महालया पक्ष आहार, बेहतर शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य
जो लोग महालया पर मेरे ब्लॉग पोस्ट पढ़ते हैं, उन्हें पता होगा कि मैंने संकेत दिया था कि कुछ आहार प्रतिबंधों का पालन किया जाना है । लगभग एक साल पहले मैंने पोस्ट किया था कि भगवद गीता भोजन की आदतों के बारे में विस्तार से बोलती है और स्पष्टीकरण के साथ ग्रंथों को उद्धृत करती है । मैंने पिछले महालया पक्ष से पत्र के लिए इन आहार संबंधी सिफारिशों की कोशिश की है । जबकि मैं उन आध्यात्मिक लाभों पर टिप्पणी…
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☀️ मकर संक्रांति - Makar Sankranti
❀ अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाये जाते हैं, लेकिन यह त्योहार सूर्य के चारों ओर प्रथ्वी द्वारा की जाते वाली परिक्रमा की गणना के आधार पर मनाया जाता है।
❀ जब सूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है, तब मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।
❀ आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार गांगजी, गंगा सागर, कुंभ और प्रयागराज में स्नान करना चाहिए।
❀ इस त्योहार पर सूर्य की उपासना की जाती है।
❀ लोग व्रत स्नान के बाद अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ दान अवश्य करते हैं।
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/makar-sankranti
🎋 पोंगल - Pongal
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/pongal
💦 गंगा सागर स्नान - Gangasagar Mela
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/gangasagar-mela
🎋 पौष संक्रांति - Poush Sankranti
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/poush-sankranti
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राशिफल : इस राशि को व्यवहारिक कुशलता से अवसर की होगी प्राप्ति, जानिए अपनी राशि
आज का पंचाग दिनांक 12.11.2023 शुभ संवत 2080 शक 1945 सूर्य दक्षिणायन का कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि दोपहर को 02 बजकर 46 मिनट तक दिन रविवार स्वाति नक्षत्र रात्री को 02 बजकर 52 मिनट तक आज चंद्रमा तुला राशि में आज का राहुकाल दोपहर को 03 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 22 मिनट तक होगा
आज के राशियों का हाल तथा ग्रहों की चालमेष राशि – जीवनसाथी के स्वास्थ्य से तनाव. वित्तीय तनाव. खर्च की अधिकता। उपाय –…
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 13 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:40 सूर्यास्त :- 17:43 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- मिथुन मास :- अगहन तिथि :- पंचमी वार :- सूर्यवार नक्षत्र :- आर्द्रा ( आर्द्रा नक्षत्र प्रातः 10:18 तक तत्पश्चात पुनर्वसु नक्षत्र ) योग :- साध्य करण :- कौलव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- शरद लाभ :- 09:25 - 10:47 अमृत:- 10:48 - 12:10 शुभ :- 13:33 - 14:56 राहु काल :- 16:20 - 17:43 जय महाकाल महाराज :- *सूर्य ग्रह :-* यदि सूर्य ग्रह जन्मकुंडली में कमजोर है तो सूर्य को मजबूत करने के लिए नित्य स्नान करने के पश्चात तांबे के पात्र में जल के साथ पुष्प रखकर चढावें। व सूर्य के निम्नलिखित बारह नाम लेवें। ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ मित्राय नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ पुष्णे नम:, ॐ मारिचाये नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ सावित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:। ऐसा करने से सूर्य नारायण भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आज का मंत्र :- ""|| ॐ घृणि सूर्याय नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 13 नवम्बर 2022 ( सूर्यवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/Ck4t1D_rPG9/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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*🌞~ आज दिनांक - 22 सितम्बर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग, सटीक गणना के साथ और रविवार विशेष~🌞*
