#ऋषि कपूर
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moviespopcorn · 2 months ago
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मेरे हस्बैंड की बीवी फिल्म रिव्यू 2025: पुरानी बोतल में नई शराब का मज़ा, कॉमेडी के तड़के के साथ
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मेरे हस्बैंड की बीवी फिल्म में अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर और रकुल प्रीत सिंह (क्रेडिट:पोस्टर/पूजा एंटरटेनमेंट)
परिचय
21 फरवरी को रिलीज हुई मेरे हस्बैंड की बीवी 2025 रोमांटिक कॉमेडी पर बनाई गई है जिसका निर्देशन मुदस्सर अजीज ने किया है इस फिल्म का टोन रोमांटिक कॉमेडी और थीम लव और रिलेशनशिप है फिल्म को बनाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन करना है फिल्म के ट्रेलर में जितना मनोरंजन दिखाई देता है मेरे हस्बैंड की बीवी फिल्म पर्दे पर वैसे दिखाई नहीं देती| फिल्म में मनोरंजन के साथ-साथ कॉमिक मोमेंट्स की भी झलक मिलती है जो दर्शकों को बांधे रखती है फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर और रकुल प्रीत सिंह है| मेरे हस्बैंड की बीवी ट्रेलर/ऑफिशियल ट्रेलर आप फिल्म के ट्रेलर को यूट्यूब पर देख सकते है| मेरे हस्बैंड की बीवी रिव्यू इन हिंदी गूगल पर फिल्म के हिंदी में रिव्यू पढ़ सकते है| मेरे हस्बैंड की बीवी शोटाइम्स बुक माय शो वेबसाइट पर जा कर आप फिल्म के शोटाइम्स चेक कर सकते है| मेरे हस्बैंड की फिल्म रिलीज़ डेट 21 फरवरी, 2025 कलेक्शन ऑफ़ मेरे हस्बैंड की बीवी 1.75 करोड़ मेरे हस्बैंड की बीवी डे 1 1.75 करोड़
प्लॉट
मेरे हस्बैंड की बीवी फिल्म एक ऐसे शादीशुदा जोड़े की कहानी पर आधारित है जो शादी तो कर लेते हैं पर शादी के बाद जो उनकी जिंदगी में घटनाएं होती है उसे वह बर्दाश्त नहीं कर पाते| क्या उनका तलाक हो जाता है? क्या उन दोनों की जिंदगी में कोई तीसरा आ गया है? क्या वे दोनों सेपरेट हो जाएंगे? यह जानने के लिए फिल्म देखें|
एक्टिंग एंड कैरक्टर्स
मेरे हस्बैंड की बीवी मूवी में अंकुर चड्ढा की भूमिका में अर्जुन कपूर का अभिनय अच्छा कहा जा सकता है उनके अभिनय में वह सब कुछ नजर आया जो इस भूमिका को निभाने के लिए चाहिए था कुछ दृश्य में उनका अभिनय कमाल का नजर आया लेकिन भूमिका में कुछ नयापन नहीं था इस तरह की भूमिकाओं को हम पर्दे पर पहले काफी बार देख चुके हैं| भूमि पेडनेकर ने प्रभलीन की भूमिका में औसत अभिनय किया, जिसमें कुछ भी नया नहीं था और रि��ीटेशन देखकर ऐसा लगता था कि वह पहले  भी ऐसे ही अभिनय कर चुकी है।अंतरा खन्ना की भूमिका में रकुल प्रीत सिंह का अभिनय अच्छा कहा जा सकता है उनके कुछ दृश्य भूमि पेडनेकर के साथ अच्छे बन पड़े हैं जिनमें उनकी अभिनय क्षमता को देखा जा सकता है वह कहीं से भी भूमि पेडनेकर से कमतर नजर नहीं आई| रेहान कुरैशी की भूमिका में हर्ष गुजराल की यह पहली फिल्म है और पहले ही फिल्म में उनको काफी लंबी भूमिका मिल गई और उनका अभिनय भी अच्छा है अगर उनको अच्छी भूमिकाएं मिले तो वह कमाल कर सकते हैं सहायक भूमिकाओं में डिनो मोरिया, आदित्य सील, अनीता राज, शक्ति कपूर, कमलजीत सिंह, टीकू तलसानिया और मुकेश ऋषि का अभिनय भी ठीक-ठाक रहा|
रिटेन एंड डायरेक्शन
मेरे हस्बैंड की बीवी का निर्देशन मुदस्सर अजीज ने किया है इससे पहले वह दुल्हा मिल गया (2010), हैप्पी भाग जाएगी (2016), हैप्पी फिर भाग जाएगी (2018), पति-पत्नी और वो (2019) और खेल खेल में (2024) को निर्देशित कर चुके हैं इनमें कुछ फिल्में सफल रही तो कुछ असफल| इन्होंने इस फिल्म की कहानी पटकथा और डायलॉग भी लिखे हैं कहानी में कोई खास दम नहीं है और ऐसा लगता है कि कहानी घिसी पीटी है पटकथा भी ठीक-ठाक है लेकिन कुछ नयापन नहीं है| हां, डायलॉग फिल्म की जान कहे जा सकते हैं बहुत ही मजेदार और हास्य वाले हैं फिल्म की थीम और टोन के मुताबिक लिखे गए हैं निर्देशन कमजोर हैं सेकंड हाफ में फिल्म ऐसे लगता है कि खींची जा रही है फिल्म का अंत भी कुछ खास नहीं बन पाया ऐसे लगता है कि बेसिर-पैर की फिल्म देख रहे हो| उनके निर्देशन में भी कुछ नयापन नहीं है कमजोर कहानी-पटकथा पर फिल्म कुछ खास नहीं बन पाई|
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मेरे हस्बैंड की बीवी फिल्म में अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर, रकुल प्रीत सिंह और हर्ष गुजराल (क्रेडिट:स्क्र��नशॉट पूजा एंटरटेनमेंट)
सिनेमैटोग्राफी
मनोज कुमार खटोई की सिनेमेटोग्राफी अच्छी कहीं जा सकती है कुछ दृश्यों को अच्छे से फिल्माया गया है स्कॉटलैंड की कुछ लोकेशंस को अच्छे से दिखाया गया है|
एडिटिंग
निनाद खनोलकर की एडिटिंग और गति ठीक-ठाक है फिल्म कहीं से भी बोर नहीं करती और एक ही गति से फिल्म आगे बढ़ती है|
संगीत
विशाल मिश्रा, तनिष्क बागची, बादशाह, सोहेल सेन, आईपी सिंह का संगीत कुछ खास नहीं है फिल्म में सभी गीत बैकग्राउंड में इस्तेमाल किए गए हैं इक वारी गीत ही फिल्म में फिल्माया गया है गोरी है कलाइयां गीत जो 1990 में रिलीज हुई फिल्म आज का अर्जुन में से लिया गया है इतना बढ़िया गीत जिसको लता मंगेशकर ने अपनी आवाज में गाया था| इसी का रिक्रेटिंग गीत जो बहुत ही घटिया बना दिया गया है जिसको फिल्म के एंडिंग पार्ट में दिखाया गया है
