#Horror Story Hindi
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toonmela · 3 months ago
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Welcome to Nightbook, your go-to destination for thrilling Hindi horror stories tailored especially for kids! Dive into a world of spooky bhutiya tales, chilling chudail adventures, and ghostly encounters that will keep you on the edge of your seat. Each story is designed to captivate young minds with just the right balance of scare and excitement, ensuring an unforgettable experience every time.
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akshutv · 2 years ago
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Shaapit Murti | शापित मूर्ति | Hindi Horror Stories | सच्ची कहानी | Horror Kahaniyan | Akshu Tv
हम सभी अपनी डेली लाइफ मै कई मूर्तिओं से रूबरू होते है! पर कभी अपने सोचा है की जो मूर्ति आपको मन मोहक और सुन्दर लगती है उस के अंदर कोई । आत्मा या किसी भयानक चुड़ैल का वास हो? सोच कर ही दिल देहल जाता है! ऐसा ही कुछ हुआ हमारी इस Horror Story कई एक रोमांटिक कपल के साथ जब वो एक मूर्ति अपने घर ले आएं! और उन्होंने महसूस किया की उनके साथ और कोई भी अब उसके साथ रहने लगा हैं! अगर आपको ये Hindi Horror Story अच्छी लगी तो वीडियो को लाइक जरूर करें, और हमारे चैनल Akshu Tv को सब्सक्राइब करें
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ramawtarjat · 2 years ago
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BLACK COLOUR STORY-काले रंग के परिवार की कहानी
  काले रंग के परिवार की कहानी
एक व्यक्ति जिसका नाम गौरीशंकर था पर उसका रंग काला था उसकी नौकरी शहर में लग गई। वह खुशी खुशी गांव के जीवन से अपने आपको शहर के रंग ढंग में ढालने लगा। खान पान से लेकर उठने और बैठने,बोलने,पहनने तक बनावटीपन डालना शुरू कर दिया। उसे इस प्रकार के बनावटीपन की आदत नहीं थी.Read more...
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scharyshadow · 6 days ago
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Chandni Bhoot Bangla Ki Sachai Part2
विक्र�� उस रात के बाद घर लौट आया, लेकिन उसे अभी भी नींद आ रही थी। हर रात उसे वह चेहरा अपनी आँखों के सामने दिखाई देता। जब भी वह अपनी आँखें बंद करता, तो उस औरत की घूमती आँखों की छवि उसकी रातों को चीरती। उसे लगता कि यह सब एक सपना है या उसकी मानसिक स्थिति का प्रतिबिंब है, लेकिन हर दिन उसके सामने कुछ नया आता रहता।
एक दिन विक्रम को एक पुराना पत्र मिला, जो किसी अनजान व्यक्ति ने लिखा था। पत्र में लिखा था:
"वापस आ जाओ। तुमने जो देखा, वह तो बस शुरुआत थी। अब तुम इसके शिकार हो।"
विक्रम का दिल धड़कने लगा। उसने अपनी घटना के बारे में कभी किसी को नहीं बताया था, लेकिन उसे यह कैसे पता चला? क्या वाकई उसकी हवेली का भूत उसका पीछा कर रहा था? डर और जिज्ञासा के बीच उसने तय किया कि वह इस रहस्य को समझेगा। इसलिए उसने अपने दोस्त और पैरानॉर्मल एक्सपर्ट अर्जुन को अपने साथ ले जाना ही बेहतर समझा।
जब वे दोनों रात को हवेली पहुँचे, तो वहाँ की हवा पहले से भी ज़्यादा ठंडी थी। अर्जुन ने अपने औज़ार निकाले और हवेली को स्कैन करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में तापमान में गिरावट दिखाई दी, मानो कोई अदृश्य व्यक्ति वहां मौजूद हो। अर्जुन ने ईवीपी (इलेक्ट्रॉनिक वॉयस फेनोमेनन) रिकॉर्डर चालू किया तो एक आवाज रिकॉर्ड हुई जो कह रही थी:
"तुम वापस क्यों आए हो? तुम यहां से नहीं जा पाओगे।"
विक्रम का चेहरा साफ हो गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। अर्जुन ने कहा, "यह कोई फंसा हुआ रहस्य नहीं है। यह कुछ और है-शायद कोई पुराना श्राप या जादू।" तभी एक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी, जैसे कोई दरवाजा बंद कर दिया गया हो। और फिर, पुराना पियानो अपने आप बजने लगा, लेकिन इस बार एक अलग आवाज के साथ, जैसे कोई रो रहा हो।
