#अशुद्ध रक्त
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लीच थैरेपी का बढ़ता चलन और संभावनाएं
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अपनी ख़ास जगह बना चुकी लीच थैरेपी या जोंक चिकित्सा का दायरा बढ़ता जा रहा है.अनेक रोगों, और उन जटिलताओं में भी यह कारगर साबित हो रही है जहां आधुनिक चिकित्सा पद्धति या एलोपैथी नाक़ाम हो जाती है.इसे यूं कहिये कि अब यह एक पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा की परिधि से बाहर निकलकर अपनी विशिष्टता सिद्ध करती दिखाई देती है.कुछ मामलों में तो जोंक चिकित्सा आज एकमात्र उपचार विधि या आख़िरी…
#अशुद्ध रक्त#असाध्य रोग#आचार्य चरक#आधुनिक चिकित्सा पद्धति#आयुर्वेद#एंटीबायोटिक#एनेस्थेटिक#एलोपैथी#जलीय कीड़ा#जलौका#जलौका लगाना#जलौकावचरण#जोंक#प्राचीन चिकित्सा पद्धति#महर्षि सुश्रुत#रक्तमोक्षण#लीच थैरेपी#व्यासदेव महंता#संवेदनाहारी#सुश्रुत संहिता
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How to keep Liver healthy
लीवर की देखभाल हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक मानी जाती है। यह विभिन्न कारणों से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि अनुवांछित आहार, अधिक अशुद्ध तत्वों का सेवन, या अनियमित जीवनशैली। एक स्वस्थ लीवर के लिए सही आहार, के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी आवश्यक हैं। इससे न केवल लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है, बल्कि यह शरीर के अन्य हिस्सों के साथ संतुलन बनाए रखने में भी सहारा प्रदान करती है।
1. सही आहार: लीवर के लिए सही आहार बहुत महत्वपूर्ण है। हरी सब्जियाँ, फल, अनाज, और पर्याप्त पानी पीना लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। मूली, गाजर, छुआरा, और खीरा जैसे आहार में विटामिन्स और खनिज होते हैं जो लीवर के लिए फायदेमंद होते हैं। उचित मात्रा में प्रोटीन खाना भी उपयुक्त है, क्योंकि ये लीवर के लिए आवश्यक न्यूट्रिशन प्रदान करते हैं। इसके अलावा, तेज मसाले और तले हुए खाने से बचना चाहिए।
2. नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना लीवर की सफाई के लिए महत्वपूर्ण है। यह सारी अतिरिक्त ऊर्जा को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है और साथ ही लीवर की कसरत को बढ़ावा देता है। लीवर की देखभाल के लिए नियमित व्यायाम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्यायाम से शरीर की संघटनाएं बढ़ती हैं और रक्त परिसंचरण में सुधार होती है, जिससे लीवर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है। यह इसके कार्यक्ष��ता को बढ़ावा देता है। नियमित व्यायाम से अतिरिक्त ऊर्जा खपत होती है जिससे लीवर स्वस्थ रहता है।
3. तंबाकू और शराब का परिहार: तंबाकू और शराब का सेवन लीवर के लिए हानिकारक होता है। शराब का अत्यधिक सेवन लीवर सिरोसिस और फैटी लीवर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। तंबाकू और शराब के सेवन से बचकर, हम लीवर को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं और गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
4. स्थिर वजन बनाए रखें: लीवर की सही देखभाल में स्थिर वजन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण आधार है। स्थिर वजन रहने से लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। यह लीवर को सुरक्षित रखता है और इसे अत्यधिक बोझ से बचाता है। सही आहार और नियमित व्यायाम के साथ स्थिर वजन की सुरक्षा करना हमारी लीवर से संबंधित समस्याओं से बचाव कर सकता है।
5. नियमित चेकअप: नियमित चेकअप करना लीवर की समस्याओं को सही समय पर पहचानने में मदद कर सकता है। डॉक्टर से सलाह लेना और स्वास्थ्य को मापने के लिए नियमित तौर पर जांच कराना, सही लीवर से संबंधित समस्याओं को पहचानने में मदद करता है। चेकअप के दौरान उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज आदि की जाँच कराने से शरीर के विभिन्न परामर्श किए जा सकते हैं, जिससे लीवर के स्वास्थ्य का पूर्णत: मू��्यांकन हो सकता है। समस्याएं पहले ही पहचानकर उपयुक्त उपचार आरंभ किया जा सकता है, जिससे गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। इन सबके साथ आप ये दवा (Livonex syrup & Scorliv syrup) रोजाना पी सकते हैं जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक तत्वों से बनी है जैसे पुनर्नवा, भृंगराज, कालमेघ अर्क, भुई आंवला, तुलसी, पीपल, गिलोय, कालीमिर्च, अर्जुन जैसी जड़ी-बूटी से बनी है।
समाप्ति: इन आसान उपायों के माध्यम से हम लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं और इसकी सही देखभाल कर सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित चेकअप करवाना हमें लीवर से संबंधित समस्याओं को पहले ही रोकने में मदद कर सकता है।