लिरिक्स
फिल्म के सभी गीतों को मुदस्सर अजीज ने लिखा है सभी गीतों में पंजाबी भाषा का अच्छे से इस्तेमाल किया गया है
एक्शन
एक्शन का फिल्म में कुछ खास स्कोप नहीं था|
प्रोडक्शन डिजाइन
रुपिन सूचक का प्रोडक्शन डिजाइन भी ठीक-ठाक है|
साउंड डिजाइन
अरुण नांबियर का साउंड डिज़ाइन बहुत बढ़िया है
कोरियोग्राफी
बॉस्को मार्टिस, विजय गांगुली की दो गीतों की कोरियोग्राफी अच्छी है इक वारी और गोरी है कलाइयां
क्लाइमेक्स
क्लाइमेक्स कुछ खास नहीं बना है पुरानी फिल्मों की तरह ही घिसा पिटा है|
रेटिंग
5/10
ओपिनियन
हल्की-फुल्की कॉमेडी और मजेदार डायलॉग के लिए देख सकते है|
फैक्ट
मेरे हसबैंड की बीवी का निर्माण जैकी भगनानी ने किया है, जो फिल्म की अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह से विवाहित हैं। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म 21 फरवरी को रिलीज हो रही है, जो उनकी पहली शादी की सालगिरह भी है।
Flaws
फिल्म के कुछ दृश्य तो बनावटी जैसे लगते हैं अभिनेता आदित्य सील को waste किया गया है उनके रोल की कोई जरूरत नहीं है स्कॉटलैंड लोकेशंस पर जाने की क्या जरूरत है इंडिया में ही शूटिंग की जा सकती है कुछ एक्टर्स/एक्ट्रेस की भूमिकाओं की फिल्म में कोई जरूरत नहीं है जो जबरदस्ती फिल्म में बनाई गई|
CBFC
मेरे हस्बैंड की बीवी में ''मोदी जी'' की जगह ''सरकार'' शब्द रखा गया और ''महिला की कामुक आवाज'' को पचास प्रतिशत कम किया गया गया| CBFC ने एक दृश्य और तीन संवाद संबंधी चार सं��ोधनों की मांग की| ''महिला के हाथ के हाव-भाव" के दृश्यों को बदलने का आदेश दिया गया था| 'एक गैंग' शब्द को हरियाणवी शब्द से बदल दिया उस दृश्य, जो ट्रेलर में भी दिखाया गया है, जिसमें रकुल प्रीत सिंह का किरदार जोर से कराहता है और अर्जुन कपूर का किरदार भूमि पेडनेकर की गर्दन को चूमता है, संभवत: इसका उद्देश्य था, सूत्रों ने बताया फिल्म कास्ट: अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर, रकुल प्रीत सिंह, डीनो मोरिया, हर्ष गुजराल, शक्ति कपूर, अनीता राज, कंवलजीत सिंह, टीकू तलसानिया और मुकेश ऋषि प्रोडूसर: वासु भगनानी, जैकी भगनानी, दीपशिखा देशमुख, डायरेक्टर: मुदस्सर अजीज, साउंड डिज़ाइन: अरुण नांबियर , म्यूजिक: विशाल मिश्रा, तनिष्क बागची, बादशाह, सोहेल सेन, आईपी सिंह, लिरिक्स: मुदस्सर अजीज, आईपी सिंह, बैकग्राउंड स्कोर: जॉन स्टीवर्ट एडुरी, प्रोडक्शन डिज़ाइन: रुपिन सूचक, एडिटर: निनाद खनोलकर, सिनेमेटोग्राफी: मनोज कुमार खटोई, कोरियोग्राफी: बॉस्को मार्टिस, विजय गांगुली, स्टोरी-स्क्रीनप्ले-डायलॉग्स: मुदस्सर अजीज Read the full article
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livetimesnewschannel · 4 months ago
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Raj Kapoor@100: Showman Wanted To Shout Action-Action Even After Death
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Introduction
13 December, 2024
Raj Kapoor@100: हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक राज कपूर ने अपनी पूरी जिंदगी ही सिनेमा को समर्पित कर दी थी. वो पहले ऐसे भारतीय एक्टर थे जिनकी विदेश में भी उतनी ही फैन फॉलोइंग थी जितनी देश में. राज कपूर की बेटी ने अपनी किताब में लिखा है कि वो कहते थे जब मैं मर जाऊं, तब मेरे शव को स्टूडियो ले आना. शायद मैं रोशनी के बीच जागूं और एक्शन…एक्शन चिल्लाऊं. उनके ये शब्द मानो एक फ्रेम में कैद हो गए. ये शब्द ऐसे फिल्म मेकर के जुनून की गवाही दे रहे हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी. ऐसे में आज हिंदी सिनेमा के शोमैन यानी राज कपूर के बारे में जानते हैं कुछ दिलचस्प बातें.
Table of Content
राज कपूर के 100 साल
पर्दे पर राज करने वाले शोमैन
एक्टर के रूप में चमके
जब टूट गए थे राज कपूर
आज भी हिट हैं राज कपूर के गाने
पिता की शर्त
जब बने इंडियन चार्ली चैपलिन
आवारा ने क्यों मचाई सनसनी
हिंदी सिनेमा का शोमैन
राज कपूर की पहली बड़ी फिल्म
राज कपूर के 100 साल
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पर्दे पर राज करने वाले शोमैन
राज कपूर ने देव आनंद और दिलीप कुमार जैसे दो दिग्गज कलाकारों के साथ बड़े परदे पर सालों तक राज किया. राज कपूर की फिल्मों का संगीत कई दशकों बाद भी लोगों के दिलों को छूता है. उन्होंने अपने करियर में सिर्फ 10 फिल्में ही डायरेक्ट कीं. इनमें कुछ का नाम हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्मों की लिस्ट में शामिल है. राज कपूर की ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ इसी लिस्ट का हिस्सा हैं. बाकी ‘बॉबी’ और ‘संगम’ ब्लॉकबस्टर फिल्में रहीं. राज कपूर की फिल्में वक्त से आगे की हुआ करती थीं. यही वजह है कि उन्हें लेकर अक्सर विवाद भी हो जाया करता था.
