#मिट्टी
Explore tagged Tumblr posts
Text
खाद: प्रकृति का उपहार, हमारी जिम्मेदारी
खाद का अर्थ होता है, खाद्य पदार्थ (पौधों का भोजन), पौधों को पानी के साथ साथ भोजन की भी आवश्यकता होती है। पौधे अधिकतर भोजन प्रकाश संश्लेषण से प्राप्त करते हैं, लेकिन पोषकतत्व (माइक्रो न्यूट्रेंट) जड़ों के माध्यम से पानी के साथ जमीन से ग्रहण करते हैं। भूमि में जो जैविक कार्बन तत्व होता है वह भूमि में जीवन का आधार होता है। यह भूमि में रहने वाले सभी जीव, जीवाणुओं का भोजन होता है। इससे ही भूमि उपजाऊ बनती है और पौधे पनपते है।
रासायनिक खादों की वजह से मिट्टी में यह जैविक कार्बन तत्व कम होता जा रहा है और भूमि बंजर होती जा रही है। रसायनिक खाद रूपी नशा देकर धरती माता का दोहन, बलात्कार किया जा रहा है। एक इंच मिट्टी की परत बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं। दिनों दिन मिट्टी कम होती जा रही है। कुछ मिट्टी को हमने बिल्डिंग, शेड, सड़कों, फुटपाथ के नीचे दबा दिया है, कुछ से हम खनिज लवण, बिल्डिंग मैटेरियल, रेत, कोयला, निकालकर खत्म कर रहे हैं, कुछ से ईंट, मिट्टी के बर्तन बनाकर उसे हमेशा हमेशा के लिए मार दिया हैं। कुछ को रसायनिक केमिकल डालकर, जहरीला करके मार रहे हैं। कुछ को मलबे, प्लास्टिक के नीचे दबाकर, दम घोंटकर मार रहे हैं। कुछ आग लगने से बंजर हो रही है। भले ही हम धरती को माता कहें लेकिन हम इसकी देखभाल माता की तरह बिलकुल भी नही कर रहे हैं। दिल्ली जैसे शहरों में गमलों में पौधे लगाने के लिए ऑनलाइन से मिट्टी 55 रुपए प्रति किलो तक मिलती है। हम मिट्टी को पैदा नहीं कर सकते हैं, लेकिन खाद बनाना ही एक मात्र ऐसी विधि है जिससे हम उपजाऊ मिट्टी उत्पन्न कर सकते हैं। इसे पोंटिंग सॉइल कहते हैं जो विदेशों में बहुत महंगी मिलती है जिसे लोग गमलों में डालकर पौधे लगाते हैं। इसका (खाद का) एक फायदा और है कि हम जैविक कचरे का सदुपयोग करते है जिससे कचरें के ढेर नही बनते है और वातावरण, भूमि, भूजल को प्रदूषित करने से रोका जाता है, जमीन का दुरुपयोग लैंडफिल के रूप में होने से बचाव होता है और बाहर से खाद खरीदनी नहीं पड़ती है और रसायनिक खाद का उपयोग कम होता है।
पत्तों को जलाना या कचरे के रूप में विद्यालय परिसर से बाहर भेजना एक पर्यावरणीय और नैतिक अपराध, पाप होता है, जिससे बचना चाहिए। पत्तों को जलाने से वायु का प्रदूषण बढ़ता है जिससे फेफड़ों की बीमारियां होती है। कचरा सड़क किनारे डालने से बदबू, मक्खी, मच्छर, कॉकरोच, चूहे, बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु पैदा होते हैं। लैंडफिल में फेंकने से उपयोगी जमीन खराब होती है, बहुत धन खर्च होता है, हानिकारक गैसें उत्पन होती है। अगर हम विधालय से ब्लैक गोल्ड रूपी इस धन को कचरे के रूप में बाहर भेजते हैं या जलाते हैं तो फिर हमारी पर्यावरण संरक्षण की बातें खोखली ही कही जायेंगी। पत्तों की खाद को मिट्टी या ग्रोइंग मीडिया की तरह प्रयोग में लाया जा सकता है। यह बहुत हल्की होती है इससे छत, बालकनी में लगे गमलों में भार कम होता है और इसकी वाटर रिटेनिंग कैपेसिटी (जल धारण क्षमता) अधिक होती है इससे पानी की आवश्यकता कम होती है। इसमें पनपे पौधों को अलग से खाद देने की खास आवश्यकता नही होती है और पौधों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे उनमें बीमारियां नही लगती है। इसमें मिट्टी वाले रोग नहीं लगते है।
