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हाइब्रिड खीरा की खेती: एक उच्च उत्पादकता और लाभदायक विकल्प
प्रस्तावना:
भारतीय कृषि को आधुनिक तकनीकों और नए तरीकों से लगातार नवीनीकरण की जरूरत है। हाइब्रिड खेती एक ऐसी तकनीक है जो उच्च उत्पादकता और बेहतरीन उत्पादकता के साथ समृद्धि लाती है।
हाइब्रिड खीरा की खेती, खीरे के उत्पादन में एक बड़ा बदलाव ला सकती है और किसानों को बेहतरीन रिटर्न देने में सक्षम होती है। इस लेख में, हम Hybrid Kheere Ki Kheti के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे जिससे खेतीकर अधिक लाभ उठा सकते हैं।
हाइब्रिड खेती का परिचय
हाइब्रिड खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें अभिलाषी बीज के उपयोग से नई प्रजातियों का निर्माण किया जाता है। यह विज्ञान, तकनीक और विशेषज्ञता के द्वारा संभव होता है जिससे खेती में उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुधार होता है। हाइब्रिड खेती के लिए विभिन्न प्रजातियों के खेतीकरों द्वारा सबसे उत्तम बीजों का चयन किया जाता है ताकि खेती के माध्यम से अधिक मुनाफा हो सके।
हाइब्रिड खीरा की खेती के लाभ
उच्च उत्पादकता: हाइब्रिड खेती से प्राप्त खीरे की उत्पादकता उन साधारण बीजों की तुलना में काफी अधिक होती है। यह किसानों को अधिक फसल उत्पादन करने में सक्षम बनाता है जिससे उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है।
बेहतर गुणवत्ता: हाइब्रिड खेती के बीजों से प्राप्त खीरे की गुणवत्ता भी अधिक होती है। यह बीज बीमारियों और कीटाणुओं से लड़ने की शक्ति धारण करते हैं जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और उच्च गुणवत्ता वाली खीरे पैदा होती हैं।
बेहतर विकास: हाइब्रिड खेती के बीजों से प्राप्त खीरे पौधे भी बेहतर विकसित होते हैं। ये पौधे पौधों के विकास के लिए अधिक पोषक तत्वों को उपलब्ध करते हैं जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
भरपूर उपज: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त उत्पादन में भरपूर मात्रा में खीरे प्राप्त होती हैं। यह किसानों को अधिक उपज बेचने में मदद करता है जिससे उन्हें अधिक आय मिलती है।
बाजार में अधिक मांग: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त खीरे को बाजार में ज्यादा मांग होती है। इन खीरों को उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता के कारण खेतीकरों को ज्यादा भाव और मुनाफा मिलता है।
हाइब्रिड खीरे की खेती की विधि
हाइब्रिड खीरे की खेती के लिए कुछ विशेष विधियां और तकनीकें होती हैं जिन्हें ध्यान में रखकर खेती करना चाहिए।
बीज का चयन: हाइब्रिड खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज बीज का चयन करना होता है। खेतीकरों को उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए जो उन्हें अधिक मुनाफा दे सके। हाइब्रिड खेती के लिए प्रमाणित बीजों का उपयोग करना सर्वोत्तम होता है।
भूमि की तैयारी: हाइब्रिड खेती के लिए उचित भूमि की तैयारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खेती के लिए उचित भूमि चयन करना और उसे उच्च गुणवत्ता के मलवाज़ से सुसज्जित करना आवश्यक होता है।
समयबद्ध बुवाई: हाइब्रिड खीरे की खेती के लिए समयबद्ध बुवाई भी महत्वपूर्ण है। बीजों को सही समय पर बोना चाहिए ताकि पौधे अच्छे से विकसित हो सकें और उच्च उत्पादकता का लाभ हो सके।
सुरक्षा और संरक्षण: हाइब्रिड खेती के पौधों की सुरक्षा और संरक्षण को ध्यान से करना भी जरूरी है। पेस्टिसाइड्स के साथ सावधानी से काम करना और सुरक्षित तरीके से पौधों को संरक्षित रखना चाहिए।
