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श्राद्ध 2020: ब्राह्मणों को भोजन कराते समय इन बातों का रखें खासतौर से ध्यान
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। मान्यता है कि हमारे पितृ पशु-पक्षियों के माध्यम से हमारे पास आते हैं और इन्हीं के माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व होता है। लेकिन इस दौरान ब्राह्मण भोजन के भी विशेष नियम होते हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक होता है। अगर आप भी श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करा रहे हैं तो इन बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें। इन बातों का खास ख्याल रखें श्राद्ध भोज करने वाला ब्राह्मण श्रोत्रिय होना चाहिए जो गायत्री का नित्य जप करता हो। श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण को भोजन करते समय मौन रहकर भोजन करना चाहिए। श्राद्ध भोज करते समय ब्राह्मण को भोजन की निंदा या प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण से भोजन के विषय में अर्थात् 'कैसा है' कभी प्रश्न नहीं करना चाहिए।
श्राद्ध में लोहे व मिट्टी के पात्रों का सर्वथा निषेध बताया गया है। सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन ही श्राद्ध पर ब्राह्मण भोज के लिए सर्वोत्तम हैं। मान्यता है कि चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। यही नहीं, पितर भी तृप्त होते हैं। ब्राह्मणों को भोजन कराने के ब��द उन्हें कपड़े, अनाज, दक्षिणा आद�� दें और उनका आशीर्वाद लें। ये भी पढ़े... सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम Read the full article
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श्राद्ध 2020 : पितृ पक्ष में भूलकर भी नहीं करनी चाहिए ये गलतियां
चैतन्य भारत न्यूज अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है और अमावस्या को इसकी समाप्ति होती है। इस बार पितृ पक्ष 01 सितंबर 2020, पूर्णिमा के दिन से शुरु होकर 17 सितंबर, अमावस्या के दिन खत्म होंगे। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान करने की विशेष मान्यता है।
कहते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ लोक के द्वार खुलते हैं और सभी पितर धरती पर आगमन करते हैं। यही कारण है कि इन दिनों में उनकी पूजा, तर्पण या श्राद्ध आदि किया जाता है। लेकिन पितरों की पूजा के दौरान कुछ खास बातों का भी ख्याल रखना पड़ता है, वरना आपको पितरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है और जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं पितरों की पूजा की सावधानियों के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष के दौरान इन बातों का रखें ध्यान श्राद्ध पक्ष में शोक व्यक्त कर पितरों को याद किया जाता है इसलिए कोई भी नया काम इन दिनों में शुरू नहीं करना चाहिए। इन दिनों में किसी भी जश्न और त्योहार का आयोजन न करें। इन दिनों कोई नया समान भी खरीदने से बचें। पितृ पक्ष के दौरान स्त्री पुरुष को संबंध बनाने से बचना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान परिवार में शांति बनाए रखें।
इन दिनों में आपका पूरा ध्यान सिर्फ पूर्वजों की सेवा में होना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान खान-पान बिल्कुल साधारण होना चाहिए। इस दौरान मांस, मछली, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में किसी भी पक्षी या जानवर खासतौर पर गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौए को नहीं मारना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान घर के पुरुषों को बाल कटाने, शेव करने या नाखून आदि काटने से बचना चाहिए। ये भी पढ़े... जानिए कब से हो रही पितृपक्ष की शुरुआत? इन 5 बातों का खासतौर से रखें ध्यान पितृपक्ष में ध्यान रखें ये खास बातें, उतर जाएगा पितरों का ऋण 2 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू, उज्जैन में सुरक्षित शारीरिक दूरी के साथ पिंडदान-तर्पण, नासिक और गया में श्राद्ध कर्म नहीं होंगे Read the full article
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श्राद्ध 2020 : इन मंत्रों के जाप से पितृ जरूर होंगे प्रसन्न, प्राप्त होगा आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। जैसे नवरात्र को देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। इस दौरान पितरों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं श्राद्ध के उन मंत्र के बारे जिन्हें जपने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
तर्पण मंत्र पिता को इस मंत्र से अर्पित करें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पिता को 3 बार जल दें। माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र के साथ पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
दादीजी को इस मंत्र के साथ दें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादीजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से जितनी बार माता को जल दिया उतनी बार दादी को भी दें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन ��ियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद Read the full article
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श्राद्ध 2020 : इन मंत्रों के जाप से पितृ जरूर होंगे प्रसन्न, प्राप्त होगा आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। जैसे नवरात्र को देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। इस दौरान पितरों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं श्राद्ध के उन मंत्र के बारे जिन्हें जपने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
