#लिंगवाद
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सेक्सिस्म या लिंगवाद टर्म कब हुआ पहला प्रयोग -
सेक्सिस्म या लिंगवाद नाम से पता चलता है |जो भी लिंग के आधार पर भेद करता है |इसका आशय है की लिंगवाद किसी व्यक्ति के लिंग के आधार पर पक्षपात या भेदभाव को मानना है|सेक्सिस्म जो टर्म है उसका सबसे पहले 1960 में प्रयोग हुआ ये दौर स्त्रीवाद का था |पहले के लोग जो सेक्सिस्म या लिंगवाद के हिमायती थे उनका मानना था की एक लिंग श्रेष्ट होता है दूसरे के अपेक्षा |और जबरदस्ती वो नियम कानून लगाते है की लड़का क्या कर सकता है और लड़की क्या नहीं कर सकती है |
फीमेल को दोयम दर्जा का समझते है |ऐसा शुरुआत हर धर्म में देखा गया है | आज के समाज में भी जो अधिकार लड़के को जन्मते मिला जाता है लेकिन लड़कियों को उन अधिकारों पाने के लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा |ऐसे समाज से में बहुत से अभी भी भेद है जो समाज में व्याप्त है |ये बस उस दौर की कोशिश थी पितृसत्तात्मकता को मनाये रखने के लिए |
पूंजीवाद और सेक्सिस्म -
पहला का दौर और समाज की संरचना ऐसे बना था |की उसमे ये दुसंगति रहा करती थी | ये एक जरिया थी किसी का भी आर्थिक शोषण का | क्योकि समाज ये विसंगति रहेगी तो समाज के एक बड़ी आबादी को उनकी बहुत मांगों से दूर किया जा सकता था |और इसलिए पूंजीवाद समाज का लाभ के आलावा कोई चरित्र नहीं होता है |पूंजीवाद की उस समय की मांग यही थी | और आज के दौर में भी आप इसे देख सकते है | जैसा मैंने कहा आज कई ऐसे देश में सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा मिला हुआ है | ये पूंजीवाद ही तो है जो महिला को एक उत्पाद के रूप में बेच रही है | हद तो तब है की आप कोई विज्ञापन देख लीजिये |जो भी उत्पाद जो महिलाये अपने प्रयोग में लाती है उनका तो महिला विज्ञापन कर रही है साथ साथ में पुरषों के प्रयोग की वस्तु का भी महिला ही विज्ञापन कर रही है |उनके शरीर को दिखाकर कई उत्पाद बेचे जा रहे है |
सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या आर्थिक शोषण का कारण -
क्योकि बाज़ारवाद भी इसका एक प्रमुख कारण है | जो कुछ ऐसी परिस्थितयां बनायीं रखना चाहती है जिससे ऐसी स्तिथि बनी रही है | इससे उन्हें आर्थिक शोषण करने का अधिकार मिलता है | उन्हें लाभ होता है | आप देखेंगे आज भी बॉलीवुड में मेल एक्टर को फीमेल एक्ट्रेस से हमेशा ज्यादा वेतन मिलता है |कई फीमेल एक्ट्रेस इसके लिए आवाज उठा चुकी है | एक ही कंपनी है जो अमेरिका में वो गोरा करना वाला प्रोडक्ट नहीं बेचने की हिम्मत जुटा पा रही है लेकिन वही आपके देश में धड़ल्ले से बेच रही है |वही कंपनी है विकसीत देशों के हर रूल रेगुलेशन मान रही है लेकिन आपके देश में ऐसा नहीं कर रही है | समाज में वैसे तो कई बुराई है लेकिन इसके पीछे लाभ ही मुख्या कारण है जो अक्सर आपके सामने गुज़र जाता है और आपको दीखता नहीं है |
लिंगवाद को खतम करने के लिए संघर्ष -
