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#नारीवाद
essentiallyoutsider · 2 years
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फ़रवरी
देवी प्रसाद मिश्र
(एक)
युवा होने के ख़तरों से मैं दूर आ गया हूँ लेकिन नसों में कितनी ही फ़रवरियों का ख़ून बह रहा है
फ़रवरी में फ़रवरी से बेहतर महीना ढूँढने का
यह वक्त नहीं है
मनुष्यों से अधिक पेड़
एक नयी दुनिया बनाने के संकल्प से भरे हैं
लेकिन नये पत्ते नये अर्थ का प्रतीक बनने से
गुरेज़ कर रहे हैं
कौन जाने यह वसंत है भी कि नहीं –
अनिश्चयों के इस शमशेर सन्नाटे में
राजनीति को मैं बदल नहीं सका
पर्दे मैंने बदल दिये हैं कि तुम आओगी
नई माचिस ले आया हूं कि रगड़ते ही जल उठें तीलियाँ और भक्क से निकलने वाली हँसी और आग में मैं चाय बनाता रहूँ
और तुम मुझे देखो
एक मनमाने स्वतंत्रचेता पशु की
लाल आँखों से कि
कोई भी प्रेम अपूर्णता ही क्यों है
व्यक्तियों को न बदलने के अवसाद के साथ मैंने चादर बदल दी है अधिक फूलों वाली चादर की जगह ज़मीन के रंग वाली चादर बिछा दी है
यह एक अनाथ भूभाग है
इच्छाएं हमें जहाँ निर्लज्ज बना देंगी
लालसा के तारे दमक रहे होंगे
विद्रोही वासना के सूने आकाश में
होगा उल्कापात पूरी रात
तामसिक उजाले में हम होते जाएंगे अगाध और अप्रमेय की गोधूलि का झुटपुटा
वैधता का धर्मग्रंथ मैं फाड़ दूँगा
कुछ भी नहीं होगा सोशली करेक्ट
पोलिटिकल करेक्टनेस हासिल कर लेंगे
ठीक ही कहा था लेनिन ने कि
रणनीतियाँ प्रक्रिया में बनती हैं;
बहुत पहले से तो पूर्वग्रह होते हैं- यह मैंने कहा लेकिन क्या तुमने सुना
हमारे बीच हुई
हिंसाओं में दृष्टिकोण,
चयन और आग्रहों का रक्तपात है
तुम्हारा आना एक दृष्टिकोण का आना है जिसकी जगह बनाने के लिए मैंने कमरों की जो सफाई शुरू की तो इतनी धूल उड़ी कि पड़ोसी गोली मारने आ गया जिससे मैंने कहा कि प्रेम करने के बाद मैं मरने के लिए उसके घर आ जाऊँगा ज़्यादा नाराज़ होकर वह लौट गया यह कहते हुए कि उसकी हिंदू चाय को लेकर मेरी अन्यमनस्कता मुझे महँगी पड़ेगी
मुझसे बेहतर कवि होने के लिए
मुझसे अधिक दुख उठाने होंगे
और मुझसे खराब कविता लिखने के लिए
करने होंगे वैचारिक अपराध
भागती रेलगाड़ी की खिड़की के पास बैठा अच्छी कविता लिखने का फार्मूला बाहर फेंकता ब्लू-ब्लैक स्याही की दवात-सा मैं प्रगाढ़तर होता उजास हूँ अगर हवास हूँ
मेरे गाँव का नाम हरखपुर है- यहाँ के नारीवाद पर मैं किताब ढूँढ रहा हूँ कवितावली वाली अवधी में राउटलेज और सेज की किताबें मध्यवर्गीय धर्मग्रंथ हैं
नहाने की जगह मैंने रगड़कर साफ़ की
तेज़ाब से मेरी जल गईं उंगलियाँ
दुनिया के दाग़दार फर्श को इतनी ही शिद्दत से साफ़ करूँगा यह तय किया है
बाथरूम के शीशे में मेरा चेहरा उस आदमी के चेहरे-सा था जिसके राज्यसत्ता के साथ बहुत बुरे सम्बन्ध रहे- वह स्याह पूरे घर में फैल गया है
भारतीय वसंत और पतझड़ के बीच फैले इस अपारदर्शी में अब और भी जरूरत है मुझे तुम्हारी प्यार और अपरायजिंग में होती पराजयों ने मुझे
रोते हुए हँसने का नमूना बना रखा है
मेरे पास आना एक ज़ख्मी आदमी की
कराह सुनने के धीरज के साथ आना है
मेरे और निराला के तख्त के बीच बमुश्किल तीन मील का फासला होगा- मैं इलाहाबाद की आंख और घाव से टपका खून का आख़िरी कतरा तो नहीं ही हूँ
मैंने घर को तुम्हारे आने के लिए तैयार कर रखा है जबकि तुमने कह दिया है कि तुम नहीं आओगी फ़रवरी में – कारण न मैं जानता हूँ न तुम
प्रेम एक टेढ़ी नदी है जो पहाड़ों की घाटियों से शिखरों की तरफ बहती है उल्टी
उल्टियाँ करने का मेरा मन होता रहा है
सिर कितना घूमताssरहा है गेंदबाज़ चंद्रशेखर की लेग स्पिन- सा
तुम्हें याद करना एक बोझ उठाना है
और न याद करना निरुद्देश्य पर्वतारोही हो जाना है
शोकसभा के बाद बिछी रह गई दरी सी है
फरवरी
अट्ठाईस दिनों की फ़रवरी में अगर तुम नहीं आ रही हो तो इसे मैं तीस और इकतीस दिनों का कर दूँगा
इससे ज्यादा क्या चाहती हो क्या कर दूँ पूरा कैलेंडर बदल दूँ ?