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*🌞~ आज दिनांक - 19 फरवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी सुबह 08:49 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 10:33 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - विष्कम्भ दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल - सुबह 08:36 से 10:02 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 06:38*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:20 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती (दि. अ), भक्त पुंडलिक उत्सव (पंढरपुर), वसंत ऋतु प्रारम्भ*
*⛅विशेष - दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸जया एकादशी - 20 फरवरी 24🔸*
*🔹एकादशी 19 फरवरी सुबह 08:49 से 20 फरवरी सुबह 09:55 तक ।*
*🔹व्रत उपवास 20 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा । 19, 20 फरवरी दो दिन चावल खाना निषिद्ध है ।*
*🔹एकादशी को चावल खाना वर्जित क्यों ?🔹*
*🌹एक वैज्ञानिक रहस्य बताते हुए कहते हैं : संत डोंगरेजी महाराज बोलते थे कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए । जो खाता है, समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । संत की वाणी में हमारी मति-गति नहीं हो तब भी कुछ सच्चाई तो होगी । मेरे मन में हुआ कि ‘इस प्रकार कैसे हानि होती होगी ? क्या होता होगा ?’*
*🌹 तो शास्त्रों से इस संशय का समाधान मेरे को मिला कि प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक वातावरण में से, हमारे शरीर में से जलीय अंश का शोषण होता है, भूख ज्यादा लगती है और अष्टमी से लेकर पूनम या अमावस्या तक जलीय अंश शरीर में बढ़ता है, भूख कम होने लगती है । चावल पैदा होने और चावल बनाने में खूब पानी लगता है । चावल खाने के बाद भी जलीय अंश ज्यादा उपयोग में आता है । जल के मध्यम भाग से रक्त एवं सूक्ष्म भाग से प्राण बनता है । सभी जल तथा जलीय पदार्थों पर चन्द्रमा का अधिक प्रभाव पड़ने से रक्त व प्राण की गति पर भी चन्द्रमा की गति का बहुत प्रभाव पड़ता है । अतः यदि एकादशी को जलीय अंश की अधिकतावाले पदार्थ जैसे चावल आदि खायेंगे तो चन्द्रमा के कुप्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है । जैसे कीड़े मरे या कुछ ��शुद्ध खाया तो मन विक्षिप्त होत��� है, ऐसे ही एकादशी के दिन चावल खाने से भी मन का विक्षेप बढ़ता है । तो अब यह वैज्ञानिक समाधान मिला कि अष्टमी के बाद जलीय अंश आंदोलित होता है और इतना आंदोलित होता है कि आप समुद्र के नजदीक डेढ़-दो सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र के पेड़-पौधों को अगर उन दिनों में काटते हो तो उनको रोग लग जाता है ।*
*🔹अभी विज्ञानी बोलते हैं कि मनुष्य को हफ्ते में एक बार लंघन करना (उपवास रखना) चाहिए लेकिन भारतीय संस्कृति कहती है : लाचारी का नाम लंघन नहीं… भगवान की प्रीति हो और उपवास भी हो । ‘उप’ माने समीप और ‘वास’ माने रहना – एकादशी व्रत के द्वारा भगवद्-भक्ति, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान, भगवद्-स्मृति के नजदीक आने का भारतीय संस्कृति ने अवसर बना लिया ।*
*🔹19 फरवरी से 19 अप्रैल तक क्या करें ?🔹*
*🔸1] कड़वे, तीखे, कसैले, शीघ्र पचनेवाले, रुक्ष (चिकनाईरहित) व उष्ण पदार्थों का सेवन करें । (अष्टांगह्रदय, योगरत्नाकर )*
*🔸2] पुराने जौ तथा गेहूँ की रोटी, मूँग, साठी चावल, करेला, लहसुन, अदरक, सूरन, कच्ची मूली, लौकी, तोरई, बैंगन, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवायन, राई, हींग, मेथी, गिलोय, हरड, बहेड़ा, आँवला आदि का सेवन हितकारी है ।*
*🔸3] सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रात:कालीन वायु का सेवन, प्राणायाम, योगासन - व्यायाम, मालिश, उबटन से स्नान तथा जलनेति करें ।*
*🔸4] अंगारों पर थोड़ी-सी अजवायन डालकर उसके धूएँ का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, कफजन्य सिरदर्द आदि में लाभ होता है ।*
*5] २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से रसायन के लाभ प्राप्त होते हैं ।*
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लीवर की देखभाल
लीवर की देखभाल हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक मानी जाती है। यह विभिन्न कारणों से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि अनुवांछित आहार, अधिक अशुद्ध तत्वों का सेवन, या अनियमित जीवनशैली। एक स्वस्थ लीवर के लिए सही आहार, के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी आवश्यक हैं। इससे न केवल लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है, बल्कि यह शरीर के अन्य हिस्सों के साथ संतुलन बनाए रखने में भी सहारा प्रदान करती है।
1. सही आहार:
लीवर के लिए सही आहार बहुत महत्वपूर्ण है। हरी सब्जियाँ, फल, अनाज, और पर्याप्त पानी पीना लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। मूली, गाजर, छुआरा, और खीरा जैसे आहार में विटामिन्स और खनिज होते हैं जो लीवर के लिए फायदेमंद होते हैं। उचित मात्रा में प्रोटीन खाना भी उपयुक्त है, क्योंकि ये लीवर के लिए आवश्यक न्यूट्रिशन प्रदान करते हैं। इसके अलावा, तेज मसाले और तले हुए खाने से बचना चाहिए।
2. नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम करना लीवर की सफाई के लिए महत्वपूर्ण है। यह सारी अतिरिक्त ऊर्जा को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है और साथ ही लीवर की कसरत को बढ़ावा देता है। लीवर की देखभाल के लिए नियमित व्यायाम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्यायाम से शरीर की संघटनाएं बढ़ती हैं और रक्त परिसंचरण में सुधार होती है, जिससे लीवर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है। यह इसके कार्यक्षमता को बढ़ावा देता है। नियमित व्यायाम से अतिरिक्त ऊर्जा खपत होती है जिससे लीवर स्वस्थ रहता है।
3. तंबाकू और शराब का परिहार
तंबाकू और शराब का सेवन लीवर के लिए हा��िकारक होता है। शराब का अत्यधिक सेवन लीवर सिरोसिस और फैटी लीवर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। तंबाकू और शराब के सेवन से बचकर, हम लीवर को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं और गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
4. स्थिर वजन बनाए रखें
लीवर की सही देखभाल में स्थिर वजन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण आधार है। स्थिर वजन रहने से लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। यह लीवर को सुरक्षित रखता है और इसे अत्यधिक बोझ से बचाता है। सही आहार और नियमित व्यायाम के साथ स्थिर वजन की सुरक्षा करना हमारी लीवर से संबंधित समस्याओं से बचाव कर सकता है।
5. नियमित चेकअप
नियमित चेकअप करना लीवर की समस्याओं को सही समय पर पहचानने में मदद कर सकता है। डॉक्टर से सलाह लेना और स्वास्थ्य को मापने के लिए नियमित तौर पर जांच कराना, सही लीवर से संबंधित समस्याओं को पहचानने में मदद करता है। चेकअप के दौरान उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज आदि की जाँच कराने से शरीर के विभिन्न परामर्श किए जा सकते हैं, जिससे लीवर के स्वास्थ्य का पूर्णत: मूल्यांकन हो सकता है। समस्याएं पहले ही पहचानकर उपयुक्त उपचार आरंभ किया जा सकता है, जिससे गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
समाप्ति
इन आसान उपायों के माध्यम से हम लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं और इसकी सही देखभाल कर सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित चेकअप करवाना हमें लीवर से संबंधित समस्याओं को पहले ही रोकने में मदद कर सकता है।
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व्हेरिकोज व्हेन्स (varicose veins) म्हणजे काय? वेळीच ओळखा हा धोका
व्हेरिकोज व्हेन्स (varicose veins)
व्हेरिकोज व्हेन्स (varicose veins) म्हणजे काय? वेळीच ओळखा हा धोका : तज्ज्ञांची माहिती वेळोवेळी योग्य ती काळजी घेणे आवश्यक आहे. यासाठी शरीराची नियमित देखभाल करणं गरजेचं आहे. आपल्या शरीरात अशुद्ध रक्तवहन करण्यासाठी व्हेन्स म्हणजे शीरा असतात. पायात अशुद्ध रक्त वहन करण्यासाठी त्वचेच्या खाली मुख्यतः दोन मोठ्या रक्तवाहिन्या असतात. या रक्तवाहिन्यांमध्ये जर कुठल्या कारणाने रक्त जमा झाले आणि त्यामुळे…
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चेहरा साफ करने की दवा कोई दुष्प्रभाव नहीं
अगर आप अपने चेहरे की खुजली, पिंपल्स, झुर्रियां, त्वचा में दाग, मुंहासे, त्वचा रोग या किसी अन्य चर्म रोग से परेशान है और इस से जल्द निजात पाना चाहते हैं।
तो आप नीम से बनी हमारी आयुर्वेदिक दवा का सेवन कर सकते हैं, जैसा कि आप जानते ही होंगे यह सभी चर्म रोग अशुद्ध रक्त के कारण होते हैं और नीम रक्त को शुद्ध करने में बहुत प्रभावी और असरदार होता है।
तो इस से बनी दवा भी बहुत ज्यादा असरदार और प्रभावी होती है, अगर आप ऐसी ही किसी दवा की खोज कर रहे हैं।
तो आप एग्रीप्योर की मार्गोसा टेबलेट का सेवन कर सकते हैं, यह दवा आपको कभी निराश नहीं करेगी और आपके मनचाहे परिणाम तक आपको अवश्य पहुंचाएगी।
यह 500 एमजी की टेबलेट है, जो शुद्ध नीम के अर्क से बनाई गई है, जो शरीर के अंदर स्वाभाविक रूप से काम करती है और समस्या को जड़ से खत्म करती है।
इसमें नीम के सभी गुण पाए जाते हैं इसलिए असरदार होने के साथ-साथ सुरक्षित भी है।
एग्रीप्योर की मार्गोसा टेबलेट के फायदे
100% आयुर्वेदिक शुद्ध।
नीम के अर्क से बनाई गई शुद्ध दवा।
कोई दुष्प्रभाव नहीं।
हर प्रकार की ��्वचा रोग से निजात दिलाने में सक्षम।
इसमें एंटी ऑक्सीडेंट जैसे गुण भी पाए जाते हैं।
इसमें वह काबिलियत है, जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल दें।
यह आपके रक्त को शुद्ध करती है।
त्वचा रोग जैसे खुजली, पिंपल, झुर्रियां, मुंहासे, त्वचा की सूजन, और अन्य त्वचा रोग से राहत दिलाने में सक्षम।
किसी भी प्रकार के संक्रमण से राहत दिलाने में सक्षम।
इस दवा का सेवन कैसे करें
आपको रोजाना 2 टेबलेट का सेवन करना है, एक सुबह नाश्ते के बाद और एक रात्रि भोजन के बाद आप इस दवा को गुनगुने पानी या दूध के साथ ले सकते हैं।
अगर आप हमारी मार्गोसा चेहरा साफ करने की दवा खरीदना चाहते हैं।
तो आज ही आर्डर करें!