लिंगवाद को बनाया रखना के कारण उन तबको को समाज में हिस्सेदारी से भी है |महिलाओं को बहुत दिन बाद वोट देने का अधिकार मिला |इसका साफ़ और सीधा मतलब की आप उससे भी नहीं चुन सकते जो आपके देश को चलाएगा |और कानून बनाएगा | इसलिए मुफ्त कोई चीज नहीं मिलती है संघर्षों से छीनना पड़ता है | रही बात समाज में जब ऐसी बुराई धीरे -धीरे महिलाये लड़कर ख़तम कर रही है वो महिलाये और संघठन काबिले ��ारीफ़ भी है |जैसे आप ने देखा एक प्राइवेट कंपनी ने माहवारी के लिए ऑफ का प्रयोजन अपनी कंपनी में जोड़ा |भारत युवा लोगों का देश है इसलिए हमे भी इन बारे में विचार जरूर करना चाहिए | सेक्सिस्म या लिंगवाद को एकदम भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए |
महिलाये हवाई जहाज तक उड़ा रही है -
कई बार आप देख्नेगे की महिलाओं के लिए पुरष कहते मिल जायेंगे की -ये महिलाये अच्छी कार नहीं चला सकती और अच्छा नेता नहीं बन सकती क्योकि उनके अंदर इमोशंस होते है वो किसी भी कंपनी को लीड नहीं कर सकती है | लेकिन कौन उन्हें बताया की आज के दौर की लड़किया हवाई जहाज उड़ा रही है | भारत की महिला प्रधानमंत्री के बारे में इंदिरा गाँधी के बारे में नहीं जानते है तो उन्हें जानना चाहिए |एक समय ऐसा भी था जब देश सब प्रतिष्ठ बैंकों में महिला ही उनके सबसे बड़े पदों पर आसीन थी |ये मानसिकता को छोर के खुद के अंदर समनता का भाव लाना चाहिए |मेरी उन लोगों से बस अपील है |
क्या बोलियाँ भी लिंगवाद को बढ़ावा देती है ?
समाज में बहुत दिनों से ऐसे भेदभाव होते रहने से हमारी आपकी बोली में भी सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा दिया जाता रहा है | जैसा कहा जाता रहा चूड़ी पहन लो , ये एक सेक्सिस्म शब्द जो हम अक्सर बोलते है जिसे हमे पता नहीं है लेकिन आपको बताता हूँ |इसमें कमजोरता या कहे हीनता को दर्शाने के लिए पुरषों को कहा जाता है | इसका क्या मतलब है चुडिया पहनने वाले कमजोर होते है और चुडिया लड़किया का ही गहना है |ऐसे कई शब्द है जो हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते है |इसलिए इन चीजों को कृपया ध्यान दे |लेकिन कुछ ऐसे भी है जो इन सेक्सिस्म या लिंगवाद और फेमनिस्म को अपने फायदे के लिए प्रयोग लाते है | जहा भी इससे इनके कुछ सुविधा मिलती है उसको उठाती है |और फिर आपको बाहर फेमिनिस्म का झंडा उठाते दिख जाती है |ऐसे लोगों से बचें जो कभी दुखिया नारी तो कभी शशक्त महिला बनके उभरती है |शायद ये बात आपको लोग को कड़वी लग सकती है लेकिन मैं अपने अनुभव से आपको बताया है |और फेमिनिस्म का सपोर्ट करे लिंगवाद को खतम करने की कोशिश करे |
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ऑस्ट्रेलियाई महिला के 'गाउन' पर किए थे अश्लील कमेंट, अब चुनाव लड़कर लेगी बदला
ऑस्ट्रेलियाई महिला के ‘गाउन’ पर किए थे अश्लील कमेंट, अब चुनाव लड़कर लेगी बदला
कैनबराऑस्ट्रेलिया की एक राजनेता ने आगामी ऑस्ट्रेलियाई चुनावों में एक अहम सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुनी गई है। इसे वह अपने विरोधी राजनेता की अश्लील टिप्पणी का करारा जवाब मान रही है। वकील ब्रुक विटनेल की एक फोटो पर तीन साल पहले लिबरल नेशनल पार्टी के पूर्व क्वींसलैंड नेता जॉन-पॉल लैंगब्रोक ने एक अश्लील कमेंट किया था। फोटो में एक लो-कट सिल्वर गाउन पहने हुए विटनेल अपने पति जूलियन लीमब्रुगेन के साथ…
