#पारंपरिक निर्माण
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naturalintelligence · 12 days ago
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सतत कृषि और समुदाय की ताकत: आनंदा का उदाहरण
आनंदा चंडीगढ़ के ट्राइसिटी क्षेत्र के पनूला के बाहरी इलाके में रहती हैं है�� यहां परिवार अपने चार गोद लिए हुए कुत्तों, 40 प्रजातियों के पक्षियों और 6,000 से अधिक पेड़ों वाले जंगल के साथ रहतीं है। यहां वे लगभग 150 फसलों की खेती करती हैं और पूरी तरह से (ORGANIC PRODUCTION) खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हैं। जब उन्होंने 2010 में यह जमीन खरीदी, तब इसकी कीमत 25-30 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। लेकिन कोविड…
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helputrust · 4 months ago
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लखनऊ, 31.08.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "विकसित भारत में शिक्षा का महत्व” के अंतर्गत ब्राइट स्टार्ट कॉन्वेंट स्कूल, रायबरेली रोड, लखनऊ में जागरूकता कार्यक्रम “शिक्षित समाज: सम्पन्न देश” का आयोजन क��या गया | 
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने विद्��ालय के 80 छात्र-छात्राओं को शिक्षा का महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि, "शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं हैं । वास्तविक शिक्षा जीवन के विभिन्न अनुभवों और कौशलों को समाहित करती हैं, जिनमें वे महत्वपूर्ण ज्ञान और कौशल भी शामिल हैं जो पारंपरिक शैक्षणिक व्यवस्था में अक्सर अनदेखे रह जाते हैं |”
स्वयंसेवकों ने छात्राओं को यह समझाया कि शिक्षा का महत्व क्यों आवश्यक हैं । उन्होंने बताया कि “शिक्षा केवल जानकारी का संकलन नहीं, बल्कि यह व्यक्तित्व के समग्र विकास और सशक्त समाज की नींव रखने का आधार हैं । इस विस्तृत दृष्टिकोण से छात्रों को प्रेरित किया गया, ताकि वे अपने जीवन और करियर में समग्र विकास की दिशा में कदम बढ़ा सकें और शिक्षा के महत्व को एक नए आयाम से समझ सकें । इस प्रकार, कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करना था, जहां हर व्यक्ति शिक्षित हो और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सके ।“
जागरूकता कार्यक्रम “शिक्षा का महत्व” मे हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों श्री सिद्धार्थ सिंह, सुश्री पूजा यादव, सुश्री प्रियांशी द्विवेदी (एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) ने सहभागिता की तथा जागरूकता अभियान को सफल बनाया |
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बेमिसाल एक साल: झोटवाड़ा विकास कार्य में कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का योगदान
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झोटवाड़ा विकास: एक साल की झलक
कर्नल राठौड़ की प्राथमिकता झोटवाड़ा के हर वर्ग के विकास पर केंद्रित रही है। उनके ने���ृत्व में, क्षेत्र में बुनियादी ढांचे से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता तक हर पहलू पर ध्यान दिया गया है।
1. बुनियादी ढांचे का कायाकल्प
झोटवाड़ा के विकास में सबसे बड़ा योगदान बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाना रहा है।
सड़क निर्माण: क्षेत्र में 200 किमी से अधिक सड़कों का निर्माण और मरम्मत कार्य।
पेयजल सुविधाएं: जल वितरण नेटवर्क का आधुनिकीकरण और पानी की आपूर्ति में सुधार।
परिवहन सुविधाएं: नई बस सेवाओं और सार्वजनिक परिवहन के बेहतर प्रबंधन की शुरुआत।
2. शिक्षा में सुधार और डिजिटल युग की शुरुआत
कर्नल राठौड़ के प्रयासों ने शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और समावेशी बनाने में मदद की।
डिजिटल क्लासरूम: सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं की शुरुआत।
नई लाइब्रेरी: छात्रों के लिए डिजिटल और पारंपरिक पुस्तकालयों की स्थापना।
वित्तीय सहायता: गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और मुफ्त कोचिंग सुविधाएं।
3. स्वास्थ्य सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार
स्वास्थ्य के क्षेत्र में कर्नल राठौड़ ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
नए अस्पताल: झोटवाड़ा में कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण।
स्वास्थ्य शिविर: मुफ्त चिकित्सा शिविरों और स्वास्थ्य जांच अभियान का आयोजन।
कोविड प्रबंधन: टीकाकरण अभियान को प्रभावी तरीके से चलाना और जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना।
4. स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण
झोटवाड़ा में स्वच्छता अभियान और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई प्रयास किए गए हैं।
कचरा प्रबंधन प्रणाली: आधुनिक कचरा निपटान और पुनर्चक्रण इकाइयों की स्थापना।
पौधारोपण अभियान: हजारों पौधे लगाकर हरित क्षेत्र में वृद्धि।
साफ-सफाई अभियान: स्वच्छ भारत अभियान के तहत झोटवाड़ा को स्वच्छ और सुंदर बनाने के प्रयास।
5. युवा और खेल विकास
कर्नल राठौड़ के खेल प्रेम ने झोटवाड़ा में खेल संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
खेल मैदानों का विकास: नए खेल परिसर और सुविधाओं का निर्माण।
युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: खेलों में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर।
खेल उपकरण वितरण: स्कूलों और समुदायों में खेल उपकरणों का वितरण।
झोटवाड़ा के नागरिकों की राय
कर्नल राठौड़ के प्रयासों का झोटवाड़ा के नागरिकों ने खुले दिल से स्वागत किया है।
नवीन कुमार (व्यापारी): “कर्नल राठौड़ के आने से झोटवाड़ा में विकास को नई दिशा मिली है।”
सुमन देवी (गृहिणी): “हमारे क्षेत्र की सड़कें और पानी की समस्याएं अब दूर हो गई हैं।”
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का दृष्टिकोण
कर्नल राठौड़ का मानना है कि झोटवाड़ा का विकास समग्र और समावेशी होना चाहिए। उनके शब्दों में: “मेरा सपना है कि झोटवाड़ा विकास का प्रतीक बने। हर नागरिक को बेहतर सुविधाएं मिले और क्षेत्र आत्मनिर्भर बने।”
आगे की राह: झोटवाड़ा का भविष्य
कर्नल राठौड़ की योजना झोटवाड़ा को एक स्मार्ट और सतत विकासशील क्षेत्र में बदलने की है।
आने वाले प्रोजेक्ट्स:
स्मार्ट शहर सुविधाएं: डिजिटल सेवाओं और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग।
आधुनिक कृषि पहल: किसानों के लिए आधुनिक कृषि तकनीकों और बाजार तक पहुंच में सुधार।
शिक्षा और कौशल विकास केंद्र: युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर।
झोटवाड़ा का बेमिसाल साल
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ की मेहनत और समर्पण ने झोटवाड़ा को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। ₹1112 करोड़ के निवेश और निरंतर प्रयासों ने क्षेत्र को एक नई पहचान दी है। यह न केवल झोटवाड़ा के लिए, बल्कि ��ूरे राजस्थान के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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vedantbhoomidigital · 12 days ago
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निर्माण में टिकाऊ सामग्री क्या हैं?
निर्माण जगत में एक क्रांति उभर रही है, क्या आपने सुना है? जबकि पारंपरिक विच���रधाराओं को स्थायित्व के लिए कंक्रीट का उपयोग करके मजबूत किया गया था, मानसिकता में बदलाव देखा जा रहा है। आज के आर्किटेक्ट टिकाऊ वेरिएंट की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लेकिन लचीली वास्तुकला की वकालत करते समय, यह सवाल पूछा जाना चाहिए: क्या ��ीमेंट को पूरी तरह से खत्म करना बुद्धिमानी है? शायद नहीं, आर्किटेक्ट ऐसा सोचते…
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hariramrinwa23 · 12 days ago
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आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता: आपके व्यवसाय के लिए गुणवत्ता और विश्वसनीयता का स्रोत
आज के समय में, आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्राकृतिक स्वास्थ्य और वेलनेस की ओर उपभो��्ताओं का झुकाव आयुर्वेदिक उत्पादों को एक लाभदायक व्यवसाय बना रहा है। इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए, एक प्रमाणित और विश्वसनीय आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता के साथ साझेदारी करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे निर्माता न केवल उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करते हैं बल्कि आपके ब्रांड के लिए विश्वास और स्थिरता का आधार भी बनाते हैं।
गुणवत्ता की गारंटी
गुणवत्ता आयुर्वेदिक उत्पादों की आत्मा होती है। एक प्रमाणित आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता इस बात का ध्यान रखता है कि उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया में गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। उदाहरण के लिए, आयुबल वेलनेस जैसे प्रतिष्ठित निर्माता प्रमाणित कच्चे माल का उपयोग करते हैं और उनकी शुद्धता तथा प्रभावशीलता की जांच करते हैं।
इन उत्पादों को आधुनिक लैब्स में जांचा जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी मानकों पर खरे उतरें। उच्च गुणवत्ता वाले आयुर्वेदिक उत्पाद ग्राहकों का विश्वास जीतते हैं और आपके ब्रांड की प्रतिष्ठा को मजबूत बनाते हैं।
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संयोजन
आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकों के अद्भुत संगम का उपयोग करते हैं। यह न केवल उत्पादों की प्रभावशीलता को बढ़ाता है, बल्कि उनके उत्पादन की प्रक्रिया को भी अधिक सटीक और कुशल बनाता है।
आयुबल वेलनेस इस दिशा में अग्रणी है। यह कंपनी पारंपरिक आयुर्वेदिक सूत्रों का अनुसरण करते हुए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करती है, जिससे उत्पाद उच्च गुणवत्ता के साथ बाजार में आते हैं।
कानूनी अनुपालन और प्रमाणन
आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए कानूनी और प्रमाणन मानकों का पालन करना अनिवार्य है। एक प्रमाणित आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता इन सभी मानकों का पालन करता है। यह उत्पाद निर्माण से लेकर उनकी पैकेजिंग और लेबलिंग तक हर स्तर पर पारदर्शिता बनाए रखता है।
यह सुनिश्चित करता है कि आपके उत्पाद बाजार में आसानी से उपलब्ध हो सकें और ग्राहकों का भरोसा जीत सकें।
व्यवसाय के लिए लाभ
एक प्रमाणित आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता के साथ काम करने के कई लाभ हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है स्केलेबिलिटी।