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मैं युद्ध हूँ
Post-T-001
निज नियति से हूँ परे
काल को मुख में धरे मैं मृत्य�� का पर्याय हूँ, मैं प्रकृति की निर्मम हाय हूं मैं भोलेनाथ का क्रोध हूँ, मानवता का अवरोध हूँ हा नही कोई मैं शांति दूत ना ही कोई बुद्ध हूँ मैं युद्ध हूँ रण समर काल की बेला हुँ इस सृष्टि में मैं इक अकेला हूँ, महाभारत का मैं विस्तार रूप, मैं रक्त बीज का हूँ स्वरूप, मैं जीव का समूल संघार करूँ, मृत सीसों का आहार करूँ मैं लहू के झरनों का पक्षधर मानवता से मैं क्रुद्ध हूँ मैं युद्ध हूँ मै दुर्योधन की लालसा हूँ
मै रावण सा अभिमानी हूँ
मै नही कोई मज़ाक यहाँ
मै बुद्धिहीन अज्ञानि हूँ
मै श्रष्टि का जीवित नाश हूँ
हे मनुज डरोगे तुम मुझसे
मै महाप्रलय मै विनाश हूँ
युद्ध मौन .......................... अरे आंखे खोलो होश मे आओ
मुझको होने से अब भी रोको
क्या खोओगे क्या पाओगे
पल भर तनिक बैठ कर सोचो
कलियुग का जन्मा हूँ मै
आगोश मे लूँगा जन जन को
मै मर्यादित राम नही
जो क्षमा करूँ विभीषण को
मै सुरसा सा मुख खोलुंगा
मै दयाहीन विकराल बनूँगा
इस पावन फलती धरती का
मै जीवित ही यूँ काल बनूँगा
मै पतित ,पीप का धारी हूँ
मै शुद्ध नही अशुद्ध हूँ
मै युद्द हूँ
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व्हेरिकोज व्हेन्स म्हणजे काय?
व्हेरिकोज व्हेन्स म्हणजे काय? भविष्यात गंभीर आजारांचा सामना करावा लागू नये यासाठी आपल्या आरोग्याची वेळोवेळी योग्य ती काळजी घेणे आवश्यक आहे त्रासासाठी शरीराची नियमित देखभाल करणे गरजेचे आहे आपल्या शरीरात अशुद्ध रक्त वहन करण्यासाठी व्हेन्स म्हणजे शिरा असतात पायात अशुद्ध रक्त वाहन करण्यासाठी त्वचेच्या खाली मुख्यत दोन मोठ्या रक्तवाहिन्या असतात या रक्त वाहिन्यांमध्ये जर कुठल्या कारणाने रक्त जमा झाले आणि त्यामुळे त्या फुगीर झाल्या तर या त्रासाला व्हेरिकोज वेन असे म्हणतात अनेकदा या रक्तवाहिन्या पाण्याच्या पृष्ठभागावर ठळकपणे दिसू लागतात बरेचदा रक्तवाहिन्या दिसत नसल्या तरी व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास असू शकतो यासाठी अन्य लक्षणांचा आढावा घेणे आवश्यक आहे उभे राहणेही गुरुत्वाकर्षण शक्तीचा विरोधातील क्रिया आहे पायातील रक्ताला गुरुत्वाकर्षण शक्तीच्या विरोधात रक्तप्रवाह व्हावे लागते यासाठी विशिष्ट प्रकारचे पडदे औषध रक्तवाहिन्यांमध्ये असतात ते एकाच दिशेने रक्तप्रवाह करण्यासाठी ठरतात मात्र जास्त वेळ उभे राहिल्याने वा बसल्याने शरीरामध्ये ताण निर्माण होतो व पडले निकामी होण्याचे धोका वाढतो त्यामुळे अधिक रक्कम जमा झाल्यामुळे शिरा फुगतात व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास उद्भवतो व्हेरिकोज व्हेन्स ची लक्षणे पाय सुजणे संध्याकाळी पाय दुखणे पायामध्ये असा सहजता निर्माण होणे असाह्य वेदना होणे व त्यामुळे झोप न येणे पायाच्या पोटऱ्या दुखणे व ही प्रमुख लक्षणे आहेत अनेकदा पाय फार दुखत आहे असे आपल्याला जाणवते पण फार फार थकले असे म्हणून आपण त्याकडे दुर्लक्ष करतो ही कारणे घेऊन डॉक्टर कडे जाणाऱ्या निम्म्या लोकांना व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास असल्याचे आढळून आले आहेत याशिवाय निळ्या नसा फुगलेल्या दिसतात क्वचित पाय देखील काळे पडतात विशेषत घोट्याच्या वरचा भाग काळा पडलेला असतो कधी कधी अल्सर अथवा जखम निर्माण होत�� व ती भरून निघत नाही निदान व्हेरिकोज वेन चा 100% निदानासाठी डॉप्लर स्कॅन करण्याचा सल्ला दिला जातो रक्तवाहिन्यांच्या डॉपलर स्कॅन द्वारे छोट्यातल्या