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entrepreneurbar · 7 months ago
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A profound transformation is silently unfolding within the expansive realm of agricultural practice, where terrestrial and celestial realms converge to orchestrate life cycles. This metamorphosis is propelled by the convergence of technological advancements and traditional methodologies, with the Internet of Things (IoT) emerging as a potent catalyst reshaping longstanding agricultural paradigms. This paper elucidates the burgeoning landscape of IoT integration within agriculture, delineating its multifaceted implications for enhancing operational efficiency, ecological sustainability, and productivity within this critical sector.
Unveiling the Technological Canvas of IoT in Agriculture
The conceptual framework underpinning IoT in agriculture delineates a network of interconnected devices, spanning from sensors to intelligent apparatuses, seamlessly integrated into the agricultural infrastructure. These devices orchestrate a symphony of data exchange and communication over the internet, engendering automated processes and informed decision-making devoid of human intervention. At its core, IoT in agriculture epitomizes a data-centric approach, leveraging sensors for data acquisition, processors for analysis, and communication modules for real-time information dissemination, thereby facilitating precise monitoring, control, and optimization across diverse agricultural domains.
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khetikisaniwala · 1 year ago
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हाइब्रिड खीरा की खेती: एक उच्च उत्पादकता और लाभदायक विकल्प
प्रस्तावना:
भारतीय कृषि को आधुनिक तकनीकों और नए तरीकों से लगातार नवीनीकरण की जरूरत है। हाइब्रिड खेती एक ऐसी तकनीक है जो उच्च उत्पादकता और बेहतरीन उत्पादकता के साथ समृद्धि लाती है।
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हाइब्रिड खीरा की खेती, खीरे के उत्पादन में एक बड़ा बदलाव ला सकती है और किसानों को बेहतरीन रिटर्न देने में सक्षम होती है। इस लेख में, हम Hybrid Kheere Ki Kheti के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे जिससे खेतीकर अधिक लाभ उठा सकते हैं।
हाइब्रिड खेती का परिचय
हाइब्रिड खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें अभिलाषी बीज के उपयोग से नई प्रजातियों का निर्माण किया जाता है। यह विज्ञान, तकनीक और विशेषज्ञता के द्वारा संभव होता है जिससे खेती में उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुधार होता है। हाइब्रिड खेती के लिए विभिन्न प्रजातियों के खेतीकरों द्वारा सबसे उत्तम बीजों का चयन किया जाता है ताकि खेती के माध्यम से अधिक मुनाफा हो सके।
हाइब्रिड खीरा की खेती के लाभ
उच्च उत्पादकता: हाइब्रिड खेती से प्राप्त खीरे की उत्पादकता उन साधारण बीजों की तुलना में काफी अधिक होती है। यह किसानों को अधिक फसल उत्पादन करने में सक्षम बनाता है जिससे उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है।
बेहतर गुणवत्ता: हाइब्रिड खेती के बीजों से प्राप्त खीरे की गुणवत्ता भी अधिक होती है। यह बीज बीमारियों और कीटाणुओं से लड़ने की शक्ति धारण करते हैं जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और उच्च गुणवत्ता वाली खीरे पैदा होती हैं।
बेहतर विकास: हाइब्रिड खेती के बीजों से प्राप्त खीरे पौधे भी बेहतर विकसित होते हैं। ये पौधे पौधों के विकास के लिए अधिक पोषक तत्वों को उपलब्ध करते हैं जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
भरपूर उपज: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त उत्पादन में भरपूर मात्रा में खीरे प्राप्त होती हैं। यह किसानों को अधिक उपज बेचने में मदद करता है जिससे उन्हें अधिक आय मिलती है।
बाजार में अधिक मांग: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त खीरे को बाजार में ज्यादा मांग होती है। इन खीरों को उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता के कारण खेतीकरों को ज्यादा भाव और मुनाफा मिलता है।
हाइब्रिड खीरे की खेती की विधि
हाइब्रिड खीरे की खेती के लिए कुछ विशेष विधियां और तकनीकें होती हैं जिन्हें ध्यान में रखकर खेती करना चाहिए।