✍️ Akshay Jamdagni
*⛅दिनांक - 22 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पंचमी दोपहर 03:43 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - कृत्तिका रात्रि 11:02 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - हर्षण प्रातः 08:18 तक, तत्पश्चात वज्र प्रातः 05:28 सितम्बर 23 तक, तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - शाम 05:05 से 06:36 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:32*
*⛅सूर्यास्त - 06:32*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:41 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:08 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 सितम्बर 23 से रात्रि 12:56 सितम्बर 23 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - पंचमी श्राद्ध, रवि योग (रात्रि 11:02 से प्रातः 06:29 सितम्बर 23 तक)*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹इलायची🔹*
*🔹इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है । यह दो प्रकार की होती है – छोटी व बड़ी ।*
*🔹छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है । इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है ।*
*🔹औषधीय प्रयोग🔹*
👉🏻 *अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है ।*
👉🏻 *धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मिचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें ।*
👉🏻 *१ कप पानी में १ ग्राम इलायची चूर्ण डाल के ५ मिनट तक उबालें । इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें । २ – २ चम्मच यह पानी २ – २ घंटे के अंतर से लेने से जी – मिचलाना, उबकाई आना, उलटी आदि में लाभ होता है ।*
👉🏻 *छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें । चुटकीभर चूर्ण को १ -१ घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है । कफ पिघलकर निकल जाता है ।*
👉🏻 *रात को भिगोये २ बादाम सुबह छिलके उतारकर घिस लें । इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, १ चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है ।*
👉🏻 *आधा से १ ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से दाह, पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है ।*
👉🏻 *आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और १-२ ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है ।*
👉🏻 *छिलके सहित १ इलायची को आग में जलाकर राख कर लें । इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है ।*
👉🏻 *१ ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है ।*
*सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी डकारें आती है । इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है ।*
*🔹 रविवार विशेष🔹*
*🔸 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔸 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔸 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔸 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔸 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔸 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔸 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
*🔸 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
🙏Akshay Jamdagni ✍️
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart56 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart57
"श्री मार्कण्डेय पुराण में पित्तरों की दुर्गति का प्रमाण"