छोट्या रक्तवाहिन्या तील समस्या दिसून येतात त्यामुळे व्हेरिकोज वेन चे निदान करणे सोपे जाते उपचार पद्धती व्हेरिकोज वेन चे प्रमाण वाढले असेल तर कम्प्रेशन स्टॉकिंग म्हणजे पायाच्या टाचेचे पासून मंडी पर्यंत नसन ना सपोर्ट करणारे मौजे वापरण्याचा सल्ला दिला जातो मौजे केवळ प्रभावित झालेल्या माणसांना दाब देत असल्यामुळे पायाच्या अन्य अवयवांना त्रास होत नाही मात्र व्हेरिकोज व्हेन्स मुळे उमललेल्या त्रास नक्कीच कमी होतो हे मोजे दिवसभर वापरावे लागतात दोन आठवड्यात व्यक्तीचे जीवन सामान्य होऊ शकते रात्री होणाऱ्या वेदना कमी होतात मात्र यामुळे व्हेरिकोज व्हेन्स वर केवळ आपण नियंत्रण मिळवू शकतो पूर्ण आराम हवा असेल तर अत्यंत अत्याधुनिक तंत्र लेजर ऑपरेशन द्वारे उपचार केला जातो यामध्ये फक्त एका सुईच्या चित्राद्वारे या प्रभावी झाल्या नासा पूर्णपणे उपचार केला जाऊ शकतो मुख्य अशुद्ध रक्त वाहिनी जवळपास 80 टक्के रक्ताचे वाहन करते त्याच व्हेरिकोज वेन चा धोका नसतो अन्य रक्तवाहिन्या बंद केल्या तर या मुख्य रक्तवाहिनीच्या क्षमता कालांतराने वाढू लागते आणि त्यामुळेच अति प्रभावित रक्तवाहिन्या बंद झाल्याने फरक पडत नाही यामुळे पायाची सूज कमी होते व व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास यातून पूर्ण मुक्ती मिळते प्रतिबंधात्मक काळजी वजन कमी करणे आहारात मिठाचे प्रमाण कमी करणे पायाची हालचाल व व्यायाम करणे एका जागी फार वेळ उभे राहणे टाळणे धूम्रपान मद्यपान व्यसने टाळावीत उंच टाचेच्या चपलेचा नियमित वापर टाळावा
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*हृदयाचे कार्य*
आपल्या जन्माच्या आधीपासुन मरे पर्यंत आपलं हृदय सतत कार्यरत असतं. हृदय दररोज़ ७००० लीटर रक्त पंप करते (यापैकी ७०% रक्त मेंदुला लागते आणि बाकी शरीराला ३०% रक्त मिळते) आणि ७०,००० किमी पेक्षाही लांब रक्तवाहीन्यांमधे प्रवाहीत करते. १ टन वजन ४२ फूट ऊंची पर्यंत उचलण्यासाठी जितकी शक्ति आवश्यक असते तितकी शक्ति हृदय त्याच्या कार्यातुन दररोज निर्माण करते.
आपण थकल्यावर आराम करतो पण हृदयाने जर ४ - ५ सेकंद आराम केला तर आपला कायमचा आराम होऊन जाईल.
न थकता हृदय कसे काय बरे कार्य करत असेल?
हृदय सतत कार्य करू शकते कारण ते अनुशासनाच्या आधारावर कार्य करते. सामान्य परिस्थितीमधे हृदय ०.३ सेकंद आकुंचन होते म्हणजे PUMP करते आणि ०.५ सेकंद प्रसरण पावते किंवा आराम करते. या हिशोबाने ०.३ + ०.५ = ०.८ सेकंदात हृदयाचा एक ठोका पूर्ण होतो म्हणजे एका मिनीटात ७२ ठोके होतात जे सामान्य असतात. आरामाच्या ०.५ सेकंदात अशुध्द रक्त फुफ्फुसात जाऊन १००% शुद्ध होऊन येते.
जर काही कारणाने शरीराला कमी वेळात जास्त रक्तपुरवठ्याची गरज असेल तर हृदय जास्त रक्त फेकण्यासाठी आरामाची वेळ कमी करतं. अश्या परिस्थितीत आराम ०.४ सेकंद झाला तर हृदयाचा एक ठोका ०.७ सेकंदा त पूर्ण होऊन दर मिनीटाला ही संख्या ८२ च्या वर जाते आणि केवळ ८०%च रक्त शुध्द होतं.
जर आरामाची वेळ ०.३ सेकंद झाली तर ६०% च रक्त शुद्ध होते. म्हणजे अश्या घाईगर्दीच्या असामान्य स्थितीत,२०% किंवा ४०% अशुद्ध रक्त रक्तवाहीन्यांमधे फेकले जातं आणि ती अशुद्धि रक्तवाहीन्यांमधे चिकटुन सामान्यपणे लवचिक स्वरूपाच्या असलेल्या रक्त वाहीन्या कठीण स्वरूपाच्या बनत जातात. कालांतराने रक्तवाहीन्या इतक्या कठीण बनतात कि रक्तात एखादी गाठ वाहत आली (कि पूर्वी धमनीच्या लवचिक स्वभावामुळे सहज निघुन जात असे) कि अडकुन रक्ताचा प्रवाह रोखते किंवा या स्थितिला हृदय विकाराचा झटका HEART ATTACK म्हणतात.