(दो)
मैं तुम्हें विचलित करने के लिए कहता हूँ कि तुम अविश्वसनीय हो इसलिए उत्तेजक हो
तुम कहती हो कि तीन साल पुराना प्रेम डेढ क्विंटल राख है
प्रेम के फ़ायरप्लेस में अब संस्मरणों की सूखी लकड़ियाँ जल रही हैं
जलाने के लिए तुम्हारी चिट्ठियाँ नहीं हैं मेरे पास तुम्हारी आवाज़ है और उसके अपरिमित संस्करण जो मुझे पहाड़ों की तरह घेरे रहते हैं और ऐन छत को छूकर गुज़रते हवाई जहाज़ की तरह गूँजते हैं
यह बता पाना मुश्किल है कि तुम्हें याद करना वृत्त में घूमना है या एक दीवार को छूकर दूसरी दीवार तक जाना है- तुम्हारी स्मृति कारावास है या आभासीय आवासीयता का अनोखा आसमान
हम अलगाव के उजाड़ तुग़लकाबाद में घूम रहे हैं
हमने गणतंत्र दिवस पर एक दूसरे से स्वतंत्र होने का अभिनय किया दो राष्ट्र बना लिए और एक कँटीली फेंस डाल दी बीच में और ज़ल्दबाज़ी में एक दूसरे का संविधान उठा लाये
इतना दुख था कि जैसे प्रेम में घायलों की आख़िरी प्रजाति थे हम और आसक्ति की संस्कृति में कई बार मरने के क्रम का पहला मरना
हमारी स्वायत्तता अब
हमारा अकेलापन है
मालूम है
आधुनिकता अपारगम्य कलह है
तुम्हारी तरफ जाने वाला रास्ता
और मेरी तरफ आने वाली पगडंडी
इस बात की मिसाल हैं
कि हमने सरल को समाधान नहीं माना
मंगलेश के साथ हिंदी के हर सरल वाक्य की मृत्यु हो गई क्या
तुम्हारा फोन नहीं आ रहा इक्कीसवीं सदी के पहले चतुर्थांश का यह अहंवाद है जिसमें स्त्री बोहेमियन हो सकती है
मेरे पास हजारों साल पुराना पुरुष होने का नियंत्रक अहंकार है जो एकनिष्ठ होने का नाट्य कर सकता है और जो एकाधिकार की दार्शनिकता को अभिपुष्ट कर सकता है
मोबाइल एक ब्लैक बोर्ड क��� तरह ख़ाली है जहाँ नहीं चमकता तुम्हारे संदेश का लाल तारा
व्हाट्सऐप हरे चौकोर घास के मैदान सा निर्जन है
यह डूबने के लिए झुका हुआ जहाज है
पूरा नहीं ध्वस्त है आधा जला बंदरगाह
भूख के उदाहरणों से भरे शहर में
प्रेम छीन लिया गया
जैसे थाली हटा ली जाती है
बुभुक्षु के सामने से
क्या प्रेम सेक्स के रनवे  तक पहुँचने की खड़ंजा वाली मनरेगा रोड भर है
तुमसे अलग होने का दुख पूछता रहा है कि क्यों खत्म होता है आरंभ- वह चाहता है कि लौट आए उस पहले वाक्य की उदग्रता उस दूसरे वाक्य की उसाँस उस तीसरे वाक्य का धैर्य उस नवें वाक्य की असहमति उस तेरहवें वाक्य का विषण्ण और जो इस निरुपाय हठ से भरा है कि फरवरी के फर फर में उड़ती धूप के पर्दे पर उसकी कथा फिल्म देखी जाये निस्सहायता परिभाषित हो और पारस्परिकता के नष्ट होने को एक बड़ी त्रासदी माना जाये
यह प्यार का एकेश्वरवाद था- पत्थरों की उपासना के वैविध्य से भरा बहुदेववाद: पत्थर के सनम, तुझे हमने मुहब्बत का ख़ुदा माना
एक ढहते हुए रेस्तरां में एक मेज़ और आमने सामने रखी घुन खाई दो कुर्सियाँ संवाद के आख़िरी नमूने हैं
उच्चस्थानीय एक प्रतिशत के पास चालीस प्रतिशत और आखिरी पचास प्रतिशत के पास तीन प्रतिशत परिसंपत्ति है और यही हमारी केंद्रीय विपत्ति है, यह कहकर हमने एक दूसरे को कॉमरेड कहा और फिर कभी बात न करने का फैसला किया
रेनेसां की बजाय हमारे पास धार्मिक छिछोरापन है, गाय बचाने की पाशविकता और मनुष्य मारने का सलफास और नागरिकता का मुँह चमकाने की फिटकिरी और हर साल कला और साहित्य के लिए दिये गये पुरस्कारों का कई टन तांबा, टीन और लक्कड़
जले हुए प्रेम के पुस्तकालय के नालंदा के उजाड़ में हैं हम
पत्तों के वस्त्र पहनकर मैं जंगल की तरफ जा रहा हूँ तुम भी आ जाओ री, अनिवारणीय ! सुबह के झुटपुटे अनार के रंग वाली
आओ,
हम प्रकृति के दो पर्ण हो जाएँ
और हिंदी के आरंभिक
उत्तर-मनुष्य
हम दुर्भाग्य के मारे हैं हमारे पास
न नवजागरण है और न साम्यवाद
और न अनीश्वरवाद का महास्नान
एक डग डग प्रधानमंत्री और एक धक धक पूंजीपति के बीच हम क्रांति में न मरने का जेनेटिक डिज़ाइन
और वंशानुगत इनसेस्टुअस मतदाता होने की हेडलाइन हैं भारतीय लोकतंत्र में इच्छाओं
का प्रतिनिधित्व नहीं आसान
क्या अपराधी ही बनाते हैं सरकार, मेरी जान.
_______________
(देवी प्रसाद मिश्र की कविता फ़रवरी का पहला हिस्सा ‘फ़रवरी-एक’ सदानीरा पत्रिका  में भी प्रकाशित हुई है. यह उसका संवर्धित रूप है.)
देवी प्रसाद मिश्र
10 notes · View notes
bbrfi · 5 months
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महिलाओं की मनोवैज्ञानिक समस्याएं और काउंसिलिंग
भारत में महिलाओं की कई योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया है, जैसे - लिंग समानता, नारीवाद, महिलाओं के अधिकार इत्यादि। फिर भी भारत में आज भी पुरुषों और महिलाओं के बीच एक बड़ी मानसिक खाई है। इसलिए पुरुषों की मानसिक समस्याएं अलग हैं और महिलाओं की मानसिक समस्याएं अलग हैं।
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महिलाओं की काउंसिलिंग करते समय काउंसलर को विशेष ध्यान रखना पड़ता है। महिलाओं की समस्या वास्तव में कभी न खत्म होने वाला विषय है क्योंकि जीवन भर महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कई तरह के परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। महिलाओं को आज भी समाज में दुय्यम स्थान दिया जाता है- बस यही परिवर्तन अभी तक नहीं हुआ है। ....और अधिक पढ़ने के लिए क्लिक करें
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sphhindi · 7 months
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विजय!