खाद कई प्रकार की होती है जैसे कि पत्तो की खाद, केंचुआ खाद, रूड़ी की खाद, किचन वेस्ट से बनी खाद, रसायनिक खाद इत्यादि। सभी खाद बनाने का तरीका अलग अलग होता है। खाद बनना एक बायोलॉजिकल प्रक्रिया होती है, विज्ञान होती है इसलिए इसके सिद्धांतो को, विज्ञान को समझना बहुत जरूरी होता है। पत्तो की खाद को अंग्रेजी में लीफ मोल्ड भी कहते हैं क्योंकि यह मोल्ड यानि फंगस, फंफूदी बनाती हे। जबकि किचन वेस्ट खाद जीवाणुओं से बनती हे। और केंचुआ खाद केंचुओ से बनती है।
पत्तो की खाद (Leafmold)
पत्तों की खाद बनाने के लिए चार तत्वों की आवश्यकता होती है। १ जैविक कार्बन (पत्ते, फसल अवशेष), २. नमी, ३. ऑक्सीजन, ४. फंगस। विद्यालयों में इसे जमीन में 3,4 फीट गहरा, 3,4 फीट चौड़ा और 5,6 फीट लंबा गढ़ा या नाली खोदकर बनाया जा सकता है। अगर विधालय में जमीन नहीं हो तो ईंटो, लकड़ी, जाली, कपड़े की 4 फीट ऊंची बाड़/दीवार बनाकर या ढेर बनाकर भी बनाया जा सकता है। रोजाना जो भी पेड़ों के पत्ते नीचे गिरे उन्हे गड्ढे या ढेर में डाल देना चाहिए। लेकिन इसमें ��ॉन जैविक पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक, कांच, ईंट पत्थर, मलबा, तेल इत्यादि नहीं डालना चाहिए। जब लॉन की घास कटे तो उसे भी इस गढ़े या ढेर में बिछा देना चाहिए। पौधों की कटाई, छंगायी से प्राप्त पत्ते, छोटी टहनी, खरपतवार, मरे, सूखे हुए पौधे, जड़ें भी डाले जा सकते है, बचा हुआ खाना, फल, सब्जियां, ज्यूस, छाछ, आचार इत्यादि भी इसमें डाले जा सकते है। ऊपर से पत्तों से ढक देना चाहिए ताकि मक्खी मच्छर उत्त्पन ना हो। टहनियों को छोटे टुकड़ों में काटकर (श्रेड करके) डालने से जल्दी खाद बनती है। सप्ताह में एक दो बार इसमें पानी छिड़ककर गीला कर देना चाहिए। गड्ढे या ढेर की लंबाई जगह अनुसार हो सकती है लेकिन चौड़ाई और गहराई/ऊंचाई कम से कम तीन फीट होनी चाहिए। जब एक गड्ढा भर जाए तो दूसरे में शुरू कर देना चाहिए। जब तक दूसरा गड्ढा भरेगा तब तक पहले गढ़े की खाद तैयार हो जायेगी। जब यह खाद पूरी तरह तैयार हो जाती है तो इसमें सोंधी मिट्टी की खुशबू आती है। और यह भूरे, काले, ग्रे रंग की हो जाती हे, साइज छोटा हो जाता है। इसे छानकर या बिना छाने भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इसे पूरी तरह बनने में 6 महीने लगते है लेकिन उपयोग में लाने के लिए 3 महीने में तैयार हो जाती हे। गांवों, खेतों में पत्तों के साथ साथ फसल अवशेष भी इसमें डाला जा सकता है। घरों में जमीन नहीं होने पर पत्तों की खाद छेद हुए 200 लीटर वाले ड्रम या बोरों में भी बनाई जा सकती है।
किचन वेस्ट से खाद (compost)
घरों में किचन वेस्ट से भी अच्छी खाद बनाई जा सकती है। इसके लिए पांच तत्वों की आवश्यकता होती है। १. कार्बन युक्त पदार्थ (सूखे पत्ते, फसल अवशेष, कोकोपीट, गत्ते, लकड़ी का बुरादा, इत्यादि), २. नाइट्रोजन युक्त पदार्थ (हरे पत्ते, हरी घास, किचेन वेस्ट, फूड वेस्ट, चाय पत्ती, कॉफी पाउडर, गाय का गोबर,मूत्र इत्यादि), ३. नमी (55%)। गीला: सुखा कचरा 1:1 से लेकर 1:2 अनुपात में डालने से नमी की पूर्ति हो जाती हैं वरना पानी ऊपर से छिड़कना पड़ता है। ४. ऑक्सीजन - खाद बनाने वाले जीवाणुओं के लिए ऑक्सीजन/हवा की आवश्यकता होती है। जमीन में गड्ढे में खाद बनाने से मिट्टी के छिद्रों में उपस्थित हवा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। ड्रम या बाल्टी में खाद बनाने के लिए छेद करने पड़ते है। ये छेद 3 एमएम डायामीटर के 6 इंच परस्पर दूरी पर किए जाते हैं। ५. जीवाणु : जीवाणु ही जैविक कचरे को खाद में परिवर्तित करते हैं। वैसे तो भोजन की तलाश में जीवाणु वातावरण से अपने आप ही आ जाते हैं लेकिन वातावरण में तो अनेकों तरह के अच्छे बुरे जीवाणु हो सकते हैं जैसे कि बीमारी या बदबू पैदा करने वाले भी। इसलिए अच्छे जीवाणुओं को कल्चर या जा��न के रूप में मिलाने से खाद अच्छी और जल्दी बनती है। क्योंकि अच्छे जीवाणु अपनी कालोनी में बुरे कीटाणुओं को घुसने नहीं देते हैं।
