#ऋषि कपूर
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नीतू कपूर के फैमिली एल्बम की बस एक और अनमोल याद। बोनस: रणबीर की क्यूट तस्वीर
नीतू कपूर ने इस तस्वीर को साझा किया। (शिष्टाचार: नीतू54) नीतू कपूर की इंस्टाग्राम टाइमलाइन थ्रोबैक रत्नों से भरी पड़ी है। खुद को और दिवंगत पति, दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर या उनके फ्रेम को पेश करने वाले अनमोल पल हों रणबीर कपूर’का बचपन, नीतू कपूर यह सब अपने प्रशंसकों के साथ ऑनलाइन साझा करती हैं। नहीं, हम शिकायत नहीं कर रहे हैं। वास्तव में, हम इसे प्यार करते हैं। अब, उसने अपने परिवार की छुट्टियों में…
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लवआजकल-फिल्म रिव्यु!
पुरानी यादों की रोशनी
फिल्म लव आज कल में सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण An Illuminati Films Presents in association with EROS international Casting:- Saif Ali Khan, Deepika Padukone, Rishi Kapoor, Rahul Khanna, Florence Brudenell-Bruce, Dolly Ahluwalia, Raj Zutshi, Vir das Introducing:- Giselli Monteiro प्लॉट - यह फिल्म एक ऐसे लड़के ''जय'' और लड़की ''मीरा'' की कहानी है | यह फिल्म जो अनजानों की तरह मिलते है,घूमते है | डांस पार्टीज और रेस्टोरेंट में जाते है | हुक्स अप करते है | ना दोनों में प्यार है, ना ही रिलेशनशिप है, फिर भी mutually ब्रेक अप कर लेते है| मीरा इंडिया में आ जाती है और जय वही रह जाता है | दोनों आपसी रजामंदी से touch में रहने का वादा करते है | जय को london में गर्ल फ्रेंड और मीरा का दिल्ली में बॉय फ्रेंड बन जाता है | ''वीर सिंह'' की कहानी साथ साथ parallel चलती रहती है | एक ही फिल्म में तीनों कहानियाँ चलन में है | क्या मीरा की शादी अपने बॉयफ्रेंड से होगी? जय की अपनी दूसरी गर्ल फ्रेंड से होगी ? क्या वीर सिंह का मिलन हरलीन से हो पाएगा ? दोबारा जय और मीरा मिल पाएंगे ? क्या मीरा और जय की शादी हो पाएगी ? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी | थीम- इस फिल्म की थीम रोमांटिक ड्रामा है | इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ साथ यह भी है, कि आजकल की युवा पीढ़ी प्यार और रिश्ते को लेकर क्या सोचती है ? अगर हम इसे युवा आधारित फिल्म कहे तो अतिशियोक्ति नहीं होगी | एक्टिंग और चरित्र- जय और वीर सिंह की भूमिका में ''सैफ अली खान'' ने डबल रोल निभाया है| जिसमें वीर सिंह को जवानी का ऋषि कपूर को दिखाया गया है, सैफ अली खान का अभिनय काबिले तारीफ़ है, एक जटिल किरदार को उन्होंने बहुत बढ़िया ढंग से निभाया | चाहे वह जय हो या वीर सिंह हो दोनों किरदारों में उन्होंने अपना 100 % देने का प्रयत्न किया है | मीरा के किरदार में ''दीपिका पादुकोण'' का अभिनय भी लाजवाब कहा जाएगा | इस समय दीपिका करियर को दो साल ही हुए है, कि उन्हें बहुत ही मजबूत और हट के भूमिका निभाने को मिली है |और दीपिका ने बहुत सहज तरीके से भूमिका को निभाया चाहे, डांसिंग स्किल हो या डायलॉग्स बोलने की कला हो, कॉमिक टाइमिंग हो, भावनात्मक दृश्य हो, उन्होंने हर इमोशंस को परदे पर दिखाया है | वीर सिंह की भूमिका में ऋषि कपूर का अभिनय भी अच्छा क��ा जाएगा | एक सिख की भूमिका निभाने में उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई होगी, क्योकि वह खुद एक पंजाबी परिवार से सम्बन्ध रखते है | Supporting casts में विक्रम ''राहुल खन्ना'' हरलीन ''गिसेल्ली मोंटेरो'' जो "फ्लोरेंस बरुदेनेल ब्रूस'' हो सभी भूमिकाओं ने कहानी को आगे बढ़ाने में कही भी किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी | मेहमान भूमिका में बूढी हरलीन ''नीतू कपूर '' का में एक दृश्य भी है | रिटेन एंड डायरेक्शन- फिल्म का निर्देशन ''इम्तिआज़ अली'' ने किया है | उन्होंने फिल्म की कहानी-पटकथा संवाद लिखे है | इस फिल्म से पहले उन्होंने ''सोचा न था'', ''जब भी मेट''जो की कमर्शियल ब्लॉकबस्टर थी, को निर्देशित किया है | दोनों फिल्में कमाल की थी | Captain of the ship का रोल बहुत ही बढ़िया तरीके से निभाया | और पूरी फिल्म पर उनकी पकड़ मजबूत है | कहानी-पटकथा-संवाद- बहुत मजबूत है | संवाद भी बहुत ही कमाल के लिखे है, शब्दों का चयन सभी चरित्रों के अनुसार है | कहानी एक नए concept को लेकर बनायीं गयी है,ऐसी कहानी पहले कभी नहीं पर्दे पर आयी | सिनेमाटोग्राफी- नटराजन सुब्रमणियम की उत्तम दर्जे की है | लंदन, दिल्ली,और सन फ्रांसिस्को शहरों को उन्होंने बखूबी परदे पे सुन्दर तरीके से दिखाया है | फिल्म के सभी दृश्य अच्छे से फिल्माए गए है | आसमान से लिए गए दृश्य तो कमाल के है | कोरियोग्राफी- सभी गानों की बढ़िया है, चाहे डांस सांग हो इमोशनल सांग हो या पंजाबी सांग्स हो आदि | ''चोर बाज़ारी'' गाने की Bosco Caesar ने कोरियोग्राफी कमाल की की है | एडिटंग- आरती बजाज की कासी हुई है,और फिल्म का pace भी