समय पर खेती जांच: हाइब्रिड खेती के दौरान समय-समय पर खेती जांच करना भी महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि खेती की स्थिति कैसी है और क्या उपाय किए जाएं ताकि उत्पादन में कोई अधिकतम नुकसान न हो।
हाइब्रिड खीरे की खेती के लाभ
हाइब्रिड खेती के उपयोग से किसानों को कई लाभ मिलते हैं जिन्हें हम निम्नलिखित भाग में विस्तार से देखेंगे।
उच्च उत्पादकता: हाइब्रिड खेती से प्राप्त खीरे की उत्पादकता अन्य बीजों की तुलना में काफी अधिक होती है। यह किसानों को अधिक फसल उत्पादन करने में सक्षम बनाता है जिससे उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है।
बेहतर गुणवत्ता: हाइब्रिड खेती के बीजों से प्राप्त खीरे की गुणवत्ता भी अधिक होती है। यह बीज बीमारियों और कीटाणुओं से लड़ने की शक्ति धारण करते हैं जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और उच्च गुणवत्ता वाली खीरे पैदा होती हैं।
बेहतर विकास: हाइब्रिड खीरे की खेती के बीजों से प्राप्त पौधे भी बेहतर विकसित होते हैं। ये पौधे पौधों के विकास के लिए अधिक पोषक तत्वों को उपलब्ध करते हैं जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
भरपूर उपज: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त उत्पादन में भरपूर मात्रा में खीरे प्राप्त होती हैं। यह किसानों को अधिक उपज बेचने में मदद करता है जिससे उन्हें अधिक आय मिलती है।
बाजार में अधिक मांग: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त खीरे को बाजार में ज्यादा मांग होती है। इन खीरों को उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता के कारण खेतीकरों को ज्यादा भाव और मुनाफा मिलता है।
हाइब्रिड खीरा की खेती की चुनौतियां
हाइब्रिड खीरे की खेती को अपनाने के बावजूद कुछ चुनौतियां भी होती हैं जिन्हें हम निम्नलिखित भाग में देखेंगे।
उचित बीज चयन: हाइब्रिड खेती के लिए सही और उचित बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण है। किसानों को उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए जो उन्हें अधिक मुनाफा दे सके।
भूमि की तैयारी: हाइब्रिड खेती के लिए उचित भूमि की तैयारी भी महत्वपूर्ण है। खेती के लिए उचित भूमि चयन करना और उसे उच्च गुणवत्ता के मलवाज़ से सुसज्जित करना आवश्यक होता है।
भारी लागत: हाइब्रिड खीरे की खेती के लिए बीजों की खरीदारी और तकनीक की लागत थोड़ी
ज्यादा हो सकती है। इससे किसानों को अपने बजट के अनुसार खेती करनी होती है।
तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता: हाइब्रिड खेती को अपनाने के लिए किसानों को तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। वे समय-समय पर उन्हें अध्ययन करना और नए तकनीकों का अध्ययन करना चाहिए ताकि उन्हें अधिक मुनाफा हो सके।
पर्याप्त स्टोरेज इंफ्रा: हाइब्रिड खेती से प्राप्त उत्पादों को उचित स्टोरेज इंफ्रा की आवश्यकता होती है। बिना उचित स्टोरेज इंफ्रा के उत्पादों का बिगड़ जाना संभव है जिससे किसानों को नुकसान हो सकत��� है।
संगठन और समर्थन
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Atma Nirbhar Bagwani Yojana | How It Is Impacting The Future Of Agriculture?
India is the second largest producer of fruits and vegetables in the world after China. Production and export of Indian fruits and vegetables have increased a lot in recent years. During 2021-22, India exported fruits and vegetables worth US $ 1.527.60 million, which included fruits worth US $ 750.7 million and vegetables worth US $ 767.01 million. To meet the growing requirements of the market all around the world, the government of India decided to introduce the Atma Nirbhar Bagwani scheme.