जैसे ही वे दोनों पियानो के करीब पहुंचे, दीवार से एक पुरानी तस्वीर गिरी। तस्वीर में एक महिला थी-बिल्कुल वही चेहरा जो विक्रम ने अपने कैमरे में देखा था। अर्जुन ने कहा, "यह तस्वीर उस महिला की आत्मा है, जो अपने पति का बदला लेना चाहती है। शायद उसके साथ कोई अलौकिक घटना घटी हो।" और उसी क्षण एक आवाज़ आई- एक गुहार और एक चीख जो पूरी हवेली में गूंज गई। एक पल के लिए दोनों को लगा जैसे उनके पैरों तले ज़मीन हिल रही हो। अर्जुन ने विक्रम को पकड़ लिया और कहा, "तुम्हें यहाँ से निकल जाना चाहिए! यह आत्मा न केवल बदला लेना चाहती है, बल्कि अपने प्यार का राज भी छोड़ना चाहती है।"
लेकिन जैसे ही वे दोनों भागने लगे, एक आवाज़ ने उन्हें रोक लिया। उस आवाज़ ने कहा, "मुझे छोड़कर मत जाओ… तुम अभी तक नहीं समझे हो। सच्चाई अभी भी हवेली के अंदर है।"
दोनों एक-दूसरे को देखने लगे, समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। विक्रम के मन में एक सवाल गूंज रहा था- क्या वह इस राज का अंजाम जाने बिना वापस लौट पाएगा, या उसे अपनी जान देकर इस कहानी का अंत लिखना होगा Get Video
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adminsunnyscartoon · 20 days ago
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Halloween Haunted House Ambience | Halloween Screen Saver @spunatianima...
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#horrorstoriesinenglish#horrorstoriestoread#onlineBhootkikahaniinHindi#horrorstoriesforkids#horrorstoriesinhindi#HorrorStories#moviehorrorstories#shorthorrorstoryinhindi#writtenrealhorrorstoryinhindi#Scarystoriestoread#ScaryStoriestoTell#shorthorrorstoryinhindi#कब्रिस्तानहॉररस्टोरीइनहिंदी#स्कूलहॉररस्टोरी#हॉररस्टोरी#डरावनीहॉररस्टोरीसच्चीघटना
bloody mirror Horror Stories in Hindi,
सुबह के वक़्त मुंबई जैसे महानगर में सुबह सुबह सबको ऑफिस जाने की जल्दी रहती है , घडी का अलार्म रुकने का नाम नहीं ले रहा था , न चाहते हुए भी वाशरूम में संजना अधखुली आँखों से आईने के सामने अपना चेहरा ठीक करती है , और ब्रश करके अपने बाल सवारती हुयी वहाँ से निकल जाती है , मगर उसके जाने के बाद भी संजना का अक्स आईने में ठहर जाता है , और वो बड़े गौर से संजना की तरफ देखता है , अचानक संजना वापस वाशरूम में आ जाती है तभी अक्स नीचे की तरफ खिसक जाता है , संजना को जाने क्यों ऐसा महसूस होता है की उसके अलावा भी वाशरूम में कोई है , वो
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imaginarystoriesworld · 2 months ago
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20 Saal Baad 💀
Ek chhote se gaon mein ek purana bungalow tha, jise log bhoot bangla ke naam se jaante the. Us bungalow mein koi nahin rehta tha, kyunki log usse dar te the. Kahin kahta tha ki wahan par bhoot rehta hai, toh kahin kahta tha ki wahan par koi buri aatma hai.
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Ek din, ek naye aadmi, Rohan ne us bungalow ko kharid liya aur wahan par apni family ke saath rahne laga. Rohan ek engineer tha aur usne socha ki yeh bungalow uske liye ek achha investment hoga.
Jaise hi raat padti, unhe ajeeb ajeeb awaazein sunayi deti. Kabhi kabhi unhe lagta ki koi unke saath hai, lekin jab ve dekhte, toh koi nahin hota. Rohan ki wife, Priya aur unki beti, Aisha bhi yeh awaazein sunti thi aur unhe bhi dar lagta tha.
Ek din, Aisha ne ek purani diary mili, jismein likha tha:
"Main is bungalow mein rehti thi, lekin mere pati ne mujhe mar diya. Meri aatma abhi tak yahan hai. Mera naam Riya tha aur main apne pati ke saath khush thi. Lekin mere pati ko mere baare mein kuch galat pata chala aur usne mujhe mar diya. Main abhi tak yahan hai aur mujhe insaaf chahiye."
Aisha ne yeh baat apne pita ko batai. Rohan ne socha ki yeh sirf ek kahani hai, lekin jab unhone diary ko padha, toh unhe ehsaas hua ki yeh sach hai.
Rohan ne apni family ko lekar police station gaya aur unhone report darj kiya. Police ne investigation ki aur pata chala ki Riya ki hatya ka case 20 saal purana tha.
