#शायरी
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stories-for-adults · 2 days ago
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तेरी सांसों की गर्मी में घुल जाऊं मैं,
तेरी बाहों की आग में जल जाऊं मैं।
हर रात तेरा साया बन जाऊं,
तेरी रूह में उतरकर खो जाऊं मैं।
तेरी उंगलियों की छुअन से सिहर जाऊं मैं,
तेरे होठों की मिठास में बिखर जाऊं।
हर लम्हा तेरा एहसास बन जाऊं मैं ,
तेरी चाहत का इन्तेहाँ बन जाऊं।
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blabbershere · 2 months ago
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निकल पड़े हैं कश्ती में सवार ये मुसाफ़िर, अपनी तन्हाई के साथ
ना ख़बर है रास्तों की, ना कोई निशान-ए-मंज़िल।
भरोसा है तो सिर्फ़ इन लहरों पर,
कि ये हमें उस किनारे तक ले जाएंगी,
जहां ख़्वाब और हक़ीक़त का मिलन हो।
— musafir
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roohdaar · 10 months ago
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ख़्वाब ना सगे
जिंदगी ठगे ।
फिर भी जाने क्यों
उम्मीद जगे ।।
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mymusingsnme · 1 year ago
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kavyarthi · 1 year ago
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#सायरी # निःशब्द
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vipinjha · 11 days ago
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ना दिल्ली रहता, ना बंबई रहता
मैं लड़का ना रहता, तो अपने घर को रहता
बचपन समेट कर अपने पाँव से
जिम्मेदारियों का बोझ लिये गाँव से
सुनते ताना-बाना और जमाना को
निकल पड़ा मैं छोड़ ममता की छांव से
खेत खलिहान पोखरा गाछी और मकान
गली क्रिकेट, दोस्तों में बसती थी जान
समय के हम खुद सिकंदर थे
चाय की चुस्की, चौराहे का पान
पिकनिक के लिये करते बबंडर थे
फिर एक शाम सब खत्म हो गया
ग्रेजुएशन होते ही, शुरू एक सफर हो गया
बेरोजगारी के तले दबे, हम महानगरों को चले
गांव का सिकंदर अब गुलाम है
दस बाय दस के कमरे में करता विश्राम है
हर रोज जेहन में एक टीस पैदा होती है
मेरे बिना मेरी माँ कैसे होती हैं
अच्छा होता हम किसान होते
दिखावटी दुनिया से अंजान होते
पता नहीं अब कब गाँव को जाऊँगा
जाऊँगा तो लौट के फिर ना आऊँगा
इस बार बाबूजी से बोल ही दूंगा
उनको सीने से लगाकर 
शहर की जिंदगी खोल ही दूंगा
इंसानियत, प्रेम, रिश्तों का कोई मोल नहीं
हांजी हांजी का सब खेला है
शहर नहीं, ये इंसानों का बनाया मेला है
एक बिल्डिंग से दूसरे बिल्डिंग में
बस कॉरपोरेट नाम का झमेला है
EMI पर कटती जिंदगी है
आपके चुराये दस रुपये से
चकाचौंध वाली जिंदगी महंगी है
कुर्सी पर बैठे बाबू जी अब मौन है
सामने बहन,भाई, कच्चे मकान को देख
खुद को खुद से समेट लेता हूँ
जिम्मेदारियों की जंजीर लटका कर
रेलवे स्टेशन के तरफ चल देता हूँ
बाबूजी छूटे माँ छुटी
पीछे सब सपने रह जाते हैं
अपनों के लिये घर का बड़ा लड़का
शहरी बाबू कहलाते हैं
खुदा एक बार तुम भी आये थे
राम के बाद कृष्ण कहलाये थे
त्रेता में तड़पे तो द्वापर में सारा प्रेम पाये थे
अच्छा होता अमीरी-गरीबी का कद ना होता
ना दिल्ली रहता, ना बंबई रहता
मैं लड़का ना रहता, तो अपने घर को रहता
:- Vipin Jha
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vikingvilen · 17 days ago
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क्यों डरें ज़िंदगी में कि क्या होगा ?
अगर कुछ नहीं होगा तो तजुर्बा होगा ।
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raj123nice · 1 month ago
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शब्दों की बनावट मुझे आती नहीं
तुम अच्छी लगती हो मुझे .. सीधी सी बात है ...
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soorajsafar · 9 months ago
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In this video, explore the profound emotions behind मेरी हक़ीक़त उसकी नामंजूरी पे ख़त्म हुई | Shayari. Discover the heartfelt expressions and hidden meanings that resonate deeply with every listener.
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bhoobhransh · 9 months ago
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मुझे काफिर लगे कहने मुसलमानों की बस्ती में
नज़र आती नहीं कुछ अपनी हस्ती अपनी हस्ती में
कुछ ऐसा खो गया हूँ दिल के हाथों बुतपरस्ती में
जिधर जाता हूँ मिरे सामने बुतख़ाना आता है
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rvi-gohel · 11 months ago
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अल्फाज पसंद तो उन्हे भी है मगर, बात कुछ यू है की,
उन्हे में पसंद नही, मेरे अल्फाज जितना।
-rvi
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stories-for-adults · 6 days ago
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चेहरे पे मुस्कान होनी चाहिए,
दिल में कितना भी दर्द होने के बावजूद
आजकल का रिवाज है साहेब,
दिल मिले न मिले हाथ मिलाना पड़ता है।
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vlogrush · 11 months ago
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मोटिवेशनल शायरी हिन्दी में - Motivational Shayari in hindi
मोटिवेशनल-शायरी मोटिवेशनल शायरी हिंदी [Motivational Shayari in hindi] में आपको जीवन की उथल-पुथल से निकलने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। यह ब्लॉग पोस्ट रोचक हिंदी शायरियों का संग्रह है जो आपकी दिनचर्या में नई उर्जा और प्रेरणा भरेगी।हम सभी को कभी न कभी जिंदगी की चुनौतियों से गुजरना पड़ता है और ऐसे समय में हमें मोटिवेशन की जरूरत होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपके लिए कुछ…
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cuddlycactus · 2 years ago
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"raahon mein teree khoya raha, khud se yah savaal kiya raha.
bina tere ye din beete kaise, bas ye sapane hee to bachae raha."
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divshit11 · 7 months ago
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जब जब जुहुर्रत की किसी और को चाहने की,
तब तब हुई तकलीफ उसको भुलाने की।
~दिव्यांशी🌹
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talesoftaru · 8 months ago
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तेरे सांसों की थकन तेरी निगाहों का सुकूत¹, दर-हक़ीक़त² कोई रंगीन शरारत ही न हो। मैं जिसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठा हूँ, वो तबस्सुम³ वो तकल्लुम⁴ तेरी आदत ही न हो।
- साहिर लुधियानवी
1.चुप्पी 2.वास्ताव में 3.मुस्कराहट 4.बातचीत (का ढंग )
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