#लावारिस फिल्म
Explore tagged Tumblr posts
stackumbrella1 · 2 years ago
Text
Birthday Special: कई सुपरहिट गानों की सौगात से बनी Alka Yagnik आठ मिलियन डॉलर की मालकिन, जानिए कैसे?
Tumblr media
Alka Yagnik: माता-पिता से मिली विरासत को निभाती आई अल्का याग्निक का आज जन्मदिन है कई खूबसूरत गानों की मल्लिका कई गानों की प्लेबैक सिंगर रही गायिका अल्का याग्निक को आज कौन नहीं जानता। तो चलिए आज जानते कुछ ऐसे खास किस्सों के बारे में जिनसे आप अब तक रुबरु नहीं हुए होगें।
Alka Yagnik का 6 साल की उम्र में चला आवाज का जादू
Tumblr media
उनका जन्म 20 मार्च 1966 के दिन कोलकाता में रहने वाले एक गुजराती परिवार में हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि अलका की मां भी एक शानदार गायिका हैं। अलका को संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने मां से ही हासिल हुई। 
14 साल की उम्र में गाया बॉलीवुड का पहला गाना 
फिर तो मानों ये सिलसिला फिर थमने से रहा, वही फिल्म इंडस्ट्री में मात्र 14 साल की Alka Yagnik ने पायल की झंकार से शुरुआत कर थिरकत अंग लचक झुकी गाने का मौका मिला। दर्शकों ने गाने को खूब पसंद किया।
Tumblr media
फिर क्या था अल्का की आवाज जैसे गाने के लिए बनी थी और गाने अल्का के लिए। उनकी आवाज के कायल तो जैसे सभी हो ग���े थे। एक के बाद एक बैक टू बैक गानों का तांता लग गया था।
मेरे अंगने और एक दो तीन ने मचाई धूम
इसके बाद Alka Yagnik ने साल 1981 में अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘लावारिस’ के गाने ‘मेरे अंगने’ को आवाज दी। जिसके साथ अल्का की आवाज ने धूम मचा दी यही नहीं 1988 में फिल्म ‘तेजाब’ के गाने ‘एक दो तीन’ के बाद अलका को प्लेबैक सिंगर के रूप में पहचान मिली। जिसके बाद अल्का अब तक तकरीबन 700 फिल्मों के लिए गाना गा चुकी हैं।यहां सुनिए उनके कुछ सदाबहार गीत
youtube
ये भी पढ़े: Payal Ghosh की नई पोस्ट वायरल, बोलीं ‘उसने मेरा रेप किया’, जाने क्या है पूरा मामला
2 notes · View notes
oldisgoldmedia · 2 years ago
Photo
Tumblr media
जीवन का जन्म 1915 में कश्मीर में हुआ था। उनका असली नाम ओंकार नाथ धार था। वो बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे। जीवन का परिवार काफी बड़ा था। उनके 24 भाई बहन थे। जीवन के जन्म के साथ ही उनकी मां का निधन हो गया था। 50 के दशक में बनी हर धार्मिक फिल्म में इन्होंने नारद का रोल किया। जीवन को  पहचान उस समय मिली जब 1935 में उन्होंने फिल्म 'रोमांटिक इंडिया' में काम किया। इसके बाद जीवन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जीवन अपने करियर के शुरुआती दौर में ही जान गए थे कि उनका चेहरा हीरो लायक नहीं है। इसलिए उन्होंने खलनायकी में हाथ आजमाया और सफल भी हुए। जीवन की डायलॉग डिलीवरी कमाल की थी। उन्हें जीवन नाम विजय भट्ट ने दिया था। जीवन की 'अफसाना', 'स्टेशन मास्टर', 'अमर अकबर एंथनी' और 'धर्म-वीर' यादगार फिल्मों में से एक हैं। उन्होंने नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, लावारिस, आदि फिल्मों में भी अहम भूमिकाएं निभाई। #oldisgold #villian #villians #oldmemories #bollywoodactors #bollywoodcollection #artists #bollywoodartist #puranelamhe https://www.instagram.com/p/CgWUuugJ4Ku/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes
bollywoodpapa · 3 years ago
Text
अनु मालिक, प्रीतम, सहित इन जाने माने सिंगर पर लगा धुन चुराने का आरोप, जानिए इन फेमस सिंगर के बारे में!
New Post has been published on https://bollywoodpapa.com/285816/anu-malik-to-pritam-these-composers-accused-of-plagiarism-know-details/
अनु मालिक, प्रीतम, सहित इन जाने माने सिंगर पर लगा धुन चुराने का आरोप, जानिए इन फेमस सिंगर के बारे में!
