#अहिंसक विरोध
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Ahmedabad mai Ghumane ki Jagah
Ahmedabad mai Ghumane ki Jagah
यदि आप अहमदाबाद में घूमने लायक जगहों की तलाश में हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। यह शहर अपने समृद्ध इतिहास, अपने स्वादिष्ट व्यंजनों और अपने संपन्न कपड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है। यह भारत की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत का पता लगाने के लिए भी एक शानदार जगह है, जहां देखने के लिए बहुत सारे संग्रहालय, गैलरी और मंदिर हैं। और निश्चित रूप से, अहमदाबाद की कोई भी यात्रा शहर के प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड दृश्य का अनुभव किए बिना पूरी नहीं होती है। अपने विविध पड़ोस और जीवंत बाजारों के साथ, अहमदाबाद एक ऐसा शहर है जो एक स्थायी छाप छोड़ेगा। Sabarmati Ashram , Ahmedabad साबरमती आश्रम, जिसे गांधी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है, महात्मा गांधी के जीवन और कार्य में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति को अवश्य जाना चाहिए। यह भारत में गांधीजी के पहले सत्याग्रह (अहिंसक विरोध) आंदोलन का स्थल था, और यह कई वर्षों तक उनके घर के रूप में कार्य करता रहा। आज, आश्रम एक संग्रहालय और विरासत स्थल है, जहां आगंतुक गांधी के दर्शन के बारे में जान सकते हैं और उनके निजी सामान देख सकते हैं। आश्रम निर्देशित पर्यटन, योग कक्षाएं और एक आर्ट गैलरी भी प्रदान करता है। Akshardham Temple , Ahmedabad अक्षरधाम मंदिर भारत के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है, और यह हिंदू गुरु स्वामीनारायण को समर्पित है। यह अपनी अलंकृत नक्काशी के लिए जाना जाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता के दृश्यों को दर्शाती है। मंदिर के अंदर प्रदर्शनियाँ भी हैं, जो स्वामीनारायण और उनकी शिक्षाओं की कहानी बताती हैं। मंदिर परिसर में एक बड़ा बगीचा भी है, और शाम को एक जल शो भी होता है। Adalaj Stepwell , अडालज स्टेपवेल शहर का एक और अविश्वसनीय ऐतिहासिक स्मारक है। यह एक बावड़ी है, जो एक प्रकार का जल भंडार है जो भारत में पाया जाता है, और यह अपनी सुंदर नक्काशी और जटिल डिजाइन के लिए जाना जाता है। बावड़ी में पाँच मंजिलें हैं, और यह गुजरात की पारंपरिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह स्थानीय महिलाओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो मेलजोल बढ़ाने और अपने पानी के बर्तन भरने के लिए वहां इकट्ठा होती हैं। यह वास्तव में घूमने के लिए एक अनोखी और आकर्षक जगह है। Sidi Saiyyed Mosque सिदी सैय्यद मस्जिद शहर की एक और प्रभावशाली संरचना है। इसे 16वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह अपनी अनूठी डिजाइन और सुंदर वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मस्जिद की सबसे खास विशेषता इसकी जाली है, जो जटिल जाली के काम के साथ एक छिद्रित पत्थर की स्क्रीन है। जाली को अहमदाबाद के कई पोस्टकार्डों और तस्वीरों पर चित्रित किया गया है, और यह वास्तव में शिल्प कौशल की उत्कृष्ट कृति है। Kankaria Lake कांकरिया झील अहमदाबाद के मध्य में एक बड़ी कृत्रिम झील है, और यह स्थानीय लोगों और ��र्यटकों के लिए एक लोकप्रिय मनोरंजन स्थल है। झील के चारों ओर एक पैदल रास्ता है, और इसके किनारों पर एक चिड़ियाघर, एक बच्चों का पार्क और एक फूड कोर्ट सहित विभिन्न आकर्षण स्थित हैं। यह एक आरामदायक दिन बिताने के लिए एक शानदार जगह है, और सूर्यास्त के समय यह विशेष रूप से सुंदर होता है। Sarkhej Roza सरखेज रोज़ा एक और रत्न है, जो शहर के ठीक बाहर स्थित है। यह कब्रों, मस्जिदों और बगीचों का एक परिसर है जिसे 15वीं शताब्दी में बनाया गया था। परिसर का मुख्य आकर्षण सरखेज रोजा मस्जिद है, जो अपने भव्य आकार और सुंदर वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मैदान पर एक बावड़ी भी है और पूरा परिसर हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है। यह वास्तव में घूमने के लिए एक शांतिपूर्ण और सुंदर जगह है। Calico Museum of Textiles केलिको म्यूज़ियम ऑफ़ टेक्सटाइल्स अहमदाबाद का एक अनोखा संग्रहालय है जो वस्त्रों की कला और इतिहास को समर्पित है। इसमें दुनिया भर के वस्त्रों के साथ-साथ भारत के दुर्लभ कपड़ों का एक व्यापक संग्रह है। पारंपरिक कपड़ा तकनीकों पर कार्यशालाएँ और प्रदर्शन भी होते हैं, इसलिए यह शिल्प के बारे में सीखने के लिए एक शानदार जगह है। Science City साइंस सिटी, जो बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए घूमने के लिए एक शानदार जगह है। यह भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और खगोल विज्ञान जैसे विषयों पर विभिन्न प्रदर्शनियों वाला एक बड़ा इंटरैक्टिव विज्ञान केंद्र है। यहां कई व्यावहारिक गतिविधियां और प्रयोग भी हैं, इसलिए यह एक ही समय में सीखने और मनोरंजन करने के लिए एक शानदार जगह है। Auto World Vintage Car Museum ऑटो वर्ल्ड विंटेज कार संग्रहालय विंटेज ऑटोमोबाइल को समर्पित एक संग्रहालय है, और यह दुनिया में अपनी तरह के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। संग्रहालय में 1920 से 1980 के दशक तक की 100 से अधिक पुरानी कारें हैं। रोल्स रॉयस, कैडिलैक, शेवरले और फोर्ड जैसे ब्रांडों की दुर्लभ कारों के साथ, यह वास्तव में एक कार उत्साही का सपना है। और सबसे अच्छी बात यह है कि आप कारों के करीब जाकर तस्वीरें भी ले सकते हैं। Kite Museum पतंग संग्रहालय हमारे दौरे को समाप्त करने के लिए एकदम सही जगह है। यह पतंगों को समर्पित एक संग्रहालय है, और यह पुराने शहर के मध्य में स्थित है। संग्रहालय भारत में पतंगों के इतिहास के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की पतंगों और उन्हें बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों को प्रदर्शित करता है। इसमें दुनिया भर से पतंगों का एक बड़ा संग्रह भी है। और मकर संक्रांति के त्योहार के दौरान, संग्रहालय पतंग बनाने की कार्यशालाओं और पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है। Law Garden लॉ गार्डन अहमदाबाद का एक प्रसिद्ध बाज़ार है, और यह कुछ स्मृति चिन्ह लेने या कुछ स्थानीय भोजन क�� आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है। बाज़ार हस्तशिल्प से लेकर कपड़े और आभूषणों तक सब कुछ बेचने वाले स्टालों से भरा हुआ है। और सबसे अच्छी बात यह है कि बाज़ार एक खूबसूरत बगीचे में स्थित है, इसलिए आप खरीदारी ���रते समय आराम कर सकते हैं और वातावरण का आनंद ले सकते हैं। अहमदाबाद की संस्कृति और जीवंतता का अनुभव करने के लिए लॉ गार्डन भी एक बेहतरीन जगह है। Vastrapur Lake वस्त्रपुर झील एक पार्क में स्थित एक खूबसूरत झील है, और यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। झील एक जॉगिंग ट्रैक से घिरी हुई है, और वहाँ बहुत सारी बेंचें हैं जहाँ आप बैठ सकते हैं और दृश्य का आनंद ले सकते हैं। परिसर में एक फूड कोर्ट भी है, ताकि आप आराम करते हुए कुछ खा सकें। दोपहर बिताने के लिए यह वास्तव में एक शांतिपूर्ण और शांतिपूर्ण जगह है। How to reach Ahmedabad ? - हवाई मार्ग से: प्रमुख भारतीय शहरों और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों से सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (एएमडी) के लिए उड़ान भरें। - ट्रेन द्वारा: विभिन्न भारतीय शहरों से अहमदाबाद जंक्शन (एडीआई) के लिए ट्रेन लें। - सड़क मार्ग से: अहमदाबाद को पड़ोसी शहरों और राज्यों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर बस लें। - घरेलू उड़ानों द्वारा: यदि किसी बड़े शहर में हैं, तो एएमडी के लिए घरेलू उड़ान बुक करें। Tourist Places in Gujarat Read the full article