कैलाश, प्रथम हिंदू राष्ट्र, गर्व से यह घोषणा करता है कि हम 40 से अधिक हिंदू-विरोधी और अपमानजनक लेखों को हटाने की मुहिम मे सफल हुए हैं । 7 फ़रवरी 2024 2 फरवरी, 2024 को माननीय न्यायालय ने एसपीएच के खिलाफ हिंदू विरोधी तत्वों द्वारा दायर निराधार, दुर्भावनापूर्ण मामले को खारिज कर दिया। इसने अन्य हास्यास्पद और वीभत्स आरोपों के अलावा अपहरण, बाल तस्करी और अवैध कारावास के निराधार आरोपों को खारिज कर दिया। इन आरोपों के कारण कैलाश के योगिनी सर्वज्ञपीठम पर क्रूर हमला और अवैध विनाश किया गया था, जिससे इसके संयासिनीयों और पारंपरिक स्कूल या गुरुकुल के छात्रों के जीवन और धार्मिक अधिकारों को ख़तरा पैदा हुआ था। माननीय गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात में हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष (एसपीएच), भगवान श्री नित्यानंद परमशिवम और कैलाश के खिलाफ हिंदू विरोधी ताकतों द्वारा रचित झूठे मामले में सभी आरोपों को खारिज कर दिया। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद, प्रमुख कॉर्पोरेट मीडिया घराने, जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया (भारत), द क्विंट (भारत), वनइंडिया तमिल (भारत), डीएनए (भारत), न्यूज 18 (भारत), जागरण (भारत), याहू (सिंगापुर) ), ला प्रेंसा लैटिना (यूएसए)। इससे पहले, वाशिंगटन पोस्ट (यूएसए), एमएसएन (यूएसए), नवभारत टाइम्स (भारत), विजय कर्नाटक (भारत), समयम मलयालम (भारत), टीवी9 (भारत), द वीक (भारत), इंडिया पोस्टेन (भारत), आउटलुक मैगज़ीन (भारत), दिनामलार (तमिलनाडु, भारत), इटली 24 (इटली), प्लू 7 (ब्राज़ील), द रुएटिर (यूएसए), ओरिएंटलडेली (मलेशिया), टिकर.टीवी (यूएस), कोलाडा न्यूज़ (सेनेगल), और वणक्कम मलेशिया (मलेशिया) ने दुष्प्रचार करने वाले अपने हिंदू विरोधी मानहानिकारक लेखों को अप्रकाशित कर दिया। पिछले दो महीनों में अमेरिका, भारत, ब्राजील, इटली, मलेशिया, सिंगापुर और सेनेगल समेत कई देशों से अंग्रेजी, चीनी, फ्रेंच समेत कई भाषाओं जैसे हिंदी, कन्नड़, मलयालम, स्पेनिश, पुर्तगाली और तमिल में हटाए गए। ऐसे अपमानजनक हिंदू विरोधी लेखों की कुल संख्या 40 से अधिक हो गई है। हिंदू विरोधी मीडिया द्वारा इन झूठे आरोपों का दुर्भावनापूर्ण प्रसार, न केवल गुजरात में बल्कि विश्व स्तर पर, एसपीएच और कैलाश के चरित्र हनन का एक ठोस प्रयास था, जिससे इसके मानवीय प्रयासों और मूल रूप से हिंदू नारीवाद और महिला सशक्तिकरण के पुनरुत्थान में बाधा उत्पन्न हुई। KAILASA के मिशन का. एक तरफ, इतने बड़े पैमाने पर सामग्रियों को हटाया जाना दुष्प्रचार और सनसनी फैलाने पर सच्चाई की जीत को दर्शाता है; दूसरी ओर, यह उस कठिनाई और उत्पीड़न को भी दर्शाता है, जिसमें एसपीएच नित्यानंद परमशिवम और कैलाश के हिंदुओं को नफरत फैलाने वाले भाषण, पूर्वाग्रह भड़काने और हिंसा भड़काने के माध्यम से गुजरना पड़ा। तथ्य यह है कि इस हिंदू विरोधी दुष्प्रचार ने कई भौगोलिक क्षेत्रों और भाषाओं को लक्षित किया है, यह दर्शाता है कि हिंदू विरोधी तत्वों की साजिश एसपीएच नित्यानंद परमशिवम और कैलाश को लक्षित करने और परेशान करने के लिए कितनी अच्छी तरह से योजनाबद्ध, परिष्कृत और सुव्यवस्थित है। यह समझ दो अरब हिंदुओं के लिए एक चेतावनी है कि वैध राजनीतिक सुरक्षा के बिना, 56 हिंदू राष्ट्रों के रूप में एशिया के 6 मिलियन किमी² से अधिक क्षेत्र में फैली एक प्रबुद्ध सभ्यता के महान सिद्धांतों, धर्मग्रंथों और विज्ञान पर खतरा मंडरा रहा है। , 200 राज्य, 1700 संस्थान (प्रांत), और 10,000 संप्रदाय (परंपराएं) मानवता के लिए हमेशा के लिए खो जाएंगे। ये जीतें एक बार फिर हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष की बेगुनाही और उनके खिलाफ लक्षित हमलों को रेखांकित करती हैं और उनके और कैलाश के अनुयायियों के खिलाफ चल रहे उत्पीड़न को उजागर करती हैं, जिससे कानूनी संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से समर्थन बढ़ रहा है। प्रेस संपर्क: हिंदू धर्म के परमधर्मपीठ का प्रेस कार्यालय ईमेल: [email protected]
कैलासा #नित्यानंद #गुजरात #विजय #सत्य
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infohotspot · 2 years
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शार्क टैंक इंडिया जजों में से एक के रूप में जानी जाने वाली, Vineeta Singh एक लोकप्रिय बिज़नेस वुमन हैं। उन्होंने अपने पति के साथ SUGAR कॉस्मेटिक्स की सह-स्थापना की और अब ब्यूटी ब्रांड की सीईओ हैं। शार्क टैंक इंडिया शो में उनकी उपस्थिति न केवल सकारात्मक रूप से आकर्षक है, बल्कि लिंग के ���ावजूद लाखों नवोदित उद्यमियों के लिए सशक्तिकरण भी है। वह एक स्व-निर्मित महिला हैं, जिन्होंने न केवल व्यवसाय की दुनिया में महारत हासिल की है, बल्कि काफी संघर्ष के बाद एक परिप्रेक्ष्य भी हासिल किया है। उसके जीवन विकल्पों ने समय में लोगों को आश्चर्यचकित किया हो सकता है लेकिन अब वे उसके आत्म मूल्य और विश्वास को दर्शाते हैं। 2021 तक उनकी सफलताओं और $8 मिलियन की विशाल निवल संपत्ति के पीछे उनका पूर्ण आत्मविश्वास ही प्रमुख कारण है। Shark Tank India Season 1 में Vineeta Singh ने काफी सारे Startups की मदद की थी और उनमे निवेश भी किया था | इस बार Shark Tank Idnia Season 2 के Judges के तौर पर Amit Jain, Aman Gupta, Anupam Mittal, Namita Thapar, Vineeta Singh & Piyush Bansal रहेंगे | हमने यहाँ सभी के बारे में जानकारी दी हे | देखिये Vineeta Singh Linkedin प्रोफाइल भी | उनका जन्म 1984 में हुआ था और वे दिल्ली में पली-बढ़ी हैं। जब उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी की, तो उन्होंने IIT, मद्रास में प्रवेश के लिए कड़ी मेहनत की। 