जिन्दा महात्मा अर्थात् परमेश्वर ने धर्मदास जी से कहा कि "हे धर्मदास जी! आपने बताया कि आप भूत पूजा (तेरहीं, सत्तरहीं आदि भी करते हैं तथा अस्थियाँ उठाकर गति कराते हो) पित्तर पूजा (श्राद्ध आदि करना पिण्ड भराना) तथा देवताओं विष्णु-शिव आदि की पूजा भी करते हो। जबकि गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में गीता ज्ञानदाता ने मना किया है। संक्षिप्त मार्कण्डेय पुराण में मदालसा वाले प्रकरण में पृष्ठ 90 पर लिखा है "जो पित्तर देवलोक में हैं, जो तिर्यग्योनि में पड़े हैं, जो मनुष्य योनि में एवं भूतवर्ग में अर्थात् प्रेत बने हैं, वे पुण्यात्मा हों या पापात्मा जब भूख-प्यास विकल (तड़फते) होते है तो पिण्डदान तथा जलदान द्वारा तृप्त किया जाता है। (लेख समाप्त) पेश है मार्कण्डेय पुराण के संबंधित प्रकरण की फोटोकॉपी:- अ०१५]
तीसरा अंग १५३
हे भूपाल। पितृगणका आधार चन्द्रमा है और चन्द्रमाका आधार सोग है, इसलिये ब्राद्धमें योगि��नको नियुक्त करना अहि उत्तम है॥५५॥
हे राजन्। यदि श्राद्धभोजी एक सहल ब्राह्मणोंके सम्मुख एक योगी भी हो तो वह मजमानके सहित उन सबका उद्धार कर देता है॥५६॥
* विचार करें: शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण अर्थात् मनमानी पूजा (देवों की, पित्तरों की, भूतों की पूजा) करके प्राणी पित्तर व भूत (प्रेत) बने। वे देवलोक (जो देवताओं की पूजा करके देवलोक में चले गए वे अपने पुण्यों के समाप्त होने पर पित्तर रूप में रहते हैं।) में हैं चाहे यमलोक में या प्रेत बने हैं, सर्व कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अब जो उनकी पूजा करेगा वह भी इसी कष्टमयी योनि को प्राप्त होगा। इसलिए सर्व मानव समाज को शास्त्रविधि अनुसार साधना करनी चाहिए। जिससे उन पित्तरों की पित्तर योनि छूट जाएगी तथा साधक भी पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा।
श्री विष्णु पुराण के तृतीय अंश के अध्याय 14 के श्लोक 10 से 14 में श्राद्ध के विषय में श्री सनत्कुमार ने कहा है कि तृतीया, कार्तिक, शुक्ला नौमी, भाद्रपद कृष्णा त्रयोदशी तथा माघमास की अमावस्या ये चारों तिथियाँ अनन्त पुण्यदायीनि हैं। चन्द्रमा या सूर्य ग्रहण के समय तीन अष्टकाओं अथवा उत्तरायण या दक्षिणायन के आरम्भ में जो पुरुष एकाग्रह चित से पित्तर गणों को तिल सहित जल भी दान करता है वह मानो एक हजार वर्ष तक के लिए श्राद्ध कर लेता है। यह परम रहस्य स्वयं पित्तर गण ही बताते है।" (लेख समाप्त)
श्री विष्णु पुराण के तृतीय अंश के अध्याय 16 के श्लोक 11 में लिखा है "क्षीरमेकशफाना यदौष्ट्रमाविकमेव च। मार्ग च माहिष चैव वर्जयेच्छाकमर्माणि" ।। इस श्लोक का हिन्दी अनुवाद एक खुरवालों का, ऊंटनी का, भेड़ का मृगी का तथा भैंस का दूध श्राद्धकर्म में प्रयोग न करें। (काम में न लाएँ।) पेश है श्री विष्णु पुराण के तृतीय अंश के अध्याय 16 के श्लोक 11 की
फोटोकॉपी :-
१५४
* श्रीविष्णुपुराण
आद्धके योग्य नहीं होता ॥ १० ॥ एक खुरवालोंका, ब्राद्धकर्ममें काममें न ले ॥ ११॥ ऊँटनीका, भेड़का, मृगीका तथा भैसका दूध
[अ०१६
* समीक्षा वर्तमान (सन् 2014 तक) सर्व व्यक्ति श्राद्धों में भैस के दूध का ही प्रयोग कर रहे हैं जो पुराण में वर्जित है। जिस कारण से उनके द्वारा किया श्रद्ध कर्म भी व्यर्थ हुआ। श्री विष्णु पुराण के तृतीय अंश के अध्याय 16 के श्लोक 1 से 3 में (मांस द्वारा श्राद्ध करने से पित्तर गण सदा तृप्त रहते हैं।) लिखा है "हविष्यमत्स्य मांसैस्तु शशस्य नकुलस्य च। सौकरछाग लैणेयरौरवैर्गवयेन च।। (1) और भ्रगव्यैश्च तथा मासवृद्धया पिता महाः।। (2) खडगमांसमतीवात्र कालशाकं तथा मधु। शस्तानि कर्मण्यत्यन्ततृप्तिदानि नरेश्वर ।। (3)
हिन्दी अनुवाद: हवि, मत्सय (मच्छली) शशंक (खरगोश) नकुल, शुकर (सुअर), छाग, कस्तूरिया मृग, काल�� मृग, गवय (नील गाय/वन गाय) और मेष (भेड़) के मांसों से गव्य (गौ के घी, दूध) से पित्तरगण एक-एक मास अधिक तृप्त रहते हैं और वार्षीणस पक्षी के मांस से सदा तृप्त रहते हैं। (1-2) श्राद्ध कर्म में गेड़े का मांस काला शाक और मधु अत्यंत प्रशस्त और अत्यंत तृप्ती दायक है।। (3) श्री विष्णु पुराण अध्याय 2 चतुर्थ अंश पृष्ठ 233 पर भी श्राद्ध कर्म में मांस प्रयोग प्रमाण स्पष्ट है।
समीक्षा:- उपरोक्त पुराण के ज्ञान आदेशानुसार श्राद्ध कर्म करने से पुण्य के स्थान पर पाप ही प्राप्त होगा।
क्या यह उपरोक्त मांस द्वारा श्राद्ध करने का आदेश अर्थात् प्रावधान न्याय संगत है अर्थात् नहीं। इसलिए पुराणों में वर्णित भक्तिविधि तथा पुण्य साधना कर्म शास्त्रविरूद्ध है। जो लाभ के स्थान पर हानिकारक है।