दोस्तों बॉलीवुड फिल्म जगत कई जाने माने सिंगर है जिनकी आवाज़ के लोग दीवाने है, कई बार फिल्मे इन सांग्स की वजह से ही हिट हो जाती है,  बॉलीवुड में ऐसा होता है कि फिल्म भले ही बड़े पर्दे पर कमाल न दिखाए लेकिन फिल्म का म्यूजिक लोगों को बहुत पसंद आता है। लेकिन बता दें कि बॉलीवुड पर सिर्फ दूसरी फिल्मों को कॉपी करने का आरोप नहीं लगता, लेकिन कई बार तो सिंगर्स पर भी म्यूजिक चुराने का आरोप लगा है।
बता दें कि हाल ही में अनु मलिक पर इस्राइल के राष्ट्रगान की धुन चुराने का आरोप लगाया है। जिसकी वजह से अनु मलिक सोशल मीडिया पर बहुत ही बुरी तरह से ट्रोल हो गए थे। लेकिन अनु मलिक अकेले ऐसे सिंगर और कम्पोजर नहीं हैं जिन पर किसी भी धुन को चुराने का आरोप लगा है। उनके अलावा कई और सिंगर्स और कम्पोजर पर भी म्यूजिक चुराने का आरोप लगा है। ऐसे ��ें आज आपको ऐसे ही कुछ सिंगर्स के बारे में बता रहे है जिनके धुन चुनराने का आरोप लगा है।
अनु मलिक
बॉलीवुड के जाने माने सिंगर और कम्पोज़र अनु मालिक पर एक हाल ही में फिर से धुन चुराने का आरोप लगा है, बता दे की टोक्यो ओलांपिक में जब इजराइल ने अपना दूसरा गोल्ड मेडल जीता और उनका राष्ट्रगान बजा तब लोगों को ये एहसास हुआ कि अनु मलिक ने अपनी फिल्म दिलजले के ‘मेरा मुल्क मेरा देश’ गाने में इजराइल के राष्ट्रगान की धुन कॉपी की है, जिसकी वजह से उन्हें सोशल मीडिया पर जबरदस्त ट्रोल किया गया। वैसे ये पहली बार नहीं है जब उन पर धुन चुराने का आरोप लगा हो, इससे पहले अंग्रेजी गाने माकारेना सहित कई गानों की धुन चुराने का आरोप लग चूका है।
बादशाह
जाने माने रेपर बादशाह ने कुछ समय पहले अपना गैंदा फूल गाना रिलीज किया था। इस गाने में जैकलीन फर्नांडीस थीं। गाने को लोगों ने काफी पसंद किया था, लेकिन बाद में पता चला कि ये असल गाना बंगाली गाने ‘बोरोलोकी बिटिलों की कॉपी है। इस गाने को रतन कहर ने लिखा था। इस वजह से बादशाह को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया गया था। जिसके बाद बादशाह ने रतन कहर को 5 लाख रुपए दिए थे।
प्रीतम
प्रीतम एक ऐसे सिंगर और म्यूजिक कम्पोजर हैं जिन पर एक नहीं दो नहीं बल्कि कई बार म्यूजिक चुराने के आरोप लग चुके हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रीतम के अब तक जितने भी गाने हिट हुए हैं वो किसी न किसी गाने की कॉपी है। प्रीतम ने अपने म्यूजिक के लिए अमेरिकन पाई और थ्रिलर जैसी अंग्रेजी धुनों को चुराया। इतना ही नहीं, बताया जाता है कि तू ही मेरी शब है सुबह है गाने को ओलिवर शांति एंड फ्रेंड्स के गाने सेक्रल निर्वाना के गाने से कॉपी किया गया।
सलीम-सुलैमान
सलीम-सुलैमान दोनों की जोड़ी सुपरहिट है। दोनों ही कमाल के कम्पोजर हैं। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सलीम मर्चेंट पर भी धुन चुराने का आरोप लग चुका है। इस खबर के बाहर आने के बाद उनके प्रशंसक बहुत ही निराश हुए थे। साल 2017 में जब सलीम का गाना ‘हारेया’ आया था तो पाकिस्तानी सिंगर और अभिनेता फरहान सईद ने उन पर ये आरोप लगाया था कि ये गाना 2014 में आए उनके गाने ‘राईयां’ की कॉपी है। हालांकि इस इल्जाम से सलीम मर्चेंट ने मना किया लेकिन दोनों गानों की धुन समान थी।
राजेश रोशन
राकेश रोशन के भाई राजेश रोशन का नाम भी गाने कॉपी करने के मामले में कई बार सामने आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक राजेश द्वारा बनाए गए लावारिस का लोकप्रिय गाना, ‘तुमने जो कहा’ अंग्रेजी गाने बार्बी गर्ल, जुर्म का गाना जब कोई बात बिगड़ जाए अंग्रेजी गाने ‘फाइव हंड्रेड माइल्स’ की थीम से चुराया गया है। इसके अलावा ��ी हसीना गोरी-गोरी, लाऊं कहां से सहित कई गानों की धुन को कॉपी करने का आरोप उन पर लगा है।
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years ago
Text
जन्मदिन विशेष: ऐसा रहा अमिताभ बच्चन का शून्य से महानायक बनने का सफर, पढ़ें उनकी संघर्ष की कहानी
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज आज बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का 78वां जन्मदिन है। 11 अक्टूबर 1942 को जन्मे सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की सफलता को तो सब देखते हैं, लेकिन इस सफलता के पीछे छिपा हुआ संघर्ष नजर नहीं आता। अमिताभ एक ऐसा नाम है जिसे कोई परिचय की जरूरत नहीं है। यह अपने में ऐसी शख्सियत हैं जो भारत के अलावा देश-विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। इनकी आवाज, एक्टिंग, इनकी अदा, इत्यादि का हर कोई फैन है। अमिताभ जी को बॉलीवुड का किंग या शहंशाह तथा महानायक जैसी कई उपाधियां भी दी गई है। जन्मदिन के इस खास मौके पर जानते हैं अमिताभ के बारे में कुछ खास बातें-
Tumblr media
जन्म अमिताभ बच्चन का जन्म मशहूर साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर हुआ था। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था। लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने इनका नाम 'अमिताभ' रखा। माता तेजी बच्चन की थिएटर में गहरी रुचि थी और उन्हें फिल्म में रोल की पेशकश भी की गई थी किंतु इन्होंने गृहणी बनना ही पसंद किया। अमिताभ के करियर के चुनाव में इनकी माता का भी कुछ योगदान था क्योंकि वे हमेशा इस बात पर भी जोर ��ेती थी कि उन्हें सेंटर स्टेज को अपना करियर बनाना चाहिए। शिक्षा बच्चन ने दो बार एम. ए. की डिग्री ली है। मास्टर ऑफ आर्ट्स उन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल तथा उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की जहां कला संकाय में प्रवेश दिलाया गया। अमिताभ बाद में अध्ययन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां इन्होंने विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अमिताभ बच्चन ने अभिनय में अपना कैरियर आजमाने के लिए कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी छोड़ दी थी।