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Date Palms Bagwani Nursery and Landscaping Company Contact Us At Ph. 7252802950 #datepalm #datepalmtree #dwarfdatepalm #landscapingtrees #bagwaninursery #wholesaleplantsupplier #nurseryinsaharanpur
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Ye kaisi umr mein aakar mili ho tum
Bahut ji chahta hai phir se bou apni ankhen
Tumhare dher se chehre ugaauun aur bulaauun barishon ko
Bahut ji hain ki fursat ho tasabbur ho
Tasabbur mein jaraa see bagwani ho
Magar jaanaa ik aisi umr mein aakar mili ho tum
Kisi ke hisse ki matti nahin hilti
Kisi kee dhoop kaa hissaa nahin chhanata
Magar ab meri kyari me lage paudhe
Kisi ko paanv rakhane ke liye bhee thaah nahin dete
Ye kaisee umr mein aakar mili ho tum
- Gulzar
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bagwani ji just make me rich and powerful enough to afford good skincare please please pretty pleaseeee 🧿🧿🧿🧿😭😭😭😭
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How To Create A Beautiful Terrace Garden?
At Bagwani Nursery, we believe that creating a stunning terrace garden is an artwork that combines considerate making plans, layout, and care. Here’s our complete manual that will help you create your own beautiful terrace garden:
Step 1: Assess Your Space
Measure the Area: Start by measuring your terrace to plot appropriately.
Check Weight Limits: Ensure that the shape can aid the mixed weight of soil, flora, and planters. Consult a structural engineer if essential.
Step 2: Design the Layout
Plan Zones: Divide your terrace into unique zones together with seating, planting, and pathways.
Sunlight: Observe daylight styles to vicinity vegetation in step with their light necessities, ensuring that color-loving plant life are placed in areas with much less direct daylight.
Step 3: Select Your Plants
Climate-Appropriate Plants: Choose flora that thrive for your nearby weather.
Variety: Incorporate a combination of flowering vegetation, shrubs, herbs, veggies, and small trees for variety.
Containers: Use loads of pots and planters to feature visible hobby. We offer a huge variety of stylish and purposeful planters to select from.
Step 4: Soil and Drainage
Quality Soil: Use superb potting blend available at our nursery, best for field gardening.
Drainage: Ensure all packing containers have drainage holes to prevent waterlogging. Add a layer of gravel at the lowest of each pot for better drainage.
Step 5: Irrigation System
Manual Watering: Regularly water your vegetation primarily based on their wishes.
Automated System: Consider installing a drip irrigation machine for comfort and consistent watering. We offer clean-to-installation drip irrigation kits.
Step 6: Seating and Furniture
Comfortable Seating: Choose climate-resistant fixtures inclusive of benches, chairs, or hammocks.
Shade: Install umbrellas, pergolas, or awnings to create shaded areas. We have a choice of stylish outside furniture and color answers.
Step 7: Decorative Elements
Lighting: Enhance your garden with sun lighting fixtures, string lights, or lanterns for evening ambiance.
Art and Accessories: Add lawn statues, wind chimes, or decorative pots for a private contact.
Step 8: Pathways and Flooring
Non-Slip Surfaces: Opt for materials like out of doors tiles, timber decking, or gravel.
Paths: Create clean pathways for smooth navigation via your lawn.
Step 9: Maintenance
Regular Care: Prune, fertilize, and test for pests regularly. Our range of gardening equipment and organic fertilizers let you keep your lawn.
Cleaning: Keep the terrace clean and freed from debris.
Step 10: Personal Touches
Themed Garden: Consider a subject like a Zen lawn, tropical oasis, or herb garden.
Vertical Gardening: Use trellises, striking planters, or green walls to maximize space. We provide a variety of vertical gardening answers to fit your wishes.
Example Layout from Bagwani Nursery:
Centerpiece: A small tree or huge potted plant as a focus.
Borders: Flowering vegetation and shrubs along the edges.
Herb Section: A devoted nook for culinary herbs.
Seating Area: Comfortable seating with cushions and a small table.
Vertical Garden: A wall with striking planters for herbs and small flowers.
By following these steps and incorporating various factors, you can create a lovely and purposeful terrace garden that serves as a chilled retreat and complements the aesthetic appeal of your area. Visit Bagwani Nursery for all your gardening desires, from flowers and planters to soil and add-ons. Let us help you bring your terrace garden goals to life!