तर्पण मंत्र पिता को इस मंत्र से अर्पित करें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पिता को 3 बार जल दें। माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र के साथ पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
दादीजी को इस मंत्र के साथ दें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादीजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से जितनी बार माता को जल दिया उतनी बार दादी को भी दें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद Read the full article
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बेहद सस्ती इन 5 चीजों से अपने पितरों को करें प्रसन्न, श्राद्ध पूजा के लिए हैं सबसे जरूरी
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे है। श्राद्ध में सभी लोग परिवार में अपने मृत परिजनों के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। उनकी कृपा और आशीर्वाद हमेशा बना रहे। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में यमराज पूर्वजों को अपने परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते हैं, इसलिए श्राद्ध व तर्पण विधि करके उनके प्रसन्न किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके। ' बता दें पितरों को देवताओं की तरह ही समर्थवान माना गया है। कहा जाता है कि पितरों के आशीर्वाद से सभी तरह के दुख तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है और कभी किसी चीज की कमी नहीं होती। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ पक्ष में इन पांच चीजों से उनको प्रसन्न कर सकते हैं। हम आपको कुछ ऐसी चीजें बताने जा रहे हैं, जिनसे आप ना सिर्फ पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं बल्कि पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। तिल पितृ पक्ष में तिल का विशेष महत्व है। तिल भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न हुआ है इसलिए यह सबसे पवित्र माना जाता है। इनसे श्राद्ध करने पर पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है। बताया जाता है कि मरने वाले व्यक्ति से अगर तिल का दान करवाया जाए तो उस दान से दानव, असुर, दैत्य आदि भाग जाते हैं। चावल पितरों क�� लिए सबसे प्रथम भोज अक्षत यानी चावल ही माना गया है। इसलिए ��िल के साथ चावल का प्रयोग पितृपक्ष में किया जाता है। चावल मिलाकर ही पिंड बनाया जाता है, जिसे पायस अन्न मानते हैं। चावल के बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं और उनको किसी भोज की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए पितृपक्ष में अक्षत का विशेष महत्व है। कुश कुश एक घास है, जिसको हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इसे पवित्री भी कहा जाता है। कुश का प्रयोग केवल श्राद्ध कर्म में ही नहीं बल्कि सभी पूजाओं में किया जाता है। पुराणों में बताया गया है कि कुश भगवान विष्णु के रोम से उत्पन्न हुई थी। कुश से दिया गया जल सीधे पितरों को प्राप्त होता है इसलिए श्राद्ध पक्ष में कुश का होना जरूरी माना गया है। कुश के बिना श्राद्ध किए जाने से श्राद्ध का फल नहीं मिलता है। जल पितरों को उनकी संतान द्वारा दिए गए जल से ही संतुष्टि मिलती है। जल ही जन्म से लेकर मोक्ष तक साथ देता है। तर्पण विधि से पितर जल्द प्रसन्न होते हैं, जिससे घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। हाथ में कुश और जल में काले तिल मिलाकर पितरों को तर्पण किया जाता है। श्रद्धा श्राद्ध में जो चीज सबसे जरूरी है वह है श्रद्धा। बिना श्रद्धा के दिया हुआ श्राद्ध, वह कभी भी पितरों को प्राप्त नहीं होता है। सारी चीजें भौतिक हैं, एक अभौतिक चीज श्रद्धा है। जिसके बिना श्राद्ध का कोई महत्व नहीं रह जाता है। इसलिए श्राद्ध करते समय सबसे ज्यादा जरूरी है श्रद्धा। श्रद्धा शब्द से ही श्राद्ध बना है। श्राद्ध में अपने पूर्वजों, संस्कृति और देवों की प्रति श्रद्धा होना जरूरी है। पितृ पक्ष में जो भी कार्य करें, वह श्रद्धा के साथ करें। जिससे परिवार वालों के उपर उनकी कृपा बनी रहे। Read the full article
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ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। मान्यता है कि हमारे पितृ पशु-पक्षियों के माध्यम से हमारे पास आते हैं और इन्हीं के माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व होता है। लेकिन इस दौरान ब्राह्मण भोजन के भी विशेष नियम होते हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक होता है। अगर आप भी श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करा रहे हैं तो इन बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें। इन बातों का खास ख्याल रखें श्राद्ध भोज करने वाला ब्राह्मण श्रोत्रिय होना चाहिए जो गायत्री का नित्य जप करता हो। श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण को भोजन करते समय मौन रहकर भोजन करना चाहिए। श्राद्ध भोज करते समय ब्राह्मण को भोजन की निंदा या प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण से भोजन के विषय में अर्थात् 'कैसा है' कभी प्रश्न नहीं करना चाहिए।