या हिशोबाने विचार केला तर लक्षात येईल कि हृदय विकाराचे मूळ कारण शरीराकडून किंवा मेंदुकडुन होणारी सामान्यपेक्षा वाढीव रक्ताची मागणी हेच आहे. जेव्हा मेंदुची हालचाल ACTIVITY STIMULATE चलायमान होते तेव्हा त्याची रक्तपुरवठयाची मागणी सामान्यपेक्षा खूप वाढते. BRAIN ACTIVITY STIMULATE होण्यासाठी आपला आहार DIET केवळ २५% ते ३०%च जबाबदार आहे आणि ७०% ते ७५% आपले विचार, भावना, दृष्टिकोण, स्मृति जबाबदार आहेत.
त्यामुळे ज्यांना आपले हृदय दीर्घकाळ स्वस्थ ठेवायचे असेल तर त्यांनी चिंता, क्रोध, उदासी, घाईगर्दी (जल्दबाजी) आणि भावनात्मकदृष्टया संवेदनशिल स्वभाव यांच्यापासुन स्वतःला सुरक्षित ठेवावे.
या पाच गोष्टींपासुन सुरक्षित ठेवण्यासाठी कोणतेही औषध उपलब्ध नाही. त्यापासुन सुरक्षित रहाण्यासाठी ध्यानधारणा हाच एकमेव शाश्वत उपाय आहे.
*म्हणुनच म्हंटलय -SPIRITUAL HEALING IS ONLY TRUE HEALING*
This message is scientifically True.
*स्वतः साठी एक तास वेळ द्या व आपले शारिरीक, मानसिक आरोग्य ��िरोगी ठेवा.*
आणि इतरांना सुद्धा प्रोत्साहीत करा.
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होली के लिए अभी तक ये काम नहीं किया हो तो शीघ्र करें..16 मार्च 2022
🚩#होली का नाम आते ही दो बातें तुरंत ध्यान में आती हैं… एक तो रात में #होलिका दहन करना और दूसरा धुलेंडी खेलना ..।
इसके पीछे बड़ा वैज्ञानिक महत्व छुपा है, हमारे #ऋषि-मुनियों ने ऐसे ही कोई त्यौहार नहीं बनाया है।
🚩होली राष्ट्रीय, सामाजिक और आध्यात्मिक पर्व है पर कुछ ��ासमझ लोग इस पवित्र त्यौहार को विकृत करने लगे और होलिका दहन लकड़ियों से करने लगे जिससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने लगा दूसरा कि धुलेंडी खेलते समय केमिकल रंगों का उपयोग करने लगे जिसके कारण होली में स्वास्थ्य लाभ होने की बजाय बीमारियां होने लगी।
🚩होली पर पर्यावरण को शुद्ध करने एवं आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहे इसलिए हम आपको दो अच्छे उपाय बता रहे है उसके लिए अभी आप तैयारी करें।
🚩1. देशी गाय के गोबर के कंडो से होलिका दहन
🚩एक गाय करीब रोज 10 किलो गोबर देती है। 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं।
🚩एक कंडे की कीमत करीब 10 रुपए रख सकते हैं। इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है। यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के करीब 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे। लकड़ी की तुलना में हमें कंडे सस्ते भी पड़ेंगे।
🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि गाय के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है।
🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ रहेगा।
🚩दूसरा कि वृक्षों को काटना नही पड़ेगा जिससे वातावरण में संतुलन बना रहेगा।
🚩वातावरण अशुद्ध होने पर कोरोना जैसे भयंक�� वायरस आ जाते हैं, अगर देशी गाय के गोबर के कंडे से होली जलाई जाएं तो कोरोना जैसे एक भी वायरस वातावरण में नही रहेगा और हमारा स्वास्थ्य उत्तम हो जायेगा जिससे देश के करोड़ो रूपये बच जाएंगे।
🚩2. पलाश के रंग से खेलें होली
🚩पलाश को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं।
🚩केमिकल रंगों से होली खेलने से उसके पैसे चीन देश मे जायेंगे और बीमारियां भी होगी लेकिन पलाश के फूलों से होली खेलने से कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश होता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।
🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है।
🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है। पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है।
🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है । (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)
🚩आपने देशी गाय के गोबर के कंडो से होलिका दहन और पलाश के रंगों से होली खेलने का फायदे देखे। अब आप गाय के गोबर के कंडे के लिए नजदीकी गौशाला में संपर्क करें एवं पलाश के फूलों के लिए नजदीकी में कोई आदिवासी भाई हो उनसे संपर्क जरूर करें
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खून साफ करने की होम्योपैथिक दवा सूची
खून साफ करने की होम्योपैथिक दवा सूची
खून खराबी के लक्षण यदि आपको मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, नाक से खून बहना, रक्त की उल्टी, सभी प्रकार के त्वचा रोग, हृदय रोग, वैरिकाज़ नसों, जलन, अत्यधिक क्रोध, अत्यधिक नींद आदि का सामना करना पड़ता है, तो संभावना है कि या तो आपका रक्त अशुद्ध है या आपका पित्त दोष है . जब रक्त अशुद्ध हो जाता है, तो गुर्दे, यकृत और लसीका तंत्र बचाव के लिए आते हैं और रक्त को शुद्ध करने के लिए मिलकर काम करते…
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अपोलोत हृदयाची दुर्मीळ शस्त्रक्रिया यशस्वी
अपोलो हॉस्पिटलमध्ये २६ वर्षांच्या तरुणावर हृदयाची दुर्मीळ शस्त्रक्रिया यशस्वीरित्या पार पडली. आतापर्यंत जगभरात अशा स्वरूपाच्या नऊ शस्त्रक्रियाच झाल्याची माहिती कार्डीयाक सर्जन डॉ. अभयसिंग वालिया व कार्डीओलॉजिस्ट डॉ. सुधीर शेतकर यांनी पत्रकार परिषदेत दिली.