Contact Us or Visit our website for more info.
bagwaninursery.com
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Dear sir ..
Good Morning
you are inspiring to me for more better work to past .so i am thanful for you my EGuru ji ..
i have done some bagwani work for gwar fasal at free land of home .i can say it is natural small painting ..
i also draw two more art work in studio ..
you have a great day sir ..
warm Regards
Yogendra kumar purohit
Master of Fine arts
Bikaner,India
DAY 5634
Jalsa, Mumbai July 21/22, 2023 Fri/Sat 1:26 AM
🪔 .. July 22 .. birthday greetings to Ef Hitesh Gohel from USA .. keep well .. 🙏🏻🚩
अरे भैया ! का बतायें ! चार दिशाओं में काम किए आज हम , अलग अलग विषय को ��ेकर । और सब हो तो गया लेकिन , अच्छा नहीं हुआ । तो कल , यानी की अब तो आज हो गया है , उसको फिर से करेंगे , और आशा है की अबकी बार वो ठीक होगा !
😁
in the World of the translate what has been expressed ☝🏽 is that .. well first off .. that I am a Brownie .. the colour of the finger was given to me thus .. was going to comment about this, but better sense prevailed and kept it to myself .. my yellow pencil flutters in the pen box beside me .. 😳🤣 ..
is that .. what shall I say .. now this is the translate , not a continuity of the sentence above .. and I am not using the finger directional emoji .. ok .. my work today has taken me to all the 4 directions of the World .. on different issues and topics .. and all have been addressed, but not to my satisfaction .. so , tomorrow - well it’s tomorrow already now - I shall make another attempt to improve it .. and I hope that this time it is done better ..
Good no ? keep doing it again and again till it works right .. something will give in time .. because time also gets fed up when you keep at it .. so it eventually gives up and .. then .. the door opens , and we walk in .. isn’t it .. ? or rather ain’t it .. !!!
Alright .. so .. San Diego and K , the project .. a great moment for the film and the makers and all those that went there for the release of the first look for it .. I was pushed hard by Nagi Sir to come along, but work and medical restrictions have kept me away from many such occasions .. so .. but I must admit the first look was pretty darn good .. wasn’t it .. style, music, frames .. everything ..
.. and finally the reveal of K .. KALKI .. mythologically so important .. 2898 AD !!
‘AD’ has been changed has it not .. ?
yes .. AD , which i think was ‘anno domini’ , meaning ‘in the year of the Lord’.. was changed to CE - common era .. and BC, became BCE - before common era !
Why so .. have no idea .. it was related to the birth of Christ , before and after . hence .. but , each region in the World has its own year and month and named according to their calculated calendars ..
many considerate Ef are sending in messages to me ‘to get to bed ..’ .. but i wait .. wait for Abhishek and family to arrive .. they have just landed , and I shall go to sleep after meeting them ..
Amitabh Bachchan
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Tencent Backed Start Up Kuaishou Technology IPO
Tencent Backed Start Up Kuaishou Technology IPO
Tencent Backed Start Up Kuaishou Technology IPO World’s Biggest Tech IPO Kuaishou Technology IPO दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा IPO है, कंपनी यह IPO 5.4 बिलियन डॉलर यानी करीब 40,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए लाई है Hong Kong Stock Exchange में सोमवार को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा IPO लॉन्च हुआ। चाइनीज कंपनी Tencent Holdings की निवेश वाली शॉर्ट वीडियो स्टार्टअप कंपनी क्वाइशोउ (Kuaishou Technology ipo)…