Rohan ne decide kiya ki ve Riya ki aatma ko shanti denge. Unhone Riya ke pati ka naam aur address dhundh liya aur unhe pata chala ki woh abhi tak zinda hai.
Rohan ne usse milne ka faisla kiya aur unhone use Riya ki diary dikhai. Usne saari sachchai kabool ki aur police ne use arrest kar liya.
Riya ki aatma ko ab shanti mili aur woh bungalow mein se nikal gayi. Rohan aur uski family ne bungalow ko chhodne ka faisla kiya aur wapas apne gaon chale gaye.
Ab wahan par phir se sunsaan hai, lekin log usse ab bhoot bangla nahi kehte. Ve kehte hain ki wahan par ek sachchai ki jeet hui hai.
Kya tumhe laga ki yeh kahani sach hai?
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apinchofgaming · 4 months ago
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STAY AWAY FROM PSYCHOPATH KIDS!
Story of a creepy kid who's a psychopath and tortures others in the name of prank!
In this horror gaming video, I'm play the character of a normal school going kid who along with his friend johan play tricks and pranks on my other classmates, but one day while playing hide and seek in the forest one such little prank goes horribly wrong and the whole story turns very dark & creepy, what happens after that you have to see in the video because its so thrilling & don't miss the ending cause it's very haunting.. This game is called it's just a prank - It's Just A Prank is a creepy first-person horror game about kids playing pranks on each other until a PRANK GOES WRONG, it is similar to chilla's art games.
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modernlovestory5 · 4 months ago
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limitlesstalk · 5 months ago
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planet4facts · 7 months ago
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adminsunnysshortschanel · 7 months ago
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New Horror Short Movie In Hindi | Adhuri Ichha | Bhoot | Cartoon Horror...
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wepromoteyouonline · 7 months ago
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urdukidsinfoio · 7 months ago
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Badshah aur 4 shehzadio ki kahani l Moral kids story l Urdu/Hindi
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horrorstories15 · 7 months ago
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The Legacy of Frankenstein scary animated Creepy stories in english,
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shivendushukla · 9 months ago
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आवाज़ें
वह जब भी मेरे पास आता था, उसकी एक ही तकलीफ रहती थी। वो मुझसे बार-बार यही कहता था कि डॉक्टर साहब कुछ भी करके ये शोर कम कर दीजिए। मैंने उसे कुछ दवाइयाँ भी दी थी लेकिन लगता है उसने वही किया जिसके लिए मैंने उसे सख्त मना किया था।
राहुल मेरे पास पहली बार तब आया था जब उसका स्कूल खत्म हुआ था और कॉलेज शुरू होने ही वाला था। पहले उसकी तकलीफें कम और शिकायतें ज्यादा थी। जब देखो कहता कान मे दर्द हो रहा है, उसने बताया था कि कोई व्यक्ति अजीब सी वेश भूषा मे उसके सामने आया और भीख मांगत��-मांगते कान मे फूँक मारकर चल गया। मुझे ये बात बड़ी अटपटी सी लगी। उसकी माँ तो मानो तुरंत समझ गईं थी कि मेरे लड़के पर किसी ने टोटका कर दिया है और अब उसे एक अच्छे पंडित से मिलना चाहिए। मैंने अपने हासिल किये हुए ज्ञान से यही पाया कि राहुल की मानसिक स्थिति बिगड़ रही थी। उसे तरह तरह की आवाज़ें सुनाई देने लगीं थीं, मानो कोई उसे पुकार रहा हो, चिढ़ा रहा हो, गालियां दे रहा हो। वो हर समय परेशान रहने लगा। उसके दोस्त भी उसे पागल कहते और दूर भागते। मैंने उसे सीधी सलाह दी की "राहुल, ये आवाज़ें तुम्हारे दिमाग मे हैं, इन पर ज्यादा ध्यान मत दो और भूल कर भी इनका जवाब बिल्कुल मत देना वरना हालत बिगड़ सकती है"। उसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसे मेरी बात समझ मे आ गई हो। लेकिन फिर भी उसने वही किया जिसके लिए मैंने उसे मना किया था, पता नहीं क्यों उसने मेरी बात नहीं मानी।
राहुल के कान का दर्द बढ़ता गया, और अब उसका कॉलेज मे भी ध्यान न लगता। वो जब फिरसे मेरे पास आया तब अपनी माँ और एक पंडित जी को साथ लाया था। पंडित मुझे पैनी आँखों से घूरने लगा और उसकी माँ ने तुरंत मेरे कैबिन के सोफ़े पर उसे लिटा दिया। मेरी असिस्टन्ट उनके पीछे पीछे अंदर आई, उसने मेरी तरफ देखा और मैंने उसे बाहर जाने का इशारा किया। देखने मे लग रहा था कि ये इनका घर है और मैं यहाँ कोई मेहमान हूँ। राहुल की हालत बहुत खराब थी। पंडित ने मुझे नजदीक बुलाया और राहुल का तापमान और दिल की धड़कने मापने को कहा। मैंने अकढ़ मे पहले उन्हे डांटना चाहा लेकिन स्थिति की गंभीरता देखते हुए मैंने कुछ नहीं बोला।
राहुल चिल्लाने लगा। कहता "ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं! इन्हे रोको!"
