#पितृसत्तात्मकता
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सेक्सिस्म या लिंगवाद टर्म कब हुआ पहला प्रयोग -
सेक्सिस्म या लिंगवाद नाम से पता चलता है |जो भी लिंग के आधार पर भेद करता है |इसका आशय है की लिंगवाद किसी व्यक्ति के लिंग के आधार पर पक्षपात या भेदभाव को मानना है|सेक्सिस्म जो टर्म है उसका सबसे पहले 1960 में प्रयोग हुआ ये दौर स्त्रीवाद का था |पहले के लोग जो सेक्सिस्म या लिंगवाद के हिमायती थे उनका मानना था की एक लिंग श्रेष्ट होता है दूसरे के अपेक्षा |और जबरदस्ती वो नियम कानून लगाते है की लड़का क्या कर सकता है और लड़की क्या नहीं कर सकती है |
फीमेल को दोयम दर्जा का समझते है |ऐसा शुरुआत हर धर्म में देखा गया है | आज के समाज में भी जो अधिकार लड़के को जन्मते मिला जाता है लेकिन लड़कियों को उन अधिकारों पाने के लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा |ऐसे समाज से में बहुत से अभी भी भेद है जो समाज में व्याप्त है |ये बस उस दौर की कोशिश थी पितृसत्तात्मकता को मनाये रखने के लिए |
पूंजीवाद और सेक्सिस्म -
पहला का दौर और समाज की संरचना ऐसे बना था |की उसमे ये दुसंगति रहा करती थी | ये एक जरिया थी किसी का भी आर्थिक शोषण का | क्योकि समाज ये विसंगति रहेगी तो समाज के एक बड़ी आबादी को उनकी बहुत मांगों से दूर किया जा सकता था |और इसलिए पूंजीवाद समाज का लाभ के आलावा कोई चरित्र नहीं होता है |पूंजीवाद की उस समय की मांग यही थी | और आज के दौर में भी आप इसे देख सकते है | जैसा मैंने कहा आज कई ऐसे देश में सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा मिला हुआ है | ये पूंजीवाद ही तो है जो महिला को एक उत्पाद के रूप में बेच रही है | हद तो तब है की आप कोई विज्ञापन देख लीजिये |जो भी उत्पाद जो महिलाये अपने प्रयोग में लाती है उनका तो महिला विज्ञापन कर रही है साथ साथ में पुरषों के प्रयोग की वस्तु का भी महिला ही विज्ञापन कर रही है |उनके शरीर को दिखाकर कई उत्पाद बेचे जा रहे है |
सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या आर्थिक शोषण का कारण -
क्योकि बाज़ारवाद भी इसका एक प्रमुख कारण है | जो कुछ ऐसी परिस्थितयां बनायीं रखना चाहती है जिससे ऐसी स्तिथि बनी रही है | इससे उन्हें आर्थिक शोषण करने का अधिकार मिलता है | उन्हें लाभ होता है | आप देखेंगे आज भी बॉलीवुड में मेल एक्टर को फीमेल एक्ट्रेस से हमेशा ज्यादा वेतन मिलता है |कई फीमेल एक्ट्रेस इसके लिए आवाज उठा चुकी है | एक ही कंपनी है जो अमेरिका में वो गोरा करना वाला प्रोडक्ट नहीं बेचने की हिम्मत जुटा पा रही है लेकिन वही आपके देश में धड़ल्ले से बेच रही है |वही कंपनी है विकसीत देशों के हर रूल रेगुलेशन मान रही है लेकिन आपके देश में ऐसा नहीं कर रही है | समाज में वैसे तो कई बुराई है लेकिन इसके पीछे लाभ ही मुख्या कारण है जो अक्सर आपके सामने गुज़र जाता है और आपको दीखता नहीं है |
लिंगवाद को खतम करने के लिए संघर्ष -