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Bagwani utsav 2019 Come and join us.... . . . . . . . . . . #delhi #gardening #exhibition #plantlovers #janakpuri #dillihaat #delhitourism #gardeningindia #ankittomar #bagwani #utsav #nature #love https://www.instagram.com/p/BsssPIrlcFC/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=pi8fbjzmgij0
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कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन
जब से बिहार में सरकार बदली है, उसके बाद से नीतिश कुमार छात्रों ही नहीं, किसानों पर भी बड़े मेहरबान नजर आ रहे हैं। खेती में मशीनों का इस्तेमाल आज कल बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि इनके उपयोग से ही किसान अपना ज्यादा काम कम समय में कर पाते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी का असर ये होगा कि जो किसान ज्यादा लागत की मशीन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे भी इन्हें खरीद पाएंगे।
गौर करने वाली बात है कि सरकार यह सब्सिडी 90 प्रकार की कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर दे रही है। सब्सिडी वाली मशीनों के लिए एप्लिकेशन प्रोसेस भी शुरू हो गया है। इच्छुक किसान इसके लिए 31 दिसंबर तक एप्लिकेशन दे सकते हैं।ये भी पढ़ें:किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दे रही MP सरकार
इस योजना की शुरुआत बिहार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने की है। इस योजना का नाम कृषि यंत्रीकरण है। इसी योजना के अंतर्गत सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे किस तरह की मशीनें हैं जिन पर सब्सिडी दी जा रही है, तो आपको बता दें कि इसके लिए कटाई, सिंचाई, गुडाई, निराई गन्ना और बागवानी से जुड़ी मशीनें शामिल हैं। अगर आपको इन सारी मशीनों की लिस्ट चाहिए और सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानना है, तो आपको OFMAS पोर्टल (OFMAS – Online Farm Mechanization Application Software) पर जाना होगा। यहां आपका पूरा ब्योरा मिल जाएगा।
इस योजना को लेकर बिहार के कृषि विभाग ने ट्वीट किया था, ज��समें पूरा ब्योरा बताया गया था
लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात है कि जो लोग पहले अप्लाई करेंगे तो उन्हें लाभ पहले मिलेगा, क्योंकि यह पूरा प्रक्रिया पहले आओ पहले पाओ के तहत है। चूंकि बिहार सरकार ने आवेदन आमंत्रित कर दिए हैं, इसलिए जरूरी है कि आप फौरन कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर दें ताकि आपका नंबर पहले लग सके। लेकिन आवेदन के पहले आपको पंजीकरण करना होगा, जो अनिवार्य है।
बिहार सरकार ने इस योजना के लिए अच्छा खासा बजट जारी किया है। इसी बजट के अंर्तगत किसानों को कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जाएगी। बिहार में किसान अक्सर की मौसम की मार झेलते रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम कई मायनों में शानदार है। इस योजना से छोटे व मझोल किसानों को मदद मिलेगी।
Source कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन
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Mukhyamantri Bagwani Bima Yojana : योजना के तहत किसानों को मिलेंगे 40000 रुपये, जानिए कैसे
Mukhyamantri Bagwani Bima Yojana : योजना के तहत किसानों को मिलेंगे 40000 रुपये, जानिए कैसे
Mukhyamantri Bagwani Bima Yojana योजना के तहत किसानों को मिलेंगे 40000 रुपये, जानिए कैसे : इस बीमा योजना ( Insurance Scheme ) के तहत किसानों ( Farmer ) को सब्जियों और मसालों की फसल ( Crop ) के लिए 30,000 रुपये और 40,000 रुपये का बीमा दिया जाएगा। अगर आप भी किसान हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। हरियाणा ( Haryana ) सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना’ ( Mukhyamantri Bagwani Bima Scheme ) के तहत…
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परिचय