फ़ास्ट है | दृश्यों की arrangements एंड cutting भी सही की गयी है | म्यूजिक-''प्रीतम'' ने म्यूजिक बहुत ही मधुर धुन में बाँधा है| विशेषकर कुछ गीत जैसे ''चोर बाज़ारी'' इसके अलावा ''यह दूरियां'' वैसे ही ''अज दिन चड्डिया'' के साथ-२ ''मैं क्या हूँ'' ''आहूं आहूं'' उसी अंदाज़ में ''ट्विस्ट'' बहुत ही बढ़िया बन पड़े है | Overall Full album का म्यूजिक अच्छा है | लिरिक्स- सभी गीतों को ''इरशाद कामिल'' ने लिखा है | अच्छे से संगीतबद्ध किया गया है | फिल्म की थीम और टोन के हिसाब से समकालीन लिखा गया है | बैकग्राउंड स्कोर- भी फिल्म की थीम से अच्छे से sync करता हुआ बनाया गया है | वेशभूषा-फिल्म की लुक एंड फील के हिसाब से विशेषकर दीपिका पादुकोण के अच्छे है | साउंड डिज़ाइन- भी बढ़िया है | प्रोडक्शन डिज़ाइन- ठीक ठाक है | पॉपुलर डायलॉग्स - Mango people और तू हमेशा correct बात बोल देती है जानेमन ! Negative Points:- ''चोर बाज़ारी'' गाने में दीपिका पादुकोण की ड्रेस और पर्स का रंग बदल जाते है| गाने के बीच में पर्स को फ़ेंक देती है| जैसे ही गाना खत्म होता है वैसे ही हाथ में फिर पर्स आ जाता है| फिल्म के शुरू में ऋषि कपूर को 2 सीन्स में इग्नोर कर दिया गया है| तीसरे सीन से उनको इंट्रोडस किया गया है पता नहीं ऐसा क्यों किया गया | इंटरनल होने से 15 -20 मिनट्स पहले 3 गाने बैक टू बैक डाल दिए गए है| इंटरवल के बाद फिर एक गाना आ जाता है| Film fare Awards 2009 Nominations Best FilmLove Aaj KalNominatedBest DirectorImtiaz AliNominatedBest StoryImtiaz AliNominatedBest ScreenplayImtiaz AliNominatedFilmfare Awards27 February 2010Best DialogueImtiaz AliNominatedBest ActorSaif Ali KhanNominatedBest ActressDeepika PadukoneNominatedBest Music DirectorPritamNominatedBest LyricistIrshad Kamil for "Aj Din Chadheya"WonBest Male Playback SingerRahat Fateh Ali Khan for "Aj Din Chadheya"NominatedBest Female Playback SingerSunidhi Chauhan for "Chor Bazaari"NominatedBest ChoreographyBosco-Caesar for "Chor Bazaari"WonNominations Rating:-3.5* Read the full article
#इम्तियाजअली#ऋषिकपूर#दिनेशविजन#दीपिकापादुकोण#नीतूकपूर#रोमांटिक#रोमांटिकड्रामा#लवआजकल#लवआजकलफिल्म#लवआजकलमूवी#सैफअलीखान
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Raj Kapoor@100: Showman Wanted To Shout Action-Action Even After Death
Introduction
13 December, 2024
Raj Kapoor@100: हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक राज कपूर ने ���पनी पूरी जिंदगी ही सिनेमा को समर्पित कर दी थी. वो पहले ऐसे भारतीय एक्टर थे जिनकी विदेश में भी उतनी ही फैन फॉलोइंग थी जितनी देश में. राज कपूर की बेटी ने अपनी किताब में लिखा है कि वो कहते थे जब मैं मर जाऊं, तब मेरे शव को स्टूडियो ले आना. शायद मैं रोशनी के बीच जागूं और एक्शन…एक्शन चिल्लाऊं. उनके ये शब्द मानो एक फ्रेम में कैद हो गए. ये शब्द ऐसे फिल्म मेकर के जुनून की गवाही दे रहे हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी. ऐसे में आज हिंदी सिनेमा के शोमैन यानी राज कपूर के बारे में जानते हैं कुछ दिलचस्प बातें.
Table of Content
राज कपूर के 100 साल
पर्दे पर राज करने वाले शोमैन
एक्टर के रूप में चमके
जब टूट गए थे राज कपूर
आज भी हिट हैं राज कपूर के गाने
पिता की शर्त
जब बने इंडियन चार्ली चैपलिन
आवारा ने क्यों मचाई सनसनी
हिंदी सिनेमा का शोमैन
राज कपूर की पहली बड़ी फिल्म
राज कपूर के 100 साल
पर्दे पर राज करने वाले शोमैन
राज कपूर ने देव आनंद और दिलीप कुमार जैसे दो दिग्गज कलाकारों के साथ बड़े परदे पर सालों तक राज किया. राज कपूर की फिल्मों का संगीत कई दशकों बाद भी लोगों के दिलों को छूता है. उन्होंने अपने करियर में सिर्फ 10 फिल्में ही डायरेक्ट कीं. इनमें कुछ का नाम हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्मों की लिस्ट में शामिल है. राज कपूर की ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ इसी लिस्ट का हिस्सा हैं. बाकी ‘बॉबी’ और ‘संगम’ ब्लॉकबस्टर फिल्में रहीं. राज कपूर की फिल्में वक्त से आगे की हुआ करती थीं. यही वजह है कि उन्हें लेकर अक्सर विवाद भी हो जाया करता था.
यह भी पढें: Raj Kapoor’s 100th Birth: कपूर परिवार ने मोदी से की मुलाकात, राज कपूर फिल्म महोत्सव का दिया न्योता
राज कपूर के डायरेक्शन में बनी ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘प्रेम रोग’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ ऐसी ही कुछ फिल्में थीं. जब ये फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज ��ुईं तब काफी विवाद भी हुआ. बहुत से लोग राज कपूर की दूरदर्शिता को पचा नहीं पाए. हालांकि, आज इन्हीं फिल्मों को हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में शामिल किया जाता है.