17 साल की उम्र में, उसने एक व्यवसायी होने की कल्पना की। उसी की तैयारी के लिए वह IIM अहमदाबाद में शामिल हुईं। अंततः उन्हें एहसास हुआ कि वास्तव में एक होने से ही कोई उद्यमी बन सकता है। इसके चलते उसने नौकरी की पेशकश को खारिज कर दिया। वह शायद एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने इस तरह के आर्थिक रूप से आकर्षक करियर के अवसर को लेने से इनकार कर दिया। उसने अपनी बचत पर जीवित रहने और व्यवसाय शुरू करने का विकल्प चुना। वह अपने पहले उद्यम के लिए एक स्वस्थ बाजार प्रदान करने में विफल रही, जिसने उसे पदावनत करने के लिए पछतावा करना शुरू कर दिया।जल्द ही, उसने दौड़ना शुरू कर दिया जिससे उसे सही आत्मविश्वास मिला। वह अभी भी बहुत अधिक शामिल है क्योंकि उसने आयरनमैन ट्रायथलॉन भी पूरा कर लिया है। उसके धैर्य और कभी हार न मानने के रवैये ने जल्द ही SUGAR कॉस्मेटिक्स के पैर जमाने का मार्ग प्रशस्त किया। इस ब्रांड को अच्छी तरह से प्राप्त होने का कारण भारतीय बाजार के लिए इसकी विशिष्टता थी। भारत में उपभोक्ताओं के लिए वास्तव में उन उत्पादों का उपयोग करना दिलचस्प था जो विशेष रूप से उनकी त्वचा और स्थितियों के लिए तैयार किए गए हैं। उनके ब्रांड के सबसे सराहनीय गुणों में से एक महिला सशक्तिकरण है। उनकी टीम में 75% महिलाएं हैं. यह नारीवाद और लैंगिक समानता में उनके विश्वास को दर्शाता है। उनके व्यवसाय और जीवन साथी, कौशिक मुखर्जी अक्सर उन्हें पूरक और प्रेरित करते देखे जाते हैं। विनीता दो बच्चों की मां हैं। वह एक माँ के साथ-साथ एक उद्यमी होने के अपने संघर्षों के बारे में मुखर रही हैं लेकिन उनके बच्चों की स्वस्थ मुस्कान इसे योग्य बनाती है। विनीता एक प्रेरक स्वतंत्र महिला हैं, जो निश्चित रूप से कई स्टैन हासिल करने में कामयाब रही हैं, क्योंकि उनका दृढ़ विश्वास उनकी शक्ति को दर्शाता है।
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parichaytimes · 2 years
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ईरानी महिलाओं के समर्थन में उर्वशी रौतेला ने काटे बाल, फैंस की प्रतिक्रिया | बॉलीवुड
ईरानी महिलाओं के समर्थन में उर्वशी रौतेला ने काटे बाल, फैंस की प्रतिक्रिया | बॉलीवुड
उर्वशी रौतेला उन कई सेलेब्स में शामिल हैं, जिन्होंने ईरान में महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने बालों को काटते हुए खुद को फिल्माया है। अपने बाल कटवाते हुए खुद की तस्वीरें साझा करते हुए, अभिनेता ने ईरान में विरोध, नारीवाद और अंकिता भंडारी की मौत के बारे में एक लंबा नोट भी लिखा, जिसकी कथित तौर पर पिछले महीने उत्तराखंड में हत्या कर दी गई थी। यह भी पढ़ें: उर्वशी रौतेला ने ऋषभ पंत का पीछा करने के…
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allgyan · 4 years
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फेमनिस्म और भारतीय नारीवाद -
नारीवाद एक बौद्धिक, दार्शनिक और राजनीतिक सम्वाद श्रंखला है जिसका केन्द्र में महिलाओं के लिए समान अधिकार और कानूनी संरक्षण का विचार निहित होता है। नारीवाद की संकल्पना में विभिन्न आन्दोलन, सिद्धान्त, दर्शन आदि समाहित होते है । जो लैिगक असमानता, नारी अधिकार और नारी हितों से संबद्ध होते है ।यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों के कानूनी संरक्षण के लिए वो संघर्ष नहीं करना पड़ा जो पश्चिमी देशों की महिलाओं ने किया। भारतीय नारीवाद भी को इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। ये कह पाना तो मुश्किल है |हालाँकि ज़मीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्तर पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं।
भारत में नारीवादी आन्दोलन  को पुरषों ने प्रारंभ किया
उपनिवेशी शासन के आगमन के साथ ही प्रजातंत्र, समानता और व्यक्तिगत अधिकारों की अवधारणा को बल प्राप्त हुआ। राष्ट्रवाद और भेदभावपूर्ण परंपराओं के आत्मविश्लेषण ने जाति व्यवस्था और लैंगिक समानता संबंधी सामाजिक सुधारों के आन्दोलन को जन्म दिया । भारत में प्रथम चरण के नारीवादी आन्दोलन को पुरूषो (जैसे की राजाराम मोहन राय ) ने प्रारंभ किया ।इस आन्दोलन के केन्द्र में सती प्रथा, विधवा विवाह, महिला साक्षरता, महिला संपत्ति अधिकार आदि ऐसे मुद्दे थे जिनका कानूनी तौर पर समाधान करने के प्रयास किये गये ।
नारीवाद की नींव-
ऐसा माना जाता है की नारीवाद की एक झलक प्राचीन रोम में 3rd सेंचुरी में देखने को मिला था |जब एक महिलाओं का एक समूह मोर्चाबंदी की थी एक कानून को निरस्त करने के लिए जो उस समय की सीमित महिलाओं को ही को महंगे सामान प्रयोग करने का अधिकार देता था |वैसे तो ये एक अलग ही घटना थी |जिसको पहली बार क्रिस्टीन दे पिसान ने सबकी नज़र में लाया था |वो एक बहुत बड़े थिंकर थी  |लेकिन ये भावनाये उनके लिखे हुए निबंधों में दीखता जरूर था |महिलाओं के शिक्षा के लिए उन्हें कई आंदोलन भी किये है |उसका बाद नारीवाद को बढ़ावा देने के लिए एक और फ्रेंच लेखिका ने इसको आगे बढ़ाया |
ओलेम्प डे गॉज एक फ्रांसीसी नाटककार और राजनीतिक कार्यकर्ता थे जिनके लेखन महिलाओं के अधिकारों और उन्मूलन पर विभिन्न देशों में बड़ी संख्या में दर्शकों तक पहुंचे। उन्होंने एक पुस्तक लिखी -"Declaration of the Rights of Woman and of the [Female] सिटीजन" ये बात 1791 की है | ऐसा माना जाता है की पहले यूरोपियन कांटिनेंट में ही इसका विकास हुआ था |
मैरी वुलस्टोनक्राफ़्ट नारीवाद का झंडा बुलंद किया -