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जलिया बाला बाग हत्याकांड; गुलाम भारत मे अँग्रेजी हुकूमत दूसरा सबसे बड़ा नरसंहार।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिन सैकड़ों अहिंसक सत्याग्रही हु�� थे शहीद 104 बरस पहले में आज ही के दिन अंग्रेज़ों ने दिखाया था अपना राक्षसों वाला चेहरा! हमारी श्रद्धांजलि पहला क़्तल ए आम 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जालियावाला बाग़ मे हुआ जहां सत्यपाल सिंह और सैफ़ुद्दीन किचलू के समर्थक उनकी गिरफ़्तारी के विरोध मे रैली कर रहे थे… से अधिक लोग एक तरफ़ा हिंसा का शिकार हो कर शहीद हुए… शहीद होने वालो की…
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सोमनाथका मंदिर कैसे तोडा जाय? भाग-२
सोमन��थका मंदिर कैसे तोडा जाय? भाग-२
सोमनाथका मंदिर कैसे तोडा जाय? भाग-२ असत्यवाणी नहेरुवीयन कोंग्रेसीयोंका धर्म है यह कोई नई बात नहीं है. नहेरुने खुदने चीनी सेनाके भारतीय भूमिके अतिक्रमणको नकारा था. तत्पश्चात् भारतने ९२००० चोरसवार भूमि, चीनको भोजन-पात्र पर देदी थी. ईन्दिरा गांधी, राजिव गांधी आदिकी बातें हम २५ जूनको करेंगे. किन्तु नहेरुवीयन कोंग्रेस अलगतावादी मुस्लिम नेताओंसे पीछे नहीं है. नहेरुवीयन कोंग्रेस अपने सांस्कृतिक…
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अग्निपथ स्कीम के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगी कांग्रेस, राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं से की ये अपील
अग्निपथ स्कीम के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगी कांग्रेस, राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं से की ये अपील
Image Source : PTI Rahul Gandhi appealed not to celebrate his birthday Highlights कांग्रेस इस योजना को वापस करवाने के लिए अहिंसक आंदोलन करेगी – सोनिया गांधी यह योजना पूरी तरह से दिशाहीन है और युवाओं के साथ छलावा हो रहा है – सोनिया गांधी मैं देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपना जन्मदिन न मनाने की अपील करता हूँ – राहुल गांधी Agneepath Scheme: देश में सेना की नई भर्ती स्कीम अग्निपथ के खिलाफ…
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मुख्यमंत्री निवास पर राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में देशभर के युवाओं द्वारा केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की गई।
राज्य मंत्रिपरिषद की युवाओं से संयम रखते हुए अपनी बात शांतिपूर्ण, अहिंसक एवं लोकतांत्रिक तरीके से रखने की अपील है।
राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में चर्चा की गई कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बहादुर सेना है, जो अपने अदम्य साहस के लिए जानी जाती है। हमारी सेना का इतिहास गौरवशाली रहा है, जिस पर पूरे देश को गर्व है। भारतीय सेना का आत्म विश्वास और उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे, इसके लिए सेना में कुशलता, अनुभव एवं स्थायित्व होना आवश्यक है। सेना में दक्षता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि अल्पकाल के स्थान पर स्थायी रूप से भर्त���यां हों, ताकि उनके अनुभव का लाभ देश को मिल सके। सेना सभी संसाधनों से युक्त हो और उसे निरंतर मजबूत किया जाए।
बैठक में चर्चा हुई कि केंद्र सरकार ने हाल ही सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना लागू की है। सेना में भर्ती के लिए इस योजना में किए गए प्रावधानों को लेकर देशभर में भारी विरोध सामने आया है। इस योजना से युवाओं में भविष्य को लेकर कई आशंकाएं पैदा हो गई है। इसके चलते देश के विभिन्न इलाकों में युवा सड़क और पटरियों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सार्वजनिक सम्पत्ति के साथ तोड़-फोड़ की घटनाएं हो रही हैं। बिहार, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखण्ड, जम्मू-कश्मीर, असम सहित विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार, यूपी, तेलंगाना आदि राज्यों में तो युवाओं ने ट्रेन की बोगियों में आग लगा दी।
मंत्रिपरिषद की बैठक में चर्चा की गई कि कई सैन्य विशेषज्ञों का भी मत है कि अग्निपथ योजना से न तो युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा, ना ही देश की सेना पूर्ण आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना कर सकेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि देश की सेना में नियमित भर्तियां हों, सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण मिलने के साथ ही उन्हें वे समस्त परिलाभ मिलें, जिससे उनका और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो सके। अतः राज्य सरकार का यह मानना है कि केन्द्र सरकार को ऐसी कोई भी योजना लाने से पहले सभी हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा करनी चाहिए थी।
राज्य मंत्रिपरिषद् सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास करती है कि व्यापक जनहित एवं युवाओं की भावना को ध्यान में रखते हुए अग्निपथ योजना को वापस लिया जाए।
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दक्षिण अफ्रीका के समानता कार्यकर्ता डेसमंड टूटू का 90 वर्ष की आयु में निधन - टाइम्स ऑफ इंडिया
दक्षिण अफ्रीका के समानता कार्यकर्ता डेसमंड टूटू का 90 वर्ष की आयु में निधन – टाइम्स ऑफ इंडिया
जोहान्सबर्ग: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और श्वेत अल्पसंख्यक शासन के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष के दिग्गज आर्कबिशप डेसमंड टूटू का रविवार को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 1984 में दक्षिण अफ्रीका के मौलवी और कार्यकर्ता डेसमंड टूटू के जीवन में टूटू की तारीखों ने रंगभेद के अहिंसक विरोध के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीता। एक दशक बाद, उन्होंने उस शासन के अंत को देखा और उन्होंने उन काले दिनों के…
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🚩जानिए भारत में सेक्युलरवाद से कितनी हो रही है हानि ? 01 अक्टूबर 2021
🚩लंबे काल में बनी सामाजिक मनोवृत्तियाँ आसानी से नहीं बदलतीं। 19 जून 1924 को लिखे अपने एक लेख में महात्मा गाँधी ने कहा थाः “तेरह सौ वर्षों के साम्राज्यवादी विस्तार ने मुसलमानों को एक वर्ग के रूप में योद्धा बना दिया है। इसलिए वे आक्रामक होते हैं। … हिन्दुओं की सभ्यता बहुत प्राचीन है। हिन्दू मूलतः स्वभाव से अहिंसक होता है। इस प्रवृत्ति के कारण उनमें हथियारों का प्रयोग करने वाले कुछ ही होते हैं। उनमें आम तौर पर हथियारों के प्रयोग की प्रवृत्ति नहीं होती, जिससे वे कायरता की हद तक भीरू होते हैं।”
🚩गाँधी के इस अवलोकन की तुलना लगभग साठ वर्ष बाद के इस अनुभव से करें जो हमारे पूर्व विदेश सचिव जे. एन. दीक्षित को पाकिस्तान में भारतीय राजदूत के रूप में हुआ था। उन्होंने पाया कि पाकिस्तानियों की नजर में, “भारत एक दुर्बल देश है जहाँ हिन्दू लोकाचार व्याप्त है। इसलिए पाकिस्तान के सैन्य मनोबल के सामने इसकी कोई बराबरी नहीं है।” स्वयं देश के अंदर सैयद शहाबुद्दीन जैसे प्रबुद्ध नेता ने कहा था, "भारत का हिंदू सेक्यूलरिज्म का पालन इसलिए करता है क्योंकि वह मुस्लिम देशों से डरता है।” यह टिप्पणी 1983 में की गई थी।