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बीज का चयन: हाइब्रिड खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज बीज का चयन करना होता है। खेतीकरों को उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए जो उन्हें अधिक मुनाफा दे सके। हाइब्रिड खेती के लिए प्रमाणित बीजों का उपयोग करना सर्वोत्तम होता है।
भूमि की तैयारी: हाइब्रिड खेती के लिए उचित भूमि की तैयारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खेती के लिए उचित भूमि चयन करना और उसे उच्च गुणवत्ता के मलवाज़ से सुसज्जित करना आवश्यक होता है।
समयबद्ध बुवाई: हाइब्रिड खीरे की खेती के लिए समयबद्ध बुवाई भी महत्वपूर्ण है। बीजों को सही समय पर बोना चाहिए ताकि पौधे अच्छे से विकसित हो सकें और उच्च उत्पादकता का लाभ हो सके।
सुरक्षा और संरक्षण: हाइब्रिड खेती के पौधों की सुरक्षा और संरक्षण को ध्यान से करना भी जरूरी है। पेस्टिसाइड्स के साथ सावधानी से काम करना और सुरक्षित तरीके से पौधों को संरक्षित रखना चाहिए।
समय पर खेती जांच: हाइब्रिड खेती के दौरान समय-समय पर खेती जांच करना भी महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि खेती की स्थिति कैसी है और क्या उपाय किए जाएं ताकि उत्पादन में कोई अधिकतम नुकसान न हो।
हाइब्रिड खीरे की खेती के लाभ
हाइब्रिड खेती के उपयोग से किसानों को कई लाभ मिलते हैं जिन्हें हम निम्नलिखित भाग में विस्तार से देखेंगे।
��च्च उत्पादकता: हाइब्रिड खेती से प्राप्त खीरे की उत्पादकता अन्य बीजों की तुलना में काफी अधिक होती है। यह किसानों को अधिक फसल उत्पादन करने में सक्षम बनाता है जिससे उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है।
बेहतर गुणवत्ता: हाइब्रिड खेती के बीजों से प्राप्त खीरे की गुणवत्ता भी अधिक होती है। यह बीज बीमारियों और कीटाणुओं से लड़ने की शक्ति धारण करते हैं जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और उच्च गुणवत्ता वाली खीरे पैदा होती हैं।
बेहतर विकास: हाइब्रिड खीरे की खेती के बीजों से प्राप्त पौधे भी बेहतर विकसित होते हैं। ये पौधे पौधों के विकास के लिए अधिक पोषक तत्वों को उपलब्ध करते हैं जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
भरपूर उपज: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त उत्पादन में भरपूर मात्रा में खीरे प्राप्त होती हैं। यह किसानों को अधिक उपज बेचने में मदद करता है जिससे उन्हें अधिक आय मिलती है।
बाजार में अधिक मांग: हाइब्रिड खीरे की खेती से प्राप्त खीरे को बाजार में ज्यादा मांग होती है। इन खीरों को उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता के कारण खेतीकरों को ज्यादा भाव और मुनाफा मिलता है।
हाइब्रिड खीरा की खेती की चुनौतियां
हाइब्रिड खीरे की खेती को अपनाने के बावजूद कुछ चुनौतियां भी होती हैं जिन्हें हम निम्नलिखित भाग में देखेंगे।
उचित बीज चयन: हाइब्रिड खेती के लिए सही और उचित बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण है। किसानों को उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए जो उन्हें अधिक मुनाफा दे सके।
भूमि की तैयारी: हाइब्रिड खेती के लिए उचित भूमि की तैयारी भी महत्वपूर्ण है। खेती के लिए उचित भूमि चयन करना और उसे उच्च गुणवत्ता के मलवाज़ से सुसज्जित करना आवश्यक होता है।
भारी लागत: हाइब्रिड खीरे की खेती के लिए बीजों की खरीदारी और तकनीक की लागत थोड़ी
ज्यादा हो सकती है। इससे किसानों को अपने बजट के अनुसार खेती करनी होती है।
तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता: हाइब्रिड खेती को अपनाने के लिए किसानों को तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। वे समय-समय पर उन्हें अध्ययन करना और नए तकनीकों का अध्ययन करना चाहिए ताकि उन्हें अधिक मुनाफा हो सके।
पर्याप्त स्टोरेज इंफ्रा: हाइब्रिड खेती से प्राप्त उत्पादों को उचित स्टोरेज इंफ्रा की आवश्यकता होती है। बिना उचित स्टोरेज इंफ्रा के उत्पादों का बिगड़ जाना संभव है जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है।
संगठन और समर्थन
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dailysarkariupdate · 2 years ago
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Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana 2023 : बिहार राज्य फसल सहायता योजना रबि 2022-23 ऑनलाइन आवेदन शुरू
Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana 2023 : बिहार राज्य फसल सहायता योजना रबि 2022-23 ऑनलाइन आवेदन शुरू
Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana 2023 : क्या आप सभी भी रवि फसल के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो आप सभी उम्मीदवार रवि फसल का आवेदन ऑनलाइन माध्यम से कर सकते हैं | जिसके आवेदन करने में लगने वाले सभी दस्तावेजों की जानकारी आपको नीचे विस्तार से बताई गई है | Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana 2023 Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana 2023 : बिहार राज्य के रहने वाले सभी उम्मीदवार और रबी फसल सहायता योजना के…