बड़े पैमाने पर उत्पादन: ये निर्माता आपके ब्रांड की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकते हैं।
कस्टमाइजेशन: यदि आप अपने उत्पाद को अनुकूलित करना चाहते हैं, तो ये निर्माता आपकी आवश्यकताओं के अनुसार उत्पाद निर्माण में मदद करते हैं।
प्रोफेशनल सपोर्ट: निर्माता उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता नियंत्रण और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। इससे आपका व्यवसाय सुचारू रूप से चलता है।
टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन
आज के समय में उपभोक्ता उन उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं जो पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होते हैं। प्रमाण��त आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि उनके उत्पादन प्रक्रियाएं पर्यावरण के अनुकूल हों।
यह दृष्टिकोण आयुर्वेद की मूल भावना – प्रकृति के साथ सामंजस्य – का पालन करता है। इससे न केवल आपका ब्रांड पर्यावरणीय जागरूकता का संदेश देता है, बल्कि यह ग्राहकों के बीच सकारात्मक प्रभाव भी डालता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता आपके व्यवसाय की सफलता का आधार बन सकते हैं। वे न केवल गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करते हैं बल्कि आपके ब्रांड के प्रति उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ाते हैं। आयुबल वेलनेस जैसे प्रतिष्ठित निर्माता आयुर्वेदिक उद्योग में गुणवत्ता और विश्वसनीयता के प्रतीक हैं।
जैसा कि हरिराम रिनवा, आयुर्वेद और वेलनेस के प्रबल समर्थक, कहते हैं, “एक विश्वसनीय आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता के साथ साझेदारी करना न केवल आपके व्यवसाय को सफलता की ओर ले जाता है, बल्कि यह उपभोक्ताओं को प्राकृतिक और प्रभावी समाधान प्रदान करने का वादा भी करता है।”
सही निर्माता के साथ साझेदारी करके, आप अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं और आयुर्वेद के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकते हैं।
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countryinsidenews · 1 month ago
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CIN /विट्ठल मंदिर के स्तंभ से निकलती है संगीत के स्वर
जितेन्द्र कुमार सिन्हा ::हम्पी कर्नाटक के तुंगभद्रा नदी के तट पर आंध्र प्रदेश के साथ राज्य की सीमा के पास स्थित है। हम्पी को पारंपरिक रूप से पंपा क्षेत्र, किष्किंधा क्षेत्र और भास्कर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। हम्पी में विट्ठल मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजा कृष्णदेव राय ने करवाया था। यह मंदिर विष्णु भगवान के वाहन गरूड़ को समर्पित है ।हम्पी…
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drsunildubeyclinic · 2 months ago
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Sexual Conformity: Best Sexologist Patna, Bihar India | Dr. Sunil Dubey
नमस्ते दोस्तों! हमेशा की भांति इस बार भी हम फिर से आपके साथ एक नए टॉपिक के साथ हाजिर। आज के विषय के बारे में बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि पुरुषो में होने वाले इरेक्शन को कैसे बेहतर बनाया जाए और शीघ्रपतन को कैसे प्रतिबंधित किया जाए। आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार वाकई में प्राकृतिक इलाज की पद्धति है लेकिन इस उपचार के अलावा, दैनिक व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव जैसी अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियाँ भी ज़रूरी हैं। एक स्वस्थ शरीर में ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह हमेशा देखा जाता है, जो व्यक्ति के औरा से पता चलता है।
हमारे आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे जो कि गुप्त व यौन रोग के विशेषज्ञ है, पहले ही यौन सहनशक्ति में सुधार के बारे में चर्चा कर चुके हैं जो स्तंभन दोष को कम करने, यौन सहनशक्ति बढ़ाने और यौन गतिविधि की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। वह विवाहित लोगों को फोरप्ले पर ध्यान केंद्रित करने, स्टार्ट-स्टॉप तकनीक आज़माने, चिंता और अवसाद को प्रबंधित करने, धूम्रपान छोड़ने, साथी के साथ खुलकर संवाद करने, रिश्तों से जुड़ी समस्याओं से बचने और नियमित व्यायाम व योग करने का सुझाव देते हैं।
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आज यह विषय यौन फिटनेस पर आधारित हैं जो आपको इस यौन गतिविधि में मजबूती, सुदृढ़ता, व आत्मविश्वास प्रदान करेगा। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि एक व्यक्ति को यौन गतिविधि के दौरान 100-150 कैलोरी की खपत है, जिसमे शारीरिक ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अच्छे यौन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, व्यक्ति को हमेशा अपनी शारीरिक व मानसिक फिटनेस का ध्यान रखना अति आवश्यक है। प्रतिदिन का कम से कम 20 से 30 मिनट का मध्यम व्यायाम व्यक्ति के रक्त परिसंचरण में नियमित करने मदद करता है और वजन के प्रबंधन में भी सहायता करता है। वॉकिंग या जॉगिंग और प्लैंक या पुशअप्स वर्कआउट हमारे शरीर को पूरी तरह से तरोताजा करने में मदद करते हैं। वास्तव में देखा जाय तो ऊर्जा का संचयन और नियमन व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य के लिए हमेशा मायने रखता है।
डॉ. सुनील दुबे, पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट ने लोगो के अनुरोध पर कुछ यौन शब्दावली का अपने स्वयं कथन के विवरण प्रस्तुत किया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार के समय, हमारी दिनचर्या हमेशा मायने रखती है कि हम क्या खाते हैं, हम अपने तनाव को कैसे प्रबंधित करते हैं और हम शारीरिक व मानसिक रूप से इस उपचार में कितना शामिल हैं।
यौन विकार व क्रिया की कुछ शब्दावली:
यौन सहनशक्ति: यौन गतिविधि के दौरान लंबे समय तक सक्रिय रहने की क्षमता का होना।
यौन कल्याण: यौन इच्छा और इरेक्शन या इरेक्टाइल फ़ंक्शन प्राप्त करने और बनाए रखने की क्षमता का होना।
यौन शक्ति: शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक शक्ति का होना।
यौन क्षमता: यौन क्रियाकलाप के दौरान महिला क�� संतुष्ट करने के लिए तैयार रहना।
यौन नियंत्रण: सामान्य हृदय गति, नियमित श्वास, मांसपेशियों की गतिविधि, रक्त परिसंचरण, शारीरिक शक्ति, मनोवैज्ञानिक स्व-नियंत्रण और शरीर का लचीलापन।
यौन ज्ञान: कामुकता, यौन अभिविन्यास और यौन क्रियाकलाप के बारे में ज्ञान।
यौन विकार: उत्तेजना विकार, इच्छा विकार, दर्द विकार और संभोग विकार।
यौन आवश्यकता: व्यक्ति दर व्यक्ति भिन्न-भिन्न होती है लेकिन गंतव्य एक ही है जो संभोग से सम्बंधित है।
यौन इच्छा: कोई व्यक्ति अपने और किसी और के बीच यौन क्रियाकलाप चाहता है।
यौन उत्तेजना: संभोग की तैयारी में या यौन उत्तेजनाओं के संपर्क में आने पर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाएँ।
यौन दर्द: संभोग के दौरान दर्द, या डिस्पेर्यूनिया, यौन क्रियाकलाप से ठीक पहले, उसके दौरान या बाद में लगातार या आवर्ती दर्द का होना।
संभोग: जननांगों या कामुक क्षेत्रों की उत्तेजना के बाद संभोग होता है। यह यौन उत्तेजना का चरम है और आनंद की तीव्र अनुभूति का कारण बनता है।
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कुछ व्यायाम जो लोगों को यौन फिटनेस बनाए रखने में मदद करते हैं, वे निम्नलिखित हैं:
1. फोरआर्म बॉडी प्लैंक सॉ: यह कोर ताकत में सुधार, संतुलन और स्थिरता में सुधार करता है और मुद्रा में सुधार के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है।
2. पुशअप्स: पुशअप्स व्यायाम हमारे मांसपेशियों में ताकत और उनकी सहनशक्ति का निर्माण करते हैं।
3. स्क्वाट्स: यह व्यायाम हमारे कंकाल को, मुख्य रूप से रीढ़ और निचले शरीर को मजबूती प्रदान करता है।
4. बारबेल हिप थ्रस्ट: अधिक पारंपरिक व्यायामों की तुलना में कूल्हे की एक्सटेंसर मांसपेशियों की अधिक सक्रियता का होना।
5. हेक्स बार डेडलिफ्ट: पैर और पीठ की ताकत बढ़ाएं और पीठ के निचले हिस्से पर तनाव को कम करें।
6. डंबल हैमर कर्ल: यह आपकी भुजाओं में द्रव्यमान को जोड़ने में मदद करता है, क्योंकि पकड़ की स्थिति अक्सर आपको भारी वजन उठाने की अनुमति देती है।
7. स्प्रिंट: स्प्रिंटिंग अंतराल आपको वसा हानि, हृदय स्वास्थ्य, मांसपेशियों के निर्माण और धीरज पर बढ़त प्रदान करता है। इन सभी लाभों के पीछे एक पावरहाउस आपका चयापचय है, जिसे स्प्रिंटिंग अंतराल के कारण अतिरिक्त बढ़ावा मिलता है।
8. केटल बेल स्विंग: शरीर के पीछे के हिस्से में पोस्टीरियर चेन की मांसपेशियों को मजबूत करता है – जिसमें पीठ के निचले हिस्से, ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग शामिल हैं।
9. रनर लंज: घुटनों, क्वाड्स, ग्लूट्स और कूल्हों को मजबूत करता है और टखनों, पिंडलियों, हैमस्ट्रिंग, कूल्हे के फ्लेक्सर्स और कमर को खींचता है।
10. स्पाइडर-मैन स्ट्रेच: यह आपकी कमर की मांसपेशियों को खींचता है। यह आपके बाहरी हिप रोटेटर को ढीला करता है। यह आपके हिप फ्लेक्सन में सुधार करता है।
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11. अपवर्ड फेसिंग डॉग: खिंचाव, मजबूती, लम्बाई: यह मुद्रा टखनों से लेकर सिर तक शरीर के अगले हिस्से को पूरा खिंचाव देती है। ... लचीलापन और गति की सीमा: यह मुद्रा मांसपेशियों के सममित खिंचाव और संकुचन द्वारा शरीर के लचीलेपन को बढ़ाती है।
12. फिगर फोर: कूल्हे के जोड़ों और मांसपेशियों को खोलना, खास तौर पर आपकी पिरिफोर्मिस, जो तंग होने पर साइटिक तंत्रिका पर दबाव डाल सकती है और दर्द का कारण बन सकती है। अपने ग्लूटस मेडियस और भीतरी जांघों को खींचना। अपने कूल्हों और पीठ में तनाव को दूर करना। अपने कोर और हाथ की मांसपेशियों को सक्रिय करना।
13. पेल्विक फ्लोर: गर्भाशय, मूत्राशय और आंत्र (बड़ी आंत) के निचले हिस्से में मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। वे पुरुषों और महिलाओं दोनों की मदद कर सकते हैं जिन्हें मूत्र रिसाव या आंत्र नियंत्रण की समस्या है। पेल्विक फ्लोर मांसपेशी प्रशिक्षण अभ्यास ऐसा है जैसे आपको पेशाब करने का नाटक करना है और फिर उसे रोक कर रखना है।
14. केगेल व्यायाम: पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत करता है, पैल्विक अंगों क�� सहारा देता है, और मूत्र, आंत्र और गैस के असंयम को नियंत्रित करने में मदद करता है।
कामुकता या यौन इच्छा को प्रभावित करने वाले कारक:
डॉ. सुनील दुबे जो बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट है, कहते हैं कि ऐसे कई कारक हैं जो व्यक्तियों में यौन इच्छा को प्रभावित करते हैं। तनाव, बीमारी, उम्र का बढ़ना, करियर की चिंता, सामाजिक प्रतिबद्धताएँ, पारिवारिक ज़िम्मेदारी, इत्यादि व्यक्तियों की कामुकता को प्रभावित करने वाले कारक हो सकते हैं। कारण चाहे जो भी हो, भागीदारों के बीच यौन इच्छा में अंतर कभी-कभी अलगाव, निराशा, अस्वीकृति, नाराजगी और अन्य भावनाओं को जन्म दे सकता है। इस स्थिति में प्रकृति के अनुरूप अच्छा यौन स्वास्थ्य को बनाए रखना आवश्यक है।
बेहतर यौन स्वास्थ्य के लिए क्या करें:
एक पुरानी कहावत है कि स्वभाव और हस्ताक्षर कभी नहीं बदलते। हम वही बन जाते हैं जो हम सोचते हैं। सबसे पहले, स्वस्थ यौन जीवन जीने के लिए; लोगों को प्राकृतिक यौन गतिविधि और कार्यों को समझने की आवश्यकता है। उन्हें प्रकृति का अनुसरण करना होता है और प्राकृतिक चिकित्सा व उपचार अपनाना पड़ता है। जिस तरह शरीर को फिट रखने के लिए व्यायाम और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, उसी तरह अच्छे विचार और प्राकृतिक दिनचर्या हमें मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाती है। अच्छे यौन स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, वैचारिक, व सामाजिक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरुरी है।
गुप्त एवं यौन रोगों के इलाज के लिए दुबे क्लिनिक का महत्व:
जब भी हम बीमार पड़ते हैं तो डॉ��्टर के पास जाते हैं और अपना इलाज करवाते हैं। यह एक आम बीमारी है जिसे हर कोई एक ही नज़रिए से देखता है। लेकिन जब भी हमें कोई गुप्त या यौन समस्या होती है तो हमारे मन में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं। हम झिझकते हैं, शर्मिंदगी महसूस करते हैं और जितना हो सके अपने गुप्त व यौन समस्या को छिपाते हैं। गुप्त व यौन रोगियों की यह मानसिकता भले ही वास्तविक हो लेकिन भविष्य के सही नहीं है।
दुबे क्लिनिक भारत का सर्वाधिक मांग वाला विश्वसनीय आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है। यह बिहार का पहला आयुर्वेदिक क्लिनिक भी है जिसकी स्थापना सन 1965 में हुई थी। इस क्लिनिक की सबसे अच्छी बात यह है कि इसके आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार से लाखों गुप्त व यौन रोगी लाभान्वित होते हैं। यह क्लिनिक सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों की मदद करता है जो शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, मानसिक, चिकित्सा, हार्मोनल, स्वास्थ्य समस्याओं और अन्य कारणों से यौन रोग से प्रभावित हैं। यह क्लिनिक आयुर्वेदिक दवाओं और उपचारों के साथ-साथ रोगी के समस्या के अनुसार जीवन शैली में बदलाव व अच्छे स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी प्रदान करता है। दुबे क्लिनिक का यौन परामर्श और आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
शुभकामनाओं के साथ:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणिक क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | आयुर्वेद में पीएच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना - 04
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starfriday · 3 months ago
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अधाता ट्रस्ट ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया: वृद्धावस्था को सकारात्मक बनाने को बढ़ावा दिया और अपनी 12वीं वर्षगांठ मनाई
~मशहूर फिल्म अभिनेता, श्री अजिंक्य देव उपस्थित रहकर इस अवसर की शोभा बढ़ाई~
~ इस वर्ष के आयोजन का विषय था - रूट्स एंड रिदम्स: नई पीढ़ी - पुरानी परंपरा~
मुंबई, 2 अक्टूबर, 2024: वरिष्ठ नागरिकों की मानसिक और सामाजिक भलाई में सुधार के लिए काम करने वाले मुंबई स्थित गैर सरकारी संगठन, अधाता ट्रस्ट ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर अपनी 12वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह के साथ मनाई। पिछले एक दशक से ट्रस्ट 'पॉजिटिव एजिंग' यानी वृद्धावस्था को सकारात्मक बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस वर्ष का कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की "एजिंग विद डिग्निटी" की थीम के अनुसार आयोजित किया गया था। अधाता ट्रस्ट वरिष्ठ नागरिकों को एक सहायक और अनुरूप वातावरण में संपूर्ण जीवन जीने के लिए सशक्त बनाने के लिए काम कर रहा है।
अधाता ट्रस्ट का यह कार्यक्रम 'रूट्स एंड रिदम्स: नयी पीढ़ी - पुरानी परंपरा' थीम के तहत आयोजित किया गया था। आज के तेज़ी से बदलते समाज में हमारे बुजुर्ग परंपराओं को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इस बात पर कार्यक्रम में प्रकाश डाला गया। बढ़ती उम्र की ओर यात्रा के बारे में दृष्टिकोण को कुशलतापूर्वक नया रूप देते हुए, कार्यक्रम में 14 से अधिक केंद्रों के वरिष्ठ सदस्यों ने मंच पर पारंपरिक लोक गीतों को प्रस्तुत किया, भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति का जश्न मनाया और अपने प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
लोकप्रिय अभिनेता श्री अजिंक्य देव ने इस अवसर पर कहा, "इस कार्यक्रम में आकर, हमारे बुजुर्गों को, हमारे परिवारों के मुखियाओं को इतनी ख़ुशी से रहते हुए देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। वे हमारी संस्कृति और मूल्यों के स्तंभ हैं। हमें उनके ज्ञान का सम्मान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे हमेशा खुश रहें। आइए हम सब मिलकर वृद्धत्व की सुंदरता और समृद्धि का जश्न मनाएं।"
श्रीमती अनन्या गोएंका ने अपने भाषण से कार्यक्रम के महत्व को बढ़ाते हुए कहा, "वृद्धत्व युवावस्था का समाप्त होना नहीं है बल्कि यह जीवन का एक नया चरण है जो अपने साथ ढेर सारे अवसर और शक्ति लेकर आता है।"
अधाता ट्रस्ट के संस्थापक और ट्रस्टी श्री अरुण नंदा ने कहा, "12 साल पूरे करना अधाता ट्रस्ट के लिए सिर्फ एक पड़ाव नहीं है, बल्कि यह वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने और समाज में उम्र बढ़ने के प्रति दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाने की हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। हमारा मानना है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, हर उम्र हमारे लिए जीवन की समृद्धि को अपनाने का एक अद्भुत अवसर है। साथ मिलकर हम एक ऐसी संस्कृति का निर्माण कर रहे हैं जहां उम्र बढ़ना आनंद, ज्ञान और नए अवसरों से भरी यात्रा है।"
टाटा मुंबई मैराथन सीनियर सिटिज़न रन की तैयारी के लिए अधाता ट्रस्ट ने एक वर्चुअल रनिंग इवेंट, द जर्नी टू फिटनेस चैलेंज का भी आयोजन किया है। प्रोकैम इंटरनेशनल के सहयोग से आयोजित इस पहल का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के बीच शारीरिक गतिविधिय���ं को बढ़ावा देना है। यह फिटनेस और सामुदायिक भागीदारी को प्राथमिकता देने की बढ़ती प्रतिबद्धता को भी दिखाएगा। इससे प्रतिभागियों को 2025 में आयोजित होने वाली टीएमएमएससीआर की तैयारी में मदद मिलेगी। रजिस्ट्रेशन 1 अक्टूबर से शुरू हो रहा है।
पिछले साल, टीएमएमएससीआर की थीम 'उम्र बढ़ने को सकारात्मक बनाना' थी। इसमें 1700 से अधिक उत्साही वरिष्ठ नागरिकों ने भाग लिया और सक्रिय रहने और समाज से जुड़े रहने के महत्व पर प्रकाश डाला।
वर्तमान में अधाता ट्रस्ट मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे (जल्द ही पनवेल में) में स्थित 14 सामुदायिक केंद्रों में 500 से अधिक वरिष्ठ नागरिक सदस्यों का समर्थन करता है। भारत के वरिष्ठ नागरिकों और उनके मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ट्रस्ट हर साल विश्व बुजुर्ग दिवस मनाता है। विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से, अधाता ट्रस्ट बुजुर्गों के जीवन को बेहतर बनाने, उनके आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को फिर से हासिल करने में मदद करने के प्रयास करता है। ट्रस्ट विशेष कार्यक्रम आयोजित करके और दोस्तों और परिवार को उनमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करके वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक अनुरूप वातावरण बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है।
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airnews-arngbad · 3 months ago
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आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर, दिनांक: 30.09.2024   रोजीचे सकाळी : 07.10 वाजताचे मराठी बातमीपत्र
Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date: 30 September 2024
Time: 7.10 to 7.20 AM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक: ३० सप्टेंबर २०२४ सकाळी ७.१० मि.
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ठळक बातम्या
बिडकीन औद्योगिक वसाहतीसह राज्यातल्या ११ हजार २०० कोटी रुपये किमतीच्या विविध प्रकल्पांची पंतप्रधानांच्या हस्ते पायाभरणी, उद्घाटन आणि राष्ट्रार्पण
मेक इन इंडिया अभियानामुळे भारत जगातलं महत्त्वाचं उत्पादन केंद्र बनला असल्याचं पंतप्रधानांचं मन की बात मध्ये प्रतिपादन
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थांमध्ये आजपासून युवतींसाठी मोफत स्वरक्षणाचं प्रशिक्षण
आणि
मराठवाड्यात बीड, लातूर आणि धाराशिव जिल्ह्यांना आज पावसाचा यलो अलर्ट
सविस्तर बातम्या
छत्रपती संभाजीनगर नजिकच्या ऑरिक-बिडकीन औद्योगिक गुंतवणुकीच्या प्रकल्पातून मराठवाड्यातल्या युवकांसाठी मोठ्या प्रमाणात रोजगारनिर्मिती होईल, असं पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी म्हटलं आहे. बिडकीन औद्योगिक प्रकल्पाचं काल पंतप्रधानांच्या हस्ते दूरदृश्य प्रणालीच्या माध्यमातून राष्ट्रार्पण करण्यात आलं, त्यावेळी ते बोलत होते. केंद्र सरकारच्या राष्ट्रीय ��द्योगिक जोडमार्ग विकास कार्यक्रमांतर्गत सात हजार ८५५ एकर जागेत या औद्योगिक क्षेत्राचा विस्तार आहे. मराठवाड्याला प्रमुख आर्थिक केंद्र बनवण्याची क्षमता बिडीकन औद्योगिक क्षेत्रात आहे, असं पंतप्रधान म्हणाले…
छत्रपती संभाजीनगर मे लगभग आठ हजार एकड में बिडकीन इंडस्ट्रीयल एरिया का विस्तार होगा। कई बडे बडे उद्योगों के लिये यहां जमीन ॲलॉट हो गई है। इससे यहां हजारों करोड का निवेश आयेगा। इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा।
या कार्यक्रमात पुण्यातून मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार दूरदृश्य प्रणालीच्या माध्यमातून सहभागी झाले होते. आता पुण्याप्रमाणे संभाजीनगर इथं अनेक उद्योग येऊ घातले असून, त्याद्वारे स्थानिक पातळीवर अनेक संधी उपलब्ध होणार असल्याचं, मुख्यमंत्री यावेळी म्हणाले. राज्यातलं महायुती सरकार हे उद्योगांना भेडसावणारे प्रश्न तत्काळ सोडवत असल्याचं त्यांनी नमूद केलं.