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राज कपूर के डायरेक्शन में बनी ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘प्रेम रोग’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ ऐसी ही कुछ फिल्में थीं. जब ये फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज हुईं तब काफी विवाद भी हुआ. बहुत से लोग राज कपूर की दूरदर्शिता को पचा नहीं पाए. हालांकि, आज इन्हीं फिल्मों को हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में शामिल किया जाता है.
एक्टर के रूप में चमके
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जब टूट गए थे राज कपूर
राज कपूर के करियर की सबसे बड़ी फिल्मों में नाम आता है ‘मेरा नाम जोकर’ का, जिसे बनाने में राज कपूर ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. आज भले ही ये हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फिल्मों में शुमार है लेकिन साल 1970 में जब ‘मेरा नाम जोकर’ रिलीज हुई तब बॉक्स ऑफिस पर बड़ी फ्लॉप निकली और राज कपूर कर्ज में डूब गए. इस फिल्म की असफलता ने राज कपूर को पूरी तरह से तोड़ दिया था. हालांकि,
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इसके बावजूद भी ‘शोमैन’ ने हार नहीं मानी और एक खूबसूरत रोमांटिक फिल्म बनाई जिसका नाम था ‘बॉबी’. इस फिल्म से राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर को बॉलीवुड में बतौर हीरो लॉन्च किया. उनके साथ 16 साल की डिंपल कपाड़िया की जोड़ी को लोगों ने इतना पसंद किया कि बॉबी ने बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात कर दी. फिल्म ‘बॉबी’ से इतनी कमाई हुई कि राज कपूर का सारा कर्जा उतर गया और बॉलीवुड को ऋषि कपूर के रूप में अपना नया चॉकलेट बॉय मिल गया था.
आज भी हिट हैं राज कपूर के गाने
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पिता की शर्त
पृथ्वीराज कपूर इस शर्त पर राजी हुए कि राज कपूर 10 रुपये सैलरी पर उनके असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू करेंगे. राज कपूर ने बिना देर लगाए शर्त मानी और सेट पर बाकी सब लोगों की तरह काम करना शुरू कर दिया. साल 1947 में मधुबाला के साथ बनी ‘नील कमल’ समेत राज कपूर ने कुछ फिल्मों में काम किया. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘आग’ के साथ निर्देशक और निर्माता के रूप में बॉलीवुड में कदम रखने का फैसला किया. उस वक्त राज कपूर की उम्र 24 साल थी. वो उस समय दुनिया के सबसे यंग फिल्म मेकर्स में एक थे. डायरेक्शन में राज कपूर का मन ऐसा रमा कि उन्होंने ‘आग’ के बाद ‘बरसात’ (1949) और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ (1978) जैसी खूबसूरत फिल्में भी बनाईं.
जब बने इंडियन चार्ली चैपलिन
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आवारा ने क्यों मचाई सनसनी
राज कपूर ने एक बार बताया था कि उनकी फिल्मों ने फिल्म जगत में इतनी सनसनी क्यों मचाई थी? दरअसल, राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में उनके साथ काम करने वालीं एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल के एक न्यूड सीन शूट किया था. इसके बाद हर तरफ हंगामा मच गया था. इसे लेकर राज कपूर ने कहा था- ‘ये कहानी मेरे दिमाग में ठीक उस समय आई जब भारत एक नयी सामाजिक अवधारणा विकसित कर रहा था’. हिंदी सिनेमा में जब हीरोइन एक दो गानों में ही नजर आती थी तब राज कपूर की फिल्मों की एक्ट्रेसेस उनकी फिल्मों में लीड रोल निभाती थीं. राज कपूर की ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘अंदाज’ और ‘चोरी चोरी’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में एक्ट्रेसेस ने बड़ी भूमिकाएं निभाईं.
हिंदी सिनेमा का शोमैन
राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर, 1924 को पेशावर में रणबीर राज कपूर के रूप में हुआ था. इसके बाद में उन्होंने चेंबूर में जमीन खरीदी ��र मुंबई में अपनी जड़ें जमा लीं. यहीं पर उन्होंने RK स्टूडियो की स्थापना की. राज कपूर एख ऐसे फिल्म मेकर थे जो हर तरह के बंधन से मुक्त थे, उनका यही आजाद व्यक्तित्व राज कपूर की फिल्मों में भी झलकता है. फिर चाहे अपनी फिल्म आवारा के सपने वाले सीन को फिल्माने के लिए एक विशाल सेट डिजाइन करना हो या ‘बॉबी’ में महंगी शैंपेन लाना हो या फिर ‘मेरा नाम जोकर’ का सर्कस रिंग.
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राज कपूर की पहली बड़ी फिल्म
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Conclusion
2 मई, 1988 को राज कपूर दादा साहब फाल्के पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली आए. उस दौरान उन्हें अस्थमा का गंभीर दौरा पड़ा और वो सभागार में ही बेहोश हो गए. इसके बाद राज कपूर को अस्पताल ले जाया गया. इसके एक ��हीने बाद ही 63 साल की उम्र में राज कपूर का निधन हो गया. आज भले ही राज कपूर हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी बेहतरीन फिल्मों के जरिए वो सदियों तक लोगों के दिलों और जेहन में जिंदा रहेंगे.
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rwjeshcafe · 5 months ago
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#GodKabir_In_Treta_DwaparYug
#True Knowledge By Sant Rampal जी
त्रेता युग में कबीर साहिब मनिंदर ऋषि के रूप में आए थे तब दशरथ पुत्र राम की लंका फतह करने में समुद्र बाधा बन रहा था कपूर परमात्मा कबीर साहिब की कृपा से ही पत्थर समुद्र में तैर पाए थे और जानने के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा
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speakjeenews · 8 months ago
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ऋषि कपूर की अंगूठी को राजेश खन्ना ने क्यों फ़ेंक दी | Bollywood Special
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pradip-madgaonkar · 8 months ago
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Rishi Kapoor Birth Anniversary: Wishes from Pradip Madgaonkar
इस एक्टर के लिए ���षि कपूर ने बदल ली थी अपनी जन्म तारीख, साथ में बर्थडे मनाते थे दोनों.
