बेटियां संजीवनी है
बेटियां मजबूती है कोई मजबूरी तो नहींबेटों ही से अंश ,वंश , तर्पणमुक्ति- खुशनसीबी की आस बुरी तो नहीपर बेटा ही बने लाठी , यह जरूरी तो नहींजब वारी – बलिहारी होना बेटियों को ही आतातो वारिस की कुर्सी पर बेटा ही क्यूँ हक जमाता ? बेशक कानून ने दे डाला है बराबरी का दर्जातब भी कभी न भूलती बेटियां मां-बाप का कर्जाफर्ज निभाती ज्यादा , हक जताती है कमदर्द आपका ,आंखें होती उनकी नमकमबख्त फिर भी बेटी होने पर…
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राम ही राम
सरयू की लहरें मस्त मतवालीहर्षोल्लास की कृपा खुशहाली
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कर्म प्रधान
इस कारावास से ऊपर धर्मराज की भी अदालत है
न ही चले दलाल दलील , ना ही चले अपना वकील
सांच को आंच नही , कर्मन फल ही बस चालत है
बीज बोय बबूल, बंदा ..तो बबूल फल ही पावत है
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खुदा कसम☆ खुदा जाने
दुनिया कहती है
यह खुदा कैसा होता है ?
बयां करना मुश्किल
यह तो यह पाकीज* अनुभूति है
खुद को जानोगे तो खुदा को जान लोगे
तेरी ओर बढ़ते कदम
कब मंजिल की ओर ले गए
ना खुद को पता चला
नाही कदमों को
<खुदा कसम > खुदा ही जाने
तेरी रहमत* देख हो रहे है तेरे दीवाने
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तेरे सिवा कौन सुने
कभी मन हल्का करने को जी चाहे तो कर लो हल्का पर रब के आगे.. क्योंकि परमात्मा है जो आपके आंसुओं का मोल जानता है ..जमाने के लिए तो बस आप एक नेगेटिव किरदार.. हो जिसे रोने के अलावा कुछ भी नहीं आता
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जी चाहता है
आज शरारते करने को जी चाहता है
आकाश में रंग भरने को जी चाहता है
आज महक जाने को जी चाहता है
आज गुस्ताखियां को जी चाहता है
कैद कर ले कोई बाहों में अपनी
रिहा ना होने को जी चाहता है
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शुभ कर्मन से लिखो भाग्य
सब बच्चों के दाता हो तुम
तकदीर के भाग्य दाता हैं हम
तय करते कर्म तकदीर हमारी
तय करते खुशी गम की पारी
तुझसे दाता विनती हमारी
ना दें गम ना ही दुश्ववारी
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प्यार करके तो देख
जग अपना हो जाएगा
सच सपना हो जाएगा
परायो को अपना जब बनाएगा
बहुत चला लिए नफरत के अंधेरे
प्यार का उजियारा करके तो देख
दिल में अपने धरके के तो देख
प्यार प्यार. जरा यार करके तो देख
दुआ किसी के लिए करके तो देख
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दुआ ही दुआ
दुआ ही निकलेगी सदा हीओ ! मुझे बददुआ देने वालेदर्द तेरे से, दर्द होता बहुत हीमुझे बेअसर बेदर्द कहने वाले
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बलि महापाप बलि देकर मासूम की अपने मसले कभी हल नही करतेसांसे छीनने पर खुदा भी बंदे मे कभी बल नही भरते |जिंदगी देने वाला किसी की जिंदगी मांगा नहीं करता |बंदगी करने वाले किसी का सर कभी कलम नहीं करते |
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जंहा मे आने तो दो नवरातो पे कंजक ,राखी पे बहना तभी ही तो मिलेगीकोख की कली जब फूल बनकर जब जंहा में खिलेगी
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