बिडकीन औद्योगिक क्षेत्राचे प्रकल्प व्यवस्थापक अरुण डुबे यांनीही या प्रकल्पातून होणाऱ्या रोजगारनिर्मितीबद्दल अधिक माहिती दिली.
या प्रकल्पामध्ये नऊ हजार एकशे बावीस कोटी पेक्षा जास्त गुंतवणूक आम्ही त्या इन्फ्रास्ट्रक्चर साठी केली आहे. ६० हजार कोटी इतकी गुंतवणूक आता निर्माण होत आहे त्या नवीन नवीन प्रकल्पामुळे. ज्याद्वारे जवळपास ३५ हजार ही प्रत्यक्ष  रोजगार निर्माण होणार असून अप्रत्यक्ष रोजगार हा ७५ हजार निर्माण होणार आहे.
बिडकीन इथं झालेल्या या कार्यक्रमाला राज्याचे गृहनिर्माण मंत्री अतुल सावे, खासदार भागवत कराड उपस्थित होते.
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दरम्यान, पुणे इथं राज्यातल्या ११ हजार २०० कोटींहून अधिक रुपये खर्चाच्या विविध प्रकल्पांचं उद्घाटन आणि लोकार्पणही पंतप्रधानांच्या हस्तेकाल झालं. पुण्यातल्या भिडे वाड्यात क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले स्मारकाचं भूमिपूजन, शिवाजीनगर ते स्वारगेट या भुयारी मेट्रो मार्गाचं लोकार्पण, स्वारगेट ते कात्रज या भुयारी मार्गाचं भुमिपूजन, तसंच सोलापूर विमानतळाचं उद्घाटन, यावेळी करण्यात आलं. 
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केंद्र सरकारच्या मेक इन इंडिया अभियानामुळे काल भारत उत्पादनाचं केंद्र बनला असून, प्रत्येक क्षेत्रातली निर्यात वाढली असल्याचं, पंतप्रधान ��रेंद्र मोदी यांनी म्हटलं आहे. आकाशवाणीवरच्या मन की बात या कार्यक्रमातून काल त्यांनी देशवासियांशी संवाद साधला. भंडारा जिल्ह्यातल्या पारंपरिक रेशीम उद्योगाचा उल्लेख पंतप्रधानांनी यावेळी केला. स्वच्छता ही सेवा, एक पेड माँ के नाम, कॅच द रेन अशा उपक्रमांना देशभरातून उत्स्फुर्त प्रतिसाद मिळत असल्याचं त्यांनी सांगितलं. मन की बातच्या प्रवासाला दहा वर्ष पूर्ण होत असल्याबद्दल पंतप्रधानांनी दूरदर्शन, प्रसारभारती तसंच आकाशवाणीशी जोडल्या गेलेल्या सर्वांची प्रशंसा केली.
दरम्यान, याबद���दल प्रसारभारतीचे अध्यक्ष नवनीत सहगल यांनी पंतप्रधानांचे आभार मानले आहेत. दूरदर्शन, आकाशवाणी आणि प्रसारभारती या तीन्ही संस्थांच्या कर्मचाऱ्यांसाठी पंतप्रधानांचे शब्द प्रेरणादायी आहेत, असं सहगल म्हणाले.
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सातारा जिल्ह्यात पाटण तालुक्यातल्या काळोली इथं उभारण्यात आलेल्या लोकनेते बाळासाहेब देसाई बहुउद्देशीय कृषी संकुल तालुका बीज गुणन केंद्राच्या पहिल्या टप्प्याचं उद्घाटन काल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांच्या हस्ते झालं. माती परीक्षण प्रयोगशाळा, धान्य आणि स्वच्छता प्रतवारी केंद्र, डाळ प्रक्रिया केंद्र, तेल घाणा केंद्र आणि भात प्रक्रिया केंद्राची त्यांनी पाहणी केली. पाटण इथल्या केंद्र पुरस्कृत अमृत नळ पाणी पुरवठा योजनेचं भूमिपूजन आणि मल्हारपेठ इथल्या लोकनेते बाळासाहेब देसाई ग्रामसचिवालयाच्या नूतनीकृत इमारतीचं लोकार्पणही काल मुख्यमंत्र्यांच्या हस्ते झालं.
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शासकीय औद्योगिक संस्थांमधल्या तरुणींना स्वरक्षणाचं मोफत प्रशिक्षण देणार्या
‘हर घर दुर्गा’ अभियानाचा शुभारंभ आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला यांच्या हस्ते होणार आहे. कौशल्य विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढा यांनी ही माहिती दिली. मुंबईच्या कुर्ला इथल्या शासकीय औद्योगिक संस्थेत यासाठी आयोजित कार्यक्रमाला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि अजित पवार यांची विशेष उपस्थिती असणार आहे.
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ईडी, सीबीआयच्या माध्यमातून विरोधकांना अडकवणं हेच भाजपाचं धोरण असल्याची टीका, माजी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी केली आहे. नागपूर जिल्ह्यात कळमेश्वर कडील तळ्याच्या पाळीवर उभारलेल्या छत्रपती शिवाजी महाराजांच्या अश्वारूढ पुतळ्याचं उद्घाटन काल ठाकरे यांच्या हस्ते झालं, त्यावेळी ते बोलत होते. त्याआधी ठाकरे यांनी नागपुरातल्या पदाधिकाऱ्यांची बैठक घेतली.
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आगामी विधानसभा निवडणुकीनंतर ��ाज्यात महाविकास आघाडीचं सरकार येईल, असा दावा विधानसभेचे विरोधी पक्षनेते विजय वडेट्टीवार यांनी केला आहे. गडचिरोली जिल्ह्यात अहेरी इथं काँग्रेस मेळाव्यात ते काल बोलत होते. यावेळी त्यांनी सरकारच्या लडाकी बहिण योजनेवर टीका केली.
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या बातम्या आकाशवाणीच्या छत्रपती संभाजीनगर केंद्रावरुन देत आहोत
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माझी वसुंधरा अभियानाच्या चौथ्या टप्प्यात छत्रपती संभाजीनगर महानगरपालिकेला सर्वोत्तम कामगिरी करणाऱ्या महापालिकेचा पुरस्कार देऊन गौरवण्यात आलं आहे. घनकचरा, वृक्षारोपण, शहराचं वाढतं प्रदूषण कमी करण्यासाठी महापालिकेने केलेल्या कामाची दखल घेत हा पुरस्कार मिळाला असून, दीड कोटी रुपयांचं बक्षिस मिळालं आहे.
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संविधान हातात घेऊन फिरणं म्हणजे संविधान वाचवणं नव्हे, असं प्रतिपादन वंचित बहुजन आघाडीच्या राष्ट्रीय नेत्या अंजली आंबेडकर यांनी केलं आहे. छत्रपती संभाजीनगर इथं फुले-आंबेडकर विद्वत सभा आयोजित संविधान जागर साहित्य संमेलनाच्या उद्घाटन प्रसंगी त्या काल बोलत होत्या. काँग्रेस आणि भाजप या एकाच नाण्याच्या दोन बाजू असून, संविधान बदलणारे कोण, आणि वाचवणारे कोण, याबाबत आपण गांभीर्याने विचार करण्याची गरज त्यांनी व्यक्त केली. कार्यक्रमाच्या सुरुवातीला क्रांती चौक परिसरातून संविधान सन्मान रॅली काढण्यात आली.
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नांदेड जिल्ह्यात नेरली इथं दूषित पाण्यामुळे उद्भवलेली परिस्थिती आता नियंत्रणात आली आहे. या ठिकाणी मुख्य कार्यकारी अधिकारी मीनल करणवाल यांनी तात्काळ भेट देऊन आवश्यक त्या सूचना दिल्या. आरोग्य विभागाकडून गावात सर्वेक्षण केलं जात आहे. नागरिकांनी पाणी गाळून, उकळून प्यावं, मळमळ, उलटी, जुलाब यासारखी लक्षणे दिसताच तात्काळ आरोग्य कर्मचारी आणि आरोग्य उपकेंद्राकडे संपर्क साधण्याचं आवाहन जिल्हा परिषदेच्या आरोग्य अधिकारी डॉ. संगीता देशमुख यांनी केलं आहे.
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हिंगोली जिल्ह्यात कळमनुरी तालुक्यातल्या पार्डी मोड इथं भदंत महास्थवीर चंद्रमणी विपश्यना केंद्राचं भूमिपूजन काल झालं. पूज्य भदंत खेमोधम्मा, पूज्य भदंत उपगुप्त महाथेरो, पूज्य भदंत डॉ. स��्यपाल, कळमनुरी चे आमदार संतोष बांगर यावेळी उपस्थित होते. जगात शांतता प्रस्थापित करण्यासाठी विपश्यना उपयुक्त असल्याचं मत भदंत उपगुप्त महाथेरो यांनी यावेळी व्यक्त केलं.
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स्वच्छता ही सेवा अभियानाअंतर्गत परभणी इथं सारंग स्वामी विद्यालयातल्या विद्यार्थ्यांनी काल स्वच्छता मोहीम राबवली. तसंच विद्यार्थ्यांनी परिसरातून जनजागृती रॅली काढून नागरिकांचे लक्ष वेधून स्वच्छतेचा संदेश दिला. यासोबतच जेवणापूर्वी हात धुण्याचे प्रात्यक्षिक आणि वृक्षारोपण आदी कार्यक्रम घेण्यात आले.
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हवामान
मराठवाड्यात बीड, लातूर आणि धाराशिव या जिल्ह्यांना आज पावसाचा यलो अलर्ट जारी करण्यात आला असून, या जिल्ह्यांमध्ये वादळी वार्यासह पावसाची शक्यता हवामान विभागाने व्यक्त केली आहे.