🚩लगभग सौ वर्ष की अवधि को समेटने वाली ये तीन टिप्पणियाँ एक ही बात का संकेत करती हैं। यह ऐसा सत्य है जिसे यहाँ सभी दलों के नेता, बुद्धिजीवी अनुभव करते हैं, किंतु चर्चा नहीं करते। इसी हीन स्थिति को अरबी शब्दावली में ‘जिम्मीवाद’ (dhimmitude) कहा गया है। उस तरह के यहूदी और ईसाई जिम्मी कहलाते थे, जिन्हें इस्लामी शासनों ने अपने राज्य में कुछ शर्तों पर जिंदा रहने दिया था। वास्तव में भारत में प्रचलित सेक्यूलरवाद की विशिष्टता उसी मानसिकता के संदर्भ में समझी जा सकती है। क्या कारण है कि इसी भारत से अलग हुए टुकड़ों- पाकिस्तान और बंगलादेश में सेक्यूलरिज्म की कोई हैसियत नहीं, जबकि भारत में इसे किसी देवता की तरह पूजा जाता है? हमारी संपूर्ण राज्य व्यवस्था उस सेक्यूलरिज्म के सामने झुक-झुक कर सलाम करती है, जिसे पाकिस्तान में कोई पहचानता तक नहीं! एक ही देश के दो समुदायों के बीच ऐसा विभेद और किसी तरह नहीं समझा जा सकता। ऊपर उद्धृत गाँधीजी की बात फिर से पढ़ कर देखें।
🚩जिम्मीवाद को विश्व-विमर्श में चर्चित करने का श्रेय ईरानी मूल की ब्रिटिश लेखिका बैट येओर (Bat Y'eor) को जाता है। सदियों के इस्लामी साम्राज्यवाद के अधीन रहते हुए गैर-मुस्लिमों में जो एक स्थायी डर बैठ गया, यह उसी की संज्ञा है। यह डर तब भी बना रहता है जब सं��ंधित समाज पर इस्लामी शासन का अंत हो चुका हो। यहाँ हिन्दुओं पर इसी "जिम्मीवाद" की छाया है जिसने "सेक्यूलरिज्म" का रूप धारण कर लिया है। सैयद शहाबुद्दीन ने उसी को दूसरे शब्दों में रखा था। सोहेल अहमद सटीक कहते हैं, “इस्लामी शासन में केवल एकेश्वरवादी अर्थात ईसाई और यहूदी ही सामान्य रूप से रह सकते हैं। किंतु बहुदेववादी या मूर्ति-पूजक नहीं रह सकते। उन्हें जिहाद द्वारा खत्म करने का ही विधान है। लेकिन फिर भी, यदि विशाल संख्या या अन्य (आर्थिक आदि) कारणों से उन्हें खत्म करना संभव न हो तो उन्हें तरह-तरह के अंकुश में, दूसरे दर्जे की प्रजा के रूप में रखा जाता रहा। लंबे समय तक ऐसे इस्लामी शासन में रहकर इन दूसरे दर्जे के नागरिकों की डरू मानसिकता ही "जिम्मी" कहलाती है। वे मुसलमानों से आदतन सहमे रहते हैं।”
🚩यह अक्षरशः सत्य है। इस्लामी कानूनों का कोई भी ज्ञाता इसकी सोदाहरण पुष्टि करेगा कि इस्लामी शासन में जिम्मियों को किन प्रतिबंधों और हीन स्थितियों में रहना होता है। अभी कुछ ही वर्ष हुए जब अफगानिस्तान में तालिबान ने वहाँ सिखों और हिन्दुओं को पीला फीता बाँध कर चलने का आदेश दे रखा था। वह जिम्मियों वाले इस्लामी कायदों में ही एक था। याद रहे, उसी तालिबान को दुनिया भर के मुस्लिम नेता-बुद्धिजीवी भी ‘सबसे आदर्श इस्लामी शासन’ बताते रहे हैं। जब भारत पर इस्लामी राज था तो हिन्दुओं के लिए प्रायः वही स्थिति थी। प्रसिद्ध शायर अमीर खुसरो ने इस पर गहरा अफसोस भी व्यक्त किया था, "यदि हनाफी कानूनों का चलन न रहा होता तो इस्लाम की तलवार ने भारत से कुफ्र का सफाया कर दिया होता।" खुसरो उस कानून से रंज व्यक्त कर रहे थे जिसने हिन्दुओं को यहूदियों-ईसाइयों की तरह "जिम्मी" का दर्जा देकर इस्लामी राज में भी जिंदा रहने देने की व्यवस्था दे दी!
🚩अतएव, यदि भारत का इतिहास देखें तो हजार वर्षों की पराधीनता के सामने पिछले साठ वर्षों की स्वतंत्रता एक अल्प अवधि है। इसलिए हीन मानसिकता के अवशेष यहाँ हिन्दू उच्च वर्ग में अब भी जमे हुए हैं। वह केवल अंग्रेजी या पश्चिम भक्ति में ही नहीं, इस्लामी आक्रामकता से नजरें चुराने में भी झलकती है। ईमाम बुखारी भी समय-समय पर अरब देशों से शिकायत करने और तेल की आपूर्ति बंद कराने जैसी धमकियाँ हमारे राजनेताओं को देते रहे हैं। और क्यों न दें? आखिर हमारे जिन सासंदों ने पोप के इस्लाम संबंधी बयान की निंदा की, उन्हींने कभी खुमैनी, अहमदीनेजाद जैसों के जिहादी बयानों पर कभी आपत्ति नहीं की। हमारे जो प्रका��क एम.एफ. हुसैन द्वारा बनाई गई देवी सरस्वती, दुर्गा आदि की अश्लील पेंटिंगें छापते रहे हैं, उन्हींने मुहम्मद के कार्टूनों को समाचार रूप में भी दिखाने से परहेज किया; वाद-विवाद चलाना तो दूर, जो उन्होंने दीपा मेहता की हिंदू-द्वेषी फिल्मों ‘फायर’ और ‘वाटर’ पर चलाया था। इस डरू नीति को सब लोग खूब समझते हैं। कश्मीरी मुसलमानों के अलगाववाद को सांप्रदायिकता न कहना, आतंकवादियों को उग्रवादी भर कहना, दीनदार-अंजुमन, सिमी जैसे संगठनों की जिहादी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों पर मौन रखना, गोधरा का नाम तक न लेना, जबकि उसके बाद हुए दंगों पर अंतहीन स्यापा करना, इस्लामी नेताओं की हिंसक बयानबाजियों पर बगलें झाँकना, आदि उसी जिम्मी मनोवृत्ति के लक्षण हैं। इसीको "सेक्यूलरिज्म" कह अपनी दास-मनोवृत्ति और कायरता छिपाई जाती है।
🚩भारतीय सेक्यूलरवाद वस्तुतः जिम्मीवाद है। इसीलिए वह हिन्दू और मुस्लिम नेताओं, संगठनों, क्षेत्रों, आबादियों के प्रति दो मानदंड रखता है। मुहम्मद अफजल और दारा सिंह, दीनदार अंजुमन और विश्व हिंदू परिषद्, उमा भारती और महबूबा मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर और गुजरात, कश्मीरी हिन्दू और बोस्नियाई मुसलमान, मुहम्मद के कार्टूनकार और देवी सरस्वती के गंदे पेंटर, बेस्ट बेकरी और राधाबाई चाल, आदि प्रसंग निरंतर आते रहते हैं जब एक ही तरह के दो प्रसंगों पर निर्लज्ज दोहरापन स्पष्ट दिखता है। हिन्दू उच्च वर्ग और उसके प्रतिनिधि बुद्धिजीवियों का यह दोहरापन जिम्मी मानसिकता की अभिव्यक्तियाँ हैं। जो स्वभावतः मानती है कि इस्लाम का रुतबा ऊँचा और उसके अधिकार अधिक हैं। हमारे सेक्यूलरवादियों का व्यवहार सदैव यही कहता है। यह उन की अलिखित, पर आधारभूत मान्यता है।
🚩किंतु समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है। जिम्मी मानसिकता पर से सेक्यूलर आडंबर खुलने लगा है। अनेक बुद्धिजीवी सच देखने लगे हैं, इसलिए उनमें से कइयों की प्रगल्भता कम हुई है, चाहे सच कहने का साहस नहीं आया। सेक्यूलरिज्म के नाम पर निरंतर मिथ्याचार का बचाव करते-करते वे भी अब संकोच महसूस करने लगे हैं। क्योंकि उस का पोलापन स्वतः उजागर होने लगा ���ै। इसी को व्यक्त करते हुए हमारे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कुलदीप सिंह ने एक बार कहा था, “भारत में सेक्यूलरिज्म को (इस्लामी) सांप्रदायिकता सहन करने में, उसका बचाव करने में बदलकर रख दिया गया है। अल्पसंख्यकों को समझना होगा कि वे उस संस्कृति, विरासत और इतिहास से ना��ा नहीं तोड़ सकते, जो हिन्दू जीवन शैली से मिलता-जुलता है।… अल्पसंख्यकवाद को राष्ट्र-विरोध का रूप लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
🚩ऐसी सम्मतियाँ भारत के करोड़ों लोगों की भावना है, किंतु दुर्भाग्य से अब भी उन पर खुली चर्चा नहीं हो रही। दिनों-दिन जो हालात बन रहे हैं, उसमें यह मौन अच्छा नहीं। हिन्दुओं के प्रति जिस भेद-भाव, तज्जनित दुःख, आक्रोश और विवशता को जान-बूझ कर झुठलाया जाता है, वह समय पाकर विकृत रूप में फूटती है। हिन्दू सेक्यूलरवादियों के पाप का घड़ा भरता जा रहा है। सेक्यूलरवादी बुद्धिजीवी प्रशान्त भूषण के साथ हुई मार-पीट को इसी संदर्भ में समझा जा सकता है। ऐसे लोगों की चुनी हुई चुप्पियों और चुने हुए शोर-शराबे ने देश का वातावरण जितना बिगाड़ा है, उतना इस्लामी कट्टरपंथियों ने नहीं। लोग उनका अपराध समझने लगे हैं। अच्छा हो, हमारे नेता और संपादकगण भी समझें और आवश्यक सुधार करें!
