#महालया
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On the holy day of Mahalaya, may Maa Durga’s divine energy fill your life with strength and positivity. Let the celebrations begin!
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Begusarai: महालया पर गंगा किनारे उमड़ा जनसैलाब, रविवार को होगा कलश स्थापन
Begusarai : मां भगवती दुर्गा की पूजा कर शक्ति पाने का पर्व शारदीय नवरात्र रविवार को कलश स्थापन और मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ नवरात्र शुरू हो जाएगा। दूसरी ओर पूजा-अर्चना के लिए गंगाजल लेने के लिए गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। शनिवार को महालया के अवसर पर पितृ विसर्जन एवं दुर्गा पूजा का जल लेने के लिए पावन गंगा तट सिमरिया घाट में सिर्फ बेगूसराय…
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Shailputri is a Hindu goddess and is one of the nine forms of the Hindu goddess Durga. She is worshipped on the first day of Navratri, a nine-day festival dedicated to the worship of the nine forms of Durga. Shailputri is also known as Sati, Bhavani or Parvati.
The name "Shailputri" literally means "daughter of the mountains," as she is believed to be the daughter of the Himalayas. She is depicted as a beautiful goddess riding a bull and carrying a trident and a lotus in her two hands.
Navratri Special Offer !!!!!!!!!!!!!!!.......!
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महालया पक्ष आहार, बेहतर शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य
जो लोग महालया पर मेरे ब्लॉग पोस्ट पढ़ते हैं, उन्हें पता होगा कि मैंने संकेत दिया था कि कुछ आहार प्रतिबंधों का पालन किया जाना है । लगभग एक साल पहले मैंने पोस्ट किया था कि भगवद गीता भोजन की आदतों के बारे में विस्तार से बोलती है और स्पष्टीकरण के साथ ग्रंथों को उद्धृत करती है । मैंने पिछले महालया पक्ष से पत्र के लिए इन आहार संबंधी सिफारिशों की कोशिश की है । जबकि मैं उन आध्यात्मिक लाभों पर टिप्पणी…
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🐅 दुर्गा पूजा - Durga Puja 2023
❀ संबंधित अन्य नाम - दुर्गोत्सव, अकालबोधन (दुर्गा की असामयिक जागृति), शारदीय पुजो, शारदीयोत्सव (बंगाली: देवदेवब), महा पुजो, महापूजा, मायर पुजो (मां की पूजा), दुर्गतनाशिनी, शरदोत्सव ❀ महालया से उत्सव प्रारंभ होता है, इस दिन से मूर्तियों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाता है। ❀ परंतु वास्तविक पूजो महा षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी के रूप में परिभाषित की गयी है। ❀ दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा का समापन हो जाता है।
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/durga-puja
महा षष्ठी - दुर्गा पूजा का दिन 1 [20 अक्टूबर 2023]0 बिधि - बिल्व निमन्त्रण, कल्पारम्भ, अकाल बोधन, आमन्त्रण और अधिवास
महा सप्तमी - दुर्गा पूजा का दिन 2 [21 अक्टूबर 2023] बिधि - नवपत्रिका पूजा, कलाबोऊ पूजा
महा अष्टमी - दुर्गा पूजा का दिन 3 [22 अक्टूबर 2023] बिधि - दुर्गा अष्टमी, कुमारी पूजा, सन्धि पूजा
महा नवमी - दुर्गा पूजा का दिन 4 [23 अक्टूबर 2023] बिधि - महा नवमी, दुर्गा बलिदान, नवमी हवन
विजयदशमी - दुर्गा पूजा का दिन 5 [24 अक्टूबर 2023] बिधि - दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी, सिंदूर खेला