एक्टर के रूप में चमके
जब टूट गए थे राज कपूर
राज कपूर के करियर की सबसे बड़ी फिल्मों में नाम आता है ‘मेरा नाम जोकर’ का, जिसे बनाने में राज कपूर ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. आज भले ही ये हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फिल्मों में शुमार है लेकिन साल 1970 में जब ‘मेरा नाम जोकर’ रिलीज हुई तब बॉक्स ऑफिस पर बड़ी फ्लॉप निकली और राज कपूर कर्ज में डूब गए. इस फिल्म की असफलता ने राज कपूर को पूरी तरह से तोड़ दिया था. हालांकि,
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इसके बावजूद भी ‘शोमैन’ ने हार नहीं मानी और एक खूबसूरत रोमांटिक फिल्म बनाई जिसका नाम था ‘बॉबी’. इस फिल्म से राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर को बॉलीवुड में बतौर हीरो लॉन्च किया. उनके साथ 16 साल की डिंपल कपाड़िया की जोड़ी को लोगों ने इतना पसंद किया कि बॉबी ने बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात कर दी. फिल्म ‘बॉबी’ से इतनी कमाई हुई कि राज कपूर का सारा कर्जा उतर गया और बॉलीवुड को ऋषि कपूर के रूप में अपना नया चॉकलेट बॉय मिल गया था.
आज भी हिट हैं राज कपूर के गाने
पिता की शर्त
पृथ्वीराज कपूर इस शर्त पर राजी हुए कि राज कपूर 10 रुपये सैलरी पर उनके असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू करेंगे. राज कपूर ने बिना देर लगाए शर्त मानी और सेट पर बाकी सब लोगों की तरह काम करना शुरू कर दि���ा. साल 1947 में मधुबाला के साथ बनी ‘नील कमल’ समेत राज कपूर ने कुछ फिल्मों में काम किया. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘आग’ के साथ निर्देशक और निर्माता के रूप में बॉलीवुड में कदम रखने का फैसला किया. उस वक्त राज कपूर की उम्र 24 साल थी. वो उस समय दुनिया के सबसे यंग फिल्म मेकर्स में एक थे. डायरेक्शन में राज कपूर का मन ऐसा रमा कि उन्होंने ‘आग’ के बाद ‘बरसात’ (1949) और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ (1978) जैसी खूबसूरत फिल्में भी बनाईं.
जब बने इंडियन चार्ली चैपलिन
आवारा ने क्यों मचाई सनसनी
राज कपूर ने एक बार बताया था कि उनकी फिल्मों ने फिल्म जगत में इतनी सनसनी क्यों मचाई थी? दरअसल, राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में उनके साथ काम करने वालीं एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल के एक न्यूड सीन शूट किया था. इसके बाद हर तरफ हंगामा मच गया था. इसे लेकर राज कपूर ने कहा था- ‘ये कहानी मेरे दिमाग में ठीक उस समय आई जब भारत एक नयी सामाजिक अवधारणा विकसित कर रहा था’. हिंदी सिनेमा में जब हीरोइन एक दो गानों में ही नजर आती थी तब राज कपूर की फिल्मों की एक्ट्रेसेस उनकी फिल्मों में लीड रोल निभाती थीं. राज कपूर की ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘अंदाज’ और ‘चोरी चोरी’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में एक्ट्रेसेस ने बड़ी भूमिकाएं निभाईं.
हिंदी सिनेमा का शोमैन
राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर, 1924 को पेशावर में रणबीर राज कपूर के रूप में हुआ था. इसके बाद में उन्होंने चेंबूर में जमीन खरीदी और मुंबई में अपनी जड़ें जमा लीं. ��हीं पर उन्होंने RK स्टूडियो की स्थापना की. राज कपूर एख ऐसे फिल्म मेकर थे जो हर तरह के बंधन से मुक्त थे, उनका यही आजाद व्यक्तित्व राज कपूर की फिल्मों में भी झलकता है. फिर चाहे अपनी फिल्म आवारा के सपने वाले सीन को फिल्माने के लिए एक विशाल सेट डिजाइन करना हो या ‘बॉबी’ में महंगी शैंपेन लाना हो या फिर ‘मेरा नाम जोकर’ का सर्कस रिंग.
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राज कपूर की पहली बड़ी फिल्म
Conclusion
2 मई, 1988 को राज कपूर दादा साहब फाल्के पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली आए. उस दौरान उन्हें अस्थमा का गंभीर दौरा पड़ा और वो सभागार में ही बेहोश हो गए. इसके बाद राज कपूर को अस्पताल ले जाया गया. इसके एक महीने बाद ही 63 साल की उम्र में राज कपूर का निधन हो गया. आज भले ही राज कपूर हमारे बीच नहीं हैं ��ेकिन अपनी बेहतरीन फिल्मों के जरिए वो सदियों तक लोगों के दिलों और जेह�� में जिंदा रहेंगे.
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#GodKabir_In_Treta_DwaparYug
#True Knowledge By Sant Rampal जी
त्रेता युग में कबीर साहिब मनिंदर ऋषि के रूप में आए थे तब दशरथ पुत्र राम की लंका फतह करने में समुद्र बाधा बन रहा था कपूर परमात्मा कबीर साहिब की कृपा से ही पत्थर समुद्र में तैर पाए थे और जानने के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा
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ऋषि कपूर की अंगूठी को राजेश खन्ना ने क्यों फ़ेंक दी | Bollywood Special
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Rishi Kapoor Birth Anniversary: Wishes from Pradip Madgaonkar
इस एक्टर के लिए ऋषि कपूर ने बदल ली थी अपनी जन्म तारीख, साथ में बर्थडे मनाते थे दोनों.
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Rishi Kapoor Birth Anniversary: Wishes from Bandya Mama
इस एक्टर के लिए ऋषि कपूर ने बदल ली थी अपनी जन्म तारीख, साथ में बर्थडे मनाते थे दोनों.