विधि १ :
विधि २ :
विधि ३: घर में ड्रम नहीं होने पर इसे बड़े खाली गमले या बड़े मुंह वाले मिट्टी के घड़े या जूट बैग में भी बनाया जा सकता है।
विधि ४: अगर बड़े गमले में पहले से ही मिट्टी भरी हो तो उसकी आधी मिट्टी निकालकर उसमें किचन वेस्ट और मिट्टी के परत डालकर भी खाद बनाई जा सकती है।
विधि ५ : पेड़ों, बड़े पौधों के चारों और कैनोपी के क्षैत्र में मिट्टी खोदकर, 1 फुट चौड़ी और 1 फीट गहरी नाली बनाकर, किचन वेस्ट को सीधा ही डालकर, मिट्टी से ढककर भी खाद बनाई जा सकती है, जो पौधे की जड़ों को मिलती रहेगी।
अच्छी खाद बनने की निशानी यही है कि उसमें सोंधी मिट्टी की खुशबू आनी शुरू हो जाती है। अगर खाद में बदबू आ रही हो तो इसका मतलब गीले कचरे की मात्रा ज्यादा है, हवा नही लग रही है या नीचे लिक्विड/ पानी इक्ट्ठा हो गया है। उसमें पानी निकालकर और सुखा कचरा मिलाकर फिर से बनाया जा सकता है।
नोट : किचन वेस्ट में सब्जियों, फलों के छिलके, सब्जियों के पत्ते, डंठल, चाय की पत्ती, काफी पाउडर, रोटी, चावल, सुखी सब्जी, आचार, सड़े हुए फल, सब्जियां, नाखून, बाल इत्यादि डाले जा सकते हैं। इसमें मिठाई, दूध, डेरी प्रोडक्ट, तेल, तरी, तरल पदार्थ, नॉन वेज आइ���म इत्यादि नहीं डालने चाहिए।
गांवों खेतों में गाय- भैंस के गोबर और फसल अवशेष से खाद
गांवों में लोग गाय ,भैंस, बकरी, ऊंठ ,घोड़ा इत्यादि के गोबर से तो खाद बनाते हैं लेकिन पत्तों, फसल अवशेष, लकड़ी, खरपतवार, खराब हुए भूसे को जला देते हैं। गाय भैंस के गोबर से जो रुड़ी की खाद बनाते है उसमें भी सिर्फ गोबर ही डालते हैं जिसमें नाइट्रोजन की अधिकता होती है, और उसमें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है इसलिए खाद बनने में लंबा समय लगता है, खाद कम बनती है और वह खाद पौधों को जला भी सकती है। अगर खाद बनने के सिद्धांतो (पांच तत्वों : कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, नमी, जीवाणु) के अनुसार खाद बनाई जाए तो खाद जल्दी, अच्छी क्वालिटी की और ज्यादा मात्रा में बनती है और इससे मिट्टी में भी सुधार होता है।
विधि :
कृपया आप खाद बनाना अवश्य शुरू करें। कोई भी दिक्कत या जानकारी , मार्गदर्शन के लिए मुझसे कभी भी संपर्क कर सकते हैं। मैं 25 से अधिक लोगों के लिए ऑनलाइन मीटिंग/वर्कशॉप भी करने के लिए तैयार हूं।
खाद बनाएं, जैविक कचरा निपटाएं खाद बनाएं, धरती माता को बचाएं खाद बनाएं, पर्यावरण बचाएं खाद बनाएं, धन बचाएं खाद बनाएं, जैविक भोजन उपजाएं खाद बनाएं, सुंदर बगीचा लगाएं खाद बनाएं, पानी बचाएं
आर के बिश्नोई, कचरा प्रबंधन प्रमुख दिल्ली प्रांत, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रांत पर्यावरण प्रमुख, विद्याभारती दिल्ली 9899303026 [email protected]
#खाद#प्रकृति#प्रकृतिसंरक्षण#भूमि#मिट्टी#compost#composting#ecology#environment#environmentind#india#savesoil#soil#soildegradation#soilhealth#soilpollution
0 notes
Text
मैं सुन रहा हूँ जो दुनियाँ सुना रही है मुझे
मैं सुन रहा हूँ जो दुनियाँ सुना रही है मुझे हँसी तो अपनी ख़ामोशी पे आ रही है मुझे, मेरे वजूद की मिट्टी में ज़र नहीं कोई ये एक चराग की लौ जगमगा रही है मुझे, ये कैसे ख़्वाब की ख्वाहिश में घर से निकला हूँ कि दिन में चलते हुए नींद आ रही है मुझे, कोई सहारा मुझे कब संभाल सकता है मेरी ज़मीन अगर डगमगा रही है मुझे, मैं इस जहान में खुश हूँ मगर कोई आवाज़ नए जहान की जानिब बुला रही है मुझे..!!