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sharpbharat · 3 months ago
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Jamshedpur Durga Puja - न्यू सीतारामडेरा में श्रीश्री दुर्गा पूजा कमेटी का हुआ भूमि पूजन, भव्य पंडाल का होगा निर्माण
जमशेदपुर: जमशेदपुर के न्यू सीतारामडेरा लेबर ऑफिस रोड के समीप श्रीश्री दुर्गा पूजा कमेटी का भूमि पूजन वैदिक मंत्रोचारण के साथ संपन्न हुई. हर वर्ष की भाती इस वर्ष भी इस कमेटी द्वारा मां दुर्गा की पूजा पारंपरिक ढंग से सम्पन्न होगा. इस वर्ष आकर्षण का केंद्र बंगाल से आने वाली ताशा पार्टी रहेगी. भूमि पूजन में मुख्य रूप से पूजा कमेटी के अध्यक्ष फणींद्र भूषण प्रसाद (गोरा),  मनोज भूषण प्रसाद, राकेश…
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deshbandhu · 3 months ago
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Smart Agriculture: Aapake Liye Rojagaar ke Dwar
परिचय भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष स्थान है। यहां की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। बदलते समय के साथ खेती में भी तकनीकी परिवर्तन हो रहे हैं और इसे अब "स्मार्ट एग्रीकल्चर" के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल खेती के तरीकों में क्रांति ला रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है। स्मार्ट एग्रीकल्चर से तात्पर्य है ऐसी तकनीकें और प्रणालियां जो पारंपरिक कृषि को अधिक प्रभावी, उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाती हैं। इस आधुनिक कृषि प्रणाली ने रोजगार के कई नए द्वार खोले हैं, विशेष रूप से उन युवाओं के लिए जो आधुनिक तकनीक और नवाचार में रुचि रखते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर क्या है? स्मार्ट एग्रीकल्चर या स्मार्ट खेती आधुनिक प्रौद्योगिकी और कृषि के सम्मिलन का एक ऐसा मॉडल है जिसमें सटीक उपकरणों, सेंसर, ड्रोन्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत किसानों को जमीन की उपजाऊता, मौसम की जानकारी, फसल की स्थिति और बाजार के रुझानों के बारे में सटीक जानकारी मिलती है। इससे कृषि के सभी पहलुओं को सही ढंग से मॉनिटर कर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत आधुनिक यंत्रों और नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिससे किसानों को अपने खेतों की बेहतर देखभाल करने में मदद मिलती है। इससे न केवल उत्पादकता में वृद्धि होती है बल्कि पानी, खाद, बीज और अन्य संसाधनों का सही उपयोग भी सुनिश्चित होता है।
खेती में रोजगार के अवसर स्मार्ट एग्रीकल्चर के बढ़ते प्रसार के साथ खेती में रोजगार के अवसरों में भी व्यापक विस्तार हुआ है। पहले जहां कृषि में मुख्य रूप से शारीरिक श्रम का महत्व था, अब तकनीकी ज्ञान रखने ��ाले युवाओं के लिए भी यहां संभावनाएं खुल रही हैं। नीचे कुछ प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की जा रही है, जहां स्मार्ट एग्रीकल्चर के माध्यम से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं:
प्रौद्योगिकी आधारित कृषि उपकरणों का निर्माण और वितरण
स्मार्ट एग्रीकल्चर में विभिन्न प्रकार के सेंसर, ड्रोन्स, और स्वचालित उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इन उपकरणों के निर्माण, वितरण और मरम्मत के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। युवा उद्यमी इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं या बड़े उद्योगों से जुड़ सकते हैं जो ऐसे उपकरणों का निर्माण और विपणन करते हैं।
कृषि सलाहकार सेवाएं
कृषि सलाहकार सेवाएं एक और प्रमुख क्षेत्र है, जहां तकनीकी ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार के नए अवसर हैं। स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य, बीज के चयन, जल प्रबंधन, फसल की देखभाल और बाजार की जानकारी देने वाले कृषि सलाहकारों की मांग बढ़ी है। यदि किसी व्यक्ति के पास कृषि और तकनीक का ज्ञान है, तो वे इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
डेटा एनालिसिस और कृषि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट
स्मार्ट एग्रीकल्चर में सेंसर और अन्य उपकरणों से लगातार डेटा उत्पन्न होता है। इस डेटा का सही ढंग से विश्लेषण करना और इसके आधार पर निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। डेटा एनालिसिस के क्षेत्र में कृषि तकनीशियनों की मांग तेजी से बढ़ी है। साथ ही, ऐसे सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की भी आवश्यकता है जो किसानों के लिए अनुकूल ऐप्स और सॉफ्टवेयर विकसित कर सकें। ये ऐप्स किसानों को मौसम की जानकारी, फसल की स्थिति, बाजार के दाम आदि की सटीक जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे उनकी खेती को और बेहतर बनाया जा सके।
कृषि में ड्रोन और रोबोटिक्स तकनीक
ड्रोन्स का इस्तेमाल कृषि में तेजी से बढ़ रहा है। फसलों की निगरानी, कीटनाशक का छिड़काव, और अन्य गतिविधियों के लिए ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन ऑपरेटर्स, मेनटेनेंस इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए यहां रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके अलावा, रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल भी कृषि में बढ़ रहा है, जिससे फसलों की देखभाल और उत्पादन की प्रक्रिया को स्वचालित किया जा रहा है।
सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और ग्रीन जॉब्स
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता पर जोर दिया जा रहा है। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए कृषि की तकनीकों का विकास किया जाता है। इसके अंतर्गत जलवायु ��रिवर्तन, जैव विविधता की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी एक्सपर्ट्स, पर्यावरण वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ी है। ग्रीन जॉब्स के रूप में इसे देखा जा सकता है।
कृषि उत्पादों का प्रोसेसिंग और मार्केटिंग
स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत बेहतर उत्पादन प्राप्त होने पर उसे प्रोसेस कर बाजार में बेचना भी महत्वपूर्ण है। कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों के लिए यहां अपार संभावनाएं हैं। स्मार्ट मार्केटिंग तकनीकों का उपयोग करके किसान अपने उत्पादों को सही कीमत पर बेच सकते हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल रहा है, जिससे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
स्मार्ट इरिगेशन और जल प्रबंधन
कृषि में पानी का सही उपयोग करना हमेशा से एक चुनौती रहा है। स्मार्ट इरिगेशन और जल प्रबंधन तकनीकों के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में सटीक सिंचाई प्रणाली और जल प्रबंधन सेवाओं की मांग बढ़ी है। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों और इरिगेशन इंजीनियरों की आवश्यकता होती है, जो इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
स्मार्ट एग्रीकल्चर में रोजगार के अवसरों की संभावनाएं स्मार्ट एग्रीकल्चर में न केवल तकनीकी विशेषज्ञों के लिए बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर हैं। वे जो अपने खेतों में नई तकनीकों को अपनाकर उत्पादन में वृद्धि करना चाहते हैं, वे भी इस क्रांति के हिस्सेदार बन सकते हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में वित्तीय सेवाओं, बीमा, और कृषि से जुड़ी कानूनी सेवाओं में भी रोजगार की संभावनाएं हैं। सरकार और निजी क्षेत्र की ओर से भी इस क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है, जिससे रोजगार के अवसर और भी बढ़ेंगे।
निष्कर्ष स्मार्ट एग्रीकल्चर न केवल कृषि के तरीके को बदल रहा है, बल्कि यह एक नया रोजगार क्षेत्र भी बना रहा है। "खेती में रोजगार के अवसर" अब केवल पारंपरिक श्रमिकों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञों, उद्यमियों और नवाचारकर्ताओं के लिए भी इसमें असीमित संभावनाएं हैं। भारत जैसे देश में, जहां कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, स्मार्ट एग्रीकल्चर रोजगार के नए द्वार खोलकर युवाओं को बेहतर भविष्य की दिशा में ले जा रहा है।
यह स्पष्ट है कि भविष्य की खेती तकनीकी नवाचारों पर आधारित होगी, और इसके साथ ही रोजगार के नए रूप सामने आएंगे। स्मार्ट एग्रीकल्चर एक ऐसी ही दिशा है, जो रोजगार के साथ-साथ समृद्धि की ओर भी ले जा रही है।
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dainikdangal · 4 months ago
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माटी कला योजना: दिवाली से पहले कुम्हारों को मिलेगा बड़ा आर्थिक लाभ
दिवाली के त्यौहार से पहले कुम्हारों के लिए एक शानदार खबर है। सरकार ने माटी कला योजना (Mati Kala Yojana) के तहत कुम्हारों को बड़ा लाभ देने की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों और अन्य मिट्टी के उत्पादों के निर्माण से जुड़े कारीगरों को प्रोत्साहित करना और उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है। योजना के अंतर्गत, कुम्हारों को न सिर्फ आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि आधुनिक…
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digitaldetoxworld · 4 months ago
