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पितृपक्ष में ध्यान रखें ये खास बातें, उतर जाएगा पितरों का ऋण
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। कहा जाता है कि पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है नही तो पितर नाराज हो जाते हैं। आज हम आपको पितृपक्ष के दौरान ध्यान रखने वाली कुछ विशेष बातों को बताएंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मान्यतानुसार पितृपक्ष में पितरों की पूजा न करने से उन्हें मृत्युलोक में जगह नहीं मिलती है और उनकी आत्मा भटकती रहती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्वक पूजा करते हुए तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान दरवाजे पर आने वाले भिखारी या किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराए न जाने दें।
इन दिनों में घर के छत पर पक्षी और पशु पक्षियों के लिए खाना रखें। माना जाता है कि इस दौरान पूर्वज किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं। पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन सुबह जल देते समय पितरों से कृपा करने की प्रार्थना करें। इससे पितृ संबंधी कोई ऋण पैदा नहीं होगा। पितरों की पूजा करने के दौरान अपने शरीर पर किसी भी प्रकार का तेल न लगाए। ये भी पढ़े... पितृ पक्ष में इन चीजों का दान माना गया है महादान, पूर्वज भी होते हैं प्रसन्न पितृ पक्ष में इन बातों का रखें खास ख्याल, पितरों से मिलेगा शुभ फल और आशीर्वाद पूर्वजों की पूजा करने से पहले जरुर जान ले पितृ पक्ष के ये महत्वपूर्ण नियम Read the full article
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मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद
चैतन्य भारत न्यूज इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितर स्वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म के माध्यम से भोग प्रसाद ग्रहण करके हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान आने वाले दिनों में मातृ नवमी के दिन श्राद्ध का काफी महत्व है। इस वर्ष नवमी का श्राद्ध 22 सितंबर को किया जाएगा। आइए जानते हैं मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के नियम और शुभ मुहूर्त। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
ये हैं मातृ नवमी के दिन श्राद्ध के नियम श्राद्ध करने में दूध, गंगाजल, मधु, वस्त्र, कुश, अभिजित मुहूर्त और तिल मुख्य रूप से अनिवार्य है। तुलसीदल से पिंडदान करने से पितर पूर्ण तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक इन्हें महादान कहा गया है। खासतौर से आप जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद के मुताबिक खाना ��नाएं। तर्पण और पिंड दान करने के बाद पुरोहित या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
नवमी श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त नवमी तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर 2019 को रात 07 बजकर 50 मिनट से नवमी तिथि समाप्त: 23 सितंबर 2019 को रात 06 बजकर 37 मिनट तक ये भी पढ़े... मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा होती है पूरी, सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है यह दिन ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध, जानिए इसकी शुरुआत की कहानी Read the full article
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