लिंगवाद को बनाया रखना के क���रण उन तबको को समाज में हिस्सेदारी से भी है |महिलाओं को बहुत दिन बाद वोट देने का अधिकार मिला |इसका साफ़ और सीधा मतलब की आप उससे भी नहीं चुन सकते जो आपके देश को चलाएगा |और कानून बनाएगा | इसलिए मुफ्त कोई चीज नहीं मिलती है संघर्षों से छीनना पड़ता है | रही बात समाज में जब ऐसी बुराई धीरे -धीरे महिलाये लड़कर ख़तम कर रही है वो महिलाये और संघठन काबिले तारीफ़ भी है |जैसे आप ने देखा एक प्राइवेट कंपनी ने माहवारी के लिए ऑफ का प्रयोजन अपनी कंपनी में जोड़ा |भारत युवा लोगों का देश है इसलिए हमे भी इन बारे में विचार जरूर करना चाहिए | सेक्सिस्म या लिंगवाद को एकदम भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए |
महिलाये हवाई जहाज तक उड़ा रही है -
कई बार आप देख्नेगे की महिलाओं के लिए पुरष कहते मिल जायेंगे की -ये महिलाये अच्छी कार नहीं चला सकती और अच्छा नेता नहीं बन सकती क्योकि उनके अंदर इमोशंस होते है वो किसी भी कंपनी को लीड नहीं कर सकती है | लेकिन कौन उन्हें बताया की आज के दौर की लड़किया हवाई जहाज उड़ा रही है | भारत की महिला प्रधानमंत्री के बारे में इंदिरा गाँधी के बारे में नहीं जानते है तो उन्हें जानना चाहिए |एक समय ऐसा भी था जब देश सब प्रतिष्ठ बैंकों में महिला ही उनके सबसे बड़े पदों पर आसीन थी |ये मानसिकता को छोर के खुद के अंदर समनता का भाव लाना चाहिए |मेरी उन लोगों से बस अपील है |
क्या बोलियाँ भी लिंगवाद को बढ़ावा देती है ?
समाज में बहुत दिनों से ऐसे भेदभाव होते रहने से हमारी आपकी बोली में भी सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा दिया जाता रहा है | जैसा कहा जाता रहा चूड़ी पहन लो , ये एक सेक्सिस्म शब्द जो हम अक्सर बोलते है जिसे हमे पता नहीं है लेकिन आपको बताता हूँ |इसमें कमजोरता या कहे हीनता को दर्शाने के लिए पुरषों को कहा जाता है | इसका क्या मतलब है चुडिया पहनने वाले कमजोर होते है और चुडिया लड़किया का ही गहना है |ऐसे कई शब्द है जो हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते है |इसलिए इन चीजों को कृपया ध्यान दे |लेकिन कुछ ऐसे भी है जो इन सेक्सिस्म या लिंगवाद और फेमनिस्म को अपने फायदे के लिए प्रयोग लाते है | जहा भी इससे इनके कुछ सुविधा मिलती है उसको उठाती है |और फिर आपको बाहर फेमिनिस्म का झंडा उठाते दिख जाती है |ऐसे लोगों से बचें जो कभी दुखिया नारी तो कभी शशक्त महिला बनके उभरती है |शायद ये बात आपको लोग को कड़वी लग सकती है लेकिन मैं अपने अनुभव से आपको बताया है |और फेमिनिस्म का सपोर्ट करे लिंगवाद को खतम करने की कोशिश करे |
#1960 में प्रयोगहुआ#Gender discrimination#prejudice#Sexisminasocietyismostcommonly#sexualharassment#sexualviolence#socialization#workplaceinequality#आर्थिकशोषण#आर्थिकशोषणकाकारण#गोराकरनावालाप्रोडक्ट#लिंगवादयौनउत्पीड़न#चुडिया पहनने#चूड़ियाँलड़कियाकाहीगहना#पितृसत्तात्मकता#पूंजीवादऔरसेक्सिस्म#प्रतिष्ठबैंकोंमेंमहिला#फीमेलकोदोयम दर्जा#फेमिनिस्मकासपोर्टकरे#बाज़ारवाद#बोलियाँभीलिंगवादकोबढ़ावादेती#महिलाकोएकउत्पादकेरूप#महिलाविज्ञापन#लड़कियाहवाईजहाजउड़ारही#लाभकेआलावाकोईचरित्रनहीं#लिंगकेआधारपरभेद#लिंगवाद#लिंगवादकेहिमायती#लिंगवादकोखतमकरनेकेलिए संघर्ष#लिंगवादटर्म
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कब है आश्विन मास की अमावस्या, जानिए इसका धार्मिक महत्व, पूजा की विधि और समय - Punjab News Latest Punjabi News Update आज