डॉ. शेतकर (Cardiologist in Nashik) म्हणाले, की राजेश (नाव बदलले आहे) या तरुणाला श्वासोच्छ्वासाचा तसेच थकण्याचा त्रास होता. आतापर्यंत त्याच्या हृदयाला छिद्र असल्याचे निदान अनेकांनी केले मात्र शस्त्रक्रिया करायला कोणी तयार नव्हते. अपोलोने केलेल्या निदानात या तरुणाच्या हृदयाला तीन प्रकारच्या समस्या होत्या. डाव्या आणि उजव्या हृदयाच्या मधोमध छिद्र होते. शुद्ध व अशुद्ध असे रक्त एका वाहिनीमुळे एकत्र होत होते. तर अशुद्ध रक्त वाहून नेणारी वाहिनी व्हॉल्व अरूंद असल्याने
हृदयातून फुप्फुसाला रक्त पुरवठ्यात अडथळे निर्माण होतात. या प्रकाराला 'मेडिकल टर्ममध्ये टोटल अॅनॉमॉलस पल्मनरी व्हिनस कनैक्शन वुईथ पल्मनरी स्टेनोसिस' असे म्हणतात. या निदान व त्यावरील शस्त्रक्रिया किचकट होती कारण भारतातील ही पहिलीस केस असावी.
डॉ. वालिया म्हणाले, की हे तिन्ही अडथळे एकाच शस्त्रक्रियेत दूर करण्याचे आव्हान आमच्यासमोर होते. अपोलीच्या कार्डीयाक टीमने साडेचार तासात शस्त्रक्रिया पूर्ण करून या तरुणाला नवीन जीवन दिले आहे. काही तासांतच तरुणाच्या हृदयातील सर्व प्रक्रिया सर्वसामान्य हृदयाप्रमाणे सुरू झाली आहे. या शस्त्रक्रियेत डॉ. वालिया, डॉ. शेतकर, डॉ. एस. अन्नछत्रे, काडयाक निस्थेशिस्ट डॉ. भुपेश पराते व अपोलोची टीम सहभागी झाली होती.
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the blood circulatory system in hindi - रक्त परिसंचरण तन्त्र
the blood circulatory system in hindi – रक्त परिसंचरण तन्त्र
The Blood Circulatory System In Hindi – रक्त परिसंचरण तन्त्र जीव विज्ञान किसे कहते हैं The Blood Circulatory System – इस तन्त्र द्वारा शुद्ध रुधिर का परिसंचरण (Circulation) हृदय से धमनी ( Artery ) द्वारा सम्पूर्ण शरीर को तथा अशुद्ध रक्त का परिसंचरण सम्पूर्ण शरीर से हृदय को ‘शिराओं ( Veins ) द्वारा होता है। इस तन्त्र द्वारा शुद्ध रुधिर का परिसंचरण (Circulation) हृदय से धमनी ( Artery ) द्वारा…
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नवजात को ट्रांसपोजीशन ऑफ ग्रेट आर्टरीज बीमारी: दिल से जुड़ी धमनियां उल्टी, अशुद्ध रक्त का हो रहा परिवहन, 20 दिन में ऑपरेशन जरूरी, 12 लाख बच्चों में एक को होती है यह बीमार
नवजात को ट्रांसपोजीशन ऑफ ग्रेट आर्टरीज बीमारी: दिल से जुड़ी धमनियां उल्टी, अशुद्ध रक्त का हो रहा परिवहन, 20 दिन में ऑपरेशन जरूरी, 12 लाख बच्चों में एक को होती है यह बीमार
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप सागर18 मिनट प���ले कॉपी लिंक अस्पताल में भर्ती 10 माह का नवजात। डॉक्टर का कहना जो धमनियां राइट साइड में होनी थी, वह लेफ्ट में हैं और जो धमनी लेफ्ट में होनी थी, वह राइट में हैं पथरिया के केरबना में 10 दिन पहले जन्में एक नवजात शिशु के दिल में अनोखी बीमारी मिली है। बच्चे के दिल से जुड़ी धमनियां उल्टी हैं और बच्चे के शरीर में रक्त…
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व्हेरिकोज व्हेन्स म्हणजे काय? वेळीच ओळखा हा धोका : तज्ज्ञांची माहिती
व्हेरिकोज व्हेन्स म्हणजे काय? वेळीच ओळखा हा धोका : तज्ज्ञांची माहिती
डॉ. वैभव लेंडे, रक्तवाहिनी शल्यचिकित्सक, नागपूर आपल्या शरीरात अशुद्ध रक्तवहन करण्यासाठी व्हेन्स म्हणजे शीरा असतात. पायात अशुद्ध रक्त वहन करण्यासाठी त्वचेच्या खाली मुख्यतः दोन मोठ्या रक्तवाहिन्या असतात. या रक्तवाहिन्यांमध्ये जर कुठल्या कारणाने रक्त जमा झाले आणि त्यामुळे त्या फुगीर झाल्या तर या त्रासाला व्हेरिकोज व्हेन्स (varicose veins) म्हणजे मराठीत ‘अपस्फित नीला’ असे म्हणतात. अनेकदा या…
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व्हेरिकोज व्हेन्स म्हणजे काय?