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छात्र क्लबों में शामिल होने के लाभ: पाठ्येतर गतिविधियां कैसे सफलता बढ़ाती हैं कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविधियाँ
कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविधियाँपाठ्येतर गतिविधियाँ छात्रों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो शैक्षिक गतिविधियों से दूर रहने के अलावा और भी बहुत कुछ प्रदान करती हैं। इन खेलों में खेल गतिविधियों और मानविकी से लेकर क्लबों और सामुदायिक प्रदाताओं तक व्यापक प्रकार की रुचियां शामिल हैं, प्रत्येक छात्र के विकास में विशिष्ट योगदा�� देता है। यह संपूर्ण मार्गदर्शिका पाठ्येतर खेलों में सहयोग करने के असंख्य लाभों की पड़ताल करती है और यह जानकारी देती है कि छात्र व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए अपनी भागीदारी को अधिकतम कैसे कर सकते हैं।
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व्यापक क्षितिज विविध अनुभवों का मूल्य पाठ्येतर खेलों के नंबर एक लाभों में से एक पारंपरिक शैक्षिक पाठ्यक्रम से परे गतिविधियों की खोज करने की संभावना है। चाहे वह वाद-विवाद क्लब में शामिल होना हो, रोबोटिक्स समूह में भाग लेना हो, या पर्यावरण की वकालत में शामिल होना हो, ये गतिविधियाँ कॉलेज के छात्रों को अपने जुनून का पता लगाने और उसे विकसित करने की अनुमति देती हैं। यह अन्वेषण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को उनकी ताकत, विकल्प और क्षमता वाले करियर पथ खोजने में मदद करता है।उदाहरण के लिए, वाद-विवाद सदस्यता में भाग लेने वाला एक छात्र अतिरिक्त रूप से उन्नत सार्वजनिक भाषण और आलोचनात्मक सोचने की क्षमताओं को बढ़ा सकता है, जो किसी भी विशेषज्ञ क्षेत्र में मूल्यवान हैं। इसी तरह, ट्रैक समूह में शामिल होने से रचनात्मकता और टीम सहयोग बढ़ सकता है। ये अध्ययन विद्यार्थी के भाग्य, पेशे और व्यक्तिगत विकास को आकार देने में सहायक होते हैं।
कौशल विकास: कक्षा से परे
पाठ्येतर गतिविधियाँ कॉलेज के छात्रों को उन क्षमताओं की एक श्रृंखला का विस्तार करने का मौका देती हैं जिन पर अक्सर पारंपरिक अध्ययन कक्ष सेटिंग्स में जोर नहीं दिया जाता है। इसमे शामिल है
नेतृत्व कौशल कई पाठ्येतर खेल, जिनमें छात्र सरकार या गतिविधियों का आयोजन शामिल है, में कॉलेज के छात्रों को नेतृत्व की भूमिका निभाने की आवश्यकता होती है। ये अध्ययन टीमों का नेतृत्व करने, कार्यों का प्रबंधन करने और विकल्प चुनने के तरीके का अध्ययन करने के लिए सार्थक हैं।
समय प्रबंधन शैक्षिक दायित्वों के साथ पाठ्येतर प्रतिबद्धताओं को संतुलित करना कॉलेज के छात्रों को कर्तव्यों को प्राथमिकता देने, अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और समय सीमा को पूरा करने का तरीका सिखाता है।
टीम वर्क और सहयोग खेल टीमों, थिएटर एजेंसियों और शैक्षिक क्लबों के साथ गतिविधियाँ एक सामान्य उद्देश्य की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने के महत्व पर जोर देती हैं। ये समीक्षाएँ टीम वर्क, संचार और पारस्परिक क्षमताओं को बढ़ावा देती हैं। समस्या-समाधान क्षमताएँ कोडिंग क्लब या तकनीकी ज्ञान समारोह जैसे खेलों में भागीदारी छात्रों को जटिल समस्याओं से निपटने और रचनात्मक तरीके से सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये समस्या-समाधान दक्षताएँ निर्देशात्मक और व्यावसायिक दोनों सेटिंग्स में महत्वपूर्ण हैं।
भावनात्मक और सामाजिक विकास: आत्मविश्वास और मित्रता का निर्माण पाठ्येतर गतिविधियाँ कॉलेज के बच्चों को आत्म-विश्वास बनाने और सार्थक रिश्ते बनाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। स्कूल के बाहर की गतिविधियों में शामिल होने से कॉलेज के छात्रों को मदद मिल सकती है
आत्म-सम्मान बनाएँ किसी संग्रह या मिशन में सफलतापूर्वक सहयोग करना और योगदान देना एक छात्र के आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को काफी हद तक बढ़ा सकता है। यह नया आत्म-आश्वासन नियमित रूप से बेहतर शैक्षिक समग्र प्रदर्शन और निजी बातचीत में तब्दील होता है।सामाजिक कौशल विकसित करेंपाठ्येतर खेल समान समय बिताने वाले साथियों से मिलने, नई दोस्ती को बढ़ावा देने और सामाजिक कौशल में सुधार करने के कई अवसर प्रदान करते हैं। इन अंतःक्रियाओं के परिणामस्वरूप एक अतिरिक्त समावेशी और सहायक सामाजिक वातावरण बन सकता है।
तनाव का प्रबंधन करें मनोरंजन या खेल-कूद में संलग्न होना एक प्रभावी तनाव-निवारक के रूप में काम कर सकता है। इन गतिविधियों से प्राप्त उपलब्धि और अवकाश की भावना छात्रों को निर्देशात्मक दबावों से निपटने और स्वस्थ स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकती है। कॉलेज और कैरियर की संभावनाओं को बढ़ाना: एक मजबूत छाप छोड़ना कॉलेज और नियोक्ता अधिक से अधिक उम्मीदवारों की दयालुता को महत्व देते हैं। पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी कई प्रकार के गुणों का प्रदर्शन करके छात्र की उपयोगिता को बढ़ा सकत�� है प्रतिबद्धता और समर्पण किसी चयनित गतिविधि में दीर्घकालिक भागीदारी प्रतिबद्धता और एक मजबूत कार्य नीति का सुझाव देती है। इस इच्छाशक्ति को प्रवेश समितियों और नियोक्ताओं द्वारा अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
पाठ्येतर गतिविधियाँ एक छात्र के कई अतीत और दक्षताओं को प्रदर्शित करती हैं, जिससे उनका अनुप्रयोग विशिष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक बहस और नेटवर्क वाहक में अनुभव वाला एक छात्र बहुमुखी प्रतिभा और एक पूर्ण चरित्र का प्रदर्शन करता है।
वास्तविक दुनिया का अनुभव छात्र एजेंसियों में इंटर्नशिप, स्वयंसेवा, या प्रबंधन भूमिकाओं से युक्त गतिविधियाँ व्यावहारिक आनंद प्रदान करती हैं जो सीधे नियति कैरियर की इच्छाओं पर लागू हो सकती हैं। ये अध्ययन अतिरिक्त रूप से मूल्यवान नेटवर्किंग संभावनाएं प्रदान करते हैं।
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jobskolkata · 5 months ago
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अब कंपनी को कुछ कर्मचारियों की आवश्यकता है:
वे कोलकाता में स्थित एक चाय निर्माण कंपनी हैं।
उनके पास असम और उत्तर बंगाल में चाय के बागान हैं। साथ ही, उनके पास उत्तर बंगाल में उनके एक बागान में एक हेरिटेज बंगला है, जहाँ वे चाय पर्यटन करते हैं।
अब इस पर्यटन, बंगला के लिए, उन्हें निम्नलिखित जनशक्ति की आवश्यकता होगी:
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• नौकरी का स्थान बारादिघी जलपाईगुड़ी उत्तर बंगाल है।
• आवास और भोजन कंपनी द्वारा प्रदान किया जाएगा।
पद: कैप्टन
• आवश्यकता है: 1 कैप्टन।
• मुआवजा: मासिक वेतन 10 हजार से 15 हजार रुपये (अनुभव और क्षमता के अनुसार) होगा।
• नौकरी का स्थान बारादिघी जलपाईगुड़ी उत्तर बंगाल है।
• आवास और भोजन कंपनी द्वारा प्रदान किया जाएगा।
• ड्यूटी घंटे: कंपनी के मानदंडों के अनुसार सभी कर्मचारियों के लिए 9 से 10 घंटे की कार्य नीति।
• हालांकि, व्यस्त दिनों के दौरान ज्यादातर समय एफ एंड बी में, कर्मचारियों को मेहमानों के लिए विषम समय में भी उपलब्ध रहना पड़ता है, जिसके बारे में होटल प्रबंधन पृष्ठभूमि वाले एफ एंड बी कर्मचारी जानते हैं।
भर्ती की प्रकृति:
• उपर्युक्त पद संविदात्मक प्रकृति के होंगे।
• कार्य-निष्पादन मूल्यांकन के बाद ही अनुबंध का नवीनीकरण किया जाएगा।
• फिलहाल कंपनी पीएफ, ईएसआईसी, ग्रेच्युटी की सुविधा नहीं दे रही है।
• कंपनी द्वारा किराए पर मुफ्त आवास और भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
• चिकित्सा सुविधा केवल गार्डन स्तर पर प्रदान की जाएगी।
• उम्मीदवार एक वित्तीय वर्ष में केवल 15 दिनों के वार्षिक अवकाश के लिए पात्र होंगे। यदि कोई छुट्टी बिना छुट्टी शेष के या कंपनी को किसी पूर्व सूचना के ली जाती है, तो इसे "वेतन रहित अवकाश" माना जाएगा और वेतन तदनुसार समायोजित किया जाएगा।
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fitnessclasses · 5 months ago
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Understanding Ashtanga Yoga: A Step-by-Step Guide
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Introduction to Ashtanga Yoga