* विशेष: उपरोक्त श्लोक 1-2 के अनुवाद कर्ता ने कुछ अनुवाद को घुमा कर लिखा है। मूल संस्कृत भाषा में स्पष्ट गाय का मांस श्राद्ध कर्म में प्रयोग करने को कहा गया है। हिन्दी अनुवाद कर्ता ने गव्य अर्थात् गौ के मांस के स्थान पर कोष्ठ में "गौ के घी दूध से" लिखा है।
विचार करें: क्या हिन्दू धर्म उपरोक्त मांस आहार को श्राद्ध कर्म में प्रयोग कर सकता है। कभी नहीं। इसलिए ऐसे श्राद्ध न करके श्रद्धापूर्वक धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण सन्त के बताए मार्ग से करना चाहिए। वह है नाम मंत्र का जाप, पांचों यज्ञ, तीनों समय की उपासना वाणी पाठ से जो यह दास (रामपाल दास) बताता है। जिससे पित्तरों, प्रेतों आदि का भी कल्याण होकर उपासक पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा तथा उसके पित्तर (पूर्वज) जो भूत या पित्तर योनियों में कष्ट उठा रहे हैं, उनकी वह योनि छूटकर तुरन्त मानव शरीर प्राप्त करके इस भक्ति को प्राप्त करेगें। जिससे उनका भी पूर्ण मोक्ष हो जाएगा।
मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) में अध्याय "श्राद्ध कर्म का वर्णन पृष्ठ 100 पर लिखा है:- "जो प्रपितामह के ऊपर के तीन पीढीयों जो नरक में निवास करती है,
जो पशु-पक्षी की योनि में पड़े है, तथा जो भूत प्रेत आदि के रूप में स्थित है उन सब को विधि पूर्वक श्राद्ध करने वाला यजमान तृप्त करता है। पृथ्वी पर जो अन्न बिखेरते हैं (श्राद्ध कर्म करते समय) उससे पिशाच योनि में पड़े पित्तरों की तृप्ति होती है। स्नान के वस्त्र से जो जल पृथ्वी पर टपकता है, उससे वृक्ष योनि में पड़े हुए पित्तर तृप्त होते हैं। नहाने पर अपने शरीर से जो जल के कण पृथ्वी पर गिरते हैं उनसे उन पित्तरो की तृप्ति होती है जो देव भाव को प्राप्त हुए हैं। पिण्डों के उठाने पर जो अन्न के कण पृथ्वी पर गिरते हैं, उनसे पशु-पक्षी की योनि में पड़े हुए पित्तरों की तृप्ति होती है। अन्यायोपार्जित धन से जो श्राद्ध किया जाता है, उससे चाण्डाल आदि योनियों में पड़े हुए पित्तरों की तृप्ति होती है।
विचार करें: उपरोक्त योनियों में जो अपने पूर्वज पड़े हैं। उसका मूल कारण है कि उन्होंने शास्त्रविधि अनुसार भक्ति नहीं की। पवित्र गीता जी व पवित्र वेदों में वर्णित विधि अनुसार साधना करते तो उपरोक्त महाकष्ट दायक योनियों में नहीं पड़ते। मुझ दास (लेखक रामपाल दास) की सर्व मानव समाज से करबद्ध प्रार्थना है अब तो जागो, पीछे जो गलती हो चुकी है, उसकी आवृत्ति न हो।
जो साधना यह दास (रामपाल दास) बताता है उससे आपके पूर्वज (सात पीढ़ी तक के) किसी भी योनि में (पित्तर, भूत, पिशाच, पशु-पक्षी, वृक्ष आदि में) पड़े हों उन सर्व की वर्तमान योनि छूटकर तुरन्त मानव जन्म मिलेगा। फिर वे वर्तमान में मुझ दास (रामपाल दास) द्वारा भक्ति साधना प्राप्त करके यदि मर्यादा में रह कर आजीवन यह भक्ति करते रहेगें तो पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगें। यही प्रमाण कबीर परमेश्वर द्वारा दिए तत्वज्ञान को संत गरीबदास जी बता रहे हैं:-
अग्नि लगा दिया जद लम्बा, फूंक दिया उस ठाई। पुराण उठाकर पण्डित आए, पीछे गरूड़ पढ़ाई ।।
नर सेती फिर पशुवा किजे, गधा बैल बनाई।
छप्पन भोग कहा मन बौरे, किते कुरड़ी चरने जाई ।।
प्रेत शिला पर जाय विराजे, पित्तरों पिण्ड भराई।
बहुर श्राद्ध खाने को आए, काग भए कलि माहीं ।।
जै सतगुरु की संगत करते, सकल कर्म कट जाई। अमर पुरी पर आसन होते, जहाँ धूप ना छांई ।।
उपरोक्त वाणी पांचवें वेद (सूक्ष्म अर्थात् स्वसम वेद) की है। जिसमें स्पष्ट किया है कि पित्तरों आदि के पिण्ड दान करते हुए अर्थात् श्राद्ध कर्म करते-करते भी पशु-पक��षी व भूत प्रेत की योनियों में प्राणी पड़ते हैं तो वह श्राद्ध कर्म किस काम आया? फिर कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वज्ञान दाता तत्वदर्शी संत) का संग करते अर्थात् उसके बताए अनुसार भक्ति साधना करते तो सर्व कर्म कट जाते। न पशु बनते, न पक्षी, न पित्तर बनते, न प्रेत। सीधे सतधाम (शाश्वत स्थान) पर चले जाते जहां जाने के पश्चात् फिर लौट कर इस संसार में किसी भी योनि में नहीं आते (प्रमाण गीता अध्याय 4 श्लोक 34 अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तथा श्लोक 16-17 में तथा अध्याय 18 श्लोक