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कलरफुल ड्रेस पहन संसद पहुंची 28 साल की सांसद, होने लगी सेक्सिज्म पर डिबेट
कलरफुल ड्रेस पहन संसद पहुंची 28 साल की सांसद, होने लगी सेक्सिज्म पर डिबेट
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सियोल: दक्षिण कोरिया की एक महिला सांसद कलरफुल ड्रेस को लेकर आलोचना का शिकार हो रही हैं. महिला सांसद Ryu Ho-Jeong हाल ही में साउथ कोरिया के पार्लियामेंट के सत्र में पहुंची. इस दौरान वे डिजाइनर कलरफुल ड्रेस में दिखीं. बतौर सांसद उनका यह ग्लैमरस अवतार कई लोगों को पसंद नहीं आया और उनके पहनावे पर डिबेट शुरू कर दी.
महिला सांसद Ryu Ho-jeong, 28 साल की उम्र में साउथ कोरिया की राष्ट्रीय असेंबली…
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'लिंगवाद का प्रतिबिंब': क्रिकेटरों के खराब प्रदर्शन के लिए पत्नियों की आलोचना पर मुमताज
‘लिंगवाद का प्रतिबिंब’: क्रिकेटरों के खराब प्रदर्शन के लिए पत्नियों की आलोचना पर मुमताज
बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली से शादी की है। उनकी शादी को चार साल से अधिक समय हो चुका है और उनकी एक बेटी वामिका है। जब से अनुष्का और विराट ने शादी की है, अभिनेत्री को अपने पति के खराब ऑन-फील्ड प्रदर्शन के लिए लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। अनुष्का को अक्सर भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों से आलोचना का सामना करना पड़ता है। सिर्फ अनुष्का शर्मा ही नहीं, बल्कि क्रिकेटरों…
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दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी ने एक वीडियो विज्ञापन पर माफी मांगी, जिसमें महिलाओं को गाय बताया गया था
दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी ने एक वीडियो विज्ञापन पर माफी मांगी, जिसमें महिलाओं को गाय बताया गया था
सियोल मिल्क की मूल कंपनी सियोल डेयरी कोऑपरेटिव ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक बयान में कहा, “हम उन सभी से ईमानदारी से माफी मांगते हैं, जिन्होंने पिछले महीने की 29 तारीख को सियोल मिल्क के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए दूध के विज्ञापन के वीडियो के कारण असहज महसूस किया होगा।” 8 दिसंबर। विज्ञापन ने एक सार्वजनिक प्रतिक्रिया को उकसाया, और देश में लिंगवाद के बारे में एक बहस छिड़ गई। कुछ सोशल…
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पूर्व स्पेसएक्स इंजीनियर ने निबंध में आरोप लगाया कि कंपनी संस्कृति 'सेक्सिज्म से व्याप्त' है
पूर्व स्पेसएक्स इंजीनियर ने निबंध में आरोप लगाया कि कंपनी संस्कृति ‘सेक्सिज्म से व्याप्त’ है
कैलिफोर्निया के हॉथोर्न में 28 जनवरी, 2021 को स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कॉर्प (स्पेसएक्स) मुख्यालय के बाहर एक फाल्कन 9 रॉकेट प्रदर्शित किया गया है। पैट्रिक टी. फॉलन | एएफपी | गेटी इमेजेज की एक महिला पूर्व कर्मचारी एलोन मस्क का स्पेसएक्स ने मंगलवार को प्रकाशित एक निबंध में आरोप लगाया कि अंतरिक्ष कंपनी का कार्यस्थल “लिंगवाद से भरा हुआ” है और इसकी मानव संसाधन टीम उत्पीड़न या दुर्व्यवहार के…