_स्रोत्र : "भारत में प्रचलित सेक्यूलरवाद" पुस्तक से
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भारत बंद के समर्थन में राहुल गांधी, कहा- किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी बरकरार
भारत बंद के समर्थन में राहुल गांधी, कहा- किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी बरकरार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोमवार को विरोध करने वाले किसानों के समर्थन में आए और कहा कि उनका अहिंसक सत्याग्रह आज भी बरकरार है।वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मुकेश रौशन और पार्टी के अन्य सदस्यों को सोमवार सुबह भारत बंद का समर्थन करते देखा गया। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ10 घंटे का भारत बंद बुलाया है। इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोमवार को…
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Bharat Band: Rahul Gandhi बोले- किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड, लेकिन शोषण-कार सरकार को ये पसंद नहीं
Bharat Band: Rahul Gandhi बोले- किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड, लेकिन शोषण-कार सरकार को ये पसंद नहीं
नई दिल्लीः नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान मोर्चा ने आज बंद का ऐलान किया है। यह बंद आज सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा। वहीं किसानों के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण-कार सरकार को ये नहीं पसंद है। इसलिए आज भारत बंद है। बता दें कि, भारत बंद के दौरान सभी सरकारी और निजी दफ्तर, शिक्षण और अन्य संस्थान, दुकानें, उद्योग…
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निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘सत्याग्रह की वर्तमान में प्रासंगिकता‘ विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी को संबोधित किया। इस अवसर पर सीकर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में महात्मा गांधीजी की प्रतिमा का वर्चुअल अनावरण किया। साथ ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की ओर से गांधीजी के जीवन एवं दर्शन पर आधारित डिजिटल प्रदर्शनी ‘गांधी दर्शन आजादी से पूर्व और आजादी के पश्चात गौरवशाली यात्रा’ का शुभारम्भ भी किया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के जीवन मूल्य एवं सिद्धान्त देश और दुनिया के लिए धरोहर हैं। गांधीजी को आवरण के रूप में नहीं अन्तर्मन से आत्मसात करना होगा तभी लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखा जा सकेगा। असहिष्णुता के दौर में बापू के सत्याग्रह के सिद्धान्त की प्रासंगिकता और प्रबल हुई है।
गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन का जो स्वर्णिम इतिहास लिखा गया है। उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है ताकि देश का युवा जान सके कि अहिंसा के रास्ते पर चलकर किस तरह मुल्क को विदेशी ताकतों से मुक्त कराया गया। आज दुनिया में हिंसा और आतंक का जो माहौल बना हुआ है। गांधीजी की विचारधारा इन समस्याओं का कारगर हल है। गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त को संयुक्त ��ाष्ट्र संघ ने भी मान्यता दी। यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने यह प्रस्ताव पारित किया कि गांधीजी के जन्म दिवस, 02 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने गांधी दर्शन म्यूजियम, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूूट ऑफ गवर्नेन्स एण्ड सोशल साइंसेज, सर्वोदय विचार परीक्षा, गांधी दर्शन पुस्तकालय, खादी उत्पादों पर 50 प्रतिशत छूट, शांति एवं अहिंसा निदेशालय का गठन जैसे बड़े कदम उठाए हैं। प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक स्व. एसएन सुब्बाराव की स्मृति में गांधीवादी संस्थाओं के माध्यम से सुब्बाराव ट्रस्ट की स्थापना की जा सकती है जो युवाओं को गांधीवाद से जोड़ने में रचनात्मक भूमिका निभाए।
गांधीजी समाज में कमजोर वर्गों के उत्थान के पक्षधर थे। हमारी सरकार इसी सोच के साथ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाते हुए उनका सफल संचालन कर रही है। हमारा प्रयास है कि राज्य में सभी जरूरतमंद वर्गों को सामाजिक सुरक्षा मिले और हमारे हर फैसले में गांधीवादी मूल्यों की छाया बनी रहे।
कला एवं संस्कृति मंत्री श्री बीडी कल्ला ने कहा कि सत्याग्रह स्वतंत्रता आंदोलन का कभी न भूलने वाला ऐसा अध्याय है, जो एकाधिकारवादी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सतत् संघर्ष की प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने इसके जरिए समाज के सभी वर्गों को एकता के सूत्र में बांधा और विश्व इतिहास के सबसे सफल अहिंसक आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया।
शिक्षा राज्यमंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार ने गांधीजी के 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में वृहद् स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर गांधीजी के जीवन मूल्यों और सिद्धान्तों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में गांधी साहित्य उपलब्ध करवाकर नई पीढ़ी को गांधीजी के आदर्शों और विचारों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि गांधीवाद बहुत सी समस्याओं के समाधान का कारगर उपाय है। शासन के अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, गांधीजी के सिद्धान्तों को अपनाकर सुशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री राजेन्द्र पारीक ने कहा कि गांधीजी और उनके सिद्धांत युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेंगे। शोषण एवं अन्याय के खिलाफ अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी की ही देन है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को समाज को नई दिशा देने के लिए अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।
प्रमुख गांधीवादी विचारक एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री कुमार प्रशांत ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि समाज में सत्य की प्रासंगिकता कभी समाप्त नहीं हो सकती। सत्याग्रह सामाजिक चेतना लाने और अन्याय के विरोध में मजबूती से अपनी बात रखने का अचूक हथियार है। आजादी के आंदोलन में गांधीजी ने सत्याग्रह का सफल प्रयोग कर दुनिया को अन्याय के खिलाफ अहिंसक तरीके से संघर्ष का रास्ता दिखाया। उनकी यह देन दुनिया के लिए वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी प्रासंगिक रहेगी।