View On WordPress
0 notes
Text
Merafarmhouse अब आपको अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाने की सुविधा उपलब्ध करवा रहा है जिसके द्वारा आपको अपने खेत में उपस्थित पोषक तत्वों तथा मृदा की गुणवत्ता के बारे में पता कर सकते हैं। -
, 🟩 मिट्टी परीक्षण के लाभ 🟫 मिट्टी में पोषक तत्वों का स्तर निर्धारित करता है। 🟫 फसलों की अधिक उपज प्राप्त करने में मदद करता है। 🟫 उर्वरक व्यय को अनुकूलित करने में मदद करता है। 🟫 मृदा स्वास्थ्य में सुधार करता है। 👉 अपने खेत की मृदा की जांच करवाने के लिए आप हमें +𝟵𝟭-𝟵𝟴𝟳𝟱𝟵𝟲𝟴𝟭𝟳𝟮 कॉल करके अपना ऑर्डर बुक करा सकते हैं। 💯💯 Merafarm House से मिट्टी परीक्षण कराएं मुफ्त सलाह और आकर्षक डिस्काउंट पाएं। , 🟥 🟧 🟨 🟩 🟦 🟪 🟫 ⬛️ ⬜️ 📱 𝐂𝐚𝐥𝐥 𝐨𝐫 𝐖𝐡𝐚𝐭𝐬𝐀𝐩𝐩:🚜🌾 📱https://wa.link/lsblym 𝐂𝐚𝐥𝐥 📞 𝟎𝟗𝟖𝟕𝟓𝟗𝟔𝟖𝟏𝟕𝟐 🌐: 𝐰𝐰𝐰.𝐦𝐞𝐫𝐚𝐟𝐚𝐫𝐦𝐡𝐨𝐮𝐬𝐞.𝐜𝐨𝐦 🚜 𝐌𝐞𝐫𝐚 𝐅𝐚𝐫𝐦𝐡𝐨𝐮𝐬𝐞 🚶♀️ 𝟑𝟕𝟗, 𝐈𝐧𝐝𝐮𝐬𝐭𝐫𝐢𝐚𝐥 𝐀𝐫𝐞𝐚 𝐏𝐡𝐚𝐬𝐞 𝐈𝐈, 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡, 𝟏𝟔𝟎𝟎𝟎𝟐 , 🌐पोस्ट अच्छी लगे तो पेज को Follow करे. 🌐 🔹🅵🅾🅻🅻🅾🆆 🆄🆂 🅰🆃 👇 𝐅𝐚𝐜𝐞𝐛𝐨𝐨𝐤: Mera Farmhouse 𝗜𝗻𝘀𝘁𝗮𝗴𝗿𝗮𝗺 : https://www.instagram.com/merafarmhouse/ ,
#soil#soiltesting#bumperoffer#superfasalprogramm#मिट्टीपरिक्षण#healthyfood#agriculture#soilhealth#मिट्टी#paddy#loveislove#healthyliving#homegrown#composting#permaculture#sustainableliving#urbangardening#veggiegarden#raisedbeds#mulching#fertilizer#farmers#biodynamic#nochemicals#agribusiness#aquaculture#floriculture#greenhouse
0 notes
Text
और फिर धीरे धीरे मेरा घर खाली हो ग्या । अब उन सब की आवाजे सोने नही देती।
3 notes
·
View notes
Text
सात.
