#सपनें
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"raahon mein teree khoya raha, khud se yah savaal kiya raha.
bina tere ye din beete kaise, bas ye sapane hee to bachae raha."
#quotes#poetry#poem#quoteoftheday#aesthetic#couple#photografya#romantic academia#dark acadamia quotes#art#शायरी#खोया#सपनें
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राफ्ता - राफ्ता
आया हूँ
बहुत कुछ लाया हूँ?
सपनें हैं तुम्हें करीब लाने की??
राज करूंगा सबके दिलों पर राजा बनकर?
इस यकीन सँग राफ्ता राफ्ता आया हूँ !!
प्रभाष मंतशा !!
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कभी भूला कभी याद किया (Full Video Song) | सपनें साजन के | करिश्मा कपूर, ...
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#शुभ_मंगलवार।🙏🏻
#आपका_दिन_मंगलमय_हो।।🙏🏻
✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥
दर- दर भटकता रहता था, मुझे किसी ने ना दिया सहारा
उलझ गई थी जिंदगी मेरी, थारो दर हैं बाबा सबसे प्यारा
अपनों से मुझे क्या लेना, जब तुहीं हैं रघुपति राम हमारा
सभी के सपनें पूरे किए, दीपक संग जपते राम का नारा
✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥
#लेखक- दीप सिंह- दीपक
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#dh5presents #hanumanji #bajrangbali #mehandipurbalaji #salasarbalaji #balaji #balajisarkar #shreeram #sitaram #writer #newpost

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जीते जा रहे है..😀
What have you been working on? जीते जा रहे है, जीवन के फ्लो में बहते जा रहे है। सपने देखता हूँ, उनके पीछे दौड़ता हूँ, अक्सर पीछे छूट जाता हूँ। कभी थक जाता हूँ कभी गिर जाता हूँ। फिर नए सपनें, फिर नई दौड़। उस परमपिता की इतनी ही अनुकम्पा है कि कभी रुकना नही पड़ा। रास्ते खत्म नही हुए कभी। मोड़ आते है, चैराहे भी मिलते है। यू टर्न भी कई मिले पर रुकना नही पड़ा। जीते जा रहे। जीवन का रस पीते जा रहे।
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#Dharti_Upar_Swarg
संत रामपाल जी महाराज का सपना है "धरती ऊपर स्वर्ग" लाना। उसी सपनें को साकार करने के लिए उनहोंने लिखी है पुस्तक "धरती_ऊपर_स्वर्ग"
आप इसे जरूर पढें।
Sant Rampal Ji Maharaj

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खाते में आएंगे हर महीने ₹1 हजार,
जरूरतें होंगी पूरी, सपनें होंगे साकार।
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 10 जून को पात्र बहनों के खाते में पहुंचेंगे ₹1000।
#मैं_शिवराज_की_लाड़ली_बहना
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जड़ों से उखड़कर भी इस मतलबी दुनिया में लोग जीते है
ये ज़िंदगी है यहाँ पूरी तरह से उजड़ कर भी लोग जीते है
ज़हन की उम्मीदें मरतीं ही नही साँसों के मुकम्मल होने तक
बे- वक़्त मौत की हक़ीक़त से लड कर भी लोग जीते है
चाहें हज़ार सपनें सजायें हो चमकतीं निगाहों में आज़ादी के
फिर भी गुलामियों की जंजीरों में जकड़ कर लोग जीते हैं
मैं जब कभी सुनता हूँ अमीरी के क़िस्से तो बड़ी हैरानी होती हैं
ना मालूम कैसे आलीशान घरों में घुट घुट कर लोग जीते है..