62 में व अध्याय 9 श्लोक 25 में) पुराणों में लिखा है (जो ऋषि का अनुभव है) कि पित्तर धन देते हैं, पुत्र देते हैं। रोग नष्ट कर देते हैं आदि-आदि।
* विचार करें: पित्तर स्वयं भूखे-प्यासे यमलोक (नरक लोक) में कष्ट उठाते हैं। अपनी भूख-प्यास शांत करने के लिए आप जी से श्राद्ध कर्म करने को भ्रमित ज्ञान के आधार से कहते हैं तो क्या वे आपको सुखी कर सकते हैं? यह बात न्याय संगत नहीं है। अपने धर्मगुरू यह भी कहा करते हैं कि किस्मत में लिखा ही प्राणी प्राप्त करते हैं, उसमें कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। परंतु सच्चाई यह है कि यदि साधक पूर्ण परमात्मा की सत्य साधना करता है तो परमात्मा को ही यह अधिकार है कि भाग्य से भिन्न भी दे सकता है। अन्य किसी देवी-देव तथा पित्तर आदि को यह अधिकार नहीं है।
गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 तथा 20-23 में तो तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा रजगुण, श्री विष्णु सतगुण तथा श्री शिव तमगुण) की भक्ति करना भी निषेध बताया है। हिन्दू ब्रह्म की साधना न करके अन्य उपरोक्त देवताओं या अन्य देवताओं की पूजा करते हैं। इनकी पूजा करने वालों को राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख कहा है। आप जी विचार करें कि पित्तर कौन से खेत की मूली हैं? पित्तर साधक को धन, पुत्र आदि दे देंगे, यह दूर की कौड़ी है।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः 🏵️🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (त्रयोदशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-20-जून-2024
वार:--------गुरुवार
तिथी :---13त्रयोदशी:-07:50
पक्ष :--------शुक्लपक्ष
माह:-------ज्येष्ठ
नक्षत्र :-----अनुराधा:-18:10
योग:-------साध्य-20:11
करण:----तैतिल:-07:50
चन्द्रमा:------वृश्चिक
सूर्योदय:-----05:50
सूर्यास्त:------19:29
दिशा शूल-----दक्षिण
निवारण उपाय:-----राई का सेवन
ऋतु :------ग्रीष्म-वर्षा ऋतु
गुलीक काल:-----09:16से10:57
राहू काल:---14:20से16:00
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-05:50से07:32तक
चंचल:-10:54से12:36तक
लाभ:-12:36से14:17तक
अमृत:-14:17से15:58तक
शुभ:-17:48से19:29तक
🌓चोघङिया रात🌗
अमृत:-19:29से20:48तक
चंचल:-20:48से22:06तक
लाभ:-00:44से02:02तक
शुभ:-03:13से04:32तक
अमृत:-04:32से05:50तक
🙏आज के विशेष योग🙏 वर्ष का 73वा दिन, सायनसूर्य कर्क में 26:22, दक्षिणायन प्रारंभ, सौर वर्षा ऋतु प्रारंभ, अयन पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त, स्थिरयोग 18:10से सूर्योदय, रवियोग समाप्त 18:10,
🌠👉वास्तु टिप्स👈🌠
दिवार घड़ी पश्चिम दिशा में ना लगाएं।
सुविचार
कर्म पर विश्वास रखो और ईश्वर पर आस्था कितना भी मुश्किल समय हो जरूर निकलेगा रास्ता...👍 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*बारिश में बालों का झड़ना कम करने के आसान घरेलू उपाय : -*
*1. बारिश में भीगने पर करें शैंपू -*
बारिश में बालों को भीगने के बाद घर आकर सिर्फ सूखा लेना सही देखभाल का तरीका नहीं होता है। क्योंकि बारिश के पानी में जो केमिकल और कार्बन होता है वह बालों को क्षति पहुँचाती है और असमय बाल झड़ने लगते हैं। इससे बचने के लिए बालों को छाता या रेनकोट से कवर करके रखें। उसके बाद घर आने के बाद सर से नहायें या माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें। इससे प्रदूषित पानी का असर बालों से निकल जायेगा।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। राजमान व यश में वृद्धि संभव है। व्यापार ठीक चलेगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। अतिथियों का आगमन होगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। मान-सम्मान प्राप्त होगा। ऐश्वर्य के साधनों की प्राप्ति संभव है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। जल्दबाजी में कोई कार्य न करें। विवाद संभव है। नौकरी में नई जिम्मेदारी प्राप्त हो सकती है। प्रयास सफल रहेंगे।
👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
थकान व कमजोरी रह सकती है�� कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार ठीक चलेगा। किसी प्रभावशाली प्रबुद्ध व्यक्ति से मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। धनलाभ के अवसर बार-बार प्राप्त होंगे।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
पारिवारिक चिंता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय में जल्दबाजी न करें। कुसंगति से हानि होगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी व्यक्ति से अकारण विवाद हो सकता है। शांति बनाए रखें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में उन्नति होगी। लाभ में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जल्दबाजी बिलकुल न करें। शत्रुओं का पराभव होगा। सुख के साधन जुटेंगे। स्थायी संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। कोई कारोबारी बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है।
🙎🏻♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग को पठन-पाठन व लेखन इत्यादि के कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। दांपत्य जीवन में खुशहाली रहेगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेंगे। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पूजा-पाठ में मन लगेगा। साधु-संत का आशीर्वाद मिल सकता है। व्यापार ठीक चलेगा। शत्रु परास्त होंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोर्ट व कचहरी, सरकारी दफ्तरों में रुका कार्य पूर्ण अनुकूल होगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
नए संबंध बनाने से पहले विचार कर लें। मन में काम के प्रति दुविधा रहेगी। गलतफहमी के कारण विवाद संभव है। आय में निश्चितता रहेगी। जोखिम न लें। चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि संभव है। किसी भी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। दु:खद समाचार मिल सकता है।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
अच्छे समाचार मिल सकते हैं। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मित्रों तथा संबंधियों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। आय बढ़ेगी। शत्रुभय रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। सुख के साधन जुटेंगे।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
शत्रुता में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबारी लाभ में वृद्धि के योग हैं। प्रमाद न करें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। कोई बुरी सूचना मिल सकती है। प्रसन्नता में कमी रहेगी।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
किसी भी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। धैर्यशीलता में कमी होगी। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। धनार्जन होगा। पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। कुसंगति से हानि होगी।
🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। पार्टनरों से मतभेद दूर होकर सहयोग प्राप्त होगा। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिलेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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भगवान सूर्यदेव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने और दक्षिणायन से उत्तरायण होने की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
#मकर_संक्रान्ति
14 जनवरी 2024
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भगवान सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर…
भारतवर्ष के उजाले में वृद्धि के प्रतीक पर्व…
“मकर संक्रान्ति” पर आपका जीवन भी… अत्यन्त प्रकाशमान हों…
आप स्वस्थ रहें…प्रसन्न रहें…
और सूर्य की भांति अपने प्रकाश से विश्व को आलोकित करें…!