Tumblr media
करियर अमिताभ बच्चन की शुरूआत फिल्मों में वॉयस नैरेटर के तौर पर फिल्म 'भुवन शोम' से हुई थी लेकिन अभिनेता के तौर पर उनके करियर की शुरूआत फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' से हुई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में कीं लेकिन वे ज्यादा सफल नहीं हो पाईं। फिल्म 'जंजीर' उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने लगातार हिट फिल्मों की झड़ी तो लगाई ही, इसके साथ ही साथ वे हर दर्शक वर्ग में लोकप्रिय हो गए और फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा भी मनवाया। प्रसिद्ध फिल्में सात हिंदुस्तानी, आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, सत्याग्रह, शमिताभ जैसी शानदार फिल्मों ने ही उन्हें सदी का महानायक बना दिया।
Tumblr media
पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें 3 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 14 बार उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। फिल्मों के साथ साथ वे गायक, निर्माता और टीवी प्रजेंटर भी रहे हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा है। अमिताभ के करियर का बुरा दौर उनकी फिल्में अच्छा बिजनेस कर रही थीं कि अचानक 26 जुलाई 1982 को कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट लगी गई। दरअसल, फिल्म के एक एक्शन दृश्य में अभिनेता पुनीत इस्सर को अमिताभ को मुक्का मारना था और उन्हें मेज से टकराकर जमीन पर गिरना था। लेकिन जैसे ही वे मेज की तरफ कूदे, मेज का कोना उनके आंतों में लग गया जिसकी वजह से उनका काफी खून बह गया और स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि ऐसा लगने लगा कि वे मौत के करीब हैं लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से वे ठीक हो गए।
Tumblr media
टेलीविजन का सफर कहा जाता नब्बे का दशक ऐसा था जब इनके ऊपर बहुत कर्जा हो गया था इनकी फिल्में भी फ्लॉप हो रहीं थी। तब सन् दो हजार मे टेलीविजन शो मे होस्ट के रूप मे एक ऑफर आया, जिसे इन्होंने स्वीकार किया वह शो था 'कौन बनेगा करोड़पति'। इस शो से इनके जीवन मे फिर बदलाव आया तथा तब से आज तक यह शो यही होस्ट कर रहे है। हर साल इसकी एक सी��ीज आती है अभी हाल ही मे 2020 मे यह फिर से चालू होने वाला है। राजनीति 1982 मे कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान यह गंभीर रूप से घायल हो गये थे, जिसके लिये इनके चाहने वालों ने बहुत प्रार्थना करी और यह ठीक भी हो गये पर यहाँ इन्होंने काम करना कम कर दिया। उसी बीच इनको 1984 मे संसद मे एक बॉलीवुड स्टारडम की सीट के लिये प्रस्ताव आया और उन्होंने स्वीकार भी कर लिया, पर 1987 मे बिना बात के विवाद मे फस जाने के करण इन्होंने यह सीट छोड़ दी।
Tumblr media
Read the full article
0 notes
onlinekhabarapp · 4 years ago
Text
शुटिङको अनुभव : भरियादेखि दलितसम्मको भूमिका गरेको छु
सुर्खेतमा फिल्म सुटिङको क्रममा म सुर्खेत पुगेको थिएँ । सुटिङ हुनुभन्दाअघि म गाउँको एउटा सामान्य घरभित्र बसेको थिएँ । म बसेको ठउँमा थुप्रै मानिसहरु आएर झुम्मिनुभयो । कतिले कुरा गर्नुभयो, कतिले फोटो खिच्नुभयो र फर्कनुभयो । तर, मेरो ध्यानचाहिँ एउटा व्यक्तिमा थियो ।
ती व्यक्ति लामो समयदेखि ढोकाको संघार बाहिर टुसुक्क बसिरहेका थिए । कति मानिसहरु भित्र आए गए । तर, ती व्यक्तिले मलाई हेरिमात्र रहनुभयो ।
पछि मैले उहाँलाई बोलाएँ, ‘किन त्यहाँ त्यसरी बसिरहनुभएको हो ? आउनुस्, फोटो खिच्ने हो कि कुरा गर्ने हो, गर्नुस् ।’
उहाँको अनुहार रातो भयो । अक्मकिँदै बोल्नुभयो, ‘अलि मिल्दैन कि ! मिल्दैन ।’ मैले हाँस्दै भने, ‘छोडिदिनुस् यी सब । खुरुक्क आउनुस् ।’ त्यसपछि उहाँ मसँग आएर बस्नुभयो । कुरा गर्नुभयो । उहाँ दलित समुदायको हुनुहुँदो रहेछ । हाम्रो थोर बहुत घनिष्ठता पनि बढ्यो ।
त्यसपछि हाम्रो सुटिङ सुरु भयो । छायांकन सकिएर प्याकअप हुँदै थियो । उहाँ फेरि त्यहीँ देखिनुभयो । उहाँको हातमा एउटा पोको थियो । नजिकै आएर भन्नुभयो, ‘तपाईंका लागि मैले खानेकुरा पकाएर ल्याएको छु । स्वीकारिदिनुस् न ।’
त्यो कुरा मलाई यसकारण पनि महत्वपूर्ण लाग्छ कि सम्बन्धित व्यक्तिको व्यवहार र आचरणले नजिक आउन डराएको मान्छेले पनि खाना पकाएर ल्याउने बनायो । यसले मलाई शिक्षा पनि सिकायो ।
यहाँ दलित शब्द ह��ाउने वा नहटाउने भन्नेजस्ता प्रश्न पनि उठे । तर, दलित शब्दमा के छ र त्यस्तो हटाउनुपर्ने ? दलित शब्द आफैंमा नराम्रो होइन । हटाउनुपर्ने त हाम्रो व्यवहार हो र हाम्रो व्यवहार हो ।
हाम्रो संस्कृति, परम्परा, रहन-सहन धर्ममा भएको विभिन्न कुप्रथामध्ये सबैभन्दा चित्त नबुझेको कुरा भनेको जातका आधारमा एउटा मान्छेले अर्को मान्छेलाई गर्ने भेदभाव र अमानवीय व्यवहार हो । र, यसो गर्नुमा कुनै तर्क पनि भेटेको छैन ।
म पनि यही समाजको उपज हुँ । मेरा बुबा मुमाहरुले पनि केही हदसम्म त्यो कुरीतिलाई अपनाउनुभयो होला । तर, मेरा बुबा मुमा असाध्यै प्रगतिशील हुनुहुन्थ्यो । त्यसैले यसबारे हामीलाई कुनै दबाव दिनुहुन्थेन । यसमा मलाई गर्व लाग्छ । यसको एउटा उदाहरण सुनाउँछु ।
म त्यस्तै ४/५ वर्षको थिएँ । मेरो घरमा सहयोगीका रुपमा त्यस्तै २२/२४ वर्षकी महिला हुनुहुन्थ्यो । मैले उहाँलाई तँ भनेर सम्बोधन गर्थेँ । एकदिन बुवाकै अगाडि मैले तँ भनेर सम्बोधन के गरेको थिएँ, उहाँले कानमा समाएर घिसार्दै ती सहयोगीका अगाडि पुर्‍याउनुभयो र भन्नुभयो- अब आफूभन्दा ठूलोलाई कहित्यै तँ भन्दिनँ भनेर माफी माग् !