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#अंतरिक्ष उद्योग#एप्पल इंक#एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग#एलोन मस्क#किनारा#जेफ बेजोस#परिवहन#प्रौद्योगिकी#बाजार#ब्रेकिंग न्यूज: प्रौद्योगिकी#ब्रेकिंग न्यूज: बिजनेस#यौन उत्पीड़न#व्यापार#व्यापार समाचार#सामाजिक मु���्दे#स्पेसएक्स
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गोल्डन ग्लोब्स 2022: 'बेलफास्ट' और 'पॉवर ऑफ द डॉग' प्रमुख नामांकन सूची - टाइम्स ऑफ इंडिया
गोल्डन ग्लोब्स 2022: ‘बेलफास्ट’ और ‘पॉवर ऑफ द डॉग’ प्रमुख नामांकन सूची – टाइम्स ऑफ इंडिया
केनेथ ब्रानघ के बचपन से प्रेरित “बेलफास्ट” और जेन कैंपियन के डार्क वेस्टर्न “द पावर ऑफ द डॉग” ने सोमवार के गोल्डन ग्लोब नामांकन में शीर्ष स्थान हासिल किया, क्योंकि परेशान पुरस्कार नैतिक खामियों पर हॉलीवुड के बहिष्कार को दूर करना चाहते हैं। हॉलीवुड फॉरेन प्रेस एसोसिएशन – जो ग्लोब्स पर वोट करता है – नस्लवाद, लिंगवाद, बदमाशी और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर आग में घिर गया है। वार्नर ब्रदर्स,…
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#केनेथ ब्रानघ#गोल्डन ग्लोब नामांकन#गोल्डन ग्लोब समाचार#गोल्डन ग्लोब्स 2022#टॉम क्रूज#महेरशला अली#मार्क रफलो#विल स्मिथ#स्कारलेट जोहानसन#स्टीवेन स्पेलबर्ग
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#AppleToo: कर्मचारी संगठित होकर उत्पीड़न और भेदभाव का आरोप लगाते हैं
#AppleToo: कर्मचारी संगठित होकर उत्पीड़न और भेदभाव का आरोप लगाते हैं
कुख्यात गुप्त कंपनी के भीतर असंतोष के एक दुर्लभ सार्वजनिक प्रदर्शन में, Apple श्रमिकों का एक समूह कंपनी के भीतर भेदभाव, नस्लवाद और लिंगवाद के पैटर्न और उन्हें संबोधित करने में प्रबंधन की विफलता के खिलाफ लड़ने के लिए आयोजन कर रहा है। पिछले हफ्ते, कर्मचारियों के एक समूह ने #AppleToo लॉन्च किया, जो असमानता, धमकी और दुर्व्यवहार के वर्तमान और पिछले कर्मचारियों के अनुभवों को इकट्ठा करने और साझा करने के…
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फ्रांसीसी कोर्ट ने ट्विटर को नफरत फैलाने वाले भाषण विरोधी प्रयासों का खुलासा करने का आदेश दिया
फ्रांसीसी कोर्ट ने ट्विटर को नफरत फैलाने वाले भाषण विरोधी प्रयासों का खुलासा करने का आदेश दिया
छह भेदभाव विरोधी समूहों ने पिछले साल ट्विटर को फ्रांस में अदालत में पेश किया था। (प्रतिनिधि) पेरिस, फ्रांस: एक फ्रांसीसी अदालत ने मंगलवार को ट्विटर को सामाजिक नेटवर्क पर नस्लवाद, लिंगवाद और अन्य प्रकार के अभद्र भाषा से लड़ने के अपने प्रयासों से संबंधित अपने सभी दस्तावेजों तक कार्यकर्ताओं को पूर्ण पहुंच देने का आदेश दिया। छह भेदभाव विरोधी समूहों ने पिछले साल फ्रांस में ट्विटर को अदालत में ले लिया…
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सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या है ?