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bandya-mama · 8 months ago
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Rishi Kapoor Birth Anniversary: Wishes from Bandya Mama
इस एक्टर के लिए ऋषि कपूर ने बदल ली थी अपनी जन्म तारीख, साथ में बर्थडे मनाते थे दोनों.
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movienurture · 8 months ago
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🎬 ऋषि कपूर 🎬
बॉलीवुड के चॉकलेट बॉय ऋषि कपूर के बारे में कुछ अनसुने तथ्य जानिए! 🌟
ऋषि कपूर की पहली फिल्मी झलक 1955 की फिल्म ‘श्री 420’ के गाने ‘प्यार हु���, इकरार हुआ’ में थी, जब वे सिर्फ तीन साल के थे। उन्होंने ‘मेरा नाम जोकर’ में युवा राज कपूर का किरदार निभाया और इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। 1973 में ‘बॉबी’ फिल्म से उन्होंने बतौर हीरो डेब्यू किया और रातों-रात स्टार बन गए। ऋषि कपूर ने 1999 में ‘आ अब लौट चलें’ फिल्म से निर्देशन में भी हाथ आजमाया1. वे नाइजीरिया में ‘मेस’ नाम से मशहूर थे, जिसका मतलब है 'महिला’ ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा में खुलासा किया कि उन्होंने एक बार ‘बॉबी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार खरीदा था। 📅 ऋषि कपूर की अद्भुत यात्रा को याद करें और उनके अनमोल योगदान को सलाम करें! 🌟
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icnnetwork · 1 year ago
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#FilmfareAwards2024 फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिलते ही रणबीर कपूर स्टेज पर हुए भावुक,पिता ऋषि कपूर को याद के श्रद्धांजलि दी
#RanbirKapoor #RishiKapoor #icnewsnetwork #BestActor #AnimalTheFilm
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globalnews365 · 1 year ago
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रणबीर कपूर : मूवी, wife, बच्चे और ranbir kapoor की उम्र कितनी है ?
रणबीर कपूर का जीवन परिचय | आखिर रणबीर कपूर कौन हैं ? रणबीर का जन्म  मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में  28 सितम्बर 1982 को  ऋषि कपूर व नीतू कपूर के यहाँ पुत्र के रूप में हुआ | ये अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर के पोते और पृथ्वीराज कपूर के पड़पोते हैं | उनकी बड़ी बहन का नाम रिद्धिमा है जो की एक फैशन डिजाइनर है| करिश्मा कपूर और करीना कपूर उनकी चचेरी बहनें हैं, उनके चाचा राजीव कपूर और उनके ताऊ रणधीर…
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astrovastukosh · 2 years ago
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🌹महालय श्राद्ध🌹*
👉पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023*
👉जिनके कुल खानदान में श्राद्ध नहीं होते हैं उनके कुल खानदान में दीर्घजीवी, बुद्धिमान एवं माता-पिता की आदर करनेवाली संतानें नहीं होती । विष्णु पुराण में कहा कि पितृगणहीन जो पितृगण की पूजन या पितरों को नहीं मानता वो पितृगणहीन ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि और अष्टवसु, वायु, ऋषि, मनुष्य पशु-पक्षी, सरीसृप समस्त प्राणी उसके सत्कृत्यों से संतुष्ट नहीं होते, स्वीकार नहीं करते हैं । लेकिन जो पितृ पूजन आदि करता हैं उनपर इन सभी की प्रसन्न दृष्टि रहती है ।*
💥कैसे हो पितृदोष का निवारण ?💥
👉मृतक का विधिवत् अंतिम संस्कार व श्राद्ध न करने से, पितरों का अपमान करने से, पीपल आदि देववृक्षों को काटने या कटवाने से, किसी निर्दोष जानवर को सताने आदि से पितृदोष होता है । इससे पारिवारिक कलह, अशांति और विघ्न- बाधाएँ आती हैं । इन उपायों को करने से आप पितृदोष का निवारण कर सकते हैं :*
👉देवी भागवत में आता है कि भगवान नारायण नारदजी से कहते हैं: 'जो स्वधा देवी की उपासना न करके श्राद्ध करता है उसके श्राद्ध और तर्पण सफल नहीं होते।' तो श्राद्ध के दिनों में शांति से बैठकर पितृदोष-निवृत्ति के लिए स्वधा देवी को प्रार्थना करें और इस मंत्र का जप करें:*
💥*ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा ।*💥
👉पितृपक्ष में एक लोटे में पानी, थोड़ा-सा गंगाजल व गाय का दूध ले के उसमें फूल, तुलसी के पत्ते तथा काले तिल डालकर दोपहर के समय मन-ही-मन भगवन्नाम-उच्चारण करके पितरों के कल्याण का चिंतन करते हुए पीपल के पेड़ में चढ़ायें ।*
👉 श्राद्धपक्ष के दिनों में शाम के समय दक्षिण दिशा की ओर तिल के तेल का अथवा गाय के घी का दीपक जलायें । थोड़ी देर शांत बैठकर गुरुमंत्र या इष्टमंत्र का जप करें और उसका पुण्यफल पितरों को अर्पण करें ।*
💥 त्रिकाल संध्या में गौ-चंदन धूपबत्ती जलाकर अथवा गौ-गोबर के कंडों पर गूगल का धूप (गूगल धूप ) करके ध्यान, जप करें । बीच- बीच में बूंद-बूंद घी डालते रहें । आरती के समय कपूर जलायें । इससे घर का वातावरण शुद्ध रहता है और पितृदोष का शमन होता है (अन्य दिनों में भी इस प्रकार त्रिकाल संध्या करने से घर का वातावरण सात्त्विक होगा, रोजी-रोटी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी)।💥
👉ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र, अंकविज्ञान के उपाय, आध्यात्मिक की रोचक जानकारियां जानने के लिए हमसे जुड़े
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samaya-samachar · 2 years ago
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आफनै बिबाहमा बेहोस भएका थिए ऋषी कपुर र निता कपुर
मुम्बइ, २४ असार । नीतु कपूर फिल्म उद्योगको शीर्ष अभिनेत्री मध्ये एक हुन्। उनले आफ्नो समयमा धेरै हिट फिल्ममा काम गरिसकेकी छन् । नीतु कपूरले आफ्नो करियर हिन्दी सिनेमामा बाल कलाकारको रूपमा सुरु गरेकी थिइन्। नीतु कपूर धेरै स्टारसँग पर्दामा देखा परेकी छिन् तर ऋषि कपूरसँग उनको जोडीलाई प्राथमिकता दिइयो।   नीतु कपुरले एक अन्तर्वार्तामा यस कथाको बारेमा बताएकी थिइन् कि ऋषि कपुरका लागि उनले आफ्नी आमालाई…
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moviespopcorn · 3 months ago
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मुल्क कोर्ट ड्रामा फिल्म का रिव्यु