मैले यस्तैखालको प्रशिक्षण पाएका कारण पनि ममा विभेदविरुद्धको चेतना आएको हुन सक्छ । र, अहिले मैले दलितको मुद्दामाथि जातको प्रश्न भन्ने कार्यक्रम चलाउने शौभाग्य पाएको छु । यसलाई मैले मात्र प्रस्तोताका रुपमा म यो कार्यक्रममा आएको होइन । आत्मसाथ गरेरै म यो मुद्दामा आएको हो ।
जातीयता समस्याको समाधान त्यही समुदायकाले मात्र हल गर्नुपर्छ भन्ने पनि होइन । कुनै पनि समुदायमा परिरहेको समस्यामा त्यो समुदायको एक्लो पहलले उठ्नका लागि त्यति सजिलो हुँदैन । त्यसका लागि अरुको पनि जरुरत पर्छ । किनकि, एउटा व्यक्ति वा समुदायलाई त्यो अवस्थामा पुर्‍याउनका लागि सबैको भूमिका हुन्छ । त्यसैले यसको निकासका लागि पनि भूमिकाको जरुरत पर्छ । जस्तो कि महिलाको समस्या समाधान गर्नका लागि महिलाको मात्र एक्लो पहल सम्भव छैन ।
दलित समुदायको समस्या समाधानका लागि केही कानुन बनेका होलान् । विडम्बना के छ भने कानुनमा लेख्न जति सजिलो हुन्छ । व्यवहारमा उतार्न त्यति नै गाह्रो हुँदो रहेछ । मानिसको त्यो मनोविज्ञानलाई मेटाउनका लागि त्यति सहज रहेन छ । कानुनलाई व्यवहारमा खरोरुपमा उटार्न नसकेका कारण पनि पनि यस्ता अमानवीय घटनाहरु यथावत रहेका हुन् कि !
भर्खरै मात्र भएको रुकुमको घटनालाई नै उदाहरण लिऔँ ।
जातीय अहंकारबाट एउटा समुदायले अर्को समुदायलाई त्यसरी क्रुर व्यवहार र हत्यासम्म गर्ने आँट कसरी आउँछ त ? जो कानुनको रक्षक हुनुहन्छ, उहाँहरुले नै यो मुद्दामा त्यति गम्भीर हुनुहुन्न ? फितलो किसिमले हेर्नुहुन्छ कि भन्ने दृष्टिकोणले पनि उहाँहरुलाई त्यस्तो आँट आएको पनि हुन सक्छ ।
अन्तरजातीय विवाहका आधारमा हत्या भएका अजित मिजारको शव पाँच वर्षदेखि टिचिङ अस्पतालमा लावारिस छ । यसरी पाँच वर्षसम्म रहनुको कारण के हो ? कुनै न कुनै पक्षमा निर्णय त हुनुपर्ने हो । यसले समाजमा के नजिर बसेको छ भने यो मुद्दामा कानुन जति गम्भीर बन्नुपर्ने हो त्यति बनेको छैन । यसलाई सबै व्यक्तिहरुले गम्भीरतापूर्वक मनन गर्नुपर्छ । कानुनमा भएको कुरालाई सतप्रतिशत कार्यान्वय गर्न तुरुन्तै लाग्नुपर्छ ।
मेरो व्यक्तिगत कुरा गर्दा कुनै त्यस्तो समुदाय छैन होला, जसको प्रतिनिधित्व गरेर मैले अभिनय गरेको छु । हिमालको शेर्पादेखि, तराईको किसानसम्म, भरियादेखि दलितसम्मको भूमिका निर्वाह गरेको छु । जब कुनै एउटा अभिनेताले अभिनय गर्छ, त्यो कलाकारितामा मात्र सीमित रहँदैन ।
कलाकारले चरित्र गर्ने पात्रको भावना, भोगाइ, कठिनाइहरु कहीँ उसको मन मस्तिस्कमा तैरिरहेको हुन्छ । कतै न कतै अवचेतन मस्तिष्कमा बसिरहेको हुन्छ । फलामको काम गर्ने पात्र भएर अभियन गर्दा उहाँहरुकै घरमा गएर छायांकन गरिरहेको छु । उहाँहरुसँगै बसेर खाना खाएका छौँ ।
त्यतिबेला उहाँहरुको घरमा हामीलाई हेर्नको लागि गाउँभरिका मानिस भेला भएका हुन्थे । त्यतिबेला फलामको काम गर्ने दाइले खुशी हुँदै भन्नुहुन्थ्यो, ‘मेरो घर त सधै‌ं खाली हुन्थ्यो, कोही पनि आउनुहुन्नथ्यो तपाई आएर त पुरै गाउँ नै मेरो घरमा आयो ।’
त्यसैले, दलित समुदायको मानिसको घरमा जानेवित्तिकै रोग लाग्ने वा मृत्यु भइहाल्ने त होइन रहेछ । परम्पराबाट आएको एउटा मनोविज्ञान र कुप्रथाले मात्र निर्देशित गरेको रहेछ । यस्तो मनोविज्ञानलाई नै हटायो भने त कुनै समस्या नै रहँदैन ।
तर, जात रङ, पृष्ठभूमिको आधारमा मानिसमाथि अमानवीय व्यवहार देखिइरहेकै छ । यसको कहिले जरैदेखि उखेलिएर समाधान हुन्छ ? यो असाध्यै ठूलो प्रश्न हो । यद्यपि हाम्रो कर्तव्य भनेको यसबारे छलफल गर्ने, बोल्ने र जनतामा भेदभावको कुरालाई उजागर गरिरहने हो ।
(बिहीबार काठमाडौंमा आयोजित ‘जातको प्रश्न’ विषयक टेलिभिजन सम्वाद कार्यक्रममा चलचित्रकर्मी हमालद्वारा व्यक्त विचार��ो सम्पादित अंश)
0 notes
abhisheksingh098 · 4 years ago
Text
रसिका दुग्गल बायोपिक में मुख्य किरदार निभाना चाहती हैं https://ift.tt/3hER1jQ
रसिका दुग्गल बायोपिक में मुख्य किरदार निभाना चाहती हैं https://ift.tt/3hER1jQ
नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। अभिनेत्री रसिका दुग्गल का सपना है कि वो किसी बायोपिक प्रोजेक्ट में काम करें।
रसिका ने आईएएनएस को बताया, मेरी ख्वाहिश है कि मैं एक बायोपिक में मुख्य भूमिका निभाऊं।
अभिनेत्री ने हामिद, किस्सा और मंटो जैसी फिल्मों में काम किया है और अपने काम से प्रभावित भी किया है। इसके अलावा मिजा��्पुर और दिल्ली क्राइम जैसी वेब सीरीज से भी ��न्हें काफी नाम मिला है।
वह अब कुछ मजेदार चीजें करने के लिए कमर कस रही है। राजेश कृष्णन द्वारा निर्देशित उनकी आगामी फिल्म लुटकेस में वे कॉमेडी रोल निभा रही हैं। इसमें उनके साथ कुणाल खेमू, गजराज राव, रणवीर शौरी और विजय राज भी हैं।
रसिका ने कहा, मैंने पहले थिएटर में बहुत सारे कॉमेडी रोल किए हैं और इसका जमकर आनंद लिया है। मुझे लगता है कि यह मेरे स्वभाव में है। लेकिन मुझे अब तक ऐसे रोल करने के मौके नहीं मिले थे।
इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। इसमें कुणाल को एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है, लेकिन जब उसे 2000 रुपए के नोटों से भरा एक लावारिस सूटकेस मिलता है तो उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। दूसरी ओर, फिल्म में एक चालाक विधायक (गजराज राव), एक पुलिस अधिकारी (रणवीर शौरी), और एक डॉन (विजय राज) भी हैं।
लुटकेस डिज्नीप्लस हॉटस्टार पर 31 जुलाई को रिलीज होगी।
.Download Dainik Bhaskar Hindi App for Latest Hindi News.