मैरी वुलस्टोनक्राफ़्ट 18 वीं शताब्दी की ब्रिटिश प्रोटो-फेमिनिस्ट द्वारा लिखित राजनीतिक और नैतिक विषयों पर महिलाओं के अधिकारों का उल्लेख किया था और नारीवादी दर्शन की बात की थी। A Vindication of the Rights of Woman  ये उन्होंने 1792 में लिखा था |उनका मानना था की महिलाओं को भी समानता का अधिकार मिले | अगर वो खुद को पुरषों से कम समझती है तो उनमे शिक्षा की कमी है |ये पहला इंग्लिश भाषा में टेक्स्ट था |उसके बाद अमेरिकन चुनाव में पहली बार खड़ी एक महिला ने सबका अपनी ओर ध्यान खींचा उनका नाम था -विक्टोरिया वुडहल |उन्होंने इक्वल राइड पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर 18वें राष्ट्रपति उल्सिस एस ग्रांट के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह बड़े अंतर से चुनाव हार गईं क्योंकि तब अमेरिकी समाज में सभी महिलाओं को न तो मतदान करने का अधिकार था और न ही उन्हें पुरुषों के बराबरी का समझा जाता था।
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rangcafe · 3 years
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इश्तिहार के नाम ख़त,
मैं हूँ आपका मेज़बान सूफी। मैं आज लिखना चाहता हूँ इस दौड़ को एक ख़त, जिन्हें विज्ञान और कला के समाज में चाहिए एक पत्नी ,जो जानती हो गुलामी। नहीं मैं कोई मसीहा बन के कुछ बोलने नहीं आया हूँ, मैं असल में memes बनाता हूँ। memes का वास्ता भले ही misogyny से आज ज्यादा संदर्भ रखता हो। मगर, मैं जानता हूँ यह भी जनसंपर्क का एक बड़ा जरिया बन चुका है। इसी प्रक्रिया में, मैं तमाम पेज ,कवि, लेखकों का मुआयना करता रहता हूँ। मुआयना करते हुए मैं एक ऐसे मित्र से टकरा गया, जिसने इश्तिहार छाप रखा था। अपनी ही शादी का, बिल्कुल वैसे ही जैसे अखबारों में छपता है ।
फर्क इतना था वहाँ डिमांड पत्र में " लड़की के रंग-रोगन, हाइट-वेट, उसकी जाति विशेष की कोई बात नहीं थी" अहा ! मियाँ बहुत चतुर थे, भाषा बदल के उन्होंने डिमांड में एक गुलाम से शादी करने की अपनी जरूरतों की घोषणा की थी। एक ऐसा साथी पाने की इच्छा जाहिर की, जो अपनी रुचि के क्षेत्रों में स्थायी रूप से सक्रिय ना हो। सरल भाषा में कहूँ तो लक्ष्यविहीन हो। जहाँ आप किसी की उपस्थिति का आग्रह कर रहे हैं, जो बात-विवाद करने की स्थिति में नहीं हो सकती है या जो अपने विचारों को चित्रित नहीं कर सकती है मौजूदा परिदृश्यों और संबंधों के संदर्भ में, और इसकी संभवता तभी तय होती है जब एक स्त्री अनेक स्तरों पर अयोग्य हो। तमाम स्त्रियाँ जो सालों साल तक चार दिवारी के भीतर अपने सपने, लक्ष्य और कला का परित्याग कर एक वेदना भरा जीवन जीती हैं , और समाज सरलता से मान लेता है कि घर की सेटिंग का जिम्मा अर्थात् स्त्रीलिंग। फिर #कूल बनने की जद्दोजहद में महाशय इश्तिहार में लिखते हैं " डेटिंग साइट चलाने की भी अनुमति होगी" । यह सारे दृश्य महानुभाव के पितृसत्तात्मक वर्चस्व का वर्णन करते हैं। जिस गुण की महिला साथी इन्हें चाहिए ,जाहिर करता है कि दुनिया के अनंत सफर तय करने के बाद जब आज महिलाएं तमाम पद -पदवी,और विविध क्षेत्रों में अपने कार्यों और उपलब्धियों के परचम लहरा रहीं हैं, वहीं एक सामाजिक तबका उनके वजूद को पितृसत्तात्मक परिभाषा के तहत सीमित करना चाहता है।
अंतः वह लोगों को इस बात की भी इजाज़त देते हैं कि इश्तिहार को हास्य में भी लिया जा सकता है। मगर नारीवाद को चोटिल करने का प्रयास करना किसी भी रूप में हास्य हो, यह अमान्य है ।
इश्तिहार, सामाजिक संरचना में पितृसत्ता और फांसीवादी मूल्यों का आवाहन करता हुआ मालूम पड़ता है । इस इश्तिहार से मेरी प्रेमिका, माँ, दोस्तों और बहनों को जो आहत हुआ होगा ,उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ।
मेरे आस-पास की स्त्रियाँ एक मजबूत सामाजिक हिस्सा है, जिन्हें देश-विदेश में गौरव प्राप्त है और जो अपने लक्ष्यों को अग्रसर है तथापि अपने लिए जीवनसाथी चुनने में भी स्वयं सामर्थ रखती हैं। और हम पुरुष वर्ग विशेष भी योग्य समाज में योग्य स्त्रियों की कामना करते हैं तथा ऐसे पुरुषों की आलोचना करते हैं ।
आप का अपना
- सूफी
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Gunjan Saxena Movie Download 720p Hd 480pHd
Gunjan Saxena
Quality : WEB-DL
Resolution : 1080p, 720p, 480p
IMDb : / 10
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Directors : N/A
Genres : Action, Biography | Drama| Netflix Exclusive
Stars :
Language : Hindi
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Gunjan Saxena Full HD Download
Gunjan Saxena: The Kargil Girl 2020 की एक Indian Hindi-language biographical film है जिसे की direct किया गया है Sharan Sharma जी के द्वारा और वहीँ इसे produce किया गया है Dharma Productions और Zee Studios के अंतर्गत.
इस film के stars में शमिल हैं Janhvi Kapoor वो भी Indian Air Force pilot Gunjan Saxena के भूमिका में, जो की भारत की पहली Indian female air-force pilot भी हैं combat में, वहीँ उनका साथ दिया है Pankaj Tripathi और Angad Bedi ने supporting roles में.
इस film को announce किया गया था 26 December 2018 को जिसमें की Jhanvi ने अपनी first look share किया था. Principal photography commenced को बाद में October के महीने में शुरू किया गया. फिल्म को ज्यादातर Lucknow में ही shoot किया गया है. Netflix ने इसकी distribution rights को खरीद लिया था और इसे दुनिभर में stream करने वाला है. Gunjan Saxena को Netflix के platform में 12 August 2020 को stream किया जायेगा.
अनुक्रम  छुपाएँ 
1. Gunjan Saxena Movie Download Filmyzilla Leaked Online in HD Quality
2. Gunjan Saxena Netflix Trailer
3. Gunjan Saxena Movie Release Date and Time
4. Gunjan Saxena Story
5. Gunjan Saxena Film Cast
Gunjan Saxena Movie Download Filmyzilla Leaked Online in HD Quality

Gunjan Saxena Download : गुंजन सक्सेना – द कारगिल गर्ल, एक नेटफ्लिक्स मूल फिल्म है, जो दंगल के सह-लेखक निखिल मेहरोत्रा द्वारा निर्देशित है और पहली फिल्म शरण शर्मा द्वारा निर्देशित है, निश्चित रूप से अतिरिक्त-प्रधान बॉलीवुड से उभरने के लिए बेहतर सच्ची कहानियों में से एक है.