कब है आश्विन मास की अमावस्या, जानिए इसका धार्मिक महत्व, पूजा की विधि और समय – Punjab News Latest Punjabi News Update आज
महालय अमावस्या 2022 तिथि समय, पितृ पक्ष 2022: हिंदू धर्म में पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध का विधान है। इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू शास्त्रों में पितृ पक्ष को इस समारोह के लिए सबसे अच्छा दिन बताया गया है। पितृसत्तात्मकता 2022 में महलिया पुणे जब हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर…
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अक्षय कुमार, करीना कपूर खान, दीपिका पादुकोण: बियॉन्से से लेकर बुर्ज खलीफा तक, यहां बॉलीवुड के सबसे असंवेदनशील, सांस्कृतिक रूप से अनुचित क्षण हैं
अक्षय कुमार, करीना कपूर खान, दीपिका पादुकोण: बियॉन्से से लेकर बुर्ज खलीफा तक, यहां बॉलीवुड के सबसे असंवेदनशील, सांस्कृतिक रूप से अनुचित क्षण हैं
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हम वर्ष 2020 में, संभवतः विश्व युद्धों के बाद सबसे अधिक घटनाग्रस्त हैं, और स्वास्थ्य, पितृसत्ता, नारीवाद, लिंगवाद के बारे में बातचीत करते हैं, colourism, भाई-भतीजावाद, नस्लवाद और ऐसे कई ‘आइएमएस’ ने केंद्र का रूप ले लिया है। कोरोनावायरस महामारी और आगामी लॉकडाउन हम में से अधिकांश के लिए एक ज्ञानवर्धक समय रहा है। और हालाँकि कई लोगों ने रोटी पकाने, सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करने और नए…
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#colourism#अक्षय कुमार#अनुष्का शर्मा#करीना कपूर खान#जातिवाद#दक्षिण भारतीय#दीपिका पादुकोने#नारीवाद#पारसी#पितृसत्तात्मकता#बॉलीवुड#भाई-भतीजावाद#मुसलमान#लिंगभेद#विनियोग#शाहरुख खान#शुभ मंगल ज़्याद सावधन#संस्कृति#सांस्कृतिक विनियोग#स्वास्थ्य
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सेक्सिस्म या लिंगवाद टर्म कब हुआ पहला प्रयोग -
सेक्सिस्म या लिंगवाद नाम से पता चलता है |जो भी लिंग के आधार पर भेद करता है |इसका आशय है की लिंगवाद किसी व्यक्ति के लिंग के आधार पर पक्षपात या भेदभाव को मानना है|सेक्सिस्म जो टर्म है उसका सबसे पहले 1960 में प्रयोग हुआ ये दौर स्त्रीवाद का था |पहले के लोग जो सेक्सिस्म या लिंगवाद के हिमायती थे उनका मानना था की एक लिंग श्रेष्ट होता है दूसरे के अपेक्षा |और जबरदस्ती वो नियम कानून लगाते है की लड़का क्या कर सकता है और लड़की क्या नहीं कर सकती है |
फीमेल को दोयम दर्जा का समझते है |ऐसा शुरुआत हर धर्म में देखा गया है | आज के समाज में भी जो अधिकार लड़के को जन्मते मिला जाता है लेकिन लड़कियों को उन अधिकारों पाने के लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा |ऐसे समाज से में बहुत से अभी भी भेद है जो समाज में व्याप्त है |ये बस उस दौर की कोशिश थी पितृसत्तात्मकता को मनाये रखने के लिए |
पूंजीवाद और सेक्सिस्म -