.
..
Tumblr media
.
Rasika wants to play the lead character in the Duggal biopic
. .
.
from दैनिक भास्कर हिंदी https://ift.tt/39vliPC https://bit.ly/2ZYwiS8 from Blogger https://bit.ly/338bvhh
0 notes
unitysamachar · 5 years ago
Text
39 साल पहले रिलीज हुई थी अमिताभ बच्चन की 'लावारिस', उस साल की सबसे ज्यादा कमाई वाली थी फिल्म
39 साल पहले रिलीज हुई थी अमिताभ बच्चन की ‘लावारिस’, उस साल की सबसे ज्यादा कमाई वाली थी फिल्म
Tumblr media
Image Source : INSTAGRAM: @FILMHISTORYPICS आज ही के दिन रिलीज हुई थी अमिताभ बच्चन की हिट मूवी लावारिस
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चनने हिंदी सिनेमा की तमाम फिल्मों में काम किया है। उनकी और जीनत अमान की फिल्म लावारिस आज ही के दिन यानि 22 मई 1981 में रिलीज हुई थी। इसे प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था और इसका गाना ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है’…
View On WordPress
0 notes
vilaspatelvlogs · 5 years ago
Text
प्रकाश मेहरा की 'जंजीर' से ही अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर के करियर को मिली थी उड़ान, जावेद बोले- कई बड़े एक्टर फिल्म करने से इनकार कर चुके थे
प्रकाश मेहरा की ‘जंजीर’ से ही अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर के करियर को मिली थी उड़ान, जावेद बोले- कई बड़े एक्टर फिल्म करने से इनकार कर चुके थे
[ad_1]
दैनिक भास्कर
May 17, 2020, 05:00 AM IST
मुंबई. ‘मुकद्दर की सिकंदर’, ‘लावारिस’ और ‘जंजीर’ जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों के निर्माता ने ही अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर को करियर ब्रेक दिया था। जावेद अख्तर ने इस फिल्म की कहानी लिखी थी। प्रकाश मेहरा की पुण्यतिथि के मौके पर उनके काम की सराहना करते हुए जावेद ने भास्कर से बातचीत की है।  प्रकाश मेहरा पर बात करते हुए जावेद ने कहा, वे बहुत ही दिलचस्प…
View On WordPress
0 notes
bhaskarhindinews · 6 years ago
Text
Know some interesting story about Veteran actor,writer Kadar Khan
कादर खान ने बेटे के लिए कॉमेडी रोल्स में आजमाया हाथ, जानिए कुछ और किस्से...
Tumblr media
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान नहीं रहे। कादर खान ने कनाडा के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके बेटे सरफराज खान ने उनके निधन की खबर की पुष्टी की। कादर खान के निधन की खबर के बाद से बॉलीवुड जगत में शोक की लहर छा गई है, लेकिन यहां कादर के फैंस और बॉलीवुड के लिए एक बुरी खबर है। कादर को अंतिम दर्शनों के लिए भारत नहीं लाया जाएगा। यानि उन्हें कानाडा में ही सुपुर्दे-ए-खाक किया जाएगा। बता दें कादर खान बॉलीवुड में साल 1973 से हैं। उन्होंने फिल्म 'दाग' से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। इस दौरान उन्होंने अपने करियर में हर तरह की फिल्में की। विलेन, कॉमेडियन, गंभीर किरदार से लेकर अंधे तक का रोल उन्होंने बखूबी निभाया। उन्होंने सिर्फ परदे पर ही नहीं, बल्कि परदे के पीछे भी काम किया है। वो एक बहुत अच्छे लेखक हैं और उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों के संवाद भी लिखे हैं। आज वो भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्हें उनके बेहतरीन अदाकारी के लिए सदा याद रखा जाएगा।  
अफगानिस्तान में हुआ था जन्म आपको बता दें कि 22 अक्टूबर 1937 को कादर खान का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। कादर खान ने अपने बचपन में बहुत उतार चढ़ाव देखे थे। कादर खान के पिता ��े उन्हें और उनकी मां को छोड़ दिया था और फिर उनकी जिंदगी में उनके सौतेले पिता आए। इन सब के बीच में कादर खान और उनकी मां को गरीबी और जिंदगी में मुशकिलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने दम पर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
लिखे बेहतरीन डायलॉग कादर खान उन लोगों में से हैं जिन्होंने बॉलीवुड को 'एंग्री यंग मैन' से लेकर 'हीरो नंबर वन' दिया है। यहां हम बात कर रहे हैं अमिताभ बच्चन और गोविंदा की। अमिताभ बच्चन के कुछ डायलॉग्स आज भी फैंस के बीच में मशहूर हैं, जिनमें 'हम जहां खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है' और 'मूछें हों तो नत्थूलाल जैसी' ये सभी डायलॉग्स कादर खान की ही कलम से निकले हैं। ये उस दौर की बात है जब कादर खान अपनी गरीबी को दूर करने के लिए दिन रात मेहनत कर पर्दे के पीछे काम किया करते थे। कादर खान की मां ने उनसे एक दिन कहा था कि अगर वो घर की गरीबी मिटाना चाहते हैं तो उन्हें पढ़ाई करनी होगी। मां की बात कादर खान के दिल में इस कदर घर कर गई कि उन्होंने पढ़ाई को ही अपना पैशन बना लिया, लेकिन पढ़ते हुए अक्सर उनकी कलम जरा बेचैन रहा करती थी और इसी बेचैन कलम ने लिखना शुरू किया।