#अमिताभ बच्चन पत्नी
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दे दे प्यार दे फिल्म रिव्यु
दे दे प्यार दे फिल्म की लीड स्टार कास्ट क्रेडिट-हॉटस्टार प्लॉट: यह फिल्म लं��न बेस्ड एनआरआई की कहानी पर आधारित है, वह सेपरेटेड है और दो बच्चों का पिता भी है|और अपने से आधी उम्र की जवान लड़की के प्यार में है वह उसे अपनी फैमिली और बच्चों से मिलवाने इंडिया ले जाता है, पर वहां पर पहुंचते ही दोनों के सामने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां बन जाती हैं और क्या वे उन परिस्थितियों का सामना कर पाएंगे? क्या वह उससे शादी और अपनी पत्नी और बच्चों को कन्विंस कर पाएगा और क्या वह और उसकी पत्नी दोबारा समझौता कर लेंगे? क्या वह उसे छोड़कर लंदन चली जाएगी? यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: इस फिल्म की टोन रोमांटिक कॉमेडी है और थीम लव और रिलेशनशिप पर है इस फिल्म को बनाने का मकसद मनोरंजन के साथ साथ यह सन्देश देना भी है कि आज के समाज में रिलेशनशिप का क्या महत्व है| यह फिल्म रिलेशनशिप की जटिलता को दर्शाती है| यह भी बताती है कि पति पत्नी के रिश्ते की क्या अहमियत होती है| पत्नी क्या महसूस करती है जब दूसरी औरत पति की ज़िन्दगी में आ जाती है| पिता का मां-बाप और और बच्चों से क्या रिश्ता होता है? एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: आशीष के किरदार में अजय देवगन का अभिनय ठीक-ठाक कहा जा सकता है मुझे तो उनके अभिनय में कुछ भी नयापन नजर नहीं आया| स्टीरियोटाइप की तरह उनका रोल था| मंजू के किरदार में तब्बू भी ठीक-ठाक अभिनय कर गई, उनका इस प्रकार का अभिनय और रोल हम पहले भी देख चुके हैं| आयशा के किरदार में रकुल प्रीत सिंह का अभिनय शानदार था| और उन्होंने अपने रोल के साथ पूरा इंसाफ किया, वह इस रोल में पूरी तरह से फिट बैठती है, काफी हॉट एंड सेक्सी दिखती हैं और कॉस्ट्यूम बहुत ही मॉडर्न और सेक्सी पहने हैं| सपोर्टिंग कास्ट में सबने अपना अपना किरदार अच्छे से निभाया चाहे वह आलोक नाथ हो, कुमुद मिश्रा हो, जिमी शेरगिल हो या सनी सिंह हो| डायरेक्शन: अकिव अलीने इस फिल्म को निर्देशित किया है यह उनकी फर्स्ट डेब्यू डायरेक्टोरियल है और साथ ही में वह फिल्म एडिटर भी है और बहुत सारी फिल्मों की एडिटिंग कर चुके है| जैसे यह जवानी है दीवानी(2013), बैंग बैंग(2014), काबिल(2017), सोनू के टीटू की स्वीटी(2018) आदि | इस फिल्म में ��नका निर्देशन अच्छा है उन्होंने कहानी को कहीं से भी पटरी से उतरने नहीं दिया, पहली फिल्म होते हुए भी ऐसा नहीं लगता कि वह पहली फिल्म को निर्देशित कर रहे हो| कहानी इंटरमिशन के बाद दौड़ती है और अच्छी कही जा सकती है| फिल्म का सेकंड हाफ बहुत ही अच्छा कहा जा सकता है| स्टोरी-स्क्रीनप्ले-डायलॉग्स: लव रंजन, सुरभि भटनागर, तरुण जैन ने कहानी-पटकथा-डायलाग लिखे है| कहानी तीन चरित्रों के इर्द-गिर्द घूमती है अंत में क्या होता है यह आपको फिल्म देख कर ही पता चलेगा| फर्स्ट हाफ में पटकथा थोड़ी सी कमज़ोर है लेकिन सेकंड हाफ में मजबूत है| डायलॉग डबल मीनिंग्स वाले हैं और ज्यादा इंग्लिश भाषा में है जिनको इंग्लिश अच्छे से नही आती होगी उनके ऊपर से निकल जाएंगे| एडिटिंग: अकिव अली की फर्स्ट हाफ में एडिटिंग थोड़ी सी काटी जा सकती थी| और फर्स्ट हाफ की गति धीमी है| सिनेमैटोग्राफी: सुधीर के चौधरी की सिनेमेटोग्राफी की ठीक-ठाक है, लंदन और कुल्लू की लोकेशन बहुत अच्छे से दिखाई गई है| बैकग्राउंड स्कोर: हितेश सोनिक का बैकग्राउंड स्कोर कुछ खास नहीं है| कोरियोग्राफी: बॉसको सीजर की कोरियोग्राफी भी कुछ गीतों की बढ़िया है| साउंड डिजाइन: सोहेल संवरी का साउंड डिज़ाइन कुछ खास नहीं है| कॉस्ट्यूम डिजाइन: निहारिका खान, अकी नरूला की कॉस्ट्यूम डिजाइन विशेषकर रकुल प्रीत सिंह की बढ़िया की गयी है| म्यूजिक: अमाल मलिक, रोचक कोहली, तनिष्क बागची, विपिन पटवा, मंज म्यूजिक, अतुल शर्मा, और गैरी संधू के संगीत में तीन-चार गाने बहुत ही अच्छे हैं, चले आना (अरमान मालिक) की आवाज़ में अच्छा बन पड़ा है, हौली हौली (नेहा कक्कर और गैरी संधू) पंजाबी तड़के के साथ मिक्स किया गया है, और दिल रोई जाये (अरिजीत सिंह) की