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मुल्क फिल्म में ऋषि कपूर और तापसी पन्नू (क्रेडिट: स्क्रीनशॉट/बनारस मीडिया वर्क्स) प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसे मुस्लिम आदमी की कहानी पर आधारित है जिसके भाई के बेटे पर बम धमाके का आरोप है और वह घर से फरार है| उसकी वजह से पूरे परिवार को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है| घर की बहु जो हिन्दू परिवार से है, अपने परिवार की तरफ से केस लड़ती है| क्या वह अपने परिवार को आतंकवादी घोषित होने से बचा पायेगी? परिवार का एक सदस्य आतंकवादी क्यों बन गया और किस वजह से बना? क्या वह घर वापिस आ जायेगा या मारा जायेगा? इन सभी सवालों को जानने के लिए फिल्म देखे| टोन और थीम: फिल्म की टोन कोर्ट ड्रामा है और थीम इन्साफ और बेगुनाही पर आधारित है इस फिल्म को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि अगर परिवार का कोई सदस्य आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है और घर से फरार हो जाता है तो उसकी वजह से पूरे परिवार को आतंकवादी घोषित कैसे किया जा सकता| उसकी करनी की सजा पूरे परिवार को क्यों दी जाए| यह फिल्म समाज में जागरूकता भी लाती है कि एक मुस्लिम होने का खामियाजा पूरे परिवार क्यों भुगतना पड़ता है और उसकी अपने देश के प्रति देशभक्ति कैसे साबित करें| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: मुराद अली के पात्र में ऋषि कपूर ने अपनी फिल्मी करियर में पहली बार मुख्य भूमिका वाली फिल्म में मुस्लिम चरित्र निभाया है इससे पहले वह अमर अकबर एंथॉनी(1977), तहज़ीब(2003) और अग्निपथ(2012) में मुख्य भूमिका में नहीं थे| उन्होंने बहुत अच्छा अभिनय किया है एक मुस्लिम और देशद्��ोही होने की पीड़ा को उन्होंने बखूबी पर्दे पर दिखाया है, पूरे परिवार के दर्द को उन्होंने अपने चेहरे के हाव-भाव से साबित कर दिया कि वह हर नए रोल को अच्छे से निभा सकते हैं|आरती मोहम्मद के पात्र में तापसी पन्नू ने भी अच्छा अभिनय कर साबित कर दिखाया कि वह किसी भी रोल को अच्छे से निभा सकती है, उनके वकील वाले रोल को निभाते हुए एक नयापन नजर आया| उनकी डॉयलॉग बोलने की कला भी शानदार रही, एक बहू होने का फर्ज उन्होंने बहुत अच्छे से पर्दे पर दिखाया| वकील संतोष आनंद के रोल में आशुतोष राणा का अभिनय भी उनकी क्षमता के मुताबिक ही था| तबस्सुम के रोल में नीना गुप्ता, छोटी तबस्सुम के रोल में प्राची शाह, बिलाल के रोल में मनोज पाहवा ,शाहिद के रोल में प्रतीक बब्बर, एसपी दानिश के रोल में रजत कपूर सभी ने कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करी और सबने अभिनय भी ठीक-ठाक किया| डायरेक्शन-कहानी-पटकथा-डायलॉग: इस फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है| इससे पहले उन्होंने बहुत अच्छी फिल्में निर्देशित की है जैसे तुम बिन(2001), आपको पहले भी कही देखा है(2003), दस(2005), तथास्तु(2006), कैश(2007) रॉ वन(2011) और तुम बिन 2(2016), इनमें से कुछ सफल थी और कुछ असफल| इसकी कहानी-पटकथा-डायलॉग पर और हर डिपार्टमेंट में उनकी अच्छी पकड़ रही, कोर्ट के दृश्यों को बहुत अच्छे से फिल्माया गया हैं| डायलॉग फिल्म के मूल विचार और सन्देश पर आधारित है| कोर्ट में फिल्माए गए दृश्यों में वे सभी चरित्रों से अपने अपने पात्रों के मुताबिक अच्छा अभिनय निकलवा पाए | कहानी भी नयी तरह की अच्छे से लिखी गयी है| पटकथा भी बहुत मजबूत और कसा हुआ है| एडिटिंग: बल्लू सलूजा की एडिटिंग जिन्होंने दृश्यों का मिलान भी बहुत बढ़िया और फिल्म की गति भी तेज रखी है| सिनेमैटोग्राफी: इवान मुलिगन की सिनेमैटोग्राफी ने कोर्ट के दृश्यों को बहुत ही अच्छी तरह से कैमरे में कैद किया है| कैमरा मवमेंट्स और एंगल्स का अच्छे से इस्तेमाल किया गया है| म्यूजिक: म्यूजिक प्रसाद साश्ते और अनुराग सैकिआ का है पर ज्यादा स्कोप तो नहीं था, लेकिन दो गीत खुदारा विशाल डडलानी की आवाज़ में और पिया समाये शफ़क़त अमानत अली की आवाज़ में दोनों गीत इमोशनल है, जो सुना जा सकता है| लिरिक्स: शकील आज़मी के फिल्म के थीम के मुताबिक लिखे गए है| बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े का बैकग्राउंड स्कोर बहुत अच्छा बन पड़ा है, फिल्म की थीम के साथ पूरी तरह से सिंक करता है| साउंड डिजाइन: कामोद खराडे का साउंड डिजाइन भी ठीक ठाक है| प्रोडक्शन डिजाइन: निखिल कोवले का प्रोडक्शन डिजाइन भी फिल्म की टोन के मुताबिक बनाया गया है| कॉस्ट्यूम डिजाइन: अनि��ुद्ध सिंह और दीपिका ललवानी की कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग अच्छी है| क्लाइमेक्स: फिल्म का क्लाइमेक्स भी बहुत सुखद है| ओपिनियन: जिन दर्शकों को कोर्ट ड्रामा देखना पसंद है वे दर्शक एक बार फिल्म देख सकते है| रेटिंग: 6.5/10 64th फिल्मफेयर अवॉर्ड: फिल्म को 6 नॉमिनेशंस मिले, जैसे बेस्ट एक्ट्रेस (क्रिटिक्स), बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट डायलॉग्स और बेस्ट एडिटिंग और 1 अवार्ड जीतने में कामयाब रही बेस्ट स्टोरी (अनुभव सिन्हा) CBFC-U/A Movietime: 2h20m Genre: Court Drama Backdrop: Varanasi Release: 3 August, 2018 फिल्म कास्ट: ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, नीना गुप्ता, मनोज पाहवा, प्रतीक बब्बर, आशुतोष राणा, कुमुद मिश्रा, रजत कपूर और प्राची शाह प्रोडूसर:अनुभव सिन्हा, दीपक मुकुट, डायरेक्टर: अनुभव सिन्हा, साउंड डिज़ाइन: कामोद खराडे कास्टूम डिज़ाइन: अनिरुद्ध सिंह, दीपिका ललवानी, म्यूजि���: अनुराग सैकिआ, प्रसाद साश्ते,लिरिक्स: शकील आज़मी बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े, एडिटर: बल्लू सलूजा, प्रोडक्शन डिज़ाइन: निखिल कोवले, सिनेमेटोग्राफी: इवान मुलिगन कोरियोग्राफी: स्टोरी-स्क्रीनप्ले-डायलॉग्स: अनुभव सिन्हा, एक्शन: रियाज़ शेख, हबीब हाजी, कास्टिंग डायरेक्टर: भरत झा Read the full article
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livetimesnewschannel · 5 months ago
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What Was Amrita Pritam's Relationship with Imroz-Sahir? Why Did The Story Of Love Remain Incomplete?