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🎬 ऋषि कपूर 🎬
बॉलीवुड के चॉकलेट बॉय ऋषि कपूर के बारे में कुछ अनसुने तथ्य जानिए! 🌟
ऋषि कपूर की पहली फिल्मी झलक 1955 की फिल्म ‘श्री 420’ ��े गाने ‘प्यार हुआ, इकरार हुआ’ में थी, जब वे सिर्फ तीन साल के थे। उन्होंने ‘मेरा नाम जोकर’ में युवा राज कपूर का किरदार निभाया और इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। 1973 में ‘बॉबी’ फिल्म से उन्होंने बतौर हीरो डेब्यू किया और रातों-रात स्टार बन गए। ऋषि कपूर ने 1999 में ‘आ अब लौट चलें’ फिल्म से निर्देशन में भी हाथ आजमाया1. वे नाइजीरिया में ‘मेस’ नाम से मशहूर थे, जिसका मतलब है 'महिला’ ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा में खुलासा किया कि उन्होंने एक बार ‘बॉबी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार खरीदा था। 📅 ऋषि कपूर की अद्भुत यात्रा को याद करें और उनके अनमोल योगदान को सलाम करें! 🌟
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#FilmfareAwards2024 फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिलते ही रणबीर कपूर स्टेज पर हुए भावुक,पिता ऋषि कपूर को याद के श्रद्धांजलि दी
#RanbirKapoor #RishiKapoor #icnewsnetwork #BestActor #AnimalTheFilm
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रणबीर कपूर : मूवी, wife, बच्चे और ranbir kapoor की उम्र कितनी है ?
रणबीर कपूर का जीवन परिचय | आखिर रणबीर कपूर कौन हैं ? रणबीर का जन्म मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में 28 सितम्बर 1982 को ऋषि कपूर व नीतू कपूर के यहाँ पुत्र के रूप में हुआ | ये अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर के पोते और पृथ्वीराज कपूर के पड़पोते हैं | उनकी बड़ी बहन का नाम रिद्धिमा है जो की एक फैशन डिजाइनर है| करिश्मा कपूर और करीना कपूर उनकी चचेरी बहनें हैं, उनके चाचा राजीव कपूर और उनके ताऊ रणधीर…
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#ranbir kapoor#ranbir kapoor movie#ranbir kapoor wife#आलिया भट्ट#आलिया भट्ट रणबीर कपूर#रणबीर कपूर#रणबीर कपूर age#रणबीर कपूर wife#रणबीर कपूर उम्र#रणबीर कपूर मूवी#रणबीर कपूर वाइफ़
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🌹महालय श्राद्ध🌹*
👉पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023*
👉जिनके कुल खानदान में श्राद्ध नहीं होते हैं उनके कुल खानदान में दीर्घजीवी, बुद्धिमान एवं माता-पिता की आदर करनेवाली संतानें नहीं होती । विष्णु पुराण में कहा कि पितृगणहीन जो पितृगण की पूजन या पितरों को नहीं मानता वो पितृगणहीन ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि और अष्टवसु, वायु, ऋषि, मनुष्य पशु-पक्षी, सरीसृप समस्त प्राणी उसके सत्कृत्यों से संतुष्ट नहीं होते, स्वीकार नहीं करते हैं । लेकिन जो पितृ पूजन आदि करता हैं उनपर इन सभी की प्रसन्न दृष्टि रहती है ।*
💥कैसे हो पितृदोष का निवारण ?💥
👉मृतक का विधिवत् अंतिम संस्कार व श्राद्ध न करने से, पितरों का अपमान करने से, पीपल आदि देववृक्षों को काटने या कटवाने से, किसी निर्दोष जानवर को सताने आदि से पितृदोष होता है । इससे पारिवारिक कलह, अशांति और विघ्न- बाधाएँ आती हैं । इन उपायों को करने से आप पितृदोष का निवारण कर सकते हैं :*
👉देवी भागवत में आता है कि भगवान नारायण नारदजी से कहते हैं: 'जो स्वधा देवी की उपासना न करके श्राद्ध करता है उसके श्राद्ध और तर्पण सफल नहीं होते।' तो श्राद्ध के दिनों में शांति से बैठकर पितृदोष-निवृत्ति के लिए स्वधा देवी को प्रार्थना करें और इस मंत्र का जप करें:*
💥*ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा ।*💥
👉पितृपक्ष में एक लोटे में पानी, थोड़ा-सा गंगाजल व गाय का दूध ले के उसमें फूल, तुल���ी के पत्ते तथा काले तिल डालकर दोपहर के समय मन-ही-मन भगवन्नाम-उच्चारण करके पितरों के कल्याण का चिंतन करते हुए पीपल के पेड़ में चढ़ायें ।*
👉 श्राद्धपक्ष के दिनों में शाम के समय दक्षिण दिशा की ओर तिल के तेल का अथवा गाय के घी का दीपक जलायें । थोड़ी देर शांत बैठकर गुरुमंत्र या इष्टमंत्र का जप करें और उसका पुण्यफल पितरों को अर्पण करें ।*
💥 त्रिकाल संध्या में गौ-चंदन धूपबत्ती जलाकर अथवा गौ-गोबर के कंडों पर गूगल का धूप (गूगल धूप ) करके ध्यान, जप करें । बीच- बीच में बूंद-बूंद घी डालते रहें । आरती के समय कपूर जलायें । इससे घर का वातावरण शुद्ध रहता है और पितृदोष का शमन होता है (अन्य दिनों में भी इस प्रकार त्रिकाल संध्या करने से घर का वातावरण सात्त्विक होगा, रोजी-रोटी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी)।💥
👉ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र, अंकविज्ञान के उपाय, आध्यात्मिक की रोचक जानकारियां जानने के लिए हमसे जुड़े
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#vastu #astrology #remedy #numerologist #luckycolor #tarotreading #tarotcard #luckynumb
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लवआजकल-फिल्म रिव्यु!