आवाज़ में एक इमोशनल गीत है, एक गाना मुखड़े वेख के (सुरजीत बिंदरखिया) की आवाज़ में गाया हुआ पंजाबी गीत, दोबारा रीक्रिएट किया गया है| लिरिक्स: कुमार, कुणाल वर्मा, मेलो डी, शमशेर संधू, गैरी संधू, तनिष्क बागची के लिखे गए तीन गीत पंजाबी-हिंदी मिक्स के है| प्रोडक्शन डिजाइन: शशांक टेरे का काम अच्छा है, कुल्लू का घर हो या लंदन का बहुत अच्छे से सजाए गए है| क्लाइमेक्स: हैप्पी एंडिंग वाला क्लाइमेक्स है| ओपिनियन: ओवरआल फिल्म एक बार देखी जा सकती है| रेटिंग: 5/10 CBFC: 3 कट्स में कटौती की गयी "वड्डी शराबन" गीत में, रकुल प्रीत सिंह के शराब की बोतल पकड़े हुए दृश्य की जगह फूलों का गुल���स्ता रखवाया गया| "परफॉरमेंस बेटर होती है", "मंजू जी के आलू ओ हो हो… वही अच्छे हैं.." और "कि ये सब झूठ हैं" डायलॉग्स हटाए गए और इनसे संबंधित सभी दृश्यों को हट�� दिया गया। फिल्म फैक्ट: इस फिल्म के टाइटल का सन्दर्भ अमिताभ बच्चन और जया प्रदा अभिनीत फिल्म शराबी, प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित जो कि 1984 में रिलीज़ हुई थी, के एक chartbuster गीत देदे प्यार दे प्यार दे प्यार देदे हमें प्यार दे से लिया गया है | खुद की पत्नी अपने पति के लिए दूसरी औरत को एक और चांस देने के लिए कहती है ऐसे आपने फिल्मों के सिवा असली ज़िन्दगी में कही नहीं देखा होगा| confrontation सीन बहुत अच्छा बन पड़ा है बेटी का रिश्ता टूट जाता है पिता अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बेटी के लिए माफी मांगता है, यह इमोशनल दृश्य अच्छा बन पड़ा है| माता पिता किसके हैं अजय देवगन के या तब्बू के यह फिल्म के अंत तक पता चलता है| बेटी पिता से नाराज क्यों है इसका ठोस कोई कारण नहीं पता चलता| पूरा परिवार आशीष से नाराज है पता नहीं क्यों ? CBFC-U/A Movietime: 2h14m Genre: Romantic Comedy Backdrop: London, Kullu Release: 17 May, 2019 फिल्म कास्ट: अजय देवगन, तब्बू, रकुल प्रीत सिंह, जिमी शेरगिल, जावेद जाफरी, आलोक नाथ मधुमालती कपूर, कुमुद मिश्रा, राजवीर सिंह और सनी सिंह (मेहमान भूमिका) प्रोडूसर: लव रंजन, अंकुर गर्ग, कृष्ण कुमार, भूषण कुमार, डायरेक्टर:अकिव अली, साउंड डिज़ाइन: सोहेल संवरी कास्टूम डिज़ाइन: निहारिका खान, अकी नरूला, म्यूजिक:अमाल मलिक, रोचक कोहली, तनिष्क बागची, विपिन पटवा, मंज म्यूजिक,अतुल शर्मा, गैरी संधू लिरिक्स: कुमार, कुणाल वर्मा, मेलो डी, शमशेर संधू, गैरी संधू, तनिष्क बागची बैकग्राउंड स्कोर: हितेश सोनिक, प्रोडक्शन डिज़ाइन: शशांक टेरे, एडिटर: अकिव अली सिनेमेटोग्राफी: सुधीर के चौधरी, कोरियोग्राफी: बॉसको सीजर, स्टोरी-स्क्रीनप्ले-डायलॉग्स: सुरभि भटनागर,लव रंजन, तरुण जैन, कास्टिंग डायरेक्टर: विक्की सिदाना Read the full article
#अकिवअली#अजयदेवगन#कृष्णकुमार#जिमीशेरगिल#तब्बू#देदेप्यारदे#देदेप्यारदेफिल्म#देदेप्यारदेमूवी#रकुलप्रीतसिंह#रोमांटिक#रोमांटिककॉमेडी#लवरंजन
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अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय के तलाक की अफवाहों के बीच, अमिताभ बच्चन ने जया बच्चन के बारे में कहा: 'मैं दिखावा करता हूं...'
होम मनोरंजन अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय के तलाक की अफवाहों के बीच, अमिताभ बच्चन ने जया बच्चन के बारे में यह कहा: 'मैं दिखावा करता हूं…' दिग्गज अभिनेता ने उस समय को याद किया जब उनकी पत्नी जया बच्चन ने उनसे बंगाली में बात की थी जिसे बिग बी मुश्किल से समझ पाते थे। अधिक विवरण जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें। प्रकाशित: दिसंबर 10, 2024 8:13 अपराह्न IST शॉन दास द्वारा बॉलीवुड जोड़ी अभिषेक बच्चन और…
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What Was Amrita Pritam's Relationship with Imroz-Sahir? Why Did The Story Of Love Remain Incomplete?
Amrita Pritam Love Story: पंजाबी भाषा की मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम की जिंदगी का अफसाना फिल्म के किसी चरित्र के मानिंद है. अमृता के साहिर लुधियानवी से मोहब्बत किसी रहस्य से कम नहीं है, जिसकी कई गिरह अभी खुलनी बाकी हैं.