आज हम जानेगे की Masoor Ki Kheti Kaise Karen?(मसूर की खेती कैसे करें) IN ENGLISH -LENTIL के बारे में , मसूर एक महत्वपूर्ण दालीय फसल है जिसे भारत भर में खेती किया जाता है।
यह फसल अपार मात्रा में प्रोटीन, आयरन, विटामिन, और मिनरल्स प्रदान करती है। इसकी खेती वैज्ञानिक तरीकों से की जा सकती है जो उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करते हैं। इस लेख में हम मसूर की खेती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और इसे कैसे करें इस पर जानकारी प्रदान करेंगे।
मसूर की खेती का महत्व
मसूर की खेती का महत्व आर्थिक और पोषणीय दृष्टि से बहुत अधिक है। यह एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध फसल है और किसानों को अधिक लाभ प्रदान कर सकती है। मसूर एक प्रमुख खाद्यान्न है और उसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम,और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका नियमित सेवन स्वस्थ आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मसूर की खेती करके किसान अधिक मात्रा में फसल उत्पादित करके अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
मसूर की खेती के लिए उचित मिट्टी चयन
मसूर की खेती के लिए उचित माटी का चयन महत्वपूर्ण है। मसूर एक पर्याप्त मात्रा में पानी और अच्छी ड्रेनेज के साथ उगाई जा सकती है। इसके लिए लोमड़ीदार मिट्टी जैसी माटी अच्छी मानी जाती है, जिसमें पानी अच्छी तरह से संचयित हो सकता है। यह माटी मसूर की जड़ों को मात्राएं और पोषक तत्वों को सही मात्रा में प्रदान करती है।
बीज चुनाव
अगला महत्वपूर्ण कदम है उचित बीज का चयन करना। मसूर के लिए उचित गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना जरूरी है। यह सुनिश्चित करेगा कि आपके पास उच्च उत्पादकता और मजबूत पौधे होंगे। आपको प्रमाणित विक्रेता से अच्छी गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। बीजों को ��चित समय पर बीजबंदी करनी चाहिए और बागवानी या खेती के विशेषज्ञों की सलाह पर भी ध्यान देना चाहिए।
खेती की तैयारी
मसूर की खेती की शुरुआती तैयारी महत्वपूर्ण है। इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से सफाई करें और खरपतवार और बारिश के पानी को अच्छी तरह से निकालें। खेत को अच्छी तरह से खुरचाकर धोएं और खेत के चारों ओर विभाजन निर्माण करें। इसके बाद, खेत में उर्वरक की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए आपको विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। इसके बाद, खेत को खेती के लिए तैयार करने के लिए पुरानी मिट्टी को मिश्रण में मिलाएं और उर्वरक का उपयोग करें।
मसूर की खेती की विधि | Masoor Ki Kheti Kaise Karen?
6.1 खेत में फसल की तैयारी
खेत में फसल की तैयारी के दौरान, आपको खेत की तैयारी करनी होगी और सुरंग या खाड़ी के लिए जगह छोड़नी होगी। यह ध्यान रखें कि ज्यादा भूमि का अधिक उपयोगउत्पादकता को बढ़ा सकता है। इसके बाद, खेत में फसल के लिए उचित स्थानों पर बीज चिढ़काव करें।
6.2 बीज की बोनी
बीज की बोनी करने के लिए, खेत में गहराई करके बीज बोने। बीज के बोने की गहराई और दूरी को विशेषज्ञ की सलाह के आधार पर निर्धारित करें। बीजों को उचित अंतराल पर बोने और उन्हें धीरे-धीरे धकेलें ताकि उनकी उगाई अच्छी तरह से हो सके।
6.3 सिंचाई व्यवस्था
मसूर की खेती में सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान होता है। खेत में सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था करें ताकि पौधे अच्छी तरह से पानी प्राप्त कर सकें। सिंचाई के लिए प्रचालित व्यवस्था का उपयोग करें और समय-समय पर सिंचाई करें। ध्यान दें कि मसूर पौधों को अधिक जल से बचाएं, ��्योंकि यह उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
6.4 खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण मसूर की खेती में महत्वपूर्ण है। खेत में अनुभवी किसानों द्वारा सलाह ली जानी चाहिए और उचित खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग किए जाने वाले उपायों को जानना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण में कीटनाशकों और कीट-मरकरों का उपयोग करना शामिल हो सकता है, लेकिन इसके लिए आपको पहले उपायों के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए और निर्माण के दौरान उचित सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।