बाहर मेरे बाकी मरीज ये तमाशा देखकर लौटने लगे। मुझे लगा मेरी बहुत बदनामी हो रही है। राहुल की माँ ने रोना शुरू कर दिया। पर मैंने साहस जुटा कर उनसे कहा कि ये कोई तरीका नहीं हुआ। आप लोग बाहर जाएँ यहाँ से नहीं तो मैं पुलिस को बुला दूंगा, ये मेरा क्लिनिक है। यहाँ मैं इस तमाशे की इजाजत नहीं दूंगा। बोलते ही मुझे लगा शायद नहीं बोलना चाहिए था। पंडित ने तुरंत अपने हाथों से राहुल को उठाया और कोई मंत्र पढ़ते पढ़ते वहाँ से बाहर चला गया। मैं भी उनके साथ बाहर निकला और अपने बाकी मरीजों के सामने ठेठ मे बोलने लगा "न जाने कहाँ से आ जाते हैं"। मेरे बाकी मरीजों को थोड़ी सी तसल्ली हुई और वे सब ��ापस या गए। खुसुर फुसुर शुरू हुई और मैंने भी हिस्सा लिया। अब सब ठीक लग रहा था। दिन की दिहाड़ी सुरक्षित थी। मैं वापस अपने काम मे लग गया।
कुछ दिनों बाद मुझे राहुल पार्क मे दिखा, वो अब व्हील चेयर पर था। उसके पीछे एक और आदमी खड़ा था जो शायद उसका भाई था। राहुल मुझे देखकर बहुत खुश हो गया। मैं उसके करीब गया, और जाकर घुटनों पर बैठ गया, बोला तुम्हारी अंधविश्वासी माँ ने अगर ठीक तरह से तुम्हारा इलाज कराया होता तो शायद तुम्हें कुछ न हुआ होता।
"लेकिन बीमारी क्या थी?" पीछे खड़े आदमी ने मुसकुराते हुए पूछा। मेरे सामने राहुल का चेहरा लटक गया। मेरे आस पास सब नीला सा हो गया। वो आदमी मेरे पास आया और मेरे कान मे कुछ कहने की बजाय, फूँक मारकर राहुल को अपने साथ ले गया।
मेरी आँखें फिर उसी पार्क मे तीन से चार घंटे बाद खुलीं। एक चौकीदार मुझे अपने पैर से मारकर ये भांप रहा था कि मैं जिंदा हूँ या मर गया। शराबियों के लिए बचाया हुआ ताना उसने मुझपर मार दिया और फिर डांट-डपट कर चला गया। मैं भागता हुआ वहाँ से अपने घर चला गया।
कुछ दिनों बाद मैं अपने क्लिनिक पर ही बैठा कुछ काम कर रहा था। सामने से राहुल अंदर आया, जो अब अपने पैरों पर था। मैं थोड़ा चौंका। मैंने उससे हाल चाल पूछे तो उसने बताया कि अब आवाज़ें नहीं आती हैं। मैंने पार्क मे हुए हादसे के बारे मे पूछने की कोशिश की लेकिन न जाने क्यों मुझे शर्मिंदगी सी हुई। राहुल उठकर जाने लगा और दरवाजे के समीप पहुंचते ही क्षण भर के लिए रुका। अपनी जेब टटोलकर शायद फोन निकालना चाह रहा था। मेरा स्वभाव था कि मैं अक्सर अपने मरीजों को गेट तक छोड़कर आता था लेकिन जब मैंने उठने की कोशिश करी तो देखा कि मेरे पैर एक जगह जम से गए हैं। गर्दन के पीछे एक तेज हवा सुनाई दी। मैंने कुर्सी मोड़ कर पीछे देखा तो पार्क वाला आदमी फटे-फूटे कपड़ों मे खड़ा मुस्कुरा रहा था। देखकर लगा कोई भिकारी है। पीछे से राहुल ने कहा "आवाज़ें तो आएंगी, लेकिन उत्तर मत देना डॉक्टर साहब"। दोबारा पीछे मुड़कर देखा तो राहुल जा चुका था और दरवाजा धीरे धीरे अपनी गति से बंद हो रहा था... ------
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