🐅 महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - Mahishasura Mardini Stotram 📲 https://www.bhaktibharat.com/mantra/mahishasura-mardini-stotram
🐅 दुर्गा पूजा धुनुची नृत्य | उलु ध्वनि - Dhunuchi Dance in Durgapuja 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/dhunuchi-dance-in-durgapuja
#durgapuja#navratri#durga#maadurga#durgamaa#durgapujo#jaimatadi#kolkatadurgapuja#devi#dussehra#pujo#navratrispecial#puja
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Jamshedpur sanskar bharti : संस्कार भारती के आयोजन ‘जय-जय भैरवि’ में मां के भजनों पर झूमे श्रोता, महालया के अवसर पर लक्ष्मीनाथ गोस्वामी मंदिर में आयोजित हुई मां दुर्गा की भजन संध्या
जमशेदपुर : कला एवं रंगमंच को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती की जमशेदपुर महानगर इकाई की ओर से महालया के पावन अवसर पर बुधवार, 02 अक्टूबर को बिष्टुपुर परमहंस लक्षमीनाथ गोस्वामी मंदिर परिसर में भजन संध्या “जय जय भैरवि” का आयोजन हुआ. आगमनी संध्या कीर्तन हमारी परम्परा भी है और संस्कार भी. अजेय शिवा-शक्ति के आह्वान के लिए हम उत्साह के साथ तत्पर रहते हैं, स्तुति हमारी समर्पित अभिव्यक्ति है…
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शुभ महालया: एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व
शुभ महालया, जिसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से बंगाली समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। महालया का दिन देवी दुर्गा के आगमन की तैयारी का प्रतीक होता है, जो आगामी दुर्गा पूजा के पहले की दिन मनाया जाता है। इस दिन, श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए तर्पण और श्राद्ध का आयोजन करते हैं। इस लेख में, हम शुभ…
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"सनातन धर्म और मासिक धर्म: सवाल और समाधान"
बहुत पुराने समय से ही सनातन धर्म ग्रंथों में अनेक विषय प्रस्तुत किये गये हैं जो अधूरे एवं मिथ्या प्रतीत होते हैं। आज के समय में भी जब दुनिया चाँद पे पहुंच चुकी है, हमारी बहनें पूछ रही हैं कि क्या मासिक धर्म उन्हें इतना अपवित्र कर देता है कि भगवान उन्हें देखना ही पसंद नहीं करते ये तो उन्हो���ने ही दिया है तो फिर क्यों उनके लिए मंदिर के दरवाजे बंद हैं? और अगर वे मंदिर नहीं जाते तो क्या उन्हें प्रसाद लेने का अधिकार नहीं है? प्रसाद तो भगवान का है, फिर भगवान ऐसा क्यों चाहेंगे?
आजकल मासिक धर्म के कारण होने वाली अशुद्धियों को फैलने से रोकने के लिए हम इसकी सफाई रखते हैं। सेनेटरी नैपकिन हैं. तो क्या अब भी महिलाओं को मंदिर जाने से रोका जाना चाहिए? क्या गायत्री मंत्र जैसे पवित्र मंत्र का जाप भी उन्हें अपवित्र बना देगा? क्या सच में महिलाओं को पूजा नहीं करनी चाहिए? और जब ये इतना ही अपवित्र है तो 52 शक्तिपीठों में से एक माता कामाख्या देवी मंदिर में देवी की योनी की पूजा होती है। मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है , क्युकी इन दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं। यह तक की इन 3 दिनों में पुरुष भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। कहते हैं कि इन 3 दिनों में माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो 3 दिनों में लाल रंग का हो जाता है। इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। इसे ही प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है , तो हमारे साथ ये भेदभाव क्यों ।