इसके टेक ऑफ सुचारू हैं और इसकी लैंडिंग स्थिर है. यह अपने हाथ को ओवरप्ले करने के लिए औसत करता है क्योंकि यह नायक के जीवन में बड़े और छोटे संघर्षों को चित्रित करता है. यह भावनात्मक रूप से सच है.
गुंजन सक्सेना – द कारगिल गर्ल सभी ड्रामा को डिस्टर्ब कर देती है कि यह एक करियर से बाहर हो सकता है कि वास्तव में एक श्रमसाध्य पीस था. गुंजन सक्सेना (जान्हवी कपूर) सभी दशकों के पूर्वाग्रह के सामने उड़ने और नई जमीन तोड़ने के बाद थी.
Gunjan Saxena Netflix Trailer
यहाँ पर आप Gunjan Saxena Download Worldfree4u की Trailer को online देख सकते हैं.
कुछ लोकप्रिय फिल्म्स जैसे की Detective Byomkesh Bakshy, Sonchiriya, Dil Bechara, Pareeksha, Shakuntala Devi, Bandish Bandits, Yaara, Lootcase इत्यादि भी इसके सिकार हो चुके है.
Gunjan Saxena Movie Release Date and Time
Gunjan Saxena को 12 August 2020 at 09:00 am IST को release कर दिया है worldwide में. वहीँ यदि आपके पास Netflix की Subscription मेह्जुद हैं तब आप इसे Online Stream कर देख सकते हैं. वहीँ इसे आप चाहें तो Download भी कर सकते हैं अपने Mobile या Computer में.
Gunjan Saxena Story
Gunjan Saxena की कहानी की बात करें तब, जान्हवी कपूर ने गुंजन सक्सेना: परम कारगिल गर्ल, भारतीय वायु सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट की बायोपिक में बुधवार को नेटफ्लिक्स पर काम किया. यह उड़ी के रूप में उतने ही चालाक नहीं है: सर्जिकल स्ट्राइक, लेकिन ताज़ा तौर पर, न तो इसकी राजनीति समस्याग्रस्त है.
गुंजन सक्सेना उस अति-राष्ट्रवाद की सदस्यता नहीं लेते हैं, जो हाल ही में भारतीय युद्ध फिल्मों ने इतने गर्व से अपने सीने पर पहना है. इसके बजाय, निर्देशक शरण शर्मा ने पूरी तरह से अलग, लेकिन समान रूप से कांटेदार विषय का पता लगाने के लिए चुना है: नारीवाद.
Gunjan Saxena Film Cast
चलिए अब जानते हैं Gunjan Saxena Web Movie की पूरी Cast क्या हैं.
MovieGunjan SaxenaArtistsJanhvi Kapoor | Pankaj Tripathi | Angad BediDirectorSharan SharmaMovie TypeBiographical | Inspirational | Drama
गुंजन अपनी स्पष्ट प्रतिभाओं के बावजूद कष्ट सहती है, लेकिन वह अपने कौशल को धैर्यपूर्वक विकसित करती है, जब तक कि उसे युद्ध में अपनी शक्तियों को प्राप्त करने के लिए नहीं बुलाया जाता है. गुंजन को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में लिखकर, जिसका पहला प्यार उनके देश की सेवा नहीं है, लेकिन उड़ान, शर्मा उबेर-देशभक्ति युद्ध फिल्मों पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है.
यह गति का एक स्वागत योग्य परिवर्तन है, विशेष रूप से भारत में, जहां युद्ध फिल्मों के लिए बेंचमार्क जेपी दत्ता की फिल्मोग्राफी द्वारा निर्धारित किया जाता है.
बॉलीवुड बायोपिक्स में ज़्यादा गरम फिक्शन में बदलने की प्रवृत्ति है. यह ने नहीं है. इसका कारण फिल्म के पाठ में विनीत रूप से लिखा गया है. एक प्रमुख दृश्य में, गुंजन ने स्वीकार किया कि वह केवल वायु सेना में शामिल हो रही है क्योंकि उसे उड़ना पसंद है और देशभक्ति के आग्रह के कारण नहीं.
“मुझे आशा है कि मैं अपने सपने को पूरा करने की कोशिश में गद्दार नहीं बन रही हूँ,” वह अपने पिता से पूछती है. वायु सेना, लेफ्टिनेंट कर्नल ने जवाब दिया, ऐसे कैडेट्स की जरूरत नहीं है जो भारत माता की जय के नारे लगाते हैं लेकिन जोशीले कार्मिक हैं जो ईमानदारी के साथ अपना काम करते हैं.
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studycarewithgsbrar · 2 years
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महिला समानता दिवस 2022: नारीवाद और समानता के विचार लाने वाले वेब शो
महिला समानता दिवस 2022: नारीवाद और समानता के विचार लाने वाले वेब शो
नई दिल्ली: महिला समानता दिवस हर साल 26 अगस्त को मनाया जाता है। दिन . के सम्मान में मनाया जाता है संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 19वें संशोधन को अपनाया गया, जिससे महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला। जबकि सभी जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है, महिला समानता दिवस विशेष रूप से सार्वभौमिक मताधिकार प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। पीढ़ियों से महिलाओं के निरंतर…
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sphhindi · 2 years
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निर्णय लेने वाली प्रणालियों में महिलाओं के समान और समावेशी प्रतिनिधित्व
22 फरवरी, 2023 को, संयुक्त राज्य कैलाश की महिला प्रतिनिधियों ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में "निर्णय लेने वाली प्रणालियों में महिलाओं के समान और समावेशी प्रतिनिधित्व" पर एक सामान्य चर्चा में भाग लिया।
अपने 84वें सत्र में, महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव उन्मूलन समिति ने सभी प्रकार के भेदभावों के उन्मूलन पर कन्वेंशन के ढांचे के भीतर "निर्णय लेने वाली प्रणालियों में महिलाओं के समान और समावेशी प्रतिनिधित्व" पर सामान्य चर्चा का आधे दिन का आयोजन किया। आधे दिन की आम चर्चा ओएचसीएचआर द्वारा आयोजित की गई थी।
इस अर्ध दिवसीय सामान्य चर्चा  का उद्देश्य निर्णय लेने वाली प्रणालियों में महिलाओं के समान और समावेशी प्रतिनिधित्व पर एक सामान्य सिफारिश की समिति द्वारा विस्तार तैयार करना था। सामान्य अनुशंसा का उद्देश्य कन्वेंशन के पक्षकारों को उन उपायों पर मार्गदर्शन प्रदान करना है, जिन्हें उन्हें निर्णय लेने की प्रणाली में समान और समावेशी प्रतिनिधित्व के लिए महिलाओं के मानवाधिकारों का सम्मान, सुरक्षा और पूर्ति करने के अपने दायित्वों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अपनाना चाहिए। संयुक्त राज्य कैलाश प्रथम संप्रभु राष्ट्र है जहां 2 अरब हिंदू बिना किसी ग्लानि के रह सकते हैं और अपनी प्रबुद्ध, स्वदेशी परंपराओं और जीवन शैली का उत्सव मना सकते हैं। हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष (एसपीएच) भगवान नित्यानंद परमशिवम, जिन्हें 21 प्राचीन स्वदेशी हिंदू साम्राज्यों के सम्राट के रूप में नियुक्त किया गया है, हिंदू धर्म को पुनर्जीवित कर रहे हैं, प्रबुद्ध हिंदू सभ्यता जिसमें 10,000 अद्वितीय परंपराएं शामिल हैं, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाली परंपराएं शामिल हैं, जैसे कि शाक्त परंपरा।