ऐसी शुभेच्छा के साथ मकर संक्रान्ति पर्व की हार्दिक मंगलकामनाएं…!
#MakarSankranti
#makarsankranti2024 #AyodhyaSriRamTemple
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मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और राहुकाल टाइमिंग
13 दिसंबर, बुधवार, 22, मार्गशीर्ष (सौर) शक संवत् 1945, 28, मार्गशीर्ष मास प्रविष्टे (पंजाब पंचांग) 2080, 28, जमादिउलावल सन् 1445, मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा (विक्रमी संवत्) रात्रि 03.10 मिनट (सूर्योदय पूर्व) तक। मूल नक्षत्र, गंड योग, किस्तुघ्न करण, चंद्रमा वृश्चिक राशि में प्रात 11.05 मिनट तक उपरांत धनु राशि में।सूर्य दक्षिणायन। सूर्य दक्षिण गोल। हेमंत ऋतु। दोपहर 12 बजे से दोपहर 01.30 मिनट तक…
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आज या राशिंना होणार लाभ.... राशिभविष्य १ डिसेंबर
शुक्रवार, १ डिसेंम्बर २०२३. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी/पंचमी. शरद ऋतू, दक्षिणायन, शोभननाम संवत्सर. राशिभविष्य – ज्योतिषी मंगेश पंचाक्षरी, नाशिक. (संपर्क – 8087520521)
राहुकाळ – सकाळी १०.३० ते दुपारी १२.००आज उत्तम दिवस. *घबाड दुपारी १.३२ पर्यंत* चंद्रनक्षत्र – पुनर्वसू. आज जन्मलेल्या बाळाची राशी – मिथुन/कर्क. टीप: नावाप्रमाणेच तुमच्या राशी असतील असे नाही. अधिक माहितीसाठी आमच्या “राशीभाव” या फेसबुक…
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☀️ मकर संक्रांति - Makar Sankranti
❀ अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाये जाते हैं, लेकिन यह त्योहार सूर्य के चारों ओर प्रथ्वी द्वारा की जाते वाली परिक्रमा की गणना के आधार पर मनाया जाता है।
❀ जब सूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है, तब मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।
❀ आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार गांगजी, गंगा सागर, कुंभ और प्रयागराज में स्नान करना चाहिए।
❀ इस त्योहार पर सूर्य की उपासना की जाती है।
❀ लोग व्रत स्नान के बाद अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ दान अवश्य करते हैं।
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/makar-sankranti
🎋 पोंगल - Pongal
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/pongal
💦 गंगा सागर स्नान - Gangasagar Mela
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/gangasagar-mela
🎋 पौष संक्रांति - Poush Sankranti
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/poush-sankranti
#sankranti #makarsankranti #kites #kitefestival #uttarayan #patang #kiteflying #Pongal #gangasagar #lohrifestival #india #indianfestival #khichadi
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कब है मकर संक्रांति:आज या कल ? जानिए सही तारीख, साथ ही राशिनुसार करें ये उपाय हर संकट होंगे दूर - Makar Sankranti On January 15: Till 2080, Sankranti Will Be Celebrated Only On 15, What Is The Reason?