6.5 कटाई और अवशोषण
मसूर की फसल की कटाई और अवशोषण का समय निर्धारित करें। इसे उचित वक्त पर करना महत्वपूर्ण है ताकि फसल की उच्चतम मान्यता हो सके और उत्पादकता को कम से कम नुकसान हो। कटाई के बाद, फसल को अवशोषित करें और ध्यान दें कि इसे स्टोर करने के लिए सुरक्षित स्थान चुनें।
मसूर की फसल की देखभाल
मसूर की फसल की देखभाल में आपको उचित पोषक तत्वों की व्यवस्था करनी चाहिए। पौधों को नियमित खाद दें और उचित उर्वरक का उपयोग करें। फसल की सुरक्षा के लिए, आपको उपयुक्त खरपतवार नियंत्रण के बारे में जागरूक रहना चाहइए। अगर किसी रोग या कीटनाशक का संक्रमण हो जाता है, तो तुरंत उपाय अपनाना चाहिए। साथ ही, फसल की सुरक्षा के लिए योग्य पैमाने पर स्ट्रो लागानी चाहिए।
समस्याएं और उनका समाधान
पौधों पर रोग: अगर मसूर की पौधों पर कोई रोग दिखाई दे, तो संक्रमण के फैलने से बचने के लिए उचित फंगीसाइड का उपयोग करें।
कीटनाशकों का संक्रमण: अगर कीटनाशकों का संक्रमण हो, तो प्रमुखतः कीटनाशकों के खिलाफ उपयोग होने वाले उपायों को अपनाएं।
सिंचाई की समस्या: यदि सिंचाई की व्यवस्था में समस्या हो, तो योग्य सिंचाई व्यवस्था की स्थापना करें और पानी की बचत के लिए टिंकल निकालें।
खरपतवार का प्रबंधन: अगर खेत में खरपतवार की समस्या हो, तो उचित खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का उपयोग करें।
पोषण की कमी: यदि पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो, तो उचित खाद और उर्वरक का उपयोग करें और पौधों को पोषित रखें।
फसल की प्रबंधन
फसल की प्रबंधन में, आपको उचित समय पर खेती से जुड़ी कार्यों को करने की जरूरत होगी। नियमित खाद और उर्वरक का उपयोग करें, खरपतवार नियंत्रण करें, व्यापारिक उद्योग के साथ मिलकर काम करें, नवीनतम तकनीकों का उपयोग करें और उच्चतम उत्पादकता दर्शाने के लिए नई वैज्ञानिक तकनीकों की अधिकता करें।
उत्पादन की बढ़ोत्तरी
मसूर की खेती में उत्पादन की बढ़ोत्तरी करने के लिए, आपको नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। उच्च उत्पादकता वाले बीजों का चयन करें, खेती की तकनीकों को सुधारें, और उत्पादन प्रक्रिया में सुधार करें। साथ ही, खेती के लिए विशेषज्ञ सलाह का भी लाभ लें और उत्पादों के संगठन और विपणन में भी व्यापारिक उद्योगों की सहायता लें।
नए और वैज्ञानिक तकनीक
आधुनिक कृषि क्षेत्र में नए और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक है। मसूर की खेती में भी नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। कृषि यंत्रों का उपयोग करें, सिंचाई के लिए ऑटोमेशन तकनीक का उपयोग करें, और खेती के लिए साइंटिफिक तरीकों का अधिक उपयोग करें। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके आप अधिक मात्रा में उत्पादन कर सक���े हैं और खेती क्षेत्र में आधारभूत सुधार कर सकते हैं।
फायदे और अनुशासन
मसूर की खेती करने के फायदों में उच्चतम उत्पादकता, स्वास्थ्यपूर्ण खाद्य विकल्प, आर्थिक स्थिरता, और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना शामिल है। इसके साथ ही, खेती में अनुशासन बनाए रखना और उच्चतम मानकों का पालन करना चाहिए। कृषि के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेना, समय पर काम करना, और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना यह सुनिश्चित करेंगे कि आप अधिक मात्रा में उत्पादन कर सकते हैं और आर्थिक रूप से स्थिर रह सकते हैं।
सुरक्षा का ध्यान रखें
मसूर की खेती करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। खेती कार्यों के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करें और उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें। केमिकल और कीटनाशकों के उपयोग के दौरान उचित सुरक्षा के बारे में सोचें और उपायों को सुरक्षित ढंग से रखें। सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाले सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें और खेती कार्यों में सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