#writerscommunity#writersofinstagram#writers block#writers and poets#writer#poetsofinstagram#poets on tumblr#new poets society#poet#poetry#hindi shayari#shayarcommunity#shayari
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जानिये सपने में पानी देखने का मतलब
जानिये सपने में पानी देखने का मतलब
संसार में रह रहे सभी लोगों को रात के समय नींद में सपने आते है। जिसमें कभी कोई अच्छी चीज़ नज़र आती है तो कभी कोई बुरी चीज़। जिसके वजह से हम कई बार बहुत परेशान भी हो जाते हैं और हमारा किसी काम में मन बी नही लगता। अगर बात करें सपनें में पानी देखने की, तो आए दिन लोगों को सपने में पानी दिखता है आज हम आपको अपने इस लेख के बारे में बताएंगे सपने में पानी को देखना – अगर आपके सपने में बाढ़ का माहौल नज़र…
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आपके साथ ऐसा तो जुरूर हुआ होगा कि आप बहुत मेहनत से काम कर रहे है, लेकिन पीछे हठ कर आपने कभी सोचा ही नही की आप दरअसल हासिल क्या करना चाहते है? जब आप अपने जीवन मे बहुत तेज़ी से आगे बढे तो इससे पहले आप पूरी तरह स्पष्ट हो ले कि आखिर क्या हासिल करने की कोशिश कर रहे है। ऐसे कुछ सनकी लोग है जो अपने लक्ष्य को भूल कर अपने प्रयासों को दोगुना कर लेते है। जीवन मे सिर्फ गति बढ़ाने के अलावा भी बहुत कुछ है... आपको साफ होने ही होगा कि अंत मे कहाँ पहुचना चाहते है। विडंबना यह है लोग इस संभावना का सामना नही करना चाहते कि वे गलत भी हो सकते है। ये काफी मुश्किल मुश्किल है, और मुश्किल सवालो की समाधान की प्रक्रिया की सोच को धीमी और समझदारी भरा रखनी चाहिए, इससे आपके व्यवसायिक लक्ष्यों और सपनें और मिशन को हासिल करने की प्रक्रिया काफी बढ़ जाती है। (at Lucknow, Uttar Pradesh) https://www.instagram.com/p/CKa5T3kA_i7/?igshid=c7r7qm7bun8u
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न जाने कैसे होगा मेरा गांव किया लिखू में मेरे गांव के बारे में..... ये लिखूं क्या जो बचपन मे ही उस गांव को छोड़ दिया, जो अपना बचपना हि मुकमल न करपाया! आज भी याद आता है मुझे मेरा गांव.... जब दूसरो के स्टोरी में उनकी गांव की कहानियां सुनता हु तो मुझे भी लगता है काश मेरा भी गांव ऐसा ही होगा! न जाने मेरे भी गांव में मेरा एक घर होगा, वोह मानव बस्तिया भी होगी क्या मेरे गांव में जो दूसरो के गांव में होती है एक सी हि, नह जाने मेरे भी गांव में वो डिजिटल साधन होगे जो आज बढ़लते दोर में दिखाए दे रहे है, वोह खेती.. गाय भेस , वोह किसान और उसका चोठा सा कुठीया, येतो में नहीं जानता कैसे होगा मेरा गांव लेकिन जैसे भी होगा मेरे सपनो सा होगा! वोह सपनें जिसमे न जातिप्रथा , न कोई लड़ाई , न कोई बॉल विवाह , बॉल मझुरी से कही दूर कुछ ऐसा होगा शायद मेरा गांव #wahshayar
http://shayariyaaa.blogspot.com/2019/05/blog-post_71.html
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पुरानी चाहतें, पुराने सपनें पुरानी उम्मीदें, पुरानी कोशिशें ....................... सब ले आना हर ख़्वाब सजाना है नए कलैंडर में फिर से @z_i_a_k_h https://www.instagram.com/p/Cm1R5NzpW79/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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सपने में सांप देखने के 11 शुभ और 10 अशुभ संकेतों को जानें #news4
Sapne mein saanp ka dikhai dena : कई लोगों को सपने में सांप दिखाई देते हैं। सपने में सर्प या सांप दिखाई देने के शुभ और अशुभ दोनों ही तरह के संकेत मिलते हैं। आओ जानते है कि नाग के किस तरह दिखाई देने से मिलता है कौनसा संकेत। सपने में सांप देखना, 11 शुभ सपनें : 1. आप सपने में यदि मरा हुआ सांप देख रहे हैं तो यह माना जाता है कि अब शुभ स��य आने वाला है क्योंकि आपने राहु दोष से उत्पन्न सारे कष्ट झेल…

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ख़्वाब देखा करो.. मैंने पूछा,तुम थकते नही?ना दिन देखते हो,ना रात,ना ही तुम ऊबते हो,
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#SKAMetroVille #GreaterNoida
2/3 BHK luxurious apartments
Green Housing Project
वक्त से पहले Possession ग्रेटर नोएडा में पहली बार देकर SKA Group ने किये सपनें साकार
Call us +91-8010-834-834
www.propshop-india.com/ska-metro-ville
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ramcharit
ep 38 39
38...