अष्टांग, जिसे कभी-कभी अष्टांग योग भी कहा जाता है, आज भारत के मैसूर में श्री के. पट्टाभि जोइस/K. Pattabhi Jois नामक व्यक्ति द्वारा सिखाया जाता है। वे लगभग 25 साल पहले अष्टांग योग को पश्चिम में लेकर आए और आज भी 91 साल की उम्र में सिखाते हैं। अष्टांग योग की शुरुआत प्राचीन पांडुलिपि योग कोरंटा की पुनः खोज से हुई। इसमें प्राचीन ऋषि वामन ऋषि द्वारा अभ्यास और निर्मित हठ योग की एक अनूठी प्रणाली का वर्णन किया गया है। माना जाता है कि यह पतंजलि द्वारा अभ्यास किया जाने वाला मूल आसन है। अष्टांग योग/Ashtanga Yoga, योग का एक व्यवस्थित रूप है जिसने वैश्विक प्रसिद्धि प्राप्त की है, इसकी संरचित प्रथा के. पट्टाभि जोइस की देन है, जिन्होंने 20वीं शताब्दी के दौरान इसे विकसित और लोकप्रिय बनाया। संस्कृत शब्द "अष्टांग" से उत्पन्न, जिसका अर्थ है "आठ अंग वाला", अष्टांग योग योग के प्रति समग्र दृष्टिकोण को समाहित करता है, जो शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न घटकों को एकीकृत करता है।             इस अभ्यास का केंद्र उज्जयी श्वास की अवधारणा है, जो आंतरिक गर्मी उत्पन्न करने और ऑक्सीजन की खपत को अनुकूलित करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक प्रकार का योगिक श्वास नियंत्रण है। अभ्यासकर्ता एक गहरी, लयबद्ध श्वास पैटर्न का लक्ष्य रखते हैं जो उन्हें शारीरिक रूप से कठिन अनुक्रमों के माध्यम से बनाए रखने में मदद करता है। अष्टांग योग का एक और मूलभूत पहलू है इसके आसनों की श्रृंखला। इन क्रमों को प्राथमिक, मध्यवर्ती और उन्नत श्रृंखलाओं में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक क्रमिक रूप से पिछले एक पर आधारित है। प्राथमिक श्रृंखला, जिसे योग चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है, शरीर को विषमुक्त करने और रीढ़ को संरेखित करने पर केंद्रित है। प्रत्येक आसन और उसका संक्रमण अभ्यासकर्ता को अगले के लिए तैयार करने के उद्देश्य से है, जिससे शक्ति, लचीलापन और सहनशक्ति को बढ़ावा मिलता है। दृष्टि या नज़र, अष्टांग योग का एक अभिन्न अंग है, जिसके लिए प्रत्येक आसन के दौरान अभ्यासियों को अपनी नज़र विशिष्ट बिंदुओं पर केंद्रित करने की आवश्यकता होती है। यह अभ्यास न केवल एकाग्रता को बढ़ाता है बल्कि एक गहरी ध्यान अवस्था को भी सुगम बनाता है, जो योग के शारीरिक और मानसिक आयामों के बीच एक सेतु प्रदान करता है।          संक्षेप में, अष्टांग योग अपने व्यवस्थित दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है, जो संतुलित और व्यापक अभ्यास विकसित करने के लिए सांस, गति और नज़र को एक साथ लाता है। अष्टांग यात्रा शुरू करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इन मूलभूत तत्वों को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह एक अनुशासित और परिवर्तनकारी अनुभव के लिए मंच तैयार करता है।  
अष्टांग योग श्रृंखला: प्राथमिक, मध्यवर्ती और उन्नत
The Ashtanga Yoga Series: Primary, Intermediate, and Advanced
अष्टांग योग योग का एक गतिशील और संरचित रूप है जिसे प्रगतिशील श्रृंखलाओं में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक को पिछले एक पर निर्माण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो अभ्यासकर्ताओं को शारीरिक और मानसिक विकास की यात्रा पर ले जाता है। अभ्यास को पारंपरिक रूप से तीन प्रमुख श्रृंखलाओं में विभाजित किया गया है: प्राथमिक श्रृंखला (योग चिकित्सा), मध्यवर्ती श्रृंखला (नाड़ी शोधन), और उन्नत श्रृंखला (स्थिर भाग)। प्रत्येक श्रृंखला एक अद्वितीय उद्देश्य प्रदान करती है और कठिनाई के मामले में बढ़ती जाती है।
प्राथमिक श्रृंखला (योग चिकित्सा)
Primary Series (Yoga Chikitsa)
प्राथमिक श्रृंखला, जिसे योग चिकित्सा के नाम से भी जाना जाता है, का अनुवाद "योग चिकित्सा" है। यह शरीर को शुद्ध करने और संरेखित करने पर ध्यान केंद्रित करता है, अभ्यासकर्ताओं को अधिक उन्नत अभ्यासों के लिए तैयार करता है। इस श्रृंखला में ऐसे आसन शामिल हैं जो आगे की ओर झुकने, कूल्हे खोलने और आधारभूत आसनों पर जोर देते हैं, जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करने और समग्र लचीलेपन में सुधार करने में सहायता करते हैं। प्रमुख आसनों में मरीच्यासन, जानू शीर्षासन और सुप्त कुर्मासन शामिल हैं। आम तौर पर, अभ्यासकर्ता उचि�� संरेखण और सांस के समन्वय को सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ने से पहले इस श्रृंखला में महारत हासिल करने में काफी समय बिताते हैं।  
मध्यवर्ती श्रृंखला (नाड़ी शोधन)
Intermediate Series (Nadi Shodhana)
प्राथमिक श्रृंखला के साथ सहज होने के बाद, अभ्यासकर्ता मध्यवर्ती श्रृंखला की ओर बढ़ते हैं, जिसे नाड़ी शोधन के रूप में जाना जाता है, जिसका अनुवाद "तंत्रिका सफाई" होता है। यह श्रृंखला कठिन बैकबेंड, ट्विस्ट और डीप हिप ओपनर्स के संयोजन का उपयोग करके तंत्रिका तंत्र की शुद्धि को लक्षित करती है। यह धीरज का निर्माण जारी रखते हुए कोर ताकत और स्थिरता को बढ़ाने में मदद करता है। प्रमुख आसनों में कपोतासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन और पिंचा मयूरासन शामिल हैं। इंटरमीडिएट श्रृंखला में महारत हासिल करने के लिए इसकी जटिल प्रकृति के कारण निरंतर अभ्यास और गहन स्तर की एकाग्रता की आवश्यकता होती है।  
उन्नत श्रृंखला (स्थिर भाग)
Advanced Series (Sthira Bhaga)
उन्नत श्रृंखला, जिसे स्थिर भाग के रूप में संदर्भित किया जाता है, "शक्ति और अनुग्रह" का प्रतीक है। इस श्रृंखला को चार भागों में विभाजित किया गया है: उन्नत ए, बी, सी और डी, और यह उन अभ्यासियों के लिए है जिन्होंने काफी ताकत, लचीलापन और मानसिक ध्यान विकसित किया है। आसन अधिक चुनौतीपूर्ण हैं, उच्च स्तर के कौशल और समर्पण की मांग करते हैं। विश्वामित्रासन, गंध भेरुंडासन और हनुमानासन जैसे प्रमुख आसन व्यक्ति के संतुलन, शक्ति और लचीलेपन की सीमाओं का परीक्षण करते हैं। उन्नत श्रृंखला अभ्यासकर्ता के योग अभ्यास को गहरा करने, शरीर और मन को एक जटिल और संतुलित तरीके से सामंजस्य स्थापित करने का काम करती है। अष्टांग योग की यात्रा क्रमिक है, जिसमें अभ्यासकर्ता प्रत्येक श्रृंखला पर महीनों या वर्षों तक खर्च करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे आगे बढ़ने से पहले प्रवीणता प्राप्त करें। यह संरचित दृष्टिकोण न केवल शरीर और मन को मजबूत करता है बल्कि अनुशासन और धैर्य को भी बढ़ावा देता है, जो योग के सार का अभिन्न अंग है।   Personal Care for Lung Health: Avoiding Cancer  
पूर्ण अष्टांग योग अभ्यास के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका
Step-by-Step Guide to a Full Ashtanga Yoga Practice
  पूर्ण अष्टांग योग अभ्यास में शामिल होने के लिए शरीर, मन और सांस को संतुलित करने के लिए डिज़ाइन किए गए एक सावधानीपूर्वक संरचित अनुक्रम की आवश्यकता होती है। अष्टांग योग एक गतिशील और संरचित योग शैली है जो आसनों के एक विशिष्ट अनुक्रम का पालन करती है, सांस को गति के साथ समन्वयित करती है। यहाँ हम आपको पूर्ण अष्टांग योग अभ्यास के लिए एक "चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका" बता रहे हैं :    STEP- 1 "Chant":-  सत्र पारंपरिक रूप से शुरुआती मंत्र से शुरू होता है, जो मन को शांत करने और अभ्यास के लिए तैयार करने के लिए एक संस्कृत आह्वान है। मंत्र एक केंद्रित वातावरण बनाता है और अक्सर मंत्र "ओम/OM" के तीन दोहराव के बाद, जो अभ्यासकर्ता का ध्यान केंद्रित करने का काम करता है।   STEP- 2. "सूर्यनमस्कार Sun Salutations (Surya Namaskar A & B)" आरंभिक मंत्रोच्चार के बाद, अभ्यासी सूर्य नमस्कार या सूर्य नमस्कार से शुरुआत करते हैं। सूर्य नमस्कार ए को आम तौर पर पाँच बार किया जाता है, जिसमें गतिशील आसनों की एक श्रृंखला शामिल होती है जो प्रत्येक सांस के साथ सहज रूप से प्रवाहित होती है। सूर्य नमस्कार बी, जिसे तीन से पाँच बार किया जाता है, अनुक्रम में उत्कटासन (कुर्सी मुद्रा) और वीरभद्रासन I (योद्धा मुद्रा I) को जोड़ता है, जो शक्ति और स्थिरता पर जोर देता है। - सूर्य नमस्कार: 5 चक्र करें। - समस्तीति (सीधे खड़े होकर) से शुरुआत करें। - सांस अंदर लें, हाथों को ऊपर उठाएं। - साँस छोड़ें, आगे की ओर झुकें. - श्वास लें, आधा उठाएं (अर्ध उत्तानासन). - सांस छोड़ें, चतुरंग दंडासन (लो प्लैंक) में वापस आएं या कूदें - श्वास लें, उर्ध्व मुख श्वानासन करें। (Urdhva Mukha Svanasana). - साँस छोड़ें, नीचे की ओर मुख करें (Adho Mukha Svanasana). - पांच सांसों तक रुकें, फिर आगे कदम बढ़ाएं या कूदकर खड़े हो जाएं। - सूर्य नमस्कार बी: 5 चक्र करें। -  इस क्रम में उत्कटासन (Utkatasana) (chair pose) and वीरभद्रासन I(Virabhadrasana I) (warrior I) को भी शामिल करें। - सूर्य नमस्कार ए के समान विन्यास प्रवाह, योद्धा मुद्राओं के साथ।   STEP- 3."