पुरानी यादों की रोशनी
फिल्म लव आज कल में सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण An Illuminati Films Presents in association with EROS international Casting:- Saif Ali Khan, Deepika Padukone, Rishi Kapoor, Rahul Khanna, Florence Brudenell-Bruce, Dolly Ahluwalia, Raj Zutshi, Vir das Introducing:- Giselli Monteiro प्लॉट - यह फिल्म एक ऐसे लड़के ''जय'' और लड़की ''मीरा'' की कहानी है | यह फिल्म जो अनजानों की तरह मिलते है,घूमते है | डांस पार्टीज और रेस्टोरेंट में जाते है | हुक्स अप करते है | ना दोनों में प्यार है, ना ही रिलेशनशिप है, फिर भी mutually ब्रेक अप कर लेते है| मीरा इंडिया में आ जाती है और जय वही रह जाता है | दोनों आपसी रजामंदी से touch में रहने का वादा करते है | जय को london में गर्ल फ्रेंड और मीरा का दिल्ली में बॉय फ्रेंड बन जाता है | ''वीर सिंह'' की कहानी साथ साथ parallel चलती रहती है | एक ही फिल्म में तीनों कहानियाँ चलन में है | क्या मीरा की शादी अपने बॉयफ्रेंड से होगी? जय की अपनी दूसरी गर्ल फ्रेंड से होगी ? क्या वीर सिंह का मिलन हरलीन से हो पाएगा ? दोबारा जय और मीरा मिल पाएंगे ? क्या मीरा और जय की शादी हो पाएगी ? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी | थीम- इस फिल्म की थीम रोमांटिक ड्रामा है | इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ साथ यह भी है, कि आजकल की युवा पीढ़ी प्यार और रिश्ते को लेकर क्या सोचती है ? अगर हम इसे युवा आधारित फिल्म कहे तो अतिशियोक्ति नहीं होगी | एक्टिंग और चरित्र- जय और वीर सिंह की भूमिका में ''सैफ अली खान'' ने डबल रोल निभाया है| जिसमें वीर सिंह को जवानी का ऋषि कपूर को दिखाया गया है, सैफ अली खान का अभिनय काबिले तारीफ़ है, एक जटिल किरदार को उन्होंने बहुत बढ़िया ढंग से निभाया | चाहे वह जय हो या वीर सिंह हो दोनों किरदारों में उन्होंने अपना 100 % देने का प्रयत्न किया है | मीरा के किरदार में ''दीपिका पादुकोण'' का अभिनय भी लाजवाब कहा जाएगा | इस समय दीपिका करियर को दो साल ही हुए है, कि उन्हें बहुत ही मजबूत और हट के भूमिका निभाने को मिली है |और दीपिका ने बहुत सहज तरीके से भूमिका को निभाया चाहे, डांसिंग स्किल हो या डायलॉग्स बोलने की कला हो, कॉमिक टाइमिंग हो, भावनात्मक दृश्य हो, उन्होंने हर इमोशंस को परदे पर दिखाया है | वीर सिंह की भूमिका में ऋषि कपूर का अभिनय भी अच्छा कहा जाएगा | एक सिख की भूमिका निभाने में उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई होगी, क्योकि वह खुद एक पंजाबी परिवार से सम्बन्ध रखते है | Supporting casts में विक्रम ''राहुल खन्ना'' हरलीन ''गिसेल्ली मोंटेरो'' जो "फ्लोरेंस बरुदेनेल ब्रूस'' हो सभी भूमिकाओं ने कहानी को आगे बढ़ाने में कही भी किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी | मेहमान भूमिका में बूढी हरलीन ''नीतू कपूर '' का में एक दृश्य भी है | रिटेन एंड डायरेक्शन- फिल्म का निर्देशन ''इम्तिआज़ अली'' ने किया है | उन्होंने फिल्म की कहानी-पटकथ��� संवाद लिखे है | इस फिल्म से पहले उन्होंने ''सोचा न था'', ''जब भी मेट''जो की कमर्शियल ब्लॉकबस्टर थी, को निर्देशित किया है | दोनों फिल्में कमाल की थी | Captain of the ship का रोल बहुत ही बढ़िया तरीके से निभाया | और पूरी फिल्म पर उनकी पकड़ मजबूत है | कहानी-पटकथा-संवाद- बहुत मजबूत है | संवाद भी बहुत ही कमाल के लिखे है, शब्दों का चयन सभी चरित्रों के अनुसार है | कहानी एक नए concept को लेकर बनायीं गयी है,ऐसी कहानी पहले कभी नहीं पर्दे पर आयी | सिनेमाटोग्राफी- नटराजन सुब्रमणियम की उत्तम दर्जे की है | लंदन, दिल्ली,और सन फ्रांसिस्को शहरों को उन्होंने बखूबी परदे पे सुन्दर तरीके से दिखाया है | फिल्म के सभी दृश्य अच्छे से फिल्माए गए है | आसमान से लिए गए दृश्य तो कमाल के है | कोरियोग्राफी- सभी गानों की बढ़िया है, चाहे डांस सांग हो इमोशनल सांग हो या पंजाबी सांग्स हो आदि | ''चोर बाज़ारी'' गाने की Bosco Caesar ने कोरियोग्राफी कमाल की की है | एडिटंग- आरती बजाज की कासी हुई है,और फिल्म का pace भी फ़ास्ट है | दृश्यों की arrangements एंड cutting भी सही की गयी है | म्यूजिक-''प्रीतम'' ने म्यूजिक बहुत ही मधुर धुन में बाँधा है| विशेषकर कुछ गीत जैसे ''चोर बाज़ारी'' इसके अलावा ''यह दूरियां'' वैसे ही ''अज दिन चड्डिया'' के साथ-२ ''मैं क्या हूँ'' ''आहूं आहूं'' उसी अंदाज़ में ''ट्विस्ट'' बहुत ही बढ़िया बन पड़े है | Overall Full album का म्यूजिक अच्छा है | लिरिक्स- सभी गीतों को ''इरशाद कामिल'' ने लिखा है | अच्छे से संगीतबद्ध किया गया है | फिल्म की थीम और टोन के हिसाब से समकालीन लिखा गया है | बैकग्राउंड स्कोर- भी फिल्म की थीम से अच्छे से sync करता हुआ बनाया गया है | वेशभूषा-फिल्म की लुक एंड फील के हिसाब से विशेषकर दीपिका पादुकोण के अच्छे है | साउंड डिज़ाइन- भी बढ़िया है | प्रोडक्शन डिज़ाइन- ठीक ठाक है | पॉपुलर डायलॉग्स - Mango people और तू हमेशा correct बात बोल देती है जानेमन ! Negative Points:- ''चोर बाज़ारी'' गाने में दीपिका पादुकोण की ड्रेस और पर्स का रंग बदल जाते है| गाने के बीच में पर्स को फ़ेंक देती है| जैसे ही गाना खत्म होता है वैसे ही हाथ में फिर पर्स आ जाता है| फिल्म के शुरू में ऋषि कपूर को 2 सीन्स में इग्नोर कर दिया गया है| तीसरे सीन से उनको इंट्रोडस किया गया है पता नहीं ऐसा क्यों किया गया | इंटरनल होने से 15 -20 मिनट्स पहले 3 गाने बैक टू बैक डाल दिए गए है| इंटरवल के बाद फिर एक गाना आ जाता है| Film fare Awards 2009 Nominations Best FilmLove Aaj KalNominatedBest DirectorImtiaz AliNominatedBest StoryImtiaz AliNominatedBest ScreenplayImtiaz AliNominatedFilmfare Awards27 February 2010Best DialogueImtiaz AliNominatedBest ActorSaif Ali KhanNominatedBest ActressDeepika PadukoneNominatedBest Music DirectorPritamNominatedBest LyricistIrshad Kamil for "Aj Din Chadheya"WonBest Male Playback SingerRahat Fateh Ali Khan for "Aj Din Chadheya"NominatedBest Female Playback SingerSunidhi Chauhan for "Chor Bazaari"NominatedBest ChoreographyBosco-Caesar for "Chor Bazaari"WonNominations Rating:-3.5* Read the full article
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What Was Amrita Pritam's Relationship with Imroz-Sahir? Why Did The Story Of Love Remain Incomplete?