Amrita Pritam Love Story : अमृता प्रीतम सिर्फ लेखिका नहीं बल्कि एक युग थीं और एक परंपरा भी… जिन्होंने जिंदगी जीने का अलग ही तरीका और सलीका दिया. जो लिव इन रिलेशनशिप आज के युवाओं का फैशन बन गया है वह अमृता प्रीतम ने उस युग में जिया जब इसके बारे में हममें से ज्यादातर लोग जानते भी नहीं थे. उन्होंने प्यार की वह परिभाषा गढ़ी, जिसमें खोना ही पाना था और पाना ही खोना था. अमृता प्रीतम और साहिर का रिश्ता एक मायने में अनोखा था, जहां एक-दूसरे को पाने की चाहत तो थी लेकिन कोशिश नहीं. यह अलग बात है कि साहिर और अमृता में एक-दूसरे को पाने की कसक ताउम्र रही. कहा जाता है कि साहिर ने अमृता से इश्क ना किया होता तो हमराज फिल्म का गीत ‘वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा…’ कभी लिखा नहीं जाता. अमिताभ बच्चन, राखी, शशि कपूर और ऋषि कपूर अभिनीत फिल्म ‘कभी-कभी’ फिल्म का टाइटल सॉन्ग दरअसल, साहिर की मुकम्मल जिंदगी है, जिसे वह कुछ यूं कहते हैं- मैं जानता हूं कि तू गैर है मगर यूं ही… कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है’ यह गीत ऐसा ब्रेकअप सॉन्ग है जो बिछड़े प्रेमियों को एक अलग ही तरह की ऊर्जा देता है.
Amrita Pritam Love Story : स्कूल में लिख डाली थी नज्म
अमृता प्रीतम बचपन से ही साहित्य प्रेमी थीं. कविताओं का शौक था. पढ़ने-लिखने का भी जुनून था. कहा जाता है कि अमृता के जेहन में एक काल्पनिक प्रेमी था. लेखिका ने इस प्रेमी को बाकायदा नाम दिया था- राजन. कल्पनाओं का यह राजन अमृता के जेहन से उनकी ख्यालात भरी जिंदगी में शामिल हो गया. अमृता की दीवानगी देखिये कि उन्होंने इसी नाम को अपनी ज़िंदगी की पहली नज़्म का सब्जेक्ट बनाया. प्रतिष्ठित लेखिका के तौर पर एक नामी मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था- ‘जब स्कूल में पढ़ती थी तो मैंने एक न��्म लिखी थी. फिर यह सोचकर अपनी जेब में रख लिया कि वह स्कूल जाकर अपनी करीबी सहेली को दिखाएंगी.’ वहीं, बैरागी पिता के पास अमृता कुछ पैसे मांगने गईं. इस दौरान उनके पिता ने पैसे अमृता प्रीतम के हाथ में न देकर उनकी जेब में डालने चाहे और उसी जेब में वो नज़्म रखी हुई थी. पिता का हाथ उस नज़्म पर पड़ा तो उन्होंने उसे निकालकर पढ़ लिया. यह बहुत असहज करने वाली स्थिति थी. पिता ने पूछ लिया- क्या इसे तुमने लिखा है? खैर परिस्थिति को काबू करने के लिए अमृता ने झूठ बोला और कहा- ‘यह नज़्म उनकी सहेली ने लिखी है. जाहिर है पिता ने उस झूठ को पकड़ लिया गया और नज्म को दोबारा पढ़ा. पढ़ने के बाद पूछा कि यह राजन कौन है? इस सवाल के जवाब में अमृता खामोश थीं. इस पर पिता ने झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ा और कागज फाड़ दिया. अमृता प्रीतम ने बड़ी ही साफगोई से कहा था- ‘झूठ बोलकर अपनी नज्म किसी और के नाम लगानी चाही थी, लेकिन वह नज्म एक चपत को साथ लिए फिर से मेरे नाम लग गई. यह हश्र था मेरी पहली नज्म का.’
Amrita Pritam Love Story : जिसके साथ पत्नी की तरह रहीं, कभी नहीं कहा ‘प्यार है’
मैंने ऊपर ही लिख दिया है कि साहिर और अमृता की प्रेम कहानी बेहद अनूठी थी. अमृता की लाइफ में एक तरह का लव ट्राएंगल था. सही मायनों में वह मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी से प्यार करती थीं, लेकिन उन्होंने जीवन गुजारा इमरोज के साथ. बेशक हर प्रेमी की चाहत होती है कि वह इजहार-ए-इश्क जरूर करे, लेकिन इमरोज और अमृता का इश्क अजीब था. ऐसा कहा जाता है कि इमरोज और अमृता ने एक-दूसरे से कभी कहा ही नहीं कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं. इस पर इमरोज ने एक बार कहा था- हिंदी फिल्मों में भी आप उठने-बैठने के तरीके से बता सकते हैं कि हीरो-हीरोइन एक-दूसरे से मोहब्बत करते हैं लेकिन वो फिर भी बार-बार कहते हैं कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं. जब प्यार है तो बोलने की क्या जरूरत है? वो सच्चा प्यार करते हैं जैसे कि प्यार भी कभी झूठा होता है.
Amrita Pritam Love Story : इमरोज करते थे अमृता की प्राइवेसी की इज्जत
अमूमन पति-पत्नी का एक-दूसरे की जिंदगी में पर्याप्त दखल होता है. इसके तहत पति-पत्नी दोनों एक ही कमरे में रहते हैं. इमरोज का कहना था कि हम पहले दिन से ही एक ही छत के नीचे अल���-अलग कमरों में रहते रहे. उन्होंने स्वीकारा कि रात के समय अमृता प्रीतम लिखती थीं. उन्होंने इस वक्त को चुना जब न कोई आवाज होती हो और न ही टेलीफोन की घंटी बजती हो. … और सबसे बड़ी बात कि उस दौरान कोई आता और जाता भी ना हो. इमरोज ने अमृता की आदता का ख्याल रखा. इतना ही नहीं अमृता ने जब चाहा तब इमरोज ने उन्हें लिखने के लिए तन्हा छोड़ा. इमरोज ने स्वीकार किया था कि अमृता प्रीतम लिखने के दौरान चाय पीने की शौकीन थीं, लेकिन वह कभी भी बीच में लिखना छोड़कर चाय नहीं बनाती थीं. इसका मतलब यह है कि वह चाय नहीं बनाती थीं. मगर लिखने के दौरान वह चाहतीं कि उन्हें चाय मिले. उस समय मैं सो रहा होता था. फिर इरादा किया और रात के एक बजे उठना शुरू कर दिया. इस दौरान इमरोज चाय बनाकर उनके आगे चुपचाप रख आते थे. उस वक्त अमृता प्रीतम लिखने में इतनी खोई होती थीं कि वह इमरोज की ओर देखती भी नहीं थीं. यह सिलसिला करीब 5 दशक यानी 50 सालों तक चला. जाहिर है इमरोज ने हजारों रातें इसलिए जागकर गुजारीं कि जब भी अमृता को चाय की तलब लगे तो वह मौजूद रहें.