एक बार लिखना शुरू किया तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्ले हुई एक्टिंग की शुरुआत कादर खान यूं तो अपने करियर में एक टीचर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत को उनके लिए कुछ और ही प्लान बनाए बैठी थी। कादर खान ने कॉलेज के एक कॉम्पीटीशन में भाग लिया। इस ��ॉम्पीटीशन में कादर खान ने प्ले किया था 'लोकल ट्रेन' उनके इस प्ले को बेस्ट एक्टर, बेस्ट डायरेक्शन सभी अवॉर्ड मिल गए थे। इतना ही नहीं उन्हें ईनाम में 1500 रुपए भी मिले। प्ले तो कादर खान पहले भी करते थे, लेकिन इस बार मौका जरा खास था। इस प्ले के सभी जज बॉलीवुड से ताल्लुक रखते थे। इस कॉम्पीटीशन को जज करने वालों में निर्देशक राजेंद्र सिंह बेदी, उनका बेटा नरेंद्र सिंह बेदी और मशहूर अदाकार कामिनी कौशल थीं। तीनों ही जज कादर खान के काम से इतना इंप्रेस हुए कि उन्होंने कादर से फिल्मों में हाथ आजमाने के लिए कहा और उन्होंने फिल्मों में बतौर राइटर काम करना शुरू किया।
अमिताभ बच्चन को बना दिया एंग्री यंग मैन 70 के दशक में जब अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में थे उस समय उन्हें साथ मिला कादर खान का। कादर खान ने ही स्ट्रगल कर रहे अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन बना दिया था। वो ऐसा दौर था जब कादर खान अपनी कलम से जो लिख देते थे वो पर्दे पर हिट हो जाया करता था। मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा जैसे निर्देशकों ने कादर खान को स्क्रिप्ट और डायलॉग लिखने के लिए मनाया और कादर को फिल्म इंडस्ट्री में ��े आए। कादर ने अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस , कालिया, नसीब , कूली जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे हैं। उस दौर में अमिताभ बच्चन के अलावा सिर्फ कादर खान ही एक कलाकार थे जो मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के लिए एक साथ काम किया करते थे।
स्टूडेंट की जिद पर रात  12 बजे पढ़ाते थे कादर कादर खान जब इंडस्ट्री में अपनी कलम का जादू बिखेरते थे उस समय वो पॉलीटेक्निक में वो बतौर टीचर पढ़ाया करते थे। कादर खान धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमा रहे थे तो वो अपने स्कूल में पढ़ाने नहीं जा पाया करते थे, लेकिन कादर खान के स्टूडेंट्स को उनसे बेहद प्यार था और उन्होंने जिद की कि वो उनसे ही पढ़ना चाहते हैं। इसपर कादर ने कहा कि वो रात को 11 बजे शूटिंग से फ्री होते हैं ऐसे में वो कैसे उन्हें पढ़ा पाएंगे। स्टूडेंट्स ने कहा कि वो रात को 12 बजे भी उनसे पढ़ने के लिए तैयार हैं और हुआ भी ऐसा ही। करीब 150 स्टूडेंट्स रात के 12 बजे से सुबह 6 बजे तक कादर खान से क्लास लिया करते थे और खास बात ये है कि वो सभी स्टूडेंट्स फर्स्ट क्लास से पास हुए।
बेटे के कारण कॉमेडी कैरेक्टर करना शुरू किया कादर खान ने जब एक्टिंग में अपनी पारी शुरू की थी तो अपनी दमदार अवाज के चलते उन्हें विलेन के रोल मिला करते थे। कादर खान धीरे-धीरे बॉलीवुड के फेवरेट विलेन बन गए थे, लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि कादर खान ने ऑन कैमेरा विलेन प्ले करना बंद कर दिया। दरअसल, हुआ कुछ ऐसा कि एक दिन कादर खान का बेटा स्कूल से लड़कर घर आया। जब कादर खान ने अपने बेटे से पूछा कि आखिर उन्होंने स्कूल में लड़ाई क्यों की ? तो इसके जवाब में उनके बेटे ने कहा कि स्कूल में सब उन्हें ये कहकर चिढ़ाते हैं कि उनके पापा बुरे आदमी हैं और वो विलेन हैं। जब कादर खान ने ये सुना , उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि वो अब पर्दे पर सिर्फ अच्छे रोल करेंगे और इसके बाद शुरू हुई कादर खान की कॉमेडी जर्नी। Source: Bhaskarhindi.com
0 notes
jainyupdates · 4 years ago
Text
अमिताभ बच्चन को पसंद आई Kunal Kemmu की नई फिल्म, खास अंदाज में की तारीफ
अमिताभ बच्चन को पसंद आई Kunal Kemmu की नई फिल्म, खास अंदाज में की तारीफ
नई दिल्ली: अभिनेता कुणाल खेमू (Kunal Kemmu) ने रविवार को अमिताभ बच्चन द्वारा उन्हें भेजा गया तारीफों वाला एक नोट साझा किया जिसमें महानायक ने कुणान की हाल ही में रिलीज हुई कॉमेडी फिल्म ‘लूटकेस’ में उनके अभिनय की सराहना की थी. फिल्म में कुणाल एक मध्यमवर्गीय गृहस्थ के किरदार में हैं जिसे पैसों से भरा एक लावारिस सूटकेस मिल जाता है. कुणाल खेमू ने ट्वीट कर अमिताभ बच्चन…
View On WordPress
0 notes
bollywoodpapa · 4 years ago
Text
फ्लॉप फिल्मो की वजह से फिल्म इंडस्ट्री छोड़ रही थी ज़ीनत अमान, देव आनंद ने बदल ��ी एक्ट्रेस की दुनिया!