पहला का दौर और समाज की संरचना ऐसे बना था |की उसमे ये दुसंगति रहा करती थी | ये एक जरिया थी किसी का भी आर्थिक शोषण का | क्योकि समाज ये विसंगति रहेगी तो समाज के एक बड़ी आबादी को उनकी बहुत मांगों से दूर किया जा सकता था |और इसलिए पूंजीवाद समाज का लाभ के आलावा कोई चरित्र नहीं होता है |पूंजीवाद की उस समय की मांग यही थी | और आज के दौर में भी आप इसे देख सकते है | जैसा मैंने कहा आज कई ऐसे देश में सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा मिला हुआ है | ये पूंजीवाद ही तो है जो महिला को एक उत्पाद के रूप में बेच रही है | हद तो तब है की आप कोई विज्ञापन देख लीजिये |जो भी उत्पाद जो महिलाये अपने प्रयोग में लाती है उनका तो महिला विज्ञापन कर रही है साथ साथ में पुरषों के प्रयोग की वस्तु का भी महिला ही विज्ञापन कर रही है |उनके शरीर को दिखाकर कई उत्पाद बेचे जा रहे है |
सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या आर्थिक शोषण का कारण -
क्योकि बाज़ारवाद भी इसका एक प्रमुख कारण है | जो कुछ ऐसी परिस्थितयां बनायीं रखना चाहती है जिससे ऐसी स्तिथि बनी रही है | इससे उन्हें आर्थिक शोषण करने का अधिकार मिलता है | उन्हें लाभ होता है | आप देखेंगे आज भी बॉलीवुड में मेल एक्टर को फीमेल एक्ट्रेस से हमेशा ज्यादा वेतन मिलता है |कई फीमेल एक्ट्रेस इसके लिए आवाज उठा चुकी है | एक ही कंपनी है जो अमेरिका में वो गोरा करना वाला प्रोडक्ट नहीं बेचने की हिम्मत जुटा पा रही है लेकिन वही आपके देश में धड़ल्ले से बेच रही है |वही कंपनी है विकसीत देशों के हर रूल रेगुलेशन मान रही है लेकिन आपके देश में ऐसा नहीं कर रही है | समाज में वैसे तो कई बुराई है लेकिन इसके पीछे लाभ ही मुख्या कारण है जो अक्सर आपके सामने गुज़र जाता है और आपको दीखता नहीं है |
लिंगवाद को खतम करने के लिए संघर्ष -
लिंगवाद को बनाया रखना के कारण उन तबको को समाज में हिस्सेदारी से भी है |महिलाओं को बहुत दिन बाद वोट देने का अधिकार मिला |इसका साफ़ और सीधा मतलब की आप उससे भी नहीं चुन सकते जो आपके देश को चलाएगा |और कानून बनाएगा | इसलिए मुफ्त कोई चीज नहीं मिलती है संघर्षों से छीनना पड़ता है | रही बात समाज में जब ऐसी बुराई धीरे -धीरे महिलाये लड़कर ख़तम कर रही है वो महिलाये और संघठन काबिले तारीफ़ भी है |जैसे आप ने देखा एक प्राइवेट कंपनी ने माहवारी के लिए ऑफ का प्रयोजन अपनी कंपनी में जोड़ा |भारत युवा लोगों का देश है इसलिए हमे भी इन बारे में विचार जरूर करना चाहिए | सेक्सिस्म या लिंगवाद को एकदम भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए |
महिलाये हवाई जहाज तक उड़ा रही है -
कई बार आप देख्नेगे की महिलाओं के लिए पुरष कहते मिल जायेंगे की -ये महिलाये अच्छी कार नहीं चला सकती और अच्छा नेता नहीं बन सकती क्योकि उनके अंदर इमोशंस होते है वो किसी भी कंपनी को लीड नहीं कर सकती है | लेकिन कौन उन्हें बताया की आज के दौर की लड़किया हवाई जहाज उड़ा रही है | भारत की महिला प्रधानमंत्री के बारे में इंदिरा गाँधी के बारे में नहीं जानते है तो उन्हें जानना चाहिए |एक समय ऐसा भी था जब देश सब प्रतिष्ठ बैंकों में महिला ही उनके सबसे बड़े पदों पर आसीन थी |ये मानसिकता को छोर के खुद के अंदर समनता का भाव लाना चाहिए |मेरी उन लोगों से बस अपील है |
क्या बोलियाँ भी लिंगवाद को बढ़ावा देती है ?
