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ये हैं श्राद्ध के 6 पवित्र लाभ, पितरों के आशीष से पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं
चैतन्य भारत न्यूज पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण कार्य किया जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारें पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हम���ं आशीर्वाद देकर वापस चले जाते हैं। कहा जाता है कि पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से इंसान को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे उनका जीवन खुशियों से भरा रहता है। तो आइए जानते हैं पितरों के श्राद्ध से कौन-कौन से लाभ होते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
ये हैं श्राद्ध से मिलने वाले लाभ श्राद्ध कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है। मान्यता है कि पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं। पितृ पक्ष में पूरी विधि के साथ श्राद्ध करने से पूर्वज परिवार में धन-धान्य का अंबार लगा देते हैं। श्राद्ध कर्म मनुष्य के शरीर में बल-पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है। इसके अलावा पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन-धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग व मोक्ष प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता है।
बता दें इस बार पितृपक्ष 02 सितंबर से शुरू हुए थे जो कि 17 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान कुल 16 श्राद्ध किए जाने हैं। इन दिनों में हर रोज पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और पितृ पक्ष के दौरान भगवान विष्णु की पूजा का भी काफी महत्व है। इस दौरान पूजा-पाठ और दान-पुण्य के तरीकों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। ये भी पढ़े... पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद Read the full article
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लगेगा धन-धान्य का अंबार || करें पितरों को ऐसे प्रसन्न। Pitru Paksha 2019...
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Pitru Paksha 2019: कब से शुरु हो रहे हैं पितृ पक्ष, क्या है महत्व और श्राद्ध की तिथियां
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বৃহস্পতিবার,প্রতিটি দুর্ভোগ দূর করবেন ভগবানবিষ্ণু১চুটকি হলুদ দিয়ে করুন চমৎকারী উপায়।DRSHREESUBRATA IIHINDU ASTROLOGY & VASTU SHASTRA SECRETS REVEALEDII এই লিঙ্কে ক্লিক করুন : https://www.youtube.com/c/SHREESUBRATAASTROLOGICALCONSULTANCY ABOUT VIDEO:- বৃহস্পতিবার,প্রতিটি দুর্ভোগ দূর করবেনভগবান বিষ্ণু১চুটকি হলুদ দিয়ে করুন চমৎকারী উপায়।DRSHREESUBRATA #ShreeSubrata#astrologicalconsultancy#19september #guruwarupay #পিতৃদোষ2019 #lordvishnu #upay #pitrupaksh #shradhpaksha2019 # পিতৃপক্ষ_2019 #pitrupaksha2019 Dr.Shree Subrata, (মনোবিজ্ঞানী,জ্যোতিষ ও আধ্যাত্মিক পরামর্শদাতা) Ph.D. (PSYCHOTHERAPY), CCP (Children and Young People), University of Edinburgh, JYOTISH SHASTRI,JYOTISH VIDYABIBHUSHAN, VASTU BACHASPATI, Certificate Course on Bhagavad Gita, (ISKCON) Booking Number : 8697332855 Follow Me, • YOUTUBE: https://www.youtube.com/c/SHREESUBRATAASTROLOGICALCONSULTANCY • Blog: https://ift.tt/2SFt933 • wordpress - https://ift.tt/2XAmWZU • Linkedin.com:https://ift.tt/2SDyR5o • Facebook.com:https://ift.tt/2XA6I2A • Twitter: https://twitter.com/SubrataShree Thanks for watching. Hopefully you enjoy. Like this video. Give your valuable opinion or suggestion in comment box. Share this video for your friends and don’t forget to Subscribe. SHREE SUBRATA ASTROLOGICAL CONSULTANCY is a YouTube Channel, where you will find videos on Vedic astrology, Vastu Shastra and Numerology in Bengali. New video is posted on every day. © SHREE SUBRATA ASTROLOGICAL CONSULTANCY.