New Post has been published on https://www.bollywoodpapa.com/284032/%e0%a4%ab%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a5%89%e0%a4%aa-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%9c%e0%a4%b9-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a4%bf%e0%a4%b2/
फ्लॉप फिल्मो की वजह से फिल्म इंडस्ट्री छोड़ रही थी ज़ीनत अमान, देव आनंद ने बदल दी एक्ट्रेस की दुनिया!
दोस्तों 70 और 80 के दशक में बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री जीनत अमान को आज किसी पहचान की जरुरत नहीं है। ग्लैमर की चकाचौंध में जीनत की खूबसूरती दूर से ही चमकती थी। जीनत अमान ने हीरा पन्ना, प्रेम शस्त्र , वारंट, डार्लिंग, कलाबाज, डॉन, धरम वीर, छलिया बाबू, द ग्रेट गैम्बलर , कुर्बानी, अलीबाबा और चालीस चोर, दोस्ताना और लावारिस जैसी फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन उनकी शुरुआत बॉलीवुड में कुछ खास नहीं रही। अगर देव आनंद न होते तो शायद जीनत इस मुकाम पर नहीं पहुंचतीं।
बता दे की अभिनेत्री जीनत अमान का जन्म 19 नवंबर 1951 को मुंबई में हुआ था। फिल्मों में काम करने से पहले वह एक पत्रकार थीं। उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा और 19 साल की उम्र में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता। साल 1970 में उन्होंने मिस एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल का ��ी खिताब जीता। साल 1970 में ही जीनत ने ‘द एविल विदइन’ और 1971 में ‘हलचल’ जैसी फिल्मों में काम किया। ये फिल्में फ्लॉप रहीं लेकिन लोगों ने जीनत अमान को काफी पसंद किया।
इन फिल्मों के फ्लॉप होने से जीनत काफी निराश हो गई थीं और उन्होंने बॉलीवुड में काम न करने का मन बना लिया था। देव आनंद के कहने पर उन्होंने फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा में उनकी बहन का किरदार निभाया और इसके बाद जीनत के चर्चे हर जुबान पर थे। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था।
साल 1978 में फिल्म सत्यम शिवम सुंदर में जीनत अमान ने बोल्ड सीन देकर सनसनी फैला दी थी। इस फिल्म की लोगों ने काफी अलोचना की लेकिन इसके बावजूद भी जीनत को फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया। इसके बाद उनकी छवि एक ग्लैमरस और हॉट अभिनेत्री की बन गई।
0 notes
abhay121996-blog · 4 years ago
Text
VIDEO: जीनत अमान ने 'लैला ओ लैला' पर दिखाई कातिल अदाएं, बॉलिवुड में पूरे किए 50 साल Divya Sandesh
#Divyasandesh
VIDEO: जीनत अमान ने 'लैला ओ लैला' पर दिखाई कातिल अदाएं, बॉलिवुड में पूरे किए 50 साल
एक समय पर बॉलिवुड में ब्यूटी क्वीन ने खूब राज किया है। जीनत अमान ने बॉलिवुड में अपनी खूबसूरती, बोल्डनेस और फैशन से हिरोइनों के लिए एक नया ट्रेंड चलाया था। आज भी जीनत अमान की फिल्मों में उनके स्टाइल स्टेटमेंट को काफी पसंद किया जाता है। अब जीनत अमान 69 साल की हो गई हैं और उनको बॉलिवुड में 50 साल पूरे हो चुके हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में 50 साल पूरे होने पर जीनत अमान ने अपने करीबी लोगों के साथ केक काटा। इस सेलिब्रेशन के दौरान ही जीनत के फ्रेंड्स उनकी फिल्म ” का मशहूर गाना ” गाने लगे। इसके बाद गाने के साथ जीनत अमान की अदाएं देखने लायक थीं। आज भी जीनत की इन अदाओं पर फैन्स फिदा हो रहे हैं और इस वीडियो को पसंद कर रहे हैं।
फिल्म कुर्बानी के जीनत अमान के इस गाने ने एक दौर में तहलका मचा दिया था। इस गाने में जीनत के साथ फिरोज खान और अमजद खान नजर आए थे। अगर आपने यह गाना नहीं देखा है तो यहां देखें इसका धमाकेदार वीडियो:
बता दें कि जीनत अमान ने साल 1970 में मिस इंडिया और उसके बाद मिस एशिया पसेफिक का ब्यूटी पेजेंट जीता था। साल 1971 में जीनत अमान की 3 फिल्में हलचल, हरे कृष्णा हरे राम और हंगामा रिलीज हुई थीं। अपने करियर में जीनत ने यादों की बारात, हीरा पन्ना, रोटी कपड़ा और मकान, धरम वीर, सत्यम शिवम सुंदरम, डॉन, कुर्बानी, दोस्ताना, प्रॉफेसर प्यारेलाल, लावारिस, पुकार जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years ago
Text
जन्मदिन विशेष: ऐसा रहा अमिताभ बच्चन का शून्य से महानायक बनने का सफर, पढ़ें उनकी संघर्ष की कहानी
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज आज बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का 78वां जन्मदिन है। 11 अक्टूबर 1942 को जन्मे सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की सफलता को तो सब देखते हैं, लेकिन इस सफलता के पीछे छिपा हुआ संघर्ष नजर नहीं आता। अमिताभ एक ऐसा नाम है जिसे कोई परिचय की जरूरत नहीं है। यह अपने में ऐसी शख्सियत हैं जो भारत के अलावा देश-विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। इनकी आवाज, एक्टिंग, इनकी अदा, इत्यादि का हर कोई फैन है। अमिताभ जी को बॉलीवुड का किंग या शहंशाह तथा महानायक जैसी कई उपाधियां भी दी गई है। जन्मदिन के इस खास मौके पर जानते हैं अमिताभ के बारे में कुछ खास बातें-
Tumblr media
जन्म अमिताभ बच्चन का जन्म मशहूर साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर हुआ था। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था। लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने इनका नाम 'अमिताभ' रखा। माता तेजी बच्चन की थिएटर में गहरी रुचि थी और उन्हें फिल्म में रोल की पेशकश भी की गई थी किंतु इन्होंने गृहणी बनना ही पसंद किया। अमिताभ के करियर के चुनाव में इनकी माता का भी कुछ योगदान था क्योंकि वे हमेशा इस बात पर भी जोर देती थी कि उन्हें सेंटर स्टेज को अपना करियर बनाना चाहिए। शिक्षा बच्चन ने दो बार एम. ए. की डिग्री ली है। मास्टर ऑफ आर्ट्स उन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल तथा उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की जहां कला संकाय में प्रवेश दिलाया गया। अमिताभ बाद में अध्ययन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां इन्होंने विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अमिताभ बच्चन ने अभिनय में अपना कैरियर आजमाने के लिए कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी छोड़ दी थी।