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Amrita Pritam Love Story: पंजाबी भाषा की मशहूर ले��िका अमृता प्रीतम की जिंदगी का अफसाना फिल्म के किसी चरित्र के मानिंद है. अमृता के साहिर लुधियानवी से मोहब्बत किसी रहस्य से कम नहीं है, जिसकी कई गिरह अभी खुलनी बाकी हैं.
Amrita Pritam Love Story : अमृता प्रीतम सिर्फ लेखिका नहीं बल्कि एक युग थीं और एक परंपरा भी… जिन्होंने जिंदगी जीने का अलग ही तरीका और सलीका दिया. जो लिव इन रिलेशनशिप आज के युवाओं का फैशन बन गया है वह अमृता प्रीतम ने उस युग में जिया जब इसके बारे में हममें से ज्यादातर लोग जानते भी नहीं थे. उन्होंने प्यार की वह परिभाषा गढ़ी, जिसमें खोना ही पाना था और पाना ही खोना था. अमृता प्रीतम और साहिर का रिश्ता एक मायने में अनोखा था, जहां एक-दूसरे को पाने की चाहत तो थी लेकिन कोशिश नहीं. यह अलग बात है कि साहिर और अमृता में एक-दूसरे को पाने की कसक ताउम्र रही. कहा जाता है कि साहिर ने अमृता से इश्क ना किया होता तो हमराज फिल्म का गीत ‘वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा…’ कभी लिखा नहीं जाता. अमिताभ बच्चन, राखी, शशि कपूर और ऋषि कपूर अभिनीत फिल्म ‘कभी-कभी’ फिल्म का टाइटल सॉन्ग दरअसल, साहिर की मुकम्मल जिंदगी है, जिसे वह कुछ यूं कहते हैं- मैं जानता हूं कि तू गैर है मगर यूं ही… कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है’ यह गीत ऐसा ब्रेकअप सॉन्ग है जो बिछड़े प्रेमियों को एक अलग ही तरह की ऊर्जा देता है.
Amrita Pritam Love Story : स्कूल में लिख डाली थी नज्म
अमृता प्रीतम बचपन से ही साहित्य प्रेमी थीं. कविताओं का शौक था. पढ़ने-लिखने का भी जुनून था. कहा जाता है कि अमृता के जेहन में एक काल्पनिक प्रेमी था. लेखिका ने इस प्रेमी को बाकायदा नाम दिया था- राजन. कल्पनाओं का यह राजन अमृता के जेहन से उनकी ख्यालात भरी जिंदगी में शामिल हो गया. अमृता की दीवानगी देखिये कि उन्होंने इसी नाम को अपनी ज़िंदगी की पहली नज़्म का सब्जेक्ट बनाया. प्रतिष्ठित लेखिका के तौर पर एक नामी मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था- ‘जब स्कूल में पढ़ती थी तो मैंने एक नज्म लिखी थी. फिर यह सोचकर अपनी जेब में रख लिया कि वह स्कूल जाकर अपनी करीबी सहेली को दिखाएंगी.’ वहीं, बैरागी पिता के पास अमृता कुछ पैसे मांग���े गईं. इस दौरान उनके पिता ने पैसे अमृता प्रीतम के हाथ में न देकर उनकी जेब में डालने चाहे और उसी जेब में वो नज़्म रखी हुई थी. पिता का हाथ उस नज़्म पर पड़ा तो उन्होंने उसे निकालकर पढ़ लिया. यह बहुत असहज करने वाली स्थिति थी. पिता ने पूछ लिया- क्या इसे तुमने लिखा है? खैर परिस्थिति को काबू करने के लिए अमृता ने झूठ बोला और कहा- ‘यह नज़्म उनकी सहेली ने लिखी है. जाहिर है पिता ने उस झूठ को पकड़ लिया गया और नज्म को दोबारा पढ़ा. पढ़ने के बाद पूछा कि यह राजन कौन है? इस सवाल के जवाब में अमृता खामोश थीं. इस पर पिता ने झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ा और कागज फाड़ दिया. अमृता प्रीतम ने बड़ी ही साफगोई से कहा था- ‘झूठ बोलकर अपनी नज्म किसी और के नाम लगानी चाही थी, लेकिन वह नज्म एक चपत को साथ लिए फिर से मेरे नाम लग गई. यह हश्र था मेरी पहली नज्म का.’