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Amrita Pritam Love Story : अमृता एंड इमरोज़- ए लव स्टोरी
अमृता ने प्रीतम सरनेम अपने साथ ऐसा जोड़ा कि उम्र भर जुड़ा रहा. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि पहली शादी उनकी असफल रही. दरअसल, साल 1935 में अमृता ने लाहौर (अब पाकिस्तान में) के अनारकली बाजार के एक होजरी व्यापारी के बेटे प्रीतम सिंह से शादी की. दोनों के 2 बच्चे भी हुए- एक बेटा और एक बेटी. लेकिन अमृता प्रीतम को शायर साहिर लुधियानवी से एकतरफा लगाव था. वह प्रीतम सिंह से अलग हो गईं. बताया जाता है कि दोनों सहमति से अलग हुए. जाने-अनजाने अमृता की जिंदगी में तब इमरोज की एंट्री हो चुकी थीं. इन दोनों की जानकार थी लेखिका उमा त्रिलोक. अमृता दोनों की नज़दीकी दोस्त रही थीं और उन पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है- ‘अमृता एंड इमरोज़- ए लव स्टोरी.’ उमा ने लिखा है कि अमृता और इमरोज का लव रिलेशनशिप तो रहा है लेकिन इसमें आजादी ��हुत है. उमा त्रिलोक का कहना है कि बहुत कम लोगों को पता है कि वो एक ही घर में रहते हुए अलग-अलग कमरों में रहते थे. जब इसका ज़िक्र होता था तो इमरोज़ कहा करते थे कि एक-दूसरे की ख़ुशबू तो आती है. ऐसा जोड़ा मैंने बहुत कम देखा है कि एक दूसरे पर इतनी निर्भरता है लेकिन कोई दावा नहीं है.
Amrita Pritam Love Story : एक इश्क ऐसा भी…
साल 1958 की बात है. इमरोज को मुंबई (तब बोम्बे) में नौकरी मिल गई, कहा जाता है कि अमृता प्रीतम को दिल ही दिल में यह अच्छा नहीं लगा. अमृता को यह एहसास हुआ कि साहिर लुधियानवी की तरह इमरोज भी उनसे अलग हो जाएंगे. उन्हें यह डर क्यों सताया इसकी भी वजह है… दरअसल, साहिर लुधियानवी लेखिका अमृता प्रीतम से इश्क करते थे या नहीं, यह तो दफ्न हो गया, लेकिन अमृता प्रीतम गीतकार साहिर से एकतरफा इश्क जरूर करती थीं. यहां तक कि वह उनकी सिगरेट का आखिरी हिस्सा अपने पास रखती थीं. यह उनकी दीवानगी थी, लेकिन साहिर ने कभी अपने प्यार का इजहार अमृता के सामने नहीं किया. बावजूद इसके दुनिया यही जानती है कि साहिर और अमृता एक-दूसरे से इश्क करते थे. इसका सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि अमृता और इमरोज ने कभी भी एक दूसरे से नहीं कहा कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं.
Amrita Pritam Love Story : …. जब इमरोज को देखते ही उतर गया अमृता का बुखार
खैर बात हो रही है साल 1958 की और इमरोज के मुंबई पहुंचने की. इमरोज ने खुद कबूला है कि मशहूर फिल्म मेकर और एक्टर गुरु दत्त उन्हें अपने साथ रखना चाहते थे, लेकिन सैलरी पर बात नहीं बन पा रही थी. फिर एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई तो सामने अपॉइंटमेंट-लेटर था और वो उतने पैसे देने के लिए राजी हो गए जितना इमरोज चाहते थे. इमरोज के मुताबिक, वह बहुत खुश थे. दिल्ली में अमृता इकलौती अच्छी जानकार थीं, जिनसे वह अपनी खुशी शेयर कर सकते थे. इमरोज को देखकर अमृता खुश तो हुईं, लेकिन उनकी आंखें आंसुओं से भर आईं. मुंबई जाने के बाद अमृता को इमरोज ने फोन किया और उधर से ��वाज आई और पूछा सब ठीक है ना. इस पर इमरोज बोले ठीक तो है, लेकिन वह मुंबई में नहीं रह सकते. यहां तक कि दिल्ली लौटने तक का फैसला ले लिया. उस वक्त अमृता की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी. मगर जब इमरोज दिल्ली पहुंचे तो अमृता कोच के बाहर खड़ी थीं और उन्हें देखते ही अमृता का बुखार उतर गया.