सच्चाई यह है कि सनातन धर्म में मासिक धर्म को कभी अपवित्र माना ही नहीं गया है। जैसे ब्रह्मचर्य का पालन पुरुषों के लिए तपस्या का प्राप्ति होता है, ठीक उसी तरह मास्ट्रुएशन स्त्रियों में त्याग का प्रतीक है। कामाख्या माता का मंदिर इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां आज भी माना जाता है कि जो लोग इस मंदिर के दर्शन तीन बार कर लेते हैं, उन्हें सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए, हम ये कैसे कह सकते हैं कि स्त्रियों के लिए मासिक धर्म आना उन्हें अपवित्र बना देता है।
भारत में कई ऐसे गांव आज भी है , जहा जब किसी पहला पीरियड्स आता है तो उसे अपवित्र नहीं मन जाता बल्कि सेलिब्रेट किया जाता है और उसे एक उत्सव के रूप में मनाते है। असम में स्थित कामाख्या मंदिर ऐसी जगह है जहां महिलाओं के मासिक धर्म को उत्सव की तरह मनाया जाता है। यहाँ पर महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान कामाख्या माता के दर्शन करने आती हैं और इसे महालया उत्सव के रूप में मनाया जाता है।और ये सेलिब्रेट केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि एक हफ्ते या उससे ज्यादा दिन का होता है। और अगर सनातन धर्म में ऐसे अपवित्र ही मन जाता तो फिर क्यों आज भी कई जगहों पे इसे उत्सव की तरह क्यों मना रहे है।
जब भारत पर बाहरी आक्रमण (मुगल, डच, पुर्तगाल, ब्रिटिश) हुए तो मासिक धर्म का जश्न मनाने की इस परंपरा को बंद करन�� पड़ा क्योंकि आक्रमणकारी लड़कियों का शोषण करते थे और कोई भी माता-पिता ऐसा नहीं चाहते थे, इसलिए धीरे-धीरे मासिक धर्म के उत्सव को मनाना बंद कर दिया ।
"मासिक धर्म: आयुर्वेदिक परंपरा और रजस्वला परिचर्या"
आयुर्वेद भी मासिक धर्म को एक शारीरिक और आत्म-शुद्धिकरण प्रक्रिया के रूप में मान्यता देता है; न की इसे अपवित्र माना जाता है । आयुर्वेद ने मासिक धर्म वाली महिलाओं के लिए जीवन शैली का निर्धारण किया है - जैसे कि वे क्या करें और क्या न करें, जिसे हम 'रजस्वला परिचर्या' कहते हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करना और बच्चों में किसी भी स्वास्थ्य समस्या को रोकना है। दुर्भाग्य यह है की आधुनिक युग में महिलाओं द्वारा रजस्वला परिचर्या के बारे में न तो बताया जाता है है और न ही इसका पालन किया जा रहा है। मासिक धर्म के दौरान होने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों पर उचित प्रतिक्रिया देने के साथ-साथ कम लक्षणों का अनुभव करने से लड़कियों को इससे लाभ हो सकता है।
सनातन धर्म में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि मासिक धर्म अशुद्ध है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को स्नान करने, बालों में कंघी करने, नाखून काटने की मनाही होती है और शांत और कम शोर वाले स्थान पर रहने को कहा जाता है। इसके पीछे कोई अशुद्ध नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण है:- जैसे-जैसे हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, ज्ञान के अभाव के कारण महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं, जैसे पी.सी.ओ.डी. यह सिंड्रोम बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जिसके कारण मासिक धर्म में परेशानी होती है।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कई काम करने से क्यों रोका जाता है?