मसूर में कितने दिन में पानी देना चाहिए
मसूर की खेती में पानी देने का आवश्यकता किसी मात्रा में उगाई गई फसल, मौसम और मृदा की नमी पर निर्भर करेगी। आमतौर पर, नयी उगाई गई मसूर की पौधों को प्रारंभिक 7-10 दिनों में नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके बाद, प्रतिसप्ताह या 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है।
हालांकि, खेत की मृदा की नमी को नियंत्रित रखने के लिए सदैव खेती विशेषज्ञों की सलाह लेना सर्वोत्तम होगा। वे आपके क्षेत्र की भौगोलिक, जलवायु और मृदा क�� विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए सही सिंचाई व्यवस्था सुझा सकते हैं।
इसलिए, मसूर की खेती में पानी देने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप आपके क्षेत्र में उचित खेती विशेषज्ञों से सलाह लें और उनके द्वारा सुझाए गए सिंचाई अंतराल का पालन करें।
मसूर के रोग
मसूर की खेती में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं, जो पौधों के स्वस्थ विकास को प्रभावित कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख मसूर के रोगों के बारे में जानकारी है:
पातली पट्टी रोग: इस रोग में पौधों की पत्तियों पर पीले या सफेद दाग दिखाई देते हैं। इसके कारण पौधे की विकास रुक जाता है। इस रोग का प्रबंधन करने के लिए अनुकरणीय रोगनाशक का उपयोग करें और संक्रमित पौधे को तुरंत नष्ट करें।
फूला दर रोग: इस रोग में पौधे के फूल में सफेद रंग की दाग दिखाई देते हैं। यह रोग फूल के खराब हो जाने के कारण होता है। इसका प्रबंधन करने के लिए अच्छी क्षमता वाले बीजों का चयन करें और फूल के खराब होने वाले पौधों को हटा दें।
दाग रोग: इस रोग में पौधों की पत्तियों पर सफेद दाग दिखाई देते हैं और इसके कारण पत्तियाँ सूखने लगती हैं। रोग के प्रसार को रोकने के लिए रोगनाशक का उपयोग करें और संक्रमित पौधे को नष्ट करें।
पानीय पत्तियों का रोग: इस रोग में पौधों की पत्तियों पर नीले या सफेद दाग दिखाई देते हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के लिए रोगनाशक का उपयोग करें और संक्रमित पौधे को हटा दें।
मसूर की खेती का सही समय
गर्मी के मौसम में: मसूर की खेती के लिए सबसे अच्छा समय ठंडी गर्मी के मौसम के बीच होता है। यह अन्य फसलों के साथ तुलना में ठंडी की अधिकता टिकाऊ होती है और उच्चतम उत्पादकता दर्शाती है। आपको वैज्ञानिक तरीके से समय निर्धारित करने के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए।
मसूर की बीज दर
मसूर की बीज दर विभिन्न ��ारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि क्षेत्र, बीज का प्रकार, गुणवत्ता और विपणन की वर्तमान स्थिति। हालांकि, आमतौर पर मसूर की बीज दर प्रति किलोग्राम रूपये में उपलब्ध होती है।
बीज दर निर्धारित करने के लिए, आपको अपने क्षेत्र में बीज वितरकों या कृषि उपज बाजार से नवीनतम मूल्य जानना चाहिए। इसके अलावा, बीज की गुणवत्ता और प्रमाण पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।
मसूर की पैदावार कितनी होती है
मसूर की पैदावार कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि भूमि की गुणवत्ता, बीज का चयन, खेती तकनीक, संक्रमण नियंत्रण, और जलवायु स्थिति। हालांकि, आमतौर पर मसूर की खेती से प्रति एकड़ दरबार में 8-12 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है।
पैदावार को बढ़ाने के लिए, उच्च उत्पादकता वाले बीज का चयन करें, अच्छे खेती तकनीक का उपयोग करें, और पौष्टिक खाद और उर्वरक का उपयोग करें। नियमित सिंचाई का ध्यान रखें, संक्रमण और कीटनाशकों को नियंत्रित करें, और समय पर खेती कार्य करें।
मसूर की पैदावार विभिन्न क्षेत्रों और खेती प्रथाओं पर भी निर्भर करेगी, इसलिए आपको स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए जो आपके क्षेत्र में उच्चतम पैदावार के लिए उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं।
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