समाज में बहुत दिनों से ऐसे भेदभाव होते रहने से हमारी आपकी बोली में भी सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा दिया जाता रहा है | जैसा कहा जाता रहा चूड़ी पहन लो , ये एक सेक्सिस्म शब्द जो हम अक्सर बोलते है जिसे हमे पता नहीं है लेकिन आपको बताता हूँ |इसमें कमजोरता या कहे हीनता को दर्शाने के लिए पुरषों को कहा जाता है | इसका क्या मतलब है चुडिया पहनने वाले कमजोर होते है और चुडिया लड़किया का ही गहना है |ऐसे कई शब्द है जो हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते है |इसलिए इन चीजों को कृपया ध्यान दे |लेकिन कुछ ऐसे भी है जो इन सेक्सिस्म या लिंगवाद और फेमनिस्म को अपने फायदे के लिए प्रयोग लाते है | जहा भी इससे इनके कुछ सुविधा मिलती है उसको उठाती है |और फिर आपको बाहर फेमिनिस्म का झंडा उठाते दिख जाती है |ऐसे लोगों से बचें जो कभी दुखिया नारी तो कभी शशक्त महिला बनके उभरती है |शायद ये बात आपको लोग को कड़वी लग सकती है लेकिन मैं अपने अनुभव से आपको बताया है |और फेमिनिस्म का सपोर्ट करे लिंगवाद को खतम करने की कोशिश करे |
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सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या है ?
सेक्सिस्म या लिंगवाद टर्म कब हुआ पहला प्रयोग -
सेक्सिस्म या लिंगवाद नाम से पता चलता है |जो भी लिंग के आधार पर भेद करता है |इसका आशय है की लिंगवाद किसी व्यक्ति के लिंग के आधार पर पक्षपात या भेदभाव को मानना है|सेक्सिस्म जो टर्म है उसका सबसे पहले 1960 में प्रयोग हुआ ये दौर स्त्रीवाद का था |पहले के लोग जो सेक्सिस्म या लिंगवाद के हिमायती थे उनका मानना था की एक लिंग श्रेष्ट होता है दूसरे के अपेक्षा |और जबरदस्ती वो नियम कानून लगाते है की लड़का क्या कर सकता है और लड़की क्या नहीं कर सकती है |
फीमेल को दोयम दर्जा का समझते है |ऐसा शुरुआत हर धर्म में देखा गया है | आज के समाज में भी जो अधिकार लड़के को जन्मते मिला जाता है लेकिन लड़कियों को उन अधिकारों पाने के लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा |ऐसे समाज से में बहुत से अभी भी भेद है जो समाज में व्याप्त है |ये बस उस दौर की कोशिश थी पितृसत्तात्मकता को मनाये रखने के लिए |
पूंजीवाद और सेक्सिस्म -
पहला का दौर और समाज की संरचना ऐसे बना था |की उसमे ये दुसंगति रहा करती थी | ये एक जरिया थी किसी का भी आर्थिक शोषण का | क्योकि समाज ये विसंगति रहेगी तो समाज के एक बड़ी आबादी को उनकी बहुत मांगों से दूर किया जा सकता था |और इसलिए पूंजीवाद समाज का लाभ के आलावा कोई चरित्र नहीं होता है |पूंजीवाद की उस समय की मांग यही थी | और आज के दौर में भी आप इसे देख सकते है | जैसा मैंने कहा आज कई ऐसे देश में सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा मिला हुआ है | ये पूंजीवाद ही तो है जो महिला को एक उत्पाद के रूप में बेच रही है | हद तो तब है की आप कोई विज्ञापन देख लीजिये |जो भी उत्पाद जो महिलाये अपने प्रयोग में लाती है उनका तो महिला विज्ञापन कर रही है साथ साथ में पुरषों के प्रयोग की वस्तु का भी महिला ही विज्ञापन कर रही है |उनके शरीर को दिखाकर कई उत्पाद बेचे जा रहे है |
सेक्सिस्म या लिंगवाद क्या आर्थिक शोषण का कारण -