उन्होंने सत्य को परिभाषित करते हुए कहा कि ‘सच घटे या बढ़े तो सच न रहे, झूठ की कोई इंतहा ही नहीं।‘ अर्थात् सच को बढ़ा या घटाकर कहा जाए तो वह सच नहीं रहता। उन्होंने कहा कि झूठ का कोई अस्तित्व नहीं होता। श्री प्रशांत ने कहा कि गांधीजी ने प्रकृति के ‘योग्यतम का अस्तित्व‘ के सिद्धांत को नकारते हुए ‘दुर्बलतम का अस्तित्व‘ का सिद्धांत स्थापित किया। उनका मानना था कि शक्ति शरीर में नहीं मन में होती है।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि गांधीजी अतीत नहीं भविष्य हैं। पूरी दुनिया ने उनके सिद्धांतों को माना है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सामाजिक, राजनीतिक एवं सामूहिक जीवन में गांधी दर्शन की बड़ी उपादेयता है। उनके सत्याग्रह के सिद्धांत के माध्यम से व्यवस्था मंे सुधार लाकर उसे बेहतर बनाया जा सकता है।
प्रमुख शासन सचिव कला एवं संस्कृति श्रीमती गायत्री राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि गांधीजी के जीवन दर्शन और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विभाग के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने गांधीजी की 150वीं जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित गतिविधियों की जानकारी दी।
महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के प्रदेश प्रभारी श्री मनीष शर्मा ने गांधीजी की विचारधारा के प्रसार तथा युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने के लिए समिति की ओर से किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती एवं देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर इन दोनों महान नेताओं के चित्र के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की शुरूआत मेें 2 मिनट का मौन रखकर प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर सीकर के सांसद एवं विधायकगण सहित अन्य जनप्रतिनिधि, सभी जिलों से गांधी 150 जिला स्तरीय समिति तथा उपखण्ड स्तरीय समिति के सदस्य एवं अधिकारी भी वीसी के माध्यम से जुड़े। कार्यक्रम में सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशक श्री पुरूषोत्तम शर्मा भी उपस्��ित थे।
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नमक मार्च, जिसे दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह भी कहा जाता है, भारत में मार्च-अप्रैल 1930 में मोहनदास (महात्मा) गांधी के नेतृत्व में प्रमुख अहिंसक विरोध कार्रवाई थी।
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किसान आन्दोलन: संविधान के आईने में विरोध-प्रदर्शन का अधिकार
किसान आन्दोलन: संविधान के आईने में विरोध-प्रदर्शन का अधिकार
1 और 2 दिसम्बर, 1948 को मूलभूत अधिकार कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान केएम मुंशी ने संविधान सभा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात कही थी कि वास्तव में सरकार की समालोचना करना लोकतंत्र का सारभूत तत्व होता है। भारत के संविधान द्वारा सभी नागरिकों को तमाम मूलभूत अधिकार प्रदान किये गए हैं, जिनमें अभिव्यक्ति की आजादी, शांतिपूर्ण तथा अहिंसक तरीके से एकत्रित होकर सभा करना, तथा पूरे देश में स्वतंत्रतापूर्वक…
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70 से ज्यादा की मौतें, लेकिन फिर भी अहिंसक, आज़दी के बाद किसी भी सरकार के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आंदोलन "किसान आंदोलन"
70 से ज्यादा की मौतें, लेकिन फिर भी अहिंसक, आज़दी के बाद किसी भी सरकार के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आंदोलन “किसान आंदोलन”
भारत का अन्नदाता, भारत का किसान आज अपनी मांगों को लेकर, अपने हक की लड़ाई को लेकर दिल्ली समेत पूरे भारत में अपना विरोध दर्ज करवा रहा है। लेकिन इस आंदोलन की खास बात यह है कि “किसान आंदोलन आज़ादी के बाद किसी भी सरकार के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आंदोलन है।” लगभग 2 महीने से किसान दिल्ली में अपना आंदोलन कर रहे हैं, कड़कड़ाती ठंड, शीतलहर, बारिश इन सबके बीच भी भारतीय अन्नदाता दिल्ली में डटा…
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राजनीतिक दल प्रतिस्पर्धा और शत्रुता में अंतर करना सीखें
नागपुर, 25 अक्टूबर (संवाद सूत्र)। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और शत्रुता में अंतर होता है। राजनीतिक दलों को इस अंतर को पहचानने की जरूरत है। प्रजातंत्र में राजनीतिक दल सत्ता में वापसी के लिए एक दूसरे से मुकाबला कर सकते हैं लेकिन राजनीतिक प्रतिस्पर्धा करते समय विवेक का होना आवश्यक है।
नागपुर के डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में स्थित महर्षि व्यास सभागार में आयोजित विजयादशमी और शस्त्रपूजन कार्यक्रम में ऑनलाइन पाथेय देते हुए डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि राजनीतिक दल एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। सत्ता से बाहर हुए दल सत्ता में वापसी के लिए विभिन्न प्रयास और हथकंडे अपनाते हैं। यह प्रजातंत्र में चलने वाली एक सामान्य बात है लेकिन उस प्रक्रिया में भी एक विवेक का पालन अपेक्षित है। डॉ. भागवत ने कहा कि राजनीतिक दलों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। इस प्रतिस्पर्धा के चलते समाज में कटुता, भेद, दूरियों का बढ़ना, आपस में शत्रुता की भावना उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। ऐसी विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा देने वाले तत्व इस देश में हैं। सरकार द्वारा लिए गए फैसले और समाज में घटने वाली घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते समय या उसका विरोध करते वक्त विवेक और मर्यादा का पालन करना चाहिए।
सरसंघचालक ने कहा कि किसी चीज का विरोध करते समय राष्ट्रीय एकात्मता के सम्मान का ध्यान रखना चाहिए। समाज में विद्यमान ��भी पंथ, प्रांत, जाति, भाषा आदि विविधताओं का सम्मान रखते हुए व संविधान कानून की मर्यादा के अंदर ही अभिव्यक्त होना आवश्यक है। दुर्भाग्य से अपने देश में इन बातों पर प्रामाणिक निष्ठा न रखने वाले अथवा इन मूल्यों का विरोध करने वाले लोग भी अपने आप को प्रजातंत्र, संविधान, कानून, पंथनिरपेक्षता आदि मूल्यों के सबसे बड़े रखवाले बताकर समाज को भ्रमित करने का कार्य करते चले आ रहे हैं।
अलगाववादी ताकतों से सतर्क रहें देश में बढ़ती अलगाववादी शक्तियों पर सरसंघचालक ने कहा कि हमारे देश में तथाकथित अल्पसंख्यक तथा अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को झूठे सपने दिखाकर कपोलकल्पित द्वेष की बातें बताई जा रही हैं। ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसी घोषणाएं करने वाले लोग इन षडयंत्रकारियों में शामिल हैं और उनका नेतृत्व भी करते हैं। राजनीतिक स्वार्थ, कट्टरपन व अलगाव की भावना, भारत के प्रति शत्रुता तथा जागतिक वर्चस्व की महत्वाकांक्षा, इनका एक अजीब सम्मिश्रण भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के विरुद्ध काम कर रहा है। इस षडयंत्र को पहचान कर भड़काने वालों के अधीन ना होते हुए, संविधान व कानून का पालन करते हुए, अहिंसक तरीके से व जोड़ने के ही एकमात्र उद्देश्य से हम सबको कार्यरत रहना पड़ेगा। डॉ. भागवत ने आह्वान किया कि देश में सभी लोग अलगाववादी ताकतों से सतर्क रहकर आपसी भाईचारा बनाए रखें।