https://www.hindi-kavita.com/HindiBalKandRamcharitmanas.php
एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई। जदपि असत्य देत दुख अहई॥
जौं सपनें सिर काटै कोई। बिनु जागें न दूरि दुख होई॥
जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोइ कृपाल रघुराई॥
आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा॥
बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥
तनु बिनु परस नयन बिनु देखा। ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा॥
असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी॥
दो0-जेहि इमि गावहि बेद बुध जाहि धरहिं मुनि ध्यान॥
सोइ दसरथ सुत भगत हित कोसलपति भगवान॥118॥
कासीं मरत जंतु अवलोकी। जासु नाम बल करउँ बिसोकी॥
सोइ प्रभु मोर चराचर स्वामी। रघुबर सब उर अंतरजामी॥
बिबसहुँ जासु नाम नर कहहीं। जनम अनेक रचित अघ दहहीं॥
सादर सुमिरन जे नर करहीं। भव बारिधि गोपद इव तरहीं॥
राम सो परमातमा भवानी। तहँ भ्रम अति अबिहित तव बानी॥
अस संसय आनत उर माहीं। ग्यान बिराग सकल गुन जाहीं॥
सुनि सिव के भ्रम भंजन बचना। मिटि गै सब कुतरक कै रचना॥
भइ रघुपति पद प्रीति प्रतीती। दारुन असंभावना बीती॥
दो0-पुनि पुनि प्रभु पद कमल गहि जोरि पंकरुह पानि।
बोली गिरिजा बचन बर मनहुँ प्रेम रस सानि॥119॥
ससि कर सम सुनि गिरा तुम्हारी। मिटा मोह सरदातप भारी॥
तुम्ह कृपाल सबु संसउ हरेऊ। राम स्वरुप जानि मोहि परेऊ॥
नाथ कृपाँ अब गयउ बिषादा। सुखी भयउँ प्रभु चरन प्रसादा॥
अब मोहि आपनि किंकरि जानी। जदपि सहज जड नारि अयानी॥
प्रथम जो मैं पूछा सोइ कहहू। जौं मो पर प्रसन्न प्रभु अहहू॥
राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी। सर्ब रहित सब उर पुर बासी॥
नाथ धरेउ नरतनु केहि हेतू। मोहि समुझाइ कहहु बृषकेतू॥
उमा बचन सुनि परम बिनीता। रामकथा पर प्रीति पुनीता॥
दो0-हिँयँ हरषे कामारि तब संकर सहज सुजान
बहु बिधि उमहि प्रसंसि पुनि बोले कृपानिधान॥120(क)॥
सो0-सुनु सुभ कथा भवानि रामचरितमानस बिमल।
कहा भुसुंडि बखानि सुना बिहग नायक गरुड॥120(ख)॥
सो संबाद उदार जेहि बिधि भा आगें कहब।
सुनहु राम अवतार चरित परम सुंदर अनघ॥120(ग)॥
हरि गुन नाम अपार कथा रूप अगनित अमित।
मैं निज मति अनुसार कहउँ उमा सादर सुनहु॥120(घ॥
सुनु गिरिजा हरिचरित सुहाए। बिपुल बिसद निगमागम गाए॥ हरि अवतार हेतु जेहि होई। इदमित्थं कहि जाइ न सोई॥ राम अतर्क्य बुद्धि मन बानी। मत हमार अस सुनहि सयानी॥ तदपि संत मुनि बेद पुराना। जस कछु कहहिं स्वमति अनुमाना॥ तस मैं सुमुखि सुनावउँ तोही। समुझि परइ जस कारन मोही॥ जब जब होइ धरम कै हानी। बाढहिं असुर अधम अभिमानी॥ करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी। सीदहिं बिप्र धेनु सुर धरनी॥ तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा। हरहि कृपानिधि सज्जन पीरा॥ दो0-असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु। जग बिस्तारहिं बिसद जस राम ��न्म कर हेतु॥121॥