Amrita Pritam Love Story : एक इश्क जो बन गया मिसाल
अमृता प्रीतम और साहिर लुधियानवी की प्रेम कहानी अजब थी, जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती. यह तो जमाना भी जानता है कि अमृता को साहिर लुधियानवी से मोहब्बत थी. इसका जिक्र अमृता प्रीतम ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘रसीदी टिकट’ में भी किया है. उन्होंने बताया कि कैसे साहिर लाहौर (अब पाकिस्तान) में उनके घर आया करते थे. उन्होंने लिखा है कि कैसे साहिर एक के बाद एक सिगरेट पिया करते थे. साहिर के जाने के बाद वो उनकी सिगरेट की बटों को दोबारा पिया करती थीं और बचने पर संभाल कर रख लिया करती थीं. अमृता की मानें तो उन्हें इस तरह सिगरेट की लत लग गई और फिर सा��िर को अमृता ताउम्र नहीं भुला पाईं. यह कम रोचक नहीं है कि अमृता शायर साहिर से बेपनाह प्यार करती थीं. यह जानकर भी इमरोज अमृता से एकतरफा इश्क कर बैठे. अमृता और इमरोज की दोस्ती के बारे में उमा त्रिलोक ने भी किताब में लिखा है कि, कोई अजीब बात नहीं थी. दोनों इस बारे में काफी सहज थे. उमा ने कहा भी था कि ‘साहिर एक तरह से आसमान हैं, जबकि इमरोज मेरे घर की छत’ साहिर और अमृता का प्लैटोनिक इश्क. इमरोज ने खुद उमा त्रिलोक से इस बात का जिक्र किया था कि जब उनके पास कार नहीं थी वो अक्सर अमृता को स्कूटर पर ले जाते थे. स्कूटर पर पीछे बैठने के दौरान अमृता की अंगुलियां हमेशा कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. जैसे उनके हाथ में कलम हो. इमरोज ने खुद स्वीकार किया है कि अमृता प्रीतम ने कई बार पीछे बैठे हुए उनकी पीठ पर साहिर का नाम लिख दिया. इससे उन्हें पता चला कि वो साहिर को कितना चाहती थीं. इमरोज का कहना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर वो साहिर को चाहती हैं, तो चाहती हैं. मैं भी अमृता प्रीतम को चाहता हूं.
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Amrita Pritam Love Story : एक इंतजार जो मरकर भी न खत्म हुआ
अमृता और इमरोज अब इस दुनिया में नहीं है. दिसंबर, 2023 में इमरोज ने 97 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया, जबकि अमृता ने 31 अक्टूबर, 2005 को दुनिया से विदा ली. अमृता के जाने के 18 साल बाद इमरोज ने दुनिया छोड़ी, लेकिन वह इमरोज के जेहन में हमेशा रहीं. जब भी वह दिल्ली में मिलते तो सिर्फ और सिर्फ अमृता प्रीतम की जिंदगी को लेकर बात करते. यह भी एक सच है कि अमृता जहां भी जाती थीं इमरोज को साथ लेकर जाती थीं. दरअसल जब अमृता प्रीतम को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया तो इमरोज रोज सुबह उनके साथ संसद भवन जाते थे और बाहर बैठकर उनका इंतजार किया करते थे. हालांकि, बड़े सरकारी आयोजन या फिर खाने पर जब अमृता जातीं तो इमरोज उनके साथ जाने की कोशिश तक नहीं करते थे. वह बाहर ही अमृता का घंटों इंतजार किया करते थे.
Amrita Pritam Love Story : मर कर भी नहीं मरीं अमृता
31 अक्तूबर 2005 को भले ही अमृता ने दुनिया को अलविंद कह दिया, लेकिन इमरोज के लिए वह कभी मरी ही नहीं. इमरोज कहते थे- उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं. वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों की छांव में कभी किरणों की रोशनी में कभी ख़्यालों के उजाले में. हम उसी तरह मिलकर चलते हैं चुपचाप… हमें चलते हुए देखकर फूल बुलाते हैं. हम फूलों के घेरे में बैठकर एक-दूसरे को अपना अपना कलाम सुनाते हैं. उसने जिस्म छोड़ है साथ नहीं. ‘
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hit bollywood stars whose political career flopped
बॉलीवुड के लाइट्स, कैमरा और एक्शन की दुनिया से निकल कर राजनीति में हाथ आजमाना बॉलीवुड सितारों के लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन बड़े पर्दे पर हिट होने वाले किंतने ही सितारे हैं जिन्होंने राजनीति में हाथ आजमाया और फ्लॉप साबित हुए. जानते है ऐसे ही कुछ सेलेबस के राजनितिक करियर के बारे में
अमिताभ बच्चन
हमारी लिस्ट में टॉप पर हैं बॉलीवुड के ‘बिग बी’ यानी अमिताभ बच्चन. कई दशकों से बॉलीवुड में सक्रिय रहे महानायक ने साल 1984 में कांग्रेस नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को समर्थन देने के लिए चुनाव लड़ा था. चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा को दो लाख वोटों से हराने के बावजूद भी अमिताभ बच्चन का राजनितिक करियर लम्बा नहीं चल सका. जुलाई 1987 में बोफोर्स स्कैंडल में नाम आने के बाद बिग बी ने राजनीति को अलविदा कह दिया था. हालांकि अमिताभ बच्चन की पत्नी और बॉलीवुड एक्ट्रेस जया बच्चन लम्बे समय से राजनीति में हैं, वह वर्तमान में 2004 से चार कार्यकालों से समाजवादी पार्टी से राज्यसभा में संसद सदस्य है.