चीन से सावधान, अन्य पड़ोसियों से बेहतर रिश्ते हों चीन को आड़े हाथों लेते हुए सरसंघचालक ने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर चीन की भूमिका संदिग्ध रही है। अपनी शक्तियों के बल में खोया चीन भारत की सीमाओं पर अपने विस्तारवाद को बढावा देने के प्रयास में है। पूरी दुनिया से भाईचारा और दोस्ती भारत का स्वभाव और परंपरा रही है लेकिन हम किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देने में सक्षम हैं। बीते दिनों चीन के साथ हुए संघर्ष में हमारे वीर जवानों ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। चीन को भारत से कभी इस तरह के मुंहतोड़ जबाब की उम्मीद नहीं रही होगी। नतीजतन चीन को बड़ा धक्का मिला है।
डॉ. भागवत ने बताया कि आर्थिक क्षेत्र में, सामरिक क्षेत्र में, अपनी अंतर्गत सुरक्षा तथा सीमा सुरक्षा व्यवस्थाओं में, पड़ोसी देशों के साथ तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में चीन से अधिक बड़ा स्थान प्राप्त करना ही उसकी राक्षसी महत्त्वाकांक्षा के नियंत्रण का एकमात्र उपाय है। इस ओर हमारे शासकों क�� नीति के कदम बढ़ रहे हैं, ऐसा दिखाई देता है। सरसंघचालक ने ��ह्वान किया कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल जैसे पड़ोसी देश हमारे मित्र भी हैं। उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए। इस कार्य में बाधा उत्पन्न करनेवाले मनमुटाव, मतभेद, विवाद के मुद्दों का जल्द से जल्द निपटारा करना पड़ेगा।
कोरोना से जंग में दिखा जज्बा सरसंघचालक ने कोरोना योद्धाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से दुनिया में जितना नुकसान हुआ, उस अनुपात में भारत में काफी नियंत्रित रहा है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं। शासन-प्रशासन ने तत्परतापूर्वक इस संकट से समस्त देशवासियों को सावधान किया, सावधानी के उपाय बताए और उपायों का अमल भी अधिकतम तत्परता से करने की व्यवस्था की। महामारी के खिलाफ जंग में डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी और सफाई कर्मियों का अनूठा योगदान रहा है। अपने परिवार से दूर रह कर इन लोगों ने मरीजों की सेवा की। समाज में कई लोग एक-दूसरे की सहायता करते दिखाई दिए। सरसंघचालक ने कहा कि कोरोना महामारी के संकट काल में हमारी सहनशीलता, आपसी स्नेह, संस्कृति तथा एक-दूसरे को सहायता करने की परंपरा उभर कर सामने आई है। डॉ. भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक मार्च महीने से ही इस संकट के संदर्भ में समाज में आवश्यक सब प्रकार के सेवा की आपूर्ति करने में जुट गए हैं। सेवा के इस नए चरण में भी वे पूरी शक्ति के साथ सक्रिय रहेंगे। समाज के अन्य बन्धु-बांधव भी लम्बे समय सक्रिय रहने की आवश्यकता को समझते हुए अपने अपने प्रयास जारी रखेंगे यह विश्वास है।
कृषि सुधारों की जरूरत इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. भागवत ने देश में कृषि सुधारों की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वित्त, कृषि, श्रम, उद्योग तथा शिक्षा नीति में स्व को लाने की इच्छा रख कर कुछ आशा जगाने वाले कदम अवश्य उठाए गए हैं। व्यापक संवाद के आधार पर एक नई शिक्षा नीति घोषित हुई है। उसका संपूर्ण शिक्षा जगत से स्वागत हुआ है, हमने भी उसका स्वागत किया है। “वोकल फॉर लोकल” यह स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है परन्तु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा। सरसंघचालक ने विश्वास जताया कि स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक रूप से सभी को स्वीकारना होगा, तभी उचित दिशा में चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी।
हिन्दू शब्द का विकल्प और नैतिक आचरण सरसंघचालक ने हिन्दू शब्द को लेकर बहुत महत्त्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि समाज में हिन्दू शब्द को उपासना पद्धति से जोड़कर संकुचित किया जात�� है। हालांकि हिन्दू जीवन एक पद्धति है लेकिन भारतीय समाज को बांटने वाली शक्तियां हिन्दू शब्द पर छल कर वैचारिक अलगाव पैदा करती है। डॉ. भागवत ने कहा कि हिन्दू शब्द का विकल्प खोज कर उसका प्रयोग किया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने नैतिकतायुक्त आचरण पर जोर देते हुए कहा कि शराब बेच कर धन कमाना हमारी संस्कृति, परंपरा और नैतिकता में शामिल नहीं हो सकता। शराब जैसी चीजें मनुष्य को हानि पहुंचाती हैं, उसके द्वारा अर्जित संपत्ति को नैतिक नहीं कहा जा सकता।
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लक्षद्वीप ने दिया प्रस्ताव, केरल की जगह कर्नाटक हाई कोर्ट का हो UT में क्षेत्राधिकार Divya Sandesh
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लक्षद्वीप ने दिया प्रस्ताव, केरल की जगह कर्नाटक हाई कोर्ट का हो UT में क्षेत्राधिकार
कोच्चि/नई दिल्ली अपनी कुछ नीतियों की वजह से स्थानीय लोगों के विरोध का सामना कर रहे लक्षद्वीप प्रशासन ने विधिक न्यायाधिकार क्षेत्र को से हटाकर में करने का प्रस्ताव रखा है। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन की ओर से यह प्रस्ताव ऐसे समय में किया गया है जब लक्षद्वीप के नए प्रशासक प्रफुल्ल खोडा पटेल के फैसलों के खिलाफ कई याचिकाएं केरल हाई कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इनमें कोविड-19 अनुकूल व्यवहार के लिए मानक परिचालन प्रक्रियाओं को संशोधित करना, गुंडा अधिनियम को लागू करना और सड़कों को चौड़ा करने के लिए मछुआरों की झोपड़ियों को हटाने जैसे फैसलों के खिलाफ दायर याचिकाएं शामिल हैं।
पटेल दमन और दीव के प्रशासक हैं और दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह में लक्षद्वीप के पूर्व प्रशासक दिनेश्वर शर्मा का बीमारी से निधन होने के बाद पटेल को लक्षद्वीप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। इस साल 11 रिट याचिकाओं सहित कुल 23 आवेदन लक्षद्वीप प्रशासक के खिलाफ और पुलिस या स्थानीय सरकार की कथित मनमानी के खिलाफ दायर किए गए है। हालांकि, विधिक न्यायाधिकार क्षेत्र को केरल से कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव की सही वजह तो लक्षद्वीप प्रशासन ही जानता है जो इन मामलों से निपटने को लेकर चर्चा में है। इस बारे में प्रशासक के सलाहकार ए अंबरासु और लक्षद्वीप के कलक्टर एस अस्कर अली से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिली। न्यायाधिकार क्षेत्र को स्थानातंरित करने के सवाल को लेकर इन अधिकारियों को किए गए ईमेल और वॉट्सऐप संदेशों के जवाब नहीं आए।