Amrita Pritam Love Story: पंजाबी भाषा की मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम की जिंदगी का अफसाना फिल्म के किसी चरित्र के मानिंद है. अमृता के साहिर लुधियानवी से मोहब्बत किसी रहस्य से कम नहीं है, जिसकी कई गिरह अभी खुलनी बाकी हैं.
Amrita Pritam Love Story : अमृता प्रीतम सिर्फ लेखिका नहीं बल्कि एक युग थीं और एक परंपरा भी… जिन्होंने जिंदगी जीने का अलग ही तरीका और सलीका दिया. जो लिव इन रिलेशनशिप आज के युवाओं का फैशन बन गया है वह अमृता प्रीतम ने उस युग में जिया जब इसके बारे में हममें से ज्यादातर लोग जानते भी नहीं थे. उन्होंने प्यार की वह परिभाषा गढ़ी, जिसमें खोना ही पाना था और पाना ही खोना था. अमृता प्रीतम और साहिर का रिश्ता एक मायने में अनोखा था, जहां एक-दूसरे को पाने की चाहत तो थी लेकिन कोशिश नहीं. यह अलग बात है कि साहिर और अमृता में एक-दूसरे को पाने की कसक ताउम्र रही. कहा जाता है कि साहिर ने अमृता से इश्क ना किया होता तो हमराज फिल्म का गीत ‘वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत ��ोड़ देकर छोड़ना अच्छा…’ कभी लिखा नहीं जाता. अमिताभ बच्चन, राखी, शशि कपूर और ऋषि कपूर अभिनीत फिल्म ‘कभी-कभी’ फिल्म का टाइटल सॉन्ग दरअसल, साहिर की मुकम्मल जिंदगी है, जिसे वह कुछ यूं कहते हैं- मैं जानता हूं कि तू गैर है मगर यूं ही… कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है’ यह गीत ऐसा ब्रेकअप सॉन्ग है जो बिछड़े प्रेमियों को एक अलग ही तरह की ऊर्जा देता है.
Amrita Pritam Love Story : स्कूल में लिख डाली थी नज्म
अमृता प्रीतम बचपन से ही साहित्य प्रेमी थीं. कविताओं का शौक था. पढ़ने-लिखने का भी जुनून था. कहा जाता है कि अमृता के जेहन में एक काल्पनिक प्रेमी था. लेखिका ने इस प्रेमी को बाकायदा नाम दिया था- राजन. कल्पनाओं का यह राजन अमृता के जेहन से उनकी ख्यालात भरी जिंदगी में शामिल हो गया. अमृता की दीवानगी देखिये कि उन्होंने इसी नाम को अपनी ज़िंदगी की पहली नज़्म का सब्जेक्ट बनाया. प्रतिष्ठित लेखिका के तौर पर एक नामी मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था- ‘जब स्कूल में पढ़ती थी तो मैंने एक नज्म लिखी थी. फिर यह सोचकर अपनी जेब में रख लिया कि वह स्कूल जाकर अपनी करीबी सहेली को दिखाएंगी.’ वहीं, बैरागी पिता के पास अमृता कुछ पैसे मांगने गईं. इस दौरान उनके पिता ने पैसे अमृता प्रीतम के हाथ में न देकर उनकी जेब में डालने चाहे और उसी जेब में वो नज़्म रखी हुई थी. पिता का हाथ उस नज़्म पर पड़ा तो उन्होंने उसे निकालकर पढ़ लिया. यह बहुत असहज करने वाली स्थिति थी. पिता ने पूछ लिया- क्या इसे तुमने लिखा है? खैर परिस्थिति को काबू करने के लिए अमृता ने झूठ बोला और कहा- ‘यह नज़्म उनकी सहेली ने लिखी है. जाहिर है पिता ने उस झूठ को पकड़ लिया गया और नज्म को दोबारा पढ़ा. पढ़ने के बाद पूछा कि यह राजन कौन है? इस सवाल के जवाब में अमृता खामोश थीं. इस पर पिता ने झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ा और कागज फाड़ दिया. अमृता प्रीतम ने बड़ी ही साफगोई से कहा था- ‘झूठ बोलकर अपनी नज्म किसी और के नाम लगानी चाही थी, लेकिन वह नज्म एक चपत को साथ लिए फिर से मेरे नाम लग गई. यह हश्र था मेरी पहली नज्म का.’
