजुर्गों में किसी भी प्रकार की खाँसी को दूर करने में मदद करता है। तत्व: 1. मुलेठीः मुलेठी से गले की खराश दूर करने का एक पुराना उपाय है। यह अपने ब्रोन्कोडायलेटर गुणों के कारण खांसी, गले में खराश जैसी स्थितियों को ठीक कर सकता है और क्रोनिक अस्थमा के प्रभाव को भी कम करता है।
2. ऊनाबः इस में ऊर्जा, विटामिन और खनिजों तत्व होता है यह आपको खांसी से बहुत राहत देता है जो आपके श्वसन तंत्र को शांत करने में मदद करता है व रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है।
3. भरिंगीः यह सूजन, अस्थमा, खांसी और हिचकी जैसी स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
4. बन्फाशः आमतौर पर खांसी, गले में खराश और स्वर बैठना (गला बैठना) के उपाय के रूप में प्रयोग किया जाता है।
5. बांसाः वात, कफ और पित्त से उत्पन्न होने वाले रोगों के इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है।
6. फूल गुलाबः यह श्वसन तंत्र अस्थमा और खांसी को दूर करने में मदद करता है।
7. बड़ी इलायचीः बडी इलाइची का उपयोग खांसी में इसके उष्ना (गर्म) गुणों के कारण किया जाता है। यह श्वसन मार्ग से अतिरिक्त बलगम को हटाने में मदद करता है और राहत प्रदान करता है।
8. तालीस पत्रः खांसी, अस्थमा, सामान्य सर्दी, छींकने, एलर्जी और ऊपरी श्वसन संक्रमण जैसे रोगों में उपचार के लिए सहायक हैं।
9. पिपला मूलः इसका उपयोग आमतौर पर खांसी, अस्थमा, कब्ज, मदुमेह और जीभ के पक्षाघात के इलाज के लिए किया जाता है।
10. ककर सिंघीः खांसी के उपचार लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक के तौरपर उपयोग किया जाता है।
11. ��ोंठः इसमें शक्तिशाली कफ दमनकारी गुण होते हैं। इसके अलावा इस में कई उड़नषाील द्र्रव्य भी होते हैं जो खांसी के साथ-साथ सर्दी-जुकाम के उपचार में भी लाभदायक है।
12. पुदीनाः पुदीने की पत्तियां आपको ठंड और अस्थमा से राहत देने में मदद करती है।
13. तुलसीः तुलसी के पत्तों का उपयोग खांसी, सर्दी -जुकाम और बुखार के उपचार में उपयोग किया जाता है।
14. जुफाः जूफा बदलते मौसम में गले के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
15. लौंगः लंबे समय से खांसी और गले में खराश के लिए प्राकृतिक उपचार में उपयोग किया जाता है।
16. पीपलः पीपल के फल को खांसी, पित्त, रक्त संबंधी समस्याओं, जलन और उल्टी आदि उपचार के लिए भी उपयोग किया जाता है।
17. कायफलः यह खांसी और गले के दर्द में उपचार के लिए उपयोगी है।
18. कासनीः खांसी के लिए अत्यधिक प्रभावी, गले में खराश से राहत प्रदान करता है।
19. कूठः यह अस्थमा के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसके निष्पादक गतिविधि के कारण यह हवा मार्ग से बलगम को हटाने में मदद करता है जिसे सांस लेने में आसानी होती है।
20. गिलोयः गिलोय का उपयोग श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अक्सर होने वाली खांसी, सर्दी- जुकाम को कम करने के लिए किया जाता है।
21. आंवलाः यह खांसी में सुधार करता है और सर्दी का इलाज करता है।
22. सौंफः यह सर्दी, खांसी और फ्लू के खतरे को कम करने में मदद करता है और तुरंत राहत प्रदान करता है। यह कई मौसमी संक्रमणों को दूर रखने में मदद करता है और आपके शरीर को भीतर से गर्म रखता है।
23. शहदः शहद को इसके विभिन्न रोगाणुरोधी गुणों के कारण खांसी से राहत देने में मददगार माना जाता है।
24. सत पुदीनाः सत पुदीना का उपयोग सामान्य सर्दी-जुकाम, सिरदर्द और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए किया जाता है।
25. नौसादरः यह विभिन्न रोगों जैसेः-खांसी, जुकाम, अस्थमा एवं अपच आदि की उपचार में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।
सैमफायर यशटी मधू कफ सिरप की विशेषताएंः इस का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इस को पीने से नींद नहीं आती है। यह बिल्कुल नशा मुक्त है। इसमें 25 हर्बल(आयुर्वेदिक) तत्व हैं। यह 100 प्रतिशत आयुर्वेदिक तत्व से बना हुआ हैं।
खुराक : गुनगुने पानी के साथ लें - बच्चों : 1-4 वर्ष : 1/2 चम्मच दिन में दो बार 4-12वर्ष : 2 चम्मच दिन में दो बार वयस्क व्यक्ति : चिकित्सक के निर्देश द्वारा 2 चम्मच दिन में तीन बार। इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह हिलायें। नमी रहित और ठंडी जगह पर स्टोर करें।
Samphire Food & Pharma (P) Ltd.