Amrita Pritam Love Story : जिसके साथ पत्नी की तरह रहीं, कभी नहीं कहा ‘प्यार है’
मैंने ऊपर ही लिख दिया है कि साहिर और अमृता की प्रेम कहानी बेहद अनूठी थी. अमृता की लाइफ में एक तरह का लव ट्राएंगल था. सही मायनों में वह मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी से प्यार करती थीं, लेकिन उन्होंने जीवन गुजारा इमरोज के साथ. बेशक हर प्रेमी की चाहत होती है कि वह इजहार-ए-इश्क जरूर करे, लेकिन इमरोज और अमृता का इश्क अजीब था. ऐसा कहा जाता है कि इमरोज और अमृता ने एक-दूसरे से कभी कहा ही नहीं कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं. इस पर इमरोज ने एक बार कहा था- हिंदी फिल्मों में भी आप उठने-बैठने के तरीके से बता सकते हैं कि हीरो-हीरोइन एक-दूसरे से मोहब्बत करते हैं लेकिन वो फिर भी बार-बार कहते हैं कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं. जब प्यार है तो बोलने की क्या जरूरत है? वो सच्चा प्यार करते हैं जैसे कि प्यार भी कभी झूठा होता है.
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Amrita Pritam Love Story : इमरोज करते थे अमृता की प्राइ��ेसी की इज्जत
अमूमन पति-पत्नी का एक-दूसरे की जिंदगी में पर्याप्त दखल होता है. इसके तहत पति-पत्नी दोनों एक ही कमरे में रहते हैं. इमरोज का कहना था कि हम पहले दिन से ही एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहते रहे. उन्होंने स्वीकारा कि रात के समय अमृता प्रीतम लिखती थीं. उन्होंने इस वक्त को चुना जब न कोई आवाज होती हो और न ही टेलीफोन की घंटी बजती हो. … और सबसे बड़ी बात कि उस दौरान कोई आता और जाता भी ना हो. इमरोज ने अमृता की आदता का ख्याल रखा. इतना ही नहीं अमृता ने जब चाहा तब इमरोज ने उन्हें लिखने के लिए तन्हा छोड़ा. इमरोज ने स्वीकार किया था कि अमृता प्रीतम लिखने के दौरान चाय पीने की शौकीन थीं, लेकिन वह कभी भी बीच में लिखना छोड़कर चाय नहीं बनाती थीं. इसका मतलब यह है कि वह चाय नहीं बनाती थीं. मगर लिखने के दौरान वह चाहतीं कि उन्हें चाय मिले. उस समय मैं सो रहा होता था. फिर इरादा किया और रात के एक बजे उठना शुरू कर दिया. इस दौरान इमरोज चाय बनाकर उनके आगे चुपचाप रख आते थे. उस वक्त अमृता प्रीतम लिखने में इतनी खोई होती थीं कि वह इमरोज की ओर देखती भी नहीं थीं. यह सिलसिला करीब 5 दशक यानी 50 सालों तक चला. जाहिर है इमरोज ने हजारों रातें इसलिए जागकर गुजारीं कि जब भी अमृता को चाय की तलब लगे तो वह मौजूद रहें.
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Amrita Pritam Love Story : अमृता एंड इमरोज़- ए लव स्टोरी
अमृता ने प्रीतम सरनेम अपने साथ ऐसा जोड़ा कि उम्र भर जुड़ा रहा. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि पहली शादी उनकी असफल रही. दरअसल, साल 1935 में अमृता ने लाहौर (अब पाकिस्तान में) के अनारकली बाजार के एक होजरी व्यापारी के बेटे प्रीतम सिंह से शादी की. दोनों के 2 बच्चे भी हुए- एक बेटा और एक बेटी. लेकिन अमृता प्रीतम को शायर साहिर लुधियानवी से एकतरफा लगाव था. वह प्रीतम सिंह से अलग हो गईं. बताया जाता है कि दोनों सहमति से अलग हुए. जाने-अनजाने अमृता की जिंदगी में तब इमरोज की एंट्री हो चुकी थीं. इन दोनों की जानकार थी लेखिका उमा त्रिलोक. अमृता दोनों की नज़दीकी दोस्त रही थीं और उन पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है- ‘अमृता एंड इमरोज़- ए लव स्टोरी.’ उमा ने लिखा है कि अमृता और इमरोज का लव रिलेशनशिप तो रहा है लेकिन इसमें आजादी बहुत है. उमा त्रिलोक का कहना है कि बहुत कम लोगों को पता है कि वो एक ही घर में रहते हुए अलग-अलग कमरों में रहते थे. जब इसका ज़िक्र ��ोता था तो इमरोज़ कहा करते थे कि एक-दूसरे की ख़ुशबू तो आती है. ऐसा जोड़ा मैंने बहुत कम देखा है कि एक दूसरे पर इतनी निर्भरता है लेकिन कोई दावा नहीं है.
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Amrita Pritam Love Story : एक इश्क ऐसा भी…
साल 1958 की बात है. इमरोज को मुंबई (तब बोम्बे) में नौकरी मिल गई, कहा जाता है कि अमृता प्रीतम को दिल ही दिल में यह अच्छा नहीं लगा. अमृता को यह एहसास हुआ कि साहिर लुधियानवी की तरह इमरोज भी उनसे अलग हो जाएंगे. उन्हें यह डर क्यों सताया इसकी भी वजह है… दरअसल, साहिर लुधियानवी लेखिका अमृता प्रीतम से इश्क करते थे या नहीं, यह तो दफ्न हो गया, लेकिन अमृता प्रीतम गीतकार साहिर से एकतरफा इश्क जरूर करती थीं. यहां तक कि वह उनकी सिगरेट का आखिरी हिस्सा अपने पास रखती थीं. यह उनकी दीवानगी थी, लेकिन साहिर ने कभी अपने प्यार का इजहार अमृता के सामने नहीं किया. बावजूद इसके दुनिया यही जानती है कि साहिर और अमृता एक-दूसरे से इश्क ��रते थे. इसका सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि अमृता और इमरोज ने कभी भी एक दूसरे से नहीं कहा कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं.