व्हेरिकोज व्हेन्स म्हणजे काय? भविष्यात गंभीर आजारांचा सामना करावा लागू नये यासाठी आपल्या आरोग्याची वेळोवेळी योग्य ती काळजी घेणे आवश्यक आहे त्रासासाठी शरीराची नियमित देखभाल करणे गरजेचे आहे आपल्या शरीरात अशुद्ध रक्त वहन करण्यासाठी व्हेन्स म्हणजे शिरा असतात पायात अशुद्ध रक्त वाहन करण्यासाठी त्वचेच्या खाली मुख्यत दोन मोठ्या रक्तवाहिन्या असतात या रक्त वाहिन्यांमध्ये जर कुठल्या कारणाने रक्त जमा झाले आणि त्यामुळे त्या फुगीर झाल्या तर या त्रासाला व्हेरिकोज वेन असे म्हणतात अनेकदा या रक्तवाहिन्या पाण्याच्या पृष्ठभागावर ठळकपणे दिसू लागतात बरेचदा रक्तवाहिन्या दिसत नसल्या तरी व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास असू शकतो यासाठी अन्य लक्षणांचा आढावा घेणे आवश्यक आहे उभे राहणेही गुरुत्वाकर्षण शक्तीचा विरोधातील क्रिया आहे पायातील रक्ताला गुरुत्वाकर्षण शक्तीच्या विरोधात रक्तप्रवाह व्हावे लागते यासाठी विशिष्ट प्रकारचे पडदे औषध रक्तवाहिन्यांमध्ये असतात ते एकाच दिशेने रक्तप्रवाह करण्यासाठी ठरतात मात्र जास्त वेळ उभे राहिल्याने वा बसल्याने शरीरामध्ये ताण निर्माण होतो व पडले निकामी होण्याचे धोका वाढतो त्यामुळे अधिक रक्कम जमा झाल्यामुळे शिरा फुगतात व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास उद्भवतो व्हेरिकोज व्हेन्स ची लक्षणे पाय सुजणे संध्याकाळी पाय दुखणे पायामध्ये असा सहजता निर्माण होणे असाह्य वेदना होणे व त्यामुळे झोप न येणे पायाच्या पोटऱ्या दुखणे व ही प्रमुख लक्षणे आहेत अनेकदा पाय फार दुखत आहे असे आपल्याला जाणवते पण फार फार थकले असे म्हणून आपण त्याकडे दुर्लक्ष करतो ही कारणे घेऊन डॉक्टर कडे जाणाऱ्या निम्म्या लोकांना व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास असल्याचे आढळून आले आहेत याशिवाय निळ्या नसा फुगलेल्या दिसतात क्वचित पाय देखील काळे पडतात विशेषत घोट्याच्या वरचा भाग काळा पडलेला असतो .
कधी कधी अल्सर अथवा जखम निर्माण होते व ती भरून निघत नाही निदान व्हेरिकोज वेन चा 100% निदानासाठी डॉप्लर स्कॅन करण्याचा सल्ला दिला जातो रक्तवाहिन्यांच्या डॉपलर स्कॅन द्वारे छोट्यातल्या छोट्या रक्तवाहिन्या तील समस्या दिसून येतात त्यामुळे व्हेरिकोज वेन चे निदान करणे सोपे जाते उपचार पद्धती व्हेरिकोज वेन चे प्रमाण वाढले असेल तर कम्प्रेशन स्टॉकिंग म्हणजे पायाच्या टाचेचे पासून मंडी पर्यंत नसन ना सपोर्ट करणारे मौजे वापरण्याचा सल्ला दिला जातो मौजे केवळ प्रभावित झालेल्या माणसांना दाब देत असल्यामुळे पायाच्या अन्य अवयवांना त्रास होत नाही मात्र व्हेरिकोज व्हेन्स मुळे उमललेल्या त्रास नक्कीच कमी होतो हे मोजे दिवसभर वापरावे लागतात दोन आठवड्यात व्यक्तीचे जीवन सामान्य होऊ शकते रात्री होणाऱ्या वेदना कमी होतात मात्र यामुळे व्हेरिकोज व्हेन्स वर केवळ आपण नियंत्रण मिळवू शकतो पूर्ण आराम हवा असेल तर अत्यंत अत्याधुनिक तंत्र लेजर ऑपरेशन द्वारे उपचार केला जातो यामध्ये फक्त एका सुईच्या चित्राद्वारे या प्रभावी झाल्या नासा पूर्णपणे उपचार केला जाऊ शकतो मुख्य अशुद्ध रक्त वाहिनी जवळपास 80 टक्के रक्ताचे वाहन करते त्याच व्हेरिकोज वेन चा धोका नसतो अन्य रक्तवाहिन्या बंद केल्या तर या मुख्य रक्तवाहिनीच्या क्षमता कालांतराने वाढू लागते आणि त्यामुळेच अति प्रभावित रक्तवाहिन्या बंद झाल्याने फरक पडत नाही यामुळे पायाची सूज कमी होते व व्हेरिकोज व्हेन्सचा त्रास यातून पूर्ण मुक्ती मिळते प्रतिबंधात्मक काळजी वजन कमी करणे आहारात मिठाचे प्रमाण कमी करणे पायाची हालचाल व व्यायाम करणे एका जागी फार वेळ उभे राहणे टाळणे धूम्रपान मद्यपान व्यसने टाळावीत उंच टाचेच्या चपलेचा नियमित वापर टाळावा
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