संयुक्त राष्ट्र में, कैलाश® की महिलाओं ने सर्वप्रथम परमशिव और पराशक्ति की मूर्तियों की पूजा की - पराशक्ति, दैवीय स्त्रैण चेतना परमशिव, आदिम हिंदू देवत्व की पत्नी हैं - और एसपीएच भगवान नित्यानंद परमशिवम की मूर्ति की पूजा की सम्मेलन कक्ष को अनुगृहित कर रहे थे। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव उन्मूलन समिति के 84वें सत्र की शुरुआत से पहले कैलाश की महिलाओं ने एसपीएच का आशीर्वाद लिया। इस कार्यक्रम में कैलाश के प्रतिनिधिमंडल में महामहिम माँ विजयप्रिया नित्यानंद, संयुक्त राष्ट्र में कैलाश की स्थायी राजदूत, माँ मुक्तिका आनंद, कैलाश लॉस एंजिल्स की प्रमुख, माँ सोना कामत, कैलाश सेंट लुइस की प्रमुख, माँ नित्य आत्मदायकी, कैलाश यूके की प्रमुख, मा नित्य वेंकटेशानंद, कैलाश फ्रांस की प्रमुख और कैलाश स्लोवेनियाई की प्रमुख मा प्रियप्रेमा नित्यानंद सम्मिलित हुईं।
संयुक्त राष्ट्र में कैलाश की स्थायी राजदूत, श्रीकैलाश सार्वभौम राज्य (सर्वाधिक प्राचीन हिंदू मठवासी संप्रदाय) की दीक्षित सन्यासी ने हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष (एसपीएच) भगवान नित्यानंद परमशिवम, कैलाश संयुक्त गणराज्य के संप्रभु शासक का एक संदेश उनकी ओर से प्रस्तुत किया। इस संदेश मे नेताओं और निर्णयकर्ताओं के रूप में महिलाओं को सशक्त बनाने में कैलाश की सफलता पर प्रकाश डाला गया था। आज भी, पाँच क्षेत्रों में 82% प्रतिशत महिला सांसदों ने किसी न किसी रूप में मनोवैज्ञानिक हिंसा का सामना किया है, जिसमें सेक्सिस्ट या अपमानजनक यौन हावभाव, चित्र, और टिप्पणी, धमकियाँ और मौबिंग शामिल है। इनमें से लगभग 44% महिलाओं को अपने या अपने परिवार के लोगों को जान से मारने, बलात्कार, हमले या अपहरण की धमकियाँ मिलीं। 31 देशों मे कम से कम 2 करोड़ महिलाओं और लड़कियां महिला जननांग विकृति का शिकार हुई हैं जहां यह प्रथा केंद्रित है।
कैलाश की महिला प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र में हिंदू महिलाओं के लिए एक आवाज के रूप में आईं, तथा अन्य देशों के विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों, सचिवालयों और समिति की अध्यक्ष के साथ बैठक कर उनके साथ कैलाश की सफलता और संसार की समस्याओं के सापेक्ष हिंदू समग्र समाधानों को साझा किया।  कैलाश के प्रतिनिधिमंडल ने कैलाश के संविधान की प्रस्तावना - भगवद गीता - भी गणमान्य व्यक्तियों को प्रदान की।
22 फरवरी, 2023 वैदिक नारीवाद® को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क्षण था। सर्वोच्च स्त्री चेतना, पराशक्ति की हिंदू धर्म की अद्वितीय पूजा, महिलाओं के लिए उच्च सम्मान और स्थिति को प्रदर्शित करती है। आने वाली पीढ़ियों के लिए विश्व स्तर पर महिलाओं के लिए सच्चे सशक्तिकरण, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए, कैलश की प्रबुद्ध हिंदू सभ्यता को पुनर्जीवित करना अनिवार्य है। इसलिए, एसपीएच और कैलाश को प्रताड़ित करने वालों को उत्तरदाई ठहराना और उनके कृत्यों को रोकना आवश्यक है।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0HJs9g9NnDu9BZKXN9TNFpL73gUiKALaz4zAFyxBJr32CHhXjB19gCrLD54k23iusl&id=100044485207419&mibextid=Nif5oz
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jadonsias-psc · 3 years
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022: दुनिया भर में हर साल 8 मार्च को  महिला दिवस के रूप में मनाते  हैं,   महिला दिवस के नाम से ही स्पष्ट है कि ये दिन महिलाओं को समर्पित है। महिला दिवस के माध्यम से हम देश-दुनिया की ऐसी महिलाओं को याद करते हैं जिन्होंने वैश्विक पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इस खास दिन को मनाने का मकसद उन महिलाओं की उपलब्धियों, उनके जज्बे, उनकी ऐतिहासिक यात्राओं और उनके जीवन को याद करना  होता है। हर वर्ष महिला दिवस किसी ना किसी थीम पर आधारित होता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022  की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’  अर्थात मजबूत भव‍िष्‍य के ल‍िए लैंग‍िक समानता जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास एक सदी से भी पुराना है। पहली बार साल 1911 में महिला दिवस मनाया गया था। इस दिन को लेकर लोगों का नजरिया अलग-अलग है। कुछ लोग इस दिन को मनाने का कारण नारीवाद को मानते हैं। हालांकि, इसकी जड़ें श्रमिक आंदोलन से जुड़ी हुई है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के राजनीतिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए ये दिन मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 प्रसिद्ध जर्मन एक्टिविस्ट क्लारा ज़ेटकिन के प्रयास के चलते इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने साल 1910 में महिला दिवस के अंतरराष्ट्रीय स्‍वरूप और इस दिन पब्लिक हॉलिडे को सहमति दी थी। इसके बाद 19 मार्च, 1911 को पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस डेनमार्क और जर्मनी में आयोजित मनाया गया। हालांकि महिला दिवस की तारीख को साल 1921 में बदलकर 8 मार्च कर दिया गया। तब से महिला दिवस पूरी दुनिया में 8 मार्च को ही मनाया जाता है। सबसे पहले साल 1909 में न्यूयॉर्क में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में महिला दिवस का आयोजन किया गया था। फिर 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। तब से धीरे-धीरे तमाम देशों में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। अब अमूमन सभी देशों में इसे मनाया जाता है। कुछ लोग बैंगनी रंग के रिबन पहनकर इस दिन का जश्न मनाते हैं।