सेक्सिस्म या लिंगवाद टर्म कब हुआ पहला प्रयोग -
सेक्सिस्म या लिंगवाद नाम से पता चलता है |जो भी लिंग के आधार पर भेद करता है |इसका आशय है की लिंगवाद किसी व्यक्ति के लिंग के आधार पर पक्षपात या भेदभाव को मानना है|सेक्सिस्म जो टर्म है उसका सबसे पहले 1960 में प्रयोग हुआ ये दौर स्त्रीवाद का था |पहले के लोग जो सेक्सिस्म या लिंगवाद के हिमायती थे उनका मानना था की एक लिंग श्रेष्ट होता है दूसरे के अपेक्षा |और जबरदस्ती वो नियम कानून लगाते है की लड़का क्या कर सकता है और लड़की क्या नहीं कर सकती है |
फीमेल को दोयम दर्जा का समझते है |ऐसा शुरुआत हर धर्म में देखा गया है | आज के समाज में भी जो अधिकार लड़के को जन्मते मिला जाता है लेकिन लड़कियों को उन अधिकारों पाने के लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा |ऐसे समाज से में बहुत से अभी भी भेद है जो समाज में व्याप्त है |ये बस उस दौर की कोशिश थी पितृसत्तात्मकता को मनाये रखने के लिए |
पूंजीवाद और सेक्सिस्म -
पहला का दौर और समाज की संरचना ऐसे बना था |की उसमे ये दुसंगति रहा करती थी | ये एक जरिया थी किसी का भी आर्थिक शोषण का | क्योकि समाज ये विसंगति रहेगी तो समाज के एक बड़ी आबादी को उनकी बहुत मांगों से दूर किया जा सकता था |और इसलिए पूंजीवाद समाज का लाभ के आलावा कोई चरित्र नहीं होता है |पूंजीवाद की उस समय की मांग यही थी | और आज के दौर में भी आप इसे देख सकते है | जैसा मैंने कहा आज कई ऐसे देश में सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा मिला हुआ है | ये पूंजीवाद ही तो है जो महिला को एक उत्पाद के रूप में बेच रही है | हद तो तब है की आप कोई विज्ञापन देख लीजिये |जो भी उत्पाद जो महिलाये अपने प्रयोग में लाती है उनका तो महिला विज्ञापन कर रही है साथ साथ में पुरषों के प्रयोग की वस्तु का भी महिला ही विज्ञापन कर रही है |उनके शरीर को दिखाकर कई उत्पाद बेचे जा रहे है |
सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या आर्थिक शोषण का कारण -
क्योकि बाज़ारवाद भी इसका एक प्रमुख कारण है | जो कुछ ऐसी परिस्थितयां बनायीं रखना चाहती है जिससे ऐसी स्तिथि बनी रही है | इससे उन्हें आर्थिक शोषण करने का अधिकार मिलता है | उन्हें लाभ होता है | आप देखेंगे आज भी बॉलीवुड में मेल एक्टर को फीमेल एक्ट्रेस से हमेशा ज्यादा वेतन मिलता है |कई फीमेल एक्ट्रेस इसके लिए आवाज उठा चुकी है | एक ही कंपनी है जो अमेरिका में वो गोरा करना वाला प्रोडक्ट नहीं बेचने की हिम्मत जुटा पा रही है लेकिन वही आपके देश में धड़ल्ले से बेच रही है |वही कंपनी है विकसीत देशों के हर रूल रेगुलेशन मान रही है लेकिन आपके देश में ऐसा नहीं कर रही है | समाज में वैसे तो कई बुराई है लेकिन इसके पीछे लाभ ही मुख्या कारण है जो अक्सर आपके सामने गुज़र जाता है और आपको दीखता नहीं है |
लिंगवाद को खतम करने के लिए संघर्ष -