Amrita Pritam Love Story : जिसके साथ पत्नी की तरह रहीं, कभी नहीं कहा ‘प्यार है’
मैंने ऊपर ही लिख दिया है कि साहिर और अमृता की प्रेम कहानी बेहद अनूठी थी. अमृता की लाइफ में एक तरह का लव ट्राएंगल था. सही मायनों में वह मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी से प्यार ��रती थीं, लेकिन उन्होंने जीवन गुजारा इमरोज के साथ. बेशक हर प्रेमी की चाहत होती है कि वह इजहार-ए-इश्क जरूर करे, लेकिन इमरोज और अमृता का इश्क अजीब था. ऐसा कहा जाता है कि इमरोज और अमृता ने एक-दूसरे से कभी कहा ही नहीं कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं. इस पर इमरोज ने एक बार कहा था- हिंदी फिल्मों में भी आप उठने-बैठने के तरीके से बता सकते हैं कि हीरो-हीरोइन एक-दूसरे से मोहब्बत करते हैं लेकिन वो फिर भी बार-बार कहते हैं कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं. जब प्यार है तो बोलने की क्या जरूरत है? वो सच्चा प्यार करते हैं जैसे कि प्यार भी कभी झूठा होता है.
Amrita Pritam Love Story : इमरोज करते थे अमृता की प्राइवेसी की इज्जत
अमूमन पति-पत्नी का एक-दूसरे की जिंदगी में पर्याप्त दखल होता है. इसके तहत पति-पत्नी दोनों एक ही कमरे में रहते हैं. इमरोज का कहना था कि हम पहले दिन से ही एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहते रहे. उन्होंने स्वीकारा कि रात के समय अमृता प्रीतम लिखती थीं. उन्होंने इस वक्त को चुना जब न कोई आवाज होती हो और न ही टेलीफोन की घंटी बजती हो. … और सबसे बड़ी बात कि उस दौरान कोई आता और जाता भी ना हो. इमरोज ने अमृता की आदता का ख्याल रखा. इतना ही नहीं अमृता ने जब चाहा तब इमरोज ने उन्हें लिखने के लिए तन्हा छोड़ा. इमरोज ने स्वीकार किया था कि अमृता प्रीतम लिखने के दौरान चाय पीने की शौकीन थीं, लेकिन वह कभी भी बीच में लिखना छोड़कर चाय नहीं बनाती थीं. इसका मतलब यह है कि वह चाय नहीं बनाती थीं. मगर लिखने के दौरान वह चाहतीं कि उन्हें चाय मिले. उस समय मैं सो रहा होता था. फिर इरादा किया और रात के एक बजे उठना शुरू कर दिया. इस दौरान इमरोज चाय बनाकर उनके आगे चुपचाप रख आते थे. उस वक्त अमृता प्रीतम लिखने में इतनी खोई होती थीं कि वह इमरोज की ओर देखती भी नहीं थीं. यह सिलसिला करीब 5 दशक यानी 50 सालों तक चला. जाहिर है इमरोज ने हजारों रातें इसलिए जागकर ��ुजारीं कि जब भी अमृता को चाय की तलब लगे तो वह मौजूद रहें.
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Amrita Pritam Love Story : अमृता एंड इमरोज़- ए लव स्टोरी
अमृता ने प्रीतम सरनेम अपने साथ ऐसा जोड़ा कि उम्र भर जुड़ा रहा. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि पहली शादी उनकी असफल रही. दरअसल, साल 1935 में अमृता ने लाहौर (अब पाकिस्तान में) के अनारकली बाजार के एक होजरी व्यापारी के बेटे प्रीतम सिंह से शादी की. दोनों के 2 बच्चे भी हुए- एक बेटा और एक बेटी. लेकिन अमृता प्रीतम को शायर साहिर लुधियानवी से एकतरफा लगाव था. वह प्रीतम सिंह से अलग हो गईं. बताया जाता है कि दोनों सहमति से अलग हुए. जाने-अनजाने अमृता की जिंदगी में तब इमरोज की एंट्री हो चुकी थीं. इन दोनों की जानकार थी लेखिका उमा त्रिलोक. अमृता दोनों की नज़दीकी दोस्त रही थीं और उन पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है- ‘अमृता एंड इमरोज़- ए लव स्टोरी.’ उमा ने लिखा है कि अमृता और इमरोज का लव रिलेशनशिप तो रहा है लेकिन इसमें आजादी बहुत है. उमा त्रिलोक का कहना है कि बहुत कम लोगों को पता है कि वो एक ही घर में रहते हुए अलग-अलग कमरों में रहते थे. जब इसका ज़िक्र होता था तो इमरोज़ कहा करते थे कि एक-दूसरे की ख़ुशबू तो आती है. ऐसा जोड़ा मैंने बहुत कम देखा है कि एक दूसरे पर इतनी निर्भरता है लेकिन कोई दावा नहीं है.
Amrita Pritam Love Story : एक इश्क ऐसा भी…
साल 1958 की बात है. इमरोज को मुंबई (तब बोम्बे) में नौकरी मिल गई, कहा जाता है कि अमृता प्रीतम को दिल ही दिल में यह अच्छा नहीं लगा. अमृता को यह एहसास हुआ कि साहिर लुधियानवी क��� तरह इमरोज भी उनसे अलग हो जाएंगे. उ��्हें यह डर क्यों सताया इसकी भी वजह है… दरअसल, साहिर लुधियानवी लेखिका अमृता प्रीतम से इश्क करते थे या नहीं, यह तो दफ्न हो गया, लेकिन अमृता प्रीतम गीतकार साहिर से एकतरफा इश्क जरूर करती थीं. यहां तक कि वह उनकी सिगरेट का आखिरी हिस्सा अपने पास रखती थीं. यह उनकी दीवानगी थी, लेकिन साहिर ने कभी अपने प्यार का इजहार अमृता के सामने नहीं किया. बावजूद इसके दुनिया यही जानती है कि साहिर और अमृता एक-दूसरे से इश्क करते थे. इसका सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि अमृता और इमरोज ने कभी भी एक दूसरे से नहीं कहा कि वो एक-दूसरे से प्यार करते हैं.