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जिस स्कूल में पढ़ती है ऐश्वर्या राय बच्चन की बेटी, जानिए कितनी है उसकी फीस
नई दिल्ली: भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी का बुधवार यानी एक नवंबर को जन्मदिन था। नीता अंबानी रिलायंस फाउंडेशन की फाउंडर और चेयरपर्सन भी हैं। इस मौके पर मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के नाम पर मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में नीता मुकेश अंबानी जूनियर स्कूल (NMAJS) की विधिवत शुरूआत हुई। यह जूनियर स्कूल, धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल (DAIS) परिसर के पास स्थित है। नीता अंबानी के नेतृत्व में ही साल 2003 में धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल (DAIS) की स्थापना की गई थी। इस स्कूल में अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या बच्चन समेत कई जानी मानी हस्तियों के बच्चे पढ़ते हैं।मुकेश अंबानी के पुत्र और रिलायंस जियो के चेयरमैन आकाश अंबानी ने भी साल 2009 में धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल से आईबी डिप्लोमा प्रोग्राम पूरा किया था। यह स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए मानक स्थापित कर रहा है और केवल 20 वर्षों में दुनिया के बेस्ट स्कूलों की लीग में पहुंच गया है। ईशा अंबानी का कहना है कि उनकी मां ने DAIS की कल्पना एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्कूल के रूप में की थी, जिसका दिल, दिमाग और आत्मा भारतीय हो। इस स्कूल ने भारत में शिक्षा का चेहरा पूरी तरह से बदल दिया है। कितनी है फीस मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल में LKG से लेकर 7वीं क्लास तक की सालाना फीस एक लाख 70 हजार रुपये है। महीने के हिसाब से देखा जाए तो यह 14,000 रुपये बैठती है। आठवीं से 10वीं क्लास की आईसीएसई की एनुअल फीस 1,85,000 रुपये है। इसी तरह क्लास 8 से 10 की आईजीसीएसई की एनुअल फीस 5.9 लाख रुपये है। क्लास 11 और 12 की आईबीडीपी बोर्ड की एनुअल फीस 9.65 लाख रुपये है।इस स्कूल में 60 क्लासरूम हैं। हर क्लास रूम में पब्लिक एड्रेस सिस्टम, डिजिटल क्लॉक्स, डिस्प्ले एंड राइटिंग बोर्ड्स, लॉकर्स, कस्टम मेड फर्निचर के साथ ही ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन, मल्टीमीडिया सपोर्ट और एसी है। यहां स्पोर्ट्स पर भी खास ध्यान दिया जाता है। स्कूल में टेनिस, बास्केबॉल कोर्ट के साथ ही आउटडोर स्पोर्टस के लिए भी अनेकों विकल्प हैं। इसका प्ले ग्राउंड 2.3 एकड़ में फैला है। इसके अलावा स्कूल में आर्ट रूम, लर्निंग सेंटर, योगा रूम, सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, मल्टीमीडिया ऑडिटोरियम भी है। स्कूल का मेडिकल सेंटर ऑल टाइम सर्विस देता है। http://dlvr.it/SyGbhJ
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अमिताभ बच्चन की शानदार दिखने वाली परवीन बाबी? इस अभिनेता से अभिनेता राखी की होने वाली होने वाली थी
अमिताभ बच्चन की शानदार दिखने वाली परवीन बाबी? इस अभिनेता से अभिनेता राखी की होने वाली होने वाली थी
बैटरी में (अमिताभ बच्चन) की लावा वसीयत में खेल खेलने वालों में से कोई भी व्यक्ति निश्चित रूप से ऐसा होता है। इस फिल्म की कहानी तो लोगों को अच्छी लगी थी, साथ ही इसके गाने भी जबरदस्त हिट हुए थे। ये कपड़े पहनने की मशीन बनने वाली फिल्म थी। हालांकि पहली बार परवीन बाबी को कहा गया था। परवीन बाबी की जानकारी के साथ. कहा जाता है कि यह उस परवीन की तरह भी था। फोन की रिपोर्ट आने पर भी रिपोर्ट की गई थी। यह…
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जूनियर एनटीआर ने अमिताभ बच्चन की जमकर तारीफ की, कहा 'उनकी तीव्रता का बड़ा प्रशंसक'
जूनियर एनटीआर ने अमिताभ बच्चन की जमकर तारीफ की, कहा ‘उनकी तीव्रता का बड़ा प्रशंसक’
छवि स्रोत: TWITTER/NTRFANS/फ़ाइल छवि जूनियर एनटीआर और अमिताभ बच्चन RRR अभिनेता जूनियर एनटीआर हैदराबाद में एक कार्यक्रम में विशेष अतिथि थे। कार्यक्रम में बोलते हुए अभिनेता ने प्रशंसा की अमिताभ बच्चन, जिन्हें भारत और विदेशों में लाखों प्रशंसकों द्वारा पसंद किया गया था। और कई लोगों की तरह, तेलुगु स्टार ने दिग्गज अभिनेता के लिए अपने प्यार का इजहार कर��े में कोई कसर नहीं छोड़ी। एनटीआर ने खोला कि वह…
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जेव्हा रेखाने जया बच्चन यांना अमिताभ बच्चन यांना भेटण्यासाठी फसवले
जेव्हा रेखाने जया बच्चन यांना अमिताभ बच्चन यांना भेटण्यासाठी फसवले
जेव्हा रेखाने जया बच्चन यांना अमिताभ बच्चन यांना भेटण्यासाठी फसवलेहिंदी चित्रपटसृष्टीत अनेक प्रसिद्ध जोडपी झाली आहेत, त्यापैकी एक म्हणजे अमिताभ बच्चन आणि रेखा यांची जोडी. या जोडीने केवळ रुपेरी पडद्यावरच नव्हे तर खऱ्या आयुष्यातही धुमाकूळ घातला. मीडिया रिपोर्ट्सनुसार, रेखा आणि अमिताभ बच्चन यांचे एकमेकांवर खूप प्रेम होते. अमिताभ बच्चन यांनी रेखासोबतच्या नात्याबद्दल कधीच मीडियासमोर बोलले नसले तरी…
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बेटे बाबिल ने पिता Irrfan Khan की Amitabh Bachchan के साथ शेयर की फोटो, लिखा इमोशनल नोट
बेटे बाबिल ने पिता Irrfan Khan की Amitabh Bachchan के साथ शेयर की फोटो, लिखा इमोशनल नोट