लिंगवाद को बनाया रखना के कारण उन तबको को समाज में हिस्सेदारी से भी है |महिलाओं को बहुत दिन बाद वोट देने का अधिकार मिला |इसका साफ़ और सीधा मतलब की आप उससे भी नहीं चुन सकते जो आपके देश को चलाएगा |और कानून बनाएगा | इसलिए मुफ्त कोई चीज नहीं मिलती है संघर्षों से छीनना पड़ता है | रही बात समाज में जब ऐसी बुराई धीरे -धीरे महिलाये लड़कर ख़तम कर रही है वो महिलाये और संघठन काबिले तारीफ़ भी है |जैसे आप ने देखा एक प्राइवेट कंपनी ने माहवारी के लिए ऑफ का प्रयोजन अपनी कंपनी में जोड़ा |भारत युवा लोगों का देश है इसलिए हमे भी इन बारे में विचार जरूर करना चाहिए | सेक्सिस्म या लिंगवाद को एकदम भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए |
महिलाये हवाई जहाज तक उड़ा रही है -
कई बार आप देख्नेगे की महिलाओं के लिए पुरष कहते मिल जायेंगे की -ये महिलाये अच्छी कार नहीं चला सकती और अच्छा नेता नहीं बन सकती क्योकि उनके अंदर इमोशंस होते है वो किसी भी कंपनी को लीड नहीं कर सकती है | लेकिन कौन उन्हें बताया की आज के दौर की लड़किया हवाई जहाज उड़ा रही है | भारत की महिला प्रधानमंत्री के बारे में इंदिरा गाँधी के बारे में नहीं जानते है तो उन्हें जानना चाहिए |एक समय ऐसा भी था जब देश सब प्रतिष्ठ बैंकों में महिला ही उनके सबसे बड़े पदों पर आसीन थी |ये मानसिकता को छोर के खुद के अंदर समनता का भाव लाना चाहिए |मेरी उन लोगों से बस अपील है |
क्या बोलियाँ भी लिंगवाद को बढ़ावा देती है ?
समाज में बहुत दिनों से ऐसे भेदभाव होते रहने से हमारी आपकी बोली में भी सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा दिया जाता रहा है | जैसा कहा जाता रहा चूड़ी पहन लो , ये एक सेक्सिस्म शब्द जो हम अक्सर बोलते है जिसे हमे पता नहीं है लेकिन आपको बताता हूँ |इसमें कमजोरता या कहे हीनता को दर्शाने के लिए पुरषों को कहा जाता है | इसका क्या मतलब है चुडिया पहनने वाले कमजोर होते है और चुडिया लड़किया का ही गहना है |ऐसे कई शब्द है जो हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते है |इसलिए इन चीजों को कृपया ध्यान दे |लेकिन कुछ ऐसे भी है जो इन सेक्सिस्म या लिंगवाद और फेमनिस्म को अपने फायदे के लिए प्रयोग लाते है | जहा भी इससे इनके कुछ सुविधा मिलती है उसको उठाती है |और फिर आपको बाहर फेमिनिस्म का झंडा उठाते दिख जाती है |ऐसे लोगों से बचें जो कभी दुखिया नारी तो कभी शशक्त महिला बनके उभरती है |शायद ये बात आपको लोग को कड़वी लग सकती है लेकिन मैं अपने अनुभव से आपको बताया है |और फेमिनिस्म का सपोर्ट करे लिंगवाद को खतम करने की कोशिश करे |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3his5zY
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Inquiry Finds Culture of Abuse in Australian Gymnastics, Association Calls it 'Confronting'
Inquiry Finds Culture of Abuse in Australian Gymnastics, Association Calls it ‘Confronting’