खड़े होने का क्रम/Standing Sequence" इसके बाद, अभ्यास खड़े आसनों में बदल जाता है। ये आसन, जिनमें त्रिकोणासन (त्रिकोण मुद्रा) और परिव्रत त्रिकोणासन (घुमावदार त्रिभुज मुद्रा) शामिल हैं, संतुलन, लचीलापन और संरेखण को बढ़ावा देते हैं। इन आसनों में सटीकता गहरे आसनों के लिए आधार तैयार करती है और स्थानिक जागरूकता को बढ़ाती है। - पादंगुष्ठासन (हाथ से पैर के अचार तक की मुद्रा)/Padangusthasana (Hand to Big Toe Pose) - पादहस्तासन (हाथ के नीचे पैर की मुद्रा)/Padahastasana (Hand Under Foot Pose) - उत्थिता त्रिकोणासन (विस्तारित त्रिकोण मुद्रा)/Utthita Trikonasana (Extended Triangle Pose) - परिवृत्त त्रिकोणासन (परिक्रामी त्रिकोण मुद्रा)/Parivrtta Trikonasana (Revolved Triangle Pose) - उत्थिता पार्श्वकोणासन (विस्तारित पार्श्व कोण मुद्रा)/Utthita Parsvakonasana (Extended Side Angle Pose) - परिवृत्त पार्श्वकोणासन (रिवॉल्व्ड साइड एंगल पोज़)/Parivrtta Parsvakonasana (Revolved Side Angle Pose) - प्रसारित पादोत्तानासन A-D (चौड़े पैरों वाला आगे की ओर झुकने वाला आसन)/Prasarita Padottanasana A-D (Wide-Legged Forward Bend variations) - पार्श्वोत्तानासन (तीव्र पार्श्व खिंचाव मुद्रा)/Parsvottanasana (Intense Side Stretch Pose)   STEP- 4. बेठने का अनुक्रम (प्राथमिक श्रृंखला)Seated Sequence (Primary Series) इसके बाद बैठे हुए आसन किए जाते हैं, जो दंडासन (स्टाफ़ पोज़) से शुरू होते हैं और आगे की ओर झुकने, मुड़ने और कूल्हे खोलने की एक श्रृंखला से गुज़रते हैं। पश्चिमोत्तानासन (बैठे हुए आगे की ओर झुकना) से लेकर मरीच्यासन (मरीची की मुद्रा) तक प्रत्येक आसन रीढ़ को लंबा करने, पाचन में सुधार करने और समकालिक श्वास (उज्जयी श्वास) के माध्यम से शरीर को विषमुक्त करने का काम करता है। - दण्डासन (स्टाफ़ पोज़)/Dandasana (Staff Pose) - पश्चिमोत्तानासन ए और बी (बैठकर आगे की ओर झुकना)/Paschimottanasana A & B (Seated Forward Bend) - पूर्वोत्तानासन/Purvottanasana (Upward Plank Pose) - अर्ध बद्ध पद्म पश्चिमोत्तानासन/Ardha Baddha Padma Paschimottanasana (Half Bound Lotus Forward Bend) - जानु शीर्षासन/Janu Sirsasana A, B, C (Head to Knee Pose variations) - मरीच्यासन/Marichyasana A-D (Sage Marichi’s Pose variations) - नवासन/Navasana (Boat Pose) - भुजपीड़ासन/Bhujapidasana (Shoulder-Pressing Pose) - कुर्मासन/Kurmasana (Tortoise Pose) - **Garbha Pindasana (Embryo in the Womb Pose)** - **Baddha Konasana (Bound Angle Pose)** - **Upavistha Konasana (Seated Wide-Angle Forward Bend)** - **Supta Konasana (Reclined Wide-Angle Pose)** - **Supta Padangusthasana (Reclined Hand-to-Big-Toe Pose)** - **Ubhaya Padangusthasana (Both Big Toe Pose)** - **Setu Bandhasana (Bridge Pose)** 5. समापन अनुक्रम/Finishing Sequence - Sarvangasana (Shoulder Stand)** - Halasana (Plow Pose)** - Karnapidasana (Ear Pressure Pose)** - Urdhva Padmasana (Upward Lotus Pose)** - Matsyasana (Fish Pose)** - Uttana Padasana (Extended Leg Pose)** - Sirsasana (Headstand)** – hold for 25 breaths. - Baddha Padmasana (Bound Lotus Pose)** - Yoga Mudra (Yoga Seal)** - Padmasana (Lotus Pose)** - Utplutih (Uplifted Lotus Pose)** - Savasana (Corpse Pose)** – Final relaxation for 5-10 minutes. 6. Closing Chant/समापन मंत्र - अभ्यास को सील करने और आभार व्यक्त करने के लिए एक पारंपरिक मंत्र।  अभ्यास के लिए सुझाव: - सांस: पूरे अभ्यास के दौरान गहरी, समान सांसों (उज्जयी श्वास) पर ध्यान केंद्रित करें। - दृष्टि: एकाग्रता बनाए रखने के लिए प्रत्येक मुद्रा में विशिष्ट बिंदुओं पर अपनी नज़र (दृष्टि) केंद्रित रखें। - विन्यासा: प्रत्येक साँस अंदर और बाहर लेते समय आसन के बीच तरल रूप से आगे बढ़ें।   पूर्ण अष्टांग अभ्यास में 90 मिनट तक का समय लग सकता है और इसे आमतौर पर सप्ताह में छह दिन किया जाता है, जिसमें एक दिन आराम होता है। यदि आप शुरुआती हैं, तो अनुक्रम के छोटे या संशोधित संस्करण से शुरू करने पर विचार करें।  
अष्टांग योग के लाभ और चुनौतियाँ/The Benefits and Challenges of Ashtanga Yoga
  - बेहतर लचीलापन/Improved Flexibility: अष्टांग योग में आसनों का संरचित अनुक्रम धीरे-धीरे मांसपेशियों को खींचता और लंबा करता है, जिससे समय के साथ लचीलापन बढ़ता है। लगातार अभ्यास के माध्यम से, व्यक्ति अक्सर पाते हैं कि उनकी मांसपेशियाँ और जोड़ अधिक लचीले हो जाते हैं, जिससे गति की अधिक सीमा की अनुमति मिलती है और चोट लगने का जोखिम कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त, अष्टांग योग अपने कठिन अनुक्रमों के लिए जाना जाता है जो शक्ति और सहनशक्ति का निर्माण करते हैं। गतिशील गति और आसनों का स्थिर प्रवाह मांसपेशियों की ताकत विकसित करने, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाने और समग्र सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।   - मानसिक स्पष्टता और ध्यान/Mental Clarity and Focus: "शारीरिक लाभों से परे, अष्टांग योग का मानसिक स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अनुक्रमों को बनाए रखने के लिए आवश्यक एकाग्रता और श्वास नियंत्रण तकनीक मानसिक स्पष्टता और ध्यान को बढ़ावा देती हैं। कई अभ्यासकर्ताओं को बढ़ी हुई सजगता और कम तनाव का अनुभव होता है। अभ्यास का ध्यान संबंधी पहलू मन की शांतिपूर्ण स्थिति प्राप्त करने में भी मदद करता है, जिससे भावनात्मक स्थिरता और लचीलापन बेहतर होता है।" श्वास नियंत्रण (उज्जयी श्वास), दृष्टि (टकटकी/gaze) Read the full article
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swiftplasticpallets-blog · 5 months ago
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निर्माल्य कलश: परंपरा व पर्यावरणाचा समतोल
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धार्मिक विधी, पूजा, आणि साधनांमध्ये निर्माल्य म्हणजेच पूजा सामग्रीचे महत्व अतिशय महत्वाचे असते. निर्माल्य म्हणजे पूजा आणि धार्मिक क्रियाकलापांमध्ये वापरलेले फुलं, पानं आणि इतर नैसर्गिक पदार्थ. त्यामुळे, हे पदार्थ पर्यावरणाला हानी न पोहोचवता सुरक्षितपणे व्यवस्थापित करण्यासाठी निर्माल्य कलशाची निर्मिती करण्यात आली आहे. प्रत्येक धार्मिक कार्यक्रमाच्या शेवटी उरलेले निर्माल्य योग्य प्रकारे विसर्जित करणे आपली सामाजिक जबाबदारी आहे.
आधुनिक काळात सण उत्सवांत प्लास्टिकचा हि मोठ्या प्रमाणात वापर होताना आढळून येते. आणि ते प्लास्टिक निर्माल्य च्या माध्यमातून नदी तलाव व इतर जलाशयांत विसर्जित करण्यात येते त्यामुळे पर्यावरणाला मोठा धोका निर्माण होताना आपल्यास दिसून येते. पाण्याची नैसर्गिक शुद्धतेची पातळी खालावताना जाणवत आहे.
पर्यावरणावर होणारे दुष्परिणाम लक्षात घेता, म्हणूनच निर्माल्य कलश एक उत्कृष्ट पर्याय ठरत आहे. पूजेचे निर्माल्य आपण निर्माल्य कलशात दान करून आपण धार्मिक कर्तव्यांचं पालन करतानाच पर्यावरणाचे संरक्षण देखील करतो.
निर्माल्य म्हणजे काय? Nirmalya हा शब्द संस्कृत भाषेतील ‘निर्मल’ या शब्दापासून आलेला आहे, ज्याचा अर्थ शुद्ध किंव्हा पवित्र असा होतो. पूजा किंवा धार्मिक कार्यक्रमानंतर उरलेले फुलं, अक्षता, हळद-कुंकू, अगरबत्ती इत्यादींना निर्माल्य असे म्हणतात. याप्रकारे, हे सर्व पदार्थ निसर्गात विसर्जित करणं ही एक पारंपरिक प्रथा आहे, पण अनियंत्रित पद्धतीने विसर्जन केल्याने पर्यावरणाची हानी होऊ शकते.
निर्माल्य कलशाची गरज! धार्मिक उत्सव आणि पूजांच्या वेळी मोठ्या प्रमाणात निर्माल्य निर्माण होते. हे निर्माल्य नैसर्गिक असले तरी, त्याचे व्यवस्थापन योग्य पद्धतीने न केल्यास ते पर्यावरणास हानी पोहोचवू शकते. पर्यावरणाच्या संरक्षणासाठी निर्माल्याचे योग्य व्यवस्थापन करणे  खूप महत्त्वाचं आहे.
निर्माल्य कलश ही एक सोपी, परंतु प्रभावी उपाययोजना आहे. या कलशांमध्ये निर्माल्य गोळा करून त्याचं विसर्जन योग्य ठिकाणी करता येते . यामुळे नद्या, तलाव आणि इतर जलस्रोतांच्या प्रदूषणाचं प्रमाण कमी होऊन पिण्यायोग्य पाण्याचे आपण संवर्धन करू शकतो. 
निर्माल्य कलशाचे प्रकार “स्विफ्ट टेक्नोप्लास्ट“ सारख्या आधुनिक कंपन्या निर्माल्य कलशाच्या उत्पादनात आघाडीवर आहेत. स्विफ्ट टेक्नोप्लास्ट च्या माध्यमातून हे कलश दोन प्रकारात उपलब्ध आहेत:
Nirmalya Kalash with Plastic Stand: हा प्रकार हलका आणि टिकाऊ आहे. प्लास्टिकचा वापर करून बनवलेला हा कलश स्टँड उपयोगात सोपा आणि दीर्घकालीन टिकाऊपणाचा आहे.याचा पर्यावरणास कोणताही अपाय नाही कारण यात वापरले जाणारे प्लास्टिक हे १०० टक्के पुनर्वापर करण्यायोग्य आहे.
Nirmalya Klash with MS Stand: हा प्रकार अधिक मजबूत ��णि दीर्घकालीन टिकाऊपणाचा आहे. माइल्ड स्टीलचा वापर करून बनवलेला हा कलशस्टँड वजनाने जड असला तरी, त्याची टिकाऊपणा आणि स्थिरता उत्तम आहे.
निर्माल्य कलशाचे फायदे
पर्यावरण पूरक: निर्माल्य कलश वापरल्यामुळे निर्माल्याचे योग्य व्यवस्थापन होऊन पर्यावरणाचे संरक्षण होते.
सौंदर्यदृष्ट्या आकर्षक: हे कलश विविध आकार आणि रंगांमध्ये उपलब्ध असल्यामुळे धार्मिक स्थळांच्या सौंदर्यात भर घालतात.
दीर्घायुषी: निर्माल्य कलश उच्च दर्जाच्या प्लास्टिकपासून बनवलेले असल्यामुळे ते दीर्घकाळ टिकतात.
सुरक्षित: प्लास्टिकने बनवलेल्या या कलशांमुळे निर्माल्याचं संकलन सुरक्षित आणि स्वच्छ पद्धतीने करता येते. 
निर्माल्य कलशाचा वापर कसा करावा?
पूजेच्या शेवटी निर्माल्य संकलित करा: प्रत्येक धार्मिक कार्यक्रमाच्या शेवटी उरलेले निर्माल्य हे निर्माल्य कलशमध्ये  ठेवा आणि त्यात निर्माल्य जमा करा.
योग्य विसर्जन: एकदा कलश भरल्यावर, ते योग्य ठिकाणी जसं की, कंपोस्ट पिट, बागेतील खतं, किंवा महापालिकेच्या ठरवलेल्या ठिकाणी विसर्जित करा.
पुनर्वापर: निर्माल्य कलश स्वच्छ करून पुन्हा वापरता येतात, त्यामुळे एकदा घेतलेला कलश दीर्घकाळ चालतो.
कलश हा पर्यावरण पूरक, सुरक्षित आणि सोपा उपाय आहे. धार्मिक पूजेसाठी निर्माण होणाऱ्या निर्माल्याचे व्यवस्थापन करण्यासाठी हा एक उत्तम पर्याय आहे. निर्माल्य कलशाच्या वापरामुळे आपल्याला आपल्या धार्मिक कर्तव्यात कुठलाही अडथळा येत नाही आणि त्याचबरोबर पर्यावरणाचं संरक्षण देखील होते. त्यामुळे, Swift Technoplast सारख्या कंपन्या या अभिनव कल्पनांना प्रत्यक्षात आणून आपल्याला एक उत्कृष्ट पर्याय पुरवत आहेत. त्यामुळे आपल्या धार्मिक विधींमध्ये निर्माल्य कलशाचा वापर करून आपण पर्यावरण पूरक जीवनशैली अंगिकारू शकतो.
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