Amrita Pritam Love Story : …. जब इमरोज को देखते ही उतर गया अमृता का बुखार
खैर बात हो रही है साल 1958 की और इमरोज के मुंबई पहुंचने की. इमरोज ने खुद कबूला है कि मशहूर फिल्म मेकर और एक्टर गुरु दत्त उन्हें अपने साथ रखना चाहते थे, लेकिन सैलरी पर बात नहीं बन पा रही थी. फिर एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई तो सामने अपॉइंटमेंट-लेटर था और वो उतने पैसे देने के लिए राजी हो गए जितना इमरोज चाहते थे. इमरोज के मुताबिक, वह बहुत खुश थे. दिल्ली में अमृता इकलौती अच्छी जानकार थीं, जिनसे वह अपनी खुशी शेयर कर सकते थे. इमरोज को देखकर अमृता खुश तो हुईं, लेकिन उनकी आंखें आंसुओं से भर आईं. मुंबई जाने के बाद अमृता को इमरोज ने फोन किया और उधर से आवाज आई और पूछा सब ठीक है ना. इस पर इमरोज बोले ठीक तो है, लेकिन वह मुंबई में नहीं रह सकते. यहां तक कि दिल्ली लौटने तक का फैसला ले लिया. उस वक्त अमृता की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी. मगर जब इमरोज दिल्ली पहुंचे तो अमृता कोच के बाहर खड़ी थीं और उन्हें देखते ही अमृता का बुखार उतर गया.
Amrita Pritam Love Story : एक इश्क जो बन गया मिसाल
अमृता प्रीतम और साहिर लुधियानवी की प्रेम कहानी अजब थी, जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती. यह तो जमाना भी जानता है कि अमृता को साहिर लुधियानवी से मोहब्बत थी. इसका जिक्र अमृता प्रीतम ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘रस��दी टिकट’ में भी किया है. उन्होंने बताया कि कैसे साहिर लाहौर (अब पाकिस्तान) में उनके घर आया करते थे. उन्होंने लिखा है कि कैसे साहिर एक के बाद एक सिगरेट पिया करते थे. साहिर के जाने के बाद वो उनकी सिगरेट की बटों को दोबारा पिया करती थीं और बचने पर संभाल कर रख लिया करती थीं. अमृता की मानें तो उन्हें इस तरह सिगरेट की लत लग गई और फिर साहिर को अमृता ताउम्र नहीं भुला पाईं. यह कम रोचक नहीं है कि अमृता शायर साहिर से बेपनाह प्यार करती थीं. यह जानकर भी इमरोज अमृता से एकतरफा इश्क कर बैठे. अमृता और इमरोज की दोस्ती के बारे में उमा त्रिलोक ने भी किताब में लिखा है कि, कोई अजीब बात नहीं थी. दोनों इस बारे में काफी सहज थे. उमा ने कहा भी था कि ‘साहिर एक तरह से आसमान हैं, जबकि इमरोज मेरे घर की छत’ साहिर और अमृता का प्लैटोनिक इश्क. इमरोज ने खुद उमा त्रिलोक से इस बात का जिक्र किया था कि जब उनके पास कार नहीं थी वो अक्सर अमृता को स्कूटर पर ले जाते थे. स्कूटर पर पीछे बैठने के दौरान अमृता की अंगुलियां हमेशा कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. जैसे उनके हाथ में कलम हो. इमरोज ने खुद स्वीकार किया है कि अमृता प्रीतम ने कई बार पीछे बैठे हुए उनकी पीठ पर साहिर का नाम लिख दिया. इससे उन्हें पता चला कि वो साहिर को कितना चाहती थीं. इमरोज का कहना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर वो साहिर को चाहती हैं, तो चाहती हैं. मैं भी अमृता प्रीतम को चाहता हूं.
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Amrita Pritam Love Story : एक इंतजार जो मरकर भी न खत्म हुआ
अमृता और इमरोज अब इस दुनिया में नहीं है. दिसंबर, 2023 में इमरोज ने 97 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया, जबकि अमृता ने 31 अक्टूबर, 2005 को दुनिया से विदा ली. अमृता के जाने के 18 साल बाद इमरोज ने दुनिया छोड़ी, लेकिन वह इमरोज के जेहन में हमेशा रहीं. जब भी वह दिल्ली में मिलते तो सिर्फ और सिर्फ अमृता प्रीतम की जिंदगी को लेकर बात करते. यह भी एक सच है कि अमृता जहां भी जाती थीं इमरोज को साथ लेकर जाती थीं. दरअसल जब अमृता प्रीतम को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया तो इमरोज रोज सुबह उनके साथ संसद भवन जाते थे और बाहर बैठकर उनका इंतजार किया करते थे. हालांकि, बड़े सरकारी आयोजन या फिर खाने पर जब अमृता जातीं तो इमरोज उनके साथ जाने की कोशिश तक नहीं करते थे. वह बाहर ही अमृता का घंटों इंतजार किया करते थे.
Amrita Pritam Love Story : मर कर भी नहीं मरीं अमृता
31 अक्तूबर 2005 को भले ही अमृता ने दुनिया को अलविंद कह दिया, लेकिन इमरोज के लिए वह कभी मरी ही नहीं. इमरोज कहते थे- उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं. वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों की छांव में कभी ��िरणों की रोशनी में कभी ख़्यालों के उजाले में. हम उसी तरह मिलकर चलते हैं चुपचाप… हमें चलते हुए देखकर फूल बुलाते हैं. हम फूलों के घेरे में बैठकर एक-दूसरे को अपना अपना कलाम सुनाते हैं. उसने जिस्म छोड़ है साथ नहीं. ‘
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आफनै बिबाहमा बेहोस भएका थिए ऋषी कपुर र निता कपुर
मुम्बइ, २४ असार । नीतु कपूर फिल्म उद्योगको शीर्ष अभिनेत्री मध्ये एक हुन्। उनले आफ्नो समयमा धेरै हिट फिल्ममा काम गरिसकेकी छन् । नीतु कपूरले आफ्नो करियर हिन्दी सिनेमामा बाल कलाकारको रूपमा सुरु गरेकी थिइन्। नीतु कपूर धेरै स्टारसँग पर्दामा देखा परेकी छिन् तर ऋषि कपूरसँग उनको जोडीलाई प्राथमिकता दिइयो। नीतु कपुरले एक अन्तर्वार्तामा यस कथाको बारेमा बताएकी थिइन् कि ऋषि कपुरका लागि उनले आफ्नी आमालाई…
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