क्योकि बाज़ारवाद भी इसका एक प्रमुख कारण है | जो कुछ ऐसी परिस्थितयां बनायीं रखना चाहती है जिससे ऐसी स्तिथि बनी रही है | इससे उन्हें आर्थिक शोषण करने का अधिकार मिलता है | उन्हें लाभ होता है | आप देखेंगे आज भी बॉलीवुड में मेल एक्टर को फीमेल एक्ट्रेस से हमेशा ज्यादा वेतन मिलता है |कई फीमेल एक्ट्रेस इसके लिए आवाज उठा चुकी है | एक ही कंपनी है जो अमेरिका में वो गोरा करना वाला प्रोडक्ट नहीं बेचने की हिम्मत जुटा पा रही है लेकिन वही आपके देश में धड़ल्ले से बेच रही है |वही कंपनी है विकसीत देशों के हर रूल रेगुलेशन मान रही है लेकिन आपके देश में ऐसा नहीं कर रही है | समाज में वैसे तो कई बुराई है लेकिन इसके पीछे लाभ ही मुख्या कारण है जो अक्सर आपके सामने गुज़र जाता है और आपको दीखता नहीं है |
लिंगवाद को खतम करने के लिए संघर्ष -
लिंगवाद को बनाया रखना के कारण उन तबको को समाज में हिस्सेदारी से भी है |महिलाओं को बहुत दिन बाद वोट देने का अधिकार मिला |इसका साफ़ और सीधा मतलब की आप उससे भी नहीं चुन सकते जो आपके देश को चलाएगा |और कानून बनाएगा | इसलिए मुफ्त कोई चीज नहीं मिलती है संघर्षों से छीनना पड़ता है | रही बात समाज में जब ऐसी बुराई धीरे -धीरे महिलाये लड़कर ख़तम कर रही है वो महिलाये और संघठन काबिले तारीफ़ भी है |जैसे आप ने देखा एक प्राइवेट कंपनी ने माहवारी के लिए ऑफ का प्रयोजन अपनी कंपनी में जोड़ा |भारत युवा लोगों का देश है इसलिए हमे भी इन बारे में विचार जरूर करना चाहिए | सेक्सिस्म या लिंगवाद को एकदम भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए |
महिलाये हवाई जहाज तक उड़ा रही है -
कई बार आप देख्नेगे की महिलाओं के लिए पुरष कहते मिल जायेंगे की -ये महिलाये अच्छी कार नहीं चला सकती और अच्छा नेता नहीं बन सकती क्योकि उनके अंदर इमोशंस होते है वो किसी भी कंपनी को लीड नहीं कर सकती है | लेकिन कौन उन्हें बताया की आज के दौर की लड़किया हवाई जहाज उड़ा रही है | भारत की महिला प्रधानमंत्री के बारे में इंदिरा गाँधी के बारे में नहीं जानते है तो उन्हें जानना चाहिए |एक समय ऐसा भी था जब देश सब प्रतिष्ठ बैंकों में महिला ही उनके सबसे बड़े पदों पर आसीन थी |ये मानसिकता को छोर के खुद के अंदर समनता का भाव लाना चाहिए |मेरी उन लोगों से बस अपील है |
क्या बोलियाँ भी लिंगवाद को बढ़ावा देती है ?
समाज में बहुत दिनों से ऐसे भेदभाव होते रहने से हमारी आपकी बोली में भी सेक्सिस्म या लिंगवाद को बढ़ावा दिया जाता रहा है | जैसा कहा जाता रहा चूड़ी पहन लो , ये एक सेक्सिस्म शब्द जो हम अक्सर बोलते है जिसे हमे पता नहीं है लेकिन आपको बताता हूँ |इसमें कमजोरता या कहे हीनता को दर्शाने के लिए पुरषों को कहा जाता है | इसका क्या मतलब है चुडिया पहनने वाले कमजोर होते है और चुडिया लड़किया का ही गहना है |ऐसे कई शब्द है जो हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते है |इसलिए इन चीजों को कृपया ध्यान दे |लेकिन कुछ ऐसे भी है जो इन सेक्सिस्म या लिंगवाद और फेमनिस्म को अपने फायदे के लिए प्रयोग लाते है | जहा भी इससे इनके कुछ सुविधा मिलती है उसको उठाती है |और फिर आपको बाहर फेमिनिस्म का झंडा उठाते दिख जाती है |ऐसे लोगों से बचें जो कभी दुखिया नारी तो कभी शशक्त महिला बनके उभरती है |शायद ये बात आपको लोग को कड़वी लग सकती है लेकिन मैं अपने अनुभव से आपको बताया है |और फेमिनिस्म का सपोर्ट करे लिंगवाद को खतम करने की कोशिश करे |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3his5zY
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