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jaagrukbharat · 1 month ago
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Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: Benefits, Eligibility
The loss of income to the farmers and the loss of crops or food to the nation has often sparked debates about the need for crop insurance schemes. In light of these, the National Agricultural Insurance Scheme was introduced in 1999 and modified later. 
However, these schemes did not entirely solve the various issues that sprang up in the analysis, determination and payment of premiums for such insurance. This motivated the government to launch the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY).
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henderson37 · 2 months ago
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Securing Your Crops: Applying for Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana Online
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Protecting your crops is now easier with Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana online application options. This government-backed insurance scheme provides financial security to farmers against crop loss due to natural calamities. Applying online simplifies the process, ensuring quick access to coverage and benefits. Farmers can safeguard their livelihoods by choosing the right plan suited to their crops and region. Universal Sompo offers seamless support and guidance for farmers applying under this scheme, ensuring smooth enrollment and reliable coverage.
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spidey1021 · 3 months ago
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फसल राहत योजना 2024: Jharkhand Fasal Rahat Yojana ऑनलाइन आवेदन
झारखंड राज्य के किसानों के लिए राज्य सरकार ने Jharkhand Fasal Rahat Yojana नामक एक कल्याणकारी योजना शुरू की है. इस योजना के तहत, प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसल को क्षति पहुँचती है तो सरकार किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई के लिए धन देगी, जो सीधे DBT के माध्यम से लाभार्थी किसान के बैंक खाते में भेजा जाएगा। Madhu Babu Pension Yojana 2024 यदि किसानों की फसल 30 से 50 प्रतिशत तक खराब होती है,…
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townpostin · 4 months ago
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Birsa Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna Launched in Jamshedpur
DC Ananya Mittal flags off awareness campaign for farmer insurance scheme Jamshedpur launches crop insurance scheme to empower farmers economically, applications due by August 31. JAMSHEDPUR – The Birsa Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna was officially launched in Jamshedpur by Deputy Commissioner Ananya Mittal, who flagged off an awareness campaign vehicle. The awareness campaign vehicle will…
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financial-samurai · 9 months ago
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Ensure Farmer's Welfare With Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana | SBI General Insurance
Secure your agricultural investments with SBI General Insurance's Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana. Safeguard your crops against natural calamities and secure your financial stability. Learn more. https://www.sbigeneral.in/pradhan-mantri-fasal-bima-yojna
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finance0000 · 10 months ago
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Understand The Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana For Crop Insurance |SBI General Insurance
Uncover the financial security behind Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana. SBIG video guide breaks down the enrollment process, transparent claim settlements, and the government's commitment to supporting farmers. Watch now for a stronger agricultural future!