सोमवार को प्रकाशित एक डैमिंग रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई जिम्नास्टिक की जांच में व्यापक दुरुपयोग, लिंगवाद, नस्लवाद और सत्तावादी कोचिंग प्रथाओं के प्रमाण मिले हैं। ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग ने खेल के लिए एक “वैश्विक प्रतिवाद” के बीच कहा, यह एक ऐसी संस्कृति है जिसने भावनात्मक, मौखिक, शारीरिक और यौन शोषण को सहन किया, साथ ही साथ दशकों से युवा एथलीटों पर निर्देशित चिकित्सा लापरवाही और शरीर को…
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मिस पापुआ न्यू गिनी ने एक टिकटॉक वीडियो पर उसे क्राउन से अलग कर दिया, जो उसे घुमाते हुए दिखाता है
मिस पापुआ न्यू गिनी ने एक टिकटॉक वीडियो पर उसे क्राउन से अलग कर दिया, जो उसे घुमाते हुए दिखाता है
ब्यूटी क्वीन बनने के बाद टिकटोक पर मॉडल का ऐसा डा��स, वीडियो वायरल होने के बाद ताज छीन गया मिस पापुआ न्यू गिनी का ताज एक टिकटॉक वीडियो के कारण छीन लिया गया है जिसमें वह ट्वर्किंग डांस करती नजर आ रही हैं। इस कदम के बाद, आलोचकों का कहना है कि यह द्वीप राष्ट्र में गलतफहमी और लिंगवाद की संस्कृति को दर्शाता है। यह भी पढ़ें 25 वर्षीय लुसी मेनो ने अपने व्यक्तिगत टिकटकॉक अकाउंट पर अपने नृत्य का एक…
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1.ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson),नासा ने एसएस कैथरीन जॉनसन को ब्लैक मैथमैटिशियन के नाम से लॉन्च किया (NASA Launches SS Katherine Johnson named for Black Mathematician)-
ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson) अमेरिका के नासा (NASA) में प्रख्यात गणितज्ञ रही है।
ताराजी पी हेनसन ने गणित प्रतिभा की भूमिका निभाई (Taraji P Henson play role math genius)।उनके कार्यों को दर्शाने के लिए ताराजी पी हेनसन अभिनेत्री हैं जिन्होंने प्रसिद्ध महिला गणितज्ञ कैथरीन जाॅनसन की भूमिका फिल्म ‘हिडन फिगर्स ‘ में निभाई है।
ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson) के साथ मैरी डब्ल्यू जैक्सन,डोरोथी वाॅन,इन तीनों महिलाओं को सम्मिलित रूप से 2019 में कांग्रेस के स्वर्ण पदक से अमेरिका में सम्मानित क��या गया था।
ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson) ने सहयोगियों डोरोथी वॉन,मार्गरी हन्ना और क्रिस्टीन डर्डन (Dorothy Vaughan, Margery Hannah, and Christine Darden) के साथ मिलकर अश्वेतों के लिए कार्य किया है।
कैथरीन जॉनसन, ब्लैक शेरो गणितज्ञ, जिनकी गणना ने नासा को चंद्रमा तक पहुंचने में मदद की,अंततः उसे मिलती है।एस.एस. कैथरीन जॉनसन, 2021 की पहली नासा उड़ान, शनिवार को वर्जीनिया से लॉन्च की गई और अनुसंधान से संबंधित कार्गो को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक ले गई।
यह प्रक्षेपण 100 मील से भी कम दूरी पर हुआ जहां से सुश्री जॉनसन ने 30 से अधिक वर्षों के लिए नासा के लिए “मानव कैलकुलेटर” के रूप में काम किया, जो कि पिछले 1950 के दशक में शुरू हुआ था।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्लैक मैथमैटिशियन, जिन्होंने अपने जीवन और करियर के दौरान नस्लवाद और लिंगवाद से लड़ाई लड़ी, 2020 में 101 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई।