संसद के कानून से ही हो सकता है ट्रांसफर कानून के मुताबिक, किसी हाई कोर्ट का न्यायाधिकार क्षेत्र केवल संसद के कानून से ही स्थानांतरित हो सकता है। संविधान के अनुच्छेद-241 के मुताबिक, ‘संसद कानून के तहत केंद्र शासित प्रदेश के लिए हाई कोर्ट का गठन कर सकती है या ऐसे केंद्र शासित प्रदेश के लिए किसी अदालत को उसका उच्च न्यायालय सभी कार्यों के लिए या संविधान के किसी उद्देश्य के लिए घोषित कर सकती है।’ हालांकि, इस अनुच्छेद की धारा-4 के अनुसार अनुच्छेद में ऐसा कुछ नहीं है जो राज्यों के हाई कोर्ट के न्यायाधिकार क्षेत्र में संशोधन आदि के बारे में संसद के अधिकार को कम करता हो।
लोकसभा में लक्षद्वीप से सदस्य पीपी मोहम्मद फैजल ने कहा, ‘यह उनक�� (पटेल) न्यायिक अधिकार क्षेत्र को केरल से कर्नाटक स्थानांतरित करने की पहली कोशिश थी। वह इसे स्थानांतरित करने को लेकर क्यों इतने प्रतिबद्ध हैं…यह इस पद के लिए पूरी तरह से अनुचित है। इस धरती पर रहने वाले लोगों की मातृभाषा मलयालम है। ’ फैजल ने कहा, ‘किसी को नहीं भूलना चाहिए कि अदालत का नाम केरल एवं है। उक्त प्रस्ताव उनके लक्षद्वीप के पहले दौरे के समय सामने आया।’ उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत क्या है और वह कैसे इस प्रस्ताव को न्यायोचित ठहराएंगे।
संसद और अदालत में करेंगे विरोध: मोहम्मद फैजल लोकसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्य फैजल ने कहा कि पटेल से पहले 36 प्रशासक आए लेकिन इससे पहले किसी ने ऐसा विचार नहीं रखा। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, अगर यह प्रस्ताव आता है तो हम संसद और अदालत में पूरी ताकत से विरोध करेंगे।’ उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप बचाओ मोर्चा (एसएलएफ) ने केंद्र से प्रशासक को यथाशीघ्र बदलने की अपील की है। फैजल ने कहा, ‘एसएलएफ अहिंसक जन आंदोलन है जो केंद्रीय नेतृत्व से पटेल को हटाकर किसी ऐसे व्यक्ति को प्रशासक बनाने का अनुरोध कर रहा है जो लोगों का प्रशासक बन सके।’ लक्षद्वीप के कानूनी जानकारों ने कहा कि मलयालम भाषा केरल और लक्षद्वीप दोनों जगह बोली व लिखी जाती है, इसलिए प्रक्रिया सुचारु चलती है। न्यायाधिकार क्षेत्र बदलने से पूरी न्यायिक प्रणाली बदल जाएगी क्योंकि केरल उच्च न्यायालय से सभी न्यायिक अधिकारी समान भाषा और लिपि होने की वजह से भेजे जाते हैं।
राजकोष पर पड़ेगा भार लक्षद्वीप की प्रमुख वकील सीएन नूरुल हिदया ने कहा कि उन्होंने न्यायाधिकार क्षेत्र बदलने के बारे में सुना है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह सही कदम नहीं है। वे कैसे न्यायाधिकार क्षेत्र बदल सकते हैं जब हम भाषा से जुड़े हैं और अदालती दस्तावेजों को मलयालम भाषा में ही स्वीकार किया जाता है।’ उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग इस कदम का विरोध करेंगे क्योंकि यह उन्हें एक तरह से न्याय देने से इनकार करने जैसा होगा। हिदया ने कहा, ‘एक बात समझनी होगी कि केरल हाई कोर्ट केवल 400 किलोमीटर दूर है जबकि कर्नाटक हाई कोर्ट 1,000 किलोमीटर दूर है और वहां के लिए सीधा संपर्क भी नहीं है।’ कानूनी जानकारों का कहना है कि हाई कोर्ट को बदलने से राजकोष पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ेगा क्योंकि मौजूदा मामलों पर नए सिरे से सुनवाई करनी होगी।
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad Date – 04 October 2020 Time 18.00 to 18.10
आकाशवाणी औरंगाबाद प्रादेशिक बातम्या दिनांक – ०४ ऑक्टोबर २०२० सायंकाळी ६.०० **** ** देशात कोविडच्या सक्रीय रुग्णांची संख्या सलग तेराव्या दिवशी दहा लाखापेक्षा कमी ** कोरोना विषाणूवरची लस उपलब्ध होण्यासंदर्भात कालमर्यादा निश्चित करण्यासाठी उच्चस्तरीय समित्या स्थापन ** २०२२ पर्यंत शेतकऱ्यांचं उत्पन्न दुप्पट करण्यासाठी केंद्र सरकार प्रयत्नरत - केंद्रीय राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे ** औरंगाबाद जिल्ह्यात आज तीन कोविडग्रस्तांचा मृत्यू - जिल्ह्यातल्या कोविडग्रस्तांची एकूण संख्या ३४ हजार १९३ आणि ** अतिवृष्टीने झालेल्या पीक नुकसानाची परभणीत प्रवीण दरेकर यांच्याकडून तर जालन्यात राजेश टोपे यांच्याकडून पाहणी **** देशात कोविडच्या सक्रीय रुग्णांची संख्या सलग तेराव्या दिवशी दहा लाखापेक्षा कमी राहिल्याचं, केंद्रीय आरोग्�� मंत्रालयाकडून सांगण्यात आलं आहे. आज देशात कोविड संसर्ग झालेले ९ लाख ३७ हजार ६२५ सक्रीय रुग्ण आहेत. ही संख्या कालच्या सक्रीय रुग्णांपेक्षा ७ हजार ३७१ ने कमी असल्याचं, आरोग्य मंत्रालयानं दिलेल्या माहितीत नमूद आहे. कोविड चाचण्यांचं प्रमाणही वाढवण्यात आलं असून, गेल्या दहा दिवसांपासून दररोज सरासरी साडे अकरा लाख नमुन्यांची कोविड तपासणी केली जात असल्याचं, या बाबतच्या वृत्तात सांगण्यात आलं आहे. देशातली बाधितांची एकूण संख्या ६५ लाख ४९ हजार ३७३ झाली आहे. यापैकी ५५ लाख ९ हजार ९६६ रुग्ण आतापर्यंत या संसर्गातून बरे झाले आहेत. त्यामुळे देशातलं कोविड संसर्ग मुक्तीचं प्रमाण ८४ पूर्णांक १३ शतांश टक्के एवढं झालं आहे. या संसर्गाने मृत्यू झालेल्या रुग्णांची संख्या एक लाख एक हजार ७८२ झाला आहे. मात्र संसर्गातून बरे होणाऱ्यांचं प्रमाण वाढल्याने मृत्यूदर आता एक पूर्णांक ५५ शतांश टक्के एवढा कमी झाला आहे. **** कोरोना विषाणूवरची लस उपलब्ध होण्यासंदर्भात कालमर्यादा निश्चित करण्यासाठी केंद्र सरकारनं उच्चस्तरीय समित्यांची स्थापना केली आहे. केंद्रीय आरोग्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन यांनी ही माहिती दिली. साप्ताहिक संवाद कार्यक्रमात त्यांनी आज कोविड उपचारासंदर्भातल्या भावी उपाय योजनांची माहिती दिली. देशात कोविड लसीचं परीक्षण तिसऱ्या टप्य्यात असून, लस तयार झाल्यावर पुरवठा आणि साठा पर्याप्त प्रमाणात उपलब्ध व्हावा यासाठी सरकार लस तयार करणाऱ्या कंपन्यांसोबत चर्चा करत असल्याचं त्यांनी सांगितलं. दरम्यान लोकांना त्यांनी कोरोना विषाणू प्रादुर्भावासंबंधी मार्दर्शनक सूचनाचं पालन करण्याचं आवाहन केलं आहे. **** २०२२ पर्यंत शेतकऱ्यांचं उत्पन्न दुप्पट करण्याच्या उद्देशाने केंद्र सरकार प्रयत्न करत असल्याचं केंद्रीय अन्न प्रक्रिया उद्योग राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे यांनी म्हटलं आहे. ते आज उस्मानाबाद इथं पत्रकार परिषदेत बोलत होते. भारतीय जनता पार्टीचे खासदार भागवत कराड, प्रदेश सरचिटणीस आमदार सुजितसिंह ठाकूर यावेळी उपस्थित होते. केंद्र सरकारने स्वामीनाथन आयोगाच्या शिफारशींची अंमलबजावणी