! WARNING कच्ची मिट्टी !
"you're not it"
:)
#i honestly thought he couldn't cry... looks like something very bad happened <- cause of the problem#rendering practice with dynamic lighting. took me 3 hours total to make this. light speed.#got no money for that bisexual lighting so make do with the red instead.#illustration#krita#art#artists on tumblr#kartik from exit party#rkgk#anime#anyways कच्ची मिट्टी (kacchi mitti) literally translates to raw clay#but it is usually used by kids while playing to refer to a person who has no talent (in the game) and is given special privileges to make u#for the lack of talent such as not being tagged ''it'' even though they definitely got caught#ahh childhood memories of misusing my kacchi mitti privileges in games ( *︾▽︾)
10 notes
·
View notes
Text
#saintrampalji#satlok_ashram_news#kabirisgod#allah#GodMorningMondayहरि के नाम बिन#राजा ऋषभ होय । मिट्टी लदे कुम्हार के#घास न नीरे कोय ॥👉 अधिक जानकारी के लिए देखिए ईश्वर चैनल रोज सुबह 6
2 notes
·
View notes
Text
#*मिट्टी कहती है कुम्हार से#तू क्या मुझे रौंद रहा है#एक दिन ऐसा आएगा जब मैं तुझे भी अपने में मिला लूँगी।GodKabirVani*
0 notes
Text
#santrampaljimaharaj#*मिट्टी कहती है कुम्हार से#तू क्या मुझे रौंद रहा है#एक दिन ऐसा आएगा जब मैं तुझे भी अपने में मिला लूँगी।GodKabirVani*
1 note
·
View note
Text
पैदावार बढ़ाने के लिए DAP की बजाय इस खाद का करें इस्तेमाल, किसान हो जायेंगे 'मालामाल'
खेती में बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए सही उर्वरकों का चयन बेहद महत्वपूर्ण है। परंपरागत रूप से किसान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) का इस्तेमाल फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में करते आए हैं, लेकिन लगातार इसकी बढ़ती मांग से डीएपी की उपलब्धता में कमी हो जाती है। ऐसे में सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) और यूरिया का उपयोग एक कारगर विकल्प के रूप में उभर रहा है। यदि किसान इन उर्वरकों का सही अनुपात में इस्तेमाल करें,…
#DAP Fertilizer#DAP vs SSP Fertilizer#Farming Tips#कृषि#कृषि सलाह#फसल उत्पादन#मिट्टी परीक्षण#विशेषज्ञ सलाह
0 notes
Text
सपनों की निशानी (sapnon ki nishani ) : अपना घर
शाही पकवान मिले या नमक के साथ, रोटी अपने ही घर की खानी है, इस घर में मात-पिता के हैं प्राण बसे, ये घर उनके सपनों की निशानी (sapnon ki nishani ) है, * * * * * * * * सोने की थाली में मिले या, मिट्टी की थाली में, दोनों में पेट की भूख मिटानी है, बस अपने ही हक की मिले दो वक्त, ये माँ की बात श्यानी है, मैं शाही पकवानों का आदी नहीं, हम नमक के साथ भी खा…
0 notes
Text
#GodMorningWednesdayकबीर साहेब जी कहते हैं कि जैसे रेत-मिट्टी में मिसरी बिखर जाती है#परंतु हाथी के विशालकाय होने पर भी उससे वह चुनी नहीं ज
0 notes
Text
#GodMorningFridayमौत बिसारी मूर्खा#अचरज किया कौन। तन मिट्टी में मिल जाएगा#ज्यों आटे में लौन।।SaintRampalJiQuotes
0 notes
Text
मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है
मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है रात खिलने का गुलाबों से महक आने का, ओस की बूंदों में सूरज के समा जाने का चाँद सी मिट्टी के ज़र्रों से सदा आने का, शहर से दूर किसी गाँव में रह जाने का खेत खलियानों में बाग़ों में कहीं गाने का, सुबह घर छोड़ने का देर से घर आने का बहते झरनों की खनकती हुई आवाज़ों का, चहचहाती हुई चिड़ियों से लदी शाख़ों का नर्गिसी आँखों में हँसती हुई नादानी का, मुस्कुराते हुए…
View On WordPress
0 notes
Text
#tuesdaymotivationsमिसरी बिखरी रेत में#हस्ती चुनी न जय।कीड़ी हैं करि सब चुने#तब साहिब कं पाय।।कबीर जी कहते है#जैसे रेट मिट्टी में मिसर
0 notes
Text
1 note
·
View note