श्राद्ध में लोहे �� मिट्टी के पात्रों का सर्वथा निषेध बताया गया है। सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन ही श्राद्ध पर ब्राह्मण भोज के लिए सर्वोत्तम हैं। मान्यता है कि चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। ��ही नहीं, पितर भी तृप्त होते हैं। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें कपड़े, अनाज, दक्षिणा आदि दें और उनका आशीर्वाद लें। ये भी पढ़े... सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम Read the full article
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ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। मान्यता है कि हमारे पितृ पशु-पक्षियों के माध्यम से हमारे पास आते हैं और इन्हीं के माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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श्राद्ध में लोहे व मिट्टी के पात्रों का सर्वथा निषेध बताया गया है। सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन ही श्राद्ध पर ब्राह्मण भोज के लिए सर्वोत्तम हैं। मान्यता है कि चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। यही नहीं, पितर भी तृप्त होते हैं। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें कपड़े, अनाज, दक्षिणा आदि दें और उनका आशीर्वाद लें। ये भी पढ़े... सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम Read the full article
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श्राद्ध के दौरान इन मंत्रों के जाप से प्रसन्न होंगे पूर्वज, जानें कितनी बार आत्मा को दें जल
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। जैसे नवरात्र को देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। इस दौरान पितरों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं श्राद्ध के उन मंत्र के बारे जिन्हें जपने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
तर्पण मंत्र पिता को इस मंत्र से अर्पित करें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पिता को 3 बार जल दें। माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र के साथ पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
दादीजी को इस मंत्र के साथ दें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादीजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से जितनी बार माता को जल दिया उतनी बार दादी को भी दें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद Read the full article
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सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है। इन दिनों पितरों को याद किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में किए जाने का प्रावधान है। इस साल श्राद्ध पूर्णिमा 02 सितंबर को पड़ रही है। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि आखिर श्राद्ध की शुरुआत हुई कैसे? और किसने की इसकी शुरुआत। आज हम आपको बताएंगे कि सबसे पहले श्राद्ध की शुरुआत किसने की।
पुराणों के मुताबिक, महाभारत काल में भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में कई बाते बताई हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि श्राद्ध की परंपरा कैसे शुरू हुई और धीरे-धीरे जनमानस तक कैसे यह परंपरा शुरू हुई। महाभारत के अनुसार, सबसे पहले महातप्सवी अत्रि ने महर्षि निमि को श्राद्ध के बारे में उपदेश दिया था। इसके बाद महर्षि निमि ने श्राद्ध करना शुरू कर दिया।
महर्षि को देखकर अन्य श्रृषि मुनियों भी पितरों को अन्न देने लगे। लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितर पूर्ण तृप्त हो गए। लगातार श्राद्ध को भोजन पाने से देवताओं पितरों को अजीर्ण रोग हो गया जिससे वे काफी परेशान हो गए। इस परेशानी से मुक्ति पाने के लिए वे ब्रह्माजी के पास गए और अपने कष्ट के बारे में बताया। देवताओं और पितरों की बातें सुनकर उन्होंने बताया कि अग्निदेव आपका कल्याण करेंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
इस पर अग्निदेव ने देवातओं और पितरों को कहा कि अब से श्राद्ध में हम सभी साथ में भोजन किया करेंगे। मेरे पास रहने से आपका अजीर्ण भी दूर हो जाएगा। यह सुनकर सब प्रसन्न हो गए। जिसके बाद से ही सबसे पहले श्राद्ध का भोजन अग्निदेव को दिया जाता है, इसके बाद देवताओं और पितरों को दिया जाता है। ये भी पढ़े... आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज
चैतन्य भारत न्यूज अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है और अमावस्या को इसकी समाप्ति होती है। इस बार पितृ पक्ष 01 सितंबर 2020, पूर्णिमा के दिन से शुरु होकर 17 सितंबर, अमावस्या के दिन खत्म होंगे। पितृ पक्ष क��� दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान करने की विशेष मान्यता है।
कहते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ लोक के द्वार खुलते हैं और सभी पितर धरती पर आगमन करते हैं। यही कारण है कि इन दिनों में उनकी पूजा, तर्पण या श्राद्ध आदि किया जाता है। लेकिन पितरों की पूजा के दौरान कुछ खास बातों का भी ख्याल रखना पड़ता है, वरना आपको पितरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है और जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं पितरों की पूजा की सावधानियों के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष के दौरान इन बातों का रखें ध्यान श्राद्ध पक्ष में शोक व्यक्त कर पितरों को याद किया जाता है इसलिए कोई भी नया काम इन दिनों में शुरू नहीं करना चाहिए। इन दिनों में किसी भी जश्न और त्योहार का आयोजन न करें। इन दिनों कोई नया समान भी खरीदने से बचें। पितृ पक्ष के दौरान स्त्री पुरुष को संबंध बनाने से बचना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान परिवार में शांति बनाए रखें।