https://www.sbigeneral.in/pradhan-mantri-fasal-bima-yojna
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eskillbihar · 11 months ago
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पपीते की फसल में लगने वाले कीट एवं रोगों की जानकारी 
Papite Ki Fasal Mein Lagne Wale Kit Aur Rogon Ki Jankari
पपीते की फसल में कई प्रकार की कीटाणुओं और रोगों का सामना किया जा सकता है। यहां कुछ मुख्य कीटाणुओं और रोगों की जानकारी दी जा रही है:
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कीटाणुओं:
पपीता फल बोरर (Papaya Fruit Fly): इस कीट के अटैक से पपीते के फलों में कीटाणुओं की चीराघटा हो सकती है जिससे उनका स्वाद भी प्रभावित होता है।
पपीता कीट (Papaya Mealybug): यह कीट पपीते के पौधों पर पायी जाती है और पौधों की रस सोख कर उन्हें कमजोर करती है।
पपीते का रुई वाला कीट (Papaya Woolly Aphid): इसके अटैक से पपीते के पौधों पर सफेद रुई जैसे दाग बन सकते हैं और पौधों की पोषण शक्ति को कमजोर कर सकती है। Read more
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khetikisaniwala · 1 year ago
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लौकी और करेले की खेती-एक हज़ार प्लांट्स,1-लाख रुपए तक कमाई!
कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यहां के किसान विभिन्न फसलें उगाते हैं और अपने मेहनत से अच्छा मुनाफा कमाते हैं। लौकी और करेले की खेती एक ऐसी कृषि प्रथा है जिसमें कम निवेश और कामयाबी के साथ अच्छी कमाई की जा सकती है।
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यह लाभकारी व्यवसायिक विकल्प है जिसे किसान छोटे या बड़े स्तर पर अपना सकते हैं। इस लेख में, हम Lauki Aur Karele Ki kheti के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो एक हजार प्लांट्स से एक लाख रुपए तक कमाई का मौका प्रदान करती है।
1. लौकी और करेले की खेती के लिए भूमि का चयन
अगर आप लौकी और करेले की खेती में रुचि रखते हैं, तो सबसे पहले आपको उपयुक्त भूमि का चयन करना होगा। लौकी और करेले उगाने के लिए मृदा को नींबू या नींबू की खेती से पहले धो देना चाहिए, जिससे कीटाणुओं का संक्षेपण हो। धान और गेहूं जैसी फसलों के लिए उचित खेती तैयार करें।
2. बीज का चयन और रोपण
लौकी और करेले की खेती के लिए उचित बीज का चयन करना महत्वपूर्ण है। आपको उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीदने चाहिए जो उगाने के लिए सबसे अच्छे हों। बीज रोपण के दौरान ध्यान दें कि प्रत्येक पौधे के बीच विशेष दूरी रखी जाए ताकि वे अच्छे से विकसित हो सकें।
3. उचित जलवायु और पानी का उपयोग
लौकी और करेले की खेती के लिए उचित जलवायु महत्वपूर्ण है। यह फसल गर्म और धूपी जलवायु को पसंद करती है और तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना उचित होता है। इसके अलावा, समय-समय पर पानी की आपूर्ति का ध्यान रखना भी जरूरी है, खासतौर पर गर्मियों में।
4. खरपतवार और कीट प्रबंधन
लौकी और करेले की खेती में खरपतवार और कीटों का सामना करना आम बात है। यह फसल विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं के लक्षित बन जाती है जो उन्हें हराने के लिए उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है। पेस्टिसाइड्स के उपयोग से पहले एक विशेषज्ञ की सलाह लेना सुनिश्चित करें ताकि पर्याप्त सुरक्षा उपायों का पालन किया जा सके।
5. उपयुक्त खेती की देखभाल
लौकी और करेले की खेती में उचित देखभाल बढ़ जाती है जब पौधे विकसित होते हैं। समय-समय पर खेती जाँच करें और उन्हें बीमारियों और कीटों से मुक्त रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। उचित खेती की देखभाल से फसल का उत्पादन बढ़ाना संभव होता है जो आपकी कमाई को बढ़ा सकता है।
6. फसल कटाई और बिक्री
लौकी और करेले के पौधे पक जाने पर उन्हें कट देना और बिक्री के लिए तैयार करना एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उचित समय पर फसल कटाई करना महत्वपूर्ण है ताकि पौधे अधिक उपज दे सकें और उचित मूल्य पर उन्हें बेचने का प्रबंधन करना भी जरूरी है।
7. लौकी और करेले की खेती में टिप्स
उपयोगी लाभ
लौकी और करेले की खेती एक लाभकारी व्यवसायिक विकल्प है जो किसानों को अधिक उत्पादन और मुनाफे का मौका प्रदान करता है। ��ह खेती कम निवेश और समय में उचित प्रबंधन के साथ किया जा सकता है और किसान इससे एक लाख रुपए तक कमा सकते हैं।
तोरई की बेल को उगाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. ज़मीन की तैयारी: तोरई की बेल को उगाने के लिए एक धान्यवंत और नींबूवाले मिट्टी की आवश्यकता होती है। उच्च गुणवत्ता वाली मिट्टी का चयन करें जो आपके पास खेती के लिए उपयुक्त हो।