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मिलेगा पांच गुना सुफलदायक होगा श्राद्ध पर्व क्योंकि 20 साल बाद बन रहा है यह खास संयोग
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पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पण का पवित्र पर्व ‘श्राद्ध पक्ष’ भाद्रपद (भादौं) मास की पूर्णिमा तिथि तद्नुसार शुक्रवार 13 सितंबर से आरंभ होगा।
विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष शततारका (शतभिषा) नक्षत्र में शुरू होने जा रहे पितृ व पूर्वजों की आराधना के इस पर्व में श्राद्ध करने से सौ प्रकार के पापों से मुक्ति मिलेगी। यह भी खास संयोग है कि श्राद्ध पक्ष का समापन इस वर्ष 28 सितंबर को शनिश्चरी…
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ये हैं श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र स्थान, जहां शत-प्रतिशत पितरों को मिलता हैं मोक्ष
चैतन्य भारत न्यूज पितरों के प्रति श्रद्धा और समर्पण के भाव से किए जाने वाले संस��कार को श्राद्ध कहा जाता है। पितरों का श्राद्ध करने में सर्वाधिक महत्व उस स्थान का होता है, जहां पिडदान किया जाता है। मान्यता है कि पिंडदान करने के लिए वह स्थान चुनना सबसे जरूरी होता है, जो सर्वथा पवित्र और मोक्षदायी हो। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही स्थानों के बारे में जहां श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्त होती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ब्रह्मकपाल, उत्तराखंड
ब्रह्मकपाल को श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र स्थान माना गया है। यह स्थान बद्रीनाथ धाम के पास ही है। कहा जाता है कि ब्रह्मकपाल में श्राद्ध कर्म करने के बाद पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं और उनको स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। सिद्धनाथ, मध्य प्रदेश
श्राद्ध कर्म के लिए इस तीर्थ का विशेष महत्व है। हर मास की कृष्ण चतुर्दशी तथा श्राद्ध पक्ष में यहां दूर-दूर से लोग पिंडदान व तर्पण करने आते हैं। कहते हैं कि यहां किया गया श्राद्ध सिद्ध योगियों को ही नसीब होता है। सिद्धनाथ तीर्थ मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे है। पिंडारक, गुजरात
यह जगह गुजरात में द्वारिका से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर है। यहां एक सरोवर है, जिसमें यात्री श्राद्ध करके दिए हुए पिंड सरोवर में डाल देते हैं। खास बात यह है कि वे पिंड सरोवर में डूबते नहीं बल्कि तैरते रहते हैं। यहां कपालमोचन महादेव, मोटेश्वर महादेव और ब्रह्माजी का मंदिर हैं। ये भी पढ़े... ये हैं श्राद्ध के 6 पवित्र लाभ, पितरों के आशीष से पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं श्राद्ध के दौरान इन मंत्रों के जाप से प्रसन्न होंगे पूर्वज, जानें कितनी बार आत्मा को दें जल ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां Read the full article
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ये हैं श्राद्ध के 6 पवित्र लाभ, पितरों के आशीष से पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं
चैतन्य भारत न्यूज पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण कार्य किया जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारें पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस चले जाते हैं। कहा जाता है कि पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से इंसान को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे उनका जीवन खुशियों से भरा रहता है। तो आइए जानते हैं पितरों के श्राद्ध से कौन-कौन से लाभ होते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
ये हैं श्राद्ध से मिलने वाले लाभ श्राद्ध कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है। मान्यता है कि पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं। पितृ पक्ष में पूरी विधि के साथ श्राद्ध करने से पूर्वज परिवार में धन-धान्य का अंबार लगा देते हैं। श्राद्ध कर्म मनुष्य के शरीर में बल-पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है। इसके अलावा पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन-धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग व मोक्ष प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता है।
बता दें इस बार पितृपक्ष 13 सितंबर से शुरू हुए थे जो कि 28 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान कुल 16 श्राद्ध किए जाने हैं। इन दिनों में हर रोज पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और पितृ पक्ष के दौरान भगवान विष्णु की पूजा का भी काफी महत्व है। इस दौरान पूजा-पाठ और दान-पुण्य के तरीकों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। ये भी पढ़े... पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद Read the full article
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श्राद्ध के दौरान इन मंत्रों के जाप से प्रसन्न होंगे पूर्वज, जानें कितनी बार आत्मा को दें जल
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। जैसे नवरात्र को देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को ��ितृपक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। इस दौरान पितरों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं श्राद्ध के उन मंत्र के बारे जिन्हें जपने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
तर्पण मंत्र पिता को इस मंत्र से अर्पित करें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पिता को 3 बार जल दें। माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र के साथ पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
दादीजी को इस मंत्र के साथ दें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादीजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से जितनी बार माता को जल दिया उतनी बार दादी को भी दें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद Read the full article
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पितृपक्ष में ध्यान रखें ये खास बातें, उतर जाएगा पितरों का ऋण