24-25, HSIIDC Karnal,
Haryana 132001 India
Cont no. 094660 64005
098124 31534
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एंटीबायोटिक्स क्या हैं? What are antibiotics?
एंटीबायोटिक्स एक प्रकार की दवाएं हैं जो बैक्टीरिया के विकास को नष्ट या धीमा कर देती हैं और संक्रमण को फैलने से रोकती है।
एंटीबायोटिक्स में बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शक्तिशाली दवाओं की एक अच्छी श्रृंखला शामिल है। आपको बता दें कि एंटीबायोटिक्स वायरल संक्रमण, जैसे सर्दी, फ्लू और अधिकांश खांसी का इलाज नहीं कर सकते हैं।
जबकि एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया (कीटाणुओं) के कारण होने वाले संक्रमण के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं, वे वायरस के खिलाफ प्रभावी नहीं होते हैं। सभी दवाओं की तरह, एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं और केवल आवश्यक होने पर ही इसका उपयोग किया जाना चाहिए। जिस एंटीबायोटिक की आपको आवश्यकता नहीं है, उसे लेना हानिकारक भी हो सकता है। इस वजह से एंटीबायोटिक्स के बारे में जानना जरूरी है।
मौजूदा ��स लेख में के बारे में काफी जानकारी प्रदान की गई है जिसकी मदद से आप एंटीबायोटिक्स के फायदों के साथ-साथ इससे होने वाले संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जान सकते हैं।
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डीफेनहाइड्रामाइन एक एंटीहिस्टामाइन है जिसका उपयोग एलर्जी , हे फीवर और सामान्य सर्दी के लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है । इन लक्षणों में दाने , खुजली , आंखों से पानी आना, आंखों /नाक/गले में खुजली, खांसी , नाक बहना और छींक आना शामिल हैं । इसका उपयोग मोशन सिकनेस के कारण होने वाली मतली , उल्टी और चक्कर को रोकने और इलाज के लिए भी किया जाता है । डीफेनहाइड्रामाइन का उपयोग आपको आराम करने और सो जाने में मदद करने के लिए भी किया जा सकता है। यह दवाएक निश्चित प्राकृतिक पदार्थ ( हिस्टामाइन ) को अवरुद्ध करके काम करता है जिसे आपका शरीर एलर्जी प्रतिक्रिया के दौरान बनाता है । आंखों में पानी आना और नाक बहना जैसे लक्षणों पर इसका शुष्क प्रभाव आपके शरीर द्वारा बनाए गए एक अन्य प्राकृतिक पदार्थ (एसिटाइलकोलाइन) को अवरुद्ध करने के कारण होता है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों में खांसी -जुकाम वाले उत्पादों को सुरक्षित या प्रभावी नहीं दिखाया गया है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों में सर्दी के लक्षणों का इलाज करने के लिए इस उत्पाद का उपयोग तब तक न करें जब तक कि डॉक्टर विशेष रूप से निर्देशित न करें। 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कुछ उत्पादों (जैसे लंबे समय तक काम करने वाली गोलियां/कैप्सूल) की सिफारिश नहीं की जाती है। अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से पूछेंअपने उत्पाद को सुरक्षित रूप से उपयोग करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए। ये उत्पाद सामान्य सर्दी की अवधि को ठीक नहीं करते या कम नहीं करते हैं और इसके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। गंभीर दुष्प्रभावों के जोखिम को कम करने के लिए, खुराक के सभी निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें। बच्चे को सुलाने के लिए इस उत्पाद का उपयोग न करें। अन्य खांसी -जुकाम की दवा न दें जिसमें समान या समान सामग्री हो सकती है ( ड्रग इंटरेक्शन सेक्शन भी देखें)। खांसी और सर्दी के लक्षणों से राहत पाने के अन्य तरीकों के बारे में डॉक्टर या फार्मासिस्ट से पूछें (जैसे कि पर्याप्त तरल पदार्थ पीना, ह्यूमिडिफायर या सलाइन नाक की बूंदों / स्प्रे का उपयोग करना)।(Diphenhydramine Tablet Effects and Side Effects) डीफेनहाइड्रामाइन एचसीएल का उपयोग कैसे करें उत्पाद पैकेज पर सभी निर्देशों का पालन करें। यदि आपके डॉक्टर ने यह दवा निर्धारित की है , तो इसे निर्देशानुसार लें। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से पूछें । टैबलेट, कैप्सूल या तरल रूप में ��ोजन के साथ या भोजन के बिना मुंह से लें। एक विशेष मापने वाले उपकरण/चम्मच का उपयोग करके इस दवा के तरल रूपों को मापें। घरेलू चम्मच का प्रयोग न करें क्योंकि हो सकता है कि आपको सही खुराक न मिले। यदि आपके पास इस दवा की एकल-खुराक का रूप है (जैसे कि एकल-उपयोग वाली सीटी), तो आपको खुराक को मापने की आवश्यकता नहीं है। तेजी से घुलने वाली गोली या पट्टी को जीभ पर घुलने दिया जाना चाहिए और फिर पानी के साथ या बिना निगल लिया जाना चाहिए। चबाने योग्य गोलियों को निगलने से पहले अच्छी तरह चबाया जाना चाहिए खुराक आपकी उम्र, चिकित्सा स्थिति और उपचार की प्रतिक्रिया पर आधारित है। डिफेनहाइड्रामाइन के कई ब्रांड और रूप उपलब्ध हैं। प्रत्येक उत्पाद के लिए खुराक के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें क्योंकि उत्पादों के बीच डिफेनहाइड्रामाइन की मात्रा भिन्न हो सकती है। अपनी खुराक में वृद्धि न करें या निर्देशित की तुलना में इस दवा को अधिक बार लें।मोशन सिकनेस को रोकने के लिए , यात्रा जैसी गतिविधि शुरू करने से 30 मिनट पहले अपनी खुराक लें। आपको सोने में मदद करने के लिए, सोने से लगभग 30 मिनट पहले अपनी खुराक लें । यदि आपको 2 सप्ताह से अधिक समय तक सोने में कठिनाई हो रही है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अपने डॉक्टर को बताएं कि क्या आपकी स्थिति में सुधार नहीं होता है या यदि यह खराब हो जाता है। उनींदापन, चक्कर आना , कब्ज , पेट खराब, धुंधली दृष्टि , या शुष्क मुँह / नाक / गला हो सकता है। यदि इनमें से कोई भी प्रभाव बना रहता है या बिगड़ जाता है, तो अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट को तुरंत बताएं। शुष्क मुँह को राहत देने के लिए , (चीनी रहित) हार्ड कैंडी या बर्फ चिप्स चूसें, (चीनी रहित) गम चबाएँ, पानी पियें, या लार के विकल्प का उपयोग करें। यदि आपके डॉक्टर ने आपको इस दवा का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया है , तो याद रखें कि आपके डॉक्टर ने निर्णय लिया है कि साइड इफेक्ट्स के जोखिम से आपको लाभ अधिक है। इस दवा का उपयोग करने वाले बहुत से लोगों को गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अपने चिकित्सक को तुरंत बताएं अगर आपको कोई गंभीर दुष्प्रभाव है, जिसमें शामिल हैं: मानसिक / मनोदशा में बदलाव (जैसे बेचैनी, भ्रम), पेशाब करने में कठिनाई, तेज़ / अनियमित दिल की धड़कन। यदि आपको कोई बहुत गंभीर दुष्प्रभाव हों, जिनमें शामिल हैं: दौरे पड़ना , तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें । इस दवा के लिए एक बहुत ही गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया दुर्लभ है। हालाँकि, यदि आपको किसी गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें, जिसमें शामिल हैं: दाने , खुजली / सूजन (विशेषकर चेहरे / जीभ / गले की), गंभीर चक्कर आना, साँस लेने में परेशानी । यह संभावित दुष्प्रभावों की पूरी सूची नहीं है। यदि आप ऊपर सूचीबद्ध नहीं किए गए अन्य प्रभावों को देखते हैं, तो अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से संपर्क करें। यूएस में - साइड इफेक्ट के बारे में चिकित्सकीय सलाह के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आप 1-800-FDA-1088 या www.fda.gov/medwatch पर FDA को दुष्प्रभाव की सूचना दे सकते हैं। कनाडा में - साइड इफेक्ट के बारे में चिकित्सकीय सलाह के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आप स्वास्थ्य कनाडा को 1-866-234-2345 पर दुष्प्रभाव की सूचना दे सकते हैं। Diphenhydramine Tablet Effects and Side Effects Diphenhydramine Tablet uses in hindi Diphenhydramine Effects and Side Effects in hindi Diphenhydramine Tablet in hindi Benadryl Tablet Effects and Side Effects Diphenhydramine Tablet uses in hindi Diphenhydramine Effects and Side Effects in hindi Diphenhydramine Tablet in hindi Benadryl Tablet Effects and Side Effects Diphenhydramine Tablet uses in hindi Diphenhydramine Effects and Side Effects in hindi Diphenhydramine Tablet in hindi Benadryl Tablet Effects and Side Effects
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सर्दी में नहीं होगी खांसी-जुकाम, जो करें अजवाइन का सेवन
सर्दी में नहीं होगी खांसी-जुकाम, जो करें अजवाइन का सेवन
भारतीय व्यंजनों में पाए जाने वाले मसाले न केवल अजवाइन का सेवन स्वाद को बढ़ाते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में भी कई फायदों का जिक्र है। इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। इसका प्रभाव गर्म होता है। सर्दियों में इसका सेवन करने से दूर जाओ इसमें फाइबर, खनिज, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और निकोटिनिक एसिड होता है। सर्दी के मौसम में इसका सेवन करने से…
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