2. बीज का चयन: अच्छे गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। बीज की खराबी, दाने, और कीटाणु मुक्त होने का ध्यान रखें।
3. बीज का बोना: तोरई के बीज को एक गहरे और नरम खेत में 1 इंच तक की गहराई तक बोने। बीजों के बीच न्यूनतम 12-18 इंच की दूरी रखें।
4. पानी की देखभाल: तोरई को उगाने के बाद ध्यान दें कि पौधों को प्राथमिक 4 सप्ताहों में नियमित रूप से पानी दिया जाए। पानी देने की सिवाय, पौधों को साफ और स्वच्छ रखें।
5. खेत की देखभाल: तोरई पौधों के चारों ओर कीटाणु और विषाणुओं से बचने के लिए खेत की देखभाल करें। ज्यादा पीड़कारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का उपयोग करें।
6. ट्रेलिंग: जब पौधे 5 से 6 हफ्तों के हो जाएं, तो उन्हें समर्थन के लिए ट्रेलिंग का उपयोग करें। ट्रेलिंग तोरई को सही तरीके से ऊपर उठाकर बंधने में मदद करता है जिससे पौधा बेहतर रूप से विकसित हो सकता है।
याद रखें कि तोरई की बेल को गर्मी और धूप वाली स्थानों पर उगाने के लिए अधिक उपयुक्त होता है |
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finance50 · 1 year ago
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Fasal Bima Yojana: Preserving Investments in Agriculture | SBI General Insurance
Your agricultural yields will be protected under the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana, owing to India's top crop insurance programme. Investigate now.
https://www.sbigeneral.in/pradhan-mantri-fasal-bima-yojna
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ibeforg · 1 year ago
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Crop Protection Made Easy with Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana
Discover the simplicity of crop protection with the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY), a flagship initiative by the Department of Agriculture, Cooperation and Farmers’ Welfare. Under the National Agricultural Insurance Scheme, the scheme ensures seamless coverage for farmers nationwide, adhering to the principle of "One Nation, One Crop, One Premium." This innovative PMFBY Scheme safeguards farmers against unpredictable crop losses, providing financial security and promoting sustainable agriculture. Explore the user-friendly features and comprehensive benefits of the PM Fasal Bima Yojana to make informed decisions for a resilient farming future. Embrace the ease of crop protection with the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana today.
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finance66 · 1 year ago
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Fasal Bima Yojana: Safeguarding Farming Investments | SBI General Insurance
Under the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana, your agricultural yields will be safeguarded, thanks to India's premier crop insurance scheme. Explore now.
https://www.sbigeneral.in/pradhan-mantri-fasal-bima-yojna
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SBI General Insurance's Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: Protecting Farmers' Crops
The Pradhan Mantri Fasal The best crop insurance programme in India, Fasal Bima Yojana, will protect your harvest. protecting farmers from losses, fostering prosperity & resilience.
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sarkariniyam123 · 1 year ago
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5 Amazing Benefits of Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana
      Bihar Rajya Fasal Sahayata Yojana – ये योजना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बिहार राज्य में किसानों की सहायता के लिए  शुरू की गयी थी। इस योजना के तहत किसानों को सरकार के द्वारा खराब मौसम की वहज से फसल का नुक्सान होने पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार Threshold Yield Rate के आधार पर 7,500 रु से 10,000 रु प्रति हेक्टर मुआवजा किसानो को प्रदान करेगी। Natural Disasters जैसे की…
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