चैतन्य भारत न्यूज हिंद�� धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। कहा जाता है कि पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है नही तो पितर नाराज हो जाते हैं। आज हम आपको पितृपक्ष के दौरान ध्यान रखने वाली कुछ विशेष बातों को बताएंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मान्यतानुसार पितृपक्ष में पितरों की पूजा न करने से उन्हें मृत्युलोक में जगह नहीं मिलती है और उनकी आत्मा भटकती रहती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्वक पूजा करते हुए तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान दरवाजे पर आने वाले भिखारी या किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराए न जाने दें।
इन दिनों में घर के छत पर पक्षी और पशु पक्षियों के लिए खाना रखें। माना जाता है कि इस दौरान पूर्वज किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं। पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन सुबह जल देते समय पितरों से कृपा करने की प्रार्थना करें। इससे पितृ संबंधी कोई ऋण पैदा नहीं होगा। पितरों की पूजा करने के दौरान अपने शरीर पर किसी भी प्रकार का तेल न लगाए। ये भी पढ़े... पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम Read the full article
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मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितर स्वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान आने वाले दिनों में मातृ नवमी के दिन श्राद्ध का काफी महत्व है। इस वर्ष नवमी का श्राद्ध 22 सितंबर को किया जाएगा। आइए जानते हैं मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के नियम और शुभ मुहूर्त। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
ये हैं मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के नियम श्राद्ध करने में दूध, गंगाजल, मधु, वस्त्र, कुश, अभिजित मुहूर्त और तिल मुख्य रूप से अनिवार्य है। तुलसीदल से पिंडदान करने से पितर पूर्ण तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक इन्हें महादान कहा गया है। खासतौर से आप जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद के मुताबिक खाना बनाएं। तर्पण और पिंड दान करने के बाद पुरोहित या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
नवमी श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त नवमी तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर 2019 को रात 07 बजकर 50 मिनट से नवमी तिथि समाप्त: 23 सितंबर 2019 को रात 06 बजकर 37 मिनट त�� ये भी पढ़े... मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा होती है पूरी, सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है यह दिन ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी Read the full article
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मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा होती है पूरी, सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है यह दिन
चैतन्य भारत न्यूज आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इसे डोकरा नवमी भी कहा जाता है। इस नवमी तिथि का श्राद्ध पक्ष में बहुत ही महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से महिलाओं की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं मातृ नवमी का महत्व और पूजा विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मातृ नवमी का महत्व यह तिथि माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। नवमी तिथि का श्राद्ध मूल रूप से माता के निमित्त किया जाता है। शास्त्रानुसार नवमी का श्राद्ध करने पर श्राद्धकर्ता को धन, संपत्ति व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सौभाग्य सदा बना रहता है। इस दिन पुत्र वधुओं को व्रत रखना चाहिए। कहा जाता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा पूरी हो जाती है।
मातृ नवमी की पूजा-विधि घर के काम से निपटकर दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं। नवमी के दिन पांच ब्राह्मणों और एक ब्राह्मणी को भोजन करवाना चाहिए। अपने पितरों के समक्ष तुलसी पत्र समर्पित करना चाहिए। श्राद्धकर्ता को कुशासन पर बैठकर भागवत गीता के नवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। भोजन के दौरान ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री अर्पित करें। ब्राह्मण के भोजन के ��ाद पितरों से जाने अनजाने हुई भूल की क्षमा मांगे और उनका धन्यवाद करें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज Read the full article
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मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा होती है पूरी, सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है यह दिन
चैतन्य भारत न्यूज आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इसे डोकरा नवमी भी कहा जाता है। इस नवमी तिथि का श्राद्ध पक्ष में बहुत ही महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से महिलाओं की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं मातृ नवमी का महत्व और पूजा विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मातृ नवमी का महत्व यह तिथि माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। नवमी तिथि का श्राद्ध मूल रूप से माता के निमित्त किया जाता है। शास्त्रानुसार नवमी का श्राद्ध करने पर श्राद्धकर्ता को धन, संपत्ति व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सौभाग्य सदा बना रहता है। इस दिन पुत्र वधुओं को व्रत रखना चाहिए। कहा जाता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा पूरी हो जाती है।
मातृ नवमी की पूजा-विधि घर के काम से निपटकर दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं। नवमी के दिन पांच ब्राह्मणों और एक ब्राह्मणी को भोजन करवाना चाहिए। अपने पितरों के समक्ष तुलसी पत्र समर्पित करना चाहिए। श्राद्धकर्ता को कुशासन पर बैठकर भागवत गीता के नवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। भोजन के दौरान ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री अर्पित करें। ब्राह्मण के भोजन के बाद पितरों से जाने अनजाने हुई भूल की क्षमा मांगे और उनका धन्यवाद करें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज Read the full article