Tumblr media
करियर अमिताभ बच्चन की शुरूआत फिल्मों में वॉयस नैरेटर के तौर पर फिल्म 'भुवन शोम' से हुई थी लेकिन अभिनेता के तौर पर उनके करियर की शुरूआत फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' से हुई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में कीं लेकिन वे ज्यादा सफल नहीं हो पाईं। फिल्म 'जंजीर' उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने लगातार हिट फिल्मों की झड़ी तो लगाई ही, इसके साथ ही साथ वे हर दर्शक वर्ग में लोकप्रिय हो गए और फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा भी मनवाया। प्रसिद्ध फिल्में सात हिंदुस्तानी, आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, सत्याग्रह, शमिताभ जैसी शानदार फिल्मों ने ही उन्हें सदी का महानायक बना दिया।
Tumblr media
पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें 3 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 14 बार उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। फिल्मों के साथ साथ वे गायक, निर्माता और टीवी प्रजेंटर भी रहे हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा है। अमिताभ के करियर का बुरा दौर उनकी फिल्में अच्छा बिजनेस कर रही थीं कि अचानक 26 जुलाई 1982 को कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट लगी गई। दरअसल, फिल्म के एक एक्शन दृश्य में अभिनेता पुनीत इस्सर को अमिताभ को मुक्का मारना था और उन्हें मेज से टकराकर जमीन पर गिरना था। लेकिन जैसे ही वे मेज की तरफ कूदे, मेज का कोना उनके आंतों में लग गया जिसकी वजह से उनका काफी खून बह गया और स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि ऐसा लगने लगा कि वे मौत के करीब हैं लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से वे ठीक हो गए।
Tumblr media
टेलीविजन का सफर कहा जाता नब्बे का दशक ऐसा था जब इनके ऊपर बहुत कर्जा हो गया था इनकी फिल्में भी फ्लॉप हो रहीं थी। तब सन् दो हजार मे टेलीविजन शो मे होस्ट के रूप मे एक ऑफर आया, जिसे इन्होंने स्वीकार किया वह शो था 'कौन बनेगा करोड़पति'। इस शो से इनके जीवन मे फिर बदलाव आया तथा तब से आज तक यह शो यही होस्ट कर रहे है। हर साल इसकी एक सीरीज आती है अभी हाल ही मे 2020 मे यह फिर से चालू होने वाला है। राजनीति 1982 मे कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान यह गंभीर रूप से घायल हो गये थे, जिसके लिये इनके चाहने वालों ने बहुत प्रार्थना करी और यह ठीक भी हो गये पर यहाँ इन्होंने काम करना कम कर दिया। उसी बीच इनको 1984 मे संसद मे एक बॉलीवुड स्टारडम की सीट के लिये प्रस्ताव आया और उन्होंने स्वीकार भी कर लिया, पर 1987 मे बिना बात के विवाद मे फस जाने के करण इन्होंने यह सीट छोड़ दी।
Tumblr media
Read the full article
0 notes
mastereeester · 4 years ago
Text
अपने ना आगे पीछे, ना कोई रोने वाला, आप का क्या होगा... जब इस गाने थिरका गैंगस्टर, सामने आया वीडियो
अपने ना आगे पीछे, ना कोई रोने वाला, आप का क्या होगा… जब इस गाने थिरका गैंगस्टर, सामने आया वीडियो
कानपुर में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वालाऔर गैंगस्टर विकास दुबे कोयूपी एसटीएफ नेएनकाउंटर में मारागिराया है। उसेउज्जैन में पकड़े जाने पर शुक्रवार कोकानपुर लाया जा रहा था। एनकाउंटर के एक दिन बाद उसका एक नया वीडियो सामने आया है। इसमें वह अपने राइट हैंड और गैंग के शॉर्प शूटर अमर दुबे के साथ एक शादीमें फिल्म लावारिस के गाने ‘अपने आगे न पीछे, न ऊपर नीचे न कोई रोने वाला, आप का क्या होगा… अपनी तो जैसे…
View On WordPress
0 notes
tdevansh55 · 5 years ago
Link
हिंदी सिनेमा में कई ऐसी फिल्में हैं जो अपने गानों की बदौलत ही चली हैं। लेकिन अगर किसी एक गाने ने उस फिल्म को फेमस कर दिया तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण अमिताभ बच्चन की साल 1981 में आई 'लावारिस' को छोड़कर शायद नहीं मिलेगा। from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/2LPMugJ
0 notes
iloudlyclearbouquetworld · 5 years ago
Text
प्रकाश मेहरा की 'जंजीर' से ही अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर के करियर को मिली थी उड़ान, जावेद बोले- कई बड़े एक्टर फिल्म करने से इनकार कर चुके थे
प्रकाश मेहरा की ‘जंजीर’ से ही अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर के करियर को मिली थी उड़ान, जावेद बोले- कई बड़े एक्टर फिल्म करने से इनकार कर चुके थे
[ad_1]
दैनिक भास्कर
May 17, 2020, 05:00 AM IST
मुंबई. ‘मुकद्दर की सिकंदर’, ‘लावारिस’ और ‘जंजीर’ जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों के निर्माता ने ही अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर को करियर ब्रेक दिया था। जावेद अख्तर ने इस फिल्म की कहानी लिखी थी। प्रकाश मेहरा की पुण्यतिथि के मौके पर उनके काम की सराहना करते हुए जावेद ने भास्कर से बातचीत की है।  प्रकाश मेहरा पर बात करते हुए जावेद ने कहा, वे बहुत ही दिलचस्प…
View On WordPress
0 notes