इन दिनों में आपका पूरा ध्यान सिर्फ पूर्वजों की सेवा में होना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान खान-पान बिल्कुल साधारण होना चाहिए। इस दौरान मांस, मछली, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में किसी भी पक्षी या जानवर खासतौर पर गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौए को नहीं मारना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान घर के पुरुषों को बाल कटाने, शेव करने या नाखून आदि काटने से बचना चाहिए। ये भी पढ़े... जानिए कब से हो रही पितृपक्ष की शुरुआत? इन 5 बातों का खासतौर से रखें ध्यान पितृपक्ष में ध्यान रखें ये खास बातें, उतर जाएगा पितरों का ऋण 2 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू, उज्जैन में सुरक्षित शारीरिक दूरी के साथ पिंडदान-तर्पण, नासिक और गया में श्राद्ध कर्म नहीं होंगे Read the full article
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श्राद्ध के दौरान इन मंत्रों के जाप से प्रसन्न होंगे पूर्वज, जानें कितनी बार आत्मा को दें जल
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। जैसे नवरात्र को देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। इस दौरान पितरों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं श्राद्ध के उन मंत्र के बारे जिन्हें जपने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
तर्पण मंत्र पिता को इस मंत्र से अर्पित करें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पिता को 3 बार जल दें। माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र के साथ पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
दादीजी को इस मंत्र के साथ दें जल अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादीजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से जितनी बार माता को जल दिया उतनी बार दादी को भी दें। ये भी पढ़े... ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद Read the full article
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पितृ पक्ष में इन 3 वृक्ष की पूजा करने से मिलता है पूर्वजों का आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज पितृपक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में तीन ऐसे वृक्ष हैं जिन्हें पितरों के समान माना जाता है। आइए जानते हैं आखिर कौन से हैं वे 3 वृक्ष। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ये हैं वो तीन वृक्ष बरगद का पेड़
बरगद के वृक्ष में भगवान शिव का वास माना जाता है। यदि आपके किसी पितर को मुक्ति नहीं मिली है तो पितृ पक्ष के दौरान बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। पीपल का पेड़
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को बेहद पवित्र माना ��या है। कहा जाता है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास होता है। विष्णु को पितृदेव के रुप में भी पूजा जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। बेल का पेड़
बेल के पेड़ में भी भगवान शिव का वास माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान भगवान शिव को प्रिय बेल के वृक्ष का पत्ता चढ़ाने से अतृप्त आत्मा को शांति मिलती है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन शिव जी को बेल पत्र और गंगाजल चढ़ाने से भी पितरों को मुक्ति मिलती है। ये भी पढ़े... पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न Read the full article
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पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज 13 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में दान- पुण्य करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है।
मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान किन-किन चीजों का दान करना शुभ माना गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष में ये दान होते हैं महत्वपूर्ण काला तिल
काला तिल श्राद्ध के हर कर्म में आवश्यक होता है। दान के दौरान हाथ में काला तिल रखना शुभ माना गया है। इससे दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। अगर आप किसी अन्य चीजों का दान न भी करें तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। काला तिल भगवान विष्णु को भी अधिक प्रिय है। भूमि
भूमि यानी जमीन का दान सर्वोत्तम दान बताया गया है। कहा जाता है कि गलती या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भूमि का दान करने से मिल जाती है। मान्यता है कि भूमि दान से यश, मान-सम्मान एवं स्थायी संपत्ति में वृद्धि होती है। वस्त्र
जो व्यक्ति वस्त्र दान करते हैं उन पर सदैव पितरों की कृपा बनी रहती ह��। ऐसे में धोती एवं दुपट्टे का दान उत्तम माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक, हमारी तरह पूर्वजों पर भी मौसम परिवर्तन का ��्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृ पक्ष में कपड़े दान करना सर्वोत्तम दान माना गया है। ये भी पढ़े... पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज 13 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में दान- पुण्य करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है।
मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान किन-किन चीजों का दान करना शुभ माना गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष में ये दान होते हैं महत्वपूर्ण काला तिल
काला तिल श्राद्ध के हर कर्म में आवश्यक होता है। दान के दौरान हाथ में काला तिल रखना शुभ माना गया है। इससे दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। अगर आप किसी अन्य चीजों का दान न भी करें तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। काला तिल भगवान विष्णु को भी अधिक प्रिय है। भूमि
भूमि यानी जमीन का दान सर्वोत्तम दान बताया गया है। कहा जाता है कि गलती या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भूमि का दान करने से मिल जाती है। मान्यता है कि भूमि दान से यश, मान-सम्मान एवं स्थायी संपत्ति में वृद्धि होती है। वस्त्र
जो व्यक्ति वस्त्र दान करते हैं उन पर सदैव पितरों की कृपा बनी रहती है। ऐसे में धोती एवं दुपट्टे का दान उत्तम माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक, हमारी तरह पूर्वजों पर भी मौसम परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृ पक्ष में कपड़े दान करना सर्वोत्तम दान माना गया है। ये भी पढ़े... पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज 14 सितंबर से आश्विन कृष्ण पक्ष का आरंभ हुआ है। इस पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किए जाने की परंपरा है। पुराणों में बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता है और वह पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान कई सारी सावधानियां बरतनी होती हैं। पितृ पक्ष में पूर्वजों को खुश करने के लिए कुछ बातों पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए। आज हम आपको बताएंगे पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए। इन खास बातों का रखें ध्यान पितृ पक्ष के दौरान जमाई, भांजा, मामा, गुरु और नाती को भी विशेष रूप से भोजन कराना चाहिए। यह देखकर आपके पूर्वज बेहद प्रसन्न होंगे और आपको सदा खुश रहने का आशीर्वाद देंगे। मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय भोजन का पात्र दोनों हाथों से पकड़कर लाना चाहिए। अन्यथा भोजन का अंश राक्षसों को जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान द्वार पर आए किसी भी जीव के साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष में रोजाना घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर पितृगणों का ध्यान करना चाहिए। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
इसके अलावा पीपल के पेड़ पर भी पूर्वजों का वास माना जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में रोजाना एक दीप जलाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखना चाहिए। इस पक्ष में जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। वे हमेशा सुखी रहते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ये भी पढ़े... सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां Read the full article
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आज से शुरू हुए श्राद्ध, इन 16 दिनों में भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना पितृ हो जाएंगे नाराज
चैतन्य भारत न्यूज अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है और अमावस्या को इसकी समाप्ति होती है। इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर 2019, पूर्णिमा के दिन से शुरु होकर 28 सितंबर, अमावस्या के दिन खत्म होंगे। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान करने की विशेष मान्यता है।
कहते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ लोक के द्वार खुलते हैं और सभी पितर धरती पर आगमन करते हैं। यही कारण है कि इन दिनों में उनकी पूजा, तर्पण या श्राद्ध आदि किया जाता है। लेकिन पितरों की पूजा के दौरान कुछ खास बातों का भी ख्याल रखना पड़ता है, वरना आपको पितरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है और जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं पितरों की पूजा की सावधानियों के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पितृ पक्ष के दौरान इन बातों का रखें ध्यान श्राद्ध पक्ष में शोक व्यक्त कर पितरों को याद किया जाता है इसलिए कोई भी नया काम इन दिनों में शुरू नहीं करना चाहिए। इन दिनों में किसी भी जश्न और त्योहार का आयोजन न करें। इन दिनों कोई नया समान भी खरीदने से बचें। पितृ पक्ष के दौरान स्त्री पुरुष को संबंध बनाने से बचना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान परिवार में शांति बनाए रखें।
इन दिनों में आपका पूरा ध्यान सिर्फ पूर्वजों की सेवा में होना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान खान-पान बिल्कुल साधारण होना चाहिए। इस दौरान मांस, मछली, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में किसी भी पक्षी या जानवर खासतौर पर गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौए को नहीं मारना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान घर के पुरुषों को बाल कटाने, शेव करने या नाखून आदि काटने से बचना चाहिए। ये भी पढ़े... इस दिन से प्रारंभ हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां अनंत चतुर्दशी 2019 : अनंत सूत्र से होता है भगवान विष्णु का पूजन, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि 12 सितंबर को है गणपति विसर्जन, जानिए इसके नियम और शुभ मुहूर्त Read the full article
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