बॉलीवुड एक्टर इरफान खान (इरफान खान) के बेटे बाबिल खान (बाबील खान) ने हाल ही में दिव्यांग पिता इरफान खान की सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (अमिताभ बच्चन) के साथ अपने उभरते हुए फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की है। आपको बता दें कि हाल ही में अमिताभ बच्चन ने बाबेल के पहले प्रोजेक्ट, ‘काला’ के टीजर की जमकर तारीफ की है। इतना ही नहीं बाबिल ने भी अमिताभ बच्चन के साथ काम करने की ख्वाहिश जाहिर की है। वहीं बात…
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ऋषि कपूर डेथ डीवी के बाद करीना कपूर और सैफ अली खान अस्पताल पहुंचे चाचा ऋषि कपूर के निधन की खबर सुनते ही पति सैफ के साथ अस्प्रताल पहुंची करीना कपूर, देखें तस्वीरें | बॉलीवुड - समाचार हिंदी में
ऋषि कपूर डेथ डीवी के बाद करीना कपूर और सैफ अली खान अस्पताल पहुंचे चाचा ऋषि कपूर के निधन की खबर सुनते ही पति सैफ के साथ अस्प्रताल पहुंची करीना कपूर, देखें तस्वीरें | ���ॉलीवुड – समाचार हिंदी में
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करीना, ऋषि कपूर के भाई रणधीर कपूर की बेटी हैं। ऋषि कपूर (ऋषि कपूर) के निधन की खबर सुनते ही उनकी भतीजी करीना कपूर (करीना कपूर) और उनके पति सैफ अली खान (सैफ अली खान) अस्सपताल पहुंच गए।
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#अभिनेता ऋषि कपूर#अमिताभ बच्चन#अस्पताल में ऋषि कपूर#इमरान खान#इरफान खान#इरफान खान की मौत#इरफान खान की मौत ऋषि कपूर#इरफान खान पत्नी#इरफान खान परिवार#इरफान खान फिल्में#ऋषि कपूर#ऋषि कपूर अस्पताल#ऋषि कपूर उम्र#ऋषि कपूर और इरफान खान#ऋषि कपूर का निधन#ऋषि कपूर की उम्र#ऋषि कपूर की मृत्यु#ऋषि कपूर की मौत#ऋषि कपूर कैंसर#ऋषि कपूर ट्विटर#ऋषि कपूर ताजा खबर#ऋषि कपूर ने अस्पताल में भर्ती कराया#ऋषि कपूर न्यूज़#ऋषि कपूर पत्नी#ऋषि कपूर परिवार#ऋषि कपूर पुत्र#ऋषि कपूर स्वास्थ्य#ऋषि कपूर स्वास्थ्य समाचार मुंबई#करीना कपूर#ताज़ा खबर
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DAY 4330(i)
loes11nd Jan 14, 2020 Tue 11:35 PM
.. that silent knock at the work place .. the hurried expression of worried concern .. the hours that sleep in most parts of the World that seek the midnight .. shuffled steps , soft anxious and disturbed conversations .. and then within a blink .. the lights go out ..
.. she has gone ..
.. distance and absence accentuates the grief .. feel of loss, concern for those by the side, and the need to be in the embrace of them that see and suffer in the exact .. such are the incomprehensible moments that the day in the day of lives throws at us ..
.. faces bear gloom .. uncertainties of being there .. rushed compilation of travel and grief in a relentless combination .. an entire night of possibilities and non possibilities .. and eventually the departure of some .. of the other later ..
.. that silence of the clothing depicting the mourning hour .. they convey in our culture that all is not well, or that it be known and the silent passings be in respect of the moment ..
.. the rites are over .. to ashes they have been reduced .. a crowded hall in the home filled with the close knitted relatives and dear friends, embrace break down hold hands, hold ..
.. and the silence of condolence gradually creeps in ..
.. polite conversation , of reminisce , of association , of happy times spent together , of the fight and struggle for the ailment for years .. and most of all the loneliness of them that are left behind .. the vacuum .. the emptiness .. the presence that filled up the entire home .. lost and gone ..
.. that empty favourite chair .. that corner of preference .. the unstinted care and concern for all when present , now suddenly not in existence ..
.. the voice of the bird that built her little nest, heard no more .. the delicate nest shedding its strains of the making .. the command the control the authority , suddenly absent ..
.. attempts by several for pleasant conversation that depict the times spent with her .. expressions and attitudes just before she breathed her last .. indications that it was known to her .. words spoken never heard before ..
.. is it at times, the knowledge of an end in its proximity ..
.. only they would know .. and only they would never be able to share !
.. the unknown unseen curse of life , known it shall happen, yet the expectation of belief, that it shall never happen to us ...
.. some moments deserve the silence of condolence .. for them that have been lost to us ..prayers 🙏
एक आदर्श बेटी , एक आदर्श बहन , एक आदर्श पत्नी , एक आदर्श माँ , एक आदर्श समधी , एक आदर्श सास , और एक आदर्श मित्र , हमसे आज सदा के लिए दूर चली गयीं । जीवन में कुछ क्षण ऐसे होते हैं , जिन्हें शोक की शांति का आदर मिलना चाहिए !🙏
.. an ideal daughter , an ideal sister , an ideal wife , an ideal Mother , an ideal in-law , an ideal Mother-in-Law , and an ideal friend .. has left us for good in a distance we cannot cover .. for now .. !!
