#उदासी
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bazmeshayari · 5 months ago
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बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है मेरे नसीब में गम के सिवा धरा क्या है, मैं जिनके वास्ते दुनियाँ ही छोड़ आया था वो पूछते है कि आख़िर हुआ क्या है, निभा रहा हूँ मैं दुनियाँ के रह ओ रस्म यहाँ वगरना जिस्म के सहरा में अब बचा क्या है, यहाँ तो ईद का मौसम भी अब नहीं आता ना जाने ग़र्दिश ए दौराँ को हो गया क्या है, हर एक रात मेरी ज़िन्दगी का मातम है हर एक शाम यहाँ मौत के सिवा क्या है, हमारा फ़र्ज़ तो जलना है…
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kamalsanjyal · 2 years ago
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हरेक मिठो मुस्कानको पछाडी
एक तितो उदासी छ जुन कसैले
देख्न र महसुस गर्न सक्दैन।
#kamalsanjyal
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annagxx · 1 month ago
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आ जा पिया, आ जा पिया, भर ले मोरी उदासी।
मोहन तोहरी दासी, हुई मैं प्रेम प्यासि।।
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hi-avathisside · 1 year ago
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The eyes never lie, do they?
प्यार, दर्द, उदासी, ख़ुशी, सब उन आँखों में ही दिख जाता है।
जो लफ्ज नहीं बयां कर पाते आंखें कर देती हैं
जो अनकहा, अनसुना रह जाता है, आंखें कह देती है
आंखें सब कह देती हैं, बस उन्हें कोई सुनने वाला होना चाहिए।
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talesoftaru · 7 months ago
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सब जिनके लिए झोलियां फैलाए हुए हैं वो रंग मेरी आंख के ठुकराए हुए हैं इक तुम हो कि शोहरत की हवस ही नहीं जाती इक हम हैं कि हर शोर से उकताए हुए हैं दो चार सवालात में खुलने के नहीं हम ये उक़दे तेरे हाथ के उलझाए हुए हैं अब किसके लिए लाए हो ये चांद सितारे हम ख़्वाब की दुनिया से निकल आए हुए हैं हर बात को बेवजह उदासी पे ना डालो हम फूल किसी वजह से कुम्हलाए हुए हैं कुछ भी तेरी दुनिया में नया ही नहीं लगता लगता है कि पहले भी यहां आए हुए हैं सब दिल से यहां तेरे तरफ़दार नहीं हैं कुछ सिर्फ़ मिरे बुज़ में भी आए हुए हैं
- फ़रीहा नक़वी
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notsohots-blog · 9 months ago
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"कभी-कभी उदासी भी थक जाती है"
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Sometimes even sadness gets tired
From गुनाहों का देवता by Dharmaveer Bharti
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addie8291 · 3 months ago
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Aaj phir
आज फिर खुद से उदासी छाई है मन में कई सवाल है खिलता हुआ फूल आज फिर मुरझाने को तैयार है यून करके खुदको खफा बार -बार उदास मै क्यों हो जाती हू नहीं ज्ञात की क्या है आगे फिर भी डर से घबरा जाती हू उलझी हूई हूं मै आज आकर सुलझा दे कोइ ~ :D yellow heart
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themoonlitsea · 11 months ago
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बड़े दिन बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे,
ना ख़बर, ना ख़्याल, ना शिकन है दिल में मेरे,
फ़िर क्यूंँ आई है ये पुरानी कोई ख़बर बनके ज़हन में मेरे,
ढलते सूरज के साथ ढली पहरों की ठहर बनके,
बड़े दिनों बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे,
अब तो तौबा करली है आदतों से कितनी,
अब तो तौबा करली है ख़्वाबों के मिट्टी के महल बनाने से,
ये लंबे दौर की लहरें ले डुबा है ज़मीर के ख़ज़ाने मेरे कितने,
अब तो किनारे ही रह जाने की दरख़्वास्त है मेरी,
सुनने–सुनाने के किस्से यूंँ किस से जताऊंँ,
अब तो तौबा करली है लफ्ज़ों से ही ज़बान ने मेरी,
ना ख़बर, ना ख़्याल, ना शिकन है दिल में मेरे,
तब भी बड़े दिन बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे,
लगता है क़िस्मत बड़ी ख़फ़ा है मुझसे,
कितना डर–डर के जिया है जिगर मेरा हर दम,
अपना हर ग़म छुपाया है मुस्कुराहट के पर्दों में मैंने,
दूर ही रहता ह��ंँ इन टूटे शीशों से बनी बदनुमा दुनिया से,
हर पल ये भीड़ बताती है मुझे,
ऐ बंदे, बर्बादी बड़ी खड़ी है इस राह पर तेरे,
पर इस राह पर तो मुझे अपना सच दिखता है,
बर्बादी ही सही, सच तो रहे,
कफ़न ही सही, पर सर पर बंँधे,
पर सामना सिर्फ़ करना चाहता हूंँ इसका ज़माने के सामने,
अपनों के शायद मर्म को सह ना पाऊंँगा,
बड़ा बुज़दिल जो हुंँ कहीं मर ही जाऊंँगा,
आज हर सही–ग़लत का हिसाब करने आयी है इस ज़माने का पूरे,
बड़े दिन बाद उदासी आई है दरवाज़े पर मेरे
–शशि
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anirregularperson · 10 months ago
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मैं कब तन्हा हुआ था याद होगा
तुम्हारा फ़ैसला था याद होगा
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बहुत से उजले उजले फूल ले कर
कोई तुम से मिला था याद होगा
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बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें
कोई आँसू गिरा था याद होगा
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उदासी और बढ़ती जा रही थी
वो चेहरा बुझ रहा था याद होगा
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वो ख़त पागल हवा के आँचलों पर
किसे तुम ने लिखा था याद होगा
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literally everyone in our generation
डर लगता है इश्क करने में जी
दिल तो बच्चा है जी
थोड़ा कच्चा है जी
ऐसी उदासी बैठी है दिल में
हसने से घबरा रहें हैं
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ajjud96 · 11 months ago
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ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है
जहाँ प्यार ��ी कद्र कुछ नहीं है
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दु��िया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .
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एक खालीपन है,
इस दिल में,
सुन्न सन्नाटा है
धड़कनो के बीच,
उदासी की झील में
तरंग है उसके ख़याल ,
हल्का सा जीवन दे जाता है,
मगर है तो एक छल ही,
मृगतृष्णा इस मन का,
मेरे लिए कहाँ ही है
प्यार लिखा मेरे हाथो के लकीरो में ?
गर्दिश में है चाहत मेरी
मगर फिर भी काश..
होता कोई जिसे अपना बुला पाती
बिना सोचे समझे उसपर यकीन कर पाती
उसमे ही विलीन हो जाती
हमेशा हमेशा के लिए....
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natkhat-sa-shyam · 2 years ago
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उदासी एक अलग ही क़िस्म का नशा है। बाक़ी नशे सुकून देते हैं, सन्तुष्टि देते हैं, जीवन के प्रति आस्था पैदा करते हैं, नशे के प्रति लगाव पैदा करते हैं जबकि उदासी वैराग्य जगाती है, उदासी से दूर भाग जाने की इच्छा जगाती है और एक प्यास बढ़ाती रहती है। उदासी धरती की सबसे पुरानी धरोहर होगी। यह प्यार से हज़ारों साल पुरानी होगी।
‘ग्यारहवीं- A के लड़के’
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melancholic-academia · 2 years ago
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।। फिऱ भी न आया लूटेरा
रुला के गया सपना मेरा ।
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा ।
सहर-ओ-शाम बिताएं उनकी चौखट पे,
नज़रें थकतीं नहीं उनकी राह तकते,
कान थकते नहीं उनकी आहत तलाशते ।
फ़िर भी न आया लूटेरा
रुला के गया सपना मेरा ।
ग़म-ए-जुदाई में डूबे हैं हम
डूबा है दिल भी,
कोई पूछो उनसे
की हमारी कोशिशों की आवाज़
उनके कानों पर दस्तक नहीं देती क्या कभी भी ?
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा ।
ये कैसी ज़िन्दगी है उनके बिन
की साँसों से ऊब गए हैं ।
वो हमसे ग़ाफ़िल हैं
इस बात की उन्हें कोई परवाह नहीं
और उनके बिन इस उदासी की
कोई इन्तहां नहीं ।
फ़िर भी न आया लूटेरा
रुला के गया सपना मेरा ।
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा ।।
-आर्या
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kaminimohan · 2 years ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1360.
"अस्थिर गति स्थिरांक लिए"
- कामिनी मोहन।
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हर दिन मन घूमता रहता है,
संतुलन की कमी को टटोलता रहता है।
अस्थिरता को विचित्र रंग में लपेटे हुए एक मिश्रण है,
जो ईट से ईट को जोड़ता रहता है।
अस्थिर गति स्थिरांक लिए,
अंधेरी दुनिया को घेरता रहता है।
अजन्मा संयोजन चारों ओर से,
पीली ज़र्द उदासी की भाषा में बोलता रहता है।
धुँधली रोगग्रस्त रोशनी को धमनियां निगल जाती है,
भरा भरा-सा रक्त धीरे-धीरे सूखता रहता है।
जो अभी तक महसूस नहीं हो सका है,
ब्रह्माण्डीय प्रवाह में शून्य से गुजरता रहता है।
फिर से पैदा होती है चीख़-पुकार,
फिर भी आहट को अनसुना करता रहता है।
काँपती भावनाओं की गड़गड़ाहट में,
ज्ञान से परे ज्ञान का लालित्य देखता रहता है।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
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notsohots-blog · 10 months ago
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"इसके पहले तो मन में कैसे तूफान आपस में लड़ रहे थे, कुछ समझ में नहीं आता। अब तूफान बीत गये। तूफान के बाद की खामोश उदासी है।"
From गुनाहों का देवता by धर्मवीर भारती।
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