एक प्रतिभाशाली गणितज्ञ, सुश्री जॉनसन ने 14 साल की उम्र में हाई स्कूल में स्नातक किया।इसके तुरंत बाद,उन्होंने वेस्ट वर्जीनिया स्टेट कॉलेज, एक एचबीसीयू में गणित में डिग्री हासिल की।इसके बाद उन्होंने नासा में एक शोध पद पर कार्यभार संभाला, जहाँ उन्होंने नासा की उड़ान प्रक्षेपवक्रों की गणना की,जिनमें से सबसे प्रसिद्ध जॉन ग्लेन का पृथ्वी पर 1962 का मिशन था।ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson) ने कहा कि श्री ग्लेन ने कहा कि वे केवल कंप्यूटर की गणना की पुष्टि करने के बाद ही ऐतिहासिक उड़ान भरेंगे।
सुश्री जॉनसन ने पहले चंद्रमा लैंडिंग और नासा में अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम की भी गणना की।2015 में, 97 वर्ष की आयु में, राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सुश्री जॉनसन को राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान,राष्ट्रपति पदक का सम्मान दिया।उसी वर्ष कांग्रेस के ब्लैक कॉकस के एक भाषण में, राष्ट्रपति ओबामा ने कहा,”अमेरिकी इतिहास में अश्वेत महिलाएं हर महान आंदोलन का हिस्सा रही हैं – भले ही उन्हें हमेशा आवाज नहीं दी गई हो।”
नासा ने एसएस कैथरीन जॉनसन को लॉन्च किया,जिसका नाम प्रसिद्ध ब्लैक गणितज्ञ के लिए दिया गया
व्हाइट हाउस ऑफ़िस ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कर्मचारी मेडल ऑफ़ फ़्रीडम प्राप्तकर्ता कैथरीन जॉनसन के साथ मिलते हैं।
एक साल बाद, 2016 में, नासा ने ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson) के सम्मान में $ 30 मिलियन, 40,000 वर्ग फुट कम्प्यूटेशनल अनुसंधान केंद्र का नाम दिया।नासा ��े नियमित रूप से उड़ान सुरक्षा में अपने योगदान के लिए जॉनसन को श्रेय दिया, और हमेशा उनकी सफलता में अन्य अश्वेत महिलाओं को शामिल करना सुनिश्चित किया गया,विशेष रूप से उनके सहयोगियों डोरोथी वॉन, मार्गरी हन्ना, और क्रिस्टीन डर्डन।
जॉनसन ने कहा,”मैं आपका ध्यान देने के लिए,आपकी दया के लिए, लेकिन उससे भी अधिक धन्यवाद करता हूं, जो काम आपने किए हैं, उसके लिए महिलाओं को अधिक पहचान देते हुए देखकर मैं बहुत खुश हूं।”
ब्लैक मैथमैटिशियन कैथरीन जॉनसन (Black Mathematician Katherine Johnson) की कहानी, उनके अश्वेत महिला सहयोगियों के साथ, 2016 में इसी नाम की पुस्तक पर आधारित फिल्म हिडन फिगर्स में चित्रित की गई थी।छिपे हुए आंकड़े वर्तमान में डिज्नी + और एचबीओ पर स्ट्रीमिंग कर रहे हैं।
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अक्षय कुमार, करीना कपूर खान, दीपिका पादुकोण: बियॉन्से से लेकर बुर्ज खलीफा तक, यहां बॉलीवुड के सबसे असंवेदनशील, सांस्कृतिक रूप से अनुचित क्षण हैं
अक्षय कुमार, करीना कपूर खान, दीपिका पादुकोण: बियॉन्से से लेकर बुर्ज खलीफा तक, यहां बॉलीवुड के सबसे असंवेदनशील, सांस्कृतिक रूप से अनुचित क्षण हैं
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