सुरू केली असून कृषी सुधारणा कायद्यामुळे शेतमालाला मिळणारे हमीभाव बंद होणार नाहीत तसंच कृषी उत्पन्न बाजार समित्याही ही बंद होणार नाहीत असं दानवे यांनी स्पष्ट केलं. विरोधी पक्ष आपली बिघडलेली प्रतिमा सुधारण्यासाठी या कायद्याबाबत जनतेत संभ्रम पसरवत आहे अशी टीका त्यांनी यावेळी केली. **** केंद्र सरकारनं केलेल्या शेतकरी हिताच्या कायद्याला फक्त विरोध करायचा म्हणून राज्यातलं महाविकास आघाडीचं सरकार विरोध करत असल्याचा आरोप केंद्रीय मनुष्यबळ विकास ��ाज्यमंत्री संजय धोत्रे यांनी केला आहे. केंद्र सरकारनं केलेले कृषी सुधारणा कायदे शेतकऱ्यांच्या हिताचे असल्याचं, जनतेला समजा��ून देण्यासाठी ते आज वाशिम इथं पत्रकार परिषदेत बोलत होते. **** अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत प्रकरणी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था - एम्सनं दिलेल्या अहवालाच्या पार्श्वभूमीवर मुंबईच्या महापौर किशोरी पेडणेकर यांनी मुंबई शहराला बदनाम करणाऱ्यांचं पितळ उघडं पडलं असल्याचं म्हटलं आहे. ‘सुशांत सिंह हत्या कि आत्महत्या असं प्रश्नचिन्ह, महाराष्ट्र - मुंबई महानगरपालिका -मुंबई पोलीस यंत्रणा यांच्यावर निर्माण केलं गेलं होतं. ज्यांनी महाराष्ट्र आणि मुंबईला बदनाम करण्याच षडयंत्र केलं होतं, त्याचं पितळ उघडं पडलं असून त्यांना ही मोठी चपराक आहे.’ असं पेडणेकर यांनी म्हटलं आहे. **** राज्यात उद्यापासून ५० टक्के क्षमतेनं हॉटेल्स आणि अन्य रेस्टॉरंटस सुरू करण्यात येणार आहेत. यासाठीच्या मार्गदर्शक सूचना राज्य शासनानं जारी केल्या आहेत. या दिशा निर्देशांचं पालन करणं बंधनकारक करण्यात आलं आहे. यानुसार ग्राहकांची तापमान आणि लक्षणं विषयक तपासणी केल्यानंतरच, हॉटेलमधे प्रवेश देता येणार आहे. याशिवाय ग्राहकांना मास्क अनिवार्य असून, परस्परांपासून सुरक्षित अंतर राखणं तसंच हॉटेल आणि रेस्टॉरंटमधे ग्राहकांसाठी सॅनिटायझर उपलब्ध करून देणं बंधनकारक करण्यात आलं आहे. ग्राहकांना फक्त शिजवलेले खाद्य पदार्थ द्यावेत, कच्चे पदार्थ देणं टाळावं, संसर्ग टाळण्यासाठी शक्यतो डिजीटल पेमेंटचा पर्याय वापरावा, असं या नियमावलीत सुचवण्यात आलं आहे. **** राज्याचे नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे यांना आज रुग्णालयातून सुटी देण्यात आली. २४ सप्टेंबरला त्यांची कोविड चाचणी बाधित आली होती. रुग्णालयात १० दिवस उपचार घेतल्यावर ते कोरोना संसर्गातून मुक्त झाल्यानं त्यांना आज सुटी देण्यात आल्याचं आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे. **** औरंगाबाद जिल्ह्यात आज तीन कोविड बाधितांचा मृत्यू झाला. जिल्ह्यातल्या मृतांची संख्या आता ९५५ झाली आहे. जिल्ह्यातल्या कोविडग्रस्तांची एकूण संख्या आता ३४ हजार १९३ झाली आहे. यापैकी २८ हजार ६७८ रुग्ण बरे होऊन घरी परतले असून, सध्या ४ हजार ५६३ रुग्णांवर उपचार सुरू आहेत. **** सिंधुदुर्ग जिल्ह्यात कोविडग्रस्तांच्या संख्येमध्ये सातत्यानं घट होत आहे. दिवसाला १५० च्या पुढे रुग्ण आढळत होते, ती संख्या आता शंभरच्या आत आली असल्याचं, आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे. जिल्ह्यात रुग्ण बरे होण्याचं प्रमाणही चांगलं असून मृत्यूचं प्रमाणही कमी झालं आहे. सध्या जिल्ह्यात ९३० रुग्णांवर उपचार सुरू आहेत. **** उत्तर महाराष्ट्रातल्या पाच जिल्ह्यात गेल्या आठवड्याच्या तुलनेत कोरोना विषाणू बाधित रुग्णांचं बरे होण्याचं प्रमाण ८८ पूर्णांक एक शतांश टक्के झालं आहे. मृत्यू दरातही घट झाली असून हा दर एक पूर्णांक ९९ शतांश टक्के झाला आहे. नाशिक, अहमदनगर, धुळे, जळगाव, नंदुरबार या पाच जिल्ह्यात मिळून गेल्या २४ तासात १ हजार ९५० नवीन कोरोनाबाधित रुग्ण आढळले. तर याच कालावधीत १ हजार ८३८ रुग्ण बरे होऊन घरी गेले आहेत. **** अतिवृष्टीने मराठवाड्यात झालेल्या पीक नुकसानाचे सरसकट पंचनामे करून सर्वसामान्य शेतकऱ्यांना नुकसान भरपाई द्यावी, अशी मागणी विधान परिषदेचे विरोधी पक्षनेते प्रवीण दरेकर यांनी यांनी केली आहे. दरेकर यांनी आज परभणी जिल्ह्याच्या पूर्णा तालुक्यातल्या नावकी शिवारात नुकसानग्रस्त पिकांची पाहणी करून आपद्ग्रस्त शेतकऱ्यांशी संवाद साधला. पिकांची, फळबागांची मोठी हानी लक्षात घेऊन राज्य सरकारने ओला दुष्काळ जाहीर करावा, बागायतदारांना हेक्टरी ५० हजार रुपये आणि कोरडवाहू शेतकऱ्यांना हेक्टरी २५ हजार रुपये तत्काळ मदत देण्याची मागणी दरेकर यांनी केली. पीकविमा संदर्भातही त्वरीत निर्णय घ्यावेत, असं नमूद करत दरेकर यांनी आपद्ग्रस्त शेतकऱ्यांच्या पाठीशी भाजप भक्कमपणे उभा असल्याचं सांगितलं. **** जालना जिल्ह्यातल्या परतूर आणि मंठा तालुक्यात अतिवृष्टीमुळे बाधित झालेल्या पिकांची पालकमंत्री राजेश टोपे यांनी आज पाहणी केली. मंठा तालुक्या���ल्या हातवन तसंच निम्न दुधना प्रकल्पाच्या पाणलोट क्षेत्रामुळे बाधित झालेल्या पिकांची पाहणी करून टोपे यांनी शेतकऱ्यांशी संवाद साधला. शेतकऱ्यांना न्याय मिळवून देण्यासाठी राज्य सरकार सक्षम आहे. जिल्ह्यात अतिवृष्टीनं नुकसान झालेल्या पिकांचे पंचनामे करण्याचे आदेश यापूर्वीच प्रशासनाला दिले आहे. पंचनाम्यांचा अहवाल प्राप्त झाल्यानंतर शेतकऱ्यांना मदत केली जाईल, असं टोपे यांनी यावेळी सांगितलं. **** राज्य शासन संचालित होमिओपॅथिक वैद्यकीय महाविद्यालयं सुरू व्हावीत यासाठी प्रयत्न करणार असल्याचं वैद्यकीय शिक्षण मंत्री अमित देशमुख यांनी सांगितलं आहे. बीड इथल्या सोनाजीराव होमिओपॅथीक वैद्यकीय महाविद्यालयातर्फे घेण्यात आलेल्या वेबिनारमध्ये ते बोलत होते. कोविड महामारीच्या काळात होमिओपॅथी देखील अत्यंत महत्वाची भूमिका बजावत आहे. महात्मा गांधीजींनी म्हटल्याप्रमाणे होमिओपॅथी ही अहिंसक आणि सर्वांना परवडेल अशी उपचार पद्धती असल्याचं देशमुख म्हणाले. **** नाशिक जिल्ह्यात देवळाली लष्करी छावणीत अवैधरित्या छायाचित्रण करणाऱ्या एका तरुणाला पोलिसांनी अटक केली आहे. छावणीतल्या रुग्णालयाची छायाचित्रं काढताना काही सैनिकांनी या तरुणाला पकडून त्याचा मोबाईल तपासला असता, त्यानं ही छायाचित्रं पाकिस्तानातल्या एका वॉट्सॲप समूहावर पाठवल्याचं निदर्शनास आलं. संजीवकुमार असं या तरुणाचं नाव असून, त्याच्याविरोधात गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे. मूळचा बिहारमधला रहिवासी असलेला हा तरुण देवळाली छावणीत एका बांधकामावर कामगार म्हणून काम करत असल्याची माहिती समोर आली आहे. **** सातारा इथल्या तहसीलदारांची शास��ीय धनादेश पुस्तिका चोरुन त्यातल्या ३ धनादेशांच्या वापराने शासकीय खात्यातल्या १४ लाख रुपयांचा अपहार झाल्याचं उघडकीस आलं आहे. सातारा जिल्हाधिकारी कार्यालायातल्या पुरवठा शाखेत कार्यरत असलेल्या कर्मचाऱ्यानं हा अपहार केला आहे. सातारा शहर पोलीस ठाण्यात या प्रकरणी गुन्हा नोंदवण्यात आला आहे. ****
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