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पितृ पक्ष में इन 3 वृक्ष की पूजा करने से मिलता है पूर्वजों का आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज पितृपक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में तीन ऐसे वृक्ष हैं जिन्हें पितरों के समान माना जाता है। आइए जानते हैं आखिर कौन से हैं वे 3 वृक्ष। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ये हैं वो तीन वृक्ष बरगद का पेड़
बरगद के वृक्ष में भगवान शिव का वास माना जाता है। यदि आपके किसी पितर को मुक्ति नहीं मिली है तो पितृ पक्ष के दौरान बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। पीपल का पेड़
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को बेहद पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास होता है। विष्णु को पितृदेव के रुप में भी पूजा जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। बेल का पेड़
बेल के पेड़ में भी भगवान शिव का वास माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान भगवान शिव को प्रिय बेल के वृक्ष का पत्ता चढ़ाने से अतृप्त आत्मा को शांति मिलती है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन शिव जी को बेल पत्र और गंगाजल चढ़ाने से भी पितरों को मुक्ति मिलती है। ये भी पढ़े... पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न Read the full article
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पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज 13 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में दान- पुण्य करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है।
मान���यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान किन-किन चीजों का दान करना शुभ माना गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष में ये दान होते हैं महत्वपूर्ण काला तिल
काला तिल श्राद्ध के हर कर्म में आवश्यक होता है। दान के दौरान हाथ में काला तिल रखना शुभ माना गया है। इससे दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। अगर आप किसी अन्य चीजों का दान न भी करें तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। काला तिल भगवान विष्णु को भी अधिक प्रिय है। भूमि
भूमि यानी जमीन का दान सर्वोत्तम दान बताया गया है। कहा जाता है कि गलती या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भूमि का दान करने से मिल जाती है। मान्यता है कि भूमि दान से यश, मान-सम्मान एवं स्थायी संपत्ति में वृद्धि होती है। वस्त्र
जो व्यक्ति वस्त्र दान करते हैं उन पर सदैव पितरों की कृप�� बनी रहती है। ऐसे में धोती एवं दुपट्टे का दान उत्तम माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक, हमारी तरह पूर्वजों पर भी मौसम परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृ पक्ष में कपड़े दान करना सर्वोत्तम दान माना गया है। ये भी पढ़े... पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज 13 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में दान- पुण्य करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है।
मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान किन-किन चीजों का दान करना शुभ माना गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष में ये दान होते हैं महत्वपूर्ण काला तिल
काला तिल श्राद्ध के हर कर्म में आवश्यक होता है। दान के दौरान हाथ में काला तिल रखना शुभ माना गया है। इससे दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। अगर आप किसी अन्य चीजों का दान न भी करें तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। काला तिल भगवान विष्णु को भी अधिक प्रिय है। भूमि
भूमि यानी जमीन का दान सर्वोत्तम दान बताया गया है। कहा जाता है कि गलती या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भूमि का दान करने से मिल जाती है। मान्यता है कि भूमि दान से यश, मान-सम्मान एवं स्थायी संपत्ति में वृद्धि होती है। वस्त्र
जो व्यक्ति वस्त्र दान करते हैं उन पर सदैव पितरों की कृपा बनी रहती है। ऐसे में धोती एवं दुपट्टे का दान उत्तम माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक, हमारी तरह पूर्वजों पर भी मौसम परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृ पक्ष में कपड़े दान करना सर्वोत्तम दान माना गया है। ये भी पढ़े... पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज 14 सितंबर से आश्विन कृष्ण पक्ष का आरंभ हुआ है। इस पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किए जाने की परंपरा है। पुराणों में बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता है और वह पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान कई सारी सावधानियां बरतनी होती हैं। पितृ पक्ष में पूर्वजों को खुश करने के लिए कुछ बातों पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए। आज हम आपको बताएंगे पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए। इन खास बातों का रखें ध्यान पितृ पक्ष के दौरान जमाई, भांजा, मामा, गुरु और नाती को भी विशेष रूप से भोजन कराना चाहिए। यह देखकर आपके पूर्वज बेहद प्रसन्न होंगे और आपको सदा खुश रहने का आशीर्वाद देंगे। मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय भोजन का पात्र दोनों हाथों से पकड़कर लाना चाहिए। अन्यथा भोजन का अंश राक्षसों को जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान द्वार पर आए किसी भी जीव के साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष में रोजाना घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर पितृगणों का ध्यान करना चाहिए। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
इसके अलावा पीपल के पेड़ पर भी पूर्वजों का वास माना जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में रोजाना एक दीप जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखना चाहिए। इस पक्ष में जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। वे हमेशा सुखी रहते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ये भी पढ़े... सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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