कब है मकर संक्रांति:आज या कल ? जानिए सही तारीख, साथ ही राशिनुसार करें ये उपाय हर संकट होंगे दूर – Makar Sankranti On January 15: Till 2080, Sankranti Will Be Celebrated Only On 15, What Is The Reason?
मकर संक्रांति पर इन उपायों से करें सूर्य ग्रह मजबूत
– फोटो : amar ujala
विस्तार
दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। काशी विद्वत परिषद का कहना है कि यह धारणा पूरी तरह से भ्रामक है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को आती है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अब 2080 तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी।
आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि…
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 11 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:38 सूर्यास्त :- 17:44 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- वृष मास :- अगहन तिथि :- तृतीया वार :- शुक्रवार नक्षत्र :- मृगशिरा योग :- शिव करण :- वणिज अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- शरद लाभ :- 08:00 - 09:24 अमृत:- 09:25 - 10:47 शुभ :- 12:12 - 13:33 राहु काल :- 10:48 - 12:11 जय महाकाल महाराज :- *धन-धान्य व सुख समृद्धि हेतु:-* यदि जीवन मे आर्थिक समस्याओं का नित्य निरंतर सामना करना पड़ रहा है व जिसके कारणवश घर परिवार में अशांति बनी रहती है तो शुक्रवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके माँ महालक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र अथवा श्री यंत्र के समक्ष बैठ कर श्री सूक्तं का विधिवत पाठ करें। ऐसा करने से धीरे धीरे जीवन मे आनंद व सुख समृद्धि में वृद्धि होगी व माँ महालक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होगी। आज का मंत्र :- ""|| ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 11 नवम्बर 2022 ( शुक्रवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CkzXFzUyy-o/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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*🌞~ आज दिनांक - 20 सितम्बर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग सटीक गणना के साथ दीप – प्रज्वलन अनिवार्य क्यों ? ~🌞*
*⛅दिनांक - 20 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया रात्रि 09:15 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 02:43 सितम्बर 21 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - ध्रुव दोपहर 03:19 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:02 से दोपहर 12:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:28*
*⛅सूर्यास्त - 06:38*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:40 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:08 से दोपहर 12:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 सितम्बर 21 से रात्रि 12:57 सितम्बर 21 तक*
*व्रत पर्व विवरण - तृतीया श्राद्ध, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:28 से रात्रि 02:43 सितम्बर 21 तक)*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹दीप – प्रज्वलन अनिवार्य क्यों ?🔹*
*🔸 भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दीपक प्रज्वलित करने की परम्परा है । दीपक हमें अज्ञानरुपी अंधकार को दूर करके पूर्ण ज्ञान को प्राप्त करने का संदेश देता है । आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि प्रभु हमें अज्ञान-अंधकार से आत्मिक ज्ञान-प्रकाश की ओर ले चलें ।*
*🔸मनुष्य पुरुषार्थ कर संसार से अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाये ऐसा संदेश दीपक हमें देता है । दीपावली पर्व में, अमावस्या की अँधेरी रात में दीप जलाने के पीछे भी यही उद्देश्य छुपा हुआ है । घर में तुलसी की क्यारी के पास भी दीप जलाये जाते हैं । किसी भी नये कार्य की शुरुआत भी दीप जलाकर की जाती है । अच्छे संस्कारी पुत्र को भी कुल-दीपक कहा जाता है ।*
🔹✍️🙏
Akshay Jamdagni ****
#akshayjamdagni #astrovastukosh #astroakshay
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भगवन सूर्य के
दक्षिणायन से उत्तरायण
होने पर...
भारतवर्ष के उजाले में
वृद्धि के प्रतीक पर्व...
*"मकर संक्रान्ति"*
पर आपका जीवन भी...
अत्यन्त प्रकाशमान हों...
आप स्वस्थ रहें...
प्रसन्न रहें...
और सूर्य की भांति
अपने प्रकाश से
विश्व को आलोकित करें...
ऐसी शुभेच्छा के साथ...
मकर संक्रान्ति पर्व की
हार्दिक मंगलकामनाएं...
आपका दिन शुभ हो...
🙏🙏
डॉ शिवम मौर्य
🍁🍁🍁🍁
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