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सोइ जस गाइ भगत भव तरहीं। कृपासिंधु जन हित तनु धरहीं॥ राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका॥ जनम एक दुइ कहउँ बखानी। सावधान सुनु सुमति भवानी॥ द्वारपाल हरि के प्रिय दोऊ। जय अरु बिजय जान सब कोऊ॥ बिप्र श्राप तें दूनउ भाई। तामस असुर देह तिन्ह पाई॥ कनककसिपु अर�� हाटक लोचन। जगत बिदित सुरपति मद मोचन॥ बिजई समर बीर बिख्याता। धरि बराह बपु एक निपाता॥ होइ नरहरि दूसर पुनि मारा। जन प्रहलाद सुजस बिस्तारा॥ दो0-भए निसाचर जाइ तेइ महाबीर बलवान। कुंभकरन रावण सुभट सुर बिजई जग जान॥122॥ मुकुत न भए हते भगवाना। तीनि जनम द्विज बचन प्रवाना॥ एक बार तिन्ह के हित लागी। धरेउ सरीर भगत अनुरागी॥ कस्यप अदिति तहाँ पितु माता। दसरथ कौसल्या बिख्याता॥ एक कलप एहि बिधि अवतारा। चरित्र पवित्र किए संसारा॥ एक कलप सुर देखि दुखारे। समर जलंधर सन सब हारे॥ संभु कीन्ह संग्राम अपारा। दनुज महाबल मरइ न मारा॥ परम सती असुराधिप नारी। तेहि बल ताहि न जितहिं पुरारी॥ दो0-छल करि टारेउ तासु ब्रत प्रभु सुर कारज कीन्ह॥ जब तेहि जानेउ मरम तब श्राप कोप करि दीन्ह॥123॥ तासु श्राप हरि दीन्ह प्रमाना। कौतुकनिधि कृपाल भगवाना॥ तहाँ जलंधर रावन भयऊ। रन हति राम परम पद दयऊ॥ एक जनम कर कारन एहा। जेहि लागि राम धरी नरदेहा॥ प्रति अवतार कथा प्रभु केरी। सुनु मुनि बरनी कबिन्ह घनेरी॥ नारद श्राप दीन्ह एक बारा। कलप एक तेहि लगि अवतारा॥ गिरिजा चकित भई सुनि बानी। नारद बिष्नुभगत पुनि ग्यानि॥ कारन कवन श्राप मुनि दीन्हा। का अपराध रमापति कीन्हा॥ यह प्रसंग मोहि कहहु पुरारी। मुनि मन मोह आचरज भारी॥ दो0- बोले बिहसि महेस तब ग्यानी मूढ़ न कोइ। जेहि जस रघुपति करहिं जब सो तस तेहि छन होइ॥124(क)॥ सो0-कहउँ राम गुन गाथ भरद्वाज सादर सुनहु। भव भंजन रघुनाथ भजु तुलसी तजि मान मद॥124(ख)॥ हिमगिरि गुहा एक अति पावनि। बह समीप सुरसरी सुहावनि॥ आश्रम परम पुनीत सुहावा। देखि देवरिषि मन अति भावा॥ निरखि सैल सरि बिपिन बिभागा। भयउ रमापति पद अनुरागा॥ सुमिरत हरिहि श्राप गति बाधी। सहज बिमल मन लागि समाधी॥ मुनि गति देखि सुरेस डेराना। कामहि बोलि कीन्ह समाना॥ सहित सहाय जाहु मम हेतू। ��केउ हरषि हियँ जलचरकेतू॥ सुनासीर मन महुँ असि त्रासा। चहत देवरिषि मम पुर बासा॥ जे कामी लोलुप जग माहीं। कुटिल काक इव सबहि डेराहीं॥ दो0-सुख हाड़ लै भाग सठ स्वान निरखि मृगराज। छीनि लेइ जनि जान जड़ तिमि सुरपतिहि न लाज॥125॥
तेहि आश्रमहिं मदन जब गयऊ। निज मायाँ बसंत निरमयऊ॥ कुसुमित बिबिध बिटप बहुरंगा। कूजहिं कोकिल गुंजहि भृंगा॥ चली सुहावनि त्रिबिध बयारी। काम कृसानु बढ़ावनिहारी॥ रंभादिक सुरनारि नबीना । सकल असमसर कला प्रबीना॥ करहिं गान बहु तान तरंगा। बहुबिधि क्रीड़हि पानि पतंगा॥ देखि सहाय मदन हरषाना। कीन्हेसि पुनि प्रपंच बिधि नाना॥ काम कला कछु मुनिहि न ब्यापी। निज भयँ डरेउ मनोभव पापी॥ सीम कि चाँपि सकइ कोउ तासु। बड़ रखवार रमापति जासू॥ दो0- सहित सहाय सभीत अति मानि हारि मन मैन। गहेसि जाइ मुनि चरन तब कहि सुठि आरत बैन॥126॥
p118(383end)
p122 (39end)
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