Amrita Pritam Love Story : …. जब इमरोज को देखते ही उतर गया अमृता का बुखार
खैर बात हो रही है साल 1958 की और इमरोज के मुंबई पहुंचने की. इमरोज ने खुद कबूला है कि मशहूर फिल्म मेकर और एक्टर गुरु दत्त उन्हें अपने साथ रखना चाहते थे, लेकिन सैलरी पर बात नहीं बन पा रही थी. फिर एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई तो सामने अपॉइंटमेंट-लेटर था और वो उतने पैसे देने के लिए राजी हो गए जितना इमरोज चाहते थे. इमरोज के मुताबिक, वह बहुत खुश थे. दिल्ली में अमृता इकलौती अच्छी जानकार थीं, जिनसे वह अपनी खुशी शेयर कर सकते थे. इमरोज को देखकर अमृता खुश तो हुईं, लेकिन उनकी आंखें आंसुओं से भर आईं. मुंबई जाने के बाद अमृता को इमरोज ने फोन किया और उधर से आवाज आई और पूछा सब ठीक है ना. इस पर इमरोज बोले ठीक तो है, लेकिन ��ह मुंबई में नहीं रह सकते. यहां तक कि दिल्ली लौटने तक का फैसला ले लिया. उस वक्त अमृता की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी. मगर जब इमरोज दिल्ली पहुंचे तो अमृता कोच के बाहर खड़ी थीं और उन्हें देखते ही अमृता का बुखार उतर गया.
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Amrita Pritam Love Story : एक इश्क जो बन गया मिसाल
अमृता प्रीतम और साहिर लुधियानवी की प्रेम कहानी अजब थी, जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती. यह तो जमाना भी जानता है कि अमृता को साहिर लुधियानवी से मोहब्बत थी. इसका जिक्र अमृता प्रीतम ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘रसीदी टिकट’ में भी किया है. उन्होंने बताया कि कैसे साहिर लाहौर (अब पाकिस्तान) में उनके घर आया करते थे. उन्होंने लिखा है कि कैसे साहिर एक के बाद एक सिगरेट पिया करते थे. साहिर के जाने के बाद वो उनकी सिगरेट की बटों को दोबारा पिया करती थीं और बचने पर संभाल कर रख लिया करती थीं. अमृता की मानें तो उन्हें इस तरह सिगरेट की लत लग गई और फिर साहिर को अमृता ताउम्र नहीं भुला पाईं. यह कम रोचक नहीं है कि अमृता शायर साहिर से बेपनाह प्यार करती थीं. यह जानकर भी इमरोज अमृता से एकतरफा इश्क कर बैठे. अमृता और इमरोज की दोस्ती के बारे में उमा त्रिलोक ने भी किताब में लिखा है कि, कोई अजीब बात नहीं थी. दोनों इस बारे में काफी सहज थे. उमा ने कहा भी था कि ‘साहिर एक तरह से आसमान हैं, जबकि इमरोज मेरे घर की छत’ साहिर और अमृता का प्लैटोनिक इश्क. इमरोज ने खुद उमा त्रिलोक से इस बात का जिक्र किया था कि जब उनके पास कार नहीं थी वो अक्सर अमृता को स्कूटर पर ले जाते थे. स्कूटर पर पीछे बैठने के दौरान अमृता की अंगुलियां हमेशा कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. जैसे उनके हाथ में कलम हो. इमरोज ने खुद स्वीकार किया है कि अमृता प्रीतम ने कई बार पीछे बैठे हुए उनकी पीठ पर साहिर का नाम लिख दिया. इससे उन्हें पता चला कि वो साहिर को कितना चाहती थीं. इमरोज का कहना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर वो साहिर को चाहती हैं, तो चाहती हैं. मैं भी अमृता प्रीतम को चाहता हूं.
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Amrita Pritam Love Story : एक इंतजार जो मरकर भी न खत्म हुआ
अमृता और इमरोज अब इस दुनिया में नहीं है. दिसंबर, 2023 में इमरोज ने 97 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया, जबकि अमृता ने 31 अक्टूबर, 2005 को दुनिया से विदा ली. अमृता के जाने के 18 साल बाद इमरोज ने दुनिया छोड़ी, लेकिन वह इमरोज के जेहन में हमेशा रहीं. जब भी वह दिल्ली में मिलते तो सिर्फ और सिर्फ अमृता प्रीतम की जिंदगी को लेकर बात करते. यह भी एक सच है कि अमृता जहां भी जाती थीं इमरोज को साथ लेकर जाती थीं. दरअसल जब अमृता प्रीतम को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया तो इमरोज रोज सुबह उनके साथ संसद भवन जाते थे और बाहर बैठकर उनका इंतजार किया करते थे. हालांकि, बड़े सरकारी आयोजन या फिर खाने पर जब अमृता जातीं तो इमरोज उनके साथ जाने की कोशिश तक नहीं करते थे. वह बाहर ही अमृता का घंटों इंतजार किया करते थे.
Amrita Pritam Love Story : मर कर भी नहीं मरीं अमृता
31 अक्तूबर 2005 को भले ही अमृता ने दुनिया को अलविंद कह दिया, लेकिन इमरोज के लिए वह कभी मरी ही नहीं. इमरोज कहते थे- उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं. वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों की छांव में कभी किरणों की रोशनी में कभी ख़्यालों के उजाले में. हम उसी तरह मिलकर चलते हैं चुपचाप… हमें चलते हुए देखकर फूल बुलाते हैं. हम फूलों के घेरे में बैठकर एक-दूसरे को अपना अपना कलाम सुनाते हैं. उसने जिस्म छोड़ है साथ नहीं. ‘
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pradip-madgaonkar · 1 year ago
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Ali Asgar Birthday: Wishes from Pradip Madgaonkar
छोटे पर्दे के `ऋषि कपूर` कहे जाते हैं अली असगर, इस वजह से `दादी` के पॉपुलर किरदार को कहा अलविदा.
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bandya-mama · 1 year ago
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Ali Asgar Birthday: Wishes from Bandya Mama
छोटे पर्दे के `ऋषि कपूर` कहे जाते हैं अली असगर, इस वजह से `दादी` के पॉपुलर किरदार को कहा अलविदा.
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trendingwatch · 2 years ago
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नीतू कपूर के फैमिली एल्बम की बस एक और अनमोल याद। बोनस: रणबीर की क्यूट तस्वीर
नीतू कपूर ने इस तस्वीर को साझा किया। (शिष्टाचार: नीतू54) नीतू कपूर की इंस्टाग्राम टाइमलाइन थ्रोबैक रत्नों से भरी पड़ी है। खुद को और दिवंगत पति, दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर या उनके फ्रेम को पेश करने वाले अनमोल पल हों रणबीर कपूर’का बचपन, नीतू कपूर यह सब अपने प्रशंसकों के साथ ऑनलाइन साझा करती हैं। नहीं, हम शिकायत नहीं कर रहे हैं। वास्तव में, हम इसे प्यार करते हैं। अब, उसने अपने परिवार की छुट्टियों में…
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