महिला दिवस मनाने का क्या कारण है? महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिए दुनिया भर में इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन को इसलिए भी सेलिब्रेट किया जाता है ताकि महिलाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जा सके और उनकी उपलब्धियों पर गर्व किया जा सके।
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allgyan · 4 years
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फेमनिस्म और भारतीय नारीवाद -
नारीवाद एक बौद्धिक, दार्शनिक और राजनीतिक सम्वाद श्रंखला है जिसका केन्द्र में महिलाओं के लिए समान अधिकार और कानूनी संरक्षण का विचार निहित होता है। नारीवाद की संकल्पना में विभिन्न आन्दोलन, सिद्धान्त, दर्शन आदि समाहित होते है । जो लैिगक असमानता, नारी अधिकार और नारी हितों से संबद्ध होते है ।यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों के कानूनी संरक्षण के लिए वो संघर्ष नहीं करना पड़ा जो पश्चिमी देशों की महिलाओं ने किया। भारतीय नारीवाद भी को इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। ये कह पाना तो मुश्किल है |हालाँकि ज़मीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्तर पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं।
भारत में नारीवादी आन्दोलन  को पुरषों ने प्रारंभ किया
उपनिवेशी शासन के आगमन के साथ ही प्रजातंत्र, समानता और व्यक्तिगत अधिकारों की अवधारणा को बल प्राप्त हुआ। राष्ट्रवाद और भेदभावपूर्ण परंपराओं के आत्मविश्लेषण ने जाति व्यवस्था और लैंगिक समानता संबंधी सामाजिक सुधारों के आन्दोलन को जन्म दिया । भारत में प्रथम चरण के नारीवादी आन्दोलन को पुरूषो (जैसे की राजाराम मोहन राय ) ने प्रारंभ किया ।इस आन्दोलन के केन्द्र में सती प्रथा, विधवा विवाह, महिला साक्षरता, महिला संपत्ति अधिकार आदि ऐसे मुद्दे थे जिनका कानूनी तौर पर समाधान करने के प्रयास किये गये ।
नारीवाद की नींव-
ऐसा माना जाता है की नारीवाद की एक झलक प्राचीन रोम में 3rd सेंचुरी में देखने को मिला था |जब एक महिलाओं का एक समूह मोर्चाबंदी की थी एक कानून को निरस्त करने के लिए जो उस समय की सीमित महिलाओं को ही को महंगे सामान प्रयोग करने का अधिकार देता था |वैसे तो ये एक अलग ही घटना थी |जिसको पहली बार क्रिस्टीन दे पिसान ने सबकी नज़र में लाया था |वो एक बहुत बड़े थिंकर थी  |लेकिन ये भावनाये उनके लिखे हुए निबंधों में दीखता जरूर था |महिलाओं के शिक्षा के लिए उन्हें कई आंदोलन भी किये है |उसका बाद नारीवाद को बढ़ावा देने के लिए एक और फ्रेंच लेखिका ने इसको आगे बढ़ाया |
ओलेम्प डे गॉज एक फ्रांसीसी नाटककार और राजनीतिक कार्यकर्ता थे जिनके लेखन महिलाओं के अधिकारों और उन्मूलन पर विभिन्न देशों में बड़ी संख्या में दर्शकों तक पहुंचे। उन्होंने एक पुस्तक लिखी -"Declaration of the Rights of Woman and of the [Female] सिटीजन" ये बात 1791 की है | ऐसा माना जाता है की पहले यूरोपियन कांटिनेंट में ही इसका विकास हुआ था |
मैरी वुलस्टोनक्राफ़्ट नारीवाद का झंडा बुलंद किया -
मैरी वुलस्टोनक्राफ़्ट 18 वीं शताब्दी की ब्रिटिश प्रोटो-फेमिनिस्ट द्वारा लिखित राजनीतिक और नैतिक विषयों पर महिलाओं के अधिकारों का उल्लेख किया था और नारीवादी दर्शन की बात की थी। A Vindication of the Rights of Woman  ये उन्होंने 1792 में लिखा था |उनका मानना था की महिलाओं को भी समानता का अधिकार मिले | अगर वो खुद को पुरषों से कम समझती है तो उनमे शिक्षा की कमी है |ये पहला इंग्लिश भाषा में टेक्स्ट था |उसके बाद अमेरिकन चुनाव में पहली बार खड़ी एक महिला ने सबका अपनी ओर ध्यान खींचा उनका नाम था -विक्टोरिया वुडहल |उन्होंने इक्वल राइड पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर 18वें राष्ट्रपति उल्सिस एस ग्रांट के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह बड़े अंतर से चुनाव हार गईं क्योंकि तब अमेरिकी समाज में सभी महिलाओं को न तो मतदान करने का अधिकार था और न ही उन्हें पुरुषों के बराबरी का समझा जाता था।
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divyabhashkar · 3 years
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दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में नारीवाद कैसे चर्चा का विषय बना
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में नारीवाद कैसे चर्चा का विषय बना
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में नारीवाद कैसे चर्चा का विषय बना Source by [author_name]
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currentnewsss · 3 years
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“It Is Very Sad & Ignorant”
“It Is Very Sad & Ignorant”
जब सोनम कपूर ने अप्रत्यक्ष रूप से करीना कपूर खान को नारीवाद पर लेने के लिए बुलाया (फोटो क्रेडिट – इंस्टाग्राम; विकिमीडिया) सोनम कपूर को देश में न केवल समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों जैसे नीरजा में उनके काम के लिए बल्कि उनके बेहतरीन फैशन सेंस के लिए भी बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है। उसके सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत इंटरनेट पर तूफान ला देते हैं क्योंकि प्रशंसकों को यह देखना पसंद है कि वह अपने अनोखे…
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arsingh · 3 years
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sareideas · 3 years
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देह व्यापार: एक कदम वास्तवीकरण की ओर
देह व्यापार: एक कदम वास्तवीकरण की ओर
BY SHREYA SHUKLA आज 21वीं सदी में नारीवाद की बात तो सब करते हैं नारी और पुरुषों की समानता की बात करते हैं लेकिन नारीवाद की होड़ में बढ़ रहे नारी वास्तुविकरण का क्या ?युगो से ही स्त्री के वस्तुकरण का प्रमाण हमें मिलता है फिर चाहे वह देह व्यापार के रूप में हो दहेज प्रथा के रूप में या फिर भेंट के तौर पर दी गई कन्या , कन्यादान के रूप में। हमने कोई कसर नहीं छोड़ी है स्त्री को मात्र एक वस्तु समझने में…
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