इस दौरान शरीर में वात और पित्त की वृद्धि होती है क्योंकि शरीर को नई गतिविधियां संभालनी होती हैं, इसके लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए आयुर्वेद में ऐसे काम करने से मना किया गया है जो वात और पित्त को बढ़ाते हों। उदाहरण के लिए, स्नान करना वर्जित है क्योंकि इससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और पित्त जो पहले से ही बढ़ा हुआ है वह और अधिक बढ़ जाता है। बालों में कंघी करने से भी मना किया जाता है क्योंकि मासिक धर्म के दौरान बाल बहुत कमजोर हो जाते हैं और ज्यादा टूटने लगते हैं। मासिक धर्म के दौरान बहुत अधिक गतिविधि करने से बचें क्योंकि इससे शरीर में कमजोरी आती है और हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं, जिससे चोट लग सकती है।
Rajaswala Paricharya में, मासिक धर्म के दौरान शांत मन से ध्यान करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस समय मासिक धर्म वाली महिला गतिविधियों से दूर हो जाती है जिसके कारण मन आसानी से ध्यान में लग जाता है।
मासिक धर्म अपवित्र या अभिशाप नहीं बल्कि व���दान है और यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है। क्योंकि पुरुषों को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कड़ी मेहनत और ध्यान करना पड़ता है जबकि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान अपने शरीर से विषाक्�� पदार्थों को आसानी से बाहर निकाल लेती हैं, इसलिए महिलाओं को हृदय रोग कम होते हैं और उनकी उम्र भी लंबी होती है। अगर मासिक धर्म की देखभाल ठीक से की जाए तो मासिक धर्म के कारण होने वाली बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। इसमें मासिक धर्म को अशुद्ध नहीं बताया गया और न ही इस दौरान महिलाओं पर कोई प्रतिबंध लगाया गया, बल्कि यह बताया गया कि मासिक धर्म के दौरान शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन कैसे बनाए रखा जाए ताकि किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या से बचा जा सके। टाला. नहीं करना पड़ेगा
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💥नवरात्रि विशेष 💥
कल रविवार 15 अक्टूबर से देवी दुर्गा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है. कल रविवार को घट कलश स्थापना होगी. ये पर्व 23 अक्टूबर तक चलेगा. इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है. शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं, तब ज्यादा बारिश के योग बनते हैं. आइए जानते हैं इस पर्व की संपूर्ण जानकारी-
🌞नवरात्रि पर योग🌞
👉 इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों का होगा और 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. शारदीय नवरात्रि पर बुधादित्य योग, शश राजयोग और भद्र राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ रविवार 15 अक्टूबर 2023 से हो रहा है।
👉देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं. जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं।
👉माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा. वैसे तो देवी दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन नवरात्रि की शुरुआत में वार के अनुसार देवी का वाहन बदल जाता है।
👉इस बार नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है, इस कारण देवी का वाहन हाथी रहेगा. देवी के इस वाहन का संदेश ये है कि आने वाले समय में देश को लाभ हो सकता है. लोगों को सुख-समृद्धि मिलेगी।
👉 हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है. जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है।
👉शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. नवरात्रि की शुरुआत कल रविवार 15 अक्टूबर 2023 से होगी. 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी।
👉24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
👉धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है. हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं. मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है. इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी. साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी. हाथी को शुभ का प्रतीक माना गया है. ऐसे में आने वाला यह साल बहुत ही शुभ कार्य होगा. लोगों के बिगड़े काम बनेंगे. माता रानी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी.
🌞कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त🌞
👉पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक है. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा।
💥शारदीय नवरात्रि की तिथियां💥
👉15 अक्टूबर 2023 मां शैलपुत्री पहला दिन प्रतिपदा तिथि
👉16 अक्टूबर 2023 मां ब्रह्मचारिणी दूसरा दिन द्वितीया तिथि
👉17 अक्टूबर 2023 मां चंद्रघंटा तीसरा दिन तृतीया तिथि
👉18 अक्टूबर 2023 मां कुष्मांडा चौथा दिन चतुर्थी तिथि
👉19 अक्टूबर 2023 मां स्कंदमाता पांचवा दिन पंचमी तिथि
👉20 अक्टूबर 2023 मां कात्यायनी छठा दिन षष्ठी तिथि
👉21 अक्टूबर 2023 मां कालरात्रि सातवां दिन सप्तमी तिथि
👉22 अक्टूबर 2023 मां महागौरी आठवां दिन दुर्गा अष्टमी
👉23 अक्टूबर 2023 महानवमी नौवां दिन शरद नवरात्र व्रत पारण
👉24 अक्टूबर 2023 दशहरा मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
💥कलश स्थापना की सामग्री💥
👉मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।
💥कैसे करें कलश स्थापना💥
👉नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए ��िट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ��परी हिस्से में मौली बांधें.