अमिताभ बच्चन
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अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे
अगर हमने तय किया होता कि हम वापस नहीं जाएँगे
तो हम पूछते कि देश के विभाजन के समय जैसे इस पलायन में
कौन किस देश से निकल रहा था और किस देश की तरफ़ जा रहा था
हैव और हैवनॉट्स के हैबतनाक मंज़र में।
तब हम पूछते कि हम युद्ध के हताहत शरणार्थी थे
या स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का वादा करने वाली
संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिकता।
तब हम पूछते कि सौ करोड़ और पाँच सौ करोड़ के
प्रतिष्ठान और स्थापत्य की रक्षा के लिए हमें
गार्ड और गेटकीपर के तौर पर एक दिन के लिए
दो और तीन सौ रुपए क्यों दिए जाते थे।
अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे तो हम बताते
कि मेज़ पर किताब रखकर पढ़ने से कम बड़ा काम नहीं है मेज़ बनाना।
तब हम पूछते कि सिर पर ईंट ढोना
एक अच्छे घर में रहने की हक़दारी और दावेदारी
को किस तरह कम कर देता है।
तब हम बताते कि शहर की रौशनी को ठीक करने के बाद
अपने घर के अँधेरे में लौटते हुए
हमारा दिल कितना फटता था
और यही लगता था कि सारे शहर की बत्ती की सप्लाई प्लास से काट दें।
तब हम बताते कि घर लौटकर टी.वी. पर हम
अंगिया चोली वाला भोजपुरी गाना या सपना चौधरी की कमर नहीं देखना चाहते थे
हम भोजपुरी और हरियाणवी में देखना चाहते थे सलीम लंगड़े पे मत रो
तब हम बताते कि चैनलों और अख़बारों में प्रियंका-जोनास, शिल्पा शेट्टी-राज कुंद्रा, सोनम कपूर-आनंद आहूजा की निस्सार पेड इंस्टाग्राम प्रेम-कथाओं और तैमूर, रूही और यश की आभिजात्य मासूमियत से हम ऊबे हुए हैं। और क्यों लापता हैं नीम के नीचे खलिहान में किए गए हमारे प्रेम के वृत्तांत और काजल लगे धूल में सने हमारे बच्चों की दरिद्र अबोधताओं के काले-साँवले विवरण, घेरती जाती इस चमकीली गिरावट में।
हम अपने चीथड़ों से चमकते परिधानों को लज्जित कर देते।
हम सरकार को अनफ़्रेंड कर देते।
हम अमिताभ बच्चन से कहते
कि सत्ता की थाली मत बजाओ
बाजा मत बनो, अकबर बनो, कैंड़ेदार इलाहाबादी बनो
इलाहाबादी असहमति की अकड़, मनहूसियत और मातम।
तब हम नितिन गडकरी से कहते कि चचा,
यह सावरकर मार्ग हमें हमारे विनाश की तरफ़ ले जाता है
हम नहीं जाने वाले इस हेडगेवार पथ पर।
अगर हमने तय किया होता कि हम गाँव नहीं जाएँगे तो हम बताते कि हमारे बच्चे स्कूल जा सकते हैं, हमारी पत्नी कहानी पढ़ सकती है, हम छुट्टी ले सकते हैं और हम यमुना के तट पर पिकनिक के लिए जा सकते हैं; अगर उसके काले जल से शाखाई हिंदुत्व के घोटाले की बू न आ रही हो तो।
अगर हमने तय किया होता कि नहीं जाएँगे हम तब हम यह गाना गाते :
भूख ज़्यादा है
मगर पैसे नहीं हैं
सभ्यता हमने बनाई
खिड़कियाँ की साफ़ हमने
की तुम्हारी बदतमीज़ी माफ़ हमने
जान लो ऐसे नहीं वैसे नहीं हैं
भूख ज़्यादा है मगर पैसे नहीं हैं
डस्टबिन हमने हटाए
वह वजह क्या जो हमें कमतर दिखाए
क्यों लगे बे, आदमी जैसे नहीं हैं
भूख ज़्यादा है मगर पैसे नहीं हैं
अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे तो हम पूछते कि क्यों
अख़बार बाँटने वाले के घर का चूल्हा जल जाए तो ग़नीमत
जबकि ख़बर का धंधा करने वाला अरबों के धंधे में लिथड़ा होता है
और रोज़ थोड़ा-थोड़ा धीमा-धीमा देश जलाने का काम करता रहता है।
अगर हमने तय किया होता कि हम नहीं जाएँगे तो हम नोबेल पाने वाले अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्��ी से पूछते कि सारे मामले को जो है सो है और थोड़ा-बहुत रद्दोबदल वाले अंदाज़ में ही क्यों देखते हो; क्यों सही बात नहीं कहते कि यह ढाँचा खो चुका है अपनी वैधता।
~ देवी प्रसाद मिश्र
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अमिताभ बच्चन के 26 स्टाफ सदस्य कोरोना नेगेटिव
हाईलाइट
अमिताभ बच्चन के 26 स्टाफ सदस्य कोरोना नेगेटिव
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके 26 स्टाफ सदस्यों की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिनेता अभिषेक बच्चन को शनिवार रात कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद नानावटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, वहीं अभिषेक की पत्नी अभिनेत्री ऐश्वर्य राय बच्चन और उनकी बेटी आराध्या रविवार को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद होम क्वारंटीन में हैं, जबकि अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन का टेस्ट नेगेटिव आया है।
#Bollywood Actor Amitabh Bachchan#amitabh bachchan#Amitabh Bachchan Corona Positive#Amitabh Bachchan Staff Corona Test#Bollywood News#Bhaskar Hindi#Hindi News#BhaskarHindiNews
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KIFF 2022: दिसंबर में आयोजित होगा कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, अमिताभ बच्चन संग जया बच्चन आएंगी नजर
KIFF 2022: दिसंबर में आयोजित होगा कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, अमिताभ बच्चन संग जया बच्चन आएंगी नजर
KIFF 2022 KIFF 2022: 28वां कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (केआइएफएफ) आगामी 15 दिसंबर से शुरू होगा और 22 दिसंबर तक चलेगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को विधानसभा में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में केआइएफएफ का उद्घाटन समारोह आयोजित होगा। इसमें बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) उनकी पत्नी जया बच्चन (Jaya Bachchan) व सुपरस्टार…
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अमिताभ बच्चन ने अपनी पत्नी जया से शादी करने की वजह का खुलासा किया और यह बहुत प्यारा है! | हिंदी फिल्म समाचार
अमिताभ बच्चन ने अपनी पत्नी जया से शादी करने की वजह का खुलासा किया और यह बहुत प्यारा है! | हिंदी फिल्म समाचार
अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की शादी बॉलीवुड की सबसे मजबूत शादियों में से एक रही है। 1973 में एक-दूसरे से शादी करने वाले दोनों अगले साल अपने मिलन की स्वर्ण जयंती मनाएंगे। जहां जया ने अपने दो बच्चों श्वेता और अभिषेक को पालने के लिए फिल्मों से एक लंबा ब्रेक लिया, वहीं बिग बी ने स्क्रीन पर कुछ शानदार प्रदर्शनों के साथ हमारे दिलों पर राज करना जारी रखा है। इतना ही नहीं, अमिताभ बच्चन को एक शानदार होस्ट के…
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