👉अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें.
फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं
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Mahalaya Birendra Bhadra Mahishasur Mardini Is The Ultimate Tradition Of Bangal And Durga Puja | बंगाल में धार्मिक रस्मों से नहीं रेडियो ड्रामा से होती है नवरात्र की शुरुआत
Mahalaya Birendra Bhadra Mahishasur Mardini Is The Ultimate Tradition Of Bangal And Durga Puja | बंगाल में धार्मिक रस्मों से नहीं रेडियो ड्रामा से होती है नवरात्र की शुरुआत
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पितृपक्ष विसर्जन अमावस्या के दिन सुबह चार बजे देश और दुनिया के तमाम बंगाली उठ जाते हैं. श्राद्ध पक्ष के खत्म होने और दुर्गापूजा के आने के बीच इस दिन अल सुबह हर पारंपरिक परिवार में एक रस्म निभाई जाती है. रेडियो ऑन करके वीरेंद्र कृष्ण भद्र के धार्मिक प्ले महिषासुर मर्दनी को न सुन लिया…
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As the first rays of Mahalaya dawn upon us, may Maa Durga’s blessings bring light and positivity into our lives. Happy Mahalaya!
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बंगाली समाज में दुर्गा पूजा ( Durga Puja) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। शक्ति के महान रूप में रूप में देवी दुर्गा को बंगाली समाज में पूजा जाता है।
माता के द्वारा महिषासुर से युद्ध एवं वध करके संसार को आसुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस उत्सव का आरम्भ महालया नवरात्री (Navratri) के पहले दिन से होता है।
शारदीय नवरात्र की धूम पूरे भारत वर्ष में होती है। परन्तु बंगाल के लिए दुर्गा की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। पूरा बंगाल देवी दुर्गा की भक्ति के रंग में रंग जाता है।
यदि आप बंगाल की संस्कृति को करीब से देखना और समझना चाहते है, तो इस उत्सव के समय ही कोलकोता जाये।
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🙏 सर्वपितृ अमावस्या - Sarvpitra Amavashya
🌼 पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या या महालया अमावस्या के रूप में जा��ा जाता है 🌼 सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है जिन व्यक्तियों को अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि की सही तारीख / दिन नहीं पता होता, वे लोग इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि और भोजन समर्पित करके याद करते हैं।… 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/pitru-paksha
📿 शांति पाठ - Shanti Path 📲 https://www.bhaktibharat.com/mantra/shanti-path
#pitrupaksha#Kanagat#Shraddha#Shraaddh#Mahalaya#SarvapitriAmavasya#MahalayaAmavasya#AparaPaksha#PitruAmavasya#AshvinKrishna
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महालया के अवसर पर निरंकारी मंडल ने निकाली प्रभात फेरी
सिलीगुड़ी : महालया के अवसर पर निरंकारी मंडल की सिलीगुड़ी शाखा
Prabhat Ferry Organized by Nirankari Mandal. की ओर से आज सुबह 6.30 बजे प्रभात फेरी का आयोजन किया गया. प्रभात फेरी पानीटंकी मोड़ स्थित बंग भवन से शुरू होकर अंजलि ज्वेलर्स के सामने से होते हुए पाकुड़तला मोड़, नजरुल सरणी, राजा राममोहन रॉय रोड, टीएस क्लब, स्वामीजी सरणी समेत विभिन्न सड़कों की परिक्रमा की. प्रभात फेरी में बढ़ी संख्या में महिला व पुरुष निरंकारी भक्तों ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर निरंकारी मंडल की ओर से अध्यात्म भक्ति संगीत, भजन आदि का आयोजन किया गया.
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